MmsBee कोई तो रोक लो
09-11-2020, 11:55 AM,
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मैं छोटी माँ की इस बात से ज़रा भी खुश नही था. लेकिन मेरे पास उनकी बात मानने के सिवा कोई रास्ता भी नही था. मैं वाणी के साथ बॅंक चला गया. वहाँ पहुच कर वाणी अपना काम निपटने मे लग गयी.

जब उसका काम हो गया तो, उसने मुझसे छोटी माँ के खाते मे डालने को कहा. मैने गुस्से मे अपने खाते मे सिर्फ़ एक हज़ार रुपये छोड़ कर, बाकी सारे पैसे छोटी माँ के खाते मे डालने लगा.

मेरी इस हरकत को देख कर वाणी चौक गयी. उसने मुझे टोकते हुए कहा.

वाणी बोली “तुम ये क्या कर रहे हो. मौसी ने दस हज़ार रुपये तुम्हारे खाते मे छोड़ने को कहा था. तुम्हारी इस हरकत से वो गुस्सा हो जाएगी.”

मैं बोला “वो गुस्सा होती है तो, हो जाए. जब उन्हो ने मेरे बारे मे कुछ नही सोचा तो, अब मुझे भी उनके बारे मे कुछ नही सोचना. अब मुझे कुछ नही चाहिए.”

मेरी बात सुनकर, वाणी ने मुझे समझाते हुए कहा.

वाणी बोली “क्या तुम पागल हो. जो इतनी सी बात पर अपना मूड खराब कर रहे हो. तुम्हे जब कभी पैसों की ज़रूरत हो, तुम मौसी से ले सकते हो. मुझे नही लगता कि, वो तुम्हे कभी पैसे देने के लिए मना करती होगी. फिर इस बात पर इतना गुस्सा करने की क्या ज़रूरत है.”

मैं बोला “दीदी, मैं मानता हूँ कि, छोटी माँ मुझे कभी पैसे के लिए मना नही करती. लेकिन ये पैसे मैने बड़ी मुश्किल से जोड़े थे और उन्हो ने मुझे एक पल मे ही कॅंगाल बना कर रख दिया.”

मेरी इस बात पर वाणी ने उल्टा मुझसे सवाल करते हुए कहा.

वाणी बोली “एक बात बताओ, यदि मौसी ने शिखा की शादी मे खर्चा नही किया होता तो, क्या ये डेढ़ लाख रुपये अभी भी तुम्हारे पास होते. क्या तुम्हे तब भी अपने पैसे खर्च होने का दुख हो रहा होता.”

वाणी की ये बात सुनकर, मैं चुप करके रह गया. क्योकि उसकी ये बात सही थी. यदि छोटी माँ ने शादी मे खर्च ना किया होता तो, यक़ीनन मैं अपने सारे पैसे शादी मे खर्च कर चुका होता.

ये सब बातें समझ लेने के बाद भी, मेरा मूड सही होने का नाम नही ले रहा था. मेरा मूड सही ना होते देख, वाणी ने अपनी चेक बुक निकाली और डेढ़ लाख का एक चेक भर कर मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा.

वाणी बोली “ये चेक तुम रख लो. अभी जैसा मौसी ने कहा है, वैसा कर लो. बाद मे ये चेक अपने खाते मे डाल देना.”

मैं बोला “नही दीदी, मैं ये नही ले सकता. छोटी माँ को ये बात पता चलेगी तो, वो मुझसे नाराज़ हो जाएगी.”

वाणी बोली “अरे मौसी को ये बात कौन बताएगा. मैं मौसी से कुछ नही कहुगी और तुम भी उनको कुछ मत बताना. अब तुम सीधे तरीके से इसे रख लो.”

मैं बोला “दीदी आप समझती क्यों नही. यदि इन पैसों का उन्हे पता ही नही चलने देना है तो, मेरे लिए इन पैसों का कोई मतलब नही है. मुझे सच मे पैसे नही चाहिए.”

मेरी बात सुनकर, वाणी को शायद मेरी बात का मतलब समझ मे आ गया था. उसने मुझसे कहा.

वाणी बोली “कहीं तुम मौसी के जनमदिन के लिए तो, ये पैसे नही जोड़ रहे थे.”

वाणी की बात सुनते ही, मेरी आँखों मे आँसू तैर गये. सच वो ही था, जो वाणी ने कहा था. मैं छोटी माँ के जनमदिन के लिए, पिच्छले एक साल से ये पैसे जोड़ रहा था और उन्हो ने एक पल मे ही मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया था.

मेरी आँखें आँसुओं से भरी देख कर, वाणी ने मेरे आँसू पोछ्ते हुए कहा.

वाणी बोली “मेरे पागल भाई, इसमे इतना दुखी होने वाली क्या बात है. तुम्हारे वो पैसे, मैं तुमको मौसी से वापस दिला दूँगी.”

वाणी की ये बात सुनकर, मैं गौर से वाणी की तरफ देखने लगा. इस समय वो बिल्कुल बरखा दीदी की तरह बात कर रही थी. बरखा दीदी को भी जब मेरे उपर बहुत प्यार आता था तो, वो इसी तरह से मुझे “मेरे भाई” कह कर बुलाती थी.

मैं वाणी को बरखा दीदी की वजह से गौर से देख रहा था. लेकिन वाणी को मेरे इस तरह से देखने की कुछ और वजह समझ मे आई और उसने मुझसे कहा.

वाणी बोली “क्या हुआ, क्या तुम्हे मेरी बात पर यकीन नही हो रहा है या फिर तुम्हे इस बात का डर सटा रहा है कि, मैं ये बात मौसी को बता दूँगी.”

वाणी की बात सुनकर, मैने उस से कहा.

मैं बोला “नही दीदी, ऐसी कोई बात नही है. लेकिन आप छोटी माँ से वो पैसे वापस करने के लिए, कुछ मत बोलिएगा. वरना उनको इस बात से दुख पहुचेगा.”

मेरी इस बात पर वाणी ने मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी बोली “दुख तो, मौसी को तुम्हारे ये सब करने से भी होगा. क्योकि उनको ये ही लगेगा कि, तुमको उनकी बात मानने से तकलीफ़ पहुचि है. अगर तुम उनको दुख पहुचाना नही चाहते हो तो, जैसा उन्हो ने कहा है, वैसा ही करो.”

वाणी की ये बात सुनकर, मैने छोटी माँ के कहे अनुसार, अपने खाते मे दस हज़ार छोड़ कर, बाकी के पैसे उनके खाते मे डाल दिए. इसके बाद, हम लोग घर के लिए निकल पड़े. घर जाते समय रास्ते मे वाणी ने मुझसे कहा.

वाणी बोली “वैसे मुझे ये बात तुमको बतानी तो, नही चाहिए. लेकिन तुम अपने पैसे जाने से बहुत परेशान हो. इसलिए तुमको बता देती हूँ कि, मौसी ने तुमसे सारे पैसे क्यो ले लिए है.”

वाणी की ये बात सुनकर, मैं हैरानी से उसकी तरफ देखने लगा. वाणी ने मेरी इस हैरानी को दूर करते हुए कहा.

वाणी बोली “मौसी ने तुम्हारी खुशी के लिए, शिखा की शादी मे पानी की तरह पैसा बहाया था. लेकिन अब उनको इस बात का डर भी सता रहा है कि, कहीं पैसे की ये चका चौंध देख कर तुम बहक ना जाओ. इसलिए अब वो तुम्हारे साथ सख्ती से काम ले रही है.”

वाणी की ये बात सुनकर, एक बार फिर मेरी आँखों मे नमी आ गयी. लेकिन मैने अपनी आँखों की नमी को सॉफ किया और पहली बार मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी भला ये क्या बात हुई. छोटी माँ को मेरी किस बात से ऐसा लगा कि, मैं पैसों की चका चौंध देख कर बहक जाउन्गा. मैं तो उन से बिना पुछे कुछ भी नही करता हूँ और हर काम के लिए, पैसे भी उन्ही से ही लेता हूँ.”

वाणी बोली “क्या तुम भूल गये हो कि, तुम मुंबई से सबके लिए कितनी सारी शॉपिंग करके आए हो. यही सब देख कर, उनको लगा कि, अब तुमको फ़िजूल खर्ची करने की आदत लग गयी है.”

वाणी की इस बात ने मुझे और भी ज़्यादा हैरान करके रख दिया था. क्योकि अभी तक मैने अपनी की गयी शॉपिंग के बारे मे किसी को बताया ही नही था. रात को अमि निमी ज़रूर इसके बारे मे पुछ रही थी.

लेकिन मैने उन्हे भी सुबह के लिए टाल दिया था. ऐसे मे मेरी की गयी शॉपिंग का छोटी माँ को कैसे पता चला, ये बात मुझे समझ मे नही आई और मैने वाणी से कहा.

मैं बोला “लेकिन दीदी, अभी तो मैने अपनी शॉपिंग का किसी को कुछ बताया भी नही है. फिर छोटी माँ को शॉपिंग का कैसे पता चल गया.”

वाणी बोली “जब मैं सोकर उठी तो, सीधे नीचे आ गयी थी. उस समय कीर्ति तुम्हारे बॅग खोल खोल कर मौसी को दिखा रही थी. तुम्हारी शॉपिंग से भरे 5 बॅग देख कर, मौसी का दिमाग़ घूम गया.”

“उनको लगा कि, इतने सारे पैसे देख कर, तुम्हारा दिमाग़ फिर गया है और तुमने शॉपिंग करने मे पानी की तरह पैसा बहाया है. इसी वजह से तुम्हारे खर्चे पर लगाम लगाने के लिए उन्हो ने ये कदम उठाया है.”

वाणी की ये बात सुनकर, मुझे समझ मे आया कि, ये सारी आग कीर्ति की लगाई हुई है. अमि निमी ने तो मेरी बात सुनकर, सबर कर लिया था. लेकिन कीर्ति की इस बेसब्री ने मुझे कॅंगाल बना कर रख दिया था.

उस पर भी, जब छोटी माँ मुझे ये सब करने का हुकुम सुना रही थी तो, वो ऐसी भोली बन रही थी कि, जैसे उसे इस बारे मे अभी ही पता चल रहा हो और इस बात को सुनकर, उसे भी झटका लगा हो.

कीर्ति के उस समय के चेहरे को याद करके, मुझे उस पर गुस्सा नही, बल्कि उसकी इस हरकत पर हँसी आ रही थी. मैने मुस्कुराते हुए वाणी से कहा.

मैं बोला “दीदी, वो बॅग देख कर, आप लोगों को ग़लत फ़हमी हो गयी है. वो सारे बॅग मेरी की हुई शॉपिंग से नही, बल्कि वहाँ से मिले गिफ्ट से भरे हुए है.”

वाणी बोली “अब ये बात तुम मुझे नही, बल्कि मौसी को समझाओ. हो सकता है कि, तुम्हारी बात सुनकर, उनका मूड बदल जाए और वो तुम्हारे साथ सख्ती करना बंद कर दे.”

मैने भी वाणी की इस बात मे, हां मे हां मिलाई और फिर कुछ ही देर मे हम घर पहुच गये. हम जब घर पहुचे तो, छोटी माँ लोग भी वापस आ चुकी थी. मुझे देखते ही, निमी गिफ्ट देखने की ज़िद करने लगी.

उसकी बात सुनकर, मैं अपने सारे बॅग उठा कर ले आया. लेकिन मेरे बॅग देखते ही, जहाँ अमि, निमी और वाणी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. वही छोटी माँ के चेहरे पर नाराज़गी के भाव आ गये.

छोटी माँ का नाराज़गी भरा चेहरा देख कर, कीर्ति सहम गयी. लेकिन वाणी सारी असलियत जान चुकी थी. इसलिए उसने मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी बोली “अब हमें बॅग ही दिखाओगे या बॅग के अंदर का समान भी दिखाओगे.”

वाणी की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए एक बॅग खोला और उसमे से एक फ़ौजी का ड्रेस निकाल कर, निमी की तरफ बढ़ा दिया. अपनी ड्रेस देख कर निमी खुशी से उच्छलने लगी.

फिर मैने निमी को एक वीडियो गेम और कुछ खिलोने निकाल कर दिए. निमी का वीडियो गेम देखते ही, अमि ने गुस्सा होते हुए कहा.

अमि बोली “भैया, ये तो बहुत ग़लत बात है. आपने मुझसे वादा किया था कि, आप मुझे 1000 गेम वाला वीडियो गेम दिलाएगे. लेकिन आपने वो गेम निमी को दिला दिया. अब मुझे आपसे कुछ नही चाहिए.”

अमि को गुस्सा होते देख, मैने उसे आँख मारते हुए कहा.

मैं बोला “तू निमी के वीडियो गेम को देख कर क्यो जलती है. निमी वीडियो गेम को लेकर हर जगह थोड़ी जा सकती है. मैं तेरे लिए एक ऐसी चीज़ लेकर आया हूँ. जो बहुत सुंदर है और तू उसे कहीं भी लेकर जा सकती है.”

ये कहते हुए, मैने एक बार्बी डॉल निकाल कर अमि की तरफ बढ़ा दी. बार्बी डॉल को देखते ही, शायद अमि को मेरे आँख मारने का मतलब समझ मे आ गया था. उसने फ़ौरन खुशी खुशी बार्बी डॉल ले ली.

असल मे मैं अमि के लिए वीडियो गेम लाया था और निमी के लिए बार्बी डॉल लाया था. निमी की कमज़ोरी डॉल थी. लेकिन साथ ही साथ, उसकी आदत अमि के खिलोनो पर नियत खराब करने की भी थी.

इसी वजह से मैने दोनो के गिफ्ट, अदला बदली करके दिए थे. ताकि निमी खुद ही अमि को वीडियो गेम दे दे और वही हुआ. अमि के पास बार्बी डॉल देखते ही, निमी की सारी खुशी गायब हो गयी और उसने अमि को लालच देते हुए कहा.

निमी बोली “दीदी, यदि आपको वीडियो गेम चाहिए है तो, आप मेरा वीडियो गेम ले लीजिए और मुझे अपनी बार्बी डॉल दे दीजिए. मैं उसी से काम चला लुगी.”

मगर निमी की बात सुनकर, अमि ने भाव खाते हुए कहा.

अमि बोली “नही, मुझे तुम्हारा गिफ्ट नही चाहिए. तुम अपनी डॉल को तोड़ डोगी और बाद मे अपना गेम मुझसे वापस माँगने लगोगी.”

अमि की इस बात पर निमी ने मस्का लगाते हुए कहा.

निमी बोली “नही दीदी, मैं इस बार ऐसा कुछ नही करूगी.”

निमी की बात सुनते ही, मैने फ़ौरन बीच मे आते हुए अमि से कहा.

मैं बोला “आमो, जब निमी इतने प्यार से कह रही है तो, तू उसकी बात मान क्यो नही लेती. मैं जबाब्दारी लेता हूँ कि, वो वीडियो गेम को हाथ भी नही लगाएगी.”

मेरी बात सुनते ही, अमि ने मुस्कुराते हुए, फ़ौरन वीडियो गेम ले लिया और डॉल निमी को दे दी. सब उनका ये तमाशा देख कर मज़ा ले रहे थे. इसके बाद, मैने अमि को कुछ खिलोने और एक प्यारा सा लहंगा चुनरी निकाल कर दी.

जिसे देखते ही, वो भी खुशी से उछल्ने लगी. लेकिन छोटी माँ के चेहरे पर नाराज़गी अभी भी झलक रही थी और जिसे देख देख कर, कीर्ति घबरा रही थी. लेकिन मैं छोटी माँ की इस नाराज़गी को अच्छी तरह से समझ रहा था.

इसलिए मैने उनकी इस नाराज़गी को नज़र अंदाज़ करते हुए, अपने बॅग से एक नेवी ब्लू पॉलीयेसटर ओवरलॅप ड्रेस और एक ब्लॅक प्रिंटेड स्कर्ट टॉप निकाल कर कीर्ति की तरफ बढ़ा दिए. जिसे उसने एक फीकी सी मुस्कान के साथ, खामोशी से ले लिया.

यदि कोई और समय होता तो, इन ड्रेस को देख कर, कीर्ति ने अमि निमी से ज़्यादा उच्छल कूद करना सुरू कर दिया होता. क्योकि दोनो ही ड्रेस उसकी पसंद और पहनावे को देख कर ही मैने खरीदे थे.

लेकिन इस समय उसे इस बात का डर सता रहा था कि, ना जाने कब छोटी माँ का गुस्सा मेरे उपर फट पड़ेगा. जिस वजह से अपनी मनपसंद ड्रेस देख कर भी, उसके चेहरे पर ज़्यादा खुशी नज़र नही आई थी.

मुझे मन ही मन कीर्ति की इस हालत पर हँसी आ रही थी. लेकिन फिर मैं अपनी हँसी को दबाते हुए, दूसरा बॅग खोलने लगा. मैने उस मे से एक वाइट नेट टॉप और ब्लॅक जीन्स निकाल कर वाणी की तरफ बढ़ा दिया.

लेकिन उस ड्रेस को देखते ही, वाणी को शायद मेहुल की हरकत याद आ गयी थी. इसलिए उन्हो ने उसे लेने के पहले मुझसे पुछा.

वाणी बोली “ये तुम सच मे ही मेरे लिए लाए हो या फिर किसी और के लिए लाए हुई ड्रेस मुझे दे रहे हो.”

मैं बोला “नही दीदी, मैं ये आपके लिए ही लाया हूँ. मुझे पहले से ही पता था कि, आप आने वाली हो.”

मेरी बात सुनकर, वाणी ने मुस्कुराते हुए, वो ड्रेस ले लिया. इसके बाद मैने बॅग मे से एक साड़ी निकली और चंदा मौसी को देने लगा. लेकिन उन्हो ने साड़ी लेने से मना करते हुए कहा.

चंदा मौसी बोली “अरे बाबा, मैं इतनी महँगी सॅडी लेकर क्या करूगी. मुझे कौन सा कहीं जाना रहता है. तुम ऐसा करो, ये साड़ी रिचा बिटिया को दे देना.”

चंदा मौसी की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “मौसी, आप इसे घर मे ही पहन लेना. रही बात रिचा आंटी की तो, मैं उनके लिए भी साड़ी लाया हूँ.”

इसके बाद, मैने बॅग मे से एक शर्ट निकाली और कीर्ति की तरफ बढ़ाते हुए कहा.

मैं बोला “ये शर्ट पापा को दे देना.”

मेरी इस बात को सुनकर, अमि निमी को छोड़ कर, बाकी सब मुझे हैरानी से देखने लगे. क्योकि मेरी जिंदगी का ये पहला मौका था, जब मैं अपने पापा के लिए कोई गिफ्ट खरीद कर लाया था.

मेरे इस गिफ्ट को देख कर, सबके चेहरे खुशियों से खिल उठे और पहली बार छोटी माँ के चेहरे पर मुस्कान नज़र आई थी. लेकिन ना जाने क्यो, ये सब बातें मेरे दिल को चुभने लगी थी.

खास कर, छोटी माँ की मुस्कान मुझसे सहन नही हो रही थी. ये सब प्रिया का किया हुआ और उसने मुझे ये बात किसी से भी बोलने से मना किया था. लेकिन मैने इस बात को सबके सामने जाहिर करते हुए कहा.

मैं बोला “मैं तो पापा के लिए कुछ खरीदना ही भूल गया था. लेकिन बाद मे प्रिया ने वहाँ वालों के लिए शॉपिंग करते समय, पापा के लिए भी ये शर्ट खरीद ली थी.”

मेरी ये बात सुनते ही, सबके चेहरे की खुशी गायब हो गयी और सबको समझ मे आ गया कि, पापा के लिए शर्ट मैने नही खरीदी, बल्कि प्रिया ने मुझे ज़बरदस्ती खरीदवा दी होगी.

इस बात के समझ मे आते ही, सबके चेहरे की खुशी और छोटी माँ के चेहरे की मुस्कान गायब हो गयी थी. लेकिन इसके साथ ही छोटी माँ की आँखों से आँसू की दो बूंदे निकल आई थी.

उन्हो ने फ़ौरन ही सबकी नज़रों से बचा कर अपनी आँखों को पोन्छ लिया था. मुझे समझ मे आ गया था कि, मेरी इस बात से छोटी माँ के दिल को चोट पहुचि थी. जिस वजह से उनकी आँखों से अचानक आँसू छलक आए थे.

भले ही छोटी माँ अपने आँसुओं को सबकी नज़रों से छुपाने मे कामयाब हो गयी थी. मगर मेरी नज़रों से उनकी ये बात छुपि ना रह सकी थी और उन्हो ने भी ये देख लिया था कि, मैं उन्ही को देख रहा हूँ.

मुझे अपनी तरफ देखता पाकर, छोटी माँ ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और किसी गहरी सोच मे खो गयी. लेकिन उनके ये आँसू सीधे मेरे दिल पर गिर कर, मेरे दिल को जला गये थे और मेरी भी आँखें भर आई थी.

मैं उनके पास जाकर बैठ गया और उनकी गोद मे अपना चेहरा च्छूपा लिया. मेरी इस हरकत को देख कर सबको लगा की, मैं छोटी माँ के साथ लाड़ कर रहा हू. छोटी माँ प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरने लगी.

लेकिन मेरे सर पर हाथ फेरते ही, छोटी माँ को समझ मे आ गया कि, मैं उनकी गोद मे चेहरा छुपा कर रो रहा हूँ. उन्हो ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “ये क्या कर रहा है. ये सब तेरा मज़ाक उड़ाएगे कि, तू हर समय अपनी माँ की गोद मे छुपा रहता है.”

मगर इस समय मुझसे कुछ भी कहते नही बन पा रहा था. मैं उनको कैसे समझाता कि, अब मेरे और मेरे बाप के बीच की नफ़रत और भी ज़्यादा गहरी हो चुकी है. हम दोनो अब कभी भी एक नही हो सकते.

यही सब सोचते हुए, मैं अपनी और छोटी माँ की बेबसी पर आँसू बहाए जा रहा था. मेरी इस बेबसी का अहसास शायद छोटी माँ को भी कहीं ना कहीं हो चुका था. उन्हो ने मुझे समझाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “फिकर क्यों करता है. मुझे तुझसे किसी बात की कोई शिकायत नही है.”

ये कहते हुए, उन्हो ने अपने आँचल से मेरा चेहरा सॉफ किया और फिर मुझे बहलाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “चल अब बहुत हो गया. सबके गिफ्ट दे दिए और मेरा गिफ्ट देने का समय आया तो, मेरी गोद मे मूह छुपा कर बैठ गया. कहीं ऐसा तो नही कि, तू मेरे लिए कुछ लाना ही भूल गया हो और इसलिए मुझे बहला रहा है.”

छोटी माँ की ये बात सुनते ही सब हँसने लगे और मैं भी उनके आँचल से अपना चेहरा सॉफ करके, उठ कर खड़ा हो गया. मैने अपने बॅग के पास आकर, बॅग मे से एक मरून कलर का, चंदेरी सिल्क का चुरिदार, कमीज़, दुपट्टा वित जॅकेट, निकाला और छोटी माँ की तरफ बढ़ा दिया.

जिसे देखते ही, वाणी के साथ साथ कीर्ति की आँख भी चौधिया गयी. उन्हो ने शायद मेरा ये बॅग खोल कर नही देखा था. उस सूट को देखते ही, वाणी अपनी जगह से उठी और छोटी माँ के पास आकर, उस सूट को खोल कर देखने लगी.

वो सूट देखने मे ही सबसे चमकदार और महँगा नज़र आ रहा था. सूट के खुलते ही कीर्ति भी वाणी के पास आकर सूट को देखने लगी. वाणी ने हैरानी से सूट को देखते हुए छोटी माँ से कहा.

वाणी बोली “मौसी ये सूट तो बहुत अच्छा है. लेकिन क्या आप इसे पहन पाएगी.”

वाणी की इस बात के जबाब मे छोटी माँ के कुछ बोल पाने के पहले ही, मैने जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला “मैं इतने प्यार से लाया हूँ. छोटी मा इसे ज़रूर पहनेगी.”

मेरी इस बात पर वाणी ने मुझसे डाँटते हुए कहा.

वाणी बोली “तुम तो मुझसे बात ही मत करो. हम सबको तो सस्ते मे निपटा दिया और मौसी को इतना महँगा और सुंदर सूट दिया है.”

वाणी की बात को सुनकर, एक बार फिर सब हंस दिए. मेरे चेहरे पर भी बहुत देर बाद मुस्कान नज़र आई थी. कीर्ति भी छोटी माँ के सूट की बहुत तारीफ कर रही थी और वाणी की तरह वो भी मुझे, छोटी माँ को सबसे अच्छा सूट देने के उपर से ताने मार रही थी.
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09-11-2020, 11:55 AM,
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चंदा मौसी ने भी छोटी माँ के सूट की बहुत तारीफ की और उनसे कहा.

चंदा मौसी बोली “बहूरानी, पुन्नू बाबा सच मे आपके लिए बहुत सुंदर सूट लाए है. आप अपने जनमदिन मे ये ही सूट पहनना.”

चंदा मौसी की बात सुनकर, कीर्ति भी छोटी माँ के पिछे पड़ गयी और उन्हे इसके लिए हां कहना ही पड़ गया. सब छोटी माँ के सूट मे खोए हुए थे. लेकिन अमि निमी को इन बातों मे ज़रा भी मज़ा नही आ रहा था.

उन्हो ने देखा कि, सब छोटी माँ के सूट की बातों मे ही उलझ कर, रह गये है तो, दोनो आपस मे कुछ ख़ुसर फुसर करने लगी और फिर अमि ने मुझे टोकते हुए कहा.

अमि बोली “भैया, एक एक चीज़ दिखाने मे इतना समय क्यो लगा रहे है. अभी तो बहुत सी चीज़ें दिखाना बाकी है.”

अमि की बात सुनकर सब हँसने लगे और मैं फिर से सबको अपने लाए गिफ्ट दिखाने लगा. मौसी, आंटी, वाणी दीदी की मम्मी के लिए लाई हुई साड़ियाँ और कमल, मौसा जी, अंकल के लिए लाए हुए कपड़े दिखाने के बाद मैं रुक गया.

अभी मेरे बॅग मे कुछ और कपड़े थे. लेकिन मैं कीर्ति की वजह से वो दिखाना नही चाहता था. मगर वाणी दीदी मेरे पास ही बैठी थी. उन्हो ने मुझसे कपड़े दिखाने से हिचकते देखा तो, मुझसे कहा.

वाणी बोली “क्या हुआ, ये कपड़े क्यो नही दिखा रहे हो. क्या ये अपनी गर्लफ्रेंड के लिए लाए हो.”

वाणी की इस बात को सुनकर, मैने हड़बड़ाते हुए कहा.

मैं बोला “नही दीदी, ऐसी कोई बात नही है. ये तो मैं शीन बाजी, शेज़ा और उनकी अम्मी के लिए लाया हूँ.”

ये कहते हुए, मैं वो कपड़े भी सबको दिखाने लगा. शीन बाजी का नाम सुनकर भी, कीर्ति के मूड मे कोई खास फरक पड़ते ना देख कर, मुझे बड़ी राहत महसूस हुई और इसी के साथ मेरा दूसरा बॅग भी खाली हो गया.

उस बॅग के खाली होते ही, मैं आराम से सोफे पर बैठ गया. मुझे आराम से बैठते देख कर, अमि ने फ़ौरन मुझे टोकते हुए कहा.

अमि बोली “भैया, आप आराम से क्यो बैठ गये. अभी तो बहुत कुछ बाकी है.”

मैं अमि की बात का मतलब अच्छी तरह से समझ गया था. उसे बाकी के बॅग्स मे अपने मतलब की कोई चीज़ निकलने की उम्मीद थी और इसी वजह से वो बेसब्री से उनके खुलने का इंतजार कर रही थी. लेकिन मैने उसे परेशान करते हुए कहा.

मैं बोला “अब तो कुछ बाकी नही है. मैं जो जो लाया था, सब दिखा चुका हूँ.”

मेरी बात सुनकर, अमि ने सच मे परेशान होते हुए कहा.

अमि बोली “लेकिन भैया, अभी तो तीन बॅग खुलना बाकी है.”

मैं बोला “वो बॅग मेरे नही है. वो तो मुंबई वालों के बॅग है.”

ये बात सुनते ही, अमि का चेहरा उदास हो गया. निमी जो अभी सब कुछ कमोशी से देख रही थी. उसने बड़ी ही मासूमियत से कहा.

निमी बोली “भैया, तो क्या सब ख़तम हो गया. आप हमारे लिए बस इतना ही लाए है.”

निमी की बात सुनकर, एक बार फिर सबकी हँसी गूँज गयी और दोनो का चेहरा छोटा सा हो गया. मुझे उन दोनो को और परेशान करना ठीक नही लगा और मैने उठ कर एक बॅग उठाते हुए कहा.

मैं बोला “फिकर मत करो, मुंबई वालों ने भी तुम्हारे लिए बहुत कुछ भेजा है. लेकिन पहले मैं वो दिखाता हूँ, जो मुझे वहाँ से मिला है.”

ये कहते हुए, मैने एक बॅग खोला. उसमे वो कपड़े थे, जो अमन, निशा भाभी, अजय और शिखा ने मुझे दिए थे. फिर मैने बरखा दीदी और अलका आंटी के कपड़े दिखाए. उसके बाद, सीरू दीदी और राज लोगों ने जो गिफ्ट दिखाए थे, वो सबको दिखाने लगा.

लेकिन इस बॅग मे अमि निमी के मतलब की कोई चीज़ नही थी. इसलिए वो लोग इसमे कोई दिलचस्पी नही ले रही थी. मगर जैसे ही मैने अगला बॅग उठाया, दोनो मेरे पास आकर खड़ी हो गयी.

ये बॅग शिखा दीदी लोगों के अमि निमी और छोटी माँ के लिए दिए गये समान से भरा हुआ था. निशा भाभी, शिखा दीदी, बरखा दीदी और सीरू दीदी लोगों ने अमि निमी और छोटी माँ के लिए कोई ना कोई गिफ्ट दिया था.

उस बॅग के खुलते ही, अमि निमी के चेहरे खुशी से खिल उठे. उसमे उनके मतलब के बहुत से खिलोने और कपड़े थे. मेरे कुछ निकालने के पहले ही, वो दोनो खुद ही, बॅग मे से समान निकाल निकाल कर सबको दिखाने लगी.

इसके बाद मैने आख़िरी बॅग खोला. ये वो बॅग था, जो रिया ने मुझे एरपोर्ट पर दिया था. इसमे बॅग मे क्या था, ये मैं खुद भी नही जानता था. मुझे बस इतना पता था कि, इस बॅग मे रिया, प्रिया, राज और निक्की के दिए हुए गिफ्ट है.

मैने जैसे ही इस बॅग को खोला, इसमे भी अमि निमी और छोटी माँ के लिए गिफ्ट नज़र आए. जिसे देखते ही, अमि निमी की खुशी दुगनी हो गयी और वो फिर गिफ्ट निकाल निकाल कर सबको दिखाने लगी और मैं बताने लगा कि, किसने क्या गिफ्ट दिया है.

जब सारे बॅग खुल गये तो, मैं आराम से बैठ गया. मैने छोटी माँ की तरफ देखा तो, उनके चेहरे पर मुस्कान थी. शायद सब बॅग के बारे मे पता चलने से, उनके मन से ये बात निकल चुकी थी कि, मैने मुंबई मे बहुत फ़िजूल खर्ची की है.

वही दूसरी तरफ छोटी माँ की मुस्कान को देख कर, कीर्ति भी सुकून की साँस लेती नज़र आ रही थी. मैने वाणी की तरफ देखा तो, उसने मुस्कुराते हुए मुझे आँख मार दी. उसकी इस हरकत से मेरे चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी.

अमि निमी सबको अपने खिलोने और कपड़े दिखाती रही. थोड़ी देर मैं सबके साथ बैठा रहा और फिर मैं उठ कर, अपने कमरे मे आ गया. मैं अभी कमरे मे पहुचा ही था कि, तभी प्रिया का एस एम एस आ गया.

प्रिया का एस एम एस
“अब तुम्हारी दोस्ती मे ये नौबत भी आ गयी.
ठंडी हवा भी मुझे जला गयी.
कहती है तुम यहा तरसती ही रह गयी.
मैं तुम्हारे दोस्त को छु कर भी आ गयी.”

प्रिया का एस एम एस देखते ही, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैने भी उसे एक एस एम एस भेज दिया.

मेरा एस एम एस
“कितना खूबसूरत तुम्हारा अंदाज़ है.
हक़ीकत है या फिर ख्वाब है.
खुशनसीबों के पास तुम रहती हो.
मेरे पास तो सिर्फ़ तुम्हारी आवाज़ है.”

मेरा एस एम एस जाते ही, प्रिया का कॉल आने लगा. मेरे कॉल उठाते ही, उसने कहा.

प्रिया बोली “वाह वाह, वहाँ जाते ही, तुम तो पूरे शायर बन गये.”

मैं बोला “ऐसा कुछ नही, तुम लोग ही ज़बरदस्ती मुझे मार मार कर शायर बनाने पर तुली हो.”

मेरी बात सुनकर, प्रिया हँसने लगी. फिर उसने बातों बातों मे बताया कि, आज से राज ने कॉलेज जाना और रिया, निक्की ने स्कूल जाना सुरू कर दिया है. निक्की अभी एक हफ्ते उसके साथ ही रहेगी.

फिर वो मुझे वहाँ सबका हाल चाल बताती रही और थोड़ा बहुत हँसी मज़ाक करने के बाद, उसने कॉल रख दिया. उसके कॉल रखने के थोड़ी ही देर बाद, कीर्ति आ गयी. उसे देखते ही, मैने मुस्कुराते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “आग लगा कर तेरे दिल को शांति मिल गयी.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने हैरानी से कहा.

कीर्ति बोली “तुम कहना क्या चाहते हो. मैने कौन सी आग लगाई.”

मैं बोला “अब ज़्यादा भोली बनने का नाटक मत कर, मुझे वाणी दीदी ने तेरी हरकत के बारे मे सब बता दिया है कि, तुझसे ज़रा भी सबर नही हुआ और तूने बॅग खोल कर छोटी माँ को सारे गिफ्ट दिखा दिए थे.”

मेरी बात सुनते ही, कीर्ति को सारी बात समझ मे आ गयी. लेकिन उसने पहले कब अपनी ग़लती मानी थी, जो वो अभी अपनी ग़लती मान लेती. उसने अपनी इस ग़लती पर परदा डालते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मैं तुम्हारे गिफ्ट देखने के लिए कोई बेसबर नही हो रही थी. मैं तो सबसे छुप कर ये देख रही थी कि, कहीं मेहुल की तरह, तुम भी मेरे लिए कुछ उल्टा सीधा ना ले आए हो. मैं तो बस उसे सबकी नज़र बचा कर, वहाँ से अलग करना चाह रही थी.”

“लेकिन तभी मौसी आ गयी और मजबूरी मे मुझे उन्हे वो गिफ्ट दिखाना पड़ गये. इसी बीच वाणी दीदी भी आ गयी और मुझे इस बात के लिए गुस्सा करने लगी. जिसके बाद मैने बाकी के बाग नही खोले.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मैने हंसते हुए कहा.

मैं बोला “मेहुल तो अभी बचा है. तूने क्या मुझे मेहुल की तरह पागल समझा है, जो तू उन बॅग मे वो फालतू की चीज़ें ढूँढ रही थी.”

मेरी बात सुनकर कीर्ति ने तुनक्ते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मेहुल कुछ भी हो, लेकिन तुम्हारी तरह बच्चा नही. वो कम से कम शिल्पा के लिए कुछ ढंग की चीज़ लाया तो था. लेकिन तुमसे तो किसी बात की उम्मीद करना ही बेकार है.”

ये कह कर, वो पैर पटकते हुए, मेरे कमरे से जाने लगी. लेकिन मैने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा.

मैं बोला “अरे, मैं तेरे लिए तेरी पसंद के ड्रेस लेकर तो आया हूँ. क्या तुझे वो पसंद नही आई.”

कीर्ति बोली “हां, हां, मुझे वो बहुत पसंद आए. लेकिन तुम ये बताओ कि, मेरे और बाकी सबके लिए लाए हुए ड्रेस मे अलग ही क्या है. मुझे तो, मुझसे अच्छी मौसी की ड्रेस लगी, कम से कम उसमे तुम्हारा प्यार तो, नज़र आ रहा था.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैने अपना सर पीटते हुए कहा.

मैं बोला “हे भगवान, अब मैं इस लड़की का क्या करूँ. मैं इतने प्यार से इसके लिए ड्रेस लेकर आया और इसे उसमे मेरा प्यार ही नज़र नही आया.”

कीर्ति बोली “हाँ, मुझे उन मे तुम्हारा कोई प्यार नज़र नही आया. अब मेरा हाथ छोड़ो और मुझे जाने दो.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैने उसका हाथ छोड़ा और बाहर जाकर देखने लगा. वो मेरी इस हरकत को देख कर, वही की वही खड़ी रह गयी. मैं बाहर से आया तो, मैने अपना बॅग बेड पर रखा और उसे खोलने लगा.

ये मेरे कपड़ो का बॅग था, जो मैं अपने साथ अपने कमरे मे ले आया था. मैने उस बॅग मे से अपने कपड़ों के नीचे से, एक नाइट ड्रेस बाहर निकाला. जिस पर नज़र पड़ते ही, कीर्ति ने फ़ौरन बाहर की तरफ दौड़ लगा दी.

उसने कमरे के बाहर जाकर, एक नज़र नीचे की तरफ देखा और फिर फ़ौरन मेरे पास वापस आकर, मेरे हाथ से उस नाइट ड्रेस को अपने हाथ मे लेकर देखने लगी. वो एक सिल्क की ब्लॅक कलर की शॉर्ट नाइटी थी.

वो बड़ी हैरानी से उस नाइटी को देखने मे लगी थी. तभी मैने अपने कपड़ों के नीचे से एक डेनिम का ब्लू शॉर्ट्स और एक मिनी टॉप भी निकाल कर उसके हाथ मे पकड़ा दिया और मुस्कुराते हुए उसे देखने लगा.

ये सब देख कर, कीर्ति की आँखें हैरानी से फटी की फटी रह गयी. उसे शायद अब भी यकीन नही आ रहा था कि, ये सब मैं ही लेकर आया हूँ. उसने बड़े ही भोलेपन से कहा.

कीर्ति बोली “क्या सच मे ये सब तुम ही लाए हो.”

मैं बोला “मैं नही तो और कौन लाया है. अब ये बता कि, इसमे से तुझे कुछ पसंद आया भी है या नही.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने वो ड्रेस अपने सीने से लगाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मुझे तो तुम्हारे दिए सभी ड्रेस बहुत पसंद आए है.”

मैं बोला “तो फिर अभी क्यो कह रही थी कि, तेरे लिए लाए किसी भी ड्रेस मे तुझे मेरा प्यार नज़र नही आ रहा था.”

कीर्ति बोली “वो तो मैं….”

इतना कह कर कीर्ति अपनी बात कहते कहते रुक गयी. मैने उसे टोकते हुए कहा.

मैं बोला “हां, बोल बोल, चुप क्यो हो गयी.”

कीर्ति बोली “कुछ नही, वो तो मैं ऐसे ही कह रही थी.”

मैं बोला “मुझे चराने की कोसिस मत कर, मैं तेरी सब हरकत को अच्छी तरह से जानता हूँ. वो तू सिर्फ़ अपनी ग़लती पर परदा डालने के लिए कह रह रही थी.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति खिलखिला कर हंसते हुए मेरे कमरे से जाने लगी. मैने उसे रोकते हुए कहा.

मैं बोला “अरे अब कहाँ जा रही है.”

कीर्ति बोली “मैं इसे अपने कमरे मे रख कर आती हूँ.”

मैं बोला “ज़रा रुक, अभी तेरे लिए और भी कुछ है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति रुक गयी और मैने अपने कपड़ों के नीचे से उसके नाम का एक ब्रेस्लेट निकाल कर उसके हाथ मे थमा दिया. अपने नाम का ब्रेस्लेट देखते ही, वो खुशी से उछल पड़ी.

उसे ब्रेस्लेट पहनने का बहुत ही ज़्यादा शौक था और उसके पास तरह तरह के ब्रेस्लेट थे. उन मे से कुछ ब्रेस्लेट मैने भी उसे लाकर दिए थे. लेकिन उसे वाणी दीदी का दिया हुआ, सोने का ब्रेस्लेट सबसे ज़्यादा पसंद था.

उस ब्रेस्लेट मे चमकदार नगो की नक्कासी की गयी थी. जिससे उसकी चमक दमक और सुंदरता देखते ही बनती थी. उसे वो बहुत संभाल कर रखती थी और किसी खास मौके पर ही पहना करती थी.

मेरे दिए, ब्रेस्लेट को देखने के बाद कीर्ति ने उसे चूमा और फिर मुस्कुराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “ये तो मेरे सोने के ब्रेस्लेट से भी अच्छा है.”

उसकी इस बात के जबाब मे मैने अपना चेहरा उतारते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “इरादा तो, मेरा भी तुझे सोने का ब्रेस्लेट देने का है. लेकिन मेरे पास इतने पैसे ही नही हो पाते कि, तुझे सोने का ब्रेस्लेट दे सकूँ.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुझे समझाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “पागल मत बनो. तुम्हारा दिया हुआ, एक धागा भी, मेरे लिए सोने से कहीं ज़्यादा कीमती है.”

मैं बोला “तू कुछ भी बोल, लेकिन मैं तुझे सोने का ब्रेस्लेट देकर ही रहूँगा.”

कीर्ति बोली “अच्छा बाबा, दे लेना. लेकिन अभी तो तुम अपनी फिकर करो. मेरी ग़लती की वजह से मौसी ने तुम्हारे सारे पैसे छीन लिए है.”

कीर्ति की इस बात पर मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे इसकी फिकर करने की ज़रूरत नही है. फिकर तो अब छोटी माँ कर रही होगी कि, उन्हो ने बेवजह मेरे पैसे छीन लिए है. अब वो किसी ना किसी बहाने से, मुझे पैसे वापस करने की कोसिस ज़रूर करेगी.”

कीर्ति बोली “और यदि ऐसा नही हुआ तो, फिर क्या करोगे.”

मैं बोला “यदि ऐसा नही हुआ, तब भी कोई बात नही है. वो पैसे तो, मैं छोटी माँ के जनमदिन मे गिफ्ट देने के लिए ही जोड़ रहा था. अब वैसे नही तो, ऐसे ही सही, लेकिन पैसे तो, उन्ही के पास गये है.”

“पहले मुझे इस बात से मेरा मूड खराब ज़रूर हुआ था. लेकिन जब वाणी दीदी से पता चला कि, छोटी माँ ने ऐसा क्यो किया है. तब मुझे अहसास हुआ कि, छोटी माँ ने कुछ ग़लत नही किया है और मेरा मूड खुद ही सही हो गया.”

कीर्ति बोली “लेकिन अब उनके जनमदिन के गिफ्ट का क्या करोगे.”

मैं बोला “अभी मुझे कुछ नही पता. लेकिन अब तू ये बातें छोड़ और ये सब अपने कमरे मे रख कर आ. वरना अभी अमि निमी मे से कोई टपक पड़ेगा.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति हंसते हुए, वो सब समान अपने कमरे मे रखने चली गयी. उसके जाने के कुछ ही देर बाद, अमि मुझे खाने के लिए बुलाने आ गयी और मुझे खाने के लिए बोल कर, वो कीर्ति को बुलाने चली गयी.

अमि के जाने के बाद, मैं मूह हाथ धोने चला गया. मैं मूह हाथ धोकर आया तो, कीर्ति मेरे कमरे मे ही बैठी थी. मैं तैयार होकर, उसके साथ खाने के लिए नीचे आ गया.

हम नीचे पहुचे तो, सब खाने पर हमारा ही इंतजार कर रहे थे. हमारे पहुचते ही, सबने खाना खाना सुरू कर दिया. खाने के बाद, हम सब बैठ कर, बातें करने लगे.

हमारी आपस मे बातें चल रही थी. तभी वाणी दीदी ने वो ही डेढ़ लाख का चेक मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा.

वाणी बोली “मैं तुम्हारे जनमदिन मे तुम्हे कोई गिफ्ट नही दे पाई थी. इसलिए मेरी तरफ से ये चेक रख लो और तुम्हे अपने लिए जो कुछ अच्छा लगे, तुम वो खरीद लेना.”

मैं बोला “दीदी, आप को जो भी देना हो, आप खुद ही खरीद कर दे दीजिए. लेकिन ये चेक़ मुझे मत दीजिए. मैं अपने जनमदिन के गिफ्ट मे चेक़ नही लूँगा.”

मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “वो तुम्हारी बड़ी बहन है. उसको किसी बात के लिए ना करते हुए, तुमको शरम नही आती.”

मैं बोला “छोटी माँ, ये मेरी बड़ी बहन है. इसलिए मैं गिफ्ट मे पैसे लेने से मना कर रहा हू. मुझे यदि पैसे की ज़रूरत हुई तो, मैं हक़ के साथ, बिना किसी जीझक के इनसे माँग लुगा.”

“लेकिन ये मुझे जनमदिन का गिफ्ट देना चाहती है और गिफ्ट वो ही अच्छा लगता है, जिसे देखते ही, देने वाले का चेहरा नज़र आए. इनका चेक़ तो मैं बॅंक मे डाल दूँगा. फिर भला उस से खरीदी हुई चीज़ मे मुझे इनका चेहरा कैसे नज़र आ सकता है.”

मेरी बात सुनकर, वाणी दीदी मुस्कुराने लगी. लेकिन छोटी माँ तो, मेरी माँ थी और मैं उनकी सिखाई बातों से ही भला उन्हे कैसे हरा सकता था. उन ने मेरी बात को काटते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “बड़े जब कुछ देते है तो, उसमे उनके प्यार के साथ साथ, उनका आशीर्वाद भी छुपा होता है. प्यार नज़र आता है, लेकिन आशीर्वाद कभी नज़र नही आता. मगर वो आशीर्वाद हमेशा साथ बना रहता है. इसलिए इसे वाणी का प्यार नही, बल्कि आशीर्वाद समझ कर रख लो.”

छोटी माँ ने मुझे अपनी बातों मे बुरी तरह से उलझा दिया था और अब मुझे उनकी इस बात का कोई जबाब नही सूझ रहा था. आख़िर मे ना चाहते हुए भी, मुझे वाणी दीदी का वो चेक़ लेना ही पड़ गया.

कीर्ति और अमि निमी, मुझे पैसे मिल जाने की वजह से खुश नज़र आ रही थी. वही वाणी के चेहरे पर भी मुस्कान थी. लेकिन छोटी माँ के चेहरे से कुछ पता नही चल रहा था. वो कहीं खोई खोई सी नज़र आ रही थी.

मैने उनको खोया खोया सा देखा तो, उनसे बात करने लगा. कुछ देर उनसे बात करने के बाद, मैने उन्हे मेहुल के घर जाने की बात जताई और मैं फिर मेहुल के घर के लिए निकल गया.

मेहुल के घर पहुच कर, मैने अंकल और रिचा आंटी को उनके लिए लाए कपड़े दिए. फिर मेरी उनसे यहाँ वहाँ की बातें होती रही और 5 बजे के बाद, मैं वही से शीन बाजी के घर जाने के लिए निकल गया.

रास्ते से मैने आफ्तारी के लिए कुछ फल खरीदे और उन्हे लेकर मैं बाजी के घर पहुच गया. लेकिन घर पर इस समय शीन बाजी की अम्मी के अलावा कोई नही था.
मैं भी उन्हे अम्मी ही कहता था.

अम्मी ने मुझे बताया कि शीन बाजी और शेज़ा के साथ, उसकी किसी सहेली के घर गयी और रात तक वापस आएगी. मैने उनको आफ्तारी के लिए लाए फल दिए और फिर सबके लिए लाए कपड़े दिखाने लगा.

इसके बाद, रोज़ा खोलने का समय होने लगा तो, वो रोज़ा खोलने की तैयारी करने लगी. मेरे फल भी, उन्हो ने आफ्तारी मे लगा दिए. रोज़ा खोलने का समय होने पर, मैं भी उनके साथ आफ्तारी करने लगा.

आफ्तारी के बाद, अम्मी से मेरी थोड़ी बहुत बातें हुई और फिर मैं उनसे कल शाम को आने की बात बोल कर, घर के लिए निकल पड़ा. लेकिन अम्मी के घर से निकलते ही, रास्ते मे मुझे, मेरा दोस्त राहुल मिल गया.

उसने मिलते ही मेरे उपर सवालों की बौछार कर दी और बिना कुछ बताए मुंबई चले जाने की बात पर फटकार लगाने लगा. उस से बात चीत मे बहुत समय लग गया और फिर मुझे घर पहुचते पहुचते 7:30 बज गये.

मैं घर पहुचा तो, अमि, निमी, कीर्ति, चंदा मौसी, और छोटी माँ सब बैठ कर, शिखा दीदी की शादी का वीडियो देख रहे थे. मैं कीर्ति के पास जाकर बैठ गया और मैं भी शादी का वीडियो देखने लगा.

वीडियो मे अभी शिखा दीदी की बारात आई थी और मैं बारातियों का स्वागत कर रहा था. उस वीडियो मे छोटी माँ सॉफ नज़र आ रही थी. छोटी माँ के वीडियो मे नज़र आते ही, मैने अमि निमी की तरफ देखा.

लेकिन दोनो का ही मन वीडियो देखने मे लगा हुआ था. मुझे ये देख कर हैरत हो रही थी कि, छोटी माँ को उस वीडियो मे देख लेने के बाद भी, अमि निमी इस बारे मे कोई सवाल क्यो नही कर रही है.
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09-11-2020, 11:55 AM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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जब मुझे अमि निमी की इस बात पर कोई सवाल ना करने की वजह समझ मे नही आई तो, मैने धीरे से कीर्ति से कहा.

मैं बोला “ये क्या है, छोटी माँ को वीडियो मे देख कर भी, अमि निमी कुछ बोल क्यो नही रही है.”

कीर्ति बोली “मौसी ने मुंबई से वापस आते ही, अमि निमी को सच बता दिया था कि, वाणी दीदी अपनी मम्मी के साथ यहाँ आ रही थी. इसलिए वो वही से अंकल को देखने मुंबई चली गयी थी. लेकिन उसी दिन शिखा दीदी की शादी थी और उन्हो ने ज़बरदस्ती उनको शादी मे शामिल होने के लिए रोक लिया था.”

मैं बोला “लेकिन मेहन्दी के वीडियो मे तो छोटी माँ दिखाई दी होगी. क्या तब भी इन ने कोई सवाल नही किया.”

मेरी इस बात पर कीर्ति ने झुंझलाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अब तुम अपना बेकार का दिमाग़ मत चलाओ और मुझे शादी का वीडियो देखने दो.”

मैं बोला “अरे बस ये बात बता दे, फिर मैं कुछ नही पुछुन्गा.”

कीर्ति बोली “हां, मौसी को मेहन्दी मे देख कर, अमि ने ये सवाल किया था. लेकिन मौसी ने कह दिया था कि, वो मेहन्दी की रात मे ही वहाँ पहुचि थी और इसी वजह से उन्हे दूसरे दिन वहाँ शादी के लिए रुकना पड़ा था.”

“अब इसके बाद, तुमको जो भी पुच्छना हो, रात को पुच्छ लेना. मैने शिखा दीदी की शादी नही देखी. कम से कम शादी का वीडियो तो देख लेने दो.”

कीर्ति को नाराज़ होते देख, मैं भी चुप चाप वीडियो देखने लगा. तभी वाणी दीदी भी उपर से आ गयी और मेरे पास बैठ कर वीडियो देखने लगी. अब वीडियो मे वरमाला के लिए दुल्हन का इंतजार हो रहा था.

तभी पंडाल मे फूलों की बारिश होते देख, निमी ताली बजाने लगी और जैसे ही, उसने दो छोटी छोटी लड़कियाँ परियों की ड्रेस पहन कर आते देखा तो, उसने छोटी माँ से कहा.

निमी बोली “मम्मी मुझे भी ऐसी ड्रेस चाहिए.”

छोटी माँ ने उसे डांटा और चुप चाप बैठने को कहा. वो मूह लटका कर चुप चाप बैठ गयी. मैं अभी निमी का लटका हुआ चेहरा ही देख रहा था कि, तभी कीर्ति ने मुझे कोहनी मारते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम उसके इस तरह से चेहरा लटकाने पर मत जाओ. वो बहुत देर से ऐसे ही, वीडियो देख देख कर परेशान कर रही है. अभी जब तुम मेहंदी मे डॅन्स कर रहे थे तो, इसने पूरा घर सर पर उठा लिया था. अभी जैसे ही तुम नज़र आओगे, ये फिर से शोर मचाना सुरू कर देगी.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं फिर से वीडियो देखने लगा. लेकिन जैसे ही वीडियो मे मैं दुल्हन की डॉली को कंधा देकर लाते हुए नज़र आया. वैसे ही निमी ने शोर मचाना और नाचना सुरू कर दिया.

उसकी इस हरकत पर कीर्ति मेरी तरफ देख कर, मुस्कुराने लगी और मेरी भी हँसी छूट गयी. छोटी माँ ने फिर से उसे चुप करके, वीडियो देखने को कहा और वो फिर से मूह लटका कर वीडियो देखने लगी.

अब वीडियो मे दुल्हन को डॉली से उतारे जाने की तैयारी चल रही थी. मैने बरखा दीदी को दुल्हन को डॉली से उतारने का इशारा किया. फिर उसी समय मेरे पास निशा भाभी और प्रिया आ गयी.

नीचा भाभी के आने के पहले कॅमरा पहले मेरे चेहरे पर था. लेकिन निशा भाभी के आते ही, कॅमरा उनके चेहरे पर चला गया और उसके बाद, प्रिया के चेहरे से होते हुए, दुल्हन की डॉली पर जाकर रुक गया.

अभी हम सब बैठे दुल्हन के डॉली से उतरने का इंतजार कर रहे थे कि, तभी ना जाने वाणी दीदी को क्या हुआ कि, वो उठ कर छोटी माँ के पास गयी और उनसे रिमोट लेकर, वापस मेरे पास बैठ कर, वीडियो को पिछे करने लगी.

उन्हो ने वीडियो को पिछे किया और फिर उस जगह से सुरू किया जब निशा भाभी और प्रिया आई थी. प्रिया के चेहरे पर कॅमरा आते ही, उन्हो ने वीडियो पॉज़ कर दिया और बड़ी गौर से प्रिया का चेहरा देखने लगी.

सब बड़े गौर से अब वाणी दीदी को ही देख रहे थे कि, उन्हो ने प्रिया के चेहरे पर वीडियो को क्यो रोक दिया. वो थोड़ी देर तक प्रिया को गौर से देखती रही और फिर जब उनकी नज़र सब पर पड़ी तो, उन ने वीडियो चालू करते हुए, मुझसे कहा.

वाणी बोली “ये इतनी खूबसूरत लड़की कौन है.”

वाणी दीदी की इस बात को सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, वो प्रिया है और उस ड्रेस मे वो सच मे ही सबसे सुंदर लग रही थी. हम लोग मुंबई मे इसी के घर मे रुके थे.”

मेरी बात सुनकर, वाणी मुस्कुराते हुए, वापस वीडियो देखने लगी. वीडियो मे वरमाला के समय, जब मेहुल ने शिखा दीदी को अपनी गोद मे उपर उठाया तो, निमी ने फिर से शोर मचाना सुरू कर दिया.

उसकी हरकत को देख कर, छोटी माँ ने उसे फिर से गुस्सा किया और सब हँसने लगे. वीडियो मे शिखा दीदी को देख कर, मुझे शिखा दीदी की याद आ गयी और मैं वहाँ से उठ कर अपने कमरे मे आ गया.

मेरा मन उनसे बात करने का हो रहा था. मैने समय देखा तो, अभी 8 बजे थे. मैने कुछ सोचते हुए, शिखा दीदी के मोबाइल पर कॉल लगा दिया. लेकिन कॉल अजय ने उठाया. उसे कॉल उठाते देख, मैने उस से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ, क्या दीदी घर पर नही है.”

अजय बोला “क्यो, क्या तुम्हे मुझसे बात करने मे परेशानी हो रही है.”

मैं बोला “नही, ऐसी बात कोई बात नही है.”

अजय बोला “तो फिर मेरे कॉल उठाने पर शिखा को क्यो पुछ रहे हो. शिखा नही है तो, मुझसे ही बात कर लो.”

मैं बोला “वो क्या है कि, घर मे सब शादी का वीडियो देख रहे थे और वीडियो देख कर, मेरा मन दीदी से करने का हुआ तो, उनको कॉल लगा दिया. अब उनका कॉल तुमने उठाया तो, मन मे ये बात तो आएगी ही कि, दीदी घर पर है या नही.”

मेरी बात सुनकर, अजय हँसने लगा और फिर उसने कहा.

अजय बोला “हम कल शाम को सूरत जा रहे है. शिखा उसी की पॅकिंग कर रही है. वो अभी अभी किसी काम से निशा के पास गयी है और इसी बीच तुम्हारा कॉल आ गया. मैने सोचा कि, जब तक शिखा नही आ जाती तो, चलो मैं ही तुमसे बात कर लेता हूँ. लेकिन शायद तुमको मेरा कॉल उठाना ही पसंद नही आया.”

अजय की इस बात पर मैने उसे अपनी सफाई देते हुए कहा.

मैं बोला “ऐसी बात नही है यार, मैं शिखा दीदी के बाद, तुमसे ही बात करता.”

मेरी बात सुनकर, अजय हँसने लगा. तभी सीखा दीदी वहाँ आ गयी. अजय ने उन्हे बताया कि, मेरा कॉल आया है. ये सुनते ही शिखा दीदी ने फ़ौरन अजय से मोबाइल लेते हुए, मुझसे कहा.

शिखा दीदी बोली “भैया, अच्छा हुआ कि, आपने कॉल कर लिया. मैं अभी आपको ही कॉल करने का सोच रही थी.”

मैं बोला “क्यो, क्या हुआ. क्या आपको मुझसे कोई खास बात करना थी.”

शिखा दीदी बोली “हां भैया, वो क्या है कि, कल हम सब सूरत जा रहे है. ये चाहते थे कि, मम्मी और बरखा भी हमारे साथ चल कर वही रहे. बरखा तो हमारे साथ जाने को तैयार है.”

“लेकिन मम्मी जाने को तैयार नही हो रही है. हम सबने उन्हे समझाने की बहुत कोसिस की है. मगर वो हमारी बात मानने को तैयार नही है. अभी निशा दीदी ने भी उनसे बात की है.”

“लेकिन उन्हो ने निशा दीदी से भी इस बात के लिए मना कर दिया है. मुझे लगता है कि, यदि आप मम्मी से बात करेगे तो, वो ज़रूर हमारे साथ सूरत जाने को तैयार हो जाएगी. बस इसी वजह से मैं आपको कॉल लगाने वाली थी.”

शिखा दीदी की बात के जबाब मे मैने उनसे कहा.

मैं बोला “लेकिन दीदी, जब वो आप सबकी बात नही मान रही है तो, फिर मेरी बात कैसे मान लेगी.”

शिखा दीदी बोली “भैया, मेरा दिल कहता है कि, वो आपकी बात ज़रूर मान लेगी. आप एक बार उनसे बात करके तो देखिए.”

मैं बोला “ठीक है दीदी, आप कहती है तो, मैं अभी आंटी से बात कर लेता हूँ.”

इसके बाद, मैने शिखा दीदी का कॉल रखा और अलका आंटी को कॉल लगा दिया. पहले मैने उनसे थोड़ी बहुत यहाँ वहाँ की बातें की और फिर अपनी असली बात पर आते हुए, उन से कहा.

मैं बोला “आंटी, अभी मेरी शिखा दीदी और अज्जि से बात हुई थी. वो लोग सूरत जा रहे है. दीदी बता रही थी कि, वो लोग आपको और बरखा को भी साथ ले जाना चाहते है. लेकिन आप जाना नही चाहती.”

आंटी बोली “हां, शिखा मुझसे भी सूरत चलने की ज़िद कर रही थी. लेकिन मैने उसके साथ जाने से मना कर दिया.”

मैं बोला “लेकिन क्यो आंटी, आपको उनके साथ जाने से क्या परेशानी है.”

आंटी बोली “अब तुम भी शिखा की तरह बात करने लगे. तुमको इस बात को समझना चाहिए कि, वो मेरी बेटी है. मैं भला अपनी बेटी के ससुराल मे कैसे रह सकती हूँ. मेरा जमीर मुझे ऐसा करने की इजाज़त नही देता है.”

मैं बोला “आंटी आपका ऐसा सोचना ज़रा भी ग़लत नही है. आज यदि शेखर भैया होते तो, शिखा दीदी के मन भी आपको साथ ले जाने की सोच नही आई होती. मगर आपको साथ ले जाने की सोच शिखा दीदी की नही, बल्कि अज्जि की है.”

“उसके माँ पिता तो, उसे बचपन मे ही छोड़ कर चले गये थे और आरू जिसे वो अपना सब कुछ मानता है, वो भी उस से दूर ही है. ऐसे मे जब वो आपके साथ रहा तो, उसे अपना परिवार पूरा होते नज़र आया था.”

“बस इसी वजह से वो आपको और बरखा दीदी को साथ ले जाना चाहता है. आप एक बार इस बात को, अज्जि को अपना बेटा समझ कर सोचिए. मुझे यकीन है कि, फिर आपको अज्जि के साथ जाने मे कोई परेशानी नही होगी और उसका अधूरा परिवार एक बार फिर से पूरा हो सकेगा.”

मेरी बात सुनकर, आंटी सोच मे पड़ गयी. फिर उन्हो ने कुछ देर बाद मुझसे कहा.

आंटी बोली “ठीक है, यदि तुम सब यही चाहते हो तो, मैं अपनी ज़िद को छोड़ देती हूँ. तुम खुद ही शिखा से फोन करके बता दो कि, मैं उनके साथ चलने को तैयार हूँ.”

आंटी अभी मुझसे इतना ही बोल पाई थी कि, तभी बरखा दीदी ने उनसे फोन छीन लिया और खुशी मे चहकते हुए मुझसे कहा.

बरखा दीदी बोली “मेरे भाई, तुम तो जादूगर निकले. हम सब मम्मी को समझाते समझाते थक गये. मगर वो हमारी बात मान ही नही रही थी. लेकिन तुमने तो पल भर मे ही मम्मी को जाने के लिए तैयार कर लिया.”

मैं बोला “दीदी, ये सब तो आंटी का मेरे लिए प्यार है. जो वो मेरी बात को मान कर जाने के लिए तैयार हो गयी है.”

बरखा दीदी से थोड़ी बहुत बात करने के बाद, मैने उनका कॉल रखा और शिखा दीदी को कॉल लगा दिया. जब मैने उनको आंटी के उनके साथ जाने की बात बताई तो, वो बहुत खुश हुई.

उनसे थोड़ी बहुत बात करने के बाद, मेरी अजय और निशा भाभी से भी बात हुई. इसी बीच सीरू दीदी आ गयी और मेरा मज़ाक उड़ाने लगी. उनसे बात करने के बाद, मैने कॉल रखा और सुकून की साँस ली.

ना जाने सीरू दीदी मे ऐसी क्या बात थी कि, उनसे बात करके दिल खुशी से और चेहरा मुस्कान से भर जाता था. अभी मैं सबके बारे मे सोच ही रहा था कि, तभी कीर्ति मेरे कमरे मे आ गयी. उसने मुझे ऐसा अकेले बैठे बैठे मुस्कुराते देखा तो, कहा.

कीर्ति बोली “तुम पागल हो गये हो क्या. जो अकेले बैठे बैठे मुस्कुरा रहे हो.”

मैं बोला “तेरे पास तो, मेरे लिए टाइम ही नही है. ऐसे मे मैं अकेला बैठ कर ना मुस्कुराऊ तो, और क्या करूँ.”

कीर्ति बोली “ज़्यादा नाटक मत करो. मुझे मुंबई के सब लोगों को देखना था और मैने शिखा दीदी की शादी भी नही देखी थी. इसलिए वीडियो देख रही थी.”

मैं बोला “वीडियो तो तूने देख लिया. लेकिन तू वहाँ के लोगों को जानती कहाँ है. जो वीडियो मे उनको पहचान लेगी.”

कीर्ति बोली “मैं नही जानती तो क्या हुआ. मौसी तो सबको जानती है. उन्हो ने ही हमें बताया कि, वीडियो मे कौन कौन है. लेकिन तुम ये बताओ कि, तुम यहाँ अकेले क्यो बैठे हो. वहाँ हमारे साथ बैठ कर वीडियो भी तो देख सकते थे.”

मैं बोला “मैं शिखा दीदी से बात करने के लिए कमरे मे आ गया था.”

ये कहते हुए, मैं कीर्ति को सारी बातें बताने लगा. अभी मेरी और कीर्ति की बात चल ही रही थी कि, तभी अमि खाने के लिए बुलाने आ गयी और फिर हम सब खाने के लिए नीचे आ गये.

नीचे आकर हम सब खाना खाने लगे और खाना खाने के बाद, सब आपस मे बातें करते रहे. फिर 10:30 बजे सब अपने अपने कमरे मे जाने लगे तो, छोटी माँ ने अमि निमी को नीचे ही सो जाने को बोल दिया.

छोटी माँ की बात सुनकर, अमि निमी उनके कमरे मे चली गयी. वाणी दीदी ने चंदा मौसी से दूध का बताया और वो उपर चली गयी. कीर्ति ने चंदा मौसी से वाणी दीदी के लिए दूध लिया और उपर चलने लगी तो, मैने उस से कहा.

मैं बोला “तू वाणी दीदी के साथ कल की तरह कोई हरकत मत करना.”

कीर्ति बोली “क्यो, क्या हुआ.”

मैं बोला “देख, हमें तो हमेशा साथ ही रहना है. फिर हमारे कुछ दिन ना मिल पाने की बात को लेकर, वाणी दीदी को परेशान करना अच्छी बात नही है. यदि तुझे फिर भी लगता है कि, तेरा ऐसा करना ठीक है तो, तू ऐसा कर सकती है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “ओके, मैं कल जैसा कुछ भी नही करूगी. अब तो खुश.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं भी मुस्कुरा दिया. उपर आकर कीर्ति वाणी दीदी के कमरे मे चली गयी और मैं अपने कमरे मे आ गया. कमरे मे आकर मैने कपड़े बदले और फिर बेड पर लेट कर, कीर्ति के बारे मे सोचने लगा.

कीर्ति को अभी मेरे कमरे मे आने मे समय लगना था. इसलिए मैने प्रिया को कॉल लगा दिया. मेरे खुद से कॉल लगाने की, वजह से प्रिया बहुत खुश नज़र आ रही थी. उस समय निक्की भी उसके पास थी तो, उसने निक्की से भी मेरी बात करवाई.

उनसे बात चलते चलते, 11:30 बज गये और कीर्ति आ गयी. कीर्ति के आते ही, मैने प्रिया से कल बात करने को कह कर कॉल रख दिया. इसके बाद, मेरी कीर्ति से यहाँ वहाँ की बातें चलती रही.

मैने उसे शीन दीदी के घर जाने की बातें बताई. ऐसे ही यहाँ वहाँ की बात करते करते, हमें 1 बज गया और फिर हम एक दूसरे को गुड नाइट कह कर, एक दूसरे की बाहों मे सो गये.

लेकिन रात को 3 बजे अचानक निमी के रोने की आवाज़ सुनकर, हम दोनो की ही नींद खुल गयी. हम ने नीचे जाने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला तो, हम दोनो ही वाणी दीदी को सीडियों से नीचे उतरते देख कर चौक गये और मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला “क्या दीदी ने आज नींद की गोली नही खाई थी.”

कीर्ति बोली “उन्हो ने मेरे सामने ही नींद की दो गोलियाँ खाई थी.”

मैं बोला “ये कैसी नींद की गोलियाँ थी कि, वो निमी की आवाज़ सुनकर हम से पहले नींद से जाग गयी.”

कीर्ति बोली “तुम खुद ही उनकी नींद को देख लो. तुम्हे तो उन्हे एक गोली ज़्यादा देने से तकलीफ़ हो रही थी और वो नींद की दो गोलियाँ हाजमोला समझ कर हजम कर गयी.”

ऐसे ही बात करते करते हम, छोटी माँ के कमरे मे पहुच गये. छोटी माँ निमी को चुप करा रही थी. लेकिन वो चुप होने का नाम नही ले रही थी और लगातार रोए जा रही थी.

मैं फ़ौरन उसके पास गया और उसे शांत करवाने लगा. थोड़ी ही देर मे वो चुप हो गयी और फिर से सो गयी. उसके सोते ही, छोटी माँ ने उसे अपने सीने से चिपका लिया. लेकिन अमि अभी बैठी हुई थी और बहुत गुस्से मे लग रही थी. उसे इस तरह से बैठे देख कर, वाणी दीदी ने उस से कहा.

वाणी बोली “अब तू क्यो बैठी हुई है. निमी सो गयी है तो, अब तू भी सो जा.”

लेकिन अमि ने गुस्से मे भनभनाते हुए कहा.

अमि बोली “मुझे इसके साथ नही सोना है. ये खुद तो सपना देख कर डरती है और उपर से इतनी रात को अचानक रोना सुरू कर देती है. किसी दिन इसका रोना सुनकर, डर के मारे मेरी जान ही निकल जाएगी.”

अमि की बात सुनकर, सब हँसने लगे. लेकिन मैने उसे समझा कर फिर से सुला दिया. अमि के सोने के बाद, वाणी दीदी ने छोटी माँ से कहा.

वाणी बोली “मौसी, क्या अमि सही बोल रही है. क्या निमी के साथ हमेशा ही ऐसा होता है.”

मैं बोला “जी दीदी, निमी को एक सपना आता है कि, मुझे कोई मार रहा है और उस सपने को देख कर, ये रोना सुरू कर देती है. ऐसा पहले कभी कभी होता था. लेकिन इस बार तो ये एक महीने मे ही तीसरी बार हुआ है.”

मेरी बात सुनने के बाद, वाणी दीदी ने कहा.

वाणी बोली “क्या निमी को किसी डॉक्टर को नही दिखाया.”

मैं बोला “दीदी, अब वो सपना देख कर डरती है तो, इसके लिए डॉक्टर को क्या दिखाना. सुबह तो, वो सब कुछ भूल कर बिल्कुल सही हो जाएगी.”

वाणी बोली “ऐसी लापरवाही करना ठीक बात नही है. वो अभी बहुत छोटी है और एक ही सपने को बार बार देख कर डरती है. इस बात का आगे चल कर उसके उपर बुरा असर भी पड़ सकता है. कल तुम मेरे साथ इसे डॉक्टर के यहा लेकर चलो.”

मैं बोला “जी दीदी.”

इसके बाद, वाणी दीदी अपने कमरे मे चली गयी और थोड़ी देर बाद मैं और कीर्ति भी अपने कमरे मे आ गये. कमरे मे आने के बाद, मेरी कीर्ति से एक दो बातें हुई और फिर हम दोनो सो गये.

सुबह जब मेरी नींद खुली तो, अमि निमी दोनो को आज भी घर मे देख कर मैं चौंक गया. क्योकि छोटी माँ इस मामले मे बहुत सख़्त थी. अमि निमी तो दूर की बात थी. वो मुझे तक स्कूल के नाम से कोई छूट नही देती थी.

मैं लेटा लेटा इसी बारे मे सोच रहा था कि, तभी अमि मुझे जगाने आ गयी. उसने मुझे जागा देखा तो, वो वापस जाने लगी. लेकिन मैने उसे रोकते हुए कहा.

मैं बोला “आज कल तुम्हारे स्कूल की छुट्टी चल रही है क्या. जो कल से दोनो घर मे ही दिख रही है.”

अमि बोली “नही भैया, कल आपके आने की वजह से हम ने छुट्टी ली थी तो, आज निमी को डॉक्टर को दिखाने की वजह से वाणी दीदी ने हमारी छुट्टी करवा दी है.”

अमि की बात सुनते ही, मुझे वाणी दीदी की रात की बात याद आ गयी और अमि को जाने की बोल कर, मैं फ्रेश होने चला गया. मैं फ्रेश होकर आया तो, थोड़ी ही देर बाद, चंदा मौसी नाश्ता लेकर आ गयी.

ना जाने मैं कितने साल से ये देखता आ रहा था कि, मैं फ्रेश होकर निकलता था और कुछ ही देर बाद चंदा मौसी चाय नाश्ता लेकर आ जाती थी. मैने चंदा मौसी को चाय नाश्ता के साथ देख कर, मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “मौसी आप तो नीचे रहती हो. फिर आपको कैसे पता चल जाता है कि, मैं फ्रेश हो चुका हूँ. जो आप मेरे बाहर निकलते ही, नाश्ता लेकर आ जाती है.”

मौसी बोली “बाबा, आपको फ्रेश होने मे कितना समय लगता है, मुझे अच्छे से पता है. बस उसी अंदाज़ से मैं नाश्ता लेकर चली आती हूँ.”

चंदा मौसी की बात सुनकर, मैं मुस्कुराते हुए चाय नाश्ता करने लगा और चंदा मौसी वापस नीचे चली गयी. मैने चाय नाश्ता किया और फिर तैयार होकर नीचे आ गया.

मैं नीचे पहुचा तो, नीचे वाणी दीदी, कीर्ति और अमि निमी पहले से ही तैयार बैठी थी. मैने उन सबको तैयार देखा तो, उनसे कहा.

मैं बोला “अभी तो सिर्फ़ 9 बजे है. क्या हमे अभी ही डॉक्टर के यहाँ के लिए निकलना है.”

वाणी बोली “हां, मैने सोचा है कि, आज अमि निमी को थोड़ी शॉपिंग भी करवा दूं. पहले हम थोड़ी सी शॉपिंग करेगे और फिर 10:30 बजे के बाद, डॉक्टर के पास चलेगे. अब देर मत करो और जल्दी चलो.”

इतना बोल कर वो उठ कर खड़ी हो गयी और उनके साथ साथ बाकी सब भी उठ कर खड़े हो गये. हम सब बाहर आए और वाणी दीदी छोटी माँ की कार निकालने लगी. उन्हो ने कार निकाली और हम सब उसमे बैठने लगे.

कीर्ति और अमि निमी पिछे वाली सीट पर बैठ गये और मैं आगे वाणी दीदी के पास जाकर बैठने ही वाला था कि, तभी वाणी दीदी ने मुझसे कहा.

वाणी बोली “अरे मैं कल अपना हॅंडबॅग मौसी के कमरे मे ही भूल गयी थी और तब से वो वही पड़ा है. उसमे मेरा कुछ ज़रूरी समान है. तुम ऐसा करो कि, मौसी के कमरे से वो ले आओ.”

अभी वाणी दीदी मुझसे ये बात बोल ही रही थी कि, तभी उन्हे चंदा मौसी हमारे पास आ गयी. उन्हो ने हमारे पास आकर, मुझसे कहा.

चंदा मौसी बोली “बाबा, थोड़ी देर रुक जाना. मेहुल की अभी बहूरानी से बात हुई है. वो भी तुम लोगों के साथ जाने के लिए आ रहा है.”

चंदा मौसी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने उनसे रुक जाने के लिए हां कह कर, उन से छोटी माँ के कमरे से अपना हॅंडबॅग लाने को कह दिया. जिसे सुनकर, चंदा मौसी अंदर चली गयी.

वाणी दीदी लोग कार मे बैठी थी और मैं कार के बाहर खड़ा होकर, चंदा मौसी के आने का इंतजार करने लगा. थोड़ी देर बाद, चंदा मौसी आती नज़र आई. लेकिन आते आते अचानक उन्हो ने दौड़ लगा दी.

मैं हैरानी से उनकी हरकत को देखने लगा. तभी मेरे पास आते ही अचानक उन्हो ने मुझे गाड़ी से दूर धकेल दिया. उनके ऐसा करते ही, एक धाय की आवाज़ के साथ एक गोली उनके हाथ मे जा लगी.

उनका हाथ खून से लहू लुहान हो गया और वाणी दीदी का हॅंडबॅग उनके हाथ से छूट कर नीचे गिर गया था. चंदा मौसी को गोली लगते देख कर, मैने पलट कर, मेन गेट की तरफ देखा.

मेन गेट पर दो नकाब-पोश हाथ मे रेवोल्वेर लेकर खड़े थे और उन दोनो के निशाने पर मैं था. वहीं दूसरी तरफ कार मे बैठी अमि निमी ने चंदा मौसी को गोली लगते देखी तो, उन्हो ने रोना सुरू कर दिया और कीर्ति वाणी दीदी को आवाज़ लगाने लगी.

वाणी दीदी को जैसे ही बाहर का नज़ारा समझ मे आया. वो एक पल की भी देर किए बिना कार से निकली और अपना हॅंडबॅग देखने लगी. इसी बीच एक नकाब-पॉश ने फिर से मेरे उपर फाइयर कर दिया.

लेकिन एक बार फिर चंदा मौसी मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी. ये गोली सीधे आकर, उनकी पीठ मे समा गयी और वो मेरी बाहों मे झूल गयी. मैने दोनो हाथों से चंदा मौसी को संभाल लिया.

अब मैं उन दोनो नकाब-पोशो के निशाने पर था. लेकिन तब तक वाणी दीदी ने, अपने हॅंडबॅग से रेवोल्वेर निकाल कर, उन दोनो नकाब-पॉश पर दना-दन गोलियाँ बरसाना सुरू कर दिया.

उन दोनो नकाब पोशो को शायद इस बात की ज़रा भी उम्मीद नही थी और वो दोनो वाणी दीदी के किए गये, इस पलटवार से हड़बड़ा गये. एक नकाब-पॉश ने वाणी दीदी को निशाना बनाना चाहा.

लेकिन वाणी दीदी ने दोनो नकाब-पोशो मे से, किसी को भी संभलने का मौका नही दिया और जो नकाब-पॉश वाणी दीदी को अपना निशाना बनाना चाहता है. उन्हो ने अपनी गोली से उसका ही भेजा उड़ा दिया.

अपने साथी की ये दुर्गति देख, दूसरा नकाब-पोश वहाँ से भागने लगा. उसे भागते देख, वाणी दीदी भी उसके पिछे भागी. वो शायद उसे जिंदा ही पकड़ना चाहती थी. इसलिए वो उस पर गोली नही चला रही थी.

मगर जब वो उन्हे एक कार की तरफ भागते नज़र आया. तब वाणी दीदी को समझते देर नही लगी कि, ये कार उसी की है और वो उसमे बैठ कर भागना चाहता है. ये बात समझ मे आते ही, उन्हो ने उसके पैर पर गोली मार दी.

लेकिन गोली लगने के बाद भी, वो किसी तरह लड़खड़ाते हुए, अपनी कार तक पहुचने मे सफल हो गया. शायद उसके साथ, उस कार मे कोई दूसरा आदमी भी था. इसलिए उसके कार मे बैठते ही, उसकी कार हवा से बातें करने लगी. वाणी दीदी ने उसे कार मे भागते देखा तो, उन्हो ने उस कार पर अँधा-धुन्ध गोलियाँ बरसाना सुरू कर दिया.

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09-11-2020, 11:56 AM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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जिसका नतीजा ये हुआ कि, वाणी दीदी की गोली कार के टाइयर पर लगी और टाइयर फट गया. टाइयर के फटते ही कार लहराती हुई रोड डिवाइडर से टकरा गयी. वाणी दीदी फ़ौरन कार के पास पहुच गयी और अपनी रेवोल्वेर तान कर, कार मे सवार लोगों से हाथ उपर करके बाहर निकलने को कहने लगी.

उसी समय पड़ोस वाले बंगलो के दो गन-मॅन भी भागते हुए, वाणी दीदी के पास पहुच गये. उन मे से एक ने अपनी गन कार की तरफ तान दी. लेकिन वाणी दीदी ने उसकी गन को नीचे करते हुए कहा.

वाणी बोली “इन्हे मारना नही है. मुझे ये जिंदा चाहिए है.”

इसके बाद, वाणी दीदी ने कार मे सवार लोगों को बिना कोई ग़लत हरकत किए, कार से बाहर आने की चेतावनी दी. वाणी दीदी की ये चेतावनी सुनने के बाद, जिस नकाब-पोश को गोली लगी थी, वो हाथ उपर करके बाहर आ गया.

उसके बाहर निकलते ही, वाणी दीदी ने उसका कॉलर पकड़ कर गन-मॅन की तरफ धकेल दिया. जिसे गन-मॅन ने फ़ौरन अपने हाथों की गिरफ़्त मे ले लिया. लेकिन जो कार चला रहा था, वो अभी भी बाहर नही आ रहा था.

वाणी दीदी ने गुस्से मे उसे आख़िरी चेतावनी दी. जिसके बाद, वो अपने हाथ उपर किए, वाणी दीदी के पास आ गया. लेकिन वाणी दीदी के पास आते ही, अचानक उसने कहीं से चाकू निकाल कर वाणी दीदी के उपर वार करना चाहा.

मगर उसका ऐसा करना, उसे और भी ज़्यादा महँगा पड़ गया. उसकी हरकत देखते ही, वाणी दीदी की रेवोल्वेर चीख उठी और गोली सीधे उसके हाथ मे जा लगी. उसके हाथ मे गोली लगते ही, उसका चाकू दूर जा गिरा और उसका हाथ लहू-लुहान हो गया.

दूसरे गन-मॅन ने फ़ौरन आगे बढ़ कर, उसे भी दबोच लिया. इसी बीच गोलियों की आवाज़ सुनकर, छोटी माँ भी बाहर आ चुकी थी. उन्हो ने चंदा मौसी की हालत देखी तो, एक पल के लिए वो घबरा गयी.

लेकिन अगले ही पल उन्हो ने खुद को संभाला और ड्राइवर को टाटा सफ़ारी निकालने के लिए आवाज़ लगाने लगी. तब तक कीर्ति भी अमि निमी के साथ कार से बाहर आ चुकी थी और अमि निमी को संभालने की कोसिस कर रही थी. उसने छोटी माँ की बात सुनी तो, उनसे कहा.

कीर्ति बोली “मौसी आज आपकी कार वाणी दीदी के पास रहनी थी. इसलिए आपने ड्राइवर को छुट्टी दे दी थी.”

कीर्ति की बात सुनकर, छोटी माँ को ये बात याद आई और वो खुद ही टाटा सफ़ारी को निकालने चली गयी. उन्हो ने टाटा सफ़ारी निकाली और मेरे पास आ गयी. इसी बीच मेहुल भी अपनी बाइक मे आ गया.

उसने चंदा मौसी की हालत देखी तो, अपनी बाइक को एक किनारे खड़ा किया और फ़ौरन चंदा मौसी को उठा कर टाटा सफ़ारी मे ले जाने लगा. इसी बीच वाणी दीदी भी उस नकाब-पोश और उसके साथी के साथ हमारे पास आ गयी. उन्हो ने हमारे पास आते ही, उन दोनो गन-मॅन से कहा.

वाणी बोली “यहाँ गोलियाँ चली है तो, पोलीस भी यहाँ पहुचने ही वाली होगी. तुम लोग किसी बात से घबराना मत और जो कुछ यहाँ हुआ है, पोलीस को सब कुछ बता देना. इन दोनो को और उस मुर्दे को भी पोलीस के हवाले कर देना.”

“यदि पोलीस की तरफ से कोई परेशानी हो तो, उनकी मुझसे बात करवा देना और सक्सेना अंकल से कह देना कि, वाणी ने अपना काम आज से ही सुरू कर दिया है.”

ये कहते हुए, वाणी दीदी ने उन दोनो गन-मॅन को अपना मोबाइल नंबर दिया और फिर मुझे चंदा मौसी के साथ बैठने को कहने लगी. वाणी दीदी की बात सुनकर, मैं चुप चाप टाटा सफ़ारी की तरफ बढ़ गया.

मेहुल टाटा सफ़ारी मे चंदा मौसी को अपने हाथों मे थामे बैठा था. मैं भी उसके पास जाकर बैठ गया और चंदा मौसी का हाथ, अपने हाथ मे थाम कर, एक-टक उनका चेहरा देखने लगा.

किसी छोटी से छोटी बात पर भी आँसू बहा देने वाला मैं, आज इतना बड़ा हादसा हो जाने के बाद भी, किसी पत्थर की बुत की तरह बैठा हुआ था. आज ना तो मेरी आँखों मे कोई आँसू थे और ना ही मेरे चेहरे पर कोई भाव थे.

आज जो औरत मेरे सामने एक जिंदा लाश की तरह पड़ी थी. वो भले ही मेरी माँ नही थी. लेकिन मैने उनकी ही गोद मे, होश संभाला था और बचपन से लेकर आज तक, वो एक माँ की तरह ही, मेरा ख़याल रखती आ रही थी.

मेरी रगों मे भले ही, उनका खून और दूध नही था. लेकिन आज मेरे लिए, उन्हो ने अपना खून बहा कर, अपनी इस कमी को भी पूरा कर दिया था. उन्हो ने अपनी जान की परवाह किए बिना, मेरी तरफ बढ़ने वाली मौत को अपने उपर ले लिया था.

मुझे चंदा मौसी की इस हालत से बहुत गहरा सदमा पहुचा था. जिसने मेरे दिमाग़ की सोचने की ताक़त और मेरे दिल की महसूस करने की ताक़त को पूरी तरह से ख़तम कर के रख दिया था.

मैं बस उनका चेहरा देखे जा रहा था और मेहुल मुझे सब ठीक हो जाने का दिलासा दे रहा था. उधर छोटी माँ की गाड़ी हवा से बातें कर रही थी और वाणी दीदी की कार हमारे पिछे पिछे आ रही थी.

कुछ ही देर मे हम हॉस्पिटल पहुच गये. लेकिन हॉस्पिटल वाले इसे पोलीस केस बता कर, चंदा मौसी का इलाज सुरू करने से मना करने लगे. तभी वाणी दीदी कीर्ति लोगों के साथ हमारे पास आ गयी.

उन्हो ने हॉस्पिटल वालों को इलाज सुरू करते नही देखा तो, अपना आइडी कार्ड निकाल कर उन्हे दिखाया और फ़ौरन चंदा मौसी का इलाज सुरू करने को कहा. वाणी दीदी का परिचय पाते ही, हॉस्पिटल वाले फ़ौरन ही, चंदा मौसी को ऑपरेशन थियेटर मे ले गये.

उसके बाद, डॉक्टर की एक टीम भी ऑपरेशन थियेटर मे जाती हुई नज़र आई. हम सब बेसब्री से ऑपरेशन थियेटर के बाहर चहल कदमी कर रहे थे और वाणी दीदी लगातार यहाँ वहाँ फोन करने मे लगी हुई थी.

मुझे और वाणी दीदी को छोड़ कर, हर एक की आँखें आँसुओं से भीगी हुई थी. छोटी माँ ने मुझे इस तरह देखा तो, उन्हो ने मेरे पास आकर, मुझे अपने गले से लगाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “घबराता क्यो है. चंदा मौसी को कुछ भी नही होगा. वो बिल्कुल सही हो जाएगी.”

छोटी माँ का सहारा पाकर, मुझे पहली बार अपने अंदर जान होने का अहसास हुआ और मेरा सीना दर्द से भर गया. मेरी आँखें आँसुओं से भीग गयी और मैने रोते हुए छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “मम्मी, चंदा मौसी ने मेरी मौत को अपने उपर ले लिया है. आज मेरी वजह से ही, वो मौत के मूह मे है.”

इतना कह कर, मैं छोटी माँ से लिपट कर रोने लगा. मुझे रोते देख कर, उनके आँसू भी बहने लगे. लेकिन उन्हो ने अपने आँसुओं को पोन्छ्ते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “ऐसी अशुभ बातें नही कहते. तेरी वजह से कुछ भी नही हुआ. ये तो होनी थी, जो हो गयी. लेकिन हम चंदा मौसी का अच्छे से अच्छा इलाज करवायगे और उन्हे कुछ भी नही होने देंगे.”

मगर छोटी माँ के इस दिलासा देने का मेरे उपर कोई असर नही पड़ा. मैने फिर से बिलखते हुए कहा.

मैं बोला “मैं सच कह रहा हूँ मम्मी. वो लोग मुझे ही मारने आए थे. लेकिन चंदा मौसी बीच मे आ गयी और सारी गोलियाँ अपने शरीर पर खा ली. आपको भी लगता है कि, मेरी जान को किसी से ख़तरा है. तभी तो, आप मुंबई आई थी. लेकिन मम्मी मैने किसी का क्या बिगाड़ा है, जो कोई मेरी जान लेना चाहता है.”

ये कहते हुए मैं फिर छोटी माँ से लिपट कर रोने लगा. मेरी बातों ने छोटी माँ को भी परेशान कर के रख दिया था. वही अमि निमी भी छोटी माँ के पास आकर, उन से लिपट कर रोने लगी.

कीर्ति अमि निमी को समझाने लगी और मेहुल आकर मुझे समझाने लगा. उस समय वाणी दीदी फोन पर किसी से बात कर रही थी. लेकिन जैसे ही, उन्हो ने मेरी ये बात सुनी तो, फ़ौरन कॉल काट कर हमारे पास आ गयी.

उन्हो ने आकर पहले मुझे और अमि निमी को चुप कराया और फिर छोटी माँ के पास आकर, उनसे कहा.

वाणी बोली “मौसी, ये क्या बोल रहा है. क्या मुंबई मे इसके साथ कोई हादसा हुआ था.”

वाणी की बात सुनकर, छोटी माँ ने उन्हे मेरे साथ मुंबई मे हुए हादसो के बारे मे बता दिया. जिसे सुनकर, वाणी ने कुछ परेशान होते हुए कहा.

वाणी बोली “मौसी, इतनी बड़ी बात हो गयी और आपने मुझे बताया तक नही. यदि आपने ये बात पहले मुझे बता दी होती तो, आज ये इतना बड़ा हादसा नही हुआ होता. लेकिन ये तो मुंबई कभी गया ही नही है. फिर मुंबई मे इस पर हमला कौन कर सकता है.”

इतना बोल कर, वाणी दीदी सवालिया नज़रों से छोटी माँ को देखने लगी. वाणी दीदी को अपनी तरफ देखते पाकर, छोटी माँ ने अपना सर झुका लिया. छोटी माँ को सर झुकाते देख, वाणी दीदी ने उनसे कहा.

वाणी बोली “मौसी, मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करना है. आप मेरे साथ आइए.”

ये कह कर, वाणी दीदी ने हम लोगों को वहीं खड़े रहने को कहा और वो छोटी माँ के साथ दूसरी जगह, जाकर बात करने लगी. कुछ देर बाद, छोटी माँ और वाणी दीदी हमारे पास आ गयी.

हम सबका रोना तो, थाम चुका था. लेकिन निमी अभी भी सिसक रही थी. वाणी दीदी ने निमी को अभी तक सिसकते देखा तो, वो उसके सामने घुटनो के बल बैठ गयी और उसके गालों को सहलाते हुए कहा.

वाणी बोली “छोटी, तुझे तो मेरी तरह निडर और साहसी बनना चाहिए. तू अपने भैया की तरह रोट्डू और डरपोक क्यो बनती है.”

वाणी दीदी की ये बात सुनकर, निमी ने उनका हाथ अपने गालों से अलग करके अपने हाथ मे ले लिया. निमी की इस हरकत को देखते ही, कीर्ति और अमि ने फ़ौरन कहा.

कीर्ति बोली “निमी, नही.”

अमि बोली “निमी, नही.”

हम सब कीर्ति और अमि की बात सुनकर, हैरानी से उनको देखने लगे कि, ये किस बात के लिए निमी को मना कर रही है. वाणी दीदी भी यहीं बात जानने के लिए, निमी की तरफ से ध्यान हटा कर, अमि और कीर्ति को देखने लगी थी.

लेकिन इस से पहले की, हम सब उन लोगों से कुछ पुछ पाते, वाणी दीदी के मूह से चीख निकल गयी. जब हम ने वाणी दीदी की तरफ देखा तो, उनका हाथ निमी के मुँह मे था और वो गुस्से मे उनको दाँत गढ़ाए जा रही थी.

निमी की इस हरकत को देख कर, हम सब सकपका गये. उसे वाणी दीदी के उपर गुस्सा आ गया था और वो उनके हाथ को काट रही थी. निमी के अचानक किए इस हमले से वाणी दीदी के मूह से चीख ज़रूर निकल गयी थी.

लेकिन अब वो निमी को देख कर, मुस्कुरा रही थी और अपना हाथ भी छुड़ाने की कोसिस नही कर रही थी. वहीं निमी भी गुस्से मे भरी उनके हाथ पर अपने दाँत गढ़ाए जा रही थी.

मैने जैसे निमी को ऐसा करते देखा, मैं फ़ौरन उसके पास पहुचा और वाणी दीदी के हाथ को उस से आज़ाद करवाने लगा. लेकिन वाणी दीदी ने मेरे हाथ को झटकते हुए, मुझसे कहा.

वाणी बोली “बिल्ली के काटने से शेरनी घायल नही होती. फिर अभी तो इसके दूध के दाँत भी नही टूटे है. इसे अपना गुस्सा निकाल लेने दो.”

लेकिन मैने वाणी दीदी की इस बात को अनसुना कर, निमी को नाम लेकर पुकारा और उसे जैसे ही आँख दिखाई. उसने फ़ौरन ही वाणी दीदी का हाथ छोड़ दिया. अपने हाथ के निमी से छूटते ही, वाणी दीदी ने प्यार से उसके बालों पर हाथ फेरा और फिर मुस्कुराते हुए उस से कहा.

वाणी बोली “छोटी, मेरा तुझसे वादा है कि, आज के बाद, तुझे वो सपना फिर कभी नही आएगा और तेरे सपने मे भी, कोई तेरे भैया को मार नही पाएगा.”

वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, निमी का सारा गुस्सा भाग गया और वो मुस्कुराते हुए, वाणी दीदी के गले से लग गयी. मेरी निम्मो सुरू से ऐसी ही थी. ज़रा ज़रा भी बात पर गुस्सा हो जाती थी और ज़रा ज़रा सी बात पर खुश भी हो जाती थी.

अभी हम वाणी दीदी और निमी का ये मिलन देख ही रहे थे कि, तभी ऑपरेशन थियेटर से एक डॉक्टर बाहर निकला. उसे देखते ही, वाणी दीदी और छोटी माँ उसके पास जाकर, उस से चंदा मौसी का हाल पुछा तो, उसने कहा.

डॉक्टर बोला “देखिए, इनको दो गोलियाँ लगी थी. जो गोली इनके हाथ मे लगी थी, उसे तो हम ने निकल दिया है. लेकिन जो गोली इनकी पीठ पर लगी थी. वो गोली सीधे हार्ट के पिछ्ले हिस्से मे जाकर धँस गयी है.”

“हम ने अपने हार्ट सर्जन से इस बारे मे बात की है. वो अभी आकर, इसे देखेगे. तभी हम मरीज की हालत के बारे मे कुछ सही निर्णय ले सकेगे. अभी तो मरीज की स्तिथि बहुत ही गंभीर है.”

इतना कह कर, डॉक्टर कहीं चला गया. लेकिन हम सबके चेहरे का रंग उड़ा गया. थोड़ी देर बाद वो, किसी दूसरे डॉक्टर के साथ बतियाते हुए, हमारे पास आया और बताया कि ये ही हार्ट सर्जन है.

इतना बोल कर वो दोनो डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर के अंदर चले गये और हम बेचैनी की हालत मे उनके ऑपरेशन थियेटर से वापस बाहर निकलने का इंतेजार करने लगे.

अभी हम डॉक्टर के बाहर निकलने का इंतजार कर रहे थे कि, तभी हमे एक सब-इनस्पेक्टर, दो हवलदार के साथ हमारी तरफ आते हुए दिखा. उसने हमारे पास आकर, हम से कहा.

सब-इनस्पेक्टर बोला “आप मे से मिस वाणी रॉय कौन है.”

वाणी बोली “मैं हू, वाणी रॉय.”

सब-इनस्पेक्टर बोला “आपको पुछ-ताछ के लिए हमारे साथ पोलीस स्टेशन चलना पड़ेगा.”

वाणी दीदी ने उस सब-इनस्पेक्टर का नाम देखा और फिर बड़ी ही विनम्रता से कहा.

वाणी बोली “मिस्टर. प्रीतम, क्या आप जानते है कि, मैं कौन हूँ.”

प्रीतम बोला “जानता हूँ, तभी आपको इतनी शराफ़त से अपने साथ ले जा रहा हूँ. वरना जो कुछ आपने यहाँ किया है. उसके बाद तो, आपको सीधा गिरफ्तार करके ले गया होता.”

प्रीतम की ये बात सुनते ही, मेहुल हँसने लगा. उसे हंसते देख, मैने उसके पेट मे कोहनी मारी और धीरे से उस से कहा.

मैं बोला “वो सब-इनस्पेक्टर वाणी दीदी से ऐसी बात कर रहा है और तुझे उसकी बात पर हँसी आ रही है.”

मेरी बात सुनकर, मेहुल ने अपनी हँसी को दबाने की नाकाम कोसिस करते हुए कहा.

मेहुल बोला “तू सिर्फ़ इसकी बात सुनकर, गुस्सा हो रहा है. जबकि मुझे इसका अंजाम सोच सोच कर हँसी आ रही है. ये प्रीतम, अब वाणी दीदी को प्यारा होने वाला है.”

मेहुल की बात सुनकर, मैने उसे गुस्से मे घूरते हुए कहा.

मैं बोला “तू ये क्या बकवास कर रहा है. तेरा दिमाग़ तो ठिकाने है.”

मेहुल बोला “अबे तू मेरी बात का मतलब नही समझा. ये साला पक्का वाणी दीदी से पिटने वाला है. तू बस चुप चाप तमाशा देख.”

मेहुल की बात सुनकर, मैं फिर से उस सब-इनस्पेक्टर की बातें सुनने लगा.उस ने वाणी दीदी से कहा.

प्रीतम बोला “आपकी भलाई इसी मे है कि, आप शराफ़त से हमारे साथ चले. वरना हमें ज़बरदस्ती आपको ले जाना पड़ेगा.”

सब-इनस्पेक्टर की ये बात सुनते ही, वाणी दीदी का दिमाग़ घूम गया. अभी वो उस से आप आप कह कर बात कर रही थी. लेकिन इस बात को सुनने के बाद, उन्हो ने सीधे तू-तडाक पर आकर, चुटकी बजाते हुए उस से कहा.

वाणी बोली “तू अपनी औकात भूल रहा है. जा, मैं तेरे साथ नही जाती. अब तेरे से मेरा जो उखाड़ते बने, उखाड़ ले.”

लेकिन उस सब-इनस्पेक्टर ने अभी भी सबर से ही काम लिया और वाणी दीदी से फिर कहा.

प्रीतम बोला “देखिए मेडम, एक सब-इनस्पेक्टर के साथ ये बदतमीज़ी आपको बहुत महँगी पड़ सकती है. बेहतर यही होगा कि….”

लेकिन उसकी बातों से वाणी दीदी का दिमाग़ पहले ही ठिकाने नही था. उन्हो ने उसे लताड़ते हुए कहा.

वाणी बोली “अबे तू पागल है क्या. तू सब-इनस्पेक्टर की बात कर रहा है. मैं तो तेरे इनस्पेक्टर से तमीज़ से बात ना करूँ. तेरे जैसे सब-इनस्पेक्टर मेरी कार का दरवाजा खोलने के लिए, मेरी कार के पास खड़े रहते है. जा और जाकर वहीं खड़ा हो जा.”

वाणी दीदी की ये बात सुनकर, अब उस सब-इनस्पेक्टर को भी गुस्सा आ गया. उसने अपने हवलदारों से कहा.

प्रीतम बोला “तुम लोग खड़े खड़े क्या तमाशा देख रहे हो. ये महाराष्ट्र की ऑफीसर है और ये इसका महाराष्ट्र नही, बल्कि हमारा बेस्ट बेंगाल है. इसे हमारे राज्य (स्टेट) मे गोली चलाने का कोई अधिकार नही है. इसे हथकड़ी लगाओ और थाने ले चलो.”

सब-इनस्पेक्टर की बात सुनकर, दोनो हवलदार वाणी दीदी की तरफ बढ़ने लगे. ये देख कर, मुझे तो घबराहट होने लगी. लेकिन वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए, उन दोनो हवलदरों से कहा.

वाणी बोली “तुम्हारा सब-इनस्पेक्टर तो पागल हो गया है. ये तुम्हे क़ानून सिखा रहा है और खुद क़ानून भूल गया कि, एक महिला को हथकड़ी लगाने से, इसके साथ साथ तुम दोनो की भी वर्दी उतर सकती है और यदि वो महिला वाणी रॉय हो तो, फिर तुम्हारी वर्दी वापस मिलने की भी कोई उम्मीद नही है.”

वाणी दीदी की इस धमकी मे इतना दम था कि, उसकी तरफ बढ़ते दोनो हवलदार वही के वही रुक गये और उस सब-इनस्पेक्टर को भी अपनी ग़लती का अहसास हो गया. उसने फ़ौरन महिला पोलीस भेजने के लिए, कंट्रोल रूम कॉल लगा दिया.

लेकिन वाणी दीदी पर अभी भी इन सब बातों का कोई असर नही पड़ा. मगर छोटी माँ ज़रूर ये सब देख कर, थोड़ा घबरा गयी थी. उन्हो ने वाणी दीदी को समझाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “वाणी बेटा, क्यो बेकार की बहस कर रही है. वो पुछ ताछ के लिए पोलीस स्टेशन ले चलना चाहते है तो, हम चल चलते है. इसमे ग़लत क्या है.”

वाणी बोली “मौसी, किसी बात मे कुछ ग़लत नही है और मेरे रहते, मैं कुछ ग़लत होने भी नही दूँगी. आप मुझ पर यकीन रखिए, अभी ये जिस हाथ से मुझे हथकड़ी लगाने की सोच रहा था. थोड़ी देर बाद, उसी हाथ से ये मुझे सल्यूट करता नज़र आएगा.”

वाणी दीदी की बात सुनकर, छोटी माँ चुप तो हो गयी. लेकिन छोटी माँ के चेहरे पर घबराहट सॉफ नज़र आ रही थी. एक शरीफ आदमी की, ये ही ख़ासियत होती है कि, वो अपनी ग़लती ना होते हुए भी, पोलीस से घबराता है.

जबकि जिन गुंडे बदमाशों के लिए पोलीस को बनाया गया है. उन्हे पोलीस का ज़रा भी ख़ौफ़ नही रहता और पोलीस से इतनी निडरता से मिलते है, जैसे कि अपने किसी खास दोस्त से मिल रहे हो.

ऐसा ही कुछ इस वक्त यहाँ भी हो रहा था कि, ये सब-इनस्पेक्टर उन हमला करने वाले बदमाशों से पुछ ताछ करना छोड़ कर, हमे परेशान करने मे लगा हुआ था. शायद इसी वजह से शरीफ लोग पोलीस से ख़ौफ़ खाते थे.

मगर वाणी दीदी ऐसी इंसान थी, जिनसे ख़ौफ़, खुद ख़ौफ़ ख़ाता था. अब इसकी एक मिसाल इसी बात को ले लो. जब हम सबके चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. तब वो बस खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी.

लेकिन मुस्कुराने वाली अकेली वाणी दीदी नही थी. उनके साथ साथ मेहुल भी बिना किसी बात के मुस्कुरा रहा था. उसे मुस्कुराते देख कर, मैने उस पर गुस्सा करते हुए कहा.

मैं बोला “यहाँ हम सबकी लगी पड़ी है और तू खड़ा खड़ा मज़ा ले रहा है. तुझे किस बात पर इतनी हँसी आ रही है.”

मेहुल बोला “तू बेकार मे डर रहा है. क्या तू जानता नही है कि, वाणी दीदी तो खुद एक मुसीबत का नाम है. वो भला कैसे किसी मुसीबत मे फस सकती है. वो तो बस इस प्रीतम के साथ खेल रही है.”

“कुछ ही देर बाद, वो इसे इसकी औकात दिखा कर, वापस भेज देगी. यदि उन्हो ने कहा है कि, ये सब-इनस्पेक्टर उनको सल्यूट करेगा तो, तू देखना कि ये उनको सल्यूट किए बिना यहाँ से जा नही सकता.”

मेहुल की ये बात ज़रा भी ग़लत नही थी. वाणी दीदी सच मे ही एक मुसीबत का नाम था. अपने हो या पराए, अच्छे हो या बुरे, सब उनसे दूर ही भागते थे. वो सिर्फ़ हवा मे तीर चलाने वालों मे से नही थी.

वो जो कहती थी, उसे करके दिखाने वालों मे से थी. लेकिन उस सब-इनस्पेक्टर का कहना भी सही था कि, ये उनका राज्य (स्टेट) महाराष्ट्र नही, बल्कि उस सब-इनस्पेक्टर का राज्य (स्टेट) बेस्ट बेंगाल है.

जहाँ वाणी दीदी के पास किसी तरह का कोई पॉवर नही था और अपने इस रवैये से वो बहुत बड़ी मुसीबत मे भी फस सकती थी. अब महिला पोलीस के आने के बाद, यहाँ क्या होने वाला है. मैं यही सोच सोच के परेशान था.

अभी मैं इसी उधेड़ बुन मे लगा था कि, तभी हमें, अपने दल बल के साथ पोलीस कमिशनर हमारी तरफ आते दिखाई दिए. उन्हे आते देख कर, सब-इनस्पेक्टर के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान आ गयी.

लेकिन ऐसी ही कुछ मुस्कान वाणी दीदी के चेहरे पर भी थी. अब देखने वाली बात ये थी कि, पोलीस कमिशनर के हमारे पास पहुचने के बाद, वाणी दीदी की मुस्कान फीकी पड़ती है या फिर उस सब-इनस्पेक्टर प्रीतम की मुस्कान फीकी पड़ती है.



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कमिशनर के हमारे पास आते ही, सब-इनस्पेक्टर ने उसे सल्यूट मारा. लेकिन कमिशनर उसे अनदेखा करते हुए, सीधे वाणी दीदी के पास आ गया और उनसे हाथ मिलाते हुए कहा.

कमिशनर बोला “मिस वाणी, मैने आपके बारे मे जैसा सुना था. आपको उस से कहीं ज़्यादा बढ़ कर पाया है. आप ने तो मौका-ए-वारदात पर ही दो, अपराधियों को मार गिराया और एक को जिंदा गिरफ्तार कर लिया.”

“वरना हमारे निकम्मे ऑफीसर तो, अपराधियों को पकड़ना दूर की बात है, ये तक पता नही लगा पाते है कि, ये अपराध किया किसने है. अब हमें पूरा यकीन हो गया है कि, हम ने सीआइडी से आप जैसी ऑफीसर की माँग करके कुछ ग़लत नही किया.”

कमिशनर की बात सुनकर, वाणी दीदी मुस्कुराने लगी और उनके साथ साथ हम सब के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. लेकिन जब उस सब-इनस्पेक्टर ने वाणी दीदी की तारीफ होते देखी तो, उसने कमिशनर से कहा.

सब-इनस्पेक्टर बोला “सर, इन्हो ने आपको ग़लत सूचना दी है. मौका-ए-वारदात पर दो नही, सिर्फ़ एक आदमी मारा गया है और दो को हम ने जिंदा गिरफ्तार किया है.”

सब-इनस्पेक्टर की बात सुनकर, कमिशनर ने वाणी दीदी की तरफ देखा. वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए हां मे सर हिला दिया. जिसके बाद कमिशनर ने सब-इनस्पेक्टर को फटकार लगाते हुए कहा.

कमिशनर बोला “शट उप, क्या इतनी भी तमीज़ नही है कि, जब दो बड़े लोग बातें कर रहे हो तो, बीच मे नही बोलना चाहिए और यदि इन्हो ने बोला है कि, इन्हो ने दो को मार गिराया है तो, कुछ सोच समझ कर ही बोला होगा.”

“तुम इनकी किसी बात मे अपना दिमाग़ लगाने की कोसिस मत करो और ये बार बार हम ने हम ने कहना भी बंद करो. उन मुजरिमो को तुमने या तुम्हारी टीम ने गिरफ्तार नही किया है.”

“यदि तुम्हारे अंदर इतनी ही क़ाबलियत होती तो, तुम इनस्पेक्टर से सब-इनस्पेक्टर नही बन गये होते. मैं यदि तुम जैसे निकम्मे ऑफीसर के भरोसे रहा तो, एक दिन तुम्हारे साथ साथ मेरी वर्दी भी उतर जाएगी.”

कमिशनर के मूह मे उस समय जो भी आ रहा था. वो उस सब-इनस्पेक्टर प्रीतम को बके जा रहा था. कमिशनर की फटकार सुनकर, प्रीतम का चेहरा छोटा सा हो गया था और वो सर झुका कर खड़ा हो गया.

लेकिन कमिशनर के मूह से प्रीतम के इनस्पेक्टर से सब-इनस्पेक्टर बनने की बात सुनकर, मेहुल ने हंसते हुए, धीरे से मुझसे कहा.

मेहुल बोला “अबे ये प्रीतम तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला. लोग तरक्की करके, नीचे से उपर जाते है. लेकिन ये इतना होनहार है कि, तरक्की करके उपर से नीचे आ रहा है.”

मेहुल की बातों से, मुझे भी हँसी आ रही थी. इसलिए मैने उसे चुप कराया और वाणी दीदी लोगों की बातें सुनने लगा. कमिशनर ने प्रीतम को खरी खोटी सुनाने के बाद, वाणी दीदी से कहा.

कमिशनर बोला “मिस वाणी, इस केस को तो आपने हल कर दिया है. अपराधी पकड़े जा चुके है और अब इस केस को कोई भी देख सकता है.”

लेकिन वाणी दीदी ने उनकी बात को बीच मे ही काट कर, मुझे अपने पास आने का इशारा करते हुए उस से कहा.

वाणी बोली “नही सर, ये केस अभी हल नही हुआ है और इस केस मे मेरी व्यक्तिगत दिलचस्पी भी है.”

ये कहते हुए वाणी दीदी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और फिर कमिशनर से मुझे मिलाते हुए कहा.

वाणी बोली “असल मे वो हमला मेरे इस भाई पर किया गया था. लेकिन उनके हमला करने के पहले ही, मौसी ने उन लोगों को देख लिया और उनके हमले से इसे बचाने के लिए वो खुद सामने आकर, उनके हमले का शिकार बन गयी.”

“मुझे इस हमले के पिछे कोई गहरी साजिश नज़र आ रही है और उस साजिश के तार मुंबई तक जुड़े होने का अंदेशा है. जिस वजह से ये केस मैं अपने तरीके से, अपने स्तर पर ही सुलझाना चाहती हूँ.”

वाणी दीदी की बात सुनकर, कमिशनर ने मुस्कुराते हुए कहा.

कमिशनर बोला “मेरी तरफ से आपको इस केस को सुलझाने की पूरी इजाज़त है. आज से, बल्कि अभी से, ये सब-इनस्पेक्टर और इसका इनस्पेक्टर दोनो आपके हाथ के नीचे काम करेगे और आपके किसी काम मे कोई दखल अंदाज़ी नही करेगे.”

कमिशनर की ये बात सुनकर, प्रीतम का छोटा चेहरा और भी छोटा हो गया.

अभी कमिशनर और वाणी दीदी की बातें चल ही रही थी कि, तभी 50-55 साल का एक रोबीला सा आदमी हमारे पास आ गया.

देखने मे वो भी पोलीस का कोई बड़ा ऑफीसर ही लग रहा था. लेकिन उसके साथ आए 3-4 आदमी मे से एक आदमी के चेहरे पर नज़र पड़ते ही, मैं थोड़ा चौंक गया. क्योकि ये पड़ोस वाले बंगलो के दो गन-मॅन मे से एक था. उस रोबीले आदमी को देखते ही कमिशनर ने हंसते हुए कहा.

कमिशनर बोला “आइए सक्सेना जी, मुझे तो लगता था कि, हम पोलीस वाले ही, हर जगह पर देर से पहुचते है. लेकिन आपको देख कर कहना पड़ेगा कि, आप सीआईडी वाले भी इस मामले मे हम से पिछे नही है.”

कमिशनर की इस बात से इतना तो पता चल गया था कि, सक्सेना जी सीआइडी के कोई ऑफीसर है और उस गन-मॅन को देख कर, मुझे ये भी समझ मे आ गया कि, ये ही सक्सेना जी हमारे पड़ोसी है.

क्योकि कीर्ति मुझे पहले ही बता चुकी थी कि, हमारे पड़ोस मे कोई सक्सेना जी आए है और उनकी छोटी लड़की अमि निमी के साथ खेलने आती है. इसके आगे ना तो, उसने कुछ बताया था और ना ही मैने कुछ जानने की कोसिस की थी.

सक्सेना जी ने आकर कमिशनर ने हाथ मिलाया और फिर उसकी बात का जबाब देते हुए कहा.

सक्सेना जी बोले “विभूति जी, आप अपनी पोलीस का मुकाबला हमारी सीआइडी से मत कीजिए. हमारी सीआइडी कितनी तेज है. इसका एक नमूना तो वाणी बेटी दिखा ही चुकी है और दूसरा नमूना वो आपको उस केस को सुलझा कर, दिखा देगी. जिसके लिए आपकी स्पेशल रिक्वेस्ट पर उसे यहाँ बुलाया गया है.”

“जब मैं पुणे मे था तो, वाणी मेरी टीम की सबसे काबिल ऑफीसर थी और मुझे पूरा यकीन है कि, ये आपके उस स्कूल स्टूडेंट भारती के गॅंग-रेप के केस को भी चुटकियों मे सुलझा देगी. जिसकी गुत्थी को सुलझाने मे आपकी पोलीस पूरी तरह से नाकाम रही है.”

सक्सेना जी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने उन्हे उम्मीद बाँधते हुए कहा.

वाणी बोली “आप यकीन रखिए अंकल, मैं आपको इस बार भी निराश नही होने दूँगी.”

सक्सेना जी बोले “मुझे तुमसे ऐसी ही उम्मीद थी. मैं तुम्हारे इस काम के लिए तुम्हे अपने तीन काबिल ऑफीसर दे रहा हूँ. ये अनिरूद्ध, माणिक और निरंजन है. इसके अलावा आज हुए हमले को देखते हुए, मैं अपने गन-मॅन विश्वा को भी तुम्हारे घर की सुरक्षा के लिए लगा रहा हूँ.”

सक्सेना जी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी बोली “अंकल आपके दोनो ही गन-मॅन बहुत निडर है. मुझे उन हमलावरों से लड़ते देख कर, दोनो ही फ़ौरन मेरी मदद के लिए पहुच गये थे. इनकी इस बहादुरी को मेरा सलाम है.”

वाणी दीदी के मूह से अपनी तारीफ सुनकर, गन-मॅन विश्वा ने उन से कहा.

विश्वा बोला “थॅंक्स मेडम, लेकिन आपके जाने के बाद, ये सब-इनस्पेक्टर साहब हमारे पास आए थे. हम ने इन्हे आपके बारे मे सब कुछ बता दिया था और ये भी कह दिया था कि, आपसे कुछ बात करने के पहले कमिशनर साहब से ज़रूर बात कर ले. लेकिन ये हम पर अपनी वर्दी का रोब झाड़ कर, आपसे पुछ ताछ करने यहाँ तक आ गये.”

विश्वा की बात सुनकर, प्रीतम गुस्से मे उसे खा जाने वाली नज़रों से घूर्ने लगा. लेकिन ये बात सुन कर उस से ज़्यादा गुस्सा कमिशनर को आ गया और उसने प्रीतम पर भड़कते हुए कहा.

कमिशनर बोला “तुम्हारी इस हरकत को देख कर, दिल तो कर रहा है कि, तुम्हे इस वक्त गोली मार दूं. मगर तेरी नज़र तो, मेरी वर्दी उतरवाने पर ही है और मैं तेरे इस सपने को कभी पूरा नही होने दूँगा. मैं तुझे अभी इसी वक्त नौकरी से बर्खास्त करता हूँ.”

कमिशनर की बात सुनते ही, प्रीतम के पिछे खड़े दोनो हवलदार, उसके पास से ऐसे दूर जाकर खड़े हो गये, जैसे कि यदि वो वहाँ खड़े रहे तो, बर्खास्त होने का अगला नंबर उन्ही का लग जाएगा.

लेकिन इस से भी बुरी हालत प्रीतम की हुई थी. नौकरी से बर्खास्त होने का नाम सुनते ही, उसका दिमाग़ हिल गया और उसने गिडगिडाते हुए, कमिशनर से कहा.

प्रीतम बोला “प्लीज़ सर ऐसा मत कीजिए, मेरी तीन बीबी और एक बच्चा है. यदि मैं नौकरी से बर्खास्त हो गया तो, उन सबका क्या होगा.”

प्रीतम के मूह से तीन बीबी होने वाली बात सुनकर, सब फ़टीफटी आँखों से उसे देखने लगे. सबकी हैरानी को देखते हुए, एक हवलदार ने आगे आकर कमिशनर से कहा.

हवलदार बोला “सर लगता है कि, बर्खास्त होने की बात सुनकर, प्रीतम साहब का दिमाग़ ठिकाने नही है. इसलिए ये ऐसी बहकी बहकी बात कर रहे है. इनकी तीन बीबी और एक बच्चा नही, बल्कि एक बीबी और तीन बच्चे है.”

उस हवलदार की बात सुनते ही हम सबकी हैरानी दूर हो गयी. वहीं वाणी दीदी ने कमिशनर से कहा.

वाणी बोली “सर, मुझे लगता है कि, इसकी इतनी सी ग़लती के लिए, ये बहुत बड़ी सज़ा है. यदि आप इसे सज़ा ही देना चाहते है तो, ऐसा कीजिए, कुछ दिन के लिए इसे मेरा ड्राइवर बना दीजिए. इस से इसकी अकल भी ठिकाने आ जाएगी और ये सही तरीके से काम करना भी सीख लेगा.”

कमिशनर बोला “ठीक है, आज से ये आपका ड्राइवर है. लेकिन यदि आज के बाद, मुझे इसकी कोई और शिकायत मिली तो, इसकी वर्दी जाने से कोई भी नही बचा पाएगा.”

ये बात सुनकर, प्रीतम सिर झुका कर खड़ा हो गया. उसे देख कर मेहुल ने धीरे से मुझसे कहा.

मेहुल बोला “अबे ये प्रीतम तो वाणी दीदी से भी तेज निकला. सब-इनस्पेक्टर बन कर आया था और यही खड़े खड़े ड्राइवर बन गया.”

ये कह कर, मेहुल मूह दबा कर हँसने लगा. मैने उसके पेट पर मुक्का मार कर, उसे चुप कराया और तभी ऑपरेशन थियेटर से वो दोनो डॉक्टर बाहर निकल आए. उन्हो ने हमारे पास आते हुए कहा.

हार्ट सर्जन बोला “देखिए, हम ने गोली निकालने की पूरी कोसिस की है. लेकिन हम गोली निकालने मे कामयाब नही हो पाए. ज़्यादा कोसिस करने पर गोली के फटने या फिर दिल की धड़कन रुकने का ख़तरा भी है.”

“इसलिए हमे ये ऑपरेशन रोकना पड़ गया है. हम जितना कर सकते थे, हम ने उतना कर दिया है. लेकिन अब स्तिथि हमारी पकड़ से बाहर है. इनके बचने का अब एक ही रास्ता है कि, इन्हे मुंबई ले जाकर किसी बड़े हार्ट सर्जन को दिखाया जाए.”

“लेकिन इनका हार्ट अभी खुला हुआ है और ऐसी हालत मे इन्हे मुंबई ले जा पाना संभव नही है. यदि आप कहे तो, मैं मुंबई से एक हार्ट सर्जन को यहाँ बुला सकता हूँ. मगर उनके यहाँ आने जाने मे आपका बहुत खर्चा आ जाएगा.”

डॉक्टर की बात सुनते ही, छोटी माँ ने डॉक्टर के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “डॉक्टर साहब, आप पैसों की चिंता मत कीजिए. आप जितना पैसा कहेगे, हम लगाने के लिए तैयार है. बस आप किसी भी तरह से हमारी मौसी को बचा लीजिए.”

डॉक्टर बोला “तब ठीक है. मैं अभी आपके सामने ही उनसे बात कर लेता हूँ.”

इतना कह कर, उस डॉक्टर ने मुंबई के किसी दूसरे हार्ट सर्जन को कॉल लगा दिया. उधर से कॉल उठते ही, उसने कहा.

डॉक्टर बोला “हेलो निशा जी.”

डॉक्टर के मूह से निशा नाम सुनते ही, मैने हैरानी से मेहुल की तरफ देखा. मेरी तरह मेहुल भी ये नाम सुनकर, चौक गया. पता नही, दूसरी तरफ से क्या कहा गया. जिसके जबाब मे डॉक्टर ने कहा.

डॉक्टर बोला “निशा जी, मैं कोलकाता से हार्ट सर्जन दीपेन्दु घोष बोल रहा हूँ.”

ये कहते हुए, वो यहाँ की सारी स्तिथि बताने लगा. लेकिन उसकी बात सुनकर, शायद वहाँ से भी अपनी कोई परेशानी बताई जा रही थी. जिसके जबाब मे डॉक्टर मरीज की गंभीर स्तिथि के बारे मे बता रहा था. ये सब देख कर, मैने थोड़ा परेशान होते हुए, डॉक्टर दीपेन्दु से कहा.

मैं बोला “क्या आप हार्ट सर्जन डॉक्टर. निशा खन्ना से बात कर रहे है.”

डॉक्टर बोला “नही, ये पीडिट्रिक आंड अडल्ट हार्ट सर्जन डॉक्टर. निशा मेहता है.”

ये सुनते ही, मैने फ़ौरन उसके हाथ से मोबाइल छीन लिया और अपने हाथ मे मोबाइल लेते हुए कहा.

मैं बोला “हेलो.”

मेरी आवाज़ सुनकर, दूसरी तरफ से कहा गया “हेलो कौन.”

मैं बोला “भाभी, मैं हूँ.”

निशा भाभी बोली “अरे हीरो, तू वहाँ क्या कर रहा है और तू इतना परेशान सा क्यो दिख रहा है. वहाँ सब ठीक तो है ना.”

उनकी बात सुनते ही, मेरी आँखें आँसुओ से भर गयी और मैने उनसे कहा.

मैं बोला “भाभी, वो क्या है, वो….”

लेकिन मैं कुछ कह नही पा रहा था और मेरी आवाज़ लड़खड़ा रही थी. ये देखते ही, मेहुल ने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिया और निशा भाभी को यहाँ हुए हादसे की सारी बातें बताने लगा.

जिसे सुनते ही निशा भाभी ने मेहुल से डॉक्टर को फोन देने को कहा और फिर वो उसे कुछ ज़रूरी हिदायत देने लगी. उसके बाद डॉक्टर ने फोन रख कर, हम से कहा.

डॉक्टर बोला “डॉक्टर. निशा अभी एरपोर्ट पर ही है. वो सूरत जा रही थी, लेकिन अब अगली ही फ्लाइट से यहाँ आ रही है.”

ये बात सुनते ही, मुझे याद आया कि, एरपोर्ट पर तो इस समय सभी होंगे. कहीं निशा भाभी सबको ये बात ना बता दे. ये बात दिमाग़ मे आते ही, मैने फ़ौरन निशा भाभी को कॉल लगा दिया. मेरा कॉल उठाते ही, उन्हो ने कहा.

निशा भाभी बोली “तू बिल्कुल मत घबरा, हम अगली ही फ्लाइट से वहाँ आ रहे है.”

मैं बोला “नही भाभी, आप अभी ये बात वहाँ किसी को नही बताएगी. यदि आपने ये बात वहाँ बता दी तो, फिर शिखा दीदी लोग सूरत नही जा पाएगी. आप उन लोगों को सूरत जाने दीजिए. आप बस यहा आ जाइए.”

निशा भाभी बोली “तू ये कैसी बात कर रहा है. वो लोग सूरत बाद मे भी जा सकते है. अभी उनका सूरत जाने से ज़्यादा ज़रूरी तेरे पास आना है.”

मैं बोला “नही भाभी, आप अभी ये बात किसी को नही बताएगी. आज शिखा दीदी पहली बार अपनी ससुराल मे कदम रखने जा रही है और बहुत समय बाद, अज्जि का परिवार पूरा होने जा रहा है. मैं उनकी खुशियों मे खलल नही डाल ना चाहता हू.”

निशा भाभी बोली “तू समझता क्यो नही है. यदि मैने किसी को कुछ नही बताया तो, बाद मे सब मुझ पर बहुत नाराज़ होगे और ये बात उनको पता चलने से किसी की खुशियों मे कोई खलल नही पड़ेगा.”

मैं बोला “भाभी, मैं कुछ नही जानता. आप ये बात किसी को नही बताएगी तो, मतलब किसी को नही बताएगी. आपको मेरी कसम है.”

मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने हंसते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “तू सच मे शिखा का भाई है. वो भी हर छोटी बड़ी बात मे अपनी कसम देती रहती है और अब तू भी वैसा ही कर रहा है. चल मैं तेरी ये बात मान लेती हूँ. लेकिन अमन को तो मुझे ये बात बताना ही पड़ेगी.”

मैं बोला “हां, आप उनको ये बात बता सकती है. उनको ये बात बताने से मुझे कोई परेशानी नही है.”

फिर थोड़ी बहुत बात करके निशा भाभी ने कॉल रख दिया. शिखा दीदी लोगों के साथ, वो और सीरू दीदी लोग भी सूरत जा रही थी. लेकिन अब वो सूरत ना जाकर, अगली फ्लाइट से सीधे मेरे पास आ रही थी.

निशा भाभी का कॉल रखने के बाद, मैने छोटी माँ को वहाँ का पूरा हाल बताया. जिसे सुनने के बाद, छोटी माँ ने कहा.

छोटी माँ बोली “ये तूने बिल्कुल ठीक किया. शिखा पहली बार अपनी ससुराल मे कदम रखने जा रही थी. ऐसे मे उसके जाने मे अचानक रुकावट आ जाने से एक तरह का अपशकुन ही होता.”

इतना कह कर छोटी माँ मुझे दिलासा देने लगी. वाणी दीदी भी हमारे पास ही खड़ी हमारी बातें सुन रही थी. अचानक उन्हे कुछ याद आया और उन्हो ने प्रीतम से कहा.

वाणी बोली “मिस्टर. प्रीतम, उन दोनो मुजरिमो को आपने कहाँ छोड़ा है.”

प्रीतम बोला “जी, अभी तो मैं उनको इलाज करवाने इसी हॉस्पिटल मे लेकर आया हूँ.”

वाणी बोली “ठीक है, आप जाकर ज़रा उनको देख कर आइए और वापस आकर उनकी रिपोर्ट मुझे दीजिए.”

वाणी दीदी की ये बात सुनकर, प्रीतम जाने लगा. लेकिन वाणी ने उसे रोक कर गुस्से मे घूरते हुए कहा.

वाणी बोली “क्या आपको इतनी भी तमीज़ नही है कि, अपने से किसी बड़े ऑफीसर के पास से जाते समय क्या किया जाता है.”

वाणी दीदी की बात सुनते ही, प्रीतम सकपका गया. उसने फ़ौरन वाणी दीदी को सॉरी बोला और सल्यूट मारते हुए वहाँ से ऐसे सरपट भागा, जैसे उसके पिछे कोई भुतनी लग गयी हो.

उसके पिछे पिछे उसके दोनो हवलदार भी, गधे के सर से सींग की तरह गायब हो गये. उनके जाते ही, मेहुल ने धीरे से मेरे कान मे कहा.

मेहुल बोला “देखा तूने, प्रीतम ने वाणी दीदी को सल्यूट मारा या नही. अब तो वो वाणी दीदी का ड्राइवर भी बन गया है. अब मैं भी उसके साथ थोड़ा खेल लूँगा.”

हम लोग यहाँ आपस मे बात करने मे लगे थे और वहाँ वाणी दीदी अपने जूनियर को कुछ ज़रूरी बातें समझा रही थी. तभी प्रीतम वापस आकर उन्हे कुछ बताने लगा. जिसे सुनने के बाद, वाणी दीदी और बाकी लोग उनके साथ जाने लगे.

उन्हे जाते देख कर, मेहुल भी उनके साथ जाने लगा. मैने उसे रोकना चाहा. लेकिन उसने मेरी बात नही मानी और उन लोगों के साथ चला गया. मेहुल के जाते ही, निशा भाभी का कॉल आ गया.

निशा भाभी ने बताया कि शिखा दीदी लोग सूरत के लिए निकल गयी है और वो 12 बजे की फ्लाइट से हमारे यहाँ आ रही है. उनसे बात करने के बाद, मैने ये बात छोटी माँ को बताई.

निशा भाभी के आने की बात सुनकर, छोटी माँ ने मुझसे उनको एरपोर्ट लेकर आने की बात जताई और फिर वो इस हादसे की खबर पापा को देने के लिए कॉल लगाने लगी. लेकिन मैने उनको ऐसा करने से रोकते हुए कहा.

मैं बोला “जब पापा मुंबई मे थे और निमी की तबीयत खराब हुई थी. क्या तब आपने उन्हे निमी की तबीयत की खबर दी थी.”

छोटी माँ बोली “हाँ, उसकी तुमसे बात नही हो पाई थी. इसलिए मैने उसकी तुम्हारे पापा से बात करवा दी थी.”

मैं बोला “लेकिन ये बात जानते हुए भी, वो मुंबई मे आराम से रिया लोगों के साथ पार्टी कर रहे थे और मुझे रिया लोगों से झूठ कहना पड़ा था कि, आपने ये बात पापा को नही बताई होगी.”

“अब आप खुद ही सोचिए कि, जब उन्हे निमी की तबीयत से कोई फरक नही पड़ा था तो, फिर उन्हे चंदा मौसी की तबीयत से क्या फरक पड़ेगा. आपको यदि ये बात किसी को बताना ही है तो, रिचा आंटी और अनु मौसी को बताइए. वो सुनते ही, यहाँ भागी चली आएगी.”

छोटी माँ बोली “उनको कीर्ति ने ये बात बता दी है और वो लोग यहाँ के लिए निकल चुकी है. लेकिन तेरे पापा को भी ये बात बताना ज़रूरी है.”

मैं बोला “नही, पापा को ये बात बताने की कोई ज़रूरत नही है. उनको उनके हाल पर खुश रहने दीजिए. वैसे भी चंदा मौसी को पापा की नही, बल्कि एक अच्छे डॉक्टर की ज़रूरत है और इसके लिए निशा भाभी यहाँ आ रही है.”

लेकिन छोटी माँ ने मुझे समझाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “देख, ऐसा नही कहते. वो घर के बड़े है और उन्हे इस बात की खबर होना ज़रूरी है.”

छोटी माँ की इस बात को सुनकर, मैने गुस्से मे भन्नाते हुए कहा.

मैं बोला “वो घर के बड़े है तो, उन्हे घर मे ही रहने दीजिए. उनको यहाँ आने की कोई ज़रूरत नही है. यहाँ मेरी भाभी आ रही है और मैं नही चाहता कि, मेरे बाप की गंदी नज़र मेरी भाभी या मेरी बहनो पर पड़े.”

मेरी बात सुनकर छोटी माँ सन्न रह गयी. पापा के लिए मेरी नफ़रत कोई नयी बात नही थी. मगर आज मेरी आँखों मे, पापा के लिए नफ़रत के साथ साथ, एक गुस्सा भी नज़र आ रहा था. जिसकी वजह वो चाह कर भी, समझ नही पा रही थी.

कीर्ति हम लोगों से कुछ ही दूरी पर अमि निमी के साथ बैठी थी. उसने जब किसी बात पर मुझे, छोटी माँ से बहस करते देखा तो, वो अमि निमी के पास से उठ कर हमारे पास आ गयी.

वो चुप चाप हमारे पास खड़ी होकर, मेरी और छोटी माँ की बातों को सुन रही थी. लेकिन जैसे ही उसने मुझे छोटी माँ से ये बात कहते सुना तो, वो फ़ौरन मेरा हाथ पकड़ कर, मुझे खिचते हुए, छोटी माँ से दूर ले आई.
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09-11-2020, 11:56 AM,
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मैं बोला “नही, पापा को ये बात बताने की कोई ज़रूरत नही है. उनको उनके हाल पर खुश रहने दीजिए. वैसे भी चंदा मौसी को पापा की नही, बल्कि एक अच्छे डॉक्टर की ज़रूरत है और इसके लिए निशा भाभी यहाँ आ रही है.”

लेकिन छोटी माँ ने मुझसे समझाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “देख, ऐसा नही कहते. वो घर के बड़े है और उन्हे इस बात की खबर होना ज़रूरी है.”

छोटी माँ की इस बात को सुनकर, मैने गुस्से मे भन्नाते हुए कहा.

मैं बोला “वो घर के बड़े है तो, उन्हे घर मे ही रहने दीजिए. उनको यहाँ आने की कोई ज़रूरत नही है. यहाँ मेरी भाभी आ रही है और मैं नही चाहता कि, मेरे बाप की गंदी नज़र मेरी भाभी या मेरी बहनो पर पड़े.”

मेरी बात सुनकर छोटी माँ सन्न रह गयी. पापा के लिए मेरी नफ़रत कोई नयी बात नही थी. मगर आज मेरी आँखों मे, पापा के लिए नफ़रत के साथ साथ, एक गुस्सा भी नज़र आ रहा था. जिसकी वजह वो चाह कर भी, समझ नही पा रही थी.

कीर्ति हम लोगों से कुछ ही दूरी पर अमि निमी के साथ बैठी थी. उसने जब किसी बात पर मुझे, छोटी माँ से बहस करते देखा तो, वो अमि निमी के पास से उठ कर हमारे पास आ गयी.

वो चुप चाप हमारे पास खड़ी होकर, मेरी और छोटी माँ की बातों को सुन रही थी. लेकिन जैसे ही उसने मुझे छोटी माँ से ये बात कहते सुना तो, वो फ़ौरन मेरा हाथ पकड़ कर, मुझे खिचते हुए, छोटी माँ से दूर ले आई और मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम्हारे मूह मे लगाम है या नही. जो भी मूह मे आता है, बकते चले जाते हो. जानते भी हो कि, तुम मौसी से क्या बोल रहे थे.”

कीर्ति की इस बात पर, मैने उल्टे उस से ही सवाल करते हुए कहा.

मैं बोला “तू तो सब कुछ जानती है. फिर भी तुझे मेरा बोलना ग़लत लग रहा है. तू ही बता कि, मैने क्या ग़लत बोला है.”

कीर्ति बोली “ना तो मैं तुमको ग़लत बोल रही हूँ और ना ही तुमने कुछ ग़लत बोला है. लेकिन तुम्हे ये तो सोचना चाहिए कि, तुम किस से क्या बोल रहे हो. लेकिन अब मैं तुमसे पूछती हूँ कि, जिन बातों की वजह से, तुम मौसा जी पर इतना गुस्सा कर रहे थे. क्या तुम वो बातें मौसी को बताने की हिम्मत रखते हो.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं चुप होकर रह गया. उसका कहना ज़रा भी ग़लत नही था. मैं चाह कर भी वो सब बातें छोटी माँ को नही बता कर, उन्हे दुख नही पहुचा सकता था. मुझे चुप देख कर कीर्ति ने मुझे समझाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मैं तुम्हारे दर्द को समझ सकती हूँ. तुम कहीं भी ग़लत नही हो. लेकिन तुम्हे अपना ये गुस्सा अपने दिल मे ही दबा कर रखना होगा. इसी मे हम सबकी भलाई है.”

कीर्ति की इस बात को सुनकर, मैने उसे यकीन दिलाया कि, अब मैं ऐसी ग़लती दोबारा नही करूगा. अभी मेरी कीर्ति से बात चल ही रही थी की, तभी अनुराधा मौसी, रिचा आंटी और मोहिनी आंटी आ गयी.

वो आते ही छोटी माँ से चंदा मौसी की हालत पुछ्ने लगी. उन्हे देख कर, मैं और कीर्ति भी उनके पास आ गये और मैने रिचा आंटी से कहा.

मैं बोला “आप और मेहुल यहाँ है तो, फिर अंकल के पास कौन है.”

रिचा आंटी बोली “हम कमल और नितिका को उनके पास छोड़ कर आए है. लेकिन मेहुल कहाँ है. क्या वो कहीं गया है.”

मैं बोला “नही, वो भी यही है. अभी वो वाणी दीदी के साथ है.”

इसके बाद कीर्ति रिचा आंटी लोगों से बात करने लगी. तभी मुझे मेहुल आते हुए दिखा. वो भागते हुए आया और हम से कुछ दूरी पर खड़े होकर हाफने लगा. उसे देख कर, मैं उसके पास आ गया और उसे हान्फ्ते देख कर, मैने उस से कहा.

मैं बोला “अबे तुझे क्या हुआ. तू इतना हाँफ क्यो रहा है.”

मेहुल बोला “कुछ मत पुछ. वाणी दीदी ने एक को और टपका दिया.”

मैं बोला “अबे सॉफ सॉफ बोल, क्या हुआ.”

मेहुल बोला “वो वाणी दीदी ने जिन दो लोगों को पकड़ा था. उनमे से एक ने माणिक नाम के ऑफीसर की गन छीन ली और प्रीतम की कनपटी पर रख कर, वहाँ से भागने की कोसिस करने लगा. मगर उसके वहाँ से भाग पाने के पहले ही, वाणी दीदी की रेवोल्वेर से निकली गोली ने उसका भेजा उड़ा दिया.”

“लेकिन उस समय उसकी खोपड़ी और प्रीतम की खोपड़ी इतनी पास थी कि, यदि वाणी दीदी का निशाना ज़रा भी चुकता तो, उसकी जगह प्रीतम का ही भेजा उड़ जाता. बस इसी दहशत मे प्रीतम की पॅंट गीली हो गयी.”

इतना बोल कर, मेहुल पेट पकड़ कर हँसने लगा. लेकिन उसकी इस हरकत पर मैने उस पर भड़कते हुए कहा.

मैं बोला “वहाँ वाणी दीदी ने एक को हमेशा के लिए सुला दिया और तुझे हँसी आ रही है.”

मेहुल बोला “वाणी दीदी ने तो पहले ही कह दिया था कि, उन्हो ने दो को मार गिराया है. इसलिए उन मे से एक का मरना तो उसी समय पक्का हो गया था. मुझे तो उस प्रीतम की हालत पर हँसी आ रही है.”

मैं बोला “अब तू प्रीतम पर बाद मे हंस लेना. अभी जाकर वाणी दीदी से बोल कि, 1:30 बजे की फ्लाइट से निशा भाभी आ रही है और उनको लेने के लिए वाणी दीदी को हमारे साथ एरपोर्ट चलना है.”

मेरी बात सुनकर, मेहुल वाणी दीदी के पास चला गया. कुछ देर बाद, वो प्रीतम के साथ वापस आते दिखा. उसके मेरे पास आने पर, मैने उस से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ, वाणी दीदी ने क्या कहा. क्या वो हमारे साथ नही चल रही है.”

मेहुल बोला “नही, वो अभी उस मुजरिम से पुछ ताछ कर रही है. उन्हो ने हमारे साथ जाने के लिए इनको भेजा है.”

इतना बोल कर, मेहुल दबी मुस्कान मे मुस्कुराने लगा. वाणी दीदी ने उसे खेलने के लिए प्रीतम नाम का खिलोना दे दिया था. जिसके वो मज़े लिए जा रहा था. मैं उसको प्रीतम के पास ही छोड़ कर छोटी माँ के पास आ गया.

मैने छोटी माँ को अपने एरपोर्ट जाने की बात जताई और फिर मैं मेहुल के साथ एरपोर्ट के लिए निकल गया. मेहुल प्रीतम के साथ आगे की सीट पर बैठा था और मैं पिछे की सीट पर बैठा था.

वो पूरे रास्ते भर, प्रीतम को वाणी दीदी के किस्से सुना सुना कर डराता रहा. प्रीतम उसे बीच बीच मे गुस्से मे घूर कर देखता. लेकिन वाणी दीदी की वजह से वो मेहुल को कुछ बोल नही पा रहा था.

ऐसे ही मेहुल की बक-बक सुनते सुनते हम लोग एरपोर्ट पहुच गये. प्रीतम को गाड़ी के पास ही छोड़ कर हम दोनो अंदर पहुच गये. प्रीतम से दूर होते ही, मैने मेहुल से कहा.

मैं बोला “तू उसे ज़्यादा परेशान मत कर, वरना वाणी दीदी के जाते ही, वो तुझसे गिन गिन कर बदले लेगा.”

मेहुल बोला “तू उसकी फिकर क्यो करता है. वाणी दीदी के यहाँ से जाने के बाद भी, उसके दिल दिमाग़ से वाणी दीदी का ख़ौफ़ नही निकल पाएगा. वो चाहते हुए भी मुझसे पंगा लेने की ग़लती नही करेगा.”

मेहुल की बात सुनकर, मैं उसे समझाने लगा और वो मुझे समझाने लगा. इसी बीच निशा भाभी की फ्लाइट भी आ गयी. मुझे लगा था कि, वो अकेली आएगी. लेकिन उनके साथ, बरखा दीदी को भी देख कर, मेरी खुशी दुगनी हो गयी.

मगर साथ ही साथ इस बात को भी लेकर, परेशान हो गया कि, बरखा दीदी के अलावा ये बात किस किस को पता चली है. मैं इसी सोच मे गुम था की, निशा भाभी ने आकर, मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “हे हीरो, ये तुम किस सोच मे खो गये. बरखा को देख कर, कहीं ये तो नही सोचने लगे कि, बरखा को मैने कुछ बताया है. मैने बरखा को कुछ भी नही बताया.”

“मैने ये बात सिर्फ़ अमन को बताई थी. अमन ने ये सोच कर, ये सोच कर बरखा को बता दी कि, शिखा को ये बात पता चलते ही वो घबराने लगी. लेकिन बरखा के यहाँ होने पर उसे कुछ तसल्ली रहेगी.”

निशा भाभी की ये बात सुनते ही, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैं खुशी खुशी बरखा दीदी से मिला और फिर बरखा दीदी और निशा भाभी को लेकर, एरपोर्ट से बाहर आ गया.

हम जैसे ही अपनी कार के पास पहुचे, वहाँ एक एसआइ को देख कर, बरखा दीदी और निशा भाभी दोनो चौक गये. लेकिन किसी ने कुछ कहा नही. मेहुल आगे जाकर प्रीतम के पास बैठ गया.

मैं पिछे की सीट पर बरखा दीदी और निशा भाभी के साथ बैठ गया. हमारी कार के आगे बढ़ते ही निशा भाभी ने मुझसे कहा.

निशा भाभी बोली “ये कार तो नयी लग रही है. ये पोलीस की कार नही लगती.”

मैं बोला “नही भाभी, ये पोलीस की कार नही है. ये छोटी माँ की कार है. आप जब भी आएगी, आपको उनकी कार नयी ही मिलेगी.”

निशा भाभी बोली “वो क्यो.?”

मैं बोला “वो इसलिए, क्योकि छोटी माँ को नयी कार का शौक है. वो कुछ ही दिन मे अपनी कार बदल देती है.”

मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने हंसते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “उनकी भी आदत सीरू की तरह है.”

मैं बोला “क्या मतलब, क्या सीरू दीदी को भी नयी कार का शौक है.”

निशा भाभी बोली “हां, सीरू को नयी कार का बहुत शौक है. लेकिन अमन के सामने उसकी चल नही पाती है. इसलिए उसे जब भी नयी कार चाहिए रहती है. वो आरू को अज्जि के सामने खड़ी कर देती है.”

निशा भाभी की ये बात सुनकर, मुझे आरू कि BMW कार ले लेने वाली बात याद आ गयी और मैं वो ही बात निशा भाभी को बताने लगा. जिसे सुनकर, वो भी हँसने लगी. फिर उन्हो ने प्रीतम के बार मे पुछ्ते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “क्या ये एसआइ तुम्हारा कोई रिश्तेदार है.”

मैं बोला “नही भाभी, ये मेरी दीदी के आसिटेंट है. दीदी किसी काम मे फसि होने की वजह से आपको लेने नही आ पा रही थी. इसलिए उन्हो ने आपको लेने इन्हे भेजा है.”

ये कह कर, मैं उन्हे वाणी दीदी के बारे मे बताने लगा. ऐसे ही बात करते करते, हम हॉस्पिटल पहुच गये. हॉस्पिटल पहुच कर, निशा भाभी और बरखा दीदी छोटी माँ से मिलने लगी.

निशा भाभी के हॉस्पिटल मे पहुचने की, खबर मिलते ही, डॉक्टर की एक टीम उनके पास आ गयी और वो उन्हे चंदा मौसी की हालत के बारे मे बताने लगी. जिसके बाद, निशा भाभी उनके साथ चंदा मौसी को देखने चली गयी.

छोटी माँ सबको बरखा दीदी से मिलने लगी. लेकिन जैसे ही बरखा दीदी ने कीर्ति को देखा तो, हैरानी से बस देखती रह गयी. कीर्ति ने उन्हे हैरान देख कर, मुस्कुराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “दीदी, ऐसे क्या देख रही है. मैं निक्की नही, बल्कि पुनीत की मौसी की लड़की कीर्ति हूँ. मेरी शकल बस निक्की से मिलती है.”

कीर्ति की बात सुनकर, बरखा दीदी ने मुस्कुराते हुए उसे गले से लगा लिया. इसके बाद वो अमि निमी से मिलने लगी. बरखा दीदी का सबसे मिलना जुलना हो चुका था. लेकिन निशा भाभी अभी तक चंदा मौसी के पास से वापस नही आई थी.

तभी एक नर्स हमारे पास आकर, हम से ओ+ (ओ पॉज़िटिव) ब्लड का इंतेजाम करने को कहने लगी. इत्तेफ़ाक से मेहुल का ब्लड ग्रूप ओ+ (ओ पॉज़िटिव) ही था. वो फ़ौरन ब्लड देने के लिए तैयार हो गया.

हम ने नर्स से निशा भाभी के बारे मे पुछा तो, उसने बताया कि, अंदर चंदा मौसी के ऑपरेशन की तैयारी चल रही है और डॉक्टर. निशा साथी डॉक्टर को कुछ ज़रूरी हिदायत दे रही है. वो शायद अब ऑपरेशन के बाद ही बाहर आएगी.

इतना कह कर वो मेहुल को ब्लड के लिए लेकर चली गयी. तभी वाणी दीदी अपने बाकी साथियों और उस मुजरिम के साथ आ गयी. उन्हो ने आते ही छोटी माँ ने कहा.

वाणी बोली “मौसी, मैं कुछ ज़रूरी काम से जा रही हूँ. लेकिन जब तक मैं वापस नही आ जाती, तब तक आप या पुन्नू दोनो मे से कोई यहाँ से बाहर नही निकलेगा. यदि आपको यहाँ कोई भी परेशानी हो तो, आप मुझे कॉल कर दीजिएगा.”

वाणी दीदी की बात सुनकर, छोटी माँ ने कुछ परेशान होते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “वाणी बेटा, तुम ऐसा क्यो कह रही हो. क्या अभी भी किसी बात का ख़तरा है.”

वाणी बोली “मौसी, किसी को कोई ख़तरा नही है. मैं सिर्फ़ आपकी सुरक्षा को ध्यान मे रख कर, ये बात कह रही हूँ. आप किसी बात की कोई फिकर मत कीजिए. मैं हूँ ना.”

छोटी माँ से इतना कहने के बाद, उन्हो ने प्रीतम से कहा.

वाणी बोली “मिस्टर. प्रीतम, मुझे वापस आने मे कुछ ज़्यादा समय लग सकता है. मेरी गैर मौजूदगी मे, आप पूरी मुस्तैदी से मेरे परिवार का ख़याल रखेगे और मुझसे बिना पुछे मीडीया को कोई बयान जारी नही करेगे.”

“यदि इन मे से किसी को कहीं आना जाना हो तो, आप खुद उसे लेकर जाएगे. आपके साथ विश्वा भी यही रहेगा. मैं अपने परिवार की तरफ से कोई भी लापरवाही सहन नही करूगी. इस बात को अच्छे से याद रखिएगा.

इतना कह कर, वाणी दीदी जाने लगी. लेकिन फिर अचानक ही उन्हे कुछ याद आया और उन्हो ने वापस पलट कर, प्रीतम से कहा.

वाणी बोली “मिस्टर. प्रीतम, मेरे बारे मे एक बात अच्छे से जान लीजिए. मैं समुंदर मे उतरने के पहले ही उसकी गहराई नाप लेती हूँ. मैं सिर्फ़ मुजरिमो की ही नही, बल्कि अपने साथ काम करने वालों की भी पूरी जानकारी रखती हूँ.”

“आप क्या है और क्या नही है. ये बात भी मुझसे छुपि नही है. मैं आपको अपनी ग़लतियाँ सुधारने के एक मौका दे रही हूँ. लेकिन इसके बाद भी यदि आप कोई ग़लती करते है तो, फिर आपके लिए मुझसे बुरा कोई नही होगा.”

प्रीतम को इतनी चेतावनी देने के बाद, वाणी दीदी अपने साथियों और उस मुजरिम के साथ चली गयी. लेकिन वाणी दीदी की बात सुनकर, प्रीतम के पसीने छूट गये थे. शायद उसकी किसी ग़लती को वाणी दीदी ने पकड़ लिया था.

उस समय वाणी दीदी कुछ तनाव मे थी. इसलिए उन्हो ने बरखा दीदी की तरफ कोई ध्यान नही दिया था. मगर बरखा दीदी उनको गौर से देख रही थी. उनके हमारे पास से जाते ही बरखा दीदी ने कहा.

बरखा बोली “क्या ये ही तुम्हारी वाणी दीदी है.”

मैं बोला “जी दीदी.”

बरखा बोली “लेकिन, ये तो बिल्कुल छुयि मुई सी दिखती है. तुम तो कहते थे कि, ये बहुत ख़तरनाक है.”

इस से पहले कि, मैं बरखा दीदी की इस बात का कोई जबाब दे पता, मेहुल हमारे पास आ गया. उसने बरखा दीदी की इस बात का जबाब देते हुए कहा.

मेहुल बोला “दीदी, आप उनके छुई मुई वाले रूप पर मत जाइए. आपकी तरह गुस्सा उनकी नाक पर ही बैठा रहता है. आप दोनो मे फरक सिर्फ़ इतना है कि, आप हम लोगों पर रहम कर लेती हो और वो हम लोगों पर भी रहम नही करती.”

कीर्ति ने भी मेहुल की बात का समर्थन किया और वो बरखा दीदी को वाणी दीदी के बारे मे बताने लगी. जिसे सुनकर, बरखा दीदी भी हँसे बिना ना रह सकी. उन से बात करते करते, हमे समय का पता ही नही चला और 4 बज गये.

तभी हमे निशा भाभी आती हुई दिखाई दी. उनके चेहरे की मुस्कुराहट देख कर पता चल रहा था कि, सब कुछ ठीक है. उन्हो ने मुस्कुराते हुए छोटी माँ के पास आकर कहा.

निशा भाभी बोली “आंटी, अब आपको फिकर करने की कोई ज़रूरत नही है. उनके हार्ट से गोली निकल चुकी है और अब वो ख़तरे से बाहर है. बस कुछ दिन के आराम के बाद, वो फिर से पहले की तरह हो जाएगी.”

निशा भाभी की बात सुनकर, हम सबके चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. हम लोग निशा भाभी से बात करने मे लगे थे और अमि निमी वहीं बैठी टीवी देख रही थी. तभी अमि ने छोटी माँ को पुकारा.

उसकी आवाज़ सुनते ही, छोटी माँ के साथ साथ हम सबका ध्यान भी अमि निमी की तरफ चला गया. हमारे उनकी तरफ देखते ही, अमि ने कहा.

अमि बोली “मम्मी, ये देखिए, टीवी मे वाणी दीदी का फोटो दिखा रहे है.”

अमि निमी की बात सुनकर, हम सब अमि निमी के पास आ गये और टीवी देखने लगे. टीवी मे इस समय न्यूज़ आ रही थी. जिसमे वाणी दीदी का फोटो दिखा रहे थे और अब तक के उनके कारनामे बता रहे थे. फिर न्यूज़ रीडर ने आज हुई घटना के बारे मे बताते हुए कहा.

न्यूज़ रीडर “आज भी हमारे शहर की सुबह की सुरुआत हमेशा की तरह अपराधियों के अपराध करने से ही सुरू हुई थी. लेकिन आज की सुबह मे अपराध के अलावा भी बहुत कुछ खास शामिल था और वो था, अपराधियों को उनके अपराध का मूह तोड़ जबाब देना.”

“पोलीस सूत्रों से ग्यात हुआ है कि, आज सुबह माफ़िया सरगना गौरंगा के आदमियों द्वारा कोलकाता के मशहूर उद्योगपति अमरनाथ रॉय के एक्लोते बेटे पुनीत रॉय पर जान लेवा हमला किया गया. जिसकी शिकार एक महिला हो गयी.”

“इस से पहले की अपराधी अपने मंसूबों को अंजाम दे पाते, पुणे की मशहूर सीआइडी ऑफीसर वाणी रॉय ने 3 मे से 2 अपराधियों को मौका-ए-वार्दाद पर ही मार गिराया और एक को घायल कर दिया. जिसे इलाज के बाद, पोलीस हिरासत मे रखा गया है.”

“पुनीत रॉय, सीआइडी ऑफीसर वाणी रॉय के कज़िन है. वाणी रॉय का इस समय शहर मे होना कोई इत्तेफ़ाक नही था. बताया जाता है कि, पोलीस कमिशनर की स्पेशल रिक्वेस्ट पर सरकार द्वारा वाणी रॉय को स्कूल स्टूडेंट भारती के गॅंग-रेप की गुत्थी सुलझाने के लिए भेजा गया है.”

“लेकिन उनके भाई पर किए गये हमले का केस भी उन्ही को सौंप दिए जाने का ख़ामियाजा माफ़िया सरगना गौरंगा को भोगना पड़ गया. वाणी रॉय ने पिच्छले 3 घंटो मे गौरंगा के 8 ठिकानों पर ताबड तोड़ छापा मार कार्यवाही करते हुए, गौरन्गा सहित उसके सौ से भी ज़्यादा आदमियों को गिरफ्तार किया है.”

“इस हमले मे घायल हुई महिला की हालत के बारे मे मीडीया कोई जानकारी नही दी जा रही है और ना ही मीडीया को हॉस्पिटल के अंदर जाने दिया जा रहा है. आइए हम हॉस्पिटल चल कर, वहाँ का ताज़ा हाल लेते है.”

इसके बाद, हॉस्पिटल के बाहर का नज़ारा दिखाया जाने लगा. लेकिन हॉस्पिटल के बाहर का नज़ारा देखते ही, हम सब चौक गये. हॉस्पिटल के बाहर का नज़ारा तो एक-दम पोलीस की छावनी की तरह का नज़र आ रहा था.

हॉस्पिटल के बाहर बहुत सारा पोलीस बल था. जो मीडीया वालों और किसी भी संदिग्ध आदमी को हॉस्पिटल के अंदर नही आने दे रहा था. ये सब नज़ारा दिखाने के बाद, कॅमरा एक महिला पत्रकार के उपर आकर रुक गया और उसने अपनी रिपोर्ट देते हुए कहा.

महिला पत्रकार “जैसा कि आप देख रहे है कि, हॉस्पिटल के बाहर का नज़ारा किसी पोलीस छावनी की तरह का नज़र आ रहा है और हॉस्पिटल के अंदर मीडीया वालों या किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को नही जाने दिया जा रहा है.”

“बताया जाता है कि, ऐसा सिर्फ़ माफ़िया सरगना गौरन्गा की गिरफ्तारी को ध्यान मे रख कर किया जा रहा है. हमले मे घायल महिला का नाम चंदा सिंग बताया जा रहा है और उसकी हालत ही बहुत गंभीर बनी हुई है.”

“चंदा सिंग को दो गोलियाँ लगी थी. जिनमे से एक गोली अभी भी उनके हार्ट मे धँसी हुई है. जिसे निकालने मे यहाँ के डॉक्टर पूरी तरह से नाकाम रहे और इसके लिए मुंबई की मशहूर पीडिट्रिक आंड अडल्ट हार्ट सर्जन डॉक्टर. निशा मेहता को बुलाया गया है.”

“उद्योगपति अमरनाथ रॉय के पड़ोसियों से पता चला है कि, चंदा सिंग उनके घर मे काम करने वाली एक मामूली सी नौकरानी है. जिसकी जान बचाने के लिए उद्योगपति अमरनाथ रॉय की पत्नी, सुनीता रॉय पानी की तरह पैसे बहा रही है और डॉक्टर. निशा मेहता को भी इसके लिए मूह माँगे पैसे दिए जा रहे है.”

उस महिला पत्रकार की आख़िरी बात सुनते ही, मुझे गुस्सा आ गया और मैने गुस्से मे टीवी बंद कर दिया. लेकिन निशा भाभी ने फिर से टीवी चालू करते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “इन मीडीया वालों की बातों पर ज़्यादा ध्यान मत दिया करो. हर खबर को मिर्च मसाला लगा कर दिखाना इनकी आदत है.”

मैं बोला “लेकिन भाभी, ये तो आधा सच और आधा झूठ दिखा रहे है.”

निशा भाभी बोली “यदि ये सब सच सच दिखाएगे तो, फिर इनकी खबर को देखेगा कौन. तुम एक बहुत बड़े उद्योगपति के बेटे हो और तुम्हे आगे चल कर भी बहुत बार इन सब बातों का सामना करना पड़ेगा. इसलिए तुम्हे अभी से इन सब बातों की आदत डाल लेनी चाहिए.”

तभी फिर से कॅमरा वापस न्यूज़ सेंटर की न्यूज़ रीडर पर आ गया और उसने आगे कहा.

न्यूज़ रीडर “अभी आपने हॉस्पिटल के बाहर का ताज़ा हाल देखा. अब हम आपको पोलीस कमिशनर ऑफीस ले चलते है. जहाँ इस समय मीडीया से वार्ता करने के लिए, पोलीस कमिशनर, सी.आइ.डी. के डीएसपी मिस्टर. सक्सेना और सीआइडी ऑफीसर वाणी रॉय सहित अन्य पोलीस ऑफीसर उपस्तिथ है.”

इसके बाद टीवी पर पोलीस कमिशनर ऑफीस का दृश्य दिखाई देने लगा और वहाँ वाणी दीदी भी दिखाई दे रही थी. वाणी दीदी के दिखाई देते ही, निमी ने वाणी दीदी का नाम लेते हुए, तालियाँ बजाना सुरू कर दिया.

निमी की इस हरकत पर छोटी माँ ने उसे गुस्से मे आँख दिखाई तो, वो फिर से चुप चाप बैठ कर टीवी देखने लगी. तभी एक पत्रकार ने वाणी दीदी से पुछा.

पहला पत्रकार “मिस वाणी, आपने माफ़िया सरगना गुरांगा के सिर्फ़ 4 ठिकानो पर छापा मारे जाने की सूचना मीडीया को दी थी, जबकि आपके द्वारा 8 ठिकानो पर छापा मारा गया है. क्या आपका इस तरह से मीडीया को गुमराह करना, देश की जनता के साथ धोका नही है.”

पहले पत्रकार के सवाल के जबाब मे वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “अभी तक सीआईडी की तरफ से मीडीया को कोई सूचना या बयान जारी नही किया गया है. वो सूचना पोलीस की तरफ से जारी की गयी थी और उसकी सीआईडी को कोई जानकारी नही है.”

“लेकिन देश की जनता के लिए ये चौकाने वाली बात ज़रूर है कि, जिन 4 जगह पर पोलीस ने मीडीया को सूचित करके छापे मारने की कार्यवाही की थी. उन 4 जगह पर पोलीस एक दर्जन से भी कम अपराधियों को पकड़ने मे कामयाब हो पाई.”

“जबकि जिन ठिकानो पर सीआइडी ने मीडीया को बिना सूचित किए छापे मारे थे, उनमे हम 100 से भी ज़्यादा अपराधियों को पकड़ने मे सफल हुए है. कहीं इसका ये मतलब तो नही कि, अपराधियों और मीडीया के बीच मे पहले से ही सान्ठ गाँठ थी, जिस वजह से पोलीस उन जगह पर अपराधियों को पकड़ने मे कामयाब नही हो सकी.”

वाणी दीदी की ये बात सुनते ही एक दूसरे पत्रकार ने उन पर भड़कते हुए कहा.

दूसरा पत्रकार “मिस वाणी, आप ये मत भूलिए कि, ये कार्यक्रम देश की सारी जनता देख रही है और आप देश की जनता के सामने हम पत्रकारों की निष्ठा पर शक़ करके और हम पर ऐसा बेबुनियाद इलज़ाम लगा कर, हम पत्रकारों को ही नही, बल्कि देश की जनता को भी नाराज़ करके, अपने लिए मुसीबत मोल ले रही है.”

उस पत्रकार की बात सुनकर, वाणी दीदी ने आश्चर्या चकित होने का नाटक करते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “ये तो आप पत्रकारों की दोगली नीति ही है. आप यदि सीआइडी पर बिना किसी सबूत के देश की जनता को गुमराह करने का इल्ज़ाम लगाए तो, वो ग़लत नही है. लेकिन यदि मैने कोई ठोस वजह बताते हुए, आपके सामने अपना सवाल रखा तो, वो मेरे लिए देश की जनता और आप पत्रकारों की नाराज़गी का सबब बन रहा है.”

वाणी दीदी की ये बात सुनते ही एक तीसरा पत्रकार बोल उठा.

तीसरा पत्रकार “मिस वाणी, आप शायद भूल रही है कि, हम पत्रकार देश की जनता की आवाज़ है और देश की जनता ही आपसे ये सवाल देश की जनता पुछ्ना चाहती है.”

वाणी दीदी बोली “मैं देश की जनता के हर सवाल का जबाब देने के लिए तैयार हूँ. लेकिन हमारी मीडीया ने पोलीस की द्वारा की जा रही पल पल की कार्यवाही और पोलीस द्वारा उठाए जाने वाले अगले कदम का जो प्रसारण किया है.”

“उस प्रसारण को देश की आम जनता के साथ साथ, उन अपराधियों ने भी देखा. जिस वजह से वो पोलीस के आने से पहले ही, सावधान हो गये और वहाँ से भाग निकले. जबकि जिस जगह पर सीआइडी ने छापे मारे, उस से अपराधी अंजान थे और सीआइडी को इतनी बड़ी सफलता मिली.”

“मैं आप पत्रकारों से पुछ्ना चाहती हूँ कि, आप लोगों ने अपनी न्यूज़ मे पोलीस द्वारा की जा रही कार्यवाही और पोलीस द्वारा उठाए जाने वाले अगले कदम को दिखाने के पहले, क्या एक पल के लिए भी इस बात को सोचना ज़रूरी समझा कि, इस न्यूज़ को देश की आम जनता के साथ साथ, वो अपराधी भी देख रहे होगे.”

“क्या मीडीया की ये नैतिक जबाब्दारी बनती थी कि, वो अपने प्रसारण मे ऐसी कोई भी चीज़ ना दिखाए, जिस से पोलीस के काम पर असर पड़े और वो अपराधियों के लिए मददगार साबित हो.”

“मैं जानती हूँ कि, मीडीया देश की जनता की आवाज़ है. लेकिन ये भी मत भूलिए कि, पोलीस हो या सीआइडी हो. हम पर देश की जनता की सुरक्षा का भार है और हम ने वो ही किया, जो जनता की सुरक्षा के लिए सही था.”

“इसके बाद भी यदि आपको लगता है कि, मैने देश की जनता को गुमराह किया है तो, मैं देश की जनता से माफी मांगती हूँ. मुझे आप लोगों से जो बोलना था, मैने वो बोल दिया है. अब आप अपने बाकी के सवालों के जबाब मेरे सीनियर ऑफिसर्स से ले लीजिए.”

इतना बोल कर वाणी दीदी चुप हो गयी और मीडीया वाले पोलीस कमिशनर से सवाल करने लगे. इसी बीच एक लड़का सभी के सामने चाय समोसे रखने लगा. तभी निमी वाणी दीदी से बात करने की ज़िद करने लगी.

छोटी माँ ने उसे डाँट कर चुप करना चाहा तो, उसने रोना सुरू कर दिया. निमी को रोते देख, कीर्ति ने उसे चुप कराया और वाणी दीदी को कॉल लगा दिया. वाणी दीदी ने कीर्ति का कॉल देखते ही, फ़ौरन कॉल उठा लिया.

वाणी दीदी के कॉल उठाते ही, कीर्ति ने उनसे निमी से बात करने को कहा और फिर निमी को मोबाइल पकड़ा दिया. निमी ने कॉल पर आते ही, वाणी दीदी से कहा.

निमी बोली “दीदी, मुझे भी समोसे खाना है.”

वाणी दीदी बोली “क्यो, क्या तूने अभी तक कुछ नही खाया.”

निमी बोली “दीदी, मैने और अमि ने सुबह से कुछ नही खाया.”

वाणी दीदी बोली “तू रुक, मैं अभी कुछ लेकर आती हूँ.”

ये कहते हुए वाणी दीदी ने कॉल रखा और फिर सक्सेना जी को जता कर, उस पत्रकार-वार्ता से बाहर निकल आई. उनके बाहर निकलते ही, हम ने भी टीवी बंद कर दिया. टीवी बंद होते ही, मेहुल ने निमी से कहा.

मेहुल बोला “मोटी, तुझे कुछ खाना ही था तो, मुझसे बोल देती. इस तरह वाणी दीदी को परेशान करने की क्या ज़रूरत थी.”

लेकिन निमी ने मेहुल की बात सुनते ही, रोना सुरू कर दिया. मैने बड़ी मुस्किल से किसी तरह से उसे चुप कराया और फिर कुछ देर बाद, एक हवलदार खाना लेकर आ गया. निमी सारा खाना खोल खोल कर देखने लगी.

लेकिन उसे उसमे समोसा कहीं नज़र नही आया और वो फिर से रोने लगी. उसे रोता देख कर, छोटी माँ उस पर गुस्सा करने लगी. छोटी माँ को निमी पर गुस्सा होते देख, मुझे लगा कि, अब कहीं वो निमी पर हाथ ना उठा दे. इसलिए मैं निमी को बहलाने के लिए बाहर लाने लगा.

लेकिन प्रीतम ने मुझे बाहर जाने से रोक दिया. अभी मैं प्रीतम से बात कर ही रहा था कि, तभी वाणी दीदी आ गयी. उनने हमारे पास आते ही समोसे निमी की तरफ बढ़ा दिए और निमी खुशी खुशी समोसे लेकर दौड़ती हुई, अमि के पास चली गयी.
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निमी के हमारे पास से जाते ही, वाणी दीदी के पास पोलीस कमिशनर का फोन आ गया. उन ने कॉल उठाया तो, कमिशनर ने कहा.

कमिशनर बोला “मिस वाणी, मीडीया जानना चाहती है कि, हम ने सभी अपराधियों को जिंदा ही गिरफ्तार किया है या कुछ को मार भी गिराया है.”

वाणी दीदी बोली “सर हम सभी को जिंदा गिरफ्तार करना चाहते थे. लेकिन गुरांगा की गिरफ्तारी के समय, उसके दो आदमियों ने हम पर गोलियाँ बरसाना सुरू कर दिया. जिसकी जबाबी कार्यवाही मे हम ने उन दोनो को मार गिराया है.”

इतना कहने के बाद, वाणी दीदी ने कॉल रख दिया और फिर अपने आसिटेंट ऑफीसर निरंजन से कहा.

वाणी दीदी बोली “निरंजन, तुम सीआइडी ऑफीस जाओ. वहाँ गौरंगा और जिन दो लोगों ने हम पर गोलियाँ चलाई थी. उन्हे अपने पास रख कर, बाकी सब अपराधियों को पोलीस के हवाले कर दो. कुछ देर बाद, मैं गौरंगा से पुछ ताछ के लिए आती हूँ. तब तक उन तीनो को एक साथ ही रखो.”

वाणी की बात सुनकर, निरंजन के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और वो वाणी दीदी का आदेश पाते ही, वहाँ से चला गया. उसके बाद, उन्हो ने अपने आसिटेंट ऑफीसर अनिरूद्धा से कहा.

वाणी दीदी बोली “अनिरूद्धा, अब मुझे यहाँ कोई ख़तरा नज़र नही आ रहा है. इसलिए यहाँ की सारी पोलीस हटा दो. लेकिन अभी अहतयात के तौर पर, विश्वा और प्रीतम यही रहेगे. तुम जाकर सक्सेना अंकल से मिलो और मुंबई सीआइडी से बात करो. मुझे पूरा यकीन है की, गौरंगा से पुछ ताछ के बाद हमे मुंबई जाना पड़ेगा.”

वाणी दीदी का आदेश पाते ही, वो भी वहाँ से चला गया. उसके बाद, उन्हो ने अपने आसिटेंट ऑफीसर माणिक से कहा.

वाणी दीदी बोली “माणिक, तुम पोलीस कमिशनर से मिलकर, उनसे स्कूल स्टूडेंट भारती के गॅंग-रेप केस की फाइल लेकर, उस पर आज से ही काम सुरू कर दो और तुम्हे उसमे क्या समझ मे आ रहा है. मुझे सूचित करो.”

वाणी दीदी की बात सुनकर, माणिक भी वहाँ से चला गया. उसके जाते ही, मैं वाणी दीदी को निशा भाभी से मिलने लगा. निशा भाभी से मिलते ही, वाणी दीदी ने कहा.

वाणी दीदी बोली “सॉरी, मैं काम की वजह से पहले आपसे नही मिल पाई. अब हमारी मौसी की तबीयत कैसी है.”

निशा भाभी बोली “कोई बात नही, कभी कभी मैं भी काम मे फस कर चाहते हुए भी किसी को समय नही दे पाती. मगर आपका काम मुझसे भी कहीं ज़्यादा ज़रूरी था. आपने तो एक ही झटके मे पूरे माफ़िया का सफ़ाया कर दिया. खालिद भाई, आपके बारे मे बिल्कुल ही सही कहते थे.”

निशा भाभी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने हैरान होते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “खालिद ने आपसे मेरे बार मे क्या कहा.”

निशा भाभी बोली “खालिद भाई, कहते है कि, पूरी सीआइडी मे एक ही मर्द है और वो है वाणी रॉय.”

निशा भाभी की बात सुनते ही, वाणी दीदी बहुत ज़ोर से हँसने लगी. उन्हे इस तरह से हंसते देख कर हम सभी हैरान थे. क्योकि हम मे से किसी ने भी ना तो, उन्हे दिल खोल कर हंसते देखा था और ना ही कभी रोते देखा था.

हम तो, उनके थोड़ा सा मुस्कुराने को ही उनकी हँसी मान लेते थे और उनकी आँखों मे आई नमी को उनका रोना समझ लेते थे. वाणी दीदी ने हंसते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “आप खालिद को कैसे जानती है.”

निशा भाभी बोली “मैं, मेरे पति अमन और खालिद तीनो एक ही कॉलेज मे थे. उसी समय से हमारी दोस्ती है.”

वाणी दीदी बोली “क्या आप जानती है कि, मुझे मुंबई सीआइडी से बाहर करने मे भी खालिद का ही हाथ है.”

वाणी दीदी की ये बात सुनकर, हम सब चौके बिना ना रह सके. लेकिन निशा भाभी ने हंसते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “हां, मैं अच्छे से जानती हूँ और ये भी जानती हूँ कि, आप खालिद भाई का भी भेजा उड़ाने वाली थी. लेकिन ना जाने क्या सोच कर, आपने गोली नही चलाई और खालिद भाई आपकी पकड़ से बच कर भाग निकले.”

“जिसके बाद, उन्हो ने आपको प्रमोशन दिलवाकर पुणे भिजवा दिया था. लेकिन आज भी उनको ये बात परेशान करती रहती है कि, कभी किसी मुजरिम पर रहम ना करने वाली ऑफीसर ने, उन पर गोली क्यो नही चलाई. क्या मैं जान सकती हूँ कि, आपने उस दिन आपने उन पर गोली क्यो नही चलाई थी.”

वाणी दीदी बोली “आपका कहना सही है कि, मैं किसी भी मुजरिम पर रहम नही करती. लेकिन उस दिन खालिद की एक नेकी ने उसे बचा लिया था. मैं खालिद का पिछा कर रही थी. मेरा उसे जिंदा पकड़ने का भी कोई इरादा नही था.”

“इसलिए मेरी कार के उसके नज़दीक पहुचते ही, मैने उस पर गोली चलाने के लिए अपनी रेवोल्वेर तान दी. खालिद ने एक नज़र मेरी तरफ देखा और अपनी कार की स्पीड बढ़ा दी. लेकिन उसी समय ना जाने कहाँ से एक बच्चा भागते हुए, उसकी कार के सामने आ गया.”

“उस समय यदि कोई और मुजरिम होता तो, उस बच्चे को अपनी कार से उड़ा देता. लेकिन खालिद ने अपनी मौत सामने देखते हुए भी, अपनी कार को ब्रेक लगा दिए. उसकी इसी नेकी ने मुझे उस पर गोली चलाने से रोक दिया और वो मेरी पकड़ से भाग निकला.”

“उसके बाद, वो दुबई भाग गया और फिर कुछ समय बाद मुझे भी प्रमोशन देकर पुणे भेज दिया गया. खालिद एक मुजरिम ज़रूर था. लेकिन मुझे उसके अंदर इंसानियत नज़र आई थी और इस वजह से मुझे अपने ऐसा करने का कभी पछ्तावा नही हुआ.”

निशा भाभी बोली “ये आपने बिल्कुल सही बात बोली. खालिद भाई, आज भी औरतों और बच्चो पर हाथ नही उठाते.”

वाणी दीदी बोली “लेकिन मेरे भाई को मारने तो, वो आया था. ये और बात है कि, आप लोगों की वजह से उसने कुछ नही किया.”

निशा भाभी बोली “नही, यदि हम नही भी होते, तभी वो पुनीत को देखने के बाद, इस पर हाथ नही उठाते. उन्हो ने हमारे सामने सलीम को कुछ नही कहा था. लेकिन घर जाने के बाद, उसे मारा भी और घर से भी निकाल दिया था.”

“हम सबके समझाने पर भी वो सलीम को माफ़ करने को तैयार नही था. उनका कहना था कि, वो हर बात के लिए माफ़ कर सकते है. लेकिन किसी माँ बहन के साथ बाद-सलूकी करने वाले को कभी माफ़ नही कर सकते.”

“फिर चाहे ऐसा करने वाला उनका सगा भाई ही क्यो ना हो. बाद मे उन्हो ने प्रिया के कहने पर, बड़ी मुश्किल से सलीम को माफ़ किया. वो एक डॉन ज़रूर है, मगर बुरे इंसान नही है. इसलिए हम आज भी दोस्त है.”

वाणी दीदी बोली “चलो, अच्छा हुआ की, आपने ये बात मुझे बता दी. वरना मेरे दिल मे एक बात हमेशा रहती की, खालिद मेरे भाई को मारने के लिए आया था और मैं उसे इसके लिए कभी माफ़ नही कर पाती.”

निशा भाभी बोली “मतलब कि, अब आपने उन्हे इस बात के लिए माफ़ कर दिया है.”

निशा भाभी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “हां, मैने उसे माफ़ कर दिया है. लेकिन उसे ये बात ज़रूर बता देना कि, वो जिस पुनीत को मारने आया था. उस पुनीत की बहन, उस से भी बड़ी डॉन है.”

वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, निशा भाभी सहित सभी हँसने लगे. फिर मैने वाणी दीदी का बरखा दीदी से परिचय करवाया. दोनो मुस्कुराते हुए गले मिली और फिर वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मुझे पता चला है कि, तुम रात का खाना इस नालयक से बात किए बिना नही खाती हो.”

वाणी दीदी की इस बात पर बरखा दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “दीदी, जिसका इतना प्यारा भाई हो, उसका खाना भला, अपने भाई से बात किए बिना कैसे पच सकता है.”

बरखा दीदी की बात सुनकर, वाणी दीदी एक बार फिर दिल खोल कर हंस दी. फिर उन्हो ने अमि निमी की तरफ देखते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “तुम फिकर मत करो, अब तुम अपने भाई से जब चाहे, तब मिल सकोगी. क्योकि निमी ने मेरे साथ बदतमीज़ी की थी. इसलिए अब मैं इसे अपने साथ पुणे लेकर जाउन्गी.”

वाणी दीदी ये बात अमि निमी को सुना रही थी. इसलिए इस बात को सुनते ही, सबकी नज़र अमि निमी की तरफ चली गयी. लेकिन उन दोनो ने ये बात सुनी ही नही थी और दोनो समोसे खाने पर मस्त थी.

कुछ देर तक वो मुस्कुराते हुए अमि निमी को समोसे खाते देखती रही. लेकिन फिर अचानक ना जाने उनको क्या हुआ कि, उन्हो ने गुस्से मे चीखते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “प्रीतमम्म्म.”

वाणी दीदी को चीखते देख, छोटी माँ, रिचा आंटी और मोहिनी आंटी भी हमारे पास आ गयी. वाणी दीदी का बुलाना ही किसी के पसीने छुड़ाने के लिए काफ़ी था. ऐसे मे वाणी दीदी के गुस्से मे प्रीतम को बुलाने से उसकी हालत खराब हो गयी. उसने वाणी दीदी पास आकर, हकलाते हुए कहा.

प्रीतम बोला “जी, जी जी, मेडम.”

वाणी दीदी ने उसे गुस्से मे घूरते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “तू किस मिट्टी का बना है. मैने तुझे अपनी ग़लती को सुधारने का एक मौका दिया और तुझसे कहा कि, मेरे परिवार का पूरा ख़याल रखना. इसके बाद, भी तूने उनका ख़याल नही रखा.”

प्रीतम बोला “नही मेडम, आप चाहे तो, मौसी जी से पुच्छ सकती है. मैं पूरे समय साए की तरह इनके साथ रहा हूँ.”

वाणी दीदी बोली “क्या सिर्फ़ साथ रहना ही ख़याल रखना कहलाता है. मेरी दोनो मासूम बहने भूख से कैसी बहाल हो गयी है. तुझसे इतना भी नही हुआ कि, मैं यहाँ नही हूँ तो, कम से कम उनके खाने का ही कुछ इंतेजाम कर देता.”

वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, छोटी माँ ने प्रीतम का बचाव करते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “वाणी बेटा, इसमे इनकी कोई ग़लती नही है. इनका घर इधर पास ही है. इन ने बहुत बार हम सबसे खाना खाने चलने को कहा. लेकिन मैने ही खाने के लिए मना कर दिया था.”

वाणी दीदी बोली “आपको नही खाना था तो, कम से कम अमि निमी को तो खाना खिला दिया होता. वो एक और कहा गायब है. कम से कम उसे तो इनका ख़याल रखना चाहिए था.”

ये कह कर वाणी दीदी यहा वहाँ देखने लगी. किसी को समझ मे नही आया कि, वो किसको पुछ रही है. लेकिन मैं और मेहुल समझ गये थे कि, वो मेहुल को पुछ रही है.

इसलिए मेहुल उनके ही पिछे ही छुप कर, चुप चाप खड़ा रहा. मेहुल की इस हरकत से रिचा आंटी को भी समझ मे आ गया कि, वाणी मेहुल को पुछ रही है. उन्हो ने फ़ौरन ही वाणी दीदी से कहा.

रिचा आंटी बोली “वो तुम्हारे ही पिछे छुप कर खड़ा है.”

रिचा आंटी की बात सुनते ही, वाणी दीदी ने पलट कर मेहुल को देखा. उनके देखते ही, मेहुल की सारी मस्ती गायब हो गयी और उसने वाणी दीदी के सामने आते हुए कहा.

मेहुल बोला “दीदी, मम्मी ग़लत सोच रही है. मैं छुपा थोड़ी था. मैं तो कब से आपके पिछे ही खड़ा हूँ. असल मे मुझे समझ मे नही आया कि, आप मुझे पुच्छ रही है.”

मेहुल की बात सुनकर, वाणी दीदी ने उसे कुछ कहा तो नही, लेकिन उसे गुस्से मे घुरती रही. वाणी दीदी का बोलना तो, ख़तरनाक था ही, ना बोलना भी कम ख़तरनाक नही था. मेहुल ने जब उन्हे इस तरह से घूरते देखा तो, उनके बिना कुछ पुच्छे ही, उन्हे अपनी सफाई देते हुए कहा.

मेहुल बोला “दीदी, मैं तो अमि निमी ने खाने के लिए बहुत बार कह चुका था. लेकिन वो ही मना कर देती थी.”

अमि निमी का ध्यान पहले हमारी तरफ नही था. लेकिन जब वाणी दीदी ने प्रीतम को चिल्लाया, तब से वो लोग हमारी तरफ ही देख रही थी. मगर जैसे ही निमी ने मेहुल को सफेद झूठ बोलते देखा, वो समोसा खाते खाते हमारे पास आ गयी और उसने वाणी दीदी से कहा.

निमी बोली “दीदी, ये मोटू झूठ बोल रहा है. ये तो पूरे समय फोन पर लगा था.”

निमी की बात सुनकर, जहाँ सब दबी मुस्कान मे मुस्कुराने लगे. असल मे मेहुल ने कुछ समय पहले निमी को मोटी कह कर चिड़ाया था. निमी ने उस से उसी बात का बदला निकालने के लिए उसे मोटू कहा था.

यदि कोई और समय होता तो, निमी के मेहुल से इस तरह बात करने पर वाणी दीदी ने निमी को फटकार लगा दी होती. लेकिन इस समय वो अमि निमी पर कुछ ज़्यादा मेहरबान थी. इसलिए उन्हो ने निमी के इस तरह से बात करने की हरकत को अनदेखा कर दिया.

लेकिन निमी के इस तरह से मेहुल की बात को झूठा साबित कर देने से और उसकी पोल खोल देने से, मेहुल की तो जान ही निकल गयी. वो घबराहट मे यहाँ वहाँ देखने लगा और वाणी दीदी से नज़र बचाने लगा.

मेहुल बहुत देर से प्रीतम का मज़ा ले रहा था. प्रीतम को भी अपना बदला लेने का ये सही समय नज़र आया और उसने भी इस बहती गंगा मे हाथ धोते हुए, निमी की हां मे हां मिलाते हुए कहा.

प्रीतम बोला “मेडम, ये बच्ची सही कह रही है. ये भाई साहब पूरे समय ही मोबाइल पर लगे थे.”

प्रीतम की बात सुनकर, मेहुल उसे खा जाने वाली नज़रों से देखने लगा. लेकिन प्रीतम उसे अनदेखा कर, मुस्कुराते हुए निमी की तरफ देखने लगा. प्रीतम की बात सुनकर, मैने धीरे से कीर्ति के कान मे कहा.

मैं बोला “इसे कहते है, सौ सुनार की, एक लोहार की. मैं मेहुल से मना कर रहा था कि, प्रीतम को परेशान मत कर, वरना वो बाद मे तुझसे इसका बदला लेगा. लेकिन इसने मेरी बात नही मानी. अब उसका नतीजा भी देख ले.”

“वाणी दीदी शायद निमी की कही बात को अनदेखा भी कर देती. लेकिन अब निमी की बात पर, प्रीतम के भी मुहर लगा देने से, अब वो इस बात को अनदेखा नही करेगी. इसको निमी को मोटी कहना और प्रीतम का मज़ा लेना, महँगा पड़ने वाला है.”

मेरी ये बात बिल्कुल सही ही निकली. प्रीतम की बात सुनने के बाद, वाणी दीदी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और मेहुल से अपना मोबाइल देने को कहा. मेहुल ने भी बुझे मन से अपना मोबाइल वाणी दीदी की तरफ बढ़ा दिया.

अब इसे प्रीतम की खुशकिस्मती कहो या फिर मेहुल की बदक़िस्मती कि, वाणी दीदी के मेहुल का मोबाइल हाथ मे लेते ही, उसमे शिल्पा का कॉल आने लगा. वाणी दीदी ने आ रहे कॉल को देखने के बाद, अपना सर उठा कर मेहुल की तरफ देखा.

लेकिन मेहुल सर झुका कर खड़ा रहा. वाणी दीदी ने मेहुल को देखते हुए, शिल्पा का कॉल उठा लिया. लेकिन उन ने कॉल पर कुछ कहा नही. जिस वजह से दूसरी तरफ से शिल्पा ने कहा.

शिल्पा बोली “………….” “क्या हुआ जान, कुछ बोलते क्यो नही.”

शिल्पा की बात सुनते ही, वाणी दीदी ने उस से कहा.

वाणी दीदी बोली “जान नही, जान की अम्मा जान बोल रही हूँ. अपने घर वालों से बोल देना कि, तुम्हारी और मेहुल की शादी की बात करने वाणी दीदी आ रही है.”

वाणी दीदी का इतना कहना था कि, शिल्पा ने फ़ौरन कॉल काट दिया. वाणी दीदी ने उसे वापस कॉल लगाया. लेकिन तब तक वो अपना मोबाइल बंद कर चुकी थी. इस से पहले की, वाणी दीदी फिर से मेहुल की खिचाई करना सुरू कर पाती. मैने बात को संभालते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, खाना तो आप ले आई है. अब आप ही छोटी माँ से कहिए कि, वो खाना खा ले.”

मेरी बात सुनकर, वाणी दीदी ने एक नज़र मेरी तरफ देखा. लेकिन इस समय उनको मेरी ये बात सही लगी और उन्हो ने मेहुल से कहा.

वाणी दीदी बोली “उस लड़की की और तुम्हारी खबर मैं बाद मे लुगी. लेकिन आज तुम्हारी लापरवाही की वजह से अमि निमी को दिन भर भूखा रहना पड़ा. इसलिए आज तुम्हे रात के पहले खाना नही मिलेगा.”

मेहुल भी हम लोगों के साथ दिन भर से भूखा प्यासा लगा हुआ था और वो भी निमी की तरह ही पेटु था. इसलिए वाणी दीदी की ये बात सुनते ही उसने अपनी सफाई देने के लिए कहा.

मेहुल बोला “लेकिन दीदी…….”

अभी मेहुल इतना ही बोल पाया था कि, वाणी दीदी ने उसकी बात को काटते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “अब तुमको रात को भी खाना नही मिलेगा.”

मेहुल बोला “मगर दीदी…..”

वाणी दीदी ने फिर उसकी बात को काटते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “अब तुम्हे कल सुबह भी खाना नही मिलेगा.”

इतना बोल कर, वाणी दीदी मेहुल के फिर से कुछ बोलने का इंतजार करने लगी. लेकिन अब मेहुल के अंदर हिम्मत नही थी कि, वो फिर से कुछ बोलने की कोसिस करके, अपना कल रात का भी खाना बंद करवा ले.

इसलिए वो चुप चाप खड़ा रहा. जब मेहुल खामोश रहा तो, वाणी दीदी ने उसकी तरफ से अपना ध्यान हटाते हुए, छोटी माँ से कहा.

वाणी दीदी बोली “मौसी, खाना तो आ गया है. फिर आप लोग खाना खाने मे देर क्यो कर रही है.”

छोटी माँ बोली “वाणी बेटा, मुझसे हॉस्पिटल मे खाना नही खाया जाता है. मैं रात को घर मे जाकर खाना खा लुगी.”

छोटी माँ की बात सुनते ही, प्रीतम ने फ़ौरन आगे आते हुए कहा.

प्रीतम बोला “मौसी जी, मेरी पत्नी ने आप लोगों के खाने की पूरी तैयारी कर रखी है. मेरा घर यहाँ पास मे ही है. आप सब चल कर यदि मेरे घर मे खाना खाएगी तो, मुझे बहुत खुशी होगी.”

प्रीतम की बात सुनकर, छोटी माँ उसे मना करना चाहती थी. लेकिन वाणी दीदी ने उन्हे कुछ बोलने का मौका दिए बिना ही कहा.

वाणी दीदी बोली “प्रीतम ठीक कह रहा है. खाना तो, मैं ले ही आई हूँ. आप सब वहाँ चल कर सुकून से खाना खा लीजिए. ये लोग भी मुंबई से सीधे यहाँ ही आ गये है. इन्हे भी वहाँ चल कर फ्रेश होने का मौका मिल जाएगा.”

वाणी दीदी की इस बात के बाद, किसी के पास कहने को कुछ नही बचा. सब वाणी दीदी के साथ प्रीतम के घर के लिए निकल पड़े. एक गाड़ी मे, मैं वाणी दीदी, निशा भाभी और बरखा दीदी हो गये.

दूसरी गाड़ी मे छोटी माँ, अमि, निमी, कीर्ति, मेहुल और प्रीतम हो गये. कुछ ही देर मे हम प्रीतम के घर पहुच गये. घर क्या, वो एक आलीशान बंग्लो था और जिसकी शानो-शौकत बाहर से ही दिखाई दे रही थी.

अब उसकी ये शानो-शौकत उसके पुरखों की देन थी या फिर उसके बेईमानी से कमाए गये, काले धन की देन थी. ये बात या तो प्रीतम बता सकता था या फिर शायद वाणी दीदी बता सकती थी.

प्रीतम ने घर पहुच कर, डोरबेल बजाई. डोरबेल बजते ही, किसी के पायल खन्काते हुए, भाग कर आने की आवाज़ सुनाई. दरवाजा खुलते ही हमारे सामने एक सुंदर सी लड़की खड़ी थी.

उसने हम सबको देखते ही, हम से नमस्ते किया. प्रीतम ने हमे उसका परिचय देते हुए कहा.

प्रीतम बोला “ये मेरी छोटी बहन पायल है. हमारा सारा घर इसकी पायल की खन खन से ही गूँजता रहता है.”

प्रीतम की बात सुनकर, हम सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. लेकिन थोड़ी सी हैरानी भी हुई. क्योकि पायल की उमर 20-22 साल के आस पास लगती थी. जबकि प्रीतम की उमर 35-36 साल के आस पास लगती थी.

ऐसे मे पायल के प्रीतम की सग़ी बहन होने की उम्मीद कम ही लगती थी. फिर भी हम मे किसी ने भी इस बारे मे कोई सवाल नही किया. प्रीतम ने हमे घर के अंदर लाकर बैठाया और फिर घर के अंदर की तरफ आवाज़ लगाते हुए कहा.

प्रीतम बोला “कोयल, जल्दी आओ, मेहमान आ गये है.”

प्रीतम की आवाज़ सुनते ही, एक औरत भागती हुई हमारे पास आई और हम सब से नमस्ते करने लगी. प्रीतम ने हम से उसका परिचय अपनी पत्नी के रूप मे कराया और उसको भी हम सबका परिचय देने लगा.

लेकिन प्रीतम की पत्नी को देख कर, हम सब ही हक्के बक्के से रह गये. हमारे हक्के बक्के रहने की वजह ये थी कि, उसकी सिर्फ़ आवाज़ ही कोयल की तरह मीठी नही थी. बल्कि उसका रंग रूप भी कोयल की तरह ही काला था.

प्रीतम देखने मे एक आकर्षक नौजवान था. ऐसे मे कोयल के साथ उसकी जोड़ी बिल्कुल बेमेल लग रही थी. प्रीतम की हरकतें तो, हमारे लिए पहले ही किसी पहेली की तरह थी. उस पर अब उसकी पत्नी कोयल और उसकी बहन पायल भी हमारे लिए किसी पहेली से कम नही थी.
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कोयल ने हम को मूह हाथ धोने को कहा और खुद खाना लगाने की तैयारी करने लगी. प्रीतम ने खाने मे कोई मीठा नही देखा तो, वो हमारे मना करने के बाद भी, मीठा लेने चला गया.

हम सब मूह हाथ धोने के बाद, खाने के लिए प्रीतम के आने का इंतजार करने लगे. पायल और कोयल दोनो ही वाणी दीदी पर सवालों की बौछार करने मे लगी थी. ऐसे ही बातों बातों मे वाणी दीदी ने पायल से कहा.

वाणी दीदी बोली “माफ़ कीजिएगा, यदि आपको बुरा ना लगे तो, क्या मैं जान सकती हूँ कि, आप दोनो की अरेंज्ड मॅरेज हुई है या फिर लव मॅरेज हुई है.”

वाणी दीदी की इस बात को सुनकर, कोयल तो शरमा कर रह गयी. लेकिन पायल ने मुस्कुराते हुए कहा.

पायल बोली “मेडम, आपको इस बात पर यकीन नही होगा. मगर सच यही है कि, मेरे भैया भाभी की लव मॅरेज हुई है और इनको भी अपनी शादी के लिए उतने ही पापड बेलने पड़े थे. जितने कि बाकी लव मॅरेज करने वाले जोड़ो को बेलना पड़ते है.”

“मेरी बात सुनकर, आपको लगेगा कि, इनकी शादी मे परेशानी हमारे परिवार वालों की तरफ से आई होगी. लेकिन ऐसा नही था, ये परेशानी भाभी के परिवार वालों की तरफ से थी. उन्हे भैया मे तो कोई खराबी नज़र नही आई थी. लेकिन उन्हे हमारे परिवार का महॉल पसंद नही था.”

“असल मे मैं प्रीतम भैया की सौतेली बहन हूँ. भैया जब 8थ क्लास मे थे. तभी उनकी सग़ी माँ का देहांत हो गया था. उनकी माँ के देहांत के एक साल बाद, पापा ने मेरी माँ से शादी कर ली.”

“पापा के पास दौलत की कोई कमी नही थी. जिस वजह से नाना नानी ने मेरी मम्मी के अच्छे भविश्य की सोचते हुए, मेरी मम्मी के किसी की दूसरी पत्नी ना बनने की बात को भी नज़र अंदाज़ कर दिया था.”

“जिस समय पापा और मेरी मम्मी की शादी हुई. उस समय उनकी उमर मे भी बहुत अंतर था. तब पापा की उमर 40 साल और मम्मी की उमर 22 साल थी. भैया उस समय 9थ क्लास मे थे.”

“शादी के बाद, मम्मी ने पापा के उमर और उनकी दूसरी पत्नी कहलाने की बात से तो, समझोता कर लिया. लेकिन उसके बेटे को वो कभी अपना बेटा ना मान सकी और मेरे जनम होने के बाद तो, मेरे भैया की जिंदगी नरक से भी बदतर हो गयी.”

“उनके साथ भी वो ही सब ज़्यादतियाँ होने लगी. जो किसी की सौतेली माँ के आने पर उसके साथ होती है. इतने बड़े घर के बेटे होने के बाद भी, कभी कभी भैया दो सुखी रोटी खाने के लिए भी तरस जाया करते थे.”

“यहाँ तक कि यदि कभी भैया मम्मी की किसी बात की पापा से शिकायत करते तो, मम्मी भैया पर ही उल्टा सीधा इल्ज़ाम लगा कर, उन्हे पापा से जानवरों की तरह पिटवा दिया करती थी.”

ये कहते कहते, पायल की आँखें छलक गयी. मैं पहली ऐसी लड़की देख रहा था, जो अपने सौतेले भाई की, तरफ़दारी करने के लिए अपनी सग़ी माँ की बुराई कर रही थी. पायल की आँखों मे आँसू देख, कोयल ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा.

जिसे देख कर पायल ने अपने आपको संभाला और अपने आँसू पोन्छ्ते हुए, फिर से अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

पायल बोली “मेरे जनम के बाद, भैया की परेशानी इसलिए बढ़ गयी थी. क्योकि मेरे जनम के बाद, मेरी मम्मी सोचने लगी थी कि, यदि भैया ये घर छोड़ कर चले जाए तो, पापा की सारी जयदाद पर सिर्फ़ उनका और उनकी बेटी का अधिकार रह जाएगा.”

“इसी वजह से मेरे जनम के बाद, उन्हो ने भैया पर और भी ज़्यादा ज़ुल्म करना सुरू कर दिया था. मम्मी के इस ज़ुल्म से घबरा कर भैया भी घर छोड़ कर जाने की बात सोचने लगे थे.”

“लेकिन उन्हे ऐसा करने से कोयल भाभी रोक दिया करती थी. कोयल भाभी सुरू से ही हमारे पड़ोस मे रहती थी और सिर्फ़ ये ही एक ऐसी थी, जिनको देख कर भैया को लगता था कि, इस दुनिया मे उनका कोई अपना है.”

“भैया भाभी बचपन से ही अच्छे दोस्त थे. भाभी अपने घर वालों से छुप छुपा कर, भैया के लिए कुछ ना कुछ लाती रहती थी और जब कभी भैया को मार पड़ती तो, ये घंटों भैया के पास बैठ कर रोती रहती थी.”

“इन्हे सुरू से ही भैया से प्यार था. लेकिन अपने सुंदर ना होने की वजह से, इन्हो ने कभी भी अपने इस प्यार को भैया के सामने जाहिर नही किया था. मगर मन ही मन ये भैया को अपना सब कुछ मानती थी.”

“दूसरी तरफ मैं थी, जिसके जनम के बाद, भैया पर माँ के ज़ुल्म बढ़ गये थे. फिर भी भैया ने मुझसे कभी नफ़रत नही की थी. उन्हे मुझे खिलाने की तो दूर की बात थी, मुझे छुने तक की इजाज़त नही थी.”

“इसके बाद भी, जब कभी भैया को मौका मिलता, वो मुझे अपनी गोद मे उठा कर, घूमने चले जाते थे और इसके बदले मे वापसी पर मम्मी की ताने झिड़किया और पापा की मार खाते थे.”

“बस वक्त ऐसे ही गुज़रता जा रहा था. एक तरफ मम्मी की नफ़रत थी, जो एक पल भी भैया का घर मे रहना सहन नही कर पा रही थी तो, दूसरी तरफ भाभी की दोस्ती थी, जो उन्हे इस सब को सहने का हौसला दिला रही थी.”

“ऐसे ही चलते चलते भैया ने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली और अब वो पापा के साथ उनके बिज़्नेस मे हाथ बटाने की बात सोच रहे थे. उन्हो ने ये बात पापा के सामने रखी तो, पापा ने उनकी इस बात को मान लिया.”

“लेकिन मम्मी ने ये बात सुनते ही, सारे घर मे कोहराम मचा दिया. क्योकि अब पापा के साथ उनके बिज़्नेस को वो भी संभाल रही थी और उनको पापा के बिज़्नेस मे भैया का आना ज़रा भी पसंद नही आ रहा था.”

“मगर अब भैया भी अपने पैरों पर खड़े होने लायक हो चुके थे. उन्हो ने जिंदगी मे पहली बार मम्मी की इस बात से बग़ावत कर दी. लेकिन इस बार भी पापा ने मम्मी का ही साथ दिया.”

“जिस गुस्से मे, आख़िर इतने साल बाद, भैया अपने घर को छोड़ने के लिए मजबूर हो गये. उन्हो ने अपना समान उठाया और जैसे ही घर से जाने को हुए, उनके सामने मैं रखी लेकर खड़ी हो गयी.”

“भैया मेरे पैदा होने के बाद से ही, मुझसे अपनी कलाई पर रखी बंधवाने के लिए तरस रहे थे. लेकिन मम्मी ने कभी उन्हे मुझसे रखी बंधवाने नही दी थी और मुझे भी उन्हे रखी बाँधने नही देती थी.

“ऐसे मे जब भैया ने मेरे नन्हे नन्हे हाथों मे रखी देखी तो, उनके कदम खुद ब खुद रुक गये. उस दिन मैने पहली बार उनकी कलाई मे सिर्फ़ रखी ही नही बँधी, बल्कि उनके घर छोड़ कर जाने के इरादे को भी बदल दिया था.”

“अब भैया ने पापा के साथ बिज़्नेस करने के इरादे को छोड़ कर, नौकरी करने का मन बना लिया था और कुछ समय बाद, उनकी ये मेहनत भी रंग ले आई. उन्हे पोलीस मे नौकरी मिल गयी और वो ट्रैनिंग को चले गये.”

“वो जब अपनी पोलीस ट्रैनिंग करके वापस लौटे तो, उन्हो ने ये खबर भाभी को सुनाई. जिसे सुनकर भाभी बहुत खुश हुई और उन ने भी भैया को एक खबर सुनाई की, उनके घर वालों ने एक लड़का देखा और उसके साथ जल्दी ही अब उनकी शादी करने का सोच रहे है.”

“भाभी की शादी की बात सुनकर, भैया ने उन्हे ढेर सारी बधाई दी. भाभी भैया के मूह से अपनी शादी की बात सुनकर, उपर से मुस्कुराती रही. लेकिन दिल ही दिल मे बहुत रो रही थी.”

“उस समय तो भैया को उनकी शादी की बात सुनकर, बहुत खुशी हुई. लेकिन जब रात को उन्हो ने अकेले मे बैठ कर, भाभी की शादी के बारे मे सोचा तो, उनको लगा कि, जैसे उनका सब कुछ लूटा जा रहा है.”

“उस दिन भैया को अहसास हुआ की, जिसे वो सिर्फ़ दोस्ती समझते है. असल मे वो उनका भाभी के लिए प्यार है. ये बात समझ मे आते ही, उनके लिए सुबह तक का इंतजार कर पाना मुश्किल हो गया.”

“वो बड़ी बेचेनी से सुबह होने का इंतजार करने लगे. सुबह दूध देने वाला, दूध देने आया तो, वो भी उसके पिछे पिछे, भाभी के घर पहुच गये. भाभी ने उनको देखा तो, चौक गयी.”

“लेकिन इस से पहले की भाभी कुछ समझ पाती भैया उनके घर के अंदर थे. भैया को इस समय अपने घर मे देख कर, भाभी घबरा गयी. उस समय उनके घर के सब लोग उस समय सो रहे थे. इसलिए भाभी भैया को अपने कमरे मे ले आई.”

“भैया ने जब अपने दिल की बात भाभी को बताई तो, भाभी दिल ही दिल मे बहुत खुश हुई. मगर अपने सुंदर ना होने की वजह से, वो भैया के प्यार को अपनाने को तैयार नही हो रही थी. आख़िर मे उन्हे भैया की ज़िद के आगे झुकना ही पड़ गया और बचपन की दोस्ती प्यार मे बदल गयी.”

“भैया ने जब ये बात अपने घर मे बताई तो, इस बात को सुनकर, सबसे ज़्यादा खुशी मेरी मम्मी को हुई. क्योकि वो भैया के लिए ऐसी ही बहू चाहती थी और वो इस शादी के लिए फ़ौरन तैयार हो गयी.”

“लेकिन जब ये बात कोयल भाभी के घर वालों को पता चली तो, उन्हो ने इस शादी के लिए सॉफ मना कर दिया. क्योकि मेरी मम्मी का बर्ताव उन से छुपा नही था और वो किसी भी हालत मे भाभी को हमारे घर मे देना नही चाहते थे.”

“इस बात के पता चलते ही, वो जल्दी से जल्दी भाभी की शादी करने मे लग गये. लेकिन उनके कुछ कर पाने के पहले ही, भैया भाभी ने भाग कर शादी कर ली और मेरी मम्मी ने खुशी खुशी इस शादी को अपना लिया.”

“मेरी मम्मी की सोच थी कि, ऐसी लड़की से शादी करके, भैया को सबके सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा और भैया की जिंदगी कुछ ही दिन मे नरक से भी ज़्यादा बदतर हो जाएगी.”

“लेकिन इसका उल्टा ही हुआ, भाभी से शादी करने के बाद, भैया हमेशा खुश रहने लगे और भाभी अपने व्यवहार से सबका दिल जीतने लगी. मगर इस से भी बड़ा झटका मम्मी को तब लगा, जब भाभी ने एक प्यारे से बेटे को जनम दिया.”

“तब मम्मी को पापा की जयदाद का एक और हिस्सेदार नज़र आने लगा और अब वो भैया के साथ साथ भाभी को भी परेशान करने लगी. फिर एक दिन उन्हो ने ऐसी चाल चली, जिसने भैया भाभी को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया.”

“मम्मी ने पापा के सामने भैया पर ये इल्ज़ाम लगाया कि, भैया मम्मी के उपर बुरी नज़र रखते है और उन्हो ने पापा की गैर मौजूदगी मे मम्मी के साथ ज़बरदस्ती करने की कोसिस भी की है.”

“उस समय तक मैं थोड़ी बहुत समझदार हो चुकी थी. मैने पापा के सामने मम्मी के इस इल्ज़ाम को झुठलाया. लेकिन पापा ने मेरी एक भी बात नही सुनी और भैया भाभी को उसी समय घर से निकल जाने को रोक दिया.”

“भैया भाभी भी अपनी इस बेज़्जती को सह नही पाए और उन्हो ने उसी समय घर छोड़ दिया. मैं रोती रही और भैया भाभी को रोकती रही. मगर मम्मी ने मुझे मेरे कमरे मे बंद कर दिया.”

“उस दिन मुझे मेरी मम्मी से नफ़रत हो गयी और मैने उन से बात चीत बंद कर दी. भैया भाभी के घर से चले जाने से मम्मी के रास्ते का काँटा हट गया और वो पापा की गैर मौजूदगी मे उनके मॅनेजर के साथ घर मे ही अयाशी करने लगी.”

“मेरे मन मे मम्मी के लिए नफ़रत तो थी ही और मुझे अपने भैया भाभी की बेज़्जती का बदला भी लेना था. इसलिए एक दिन जब मम्मी अपने कमरे मे मॅनेजर के साथ थी, तभी मैने पापा को फोन करके बुला लिया.”

“मगर अभी तक मैं अपनी मम्मी की नीचता को सही तरीके समझ नही पाई थी. पापा ने आकर जब उन दोनो बहुत भला बुरा कहा और मम्मी को तलाक़ देने को कहा तो, उन दोनो ने पापा को कमरे मे बंद कर लिया.”

“वो इस बात से अंजान थे कि, ये सब खबर मैने पापा को दी है और मैं छुप कर उन दोनो की इस हरकत को देख रही हूँ. जब मैने उनको पापा को कमरे मे बंद करते देखा तो, मैं घबरा गयी.”

“मैने फ़ौरन भैया को फोन करके सारी बातें बता दी. लेकिन जब तक भैया घर आ पाते, तब तक मम्मी और मॅनेजर पापा का गला दबा कर, उनकी हत्या कर चुके थे. वो हत्या करते रंगे हाथ पकड़े गये और उन्हे उमर क़ैद हो गयी.”

“उस घर मे पापा की हत्या हुई थी और मुझे उस घर मे रहने से डर लग रहा था. इसलिए मैं भैया के साथ आ गयी. भैया ने वो घर बेच कर ये घर बनवा लिया और पापा की सारी जयदाद मेरे नाम करवा दी.”

“मुझे अपने पापा के मरने या मम्मी के जैल जाने का ज़रा भी दुख नही है. मैं अपने भैया भाभी के साथ बहुत खुश हूँ. मेरे भैया भाभी मुझे अपनी बेटी बना कर ही रखते है.”

“मेरे भैया भाभी के दो बच्चे है. लेकिन जब कभी कोई इनसे पुछ्ता है कि, इनके कितने बच्चे है तो, मेरे भैया भाभी हमेशा यही कहते है कि, इनके तीन बच्चे है. इन्हो ने ये कभी नही कहा कि, इनके दो बच्चे है.”

इतना कह कर पायल चुप हो गयी. लेकिन उसकी आख़िरी बात ने हम लोगों को भी उसकी बात की सच्चाई का यकीन दिला दिया था. क्योकि प्रीतम ने घबराहट मे होने के बाद भी, हम लोगों के सामने ये ही कहा था कि, उसके तीन बच्चे है.

मैं अभी प्रीतम की उस बात के बारे मे सोच ही रहा था कि, तभी पायल के चुप होते ही, कोयल ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

कोयल बोली “मेडम जी, हमारे घर मे भगवान का दिया हुआ, पहले से ही बहुत कुछ है. हमारे घर मे बेईमानी का एक पैसा भी नही आता. मेरे पति एक ईमानदार इनस्पेक्टर थे और पूरी ईमानदारी से अपना फ़र्ज़ निभाते थे.”

“आप उनकी बात पर यकीन करे या ना करे, लेकिन हम लोगों को पूरा यकीन है कि, उन्हे झूठे केस मे फसा कर, इनस्पेक्टर से सब-इनस्पेक्टर बनाया गया. इसके बाद भी वो अपने फ़र्ज़ को ईमानदारी से निभा रहे है.”

ये कहते कहते, कोयल की आँख छलक आई. लेकिन वाणी दीदी ने उठ कर, उसके आँसुओं को पोन्छ कर, पहली बार अपनी खामोशी को तोड़ते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मुझे आपके पति की ईमानदारी पर पूरा यकीन है. यदि ऐसा ना होता तो, मैं ना तो अपने परिवार के साथ आपके घर खाने पर आई होती और ना ही मैने आपके पति को अपने परिवार की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौपी होती.”

वाणी दीदी की ये बात सुनकर, सिर्फ़ कोयल और पायल ही नही, बल्कि हम सब भी उन्हे हैरानी से देखने लगे. कोयल ने वाणी दीदी की इस बात को सुनकर उनसे कहा.

कोयल बोली “यदि ऐसा है तो, फिर आपने एक सब-इनस्पेक्टर को अपना ड्राइवर क्यो बना दिया.”

कोयल की इस बात को सुनकर, वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “वैसे तो मेरे काम करने का अंदाज़ ऐसा है कि, मैं अपने दाएँ हाथ को खबर नही होने देती की, मेरा बाँया हाथ क्या करने वाला है. लेकिन आप इस बात से इतनी परेशान है तो, मैं अपने ऐसा करने की वजह आपको बता देती हूँ.”

“मेरे ऐसा करने की दो वजह है. पहली वजह तो ये है कि, चाहे बड़े हो या छोटे, मैं कभी किसी की बदतमीज़ी सहन नही करती. प्रीतम ने ये जानते हुए भी कि, मैं एक सीआइडी ऑफीसर हू, मेरे साथ बदतमीज़ी करने की ग़लती की थी. इसलिए उसे सबक सिखाना ज़रूरी हो गया था.”

वाणी दीदी की इस बात को सुनकर, कोयल ने थोड़ा सा मायूस होते हुए कहा.

कोयल बोली “और दूसरी वजह क्या थी.”

वाणी दीदी बोली “दूसरी वजह ये थी कि, मैं जानती थी, आपके पति एक ईमानदार ऑफीसर है और मैं एक ईमानदार ऑफीसर को अपने सामने बर्खास्त होते नही देख सकती थी. मैने आपके पति को अपना ड्राइवर बना कर, ना सिर्फ़ बर्खास्त होने से बचाया है, बल्कि उन्हे ऐसे आगे आने वाले बहुत से ख़तरों से भी दूर कर दिया है.”

“क्योकि आपके पति ईमानदार भले ही हो, मगर उनमे चालाकी ज़रा भी नही है. वो तो अभी तक ये भी नही पता कर पाए कि, उनके इनस्पेक्टर से सब-इनस्पेक्टर बनने के पिछे किसका हाथ था और उन्हे क्यों फसाया गया है.”

“ये हमारे देश की बिदम्बना है कि, कुछ सत्ता के लालची और बेईमान लोग, हमें अच्छे दिनो का लालच दिखा कर, सत्ता हथिया लेते है. हमारे अच्छे दिन तो नही आते, लेकिन हम ज़रूर लंबी क़तारों मे लगे, कभी इंसाफ़ के लिए तो, कभी अपने हक़ के लिए भीख माँगते नज़र आते है.”

“इसके बाद भी हमारी आँख नही खुलती और हम उन्ही बेईमान लोगों के हाथों की कठपुतलियाँ बन कर, उनके लिए अपना भले चाहने वालों का ही बुरा करने लगते है. ऐसा ही कुछ बुरा यहाँ की जनता ने, एक सीबीआइ ऑफीसर के साथ भी कर दिया. जिसकी आँच मे आपके पति भी झुलस गये है.”

“मैं यहाँ सिर्फ़ स्कूल स्टूडेंट भारती के गॅंग-रेप के केस को सुलझाने नही आई हूँ. बल्कि मुझे यहाँ सीआइडी और सीबीआइ की एक संयुक्त टीम का हेड बना कर, ऐसे ही बहुत से केसस का पर्दाफास करने के लिए भेजा गया है.”

“इसलिए अभी आप अपने पति के उसी काम मे खुश रहिए, जो मैने उनको दिया है और मेरी इस बात पर यकीन रखिए कि, मैं यहाँ से हर साज़िश का पर्दाफाश करके ही नही जाउन्गी, बल्कि आपके पति की, इनस्पेक्टर की वर्दी और उनका खोया हुआ मान सम्मान भी उन्हे वापस दिलवा कर जाउन्गी.”

वाणी दीदी की ये बात सुनकर, कोयल और पायल दोनो के चेहरे की मुस्कान वापस आ गयी. वहीं हम सबके चेहरे पर पहले से भी ज़्यादा हैरानी के भाव आ गये. निशा भाभी ने धीरे से मेरे कान मे कहा.

निशा भाभी बोली “तुम्हारी ये भोली भाली सी गुड़िया दिखने वाली दीदी तो, एक आफ़त की पूडिया है. पता नही, अब ये किस किस की बॅंड बजाने वाली है.”

निशा भाभी की बात सुनकर, मेरी हँसी छूट गयी और मैने मुस्कुराते हुए, धीरे से कहा.

मैं बोला “आगे का तो पता नही, लेकिन अभी तो बस एक की ही बॅंड बजने के आसार दिख रहे है.”

ये कहते हुए मैने मेहुल की तरफ इशारा कर दिया. वो बड़ी हसरत भरी नज़र से डाइनिंग टेबल पर सजे खाने को निहार रहा था. उसे देख कर, निशा भाभी की भी हँसी छूट गयी.

हम दोनो को हंसते देख कर, बरखा दीदी निशा भाभी से इसकी वजह पुछ्ने लगी और निशा भाभी उन्हे इसकी वजह बताने लगी. तभी प्रीतम मीठा लेकर आ गया. लेकिन वो कुछ घबराया हुआ सा लग रहा था. वाणी दीदी ने उसे घबराया हुआ सा देखा तो, उस से कहा.

वाणी दीदी बोली “मिस्टर. प्रीतम, आप ठीक तो है ना. आपके चेहरे के 12 क्यो बजे हुए है.”

वाणी दीदी की बात सुनकर, प्रीतम ने अपने आस पास के सभी लोगों पर नज़र डाली और फिर अपने घबराहट की वजह बताते हुए कहा.

प्रीतम बोला “मेडम, अभी कुछ देर पहले गौरंगा के दो आदमियों ने पोलीस कमिशनर साहब पर हमला कर दिया है. जिस वजह से कमिशनर ऑफीस मे अफ़रा तफ़री का महॉल बना हुआ है.”

प्रीतम की बात सुनकर, वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “अरे तो इसमे इतना घबराने की ज़रूरत क्या है. बड़े बड़े केसस मे हाथ डालने पर, ऐसी छोटी मोटी वारदात तो होती ही रहती है. आप इस सब की फिकर मत कीजिए और आराम से बैठ कर खाना खाइए.”

“आपका खाना ख़तम होने के पहले ही, मेरी टीम के लड़के, उन दोनो को पकड़ कर, पोलीस कमिशनर के हवाले कर देगे. लेकिन सुना है कि, लाशें कभी कुछ बोला नही करती है.”

ये कह कर, हंसते हुए, वाणी दीदी ने खाना सुरू कर दिया. उन्हे खाना खाते देख, हम सबने भी खाना खाना सुरू कर दिया. मगर सभी किसी ना किसी गहरी सोच मे खोए हुए से लग रहे थे.
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09-11-2020, 11:57 AM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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वहीं दूसरी तरफ वाणी दीदी की इस बात को सुनकर, मेरे मन मे भी एक सवाल गूंजने लगा था कि, कहीं पोलीस कमिशनर के उपर इस हमले के पिछे वाणी दीदी का हाथ ही तो, नही है.

मैं अभी अपनी इसी उधेड़ बुन मे लगा था कि, तभी निशा भाभी ने मुझे कोहनी मारते हुए, धीरे से कहा.

निशा भाभी बोली “कहीं पोलीस कमिशनर पर हमला वाणी ने ही तो नही करवाया.”

निशा भाभी की इस बात ने मुझे चौका दिया. क्योकि मैं तो खुद अभी यही बात सोच रहा था. मैने भी धीरे से निशा भाभी की इस बात के जबाब मे उन से कहा.

मैं बोला “भाभी, मेरे मन मे भी अभी ये ही सवाल आ रहा था. दीदी की बात से तो, ऐसा ही लग रहा है कि, जैसे क्या हुआ है और क्या होने वाला है. उन्हे सब कुछ पहले से ही पता है. फिर भी यदि उन दोनो हमला करने वालों की लाश पोलीस को मिलती है तो, फिर हमे ये ही मानना पड़ेगा कि, इसके पिछे इन्ही का हाथ था.”

हम दोनो आपस मे बात करने मे लगे थे. तभी कोयल की आवाज़ सुनकर, हमारा ध्यान उसकी तरफ चला गया. कोयल ने मेहुल को खाना खाते नही देखा तो, उसने मेहुल से कहा.

कोयल बोली “भैया, आप क्यो चुप चाप बैठे है. आप भी खाना खाइए ना.”

कोयल की बात सुनते ही, हम सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. वहीं मेहुल ने बुरा सा मूह बनाते हुए कहा.

मेहुल बोला “नही भाभी, आज सुबह से मेरा पेट सही नही है. इसलिए आज मैं कुछ नही खाउन्गा.”

लेकिन कोयल उस से कुछ ना कुछ खा लेने की ज़िद करती रही और मेहुल उन्हे मना करता रहा. मगर वो बार बार वाणी दीदी की तरफ इस उम्मीद से ज़रूर देख रहा था कि, शायद कोयल की बात सुनकर ही, उनका दिल पिघल जाए और वो उसे खाना खाने के लिए कह दे.

लेकिन वाणी दीदी ने ऐसा कुछ भी नही किया तो, मेहुल की भी कुछ खाने की हिम्मत नही हुई. वो सिर्फ़ सबको खाना खाते देखने के सिवा कुछ ना कर सका. अभी हमारा खाना चल ही रहा था की, तभी प्रीतम का कॉल आ गया.

वो फोन पर बात करने लगा और बात ख़तम होते ही, उसने हमें बताया कि, जिन दो लोगों ने पोलीस कमिशनर पर हमला किया था. उन्हे सीआइडी ने मार गिराया है और उनकी लाश पोलीस कमिशनर को सौंप दी गयी है.

लेकिन प्रीतम की इस बात को सुनने के बाद भी, वाणी दीदी ऐसे खाना खाती रही. जैसे की कुछ हुआ ही ना हो. अब मेरा शक़ पूरी तरह से यकीन मे बदल गया था कि, ये सब वाणी दीदी का ही किया हुआ है.

मगर मेरी समझ मे ये नही आ रहा था कि, वाणी दीदी ने ये सब क्यों किया है. ये ही सब बातें सोचते सोचते, सबके साथ साथ मेरा भी खाना खाना हो गया. खाना खाने के बाद, हम सब कोयल और पायल से वापस जाने की इजाज़त लेने लगे.

कोयल और पायल दोनो हमें घर के बाहर तक छोड़ने आई. हम बाहर आए तो, वहाँ सीआइडी ऑफीसर अनिरूद्धा खड़ा था. वाणी दीदी ने उसे अकेले मे कुछ बात की और फिर हमारे पास आकर, छोटी माँ से कहा.

वाणी दीदी बोली “मौसी, मुझे एक ज़रूरी काम से जाना है. आप लोग अनिरूद्धा और प्रीतम के साथ हॉस्पिटल जाइए, तब तक मैं भी अपना काम निपटा कर आती हूँ.”

वाणी दीदी को अकेले जाते देख कर, छोटी माँ को उनकी चिंता होने लगी. लेकिन वो ये बात वाणी दीदी से सीधे सीधे नही कह पा रही थी. इसलिए उन्हो ने अपनी बात को घूमाते हुए, वाणी दीदी से कहा.

छोटी माँ बोली “बेटा, तू हमारी फिकर मत कर और इनको अपने साथ ही ले जा. हम लोग प्रीतम के साथ हॉस्पिटल चले जाएगे.”

लेकिन वाणी दीदी छोटी माँ की इस बात का मतलब समझ गयी थी. इसलिए उन्हो ने मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मौसी आप मेरी ज़रा भी फिकर मत कीजिए. जब तक आपका आशीर्वाद मेरे साथ है. तब तक मुझे कुछ नही हो सकता. हां आपकी कार को ज़रूर थोड़ी बहुत खरोंच आ सकती है.”

ये कह कर, वाणी दीदी हंसते हुए, छोटी माँ की कार मे हमारी नज़रों से ओझल हो गयी. उनकी बातों से छोटी माँ के चेहरे पर मुस्कुराहट ज़रूर आ गयी थी. लेकिन उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें भी सॉफ देखी जा सकती थी.

वाणी दीदी के जाते ही, अमि, निमी कीर्ति और छोटी माँ प्रीतम के साथ और मैं, बरखा दीदी, निशा भाभी और मेहुल अनिरूद्धा के साथ गाड़ी मे बैठ कर, हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े.

रास्ते मे निशा भाभी को शरारत सूझी और वो बरखा दीदी ने कोयल के बनाए खाने की तारीफ करने लगी. मेहुल निशा भाभी की इस शरारत को समझ गया था. उसने पलट कर उन्हे देखते हुए कहा.

मेहुल बोला “भाभी, यहा मेरी भूख के मारे जान निकली जा रही है और आपको मज़ाक सूझ रहा है. मैं तो वाणी दीदी के गुस्से से बचने के लिए कल मामा के घर भाग रहा था. लेकिन इसकी और कीर्ति की बात सुनकर, यहाँ रुक गया और अब यहाँ रुकने का नतीजा भी भोग रहा हूँ.”

मेहुल की ये बात सुनकर, मैं उसे कुछ बकने ही वाला था कि, तभी बरखा दीदी ने मेरी तरफ़दारी करते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “अरे, तुम इस सब का दोष इसे क्यो दे रहे हो. ये सब तो तुम्हारी खुद की ग़लती से हुआ है. तुमने उनसे झूठ क्यो कहा था.”

मेहुल बोला “अरे मुझे लगा था कि, अमि निमी मेरे इस झूठ मे मेरा साथ देगी. इसलिए मैने बिना किसी डर के वाणी दीदी से झूठ बोल दिया.”

मेहुल की इस बात पर बरखा दीदी को कुछ हैरानी हुई और उन्हो ने मेहुल से पुछा.

बरखा दीदी बोली “लेकिन तुमको ये ग़लतफहमी क्यो हो गयी थी कि, वो दोनो इस झूठ मे तुम्हारा साथ देगी.”

मेहुल बोला “दीदी, मुझे कोई ग़लतफहमी नही हुई थी. उन दोनो ने ही परसो मुझसे कहा था कि, वाणी दीदी ने उनको बहुत परेशान किया है. अब हम सब मिल कर वाणी दीदी को सबक सिखाएगे. अब मुझे क्या पता था कि, वो दोनो चुर्की मुरकी इतनी जल्दी पाला बदल लेगी.”

मेहुल की इस बात को सुनकर, निशा भाभी और बरखा दीदी हँसने लगी. लेकिन मैने निमी का बचाव करते हुए, बरखा दीदी से कहा.

मैं बोला “दीदी, निमी के इसका साथ ना देने मे भी इसकी ही ग़लती है. आपको याद होगा कि, इसने निमी को मोटी कहा था और उसने रोना सुरू कर दिया था. निमी मोटी कहने पर चिढ़ती है. इसके बाद भी इसने उसे मोटी कह कर नाराज़ कर दिया था. जिसका बदला निमी ने इसके झूठ मे साथ ना देकर और इसे मोटू कह कर निकाल लिया.”

मेरी बात सुनकर, एक बार फिर बरखा दीदी और निशा भाभी की हँसी गूँज उठी. निशा भाभी ने मेहुल को फिर से छेड़ते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “तुम कुछ भी कहो. लेकिन निमी के तुम्हारे साथ ना देने से तुम्हारा भला ही हुआ है. अब तो वाणी तुम्हारी शादी पक्की करवा कर ही दम लेगी.”

निशा भाभी की इस बात पर मेहुल ने चिड़चिड़ाते हुए कहा.

मेहुल बोला “क्या भाभी, क्या वाणी दीदी मेरी खिचाई करने के लिए कम थी, जो आप भी सुरू हो गयी. शिल्पा ने तो वाणी दीदी की आवाज़ सुनकर, ऐसे मोबाइल बंद किया है कि, अभी तक उसका मोबाइल बंद है.”

“वाणी दीदी को अभी आप अच्छे से जानती नही है. यदि वो धोखे से भी शिल्पा के घर चली गयी तो, शादी पक्की होना तो दूर की बात है. शिल्पा के सर से प्यार का भूत भी उतर जाएगा.”

“उपर से ये सारा लफडा मम्मी के सामने हुआ है. अब वो अलग घर जाकर मेरी खिचाई करेगी और मुझसे ये जानने की कोसिस करेगी कि, मुझे कॉल करने वाली वो लड़की कौन थी. वाणी दीदी की वजह से तो, अब मेरा जीना ही हराम होने वाला है.”

मेहुल की बात सुनकर, निशा भाभी ने उसे दिलासा देने की गरज से कहा.

निशा भाभी बोली “तुम्हारी ये बात तो बिल्कुल सही है. मुझे तो उन मुजरिमो से कहीं ज़्यादा इस वाणी से डर लग रहा है. ये तो गाजर मूली की तरह लोगों को काट देती है और अपने आगे किसी को कुछ नही समझती है.”

“ये हर पल ऐसे झटके दे रही है कि, यदि हमारीी जगह कोई कमजोर दिल वाला इसके साथ होता तो, उसे पता नही, अब तक कितनी बार दिल का दौरा पड़ गया होता. इसके साथ सुरक्षित रहने से अच्छा तो, मुजरिमो के चंगुल मे फसे रहना है.”

निशा भाभी की ये बात सुनकर, हम सबकी हँसी छूट गयी. ऐसे ही हँसी मज़ाक करते करते हम हॉस्पिटल पहुच गये. हॉस्पिटल मे अनुराधा मौसी, रिचा आंटी और मोहिनी आंटी तीनो बैठी बातें कर रहे थी.

हम सब भी उन्ही के पास जाकर बैठ गये. निशा भाभी लोगों को यहाँ आए, बहुत देर हो चुकी थी और वो जब से आई थी, तब से ही हमारे साथ ही लगी हुई थी. इसलिए छोटी माँ उनसे घर चल कर, आराम करने की बात कहने लगी.

निशा भाभी को भी छोटी माँ की ये बात सही लगी. उन्हो ने एक बार चंदा मौसी को देख लेने की बात कह कर, घर चलने की सहमति दे दी. इसके बाद, वो चंदा मौसी को देखने चली गयी.

निशा भाभी के चंदा मौसी के पास जाने के बाद, छोटी माँ बरखा दीदी से बात करने लगी. मैं कीर्ति को यहाँ वहाँ देखने लगा. वो मुझे सबसे अलग थलग बैठी, अख़बार पढ़ती नज़र आई.

मैं जाकर उसके पास बैठ गया. उसके हाथ मे आज का अख़बार देख कर, मुझे याद आया कि, आज बुधवार (वेडनेसडे) है. ये बात याद आते ही, मैने उस से अख़बार ले लिया और उस मे तृप्ति की रचना तलाशने लगा.

कीर्ति मेरी इस हरकत को हैरानी से देखने लगी. तभी मुझे तृप्ति की रचना दिखाई दे गयी. उसकी आज की रचना का शीर्षक “ज़रुरू तो नही” था. मैं उसकी ये रचना पढ़ने लगा.
“ज़रूरी तो नही”

“उनको भी मुझसे मोहब्बत हो ज़रूरी तो नही.
एक सी दोनो की ही हालत हो ज़रूरी तो नही.

दिल की चाहत तो कई ख्वाब जगा देती है,
हां मगर साथ मे किस्मत हो ज़रूरी तो नही.

मेरी तनहाईयाँ करती हैं जिन्हे याद सदा,
उनको भी मेरी ज़रूरत हो ज़रूरी तो नही.

वो वादा करके भूल जाया करते है.
भूलना मेरी भी फ़ितरत हो ज़रूरी तो नही.

मुस्कुराने से भी हो जाते है बयान दिल के गम,
मुझको रोने की भी आदत हो ज़रूरी तो नही.

उनके पहलू मे ही दम तोड़े “तृप्ति.”
पूरी मेरी ये हसरत हो ज़रूरी तो नही.”

तृप्ति की इस रचना को पढ़ कर, एक बार फिर मेरी आँखों के सामने प्रिया का भोला भाला चेहरा घूमने लगा. इस रचना की हर पंक्ति मुझे प्रिया के दिल का हाल कहती, नज़र आ रही थी.

मेरे साथ साथ कीर्ति भी इस रचना को पढ़ रही थी. इस रचना को पढ़ने के बाद, उसने मुझसे मेरा मोबाइल माँगा और फिर उसमे से प्रिया का एक एस एम एस खोल कर मेरे सामने रख दिया. मैं प्रिया का एस एम एस देखने लगा.

प्रिया का एस एम एस
“वादा करके निभाना उनकी आदत हो ज़रूरी तो नही.
भूल जाना मेरी फ़ितरत हो ज़रूरी तो नही.
मेरी तनहाईयाँ करती है जिन्हे याद सदा,
उनको भी मेरी ज़रूरत हो ज़रूरी तो नही.”

प्रिया का वो एस एम एस तृप्ति की रचना से काफ़ी मिलता जुलता दिख रहा था. लेकिन मैं कीर्ति की इस बात का मतलब समझ नही पाया और हैरानी से उसकी तरफ देखने लगा. मुझे इस तरह हैरान देख कर, कीर्ति ने मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “क्या तुम्हे इस रचना और प्रिया के एस एम एस मे कुछ खास दिखाई दिया.”

मैं बोला “हां, प्रिया के एस एम एस की लाइन इस रचना से बहुत कुछ मिलती जुलती है. लेकिन तू कहना क्या चाहती है.”

कीर्ति बोली “मुझे लगता है कि, कहीं प्रिया ही तो तृप्ति नही है.”

मैं बोला “तू पागल हो गयी है क्या. अख़बार मे छपि रचना को, कोई भी भेज सकता है.”

कीर्ति बोली “तुम्हारा कहना सही है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि, किसी रचना के छपने के पहले ही, कोई कैसे उसकी लाइन भेज सकता है.”

कीर्ति की इस बात को सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “तू सच मे पागल हो गयी है. तुझे आज कल हर बात के पिछे प्रिया ही नज़र आती है. अरे ये भी तो हो सकता है कि, ये रचना इसके पहले किसी दूसरे अख़बार मे छपि हो और प्रिया ने उसी मे से पढ़ कर इसको भेजा हो.”

मेरी ये बात सुनकर, कीर्ति कुछ सोचने लगी और मैं मुस्कुराते हुए, उसे देखने लगा. मैं कीर्ति के चेहरे को देखने मे खोया हुआ था कि, तभी चिल्लाने की आवाज़ सुनकर, हम दोनो चौक गये और छोटी माँ की तरफ देखने लगे.

छोटी माँ के पास पापा और मौसा जी खड़े थे. पापा किसी बात को लेकर छोटी माँ पर गुस्सा कर रहे थे. मुझे ये समझते देर ना लगी कि, वो यहाँ हुए हादसे की खबर ना देने के उपर से छोटी माँ पर गुस्सा कर रहे है.

ये बात समझ मे आते ही, मैं उठ कर उनके पास जाने को हुआ. लेकिन कीर्ति ने मेरा हाथ पकड़ कर, मुझे वापस बैठते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अभी वहाँ पर निशा भाभी और बरखा दीदी भी है. तुम वहाँ जाकर गुस्से मे कोई नया हंगामा खड़ा मत कर देना. तुम फिकर मत करो, मौसा जी के साथ पापा भी है. पापा सब संभाल लेगे.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं छोटी माँ के पास जाने से रुक गया. उधर मौसा जी पापा को समझाने की कोसिस कर रहे थे. लेकिन पापा फिर भी छोटी माँ पर गुस्से किए ही जा रहे थे.

निशा भाभी और बरखा दीदी के सामने, पापा के छोटी माँ पर चिल्लाने से मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था. मैं ज़्यादा देर तक ये सब ना देख सका और छोटी माँ के पास जाने के लिए उठ कर खड़ा हो गया.

लेकिन तभी वहाँ वाणी दीदी पहुच गयी. उन्हो ने पापा को छोटी माँ पर गुस्सा होते देखा तो, वो पापा का हाथ पकड़ कर, उन्हे पास बने कमरे मे ले गयी. अब उन दोनो को कोई नही देख पा रहा था.

लेकिन मैं और कीर्ति उस कमरे के सामने ही बैठे थे. इसलिए वो दोनो हमें सॉफ सॉफ नज़र आ रहे थे. उस कमरे मे जाने के बाद, पापा की वाणी दीदी से भी कुछ ज़्यादा ही बहस होने लगी.

पहले तो वाणी दीदी पापा से बराबरी से बहस करती नज़र आ रही थी. लेकिन फिर अचानक ही, उन्हो ने गुस्से मे अपनी रेवोल्वेर निकाल कर, पापा के मूह मे ठूंस दी और उन्हे कुछ धमकी देने लगी.

जिसे सुनने के बाद, पापा के पसीने छूट गये. कुछ देर तक वाणी दीदी बोलती रही और पापा सुनते रहे. फिर उन्हो ने पापा के मूह से अपनी रेवोल्वेर निकाल ली और पापा से कुछ कहा. जिसके बाद, पापा अपनी जेब से रुमाल निकाल कर, पसीना पोछ्ने लगे.

पापा के पसीना पोंच्छ लेने के बाद, वाणी दीदी और पापा बाहर आ गये. बाहर आने के बाद, वाणी दीदी तो मुस्कुरा रही थी. लेकिन पापा के चेहरे की मुस्कुराहट गायब थी और वो सबके पास आकर, मौसा जी के साथ वापस लौट गये.

उनके जाते ही, मैं और कीर्ति भी सबके पास आ गये. जब हम सबके पास पहुचे तो, वाणी दीदी सबको पापा के बारे मे बता रही थी.

वाणी दीदी बोली “बड़े मौसा जी (कीर्ति के पापा) ने मौसा जी (पापा) को कॉल करके यहाँ के हादसे के बारे मे बताया था. जिस वजह से उन्हे यहाँ की चिंता होने लगी थी और वो अपनी ज़रूरी मीटिंग छोड़ कर यहाँ भागते हुए आ गये थे.”

“इसी वजह से वो सब पर इतने गुस्से मे थे. लेकिन मैने उन्हे यहाँ सब कुछ ठीक होने का विस्वास दिला दिया है और अब वो किसी बात पर, किसी से गुस्सा नही है. वो यहाँ से बेफिकर होकर, अपनी मीटिंग पूरी करने वापस चले गये है.”

वाणी दीदी की बात सुनकर, सबने राहत की साँस ली. लेकिन वाणी दीदी के सबसे कहे गये, आधे सच और आधे झूठ को मैं और कीर्ति अच्छी तरह से जानते थे. इसलिए हम दोनो के चेहरे पर राहत के कोई भाव नही थे.

वाणी दीदी अभी पापा से हुई झूठी सच्ची बता रही थी कि, तभी निशा भाभी का मोबाइल बजने लगा. वो सबको बात करता छोड़ कर, मोबाइल पर बात करने हम से दूर चली गयी.

लेकिन जब वो हमारे पास वापस आई तो, वो बहुत ज़्यादा घबराई हुई सी लग रही थी. उन्हे घबराया हुआ देख कर, हम सबका मन भी किसी आशंका से भर गया. निशा भाभी ने हमारे पास आते ही, छोटी माँ से कहा.

निशा भाभी बोली “सॉरी आंटी, मुझे और बरखा को अभी ही मुंबई वापस लौटना होगा. वहाँ अचानक ही प्रिया की तबीयत खराब हो गयी है.”

निशा भाभी की ये बात सुनते ही, मोहिनी आंटी ने घबराते हुए कहा.

मोहिनी आंटी बोली “मेरी प्रिया को क्या हुआ. मैं तो उसे अच्छा भला छोड़ कर आई थी.”

मोहिनी आंटी की इस बात के जबाब मे निशा भाभी ने कहा.

निशा भाभी बोली “आंटी, अभी मुझे खुद भी सही से कुछ नही मालूम है. अभी अभी मेरे पास अमन का कॉल आया था. उसने ही बताया कि, प्रिया अचानक कोमा मे चली गयी है.”

“उसे लेकर, इस समय वहाँ सभी परेशान है. इसलिए अमन ने मुझे वहाँ फ़ौरन लौट आने को कहा है. अब प्रिया को क्या हुआ है. ये बात तो हमें वहाँ पहुचने पर ही पता चल सकेगी.”

निशा भाभी की इस बात ने, मेरे साथ साथ वहाँ खड़े, सभी लोगों के पैरों के नीचे की ज़मीन खिसका दी थी. प्रिया के कोमा मे चले जाने की बात ने, एक ही पल मे हम सबके दिल और दिमाग़ को हिला कर रख दिया था.
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09-11-2020, 11:57 AM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
203
मेरे लिए प्रिया क्या थी, ये तो मैं खुद भी नही जानता था. मैं बस इतना जानता था कि, उसे खुश देख कर, मुझे खुशी होती थी और उसे किसी दर्द मे देख कर, मुझे उस से भी कहीं ज़्यादा दर्द होने लगता था.

ऐसा ही कुछ अभी भी मेरे साथ हो रहा था. प्रिया के कोमा मे जाने की बात सुनते ही, मेरी आँखों मे प्रिया का हंसता मुस्कुराता चेहरा घूमने लगा और मुझे ऐसा लगने लगा, जैसे की उसकी ये मुस्कुराहट मुझसे दूर जा रही हो.

इस बात का अहसास होते ही, मेरी आँखों मे आँसू झिलमिलाने लगे. कीर्ति मेरे पास ही खड़ी थी. उसने जब मेरी आँखों मे झिलमिलाते आँसुओं को देखा तो, मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अपना दिल छोटा मत करो, प्रिया को कुछ भी नही होगा. वो जल्दी ही ह्यूम पहले की तरह हँसती मुस्कुराती नज़र आएगी. लेकिन अभी तुम मुंबई कॉल लगा कर बात कर लो. तुम्हारे बात करने से उन लोगों को भी कुछ हौसला मिलेगा.”

मुझे कीर्ति की ये बात सही लगी और मैने मुंबई कॉल लगाने के लिए अपना मोबाइल निकाला. लेकिन तभी मेरे मोबाइल पर शिखा दीदी का कॉल आने लगा. मेरे कॉल उठाते ही, शिखा दीदी ने घबराते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “भैया, आप ठीक तो है ना, वहाँ सब ठीक तक तो है ना. आपको कहीं कोई चोट तो नही आई.”

शिखा दीदी बहुत घबराई हुई लग रही थी और उन्हो ने एक ही साँस मे मुझसे ढेर सारे सवाल कर डाले थे. उनको घबराया हुआ देख कर, मैने उनको दिलाषा देने की नियत से कहा.

मैं बोला “दीदी, आप ज़रा भी परेशान मत होइए. मुझे कहीं कोई चोट नही आई है और बाकी सब भी यहाँ पूरी तरह से ठीक है. यहाँ किसी को भी कोई चोट नही आई है.”

लेकिन मेरी आख़िरी बात सुनते ही, शिखा दीदी ने मेरी बात को काटते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “भैया, मुझे झूठा दिलाषा दिलाने की कोसिस मत कीजिए. मैने टीवी पर वहाँ की सारी न्यूज़ देखी है और मुझे पता है कि, आपको बचाते हुए, किसी महिला को गोली लगी है.”

“मैं ये भी अच्छी तरह से जानती हूँ कि, निशा दीदी और बरखा आपके पास ही गयी है. आप सब ने मुझसे इस हादसे के बारे मे छुपा कर, ज़रा भी अच्छा नही किया. क्या मुझे इस मुसीबत की घड़ी मे भी, आपके पास रहने का कोई हक़ नही है.”

इतना कह कर, शिखा दीदी ने रोना सुरू कर दिया. उन्हे रोते देख कर, मैने उन्हे समझाने की कोसिस करते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, प्लीज़ आप रोना बंद कीजिए. मुझे बस इसी बात का डर था कि, आप इस खबर को सुन कर, घबरा जाएगी और फिर सूरत नही जा पाएगी. मैं आपको खुशी खुशी अपनी ससुराल मे कदम रखते देखना चाहता था.”

“इसलिए मैने ही निशा भाभी को अपनी कसम देकर, आप सबको ये बात बताने से रोक दिया था. इसमे निशा भाभी या किसी का कोई दोष नही है. मैं सच मे बिल्कुल ठीक हूँ. यदि आपको मेरी बात पर यकीन नही है तो, आप बरखा दीदी से पुछ लीजिए.”

ये कहते हुए मैने बरखा दीदी को मोबाइल थमा दिया. बरखा दीदी ने कॉल पर आते ही, शिखा दीदी से कहा.

बरखा दीदी बोली “दीदी, आप पुनीत की बिल्कुल फिकर मत कीजिए, वो बिल्कुल ठीक है. इस हादसे मे उसकी मौसी घायल हुई है. मैं निशा दीदी के साथ, उन्ही को देखने यहाँ आई थी और अब उसकी मौसी भी ख़तरे से पूरी तरह से बाहर है.”

लेकिन बरखा दीदी की बात सुनकर भी, शिखा दीदी कुछ समझने को तैयार नही थी और रोते हुए, बरखा दीदी को ही उल्टा सीधा बोलने लगी. वो बेचारी किसी की बात को समझती भी तो, कैसे समझती.

अपने एक भाई को तो, वो पहले ही एक हादसे मे खो चुकी थी और ऐसे मे जब उन्हे मुझ मे अपना भाई नज़र आने लगा था तो, मेरी जान पर भी हमला हो गया था. यही एक बात उन्हे किसी की कोई बात समझने नही दे रही थी.

जब बरखा दीदी उन्हे समझा कर हार गयी तो, उन्हो ने वापस मुझे मोबाइल थमा दिया. मैने मोबाइल लिया तो, मुझे फिर शिखा दीदी के रोने की आवाज़ सुनाई देने लगी. ऐसे मे मुझे उन्हे चुप करने का सिर्फ़ एक ही रास्ता दिखाई दिया और मैने उसी रास्ते को अपनाते हुए सीखा दीदी ने कहा.

मैं बोला “दीदी, प्लीज़ आप रोना बंद कीजिए, आपको मेरी कसम है. मैं यहा बिल्कुल ठीक हूँ. वाणी दीदी ने मुझ पर हमला करने वाले सभी मुजरिमो को पकड़ लिया है और अब मुझे यहाँ किसी बात का कोई ख़तरा नही है.”

मेरी कसम ने शिखा दीदी के उपर असर दिखाया और उनका रोना थम गया. लेकिन अब उन्हो ने मेरे पास आने की, ज़िद करते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “ठीक है, मैं नही रोती. लेकिन आपको देखे बिना मुझे चैन नही आएगा. इसलिए मैं अभी वहाँ आ रही हूँ.”

मुझे शिखा दीदी के यहा आने से कोई परेशानी नही थी. लेकिन इस समय प्रिया की तबीयत खराब होने की वजह से मुझे शिखा दीदी का उसके पास जाने की जगह, मेरे पास आना कुछ ठीक नही लग रहा था. मैने अपनी इसी बात को उनके सामने रखते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, आपके यहाँ आने से बाद कर, मेरे लिए और क्या खुशी की बात हो सकती है. लेकिन शायद आपको पता नही है की, अभी अचानक प्रिया की तबीयत बहुत ज़्यादा खराब हो गयी है.”

“निशा भाभी और बरखा दीदी भी इसी वजह से थोड़ी ही देर मे वापस मुंबई के लिए निकलने वाली है. ऐसे मे मुझे आपका प्रिया के पास जाने की जगह मेरे पास आना कुछ ठीक सा नही लग रहा है.”

लेकिन शिखा दीदी ने मेरी इस बात को बीच मे ही काटते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “मुझे निक्की से प्रिया की हालत का पता चल चुका है. मैं भी प्रिया के पास जा रही हूँ. लेकिन उसके पास जाने से पहले, एक बार मैं आपको सही सलामत देख कर, तसल्ली कर लेना चाहती हूँ.”

शिखा दीदी की इस बात के बाद, मेरे पास उनको समझाने के लिए कुछ नही था. इसलिए मैने उन से निशा भाभी से बात करने को कह कर, मोबाइल निशा भाभी की थमा दिया. उन्हो ने शिखा दीदी को समझाते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “शिखा, मैं जो कह रही हूँ, उसे समझने की कोसिस करना. मैं तुमको यहा पुनीत के पास आने से रोकना नही चाहती हूँ. लेकिन तुमको इस बात को समझना होगा कि, अभी प्रिया की तबीयत सही नही है.”

“तुम ये भी अची तरह से जानती हो कि, प्रिया का जो ब्लड ग्रूप है. उस ग्रूप का ब्लड कितनी मुश्किल से मिलता है. प्रिया और आरू का ब्लड ग्रूप एक ही है. लेकिन इस समय आरू तुम्हारे साथ है.”

“ऐसे मे यदि प्रिया को अचानक ही, किसी वजह से ब्लड देने की ज़रूरत पड़ गयी तो, उसके लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी. इसलिए इस समय तुम लोगों का यहाँ आने से ज़्यादा ज़रूरी, प्रिया के पास पहुचना है.”

“अब यदि ये सब जानने के बाद भी, तुम प्रिया के पास जाने की जगह यहाँ आना चाहती हो तो, मैं तुमको यहाँ आने से बिल्कुल नही रोकूगी. तुम जो भी करना ठीक समझो, तुम वो कर सकती हो.”

निशा भाभी की इस बात ने शिखा दीदी के दिल पर तीर की तरह असर किया और वो यहाँ आने की जगह, मुंबई जाने के लिए तैयार हो गयी. शिखा दीदी से बात होने के बाद, निशा भाभी इसी बारे मे अजय और सीरू दीदी से लोगों से बात करने लगी.

निशा भाभी के बाद, मेरी और छोटी माँ की भी अजय और सीरू दीदी लोगों से थोड़ी बहुत बात हुई. उन सब से बात करके कॉल रखने के बाद, मैने निशा भाभी से कहा.

मैं बोला “भाभी, यदि प्रिया को ब्लड की ज़रूरत है तो, क्या मैं ब्लड देने के लिए आपके साथ चलता हूँ.”

मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “नही, तुम्हे ब्लड देने के लिए मेरे साथ जाने की कोई ज़रूरत नही है. मैने तो ब्लड की बात सिर्फ़ शिखा को समझाने के लिए कही थी. यदि सच मे ही प्रिया को ब्लड की ज़रूरत होती तो, अमन खुद ही आरू को वापस बुला लेता.”

मेरी और निशा भाभी की इस बात को सुनते ही, वाणी दीदी ने हमारी बात को बीच मे ही काटते हुए, मुझसे कहा.

वाणी दीदी बोली “तुम प्रिया को ब्लड कैसे दे सकते हो. क्या तुमको पता भी है कि, किसी को ब्लड देने के लिए, दोनो का ब्लड ग्रूप एक सा होना ज़रूरी है.”

वाणी दीदी की इस बात के जबाब मे मैने उनसे कहा.

मैं बोला “दीदी, मैं प्रिया को ब्लड दे सकता हूँ. क्योकि मेरा और प्रिया दोनो का ब्लड ग्रूप एक सा ही है.”

मेरी इस बात पर निशा भाभी ने भी अपनी सहमति देते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “ये ठीक कह रहा है. इसका, प्रिया और आरू, तीनो का ब्लड ग्रूप अब- (अब नेगेटिव) ही है.”

निशा भाभी की इस बात को सुनकर, वाणी दीदी कुछ सोच मे पड़ गयी और फिर उन्हो ने मुझसे कहा.

वाणी दीदी बोली “ये प्रिया वो ही लड़की है ना, जिसके बारे मे मैने तुमसे वीडियो देखती समय पूछा था.”

मैं बोला “जी दीदी, वो ही सुंदर और हँसमुख सी लड़की प्रिया है.”

मेरी ये बात सुनकर, वाणी दीदी ने कुछ सोचते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “क्या तुम प्रिया की जनम तारीख और जनम स्थान जानते हो.”

वाणी दीदी का ये अटपटा सा सवाल सुनकर, मेरे साथ साथ बाकी सब लोग भी चौके बिना ना रह सके. फिर भी मैने उनके इस सवाल का जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, मुझे प्रिया के जनम स्थान का तो, पता नही है. मगर उसका जनमदिन, मेरे जनमदिन के एक दिन बाद पड़ता है. वो मुझसे सिर्फ़ एक दिन छोटी है.”

मेरी ये बात सुनते ही, वाणी दीदी ने मोहिनी आंटी की तरफ देखते हुए, उनसे कहा.

वाणी दीदी बोली “आंटी, आप तो प्रिया की चाची है. आपको तो पता ही होगा कि, प्रिया का जनम स्थान क्या है.”

वाणी दीदी का ऐसे मौके पर, प्रिया के बारे मे ये सब सवाल करना, किसी को भी अच्छा नही लग रहा था. लेकिन वो अपनी आदत से मजबूर थी और किसी बात के उनके दिमाग़ मे आने पर, वो उसको जान कर ही रहती थी.

उनकी इस बात को सुनकर, मोहिनी आंटी कुछ परेशान सी हो गयी. लेकिन फिर उन ने अपने आपको संभालते हुए, वाणी दीदी से कहा.

मोहिनी आंटी बोली “प्रिया का जनम हॉस्पिटल मे हुआ था.”

लेकिन ये बात बोलते बोलते, मोहिनी आंटी के चेहरे से पसीना छूटने लगा था. उनके चेहरे से पसीना छूटते देख कर, वाणी दीदी ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “आंटी, असल मे बात ये है कि, प्रिया को वीडियो मे देख कर, मुझे अपने एक खास परिचित की याद आ गयी थी. बस इसी वजह से मैं प्रिया के बारे मे ये सब जानना चाहती थी.”

“मेरे सवाल को सुनकर, आपको ज़रा भी परेशान होने की ज़रूरत नही है. मैं भी आपकी बेटी की तरह हूँ और यदि आप मुझे इस बारे मे कुछ बताना नही चाहती तो, मैं भी आपके साथ कोई ज़बरदस्ती नही करूगी.”

वाणी दीदी की ये बात सुनकर, मोहिनी आंटी कुछ सोच मे पड़ गयी और फिर उन्हो ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए कहा.

मोहिनी आंटी बोली “प्रिया का जनम कोलकाता की ही एक हॉस्पिटल मे हुआ था. लेकिन उस से भी बड़ा सच ये है कि, प्रिया मेरी भतीजी नही है.”

मोहिनी आंटी की ये बात सुनते ही, हम सबको एक जोरदार झटका लगा. लेकिन छोटी माँ और रिचा आंटी इस बात को सुनते ही, फ़ौरन मोहिनी आंटी के अगल बगल आकर खड़ी हो गयी. रिचा आंटी ने हड़बड़ाते हुए मोहिनी आंटी से कहा.

रिचा आंटी बोली “फिर प्रिया आप लोगों को कैसे मिली.”

रिचा आंटी की इस बात को सुनकर, मोहिनी आंटी किसी गहरी सोच मे पड़ गयी. उन्हे खामोश देख कर, छोटी माँ ने बेचैन होते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “बताइए ना दीदी, प्रिया आप लोगों को कैसे मिली.”

छोटी माँ की बात को सुनकर, मोहिनी आंटी ने एक नज़र सबकी तरफ देखा और फिर अपनी खामोशी को तोड़ते हुए कहा.

मोहिनी आंटी बोली “ये बात नितिका के जनम के बाद की है. नितिका के जनम होने की खबर सुनकर, मेरे ससुर और जेठ जेठानी भी उसे देखने यहाँ आए थे. उस समय मेरी जेठानी पद्मि,नी का भी आठवा महीना चल रहा था.”

“जिस वजह से मैं उनसे अपने पास ही रुकने की ज़िद करने लगी. मेरे ससुर को भी मेरी ये बात सही लगी. उन्हो ने फ़ैसला किया कि बच्चे के जनम होने तक वो और मेरी जेठानी यही पर रुकेगे.”

“मेरे जेठ जी, को भी उनका ये फ़ैसला सही लगा और वो उन दोनो को मेरे पास छोड़ कर, वापस मुंबई चले गये. इसके कुछ दिन बाद, मेरी जेठानी ने यही के एक हॉस्पिटल मे एक लड़की को जनम दिया.”

“मेरी जेठानी लड़की को जनम देने के बाद, बेहोश थी और मैं हॉस्पिटल के फोन पर सबको लड़की के जनम की खबर देने मे लगी थी. जब मैं अपनी जेठानी के पास वापस आई तो, वो अभी भी बेहोश ही थी और झूले मे उनकी बच्ची नही थी.”

“ये देखते ही, मैं घबरा गयी और जैसे ही पिछे पलटी तो, कमरे की दीवार से सट कर, एक आदमी एक बच्ची को अपनी गोद मे लेकर छुप कर खड़ा था. उसके हाथ मे बच्ची को देखते ही, मैने उसके हाथ से बच्ची को छीन लिया और शोर मचाना सुरू कर दिया.”

“मुझे शोर मचाते देख, वो घबरा कर, बच्ची को छोड़ कर भाग गया. मैने बच्ची को वापस अपनी जेठानी के पास लाकर लिटा दिया. लेकिन अब मुझे हॉस्पिटल वालों की इस लापरवाही पर बहुत गुस्सा आ रहा था.”

“तभी मेरे ससुर आ गये. मैने उन्हे सारी बात बताई और फिर गुस्से मे हॉस्पिटल वालों की खबर लेने कमरे से बाहर निकल आई. मैं अभी कमरे से निकल कर, थोड़ी ही दूर गयी थी की, तभी एक नर्स मेरे पास आई.”

“उसने मेरे पास आकर, एक बच्ची को मेरी गोद मे देते हुए बताया कि, ये आपकी बच्ची है. बच्ची की माँ बेहोश थी और आप फोन पर बात करने गयी थी. इसलिए मैं बिना बताए ही, बच्ची को नहलाने के लिए ले गयी थी.”

“इतना बोल कर, वो नर्स चली गयी. लेकिन अब मैं अपनी गोद मे अपनी जेठानी की बच्ची को देख कर, सोच मे पड़ गयी कि, यदि ये मेरी जेठानी की बच्ची है तो, फिर वो मैने ज़बरदस्ती किसकी बच्ची को छीन लिया है.”

“अभी मैं इन सब बातों को सोचने मे ही लगी थी कि, तभी अचानक फिर से वो आदमी आ धमका और मेरे हाथ से मेरी जेठानी की बच्ची को, वो दूसरी बच्ची समझ कर, मुझसे छीन कर ले गया.”

“मैं उसको पकड़ने के लिए शोर मचाया. लेकिन तभी हॉस्पिटल के दूसरे हिस्से से भी किसी बच्ची के गायब होने की आवाज़ आने लगी. ये आवाज़ सुनकर, मेरे ससुर भी मेरे पास आ गये.”

“मैने उनको अब तक हुई सारी घटना बताई तो, वो भी गहरी सोच मे पड़ गये. लेकिन फिर उन्हो ने गंभीर फ़ैसला करते हुए कहा कि, पद्मिोनी के तो पहले ही एक लड़का और एक लड़की है. वो अपनी बच्ची को खोने का दर्द अपने दूसरे बच्चों को देख कर सह सकती है.”

“लेकिन जिस माँ बाप की ये बच्ची है, पता नही उनकी कोई दूसरी औलाद है भी या नही है. हमे उनकी बच्ची को, उनके हवाले कर देना चाहिए. भगवान ने चाहा तो, हमारी बच्ची हमे ज़रूर वापस मिल जाएगी.”

“अपने ससुर की ये बात सुनकर, मैं उस बच्ची को लेकर मैं उसके माँ बाप के पास चली गयी. लेकिन जैसे ही मैं उनके कमरे का दरवाजा खटखटाने को हुई. मुझे एक आदमी की आवाज़ सुनाई दी.”

“वो शायद इस बच्ची का बाप था और किसी औरत से कह रहा था कि, वो मेरी एक बच्ची को लेकर भागा है. मेरी कोई बड़ी भारी जायदाद नही ले गया. मेरे अंदर जब तक मर्दानगी है. तब तक मैं ऐसी कयि बच्चियाँ पैदा कर सकता हूँ.”

“उस आदमी की ये बात सुनकर, मेरी उसे बच्ची सौपने की हिम्मत नही हुई और मैं अपने ससुर के पास वापस आकर, सारी बातें बताने लगी. तभी मेरी जेठानी को होश आ गया और वो अपनी बच्चे को देखने की ज़िद करने लगी.”

“मेरे ससुर ने वो बच्ची मेरी जेठानी की गोद मे डाल दी और मुझे ये बात मेरी जेठानी को बताने से मना कर दिया. तब से वो बच्ची मेरी जेठानी की बेटी बन कर ही, हमारे परिवार मे पल रही है और वो बच्ची प्रिया ही है.”

इतना कह कर, मोहिनी आंटी चुप हो गयी. लेकिन उनकी इस बात ने बाकी सब की भी बोलती बंद कर दी थी. सब उन्हे हक्के बक्के से देख रहे थे और किसी को कुछ भी नही सूझ रहा था.

वहीं वाणी दीदी, छोटी माँ, अनुराधा मौसी और रिचा आंटी एक दूसरे से आँखों ही आँखों मे बात कर रही थी. मुझे भी प्रिया के बारे मे ये सब जान कर, बहुत धक्का पहुचा था.

लेकिन इस समय मुझे इन सब बातों को जानने से ज़्यादा, प्रिया की तबीयत की चिंता सता रही थी और इसी वजह से मैने सबकी बातों पर खीजते हुए कहा.

मैं बोला “आप लोगों को सिर्फ़ इस बात की फिकर सता रही है कि, प्रिया किसकी बेटी है और किसकी बेटी नही है. किसी को भी प्रिया की तबीयत का ज़रा भी ख़याल नही है. यदि आप लोग ऐसे ही बहस करने मे लगे रहे तो, आप लोगों को फ़ैसला करने के लिए प्रिया नही, उसकी लाश ही मिलेगी.”

मैं अभी इतना ही बोल पाया था कि, चटाक़ की आवाज़ के साथ मेरी बोलती बंद पड़ गयी. मेरे गाल पर वाणी दीदी का एक जोरदार तमाचा पड़ा था. जिसके पड़ते ही, मेरे साथ साथ, बाकी सब भी वाणी दीदी को देखने लगे.

वो बहुत ही ज़्यादा गुस्से मे मुझे घूर रही थी. उनको इतने गुस्से मे देख कर, एक पल के लिए तो, मैं भी सहम गया. वहीं वाणी दीदी ने मुझ पर अपना गुस्सा उतारते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “तेरे मूह मे जो कुछ भी आता है, बिना सोचे समझे बकता चला जाता है. अब यदि प्रिया के लिए एक भी ग़लत शब्द तेरे मूह से बाहर निकला तो, मैं अभी के अभी तेरा मूह तोड़ दुगी.”

“तू जानता भी है कि, यदि मोहिनी आंटी की ये बात सही निकलती है तो, फिर प्रिया से तेरा क्या रिश्ता निकलेगा. मोहिनी आंटी की इस बात के सही निकलने का मतलब है कि, प्रिया तेरी जुड़वा बहन है.”

वाणी दीदी की इस बात को सुनते ही, मैं, कीर्ति, मेहुल, बरखा दीदी और मोहिनी आंटी चौक कर रह गये. लेकिन छोटी माँ, अनु मौसी, रिचा आंटी और निशा भाभी के चेहरे के भाव कुछ अलग ही थे. जिन्हे मैं समझ नही पा रहा था.

मेरे सामने मेरी जिंदगी के एक ऐसे राज़ का खुलासा हुआ था. जिसकी कल्पना मैने कभी अपने सपने मे भी नही की थी. मेरे साथ ये सब कुछ इतना अचानक हुआ था कि, मैं कुछ भी समझ नही पा रहा था और किसी सदमे की हालत मे सा, वाणी दीदी को देखे जा रहा था.
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