MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 12:23 PM,
#21
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
20A

कीर्ति की बात सुनने के बाद छोटी माँ ने मुझे जाने की इजाज़त देते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “ठीक है बेटा, तू जा मगर शाम को जल्दी घर आ जाना.”

मैं बोला “ठीक है छोटी माँ.”

इतना कह कर मैं बाहर आ गया. मैने अपनी बाइक उठाई और मेहुल के घर चला गया. मेहुल के घर पहुच कर मैने बेल बजाई तो आंटी ने दरवाजा खोला. मुझे देख कर आंटी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैने अंदर आकर सोफे पर बैठते हुए आंटी से पुछा.

मैं बोला “आंटी मेहुल कहाँ है. आज स्कूल क्यो नही आया.”

आंटी ने मेरे सामने वाले सोफे पर बैठते हुए कहा.

आंटी बोली “वो तो अपने मामा के घर गया है. क्या उसने तुझे कॉल नही किया.”

मैं बोला “नही आंटी, मैने उसे कॉल भी लगाया तो, उसका मोबाइल बंद बता रहा था.”

आंटी बोली “कोई बात नही, रात को उसका फोन आएगा तो, मैं उसे बोल दुगी. तू बैठ, मैं अभी तेरे खाने के लिए कुछ लाती हू.”

मैं बोला “नही आंटी, मैं अभी अभी घर से खाना खाकर आता जा रहा हूँ. अब मैं चलुगा.”

आंटी बोली “जब से तेरी छोटी माँ से, तेरी बनने लगी है. तब से तो तू अपनी आंटी को भूलता ही जा रहा है और अब तो तुझे अपनी आंटी के हाथ का खाना भी अच्छा नही लगता.”

आंटी की बात सुनकर मैं सोफे से उठा और आंटी के पास आकर नीचे ही, घुटनो के बल बैठ गया. मैने उनके हाथो को अपने हाथो मे थाम और उन से कहा.

मैं बोला “आंटी, आप ये कैसी बात कर रही है. मैने कभी आपको अपनी माँ से कम नही समझा. मेरी माँ के बाद, यदि मुझे आपका ये प्यार नही मिला होता तो, मेरे संबंध ना तो छोटी माँ से इतने अच्छे होते और ना ही अमि निमी का प्यार मुझे मिल रहा होता. मैं जब कभी भी अपनी जनम देने वाली माँ को याद करता हूँ तो, मेरे सामने आपका ममता भरा चेहरा आ जाता है और आप कह रही हो, मैं आपको भूल गया हूँ.”

ये कहते कहते मेरी आँखो मे आँसू आ गये और मैने अपना मूह उनकी गोद मे छिपा लिया. आंटी को भी शायद इस बात का अहसास नही था कि, उनकी इस बात का मुझ पर इतना गहरा असर पड़ेगा कि, मेरी आँखें भीग जाएगी.

उन्हों ने प्यार से मेरे सर पर अपना हाथ फेरते हुए, अपनी साड़ी के आँचल से, मेरे आँसू पोन्छे और मुझे समझाते हुए कहा.

आंटी बोली “अरे बेटा, मैं तो मज़ाक कर रही थी. मुझे नही मालूम था कि, मेरा पुन्नू अभी भी छोटा सा बच्चा ही है. जो मेरे इतने से मज़ाक से रो देगा.”

मैं बोला “नही आंटी, अब मैं बच्चा नही हूँ. अब मैं सब समझता हूँ. मगर जब आपने ये बोला कि, मैं आपको भूल गया. तब मुझे ना जाने क्यो ऐसा लगा कि, आपने मुझे अपने से दूर कर दिया और मेरी आँखों मे अपने आप आँसू आ गये.”

आंटी बोली “एक माँ अपने बच्चों को कभी खुद से दूर नही करती. फिर तू तो मेरा सबसे प्यारा बेटा है. मैं भला तुझे अपने से दूर कैसे कर सकती हूँ. लेकिन अब ये सब बातें छोड़ और ये बता कि, अब तुझे भूख लगी है या नही.”

मैं बोला “आप के हाथ से कुछ खाने के लिए, मुझे किसी भूक की ज़रूरत नही है. लेकिन आज आपको अपने हाथों से खिलाना पड़ेगा, क्योकि आज आपने मुझे रुलाया है.”

आंटी बोली “ठीक है तू बैठ. मैं अभी तेरे मनपसंद, आलू के पराठे बनाती हूँ.”

ये कह कर आंटी किचन मे चली गयी और मैं टीवी चालू करके, टीवी देखने लगा. मैं अभी टीवी देख ही रहा था कि, तभी डोरबेल बजती है. आंटी किचन से ही आवाज़ लगा कर कहती है.

आंटी बोली “पुन्नू बेटा, ज़रा देखना कि कौन आया है.”

मैं बोला “जी आंटी.”

ये बोल कर मैं दरवाजा खोलने चला जाता हूँ. दरवाजा खोलते ही, मैं एक पल को तो, दंग ही रह जाता हूँ. मेरे सामने दो लड़कियाँ खड़ी थी, और मैं दोनो को ही जानता था. इस से पहले कि मैं कुछ भी बोल पाता. अंदर से आंटी की आवाज़ लगाकर पूछती है.

आंटी बोली “पुन्नू बेटा, कौन आया है.”

आंटी की आवाज़ सुनकर आने वाली लड़की कहती है.

लड़की बोली “आंटी, मैं हूँ नितिका.”

आंटी बोली “बेटी तुम बैठो, मैं अभी आती हू.”

ये सुनकर दोनो मेरे सामने के सोफे पर बैठ जाती है. मुझे खामोश देख नितिका कहती है.

नितिका बोली “शायद आपने मुझे पहचाना नही.”

मैं बोला “मैने आपको पहचान तो लिया था. लेकिन आपके साथ इनको देख कर थोड़ा ताज्जुब हुआ, इसलिए कुछ बोल नही पाया.”

मेरी बात से नितिका को हैरत हुई. उसने मुझसे पुछा.

नितिका बोली “आप शिल्पा को जानते है.”

मैं बोला “हाँ जानता हूँ. ये मेरी ही स्कूल मे पढ़ती है, पर शायद ये मुझे नही पहचानती.”

शिल्पा जो अभी तक चुप थी. मेरी बात सुनने के बाद कहती है.

शिल्पा बोली “मैं भी आपको पहचानती हूँ. मगर कभी स्कूल मे आप से कोई बात नही हुई, इसलिए आप से कुछ कहने मे झीजक हो रही थी.”

हुमारी बात चल ही रही थी की, तभी आंटी आलू के पराठे के साथ साथ, चाय और बिस्कट भी लेकर आ गयी. उन ने चाय बिस्कट नितिका लोगो को देते हुए, उन से कहा.

आंटी बोली “बेटी तुम लोग पराठे खओगि.”

नितिका बोली "नही आंटी, हम लोग खाना खा कर आ रहे है. हुमारा कबेल नही चल रहा है और मेरा मनपसंद सीरियल आ रहा है, इसलिए हम यहाँ देखने आ गये."

आंटी बोली “अच्छा किया तुमने. क्या ये तुम्हारी सहेली है.”

नितिका बोली “जी आंटी, ये मेरी सहेली नितिका है. ये मुझसे मिलने आई थी तो, मैं इसे भी अपने साथ ही यहाँ ले आई.”

आंटी बोली “तुमने अच्छा किया. अरे तुम लोग ये चाय बिस्कट तो लो.”

नितिका बोली “आंटी, ये चाय तो आप इनके लिए लाई थी ना.”

आंटी बोली “नही, ये तुम दोनो के लिए ही है. पुन्नू तो आलू के पराठे खाएगा. क्या तुम पुन्नू को जानती हो.”

नितिका बोली “जी आंटी, मैं कल ही इनसे अपने स्कूल मे मिली थी.”

आंटी ने मेरी तरफ घूर कर देखा और पुछा.

आंटी बोली “क्यो रे, कल तू तो अपनी मौसी के यहाँ था, फिर इनके स्कूल कैसे पहुच गया.”

आंटी की बात सुनकर, मैं सकपका गया. मैने उसको अपनी सफाई देते हुए कहा.

मैं बोला “अरे आंटी मैं इनके स्कूल नही गया था. वो तो कल कीर्ति मुझे अपने स्कूल लेकर गयी थी और ये कीर्ति की ही सहेली है. आप चाहो तो इनसे पुच्छ लो.”

मेरे इस तरह डर कर जबाब देने से नितिका और शिल्पा दोनो हँसने लगी. उनको हंसते देख आंटी ने उनसे कहा.

आंटी बोली “तुम लोग हँसो मत. ये बचपन से ही शर्मीला है.”

आंटी की बात सुनते दोनो ने अपनी हँसी रोक ली. लेकिन नितिका ने आंटी से सवाल करते हुए पुछा.

नितिका बोली “लेकिन आंटी, आपने ये नही बताया कि, ये आपके कौन लगते है.”

ये सुनकर आंटी मेरे पास आकर बैठ गयी और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए नितिका की बात का जबाब देते हुए कहा.

आंटी बोली “ये मेरे बेटे मेहुल का दोस्त और मेरा दूसरा बेटा है.”

ये कह कर आंटी ने, टीवी पर नितिका का सीरियल लगा दिया और उन्हे चाय पीने को बोल कर, मुझे अपने हाथों से परान्ठे खिलाने लगी. दोनो चाय पीते हुए सीरियल देखने लगी.

मगर बीच बीच मे मुझे आंटी के हाथों से पराठे खाते देख रही थी. ये देख कर, जहाँ नितिका का चेहरे पर मुस्कुराहट आ रही थी, तो वही शिल्पा का चेहरा ना जाने क्यो उतर गया था.

पराठे खिलते खिलते आंटी ने मुझे बताया कि, नितिका अभी कुछ समय पहले ही उनके पड़ोस मे रहने आई है. वही नितिका ने भी मौका देख कर, आंटी से पुछा.

नितिका बोली “आंटी, मेहुल कहाँ है, दिखाई नही दे रहा.”

आंटी बोली “वो अपने मामा के घर गया है. कुछ दिन बाद आएगा.”

जब मेरा पराठे खाना हो गया तो, आंटी ने मुझसे कहा.

आंटी बोली “अब आगे से ध्यान रखना. जब भी आना मुझे ये सुनने को ना मिले की, तुम्हे भूक नही है.”

मैं बोला “जी आंटी.”

शिल्पा जो अभी तक चुप थी. उसको ना जाने क्या हुआ कि उसने आंटी से कहा.

शिल्पा बोली “आंटी, ये इतने छोटे तो नही है कि, आपको अपने हाथों से खिलाना पड़े.”

आंटी बोली “बच्चे तो माँ बाप के लिए हमेशा ही छोटे होते है और ये पुन्नू तो अभी भी बच्चा ही है. इसे मेरे हाथ से खाना इतना अच्छा लगता है कि, भूक ना होते हुए भी देखो पूरे चार पराठे खा गया. आलू के पराठे इसे बहुत पसंद है, इसलिए ये जब भी आता है, मैं इसे आलू के पराठे ही बना कर खिलाती हूँ.”

शिल्पा बोली “आप इसे अपने हाथ से खिलाती है तो, आपका बेटा मेहुल इस बात का बुरा नही मानता.”

शिल्पा की बात ना जाने क्यो, मुझे अच्छी नही लगी थी. ये ही हाल आंटी और नितिका का भी था. नितिका को भी शायद शिल्पा से ऐसी बात की उम्मीद नही थी. शिल्पा की बात से एक पल के लिए आंटी के चेहरे पर गुस्सा आ गया. लेकिन अगले ही पल उन ने अपना गुस्सा छिपा कर, मुस्कुराते हुए, शिल्पा से कहा.

आंटी बोली “अभी तुम ने मेरे बेटे और इसको एक साथ नही देखा है, इसलिए ऐसा सवाल किया है. वरना तुम इनका आपस मे प्यार देख कर, ये ही बोलती कि, ये दोस्त नही बल्कि सगे भाई है. बचपन मे एक बार, मेहुल की तबीयत खराब हो गयी थी. तब ये 3 दिन तक अपने घर नही गया था. बस मेहुल के पास ही दिन रात रहता था. हम ने इसे लाख कहा कि तू घर जा, यहा मेहुल का ख़याल रखने के लिए सब है. मगर ये तब तक नही गया, जब तक कि मेहुल की तबीयत ठीक नही हो गयी. अब तू खुद ही बता कि, क्या इस के बाद भी मेहुल को, मेरा इसको अपने हाथों से खिलाना बुरा लगना चाहिए.”

शिल्पा बोली "सॉरी आंटी, यदि आपको बुरा लगा हो तो.”

आंटी बोली “नही बेटी, तुमने बुरा मानने वाली तो, ऐसी कोई बात नही की है. मगर जब कोई किसी माँ के, दो बेटो मे भेद करता है तो, उस माँ को तो खराब लगता ही है. लेकिन इस बात को तुम अभी नही समझ सकती. ये बात तुम्हे खुद वक्त आने पर समझ मे आ जाएगी.”

मैं अभी तक सारी बात चुप चाप सुन रहा था, फिर मैने सोचा कि ये बातें तो यू ही चलती रहेगी, अब मुझे घर निकलना चाहिए. इसलिए मैने आंटी से कहा.

मैं बोला “आंटी, अब मैं चलता हूँ. मेहुल का कॉल आए तो, उस से बोल देना कि, वो मुझसे ज़रूर बात कर ले.”

आंटी बोली “ठीक है. तू भी अपनी छोटी माँ से भी बोल देना कि, मैं उसे याद कर रही थी.”

मैं बोला “जी आंटी.”

इसके बाद मैं आंटी को बाइ कह कर वहाँ से आ गया. लेकिन घर से मैं ये बोल कर निकला था कि, मैं शाम तक वापस आउगा. यदि मेहुल से मिलता तो शाम होना ही थी. लेकिन मेहुल के ना मिलने से, मैं वहाँ से जल्दी आ गया था.

अभी सिर्फ़ 5 ही बजे थे और यदि मैं अभी घर चला जाता तो, इस बात को लेकर कीर्ति मेरा मज़ाक उड़ाए बिना नही रहती. इसलिए मैं किसी भी हालत मे 7 बजे के पहले घर नही जाना चाहता था.

यही सोच कर मैं एक गार्डेन मे जाकर बैठ गया. मैं वहाँ बैठे आते जाते लोगों को देख रहा था. जब भी कोई लड़की मेरे सामने से जीन्स टी-शर्ट मे गुजरती तो, ना चाहते हुए भी कीर्ति का चेहरा मेरे सामने आ जाता.

क्योकि मैने कीर्ति को ज़्यादा से ज़्यादा, जीन्स टी-शर्ट मे ही देखा था. उसे बेसिक ड्रेसस बिल्कुल भी पसंद नही थे. एक बार पापा ने उसे सलवार सूट गिफ्ट किया था. मगर उसने ये बोल कर उसे लेने से मना कर दिया कि, वो ये सब नही पहनती है.

बाद मे मौसा जी के समझाने पर, उसने वो सूट ले तो लिया था. लेकिन उसने कभी उस सूट को पहना नही. वो बहुत जिद्दी ज़्यादा जिद्दी थी और कोई भी उस से ज़बरदस्ती कुछ करवा नही सकता था.

कीर्ति की ये सब सोचते सोचते मुझे ख़याल आया कि, अभी कीर्ति मुझसे नाराज़ है और हो सकता है कि, वो मेरे गिफ्ट के साथ भी ऐसा ही कुछ करे. अभी तक की हुई सभी बातें भी, इसी बात की तरफ इशारा कर रही थी और मुझे पक्का यकीन हो गया था कि, कीर्ति मुझे अपने बर्तडे मे भी, परेशान करने से बाज नही आएगी.

इन बातों को सोचते ही अब मुझे कीर्ति पर गुस्सा आने लगा और अब मैं उसे सबक सिखाने की तरकीब सोचने लगा. जल्दी ही मुझे वो तरकीब भी समझ मे आ गयी और तरकीब के समझ मे आते ही, मैं वहाँ से उठ खड़ा हुआ.
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09-09-2020, 12:24 PM,
#22
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वहाँ से मैं सीधे बाजार निकल गया. बाजार से मैने ब्लू कलर का एक स्लीव्ले सलवार सूट खरीदा. ब्लू मेरा पसंदीदा कलर था, मगर ये कलर कीर्ति को ज़रा भी पसंद नही था.

एक तरह से हम दोनो की पसंद एक दूसरे से बिल्कुल अलग थी. मैने समय देखा तो 8:00 बजने वाले थे और अब मुझे घर पहुचने की जल्दी थी. मैने एक रेस्टौरेंट से मॅनचरियन और कट्लेट पॅक करवाए और घर आ गया.

मुझे घर आते आते 9:00 बज गये. घर मे खाने की तैयारी चल रही थी और मेरे अभी तक घर ना लौटने की वजह से छोटी माँ को मेरी चिंता होने लगी थी. मुझे देखते ही छोटी माँ ने मुझ पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “तू इतनी देर तक कहाँ था. तुझसे मैने कहा भी था कि, जल्दी घर आना. लेकिन तेरी समझ मे मेरी बात नही आई. क्योकि तू अब बड़ा हो गया है और अपनी मर्ज़ी से कुछ भी कर सकता है.”

छोटी माँ को गुस्सा करते देख, मैने उन्हे अपनी सफाई देते हुए कहा.

मैने बोला “छोटी माँ, मैं तो जल्दी ही घर आ रहा था. लेकिन अमि निमी के लिए ये सब पॅक करवाने लगा था. जिस वजह से मुझे आने मे देर हो गयी.”

ये कह कर मैं मॅनचरियन और कट्लेट का पॅकेट डाइनिंग टॅबेल पर रख कर, अपने कमरे मे आने लगता हूँ. तभी निमी मेरे हाथ मे सलवार सूट का पॅकेट देख कर, मुझे टोकती हुई कहती है.

निमी बोली “भैया, ये आपके हाथ मे जो पॅकेट है, उसमे क्या है.”

मैं बोला “तेरे मतलब की चीज़ नही. इसमे मेरी कुछ बुक्स है.”

ये कह कर मैं निमी को कुछ कहने का मौका दिए बिना जल्दी से अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता हूँ. कमरे मे आकर मैं वो पॅकेट रखने के बाद मूह हाथ ढोने चला जाता हूँ.

मैं मूह हाथ धोने के बाद, तैयार होकर नीचे आ जाता हूँ और नीचे हॉल मे बैठ कर सब के साथ बातें करने लगता हूँ. कीर्ति अभी भी मुझसे से कोई बात नही कर रही थी.

लेकिन सलवार सूट गिफ्ट करने से पहले, मैं एक बार कीर्ति का मूड देख लेना चाहता था. ताकि यदि उसका मूड मेरी तरफ से सही हो गया हो तो, फिर उसे ये सलवार सूट देकर खराब ना किया जाए. यही सोच कर मैं उस से कहता हूँ.

मैं बोला “कीर्ति, आज मुझे मेहुल के घर मे, तेरी सहेली नीतिका मिली थी.”

लेकिन कीर्ति ने मेरी बात को सुनकर भी अनसुना कर दिया और वो अमि निमी के साथ ही बातें करने मे लगी रही. मगर मैने फिर बात करने की कोसिस करते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “कीर्ति, पापा ने तुझे बर्तडे मे क्या गिफ्ट दिए. वो गिफ्ट खोल कर तो दिखाओ. वैसे भी अब वो गिफ्ट तुम्हे कल तो खोलना ही है.”

मगर मेरी बात करने की ये कोसिस भी बेकार ही गयी. कीर्ति समझ गयी कि, मैं उस से बात करने की कोसिस मे लगा हूँ. इसलिए वो मेरी बात को अनसुना कर, किचन मे छोटी माँ के पास चली गयी.

उसकी हरकत ने मुझे भी यकीन दिला दिया कि, मेरा कीर्ति को सबक सिखाने का फ़ैसला सही है. मैं मन ही मन ये सब सोच रहा था. लेकिन इस बात से अंजान था कि, कीर्ति के ये हरकत वहाँ किसी को बुरी भी लगी है और वो कोई ऑर नही निमी थी. कीर्ति के जाते ही उसने मेरे पास आकर कहा.

निमी बोली “देखा ना भैया, कीर्ति दीदी कितना घमंड दिखाती है. आपने उन से दो बार कुछ कहा, लेकिन उन ने आपकी बात का जबाब तक देने की ज़रूरत नही समझी.”

मैं बोला “तू क्यो इस बात का बुरा मानती है. वो तुझसे तो अच्छे से बात करती है ना.”

निमी बोली “मुझसे अच्छे से बात करती है तो क्या हुआ. आपको तो वो कुछ नही समझती. इसी बात से मुझे उन पर गुस्सा आ जाता है.”

मैं बोला “देख तू अपने छोटे से दिमाग़ पर, इतना सारा बोझ मत डाला कर, और इन छोटी छोटी बात पर गुस्सा करना भी बंद कर दे. क्या तुझे नही पता की, सुबह मैं उसको छोड़ कर मेहुल से मिलने चला गया था. बस इसी बात की वजह से वो मुझसे गुस्सा है.”

निमी बोली “क्या ये भी कोई गुस्सा करने वाली बात है. जब देखो तब गुस्सा हो जाती है. अरे क्या कोई अपने दोस्त से मिलने भी नही जा सकता.”

मैं बोला “तू क्यो इन सब बातों को अपने दिल पर लेती है. जब मैं उसकी किसी बात का बुरा नही मानता तो, मुझे ये समझ मे नही आता कि, तू इतना बुरा क्यो मान जाती है. ये अच्छी आदत नही है.”

मेरी ये बात निमी को अच्छी नही लगी. उसने मुझे ही अपने तेवर दिखाते हुए कहा.

निमी बोली “मेरी ये आदत अच्छी नही है तो, ना रहे. मेरे सामने यदि कोई आपको, अपनी अकड़, अपना खमंड दिखाएगा, तो ये मुझे बिल्कुल पसंद नही. फिर चाहे वो मम्मी हो, पापा हो या फिर कीर्ति दीदी ही क्यो ना हो.”

ये कह कर वो गुस्से मे मेरे पास से जाने लगी. उसकी इस बात पर मुझे हँसी भी आ रही थी और उस पर प्यार भी आ रहा था. मैने उसका हाथ पकड़ा और उसे खीच कर अपने पास बैठा कर, प्यार से समझाते हुए कहा.

मैं बोला “मेरी प्यारी गुड़िया रानी. ऐसे गुस्सा नही होते. वो भी तो मेरी बहन है ना. उसे मुझसे लड़ने, झगड़ने और मुझ पर गुस्सा करने का पूरा हक़ है. तुझे उसकी बस ये बात बुरी लगती है ना कि, वो मेरी बात का जबाब नही देती और हर बात मे अपनी अकड़ दिखाती है. तो सुन, अब से ऐसा नही होगा.”

मेरी बात पर निमी ने खुश होते पुछा.

निमी बोली “पर भैया, ऐसा कैसे होगा.”

मैं बोला “पहले तू वादा कर कि, तू अब कीर्ति से किसी बात पर गुस्सा नही होगी और उसके साथ मिल कर रहेगी.”

निमी बोली “मैं वादा करती हूँ कि, मैं उनसे गुस्सा नही होउंगी और उनके मिल कर रहूगी. अब आप बताइए कि ऐसा कैसे होगा.”

मैं बोला “यदि उसने कल से मुझसे अच्छे से बात करना सुरू नही किया तो, फिर कल के बाद, मैं भी उस से बात नही करूगा और मैं भी अपना घमंड दिखाना सुरू कर दूँगा. तब तो तुझे खुशी होगी ना.”

निमी बोली “हां ये ठीक है. लेकिन आप आज से ही ऐसा क्यो नही करते.”

मैं बोला “तू भी बिल्कुल बुद्धू है. अरे कल उसका बर्तडे है और बर्तडे के दिन किसी को नाराज़ नही किया जाता.”

निमी बोली “हां ये बात भी ठीक है. मगर याद रखना कि, यदि कल तक वो नही सुधरती है तो, फिर आप अपना घमंड ज़रूर दिखाओगे. नही तो फिर मैं आप से नाराज़ हो जाउन्गी.”

मैं बोला “हां मई याद रखुगा. अब तू जाकर अमि के साथ खेल, नही तो कीर्ति हमारी बात सुन लेगी.”

ये सुनते ही निमी फ़ौरन ही उठ कर अमि के पास चली गयी और फिर दोनो अपने खेल मे लग गयी. थोड़ी देर बाद, छोटी माँ ने खाना लगा दिया और सब खाना खाने बैठ गये.

आज रात के समय मे, मुझे सबके साथ खाना खाते देख, कीर्ति को कुछ ताज्जुब ज़रूर हो रहा था. मगर वो मेरे सामने किसी से पुच्छना नही चाहती थी. इसलिए चुप चाप खाना खाने लगी.

लेकिन आज जब उसने अमि निमी को मॅनचरियन और कट्लेट खाते देखा तो, फिर वो खुद को बोलने से नही रोक पाई, उसने अमि को इस बात के लिए टोकते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अमि तुझे तो ये सब पसंद नही है. फिर तू आज ये सब क्यों खा रही है”

अमि बोली “भैया, इतने प्यार से लाए है, इसलिए खा रही हूँ. वरना मुझे सच मे ये सब पसंद नही है.”

निमी तो आज कुछ ज़्यादा ही खुश लग रही थी. इसी खुशी मे उसने कीर्ति के बिना कुछ पुच्छे ही, इस बात जबाब देते हुए कहा.

निमी बोली “मुझे तो ये सब बहुत पसंद है. मगर कल मेरे पेट मे दर्द था, जिस वजह से ये सब नही खाया था. लेकिन आज मेरा पेट दर्द सही है, इसलिए खा रही हू.”

ये बात बोल कर, निमी खुशी खुशी खाने मे लग गयी. लेकिन कीर्ति तो कल रात को, उनकी सारी बातें सुन चुकी थी. इसलिए उसने निमी की टाँग खिचते हुए कहा.

कीर्ति बोली “लेकिन निमी, तूने तो कल ये सब ना खाने की, कुछ दूसरी ही वजह बताई थी.”

कीर्ति की इस बात से निमी सोच मे पड़ गयी की, उसने कल ये सब ना खाने की, सबको क्या वजह बताई थी. लेकिन जब उसे कुछ याद नही आया तो, वो अमि की तरफ देखने लगी. अमि उसके ऐसे देखने का मतलब समझ गयी और उसने फ़ौरन बात को संभालते हुए कीर्ति से कहा.

अमि बोली “दीदी असल मे कल निमी के पेट मे ही दर्द था. लेकिन उसे लगा कि कही पापा उसे पेट दर्द की कड़वी वाली दवा ना पिला दे. जिस वजह से कल उसने ये कह दिया था कि, उसका पेट भरा हुआ है.”

अमि के दिए गये जबाब से, निमी समझ चुकी थी कि, कल उसने क्या बोला था. उसने अमि की बात की सहमति देते हुए कीर्ति से कहा.

निमी बोली “हां दीदी, अमि दीदी ठीक कह रही है. मैने कल इसी वजह से बोला था कि, मेरा पेट भरा हुआ है.”

कीर्ति को तो सब सच्चाई, पहले से ही पता थी. फिर भी वो अंजान बनते हुए उन से पुच्छने लगी.

कीर्ति बोली “पेट मे दर्द तो निमी को था. फिर अमि को कब और कैसे पता चल गया. जबकि तुम दोनो तो, पूरे समय मेरे ही साथ खेलती रही.”

निमी को फिर इस बात का जबाब समझ नही आया और उसने अमि की तरफ देखा. अमि ने फिर से निमी का बचाव करते हुए कीर्ति से कहा.

अमि बोली “दीदी, जब हम खाना खा रहे थे. तब निमी ने मुझे इशारे से बताया था. अब आप तो दूसरी तरफ बैठी थी, फिर भला आप कैसे इसका इशारा करना देख पाती.”

निमी बोली “हन, मैने अमि दीदी को इशारे से बताया था.”

इतना बोल कर निमी शरारत भरी मुस्कान से मुस्कुराने लगी. उधर कीर्ति ने देखा कि, अमि हर बात मे निमी का बचाव कर रही है तो, इस बार उसने अमि को ही चपेटते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मगर अमि ये तो बहुत ग़लत बात है. अगर निमी के पेट मे दर्द था तो, तुम्हे ये बात किसी ना किसी को तो, बताना चाहिए था. दवा ना खाने से, रात को निमी की तबीयत, ज़्यादा खराब भी हो सकती थी.”

कीर्ति के साथ साथ निमी को भी ऐसा लग रहा था कि, अमि के पास इस बात का कोई जबाब नही होगा. लेकिन कीर्ति ये नही जानती थी कि, अमि का दिमाग़ चाचा चौधरी से भी तेज है और ये बात अमि ने अगले ही पल साबित भी कर दी. उसने बड़ी ही मासूमियत से कीर्ति की बात का जबाब देते हुए कहा.

अमि बोली “दीदी हम ने ये बात पापा की वजह से यहाँ नही बताई थी. मगर उपर जाते ही भैया को सारी बात बता दी थी और भैया ने फ़ौरन ही निमी को पेट दर्द की दवा भी खिलाई थी.”

अमि की बात सुनते ही निमी की जान मे जान आ गयी और उसने भी चहकते हुए कहा.

निमी बोली “हां दीदी, वो दवा खाते ही मेरा पेट दर्द जल्दी से ठीक हो गया था और वो दवा पापा की दवा जितनी कड़वी भी नही थी.”

दोनो की ये बात सुनते ही मैं अपनी हँसी ना रोक पाया और खाना खाते समय हँसने की वजह से मुझे ज़ोर दार थस्का लग गया. मैं बेहताशा खांसने लगा. ये देखते ही अमि निमी खाना छोड़ कर, भाग कर मेरे पास आ गयी.

अमि ने फ़ौरन मुझे पानी उठा कर दिया और निमी मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी. मैने पानी पिया तो कुछ राहत मिली और मैने दोनो को खाना खाने बैठने को कहा. मगर दोनो थोड़ी देर मुझे खड़ी देखती रही. जब उन्हे यकीन हो गया कि, अब मैं ठीक हूँ. तब फिर दोनो खाना खाने बैठ गयी.

कीर्ति जहाँ एक तरफ उनके मूह से सफेद झूठ को सुन कर दंग रह गयी थी. वही दूसरी तरफ मेरे लिए उनके प्यार को देख कर मन ही मन तारीफ कर मुस्कुरा भी रही थी. इसलिए इसके बाद, उसने उन दोनो से फिर कोई सवाल नही किया.

खाना खाने के बाद सब बातें करते रहे. छोटी माँ ने पापा के ना होने की वजह से, अमि निमी को आज नीचे उनके पास ही सोने को कहा और फिर 11 बजे सब उठ कर अपने अपने कमरे मे चले गये.

अमि निमी आज नीचे सो रही थी. इसलिए आज कीर्ति का उनके कमरे मे सोने का सवाल ही पैदा नही होता था. मगर आज कीर्ति ने जिस तरह से मेरी बात को अनसुना कर दिया था. उसे देख कर आज मेरा उस से बात करने का ज़रा भी मन नही था. इसलिए मैने उस से बात करने की कोसिस करना भी ज़रूरी नही समझा.

लेकिन जैसे ही घड़ी ने रात के 12 बजाए. मेरा दिल ना जाने क्यो उसे बर्तडे विश करने के लिए मचलने लगा. मगर उसे सामने से बर्तडे विश करने की मुझे हिम्मत नही हो रही थी.

तभी मेरे दिमाग़ मे उसे एसएमएस करने का ख़याल आया और मैने बिना देर किए उसे बर्तडे विश का एसएमएस भेज दिया और सोचने लगा कि शायद इसके बदले मे वो भी कोई रिप्लाइ कर दे. लेकिन उसका कोई रिप्लाइ नही आया.

मैने घड़ी मे समय देखा तो अभी 12:15 बजे थे. मैने सोचा कीर्ति को अपने कमरे मे गये 1 घंटे से उपर हो गया है. कही वो सो तो नही गयी है. ये सोच कर मैने उसे कॉल करने की सोची और उसे कॉल लगा दिया. मगर कॉल करते ही मुझे ज़ोर का झटका लगा. क्योकि कीर्ति का कॉल बिज़ी जा रहा था.

ये देखते ही मैने तुरंत कॉल काट दिया. मैं सोचने लगा कि रात को 12:15 बजे, ये किस से बात कर रही है. मैं अभी इस बारे मे सोच ही रहा था कि, तभी मुझे कीर्ति की, उसका बाय्फ्रेंड होने की बात याद आ गयी.

अब मुझे इस बात मे कोई शक़ नही रह गया था कि, वो अभी अपने उसी बाय्फ्रेंड से बात कर है और हो सकता है कि, इसी वजह से शायद उसने मेरा एसएमएस भी ना देखा हो. ये सब सोचते सोचते 12:30 बज गये और तभी मेरे मोबाइल की रिंग बजने लगी.

मुझे लगा कि कीर्ति का कॉल आ रहा है. लेकिन जब देखा तो, वो मेहुल का कॉल आ रहा था. मैने कॉल उठाया और मैं मेहुल से बात करने लगा. मैने मेहुल को अपने साथ, उसके घर मे घटी हुई सारी बातें बताई. जिसे सुनकर वो बहुत खुश हो गया.

मगर मेरा मूड कीर्ति का कॉल बिज़ी रहने की वजह से खराब था और मैं चाहता था कि, मेहुल जल्द से जल्द अपनी बात ख़तम करके कॉल रखे. लेकिन वो तो नितिका और शिल्पा के बारे मे सुनकर बावला सा हो गया और मुझसे सवाल पर सवाल सवाल करने लगा.

अभी मेरी मेहुल से बात चल ही रही थी कि, तभी कीर्ति का कॉल आने लगा. मैने टाइम देखा तो, अब 12:45 बज गये थे. ये देख कर मुझे कीर्ति पर ऑर भी ज़्यादा गुस्सा आ गया कि, इतनी देर तक अपने बाय्फ्रेंड से बात कर रही थी. अपने इसी गुस्से की वजह से अब मैं कीर्ति से बात करना नही चाहता था. इसलिए मैने अपने कॉल को बिज़ी रखना ठीक समझा और मैं आराम से मेहुल से बात करने लगा.

अभी तक मेहुल मुझे अपनी बातों मे उलझाए हुए था. लेकिन अब मैने मेहुल को अपनी बातों मे उलझाना सुरू कर दिया. इधर कीर्ति मेरा कॉल बिज़ी देख कर भी, मुझे लगातार कॉल किए जा रही थी. जिसे देख कर, ना जाने क्यो, मुझे बहुत सुकून मिल रहा था.
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09-09-2020, 12:24 PM,
#23
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
फिर 1 बजे कीर्ति के कॉल आना बंद हो गये और मैने भी मेहुल को गुड नाइट बोल कर कॉल रख दिया. क्योकि कीर्ति के कॉल को बिज़ी देख कर मुझे जो अशांति हुई थी. वो अब कीर्ति को अपना कॉल बिज़ी दिखा कर शांति मे बदल चुकी थी.

मैने लाइट बंद की और सोने की कोशिश करने लगा. लेकिन तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई. मैने लाइट चालू कर दरवाजा खोला तो सामने नाइट सूट मे कीर्ति खड़ी थी.

वो बहुत ज़्यादा गुस्से मे लग रही थी और खा जाने वाली नज़रो से मुझे देख रही थी. मेरे दरवाजा खोलते ही, वो आकर मेरे बेड पर बैठ गयी और मुझ पर भड़कते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली “इतनी रात को किस से बात कर रहे थे. मैं कॉल पर कॉल लगाए जा रही हू. मगर तुम्हारे पास मेरा कॉल उठाने तक की भी फ़ुर्सत नही है.”

शायद कीर्ति का ये गुस्सा मेरे कॉल को बिज़ी देख कर ही था. लेकिन मैने उसके गुस्से की परवाह किए बिना उस से कहा.

मैं बोला “मैं मेहुल से बात कर रहा था और इसमे इतना गुस्सा करने वाली कौन सी बात हो गयी. मैने भी तो तुझे कॉल किया था और तेरा भी कॉल बिज़ी जा रहा था. क्या तब तूने मेरा कॉल उठाया था.”

मेरी इस बात से कीर्ति को समझ मे आ गया कि, मैं भी उसका कॉल बिज़ी रहने की वजह से नाराज़ हूँ. इसलिए उसने थोड़ा नरम पड़ते हुए मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “मेरा कॉल बिज़ी था तो क्या हुआ. मैने कॉल से फ्री होते ही, तुझे वापस कॉल तो लगाया. तेरी तरह तो नही किया कि, कॉल से फ्री होते ही, लाइट बंद करके सो गयी हूँ.”

कीर्ति की बात सही थी. लेकिन मैं उसे कैसे बताता कि, मुझे उसका कॉल बिज़ी रहना क्यो अच्छा नही लगा. इसलिए मैने बात को बदलते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “अब इतनी रात को, ये फालतू की बात बदाना बंद कर और ये बता कि, तुझे क्या बोलना है.”

कीर्ति बोली “बोलना तो तुझे है. कॉल तो तूने लगाया था. मैं तो सिर्फ़ इसलिए कॉल लगा रही थी कि, तेरा कॉल आया था.”

मैं बोला “मुझे जो बोलना था, वो मैने एसएमएस मे बोल दिया है. तेरा कोई रिप्लाइ नही आया तो, मैने ये जानने के लिए कॉल लगा दिया था कि, तू जाग रही है या सो गयी है. मुझे क्या मालूम था कि, तू इतनी रात को किसी के साथ बिज़ी है.”

मैने गुस्से मे एक ही साँस मे अपनी सारी भडास कीर्ति पर निकाल दी. जिसे सुनकर, कीर्ति के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और उसने मुझे छेड़ते हुए कहा.

कीर्ति बोली “क्यो मुझे इतनी रात को बिज़ी देख कर तुझे जलन हो रही है.”

मैं बोला “मुझे क्यो जलन होगी. मैं तेरा बाय्फ्रेंड नही, भाई हूँ और इसलिए ये मुझे अच्छा नही लगा.”

कीर्ति बोली “तो ये बोल ना कि, अपना कॉल बिज़ी रख कर, तू मुझसे इसका बदला ले रहा था.”

मैं बोला “मैं किसी गर्लफ्रेंड के साथ बिज़ी नही था. अपने दोस्त से बात कर रहा था.
वो भी कॉल मैने नही, उसने लगाया था.”

कीर्ति बोली “तो मुझे भी इतनी रात को किसी से बात करने का कोई शौक नही है. लेकिन जिसे मालूम है कि, आज मेरा बर्तडे है और मुझे सबसे ज़्यादा प्यार करता होगा तो, वो मुझे रात को 12 बजे सबसे पहले विश करने की कोशिश तो करेगा ना.”

मैं बोला “क्यो, क्या एसएमएस करके विश नही किया जा सकता है.”

कीर्ति बोली “हर कोई तेरी तरह तो होता नही है कि, एसएमएस कर दिया और काम हो गया. जो ज़्यादा प्यार करते है, उनका मन खुद बोल कर विश करने का ही होता है.”

मैं बोला “चल जो तुझे ज़्यादा प्यार करता है. उसने तुझे विश कर दिया. अब हो गया ना. तो अब जाकर सो जा और मुझे भी सोने दे.”

कीर्ति बोली “क्या तू उस से बात करेगा. जिसने अभी मुझे कॉल करके विश किया.”

मैं बोला “मुझे किसी से बात करने की ज़रूरत नही.”

मगर कीर्ति ने मेरी बात नही मानी और कॉल लगा दिया. दूसरी तरफ से कॉल उठाते ही उसने कहा.

कीर्ति बोली “यार गड़बड़ हो गयी है. मेरे भाई को मेरा तुझसे इतनी रात को बात करना पसंद नही आया. वो मुझ पर गुस्सा कर रहा है. अब तू ही उसे कुछ समझा.”

ये कह कर उसने फोन मुझे थमा दिया. मुझे उस समय कीर्ति की इस हरकत पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था कि, पता नही किस से मेरी बात करवा रही है. लेकिन ना चाहते हुए भी, मैने फोन अपने कान से लगा लिया और कहा.

मैं बोला “हेलो.”

मगर दूसरी तरफ से हेलो की आवाज़ सुनते ही मेरा सारा गुस्सा गायब हो गया. क्योकि दूसरी तरफ से एक लड़की की आवाज़ थी. मेरी आवाज़ सुनने के बाद उस लड़की ने कहा.

लड़की बोली “मैं नितिका बोल रही हूँ. आप कीर्ति को क्यो डाँट रहे है. क्या हम उसे बर्तडे विश भी नही कर सकते.”

मैं बोला “ऐसा कुछ भी नही है. मैने सिर्फ़ ये कहा कि इतनी रात तक, फोन पर बात करना अच्छी बात नही है.”

नितिका बोली “सॉरी, इसमे उसकी कोई ग़लती नही है. उसने मुझसे कहा था कि, आपका कॉल आ रहा है. यदि वो अभी वापस कॉल नही लगाएगी तो, आप गुस्सा करोगे. लेकिन मैं ही उस से कुछ ज़रूरी बात करने लगी. जिसमे इतनी देर हो गयी. प्लीज़ आप कम से कम, आज उसके बर्तडे वाले दिन उस पर गुस्सा मत कीजिए.”

मैं बोला “ठीक है नही करूगा. ये लीजिए, आप कीर्ति से बात कीजिए.”

ये कह कर मैने मोबाइल कीर्ति को पकड़ा दिया. मगर कीर्ति ने उस से कल बात करने की बात बोल कर कॉल रख दिया. उसके कॉल रखते ही, मैने उस से कहा.

मैं बोला “ये सब नाटक करने की क्या ज़रूरत थी. ये बात तू सीधे भी तो बोल सकती थी की, नितिका से बात कर रही थी.”

कीर्ति बोली “तुम भी तो सीधे पूछ सकते थे कि, मैं किस से बात कर रही थी. बात को इतना घुमा कर कहने की क्या ज़रूरत थी. मुझे तुम्हारे मन से इस शक़ को निकालना था कि, मैं अपने बाय्फ्रेंड से बात कर रही थी.”

ये कह कर कीर्ति मुझे देख कर मुस्कुराने लगी और मेरा सर शर्म से झुक गया. मैने धीरे से उस से कहा.

मैं बोला “चल ठीक है, अब रात बहुत ज़्यादा हो गयी है. तू जाकर सो जा, मुझे भी नींद आ रही है.”

कीर्ति बोली “रात ज़्यादा हो गयी तो क्या हुआ. मैं अपने घर पर ही हूँ. कोई सड़क पर तो नही खड़ी कि, मुझे किसी बात का कोई डर हो.”

उसकी बात सुनकर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैने उसकी तरफ देखते हुए कहा.

मैं बोला “तू भी बड़ी अजीब है. कभी तो बात ही नही करती और कभी इतना बात करती है कि, कुछ बोलने ही नही देती.”

कीर्ति बोली “ज़्यादा मस्का लगाने की ज़रूरत नही है. ये कंजूसी दिखाना बंद करो और मुझे मेरा बर्तडे गिफ्ट दो.”

मैं बोला “तेरा बर्तडे गिफ्ट कही भागा नही जा रहा. सुबह ले लेना.”

कीर्ति बोली “कुछ देने के लिए मैं सुबह तक का इंतजार कर सकती हूँ. लेकिन कुछ लेने के नाम से मुझसे एक पल का भी इंतजार नही होता. मुझे तो मेरा गिफ्ट अभी चाहिए वरना मैं रात भर यही बैठी रहूगी.”

मैं बोला “तुझ मे और निमी मे ज़रा भी फरक नही है. बस एक बात को पकड़ लिया तो, पकड़ लिया.”

ये कहते हुए, मैं ब्रेस्लेट निकाल कर, उसके हाथ मे थमा देता हूँ और वो उसे मेरे सामने ही पहन लेती है. फिर उसकी नज़र सलवार सूट के पॅकेट पर पड़ती है और वो उसकी तरफ इशारा करते हुए कहती है.

कीर्ति बोली “इस पॅकेट मे क्या है.”

मैं बोला “कुछ नही, कुछ बुक्स है.”

कीर्ति बोली “अभी तुमने ठीक ही कहा कि, मैं बिल्कुल निमी जैसी हूँ. अब बताओ इसमे क्या है.”

मैं बोला “बताया तो कि, इसमे बुक्स है.”

कीर्ति बोली “जब निमी को इस बात पर विस्वास नही है कि, इसमे बुक्स है, तो फिर मैं कैसे विस्वास कर सकती हुँ कि, इसमे बुक्स है.”

ये बात सुन कर मैं चौंक गया और मैने उस पुछा.

मैं बोला “क्यो, क्या बोला निमी ने.”

कीर्ति बोली “जब तुम बुक्स बोलकर, वहाँ बिना रुके सीधे अपने कमरे मे आ गये तो, निमी कह रही थी कि, भैया ज़रूर मेरे लिए कुछ लाए है. लेकिन यहाँ सब बैठे है और वो किसी को दिखाना नही चाहते थे. इसलिए जल्दी से उसे अपने कमरे मे ले गये.”

मैं बोला “ये निमी बिल्कुल शैतान की नानी है. ना जाने कहाँ कहाँ, अपना दिमाग़ चलाती रहती है.”

कीर्ति बोली “और निमी की बड़ी बहन मैं हूँ तो, मैं शैतान की बड़ी नानी हुई.”

मैं बोला “क्या मतलब है तेरा.”

कीर्ति बोली “जो निमी का था.”
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09-09-2020, 12:24 PM,
#24
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22A

मैं बोला “तुझे इतनी रात को पहेलिया सूझ रही है. सॉफ सॉफ बोल, तू क्या बोलना चाहती है.”

कीर्ति बोली “निमी की तरह मैं भी मानती हूँ कि इसमे मेरे लिए कुछ है. वरना ये अभी तक ऐसे ही पॅक नही रखा होता.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं मन ही मन उसके दिमाग़ की दाद दिए बिना नही रह सका. मगर अब मैं वो सूट उसे देना नही चाहता था. इसलिए मैने उस से कहा.

मैं बोला “लाया तो तेरे लिए था, पर ये तुझे पसंद नही आएगा. इसलिए इसे तू यही रहने दे.”

कीर्ति बोली “जब तुम्हे पहले से ही पता था कि, ये मुझे पसंद नही आएगा, तो फिर ऐसी चीज़ तुम लेकर ही क्यों आए.”

मैं बोला “क्योकि मुझे पसंद आया.”

कीर्ति बोली “तो फिर दे क्यो नही रहे.”

मैं बोला “बताया तो कि तुझे पसंद नही आएगा, इसलिए नही दे रहा हूँ.”

मगर कीर्ति ने वो पॅकेट उठा लिया और कहने लगी.

कीर्ति बोली “ये मेरे लिए आया है तो, इसे मैं ले जाती हूँ. यदि ये मुझे पसंद नही आया तो, वापस कर दूँगी और यदि पसंद आ गया तो इसे मैं रख लूँगी. ओके अब मैं चलती हूँ. गुड नाइट.”

ये कह कर कीर्ति वो पॅकेट लेकर अपने रूम मे जाने लगी. मैने उसे रोकने की कोसिस की, मगर वो नही रुकी और मेरी बात को अनसुना कर अपने कमरे मे चली गयी. लेकिन जाते जाते मुझे गहरी सोच मे डाल गयी.

अब मैं ये सोच सोच कर परेशान था कि, आज ही तो कीर्ति ने मुझसे अच्छे से बात करना सुरू की है. अब उस सलवार सूट को देख कर, कही वो फिर से बात करना बंद ना कर दे. अब मैं उस घड़ी को कोस रहा था. जब मेरे मन मे सलवार सूट लेने का विचार आया था.

वो सलवार सूट सच मे मेरी पसंद का था और कलर भी मेरा मनपसंद था. लेकिन ये दोनो चीज़े कीर्ति को सख़्त नापसंद थी. अब बिल्कुल वही होने वाला था जो किसी बैल (बुल) को लाल कपड़ा दिखाने पर होता है. मैं अपनी किस्मत को रोते रोते सो गया.

सुबह सुबह मेरी नींद निमी के चिल्लाने पर खुली. वो मुझे जगाने की कोशिश करते हुए कह रही थी.

निमी बोली “भैया उठो, भैया उठो, जल्दी उठो.”

मैं बोला “क्या हो गया, क्यो इतना चिल्ला रही है.”

निमी बोली “भैया, घड़ी देखो 7 बज गया है. स्कूल जाने का टाइम हो गया और आप अभी तक सो ही रहे है.”

मैं बोला “तुझे उठाना ही था तो और पहले उठाया होता. अब तो मैं स्कूल नही जा पाउन्गा.”

निमी बोली “मौसी और अमि दीदी तो आप को उठाने आए थे. लेकिन आप ये कह कर फिर सो गये कि, अभी उठता हूँ. जब आप नही उठे तो, मम्मी ने आपको उठाने के लिए मुझे भेजा और देखो मैने आपको उठा दिया.”

ये कह कर वो खुश होने लगी. ये बात सच भी थी, मैं चाहे कितनी भी गहरी नींद मे क्यो ना रहूं. मगर मुझे उठाने के लिए निमी की एक आवाज़ ही काफ़ी थी. फिर भी छोटी माँ, मुझे उठाने के लिए निमी को कभी नही भेजती थी.

क्योकि वो मुझे नींद से जगा तो देती थी. लेकिन फिर अपनी बातों मे लगा लेती थी और मैं स्कूल के लिए समय पर तैयार नही हो पाता था. अभी भी उसने अपनी वो ही हरकत सुरू कर दी. मेरे उठते ही उसने कहा.

निमी बोली “भैया मैं कीर्ति दीदी को बर्तडे विश करने गयी थी. मगर वो अभी सो रही है. मैं उन्हे सबसे पहले गिफ्ट देना चाहती थी. अब मैं उन्हे गिफ्ट कैसे दूं.”

मैं बोला “तो क्या हुआ, तू स्कूल से आकर उन्हे गिफ्ट दे देना और विश कर देना.”

निमी बोली “अब तो यही करना पड़ेगा. मगर याद रखना, सबसे पहले गिफ्ट मैं ही दीदी को दूँगी. आज आप घर मे रहोगे. लेकिन आप भी उन्हे मेरे पहले गिफ्ट नही दोगे.”

मैं बोला “क्यो यदि मैं दे दूं तो, इसमे क्या बुराई है.”

निमी बोली “नही, सबसे पहले गिफ्ट मैं ही दूँगी. यदि आपने अपना गिफ्ट पहले दिया तो, मैं आपसे बात नही करूगी.”

अभी वो अपनी बात बोल ही रही थी कि, तभी छोटी माँ ने निमी को आवाज़ लगाई और निमी मुझे धमकाते हुए नीचे चली गयी. मगर जाते जाते मुझे एक नयी सोच मे डाल गयी.

कीर्ति को दिए गये, मेरे दोनो ही गिफ्ट, मेरे लिए मुसीबत बनने वाले थे. एक गिफ्ट देने की वजह से, जहा कीर्ति का नाराज़ होना पक्का था. वही दूसरा गिफ्ट देने की वजह से निमी की नाराज़गी भी झेलनी पड़ सकती थी.

कीर्ति के अभी तक सोकर ना उठने वाली बात ने मुझे परेशानी मे डाल दिया था. क्योकि कीर्ति कभी भी इतनी देर तक नही सोती थी. उसकी आदत थी कि, वो चाहे रात को कितने भी समय क्यो ना सोए. मगर सुबह 6 बजे तक हर हाल मे उठ जाती थी.

मेरे गिफ्ट की वजह से कीर्ति के, फिर से नाराज़ हो जाने की बात से, मेरा दिल उदास हो गया और अब मुझे कुछ भी अछा नही लग रहा था. मैं कीर्ति की नाराज़गी के बारे मे सोचते सोचते फिर से सो गया.

फिर मेरी नींद छोटी माँ के जगाने से खुली. जब मैने छोटी माँ की आवाज़ सुनकर, अपनी आँख खोली तो, वो मेरे सिरहाने बैठी मेरे सर पर हाथ फेरते हुए, मुझे नींद से जगा रही थी. मेरे आँख खोलते ही उन ने मुझसे कहा.

छोटी माँ बोली “बेटा क्या हुआ. तेरी तबीयत तो ठीक है ना.”

छोटी माँ को अपने पास देखते ही, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैने उन से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, मेरी तबीयत को कुछ नही हुआ. मैं रात को देर से सोया था, इसलिए आज नींद नही खुल सकी.”

छोटी माँ बोली “चल कोई बात नही. लेकिन अब जल्दी से उठ जा और मूह हाथ धोकर नाश्ता कर ले. देख 9 बजने वाले है.”

मैं बोला “ठीक है छोटी माँ. आप चलिए, मैं अभी तैयार होकर आता हूँ. क्या कीर्ति सोकर उठ गयी है.”

छोटी माँ बोली “नही, वो भी अभी तक सोकर नही उठी है. तू जाकर उसे जगा देना. मुझे बहुत काम पड़ा है, मैं अब जाती हूँ.”

मैं बोला “ठीक है, छोटी माँ.”

इसके बाद छोटी माँ नीचे चली गयी और मैं उठ कर फ्रेश होने बाथरूम मे चला गया. फ्रेश होने के बाद मैं तैयार हुआ और फिर कीर्ति को जगाने के लिए, उसके कमरे की तरफ चला गया.
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09-09-2020, 12:25 PM,
#25
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कीर्ति के कमरे मे पहुच कर, मैने दरवाजे पर दस्तक दी. लेकिन दरवाजा नही खुला और इसलिए मैं लगातार दरवाजे पर देता रहा. मेरे लगातार दस्तक देने पर, कीर्ति ने दरवाजा खोला.

वो अभी भी रात वाले नाइट सूट मे ही थी. जिसका मतलब था कि, वो अभी अभी नींद से जागी है. उसे देखते ही मैने कहा.

मैं बोला “क्या हुआ, आज तेरा जनमदिन है और तू अभी 9:30 बजे तक सो ही रही है.”

कीर्ति बोली “नींद तो मेरी 6 बजे ही खुल गयी थी. लेकिन कोई काम तो था नही. इसलिए सोचा कि क्यो ना आज देर तक सोया जाए. यही सोचकर फिर से सो गयी थी.”

मैं बोला “ओके, अब तेरा सोना पूरा हो गया हो तो, जल्दी से तैयार होकर नीचे आ जा. छ्होटी मा नस्टे के लिए हम दोनो का इंतेजर कर रही है.”

कीर्ति बोली “तू चल, मैं अभी तैयार होकर आती हूँ.”

ये कहकर वो फ्रेश होने चली गयी. उसका मूड सही देख कर, मैने भी सुकून की साँस ली और मैं नीचे आ गया. मैं नीचे आकर टीवी देखते हुए कीर्ति के आने का इंतेजर करने लगा.

मगर मेरा मन टीवी देखने मे नही लग रहा था. मुझे इस बात को लेकर उत्सुकता थी कि, आज कीर्ति क्या ड्रेस पहन कर आने वाली है. इसलिए मैं बार बार सीडियों की तरफ देख रहा था.

कुछ देर बाद कीर्ति, मुझे सीडियों से नीचे आते दिखाई दी. उसने ब्लॅक कलर के मिनी स्कर्ट के साथ वाइट कलर का स्लीवेलेस्स टॉप पहना हुआ था. उसका स्कर्ट घुटनों से बहुत उपर था.

जिसकी वजह से उसकी पिंदलियों मे पड़ रहे बल से उसकी पिंदलियों के उपर के हिस्से का अंदाज़ा लगाया जा सकता था और उसके स्लीवेलेस्स वाइट टॉप से बाहर निकले हाथों की गोलाई से यह पता लगाना मुस्किल था कि, उसकी टांगे ज़्यादा सेक्सी है या फिर उसके हाथ ज़्यादा सेक्सी है.

मगर इस समय मेरे उपर, सबसे ज़्यादा कहर उसके बूब्स के उभर ढा रहे थे. उसके स्लीवेलेस्स टॉप्स का गला कुछ इस तरह से बना हुआ था कि, उसके सामने बैठने वाले को, उसके बूब्स का उपरी कटाव सॉफ नज़र आ जाए. वही कोई यदि उसके अगल बगल बैठे तो, उसे सिर्फ़ एक ही बूब्स का एक ही हिस्सा नज़र आए, मगर उसे अंदर का कुछ ज़्यादा हिस्सा दिखाई दे.

कीर्ति इस समय कयामत ढा रही थी. वो बहुत ही सुदार और सेक्सी लग रही थी. मुझे तो वो दुनिया की सबसे सुंदर लड़की नज़र आ रही थी और मैं ना चाहते हुए भी उसे अपलक देखे जा रहा था.

आज पहली बार मैं अपने पापा की पसंद को सराह रहा था और अपनी किस्मत को रो रहा था कि, काश ये मेरी बहन ना होती. मैं इन्ही सब ख़यालों मे खोया हुआ था और कीर्ति मेरे पास आकर बैठ गयी थी.

कीर्ति को आया देख कर, छोटी माँ ने नाश्ता लगाने का पुछा तो, मैं अपने ख़यालों से बाहर आ गया. कुछ ही देर मे छोटी माँ ने हम दोनो के लिए नाश्ता लगा दिया और वो वापस किचन मे चली गयी.

छोटी माँ के जाने के बाद, हम नाश्ता करने लगे. कीर्ति ने नाश्ता करते हुए मुझसे पुच्छा.

कीर्ति बोली “ऐसे मुझे क्यो घूर रहे थे.”

मैं बोला “तुम इस ड्रेस मे सच मे बहुत सुंदर लग रही हो.”

कीर्ति बोली “तुम्हे तो तारीफ करना भी नही आता.”

मैं बोला “क्यो, ऐसा क्या ग़लत बोल दिया मैने.”

कीर्ति बोली “ऐसी ड्रेस कोई लड़की पहने तो उसे सुंदर नही, सेक्सी कहा जाता है.”

मैं बोला “ऐसा क्यो.? क्या सुंदर कहना तारीफ करना नही होता.?”

कीर्ति बोली “सुंदर उसको कहते है, जब किसी लड़की के कपड़े देख कर आँखे उसके चेहरे पर जाकर थम जाए.”

मैं बोला “और सेक्सी किसे कहते है.?”

कीर्ति बोली “सेक्सी उसे कहते है, जब किसी लड़की के कपड़ो को देख कर, उसके बदन के हर अंग पर नज़र जाए और देखने वाले का दिल उसके अंग अंग को देखने को मचल जाए.”

मैं बोला “तू इतनी फालतू की बातें कहाँ से सीख आती है. क्या तेरी सभी सहेलियाँ इस तरह की है.”

कीर्ति बोली “मेरी कोई सहेली मेरी तरह की नही है, पर मेरी तरह की बनना ज़रूर चाहती है, क्योकि उन्हे मेरा रहन सहन और पहनावा बहुत पसंद आता है.”

मैं बोला “क्या निकिता भी तेरी जैसा बनना चाहती है.”

कीर्ति बोली “बनना क्या चाहती है, वो तो इसी तरह की ही लड़की है. वरना तू खुद सोच कि, क्या कोई बहन जी टाइप की लड़की को, मैं अपनी फ्रेंड बना सकती हूँ.”

मैं बोला “मैं तो उस से 2 बार मिला, पर वो तो मुझे दोनो बार ही सीधी सादी और सादगी पसंद लड़की समझ मे आई है.”

कीर्ति बोली “बात तो तेरी सही है. लेकिन जब वो तुझसे पहली बार मिली. तब उसका भाई भी उसके साथ स्कूल आया था और जब तू दूसरी बार उस से मिला तो, तब वो अपने घर के पास ही थी. लेकिन यदि तुझे उसका असली रूप देखना है तो, तू उस से तब मिल जब कभी वो तेरे दोस्त मेहुल से मिलने जाए. तभी तुझे उसका असली रूप नज़र आ जाएगा.”

मैं बोला “मेहुल की गर्लफ्रेंड तो शिल्पा है. फिर नितिका मेहुल से मिलने क्यो जाएगी.”

कीर्ति बोली “अरे शिल्पा मेहुल से अकेले मिलने से डरती है. इसलिए उसने नितिका को साथ चलने को कहा है और मेहुल से भी बोला है कि, वो भी अपने किसी दोस्त को साथ लेकर आए. ताकि वो मेरी सहेली का साथ दे सके और यदि लड़का नितिका की पसंद का हुआ तो वो उसे अपना बाय्फ्रेंड भी बना सकती है.”

कीर्ति की ये बात सुनकर मैं चौक गया और मैने उस से कहा.

मैं बोला “मेहुल इस बात के लिए तैयार हो गया.”

कीर्ति बोली “मेहुल तैयार नही हुआ. बल्कि उल्टा शिल्पा से नाराज़ हो गया और अपना मोबाइल बंद करके, अपने मामा के घर रहने चला गया.”

मैं बोला “मैं जानता हूँ कि मेहुल अपने किसी दोस्त को साथ लाने के लिए तैयार क्यो नही हुआ.”

कीर्ति बोली “क्यो नही हुआ.”

मैं बोला “क्योकि शिल्पा की वजह से, मेहुल अपनी क्लास बदलवा कर, मेरी क्लास से शिल्पा की क्लास मे चला गया था. तब मैने गुस्से मे उस से कहा था कि, आज तू इसके लिए क्लास बदल रहा है. कल कही ऐसा ना हो कि, इसके साथ घूमने के चक्कर मे अपना ये दोस्त भी बदल दे. याद रख आज से हम उस के सामने कभी एक दूसरे से नही मिलेगे और मैं तेरे दोस्त की हैसियत से भी, कभी उस से नही मिलुगा. शायद इसी वजह से मेहुल ने शिल्पा की बात मानने से इनकार कर दिया है.”

कीर्ति बोली “क्या वो किसी दूसरे दोस्त को अपने साथ नही ले जा सकता.”

मैं बोला “मेहुल तभी किसी को अपने साथ ले जा सकता है. जब मैं खुद उस पर ऐसा करने के लिए ज़ोर डालु. वरना ऐसा होना नामुमकिन है.”

कीर्ति बोली “तो क्या तुम मेहुल के उपर ऐसा करने का ज़ोर डालोगे.”

कीर्ति की इस बात के जबाब मे मैने कुछ नही कहा और चुप चाप नाश्ता करने लगा. कुछ देर कीर्ति मेरा चेहरा देखती रही और फिर वो भी नाश्ता करने लगी. इसके बाद नाश्ता करते समय हम लोगों के बीच कोई बात नही हुई.

नाश्ते के बाद कीर्ति ने गिफ्ट देखने उसके कमरे मे चलने को कहा तो, मैं उसके साथ, उसके कमरे मे चला आया. कमरे मे आकर मैं उसके बेड पर बैठ गया और कीर्ति सारे गिफ्ट के पॅकेट बेड पर मेरे सामने रखने लगी. उसके बाद वो खुद भी मेरे पास आकर बैठ गयी.

फिर सबसे पहले उसने पापा के दिए गिफ्ट के पॅकेट खोले. उनमे जीन्स टी-शर्ट और एक वीडियो गेम भी था. जिसे देख कर वो बहुत खुश हुई. फिर उसने छोटी माँ का गिफ्ट खोला तो, उसमे एक गोल्ड रिंग थी. जो उसने तुरंत पहन ली. इसके बाद उसने मेरा दिया हुआ गिफ्ट खोला और गिफ्ट देखते ही, मुझे घूरते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली “गुड, तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है. तुम मेरे लिए ऐसी गिफ्ट लेकर आए हो कि, मई गिफ्ट देखते ही तुम्हे गोली मार दूं. आख़िर क्या सोच कर तुम मेरे लिए ये गिफ्ट लाए थे.”

मैं बोला “मैं तो सिर्फ़ ये सोच कर लाया था कि, यदि तुम इसे पह्नोगि तो, बहुत सुंदर लगोगी. लेकिन जानता हूँ कि, ना तो तुम्हे ये सूट पसंद आएगा और ना ही इसका कलर पसंद आएगा.”
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09-09-2020, 12:25 PM,
#26
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुझ पर झल्लाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “जब तुम ये बात पहले से ही जानते थे, तो फिर तुम्हे इसे लेने की, क्या ज़रूरत थी. तुम मेरे बर्थडे पर, मुझे गिफ्ट देकर खुश करना चाहते थे या फिर मेरा मूड खराब करना चाहते थे.”

मैने देखा तो कीर्ति का मूड सच मे बहुत खराब हो चुका था. मुझे अपनी इस हरकत पर बहुत पछ्तावा हो रहा था. मैने उसका बिगड़ा हुआ मूड, ठीक करने की कोशिस करते हुए कहा.

मैं बोला “मैं तो तुझसे पहले ही बोला था कि, ये तुझे पसंद नही आएगा. लेकिन तू ज़िद करके इसे अपने साथ ले आई थी. मगर अब तू इस गिफ्ट को लेकर अपना मूड खराब मत कर, मुझे अच्छा नही लग रहा है.”

कीर्ति बोली “तुझे अच्छे से पता है कि मैं सलवार सूट नही पहनती हूँ, तो अब तू ही बता तेरे इस गिफ्ट का मैं क्या करूँ.”

मैं बोला “तू इस गिफ्ट को भूल जा और इसे मुझे वापस कर दे. मैं इसे किसी ऑर को दे दूँगा. तुझे मैं तेरी पसंद का कोई दूसरा गिफ्ट दिला दूँगा.”

ये कहते हुए मैने कीर्ति के हाथ से वो सूट ले लिया. कीर्ति ने मुझे गौर से देखते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अमि निमी को तो ये सूट होना नही है. फिर तुम ये किसे देने की सोच रहे हो.”

मैं बोला “इसमे सोचना क्या है. मैं ये मेहुल को दे दूँगा और वो अपनी गर्लफ्रेंड को गिफ्ट कर देगा.”

ये सुनते ही कीर्ति गुस्से से भड़क उठी. उसने मेरे हाथ से वो सूट छीनते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मेरा लिए खरीदा हुआ गिफ्ट, तुम उस शिल्पा को देना चाहते हो. मैं ऐसा कभी नही होने दूँगी.”

कीर्ति को फिर गुस्सा करते देख, मैने उसे समझाते हुए कहा.

मैं बोला “देख तू फिर अपना मूड खराब कर रही है. जब तुझे ये पसंद नही है तो, इस से क्या फरक पड़ता है कि, मैं इसे किसको दे रहा हूँ और फिर मेहुल मेरे लिए कोई गैर नही है.”

लेकिन कीर्ति ने मेरी बात पर भड़कते हुए कहा.

कीर्ति बोली “नही, मेरे लिए खरीदा हुआ गिफ्ट, मैं शिल्पा को हरगिज़ नही देने दूँगी.”

मैं बोला “लेकिन जब तुझे ये पसंद ही नही है तो, तू इसका करेगी क्या.?”

कीर्ति बोली “मैं चाहे इसका कुछ भी करूँ पर इसे शिल्पा को नही देने दूँगी, तो मतलब नही देने दूँगी.”

मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, कीर्ति ऐसा क्यो कर रही है. आख़िर वो शिल्पा से किस बात के लिए इतना चिड रही है. इसलिए मैने बात को थोड़ा हल्का बनाते हुए उस से कहा.

मैं बोला “ठीक है, मैं ये किसी को नही दूँगा. लेकिन तू एक बात बता कि, तू शिल्पा से इतना चिड क्यो रही है.”

मेरी बात के जबाब मे कीर्ति ने बात को घूमाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “शिल्पा, कैसी दिखती है.”

मैं बोला “अच्छी है. तेरी ही तरह सुंदर दिखती है.”

कीर्ति बोली “तेरा, मेरी ही तरह से क्या मतलब है.”

मैं बोला “मतलब कि रहण सहन पहनावा और बातचीत मे बिल्कुल तेरी तरह ही है.”

कीर्ति बोली “अछा ये बता, मैं और शिल्पा मे से कौन ज़्यादा सुंदर और सेक्सी है.”

मैं बोला “तू ही ज़्यादा सुंदर और सेक्सी है.”

कीर्ति बोली “कैसे कह सकता है कि, मैं ज़यादा सुंदर और सेक्सी हूँ.”

मैं बोला “तू उस से ज़्यादा सुंदर और सेक्सी है, तो है. अब इससे ज़्यादा मुझसे कुछ मत पूछना, तुझे मेरी कसम है.”

कीर्ति बोली “अब तूने कसम दे दी है तो, मैं इस बारे मे कुछ नही पूछूंगी. लेकिन एक बात तुझे बताती हूँ कि, शिल्पा मेहुल के घर, मेहुल को देखने गयी थी. क्योकि पिच्छले 2 दिन से मेहुल स्कूल नही जा रहा है और उसने अपना मोबाइल भी बंद करके रखा है. इसलिए वो नितिका के साथ, मेहुल के बारे मे पता करने गयी थी.”

मैं बोला “ये सब बातें तुझे नितिका ने बताई है ना.”

कीर्ति बोली “हां, नितिका ने ही बताया है. लेकिन शिल्पा से जुड़ी एक बात ऐसी भी है. जिसे नितिका, मेहुल और खुद शिल्पा भी नही जानती.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मैने हैरानी से उसे देखते हुए कहा.

मैं बोला “शिल्पा से जुड़ी ऐसी कौन सी बात है. जिसे खुद शिल्पा भी नही जानती, मगर वो तुझे पता है.”

कीर्ति बोली “यही कि शिल्पा को तुम भी प्यार करते हो.”

कीर्ति के मूह से, ये बात सुनकर एक पल के लिए तो मेरे होश ही उड़ गये. लेकिन अगले ही पल मैने खुद को संभालते हुए कहा.

मैं बोला “तू ये क्या बकवास कर रही है. शिल्पा मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड है. मैं उसके बारे मे ऐसा सोच भी कैसे सकता हूँ.”

कीर्ति बोली “ये कोई बकवास नही है. ये सच है और ये ही सच मैं तेरे मूह से सुनना चाहती थी. मैं जानती हूँ कि, मेहुल से पहले तुम शिल्पा को पसंद कर चुके थे. इसी वजह से तुम्हारी जिंदगी मे कोई दूसरी लड़की नही आई. बोलो सही कहा ना मैने.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं सोच मे पड़ गया कि, जो बात मेरे सिवा कोई जानता था, वो कीर्ति को कैसे पता चल गयी. मुझे इस तरह सोच मे गुम देख कर कीर्ति ने मुझे टोकते हुए कहा.

कीर्ति बोली “इतना ज़्यादा सोचने से कुछ हासिल नही होगा. तुम यही सोच रहे हो ना कि, ये बात जब तुम्हारे सिवा कोई नही जानता तो, मुझे कैसी पता चल गयी.”

मैं बोला “हां, ये बात तो मैने कभी मेहुल तक को नही बताई. फिर ये बात तुझको कैसे पता चल गयी. क्या ये बात नितिका और शिल्पा भी जानती है.”

मुझे कुछ परेशान सा होते देख, कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “तुम बेकार मे परेशान मत हो. नितिका और शिल्पा को इस बारे मे कुछ मालूम नही है. शिल्पा ने तुम्हे कभी मेहुल के साथ नही देखा था. इसलिए वो ये जानती ही नही थी कि, तुम मेहुल के दोस्त हो. उसे तो मेहुल के घर जाने पर आंटी से पता चला कि, तुम मेहुल के बेस्ट फ्रेंड हो.”

कीर्ति की बात सुनकर, मेरी परेशानी कुछ कम हुई और मैने उस से कहा.

मैं बोला “हां, मैं मेहुल से अक्सर स्कूल के बाद ही मिला करता था.”

कीर्ति बोली “ये सब तो तुम पहले ही बता चुके हो. अब वो बताओ, जो मैं नही जानती हूँ.”

मैं बोला “क्या.?”

कीर्ति बोली “अपने एक एकतरफ़ा प्यार की कहानी.”

मैं बोला “अभी नही, हम कुछ देर बाद, कही घूमने चलते है. वही बैठ कर, हम इस बारे मे बात करेगे.”

कीर्ति बोली “ठीक है, मगर इतना याद रखना कि, तुझे सारी बात आज ही बताना होगी. वरना इस बार मैं सच मे, तुझसे हमेशा के लिए बात करना बंद कर दूँगी.”

मैं बोला “ओके, मैं सारी बात आज ही बता दूँगा. लेकिन तू उसके पहले मुझे ये ब्रेस्लेट वापस कर दे.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने चकित होकर मेरी तरफ देखते हुए कहा.

कीर्ति बोली “ओये इसे मैं क्यों वापस कर दूं. ये तो मुझे बहुत पसंद आया है.”

कीर्ति की ये बात सुनते ही, मैने उसको सुबह निमी से हुई बातें बताई. जिसे सुनने के बाद कीर्ति ने ब्रेस्लेट उतार कर मुझे दे दिया और हंसते हुए पुच्छने लगी.

कीर्ति बोली “तुम निमी से इतना क्यो डरते हो.”

मैने भी मुस्कुराते हुए उसकी बात का जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला “उस पर तेरी ही परच्छाई पड़ी है, इसलिए वो बहुत जिद्दी है. उसने जो बात एक बार कह दी, तो कह दी. फिर वो किसी की भी नही सुनती. मैं नही चाहता कि, उस से मेरी बेवजह बात बंद हो जाए.

कीर्ति बोली “सब निमी को कितना प्यार करते है. उस प्यार को देख कर तो, कभी कभी मुझे निमी से जलन सी होने लगती है.”

मैं बोला “शरम कर, वो तेरी छोटी बहन है और तुझे उस से जलन होती है. वो अपने घर मे सबसे छोटी है, इसलिए सबकी लाडली है. उससे जलना बंद कर और घूमने चलने की तैयारी कर ले.”

कीर्ति बोली “ओके अब मैं अपनी प्यारी निमी से नही जलुन्गी. लेकिन मुझे इतना तो बता दो, कि हम लोग घूमने कहाँ जा रहे है.”

मैं बोला “कही ज़्यादा दूर नही, बस मिलेन्नीयम पार्क चलेगे.”

कीर्ति बोली “लेकिन वहाँ तो सिर्फ़ बाय्फ्रेंड और गर्लफ्रेंड ही आते है. हम वहाँ जाकर क्या करेगे.”

मैं बोला “वहाँ सभी तरह के लोग आते है. वहाँ हम से कोई ये पुच्छने नही आने वाला कि, हम बाय्फ्रेंड गर्लफ्रेंड है या भाई बहन है.”

कीर्ति बोली “चल तुझे ठीक लगता है तो, हम वही चलते है. लेकिन अमि निमी को क्या कहेगे. वो भी तो हमें जाते देख कर, हमारे साथ चलने की ज़िद करेगी.”

मैं बोला “उनके चलने से हमे क्या परेशानी. वो अपना आराम से झूले मे झूलती रहेगी और हम आराम से अपनी बात करते रहेगे.”

कीर्ति बोली “नही, मुझे अकेले मे बात करना है. तू कोई रास्ता निकाल, जिससे वो दोनो हमें खुशी खुशी घूमने जाने दे.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं सोच मे पड़ गया. मुझे एक तरकीब नज़र आई तो मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला “एक रास्ता है, जिस से अमि निमी हमें खुशी खुशी घूमने जाने दे सकती है.”

कीर्ति बोली “क्या रास्ता है.”

मैं बोला “तुझे पापा ने जो वीडियो गेम दिया है. वो तू उनको खेलने के लिए दे दे. वो दोनो उसे खेलने मे मस्त हो जाएगी और हम अकेले घूमने जा सकेगे.”

कीर्ति बोली “लेकिन यदि वो इसके बाद भी नही मानती है तो.”

मैं बोला “वो ज़रूर मान जाएगी. क्योकि दोनो को वीडियो गेम खेलने का बहुत शौक है. बस वो आपस मे झगड़ा ना करे, वरना नया तेरा वीडियो गेम हमेशा के लिए सो जाएगा.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति को हँसी आ गयी और उसने हंसते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मुझे वीडियो गेम की कोई फिकर नही. उनके उपर ऐसे हज़ार वीडियो गेम कुर्बान है. मुझे तो बस इस बात की फिकर की वो हमें खुशी खुशी यहाँ से जाने देती है या नही जाने देती.”

मैं बोला “तू इसकी भी फिकर मत कर, वो हमें ज़रूर जाने देगी. अब उनके आने का समय होने वाला है. इसलिए अब मैं अपने कमरे मे जाता हूँ. अब अमि निमी के साथ ही, तुझे ये गिफ्ट देने आउन्गा.”

मेरी बात सुनकर कीर्ति हँसने लगी और मैं अपने कमरे मे वापस आकर टीवी देखने लगा. फिर 12:30 बजे अमि निमी भी स्कूल से वापस आ गयी. दोनो ने थोड़ी देर बाद कीर्ति को गिफ्ट देने चलने की बात कही और फिर अपने कमरे मे चली गयी.

अपने कमरे मे जाकर, दोनो मूह हाथ धोने और अपने कपड़े बदलने के बाद, अपने अपने गिफ्ट लेकर मेरे पास आती है और मुझे कीर्ति के पास चलने को कहती है. मैं उनके साथ कीर्ति के कमरे मे जाता हूँ.

कीर्ति अपने कमरे मे खोले हुए गिफ्ट जमा रही थी. कीर्ति को देखते ही, निमी जल्दी से दौड़ कर उसके पास जाती है और उसे अपना गिफ्ट देते हुए बर्तडे विश करती है. कीर्ति गिफ्ट लेकर रखने लगती है तो, निमी उस गिफ्ट को अभी ही खोलने को कहती है.

तब कीर्ति उसका गिफ्ट खोलकर देखती है और उसकी बहुत तारीफ करती है. फिर अमि भी अपना गिफ्ट देकर उसको विश करती है. कीर्ति उसका भी गिफ्ट खोल कर देखती है और उसकी भी तारीफ करती है.

सबसे बाद मे मैं अपना गिफ्ट देता हूँ और विश करता हूँ. कीर्ति मेरे गिफ्ट को खोलती है और उसे पहनने लगती है. मगर वो ब्रेस्लेट उसके हाथ मे नही जाता. ये देख कर, मुझे बहुत हैरानी होती है कि, अभी कुछ देर पहले तो, कीर्ति ने बड़ी आसानी से ये ब्रेस्लेट मुझे उतार कर दे दिया था.

फिर इतनी जल्दी ये इतना तंग कैसे हो गया कि, उसके हाथ मे जा ही नही रहा है. मैं हैरत से ये सब देख रहा था. तभी अमि कीर्ति से कहती है.

अमि बोली “दीदी लगता है, ये बहुत टाइट है. आप इसे बदल कर दूसरा ले लीजिए.”

अमि की बात सुनकर, मुझे कीर्ति की इस हरकत का मतलब समझ मे आ जाती है और मैं बात को आगे बढ़ाते हुए कहता हूँ.

मैं बोला “अमि ठीक कह रही है. मैं चलकर इसे बदलवा दूँगा. मगर तुम्हे मेरे साथ चलना पड़ेगा. तभी तुम्हारे नाप का सही ब्रेस्लेट मिल पाएगा.”

उधर निमी ने कीर्ति के मेरे साथ जाने की बात सुनी तो, उसने भी बीच मे कूदते हुए कहा.

निमी बोली “हां दीदी, यही सही रहेगा और इस बहाने हम लोग घूम भी आएगे.”

निमी की बात सुनकर, मुझे तो हँसी आ गयी. मगर कीर्ति ने बात को बदलते हुए कहा.

कीर्ति बोली “नही, तुम दोनो बेकार मे क्यों परेशान होती हो. मैं और पुन्नू जाकर इसे बदल आएगे. तुम्हे करना है तो, बस मेरी छोटी सी हेल्प कर दो.”

कीर्ति की बात ने अमि निमी को उदास कर दिया. लेकिन फिर भी अमि ने उस से हेल्प के बारे मे पुछ्ते हुए कहा.

अमि बोली “दीदी, आपको हम दोनो से क्या हेल्प चाहिए.”

कीर्ति ने वीडियो गेम उठाया और दोनो को दिखाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “देखो मौसा जी, मेरे लिए ये वीडियो गेम लेकर आए है. लेकिन मुझसे तो इसे खेलते ही नही बन रहा है. क्या तुम इसे खेलना सिखा सकती हो.”

कीर्ति की बात सुनते ही निमी ने मुस्कुराते हुए कहा.

निमी बोली “दीदी, हम आपको गेम खेलना सिखा सकते है. मगर पहले हमें खुद इसमे खेलकर देखना पड़ेगा. तभी हमें पता चलेगा कि इस मे कौन कौन से गेम है और उन्हे कैसे खेला जाता है.”

कीर्ति बोली “अरे तो तुम लोगों को गेम खेलने से किसने मना किया है. तुम लोग गेम खेलो ना. मैं तो सिर्फ़ इतना चाहती हूँ कि, तुम ये गेम मुझे भी खेलना सिखा दो. अब कब और कैसे सीखना है, ये बात मैं तुम पर छोड़ देती हूँ.”

निमी बोली “तो ठीक है दीदी, आप भैया के साथ ब्रेस्लेट बदलने जाइए. जब तक मैं और अमि दीदी मिलकर, इस वीडियो गेम के सारे गेम समझ लेते है और फिर आपको भी सिखा देगे.”

कीर्ति बोली “ठीक है, लेकिन सारे गेम अच्छी तरह से सीख लेना. क्योकि मुझे इसका कोई गेम नही आता.”

निमी बोली “आप चिंता मत करो दीदी, हम अब सारे गेम सीखने के बाद ही ये वीडियो गेम आपको वापस लौटाएगे. हम लोग अभी ही जाकर आपके काम मे लग जाते है.”

निमी की वीडियो गेम वापस करने की बात सुनकर, मैं बड़ी मुस्किल से अपनी हँसी रोक पाया. वही कीर्ति ने निमी को टोकते हुए कहा.

कीर्ति बोली “नही अभी नही. पहले हम सब मिलकर खाना खाएगे. उसके बाद तुम दोनो इसे खेलते रहना और मैं पुन्नू के साथ ब्रेस्लेट बदलने चली जाउन्गी. हां तुम लोग चाहो तो, अभी इसे अपने कमरे मे रख सकती हो.”

कीर्ति की इस बात से दोनो बहुत खुश हुई और वीडियो गेम उठा कर अपने कमरे मे ले गयी. उनके जाने के बाद, मेरी थोड़ी बहुत कीर्ति से बात हुई और फिर छोटी माँ ने खाना खाने के लिए आवाज़ लगाई तो, हम सब एक एक करके नीचे आ गये.

जब सब आ गये तो छोटी माँ ने खाना लगा दिया और फिर हम सब बातें करते करते खाना खाने लगे. खाना खाते खाते अमि ने कीर्ति से कहा.

अमि बोली “दीदी आज इस ड्रेस मे आप बहुत सुंदर लग रही है. बिल्कुल फ़िल्मो की हेरोइनो की तरह दिख रही है.”

निमी बोली “हां दीदी, आज तो आप बिल्कुल, लकी फिल्म की लकी (स्नेहा उल्लाल) लग रही हो.”

अमि निमी की बात सुनकर सब हंस दिए और फिर से खाना खाने लगे. खाना खाते समय मेरी किसी ज़्यादा बात नही हो रही थी. मैं सबकी बात का, बस हाँ या ना मे जबाब दे रहा था. मगर इस सब मे एक बात मेरे साथ बार बार हो रही थी.

वो बात ये थी कि, ना चाहते हुए भी, बार बार मेरी नज़र कीर्ति पर चली जाती और मैं उसे देखता तो, देखता रह जाता. लेकिन जैसे ही कीर्ति से मेरी नज़र मिलती तो, मैं अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लेता.

मैं खुद नही जानता कि, मैं ऐसा क्यो कर रहा हूँ. मुझे मालूम था तो बस इतना मालूम था कि, मुझे कीर्ति को देखना अच्छा लग रहा था और मैं उसे देखे जा रहा था. मगर क्यो अच्छा लग रहा था, इसका कोई जबाब मेरे पास नही था.
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09-09-2020, 12:25 PM,
#27
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
मैं खाना खाने के बाद, अपने कमरे मे आ गया और कीर्ति के साथ घूमने जाने के लिए तैयार होने लगा. मैने एक ब्लॅक जीन्स और येल्लो टी-शर्ट पहनी. तब तक कीर्ति भी खाना खा कर, उपर मेरे कमरे मे आ गयी.

मैने उसे देखा तो, फिर से देखता रह गया. मेरे इस तरह देखते रहने से, कीर्ति ने मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “आज तू बार बार मुझे ऐसे क्या देख रहा है. क्या मुझे तूने इसके पहले देखा नही है.”

मैं बोला “देखा तो है. लेकिन आज तू हर दिन से ज़्यादा सुंदर लग रही है. लेकिन अब देर मत कर, अब हमें यहाँ से चलना चाहिए.”

कीर्ति बोली “अरे ऐसे कैसे, मुझे भी तो कपड़े बदल लेने दो.”

मैं बोला “क्यो, इन कपड़ो मे क्या हुआ. अच्छे कपड़े तो है, इनमे तू सच मे बहुत सुंदर लग रही है.”

कीर्ति बोली “बस इसी वजह से बदल रही हूँ. वरना तू सारे समय ये ही कहता रहेगा कि, तू बहुत सुंदर लग रही है.”

ये कह कर, कीर्ति हंसते हुए अपने कमरे मे चली गयी और मैं उसके वापस आने का इंतजार करने लगा. कुछ ही देर मे, कीर्ति अपने कपड़े बदल कर वापस आ गयी. लेकिन इस बार तो उसने मुझ पर बिजली सी ही गिरा दी थी.

अब वो मेरा दिया हुआ सलवार सूट पहन कर आई थी. उसके गोरा रंग ब्लू सूट मे ऑर भी ज़्यादा निखर गया था और वो अब पहले से भी ज़्यादा सुंदर दिख रही थी. मैने उसे देखा तो, अपलक उसे देखता ही रह गया. मुझे इस तरह खोया देख कर उसने मुझे टोकते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अब फिर मत कह देना कि, मैं बहुत सुंदर लग रही हूँ.”

मैं बोला “लेकिन सच तो यही है कि, अब तू पहले से भी सुंदर और सेक्सी लग रही है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति मुस्कुराने लगी और फिर मेरा हाथ खीच कर कहने लगी.

कीर्ति बोली “मेरी बहुत तारीफ हो गयी. अब चलो भी, वरना कही ऐसा ना हो कि, अमि निमी का इरादा बदल जाए और वो भी हमारे साथ चलने के लिए पीछे पड़ जाए.”

मैने कुछ ना कहा और चुप चाप उसके साथ नीचे आ गया. नीचे आकर मैने छोटी माँ से कीर्ति के साथ, बाजार तक जाने की बात बताई और फिर मैं बाहर आकर अपनी बाइक निकालने लगा. तब तक कीर्ति भी बाहर आ गयी और फिर हम दोनो मिलेन्नीयम पार्क जाने के लिए निकल पड़े.

कुछ ही देर मे हम पार्क के अंदर थे. पार्क मे लड़के लड़कियों के बहुत से जोड़े थे. मगर किसी भी जोड़े की नज़र, किसी दूसरे जोड़े पर नही थी. सभी जोड़े अपने अपने मे मस्त थे.

फिर हम ने एक अच्छी सी जगह देखी. जहाँ भीड़ भाड़ कुछ कम थी और खुली जगह थी. हम दोनो वहाँ जाकर एक बेंच पर बैठ गये. कुछ देर की खामोशी के बाद कीर्ति ने मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “चलो, अब जल्दी से अपने एक तरफ़ा प्यार की कहानी सुनाना शुरू करो.”

मैं बोला “ये बात मुस्किल से 6 महीने पहले की है. जब शिल्पा नयी नयी स्कूल मे आई थी. वो इतनी सुंदर थी कि, स्कूल का हर लड़का उसके आस पास मंडराता रहता था. मगर वो किसी भी लड़के पर ध्यान नही देती थी और यदि कोई लड़का उसे ज़्यादा परेशान करता या फिर उसको लव लेटर देता तो, वो उसे सबक ज़रूर सिखाती थी. इसी वजह से मैं उसे कभी प्रपोज़ करने की हिम्मत ना दिखा सका और मेरी लव स्टोरी सुरू होने के पहले ही ख़तम हो गयी.”

कीर्ति बोली “ये सच हो सकता है. मगर ना जाने क्यो, मेरा दिल इसे मानने को तैयार नही है. मुझे अपना दोस्त समझ कर सच सच बताओ. मैं सच को जाने बिना यहा से नही जाउन्गी.”

मई बोला “सच तो यही, मगर इसके साथ एक सच ऑर जुड़ा हुआ है. वो सच ये है कि, मैं शिल्पा से मन ही मन मे बहुत प्यार करने लगा था. मैं उसे छुप छुप कर देखता और जब कभी वो नज़र नही आती तो, मेरा दिल बेचैन हो जाता था.”

“उस समय मेहुल छुट्टी पर चल रहा था. इसलिए वो इस बात से पूरी तरह से अंजान था. जब मेहुल आया तो मैं अपने दिल का हाल उसे बताना चाहता था. मगर कैसे बताऊं ये समझ नही पा रहा था.”

“यूँ ही कुछ दिन बीते और फिर एक दिन मेहुल ने कहा कि, उसे एक लड़की से प्यार हो गया है. मैने जब उस से उस लड़की के बारे मे पुछा तो, उसने शिल्पा का नाम लिया और बोला कि, वो शादी करेगा तो, सिर्फ़ शिल्पा से करेगा, नही तो जिंदगी भर शादी नही करेगा.”

मैं अभी अपनी बात बता ही रहा था कि, तभी कीर्ति ने मेरी बात को, बीच मे ही काटते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तूने तभी मेहुल को अपने प्यार की बात क्यो नही बता दी.”

मैं बोला “वो इसलिए, क्योकि मैने जब मेहुल के मूह से शिल्पा का नाम सुना. तब मैं भी इसी सोच मे पड़ गया था कि, मुझे मेहुल को अपने प्यार की बात बतानी चाहिए या नही बतानी चाहिए. तब मेरे मन से आवाज़ आई कि, जो लड़की तेरे बारे मे कुछ भी नही जानती. कहीं तू उस लड़की से अपने एकतरफ़ा प्यार के बारे मे बता कर, अपने दोस्त की खुशियों को हमेशा के लिए ना मिटा दे. बस इसलिए मैने मेहुल को इस बारे मे कभी कुछ नही बताया.”

कीर्ति बोली “फिर इसके बाद क्या हुआ.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैने हंसते हुए कहा.

मैं बोला “होना क्या था, शिल्पा को लेकर, जो हालत पहले मेरी थी, बाद मे वो ही हालत मेहुल की हो गयी. फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि, मेरी हालत के बारे मे मेरे सिवा कोई भी नही जानता था. जबकि मेहुल की हालत को मैं जानता था. जब मुझसे उसका यू परेशान रहना नही देखा गया. तब मैने ही उसको अपनी क्लास बदलने की बात कही और उसने अपनी क्लास बदल ली.”

“मैं जानता था कि, जब कभी शिल्पा से मेहुल की बात आगे बढ़ेगी. तब कभी ना कभी, मेहुल उस से मिलने चलने के लिए, मुझे भी अपने साथ घसीटेगा. जबकि अब मैं शिल्पा के सामने ही नही आना चाहता था. इसलिए मैने मेहुल से क्लास बदलने की बात पर झूठा झगड़ा करके, शिल्पा के सामने उस से कभी ना मिलने वाली बात कही थी. जिसे बहुत बहस के बाद मेहुल ने मान ही लिया था. इसके कुछ ही समय बाद, शिल्पा से मेहुल की दोस्ती हो गयी और फिर जल्दी ही ये दोस्ती प्यार मे भी बदल गयी.”

कीर्ति बोली “तो क्या मेहुल को कभी पता नही चला कि, तुम शिल्पा से प्यार करते थे.”

मैं बोला “ये बात मैने कभी किसी को बताई ही नही थी. इसलिए इसका मेहुल को पता चलने का सवाल ही पैदा नही होता. अब मेरे बाद एक तुम ही हो, जिसे ये बात मालूम है.”

कीर्ति बोली “नही एक और भी है, जो पूरी तरह से तो नही, मगर इतना ज़रूर जानता है कि, तुम शिल्पा को पसंद करते थे.”

कीर्ति की बात सुनकर मैं चौक गया और मैने उस से पुछा.

मैं बोला “ये बात और किसको मालूम है.”

कीर्ति बोली “कमल को मालूम है.”

मैं बोला “मगर कमल इस बात को कैसे जानता है.”

कीर्ति बोली “उसने तुम्हे शिल्पा को छुप छुप कर देखते कयि बार देखा था. तब उसने मुझे ये बात बताई और पुछा कि पुन्नू ऐसा क्यो कर रहा है. तब मैने उस को समझाया था कि, हो सकता है पुन्नू को वो लड़की पसंद आ गयी हो और हो सकता है कि, वो उस से लव करता हो. लेकिन कुछ दिन बाद उसने बताया कि, उसी लड़की के पीछे मेहुल लगा हुआ है और पुन्नू भैया ने उसे देखना बंद कर दिया है.”

मैं बोला “तो तूने कमल नाम के जासूस मेरे पिछे लगा रखा था. जो तुझे मेरी सारी खबर लाकर देता.”

कीर्ति बोली “मैं तो सिर्फ़ ये जानना चाहती थी कि, मेरा भाई लड़कियों को कैसे पटाता है.”

मैं बोला “अब तो तुझे पता चल गया ना कि, लड़कियों की बात तो छोड़ो, तेरा भाई किसी एक लड़की को भी नही पटा सकता.”

कीर्ति बोली “ये तुम्हारी ग़लती थी. तुम यदि उसे अपने दिल का हाल पहले ही बता देते तो, मेहुल के बीच मे आने का सवाल ही पैदा नही होता था.”

मैं बोला “जो होना होता है, वो होकर रहता है. इसे कोई बदल नही सकता. मैने तो अपनी कहानी बता दी. अब तू भी बता दे कि, तेरा बाय्फ्रेंड कौन है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति खिलखिला कर हंसते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली “मेरा कोई बाय्फ्रेंड नही है.”

मैं बोला “अब तू झूठ बोल रही है. तूने खुद उस दिन कहा था कि, तेरा बाय्फ्रेंड है. अब तू अपनी ही कही बात से मुकर रही है.”

कीर्ति बोली “सच मे मेरा कोई बाय्फ्रेंड नही है. मैने उस दिन वो बात तुझे चिडाने के लिए कह दी थी. ताकि तू अपनी बात मेरे सामने खोल दे. फिर तू खुद ही सोच कर देख ना. यदि मेरा कोई बाय्फ्रेंड होता तो, क्या मैं सुबह से अभी तक, तेरे साथ ही घूम रही होती.”

कीर्ति की इस बात को सुनकर, ना जाने क्यो मुझे बहुत खुशी हुई. मैने मुस्कुराते हुए उस से पुछा.

मैं बोला “तो तू क्या कर रही होती.”

कीर्ति बोली “ज़्यादा बुद्दु मत बन. तुझे मालूम नही है कि, बाय्फ्रेंड और गर्लफ्रेंड क्या करते है.”

मैं बोला “मुझे सच मे नही मालूम.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति गौर से मेरे चेहरे को देखने लगी. शायद वो ये समझने की कोसिस कर रही थी कि, मैं सच बोल रहा हूँ या झूठ बोल रहा हूँ. जब उसे यकीन हो गया कि, मैं सच बोल रहा हूँ तो, उसने वहाँ से खड़े होते हुए कहा.

कीर्ति बोली “आ चल मेरे साथ, मैं तुझे दिखाती हूँ कि, बाय्फ्रेंड और गर्लफ्रेंड क्या करते है.”

ये कह कर, वो मुझे पार्क के दूसरे हिस्से मे ले गयी. जहाँ सिर्फ़ प्रेमी युगल बैठे हुए थे. उन्हे किसी के आने जाने से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था. वो तो बस अपने अपने मस्त थे. मैं पहली बार ये सब देख रहा था. जिसे देख कर मुझे मेरी गर्लफ्रेंड ना होने का अफ़सोस सताने लगा था.

वहाँ पर सब लड़के लड़कियाँ एक दूसरे से ऐसे चिपक कर बैठे थे. जैसे कि वो एक दूसरे के शरीर मे ही समा जाना चाहते हो. मेरे लिए ये दृश्य बिल्कुल ही नया था. मैने अभी तक मेहुल से इस पार्क के बारे मे जो कुछ भी सुना था. वो आज अपनी आँखों से देख कर अचंभित रह गया था.

मैं ये सब देख कर, इसमे इतना खो गया था कि, मैं ये तक भूल गया था कि, अभी मैं अपनी बहन के साथ वहाँ खड़ा हूँ. मैं दूसरे प्रेमी युगल द्वारा की जा रही प्रेम क्रीड़ा का आनंद लेने लगा और उनकी आपस मे चूमा चाटी देखने मे मगन हो गया.ये मेरे लिए एक बिल्कुल नया अनुभव था.

तभी मेरी नज़र झाड़ियों के पीछे, छुप कर बैठे एक जोड़े पर पड़ती है. वो हमारी तरफ नही देख रहे थे. मगर अब मेरा ध्यान पूरा उनके उपर टिका हुआ था. असल मे मैं ये देखना चाह रहा था कि, ये इस भीड़ भाड़ वाले इलाक़े मे, इस तरह छुप कर क्यो बैठे है.

यहाँ तो सभी जोड़े खुल कर एक दूसरे को किस कर रहे है और लड़कियों के स्तन भी मसल रहे है तो, फिर इन दोनो के इस तरह च्छूपने की क्या वजह है. इसी जिग्यासा ने मुझे उनको देखते रहने के लिए मजबूर कर दिया था.

तभी मुझे याद आया कि, कीर्ति मेरे साथ है तो, मैने मूड कर उसकी तरफ देखा. वो मेरी ऐसी हालत देख कर मुस्कुरा रही थी. फिर उसने मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “अब देख लिया ना कि, बाय्फ्रेंड और गर्लफ्रेंड क्या करते है. अब यहाँ से चलो.”

मैं अभी वहाँ से जाना नही चाहता था. क्योकि मुझे ये देखना था कि, ये झाड़ियों मे छुपे जोड़े क्या करने वाले है. इसलिए मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला “अभी ठहर ना. हम कुछ देर यही रुकते है, फिर चलते है.”

कीर्ति बोली “नही, मैं यहाँ नही रुक सकती. मुझे ये सब अच्छा नही लगता.”

मैं बोला “तो मैं कब बोला कि, तू ये सब देख. जिसे जो करना है करने दे. हम दोनो तो अपनी बात करेगे.”

ये सुन कर कीर्ति ने बेमन से कहा.

कीर्ति बोली “चल ठीक है, हम कुछ देर यही रुक जाते है.”
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09-09-2020, 12:38 PM,
#28
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
कीर्ति के चेहरे से मैं समझ गया कि, उसे वो सब अच्छा नही लग रहा है. लेकिन उस समय मेरे उपर कुछ ऑर देखने का ऐसा भूत सवार था की मैने इस बात की कोई परवाह नही की और मैं उसे लेकर वही बैठ गया.

मैने जान बुझ कर कीर्ति को अपने सामने बैठा लिया. ताकि मैं उसकी तरफ देखते हुए, झाड़ियों मे छिपे जोड़े की हरकते भी देख सकूँ. मैं कीर्ति से बात करने लगा. मगर मेरा पूरा ध्यान उस जोड़े पर ही था.

लड़के लड़की दोनो बैठे बैठे एक दूसरे को गले लगाए हुए थे. दोनो दीवानो की तरह एक दूसरे के शरीर को मसल रहे थे और किस कर रहे थे. फिर लड़के ने कुछ बोला तो, लड़की ने अपनी टॉप को गले तक उपर कर दिया. वो ब्रा नही पहने थी इसलिए उसके तने हुए स्तन बाहर निकल आए.

लड़के ने अपनी टी-शर्ट को उतार कर, लड़की को अपने सीने से चिपका लिया और अपने सीने का दबाब लड़की के स्तन पर देते हुए उसके होंठ चूसने लगा. लड़के की इस हरकत से लड़की भी बहुत उत्तेजित हो गयी थी.

वो अपना हाथ नीचे ले जाकर लड़के की पेंट को खोलने लगी. लड़के ने उसके इस काम को आसान करते हुए अपना पेंट को खोल कर कमर तक उतार दिया. लड़की अंडरवेर के उपर से उसके लिंग को मसलने लगी.

लड़का ज़ोर ज़ोर से उसके स्तन मसल्ने लगा और होंठ चूसने लगा. लड़के की इस हरकत से लड़की ऑर भी ज़्यादा उत्तेजित होकर, लड़के के अंडरवेर को नीचे सरका देती है और लड़के के लिंग को अपने हाथों से उपर नीचे करने लगी.

लड़के का भी जोश बढ़ने लगता है और वो लड़की को खिच कर, उसके स्कर्ट को उपर करके, उसकी पैंटी उतार कर, उसे अपनी दोनो टाँगो पर बैठा लेता है. फिर वो अपने होंठ उसके स्तन पर रख कर उसके निपल चूसने लगता है और एक हाथ से उसके एक स्तन को मसल्ते हुए, दूसरे हाथ से उसकी पुसी को सहलाने लगता है.

लड़की की पुसी सहलाते सहलाते लड़के ने लड़की की पुसी मे अपनी उंगली डाल दी और फिर उसे अंदर बाहर करने लगा. कुछ देर बाद लड़की उछल उछल कर लड़के की उंगली को अंदर बाहर करनेवाने लगती है.

फिर लड़के ने लड़की से कुछ कहा. जिसे सुनकर, लड़की लड़के से अलग होकर वही लेट जाती है और लड़का उसके लेटते ही उसकी दोनो टाँगे V के आकर मे फैला कर अपने मूह को उसकी पुसी पर रख कर उसे चाटने लगता है.

लड़की उसके सर को अपने दोनो हाथों से पुसी पर दबाने लगती है. लड़का मूह से उसकी पुसी को चाट रहा था, अपने हाथों से उसके स्तन भी मसल रहा था. कुछ ही देर बाद लड़की ने लड़के का लिंग पकड़ लिया और उसे पुसी मे डालने का इशारा किया.

लड़के ने लड़की की टाँगो को फैला कर अपना लिंग उसकी पुसी पर लगा कर धक्का मारा. कुछ पल के लिए लड़की तिलमिलाई. जिसे देख लड़का रुक गया. कुछ देर बाद लड़की ने इशारा किया तो लड़का फिर अपने लिंग को उसकी पुसी मे अंदर बाहर करने लगा.

कुछ देर बाद लड़की भी अपनी कमर उचका उचका कर साथ देने लगी और अब लड़का भी तेज़ी से धक्के मार रहा था. कुछ देर बाद लड़की के हाथ पाँव ऐंठने से लगे और वो बिल्कुल शांत पड़ गयी.

मगर लड़का लगातार तेज़ी से लिंग का धक्का पुसी को लगाए जा रहा था और कुछ देर बाद वो भी हान्फते हान्फते शांत पड़ गया और लड़की के उपर ही लेट गया. अब दोनो शांत पड़ गये थे और एक दूसरे से लिपटे हुए पड़े थे.

ये सब देख कर मेरे लिंग मे भी तनाव आ गया था. मगर तभी मुझे याद आया कि, कीर्ति मेरे साथ है और मैं इतनी देर से ये सब देखने मे मस्त था. ये ख़याल आते ही मेरे लिंग का तनाव ऐसे गायब हुआ, जैसे कभी आया ही ना हो.

मैने तुरंत अपनी नज़रें, वहाँ से हटाकर कीर्ति की तरफ की तो, वो उन्ही लड़के लड़की को कपड़े पहनते देख रही थी. मैं ये देख कर सन्न रह गया कि, कीर्ति ने वो सब मुझे देखते हुए देख लिया है.

अब मैं कीर्ति से नज़र नही मिला पा रहा था. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि, मैं कीर्ति से अपनी सफाई मे क्या बोलूं. जब मेरी कुछ समझ मे नही आया तो, मैने हिम्मत करके कीर्ति से कहा.

मैं बोला “अब हमें चलना चाहिए.”

कीर्ति ने चौुक्ते हुए मेरी तरफ देखा. मगर अब उसके चेहरे से उसकी चिर पर्चित मुस्कान गायब थी. वो बिना कुछ कहे अपनी जगह से उठी और उठ कर चल पड़ी. मैं भी खड़ा हुआ और उसके साथ साथ चलने लगा.

मुझे इस सब को लेकर, बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी. इसलिए मैं ना तो अब कीर्ति से नज़र मिला पा रहा था और ना ही उस से कुछ कहने की हिम्मत कर पा रहा था. बस ऐसे ही खामोश चलते चलते हम चलते पार्क से बाहर आ गये.

हमें अब कहाँ जाना है, ये पहले से कुछ तय नही था. इसलिए बाहर आकर, हम दोनो चुप ही खड़े रहे. मैं कीर्ति के कुछ बोलने का इन्तेजार कर रहा था और कीर्ति शायद मेरे कुछ बोलने का इंतजार कर रही थी. फिर कीर्ति ने ही इस खामोशी को तोड़ते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अपनी बाइक निकालो. किसी कॉफी हाउस मे चलकर कॉफी पीते है.”

उसके मूह से ये शब्द सुनकर मुझे कुछ राहत महसूस हुई. क्योकि उसने सीधे घर चलने की बात नही कही थी. मैं पार्किंग से बाइक निकालने लगा और बाइक निकाल कर उसके सामने आकर खड़ा हुआ तो, वो चुप चाप आकर मेरे पीछे बैठ गयी.

मगर इस बार वो हमेशा की तरह बाइक के दोनो तरफ पैर करके नही बैठी थी. वो सामान्य लड़कियों की तरह, एक तरफ पैर करके बैठी थी. उसका ये व्यवहार मुझे कुछ अजीब लग रहा था.

वो सारे रास्ते चुप ही रही. मैने कॉफी हाउस के सामने बाइक रोकी तो, कीर्ति बाइक से उतर कर, बिना कुछ कहे अंदर चली गयी. बाइक खड़ी करने के बाद मैं भी अंदर आ गया और कीर्ति को यहाँ वहाँ देखने लगा.

फिर कीर्ति मुझे दिख गयी तो, मैं उसके पास जाकर बैठ गया. तभी वेटर भी आ गया तो, मैने उसे 2 कॉफी का ऑर्डर दिया. उसके बाद मैने कीर्ति को देखा तो, वो कही खोई हुई थी. अब मुझे उसके सामने अपनी ग़लती मान लेना ही ठीक लगा और मैने उस से कहा.

मैं बोला “सॉरी यार, मैं वो सब देखना नही चाहता था, मगर पता नही कैसे, उन लोगों को वो सब करते देख कर, मैं अपने आपको, वो सब देखने से रोक नही पाया. मुझे ध्यान ही नही था कि, तू भी मेरे साथ है. प्लीज़ सॉरी. माफ़ कर दे ना.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने अपनी खामोशी को तोड़ते हुए कहा.

कीर्ति बोली “सच कहूँ तो, मैने किस्सिंग करते हुए तो, बहुत बार देखा है. लेकिन किसी को सेक्स करते पहली ही बार देख रही थी. वो भी तब, जब मेरा भाई मेरे साथ था. इसलिए मुझे कुछ अच्छा सा नही लग रहा है.”

कीर्ति की बातों से मुझे, उसकी हालत का अहसास करा दिया था. मैं समझ गया था कि, उसे भी वो ही शर्मिंदगी महसूस हो रही है. जो शर्मिंदगी मुझे महसूस हो रही थी. इसलिए मैने उसके मन से इस बात को निकालने की कोसिस करते हुए उस से कहा.

मैं बोला “तुझे ये सब देख कर बुरा नही लगा.? बुरा सिर्फ़ इस बात का लगा है कि, तेरे भाई के सामने, तूने ये सब देखा है.”

कीर्ति बोली “हां मुझे यही बात बुरी लग रही है.”

मैं बोला “तू भूल क्यो जाती है कि, हम दोनो भाई बहन होने के साथ साथ, एक दूसरे के अच्छे दोस्त भी है. तू इस बात को अपने दिमाग़ से निकाल दे और ये सोच कि, अब हम हर बात बिना झिझक के कर सकते है.”

मेरी बात से कीर्ति के मन का बोझ कुछ हल्का सा हो गया और उसकी मुस्कान उसके चेहरे पर धीरे धीरे वापस आने लगी. तभी कॉफी भी आ गयी और हम कॉफी पीने लगते है. कुछ देर चुप रहने के बाद कीर्ति ने कहा.

कीर्ति बोली “एक बात सच सच बता. तुझे ये सब देख कर कैसा लगा. क्या ये लोग जो कर रहे थे वो सब सही था.”

मैं बोला “इसमे झूठ बोलने की, मुझे कोई ज़रूरत नही है. मुझे ये सब बहुत अच्छा लगा. लेकिन मेरा दिल कहता है कि, शादी के पहले ये सब करना ठीक नही है.”

कीर्ति बोली “तू 21 शादी मे होकर भी 20 शादी की बात कर रहा है. आज कल के लड़के लड़कियों मे इतना सबर नही होता कि, वो सेक्स के लिए शादी तक का इंतजार कर ले.”

मैं बोला “पर शादी के पहले ये सब ग़लत है. मैं इसे सही नही मान सकता.”

कीर्ति बोली “तू ऐसा इसलिए बोल रहा है, क्योकि अभी तेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है. जब तेरी गर्लफ्रेंड बन जाएगी, तब तू इस बात को भूल जाएगा.”

मैं बोला “आगे क्या होना है, ये तो मैं नही जानता, पर इतना ज़रूर जानता हूँ कि, यदि मैं किसी को अपनी गर्लफ्रेंड बनाउन्गा तो, जीवन भर के लिए बनाउन्गा, और शादी भी उसी से करूगा.”

कीर्ति बोली “वाउ वो लड़की बहुत खुशनशिब होगी, जिसे तू अपनी गर्लफ्रेंड बनाएगा.”

मैं बोला “यार अब ये सब बातें छोड़ो. ये बताओ कि, अभी कहीं और चलना है या फिर सीधे घर चले.”

कीर्ति बोली “अब मेरा कही घूमने का मूड नही है. मगर मैं अभी घर नही जाना चाहती हूँ.”

मैं बोला “तो क्या यही बैठे रहने का इरादा है.”

कीर्ति बोली “बैठे रहने के लिए तो ये जगह भी बुरी नही है. लेकिन हम यहाँ ऐसे कब तक बैठे रह सकते है.”

मैं बोला “तो फिर कहाँ चला जाए.”

कीर्ति बोली “ऐसा करते है नितिका के घर चलते है. उस से मिल भी लेगे और इसी बहाने कुछ घूम भी लेगे.”

मैं बोला “ठीक है, वहीं चलते है.”

इसके बाद हम नितिका के घर के लिए निकले गये. रास्ते मे हमारी ज़्यादा कोई बात नही हुई. नितिका के घर पहुचने पर, हमने डोरबेल बजाई और दरवाजा नितिका ने ही खोला.

हमें अचानक आया देख कर वो चकित रह गयी. हमें अंदर आकर बैठने के लिए बोल कर वो अंदर चली गयी. कुछ देर बाद वो पानी लेकर आई और कहने लगी.

नितिका बोली “आज तुम दोनो अचानक यहाँ का रास्ता कैसे भूल गये.”

कीर्ति बोली “रास्ता नही भूले थे, तभी तो तेरे घर आ गये. भूल तो तू गयी थी मुझे, तभी तो मुझे आया देख कर चौक गयी.”

नितिका बोली “मेरे चौकने की दो वजह थी. पहली वजह थी तेरा यूँ अचानक आ जाना और दूसरा तुझे सलवार सूट मे देखना. मेरे लिए तो तेरा ये सलवार सूट पहनना किसी अजूबे से कम है. लेकिन ये बता आज तुझे ये सलवार सूट पहनने की कैसे सूझ गयी.”

कीर्ति बोली “सूझी बुझी कुछ नही है. पुन्नू ने ये सलवार सूट बर्तडे गिफ्ट मे दिया और पहनने की ज़िद करने लगा, तो मुझे इसका दिल रखने के लिए इसे पहनना पड़ा.”

नितिका बोली “तू कुछ भी बोल यार. लेकिन इस सूट मे तो, तू अपने उन जीन्स पेंट और टी-शर्ट से भी ज़्यादा सुंदर लग रही है. पुन्नू की पसंद को भी मान गये. अच्छा ये बोल तुम लोग क्या खाओगे.”

मैं बोला “हम कुछ नही खाएगे. खाना तो हम घर से खाकर निकले थे और अभी अभी कॉफी पीकर आए है.”

कीर्ति ने भी मेरी हाँ मे हाँ मिलाई तो नितिका ने कहा.

नितिका बोली “ठीक है, कुछ मत खाओ. मगर कम से कम चाय तो पीना ही पड़ेगा.”

इतना कह कर, वो चाय बनाने चली गयी. कुछ देर मे वो चाय लेकर आ जाती है और हम लोग चाय पीने लगते है. कीर्ति उस से पूछती है.

कीर्ति बोली “आंटी घर मे नही है क्या.?”

नितिका बोली “नही, मेरे घर, मेरी बड़ी आंटी और मेरे कज़िन आए हुए है. मम्मी तो आंटी के साथ बाजार गयी हुई है और मेरे दोनो कज़िन घूमने गये हुए है.”

कीर्ति बोली “तो तू घर मे अकेली क्या कर रही है. तू भी अपनी मम्मी या कज़िन के साथ चली गयी होती.”

नितिका बोली “यार जाना तो मैं भी चाहती थी. मगर अचानक शिल्पा का फोन आ गया और उसने कहा कि, वो मेरे घर आ रही है. इसलिए मुझे घर मे ही रुकना पड़ा.”

हम लोग अभी चाय पी ही रहे थे कि तभी डोरबेल बजती है. जिसे सुनते ही नितिका ने कहा.

नितिका बोली “लगता है कि शिल्पा आ गयी है.”
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09-09-2020, 12:39 PM,
#29
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
असल मे नितिका के दरवाजा खोलते ही, हमारी नज़र आने वालों पर पड़ती है. ये वो ही लड़का लड़की थे, जिन्हे हम ने पार्क मे सेक्स करते देखा था. अचानक उस जोड़े को नितका के घर मे देख कर, हम दोनो चौक गये थे.

अब हमारी ये जानने के उत्सुकता बनी हुई थी कि, ये दोनो कौन है. उन दोनो को देखते ही नितिका ने मुस्कुराते हुए कहा.

नितिका बोली “अरे भैया आप, मैं तो समझी थी कि, आप लोग शाम के बाद ही वापस आएगे. लेकिन आप लोग तो बहुत जल्दी ही वापस आ गये.”

ये कहते हुए नितिका उनको अंदर ले आई और फिर उन से हमारा परिचय करवाते हुए कहा.

नितिका बोली “कीर्ति, ये मेरे मुंबई वाले अंकल के लड़के राज और ये इनकी छोटी बहन रिया है. राज भैया बीएससी फाइनल कर रहे है और रिया दीदी 12थ मे है. ये कुछ दिन के लिए यहाँ घूमने आए है.”

नितिका की बात सुन कर हमें बहुत ही ज़ोर का झटका लगा. हम समझ ही नही पा रहे थे कि, ये दोनो भाई बहन होकर आपस मे सेक्स कैसे कर सकते है. मैं यही सब सोचते हुए उन दोनो को गौर से देखने लगा.

रिया मुस्कुराते हुए कीर्ति से बात कर रही थी. वही राज खड़ा खड़ा कीर्ति को घूरे जा रहा था. मुझे उसकी ये हरकत ज़रा भी अच्छी नही लग रही थी और अब मैं वहाँ एक पल भी रुकना नही चाहता था. इसलिए मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला “कीर्ति अब हमें घर चलना चाहिए. घर मे सब इंतजार कर रहे होगे.”

कीर्ति शायद मेरे मन की बात समझ गयी थी. इसलिए उसने नितिका से कहा.

कीर्ति बोली “अच्छा नितिका, अब हम लोग चलते है.”

नितिका ने उसे कुछ देर ऑर रुकने को कहा. मगर कीर्ति ने उस से फिर कभी आने की बात कही और फिर हम दोनो उनको बाइ करके बाहर आ गये. हम ने बाइक उठाई और फिर हम घर की तरफ चल पड़े.

अब हम दोनो ही खामोश थे. शायद कीर्ति भी मेरी तरह राज और रिया के बारे मे सोच रही थी. यू ही सोचते सोचते हम घर पहुच गये. शाम के 6:30 बज गये थे. हमारे घर आते ही छोटी माँ ने कहा.

छोटी माँ बोली “अच्छा हुआ तुम लोग घर आ गये. वरना मैं अभी तुम लोगों को फोन करने वाली ही थी.”

मैं बोला “क्यो क्या हुआ, छोटी माँ.”

छोटी माँ बोली “अभी तुम्हारे पापा का फोन आया था कि, उन्हे अभी वहाँ काम है और वो काम छोड़ कर अभी घर नही आ सकते. आज उनके दोस्त की लड़की की शादी की है. इसलिए उन्हो ने वहाँ मुझे जाने को कहा है. ये अमि निमी भी जाने की ज़िद कर रही है तो, मैं इन्हे भी अपने साथ ले जा रही हूँ. अब तुम दोनो तय कर लो कि, तुम लोग घर मे ही रुकोगे या साथ चलना पसंद करोगे.”

मैं बोला “छोटी माँ, मैं तो घर मे ही रहूँगा. यदि कीर्ति जाना पसंद करे तो, आप कीर्ति को अपने साथ ले जाइए.”

इस से पहले कि छोटी माँ कीर्ति से इस बारे मे कुछ पूछती. उसने खुद ही छोटी माँ की बात का जबाब देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “नही मौसी, मैं भी घर पर ही रहूगी. आप वहाँ से कब तक वापस आएगी.”

छोटी माँ बोली “वो तेरे मौसा जी के खास दोस्त है. इसलिए मुझे तो रात भर ही रुकना पड़ेगा. मैने सोचा था कि, तुम लोग भी साथ चलोगे. इसलिए मैने चंदा मौसी को, तुम्हारा खाना बनाने को मना कर दिया था.”

मैं बोला “छोटी माँ, आप चिंता मत कजिए. हम लोग बाहर से खाना मंगा कर खा लेगे. आप को कितने टाइम निकलना है.”

छोटी माँ बोली “बस कुछ ही देर मे निकलना है.”

इसके बाद हमारी कुछ देर तक छोटी माँ से, इसी बारे मे बातें होती रही. फिर 7 बजे छोटी माँ, अमि निमी को साथ लेकर चली गयी. मैं और कीर्ति हॉल मे बैठे टीवी देखने लगे.

काफ़ी देर तक हम लोगों के बीच कोई बात नही हुई और हम चुप चाप टीवी देखते रहे. बाद मे मैने ही इस खामोशी को तोड़ते हुए कीर्ति से पूछा.

मैं बोला “एक बात बता, जब तुझे सलवार सूट पहनना पसंद नही है तो, फिर तूने इसे क्यो पहना. वो भी अपने बर्तडे वाले दिन.”

मेरी बात के जबाब मे कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “वो इसलिए, क्योकि मुझे उन कपड़ो मे देख कर, तू पागल हुआ जा रहा था. मुझे डर लग रहा था कि, कही मेरा भाई ही मेरा आशिक़ ना बन जाए. इसलिए मैने इन कपड़ो को पहनने मे ही अपनी भलाई समझी.”

ये बोल कर वो खिलखिला कर हँसने लगी और मैने उसे डाँटते हुए कहा.

मैं बोला “तुझे शर्म नही आती अपने भाई के बारे मे ऐसी बात बोलते हुए.”

लेकिन कीर्ति पर मेरे इस डाँटने का कोई असर नही पड़ा और उसने फिर उसी अंदाज़ मे मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.
कीर्ति बोली “पहले तो थोड़ी बहुत आती थी. लेकिन आज राज और रिया को देखकर वो भी भाग गयी.”

कीर्ति की इस बात पर मैने संजीदा होते हुए उस से कहा.

मैं बोला “क्या राज और रिया सच मे सगे भाई बहिन है.”

कीर्ति बोली “हान्ं, मुझे एक बार नितिका ने बताया था कि, उसके अंकल के तीन बच्चे है राज, रिया और प्रिया. जिसमे से राज और रिया बाय्फ्रेंड गर्लफ्रेंड की तरह ही रहते है. मगर ये नही बताया था कि, वो बाय्फ्रेंड गर्लफ्रेंड की तरह ये सब भी करते है.”

मैं बोला “शायद नितिका को ये बात मालूम ही ना हो, इसीलिए तो वो घर से बाहर पार्क मे ये सब करने गये थे. मुझे तो उस राज की नियत ही खराब लगती है.”

कीर्ति बोली “बात तो तेरी ठीक है पर तुझे राज की नियत खराब क्यों लगी. क्या वो मुझे घूर घूर कर देख रहा था इसलिए.”

मैं बोला “हां इसीलिए. उसे ज़रा भी शर्म नही आ रही थी कि, मैं और उसकी बहने साथ मे बैठे है. फिर भी वो तुझे टकटकी लगाए घुरे जा रहा था.”

कीर्ति बोली “जब कोई चीज़ सुंदर लग रही है तो, उसे देखने मे बुरा क्या है.”

मैं बोला “सुंदरता की नज़र से देखता तो मुझे बुरा नही लगता. लेकिन उसकी नज़र मे खोट था.”

कीर्ति बोली “क्या खोट था.”

मैं बोला “मुझे नही मालूम क्या खोट था. मुझे ऐसा लगा तो मैने बोल दिया.”

कीर्ति बोली “मुझे मालूम है कि, उसकी नज़र मे तुझे क्या खोट नज़र आया.”

मैं बोला “क्या.?”

कीर्ति बोली “यही ना कि, वो मेरे चेहरे को ना देख कर, मेरे बूब्स को देख रहा था.”

मैं बोला “तू कितनी बेशरम हो गयी है. अपने भाई के सामने ऐसी बात करते, तुझे ज़रा भी शरम नही आती.”

कीर्ति बोली “मैने अभी तो तुझसे बताया कि, पहले आती थी, पर आज राज और रिया को देख कर, मेरी सारी शरम भाग गयी. मैं तो अब राज को अपना बाय्फ्रेंड बनाने की सोच रही हूँ.”

मैं बोला “तू पागल तो नही हो गयी है. जो उस के जैसे गंदे लड़के को अपना बाय्फ्रेंड बनाना चाहती है. तूने तो खुद अपनी आँखो से सब कुछ देखा है.”

कीर्ति बोली “मैने नही तूने भी तो सब कुछ देखा है. हो सकता है उसने ये सब अपनी बहन के लिए किया हो. वरना वो तो इतना हॅंडसम लड़का है कि, कोई भी लड़की उसके सामने आसानी से लेट जाए.”

मैं बोला “तेरा दिमाग़ तो खराब नही हो गया. आज तू ये कैसी बहकी बहकी बात कर रही है.”

लेकिन मेरी किसी भी बात का कीर्ति पर कोई असर नही पड़ा. मेरी इस बात के जबाब मे उल्टे वो मेरे ही दिमाग़ की खोट बताते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली “दिमाग़ तो तेरा खराब है. जो अभी तक तेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है. तेरी उमर मे तो हर लड़के की कोई ना कोई गर्लफ्रेंड रहती ही है. अब अपने दोस्त मेहुल को ही देख, वो तेरी ही उमर का है, लेकिन उसकी भी एक गर्लफ्रेंड है.”

“हर बात को सिर्फ़ सेक्स से जोड़ना ठीक नही है. उस दिन तूने खुद ही शिल्पा को देखा कि, वो कैसे बहाने बना कर, मेहुल को देखने उसके घर तक जा पहुचि थी. यही तो गर्लफ्रेंड और बाय्फ्रेंड का प्यार होता है. मैं तो कहती हूँ कि, तू नितिका को ही अपनी गर्लफ्रेंड बना ले. उसका भी कोई बाय्फ्रेंड नही है. वो बेचारी भी एक बाय्फ्रेंड के लिए तरस रही है.”

मैं बोला “तेरी अकल तो ठिकाने पर है ना. जो दिल मे आया बकती जा रही है.”

कीर्ति बोली “मेरी अकल ठिकाने पर है, तभी तो तुझे इतनी अच्छी सलाह दे रही हूँ. अगर मेरी बात तुझे ग़लत लगती है तो, अपने दोस्त मेहुल से पूछ कर देख ले.”

मैं बोला “मुझे किसी से कुछ नही पूछना.”

अभी मैं इसके आगे कुछ ऑर बोल पता की, तभी चंदा मौसी आ गयी और मैं चुप हो गया. उन्हों ने मेरे पास आकर. मुझसे पुछा.

चंदा मौसी बोली “पुन्नू बाबा, रात के खाने मे आप लोगों के लिए क्या बनाना है.”

मैं बोला “मौसी, आप हमारे खाने की चिंता मत करो. मैने छोटी माँ से बोल दिया था कि, हम लोग बाहर से कुछ मॅंगा कर खा लेगे.”

चंदा मौसी बोली “अरे पुन्नू बाबा, आप बाहर से खाना क्यो मँगाते हो. मैं थोड़ी ही देर मे ही खाना बना दूँगी.”

मैं बोला “मौसी, मुझे पता है कि, आप अभी खाना बना देगी. लेकिन आपको तो पता है कि, आज कीर्ति का जनम दिन है. इसलिए आज मैं इसको बाहर का खाना खिलाना चाहता हूँ.”

मेरी बात सुनकर, मौसी मुस्कुराती हुई, अपने कमरे मे चली गयी और मैने अपनी बात को बदलते हुए कीर्ति से कहा.

मैं बोला “तू नितिका को आज पार्क वाली बातें ज़रूर बता देना. ताकि उसे भी तो पता चले कि, उसके कज़िन यहाँ आकर. क्या गुल खिला रहे है.”

कीर्ति बोली “ये तूने सही बात कही है. मैं अभी नितिका से बात करती हूँ.”

ये कह कर कीर्ति ने नितिका को फोन लगा दिया और फिर उसे एक एक करके पार्क वाली बातें बताने लगी. मगर उस ने ये बात गायब कर दी कि, जब उसने ये सब देखा, उस समय मैं भी उसके साथ था. कीर्ति की बात सुनकर नितिका को, इन सब बातों पर विस्वास नही हो रहा था. तब कीर्ति ने उन पर नज़र रखने की बात कही. नितिका को उसकी ये बात पसंद आई.
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09-09-2020, 12:42 PM,
#30
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
नितिका से बात हो जाने के बाद, कीर्ति ने फोन रखा और फिर मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली “ले मैने नितिका को सारी बात बता तो दी है. लेकिन उसे मेरी बात पर विस्वास ही नही हो रहा था, इसलिए मैने उन लोगों पर नज़र रखने को कहा है.”

मैं बोला “ये तूने ठीक किया. अब उसको भी उनकी असलियत का पता चल जाएगा.”

कीर्ति बोली “अब सिर्फ़ बात ही करता रहेगा, या फिर रात के खाने का कुछ इंतेजाम भी करेगा.”

मैं बोला “खाना आने को तो, थोड़ी ही देर मे आ जाएगा. लेकिन मैं सोच रहा था की, हम बाहर ही चलकर खाना खाते है. तू बोल, तेरा क्या इरादा है.”

कीर्ति बोली “हां ये अच्छा आइडिया है. मैं अभी फ्रेश होकर आती हूँ. तब तक तू भी तैयार होकर आ जा.”

ये बोलकर कीर्ति अपने कमरे मे चली गयी. उसके जाने के बाद, मैं भी अपने कमरे मे आ जाता हूँ. मैं कमरे मे आकर फ्रेश होता हूँ और फिर तैयार होने के बाद, हॉल मे आकर कीर्ति के आने का इंतेजर करने लगता हूँ.

मगर अब मेरे दिमाग़ मे, कीर्ति की राज को अपना बाय्फ्रेंड बनाने वाली बात घूमने लगती है. मुझे कीर्ति की बातों से ऐसा लग रहा था कि, राज उसको बहुत ज़्यादा पसंद आ गया है. इस बात की वजह से मेरे मन मे राज के लिए जलन की भावना सी आ गयी थी.

मैं अभी इसी बारे मे सोच रहा था कि, तभी कीर्ति तैयार होकर आ गयी. अभी उसने ब्लू पेन्सिल जीन्स और टाइट पिंक टॉप पहना हुआ था. जिसमे वो कयामत की सुंदर लग रही थी. मैने उसे देखा तो एक बार फिर उसे देखता रह गया.

एक पल के लिए मेरे दिल की धड़कने बहुत ही ज़्यादा तेज हो गयी और मैं अपने आपको संभालने की कोशिस करने लगा. वो मेरे पास आई तो, मैं उसे कुछ बोलने को हुआ. मगर कीर्ति ने मेरी बात को बीच मे ही काटते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अब फिर से ये मत कहने लगना कि, मैं बहुत सुंदर लग रही हूँ. सुबह से हज़ार बार तेरे मूह से ये बात सुन चुकी हूँ.”

मैं बोला “मैं बोलना तो यही चाहता था कि, तू बहुत सुंदर लग रही है. लेकिन तूने मना कर दिया तो, चल नही बोलता हूँ कि, तू बहुत सुंदर लग रही है.”

मेरी बात को सुनकर, कीर्ति ने खिलखिला कर हंसते हुए कहा.

कीर्ति बोली “इसी बहाने से, बोल तो दिया तुमने और कैसे बोलना चाहते हो. क्या तुम इसे बोले बिना नही रह सकते.”

मैं बोला “चल अब नही बोलुगा. अब तू ये बता कि, खाना खाने कहाँ चलना है.”

कीर्ति बोली “ज़रा रूको, अभी नितिका का फोन आया था. वो लोग भी बाहर ही खाना खाने वाले है. उसने बोला है कि, वो कुछ देर मे राज और रिया से बात करके बताती है.”

राज का नाम सुनते ही मेरे मन मे आग लग गयी. मेरा सारा मूड खराब हो गया और मैने गुस्से मे उस से कहा.

मैं बोला “तुझे उन लोगो को भी अपने साथ शामिल करने की, क्या ज़रूरत थी. क्या तुझे मेरे साथ अकेले चलने मे कोई परेशानी थी. जो उन सबको भी अपने पिछे लगा लिया.”

कीर्ति बोली “मैने उन्हे अपने साथ आने को नही कहा है. वो तो राज, नितिका और रिया को डिन्नर करने ले जा रहा था. उसने नितिका से कहा कि, हम दोनो से भी पुछ ले कि, हम उसके साथ शामिल हो सकते है या नही. अब हम तो पहले से ही जा रहे थे, इसलिए मैने उस से हां कह दिया. अब साथ डिन्नर करने मे कौन सी बुरी बात है. दो से भले पाँच. ज़्यादा लोग रहेगे तो खाने का मज़ा भी दुगुना हो जाएगा.”

मगर उनको साथ देख कर, मेरा मूड सही नही था. इसलिए गुस्से मे कीर्ति से कहा.

मैं बोला “तुझे जाना है तो तू जा, मगर मैं नही जाउन्गा.”

कीर्ति बोली “अरे जब तू नही जाएगा तो फिर मैं जाकर क्या करूगी और ये बाहर जाने का आइडिया भी तो तेरा ही था.”

मैं बोला “हां, बाहर खाना खाने का मेरा आइडिया था. मगर मैं सिर्फ़ तेरे साथ जाना चाहता था. लेकिन तूने इसमे उन लोगो को शामिल करके, मेरा सारा मूड खराब कर दिया है. इसलिए अब तू ही उनके साथ जा. मैं उन लोगों के साथ नही जाउन्गा तो, मतल्ब नही जाउन्गा.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति उदास हो गयी और उदासी भरे स्वर मे कहने लगी.

कीर्ति बोली “मैं तेरी खुशी के लिए तेरा दिया हुआ सूट पहन सकती हूँ. लेकिन तू मेरी खुशी के लिए, ज़रा सा सबके साथ डिन्नर करने नही जा सकता. ठीक है, अगर तुझे नही जाना तो, मैं भी नही जाउन्गी. मैं अभी फोन करके नितिका को मना कर देती हूँ.”

ये कहकर कीर्ति अपने मोबाइल से नितिका को फोन लगाने लगती है. कीर्ति का कहना सही था और मैं आज के दिन उसे उदास भी करना नही चाहता था. इसलिए मैने उसे कॉल लगाने से रोकते हुए कहा.

मैं बोला “उन लोगो को मना करने की, कोई ज़रूरत नही है. मैं तेरे साथ चलता हूँ. लेकिन मेरी एक बात कान खोल कर सुन ले. यदि उस कामीने राज ने तेरी तरफ, फिर अपनी गंदी नज़रों से देखा तो, मैं वही सबके सामने उसकी आँख फोड़ दूँगा.”

कीर्ति बोली “ठीक है, तू उसकी आँख भी फोड़ देना और टाँग भी तोड़ देना. मगर अभी अपना मूड तो सही कर ले.”

मैं बोला “मेरा मूड ठीक है. लेकिन तू अपने ये कपड़े बदल कर आ. मुझे ये ड्रेस बिल्कुल पसंद नही है. तू जाकर सुबह वाला सलवार सूट ही पहन ले.”

कीर्ति कुछ बोलना चाह रही थी. मगर मेरा मूड खराब देख कर, बिना कुछ बोले चली गयी. शायद वो यही पूछना चाहती होगी कि, अभी तो मैं उसकी तारीफ कर रहा था, फिर अचानक मुझे उसका ये ड्रेस खराब क्यो लगने लगा.

उसका ये सोचना ग़लत नही था. वो ड्रेस सच मे उस पर अच्छा लग रहा था. लेकिन मैं नही चाहता था कि, राज उसे इस ड्रेस मे देखे. इसलिए मैने ड्रेस बदल लेने को कहा था.

थोड़ी ही देर मे कीर्ति मेरे दिया हुआ सलवार सूट पहन कर वापस आ गयी. मैने भी अपना मूड सही करते हुए उस से पुछा.

मैं बोला “वो लोग कितने बजे आ रहे है.”

कीर्ति बोली “वो लोग 8:30 बजे वहाँ पहुच जाएगे. हमारे नाम की टेबल पहले से ही बुक्ड है. टाइम ज़्यादा हो रहा है. अब हमें निकलना चाहिए.”

कीर्ति की बात सुनकर मैने चंदा मौसी को बताया कि, हम लोग खाना खाने बाहर जा रहे. इसके बाद मैने अपनी बाइक निकाली और फिर हम दोनो रेस्टोरेंट के लिए निकल पड़े.

वहाँ पहुच कर हम अपने नाम की बुक्ड टेबल पर बैठ गये और नितिका लोगों के आने का इंतजार करने लगे. मगर जब 8:45 बजे तक वो लोग नही पहुचे तो, मैने कीर्ति से नितिका को फोन लगाने को कहा.

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने नितिका को कॉल लगा कर, उन लोगों के यहाँ आने के बारे मे बात की और फिर कॉल रखने के बाद, मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “उन लोगो को आने मे थोड़ा सा टाइम ऑर लगेगा. नितिका बोल रही है कि, तुम लोग अपने खाने का ऑर्डर दे दो, तब तक वो लोग भी पहुच जाएगे.”

मैं बोला “ठीक है.”

फिर मैने वेटर को बुलाया और कीर्ति उसे खाने का ऑर्डर देने लगी. इसके बाद कीर्ति वॉशरूम जाने का बोलकर, उठ कर चली गयी. उसका मोबाइल टेबल पर ही रखा था. मैने उसका मोबाइल उठाया और यू ही उसे देखने लगा.

मोबाइल को देखते देखते मेरी नज़र, कॉल डीटेल पर पड़ती है और मैं चौक जाता हूँ. उसके मोबाइल मे शाम से कोई कॉल नही आया था और जाने मे भी सिर्फ़ 2 कॉल ही गये थे. एक कॉल तो वो था, जो उसने मेरे सामने ही नितिका को लगा कर, उसे राज रिया की बात बताई थी और दूसरा किसी अंजान नंबर पर किया था.

अंजन नंबर पर किया गया कॉल उस समय का था, जब वो तैयार होने अपने कमरे मे गयी थी. उस अंजान नंबर पर किए गये कॉल को देख कर, मैं कुछ सोच मे पड़ जाता हूँ और फिर अपने मोबाइल से उस नंबर पर कॉल लगा देता हूँ.

लेकिन उस नंबर पर बात करके मुझे बहुत हैरानी होती है. क्योकि वो इसी रेस्टोरेंट का नंबर रहता है. जिसका मतलब था कि, ये टेबल कीर्ति ने ही बुक्ड करवाई है और उसने मेरे सामने, अभी नितिका को जो कॉल लगाया था, वो सिर्फ़ एक नाटक था.

अभी उसने किसी को भी, कोई कॉल नही किया था. जिस से सॉफ पता चल रहा था कि, कीर्ति सिर्फ़ मुझे जलाने के लिए ये सब कर रही है और यहाँ पर हमारे सिवा डिन्नर पर कोई नही आने वाला है.

ये सारी बातें मेरी समझ मे आते ही, मुझे हँसी आ जाती है और मैं कीर्ति का मोबाइल, वापस वही रख देता हूँ, जहाँ से मैने उठाया था. कुछ देर बाद, कीर्ति वापस आ जाती है.

वो वापस आकर बैठती है, तभी वेटर भी खाना लेकर आ जाता है और टेबल पर खाना लगाने लगता है. वेटर के खाना लगा कर जाने के बाद, मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला “ये देख, हमारा तो खाना भी आ गया और उन लोगों का कही कोई पता नही है. अब तो 9 बज गये है और अब तक तो इन लोगों को आ जाना चाहिए था. तू ज़रा अपना मोबाइल दे. मैं अभी नितिका से बात करता हूँ कि, वो लोग अभी तक क्यो नही आए.”

ये कह कर, मैं कीर्ति का मोबाइल लेने के लिए, अपना हाथ कीर्ति की तरफ बढ़ा देता हूँ. मगर कीर्ति जल्दी से अपना मोबाइल टेबल से उठा कर अपने हाथ मे ले लेती है और मुझसे कहने लगती है.

कीर्ति बोली “जाने दो ना. उन लोगों को जब आना होगा, वो लोग आ जाएगे. उनके लिए हम अपना मूड क्यो खराब करे. हम अब खाना शुरू करते है. नही तो उनके चक्कर मे, हम लोगों को घर पहुचने मे देर हो जाएगी.”

ये कह कर कीर्ति खाना खाना शुरू भी कर देती है. उसकी ये हरकत देख मैं मुस्कुरा देता हूँ और उसे खाना खाते देख कर, मैं भी खाना खाने लगता हूँ. इस बीच हम लोगो मे थोड़ी बहुत नितिका लोगों के बारे मे बात होती है. अभी भी कीर्ति राज को अपना बाय्फ्रेंड बनाने की बात कर रही थी.

उसकी ये बातें सुनकर मुझे बुरा तो लग रहा था. लेकिन अब मैं इस दुविधा मे फँसा हुआ था कि, कीर्ति ये बात मुझे जलाने के लिए कह रही है या फिर सच मे उसके मन मे ऐसी कोई बात है. अपनी इसी दुविधा की वजह से मैं, उसकी इस बात पर चुप रहने के सिवा कुछ नही कर पता हूँ.

यू ही बातें करते करते हमारा डिन्नर हो जाता है. अब 10 बज गये थे, इसलिए हम लोग जल्दी से बिल पे करके, घर के लिए निकल पड़ते है. रास्ते भर कीर्ति हल्का फूलका हँसी मज़ाक करती रहती है.

फिर 10:30 बजे हम घर पहुच जाते है. चंदा मौसी हमारे घर वापस आने का इंतजार कर रही थी. हमें देखते ही, वो हमें बता कर अपने कमरे मे सोने चली जाती है.

हम लोग वही हॉल मे बैठ कर टीवी देखते हुए बातें करने लगते है. ऐसे ही बातें करते हुए 11 बज जाते है और फिर हम एक दूसरे को गुड नाइट कह कर अपने अपने कमरे मे चले जाते है.

अपने कमरे मे आने के बाद, मैं नाइट सूट पहन कर, टीवी चालू कर लेता हूँ. लेकिन मेरा मन टीवी देखने मे नही लगता और मैं टीवी बंद कर के लेट जाता हूँ. अब मेरे दिमाग़ मे कल रात से, आज रात की बातें घूमने लगती है.

मेरे सामने एक एक कर के, कभी नितिका तो, कभी रिया का चेहरा आता है. मैं सोचने लगता हूँ कि, क्या मुझे नितिका को अपनी गर्लफ्रेंड बना लेना चाहिए. मगर फिर सोचता हूँ कि नितिका से सुंदर तो रिया है. मगर तभी मुझे दोपहर को रिया और राज का सेक्स करना याद आ जाता है कि, किस तरह से दोनो भाई बहन एक दूसरे की जवानी का मज़ा लूट रहे थे.

ये सोचते ही मेरी आँखों मे एक बार फिर राज और रिया का सेक्स करना घूमने लगता है. जिस से मैं गरम होने लगता हूँ और मेरे लिंग मे भी तनाव आने लगता है. मैं कपड़े के उपर से ही अपने लिंग को दबाने लगता हूँ.

मेरे ऐसा करने से मेरे लिंग का आकार बढ़ने लगता है और फिर मैं अपने लोवर और अंडरवेर को नीचे खिसका देता हूँ और रिया और राज के दोपहर वाले दृश्य को याद कर अपने लिंग को मसल्ने लगता हूँ.

मैं इमॅजिन करने लगता हूँ कि, उस समय रिया के साथ राज नही बल्कि मैं था और मैं ही उसकी पुसी मे लिंग अंदर बाहर कर रहा था. ये सोच कर मैं अपने लिंग को अपने हाथो मे थाम कर, उसकी चमड़ी को उपर नीचे करने लगता हूँ.

रिया का ख़याल करने से मेरा जोश और बढ़ जाता है और मैं तेज़ी से अपने हाथ चलाते हुए बड़बड़ाने लगता हूँ कि, रिया मेरी जान, ले मेरा लिंग अपनी पुसी मे, आज मैं तेरी पुसी को अपने वीर्य से भर दूँगा.

अपने हाथ को रिया की पुसी समझ कर, मैं रिया का नाम ले लेकर अपने हाथों की रफ़्तार बढ़ाए जा रहा था और हान्फता जा रहा था. मगर रिया की पुसी मे अपने लिंग के रहने की अनुभूति से मेरा जोश कम नही पड़ रहा था.

मैं अभी भी अपने लिंग को उपर नीचे किए जा रहा था और फिर मेरा लिंग पिचकारी छोड़ने लगता है. लिंग के 5-6 बार पिचकारी छोड़ने के बाद लिंग सिकुड कर छोटा हो जाता है और मैं भी निढाल होकर बिस्तर पर वैसे ही लेट जाता हूँ.

आज पहली बार मैने हस्त मैथुन किया था. वो भी रिया जैसी सुंदर लड़की को इमॅजिन कर के, मगर हस्त मैथुन करने के बाद, ना जाने क्यो मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा था.

अब मेरे सामने बार बार कीर्ति का चेहरा आ रहा था. जिस से मैं आँख नही मिला पा रहा था. मैं सोचने लगा कि, जब दोपहर वाली बात को याद कर के, मेरा ये हाल है तो, फिर कीर्ति का क्या हाल होगा. उसने भी तो ये सब पहली बार देखा है. ये सब देख कर उस पर इन सब बातों का क्या असर पड़ रहा होगा.

ये सोच कर मैं कीर्ति के पास जाने का फ़ैसला करते हुए उठ जाता हूँ. मगर तभी मेरी नज़र चादर पर गिरे मेरे वीर्य पर पड़ती है. मैं जल्दी से दूसरी चादर निकालता हूँ और चादर बदल कर, फ्रेश होने बाथरूम की तरफ चला जाता हूँ.

फ्रेश होने के बाद, मैं दूसरा नाइट सूट पहन लेता हूँ और फिर कीर्ति के पास जाने के लिए अपने कमरे का दरवाजा खोलता हू. मगर दरवाजा खोलते ही, मेरा दिल धक्क से रह जाता है.

क्योकि मेरे सामने कीर्ति खड़ी थी. उसे देखते ही मैं सोच मे पड़ जाता हूँ कि, पता नही ये कब से यहा खड़ी है और हो सकता है कि, इसने मेरे कमरे की सारी आवाज़े सुन ली हो. ये बात सोचते ही मेरा सर खुद ब खुद शर्मिंदगी से झुक जाता है.
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