05-29-2018, 11:55 AM,
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RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मेरी बात सुनते ही नेहा ने झट से मेरा लिंग पकड़ कर बोली- तुम्हारे लिंग को अपने हाथ में ले कर मैं तुम्हें आज और अभी से तुम्हें अपने शरीर के गुप्तांगों सहित मेरे हर अंग को छूने की अनुमति देती हूँ।
नेहा द्वारा मेरे लिंग को छूने से मेरे लिंग में रक्त का बहाव बढ़ गया था और उसमें चेतना आने लगी थी!
देखते ही देखते मेरा लिंग नेहा के हाथ में ही तन कर कड़क हो गया और उसके हाथ में मेरे कड़क लिंग को देखकर थोड़ी शर्म महसूस कर रहा था।
नेहा ने मेरे लिंग को उलट पलट कर देखा और फिर उसके ऊपर की चर्म को पीछे हटा कर मेरा लिंग मुंड बाहर निकाल दिया और उसे गौर से देखने लगी।
नेहा को ऐसा करते देख कर मैंने उससे पूछ लिया- क्या, तुमने कभी किसी मर्द का लिंग नहीं देखा है? क्या तुम्हें अपने पति का लिंग देखने को नहीं मिलता जो मेरा लिंग इतने गौर से देख रही हो?
नेहा बोली- मैंने आज तक सिर्फ अपने पति का लिंग ही देखा है! तुम दूसरे मर्द हो जिसका लिंग मैं इतने करीब से देख और छू रही हूँ! मुझे तुम्हारा लिंग मेरे पति के लिंग से कुछ भिन्न सा दिख रहा है।
मैंने तुरंत पूछ लिया- तुम्हें मेरे लिंग और तुम्हारे पति के लिंग से क्या भिन्नता दिखाई दी है?
तब नेहा ने मेरे लिंग को पकड़े हुए ही सरकते हुए मेरे बैड पर आ कर लेट गई और बोली- मेरे पति का लिंग तुम्हारे लिंग से कुछ बड़ा लेकिन पतला लगता है! मेरे पति का लिंग साढ़े छह इंच लम्बा और लगभग एक इंच या सवा इंच मोटा होगा लेकिन तुम्हारा तो उनसे काफी बड़ा लगता है।
मैंने यह सुन कर उसे बताया- नेहा, मेरा लिंग तो तुम्हारे पति के लिंग से छोटा है यह तो सिर्फ छह इंच लम्बा ही है चाहो तो नाप लो! हाँ मेरा लिंग तुम्हारे पति के लिंग से मोटा ज़रूर होगा है क्योंकि इसकी मोटाई ढाई इंच है।
यह सुन नेहा बोली- तुम्हारे लिंग के ऊपर जो चर्म है वह पीछे करके तुम्हारा लिंग मुंड बाहर निकला जा सकता है लेकिन मेरे पति के साथ मैं ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि उन्हें बहुत ही पीड़ा होने लगती है! एक बात और भी है कि तुम्हारा लिंग बहुत ही सख्त है बिल्कुल लोहे की रॉड की तरह और मैं उसे दबा भी नहीं पा रही हूँ! लेकिन मेरे पति का लिंग थोड़ा नर्म रहता है, खड़ा होने के बाबजूद मैं उसे दबा कर मोड़ सकती हूँ।
नेहा की बात सुन कर मैंने उसे समझाने के लिए कहा- नेहा देखो, जैसे हर इंसान की आकृति और प्रकृति में भिन्नता होती है उसी तरह उसके अंगों आकृति और प्रकृति में भी भिन्नता होती है।
नेहा ने मेरी बात बहुत ध्यान से सुनी और पूछा- जैसे हर इंसान के कर्म भिन्न होते है और उसे उन कर्मों का फल भी भिन्न मिलता है?
मैंने उसकी बात सुन कर बोला- हाँ नेहा, तुमने बिल्कुल सही समझा है।
तब नेहा ने प्रश्न किया- इस आकृति, प्रकृति, कर्म और फल आदि की भिन्नता को कैसे परखा जा सकता है?
मैं उसके प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा- उनकी भिन्नता को देख, छू, सूँघ, चख और कार्यशीलता का अनुभव करके ही परखा जा सकता है!
तब नेहा उचक कर बैठ गई और मेरे लिंग को पकड़ कर झुकी तथा उसे सूंघा, चूमा और फिर लिंग के छिद्र में से निकली पूर्वरस वीर्य की दो बूँद अपनी जीभ से चाटने के बाद बोली- मैंने अपने पति के और तुम्हारे लिंग को देख, छू, सूँघ और चख कर उनकी भिन्नता को परख लिया है! अब मैं इन दोनों की कार्यशीलता में भिन्नता का अनुभव भी करना चाहती हूँ! मुझे अपने पति के लिंग की कार्यशीलता का अनुभव तो पहले से ही है, क्या तुम मुझे अपने लिंग की कार्यशीलता का अनुभव करवा सकते हो?
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05-29-2018, 11:56 AM,
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RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मेरी इस क्रिया से नेहा की उत्तेजना और भी प्रबल हो उठी थी और वह चीखने लगी- रवि, क्यों मुझे रहे हो? खुद तो मज़े ले रहे हो और मुझे तरसा रहे हो! मैं अब और सहन नहीं कर सकती! तुम्हें मेरी कसम है अब जल्दी से अपने अग्निशमन उपकरण का प्रयोग करके मेरी योनि में लगी आग को बुझाओ।
मैंने हँसते हुए बोला- लो मेरी सरकार, जैसी तुम्हारी आज्ञा।
और फिर मैंने अपने लिंग के मुंड को उसकी योनि के द्वार पर टिका कर एक हल्का धक्का दिया और मुंड को उसकी योनि के अंदर धकेल दिया।
इतना होते ही नेहा फिर चिल्ला उठी- यह अंदर क्या डाला है तुमने? मैंने तो लिंग डालने को कहा था और तुमने जैसे कोई लट्ठ डाल दिया है?
मैंने कहा- नेहा रानी, मैंने तो वही डाला है जो तुमने कहा था! अगर तुम्हें विशवास नहीं है लो अपना हाथ लगा कर खुद देख लो।
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया तो उसने लिंग को दबाते हुए कहा- यह तो अभी पूरा बाहर ही है! तुमने अभी तक अंदर क्या डाला है?
मैंने नेहा से कहा- अभी बताता हूँ कि मैंने तुम्हारी योनि में अभी तक क्या डाला है, और अब क्या डालने जा रहा हूँ यह भी तुम्हें जल्द ही पता चल जाएगा।
इतना कह कर मैंने एक थोड़ा जोर से धक्का लगाया और अपना आधे से ज्यादा लिंग उसकी योनि में घुसा दिया!
नेहा ने पूरा दम लगा कर चीख मारी- उईई… माँ, मर गई माँ! हाय… हाय… माँ, इस रवि के बच्चे ने तो मेरे अंदर पता नहीं यह क्या डाल दिया है! यह तो मुझे मार ही डालेगा।
नेहा की चिल्लाहट सुन कर मैं रुक गया और इससे पहले उसकी आवाज़ पूरी बिल्डिंग में गूँजती मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया और उसे पूछा- नेहा, इतना शोर क्यों मचा रही हो? क्या पहली बार सम्भोग कर रही हो?
कुछ देर बाद जब नेहा ने चिल्लाना बंद किया तब आँखों में आए आंसुओं को पोंछते हुए, रोती आवाज़ में बोली- नहीं, मैं तो अपने पति के साथ रोज़ सम्भोग करती हूँ लेकिन उन्होंने कभी इतना दर्द नहीं दिया जितना तुम ज़ालिम ने दिया है! मुझे पति के साथ जीवन का पहला सम्भोग करते हुए भी इतना दर्द नहीं हुआ था जब मेरी योनि की झिल्ली फटी थी! तुमने जितना दर्द और तकलीफ मुझे दी है शायद बच्चा पैदा होते समय भी इतनी नहीं होती होगी।
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