RE: muslim sex kahani खानदानी हिज़ाबी औरतें
मैंने चाची फ़हमीदा के साँवले सलोने गालों और लाल होठों के बोसे लेने शुरू कर दिये और इसी तरह उन्हे चोदता रहा. उन्हे भी मज़ा आ रहा था क्योंके वो तवातूर के साथ ऊऊऊओ अयाया किये जा रही थीं . उनका चेहरा जज़्बात से लाल हो रहा था. मै फिर लेट गया और चाची फ़हमीदा को अपने लंड पर ले आया. उनके चूतर चूँके कुछ ज़ियादा ही मोटे थे इस लिये इतने वज़न के साथ मुझे अपने लंड को उनकी चूत के अंदर ले जाते हुए मुश्किल हो रही थी. चाची फ़हमीदा मेरी मुश्किल को भाँप गईं और उन्होने अपना वज़न टाँगों पर डाल कर अपना बदन ऊपर उठाया और मुझे मोक़ा दिया के में उनकी चूत में खुल कर घस्से मार सकूँ. मैंने उन्हे मज़े ले ले कर चोदना शुरू कर दिया और वो भी चूत देते हुए एंजाय करने लगीं. उनके भारी मम्मे मेरे सामने ज़ोर ज़ोर से हिल रहे थे जिन्हे मैंने हाथों में लिया हुआ था.
इस तरह चुदवाते हुए वो भी जल्द ही थक गईं और मैंने उन्हे चारों हाथों पैरों पर किया और उनकी मोटे चूतरों के बीच में छुपी हुई चूत के अंदर अपना लंड डाल कर घस्से मारने लगा. कुछ देर बाद चाची फ़हमीदा पहली बार खलास हो गईं. इस मामले में भी वो फूफी खादीजा और फूफी शहनाज़ से मुख्तलीफ़ थीं क्योंके वो दोनो इतनी देर चुदवाने के दोरान दो तीन दफ़ा खलास हो जाती थीं . चाची फ़हमीदा जब खलास हुईं तो उनकी चूत में से बहुत पानी खारिज हुआ और मेरे लंड पर लग गया. मैंने उनके अंदर से अपना लंड निकाल लिया और ज़ाहिद और फुफियों की तरफ देखा.
ज़ाहिद ने अब फूफी शहनाज़ को नीचे लिटा कर उनकी चूत में लंड डाला हुआ था और ज़ोरदार घस्से मार रहा था. फूफी शहनाज़ की हालत से लगता था के वो अब तक कई दफ़ा डिसचार्ज हो चुकी थीं . ज़ाहिद ने उनकी चूत से अपना लंड बाहर निकाल लिया. वो करवट ले कर साइड पर हो गईं. ज़ाहिद ने फॉरन ही साथ लेतीं हुई फूफी खादीजा की टाँगें अपने कंधों पर रख कर उनकी चूत में बड़ी बे-रहमी से अपना लंड घुसेड़ दिया. फूफी खादीजा की टांगें ज़ाहिद के भारी जिसम के वज़न से मुड़ कर उनके मम्मों से जा लगीं और वो बड़ी तक़लीफ़ से आँखें बंद कर के उससे अपनी चूत देने लगीं. ज़ाहिद का मोटा लंड नीचे से फूफी खादीजा की चूत के काले बालों के अंदर जाता नज़र आ रहा था और जब वो चूत में दाखिल होता तो चूत जैसे फैल जाती और लंड को अपने अंदर उतार लेतीं. फूफी खादीजा बड़ी लहीन शाहीन औरत थीं मगर ज़ाहिद उन्हे अपने नीचे बे-बस कर के चोद रहा था.
फूफी खादीजा के सर का पिछला हिस्सा मॅट्रेस के अंदर धंसा हुआ था और वो अपनी गर्दन थोड़ी सी उठा कर अपने मम्मों पर ज़ाहिद का हाथ देखते हुए अपनी चूत में उस का लंड ले रही थीं . फिर अचानक उन्होने मुँह से ज़ोर की उूउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ हहााआ आआआ जैसी आवाजें निकालनी शुरू कर दीं और बुरी तरह कपकापाते हुए खलास हो गईं. उनके आँखें बंद हो गईं और उन्होने अपने हाथों से ज़ाहिद के घस्से रोकने की कोशिश की. लेकिन ज़ाहिद ने उनके मम्मों को सख्ती से पकडे रखा और इसी तरह उनकी चूत में अपने जिसम के पूरे वज़न के साथ घस्से मारता रहा. आख़िर जब उस ने देखा के फूफी खादीजा से अब बर्दाश्त नही हो रहा तो वो उनके ऊपर से उठ गया.
यहाँ से वो अपनी माँ यानी चाची फ़हमीदा के पास आया और उनकी टाँगों के बीच में बैठ कर उनकी चूत में लंड डाल दिया. अब वो अपनी माँ का मुँह चूमते हुए उस की चूत में ज़ोरदार घस्से लगा रहा था और अपने दोनो हाथ उस के मोटे चूतरों के नीचे रख कर चूतरों को पकड़ रखा था. चाची फ़हमीदा हिल हिल कर अपने बेटे के लंड को अपने अंदर ले रही थीं और उसकी ज़बान चूस रही थीं . मै और दोनो फूपियाँ ये मंज़र देख रहे थे.
ज़ाहिद अपनी माँ को चोदता रहा और में एक दफ़ा फिर फूफी शहनाज़ की तरफ मुतवजा हुआ. मैंने उन्हे अपने लंड पर सवार कराया और उनकी फुद्दी लेने लगा. फूफी खादीजा ज़ाहिद से चुदवा कर काफ़ी थक गई थीं और अब मॅट्रेस पर बे-सुध पड़ी थीं . मैंने फूफी शहनाज़ को चोदते चोदते हाथ बरहा कर फूफी खादीजा के मम्मों को मसलना शुरू कर दिया. पहले तो उन्होने कोई रेस्पॉन्स नही दिया लेकिन फिर मेरे क़रीब आ गईं और मेरा मुँह चूमने लगीं. मेरे लंड के ऊपर बैठे बैठे फूफी शहनाज़ फिर डिसचार्ज हो गईं और मेरे और फूफी खादीजा के ऊपर गिर गईं.
मैंने उन्हे अपने लंड से उतारा और फूफी खादीजा को उल्टा लिटा कर पीछे से उनकी चूत में लंड डालने की कोशिश की. लेकिन इस पोज़िशन में चूत अंदर की तरफ हो जाती है और मुझे उसके अंदर लंड घुसाना मुश्किल हो रहा था. फूफी खादीजा ने अपने मोटे चूतर थोड़े से ऊपर उठाये और इस तरह उनकी चूत मेरे सामने आ गई. मैंने फॉरन लंड उनकी चूत के अंदर डाल दिया और घस्से मारने लगा. मै पीछे से उनकी कमर के गोश्त को चूमता रहा और घस्से भी लगाता रहा. मैंने फूफी शहनाज़ से कहा के नीचे हाथ डाल कर मेरे टट्टों को सहलाती रहें. उन्होने ऐसा ही किया. उनका हाथ जैसे ही मेरे टट्टों पर लगा मेरे लिये मज़ीद घस्से मरने ना-मुमकिन हो गए और में फूफी खादीजा के चूतरों को पकड़ते हुए उनकी मोटी चूत में डिसचार्ज हो गया.
ज़ाहिद और चाची फ़हमीदा अभी तक एक दूसरे से चिमटे हुए थे और ज़ाहिद अपनी माँ की फुद्दी चोद रहा था. मैंने दिल ही दिल में ज़ाहिद को दाद दी क्योंके में तो औरतों को चोदने में काफ़ी तजर्बा रखता था और इतनी जल्दी डिसचार्ज नही होता था मगर वो भी इस मामले में कम साबित नही हुआ था और आज उस ने तीन औरतों को बड़े आराम से चोदा था. लगता था के अपनी माँ के अलावा भी ज़ाहिद ने दूसरी औरतों को चोदा था. बहरहाल थोड़ी ही देर बाद ज़ाहिद के घस्सों में तेज़ी आ गई और वो चाची फ़हमीदा की फुद्दी के अंदर छूट गया.उस ने अपना लंड उनकी फुद्दी से निकाला तो मैंने देखा के उस की मनी चाची फ़हमीदा की फुद्दी से बह कर बाहर निकल रही थी. फिर हम चारों मॅट्रेसस पर ही लेट गए ताके अपनी साँसें दरुस्त कर सकैं.
उस दिन अबोटाबाद से निकलने के बाद सब लोग मेरे घर आ गए. यहाँ पर हम ने एक प्रोग्राम और करना था. चाची फ़हमीदा और फुफियों में छोटी छोटी झड़पें अब भी हो रही थीं . फूफी शहनाज़ ने घर जाना चाहा मगर फूफी खादीजा ने उन्हे रोक लिया. अगले दिन डैड ऑफीस चले गए तो घर खाली हो गया. फूफी खादीजा ने हमारी नौकरानी को जल्दी छुट्टी दे दी और यों हम कुछ और मज़े करने को तय्यार हो गए. हुमरे पास शाम सात बजे तक का वक़्त था क्योंके फिर डैड घर आ जाते थे. में,दोनो फुफियों, चाची फ़हमीदा और ज़ाहिद को अपने कमरे में ले आया.
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