RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
चौधराइन
भाग 17- अन्तिम पाठ
मदन चौंक गया, हडबड़ाहट में मुंह से निकल गया, "जी,,,जी मामी,,,,,,,"
"बोल न,,,,,,,,,, ,झांटे गिनेगा क्या?"
"ओह नही मामी,,,,,,,,,,प्लीज बस देखनी है,,,,,,,,,,,,,अच्छी तरह से,,,,,,,,"
चूत पर रखे पेटीकोट के कपड़े को एक बार अपने हाथ से उठा कर फिर से नीचे रखा जैसे वो उसे अच्छी तरह से ढक रही हो और बोली,
"पागल हो गया है क्या,,?,,,,,,,,,जा सो जा।"
उर्मिला देवी के कपड़ा उठाने से चूत की झाँटों की एक झलक मिली तो मदन का लण्ड सिहर उठा, खड़ा तो था ही। उर्मिला देवी ने सामने बैठे मदन के लण्ड को अपने पैर के पंजो से हल्का सी ठोकर मारी।
"साले,,,,,,,,,,,,,,खड़ा कर के रखा है,,,,,,?"
मदन ने अपना हाथ उर्मिला देवी की जांघो पर धीरे से रख दिया, और जांघो को हल्के हल्के दबाने लगा, जैसे कोई चमचा अपना कोई काम निकलवाने के लिये किसी नेता के पैर दबाता है, और बोला,
"ओह मामी,,,,,,,,,,,,,,बस एक बार अच्छे से दिखा दो,,,,,,,,,,,,,,,सो जाऊँगा फिर,,"
उर्मिला देवी ने मदन का हाथ जांघो पर से झटक दिया, और झिड़कते हुए बोली,
छोड़,,,,,,,,,हाथ से कर ले,,,,,खड़ा है, इसलिये तेरा मन कर रहा है,,,,,,,,,,,निकाल लेगा तो आरम से नींद आ जायेगी,,,,,,,,,,कल दिखा दूँगी."
"हाय नही मामी,,,,,,,,अभी दिखा दो ना !"
"नही, मेरा मन नही है,,,,,,,,ला हाथ से कर देती हूँ."
"ओह मामी,,,,,,,,,,,हाथ से ही कर देना पर,,,,,,,,,,,,,,दिखा तो दो,,,,,,,,,,,"
अब उर्मिला देवी ने गुस्सा होने का नाटक किया।
"भाग,,,,,,,,,,,,,,रट लगा रखी है दिखा दो,,,,,,,,,दिखा दो,,,,,,,,,,"
"हाय मामी, मेरे लिये तो,,,,,,,,,,हाय प्लीज,,,,,,,,,,,,"
अपने पैर पर से उसके हाथों को हटाते हुए बोली,
"चल छोड़, बाथरुम जाने दे."
मदन ने अभी भी उसकी जांघो पर अपना एक हाथ रखा हुआ था। उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या करे। तभी उर्मिला देवी ने जो सवाल उससे किया उसने उसका दिमाग घुमा दिया।
"कभी किसी औरत को पेशाब करते हुए देखा है,,,,,,,,,,,?"
"क् क् क्क्या मामी,,,,,,,,,,,,,?"
"चुतीये, एक बार में नही सुनता क्या ?,,,,,,,,,,पेशाब करते हुए देखा है,,,,,,,,किसी औरत को,,,,,,,,,?"
"नननही मामी,,,,,,,अभी तक तो चूत ही नही देखी,,,,,,,,तो पेशाब करते हुए कहाँ से ?"
"ओह हां, मैं तो भुल ही गई थी,,,,,,,,,,तूने तो अभी तक,,,,,,,,,,,,चल ठीक है,,,,,,,इधर आ जांघो के बीच में,,,,,,,,उधर कहाँ जा रहा है,,,,,,,,?"
मदन को दोनो जांघो के बीच में बुला कर मामी ने अपने पेटीकोट को अब पूरा ऊपर उठा दिया, चूतड़ों उठा कर उसके नीचे से भी पेटीकोट के कपड़े को हटा दिया अब उर्मिला देवी पूरी नंगी हो चुकी थी। उसकी चौड़ी चकली झाँटेंदार चूत मदन की आंखो के सामने थी। अपनी गोरी रानो को फैला कर अपनी बित्ते भर की चूत की दोनो फांको को अपने हाथों से फैलाती हुई बोली,
"चल देख,,,,,,"
मदन की आंखो में भुखे कुत्ते के जैसी चमक आ गई थी। वो आंखे फ़ाड़ कर उर्मिला देवी की खूबसुरत डबल रोटी जैसी फुली हुई चूत को देख रहा था। काली काली झाँटों के जंगल के बीच गुलाबी चूत।
"देख, ये चूत की फांके है, और ऊपर वाला छोटा छेद पेशाब वाला, और नीचे वाला बड़ा छेद चुदाई वाला,,,,,,,,,,यहीं पर थोड़ी देर पहले तेरा लण्ड,,,,,,,,,।"
"ओह मामी, कितनी सुंदर चूत है,,,,,,,,,,एकदम गद्देदार पाव रोटी सी फुली हुई,,,,।"
"देख, ये गुलाबी वाला बड़ा छेद,,,,,,,,,इसी में लण्ड,,,,,,,,ठहर जा, हाथ मत लगा,,,,,,"
"ओह, बस जरा सा छु कर,,,,,,"
"साले,,,,,,,,,अभी बोल रहा था, दिखा दो,,,,,,,,,,दिखा दो, और अब छूना है,,,,,,"
कहते हुए उर्मिला देवी ने मदन के हाथों को परे धकेला।
मदन ने फिर से हाथ आगे बढ़ाते हुए चूत पर रख दिया, और बोला,
"ओह मामी प्लीज, ऐसा मत करो,,,,,,,,,अब नही रहा जा रहा, प्लीज,,,,,,,"
उर्मिला देवी ने इस बार उसका हाथ तो नही हटाया मगर उठ कर सीधा बैठ गई, और बोली,
"ना,,,,,,रहने दे, छोड़, तु आगे बढ़ता जा रहा है,,,,,वैसे भी मुझे पेशाब लगी है ।"
"उफफफफफ्फ् मामी, बस थोड़ा सा,,,,,,,,"
"थोड़ा सा क्या ?,,,,,,,,,,मुझे बहुत जोर पेशाब लगी है,,,,,,,,,"
"वो नही मामी, मैं तो बस थोड़ा छू कर,,,,,,,"
"ठीक है, चल छू ले,,,,,,,,पर एक बात बता चूत देख कर तेरा मन चाटने का नही करता,,,,,,,,??"
"चाटने का,,,,,,,,,,,?"
"हां, चूत चाटने का,,,,,,,,,देख कैसी पनिया गई है,,,,,,,,,,,देख गुलाबी वाले छेद को,,,,,,,ठहर जा पूरा फैला कर दिखाती हुं,,,,,,,,,देख अन्दर कैसा पानी लगा है,,,,,इसको चाटने में बहुत मजा आता है,,,,,,,,चाटेगा,,,,??,,,चल आ जा,,,,,,"
और बिना कुछ पुछे उर्मिला देवी ने मदन के सिर को बालों से पकड़ कर अपनी चूत पर झुका दिया।
मदन भी मस्तराम की किताबों को पढ़ कर जानता तो था ही की चूत चाटी और चुसी जाती है, और इनकार करने का मतलब नही था. क्या पता मामी फिर इरादा बदल दे ?
इसलिये चुपचाप मामी की दोनो रानो पर अपने हाथों को जमा कर अपनी जीभ निकाल कर चूत के गुलाबी होठों को चाटने लगा। उर्मिला देवी उसको बता रही थी की कैसे चाटना है ।
"हां, पूरी चूत पर ऊपर से नीचे तक जीभ फिरा के चाट,,,,,,। हां, ऐसे ही शशशशशीईई ईईईईईईई ठीक इसी तरह से, हांआआ, ऊपर जो दाने जैसा दिख रहा है ना, सो चूत का भगनशा है,,,,,,,,उसको अपनी जीभ से रगड़ते हुए हल्के हल्के चाट,,,,,,,,,,शशश शशीईईईईईईईईई शाबाश,,,,,,,, टीट को मुंह मेअं लेएएएए।"
मदन ने बुर के भगनशे को अपने होठों के बीच ले लिया और चूसने लगा। उर्मिला देवी की चूत, टीट-चुसाई पर मस्त हो कर पानी छोड़ने लगी। पहली बार चूत चाटने को मिली थी, तो पूरा जोश दिखा रहा था। जंगली कुत्ते की तरह लफड-लफड करता हुआ अपनी खुरदरी जीभ से मामी की चूत को घायल करते हुए चाटे जा रहा था। चूत की गुलाबी पंखुडीयों पर खुरदरी जीभ का हर प्रहार उर्मिला देवी को अच्छा लग रहा था। वो अपने बदन के हर अंग को रगड़वाना चाहती थी, चाहती थी की मदन पूरी चूत को मुंह में भर ले और स्लररप स्लररप करते हुए चुसे।
मदन के सर को अपनी चूत पर और कस के दबा कर सिसयायी,
"ठीक से चुअस,,,,,,,,,,,,मदन बेटा,,,,,, पूरा मुंह में ले कर,,,,,,,,,हां ऐसे ही,,,,,,,,,शशश शशीईईईईईईईईई ,,,,, बहुत मजा दे रहा है। हाय,,,,,,,,,,,, ,,,,,आआआअह्हाआअ,,,,,,,,,,,,सही चूस रहा हैएएएएए, हांआआ ऐसे ही चूऊउस,,,,,,,,एएएएएस्स्स्स्सेएएए ही."
मदन भी पूरा ठरकी था। इतनी देर में समझ गया था की, उसकी मामी एक नंबर की चुदैल, रण्डी, मादरचोद किस्म की औरत है। साली छिनाल चूत देगी, मगर तड़पा-तड़पा कर।
वैसे उसको भी मजा आ रहा था, ऐसे नाटक करने में। उसने बुर की दोनो फांको को अपनी उंगलियों से फैला कर पूरा फ़ैला दिया, और जीभ को नुकीला कर के गुलाबी छेद में डाल कर घुमाने लगा। चूत एकदम पसीज कर पानी छोड़ रही थी। नुकीली जीभ को चूत के गुलाबी छेद में डाल कर घुमाते हुए चूत की दिवारों से रीस रहे पानी को चाटने लगा।
उर्मिला देवी मस्त हो कर चूतड़ों हवा में लहरा रही थी। अपने दोनो हाथों से चूचियों को दबाते हुए, मदन के होठों पर अपनी फुद्दी को रगड़ते हुए चिल्लायी,
"ओह मदन,,,,,,,,मेरा बेटाआआ,,,,,,,,,बहुत मजा आ रहा है, रेएएए,,,,,,,,,,ऐसे ही चाट,,, ,,,,,पूरी बुर चाट ले,,,,,,,,,तूने तो फिर से चुदास से भर दिया,,,,,,,,,,हरामी ठीक से पूरा मुंह लगा कर चाआट नही तो मुंह में ही मुत दूँगीईईइ,,,,,,,,अच्छी तरह से चाआट,,,,,"
ये अब एकदम नये किस्म की धमकी थी। मदन एकदम आश्चर्यचकित हो गया। अजीब कमजर्फ, कमीनी औरत थी। मदन जहां सोचता था अब मामला पटरी पर आ गया है, ठीक उसी समय कुछ नया शगुफा छोड़ देती थी।
सो मदन ने भी एक दाँव फ़ेका, चूत पर से मुंह हटा दिया और गम्भीरता से बोला,
"ओह मामी,,,,,,,,,,तुमको पेशाब लगी है, तो जाओ कर आओ,,,,,,,"
चूत से मुंह हटते ही उर्मिला देवी का मजा कीरकीरा हुआ. मदन के बालो को पकड़ लिया, और गुस्से से भनभनाती हुई उसको जोर से बिस्तर पर पटक दिया, और छाती पर चढ़ कर बोली,
"चुप हराम खोर,,,,,,,,,,अभी चाट ठीक से,,,,,,,,,,अब तो तेरे मुंह में ही मुतुंगी,,,,,,,,,,,,,, पेशाब करने जा रही थी, तब क्यों रोकाआ था,,,,,,,,,,,,,?"
कहते हुए अपनी बुर को मदन के मुंह पर रख कर जोर से दबा दिया। इतनी जोर से दबा रही थी, की मदन को लग रहा था की उसका दम घुट जायेगा। दोनो चूतड़ के नीचे हाथ लगा कर किसी तरह से उसने चूत के दबाव को अपने मुंह पर से कम किया, मगर उर्मिला देवी तो मान ही नही रही थी। चूत फैला कर ठीक पेशाब वाले छेद को मदन के होठों पर दबा दिया, और रगड़ते हुए बोली,
"चाट ना,,,!!?,,,,,,,चाट जरा मेरी पेशाब वाली छेद को,,,,,,,,नही तो अभी मुत दूँगी तेरे मुंह पर,,,,,,,,,हरामी,,,,,,,,,,कभी किसी औरत को मुतते हुए नही देखा है ना ?,,,,,,,, अभी दिखाती हूँ, तुझे."
और सच में एक बुंद पेशाब टपका दिया,,,,,,,,,,अब तो मदन की समझ में नही आ रहा था की क्या करें कुछ बोला भी नही जा रहा था। मदन ने सोचा साली ने अभी तो एक बुंद ही मुत पिलाया है, पर कहीं अगर कुतिया ने सच में पेशाब कर दिया तो क्या करूँगा ?? चुप-चाप चाटने में ही भलाई है, ऐसे भी पूरी बुर तो चटवा ही रही है। पेशाब वाले छेद को मुंह में भर कर चाटने लगा। बुर के भगनशे को भी अपनी जीभ से छेड़ते हुए चाट रहा था।
पहले तो थोड़ी घिन्न सी लगी थी मगर फिर मदन को भी मजा आने लगा। अब वो बड़े आराम से पूरी फुद्दी को चाट रहा था। दोनो हाथों से गुदाज चूतड़ों को मसलते हुए बुर का रस चख रहा था।
उर्मिला देवी अब चुदास से भर चुकी थी,
"उफफफ्फ्,,,,,,,,,शीईईईईई बहुत,,,,,,,मजा,,,,,,,,हाय रेएएएएएएए तूने तो खुजली बढ़ा दी, कंजरे,,,,,,,,,अब तो फिर चुदवाना पडेगा,,,,,,,,भोसड़ी के, लण्ड खड़ा है कि, ?!!!!,,,,,"
क्रमश:……………………
|