RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
क्लास उसकी 7 बजे ख़तम होती थी. मैं सोच रही थी वो साढ़े सात बजे तक आ जाएगी.लेकिन 8 बज गया, फिर साढ़े 8, 9. मुझे चिंता होने लगी. मैने सोचा कि खुद चल के देखु क्या. बस अच्छी बात ये थी कि राजीव भी अभी नही आए थे, अपने दोस्त के यहाँ से. सवा नौ बजे वो आई, टाँगे थोड़ी फैली, थकि थकि सी. हाथ मे एक दोना जिसमे ताजी इमरतियाँ थी. उसने रुपये मुझे पूरे के पूरे वापस कर दिए.
" हे! क्या हो गया मैने तुझसे नाप देने को कहा था. तू क्या क्या दे आई. और ये पैसा, क्या लिया नही उसने . अच्छा चल मैं तेरे लिए गरम चाय ले आती हू बैठ. पूरी बात बता." चाय पीते हुए रुक रुक कर उसने सारा किस्सा बताया.
" भाभी, पैसे के बदले उसने कुछ और ले लिया." हंस के वो बोली.
" वो तो मुझे लग रहा है, लेकिन तू साफ साफ बता. शुरू से." मैं बोली.
" भाभी, मुझे पहुँचने मे थोड़ी देर हो गयी थी. वो शटर गिरा ही रहा था. मुझे देख के, उसने मुझे तो अंदर कर लिया और फिर अंदर से शटर गिरा के नाप लेने की तैयारी करने लगा. मुझसे पूछा, " क्यों, अपनी भाभी की तरह नाप देगी या.."
" भाभी की तरह ." मैने बोल दिया. फिर तो उसने शटर पे अंदर से लॉक लगा दिया और मुस्करा के कहा कि अब ड्रेसिंग रूम मे जाने की कोई ज़रूरत नही है यही लेता हू. फिर बोला कि तुम्हारी भाभी अपने हाथ से अपना सीना उघाड़ के देती है नाप. तू भी उठा ले. सीना तो भाभी मैने उघड़ दिया पर मारे शर्म के मेरी आँख अपने आप बंद हो गयी. और जब उसने सीने के नीचे फीता लगाया ना...भाभी मेरी तो हालत खराब हो गई. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं मेरे निपल अपने आप खड़े हो गये. फिर उसने वहाँ से निपल तक ..फिर सीने को...मैं एकदम गीली हो गयी थी. और फिर जब सीना नाप के वो कमर का नाप लेने लगा तो मैने आँख खोली. भाभी, क्या मोटा मजबूत लंबा खुन्टा था. उसका पाजामा पूरी तरह तना था. लेकिन उसकी ग़लती नही थी. शुरुआत मुझसे ही हो गयी. जब उसने मेरा नाडा खोला, अंदर की नाप लेने के लिए तो मेरा हाथ अपने आप चला गया. मैने उसके पाजामे का नाडा खोल दिया और उसका मोटा सख़्त... बाहर आ गया और उसके बाद तो उसने फिर मुझे वही...कपड़ों के ढेर पे लिटा के.."
" कैसा था लंड उसका."
" जबरदस्त भाभी, लेकिन उसका सुपाडा तो.... एकदम अलग, उस पे कोई चमड़ा नही था और उसका रंग भी गुलाबी नही था. धूसर. लगभग उसके लंड जैसा ही, और इतना सख़्त कि..उसे देख के ही भाभी मेरा क्ंट्रोल अपने उपर से एकदम ख़तम हो गया. झुक के. मैने उसे पकड़ कर चूम लिया. इतना मोटा था कि मेरे मूह मे क्या घुसता, लेकिन मेरे होंठ अपने आप...उसे चूमने चाटने लगे..एक अलग ढंग का , जैसा अपने बताया था ना मेरी जीभ बिना कुछ सोचे समझे उसके सुपाडे के पीछे वाले हिस्से पे चाटने लगी. थूक लगा लगा के एक दम गीला कर दिया..बहोत ही कड़ा, बिना चमड़े के एकदम अलग ..."
" उन लोगों के यहा बचपन मे ही बच्चे के लंड से आगे वाला चमड़ा काट देते है इसे, ख़तना कहते है. " उसकी बात काट के मैने, समझाया .
पर वो चालू थी, " भाभी, उसने मुझे फिर लिटा के वही..बहोत रगड़ा मेरी चूत पे..और मैने भी, जैसा अपने समझाया था ना, टाँगे खूब पूरी ताक़त से फैला दी थी.एकदम हवा मे उठा के...और जब उसने चुचि पकड़ के पेला ना, तो सच बताऊ भाभी, मेरी तो जान निकल गयी...आँख के सामने तारे नाच गये..उसका सुपाडा जब घुसा ना लगा किसी ने पूरा मुक्का मेरी चूत मे पेल दिया हो. रगड़ते घिसटते..बस भाभी बता नही सकती, मैं तड़प रही थी, फदफडा रही थी लेकिन उस बेरहम ने. शुरू से ही फूल स्पीड ...जल्दी उस को भी थी और मुझे भी. हचक हचक रगड़ के चोद रहा था बिना एक मिनट भी रुके, स्पीड धीमी किए. लेकिन आधे घंटे से ज़्यादे ही चोद के झाड़ा और मैं तो दो तीन बार झाड़ चुकी थी तब तक." किस्सा सुनाते सुनाते वो फिर गरम हो गयी थी.
मैं भी उपर से प्यार से अपनी ननद के मम्मे सहला रही थी. मम्मे दबाते हुए मैने पूछा, " फिर आगे क्या हुआ, बोल ना."
" अरे भाभी मैं शायद तब भी बच के ..लेकिन वो पाजामा पहन ही रहा था कि उसके सुपाडे को देख के मेरा मन नही माना. मैने ललचा के उसकी एक चुम्मि ले ली. अब बस ..वो उसे मेरे मूह मे घुसेडने लगा. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं मैने मूह नही खोला तो उसने मेरी नाक कस के बंद कर दी और जैसे ही मैने साँस के लिए मूह खोला, उसने मेरे बाल पकड़ के कस के घुसेड दिया. उस समय तो चुदाई के बाद तो वो थोड़ा ढीला सा था, चुदाई के जस्ट बाद, लेकिन मूह की गर्मी पा के तो वो ऐसे फूलने लगा.
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