RE: Nangi Sex Kahani नौकरी हो तो ऐसी
सेठानी के लाल लाल गुलाब के जैसे होठ और वो गोरा चेहरा…. और मुँह मे काली गोतिया वाह क्या नज़ारा था मैं देख के मदहोश हो रहा था… तभी पंडितजी ने लड़की की बुर मे उंगली डाली, वो पलंग पे सोई अवस्था मे थी… उंगली जैसे ही अंदर गयी तो पंडितजी बोले “अरे ये क्या इसकी बुर मे तो किसीने अभी वीर्यादान किया है…” इस बात को सुनके सेठानी दंग रह गयी क्यू कि वो समझती थी कि वकील की लड़की अभी कली है पर ये तो फूल निकली, सेठानी ने पंडित जी से कहा “ये बाद मे देखते है … पहले आप अपनी क्रिया शुरू करो वक़्त बहुत कम हैं…” ये सुनके पंडितजी ने फिरसे उसकी बुर मे उंगली डाली और निकलते ही उनकी उंगलिमे सफेद गाढ़ा बहुत सारा रस चिपक के आया ये देखकर पंडितजी और मदमस्त हो गये और लड़की की बुर मे फिरसे उंगली डाल के रस बाहर निकालने लगे… उसकी बुर का मंज़ला पूरा हिस्सा सफेद सफेद द्रव उगल रहा था…. पंडितजिने उंगली सेठानी को चाटने को दी, सेठानीने भी मस्त मज़े से उसे चूसने लगी और आँखे बंद कर करके रस का मज़ा लेने लगी… उसे कहाँ पता था कि जिस रस को चाट रही थी निगल रही थी वो उसके बेटो का ही था…. पंडितजी से अभी रहा नही जा रहा था.. पंडितजी का काला लंड अभी बहुत ज़्यादा फूल गया था पर लड़की अर्ध निद्रा मे थी इसलिए उसे इस चीज़ का ठीक से पता नही चल रहा था… पंडितजी ने सेठानी के मुँह मे अपने होठ डाले और सेठानी के मुख रस को लड़की की चूत मे गिराया… उस वक्त से लड़की की चूत और चमकने लगी…. अब पंडितजी ने लड़की को अपनी तरफ खिचा और अपना लाल काला सूपड़ा उसकी बुर के पास लेके गये… उसकी बुर के गहरे हल्के मखमल्ली बालो को देख के उस लड़की को अभी के अभी चोदने का मन कर रहा था… उन बालो के बीच मे वो कोमल लाल लाल सूजी हुई बुर को देख के मॅन रोमांचित हो रहा था … पंडितजी ने थोड़ा झुक के लड़की की बुर पे निशाना लगाया सेठानी ने घुटनो के बीच से आके लड़की की चूत के दो होठ थोडेसे अलग करके उसपे थोडिसी थूक थोप दी अब पंडितजी ने सूपदे को छेद पे रखा और थोड़ा पीछे होके आगे की ओर एक छोटसा धक्का मारा उनका सूपड़ा ज़्यादा चिकनाई की वजह से उपर सटाक गया लगता था उन्होने फिरसे निशाना लगाया और इस बार हल्केसे अपने बल्ब के आकर के सूपदे के मुँह को लड़की योनि मे प्रवेश करवाया.. लड़की थोडिसी कराह उठी… वैसे ही सेठानी घुटने के बीच से निकल के लड़की मुँह के पास आई और उसे पलंग पे सोई अवस्था मे ही रखने की कोशिस करने लगी… पंडितजी ने अब थोड़ी साँस लेके फिरसे सूपड़ा थोड़ा अंदर डाला लड़की उठने की कोशिश करने लगी पर सेठानी के उपर से थोड़ा दबाव बनाते ही वो नीचे सो गयी.. पंडितजी ने अब थोड़ा पीछे होके अपना सूपड़ा बाहर निकाल के दोनो हाथोसे बुर के होंठो को पकड़े रखते हुए निशाना लगाके सूपड़ा बुर के अंदर घुसा दिया … लगभग पूरा सूपड़ा अंदर जा चुका था बस गाँठ बंधनी बाकी थी… सेठानी ने लकड़ी के मुँह पे हाथ डाला हुआ था नहितो उस चीख से लगभग सबको पता चल जाता कि अंदर क्या होरहा है …. अब पांडिजीने लंड को अंदर दबाव देते हुए थोड़ा दबाया, और सूपड़ा पूरा अंदर चला गया…लड़की हाथ पाव उपर नीचे करने लगी पर पंडितजी ने अपने काम साध लिया था लड़की अभी उनके गिरफ़्त से बाहर नही निकल सकती थी.. पंडितजी ने अभी अपने आप को गति दी और लंड को और अंदर डाला… लड़की पीठ उपर करके विरोध करने लगी पर पंडितजी और सेठानी सुननेवालो मे से नही थे ..पंडितजी ने अब धक्के मारना शुरू किया आधे से ज़्यादा लार टपकाते हुए उस कोमल लालसुजी हुई बुर मे घुस गया था…. और आधा बाद के धक्के ने घुसा दिया लड़की ज़ोर्से उठने की कोशिश कर रही थी सेठानी ने बाजू मे पड़ी तकिया उठा कर उसके मुँह पे दबा दी और पंडितजी जोरोसे धक्का मारने लगे…. सेठानी ने थोड़ेही पल मे तकिया निकला लड़की थोडिसी ठीक हो गयी थी पंडित के धक्के चला रहे थे… सेठानी इस पल का कूट कूट के मज़ा ले रही थी और अपनी पोती को चुदवा रही थी…. थोदीही देर मे मैने देखा पांडिजी हफ़फ़ रहे है उन्होने गति को और बढ़ाया लड़की सिकुड़ने लगी… और धाप्प.. धाप्प्प…. पांडिजीने लड़की की चूत के अंदर अपना वीर्य दान कर दिया… वो उस कोमल लड़की की काया पे ढेर हो गये और उसके कोमल होंठो को चूमने लगे…. थोड़ी देर के बाद सेठानी ने पांडिजी का लंड बुर से बाहर निकाला वैसेही काम रस भी बाहर निकल आया उसे सेठानी ने कमाल से चूसा और पूरा पी लिया और काम रस से भरे पंडितजीके लंड को मुँह मे लेके चुस्के सॉफ करने लगी……….
क्रमशः……………………..
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