non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
06-11-2020, 05:05 PM,
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
वो दरवाज़े की तरफ घूमी और अपने हाथ को नीचे करते हुए जाने लगी। वो बहुत रोमांचित महसूस कर रही थी की इस तरह छत पर अपनी चूचियाँ नंगी कर हिलाते हुए वो चल रही है। वो कभी नहीं सोची थी की इस तरह कहीं और नंगी घूमेगी, कोई लड़का इस तरह उसे नंगी घुमाएगा। पूनम दरवाज़ा बंद कर दी और वापस बंटी की तरफ घूमी तो वो न चाहते हुए भी शर्मा गयी और उसके हाथ उसके सीने पर आ गए। पूनम वापस उसी जगह पर आकर खड़ी हो गयी और बोली "अब देख लिए न, अब मेरे कपड़े वापस दो और मुझे जाने दो।" पूनम को पता था कि वो ऐसे ही बोल रही है, इसका कोई मतलब नहीं है और बंटी को अगर कपड़ा देना होता तो वो दरवाज़ा बंद नहीं करवाता। पूनम भी अब चुद जाने के लिए तैयार थी। ज्योति की बात मान ले रही थी।

बंटी उसके करीब आया और बोला "अच्छे से देखने तो दो मेरी साली। अपने यौवन से हाथ तो हटाओ मेरी जान।" बोलते हुए बंटी ने पूनम के हाथों को नीचे कर दिया और पूनम भी हाथ को ढीला करते हुए नीचे हो जाने दी। बंटी गौर से उन चुचियों को देख रहा था जिसे वो रसमलाई की तरह खा जाना चाहता था। पूनम शर्मा गयी और नीचे देख रही थी। खुली हवा में नंगा बदन, वो भी एक लड़के के सामने, पूनम की निप्पल पूरी टाइट होकर तन गयी थी, उसकी चुत गीली हो गयी थी। वो चुदने वाली थी। एक अनजान लड़के से।

"उफ़्फ़...क्या माल हो मेरी जान तुम" बोलता हुआ बंटी अपनी हथेली को पूनम की एक गोलाई पर रखा और जोर से मसला। पूनम के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी। बंटी ने उसे खुद से चिपका लिया और एक हाथ से उसकी पीठ और एक हाथ से चुच्ची सहलाने लगा। पूनम का बदन पिघलने लगा। इससे पहले भी गुड्डू ने उसके बदन को छुआ था, लेकिन अभी पूनम को पता था कि वो आज चुदेगी। बंटी का हाथ फिसलता हुआ लहँगा के अंदर जा रहा था और वो झुक कर पूनम के गर्दन को चूम रहा था और निप्पल को मुँह में भरकर चूस रहा था।

पूनम अपने हल्के हाथों से बंटी के हाथों को रोकती हुई बोली "आह बंटी.... ये क्या कर रहे हो। तुम तो बोले थे बस देखोगे...., अब जाने दो मुझे।" उसे लगा था कि 'ऐसा बोलने से बंटी को ये नहीं लगेगा कि वो चुदवाने के लिए तैयार है, उसे लगेगा कि मैं ये सब नहीं चाहती। लेकिन अब वो बिना चोदे रुकने वाला नहीं।' बंटी अचानक से पूनम के बदन को सहलाता हुआ रुक गया और उससे अलग हो गया। पूनम शॉक्ड हो गयी की ये क्या हो रहा है और बंटी अब क्या कराने वाला है उससे।

बंटी थोड़ा पीछे हो गया और बोला "ठीक है, तुम्हे जाना है तो जा सकती हो। बस अपनी पैंटी मुझे देती जाओ। ज्योति की भी पैंटी मेरे ही पास है। बस, तुम चली जाओ।" बंटी अपनी जेब से ज्योति की पैंटी निकालकर पूनम को दिखाता हुआ बोला। पूनम को पता था कि बंटी का वीर्य ज्योति की चुत से उस वक़्त भी बह रहा था जब ज्योति जयमाला कर रही थी। पूनम को समझ नहीं आया की अब वो क्या करे। उसे बंटी पे चिड़चिड़ाहट हो रही थी। 'चोदना है तो चोद ले जल्दी। इतनी नौटंकी क्यों कर रहा है। कोई आ जायेगा या देख लेगा बस। नीचे लोग भी ढूंढने लगे होंगे मुझे।'

पूनम को खड़ी देख बंटी फिर बोला "क्या सोच रही हो? दो अपनी पैंटी। ब्रा तो तुम पहनी नहीं थी, चोली रख नहीं सकता। पैंटी ही रखूँगा तुम्हारी याद में।" पूनम देर नहीं की और अपने लहँगे को ऊपर की और हाथ अंदर डालते हुए अपनी पैंटी को उतारने लगी। पूनम पैंटी नीचे की और फिर पैर से निकाल दी। अब वो बस लहँगे में थी। बंटी नीचे बैठकर पैंटी को उठा लिया और सूँघते हुए बोला "मम्मम... जवानी की ख़ुशबू...." पूनम शर्मा गयी। बंटी खड़ा हो गया और पूनम को गोद में उठा लिया और बगल में बिछे गद्दे पे लिटा दिया। पूनम कोई विरोध नहीं की।

पूनम गद्दे पे सीधी लेटी हुई थी और बंटी उसके ऊपर झुक कर उसकी चुच्ची को चूसने लगा और दूसरे चुच्ची को मसलने लगा। पूनम के मुँह से फिर से सिसकारी निकलने लगी। बंटी का हाथ पूनम के नंगे बदन पे रेंग रहा था और वो लहँगे को ऊपर उठाता जा रहा था। पूनम अब उसे मना करने के मूड में नहीं थी। कुछ ही पल में बंटी का हाथ पूनम की चिकनी जाँघों पर था लहँगा और ऊपर उठ चुका था। पूनम की चिकनी चुत उस कम रौशनी में भी चमक रही थी।

बंटी का हाथ पूनम की चुत के ऊपर आया और अगले ही पल चुत की दरारों में बंटी की उँगलियाँ गीली हो रही थी। "आह" करती हुई पूनम के पैर अपने आप फ़ैल गए। बंटी ने ऊँगली को चुत के अंदर डाल दिया और उसे तुरंत एहसास हो गया कि कमसिन चुत अंदर से कितनी गर्म है। बंटी तुरंत पूनम की टाँगों के बीच में आ गया और उस कमसिन जवान चुत का रसपान करने लगा। बंटी ने पूनम के पैरों को फैलाया तो पूनम खुद ही अपने पैर को और फैला दी। बंटी अपने हाथों से पूनम की चुत को फैलाकर उसे पुरे मुँह में भरता हुआ चूस रहा था। जीभ की नोक चुत के मुहाने पर रगड़ रहा था वो। पूनम का बदन ऐंठ रहा था। वो बंटी के सर को अपनी चुत पर दबा रही थी। पूनम की चुत अब रस छोड़ने वाली थी की बंटी ने मुँह हटा लिया। पूनम तड़प कर रह गयी।

बंटी अपने कपड़े उतारने लगा। पूनम ऑंखें बंद किये उसी तरह लेटी रही। बंटी पूरा नंगा हो गया और पूनम के बगल में लेटते हुए उसके होठ चूसने लगा और पूनम के हाथ में अपना लण्ड पकड़ा दिया। लण्ड पकड़ते ही पूनम पूरा होश खो बैठी। बहुत दिन बाद कोई लण्ड उसके हाथ में था। वो लण्ड जो अभी उसकी चुत में जाने वाला था। वो लण्ड जिससे वो अपनी बहन को चुदते देख चुकी थी। पूनम लण्ड सहलाने दबाने लगी। जितना बड़ा और मोटा वो सोची थी, उससे ज्यादा ही लग रहा था उसे। बंटी पूनम के होठ को छोड़ा और बोला "चूस न।"
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06-11-2020, 05:05 PM,
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पूनम के हाथ में अपना लण्ड पकड़ा दिया। लण्ड पकड़ते ही पूनम पूरा होश खो बैठी। बहुत दिन बाद कोई लण्ड उसके हाथ में था। वो लण्ड जो अभी उसकी चुत में जाने वाला था। वो लण्ड जिससे वो अपनी बहन को चुदते देख चुकी थी। पूनम लण्ड सहलाने दबाने लगी। जितना बड़ा और मोटा वो सोची थी, उससे ज्यादा ही लग रहा था उसे। बंटी पूनम के होठ को छोड़ा और बोला "चूस न।"

पूनम उठ कर बैठ गयी और बिना किसी नॉटंकी के लण्ड चूसने लगी। वो पहले अच्छे से देखी की बंटी का लण्ड कैसा है। गुड्डू के लण्ड की ही तरह मोटा, लम्बा, सामने से चिकना और पूरा काला। वो लण्ड पर किस की और मुँह में भरकर उसे चूसने लगी। उसे लण्ड चूसने आता था। गुड्डू ने उसे ट्रेंड कर दिया था। बंटी सीधा लेटा हुआ था और पूनम उसके लण्ड को पूरा मुँह में भरकर चूस रही थी। बंटी उसके सर को अपने लण्ड पर दबा रहा था। एक नए मुँह में उसका लण्ड गया था और कुछ ही देर में एक नयी कमसिन चुत में जाने वाला था।

बंटी खड़ा हो गया और पूनम को बोला "तू नंगी नहीं होगी क्या?" पूनम बैठे बैठे ही अपने लहँगे को उतार दी और पूरी नंगी ही गयी। बंटी ने पूनम को सीधा लिटा दिया और उसके पैर के बीच में बैठ गया। पूनम की ऑंखें बंद हो गयी। वो चुदने वाली थी। उसकी चुत में फाइनली एक मोटा लण्ड जाने वाला था। अगर उसे पता होता की वो यहाँ शादी में बंटी से चुदेगी तो वो गुड्डू से चुदवाने में इतना देर नहीं करती, इतना सोच विचार नहीं करती। वो तो शरीफ बनी रहना चाहती थी, लेकिन रह नहीं पा रही थी। पहले अमित से चुदी और अब बंटी से चुदने वाली है। और जब चुदवाना ही है तो फिर इतनी देर क्यों करना।

बंटी अपने लण्ड को पूनम की चुत से सटा दिया और छेद पर रखकर लण्ड से चुत सहलाने लगा। पूनम अपनी टाँगों को और फैला दी और लण्ड को अंदर लेने के लिए ऐसे तैयार हो गयी जैसे कोई आदमी इंजेक्शन लेने के लिए तैयार होता है। उसे पता होता है कि दर्द करेगा ही, लेकिन लेना जरूरी है। पूनम को भी पता था कि जब अमित का लण्ड इतना दर्द किया था तो ये तो उससे बहुत मोटा और बड़ा है। पूनम भी बंटी के लण्ड का इंजेक्शन अपनी चुत में लेने के लिए तैयार हो गयी।

बंटी लण्ड को निशाना पर लगाकर पूनम के ऊपर लेट गया और ताकत लगाया। पूनम की गीली चुत में बंटी का मोटा मूसल लण्ड सरकने लगा। पूनम दर्द से सिहर उठी। बंटी ने उसे जोर से दबाया हुआ था तो वो हट नहीं पाई। बंटी थोड़ा और जोर लगाया और उसका लण्ड एक नयी चुत के अंदर था। पूनम अपने पैरों को और फैला ली थी और लण्ड सरसराता हुआ चुत में उतरने लगा।

अब बंटी ठीक से पूनम के ऊपर हो गया और जोर का धक्का लगाने लगा। "आह" पूनम को मज़ा आने लगा था। लण्ड चुत की गहराई में ठोकर मार रहा था। पूनम बंटी को पकड़ ली और उसकी कमर को अपने चुत पे दबाने लगी और उसके पीठ को सहलाने लगी। बंटी पूनम के होठ को चूसता हुआ दोनों चुच्ची को पकड़ कर मसल रहा था और पूरे स्पीड में धक्का लगाता हुआ अपनी नयी माल को चोद रहा था। दोनो को पूरा मज़ा आ रहा था। बंटी को मज़ा आ रहा था कि वो पूनम की टाइट कसी हुई चुत को चोद रहा था और पूनम को मज़ा आ रहा था कि वो बंटी के मोटे लंबे लण्ड से चुद रही थी।

बंटी लण्ड को चुत में पूरा अंदर किया और इसी तरह पूनम को पकड़ कर घूम गया। अब वो नीचे था और पूनम उसके ऊपर। पूनम को बहुत मज़ा आया इस तरह। पूनम उसके लण्ड पर अपनी चुत रगड़ने लगी और बंटी पूनम की गांड को पकड़ कर अपने लण्ड पर ऊपर नीचे करने लगा। पूनम की चुच्ची बंटी के सीने पे रगड़ाती रही। कुछ ही देर में पूनम की चुत ने रस छोड़ दिया और पूनम तेज साँसे लेती हुई बंटी के ऊपर लेट रही। बंटी मुस्कुरा उठा और पूछा "पानी छोड़ दी क्या?" पूनम कोई जवाब नहीं दी, उसी तरह लेटी रही। उसे बहुत मज़ा आया था। इतनी बार खुद से चुत से पानी निकालने के बाद आज वो चुदवाते हुए पानी छोड़ी थी।

बंटी पूनम के नीचे से हट गया। पूनम अभी भी पेट के बल ही लेटी हुई थी। उसकी चुत से रस टपक रहा था। बंटी पूनम की टाँगों के बीच आ गया और अपने लण्ड को चुत के छेद पर सटाने लगा। लेकिन उस तरह लण्ड अंदर जाना मुश्किल था। उसने पूनम की कमर पकड़ कर ऊपर उठाया और अब पूनम कुतिया बनी हुई थी। बंटी ने अपने लण्ड को अब अच्छे से चुत पर सटाया और पूनम की कमर को पकड़ कर धक्का लगाया।

पिछे से लण्ड अंदर जाते ही लण्ड चुत के ऊपरी हिस्से में टकराया और पूनम दर्द से सिहर उठी और आगे की तरफ छिटकी। लेकिन बंटी मंजा हुआ अनुभवी चुदक्कड़ था। उसने पूनम की कमर को अच्छे से कस के पकड़ा हुआ था और पूनम आगे हुई तो वो भी आगे होता हुआ लण्ड को अंदर उतार दिया। उसने फिर से पूनम को सीधा किया और फिर से धक्का मारा। लण्ड अब पूरा अंदर उतर गया और अब बंटी पीछे से पूनम की चुदाई कर रहा था। दर्द की वजह से पूनम अपने सर को गद्दे पर रखकर दर्द बर्दाश्त कर रही थी।

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06-11-2020, 05:06 PM,
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बंटी अब अच्छे से धक्का लगा रहा था। उसने पूनम के बालों को पकड़ा और अपनी तरफ खींचता हुआ पूनम के सर को उठा दिया और फिर से चोदने लगा। पूनम का भी दर्द कम हो गया था तो वो भी मज़े लेने लगी। पूनम अपनी चुचियों को देखी और उसे ज्योति की हिलती हुई चुचियों की याद आ गयी की अभी कुछ घंटे पहले यही लड़का इसी तरह ज्योति को चोद रहा था और अब वो खुद चुद रही थी। बंटी पुरे ताकत से धक्का लगा रहा था और लण्ड पूरा अंदर जा रहा था चुत में। हर धक्के के साथ पूनम आगे पीछे हो रही थी और उसकी चुच्ची भी पूरा झूलते हुए आगे पीछे हो रही थी।

बंटी ने लण्ड बाहर निकाल लिया और पूनम के बालों को खींचता हुआ ही बोला "उठ, खड़ी हो जा।" पूनम बाल खींचे जाने के दर्द से "आहः" करती हुई खड़ी हो गयी। उसकी चुत और जाँघों पर चुदाई का रस लगा हुआ था। बंटी पूनम को छत पर बने दीवाल पर झुका दिया और उसके पीछे आकर फिर से उसकी चुत में लण्ड डाल दिया। लण्ड अभी तुरंत अंदर घुस गया और फिर से पूनम चुद रही थी।

पूनम को सामने का नज़ारा दिख रहा था। सामने की बिल्डिंग में उसकी बहन की शादी हो रही थी जो अभी कुछ देर पहले इसी लण्ड से चुदी थी। वहीँ पे पूनम के मम्मी पापा और बाँकी रिश्तेदार मौजूद होंगे। बंटी पीछे से धक्का लगाता जा रहा था और पूनम हर धक्के के साथ आगे पीछे हो रही थी। पूनम की चूचियाँ छत की दीवाल पर टकराते हुए रगड़ा रही थी। बंटी अच्छे से कमर को पकड़े हुए था और पूनम की भरपूर चुदाई हो रही थी।

बंटी ने लण्ड निकाल लिया और पूनम को सामने घुमा कर चूसने बोला। पूनम नीचे बैठ गयी और बंटी के लण्ड को मुँह में भरकर चूसने लगी। लण्ड पूरा गीला था पूनम की चुत के रस से। पूनम चुदाई की खुशबू लेती हुई बंटी के लण्ड को चूस रही थी। बंटी उसके मुँह को अपने लण्ड पर दबा लिया और पूनम के मुँह के अंदर ही उसका लण्ड झटके मारने लगा। गरमा गरम वीर्य पूनम के गले में उतरने लगा। पूनम को अब वीर्य पीने का अनुभव था। वो भी झट से वीर्य को निगलने लगी। बहुत सारा वीर्य पूनम निगल गयी और बहुत सारा उसके चेहरे पर गिर पड़ा।

आखिरी बून्द वीर्य टपका कर बंटी गद्दे पर लेट गया और पूनम भी गद्दे पर गिर गयी। उसकी जान ही निकल गयी थी। इतनी लम्बी और दमदार चुदाई ने उसके जिस्म से जान निकाल दिया था। आखिर पूनम फिर से चुद ही गयी थी। जिस चुदाई से बचने के लिए वो गुड्डू से दूर रहने की कोशिश की थी, बंटी ने तीन दिन में उसे चोद लिया था। थोड़ी देर में बंटी उठ पड़ा। पूनम का उठने का मन तो नहीं था, लेकिन उसे भी उठना पड़ा। बंटी अपने कपड़े पहनने लगा था। पूनम भी अपने कपड़े पहनने के लिए उठी। उसके सारे कपड़े छत पर अलग अलग जगहों पर थे। वो सबसे पहले अपने लहँगे को पहन ली जो उसके बगल में ही था। फिर वो नंगी ही उठी और चलती हुई पैंटी तक आयी पैंटी और उठाने लगी तो उससे पहले बंटी पैंटी को उठाकर अपनी जेब में रख लिया। बोला "इसे मेरे पास रहने दो। एक ही रात में दोनों बहनों की चुदाई की है मैंने, दोनों की पैंटियों को भी एक साथ ही रहने दो।

पूनम भी बहस या ज़िद नहीं की। वो उसी तरह नंगी चुचियों के साथ छत के कोने तक गयी और अपनी चोली को उठा कर पहनी और चोली की डोरी को बंटी से ही बंधवाई। उसी ने खोला था और चोदने के बाद बाँधा भी उसी ने। दोनों नीचे आ गए और पूनम चुपचाप ज्योति की बगल में जाकर बैठ गयी। ज्योति धीरे से पूछी "कहाँ थी?" तो पूनम शरमाते हुए मुस्कुरा दी। ज्योति को तभी सामने से बंटी भी आता दिखा। ज्योति धीरे से बोली "तू बंटी के साथ थी?" पूनम शरमाते हुए मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलायी। ज्योति अपनी आँखों को बड़ी करते हुए आश्चर्य से इशारे से ही पूछी "हाँ?" पूनम उसी तरह शरमाते हुए हाँ में सर हिलायी। ज्योति उसे अपनी कोहनी से मारी और दोनों बहनें मुस्कुरा दी। बंटी भी दोनों को देखकर मुस्कुरा रहा था।
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06-11-2020, 05:06 PM,
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पूनम भी बहस या ज़िद नहीं की। वो उसी तरह नंगी चुचियों के साथ छत के कोने तक गयी और अपनी चोली को उठा कर पहनी और चोली की डोरी को बंटी से ही बंधवाई। उसी ने खोला था और चोदने के बाद बाँधा भी उसी ने। दोनों नीचे आ गए और पूनम चुपचाप ज्योति की बगल में जाकर बैठ गयी। ज्योति धीरे से पूछी "कहाँ थी?" तो पूनम शरमाते हुए मुस्कुरा दी। ज्योति को तभी सामने से बंटी भी आता दिखा। ज्योति धीरे से बोली "तू बंटी के साथ थी?" पूनम शरमाते हुए मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलायी। ज्योति अपनी आँखों को बड़ी करते हुए आश्चर्य से इशारे से ही पूछी "हाँ?" पूनम उसी तरह शरमाते हुए हाँ में सर हिलायी। ज्योति उसे अपनी कोहनी से मारी और दोनों बहनें मुस्कुरा दी। बंटी भी दोनों को देखकर मुस्कुरा रहा था।

आखिरकार पूनम चुद ही गयी। अमित से मिले धोखे के बाद कितना उथल पुथल मचा था उसके दिमाग में। कितना कुछ सोची थी वो की अब शादी से पहले किसी के साथ कोई संबंध ही नहीं रखेगी, किसी के करीब ही नहीं होगी। लेकिन पहले तो गुड्डू ने उसे पिक्स और कहानी भेजकर और फोन पे उसे चोद कर उसके दिमाग को बदला, फिर भी वो बहुत कुछ सोचती रही थी, यही वजह थी की गुड्डू के साथ इतना कुछ होने के बाद भी वो उससे चुदवाने की हिम्मत नहीं कर पाई थी। लेकिन ये गुड्डू के सिखाये पाठ का ही असर था कि जिस माल को गुड्डू ने इतनी मेहनत से तैयार किया था, 3 दिन में ही बंटी ने उस फसल को खा लिया था। उस कमसिन कसी हुई चुत में अपना लण्ड घुसा दिया था।

देखा जाए तो एक तरह से पूनम का रेप हुआ था। बंटी ने उसे मजबूर कर दिया था नंगी होने को और बिना उसकी मर्ज़ी के उसके कपड़ों को उसके बदन से उतार दिया था, लेकिन पूनम बहुत खुश थी बंटी से चुदवा कर। जितना कुछ वो सोची थी और जैसी जैसी पिक्स वो देखी थी, बहुत कुछ किया था बंटी ने। जैसे जैसे वो चुदवाना चाहती थी, उस तरह ऊपर नीचे आगे पीछे करके चोदा था बंटी ने उसे और फिर अपनी ही चुत को चोदने वाले लण्ड को वो चूसी भी थी और उसका वीर्य भी पियी थी।

एक तो वो इतने दिनों बाद चुदी थी और उसपर से अमित और बंटी में बहुत अंतर था। दोनों के लण्ड के आकार में भी और चोदने के अनुभव में भी। अमित ने पहली पहली बार पूनम को ही चोदा था जबकि बंटी पता नहीं कितने सारे चुत का स्वाद चखा चूका था अपने लण्ड को। बंटी का लण्ड चुत में गहरा अंदर तक घुमा था जबकि अमित का लण्ड तो बस दरवाजे के अंदर जाकर ही रह गया था। बंटी से चुदवा कर उसे यकीन हो गया कि गुड्डू सच कहता है और एक बार चुदवा लेने के बाद कोई भी ओरत मना नहीं करती होगी।

उसे बुरा बस ये लग रहा था कि वो बंटी से चुदवा ली, लेकिन गुड्डू से नहीं चुदवाई। उसे लग रहा था कि उसे पहले गुड्डू से चुदवाना चाहिए था, फिर जिसे चोदना होता चोद लेता। गुड्डू ने ही उसे चुदवाने के लिए तैयार किया था, गुड्डू ने ही उसे बताया था कि चुदाई कैसे होती है और उसमें कितना मज़ा आता है, लेकिन फिर भी वो उसके घर पर नहीं गयी और रेस्टुरेंट में इसलिये मिली की चुदे नहीं और यहाँ बंटी ने उसे इतने लोगों के होते हुए भी चोद लिया था। पूनम सोच ली की घर वापस पहुँचते ही वो गुड्डू के सामने नंगी होकर बिछ जायेगी और वो जितनी बार चोदेगा उतनी बार उससे चुदवाएगी। उसकी चुत पर पहला हक़ गुड्डू का है, फिर चाहे जो चोद ले। अब वो दो लण्ड से तो चुद ही चुकी है तो दो और लण्ड तो लेगी ही। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो गुड्डू के साथ धोखा की हो।

सुबह होने वाला था और शादी लगभग हो चुकी थी। ज्योति अब एक कमरे में थी और उसे भी बहुत बेचैनी हो रही थी। वो जल्दी से जल्दी जानना चाहती थी की कैसे कैसे क्या हुआ, लेकिन उसे अब तक मौका नहीं मिला था। अभी भी कमरे में बहुत सारे लोग थे और पूरा शोरगुल हो रहा था। वो मौका देखकर पूनम को अपने बगल में बिठायी और उससे पूरी बात पूछने लगी की कैसे बंटी ने उस मतवाली घोड़ी की चुत में अपने लण्ड का लगाम लगाया। पूनम भी शर्माती मुस्काती उसे पूरी बात बता दी की कैसे बंटी उसकी चोली खोला और कैसे अधनंगी कर छत पर ले गया और फिर कैसे पूनम पूरी नंगी होकर अपनी दीदी के बॉयफ्रेंड से चुदी। ज्योति सबके बीच में ही धीरे धीरे पूछती रही और पूनम भी धीरे धीरे ही बताती रही।

ज्योति धीरे से पूनम के कान में बोली "अगर पहले मेरी बात मान लेती तो इस तरह अधनंगी होकर तो नहीं घुमाता वो। लेकिन इसमें भी मज़ा ही आया होगा।" पूनम बोली "मैं तो शॉक्ड हो गयी थी की ये क्या हो रहा मेरे साथ। लेकिन जब छत पर सिर्फ लहँगे में दरवाज़ा बंद करने गयी और उसके पास आई, तब तो बहुत अच्छा लगा।" ज्योति पूनम के पेट में धीरे से कोहनी मारती हुई बोली "तब...पूरा अंदर गया न एकदम गहराई तक?" पूनम शरमाते हुए हाँ में सर हिलायी। पूनम को चुदाई याद आ गयी की बंटी का लण्ड कितना बड़ा और मोटा है और कैसे उसकी चुत पूरी फ़ैल गयी होगी और अंदर के धक्के तक को वो कैसे महसूस की थी। अमित से भी चुदवाने में उसे मज़ा आया था लेकिन बंटी के मुकाबले अमित की चुदाई कहीं नहीं टिकती है।
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06-11-2020, 05:06 PM,
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ज्योति फिर बोली "पहले वाले से बहुत अच्छा था न? मज़ा आया न?" पूनम भी बेशर्म बनकर मुस्कुराते हुए बोली "बहुत।" ज्योति फिर धीरे से बोली "इसलिए तो मैं बोल रही थी तो तू ही नखरे कर रही थी। अब अभी जबतक है तब तक पूरा मज़ा ले लेना। फिर ऐसा माल मिलेगा नहीं।" पूनम को फिर से शर्म आ गयी। उसके लिए ऐसे ही दो माल और रेडी थे। बोली "नहीं, अब नहीं।" ज्योति बोली "अब तू समझ, मुझे क्या। वैसे मैं भी देखूँगी की अब क्या क्या होता है।" फिर धीरे से पूनम के कान के पास मुँह सटाते हुए बोली "एक बार जिसकी चुत में बंटी का लण्ड उतर जाए न, वो चुत फिर रूकती नहीं है, अब देख की तू कैसे रूकती है।" पूनम कुछ नहीं बोली। ज्योति की बात में सच्चाई थी।

ज्योति बहुत खुश थी की उसके BF ने उसकी बहन को चोद लिया था और अब वो उदास नहीं होगा। ज्योति शादी करके जा रही थी लेकिन शादी के चंद घंटे पहले तक वो उसे अपना जिस्म दी थी और शादी के बाद भी जब भी मौका मिलेगा तो उसका जिस्म बंटी के लिए हाज़िर है। और अब तो वो अपनी बहन भी बंटी के हवाले कर दी थी, वो भी पूनम जैसी मस्त माल।

दोनों बहनें बातें कर ही रही थी की बंटी उसी कमरे में किसी काम से आया। वहाँ और भी लोग थे लेकिन ज्योति बंटी से पूछी "तो बंटी, मज़ा आया न खूब? ताज़ा रसगुल्ला खाने में?" बंटी बिना ज्योति की तरफ देखे हुए बोला "तो, आएगा नहीं। बहुत मज़ा आया।" ज्योति फिर बोली "खूब मज़े से खाये न। इतना ही में मन भर गया कि और खाने का मन है?" बंटी बिना किसी की तरफ देखे अपना काम करता हुआ मुस्कुराता हुआ बोला "एक ही बार से मन कैसे भर जायेगा। अभी तो बहुत बार खाना है। इतना टेस्टी था ही रसगुल्ला तो।"

पूनम को तो समझ नहीं आया की ये हो क्या रहा है और दोनों इतने लोगों के सामने उसकी चुदाई की चर्चा कर रहे थे। पूनम सर झुका ली थी और बंटी के जवाब देने के बाद तो वो शर्म से लाल हो गयी थी। एक आंटी पूछी "किस चीज़ में मज़ा आया रे बंटी?" अब तो पूनम की हालत और ख़राब हो गयी की पता नहीं अब कौन क्या बोलेगा। बंटी के कुछ बोलने से पहले ही ज्योति हँसती हुई बोली "पता नहीं कहाँ देख कर चल रहा था कि देखा नहीं और टकरा कर रसगुल्ला का पूरा रस अपने कपड़ा पर गिरा लिया था।" ज्योति बोलकर खिलखिलाकर हँसने लगी तो बाँकी लोग भी उसका साथ देने लगे।

बंटी भी हँसता हुआ कमरे से बाहर निकल गया। पूनम की जान में जान आयी। थोड़ी देर बाद वो ज्योति को बोली भी की "ये क्या कर रही थी?" तो ज्योति उसे मुँह के इशारे से समझा दी की "कुछ नहीं होता, किसी को समझ में नहीं आया होगा।"
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06-11-2020, 05:06 PM,
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बंटी भी हँसता हुआ कमरे से बाहर निकल गया। पूनम की जान में जान आयी। थोड़ी देर बाद वो ज्योति को बोली भी की "ये क्या कर रही थी?" तो ज्योति उसे मुँह के इशारे से समझा दी की "कुछ नहीं होता, किसी को समझ में नहीं आया होगा।"

अब आखिरी रस्म होने वाली थी और उसके बाद बिदाई होती। ज्योति, उसका पति और ज्योति के घर की महिलाएं एक कमरे में कोने में थी और वहीँ पे कोई रस्म हो रहा था। पूनम अपनी लहँगा चोली वाली ड्रेस बदल चुकी थी और अभी वो एक स्कर्ट और टॉप में थी। स्कर्ट छोटी तो नहीं थी लेकिन घुटने से कुछ ऊपर ही थी और टॉप भी इतना ही बड़ा था कि पूनम उसे नीचे खिंच कर रखती थी तो स्कर्ट तक आता था और फिर जैसे ही थोड़ी देर कुछ और करती, टॉप ऊपर होकर पेट और कमर दिखाने लगता था। लहँगा चोली में पूनम का पूरा पेट और कमर दिख रहा था, तब उसे शर्म नहीं आ रही थी, लेकिन अभी टॉप के ऊपर होने से उसे शर्म आने लगती थी और लोगों की नज़र भी उसी गैप में अटक जाती थी।

रस्म कमरे के कोने में हो रहा था और वहाँ कई सारे लोग खड़े थे। बंटी पूनम के बगल में ही आकर खड़ा हो गया था और उसके बदन से सटा हुआ था। उसका हाथ धीरे धीरे पूनम के बदन को छू रहा था। पूनम भी बिना किसी हिचकिचाहट के बंटी के बदन से सटी हुई थी और उसकी चुच्ची भी बंटी के बाँह में सट रही थी। दोनों भीड़ में एक दूसरे से सटे हुए ऐसे अंजान बनकर खड़े थे जैसे उन्हें ध्यान ही नहीं हो। अचानक से लाइट कट गया था और कमरे में अँधेरा हो गया। वीडियो रिकॉर्डिंग वाला लाइट भी बंद हो गया था। शोर होने लगा की पूनम को अपनी टाँगों पे कुछ रेंगता हुआ महसूस हुआ। वो हड़बड़ा गयी लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उसे पता था कि ये हाथ किसका होगा। वैसे भी कमरे में बंटी और वीडियो वाले के अलावा और कोई मर्द नहीं था और वीडियो वाला पूनम से दूर खड़ा था।

वो हाथ अब पूनम की जाँघों पर रेंगता हुआ ऊपर आ रहा था। पूनम हाथ को रोकने की कोशिश की, लेकिन बंटी ने उस हाथ को पकड़ लिया और दूसरा हाथ सामने लाता हुआ पूनम की चुच्ची को जोर से मसला। पूनम अभी कुछ देर पहले ही इसी लड़के से चुद चुकी थी तो उसे कोई समस्या नहीं थी अपनी चुच्ची मसलवाने में, लेकिन उसे डर लग रहा था कि कहीं अचानक से लाइट आ गयी और किसी ने देख लिया तो क्या होगा। पूनम चुच्ची से बंटी का हाथ पकड़ कर रोकी और हटाने का इशारा की तो बंटी ने चुच्ची पर से तो हाथ हटा लिया लेकिन स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर जोर से उसकी गांड को मसला। पूनम का हाथ अपने आप बंटी के हाथ के ऊपर था, लेकिन वो उसे रोक नहीं पा रही थी और वो ज्यादा हिल भी नहीं सकती थी।

लोग शोर कर रहे थे तो बंटी ने पॉकेट से अपना मोबाइल निकाला और उसका टॉर्च जलाया जिससे कमरे में हल्की सी रौशनी हो गयी। अब वो नीचे बैठ गया और जो रस्म हो रहा था वहाँ लाइट दिखाने लगा। अब पूनम स्कर्ट पहने बंटी के बगल में खड़ी थी और उसके सामने जो लोग खड़े थे, उस वजह से वो अँधेरे में थी। इससे अच्छा मौका क्या मिलता बंटी को। वो एक हाथ से मोबाइल से रौशनी ऐसे दिखा रहा था कि उसका दूसरा हाथ और पूनम की माँसल जाँघ अँधेरे में रहे। उसने अपने दूसरे हाथ को फिर से पूनम की जाँघ पर पहुँचा दिया और सहलाने लगा।

कुछ देर पहले ये नंगा बदन उसके सामने था जिसे उसने पुरे मज़े से चोदा था, लेकिन पूनम ऐसी माल नहीं थी जिसे एक बार चोदकर किसी का मन भर जाता। बंटी चुत में ऊँगली डालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब पूनम दूसरी पैंटी पहन चुकी थी। एक हाथ से पैंटी किनारे करके चुत में ऊँगली डालना आसान नहीं थी। बंटी पैंटी नीचे खिंचने लगा तो पूनम उसका हाथ रोक ली। बंटी को तो लगा की पैंटी नीचे खिंच कर उतार दे और ये पैंटी भी अपने पास रख ले, लेकिन फिर उसे भी ये सही नहीं लगा तो वो जाँघ गांड को धीरे धीरे सहलाता रहा। पूनम की चुत गीली हो गयी थी। इतने लोगों के बीच में वो खड़ी होकर बंटी को अपने बदन से खेलने दे रही थी।

लाइट आ गयी और उन दोनों के खेल में खलल पड़ गया। बंटी ने हाथ हटा लिया और खड़ा हो गया। अब वो फिर से पूनम के बदन में सट कर खड़ा था और उसकी गांड को स्कर्ट के ऊपर से सहला रहा था। पूनम को बुरा लगने लगा की कहीं किसी ने देख लिया तो झमेला हो जायेगा। उसे बंटी पे गुस्सा भी आ रहा था कि जब वो उससे चुदवा चुकी है तो वो फिर सबके सामने ऐसा क्यों कर रहा है। पूनम वहाँ से हट गयी और कमरे से बाहर निकल गयी। लेकिन इतनी ही देर में उसकी चुत पूरी गीली हो गयी थी। वो बाथरूम गयी तो उसे अपनी पैंटी पर अपने चुत के रस का दाग दिखा।

थोड़ी देर बाद बिदाई की रस्म होने लगी और जो ज्योति रात में अपने यार का वीर्य अपनी चुत में भरकर जयमाला की थी, और उसी चुदी हुई गीली चुत के साथ अपने पति के साथ चली गयी। दिन के 8 बज गए थे और सबकी आँखों में नींद सवार था। सबकोई अपना सामान समेटने लगा और कई सारे मेहमान तो यहीं से वापस अपने घर चले गए। माहौल गमगीन था। पूनम भी सब कुछ समेटने में अपनी माँ और मौसी की मदद कर रही थी। बंटी भी घर के पुरुषों की मदद कर रहा था और सबको नाश्ता उसी ने करवाया था। होटल शाम तक खाली करना था तो कोई हड़बड़ी नहीं थी। हर कोई खाली हो गया था, फिर भी व्यस्त था। बहुत कम लोग बचे थे अब होटल में और काम अभी भी ज्यादा था।

11 बजे तक सारा कुछ समेट लेने के बाद सब थोड़े रिलैक्स हो गए थे। बंटी हमेशा इसी ताक में था कि कब वो पूनम के करीब आये और उसके मखमली बदन से खेल पाए, लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था। वो पूनम के जाने से पहले उसे कई बार चोद लेना चाहता था। अच्छे से उसके चिकने बदन का लुत्फ़ ले लेना चाहता था। वो मौका ढूंढ रहा था कि कब स्कर्ट के अंदर मौजूद चुत को फिर से अपना लण्ड खिला पाए, कब उस मुलायम चुच्ची को आज़ाद कर मसल पाए और चूस पाए।

फिर से जब पूनम स्टोर रूम से कुछ लाने के लिए गयी तो बंटी को मौका मिल गया। फिर से पूनम के आसपास कोई नहीं था और वो अभी स्टोर का लॉक खोल ही रही थी की बंटी ने उसे पीछे से अपनी बाँहों में भर लिया। बंटी का एक हाथ पूनम के टॉप पर चुच्ची पर, दूसरा हाथ उसकी स्कर्ट पर चुत पर और होठ उसके गर्दन पर था। पूनम जल्दी से स्टोर को खोली और अंदर हो गयी की कहीं कोई देख न ले।
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06-11-2020, 05:06 PM,
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
11 बजे तक सारा कुछ समेट लेने के बाद सब थोड़े रिलैक्स हो गए थे। बंटी हमेशा इसी ताक में था कि कब वो पूनम के करीब आये और उसके मखमली बदन से खेल पाए, लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था। वो पूनम के जाने से पहले उसे कई बार चोद लेना चाहता था। अच्छे से उसके चिकने बदन का लुत्फ़ ले लेना चाहता था। वो मौका ढूंढ रहा था कि कब स्कर्ट के अंदर मौजूद चुत को फिर से अपना लण्ड खिला पाए, कब उस मुलायम चुच्ची को आज़ाद कर मसल पाए और चूस पाए।

फिर से जब पूनम स्टोर रूम से कुछ लाने के लिए गयी तो बंटी को मौका मिल गया। फिर से पूनम के आसपास कोई नहीं था और वो अभी स्टोर का लॉक खोल ही रही थी की बंटी ने उसे पीछे से अपनी बाँहों में भर लिया। बंटी का एक हाथ पूनम के टॉप पर चुच्ची पर, दूसरा हाथ उसकी स्कर्ट पर चुत पर और होठ उसके गर्दन पर था। पूनम जल्दी से स्टोर को खोली और अंदर हो गयी की कहीं कोई देख न ले।

अंदर होते ही बंटी ने गेट सटा दिया और पूनम को सामने से गले लगा लिया। पूनम भी भला उसे क्या मना करती। उसके मना करने से तो वो मानने वाला था नहीं। "क्यों ऐसे करते हो?" बोलती हुई वो बस खड़ी रही। बंटी उसे अपने बदन से चिपकाये हुए उसके होठ चूसने लगा तो पूनम भी उसका साथ देने लगी। पल भर में ही बंटी का एक हाथ टॉप उठा कर पूनम की नंगी पीठ सहला रहा था तो दूसरा हाथ पूनम की स्कर्ट उठा कर उसकी पैंटी के अंदर गांड सहला रहा था। बंटी ने पूनम को थोड़ा तिरछा किया और अब उसका हाथ सामने से पैंटी के अंदर था और वो पूनम की चिकनी चुत को सहला रहा था। बंटी को पूरा अनुभव था कि कैसे कम वक़्त में लड़की का ज्यादा से ज्यादा मज़ा लिया जाता है। बंटी का पीछे वाला हाथ भी पीछे से स्कर्ट को ऊपर करता हुआ पैंटी पर था और पूनम की पैंटी अपनी जगह से नीचे हो चुकी थी और ये सब बहुत जल्दी हुआ था।

पूनम उसे मना नहीं कर रही थी, लेकिन उसे बहुत डर लग रहा था। पुनम बंटी को खुद से हटाने के लिये सोची ही की तब तक में बंटी की एक ऊँगली सरसराती हुई पूनम की गीली चुत के अंदर पहुँच गयी और पूनम के मुँह से सिसकारी फुट पड़ी। पूनम का बदन बंटी के हाथ पर झूल गया था और बंटी पूनम की चुच्ची पर सर रखे उसकी चुत में जल्दी जल्दी ऊँगली अंदर बाहर करने लगा। पूनम होश खोने लगी थी। वो किसी तरह खुद को सम्हाली की वो स्टोर रूम में है और यहाँ कभी भी कोई भी आ सकता है। उसकी पैंटी घुटने तक पहुँच गयी थी और

पूनम बंटी का हाथ रोकती हुई बोली "आह... मम्मम.... छोडो, क्या कर रहे हो, कोई आ जायेगा।" बंटी उसी तरह चुत में ऊँगली करता हुआ बोला "चलो न छत पर।" पूनम बंटी का हाथ रोकी और दूर होकर अपनी पैंटी ऊपर करती हुई बोली "पागल हो क्या। अभी दिन है। वैसे भी जो हो गया सो हो गया। अब कुछ नहीं होगा।" बंटी फिर पूनम के करीब आया और उसके हाथ को पैंटी ऊपर करने से रोकता हुआ बोला "छत पे नहीं जान, छत पर एक इकलौता कमरा है, वहाँ। वहाँ कोई नहीं आएगा।"

पूनम के चुत में पानी आ गया बंटी के साथ कमरे में जाने के नाम पर, लेकिन उसे डर लग रहा था। बोली "नहीं, अब और नहीं।" बंटी उसके टॉप को ऊपर उठा कर ब्रा से चुच्ची बाहर निकाल कर निप्पल चुस्ता हुआ बोला "ऐसे मत करो जान, आज ही भर तो मौका है, फिर तो तुम चली ही जाओगी।" फिर से बंटी का हाथ पूनम की चुत पर पहुँच गया था। पूनम कमजोर पड़ गयी थी। वो बंटी को रोक ही नहीं पा रही थी। वो बोली "ठीक है, अभी तो जाने दो।" बंटी खुश हो गया। चुत को जोर से मसलकर वो पैंटी को और नीचे करता हुआ बोला "थैंक्स जान, आ जाओ जल्दी से।" पूनम "आह" करती हुई जल्दी से अपनी पैंटी पकड़ी और उसे ऊपर करने लगी। बंटी पूनम से अलग हो गया और बोला "पैंटी उतार दो।" पूनम बोली "पागल हो। स्कर्ट है। अब जाओ यहाँ से।"

बंटी वहाँ से चला गया और पूनम अपने कपड़े ठीक करती हुई सोचती रही की वो अब क्या करे। उसका मन इधर उधर डोल रहा था। वो सबके साथ काम करती रही और बात भी करती रही। उसे बहुत जोरों की नींद आ रही थी, लेकिन किसी न किसी काम की वजह से वो सो नहीं पा रही थी। सभी लोग रात भर जगे हुए थे और पूनम तो रात में मोटे मूसल लण्ड से चुदी भी थी और अभी फिर से चुदवाने के लिए उसकी चुत पे चींटियाँ रेंग रही थी। 2- 4 लोग इधर उधर सोने लगे थे तो पूनम भी सोचने लगी की क्या करे।

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06-11-2020, 05:07 PM,
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम के चुत में पानी आ गया बंटी के साथ कमरे में जाने के नाम पर, लेकिन उसे डर लग रहा था। बोली "नहीं, अब और नहीं।" बंटी उसके टॉप को ऊपर उठा कर ब्रा से चुच्ची बाहर निकाल कर निप्पल चुस्ता हुआ बोला "ऐसे मत करो जान, आज ही भर तो मौका है, फिर तो तुम चली ही जाओगी।" फिर से बंटी का हाथ पूनम की चुत पर पहुँच गया था। पूनम कमजोर पड़ गयी थी। वो बंटी को रोक ही नहीं पा रही थी। वो बोली "ठीक है, अभी तो जाने दो।" बंटी खुश हो गया। चुत को जोर से मसलकर वो पैंटी को और नीचे करता हुआ बोला "थैंक्स जान, आ जाओ जल्दी से।" पूनम "आह" करती हुई जल्दी से अपनी पैंटी पकड़ी और उसे ऊपर करने लगी। बंटी पूनम से अलग हो गया और बोला "पैंटी उतार दो।" पूनम बोली "पागल हो। स्कर्ट है। अब जाओ यहाँ से।"

बंटी वहाँ से चला गया और पूनम अपने कपड़े ठीक करती हुई सोचती रही की वो अब क्या करे। उसका मन इधर उधर डोल रहा था। वो सबके साथ काम करती रही और बात भी करती रही। उसे बहुत जोरों की नींद आ रही थी, लेकिन किसी न किसी काम की वजह से वो सो नहीं पा रही थी। सभी लोग रात भर जगे हुए थे और पूनम तो रात में मोटे मूसल लण्ड से चुदी भी थी और अभी फिर से चुदवाने के लिए उसकी चुत पे चींटियाँ रेंग रही थी। 2- 4 लोग इधर उधर सोने लगे थे तो पूनम भी सोचने लगी की क्या करे।

कुछ सोच कर वो दूसरे ब्लॉक में छत पर बने एक छोटे से कमरे में पहुँच गयी। इस ब्लॉक में कोई नहीं था और छत पर तो कोई भी नहीं था। छत पर यही इकलौता कमरा था और इधर किसी के आने की संभावना कम ही थी। खुद पूनम अभी तक इधर एक बार भी नहीं आयी थी। उसे लगा था कि बंटी यहीं उसका इंतज़ार कर रहा होगा, लेकिन बंटी कहीं नहीं था। पूनम लेट गयी और बिस्तर पर जाते ही पल भर में ही वो नींद के आगोश में समां गयी।

पूनम गहरी नींद में थी और उसे लग रहा था की कोई उसके बदन को सहला रहा है, लेकिन वो ज्यादा विरोध नहीं कर पा रही थी। वो बहुत गहरी नींद में थी। कल रात तो वो बिल्कुल भी नहीं सोई थी और उसके पहले भी वो काफी कम ही सो पायी थी। इस गहरी नींद में जब वो उस हाथ को हटाई और जो थोड़ी बहुत उसकी नींद खुली, तो उसे लग गया था की बंटी ही है जो उसके बदन से खेल रहा है। वो अपने बदन को ढीला छोड़ दी थी और बंटी भी धीरे धीरे उसके मादक बदन का लुत्फ़ ले रहा था।

लेकिन अगर किसी लड़की के बदन के साथ कोई आदमी कुछ करेगा तो वो कितनी ही गहरी नींद में क्यों न हो, वो जरूर जग जायेगी। धीरे धीरे करके जब पूनम थोड़ी सी जगी तो उसे अपनी हालत का पता चला। उसकी स्कर्ट पूरी तरह से ऊपर उठी हुई थी और पैंटी उसके पैरों से निकल चुकी थी। पूनम कमर के नीचे स्कर्ट के इलास्टिक से नंगी थी और उसकी चिकनी चुत और गोरी जाँघें उस कमरे की रौशनी में चमक रही थी। उसकी टॉप और ब्रा भी ऊपर थी और ब्रा का हुक खुला हुआ था।

बंटी पूरा नंगा होकर पूनम के बगल में लेटा हुआ था और निप्पल को मुँह में भरकर आहिस्ते आहिस्ते चूस रहा था और एक हाथ से उस चिकनी चूत को सहला रहा था। पूनम गरम तो तब ही हो गयी थी जब वो नींद में थी, और अब जागने के बाद तो चूत पे बंटी का हाथ रेंगता पाकर वो मचल ही गयी। उसकी नज़र दरवाज़े पर गयी तो बंटी उसे लॉक कर दिया हुआ था।

पूनम निश्चिन्त हो गयी और बंटी की तरफ करवट कर घूम गयी और उसकी मुँह को अपने चुच्ची पर दबाने लगी। उसके पैर थोड़े से फ़ैल गए थे और बंटी का हाथ अब पीछे आ गया और उसकी गांड को मसलता हुआ पूनम के बदन को अपने जिस्म से चिपका रहा था और उसका लण्ड पूनम की जाँघों के बीच में था। पूनम नींद और वासना के आगोश में बहती हुई मदहोश सी आवाज़ में बोली “ओह्ह, ऐसे क्यूँ कर रहे हो?”

बंटी थोडा ऊपर हुआ और पूनम के होठों पर अपने होठों को रखकर पूनम को अपने बदन से चिपका लिया। पूनम की गुदाज चूचियाँ बंटी के सीने से दब रही थी और बंटी पूनम की पीठ, कमर और गांड सहला रहा था। बंटी का लण्ड पूनम की जाँघों के बीच उसकी चुत के पास था। “तुम्हे अभी अच्छे से चोदना है, रात में अँधेरे में ठीक से तुम्हारे सुनहले बदन को देख नहीं पाया था।” बोलता हुआ बंटी पूनम के होठ चूसने लगा और एक चुच्ची को जोर से मसलने लगा। पूनम तो पूरी गर्म थी ही, लण्ड के चुत के पास सटते ही उसकी चुत अब खुल कर लण्ड को आमंत्रण दे रही थी।

बंटी उसी तरह पूनम को सीधा कर दिया और अब वो पूनम के ऊपर लेटा हुआ था और उसी तरह वो पूनम के होठ चूस रहा था और अब दोनों चुचियों को जोर से मसल रहा था। पूनम अपने पैर फैला दी थी ताकि बंटी का लण्ड एक बार फिर से उसकी कसी हुई चुत के अंदर आ जाये। बंटी थोड़ा नीचे हुआ और अब एक निप्पल चूसने लगा और चुत सहलाने लगा। चुत अब पूरी तरह गीली थी और तुरंत ही बंटी की एक ऊँगली रेंगती हुई अंदर पहुँच गयी। कमसिन चुत के अंदर सेक्स की भट्टी जल रही थी।

चुत के अंदर बंटी की ऊँगली की चुभन महसूस करने के बाद अब पूनम के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया। बोली "आह.. मम्मम... ये क्या कर रहे हो। वो डालो न अंदर..." बंटी उठ बैठा और पूनम की पैरों के बीच में आया और स्कर्ट को पैरों से निकाल दिया। अब पूनम नीचे से नंगी थी। पूनम की ऑंखें अब तक बंद ही थी और वो इसी तरह सेक्स के सागर में डुबकी लगा रही थी। उसने अपने पैर फैला दिए और बंटी उस कमसिन टाइट चिकनी चूत को अच्छे से देखने लगा जिसे रात में चोद कर उसके लंड में दर्द होने लगा था।
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06-11-2020, 05:07 PM,
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
चुत के अंदर बंटी की ऊँगली की चुभन महसूस करने के बाद अब पूनम के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया। बोली "आह.. मम्मम... ये क्या कर रहे हो। वो डालो न अंदर..." बंटी उठ बैठा और पूनम की पैरों के बीच में आया और स्कर्ट को पैरों से निकाल दिया। अब पूनम नीचे से नंगी थी। पूनम की ऑंखें अब तक बंद ही थी और वो इसी तरह सेक्स के सागर में डुबकी लगा रही थी। उसने अपने पैर फैला दिए और बंटी उस कमसिन टाइट चिकनी चूत को अच्छे से देखने लगा जिसे रात में चोद कर उसके लंड में दर्द होने लगा था।

पूनम को लगा की बंटी कुछ कर नहीं रहा है तो वो थोड़ी सी आँख खोलकर सामने देखी और बंटी को इस तरह अपनी नंगी चुत निहारते देख वो शर्मा गयी। वो अपनी जांघों को सिकोड़ने की कोशिश की, लेकिन बंटी पैरों के बीच में बैठा हुआ था और अब अपने हाथों को पूनम की जाँघों पर रख जाँघ और चुत के आसपास का हिस्सा सहला कर देखने लगा था। पूनम तो हर पल का मज़ा ले रही थी। वो फिर से आँख बंद कर ली थी।

बंटी नीचे झुक गया और अपने हाथों से चुत के छेद को फैलाकर देखने लगा। 'उफ़्फ़ ये गुलाबी कमसिन चुत...' बंटी ने चुत पर मुँह लगा दिया और चूत के दाने को मुँह में भरकर उसे बाहर की तरफ खींचता हुआ चुत का स्वाद चखने लगा। पूनम की चुत पूरी तरह बंटी अपने मुँह में भर ले रहा था और "उफ्फ्फ....." दोनों दूसरी दुनिया में पहुँच गए थे। बंटी के जीभ का स्पर्श चूत के अंदरूनी हिस्से पे लगते ही पूनम की चूत और गीली हो गयी और इस कमसिन चूत का स्वाद तो बंटी के लिए भी अनोखा था। रात से ज्यादा स्वादिष्ट थी साली की चुत अभी।

बंटी चूत को पूरी तरह मुँह में भरकर चूसने लगा और पूनम अपनी कमर को उठाते हुए "आह्ह उह्ह्ह...." करती हुई जन्नत की सैर करने लगी। पूनम होश खो रही थी। बंटी ने फिर से अपनी एक ऊँगली को चूत में थोड़ा सा अन्दर किया और मुहाने पे उसे गोल गोल घुमाने लगा और थोड़ी ही देर में पूनम की चूत कामरस का झरना बहा दी। बंटी चाटता हुआ चूसता हुआ उस रस का स्वाद लेता रहा और पूनम अपने पैर को मोड़ कर पूरा फैला ली और उसके सर को अपनी चुत पर दबा दी। वो अपने आनंद के चरम पर थी। इसी सुख के लिए तो वो या कोई भी लड़की चुदवाने के लिए रेडी हो जाती है और बंटी, गुड्डू और विक्की जैसे लोग इस सुख को देने में माहिर खिलाड़ी थे।

बंटी अब पूनम के बगल में आ गया और उसे उठा कर बिठा दिया और उसके टॉप और ब्रा को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया। अब पूनम पूरी तरह नंगी थी। नंगी तो वो रात में भी हुई थी, लेकिन उस वक़्त अँधेरा था और अभी बंटी उस सुनहले मखमली बदन को अच्छे से देख रहा था। पूनम की गोल चुचियाँ जो उसकी छोटी सी हरकत पर भी हिल जा रही थी, वो चिकना पीठ और पेट, जिसे देखकर पता नहीं रात में कितने लड़कों ने अपने बाथरूम में उसके नाम का वीर्य बहाया होगा।

पूनम फिर से लेट गयी थी। उसे अब लण्ड चाहिए था चुत के अंदर। बंटी भी पूनम के बदन से सट कर लेट गया और उसके होठ चूसते हुए उसके नंगे मखमली बदन को सहलाने लगा। उसका लण्ड पुनम के हाथ के पास था तो पूनम उसके लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी. बंटी ने पूनम को उठने का इशारा किया और वो सीधा लेट गया। पूनम उठ कर बैठ गयी। वो समझ गयी की उसे क्या करना है। वो भी लंड को अच्छे से देखने लगी। देखी वो पहले भी थी, लेकिन दूर से या फिर अँधेरे में। इतने करीब से और इतने अच्छे से वो अभी ही देख रही थी।

पूनम लंड को जड़ से अपनी मुट्ठी में पकड़ी और अपने हाथ को ऊपर नीचे कर उसे सहलाने लगी। लण्ड तो पहले से ही टाइट और मोटा था, पूनम का हाथ लगते ही और बिकराल हो गया और पूरा अकड़ कर छत की तरफ तना हुआ था। लण्ड उसकी मुट्ठी में आ नहीं रहा था। पूनम भी उस लंड को अच्छे से मुँह में भरकर चूसने लगी। बंटी ने उसके सर को अपने लंड पे दबा दिया तो पूनम भी जितना लंड अपने मुँह में भर सकती थी, उतना लंड लेकर चूसने लगी। वो भी कोई कमी नहीं रहने देना चाहती थी मज़े लेने और देने में। उसे भी बंटी के लण्ड का स्वाद अच्छा लग रहा था।

अब बंटी ने पूनम को सीधा लिटा दिया और पूनम समझ गयी की एक बार फिर से उसकी चुदाई होने वाली है। बंटी फिर से उसके पैरों के बीच में था और पूनम भी पैर फैलाकर उस मुसल लंड को अपनी टाइट चूत में लेने के लिए रेडी हो गयी। बंटी ने पूनम के पैर को मोड़ कर पूरा फैला दिया और ऊपर की तरफ कर दिया और फिर अपने लंड को चूत के छेद पे सटा कर रगड़ रहा था। लण्ड के चुत के छेद पर सटते ही चुत और गीली होकर लण्ड के लिए रास्ता बनाने लगी। पूनम ऑंखें बंद किये लण्ड के अंदर आने का और दर्द सहने का इंतज़ार कर रही थी, लेकिन बंटी लण्ड को चुत के छेद पर ही रगड़ रहा था।

पूनम से इतना इंतज़ार नहीं हो रहा था। उसे लग रहा था की जल्दी से अब ये लंड उसकी चूत में घुस कर तबाही मचा दे। “आह्ह... डालो न अन्दर....” बोलती हुई पूनम अपनी कमर को ऊपर की, लेकिन ये इतना मोटा लंड ऐसे अन्दर नहीं जानेवाला था।

बंटी ने भी अब देरी नहीं किया और पूनम के कंधे को पकड़ कर उसके ऊपर लेट गया और एक धक्का मारा। पूनम पूरी तैयार थी, लेकिन उसकी चूत लंड का धक्का बर्दाश्त नहीं कर पाई और पूनम दर्द से चीख उठी। बंटी ने बिना देरी किये फिर से धक्का मारा और लंड चूत के किले का दरवाजा तोड़ कर अन्दर घुस गया और सरकता हुआ अन्दर घाटी में उतरने लगा। लण्ड के अंदर आते ही पूनम को थोड़ी राहत मिली। अब पूनम के बदन की गर्मी और बढ़ गयी। वो अपने पैर को और फैला दी और बंटी को पकड़ कर उसे अपने अन्दर समाने लगी।
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06-11-2020, 05:07 PM,
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम से इतना इंतज़ार नहीं हो रहा था। उसे लग रहा था की जल्दी से अब ये लंड उसकी चूत में घुस कर तबाही मचा दे। “आह्ह... डालो न अन्दर....” बोलती हुई पूनम अपनी कमर को ऊपर की, लेकिन ये इतना मोटा लंड ऐसे अन्दर नहीं जानेवाला था।

बंटी ने भी अब देरी नहीं किया और पूनम के कंधे को पकड़ कर उसके ऊपर लेट गया और एक धक्का मारा। पूनम पूरी तैयार थी, लेकिन उसकी चूत लंड का धक्का बर्दाश्त नहीं कर पाई और पूनम दर्द से चीख उठी। बंटी ने बिना देरी किये फिर से धक्का मारा और लंड चूत के किले का दरवाजा तोड़ कर अन्दर घुस गया और सरकता हुआ अन्दर घाटी में उतरने लगा। लण्ड के अंदर आते ही पूनम को थोड़ी राहत मिली। अब पूनम के बदन की गर्मी और बढ़ गयी। वो अपने पैर को और फैला दी और बंटी को पकड़ कर उसे अपने अन्दर समाने लगी।

बंटी ने भी लंड को पूरा अन्दर उतार दिया और फिर फुल स्पीड में धक्के लगाने लगा। इस चूत को तो वो फाड़ देना चाहता था, लेकिन चूत और लंड की लड़ाई में अक्सर जीत चूत की ही होती है। हर धक्के के साथ पूनम "आह्ह उह्ह्ह..." करती हुई मचलने लगी और बंटी भी उसके मखमली बदन को अपनी बाहों में जकड कर मसलता हुआ चुदाई करने लगा। बंटी ने उसी तरह पूनम को ऊपर कर दिया और खुद नीचे हो गया। लण्ड अभी भी चुत के अंदर ही था और अब पूनम लंड पर सीधी होकर बैठ गयी और "आह्ह्ह उह्ह्ह्ह" करती हुई चुत को लण्ड पर रगड़ने लगी आउट फिर उठक बैठक करने लगी। बंटी का हाथ उसकी दोनों चुचियों पर था जिसे वो पूरी ताकत से मसल रहा था और पूनम को भी उतना ही मज़ा आ रहा था।

पूनम बंटी के ऊपर लेट गयी और बंटी उसकी चुच्ची को मुँह में भरकर चूसने लगा था और नीचे से धक्का लगाता हुआ उस कमसिन रांड की चुदाई कर रहा था। तुरंत ही पूनम की चूत ने फिर से कामरस बहा दिया और वो बंटी के बदन पर निढाल होकर लेट गयी। बंटी समझ गया कि क्या हुआ है और उसने तुरंत पूनम को उठाया और अपने लंड पे झुका दिया। पूनम भी लंड को चूसने लगी। अभी लंड में चुत का रस मिल जाने से उसका स्वाद और ज्यादा ही बढ़ गया था। पूनम लॉलीपॉप की तरह लंड को चूस कर साफ़ कर दी।

पूनम लेटने लगी तो बंटी ने उसे कुतिया बनाया और उसके पीछे से उसकी चूत में अपना टाइट लंड पेल दिया। आह्ह्ह.... करती हुई पूनम आगे बढ़ी, लेकिन बंटी उसकी कमर को जकड़े हुए था। लण्ड फिर पूरा अंदर उतर गया और बंटी पूनम की कमर को पकड़े उसे चोदता रहा। हर धक्के के साथ पूनम चुदाई का असली मज़ा पाती रही और फिर उसी तरह बंटी ने उस कुंवारी चूत में ही ढेर सारा वीर्य उड़ेल दिया.

गरमा गर्म ताज़े वीर्य की गर्मी चूत में महसूस करते ही पूनम भी फिर से झड़ गयी और दोनों निढाल होकर उसी बिस्तर पर गिर पड़े। बंटी सीधा लेटा हुआ था और पूनम पेट के बल लेटी हुई थी। पूनम बंटी की तरफ खिसकी और उसके बदन से चिपक कर गिले लंड को हाथ में पकड़ ली। लंड से अभी भी वीर्य टपक ही रहा था। पूनम की चूत से भी वीर्य रिस रहा था और बाहर चादर पर टपक रहा था। दोनों उसी तरह वीर्य टपकाए लेटे रहे। ऐसी ही चुदाई तो चाहिए थी पूनम को। फिर से वो हर तरह से चुदी थी, हर चीज़ की थी। और अभी तो उसकी चुत में वीर्य गिरा था और वो भी इतना की अभी तक उसकी चुत से टपक रहा था।

थोड़ी देर बाद बंटी उठा और अपने कपड़े पहनने लगा। पूनम का मन नहीं था की बंटी अभी जाये, लेकिन उसे भी पता था की उसे जाना ही होगा। पूनम भी मजबूरी में उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। उसे हर कपड़ा अपने बदन पर भारी लग रहा था। लेकिन उसे लगा की वो बहुत देर से यहाँ है और हो सकता है की लोग उसके बारे में पूछ रहे हों। जाते वक़्त बंटी ने पूनम को हल्का सा गाल पर चूमा और बोला “रात में छत पर आ जाना, जहाँ ज्योति आती थी।” जबतक पूनम कुछ जवाब देती, बंटी बाहर जा चूका था। थोड़ी देर बाद पूनम भी उस कमरे से बाहर आ गयी और अपनी माँ और मौसी के पास पहुँच गयी।

शाम होने से पहले ही वो लोग होटल छोड़कर घर आ गए थे। पूनम की ज्योति से बात हुई तो वो पूछी तो पूनम उसे दिन के बारे में बताई। ज्योति बोली “मुझे पता था की ऐसा ही होगा।” तो पूनम शर्माती हुई बोली की "नींद का फायदा उठाया वो।” ज्योति हंसती हुई बोली “मुझे पता है” तो दोनों बहने खिलखिला कर हंस पड़ी. पूनम उसे बंटी के रात के प्लान के बारे में भी बताई तो ज्योति उसे टिप्स भी दी की कैसे जाना है छत पर।

शाम में पूनम सबके बीच में बैठी हुई थी और बात कर रही थी तो उसके मोबाइल में गुड्डू को कॉल आया। वो छत पर जाकर गुड्डू से बात की। पूनम बहुत खुश थी बंटी से दो बार चुदवा कर और वो रात में भी बंटी से चुदवा ही लेना चाहती थी। अब उसके मन में कोई संदेह नहीं था। अब उसकी चुत खुली थी इन तीनो के लिए।

रात में पूनम ज्योति के कमरे में सो रही थी और उसके मन में बहुत डर था, लेकिन वो खुद को समझा ली की 'इसी छत पर इसी जगह पर ज्योति रोज चुदवाती थी और दो दिन तो मैं भी गयी हूँ छत पर।' करीब बारह बजे उसके मोबाइल में बंटी का फ़ोन आया और वो अपने डर के बारे में बंटी को बताई, लेकिन बंटी ने उसे समझा लिया और पूनम छत पर आ गयी।

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