non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
06-11-2020, 04:48 PM,
#71
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम सोचने लगी की 'मैं तो तब अपनी हँसी नहीं रोक पाती थी जब मैं इनसे कोई मतलब नहीं रखना चाहती थी और इनसे नफरत करती थी। और आज तो मैं उससे मिलने वाली हूँ और अपने नंगे बदन को उसे दिखने वाली हूँ। मेरी पैंटी उसके पास है जिसे वो मेरी चुत से उतार कर ले गया था और मैं लाइफ में पहली बार बिना पैंटी के घर से निकली हूँ ताकि वो आसानी से मेरी नंगी चुत को छू पाए। तो अब अगर मेरी हँसी नहीं रुकी तो क्या होगया। शायद यही होना था इसीलिए तो पहले भी उनलोगों को देखकर मैं मुस्कुरा देती थी।''

रास्ते भर गुड्डू के बारे में ही सोचती रही और ऑफिस पहुँचते पहुँचते पूनम की चुत गीली हो गयी थी। उसे लगा की पैंटी तो पहनी नहीं हूँ, तो कहीं चुत का रस स्कर्ट पे न लग जाये। वो बाथरूम गयी और अपनी चुत को पोछ ली। लेकिन आज उसकी चुत का लीकेज रूक ही नहीं रहा था। अगर थोड़ी देर के लिए रुक भी जाता जब पूनम काम में व्यस्त होती थी तब, लेकिन तभी गुड्डू का कोई नॉनवेज मैसेज आ जाता और लीकेज फिर से बढ़ जाता। पूनम को थोड़ी थोड़ी देर पर बाथरूम जाना पड़ रहा था और अपनी चुत को पोछना पड़ रहा था।

पूनम को बहुत डर भी लग रहा था कि 'वो सही कर रही है या नहीं। कहीं किसी ने देख लिया या पहचान लिया तो क्या होगा। कहीं पापा मम्मी को पता चल गया तो क्या होगा। अमित के साथ तो ये था कि अगर उन्हें पता चल भी गया तो बोल देती की अमित से प्यार करती हूँ और इसीके साथ शादी करुँगी। लेकिन गुड्डू के बारे में क्या बोलूँगी, की इसे मुझे चोदना है, इसलिए यहाँ इससे मिलने आयी हूँ।' कई बार उसके मन में ये ख्याल आया की नहीं मिलती हूँ गुड्डू से, लेकिन गुड्डू की कल की ज़िद और अभी तक जो जो हो चूका है उसके साथ, वो मिलना टाल नहीं पायी।

लंच टाइम हुआ और पूनम अपने ऑफिस से निकल गयी अपने नंगे बदन की नुमाइश करने। वो बाहर आई ही थी की गुड्डू का फ़ोन आ गया तो पूनम उसे बता दी की आ रही हूँ। रेस्टुरेंट उसके ऑफिस से नज़दीक ही था और वो तुरंत ही वहाँ पहुँच गयी। वहाँ पहुँचते ही पूनम शॉक्ड हो गयी। गुड्डू और विक्की दोनों रेस्टुरेंट के बाहर खड़े थे और गुड्डू उसे देखते ही उसकी ओर बढ़ा। पूनम को बहुत डर लगने लगा। विक्की को यहाँ देख कर उसे डर लगने लगा था और वो सोची की यहाँ से चली जाती हूँ।

तब तक गुड्डू उसके नज़दीक आ चुका था और वो सोची की अब बाहर में कुछ भी बोलने से या बात बढ़ाने से और झमेला ही बढ़ेगा। वो धीरे से बोली "विक्की क्यों आया है। और तुम बाहर क्यों खड़े हो और मेरे नज़दीक क्यों आ रहे हो! किसी ने देख लिया बस!"

पूनम जल्दी जल्दी चलती हुई रेस्टुरेंट के अंदर आ गयी एक खाली केबिन में बैठ गयी। उसकी साँस तेज़ चल रही थी। एक तो वो जल्दी जल्दी चल कर आई थी और दूसरा उसे डर लग रहा था। गुडु भी तुरंत उसी केबिन में आ गया। पूनम सर झुकाए चुपचाप बैठी हुई थी। उसे गुस्सा भी आ रहा था और डर भी लग रहा था। ये बात उसके दिमाग में आया ही नहीं था कि दोनों यहाँ होंगे। गुड्डू उसे हमेशा बोला था कि दोनों उसे चोदेंगे लेकिन आज के लिए वो मानसिक तौर पर तैयार नहीं थी।

केबिन में बीच में टेबल लगा हुआ था और दोनों साइड दो दो आदमियों के बैठने लायक सिंगल कुर्सी लगी हुई थी। केबिन का गेट दो पल्लों वाला था स्लाइड होकर बंद होते थे। दोनों गेट पूरा बंद नहीं होता था और बीच में कुछ जगह खाली बचती थी, लेकिन उस जगह पर पर्दा लगाया जा सकता था। गुड्डू पूनम के सामने की कुर्सी पर बैठ गया और बोला "थैंक्स जान, मेरे से मिलने आने के लिए। तुम आज बहुत मस्त लग रही हो।" पूनम कुछ नहीं बोली। गुड्डू फिर पूछा "क्या हुआ? अपसेट क्यों हो।"

पूनम पहले तो कुछ नहीं बोली, फिर बोली "विक्की यहाँ क्यों आया है?" गुड्डू बोला "वो तो बस मुझे यहाँ पहुँचाने आया था। वो तो चला भी गया होगा।" पूनम बोली "अगर वो आएगा तो मैं चली जाऊँगी। मैं उसके साथ कुछ भी नहीं करने वाली।" गुड्डू बोला "आज कुछ मत करना। उसे ऐसे जगह पर कुछ करने में मज़ा भी नहीं आता है। लेकिन चोदेगा वो भी, ये याद रखना।" पूनम कुछ नहीं बोली।

तभी गेट पर विक्की प्रकट हुआ। पूनम उसे शॉक्ड होकर देख रही थी और सोच रही थी की 'वो क्या करे। विक्की को भी अपने बदन से खेलने दे या यहाँ से चली जाए।' विक्की पूनम को देखता हुआ बोला "हाय.... तुम बहुत खूबसूरत हो।" पूनम कुछ नहीं बोली। वो नीचे ही देखते रही। विक्की फिर बोला "तुम हमारे घर पे क्यों नहीं आयी? यहाँ क्या मज़ा आएगा जो मज़ा घर पे आता। पूरी नंगी होकर चुदवाती वहाँ।" पूनम फिर कुछ नहीं बोली। वो अपने आपको तैयार कर रही थी अभी के हालात के लिए। विक्की थोड़ा जोर से फिर बोला "हेल्लो, मैं तुमसे बोल रहा हूँ। काम सुनती हो क्या।" उसकी आवाज़ में हल्का गुस्सा था। पूनम डर गयी। बोली "आं.. हाँ... वो मैं अभी तुरंत चली जाऊँगी, इसीलिए। घर पे फिर कभी .... बाद में...."

विक्की बोला "अरे जितनी ही देर रहती, वहाँ पूरी मस्ती होती। नहीं चुदवाना होता तो नहीं चुदवाती, लेकिन जो भी करती फुर्सत में और मज़े में करती। यहाँ तो वो आते हैं जिनके पास जगह नहीं है मिलने की।" पूनम कुछ नहीं बोली। गुड्डू बोला "आएगी घर पर भी। लौट कर आएगी शादी से तो वहाँ आएगी। पुरे दिन के लिए। तू जा अभी।" विक्की बोला "असली मज़ा तभी आता है जब पुरे दिन नंगे रहकर चुदाई हो। यहाँ क्या टाइम पास करना है, ये चुम्मा चाटी तो बचपने की चीज़ है। बाँकी जैसी तुम्हारी मर्ज़ी। करो जो करना है।" गुड्डू बोला "चुत भी चुदवाएगी और गांड भी मरवायेगी। लेकिन अब तू जा यहाँ से।"
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06-11-2020, 04:48 PM,
#72
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम चुप ही बैठी थी। वो लोग ऐसे बात कर रहे थे जैसे पूनम कोई अच्छी लड़की नहीं, उनकी रण्डी हो। पूनम फ़ोन पे ये सब सुनी थी और बोली भी थी, लेकिन आज पहली बार उसके सामने दो लड़के इस भाषा में बात कर रहे थे, वो भी उसी के बारे में। पूनम को बुरा लग रहा था। विक्की बोला "मैं तो जा ही रहा हूँ। मुझे ये सब में मज़ा नहीं आता। जिस दिन चुदवायेगी उस दिन मज़ा करूँगा मैं।"

विक्की गेट सटा कर पर्दा लगा दिया और चला गया। अब बाहर से किसी को कुछ नहीं दिखना था। पूनम अभी भी सर झुकाए बैठी थी। वैसे विक्की चला गया था तो अब उसे थोड़ा ठीक लग रहा था। लेकिन उसे बुरा अभी भी लग रहा था। उसे लग रहा था कि 'मुझे यहाँ आना ही नहीं चाहिए था और इन दोनों से दूर ही रहना चाहिए।'

गुड्डू बोला "क्या हुआ? विक्की चला गया। वो ऐसा ही है। लेकिन मेरा भाई है, मेरा जान है।" गुड्डू की आवाज़ सुनकर पूनम अपने ख्यालों के भँवर से बाहर निकली। गुड्डू खड़ा हो गया। बोला "आजा मेरी जान, लग जा सीने से। तेरी ये ड्रेस भी मज़ेदार है। पैंटी नहीं पहनी है न अंदर में।" पूनम थोड़ी देर तो कुछ नहीं बोली, फिर बोली "मैं जा रही हूँ।" गुड्डू को बुरा लगा लेकिन वो हँस कर बोला "ऐसे मत बोल। मुझे बुरा लगेगा यार। रात से लण्ड टाइट है तेरे लिए।" पूनम कुछ नहीं बोली, लेकिन उसका गुस्सा कम हो गया था।

गुड्डू हाथ बढाकर पूनम का हाथ पकड़ा और उसे उठने का इशारा किया। पूनम का मूड खराब हो गया था। गुड्डू बोला "देख इस तरह मूड खराब मत कर।" फिर वो हँस कर बोला "देख तो लेने दे की पैंटी पहनी है कि नहीं, निप्पल कैसे हैं तेरे। फिर तो तू 10 दिन दिखेगी नहीं।" गुड्डू ने पूनम के हाथ को हल्का सा खिंच कर उठने का इशारा किया और फिर उसका हाथ छोड़ कर बाहें फैलाये खड़ा हो गया तो अब पूनम अपनी जगह से धीरे से अनमने से उठी और उसके सीने से लग गयी। गुड्डू इसी के लिए खड़ा था। उसने पूनम को खुद में दबा लिया। पूनम को पता था कि अब क्या क्या होना है।

पूनम की चूचियाँ गुड्डू के सीने से दब रही थी और उसे ऐसा लगा जैसे पूनम बिना ब्रा के आयी है। गुड्डू का लण्ड करवट बदलने लगा। उसने शीतल के चेहरे को ऊपर उठाया और होठों को चूमने लगा। पूनम कोई विरोध नहीं की। वो इसी के लिए यहाँ आई थी और अब विरोध करने का कोई मतलब नहीं था। गुड्डू का हाथ पूनम की गांड पे आया और उसने अंदाज़ा लगाया कि उसकी रण्डी बिना पैंटी के आयी है कि नहीं।

इसमें गुड्डू ने देरी नहीं किया और एक सेकंड के अंदर उसका हाथ स्कर्ट के अंदर था और पूनम की नंगी गांड को सहला रहा था। उसे अच्छा लगा की उसकी रण्डी बिना पैंटी पहने उससे मिलने आयी है। उसने पूनम के गांड को पकड़ कर अपनी तरफ खिंचा और उसका बदन खुद से सटा लिया। पूनम की चुत गुड्डू के लण्ड के पास थी। अब गुड्डू का दूसरा हाथ सामने आया और सामने से स्कर्ट के अंदर घुस गया।

पूनम उसकी सारी बात मानी थी। बिना पैंटी के भी आई थी और चुत को भी चिकनी करके आयी थी। गुड्डू ने हाथ को अच्छे से स्कर्ट के अंदर डाल दिया। गुड्डू का दोनों हाथ आगे और पीछे से पूनम की स्कर्ट के अंदर था और वो अच्छे से गांड और चुत सहला रहा था। शीतल की चुत पिघलने लगी। स्कर्ट कमर से नीचे होकर जाँघ पर अटकी हुई थी। वो गुड्डू को कुछ भी मना नहीं की थी और न ही उसे रोकी थी। उसे पता था कि गुड्डू ये सब करेगा ही और वो इसी के लिए यहाँ आयी है।

गुड्डू ने उसके होठ को छोड़ दिया और सामने वाला हाथ जल्दी से टॉप और ब्रा को ऊपर किया और पूनम की दोनों गोल मुलायम चूचियाँ बाहर आज़ादी की साँस लेने लगी। गुड्डू ने एक निप्पल को मुँह में भरा और दूसरे चुच्ची को इतने जोर से मसला की पूनम के मुँह से दर्द भरी सिसकारी निकल पड़ी। गुड्डू का सामने वाला हाथ फिर से नीचे आ गया और पूनम की चुत को दबाने, सहलाने लगा। चुत अब और गीली होने लगी थी और पूनम पे वासना का नशा चढ़ने लगा था।

गुड्डू का हाथ पूनम की दोनों जाँघों के बीच में था और गीले चुत के छेद को रगड़ रहा था। उसने वहीँ हाथ से पैर फ़ैलाने का इशारा किया। पूनम तो नंगी हो जाना चाहती थी, लेकिन उसे डर लग रहा था। वो लोग अभी आये ही थे। अभी तक तो वेटर मेनू देने और पानी लेकर भी नहीं आया था और पूनम आधी नंगी हो गयी थी।

लेकिन वो अपने दोनों पैर फैला दी और तुरंत ही गुड्डू की बीच वाली ऊँगली उसकी गर्म चुत के अंदर थी। वो गुड्डू के सर पर धीरे से हाथ फेरते हुए बोली "आह... मम्मम्म.... क्या कर रहे हो। वेटर आ रहा होगा अभी।" गुड्डू अब दूसरे निप्पल को चूस रहा था और उसकी ऊँगली गर्म गीली चुत के अंदर थी और वो उसे अंदर में ही चारो तरफ गोल गोल घुमा रहा था। पूनम की कमर ऊपर उठने लगी और वो "आह आह" करते हुए अपने बदन का भार गुड्डू के कंधे पर दे दी। उसके पैर अपने आप और फ़ैल गए थे। उसका चेहरा लाल हो गया था और वो दूसरी दुनिया में पहुँच गयी थी।

तभी गेट पे आवाज़ आयी "गुड्डू भाई, आ जाऊँ अंदर?" आवाज़ सुनते ही गुड्डू पे तो कोई असर नहीं पड़ा, पूनम होश में आ गयी। वो जल्दी से अपने कमर को पीछे की जिससे गुड्डू की ऊँगली उसकी चुत से बाहर निकल जाये और वो अपने स्कर्ट को ठीक कर पाए, लेकिन जितना वो कमर पीछे की, गुड्डू का हाथ उतना ही आगे आया। पूनम गुड्डू का हाथ पकड़ी तब उसकी चुत से गुड्डू का ऊँगली बाहर निकला। पूनम जल्दी से स्कर्ट ऊपर की और चुच्ची को ब्रा के अंदर करके टॉप को नीचे की और चेयर पर बैठ गयी। उसकी चुत और गीली हो गयी थी और उसे डर लग रहा था कि कहीं उसके स्कर्ट पे दाग न लग जाये।
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06-11-2020, 05:01 PM,
#73
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
गुड्डू हँसता हुआ सामने की चेयर पर बैठ गया और वेटर को बोला "आ जा।" पूनम सर झुकाए बैठी हुई थी। उसे अपनी चुत के अंदर अभी भी गुड्डू की ऊँगली घूमती हुई महसूस हो रही थी। उसे बहुत अच्छा लगा था और अजीब सा एहसास हुआ था। उसका चेहरा लाल था और उसे गुस्सा आ रहा था कि वेटर अभी क्यों आया, 2 मिनट बाद आता। उतने देर में तो गुड्डू उसकी चुत से झरना बहा देता।

दरवाजा खुला और वेटर मेनू कार्ड और पानी लेकर अंदर आ गया। पूनम यहाँ 8-10 बार अमित के साथ आ चुकी थी और 2-3 वेटर को वो शक्ल से पहचानती थी। लेकिन आज जो वेटर आया था ये वही वेटर था जो उस दिन था जिस दिन अमित वो काम कर रहा था जो आज गुड्डू कर रहा था। उस दिन भी वो बीच में आया था तो पूनम इसी तरह जल्दी से अपने कपड़े ठीक की थी और उतेजना से उसका चेहरा लाल था। गुड्डू ने मेनू कार्ड को वेटर को वापस दे दिया और बोला "2 कोल्ड ड्रिंक ले आ और जो तेरा मन हो वो ले आना।"

वेटर "जी भाई" बोलकर मेनू वापस ले लिया और बाहर जाने लगा। पूनम को बहुत शर्म आ रही थी की वेटर क्या सोच रहा होगा की उस दिन उस लड़के के साथ कर रही थी और आज इसके साथ कर रही है। वो वेटर को जाता देखी तो उसे राहत मिला। गुड्डू पूछा "कितनी देर में आएगा" वेटर तुरंत रुक गया और बोला "कोल्डड्रिंक तो तुरंत लेकर आता हूँ। बाँकी चीज़ बाद में लाऊँगा।" गुड्डू ने उसे आदेशात्मक टोन में कहा "जल्दी से भाग कर ले कर आ।"

वेटर के जाते ही गुड्डू ने गेट सटा दिया और पूनम से पूछा "क्या हुआ? ऐसे क्यों बैठी हो?" पूनम कुछ नहीं बोली और बस ना में सर हिलायी। तुरंत ही गेट पर आवाज़ सुनाई दी "गुडु भाई, आ जाऊँ अंदर?" गुड्डू ने गेट खोल दिया और वेटर टेबल पे कोल्डड्रिंक का गिलास रखने लगा। गुड्डू बोला "जा, अब आधे एक घंटे बाद आना।" वेटर मुस्कुराता हुआ "जी भाई" बोलकर बाहर जाने लगा जब पूनम ऊपर देखी और उसकी नज़र वेटर से मिल गयी। पूनम शर्म से लाल हो गयी की 'वेटर सोच रहा होगा की इस आधे एक घंटे में गुड्डू मेरे साथ क्या क्या करेगा।'

गुड्डू ने गेट को वापस से सटा दिया और पर्दा भी ठीक कर दिया। अब एक घंटे के लिए पूनम उसकी मिलकियत थी। वो पूनम के बगल में आ बैठा और उसकी तरफ हाथ बढ़ाया तो पूनम उसका हाथ पकड़ ली और बोली "नहीं, अब हो गया, अब रहने दो।" उसके मन में चल रहा था कि 'वेटर ने उसे पहचान लिया होगा। वो सोच रहा होगा की मैं भी रण्डी टाइप की लड़की हूँ और कभी इसके साथ तो कभी उसके साथ ये सब करती हूँ। वैसे भी वो गुड्डू को जानता है तो जानता ही होगा की उसके साथ कैसी लड़की लोग आती है। गुड्डू तो कई लड़कियों और औरतों को लेकर आया होगा यहाँ, आज मुझे भी ले आया। इससे तो अच्छा था इसके घर चली जाती। जो भी होता लेकिन ये वेटर तो नहीं देखता।'

गुड्डू भला क्यों उसके रोकने से रुकता। बोला "अभी तो देखने का वक़्त ही आया है और तू रोक रही है।" उसने पूनम का हाथ साइड किया और उसके टॉप को ऊपर करने लगा। पूनम विरोध नहीं की। कोई फायदा नहीं था। अपना बदन दिखाने का वादा करके ही वो यहाँ आयी थी। गुड्डू ने टॉप को चुच्ची के ऊपर कर दिया और फिर ब्रा को भी ऊपर कर दिया। टीशर्ट ब्रा आसानी से ऊपर हो गया और गुड्डू अच्छे से दोनों गोलाइयों को निहारने लगा। गुड्डू को इस तरह देखता देख पूनम शर्मा रही थी, लेकिन वो कुछ की नहीं, बस अपने हाथ से कुर्सी की सीट को पकड़े बैठी रही। उसका हाथ चुच्ची को ढकने के लिए छटपटा रहा था लेकिन पूनम जानती थी की वो ढक नहीं सकती है।

गुड्डू ने पूनम की पीठ को दीवाल से सटा दिया और अब और अच्छे से उसकी चुच्ची को देखने लगा। अब पूनम से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो चुच्ची ढकने की कोशिश करती हुई बोली "ऐसे क्या देख रहे हो। अब हो गया बस। बहुत देख लिए।" गुड्डू ने उसके हाथ को पकड़ लिया और बोला "देखने दे अच्छे से।" पूनम रुक गयी। वो और कर भी क्या सकती थी। उसे चुच्ची दिखाने में कोई परेशानी नहीं थी, बस उसे ये लग रहा था कि जो जो करना है जल्दी करे, बस देखता ही नहीं रहे। वो यहाँ से जल्दी निकल जाना चाहती थी।
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06-11-2020, 05:01 PM,
#74
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
गुड्डू दोनों हाथ आगे बढ़ाया और दोनों चुच्ची को एक एक हाथ में ऐसा पकड़ा जैसे नाप ले रहा हो की उसकी गोलाई कितनी है और फिर धीरे धीरे ऐसे दबाया जैसे हॉर्न बजा रहा हो। पूनम को अच्छा लगने लगा। इसी लिए तो वो आयी थी यहाँ, ताकि गुड्डू उसे पूरी मस्ती कराये। गुड्डू ने अब दोनों निप्पल को पकड़ा और अपनी तरफ खिंचने लगा। फिर वो निप्पल को पकड़े हुए ही चुच्ची को गोल गोल घुमाने लगा। पूनम को अच्छा लग रहा था, लेकिन उसे और ज्यादा मज़ा चाहिए था।

वो गुड्डू को बोली "आह... क्या कर रहे हो।" गुड्डू जोर से दोनों चुचियों को मसला और बोला "मज़ा" पूनम दर्द से आह करती हुई गुड्डू के कंधे को पकड़ कर उसपे झुक गयी। गुड्डू ने पूनम को खड़ा कर दिया। अब पूनम की चुच्ची गुड्डू के मुँह के सामने थी। गुड्डू ने पूनम की पीठ पे हाथ रखकर उसे अपनी तरफ झुकाया। अब पूनम की चुच्ची झूलकर गुड्डू के मुँह के सामने थी और वो निप्पल को मुँह में भरकर जोर जोर से ऐसे चूसने लगा जैसे भूखा बच्चा दूध ख़त्म हो जाने के बाद भी और दूध निकालने के लिए चूसता है।

गुड्डू दोनो झूलते हुए चुच्ची को दोनों हाथों से पकड़े हुए था और दोनों को निचोड़ता हुआ दोनों को चूस रहा था। अगर पूनम का 5 साल का भी बच्चा होता तो गुड्डू उसके थनों से दूध की कुछ बूँदें जरूर निकाल लेता। गुड्डू ने एक हाथ अब पूनम की पीठ पर कर दिया आउट स्कर्ट को पीछे से नीचे खींचने लगा। पूनम एक बार सोची की वो स्कर्ट पकड़े, लेकिन अभी कुछ ही देर पहले उसकी स्कर्ट नीचे थी तो अब रोकने से क्या फायदा था। गुड्डू ने स्कर्ट को घुटने तक नीचे कर दिया और आराम से चुच्ची चूसता हुआ पूनम की नंगी गांड और जाँघों को सहलाने लगा। स्कर्ट गिरने वाला था लेकिन पूनम उसे घुटने पे किसी तरह रोकी।

गुड्डू पूनम की चिकनी चुत को सहला रहा था और अंदाज़ा लगा रहा था कि कितनी मस्त चुत है पूनम की। अब उसने पूनम को गोद में उठाया और टेबल पर बिठा दिया और फिर उसके सीने पर दबा कर उसे लेटने का इशारा किया। पूनम अब टेबल पर लेटी हुई थी और उसकी नंगी चुत गुड्डू की आँखों के सामने चमक रही थी।

गुड्डू ने स्कर्ट को पैरों से निकाल दिया और कुर्सी पर रख दिया। पूनम अब नीचे से नंगी होकर रेस्टुरेंट में टेबल पर लेटी हुई थी। उस लड़के के सामने जिससे वो नफरत करती थी और जो उसकी नज़रों में बहुत बुरा आदमी था। लेकिन उस बुरे आदमी ने उसे अपने वश में कर लिया था। गुड्डू अच्छे से चुत को देख रहा था और सहला रहा था और उसके चिकनेपन का मज़ा ले रहा था।

गुड्डू को इस तरह अपने नंगे बदन को देखता हुआ देख कर उसे बहुत शर्म आ रही थी। गुड्डू को तो वो रोक नहीं सकती थी, तो शर्म से पूनम अपनी ऑंखें बंद कर ली थी। उसे डर भी लग रहा था कि वेटर कभी भी आ जायेगा, लेकिन एक तो वेटर पूछ कर आ रहा था और दूसरा की अभी बहुत देर तक नहीं आनेवाला था।

गुड्डू चुत को फैला कर दबा कर ऐसे देख रहा था जैसे उसकी जाँच कर रहा हो। पूनम को गुदगुदी हो रही थी और वो चाहती की 'गुड्डू चुत चुसे या ऊँगली करे और अगर उसका मन लण्ड डालने का है तो चोद ले मुझे।' गुड्डू ने पूनम के दोनों पैरों को फैला दिया और साथ ही साथ चुत के दोनों होठ भी खुल गए। गुड्डू चुत के छेद को एक हाथ से फैलाया और दूसरे हाथ की बीच वाली ऊँगली को सीधा अंदर डाला।

"आह" ऊँगली फिर से अंदर जाते ही पूनम की सिसकारी निकली। गुड्डू चुत फैलाये हुए था और 5-7 पहले तो उसने ऊँगली अंदर बाहर किया और फिर जो ऊँगली चुत के अंदर थी, उससे चुत को नीचे की तरफ खींच कर वो चुत पे अपना मुँह लगा दिया। पूनम का बदन ऐंठने लगा था। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। गुड्डू चुत के ऊपरी हिस्से में निकले हुए भाग को मुँह में लेकर चूसता हुआ खींच रहा था और साथ ही साथ ऊँगली भी अंदर बाहर कर रहा था।

पूनम आनंद के सागर में गोते लगा रही थी। गुड्डू दोनों हाथ से चुत को फैलाये हुए था और जीभ की नोक से चुत को चाट रहा था। गुड्डू की जीभ पूनम के चुत के अंदर के हिस्से को छू रही थी और उसे इतना अच्छा लग रहा था की न चाहते हुए भी उसके मुँह से 'आह ऊह मम्मम' की सिसकारी निकल रही थी। फिर गुड्डू ने अपनी बीच वाली ऊँगली को चुत के अंदर डाल दिया और अंदर ही इधर उधर घुमाता हुआ अंदर बाहर करने लगा। पूनम की कमर हिलने लगी। अब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और फिर वो अपने हाथ से अपनी चुत को जोर से दबाई और उसकी चुत के अंदर का बांध टूट गया।
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06-11-2020, 05:02 PM,
#75
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
गुड्डू को अपनी उँगली पर चारो तरफ से पानी की बौछार महसूस हुआ। उसने पूनम के हाथ को हटाया और चुत चूसने लगा। पूनम के पैर अभी भी फैले हुए थे और गुड्डू अंदर से बहकर आती हुई हर बूँद को चुस रहा था। पूनम तो दूसरी दुनिया में था। पूनम चुत से पानी निकलने तक का तो मज़ा ली थी, लेकिन उसके बाद भी चुत चुसवाने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था और उसकी चुत से ढेर सारा पानी निकलता जा रहा था।

आखिरी बून्द तक चुस लेने के बाद गुड्डू खड़ा हो गया। पूनम ऑंखें बंद किये हुए टेबल पर ही लेटे हुई थी। जब उसे लगा की गुड्डू उससे अलग हो गया है तो आँख खोली। गुड्डू उसे देखकर मुस्कुरा रहा था तो पूनम शर्मा गयी। उसका उठने का मन नहीं हो रहा था, लेकिन वो घर में नहीं रेस्टुरेंट में थी और नीचे से नंगी थी। गुड्डू ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया जिसका सहारा लेकर वो उठ कर खड़ी हो गयी। गुड्डू ने उसे बाँहों में दबा लिया और धीरे से पूछा "कैसा लगा।"

पूनम शर्माती मुस्कुराती हुई नीचे देखने लगी और बोली "बहुत ख़राब।" गुड्डू उसकी नंगी गांड को दबाता हुआ खुद में चिपकाये रहा और होठ चूमते हुए बोला "अभी और भी बहुत ख़राब लगने वाला है।" पूनम भी किस में उसमे साथ दे रही थी। थोड़ी देर होठों का रस चूसने के बाद गुड्डू ने पूनम को छोड़ दिया और वो अपनी स्कर्ट पहनने लगी।

गुड्डू मुस्कुराता हुआ बोला "चुत चूसने के बाद होठ चूसने में ज्यादा मज़ा आता है।" पूनम शर्मा गयी। वो स्कर्ट पहन चुकी थी। बोली "हो गया? सब देख लिए? सब कुछ कर लिए। अब मैं जाऊँ?" गुड्डू ने अपने जीन्स के बटन को ढीला किया और अपने लण्ड को बाहर निकालता हुआ बोला "अभी तो बहुत कुछ बाँकी है मेरी जान" और उसने पूनम के हाथ को पकड़ कर उसे अपना लण्ड पकड़ा दिया।

लण्ड देखते ही पूनम की ऑंखें फटी रह गयी। लण्ड अभी ढीला ही था और ऐसा लग रहा था जैसे कोई काला साँप लटक रहा हो वहाँ। पूनम की चुत फिर से गीली होने लगी। असली लण्ड ऐसा होता है, उसे आज समझ आ रहा था। अमित का लण्ड तो इसके सामने कुछ नहीं था। हाथ लगाते ही पूनम को बहुत अच्छा सा लगा और लण्ड अपना आकार बदलने लगा।

पूनम अभी थोड़ा सा सहलाई ही थी की लण्ड तन कर उसके सामने खड़ा हो गया था। अब पूनम लण्ड को गौर से देख रही थी। पूरा काला, बहुत लंबा, बहुत मोटा। सामने कोई चमड़ा नहीं था और उसका टोपा पूरा चमक रहा था। गुड्डू पूनम को इस तरह देखता देखा तो मुस्कुराता हुआ गर्व से पूछा "कैसा लगा?" पूनम अभी तक आश्चर्यचकित सी थी। बोली "ये तो बहुत बड़ा है।"

गुड्डू पूनम के सर को पकड़ कर अपने लण्ड के नज़दीक लाता हुआ बोला "तभी तो तेरी टाइट चुत में पूरा अंदर तक घुस कर उसे फाड़ेगा।" गुड्डू ने एक हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से पूनम के सर को लण्ड के सामने ले आया और पूनम के मुँह के सामने कर दिया। पूनम अपना मुँह खोल दी और लण्ड को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी। लेकिन ये अमित का छोटा लण्ड नहीं था। उसे पूरा मुँह खोलना पड़ा और लण्ड का बस सामने वाला थोड़ा सा हिस्सा ही उसके मुँह में जा पाया।

पूनम और अपना मुँह बड़ा की और जितना लण्ड हो सकता था उतना मुँह में भरकर चूसने लगी। वो सोचने लगी की जब ये लण्ड मुँह में नहीं जा रहा तो पता नहीं फिर चुत में कैसे जाता होगा। लण्ड के ऊपर कुछ बूँदें आने लगी थी जिसका टेस्ट पूनम के मुँह में जा रहा था और उसे अच्छा लग रहा था। वो आइसक्रीम की तरह गुड्डू का लण्ड चूस रही थी। गुड्डू का लण्ड और टाइट हो गया था। उसने शीतल को खड़ा किया और फिर से टेबल पे लिटा दिया।

पूनम को समझ नहीं आया लेकिन वो लेटी रही। गुड्डू उसके स्कर्ट को ऊपर उठा दिया और फिर से उसकी नंगी चुत चमक उठी। पूनम पूछी "क्या कर रहे हो" गुड्डू बिना कोई जवाब दिए पूनम की चुत को सहलाने लगा और ऊँगली अंदर करके चुत फ़ैलाने लगा। पूनम की चुत गीली ही थी तो ऊँगली तुरंत अंदर बाहर होने लगा। पूनम गर्म तो थी ही, गुड्डू के इस हरकत से और गरमा गई।

अब गुड्डू पूनम के सामने खड़ा हो गया और अपना टाइट लण्ड पूनम की चुत से रगड़ने लगा। पूनम समझ गयी की वो अभी चुदने वाली है। पूनम के पैर अपने आप फ़ैल गए। लण्ड सटते ही उसकी चुत और गीली हो गयी थी और उसे लगा की गुड्डू जल्दी से लण्ड अंदर डाल दे और उसे मसल दे। उसके मन ये डर भी था कि वो लोग अभी घर में नहीं रेस्टुरेंट में हैं और यहाँ कभी भी कोई भी आ सकता है और यहाँ की सारी आवाज़ बाहर जायेगी। गुड्डू ने तो कहा ही था कि यहाँ चोदेगा तो पूरा रेस्टुरेंट समझ जायेगा की पूनम सक्सेना की चुदाई हो रही है।

दूसरा डर ये भी था कि ये मूसल लण्ड उसकी चुत में जायेगा भी की नहीं और अगर ये अंदर घुस गया तो पता नहीं उसकी क्या हालत होगी। अमित का लण्ड जो इसका आधा भी नहीं था, वो अंदर जाता था तब तो उतना दर्द हुआ था, ये तो सच में मेरी चुत को फाड़ ही डालेगा और कहीं फिर से खून वुन न निकलने लगे। लेकिन न तो वो खुद रुकना चाहती थी और न ही गुड्डू को रोकना चाहती थी।
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06-11-2020, 05:02 PM,
#76
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दूसरा डर ये भी था कि ये मूसल लण्ड उसकी चुत में जायेगा भी की नहीं और अगर ये अंदर घुस गया तो पता नहीं उसकी क्या हालत होगी। अमित का लण्ड जो इसका आधा भी नहीं था, वो अंदर जाता था तब तो उतना दर्द हुआ था, ये तो सच में मेरी चुत को फाड़ ही डालेगा और कहीं फिर से खून वुन न निकलने लगे। लेकिन न तो वो खुद रुकना चाहती थी और न ही गुड्डू को रोकना चाहती थी।

गुड्डू ने लण्ड को छेद पर लगाया और एक धक्का लगाया, लेकिन उस धक्के के साथ ही पूनम भी "उइई माँ...." चीखते हुए पीछे खिसक गयी। पूनम का बदन दर्द से सिहर उठा था। वो डर गयी। गुड्डू ने फिर से उसे अपनी तरफ खींचा और फिर से लण्ड को चुत के छेद पर लगा दिया। पूनम को डर हुआ की कितना दर्द होगा और लोग उसकी चीख सुन चुके होंगे।

बोली "आह प्लीज़ अंदर मत डालो।" लेकिन गुड्डू अब कहाँ सुनने वाला था। उसने ठीक से चुत के छेद पर लण्ड रखा और पूनम को कंधे से पकड़ कर धक्का लगाया। पूनम पहले से ही डरी हुई थी और दर्द होगा, तो वो हटने के लिए तैयार थी। गुड्डू के धक्का लगाते ही पूनम को तेज़ दर्द हुआ और वो फिर से "आआआ..." करते हुए अपनी कमर को किनारे कर ली।

इस बार उसकी आवाज़ थोड़ी धीमी थी। वो तुरंत उठ बैठी और टेबल से उतरने लगी। गुड्डू ने उसे पकड़ लिया और बोला "उठ कहाँ रही है। रुक, अभी लण्ड अंदर जायेगा।" पूनम रोती हुई सी बोली "नहीं जायेगा। तुम्हारा बहुत बड़ा है और मुझे बहुत दर्द हो रहा है। सब लोग सुन रहे होंगे। तुमने कहा था कि चोदुंगा नहीं, बस देखूँगा। अब देख लिए। अब मुझे जाने दो।"

गुड्डू बोला "लेकिन मेरे लण्ड का पानी तो निकला ही नहीं। उसे निकाले बिना नहीं जाने दूँगा।" पूनम कुछ नहीं बोली। गुड्डू की बात तो सही थी। वो लण्ड पकड़ी और आगे पीछे करने लगी और फिर मुँह में लेकर चूसने लगी। गुड्डू उसके सर को पकड़ लिया और अपने लण्ड पे दबा कर आगे पीछे करने लगा। पूनम की साँस रुक रही थी। वो ताकत लगा कर अपने सर को पीछे की और बोली "ऐसे मत दबाओ, मैं चूस रही हूँ न।"

गुड्डू कुर्सी पर बैठ गया और पूनम के टॉप ब्रा को ऊपर कर दिया और उसकी पीठ चुच्ची को सहलाने लगा और पूनम उसका लण्ड चूस रही थी। थोड़ी देर बाद फिर गुड्डू खड़ा हो गया और पूनम के सर को पकड़ को आगे पीछे करने लगा। फिर उसने पूनम के सर को अपने लण्ड पर दबा लिया और उसका लण्ड झटके मारने लगा।

लण्ड पूरा मुँह में दबा हुआ था और गर्मा गर्म ताज़ा ताज़ा वीर्य पूनम के मुँह में गिरा और जब तक वो समझती तब तक वो उसे निगल चुकी थी। वीर्य इतनी तेजी से गिर रहा था कि वो ठीक से निगल भी नहीं पा रही थी। गुड्डू ने लण्ड बाहर निकाल लिया और पूनम के मुँह पर वीर्य गिराने लगा। पूनम को बहुत मज़ा आ रहा था। अगर वो रेस्टुरेंट में नहीं होती तो ख़ुशी ख़ुशी चुदवाती। वो वीर्य को मुँह पे गिरने दी।

गुड्डू ने फिर से लण्ड मुँह में दे दिया और पूनम उसे चूस कर साफ कर दी। गुड्डू अपने लण्ड को पैंट में रख लिया और सामने के कुर्सी पर बैठ गया। पूनम कोल्डड्रिंक उठाकर 2-3 घूँट पियी। वीर्य उसके गले में अटका हुआ था। फिर वो अपने टॉप ब्रा को ठीक कर ली और टिश्यू पेपर से चेहरा को पोछ ली।

गुड्डू बोला "चल" और वो बाहर निकल गया। पूनम भी तुरंत बाहर निकली। वो काउंटर पर कुछ पैसा दिया और जबतक पूनम वहाँ पहुँची गुड्डू बाहर निकल गया। पूनम बिना इधर उधर किसी को देखे सीधा बाहर निकल गयी। उसे पता था कि सब उसे ही देख रहे होंगे और क्या सोच रहे होंगे।

पूनम जिस चीज़ के लिए आई थी वी छोड़ कर बाँकी सबकुछ मिल गया था उसे। वो अभी भी बिना पैंटी के ही थी और उसकी गीली चुत से रस टपक कर उसकी दोनों जाँघों को गीला कर चुका था। शीतल जल्दी जल्दी चलती हुई रेस्टुरेंट से दूर हो गयी। उसे डर लग रहा था कि कहीं उसकी चुत से टपके रस का दाग उसके स्कर्ट पे न लग जाए।

पूनम अब ऑफिस जाने की स्थिति में नहीं थी। वो ऑफिस नहीं गयी और सीधे घर आ गयी। वो रास्ते भर गुड्डू और विक्की के बारे में ही सोचती आयी। उसे अच्छा लगा था रेस्टुरेंट में। बहुत अच्छा। सच में उतना बड़ा लण्ड होता है, अब पूनम को यकीन हो गया। वो उस लण्ड को चूसी और उसका वीर्य भी पियी थी। ढेर सारा वीर्य। पूनम अमित का भी वीर्य पियी थी लेकिन वो इसका आधा भी नहीं था। और जिस तरह से गुड्डू उसके बदन से खेला था, पूनम को बहुत मज़ा आया था। उसे समझ आ रहा था कि क्यों वो लड़कियाँ या औरतें इनसे आसानी से चुदवाने के लिए तैयार रहती है। गुड्डू का चुत में ऊँगली घुमाना हो या फिर चुत चूसना हो, पूनम को बहुत मज़ा आया था। पूनम को समझ आ रहा था कि जवानी का मज़ा क्या होता है।
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06-11-2020, 05:02 PM,
#77
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ये सब कुछ सोचते सोचते पुनम की चुत फिर से गीली होने लगी। पूनम को रेस्टुरेंट में बहुत मज़ा आया था लेकिन उसे अपनी चुत में कुछ प्यास बाँकी लग रही थी। उसका मन हो रहा था कि गुड्डू से चुदवा ही लेना चाहिए था। उसे अफ़सोस हो रहा था कि 'गुड्डू के अड्डे पे जाने से मना क्यों की। सब कुछ तो करवा ही रही हूँ उससे। जब चुदवाने के लिए ही जाना था तो फिर किस चीज़ का डर। डर तो तब लगता है वैसी जगह पर अकेले जाने में जब लगे की कहीं कुछ कर न दे कोई, लेकिन जब चुदवाने ही जाना है तो फिर किस चीज़ का डर। पता नहीं मैं वहाँ क्यों नहीं गयी। कितने मस्ती से चुदवाती वहाँ। उसे मोटे काले मूसल लण्ड को अपनी चुत में भरवा ही लेना चाहिए था। और गुड्डू से ही क्यों, विक्की से भी चुदवा लेना चाहिए था। सही कह रहा था विक्की की असली मज़ा वहीँ मिलेगा।'

पूनम का मन हुआ की गुड्डू को फ़ोन करे और उसे बोले की अपने अड्डे पर ले चलो और पूरी नंगी करके जी भरकर चोदो मुझे। दोनों दोस्त मिलकर उसी तरह चोदो जैसे पिक्स में वो लड़की चुद रही थी। लेकिन फिर पूनम अपना इरादा त्याग दी। शाम होने वाली थी और कल सुबह उसे अपने मौसेरी बहन की शादी के लिए निकल जाना था नहीं तो वो कल सारा दिन गुड्डू और विक्की के बीच में नंगी होकर सैंडविच बनकर गुजारती। पूनम डीसाइड कर ली की शादी से लौट कर आते ही वो गुड्डू और विक्की के लण्ड को अपने चुत की सैर करवा देगी।

पूनम घर पहुँच गयी और बाथरूम जाकर सबसे पहले अपनी चुत में ऊँगली करके दोनों के साथ अपनी चुदाई इमेजिन करते हुए पानी निकाली और फिर फ्रेश होकर पैंटी पहनकर बाहर अपनी माँ के पास आ गयी। पूनम का ध्यान गुड्डू पर ही था। वो रेस्टुरेंट के बंद केबिन में बिताए पलों को सोच रही थी और उसकी चुत से रिसता झरना थम ही नहीं रहा था।

रात में पूनम अपने रूम में आयी और पैंटी उतारी तो उसकी पैंटी गीली ही थी। गुड्डू उसके दिमाग में बसा हुआ था आज। वो गुड्डू के बारे में सोचती हुई नंगी हो गयी। वो चुत सहलाते हुए अपनी तरफ से गुड्डू को कॉल की और उससे बहुत देर तक बात की। पूनम पूछी की "विक्की क्या बोल रहा था?"
गुड्डू बोला "बोला तुम बहुत टाइट माल हो, तुम्हे अपने लण्ड पर बिठा कर उछालने में मज़ा आएगा।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे अभी यही सब सुनना था। गुड्डू आगे बोला "हमारे घर आती तो कितना मज़ा आता। सब कुछ तो हुआ ही, वहाँ और अच्छे से होता, पूरे नंगे होकर होता और चुदाई भी होती मज़े से।" पूनम फिर कुछ नहीं बोली।

गुड्डू बोला "स्कर्ट तो वहाँ भी उतारी, लेकिन वहाँ किसी के आ जाने का डर था। यहाँ आराम से पूरे घर में नंगी घूम घूम कर चुदवाती।" पूनम को अच्छा लग रहा था सुनने में। वो गुड्डू की बातों को इमेजिन कर रही थी। उसका बोलने का मन नहीं हो रहा था। वो बस धीरे धीरे अपनी चुत सहलाते हुए "हम्म" बोली।

गुड्डू बोला "तेरा मन नहीं था चुदवाने का?" पूनम कुछ नहीं बोली। क्या बोलती की मैं तो अभी भी चुदवाना चाहती हूँ, तुम दोनों से। गुड्डू फिर से बोला "बोल न।" पूनम बोली "हाँ, लेकिन तुम किये ही नहीं। नंगी तो हो ही गयी थी मैं।" गुड्डू बोला "तो साली इतना चिल्लाने क्यों लगी थी?" पूनम बोली "दर्द हो रहा था तो चिल्लाती नहीं। इतना मोटा काला भैंसा जैसा अंदर डालोगे तो दर्द नहीं होगा।"

गुड्डू बोला "साली इसलिए तो बोला था घर पर आने। मैंने तो बोला ही था कि रेस्टुरेंट में चोदुंगा तो पुरे रेस्टुरेंट को पता चल जायेगा की पूनम सक्सेना की चुदाई हो रही है।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे अफ़सोस तो हो ही रहा था गुड्डू के अड्डे पे नहीं जाने का। गुड्डू भी चुप ही रहा। गुड्डू को चुप देख पूनम बोली "बाँकी सबको दर्द नहीं होता था क्या?" गुड्डू बोला "बस थोड़ी देर दर्द होता शुरुआत में, उसके बाद ही तो मज़ा आता जब पूरा लण्ड तेरे चुत में घुस जाता और अंदर बाहर होता, तभी तो मज़ा आता असली चुदाई का। बाँकी सब दर्द बर्दाश्त कर ली तो मज़ा ली।"

पूनम सोचने लगी की 'सही तो कह रहा है। अगर थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लेती तो फिर तो चुदवा ही लेती। उसके घर तो नहीं ही गयी, दर्द भी बर्दाश्त नहीं की। बस लण्ड अंदर जाने भर ही दर्द होता, उसके बाद तो दर्द खत्म हो ही जाता है और फिर तो मज़ा ही आता। इतना बड़ा लण्ड अंदर जाएगा तो मज़ा तो आएगा ही। मैं रेस्टुरेंट में चुदवाती आज।'

पूनम इमेजिन करने लगी की वो टेबल पर नंगी लेटी हुई है और गुड्डू उसकी दोनों टाँगों को उठाकर उसे चोद रहा है। तभी वेटर आ जाता है लेकिन गुड्डू उसे नहीं छोड़ता है। वेटर टेबल पे खाना लगा रहा है और उसी टेबल पे वो नंगी होकर चुद रही है। वेटर उसे देखकर मुस्कुरा रहा है। पूनम की चुत और गीली हो गयी। बोली "अच्छा न हुआ वहाँ नहीं किये, नहीं तो बीच में ही कोई आ जाता।"
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06-11-2020, 05:02 PM,
#78
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गुड्डू बोला "किस मादरचोद को अपनी माँ चुदवानी थी जो वहाँ आ जाता।" पूनम को ये नहीं सुनना था। वो, वो सुनना चाहती थी जो अभी इमेजिन कर रही थी। बोली "मान लो कोई आ ही जाता तो क्या करते?" गुड्डू अपने टशन में बोला "ऐसे कैसे कोई आ जाता।" पूनम चिढ़ती हुई बोली "मान लो न की कोई आ ही जाता। कोई दूसरा वेटर ही आ जाता तो क्या करते?" गुड्डू सोचने लगा।

पूनम बोली "मैं तो नंगी ही लेटी रह जाती टेबल पर, तुम तो तुरंत ढक लेते खुद को या बैठ जाते, तुम्हारा तो कुछ नहीं होता, तुम तो लड़के हो, लेकिन मेरा क्या होता।" गुड्डू बोला "मैं ढकता नहीं खुद को, जो आता उसे तुरंत भगाता।" पूनम को मज़ा आने लगा। बोली "उसी तरह? अंदर डाले हुए ही?" गुड्डू को भी अच्छा लगने लगा। बोला "हाँ, तुम्हे चोदते हुए ही उसे भगाता। लण्ड को चुत के अंदर धक्का लगाते हुए।" पूनम बोली "वाह! जो आता वो देखता की कैसे रेस्टुरेंट में मैं नंगी होकर चुदवा रही हूँ।"

गुड्डू भी मुस्कुराता हुआ बोला "तो क्या हुआ। अपनी माल को चोद रहा हूँ, उसकी बीवी या बहन को थोड़े ही।" पूनम अपने टाँगों को फैला ली थी और चुत में जोर जोर से ऊँगली करती हुई बोली "ऐसे चोदे हो किसी को कभी, किसी के सामने?" गुड्डू बोला "नहीं, चोदा तो नहीं हूँ, लेकिन गांड चुच्ची मसला हूँ, चुत सहलाया हूँ।"

पूनम बोली "वो कुछ नहीं बोली।" गुड्डू बोला "क्यों बोलेगी। उसका पति थोड़ा दूर है और मैं छिपकर साड़ी के अंदर हाथ डालकर उसकी चुत गांड सहला रहा हूँ तो वो क्यों मना करेगी। उसका भाई दूर है और मैं टॉप में हाथ डालकर चुच्ची मसल दिया तो क्यों मना करेगी।" पूनम सब इमेजिन कर रही थी। बोली "ठीक, मुझे नहीं करवाना किसी के सामने।"

गुड्डू बोला "इसलिए न बोला था मेरी माल, घर पे चल, मज़े से चुदाई होगी, लेकिन पता नहीं तुझे क्या हुआ था।" पूनम बोली "सब कुछ तो किये ही न, फिर कभी अंदर भी डाल देना।" गुड्डू बोला "फिर कभी नहीं, तुम लौट कर आओगी और हमारे घर आओगी। विक्की लण्ड पर तेल लगाकर रखे हुए तेरे लिए।"

पूनम बोली "इसीलिए नहीं जाना चाहती तुम्हारे घर। विक्की क्यों करेगा मुझे। मुझे उससे कुछ नहीं करवाना।" गुड्डू आश्चर्य से बोला "क्यों। उससे करवाने में क्या परेशानी है?" पूनम बोली "मैं सबसे करवाते चलूँ क्या। मैं र.... रं..... मैं रण्डी नहीं हूँ।" रण्डी बोलते ही पूनम की चुत का गीलापन और बढ़ गया। आज पहली बार वो रण्डी शब्द बोली थी किसी के सामने, वो भी अपने लिए।

गुड्डू बोला "इसमें रण्डी वाली बात कहाँ से आ गयी। मैंने तो पहले ही कहा था कि मैं भी चोदुंगा और वो भी। हम साथ में चोदते हैं चुत को।" पूनम धीरे से ऐसे बोली जैसे प्यार से रुठ रही हो "नहीं, मैं उससे नहीं चुदवाऊँगी। तुम्हे जो करना है कर लेना।" गुड्डू बोला "वो तो मैं करूँगा ही, तेरे चुत की अपने लण्ड को सैर कराऊँगा, तुझे चोदने के बाद लण्ड चुसवाऊँगा, और तब तुझे अपना वीर्य पिलाऊँगा। लेकिन विक्की भी तो चोदेगा ही।"

पूनम बोली "मैं मर नहीं जाऊँगी? तुम्हारा इतना बड़ा है कि अंदर ही नहीं जाता, उसका भी तुम्हारे जैसा ही है?" गुड्डू हँस दिया। बोला "हाँ, तभी तो दुगुना मज़ा आएगा मेरी जान।" पूनम बोली "एक तो घुस नहीं रहा, पता नहीं दो दो मूसल लण्ड कैसे घुसेगा। तुम लोग जान ले लेना मेरी।" गुड्डू कुछ नहीं बोला। पूनम बोली "दोनों साथ में चोदोगे?" गुड्डू बोला "हाँ मेरी रण्डी, दोनों साथ साथ तुझे चोदेंगे, वैसे ही जैसे पिक वाली वो रण्डी चुद रही थी।"

गुड्डू ने थोड़ी देर पहले पूनम को साली (Whore) कहा था लेकिन पूनम ध्यान नहीं दी थी या फिर उसका मतलब नहीं समझी थी, लेकिन अभी गुड्डू सीधे सीधे रण्डी बोल रहा था, लेकिन पूनम को बुरा नहीं लगा, उल्टा उसे अच्छा लग रहा था। पूनम बोली "मैं नहीं चुदवा पाऊँगी।" गुड्डू बोला "चुदवा लोगी। एक साथ चुदवाने में ज्यादा मज़ा आएगा मेरी माल।"

पूनम बोली "अभी चोदे नहीं हो, फिर भी रण्डी बोल रहे हो, चोद लोगे तो पता नहीं क्या बोलोगे।" गुड्डू बोला "तुम विक्की से चुदवाओ या मत चुदवाओ, लेकिन मेरी रण्डी तो हो ही तुम। मेरी सबसे मस्त रांड।"

अब पूनम का उन्माद चरम पे पहुँचने वाला था। बोली "आह, रण्डी क्यों बोल रहे हो?" गुड्डू बोला "तुम चुदवाने आओगी न मेरी रांड। मेरे लण्ड को अपनी चुत में भरोगी न, अपनी निप्पल को मसलने चूसने दोगी न, मेरे लण्ड को चुसोगी न?" पूनम वासना के कुँवे में डूबती हुई बोली "हाँ, चुदवाऊँगी, जो जो करोगे सब करवाऊँगी।" गुड्डू बोला "विक्की से भी चुदवाओगी न? उसे भी सब कुछ करने दोगी न?" पूनम बोली "ठीक है, विक्की से भी चुदवाऊँगी।

गुड्डू बोला "वाह मेरी रण्डी, अच्छी रण्डी की तरह हम दोनों के लण्ड से एक साथ चुदवाना, एक का लण्ड चुत में और एक का मुँह में, एक का लण्ड चुत में और एक का गांड में, एक का लण्ड गांड में तो दूसरे का मुँह में लेकर चुदवाना मेरी रण्डी।" पूनम बोली "ठीक है, दोनों साथ में चोद लेना।"

गुड्डू बोला "अच्छे से बोल न, अपनी पूनम रण्डी को दोनों भाई एक साथ चोदना।" पूनम को अभी कुछ होश नहीं था। बोली "दोनों भाई साथ में चोद लेना अपनी रण्डी को।" पूनम की चुत ने पानी छोड़ दिया। बोली "आह, शादी से लौट कर आऊँगी तो दोनों चोदना मुझे, पूरी नंगी करके चोदना, एक साथ चोदना। आह....रण्डी की तरह चोदना म्म्म..."
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06-11-2020, 05:02 PM,
#79
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
गुड्डू बोला "अच्छे से बोल न, अपनी पूनम रण्डी को दोनों भाई एक साथ चोदना।" पूनम को अभी कुछ होश नहीं था। बोली "दोनों भाई साथ में चोद लेना अपनी रण्डी को।" पूनम की चुत ने पानी छोड़ दिया। बोली "आह, शादी से लौट कर आऊँगी तो दोनों चोदना मुझे, पूरी नंगी करके चोदना, एक साथ चोदना। आह....रण्डी की तरह चोदना म्म्म..."

पूनम फ़ोन कट कर दी और हाँफती हुई उँगली में लगे चुत के रस को मुँह में लेकर चूसने लगी। वो फिर से ऊँगली को चुत में लगायी और फिर से चुत के रस को मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर वो उसी तरह उल्टा होकर सोने लगी। अब उसे दोनों से चुदवाना था। रण्डी की तरह।

पूनम उसी तरह नंगी ही सो रही थी और सुबह जब वो जागी तो उसकी चुत गीली थी और उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चुत में कुछ बड़ा सा अंदर जाये तब उसकी चुत शांत हो। पूनम का हाथ अपने आप अपनी चुत पर चला गया और सुबह सुबह पूनम अपनी चुत में ऊँगली करने लगी। थोड़ी देर बाद जब उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया तब पूनम थोड़ी शांत हुई।

पूनम को तैयार होकर अपने मम्मी पापा के साथ अपनी मौसेरी बहन ज्योति की शादी के लिए निकलना पड़ा। अगर पूनम का बस चलता तो वो एक दिन बाद शादी में जाती और आज दिन भर गुड्डू और विक्की के बीच अपनी जवानी लुटाती रहती। आब उसके मन में कोई शंका कोई शंशय नहीं था। वो दोनों से चुदवाने के लिए तैयार थी। गुड्डू और विक्की दोनों से एक साथ चुदवाने के लिए तैयार थी पूनम सक्सेना।

लेकिन पूनम को बिना चुदे अपनी मौसेरी बहन ज्योति की शादी में आना पड़ा। पूनम को इस बात का बहुत गहरा अफ़सोस हो रहा था कि उसकी बेवकूफी की वजह से उसकी चुत की प्यास और बढ़ गयी थी और उसकी बेवकूफी की वजह से वो बिना चुदे शादी में जा रही थी। उसके बेवकूफी की वजह से उसे कुछ दिन और बिना चुदे गुजरना था। अगर किसी तरह का कोई रास्ता होता की वो गुड्डू और विक्की से चुदवा पाती तो रास्ते में ही चुदवा लेती।

लेकिन पूनम को प्यासी चुत के साथ ज्योति की शादी में आना था तो वो पहुँच गयी। ज्योति पूनम की मौसेरी बहन थी और उससे उम्र में 5-6 वर्ष बड़ी थी, लेकिन दोनों बहनों में काफी गहरी दोस्ती थी। पूनम के नानी घर के परिवार में ज्योति के बाद बहन में पूनम ही थी तो दोनों बहनें काफी अच्छी दोस्त थी और दोनों में गहरा प्यार था।

पूनम 4 सालों बाद ज्योति से मिल रही थी तो दोनों बहनों की ख़ुशी की कोई सीमा नहीं रही। ज्योति से मिलते ही पूनम सब कुछ भूल गयी और ज्योति में खो गयी। ज्योति उसे शादी की अपने कपड़े, ज्वैलरी सब दिखाने लगी और सब कुछ बताने लगी। वो अपने होने वाले हस्बैंड से पूनम को बात करवाई और उसे बतायी की पूनम उसकी सबसे खास बहन है। पूनम भी अपने जीजू से बात करके बहुत खुश हुई।

पूनम घर में सबसे मिली और सबसे बात करते हुए उसे पता ही नहीं चला की कब रात हो चुकी है। रात में पूनम और ज्योति साथ में ही सो रहे थे। दोनों बहनें काफी सालों बाद मिल रहे थे तो दोनों की बातें ख़त्म ही नहीं हो रही थी और आधी रात तक दोनों बात कर ही रही थी। ज्योति बहुत ही खुली टाइप की लड़की थी और उसे लड़कों में बहुत इंटरेस्ट था। दोनों के बीच में लड़कों के बारे में ही बातें हो रही थी और पूनम भी अमित के बारे में ज्योति को बता दी की अब उसके साथ उसका ब्रेकअप हो गया है। फिर बात सेक्स तक पहुँच गयी और अब ज्योति को पता था कि पूनम अमित से कहाँ कहाँ क्या क्या की।
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06-11-2020, 05:02 PM,
#80
RE: non veg kahani कभी गुस्सा तो कभी प्यार
ज्योति बोली "अच्छा की जो चुदवाने के बाद ब्रेकअप की। अब दूसरा लड़का ढूंढ जिसका समान उससे बड़ा हो और मस्ती कर उसके साथ। ये लड़के आते जाते रहेंगे। इनके बारे में ज्यादा सोचा मत कर।" पूनम गुड्डू और विक्की के बारे में नहीं बताई थी और सोच रही थी की 'मैंने दूसरा क्या तीसरा भी ढूंढ लिया है जिनका लण्ड अमित के लण्ड का दुगुना है। और बिना चोदे ही वो लोग मुझे इतनी मस्ती करा चुके हैं तो मस्ती तो भरपूर करुँगी ही।'

ज्योति का फ़ोन बजा तो वो "अब तेरे जीजू को मेरी याद आयी है।" बोलकर फ़ोन रिसीव कर ली और वहीँ पर बात करने लगी। "हाँ... ह्म्म्म..... नहीं..... अच्छा!!! ....हाँ....यहीं है.... नहीं.....आज नहीं..... ब्रेकअप हो गया है.... हाँ...." पूनम को दूसरी तरफ की आवाज़ तो नहीं आ रही थी लेकिन ज्योति की बात सुनकर वो गुसा गयी की वो उसके ब्रेकअप के बारे में अपने होने वाले पति को बता दी। ज्योति अभी भी हँस हँस कर बातें कर रही थी और पूनम को समझ आ रहा था कि उसी के बारे में बातें हो रही है।

"अच्छा!!! .... ह्म्म्म.... वो तो है.....आखिर बहन किसकी है.....हाहाहा....नहीं.... बस मैं.... हाहाहा.... नहीं..... ह्म्म्म..... हाँ" पूनम का मन हुआ कुछ बोलने का लेकिन फिर वो नहीं बोली की ये पति पत्नी के बीच में बातचीत है, वो क्यों बोले, हाँ... फ़ोन काटने के बाद अपनी बहन का गला जरूर घोंट देगी। ज्योति पूनम को सोने के लिए बोलकर बाहर छत पर जाकर उससे बात करने लगी। पूनम का भी मन हुआ की वो भी गुड्डू से बात करे लेकिन फिर वो बात नहीं की और सोने लगी।

लगभग आधे घंटे हो गए थे, लेकिन ज्योति अभी तक नीचे नहीं आयी थी और पूनम को नींद नहीं आ रही थी। उसे गुड्डू का लण्ड याद आ रहा था, उसकी बातें याद आ रही थी, उसके साथ बिताए पल याद आ रहे थे, और साथ ही याद आ रहा था कि वो बिना चुदे आयी है गुड्डू से। उसे फिर अपने आप पे गुस्सा आ रहा था और उसे अफ़सोस हो रहा था। काश की गुड्डू यहाँ आ जाये तो पूनम यही पर उसके लिए अपनी टाँगें फैला देगी और उसके लण्ड को अपनी चुत में समा लेगी, लेकिन अफ़सोस की ऐसा हो नहीं सकता था।

जब पूनम को नींद नहीं आया तो वो उठी और पहले तो बाथरूम गयी और फिर टहलते हुए छत पर जाने लगी। अभी वो सीढ़ियों पे ही थी की उसे एक मर्दाना आवाज़ सुनाई दी "अच्छे से कर न" और फिर ज्योति की आवाज़ सुनाई दी "म्म्म... कर तो रही हूँ।"

पूनम का दिल जोरों से धड़कने लगा। 'दीदी छत पे किसके साथ है। जीजाजी? नहीं... वो यहाँ कहाँ से आ सकते हैं। तो और कौन हो सकता है। अभी तो घर में ज्यादा मेहमान भी नहीं आये हैं। और वो ऐसे किसके साथ क्या कर रही है।' पूनम अपनी चाल धीमी कर ली और चुपके से छत पर आ गयी। वैसे तो छत पर अँधेरा था, लेकिन आधे चाँद की रौशनी और बिजली के पोल पर लगे बल्बों की रौशनी ने अँधेरे को कम कर दिया था।

पूनम सीढ़ी पर ही खड़ी थी और यहाँ पे पूरा अँधेरा था। उसकी नज़र छत पे गयी तो उसकी साँस रुक गयी। उसे बस हिलती हुई परछाई नज़र आ रही थी लेकिन थोड़ी ही देर में उसे पता चल गया कि कोई महिला किसी पुरुष के ऊपर नंगी बैठी हुई है और उतेजना से सिसकारी भरते हुए उसके लण्ड को अपने चुत में लेकर ऊपर नीचे हो रही है। पूनम का दिल धक्क से रह गया और उसे अचानक अपने पेट के नीचे कुछ करंट सा दौड़ता महसूस हुआ। उसकी चुत गीली हो गयी।

पूनम छुप कर देखने लगी। कुछ ही देर में उसे यकीन हो गया कि चुदने वाली महिला उसकी बड़ी बहन ज्योति है जिसकी दो दिनों में शादी है और उसे ये यक़ीन भी हो गया कि जिस पुरुष से वो चुदवा रही है, वो उसका होने वाला पति तो नहीं ही है। अब उनका पोजीशन बदल गया था और अब ज्योति कुतिया बनी हुई थी और वो पुरुष पीछे से धक्के लगाता हुए उसे चोद रहा था। ज्योति की हिलती हुई चुच्ची और हर धक्के के बाद ज्योति के मुँह से "आह" निकलती देखकर पूनम को धक्के की ताकत का अंदाज़ा हो रहा था।

पूनम अपनी चुत सहलाने लगी थी। उसका हाथ उसके शॉर्ट्स और पैंटी के अंदर पहुँच गया था। आज तक वो पोर्न नहीं देखी थी और आज तो वो लाइव चुदाई देख रही थी, वो भी अपनी बहन की, और वो भी किसी और अंजान आदमी के साथ। पूनम शॉर्ट्स और पैंटी को थोड़ी नीची कर दी और अपनी नंगी चुत को सहलाती हुई ऊँगली करने लगी। अब ज्योति सीधी लेटी हुई थी और वो पुरुष उसके सीने पे बैठा हुआ था, शायद उसे अपना लण्ड चुसवा रहा होगा। पूनम को उस पुरुष की पीठ दिख रही थी बस।

पूनम की प्यासी चुत ने पानी छोड़ दिया और वो अपने कपड़े ठीक कर कर नीचे अपने कमरे में आ गयी। 10 मिनट बाद ज्योति भी आ गयी। पहले तो पूनम सोची थी की वो ज्योति से इस बारे में बात नहीं करेगी, लेकिन फिर उसका मन नहीं माना। उसे नींद नहीं आ रही थी। उसे यकीन नहीं आ रहा था कि ज्योति अभी छत पर से आधे घंटे चुदवा कर नीचे आयी है। दूसरा उसे ये भी जानना था कि वो है कौन जिससे वो शादी के 2 दिन पहले चुदवा रही है।
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