non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
06-06-2019, 02:15 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
कामरू- चल चल, उनकी चिंता छोड़ और गले लग जा हमरे। ये मौका बार-बार नहीं मिलेगा। आ इसका पूरा फायदा उठाएं... दो बार हो चुका है। कम से कम दो बार और आजमाएं।
और सहेली अपने जीजाजी की बाहों में सिमट गई। और फिर तीसरे राउंड की चुदाई की तैयारी होने लगी।
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और उधर बगल के कमरे में। जहाँ पे पलंग के ऊपर भादरू लुंगी पहने बेसुध पड़ा था और नींद में उससे लिपट रखी थी कमलावती।
रात को किस समय कमलावती की नींद खुली पता नहीं... पर उसे ठंड लग रही थी, तो आदत के मुताबिक वो अपने पति से लिपट गई। उसके लिपटने से भादरू नींद में ही उससे लिपट गया। इधर कमलावती भी उसके लण्ड को सहलाने लगी।
कमलावती को आज अपने पति का लण्ड कुछ छोटा और पतला लग रहा था। दिन में वो चुदवा चुकी थी। रात में नहीं चुदाना चाहिए... उसे ये उसे ध्यान था। पर उसे मालूम था की उसकी सहेली ने खाने में नींद की गोली मिलाई है और उसका पति अभी जागेगा नहीं, इसीलिए लण्ड और दिनों से कुछ छोटा और पतला लग रहा है। और उसे ये मौका हाथ से ना जाने देना चाहिए। उसने अपने पति का लण्ड सहलाया तो लण्ड कड़ा हो चुका था। और कमलावती को आश्चर्य हो रहा था की कड़ा होने के बावजूद भी लण्ड इतना बिशाल नहीं लग रहा था जितना की रोज लगता है। आज उसे इस छोट से लण्ड पर प्यार आ रहा था। उसने उसे फिर से सहलाया। और लुंगी को पूरा ही खोल दिया।
खुद की साड़ी और साया भी खोल दिया। नीचे पैंटी तो वो पहनती ही नहीं थी। अब वो उठी और लण्ड को एक पप्पी दी और और खुद ही शर्मा गई। फिर उसने वो किया जो उसका पति उससे करने के लिए मिन्नतें करता था और वो मना करती थे... लण्ड की चुसाई। पहले दिन तो उसे उल्टी हो गई थी और उसने कान पकड़ लिया था की कभी लण्ड नहीं चूसेगी। उस दिन तो उसके पति ने उसके मुँह में ही लण्ड घुसेड़ दिया था की वो जाकर गले में फंस गया और उसकी सांसें अटक गई। और अगले ही पल उबकाई के साथ ही सारा खाना बाहर। पर आज... आज उसके लण्ड को वो बढ़िया तरीके से चूस रही थी... और उसे उबकाई भी नहीं आ रही थी। हाय लण्ड चूसना तो वाकाई में मजेदार है। उसने नाहक ही मना करके इस मजे को ठुकरा दिया था। अब वो अपने पति का लण्ड रोज चूसेगी। ये सब सोच ही रही थी की लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। उसने लण्ड को मुँह से निकालना चाहा, पर एक पूँट पीने के बाद उसका स्वाद अच्छा लगने के कारण पूरा का पूरा ही उसने अपने गले के नीचे उड़ेल लिया।
कमला ने जब भादरू के लण्ड के सारे रस को अपने गले के नीचे उतार लिया तो। उसकी चूत में खुजली होने लगी, और उस मस्ताने लण्ड को अपने अंदर लेने को वो मचलने लगी। पर लण्ड था की खड़ा होने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसे ताज्जुब हो रहा था कि उसके पति के लण्ड को ये क्या हो गया है? लण्ड के ऊपर हाथ फेरते ही फट से खड़ा हो जाने वाला लण्ड आज जरूरत से ज्यादा पतला भी लग रहा था और छोटा भी। उसने लण्ड को चूसा। खैर, उसे मजा आया। पर अब अपनी चूत की प्यास को वो कैसे बुझाए?
उसने सोचा- चलो फिर चूस के लण्ड को खड़ा किया जाए तो मजा आ जाए। उसने लण्ड को फिर से चूसना चालू किया तो अपने पति के बदन को हिलते हुए पाया। उसके पति ने उसका सिर पकड़कर लण्ड की तरफ बढ़ाया तो उसने चूसना जारी रखा।
भादरू- वाह.. आज तो रानी तूने कमाल कर दिया। मुझे उठाया भी नहीं और लण्ड चूसना शुरू कर दिया।
कमलावती सोचने लगी की ये उसके पति क्या कह रहे हैं- “आज तो रानी तूने कमाल कर दिया। मुझे उठाया भी नहीं और लण्ड चूसना शुरू कर दिया.. पर मैंने तो आज पहली बार उनका लण्ड चूसा है। फिर ये ऐसे क्यों कह रहे हैं। लगता है सपना देख रहे हैं पति देव।
भादरू ने उसकी चूचियां सहलाई। और फिर दबाने लगा- “अरे रानी, आज बहुत ही मुलायम लग रही हैं तेरी चूचियां... क्या बात है?
कमलावती- दिन में ऐसा तगड़ा चोदोगे तो क्या होगा? चूचियों को दबा-दबाकर मुलायम कर दिया। फिर कुछ दिनों के बाद बोलोगे की पपीता बन गई हैं चूचियां। लटकने लगी हैं।
भादरू- ऐसी बात क्यों करती हो रानी तुम? मैंने आज तक कभी तुमको ऐसा कुछ कहा है क्या?
कमलावती- नहीं कहा जी... पर डर लगता है मुझे आपके लण्ड से कि कहीं मेरी फुद्दी को फाड़ ना दे।
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06-06-2019, 02:15 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
भादरू- अरे... अभी दोपहर को कह रही थी की मेरा और थोड़ा बड़ा होता तो और मजा आता। मैंने जब कहा की मेरे दोस्त कामरू का लण्ड मेरे से दोगुना बड़ा है और दोगुना मोटा है तब आपने कहा था की काश की मेरा भी इतना बड़ा होता तो मजा आ जाता।
कमलावती- क्या? क्या कहा आपने? आपके दोस्त कामरू? कुछ गलत बोल रहे हो सैंया जी... नींद में हो ना... इसीलिए।
भादरू- अरे हाँ रानी। यार, मैंने आज रात को सोने से पहले भगवान से प्रार्थना नहीं की... कोई बात नहीं... तू मेरा लण्ड सहलाती रह, और मैं भगवान की प्रार्थना करके अभी फुद्दी में मेरा लण्ड घुसाके तेरी फुद्दी का बाजा बजाता हूँ।
कमलावती सोच रही थी- ये पति को क्या हो गया है? ऐसी बहकी-बहकी बातें क्यों कर रहे हैं? सोने से पहले आज तक कभी प्रार्थना नहीं की... और सामने चूत मिल जाये तो खाना पीना भी भूल जाएं। पर आज क्या हो गया इनको... लण्ड भी छोटा और पतला है। उसने लण्ड को फिर से सहलाया और इस बार चौंक गई। अब तो पति जाग चुके हैं, लण्ड खड़ा भी है। फिर भी क्यों पतला लग रहा है? छोटा लग रहा है? हे भगवान् कहीं... नहीं नहीं... हे भगवान् उसकी सोच गलत हो... गलत हो। और उसने फिर से लण्ड को सहलाया। लण्ड के चारों तरफ एक भी झाँट नहीं थी... पर उसके पति कामरू के तो उसके सरीखे मुँघरली झाँटें थीं। लेकिन इस लण्ड के चारों तरफ तो झांटों के नामो-निशान नहीं है।
तो उसकी सोच सही निकली... अंधेरे में वो अपने पति की जगह अपनी सहेली के पति भादरू के पास आ गई है। और उसकी सहेली कामरू के पास। हे भगवान् मैं तो इस पतले और छोटे लण्ड को सह लँगी पर मेरी सहेली को बचना प्रभु... बचा ले प्रभु... उसे बचा ले... और उसकी फुद्दी को फटने से, चुदने से बचा ले। उसकी जगह मैं उसके पति से दो बार चुदवाने के लिए तैयार हूँ प्रभु जी।
इतने में भादरू की प्रार्थना समाप्त हो चुकी थी और उसने चूचियों को चूसना चालू कर दिया।
कमलावती- क्या जी... चूचियों को ही चूसोगे.. चोदोगे नहीं?
भादरू- हाँ मेरी सहेली... हाँ मेरी रानी। हाँ... चल संभलजा, होशियार, खबरदार, लौड़े में लौड़ा, जैसे हो कोई घोड़ा। मेरा लण्ड तेरी फुद्दी में घुसने के लिए तैयार है। तेरी फुद्दी को जो दर्द होगा उसे सहने के लिए तैयार हो जा सहेली। पर खबरदार जोर से ना चिल्लाना। बगल के कमरे में दोस्त कामरू और उसकी बीवी, कमलावती सोई हैं। उनको चीख-चीख कर ना जगा देना।
कमलावती मन ही मन हँसने लगी- अरे वाह... मैं दर्द से चिल्लाऊँगी। हूँ। रोज तुमसे दोगुना मोटा और लंबा लण्ड इस फुद्दी को चोदता है सिर्फ एक आह... भरकर रह जाती हैं। देखना कहीं लण्ड के साथ-साथ खुद भी चूत में ना समा जाओ।
और भादरू ने उसकी फुद्दी की दीवारों को फैलानी चाही, और... चौंक गया। भादरूने पूछा- अरे सहेली, आज दोपहर तक तो तेरी बुर एकदम सफाचट थी। अभी जंगल कैसे पनप गया बुर के चारों ओर?
कमलावती- वो क्या है जी कि मेरी सहेली ने गलती से बाल साफ करने की जगह बाल बढ़ाने की क्रीम दे दी और मैंने बुर के चारों ओर लगा ली, और झाँट उग गये।
भादरू- “अच्छा हुआ की क्रीम को तूने बुर के चारों ओर ही लगाई। अगर बुर की जगह चेहरे में लगा ली होती तो दाढ़ी मूंछ उग जाती। हाहाहा...”
कमलावती- वो तो है सैंया जी। अरे, पहले आप लण्ड तो घुसाओ... आप तो सो गये। जो समय बचा है उसमें प्रार्थना करने लगे। और अभी झाँट को लेकर बैठ गये। जरा हम भी तो देखें की आपके लण्ड में कितनी ताकत भादरू- ऐसी बात है... साली... तो ले।
कमलावती- हाँ जीजू, ऐसी बात है।
भादरू- क्या कहा? सहेली तुमने मुझे जीजू कहा?
कमलावती- हाँ... जब आप मुझे साली कहोगे तो मैं आपको जीजू ही तो कहूँगी... मेरे जीजू?
भादरू- हाँ तो बुर में लण्ड घुसाऊँ?
कमलावती- रुको, अभी मत घुसाना बुर में लण्ड। पहले पंडित जी को फोन लगाइए।
भादरू- पंडितजी को फोन लगाऊँ... इतनी रात को... क-क्यों?
कमलावती- अरे पंडित जी से जोग दिखाना है, उनसे पूछना है, चूत पनिया चुकी है, लण्ड खड़ा हो चुका है, मियां बीवी एक-दूसरे की फुद्दी और लण्ड सहला चुके हैं। तो जोग कितने बजे का निकला है चुदाई का... ये पूछना है। पंडित जी से।
भादरू- अरे इतनी सी बात के लिए पंडित जी से क्या पूछना है?
कमलावती- तो... आरती की थाली सजाऊँ... करूँ आपके लण्ड की आरती, तब जाकर घुसाओगे।
भादरू ने जोश में आकर एक ही धक्के में लण्ड घुसेड़ दिया। और दनादन चोदने लगा।
कमलावती- अरे सैंया जी, पहले पूरा लण्ड तो घुसेड़ लो। फिर चोद लेना।
भादरू- अरे, पूरा लण्ड ही घुसेड़ रहा हूँ... निकाल रहा हूँ.. फिर से घुसेड़ रहा हूँ।
कमलावती- अरे, पूरा घुसाइए ना... पूरा का पूरा लण्ड फुद्दी के अंदर घुसेड़ो, तभी चुदाई में मजा आएगा।
भादरू- साली घुसेड़ तो दिया पूरे के पूरे लण्ड को... और अब क्या लण्ड समेत मैं खुद भी घुस जाऊँ? साली को जितना भी चोदो... शांत ही नहीं होती।
और तभी... और तभी कमरे की सारी बत्तियां जल उठी। सारे कमरे में प्रकाश फैल गया, और भादरू ने कमलावती की ओर देखा... और कमलावती ने शानदार नाटक किया।
कमलावती- अरे जीजाजी आप? हे भगवान्... आप हैं ये? मैं तो सोची थी की मेरे पति हैं। पर ये तो आप याने मेरे जीजाजी हैं। वही तो मैं सोचूँ की ये चोद तो रहे हैं। पर पति के लण्ड जैसी चुदाई नहीं कर रहे हैं।
भादरू- “पर..उसने फट से चूत से लण्ड निकाला और पलंग के ऊपर बैठ गया। अरे भाभीजी... अगर आप यहां हैं। तो मेरी बीवी, सहेली... हे भगवान्... वो उस साले कामरू के पास उससे चुदवा रही होगी... और उसका लण्ड... हे। भगवान्... उसका लण्ड तो मेरे लण्ड से दोगुना मोटा और लंबा है। मेरी बीवी की फुद्दी का कचूमर ही निकल जाएगा। हे भगवान्... हे भगवान्...” और कामरू दरवाजे की ओर बढ़ने लगा।
कमलावती ने तुरंत उसका हाथ पकड़ा और पलंग के ऊपर घसीट लिया और कहा- अरे, देवरजी, और जीजाजी आओ मेरे देवर भी हो और जीजाजी भी... कौनो फायदा नहीं बगल के कमरे में जाने से। आपके दोस्त को बिना चोदे सोने की आदत नहीं है। और चोदने से पहले प्रार्थना करने की आदत भी नहीं है। उनकी चूत चुद चुकी होगी।
भादरू- हे भगवान्... तो हम क्या करें?
कमलावती- तो हम क्या करें? चलो भजन करते हैं.. या जगराता कर लेते हैं।
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06-06-2019, 02:15 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
भादरू- वाह भाभीजी वाह... मेरी बीवी आपके पति के लण्ड से चुदवाए और हम दोनों कीर्तन करें। मैं पागल हूँ। क्या? मैं आपकी बुर में लण्ड घुसेड़-घुसेड़कर उछल-उछलकर चोदूंगा। मैं भी अपना पानी आपकी बुर में उड़ेलूंगा।
दूसरे दिन सुबह सुबह पाँच बजे।
रात भर चुदवाकर कमलावती थक चुकी थी। भादरू ने उसकी नई फुद्दी को चार बार चोदा। और कमाल ये था। की कमलावती को दर्द की जगह मजा आने के कारण थकी हुई सी थी। पर रोज सुबह उठने की आदत के कारण उसकी नींद खुल गई। उसने देखा की वो नंगी ही भादरू के साथ लिपटी पड़ी है, और उसका हाथ भादरू के लण्ड को थामे हुए था। भादरू के हाथ उसकी चूचियों के ऊपर थे। वो धीमे से उठी और बाथरूम में फ्रेश होने को गई। जब वो बाथरूम से निकली तो कमरे का दरवाजा उसी समय खुला और सामने उन्नींदी सी उसकी सहेली खड़ी
थी।
सहेली ने कमलावती को देखा। कमलावती ने सहेली को देखा और दोनों एक-दूसरे से लिपट गई।
सहेली- मुझे माफ कर देना कमलावती। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई।
कमलावती- माफी तो मुझे तुझसे माँगनी है सहेली। तूने एक सच्ची सहेली का धर्म निभाया। मेरी फुद्दी का भुर्ता बनने से बचा लिया। रात भर खुद चुदवा लिया और मुझे चुदने से बचा लिया।
सहेली- और तुम... तुम मेरे पति से चुदवाई की नहीं?
कमलावती- नहीं रे... मैं तो घोड़े बेच के सोई थी। और तुमरे पति तो अभी तक घोड़े बेच करके सोए हैं।
सहेली- पर वो तो नंगे ही सोए हैं... और उनके हाथ में रात का तुम्हारा पहना हुआ साया ब्लाउज़ है।
इतने में भादरू नींद में बोल उठा- “अरी साली... इससे पहले की सुबह हो जाए और मेरी बीवी आ जाए... चलो एक और राउंड की चुदाई हो जाए..." भादरू नींद में बड़बड़ाते हुए सो गया।
सहेली- अच्छा मेरी रानी। तू घोड़े बेच करके सोई थी।
बिस्तर पर सात सलवटें करती हैं इशारे, हम उनसे चुदवा बैठे, जो पति हैं तुम्हारे।
कमलावती- सच सहेली, मुझे तू माफ कर दे।
सहेली- पर तुझे ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा है?
कमलावती- अरे, नहीं रे... जीजू के लण्ड का साइज थोड़ा सा छोटा था ना तो मुझे तो बहुत मजा आया। पता है। पूरे चार बार चुदवाई हूँ जीजू से।।
सहेली- अच्छा जी... वही मैं सोचूं की तेरे चेहरे पर चमक कैसी है?
* * * * * * * * * *सुबह आठ बजे चारों जने कामरू के कमरे में इकट्ठे थे। दोनों सहेलियां तो एक-दूसरे के साथ हँसी मजाक करके बातें करने लगी थीं। पर दोनों दोस्त एक-दूसरे से नजर नहीं मला पा रहे थे।
सहेली- अरे, आप दोनों को क्या हो गया? बात क्यों नहीं कर रहे हो? किसी बात पे झगड़ा हो गया है क्या?
भादरू- नहीं नहीं... ऐसी कोई बात नहीं है। हाँ तो यार कामरू, रात को तो मैं घोड़े बेच करके सोया। और तुम?
कामरू- हाँ... यार तू सही कह रहा है। मैं भी रात को तो नहीं हाँ सुबह-सुबह चार बजे से घोड़े क्या हाथी बेच कर सोया। हाँ, पर रात से सुबह चार बजे तक तेरी बीवी यानी मेरी प्यारी-प्यारी साली साहिबा की सफाचट चूत को चाटते हुए, उसे अपना मस्ताना लण्ड चुसवाते हुए, उसकी फुद्दी को जमकर चोदा। लेकिन तू... तू साले.. तू तो घोड़े बेचकर सो रहा था।
भादरू- तू क्या सोच रहा है। मैं सारी रात घोड़े बेचकरके सोया हुआ था? नहीं मेरे दोस्त... मैं भी भाभी की झांटदार चूत में रात भर अपना मस्ताना लण्ड पेलते रहा था। तू क्या सोच रहा है कि मैं सारी रात भाभी की झांटदार चूत की पूजाकरते रहा हूँ? अरे यार, मेरे पास भी जवान लण्ड है... मेरा लण्ड भी खड़ा होता है। हाँ.. मैं ये मानता हूँ की मेरा लण्ड तेरे जितना मोटा और लंबा भी नहीं है। पर सच कहता हूँ। मैंने तेरे से ज्यादा भाभीजी को खुश किया है। क्यों भाभीजी?
कमलावती- हाँ जी... बहुत ही मजा आया जीजू से चुदवाकर... और इतना दर्द भी नहीं हुआ।
कामरू- अरे... दर्द नहीं हुआ? अरे कमलावती, मेरा मोटा और लंबा लण्ड घुसवाने वाली, तेरी चूत को तो महसूस भी नहीं हुआ होगा की कुछ घुसा भी है तेरी चूत के अंदर।
भादरू- अरे, इतना छोटा भी नहीं है मेरा लौड़ा। जब तेरी गाण्ड में घुसा था तो कितना चिल्लाया था की मर गया... निकालो... लण्ड निकालो।
कमलावती- क्या? क्या कहा जीजू आपने? आपने इनकी गाण्ड मारी है?
कामरू- अरे, वो तो इसकी मम्मी को चोदते हुए इसने पकड़ लिया, और किसी को ना कहने के बदले में इससे अपनी गाण्ड मरवानी पड़ी थी। पर साले, तू तो मुझसे सुपाड़ा घुसवाते ही रोने लगा था?
भादरू- और नहीं तो क्या? तेरे इस गधे जैसे लण्ड को अपनी गाण्ड में घुसवाके गाण्ड फड़वानी थी क्या?
सहेली- चलो, रात को मेरी गलती से जो हुआ सो हुआ। पर सब लोग सच-सच बताओ... मजा आया की नहीं?
कमलावती- मुझे तो बहुत मजा आया सहेली, तेरे पति से चुदवाकर।
कामरू- अच्छा... मुझे भी मजा आया तेरी सहेली की सफाचट बुर को चोदकर।
सहेली- तो आज रात का क्या बिचार है?
कमलावती- बिचार क्या? आज फिर दिखा देना अपनी गोली का चमत्कार।
सहेली- अरे, गोली की कौनो दरकार नहीं है। जब पूरे पत्ते खुल चुके हैं.. तो पर्दे की क्या जरूरत है?
कामरू- वो तो खैर रात की बात है। अब नाश्ते के पहले का क्या इरादा है?
सहेली- इरादा तो हमरा साफ... एकदम साफ है।
खूब आएगा मजा... जब मिल बैठेंगे चार यार... आप... जीजू... सहेली... और मैं। और चारों फिर से उस खेल में शामिल हो गये।
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06-06-2019, 02:15 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
* * * * * * * * * * फ्लैश-बैक खाता।

इधर कमरे में इस कहानी का महानायक... चम्पारानी की चूत में अपना मस्ताना लण्ड घुसेड़कर दानादन्न चोदे जा रहा था और चम्पारानी भी चूतड़ उछालते हुए चुदवा रही थी।
रामू- तो फिर भाई आगे क्या हुआ? मेरी चम्पारानी, तेरे भैया कामरू ने अपनी साली-कम भाभी की सफाचट बुर में आखीरकार अपना लण्ड घुसेड़ ही दिया।
चम्पा- हाँ हाँ... रामू भैया। पर आप बात कम करिए और पेलते रहिए... पेलते रहिए। मेरा बस निकलने वाला ही है। अरे भैया निकला... मेरा पानी निकला। हाँ... निकल गया... और भैया बस-बस और मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा है।
दीदी- बर्दास्त नहीं हो रहा है तो नीचे से हट... और मुझे लेटने दे मेरे भैया के नीचे। साली कहती थी की कामरू भैया का लण्ड एकदम मस्त है।
चम्पारानी- अरे भाभी, मैं तो अभी भी कह रही हूँ की मेरे भैया कामरू का लण्ड एकदम मस्त है। पर क्या करूं भाभीजी। आपके इन रामू भैया का लण्ड तो उससे भी मस्ताना है। उधर देखो, हमरी चुदाई देखकर झरना दीदी तो बिना चुदे ही झड़ गई हैं। क्यों दीदी?
झरना- हाँ री चम्पा, मैं तो बिना चुदे ही झड़ गई। भाभी, आप चुदवा लो रामू भैया से... इधर देखो हमरे खुदके भैया को... मम्मी की बुर में लौड़ा पेले जा रहे हैं।
रामू दीदी की बुर में लण्ड घुसेड़कर पेलने लगा और ठीक पंद्रह मिनट के बाद एक राउंड की चुदाई हो चुकी थी। और सब लोग अपनी उखड़ी हुई साँसों को ठीक करने लगे।
सासूमाँ- हाँ... तो चम्पारानी, अब तेरी सुहागरात की कहानी भी बता दे।
चम्पारानी- आप तो जानती ही हैं अम्मा जी की मैं शादी से पहले ही मेरे भाई कामरू के मस्ताने लण्ड से चुदवा चुकी थी।
दीदी- हाँ हाँ... वो सब हमें पता है। तू अपनी सुहागरात की कहानी सुना।
चम्पारानी अपनी बुर खुजलाने लगी।
दीदी- अरे, अपने हाथों को क्यों तकलीफ दे रही है। मैं तेरी फुद्दी खुजला देती हूँ।
झरना- आप क्यों तकलीफ कर रहीं हैं भाभीजी... मैं हूँ ना... मैं फुद्दी को चाट देती हूँ। इसी बहाने चम्पा की फुद्दी में लगे रामू भैया के लण्ड का रस भी चखने को मिल जाएगा। क्यों भैया?
रौ- अरे, मेरे लण्ड का रस ही चखना है तो सीधे-सीधे लण्ड को ही घुसेड़ लो ना अपने मुँह के अंदर।
झरना- आप समझते नहीं हो भैया... मुझे चम्पारानी की चूत का रस भी तो चखना है। और इससे एक फायदा भी होगा कि चम्पारानी पूरे मजे ले-लेकर अपनी सुहागरात की कहानी सुनाएगी।
और चम्पारानी अपने खयालों में खो गई- अम्माजी, अपने बेटे से एक बार चुदवा चुकी हो ना... फिर भी उनका लण्ड पकड़ रखी हो।
सास- देख री चम्पा, रामू के लण्ड पर जैसा की मुझे लगता है... तू चुदवा चुकी है... मेरी बहू अमृता भी चुदवा चुकी है। और झरना जिस ललचाई नजर से रामू बेटे के लण्ड को देख रही है। मुझे नहीं लगता है की बिना चुदे वो रामू के लण्ड को मेरी फुद्दी में घुसवाने देगी। तो मेरे बेटे के लण्ड का सहारा ही है। इससे पहले की तू या । मेरी बहूरानी मेरे बेटे के लण्ड के ऊपर सवार हो जाये, मैं पाके रहती हूँ।
दीदी- चलो अम्माजी, अभी आप चुदवा लो इनसे, ठीक है। चम्पारानी तू शुरू हो जा।
चम्पारानी ने बोलना शुरू किया- तो बात उन दिनों की है मैं नई-नई जवान हुई थी। और अपने भाई कामरू के मोटे तगड़े लण्ड को अपनी चूत में घुसवा करके मजे ले चुकी थी।
सासूमाँ- अरे सुहागरात की छोड़... पहले अपने भाई कामरू के लण्ड को कैसे घुसवा ली ये तो बता।
झरना- नहीं अम्माजी, आप पहले बोलोगी की खाने में आलू का पराठा मिलेगा और बाद में सादा पराठा दोगी... ये नहीं होगा।
सासूमाँ- अरे, चम्पारानी के सुहागरात की कहानी की चूत में ये आलू पराठा कहाँ घुसा रही है तू?
झरना- वही तो मैं कह रही हूँ अम्मी की बात चल रही है चम्पारानी की सुहागरात की और आप हैं की उसके और कामरू की चुदाई की कहानी घुसा रही हैं बीच में।।
सासूमाँ- अच्छा बाबा, पहले सुहागरात की कहानी... बस खुश।
झरना- अभी कहाँ खुश... जब रामू भैया का लण्ड घुसेगा तब खुश।
चम्पा- अरे... रामू भैया, आप घुसाइए तो इनकी बुर में लण्ड। और ऐसा चोदो की साली झरना दीदी तीन दिन तक उठ ही ना पाए।
झरना- हाँ भैया, चलो आप चुदाई करो। पर रुको, अभी मुझे आपके लण्ड को चूसने दो। इसमें अभी चम्पारानी की चूतरस और मेरी चुदक्कड़ भाभी का चूतरस भी मिल रखा है। बहुत मजा आएगा।
चम्पा- जैसा की आप लोग जानते हैं कि मैं एक देहात से आई हूँ। मेरे पति सोहन पढ़े-लिखे हैं... और मैं सातवीं फेल... फिर भी इन्होंने मुझे पसंद कर लिया तो इसके पीछे क्या कारण है? जानने के लिए उनकी कहानी भी सुननी पड़ेगी।
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06-06-2019, 02:16 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
तो मेरे पति, सोहनलाल शहर में पढ़े-लिखे थे, और पढ़ाई खतम होते ही उनकी नौकरी भी लग गई। नौकरी लगते ही उनके घरवाले उनके ऊपर शादी करने के लिए दवाब डालने लगे। सोहनलाल स्कूल कालेज में लड़कियों की मस्ती देखते आ रहा था की कैसे लड़के लड़कियां पार्क में... वो चाहता था की उसकी शादी एक कुँवारी लड़की से ही हो। पर... कुंवारी लड़की मिले कैसे? और उसने एक उपाय खोज ही लिया।
वो जहां भी जाता था, लड़की से अकेले मिलने की गुजारिश करता था। कमरे में लड़की आती थी और वो सोहनलाल अपनी पैंट की जिप खोल देता था। लण्ड निकाल के लड़की को दिखाकर पूछता था- ये क्या है?
लड़की- घबराती थी, शर्माती थी, चुप रहती थी। पर वो सवाल को फिर दोहराता था की ये क्या है? मेरा सिर्फ ये एक ही सवाल है और इसके ऊपर मेरी हाँ और ना टिकी हुई है।
लड़की शकुचाती कोई कोई गुस्से में बोलती है- “इतना भी नहीं पता है? ये लण्ड है..”
कोई लड़की कहती थी की ये लौड़ा है। और ये सुनकर सोहनलाल फट से पैंट के अंदर लण्ड घुसेड़ता था और पैंट की जिप बंद कर लेता था और कमरे के बाहर... लड़की रिजेक्ट।
लड़की को नापसंद करने का कारण- “कारण ये था की वो सोचता था कि लड़की जरूर चुदवा रखी है। वरना उसे कैसे पता चलता की ये लण्ड है... लौड़ा है... जरूर खेली खाई पूरी चुदक्कड़ है ये तो... इसीलिए रिजेक्ट..और इसी तरह सोहनलाल ने एक-एक करके पूरी पचीस लड़कियों को अपना लण्ड दिखाया और पचीसों लड़कियों का यही जवाब था की ये लण्ड है या लौड़ा है। एक दो लड़कियों ने उसके लण्ड को सहलाना भी चालू कर दिया था और कहने लगी थी- “वाओ... कितना बड़ा लण्ड है? इतना मस्ताना लण्ड आज तक नहीं देखी है। मेरी जांघों के बीच में खुजली मच रही है...” और सोहनलाल हड़बड़ा करके जिप बंद ककरे कमरे के बाहर भाग गया था। यानी पचीस लड़कियों को रिजेक्ट कर चुका था। उसने सोचा कि शहर की पढ़ी लिखी लड़की जीतनों को भी देखा, सभी अपनी चूत की सील तुड़वा चुकी हैं। और उसे चाहिए सील बंद माल... एकदम कुँवारी। और उसने हमारे गाँव का दौरा किया और रास्ते में मुझे देखा और मोहित हो गया। उन्होंने सोचा कि ये लड़की पक्की कुँवारी होगी, एकदम मासूम सी दिख रही है, गाँव की है, इसे लण्ड के बारे में मालूम भी नहीं होगा। फिर भी उसने परीक्षा लेने की सोची।
एक दिन वो अपने माँ और बाबूजी को संग में ले आया। और मेरे पिताजी से मेरा हाथ माँगने लगा।
मेरे पिता जी ने कहा- “देखिए हम गरीब आदमी हूँ मेरे पास लड़की के अलावा कुछ नहीं है..”
तब मेरे ससुर ने कहा- “हमें पैसा का क्या करना है। लड़की अगर लड़के को पसंद आ गई तो हमें मंजूर होगा। हमरा लड़का आपकी लड़की से कुछ सवाल करेगा। और पसंद आ गई तो अगले हफ्ते ही शादी...”
कमरे में मैं, याने आप लोगों की चहेती चम्पारानी, अपनी जांघों को सटाए हुए बैठी थी। उन्होंने आते ही कमरे का दरवाजा बंद किया और अपने पैंट की जिप खोलने लगे। मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगी। मैं अपने भाई से चुदवा चुकी थी और बिना अपने भाई के लण्ड से रात में दो बार चुदवाए मुझे तो नींद ही नहीं आती थी। मैंने सोचा की ये मुझे अब पक्का चोदेंगे। इन्होंने अपने पैंट की जिप को खोलते हुए मुझसे कहा- “देखो चम्पारानी, मुझे तुम पसंद हो। मुझे यकीन है कि तुम मेरी पारीक्षा में जरूर पास हो जाओगी। फिर भी मेरा ये सवाल पूछना जरूरी है। इसे देख रही हो..." उन्होंने मुझे अपना लण्ड दिखाते हुए पूछा- “इसे देख रही हो? क्या है ये बताओ चम्पा?”
मैं मुँह फाड़े उनको और उनके लण्ड को देखने लगी। मेरा तो मुँह खुला का खुला ही रह गया। मेरे मुँह से कुछ भी आवाज नहीं निकली।
उन्होंने मेरे पास आकर अपना लण्ड दिखाकर फिर से पूछा- “क्या है ये?”
मेरे मुँह से निकला- ये तो मूंगफली है।
सोहन- क्या? क्या कहा चम्पा तूने? फिर से कह।
मैं- अरे, ये तो मूंगफली है मूंगफली। कितनी बार बोलू।
सोहनलाल खुशी से उछल पड़े। और बोले- “मुझे पता था की तुम जरूर से पास हो जाएगी। भले ही तुम कम पढ़ी-लिखी हो, भले ही तुम गरीब हो... पर कुँवारी हो एकदम कुँवारी... मुझे तुम पसंद हो... एकदम पसंद हो...” और वो बाहर जाने लगे।
मैंने रोका- जरा सुनिए।
सोहन- क्या है चम्पा?
चम्पा- अरे, अपनी मूंगफली को तो पैंट के अंदर कर लो। बाहर तुमरी अम्मी अब्बू के साथ-साथ मेरे अम्मी अब्बू भी बैठे होंगे।
सोहों- “ओह्ह... सारी... सारी..." और उन्होंने बाहर जाकर कहा- “मुझे चम्पारानी पसंद है...”
मेरे अम्मी अब्बू बहुत खुश थे। इतना अच्छा रिश्ता कहाँ मिलता है, पढ़ा-लिखा, नौकरी शुदा और दहेज बिल्कुल भी नहीं चाहिए। अपनी चम्पा के तो भाग ही खुल गये।
मैं- मैं छुप-छुप करके रोती थी और हर रोज अपने भाई से जमकर चुदवाती थी। क्या पता शादी के बाद मेरी फुद्दी का क्या होगा? और सट दिन कब गुजर गये मुझे पता ही नहीं चला। शादी वाले दिन भी मैंने अपने कामरू भैया के साथ जमकर चुदाई की और फिर मेरी शादी सोहनलाल से हो गई। और फिर आ गई हमरी सुहागरात।
पलंग के ऊपर मैं, चम्पारानी, लाज से सिमटी हुई थी और मेरे पति ने दरवाजा बंद किया और अपना पैंट खोला। चड्ढी खोलते ही उनका सामान मेरे सामने था।
सोहनलाल- आज मुझे बहुत मेहनत करनी होगी। तुझे पूरा ज्ञान देना होगा। अच्छा मेरी चम्पारानी बता ये क्या
है?
चम्पा- क्या? क्या है जी?
सोहनलाल- “अरे, ये..." उन्होंने अपने सामान के ऊपर मेरा हाथ लेजाकर रखा- “ये मेरी जान... ये क्या है?”
मैं- अच्छा... अच्छा ये... ये तो मूंगफली है... मूंगफली।
सोहनलाल हँसते हुए- चम्पा... मेरी प्यारी चम्पा। कितनी भोली है तू। मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ेगी तुझ पे। अरे ये मूंगफली नहीं है।
मैं- नहीं जी, ये तो मूंगफली ही है।
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06-06-2019, 02:16 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
सोहनलाल- अरे चम्पारानी, ये मूंगफली नहीं है। इसे लण्ड कहते हैं और इससे चूत की चुदाई होती है।
मैं (याने चम्पा)- आप काहे मजाक करते हैं। ये तो मूंगफली ही है। ये लण्ड नहीं है।
सोहनलाल- अरे चम्पारानी, ये लण्ड ही है।
मैं- नहीं.. ये लण्ड नहीं... मूंगफली ही है। लण्ड तो मेरे भाई कामरू का है... ये मोटा... और ये बिलंद भर लंबा... जब-जब हमरी चूतवा में घुसता था तो दिल उछल-उछलकर गले तक आ जाता था। लण्ड तो वो मेरे भाई कामरू का ही है.. आपका तो मूंगफली है मूंगफली।
और मेरे पति सोहनलाल ने अपना माथा ठोंक लिया, और कमरे से बाहर निकल गये।
सासूमाँ- तो चम्पारानी, फिर उस मूंगफली से ही अभी तक गुजरा कर रही है?
चम्पारानी- हाँ... सासूमाँ... पर जब भी मायके जाती हूँ तो कामरू भैया जमकर मालिश करते हैं मेरी फुद्दी की।
दीदी- और तुमरी भाभी, कमलावती? उनकी झांटदार चूत तो उन दिनों में प्यासी की प्यासी ही रह जाती होगी।
चम्पारानी- नहीं भाभीजी, मेरा भाई मेरी चूत के साथ-साथ भौजायी की चूत में भी लण्ड घुसाके मस्त चुदाई करता हैं, बिल्कुल भी ना थकते हैं।
सासूमाँ- और कछू सुना ना चम्पारानी। तोहार बातन में खूब मजा आवत है।
झरना- हाँ हाँ चम्पारानी, अम्मा को खूब मजा आवत है... और मजा भी कहे ना आवेगा... अपने बेटे के लण्ड से फुद्दी में मस्त पेलवा रही हैं, जैसे हमको पता ही नहीं। अरी अम्मा अब तो सबर करो, अबकी हमरी बारी है।
सासूमॉ- “ठीक है। पर अबकी बार हम रामू बेटे से चुदवाएंगी कहे देती हूँ हाँ..."
दीदी- ठीक है अम्माजी, अबकी आप चुदवा लो। हम उसके बाद चुदवा लेंगे। ठीक है रामू भैया। आप शुरू हो जाओ और अम्माजी को ऐसा चोदो की जब चलें तो लगे की हाँ चुदाई हुई है... और तगड़ी चुदाई हुई है। और सारे मुहल्ले की औरतों की फुद्दी में खुजली होने लगे की काश हमरी भी ऐसी ही जमकर चुदाई होती।
झरना अपनी बुर खुजलाती हुई बोली- चम्पारानी, सच में यार... ऐसा वाकया सुना की सचमुच बिना चुदाई के ही मेरी चूत झड़ जाये। क्योंकी एक लण्ड के ऊपर तो हमरी अम्मा ने अधिकार जमा लिया और एक लण्ड पर भाभीजी सवार हैं।
चम्पारानी- आपकाहे तरसत हो झरना दीदी... आपकी चूतवा का भी नंबर आई... आपकी चूतवा को भी लण्ड मिली.. कितनी बार चुदवाएंगी ये सास बहू... फिर तो हम दोनों की चूतों की बारी आएगी ही आएगी।
झरना- हाँ... चम्पारानी... और मैंने अपने पति को भी बुलाया है। साला, वहाँ अपनी बहन को ससुराल से बुलवा करके रंगरेलियां मना रहा था। हमने कह दिया की इहां आ जाओ, और संभालो हमरी चूत को... वरना फिर पछताओगे। जब आई चूतवा में हम इतने लण्ड घुसेड़वा लेंगे की जब तुम इसमें लण्ड घुसेड़ोगे तो पता भी ना चली की तोहार लड़वा चूत में घुस रहा है की किसी गुफा में।
चम्पा- अच्छा... फिर क्या कहा जीजाजी ने?
झरना- और क्या कहते... कहने लगे की मैं तो तुम्हें फोन करने ही वाला था की कल सुबह पहुँच रहा हूँ की तुमने फोन कर दिया।
दीदी- फिर... झरना दीदी, अपने क्या कहा?
झरना- फिर क्या भाभीजी... हम ने तो कह ही दिया की देख लो, सोच लो, आकर हमरी फुद्दी संभाल लो। अब कल सुबह हम भी मन भरकरके चुदवाएंगे, अपने पति के लण्ड से।
सासूमाँ- अरे झरना बेटी... जमाई राजा आ रहे हैं? बहुत मजा आएगा।
झरना- “हाँ... बहुत मजा आएगा अम्म्मी जी। पर कहे देती हूँ कि जब तक तीन बार उनसे नहीं चुदवा लँगी किसी और को उनका लण्ड छूने भी नहीं देंगी। हाँ नहीं तो...”
इधर रामू सासूमाँ को पेल रहा था। उधर जीजाजी चम्पारानी को।
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06-06-2019, 02:16 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
चम्पारानी जीजाजी से सटी हुई थी। उनके मर्दाना जिम से निकल रही गंध उसे उत्तेजित कर रहा था। जीजाजी ने उसके सिर पे हाथ फेरा, चूचियां दबाते हुए उसे चूमने लगे। चम्पारानी भी अपनी जीभ को उसके मुँह में घुसेड़ दी। जीजाजी के हाथ अब पीठ पे होता हुआ उसके चूतड़ को सहलाने लगे। चम्पारानी ने जीजाजी की बलों से भरी हुई छाती के ऊपर एक चुम्मी दे दी। दोनों एक-दूसरे से लिपट गये। उसकी दोनों चूचियां जीजाजी की छाती से चिपक गई। उसने महसूस किया की जीजाजी के हाथ उसकी जांघों को सहलाते हुए जांघों के जोड़ों की तरफ बढ़ रहे हैं। धीरे-धीरे उनके हाथ चूत की दोनों फांकों को फैलने लगे और चूत के दानों के ऊपर उंगलियां चलाने लगे। जीजाजी के ऐसा करने से चम्पारानी उत्तेजित होने लगी। वो उनके ऊपर चढ़ गई, और उनके लण्ड को सहलाने लगी। उनका लण्ड एकदम सख्त हो चुका था।

चम्पारानी- हाय भैया, आपका तो मस्त और बड़ा हो गया है। आज तो मेरी फुद्दी की खैर नहीं। आज आप मेरी फुद्दी को फाड़ के ही मानोगे। मेरी तो अभी से फुद्दी गीली हो चुकी है।

चम्पारानी ने झुक करके पहले तो एक चुम्मा दिया और फिर गप्प से अपने मुँह में ले लिया।

जीजाजी के मुँह से एक आहह... सी निकल गई। चम्पारानी ने थोड़ी देर लण्ड को चूसकरके गीला कर दिया। उसने जीजाजी को । आँखों ही आँखों में इशारा किया और पलंग पर लेट गई। जीजाजी ने उसे चूमना शुरू कर दिया। वो सिसकारी मारने लगी। जीजाजी उसकी चूचियां दबाते हुए एक चूची को चूस रहे थे। चम्पारानी उनके सिर को हाथों से पकड़कर नीचे की तरफ धकेल रही थी।

जीजाजी नीचे की तरफ बढ़ने लगे। चम्पारानी के पेट को चूमने लगे। चम्पारानी ने उनके सिर को जब और नीचे धकेला तो उनका मुँह नाभी के पास आ गया। वो नाभि में ही जीभ घुसेड़ने लगे। अब तो चम्पारानी तड़पने लगी। वो उनके सिर को और नीचे धकेलने लगी। अब जीजाजी के चेहरे के आगे चम्पारानी की चूत थी। अब जीजाजी उसे चाटने लगे। चम्पारानी तड़पने लगी। फिर जीजाजी उठे और चूत के ऊपर लण्ड को घिसने लगे। चम्पारानी की चूत पानी छोड़ने लगी।

जीजाजी ने चम्पारानी की चूत की दोनों फांकों को अलग किया और एक अंगूठा अंदर घुसेड़कर अंदर-बाहर करने लगे। ऐसे ही जब दो मिनट तक उन्होंने किया तो नीचे से चम्पारानी अपना चूतड़ उछालने लगी। अब जीजाजी ने अपने लण्ड का सुपाड़ा चूत के अंदर घुसाने लगे। चम्पारानी दर्द से आह्ह... भरने लगी। जीजाजी ने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद करके एक धक्का लगाया। दर्द से चम्पारानी ने चीखना चाहा, पर उसके होंठ तो जीजाजी के होंठों से बंद थे। और तीसरे धक्के में पूरा का पूरा लण्ड घुस चुका था। जीजाजी ने अब चम्पारानी के गालों पर, होंठों पर, चूचियों को दबाते हुए चूमने लगे। अब वो चम्पारानी की चूत में अपने लण्ड को अंदर-बाहर करने लगे।

मजे में चम्पारानी अपना चूतड़ उछालने लगी। कुछ देर तक जीजाजी ने चुदाई चालू रखी। पर उन्हें लग रहा था की ज्यादा देर चम्पारानी की कसी हुई चूत को चोदना जारी नहीं रख सकते। उन्होंने एक पूरे धक्के के साथ। अपने लण्ड को चम्पारानी की चूत में अंदर तक घुसेड़ा और बाहर निकाल लिए। अब वो चम्पारानी के पेट के ऊपर बैठ के दोनों चूचियों के बीच में लण्ड सटा के चूचियों को ही चोदने लगे। और फिर कुछ समय बाद ही उनके लण्ड ने पिचकारी छोड़ना चालू कर दिया। पुछ-पुछ करके लण्ड से वीर्य की पिचकारी छोड़ने लगे। अब वो गहरी सांसें लेने लगे। और उसके बगल में ही लेट गये।
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06-06-2019, 02:16 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
चम्पारानी उनसे लिपट गई और चूमने लगी। चम्पारानी का पानी अभी नहीं निकला था। जीजाजी समझ चुके थे की अभी चम्पारानी का पानी नहीं निकाला तो साली फिर कभी नहीं चुदवाएगी। वो उसकी फुद्दी में उंगली । डालकर अंदर-बाहर करने लगे, और फिर थोड़ी देर के बाद उसकी चूत से पानी की फुहार छूटने लगी। और जब जीजाजी ने चूत से उंगली निकाली तो चम्पारानी शांत हो चुकी थी। जीजाजी की ऊँगालियां चूत रस से गीली हो चुकी थीं। जीजाजी ने नजर बचाके अपनी ऊँगालियों को चूसने लगे। जब उनकी नजर चम्पारानी के नजरों से मिली तो चम्पारानी ने फट से एक आँख मार दी और... और वो शर्मा गये।

झरना- अरे वाह भैया, इतने सलीके से तो कभी आपने भाभी को भी नहीं चोदा होगा जितने सलीके से आपने आज चम्पारानी को चोदा है क्यों भाभी?

दीदी- हाँ... नहीं तो और क्या? कभी हमें इतने प्यार से नहीं चोदा... कभी आपको नहीं चोदा झरना दीदी। और कभी अपनी अम्मी को भी इतने प्यार से नहीं चोदा होगा, जितने प्यार से चम्पारानी की आज चुदाई हुई है। क्यों चम्पारानी?

चम्पारानी- हाँ... भाभीजी, आज से पहले भी मैंने ना जाने कितनी ही बार भैया से चुदवाया है। पर आज चुदाई एकदम ही अलग और मस्त लगी।

जीजाजी- अरे आप लोग तो खामखाह बात का बतंगड़ बना रही हो। वो आज चम्पारानी ने कितने खूबसूरती के साथ जो कमलावती और सहेली की कहानी सुनाई.. फिर अपनी सुहागरात की कहानी... मूंगफली है ये तो... लण्ड तो मेरे कामरू भाई का है... कहके सुनाई तो अपना भी तो फर्ज बनता है की हम भी इसे चोदन-सुख प्रदान करें।

दीदी- जी, हम भी यही चाहते हैं की आप हम सभी को चोद-चोदकर चोदन-सुख प्रदान करें।

चम्पारानी- हाँ हाँ... सुनो सुनो... सुनो... सभी चूतवालियों अपनी चूत खुजलाते हुए और लण्ड वाले लण्ड सहलाते हुए सुनें। अभी चम्पारानी अपनी चूत खुजलाते हुए प्रस्तुत कर रही हैं... एक और गरमा गरम कहानी।

सभी चम्पारानी की ओर देखने लगे। रामू चम्पा की चूत सहलाने लगे तो चम्पा ने झिड़क दिया।

चम्पा- रामू भाई, अभी-अभी आपके जीजाजी से चुदवाकर हटी हूँ। चूत को थोड़ा आराम चाहिए। आप अम्माजी की चूत को ही खुजलाइए।

झरना- और मैं क्या करूं? ठीक है, कल सुबह हमरे पति आएंगे ना... तो मैं उन्हें किसी को भी चोदने नहीं देंगी।

सासूमाँ- अरे झरना बेटी, अबकी नंबर तेरा ही है। तू चुदवा ले एक बार... पर जमाई राजा के साथ।

झरना- “ठीक है अम्माजी... पर मैं रामू भैया से जमकर चुदवाऊँगी हाँ...”

दीदी- चम्पारानी, तू शुरू हो जा। तेरी नई कहानी शुरू कर।
Reply
06-06-2019, 02:16 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
चम्पारानी- हाँ... तो सब लोग सुनो। एक और गरमा-गरम कहानी... मेरी जुबानी।

मेरी नई-नई शादी हुई थी। जैसा की आप लोग जानते ही हैं की मैं एकदम देहात गाँव में शादी हो रखी हूँ। पति पढ़े-लिखे हैं। शादी के बाद वो शहर चले गये। ससुराल में सास, ससुर और मेरा छोटा सा प्यारा सा देवर।

सासूमाँ- तो... तूने अपने देवर को भी नहीं छोड़ा चम्पारानी?

चम्पारानी- तो क्या करती अम्माजी? पति तो शादी के तीसरे दिन ही शहर चले गये। रविवार को आते थे और अपनी मूंगफली को मेरी फुद्दी में घुसेड़कर दो मिनट में ही खल्लास हो जाते थे। तो एक दिन मैंने देखा की मेरा छोटा देवर, जो अभी जवान हो चुका था, पेशाब कर रहा था और मेरी नजर उसके खड़े हुए लण्ड पर पड़ी तो... हाय... मैं सिर से लेकर पाँव तक काँप गई... क्या लण्ड था उसका? बाप रे... उसके आगे तो मेरे कामरू भैया का लण्ड भी कुछ नहीं था। मैंने सोचा की कितनी खुशकिश्मत होगी मेरी देवरानी जिसकी फुद्दी में इतना बड़ा, इतना मोटा, शानदार लौड़ा घुसेगा। उसकी फुद्दी के भाग ही खुल जाएंगे। उसके बाद मैंने सोचा की देवर राजा को ट्रेनिंग देनी चाहिए।

कहीं हड़बड़ा करके जोश में आकर एक बार में ही लौड़ा देवरानी की फुद्दी में घुसेड़ दिया तो गजब हो जाएगा। देवरानी की फुद्दी का तो भुर्ता बन जाएगा। मुझे कुछ ना कुछ करना होगा और शादी से पहले ही देवर को चुदाई की ट्रेनिंग देना होगा। मैंने धीरे-धीरे देवर को अपनी ओर आकर्षित करना शुरू कर दिया। उसके कमरे में झाडू लगाने जाती तो जानबूझ करके पल्लू को गिराते हुए उसे अपनी चूचियों के दर्शन कराती। और धीरे-धीरे देवर मेरी ओर झुकने लगा। पर वो कहने से और पहल करने से डर रहा था। और एक रात... हाँ एक रात को मुझे मौका मिल ही गया। सास और ससुर चार धाम की यात्रा पर गये हुए थे। सोमवार था उस दिन। पति अपना मूंगफली वाला लण्ड मेरी फुद्दी में घुसेड़कर उसमें आग लगाकर सुबह-सुबह ही शहर जा चुके थे। अगले रविवार तक के लिए।

मैंने सोचा- आज अगर मैंने देवर को पटा लिया तो घर की इज़्ज़त घर में ही रहेगी और मेरी फुद्दी की प्यास भी बुझ जाएगी, देवर को फ्री में चुदाई की ट्रेनिंग भी मिल जायेगी। बस... यही सोच रही थी मैं की मूसलाधार बरसात होने लगी।

वैसे हमारा घर पक्का है। हम दोनों ही खाना खाकर सोफे पे बैठकरके टीवी देख रहे थे की बिजली चमकी और उसके साथ-साथ मैंने भी मौके को देखते हुए चीख मारी और देवर के साथ बुरी तरह से लिपट गई। मेरी दोनों चूचियां उसकी छाती में दब रही थी। देवर मेरी पीठ पर हाथ फेर रहा था, मुझे समझा रहा था। और मैं उसके साथ चिपक करके उसकी पीठ पर दोनों हाथ फिरा रही थी। उसके हाथ धीरे-धीरे पीठ से नीचे की ओर बढ़ने लगे, और फिर चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से ही सहलाने लगे। मेरी फुद्दी के पास मुझे कुछ कड़कपन महसूस हुआ। मैंने समझ लिया की देवर राजा का तंबू का बम्बू अपनी पूरी लंबाई में आ चुका है और अब असल खेल की बारी आ चुकी थी।

मैंने उसकी लुंगी के ऊपर से ही लण्ड को सहलाते हुए पूछा- अरे देवर राजा, ये लुंगी के भीतर क्या छुपा रखा है?

देवर घबराते हुए- अरे, कुछ नहीं है भाभीजी।

मैं- कुछ कैसे नहीं है। बहुत ही कड़ा है। लोहे के सरिये जैसा कठोर है। देवरजी, लुंगी के भीतर ऐसी चीजें ना रखा करो। रात को निकालकर टेबल के ऊपर रख दिया करो। वरना नींद में कहीं लण्ड को आघात ना पहुँचा दे, ये लोहे का सरिया।

देवर शर्माते हुए- अरे भाभीजी, ये लोहे का सरिया नहीं है।

मैं- तो देवरजी... लोहे का नहीं है तो किसी और चीज का होगा। जो भी है चलो निकालकर टेबल के ऊपर रख दो।

देवर- अरे भाभीजी, मैं इसे टेबल के ऊपर नहीं रख सकता।

मैं- क्यों नहीं रख सकते?

देवर- क्यूंकी... क्यूंकी ये कोई चीज नहीं है।
Reply
06-06-2019, 02:17 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
मैंने उसके लण्ड को लुंगी के ऊपर से फिर से मुठियाते हुए दबाया- कैसे कोई चीज नहीं है?

देवर- अरे भाभीजी, ये मेरा लण्ड ही है।

मैंने हड़बड़ाने का शानदार नाटक किया- क्या कहा देवरजी तुमने? क्या ये आपका लौड़ा है? लण्ड है?

देवर शर्माते हुए- हाँ भाभी, ये मेरा लण्ड ही है।

मैं- मैं नहीं मानती की इतना कड़क... आपका लण्ड हो सकता है।

देवर- अरे भाभी, आप यकीन मानो कि ये मेरा लण्ड ही है।

मैं- मैं नहीं मानती। चलो दिखाओ तो जरा... मैं भी तो देखू की ये सचमुच आपका लण्ड ही है या आपने कुछ चीज छुपाकरके रखी है।

देवर- नहीं भाभी, मुझे शर्म आती है।

मैं- अरे देवरजी, अपनी भाभी से कैसी शर्म? किसी ने सही कहा है- “जिसने की है शरम, उसके फूटे हैं करम...” इसीलिए देवरजी, आप बिल्कुल भी ना शर्माओ और अपना लण्ड मुझे दिखाओ।

देवर- नहीं भाभी, मैं नहीं।

मैं- “क्या नहीं नहीं लगा रखा है? इतनी भी क्या शर्म? अच्छा चलो मैं अपना ब्लाउज़ खोलकर अपनी चूचियां आपको दिखती हूँ। लो...” और मैंने अपना ब्लाउज़ खोल दिया। लालटेन के उजाले में मैंने देखा की देवरजी की आँखें चमक रही थी।

रामू भैया ने चम्पारानी की चूत को सहलाते हुए पूछा- फिर क्या हुआ? चम्पारानी।

चम्पारानी- फिर क्या हुआ? हम बाद में बताएंगे पहले आप मेरी चूत के ऊपर से हाथ हटाइए। चलिए बहुत हो गया आपका नाटक। चलो अभी झरना दीदी की चूत सहलाओ।

रामू- अरे... पर, इसमें इतना भड़क क्यों रही हो। चूत नहीं देना है नहीं दो, पर भड़को मत।

चम्पारानी- क्या भैया? भड़को मत, भड़को मत कह रहे हो। इधर हमारी झरना दीदी कितनी तड़प रही हैं कुछ खयाल है आप दोनों जीजा साले को? नहीं है... पर हमें तो है।
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