RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
कुत्ते कहीं इस कमरे में आकर उसके आनन्द में बाधा ना डालें, इसलिए वो अपने बेडरूम का दरवाजा बंद करने के लिये उठी पर खड़ी होते ही नशे के कारण कार्पेट पर लुढ़क गयी। तभी वो दोनों कुत्ते लपकते हुए कमरे में घुसते हुए दिखायी दिये।
दोनों काफी डरावने लग रहे थे। उनके नुकीले सफ़ेद दाँत चमक रहे थे और दोनों के जबड़ों से राल टपक रही थी। डर के कारण, नजीबा का ध्यान उनके सख्त लौड़ों की तरफ नहीं गया था और उसे लग रहा था कि कुत्ते उस पर हमला करने वले हैं। वो फिर से उठी और डर से चिल्लाती और नशे में डगमगाती हुई बिस्तर की तरफ लपकी। कुत्ते भी उसके पीछे लपके तो वो डर से चीखी। उसे कुत्तों की साँसें अपने चूतड़ों पर महसूस होने लगी। कुत्तों की लंबी लाल जीभें बाहर झूल रही थीं।
बचाओ' नजीबा दहाड़ी।
कुत्ते भी भौंकते हुए गुर्रा रहे थे। दोनों अपने सिर बढ़ा कर नजीबा के चूतड़ चाटने लगे। नजीबा फिर जोर से चिल्लायी जब उसे अपनी गाँड पर उनकी जीभें महसूस हुई और उसे लगने लगा कि कुछ ही पलों में उनके दाँत उसके चूतड़ों में गड़ने वाले हैं। तभी । टीपू उसके ऊपर कूदा।
टीपू ने उछल कर अपनी अगली टाँगें नजीबा के कुल्हों के इर्द-गिर्द लपेट दीं। नजीबा पहले ही नशे और हाई-हील की सैंडल के कारण लड़खड़ा रही थी और कुत्ते के वजन की वजह से वो टीपू को अपने साथ घसीटती हुई दो कदम और बढ़ी और फिर लुढ़क कर ज़मीन पर गिर पड़ी।
टीपू ने नजीबा को कस कर जकड़ लिया। नजीबा ये सोच कर बिल्कुल सहम गयी कि उस कुत्ते के नुकीले दाँत उसके मुलायम शरीर को फाड़ डालेंगे। नजीबा को लगा कि जल्दी ही दोनों वहशी कुत्ते उसे चीर डालेंगे। नजीबा खुद को उस जिद्दी कुत्ते से दूर घसीटने की कोशिश करने लगी। संयोग से वो अपने घुटनों और हाथों के बल झुकी थी - कुत्तों के चोदने की मुद्रा।
“ओह, नहीं वो सुबकने लगी।
नजीबा घसिटती हुई दूर होने लगी तो टीपू ने अपनी जकड़ बनाये रखी और अपने अगले पंजों से पीछे खींचने लगा। इससे नजीबा की गाँड ऊपर उठ गयी और उसका सिर ज़मीन पर कार्पेट पे झुक गया। ये सोच कर कि अब वो मारी जाने वाली है, नजीबा हताश होकर सुबकने लगी। वो सिर्फ बत्तीस साल की थी और ये उम्र मरने के लिए बहुत छोटी थी। अभी तो बहुत सारी चीजें थीं जिनका उसे अपने जीवन में अनुभव नहीं हुआ। था - जैसे की गधे के लंड को सहलाना - और अब ये जंगली कुत्ते उसे नोच कर खाने वाले थे।
परंतु उस कुत्ते ने उसे काटा नहीं।
नजीबा का डर कुछ कम हुआ। हैरानी से उसकी भौंहें चढ़ गयीं। क्या वो कुत्ता सिर्फ स्नेह दिखा रहा था? दिखा रहा था? ।
फिर टीपू अपने कुल्हे आगे पीछे हिलाने लगा।
मादरचोद” नजीबा ने सोचा, “ये चोदू कुत्ते खाने के नहीं बल्कि चुदाई के भूखे हैं।
नजीबा राहत से खिलखिलायी। टीपू उसके चूतड़ों से चिपका हुआ अपने कुल्हे आगे पीछे हिला रहा था। अपनी लालसा में वो नजीबा की चूत से चूक रहा था। उसका सख्त लंड नजीबा के चूतड़ से टकरा कर पीछे होता और उसकी आँघों के पीछे सरक जाता।।
नजीबा को विश्वास हो गया कि वो किसी प्रकार के खतरे में नहीं थी। वो कुत्ते उसे मारने वाले नहीं थे और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसके पीछे वाला कुत्ता उसका बलात्कार भी नहीं कर पा रहा था। उसका बड़ा लंड जोश में आगे पीछे कूट रहा था पर उसे सही कोण नहीं मिल रहा था। नजीबा ने स्वयं से तर्क किया कि उसे सिर्फ थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा जब तक कुत्ते की उत्तेजना कम नहीं हो जाती। या फिर वो स्वयं ही उसे अपनी चूत में लंड घुसेड़ने में मदद कर दे
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