RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
नजीबा का जवान मादक बदन स्प्रिंग की तरह लिपट गया - उसने अपनी गाँड और चूतड़ ऊपर उठाये और अपना पेट और चूचियाँ पीछे धकेलीं तो उसकी पीठ और मुड़ गयी और उसका बदन सिकुड़ गया। नजीबा ने फिर एक झटका दिया और उसकी चूत में कुत्ते का डेढ़-दो इंच लंड घुस गया। जब उसके लंड पर नजीबा की चूत खिसकी तो टीपू जोर से गुर्राया। उसके पुट्टे अकड़ गये और उसने जोर से एक वहशियाना धक्का दिया और | अपना कड़कड़ाता पूरा लंड नजीबा की चूत में गाड़ दिया। ।
ओहहहहहह... आआआआहहह” नजीबा चींखी जब उसे अपनी चूत में पहली बार किसी जानवर का लंड भरा हुआ महसूस हुआ। टीपू ने पूरी बेफिक्री से धुंआधार । अपना लंड नजीबा की चूत में चोदना शुरू कर दिया। उसका पूरा लंड टट्टों तक चूत में फँसता और फिर झटक कर इतना बाहर निकल आता कि सिर्फ सुपाड़ा ही अंदर रहता और फिर जोर से अंदर फँस जाता। टीपू का लंड नजीबा की चूत की लचीली दीवारों को फैलाता हुआ उसकी दहकती चूत की गहराइयों में धक्के मारता हुआ चोद रहा था।
नजीबा की चूत उस लंड के चारों ओर जैसे साँचे में ढल गयी थी और लंड के फिसलते हुए प्रत्येक हिस्से पर जकड़ कर चिपकी हुई थी। चूत की दीवारों ने चोदू लंड को पूरी शक्ति से चूसना शुरू कर दिया। नजीबा के नशे ने उसमें नयी उत्तेजना और ऊर्जा भर दी। थी और वो उस चोदू कुत्ते की शक्ति की बराबरी कर रही थी। टीपू का लंड जब उसकी चूत में अंदर फँसता तो नजीबा उतनी ही ताकत से अपने चूतड़ पीछे ठेल देती। और जब टीपू अपना लंड बहर खींचता तो नजीबा अपने कुल्हे दांय-बांय घुमाती। टीपू प्रचंडता से अपना लंड नजीबा की चूत में ठेल रहा था और उसके फूले हुए आँड चूत के बाहर चपेतें मार रहे थे।
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कुत्ते का लंड काफी बड़ा था और हर धक्के के साथ वो और अधिक फूल रहा था। नजीबा को लंड का सुपाड़ा अपनी चूत की बहुत गहरयी में धड़कता हुआ महसूस हो रहा था। टीपू का लंड उसकी चूत को कगार तक भर रहा था। जब भी वो झटक कर अपना सख्त लंड बाहर खींचता तो चूत के होंठ घिसट कर लगभग पल्ट से जाते। अंदर-बाहर ठिलते हुए लंड की छड़ का प्रत्येक हिस्सा नजीबा की क्लिट पर रगड़ रहा था।
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किसी भी क्षण, नजीबा उस कुत्ते से गरमागरम वीर्य अपनी चूत में दागने की आशा कर रही थी। वो भी उस चिपचिपे गाढ़े रस की खुराक के लिए उत्सुक थी, पर फिर भी वासना से भरी कामुक औरत को इस चुदाई में इतना मज़ा आ रहा था कि वो इसका अंत नहीं चाहती थी। नजीबा चाहती थी कि कुत्ते के झड़ने के पहले उसकी चूत की चटनी बन जाये।
टीपू पूरी गरजना से चोद रह था। चूंकि उसके आँड सुबह ही शाजिया के चूत में खाली हुए थे, इसलिए वो इस समय दृढ़ता से चुदाई कर रहा था। हर पल उसका लंड पहले से ज्यादा फूल रहा था और उसके आँड भी वैसे ही फुल रहे थे। कुत्ते के लंड के खुले हुए मूत-छिद्र से अग्रिम वीर्य-स्राव लगातार चूत में टपक रहा था परंतु टीपू अभी झड़ने के लिये तैयार नहीं था। नजीबा को इस बात का एहसास नहीं था और उसे टीपू के शीघ्र ही झड़ने का अनुमान था, इसलिए उसने अपनी नज़रें दूसरे कुत्ते की तरफ घुमायीं और टीपू के झड़ने के पहले से ही मस्ती से औरंगजेब के लंड और वीर्य की कल्पना करने लगी। नजीबा का चेहरा दमक रहा था जब उसने उपेक्षित कुत्ते की तरफ देखा और पाया कि वो कितना तड़प रहा था।
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औरंगजेब झुक कर नजीबा के सामने बैठ गया। उसका शक्तिशाली विशाल लंड सीधा खड़ा था और उसके लंड का सुपाड़ा उसके वीर्य-स्राव के झाग से लिसड़ा हुआ था। वो गाढ़ा द्रव्य लंड के सुपाड़े के लाल माँस पर पारे की तरह बह रहा था। वीर्य-रस की पतलीपतली धारायें लंड से नीचे की तरफ बह रही थीं और चाँदी की तरह झिलमिलाती एक डोरी-सी उसके मूत-छिद्र से कार्पेट तक लटकी हुई थी।
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