non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
05-06-2019, 11:36 AM,
#11
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
फिर शाजिया ने उसके सामने आ कर उसके गले में एक बाँह डाली और दूसरे हाथ से उसके पैंट की ज़िप नीचे करने लगी लेकिन लंड के उभार के ऊपर से ज़िप खींचने में उसे थोड़ी दिक्कत हुई। ज़िप नीचे होते ही राज की पैंट का आगे से चौड़ा मुँह खुल गया और उसका लंड ऐसे लपक कर बाहर निकला जैसे किसी राक्षस ने गुस्से में भाला । फेंका हो। शाजिया की आँखें चौड़ी हो गयीं। इस लंड से उसने कितनी ही बार चुदाई की थी लेकिन शाजिया ने कभी भी इसे इतना फूला हुआ और इतना सख्त नहीं देका था। उसे देख कर शाजिया खी चूत थरथराने लगी।

शाजिया ने अंदर हाथ डाल कर राज के आँड भी बाहर कींच लिए और अपनी चमकती आँखों के समक्ष उसके विशाल चुदाई-हथियार को पूरा नंगा कर दिया। यकीनन काफी प्रभावशाली नज़ारा था। राज के लंड का बड़ा सुपाड़ा फूल कर जामुनी रंग कुकुरमुत्ते के आकार का लग रहा था। उसके लंड की डाली भी खूब लंबी और मोटी थी और उस पर शाजिया की अंगुलियों जितनी मोटी, धड़कती हुई काली नसें उभरी हुई थीं। उस मोटी-ताज़ी मांसल मिनार की जड़ में गुब्बारों की तरह फूले हुए उसके आँड थे। ।

ऊऊऊऊहहहह” शाजिया ने रोमाँच में गहरी साँस ली।
|
शाजिया बिल्कुल अतृप्य थी। उसकी चूत चाहे कितनी बर भी चुद ले, हर समय प्यासी ही रहती थी। यद्यपि वो अभी ही दोनों कुत्तों के लौड़ों पर जम कर झड़ी थी, लेकिन अब वो फिर अपने अरदली के मांसल लंड से अपनी चूत भरने को उतावली हो रही थी।

दोनों कुत्ते हल्के से भौंके। उन मूक जानवरों को भी आभास हो गया था कि उस कमरे में अभी और चुदाई होने वाली है। राज की तरह उन दोनों को भी अपनी मालकिन की चूत किसी से बाँटने में आपत्ति नहीं थी।

यद्यपि राज को शाजिया के कुत्तों से संभोग करने से कोई दिक्कत नहीं थी पर वो शाजिया को स्वयं चोदते हुए कुत्तों की मौजूदगी नहीं चाहता था। उसे पता था कि कुत्ते कितने उत्तेजित हो सकते थे उसे डर था कि कहीं गल्ती से उनमें से कोई कुत्ता अपना लंड उसकी गाँड में ना पेल दे।
|
राज ने कुत्तों को बाहर जाने का आदेश दिया। दोनों कुत्ते बेमन से बेडरूम के बाहर जाने लगे। उनके अर्ध-सख्त लंड अभी भी उनके नीचे झूल रहे थे। शाजिया आशा कर रही थी कि राज कुत्तों के लंड के हालत देखकर कहीं जाहिर मतलब ना समझ जाये। लेकिन राज की नज़रें कुत्तों की बजाये शाजिया पर थीं। फिर शाजिया को लगा कि कहीं वीर्य । से चिपचिपी आँघों और चूत को देखकर उसे शक ना हो जाये। उसने अपने गाऊन में हाथ डल कर एक बार फिर अपनी चूत ओर जाँघों पर फिराया। फिर उसने अपना गाऊन ज़मीन पर गिरा दिया और अपना एक हाथ अपने पेट पर फिराती हुई दूसरे हाथ से अपनी भीतरी जाँघों को सहलाने लगी। उसकी चूत का रस उसके जिस्म पर चमक रहा था और शाजिया की विकृत करतूत का सुराग, कुत्तों के लंड का वीर्य, उस चूत रस में छिपा हुआ था। शाजिया बिस्तर पर अपनी कुहनियों के सहारे पीछे को झुक कर अपनी टाँगें फैला कर बैठ गयी।
Reply
05-06-2019, 11:36 AM,
#12
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
राज भी शाजिया के पास आ गया और अपनी मुट्ठी अपने लंड की जड़ में कस दी जिससे उसके लंड का सुपाड़ा आलूबुखारे की तरह दमकने लगा। शाजिया के लिए यह मुँह में पानी लाने वाला दृश्य था। वो आगे झुकी तो उसके लंबे बाल राज के पेट और जाँघों पर गिर गये। शाजिया ने अपनी जीभ लंड के सुपाड़े पर फिरायी।

“उम्म्म... यम्मी, वो बिल्ली की तरह घुरगुरायी।

“हाँ... चूसो मैडम... उम्म... मेरा मतलब चूस साली कुत्तिया”, राज सिसका। शाजिया उसका आलूबुखारे जैसा पूरा सुपाड़ा मुँह में ले कर चूसने लगी। शाजिया की चुस्त और फुर्तीली जीभ राज के सुपाड़े के फूले हुए आकार पर फिसलने और सुड़कने लगी। उसकी जीभ बीच में कभी सुपाड़े की नोक पर फिरती और कभी उसके मूतने वाले छिद्र को टटोलती। अपने मुँह में अग्रिम वीर्य-स्राव का स्वाद महसूस होते ही शाजिया की भूख और बढ़ गयी। जब वो उसके सुपाड़े के इर्द-गिर्द बहुत सारी राल निकालने लगी तो उसका थूक लंड की छड़ पे नीचे को बहने लगा। शाजिया का सिर किसी लट्टू की तरह राज के लंड पर घूम रहा था।

राज की गाँड अकड़ गयी और धक्के लगाती हुई लंड को शाजिया के मुँह में भोंकने लगी। शाजिया जब चूसती तो उसके गाल अंदर को पिचक जाते और जब वो उसके लंड पर फेंकती तो गाल फूल जाते। शाजिया लंड के सुपाड़े पर पर बहुत अधिक मात्रा में राल निकाल रही थी और राज के अग्रीम वीर्य से मिला हुआ शाजिया का बहुत सारा थूक नीचे बह रहा था। राज के अग्रिम वीर्य की गंध कुत्तों के वीर्य जैसी तेज और भारी नहीं थी लेकिन शाजिया को वो उतना ही स्वादिष्ट लग रहा था।

राज के लंड को चूसते हुए शाजिया के काले बालों का पर्दा राज के लंड और टट्टों पर पड़ा हुआ था। लंड के स्वाद का मज़ा लेते वक्त शाजिया के मुँह से रिरियाने की आवाज़ निकल रई थी। राज के दाँत आपस में रगड़ रहे थे और उसका चेहरा उत्तेजना से ऐंठा हुआ था। शाजिया का सिर तेजी से लंड पर ऊपर-नीचे डोलने लगा और वो और अधिक लंड की छड़ अपने मुँह में लने लगी। उस मोटे और रसीले लंड पर ऊपर नीचे होती हुई शाजिया लंड पर अपने होंठ जकड़ कर चूस रही थी। जब वो अपना सिर ऊपर लेती तो उस लंड पर अपना मुँह लपेट कर अपने होंठ कस कर पेंचकस की तरह मरोड़ती।

राज सुअर की तरह घुरघुराता हुआ और अपना लंड ऊपर को ठेलता हुआ शाजिया के मुँह को ऐसे चोदने लगा जैसे कि कोई चूत हो।

“ऊस्मफ्फ', जब लंड का फूला हुआ सुपाड़ा शाजिया के गले में अटका तो वो गोंगियाने लगी। शाजिया ने राज का लंबा लंड लगभग पूरा अपने मुँह में भर लिया था। राज के आ आँड शाजिया की ठुड्डी पर रगाड़ रहे थे और शाजिया की नाक राज की झाँटों में घुसी हुई थी। शाजिया की साँस घुट रही थी लेकिन फिर भी उसने कुछ क्षणों के लिए लंड के सुपाड़े । को अपने गले में अटकाये रखा और फिर उसने लंड को चूसते हुए बाहर को निकाला।।
Reply
05-06-2019, 11:36 AM,
#13
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
ऊम्म, शाजिया बिल्ली की तरह घुरगुराई और फिर से उस लंड पे अपने होंठ लपेट कर सुड़कने लगी।

राज ने अपना लंड शाजिया के मुँह में निरंतर चोदते हुए अपना वजन एक टाँग से दूसरी टाँग पर विस्थापित किया। राज ने अपना एक हाथ शाजिया की गर्दन के पीछे रखा और उसका मुँह अपने लंड पर थाम कर अंदर-बाहर चोदने लगा। उसके आँड ऊपर उछलउछल कर शाजिया की ठुड्डी के नीचे थपेड़े मार रहे थे।

राज के मूत-छिद्र से और भी अग्रीम-बीर्य रस चूने लगा और शाजिया की स्वाद-ग्रंथियों पर बह कर शाजिया की प्यास और भड़काने लगा। शाजिया और भी जोर से लंड चूसने लगी और अपने मुँह में राज को अपने आँड खाली करने को प्रेरित करने लगी। वो उसका गर्म वीर्य पीने के लिए उतावली हो रही थी।
|


चुदक्कड़ शाजिया को वीर्य भरी चूत के बाद मुँह भर वीर्य बहुत पसंद था। उसकी चूत और उसका मुँह आपस में एक दूसरे के प्रतिरूप थे। उसकी जीभ भी उसकी क्लिट की तरह ही गर्म थी। सिसकती हुई वो अपना मुँह राज के लंबे-मोटे लंड पर ऊपर-नीचे डोलने। लगी।

लेकिन तभी राज ने अपना लंड शाजिया के होंठों से बाहर खींच लिया। उसका सुपाड़ा एक डाट की तरह बाहर निकला। शाजिया के होंठ चपत कर बंद हो गये पर वो फिर से अपने होंठ खोल कर अपनी जीभ बाहर निकाले, पीछे हटते लंड पर फिराने लगी।

राज को शाजिया से लंड चुसवाना अच्छा लग रहा था पर आज वो चूत चोदने के मूड में। था। शाजिया ने नज़रें उठा कर अपनी नशे में डूबी आँखों से राज के चेहरे को देखा। वो हैरान थी कि उसने अपना स्वादिष्ट लंड उसके मुंह से खींच लिया था। ऐसा कभी नहीं हुआ था कि किसी आदमी ने शाजिया के मुँह में झड़ने से पहले लंड बाहर निकाला हो। उसने अपने होंठ अण्डाकार खोल कर उन्हें चूत के आकार में फैला दिया और अपनी जीभ कामुक्ता से फड़फड़ाती हुई उसे फिर निमंत्रित करने लगी।
-
नशे में चूर अपनी मैडम को राज ने उसके कंधे से पकड़ कर धीरे से बिस्तर पर पीछे ढकेल दिया। अगर वो उसके मुंह की जगह उसकी चूत चोदना चहता था तो शाजिया को कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि उसे तो दोनों ही जगह से चुदवाने में बराबर मज़ा आता था। जब तक उसे प्रचुर वीर्य मिल रहा था उस इसकी कोई फिक्र नहीं थी कि किस छेद से मिल रहा था।
|
अपने घुटने मोड़ कर और अपनी जाँचें फैला कर शाजिया पसर गयी। उसने अपनी कमर उचका कर अपनी रसीली चूत चुदाई के कोण में मोड़ दी। राज उसकी टाँगों के बीच में झुक गया। वो अपनी मालकिन के कामुक बदन से परिचित था। अपने हाथों और घुटनों पर वजन डाल कर राज ने अपने चूत्तड़ अंदर ढकेले और उसके लंड का फूला हुआ सुपाड़ा शाजिया की चूत के अंदर फिसल गया।
Reply
05-06-2019, 11:36 AM,
#14
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया मस्ती से कलकलाने लगी। अपने लंड का सिर्फ सुपाड़ा शाजिया की चूत में रोक कर राज लंड कि मांस-पेशियों को धड़काने लगा। उसका सूजा हुआ सुपाड़ा चूत में धड़कता हुआ हिलकोरे मार रहा था।

पहले शाजिया का मुँह, चूत की तरह था और अब उसकी चूत, मुँह की तरह थी। उसकी चूत के होंठ लंड के सुपाड़े को चूसने लगे और उसकी कड़क क्लिट जीभ की तरह लंड पर रगड़ने लगी। राज घुरघुराते हुए स्थिर हो गया। शाजिया की चूत उसके लंड को सक्शन पंप की तरह अपनी गहराइयों में खींच रही थी। राज ठेल नहीं रहा था लेकिन शाजिया की चूत खुद से उसके लंड को अंदर घसीट रही थी।
-
राज उत्तेजना से गुर्राया। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका लंड उसके शरीर से खींच कर उखाड़ा जा रहा था और शाजिया की चूत के शिकंजे में अंदर खिंचा जा रहा है। अपनी चूत में आखिर तक उस विशालकाय लौड़े की ठोकर महसूस करती हुई शाजिया । सिसकने लगी। उसकी चूत फड़कते लंड से कोर तक भरी हुई थी। उसका अरदली चोदू कुत्ते जैसे पाशविक जोश से तो उसे नहीं चोद सकता था परंतु ये कमी उसके लंड की लंबाई से पूरी हो गयी थी, जोकि शाजिया की चूत को उन गहराइयों तक भरे हुए था जहाँ कुत्तों का लंड नहीं पहुँच सकता था।
|

राज का लंड शाजिया की चूत में धड़कने लगा तो शाजिया की चूत की दीवारें भी उसके लंड की शाखा पर हिलोरे मारने लगी। शाजिया की चूत के होंठ लंड की जड़ पे चिपके हुए थे और लंड को ऐसे खींच रहे थे जैसे कि उस कड़क लंड को राज के शरीर से उखाड़ कर सोंखते हुए चूत की गहराइयों में और अंदर समा लेने की कोशिश कर रहे हों।

राज के लंड का गर्म सुपाड़ा शाजिया को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कि उसकी चूत में गरमागरम लोहे का ढेला ढूँसा हो। उसके फड़कते लंड की शाखा ऐसे प्रतीत हो रही थी जैसे लोहे की गरम छड़ चूत की दीवरों को खोद रही हो। उसका लंड इतना अधिक गरम था कि शाजिया को लगा कि वो जरूर उसकी चूत को अंदर से जला रहा होगा पर उसकी खुद की चूत भी कम गरम नहीं थी। शाजिया की चूत भी भट्टी की तरह उस लंड पर जल रही थी जैसे कि राज का लंड तंदूर में सिक रहा हो।
Reply
05-06-2019, 11:36 AM,
#15
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
राज के लंड का गर्म सुपाड़ा शाजिया को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कि उसकी चूत में गरमागरम लोहे का ढेला ढूँसा हो। उसके फड़कते लंड की शाखा ऐसे प्रतीत हो रही थी जैसे लोहे की गरम छड़ चूत की दीवरों को खोद रही हो। उसका लंड इतना अधिक गरम था कि शाजिया को लगा कि वो जरूर उसकी चूत को अंदर से जला रहा होगा पर उसकी खुद की चूत भी कम गरम नहीं थी। शाजिया की चूत भी भट्टी की तरह उस लंड पर जल रही थी जैसे कि राज का लंड तंदूर में सिक रहा हो।

शाजिया ने पहले हिलना आरंभ किया। राज तो स्थिर था और शाजिया ने अपनी चूत उसके लंड पर दो-तीन इंच पीछे खींची और फिर वापिस लंड की जड़ तक ठाँस दी। “चोद मुझे... चोद मुझे" शाजिया मतवाली हो कर विलाप-सा करने लगी।
|
राज ने अपने घुटनों पर जोर दे कर अपना लंड इतना बाहर खींचा कि सिर्फ उसका सुपाड़ा चूत के अंदर था। शाजिया की क्लिट उसके लंड पर धड़कने लगी। राज ऐसे ही कुछ क्षण रुका तो शाजिया की चूत के होंठ फिर से उसके लंड को अंदर खींचने के लिए जकड़ने लगे। शाजिया के भरे-भरे चूत्तड़ पिस्टन की तरह हिल रहे थे उसकी ठोस गाँड बिस्तर पे मथ रही थी। बिस्तर पे मथ रही थी। “पेल इसे मेरे अंदर... राज?” शाजिया चिल्लायी। वो अपनी चूत को लंड से भरने को उतावली हो रही थी। उसे अपनी चूत अचानक खोखली लग रही थी। “ठेल दे अपना पूरा मूसल अंदर तक

राज ने हुँकार कर अपनी गाँड खिसकायी और शाजिया को एक धीरे पर लंबा सा झटका खिलाया। उसका लंड चीरता हुआ उसकी धधकती चूत में अंदर तक धंस गया। चूत के अंदर धंसी उसके लंड की शाखा ने शाजिया की गाँड को बिस्तर से ऊपर उठा दिया। राज ने एक बार फिर बाहर खींच कर इस तरह अपना लंड अंदर पेल दिया कि शाजिया की गाँड और ऊपर उठ गयी और उसका लंड इस तरह नीचे की दिशा में चूत पेल रहा था कि अंदर-बाहर होते हुए गरम लंड का प्रत्येक हिस्सा शाजिया की चूत पर रगड़ खा रहा था।

I
|
शाजिया भी उतनी ही तीव्रता से अपनी आगबबुला चूत ऊपर-नीचे चलाती हुई राज के जंगली झटकों का जवाब दे रही थी। उसकी चूत इतनी दृढ़ता से लंड पर चिपक रही थी कि राज को लंड बाहर खींचने के लिए वास्तव में जोर लगाना पड़ रहा था।
|
राज का लंड शाजिया के चूत-रस से भीगा और चिपचिपाता और दहकता हुआ बाहर निकलता और फिर चूत में अंदर चोट मारता हुआ घुस जाता जिससे शाजिया के चूत-रस का फुव्वारा बाहर छूट जाता। राज के आँड भी चूत-रस से तरबतर थे। शाजिया का पेट भी चूत के झग से भर गया था और गरम चूत-रस उसकी जाँघों के नीचे और उसकी गाँड की दरार में बह रहा था। जब भी उसकी चूत से रस का फव्वारा फूटता तो मोतियों जैसी बड़ी-बड़ी बूंदें उसकी चूत और दोनों टाँगों के बीच के त्रिकोण पर छपाक से गिरतीं।।

चुदाई के आनंद और शराब के नशे से शाजिया मतवाली हुई जा रही थी। उसने राज से चिपकते हुए अपनी जाँचें राज के चूतड़ों पर कस दीं। शाजिया के सैंडलों की ऊची ऐड़ियाँ राज की गाँड पर ढोल सा बजाने लगीं।

राज लगातार चोद रहा था और जब भी उसका लंड चूत में उँसता तो उसके आँड झूलते। हुए शाजिया की झटकती गाँड पे टकराते। साथ ही शाजिया की चूत से और रस बाहर चू जाता। मैं... मैं झड़ी।'' शाजिया हाँफी, “ओह... चूतिये... मैं झड़ने वाली हैं... तू भी झड़ जा... मादरचोद... भर दे मेरी चूत अपने गरम, चोद-रस से..."
-
फिर राज ने एक असाधारण काम किया। उसने अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया।

शाजिया संत्रासपूर्वक चिल्लायी और यह सोच कर कि शायद गल्ती से निकल गया होगा, उसने अपना हाथ बढ़ा कर लंड पकड़ लिया और फिर से अपनी चूत में डालने की चेष्टा करने लगी। वो गरम चुदक्कड़ औरत झड़ने के कगार पर थी और उसे डर था कि लंड के वापस चूत में घुसने के पहले ही वो कहीं झड़ ना जाये।

॥ राज कुटिलता से मुस्कुराया। राज जानता था कि सिर्फ ऐसी ही स्थिति में वो हर समय धौंस देने वाली अपनी अकडू मालकिन को अपने इशारे पर नचा सकता था। शराब और चुदाई के मिलेजुले नशे में वो कुछ भी खुशी से करने को फुसलायी जा सकती थी।

राज ने शाजिया के चूत्तड़ पकड़ कर उसे धीरे से पलट दिया। जब वो शाजिया को बिस्तर पे पेट के बल पलट रहा था तो वो उसके हाथों में मछली की तरह फड़फड़ा रही थी। फिर उसने शाजिया को जाँघों से पकड़ कर पीछे की ओर ऊपर खींचा जिससे शाजिया अपने घुटनों पे उठ कर झुक गयी और उसकी गाँड राज के लंड की ऊचाई तक आ गयी। राज भी ठीक शाजिया के पीछे झुका हुआ था। राज का लंड शाजिया की गाँड के घुमाव के ऊपर मिनार की तरह उठा हुआ था। उसका लंड की शाखा शाजिया के चूत-रस से भीगी हुई चिपचिपा रही थी और उसके लंड का सुपाड़ा ऐसे दमक रहा था जैसे कि प्रकाश-गृह (लाइट हाऊस) की मिनार के ऊपर लगा आकाश-दीप हो और नीचे अपने टट्टों में छिपी पथरीली गोलियों के चेतावनी दे रहा हो।

शाजिया का सिर नीचे था और गाँड ऊपर हवा में थी। उसका एक गाल बिस्तर पे सटा हुआ था और उसके लंबे काले बाल बिस्तर पर फैले हुए थे। शाजिया की ठोस, झटकती गाँड उसकी इस मुद्रा की अधिकतम ऊँचाई तक उठी हुई थी। यह मुद्रा शाजिया के लिए नई नहीं थी। उसकी भारी चूचियाँ बिस्तर पर सपाट दबी हुई थीं और जब वो अपनी गाँड हिलाने लगी तो उसकी तराशी हुई जाँचें कसने और ढीली पड़ने लगीं और उसकी प्यारी गाँड कामुक्ता से ऊपर-नीचे होने लगी।
Reply
05-06-2019, 11:36 AM,
#16
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
एक क्षण के लिए तो शाजिया को लगा कि राज उसकी गाँड मारने वाला है और शाजिया को इसमें कोई आपत्ति भी नहीं थी पर राज का एक हाथ उसकी चूत पर फिसल कर चूत की फाँकों को फैलाते हुए उसकी फड़कती क्लिट को रगड़ने लगा।

“हाँ... हाँ.. ऐसे ही कुत्तिया बना कर चोद मुझे अपनी चूत में राज का विशाल लौड़ा पिलवाने की तड़प में शाजिया गिड़गिड़ाने लगी। राज के चोदू-झटके की आशा में शाजिया पीछे को झटकी।


तुझे कुत्तिया बन कर चुदवाने में बहुत मज़ा आता है ना, राँड?” राज उसके कुल्हों। को हाथों में पकड़ते हुए फुसफुसाया। उसका स्वर व्यंगात्मक लग रहा था।

शाजिया थोड़ी सी चौंक गयी। क्या मतलब था उसका? कहीं उसे शक तो नहीं हो गया था? क्या वो जान गया था कि शाजिया कुत्तों से चुदवाती है। एक क्षण के लिए तो शाजिया का जोश । हँडा पड़ गया और उसे डर लगने लगा। उसने अपने कंधे के ऊपर से पीछे निगाह डाली। पर उसे राज के चेहरे पर कोई गुस्सा नज़र नहीं आया और उसने राज के लंड को अपनी गाँड के ऊपर लहराते हुए देखा। इस दृश्य से शाजिया की कामेच्छा इतनी बढ़ गयी कि किसी प्रकार की चिंता य ग्लानि के भावों का कोई स्थान नहीं रह गया था।

“हाँ! मुझे कुत्तिया बना कर चोद!” शाजिया कराही।।

राज ने मुस्कुरा कर अपने लंड की नोक से उसकी दहकती चूत को छुआ और उसे
शाजिया की क्लिट पर रगड़ने लगा। शाजिया दुगनी कामेच्छा से कराहने लगी और उसने अपने । चूत्तड़ राज के लंड पर पीछे धकेल दिये।

राज ने अपना भीमकाय, फड़कता हुआ लंड पूरी ताकत से एक ही झटके में शाजिया की गाँड के नीचे उसकी पिघलती हुई चूत में ठाँस दिया। उसका लंड अंदर फिसल गया और उसका सपाट पेट शाजिया के चूत्तड़ों से टकराया। अपनी झुकी हुई जाँघों के बीच में से अपना हाथ पीछे ले जाकर शाजिया उसके आँड सहलाने लगी। राज अपना लंड शाजिया की चूत में अंदर तक पेल कर उसे घुमाता हुआ उसकी चूत को पीस रहा था।
-
फिर राज ने पूरे आवेश में अपना लंड शाजिया की चूत में आगे-पीछे पेलना शुरू कर दिया। शाजिया कसमसाती हुई अपने चूत्तड़ पीछे ठेल रही थी और उसकी चूचियाँ भी जोरजोर से झूल रही थी। राज कुत्ते की तरह वहशियाना जोश से शाजिया की चूत चोद रहा। था और कुत्ते की तरह ही हाँफ रहा था।
-
,
राज ने थोड़ा झुक कर जोर सा अपना लंड ऊपर की तरफ चूत में पेला जिससे शाजिया की गाँड हवा में ऊची उठ गयी और उसके घुटने भी बिस्तर उठ गये। फिर अगला झटका राज ने ऊपर से नीचे की तरफ दिया और फिर से शाजिया के घुटने और गाँड पहले वाली मुद्रा में वापिस आ गये। शाजिया का शरीर स्प्रिंग की तरह राज के नीचे कूद रहा था।

ऊऊम्म्म.... मैं झड़ी?” शाजिया चिल्लाई।

राज भी पीछे नहीं था। उसका लंड फूल कर इतना बड़ा हो गया था कि शाजिया को लगा ॥ जैसे कुल्हों की हड्डियाँ अपने सॉकेट में से निकल जायेंगी। शाजिया ने अपनी झूलती। चूचियों के कटाव में से पीछे राज के विशाल लंड को अपनी चूत में अंदर-बाहर होते हुए देखने की कोशिश की।

राज जोर-जोर से चोदते हुए शाजिया की चूत को अपने लंड से भर रहा था और शाजिया को कामानंद से। शाजिया की चूत राज के लंड पे पिघलती हुई इतना अधिक रस बहा रही थी कि वो फुला हुआ लंड जब चूत की गहराइयों में धंसता तो ‘छपाक-छपाक’ की आवाज़ आती थी।

“ले... साली कुतिया... मैं भी आया?” राज हाँफते हुए बोला।
Reply
05-06-2019, 11:37 AM,
#17
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
“हाँ... हाँ.. डुबा दे मुझे अपने वीर्य रस में?” शाजिया कराही।
जब राज ने अपना लंड जड़ तक ठाँस दिया तो उसकी कमर आगे मुड़ गयी और उसका सिर और कंधे पीछे झुक गये। शाजिया को जब उबलता हुआ वीर्य अपनी चूत में। छूटता महसूस हुआ तो जोर से कराहने लगी। राज का गाढ़ा वीर्य तेज प्रवाह की तरह शाजिया की चूत में बह रहा था।
|
राज के टट्टों को फिर से हाथ में पकड़ कर शाजिया निचोड़ने लगी जैसे कि उसके । निचोड़ने से ज्यादा वीर्य निकलने की संभावना हो। जैसे ही राज अपना लंड उसकी चूत में अंदर पेलता तो शाजिया उसके आँड नीचे खींच देती और जब वो अपना लंड बाहर को खींचता तो शाजिया उसके आँड सहलाने लगती। राज का वीर्य किसी ज्वार-भाटे की तरह हिलोरे मारता हुआ शाजिया की चूत में बह रहा था।

हर बार जब भी शाजिया को अपने अंदर, और वीर्य छूटता महसूस होता तो उसकी अतृप्य चूत भी फिर से अपना रस छोड़ देती।

हाँफते हुए, राज की गति कम होने लगी।

शाजिया ने उसके लंड पे अपनी चूत आगे-पीछे चोदनी जारी रखी और उसके लंड को दुहती हुई वो अपने चर्मानंद के शेष लम्हों का रस लेने लगी। शाजिया को लग रहा था जैसे आ कि उसकी चूत लंड पर पिघल रही हो। रिक्त होने के बाद राज ने कुछ क्षण अपना लंड चूत में ही रखा। उसके वीर्य और शाजिया के चूत-रस का गाढ़ा और झागदार दूधिया सफ़ेद । मिश्रण राज के धंसे हुए लंड की जड़ के आसपास बाहर चूने लगा। शाजिया की चूत के बाहर का हिस्सा और उसकी जाँचें चुदाई के लिसलिसे दलदल से सनी हुई थी।

जब आखिर में राज ने अपना लंड शाजिया की चूत में से बाहर निकाला तो उसके लंड की छड़ इस तरह बाहर निकली जैसे तोप में गोला दागा हो। शाजिया की चूत के होंठ फैल गये और उसकी चूत बाहर सरकते लंड पर सिकुड़ने लगी। जब उसके लंड का सुपाड़ा चूत में से बाहर निकला तो शाजिया कि चूत में से वीर्य और चूत-रस का मिश्रण झाग दार बाढ़ की तरह बह निकला।

शाजिया संतृष्टि से मुस्कुराती हुई पेट के बल नीचे बिस्तर पर फिसल गयी। वो तृप्त थी पर फिर भी उसने अपनी जाँचें फैला रखी थीं कि शायद राज एक बार फिर चोदना चाहे। परन्तु राज बिस्तर से पीछे हट गया। शाजिया ने उसे पीछे हटते सुना और साथ ही उसे कमरे के बाहर से कुत्तों के भौंकने की आवाज़ भी सुनायी दी। शाजिया ने पीछे मुड़ कर देखा कि राज ने अपना मुरझाया हुआ चोदू लंड अपनी पैंट में भर लिया था और उसे लंड के उभार के ऊपर ज़िप चढ़ाने में कठिनाई हो रही थी। शाजिया अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी तरबतर चूत सहलाने लगी।

“मजा आया चोदने में?” शाजिया बिल्ली जैसे घुरघुरायी।

राज ने दाँत निकाल कर मुस्कुराते हुए सहमती में अपनी गर्दन हिलायी।

|
“मैं बाहर जा कर औरंगजेब और टीपू को कुछ खाने को दे देता है। राज बोला। उसकी आँखें शाजिया पर टिकी थीं। दोनों कुत्ते बाहर भौंक रहे थे। “काफी थके हुए लग रहे हैं..." राज पैनी नज़रों से शाजिया को ताकता हुआ एक क्षण रुका और फिर आगे बोला, “आज लगता है दोनों ने काफी कसरत की है।”

शाजिया के चेहरे पर हल्की सी लाली आ गयी और उसकी नज़रें झुक गयीं। शाजिया फिर सोचने लगी कि कहीं राज को शक तो नहीं हो गया है कि वो हर उपलब्ध मौके पर कुत्तों से चुदवा रही थी। अगर राज को संदेह हो गया था तो शायद उसे इस बात की परवाह नहीं थी और वो इस बात को नज़रअंदाज़ कर रहा था। अगर राज को परवाह नहीं तो वो स्वयं क्यों चिंता करे।
Reply
05-06-2019, 11:37 AM,
#18
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया के चेहरे पर हल्की सी लाली आ गयी और उसकी नज़रें झुक गयीं। शाजिया फिर सोचने लगी कि कहीं राज को शक तो नहीं हो गया है कि वो हर उपलब्ध मौके पर कुत्तों से चुदवा रही थी। अगर राज को संदेह हो गया था तो शायद उसे इस बात की परवाह नहीं थी और वो इस बात को नज़रअंदाज़ कर रहा था। अगर राज को परवाह नहीं तो वो स्वयं क्यों चिंता करे।
|
शाजिया ने अपनी नज़रें उठा कर ऊपर देखा और नटखट मुस्कुराहट के साथ बोली, “ठीक है तू उन्हें खिला-पिला कर खुद भी खाना खाले... तुने भी काफी कसरत की है....'

राज ने फिर से गर्दन हिलायी। वो सोच रहा था कि उसकी मालकिन ने क्या अभी-अभी इशारे में ये कबूल कर लिया था कि वो कुत्तों से चुदवाती थी। जो भी हो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था। राज मुड़ा और कमरे के बाहर चला गया।

शाजिया भी बिस्तर से उठी और बार के पास जा कर एक ड्रिंक बनाने लगी। उसके कदम अभी भी हाई-हील के सैंडलों में लड़खड़ा रहे थे।

* * * * * * * * * * * * * * * * * * * *

हफ्ते भर बाद की बात है। शाम के छः बज रहे थे। चंडीगढ़ से शाजिया की कॉलेज के दिनों की सहेली, नजीबा, उसके साथ दो-तीन दिन रहने आयी हुई थी। मौसम बहुत ही सुहाना था। सुरज ढलने को था और मंद सी ठंडी हवा चल रही थी। दोनों घर के पीछे लॉन में बड़ी सी छतरी के नीचे कुर्सियों पर बैठी वोडका पी रही थीं और अपने कॉलेज के दिनों की अपनी शरारतों और साथ बिताये वक्त की बातें कर रही थीं। सामने पहाड़ों की चोटियों का दृश्य बड़ा मनोहर था।

राज पकौड़े तल कर उनकी टेबल पर रखने के बाद चार-पाँच घंटे की छुट्टी ले कर पास के गाँव में अपने किसी दोस्त की शादी में शामिल होने के लिये चला गया था। वो रात को देर से लौटने वाला था। जाने से पहले, शाजिया के कहने पर उसने मूवेबल बार भी बाहर ला कर उनके पास रख दिया था जिस पर बर्फ की बाल्टी, ग्लास और वोडका, व्हिस्की, जिन इत्यादि कि कईं बोतलें मौजूद थीं।

दोनों सहेलियों पर हल्का नशा छाया हुआ था और वो पुरानी बातें याद करती हुई कहकहे। लगा रही थीं।

“याद है शाजिया! किस तरह तू हॉस्टल से रात को भाग कर लड़कों के कमरों में चुदवाने । जाती थी?; नजीबा ने हँसते हुए कहा।

तू क्या कम थी.. तू तो लड़कों को गर्ल्स हॉस्टल में ही छिपा कर ले आती थी।'

मुझे तो आज भी याद है जब हम दोनों ने उस रिक्शा वाले को सुनसान जगह पर रिझाया था।

हाँ! बेचारा उत्तेजना से काँपने लगा था

और जब तूने उसकी धोती में हाथ डाल कर उसका लंड पकड़ा था तो बेचारा तेरे हाथ में झड़ गया था और फिर बिना पैसे लिये ही भग गया था

दोनों इसी तरह अपनी ऐयाशियाँ याद करते हुए डिंक पी रही थीं। दोनों की चूत गरमाने । लगी थी।

“कितनी मज़ की जिंदगी थी... आखिरी साल में फ्रेशर लड़कियों कि रैगिंग में तो हमने हद कर दी थी... जब हमने अपने रूम में उन्हें शराब पिला कर उन्हें नंगी नचाया था।

“पी तो हमने भी रखी थी..."

सिर्फ शराब ही नहीं पी रखी थी.... उस दिन तो हम सीनियर लड़कियों ने गाँजे की सिगरेट भी पी थी... वो वंदना कहीं से सब को सपलाई करती थी।

शाजिया ने दोनों के ग्लास में व्हिस्की और वोडका मिला कर कुछ तगड़ा कॉकटेल बनाया।

“हाँ यार हमें भी कहाँ होश था... तभी तो रैगिंग इस हद तक पहुँच गयी थी कि हमने उन फ्रेशर लड़कियों कि चूत मोटी-मोटी मोमबत्तियों से चोदी थीं और बाद में उनसे अपनी चूत चटवायी थीं?”

और तूने तो हद ही कर दी थी जब तूने एक लड़की के मुंह में मूत ही दिया था?”
Reply
05-06-2019, 11:37 AM,
#19
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
“हाँ यार हमें भी कहाँ होश था... तभी तो रैगिंग इस हद तक पहुँच गयी थी कि हमने उन फ्रेशर लड़कियों कि चूत मोटी-मोटी मोमबत्तियों से चोदी थीं और बाद में उनसे अपनी चूत चटवायी थीं?”

और तूने तो हद ही कर दी थी जब तूने एक लड़की के मुंह में मूत ही दिया था?”


दोनों जोर से खिलखिला कर हंस पड़ी। नजीबा सोच रही थी कि उसे बाद में बेडरूम में जाकर अपने हाथ से अपनी चूत की प्यास बुझानी पड़ेगी। शाजिया भी सोच रही थी कि नजीबा के सोने के बाद अपने कमरे में जाकर आज तो औरंगजेब और टीपू से जी भर कर रात भर चुदवायेगी। शाजिया ये सोच कर मुस्कुरा दी कि नजीबा कि क्या प्रतिक्रिया होगी अगर उसे पता चल गया कि वो चुदवाने में आज भी पीछे नहीं है बल्कि उसकी चुदाई की भूख इस कद्र बढ़ चुखी है कि वो अपने कुत्तों से नियमित चुदवाती है।
-
नजीबा भी सोच रही थी कि शाजिया को बताये कि नहीं कि वो आज भी पराये मर्दो से | चुदवाती है क्योंकि उसके इंडस्ट्रियलिस्ट पति को उससे ज्यादा अपने बिज़नेस में दिलचस्पी थी। उसका पति भी अपनी सेक्रेटरी और दूसरी औरतों को चोदता था। नजीबा तो कॉलेज के समय से ही चुदासी थी इसलिए उसे अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिये दूसरे मर्दो से चुदवाने में कोई आपत्ति नहीं थी। सुबह जब वो यहाँ शाजिया से मिलने आयी इतर ५ थी तब से ही उसकी नज़र राज पर भी थी।
|
तभी वहाँ एक गधा दिखायी दिया। नजीबा तो अचानक गधे को देख कर डर गयी और चींख पड़ी।
{
“अरे यार! डरने की कोई बात नहीं है.. ये हमारे धोबी का गधा है... वो पास के गाँव में रहता है और आजकल विहार में कहीं अपने घर गया हुआ है। इसलिए अपना गधा हमारे फार्म पर छोड़ गया... राज इसे चारा-पानी इत्यादि दे देता है। वैसे तो ये ऊधर छप्पर (बान) में बंधा रहता है पर शायद राज इसे बाँधना भूल गया', शाजिया ने कहा पर ये नहीं बताया कि उस धोबी से भी वो चुदवा चुकी है।

शाजिया ने दोनों के लिए नया डिंक बनाया और दोनों फिर बतियाने लगीं।

उस गधे को भी शायद उन दोनों की चूत की महक आ गयी थी। वो उनकी कुर्सियों के पीछे बिल्कुल पास आकर खड़ा हो गया। शाजिया ने हाथ बढ़ा कर उसकी गर्दन पर हल्के से मारते हुए उसे भगाने की कोशिश की। पर गधा कहाँ इतनी आसानी हटने वाला था।

ये गधे बहुत अड़ियल होते हैं... शाजिया इतनी आसानी से नहीं हटेगा ये, नजीबा ने हँसते हुए कहा।
Reply
05-06-2019, 11:38 AM,
#20
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
उस गधे को भी शायद उन दोनों की चूत की महक आ गयी थी। वो उनकी कुर्सियों के पीछे बिल्कुल पास आकर खड़ा हो गया। शाजिया ने हाथ बढ़ा कर उसकी गर्दन पर हल्के से मारते हुए उसे भगाने की कोशिश की। पर गधा कहाँ इतनी आसानी हटने वाला था।

ये गधे बहुत अड़ियल होते हैं... शाजिया इतनी आसानी से नहीं हटेगा ये, नजीबा ने हँसते हुए कहा।

शाजिया भी अब नशे में थी और वो भी जोर से अपनी हर्कत पर खिलखिला कर हँस पड़ी। छोड़ यार... खड़ा रहने दे... अपने आप ही छप्पर में चला जायेगा।
उस गधे के आँड उसकी पिछली टाँगों के बीच खरबूजे की तरह फुलने लगे। भुरे रंग की बालों से भरी खाल धीरे से पीछे खिसकने लगी और उसका काला विशाल सुपाड़ा खिसकता हुआ बाहर निकलने लगा। वो विशाल सुपाड़ा काले ग्रेनाइट के पत्थर की तरह चमक रहा था। गधे का लंड पहले तो नीचे लटक गया और फिर दाँये-बाँये फड़फ़ड़ाने लगा। उसका लंड डगमगाता हुआ और बाहर निकल कर लंबा होने लगा और जल्दी ही लगभग ज़मीन तक पहुँचने लगा। फिर उसका वो विशाल लंड फूल कर मोटा और कड़क होने गया और अंत में झटक कर उसके पेट के नीचे समानंतर (हॉरिज़ोंटल) उठ गया।

नजीबा ने गधे के नथुने की घरघराहट सुनी तो उसने अपने पीछे तिरछी नज़र डाली और उसकी आँखें हैरत से फैल गयीं। वो इतने बड़े लंड को पहली बार इतनी करीब से देख रही थी। गधे के लंड का सुपाड़ा उसकी तगड़ी छाती तक पहुँच रहा था और उसका वो मोटा लंड खरबूजे जितने बड़े टट्टों से बाहर को विकसित हो रहा था।

नजीबा के चेहरे पर लाली आ गयी और उसने फटाफट अपने बराबर में बैठी शाजिया की तरफ नज़र घुमा ली। शाजिया अपने ड्रिंक की चुसकियाँ लेती हुई कोई किस्सा बता कर हँस रही थी। नजीबा ने अपने ड्रिंक का बड़ा पूँट पिया और उसकी नज़रें चुंबक की तरह उस विराट लंड की तरफ खिंच गयीं। उसका ध्यान शाजिया की बातों में बिल्कुल नहीं था। वो ऐसे ही उसकी बातों पे ‘हाँ... हुँ” कर रही थी। अचानक शाजिया ने नजीबा के हाथ से उसका खली ग्लास लेना चाहा तो नजीबा चौंक गयी और हड़बड़ाहट में उसका हाथ गधे की टाँगों को छू गया। उसे अपने हाथ के नीचे गधे का बलवान शरीर धड़कता सा महसूस हुआ और उसने लंड को भी फड़फड़ाते हुए महसूस किया।


नजीबा ने शाजिया पर एक नज़र डाली कि शाजिया उसे देख तो नहीं रही। शाजिया तो नशे में। डगमगाते हाथों से उन दोनों के लिये फिर से डिंक बना रही थी। नजीबा भी नशे में खुद पर काबू नहीं रख पा रही थी उसने धीरे से अपना हाथ गधे के पेट के नीचे खिसका दिया। उसकी अंगुलियाँ गधे के फड़कते लंड को छूने के लिये सनसना रही थीं। पर जैसे ही गधे को नजीबा का हाथ अपने पेट के नीचे खिसक कर अपने लंड की तरफ बढ़ता महसूस हुअ तो वो उत्तेजना में जोर से रेंकने लगा। शाजिया भी चौंक कर पीछे पलटी कि एकाएक गधे को क्या हो गया।
|
|

नजीबा ने अपना हाथ ठीक समय पर फटाफट हटा लिया और जितना हो सके उतनी सहजता से आगे देखते हुए अपना ड्रिंक पीने लगी। उसे ग्लानि के साथ-साथ काफी उत्तेजना महसूस हो रही थी। उत्तेजना से उसका सिर घूम रहा था पर वो सोच रही थी कि सिर तो इतनी शराब पी लेने की वजह से घुम रहा है। शाजिया ने वैसे भी नजीबा के चेहरे के भावों पर ध्यान नहीं दिया।



शाजिया तो स्वयं आँखें फाड़े और मुँह खोले हुए गधे के विराट लंड को देख रही थी। गधे की टाँगें चौड़ी फैली हुई थीं और शाजिया की नज़र ठीक उसके फूले हुए सुपाड़े पर थी। वो गहरे रंग का विशाल लंड गधे की छाती तक बढ़ा हुआ था और लगभग उसकी अगली टाँगों के आगे निकल रहा था। गधे का लंड अंदर-बाहर ऐसे धड़क रहा था जैसे कि साँस लेते हुए फेफड़े और उसका मूत-छिद्र भी फैला हुआ था और उसमें से अग्रिम वीर्य-रस के कतरे बुदबुदा रहे थे। शाजिया ने उसके लंड की अविश्वसनीय लंबी छड़ पर नज़र दौड़ायी जैसे कि तोप की नाल को देख रही हो और फिर उसे खरबूजे जितने बड़े और प्रचुर वीर्य से भरे हुए आँड दिखायी दिये।
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,441,834 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 537,779 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,208,459 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 913,494 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,619,424 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,052,657 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,904,121 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,900,273 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,971,410 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,371 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)