non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
05-06-2019, 11:38 AM,
#21
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
कुछ क्षणों के लिए तो शाजिया की आँखें उस जानवर के महान लंड पर चिपकी रहीं परंतु फिर अपनी सहेली नजीबा की मौजूदगी का एहसास होते ही उसने स्वयं को सामने देखने के लिए मजबूर किया। शाजिया का मुखड़ा उत्तेजना से लाल हो रहा था और नजीबा के गाल भी अभी तक सुर्ख थे। दोनों औरतें उस गधे के खड़े लंड की वजह से व्याकुल थीं और दोनों स्वयं को ही इसकी उत्तरदायी मान रही थी कि उनकी खुद की गर्म चूत की सुगंध ही उस जानवर के लंड की प्रचंडता का कारण थी।

शाजिया ने पलट कर एक ही पैंट में अपना भरा ग्लास खाली कर दिया। शाजिया की चूत इतनी गर्म हो गयी थी कि उसे लग रह था कि कहीं चूत में से रस के साथ-साथ धुंआ ना निकलने लगे और वो उम्मीद कर रही थी कि नजीबा ने गधे के लंड के प्रति उसकी भावनाओं को कहीं ताड़ ना लिया हो। परंतु नजीबा तो खुद उत्तेजना और कामुक्ता से जली जा रही थी और अपने ख्यालों में थी। वो अपनी चूत की आग बुझाने के लिए बेकरार हो रही थी।

तभी अंदर से फोन घंटी बजी। शाजिया ने पहले तो राज को कॉर्डलेस फोन बाहर लाने के लिए आवाज़ दी पर फिर उसे ध्यान आया कि राज तो घर में है ही नहीं। वो भुनभुनाती । हुई खड़ी हुई पर नशे में इतनी चूर होने के कारण बुरी तरह डगमगा रही थी। इसकी अतिरिक्त ऊँची हील के सैंडल पहने होने की वजह से इतने नशे में दो कदम भी सीधे चल पाना कठिन था पर फिर भी किसी तरह लड़खड़ाती हुई वो फोन सुनने अंदर गयी।

जब वहाँ नजीबा उस उत्तेजित गधे के साथ अकेली रह गयी तो उसने गधे के लंड को | अपने हाथ से छूने की अपनी नापाक विवशता को बड़ी मुश्किल से दबाया। नजीबा को बहुत तीव्र कामना हुई कि अपनी सहेली के वापस आने के पहले शीघ्रता से उसे हाथ में लेकर महसूस करले परंतु उसे भय था कि अगर एक बार उसने उस अद्भुत चुदाई-यंत्र । । को अपने हाथ में ले लिया तो शायद उसे छोड़ नहीं पायेगी।

तभी शाजिया उसी तरह हाई हील पहने नशे में डगमगाती वापस लौटी। नजीबा की तरह शाजिया भी गधे के लंड को सहलाने की दुष्ट इच्छा पर संयम पाने की कोशिश कर रही थी।
सॉरी यार... राँग नंबर था... ऐसे ही रंग में भंग पड़ गया... कितना मजा आ रहा था... चल मैं नये पैग बनाती हूँ... फिर..." शाजिया बोलने पर नजीबा ने बीच में ही उसकी बात काटकर हंसते हुए कहा, “काफी पी ली आज शाजिया... इससे पहले कि मैं यहीं लुढ़क जाऊ मेरा ख्याल है कि मुझे अब बेडरूम में जा कर सो जाना चाहिए... नजीबा की आवाज़ नशे में बहक रही थी।

ओके डियर... पर पहले हमारा गुड ओल्ड ट्रेडिशन... एक-एक वोडका शॉट..." शाजिया बोली। फिर उसने फटाफट दो छोटे-छोटे शॉट ग्लासों में नीट वोडका भरी और दोनों ने एक-दूसरे के बांह में अपनी बांह डाल कर एक ही साँस में वो तगड़ा शॉट पिया। फिर जब नजीबा अंदर जाने के लिये खड़ी हुई तो दूसरी कुर्सी पर गिरते-गिरते बची। शाजिया की तरह ही वो भी नशे में बेहद चूर थी।

इस समय तो बस वो किसी तरह कमरे में जाकर अपनी अंगुलियों से अपनी चूत को चोदकर विस्फोटक रूप से झड़ने का भरपूर आनंद लेना चाह रही थी। वो उसी तरह डगमगाती हुई शाजिया की तरफ बढ़ी और लगभग उस पर गिरते हुए उससे गले मिली।

चल यार! गुड-नाइट... तुझे भी बहुत चढ़ी हुई है.. तू भी आराम कर... सुबह बात करेंगे..” कहते हुए नजीबा ने धीरे से शाजिया के गाल पर चुम्मा दिया और जैसे ही वो चलने के लिए पलटी तो मेज से टकरा गयी। दोनों फिर खिलखिला कर हँस पड़ी।

नजीबा ने गधे के लंड पर एक बार फिर हसरत भरी निगाह डाली और घर की तरफ झूमती हुई चल पड़ी। नशे के कारण वो साढ़े चार-पाँच इंच ऊँची हील के सैंडलों में संतुलन नहीं रख पा रही थी। शाजिया ने उसे जाते हुए देखा और वो वहीं कुर्सी पर लुढ़कती हुई बैठ गयी। उसने नशे में थरथराते हाथों से अपने लिए एक और पैग बनाया। उसका एक हाथ अचेतन ही उसकी सलवार के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा।

नजीबा किसी तरह अपने बेडरूम में पहुँची। नशे और अपनी वासना में उसे दरवाजा बंद करने की सुध नहीं थी। खड़े-खड़े ही उसने फटाफट बेतरतीबी से अपनी साड़ी उतार । फेंकी और आननफ़ानन पेटीकोट भी उतार दिया। पैंटी के ऊपर से उसने अपनी चूत पर अपन हाथ रखा तो चूत इतनी गर्म महसूस हुई कि नजीबा को लगा कि उसकी हथेली पर छाले पड़ जायेंगे। साथ ही पैंटी इतनी तरबतर थी कि नजीबा की हथेली भी भीग गयी। उसने अपनी अंगुलियाँ पैंटी के इलास्टिक में डाल कर पैंटी भी नीचे खिसकायी और निकाल कर एक तरफ उछाल दी। दीवार पर बारहसींगे का सिर लगा था और नजीबा की चूत-रस से तरबतर पैंटी उछल कर बारहसींगे के सींगों में अटक गयी। कुछ क्षणों में उसका ब्लाउज़ कमरे के एक कोने में पड़ा था और ब्रा ऊपर पंखे पर लटकी थी।
Reply
05-06-2019, 11:39 AM,
#22
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
जितनी देर तक नजीबा निर्वस्त्र हो रही थी, वो नशे में ऊंची हील के सैंडल पहने खड़ीखड़ी आगे पीछे गिरती हुई डगमगा रही थी। नजीबा ने झुक कर अपनी चूत निहारी और उसे ताज्जुब हुआ कि वो कितनी उत्तेजित और गरम थी। उसे ऐसा लगा जैसे ज़िंदगी में वो पहले कभी इतनी उत्तेजित नहीं हुई थी। उसकी चूत की गुलाबी फाँकें ऐसे खुली हुई थी जैसे कि मोतियों जैसी ओस की बूंदों से भीगी हुई किसी गुलाब की कली की आ पंखुड़ियाँ खिल रही हों। उसकी चूत की दरार फैल कर अण्डाकार हो गयी थी और चूत की भीतरी परतें चूत रस के झाग से भीगी हुई दिख रही थीं। उसकी तनी हुई गुलाबी क्लिट भी बहर को खड़ी थी। चूत-रस की कईं धारें चू कर नजीबा की भीतरी जाँघों से। नीचे बह रही थीं।


नजीबा ने अपनी अंगुलियों को अपनी चूत पे फिराया तो उसे अपनी सख्त क्लिट थिरकती हुई महसूस हुई। उसने धीरे से सहलाते हुए अपनी अंगुलियाँ चूत के अंदर खिसका दीं। ॥ उसकी चूत में लहरें उठने लगीं और उसके हाथ में और अधिक चूत-रस बह निकला। वो दोनों हाथों से अपनी चूत रगड़ने लगी। वो वहीं फॉयर-प्लेस के पास खड़ी-खड़ी ही अपनी चूत की गर्मी शाँत कर लेना चाहती थी। परंतु उसकी टाँगें बुरी तरह काँप रही थीं और नशे में उन हाई हील सैंडलों में वो टिक कर खड़ी नहीं हो पा रही थी। नजीबा को लगा कि कहीं वो गिर ना पड़े।

नजीबा लड़खड़ाती हुई पास ही रखी चमड़े की कुर्सी पर जा का इस तरह बैठ गयी कि उसकी ठोस गाँड सीट के किनारे पर टिकी थी और उसकी लंबी टाँगें फैली हुई थीं। उसी क्षण उसका काम-रस चूत में से बह कर नजीबा की गाँड के नीचे लैदर की सीट पर फैल गया। एक क्षण के लिए अपनी चूत को बगैर छुए नजीबा ने सारस की भांति अपनी सुराहीदार गर्दन आगे को निकाल कर अपना सिर झुकाया। नजीबा झड़ने के लिए तड़प रही थी किंतु फिर भी वो विलंब कर रही थी। उसे आभास था कि आज उसका कामोन्माद बहुत ही विस्फोटक होगा और वो चूदासी औरत इसी उम्मीद में उत्तेजना से उन्मादित हो रही थी।

थोड़ा और नीचे झुक कर नजीबा ने अपनी टाँगों के बीच में फेंक मारी। उसकी क्लिट धधकने लगी और चूत जलती हुई प्रतीत हुई जैसे कि उसने सुलगती हुई लकड़ी में अपनी साँस फेंक कर उसमें आग भड़का दी हो। अपनी चूत की प्रचंड गर्मी का झोंका उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था। अपनी ही चूत की तीक्ष्ण खशबू से उसकी नाक फड़क उठी। सुगंध लेते हुए वो सोचने लगी कि इसमें आश्चर्य वाली कोई बात नहीं थी कि वो गधा इतना उत्तेजित हो गया था।
|

नजीबा अपनी गोद में आगे झुकी। उसकी जीभ उसके निचले होंठ पर आगे-पीछे फिसलने लगी। उसके मुँह में उसके झगदार थूक के बुलबुले उठने लगे। नजीबा सोच रही थी कि काश वो इतनी लचीली होती कि स्वयं अपनी चूत चाट सकती। उसे अपनी चूत । इतनी स्वादिष्ट और मनोहर लग रही थी कि उसे अपनी जीभ भी अपनी क्लिट जितनी ही उत्तेजित महसूस हो रही थी। कितना अद्भुत होता अगर वो अपनी चूत खा सकती और अपनी फड़फड़ाती जीभ पर झड़ सकती। कितना कामुक रोमांचक होता अगर वो अपनी ही चूत का गरमागरम रस अपने ही मुँह में बहा सकती। झड़ते हुए अपनी ही चूत से काम-रस पीने का दोहरा आनंद कितना निराला होता। ये विचार उसे और उत्तेजित कर रहे थे और साथ ही तड़पा भी रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि ये उसके बस की बात नहीं है। उसने पहले भी कई बार कोशिश की थी।
Reply
05-06-2019, 11:39 AM,
#23
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
हांफते हुए फिर से पीछे हो कर नजीबा अपनी भितरी जाँघों की गर्म और गीली त्वचा पर अपने हाथ फिराने लगी। उसकी गाँड लैदर की सीट पर मथ रही थी और उसका पेट ऊपर-नीचे हो रहा था। उसने अपना एक हाथ चूत की मेंड़ पर रखा और उसकी अंगुलियाँ फिसल कर क्लिट को आहिस्ता से सहलाने लगी।

नजीबा ने अपने दूसरे हाथ की चार अंगुलियाँ आपस में जोड़कर लंड के आकार में । इकट्ठी कीं और धीरे से स्थिरतापूर्वक चूत में अंदर घुसा दीं। उसकी क्लिट प्रबलता से हिलकोरे मारने लगी और चूत से बहुत सारा झाग निकलने लगा। ।

नजीबा थरथराते हुए सिसकने लगी। वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट सहला रही थी। उसकी जाँचें हिलोरे मारते हुए झटक रही थीं। वो जानती थी कि आज तृप्ति के लिए उसे एक से अधिक बार झड़ना पड़ेगा।
-
उसकी पलकें बंद हो गयी और उसके हाथ तीव्रता से चलते हुए कामोन्माद के पहले मलाईदार उत्कर्ष के लिए उद्यम करने लगे। उसकी चूत जितनी गर्मी ही उसके दिमाग में भी चढ़ी हुई थी। कई कल्पनायें और तसवीरें उसके दिमाग में प्रचंड नृत्य कर रही थीं। बारबार उसके ख्यालों में गधे के विशाल लंड की तसवीर ही आ रही थी। उसे एहसास था कि अपनी चूत को अंगुलियों से चोदते हुए जानवरों के लौड़ों की कल्पना करना कितना विकृत था, किंतु ये ख्याल था कितना उत्तेजक और मादक। एक लहराती हुई तरंग उसके पेट और चूत में दौड़ गयी। हांफते हुए नजीबा ने अपनी आ चारों अंगुलियाँ पूरी की पूरी अपनी चूत में घुसा दीं। दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को प्रचंडता से रगड़ते हुए नजीबा अपनी तरबतर चूत के अंदर चारों अंगुलियाँ घुमाने लगी।

अचनक ही वो कामोत्कर्ष पर पहुँच गयी। एक पल वो कामोन्माद के शिखर पर मंडरा रही थी उर दूसरे ही क्षण उसकी चूत ज्वालमुखी की तरह फट पड़ी।

एक के बाद एक लहर उसके शरीर में हिलोरे मारती हुई दौड़ने लगी और एक के बाद ॥ एक ऐंठन उसकी चूत और जाँघों को झंझोड़ने लगी। नजीबा को ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसका पूरा शरीर पिघल रहा है और रगों में चरम आनंद की करोड़ों चिंगारियाँ फूट रही हैं और जैसे उसका दिमाग फट जायेगा और उसकी धमनियाँ काम-रस से भर गयी हैं।

नजीबा आगे झुकी और फिर कमर पीछे मोड़कर अपनी चूत को अंगुलियों से लगातार चोदते हुए उत्तेजना से अपनी चूत का रस निकालने लगी और चरम-आनंद की लहरें श्रृंखला में फूटने लगी। उसकी चूत का अमृत उसके पेट के नीचे झाग बनाने लगा और उसकी धारायें टाँगों से नीचे बहने लगी। उसकी क्लिट में भी बार-बार विस्फोट होने लगा -

और हर विस्फोट के साथ उसकी चूत की गहराइयों से चूत-रस की धार फूट पड़ती।

चूत मे कामोन्माद की एक जोरदार आखिरी लहर ने उसे झंझोड़ कर रख दिया और नजीबा हाँफती हुई कुर्सी पर पीछे फिसल कर मुस्कुराने लगी। उसकी अंगुलियाँ अभी भी उसकी चूत में चल रही थी कि कहीं रोमांच की कोई लहर अंदर ना रह जाये। उसकी उत्तेजना कुछ कम हुई पर जैसे-जैसे उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा, उसकी क्लिट फिर से तनने लगी। इतनी बार झड़ने के कुछ ही क्षणों पश्चात वो चुदक्कड़ औरत फिर से उत्तेजित हो गयी थी।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Reply
05-06-2019, 11:39 AM,
#24
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
उधर शाजिया ने भी अपना पैग खत्म किया और नशे में अपना ग्लास एक तरफ घास पर उछाल दिया। उसकी चूत भी भट्टी की तरह दहक रही थी। उसने अपनी कमीज़ के हुक खोलकर उतार दी। शाजिया ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी और उसकी भारी चूचियाँ बाहर उछल पड़ीं। शाम की पहाड़ी ठंडी हवा चल रही थी जिसके सपर्श से उसके गुलाबी निप्पल तन कर सीधे खड़े थे। शाजिया ने अपनी चुचियों को गूंधते हुए अपने सनसनाते निप्पलों को मरोड़ा। उसके निप्पल मानो उसकी अंगुलियों में तड़क-से उठे। उसने अपनी चूचियों को हाथों में भरकर ऊपर उठाया और साथ ही अपनी गर्दन झुका कर अपना सिर नीचे गिरा दिया। उसकी जीभ चाबुक की तरह बाहर निकली और गरम शाजिया अपनी जीभ से अपने निप्पल चाटने लगी। पहले उसने अपने एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसा और फिर दूसरे निप्पल को चूसने लगी।
|
उमममम” वो आनंद से बिल्ली जैसी घुरघुरायी। वो जल्दी ही अपने बेडरूम में जाकर औरंगजेब और टीपू से चुदाई की आकांक्षा कर रही थी। परंतु वो चाहती थी कि पहले। नजीबा दूसरे बेडरूम में ठीक से सो जाये, फिर वो अंदर अपने बेडरूम में कुत्तों के
लौड़ों से अपनी चूत को शांत करेगी। वो जानती थी कि नजीबा भी अय्याश और चुदक्कड़ | किस्म की औरत है पर उसे डर था कि कुत्तों से चुदाई का विषय शायद नजीबा सहजता
से नहीं ले पायेगी। इसलिए शाजिया ने कुछ देर तक वहीं बैठ कर अपने हाथों से मज़ा लेने का निश्चय किया। उसने अपनी गर्दन घुमा कर देखा तो वो गधा नदारद था। शायद वो अपने छप्पर में चला गया था। उस गधे के विशाल लंड के दर्शन ने उसे अत्यधिक उत्तेजित कर दिया था।
। उसने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और टाँगों से सलवार नीचे खिसकाने लगी। सलवार
के नीचे उसने काले रंग की बिकिनी पैंटी पहनी हुई थी जो महज एक सिल्क के बारीक पट्टे जितनी थी। चूत के ऊपर का पैंटी का पतला सा पट्टा शाजिया के चूत-रस से तरबतर था और पैंटी के काले रेशमी कपड़े में से चूत-रस की सफ़ेद धारियाँ निकल रही थी। उसने पैंटी भी नीचे खींच कर एक तरफ घास पर उछाल दी। वो पैंटी जमीन पर ऐसे गिरी जैसे कि भीगे परों वाला काला पतंगा पड़ा हो। शाजिया की चूत का अमृत उसकी चिकनी अंदरूनी जाँघों पर बह निकला।
Reply
05-06-2019, 11:39 AM,
#25
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
छप्पर की दिशा से शाजिया को गधे के रेंकने की मंद सी आवाज़ आयी। उसे गधे के विशाल लंड के बारे में सोचने के कारण ही शाजिया की चूत का ये हाल था। शाजिया ने झुक कर अपनी चूत को निहारा। नजीबा की तरह उसने भी कई बार कोशिश की थी अपनी चूत स्वयं चाट सके पर कभी सफ़ल नहीं हो पायी थी। चूत-रस उसे बहुत स्वादिष्ट लगता था। कॉलेज के दिनों में हॉस्टल में वो दूसरी लड़कियों की चूत चाट कर उनके चूत-रस का पान करती थी और अपनी चूत दूसरी लड़कियों से चुसवाती थी। परंतु पिछले कई वर्षों से वो किसी लड़की या औरत के साथ हमबिस्तर नहीं हुई थी। शाजिया को नजीबा का ख्याल आया। दोनों ने हॉस्टल में कितनी ही बार एक दूसरे की चूत चाटी थी। नजीबा आज भी उसे काफी सैक्सी लगी थी। शाजिया ने सोचा कि नजीबा के वापिस जाने के पहले एक बार उसे को रिझा कर जरूर चुदाई करेगी। पर इस समय तो गधे के लंड का विचार उसके ख्यालों में था और अपनी चूत की ज्वाला शांत करने के लिए उसे अपने दोनों कुत्तों के लौड़ों की जरूरत थी।
,
वो अपनी चूत-रस से भीगी अंदरूनी जाँचें सहलाने लगी और बीच-बीच में चूत पर भी हाथ फेरने लगी। उसकी चूत के होंठ फड़कते हुए फैल गये और उसकी क्लिट किसी बंदूक की गोली की तरह छूट कर बाहर को निकली। शाजिया की चूत में से मादक सुगंध बाहर बह कर मंद-सी ठंडी सुहानी हवा में फैलने लगी।

शाजिया की चूत की मीठी सुगंध हवा के साथ बह कर पीछे छप्पर तक पहुँची जहाँ वो गधा खड़ा था और उसका लंड अभी भी उसकी टाँगों के बीच झूल रहा था। उसके मुलायम | और गीले नथुने फड़कने लगे और चूत की खुशबू से उसका लंड हथौड़े की तरह हवा को कूटने लगा और उसके बड़े आँड उसकी पिछली टाँगों के बीच में घूमने लगे। वो लालसा स रकने लगा।


शाजिया को उसकी विलापी कराहट सुनायी दी और उसकी अंगुलियाँ चूत में धंस गयी। उसे ख्याल आया कि गधे का लंड कितना विशाल, कठोर और गरम था - और निश्चय ही इस समय भी वो इसी अवस्था में होगा। इस ख्याल ने उसके अंदर एक नयी प्रेरना फेंक दी। और वो पूरे जोश में अपनी चूत में चार अंगुलियाँ डाल कर चोदने लगी। उसकी क्लिट जोर से फड़क रही थी और उसकी अंगारे जैसी चूत से उसका अमृत-रस किसी छोटेसे दरिया कि तरह बाहर बहने लगा।

छप्पर में से फिर गधे का विलाप सुनायी पड़ा और शाजिया का हाथ एक बार फिर धीरे पड़ गया।

अगर गधे के लंड और टट्टों की कल्पना करके अपनी चूत को अंगुलियों से चोदने में | इतना रोमाँच आ रहा था तो उसे यथार्थ में देखते हुए झड़ने में कितना मज़ा आयेगा। नशे
में चूर उसके दिमाग में नयी लालसा छा रही थी। उसने अपना सिर झटका तो गधे के लंड की तसवीर थोड़ी सी डाँवाडोल हुई पर मिटी नहीं। ऐसा लग रहा था जैसे उस मुर्ख गधे के मूसल जैसे लंड की तसवीर शाजिया के दिमाग में छप गयी थी। उसे अपनी विकृत कामना पर हल्की सी ग्लानि हुई पर ये ग्लानि क्षण भर का एक तुच्छ मनोभाव था जो काम लिप्सा और उत्तेजना की गरमी में आसानी से पिघल गया। शाजिया के होंठों पर एक मुस्कुराहट आयी और उसने फैसला कर लिया।

वो छप्पर में जायेगी और अपनी चूत को अंगुलियों से चोदते हुए जब तक जोर से झड़ नहीं जाती तब तक गधे के लंड और टट्टों पर अपनी आँखें सेंकेगी।
|
ये इतना भी विकृत नहीं था, शाजिया ने स्वयं को आश्वासित किया। लंड को देखना उसकी कल्पना करने के बराबर ही तो था -- और निस्संदेह इतना ही उसका इरादा था। हालांकि उसने गधों और घोड़ों के लंड को चूसने और चुदने की अनेक बार कल्पना की थी पर शाजिया को अपने ऊपर भरोसा था। और अगर उसके दिमाग में संदेह था भी तो आश्वासन के लिये नशे में वो जोर से चिल्लाते हुए बोली, “मैं सिर्फ उसके लंड को निहारूगी?”

फिर उसने अपनी गर्दन हिलायी जैसे कि आश्वासित हो गयी हो।

अपने विकृत इरादों से वो और भी उत्तेजित हो गयी हालांकि उसे एहसास नहीं था कि उसकी करतूत कितनी विकृत होने वाली थी। नजीबा की नामौजूदगी के आश्वासन के लिए शाजिया ने एक बार घर के दरवाजे की तरफ देखा। वो अपनी दुराचारी हरकतों में नजीबा द्वारा कोई बखेड़ा नहीं चाहती थी पर नजीबा का वहाँ कोई नामोनिशान नहीं था।

असल में, नजीबा जो खुद कुछ कम नहीं थी, घर के अंदर अपनी ही हरकतों में लिप्त थी - और जल्दी ही और भी ज्यादा व्यस्त होने वाली थी जिसका ना तो उसे और न ही शाजिया को एहसास था।
Reply
05-06-2019, 11:39 AM,
#26
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया नशे में नंगी ही हाई हील के सैंडल पहने लड़खड़ाती खड़ी हुई उसकी पहली ठोकर घास में गिरी हुई वोडका की बोतल पर लगी। उसने झुक कर वो बोतल उठा ली। उसमें थोड़ी सी वोडका बाकी थी और वो बोतल से पूँट पीती हुई छप्पर की तरफ बढ़ी। चलते हुए उसकी नंगी चूत ऐसे महसूस हो रही थी जैसे उसमें से भाप निकल रही हो। शाजिया का बदन उत्तेजना से काँप रहा था और वो नशे में काफी चूर थी। इस वजह से ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में उसके कदम सीधे नहीं पड़ रहे थे और वो छप्पर तक पहुँचने तक तीन-चार बार गिरी।

जैसे-जैसे शाजिया छप्पर के नज़दीक आ रही थी, उसकी गरम चूत की महक छप्पर में तेज़ होती जा रही थी। शाजिया को उस उत्तेजित गधे के पैरों की ज़मीन पर ठाप सुनायी दी। छप्पर के द्वार पर वो कुछ क्षण के लिए रुकी और धीरे से बहती हुई शीतल हवा से उसके लंबे काले बाल उड़कर उसके चेहरे पर आ गये और उसे लगा जैसे वो शीतल हवा उसकी चूत की आग को भड़का रही हो। उस मुर्ख गधे ने अपना सिर उछाल कर शाजिया की तरफ देखा। गधे की अकड़ी हुई गर्दन के बाल भी सीधे खड़े हो गये जब वो अपने दाँतों के पीछे अपने भीगे होंठ मोड़कर जोर से घुरघुराया तो उसके जबड़ों से थूक की बौंछार सी निकल गयी।

शाजिया अंदर दाखिल हुई और बोतल में से वोडका की आखिरी पूँट पी कर दरवाजा बंद कर दिया। लकड़ी के खंबे के सहारे खड़े हो कर शाजिया ने उस जानवर के अविश्वसनीय लंड पर अपनी निगाह डाली। और कुछ नहीं तो उसका लंड पहले से अधिक बड़ा हो

गया लग रहा था। चूत को रगड़ते हुए देखने के लिए कितना रोमांचक नज़ारा था।
-
इतना विशाल और काला, नंगा लंड बालों से भरे खोल में से बाहर निकल कर खड़ा था। उसके चिकने सुपाड़े पर वीर्य की कुछ दूधिया बँदें चमक रही थी।
- |
गधे के लंड और टट्टों को घूरते हुए शाजिया ने बोतल अपने होंठों से लगायी पर जब उसे एहसास हुआ कि वो खाली है तो उसने वो बोतल एक तरफ पटक दी और अपना हाथ चूत पे रख कर अपनी अंगुलियाँ दहकती हुई चूत में घुसा दीं। गधे ने जब उसकी मलाईदार चूत को देखा तो उसकी आखें बाहर को उभर आयीं। उसकी लाल जीभ राल टपकाती हुई उसके खुले जबड़े के किनारे फिसलने लगी। शाजिया जैसी चुदक्कड़ और कामुक औरत के लिए काफी रोमाँचक बात थी कि एक उत्तेजित गधा इतनी लालसा से उसकी चूत को घूर रहा था। उतना ही और रोमाँच शाजिया को गधे के लंड और टट्टों को निहारने में भी आ रहा था। नशे के कारण शाजिया एक जगह स्थिर खड़ी नहीं हो पा रही थी। इसलिए उसने लकड़ी के खंबे पर अपनी पीठ टिका कर अपने घुटने थोड़े से नीचे झुका लिए और गधे को अपनी खुली चूत का दर्शन करवाने लगी।

वो गधा घुरघुराया और उसके फटफटाते होंठों से बुदबुदाने की अवाज़ आने लगी। उसके पुष्ठ बदन में तनाव की लहरें उठ रही थीं। उसका लंड अकड़ कर ऐसे फूल गया था कि शाजिया को लग रहा था कि वो लंड की ठनठनाहट सुन रही थी।

शाजिया ने अपनी क्लिट रगड़ी तो उसका बदन थरथरा उठा। उसने अपनी दो अंगुलियाँ धीरे से चूत में अंदर तक घुसा दीं और उन्हें चूत में घुमाने लगी। गधे की नज़रें शाजिया की चूत पर ऐसे गड़ी थीं जैसे वो अपनी नज़रों से उसे सहला रहा हो। शाजिया के चूत-अमृत की एक धार चू कर उसकी टाँग से नीचे की ओर बह गयी। उसनी अपनी अंगुलियाँ पूरी । अंदर तक घुसा दीं और फिर उसने धीरे से बाहर खींची तो उसकी तंग चूत जैसे उसकी अंगुलियों को अंदर चूसने लगी और उसकी चूत का रस उसकी चुल्लू बनी हथेली में भर गया। शाजिया ने फिर अपनी अंगुलियाँ अंदर घुसा दीं और अंदर-बाहर चोदते हुए अपना अंगूठा क्लिट पर आगे-पीछे फिराने लगी।

उसके चेहरे पर विकृति और नीचता छायी हुई थी, आखें सिकुड़ कर बारीक हो गयी थी। और हाँफते होंठ खुले हुए थे। उसकी भी राल बह रही थी - पर उतनी नहीं जितनी उस उत्तेजित गधे की बह रही थी। उस गधे का थुथन थूक से बुरी तरह लिसड़ा हुआ था।

अपने हाथ पर अपनी चूत को ऊपर-नीचे चोदते हुए शाजिया की गाँड आगे-पीछे झटक रही थी। उसका बहता चूत-रस और भी गर्म और सुगंधित हो गया और उस गधे ने अपनी पुष्ट गर्दन तान कर शाजिया की तरफ अपना सिर ढकेल दिया। उसकी जीभ बाहर निकली हुई थी और किनारों से टपक रही थी। उसके मुँह से इतनी राल टपक रही थी कि उसकी जीभ मुँह में गोते लगाती प्रतीत हो रही थी।
Reply
05-06-2019, 11:40 AM,
#27
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया कामोत्तेजना से अभिभुत हो रही थी। उसकी टाँगें काँप रही थीं और सिर घूम रहा था। अपनी चूत में अंगुलियाँ अंदर-बाहर चोदती हुई शाजिया गधे के निकट खिसक गयी। उसने अपना हाथ चूत से हटया। उसकी अंगुलियों पर चूत-अमृत बह रहा था और उसकी हथेली भी मलाईदार द्रव्य से प्लावित थी। शाजिया ने अपना हाथ गधे के थुथन के नज़दीक लाया तो गधे के नथुने फड़कने लगे और उसकी आँखें चमक उठी। उसकी जीभ बाहर लपकी और और उस गधे ने शाजिया के हाथ से चूत-रस सुड़कना शुरू कर दिया।
|
आ गधे की भीगी हुई गर्म जीभ काफी फुर्तीली और अधीर थी। जब वो गधा अपनी भीगी।
जीभ से इतनी उत्साह से उसका हाथ चाट रहा था तो शाजिया के विकृत दिमाग में ये ख्याल आना स्वाभाविक था कि गधे की जीभ उसकी चूत पर फिरती हुई कैसी महसूस होगी।
शाजिया अपने हाथ बदलने लगी। वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत चोदती और दूसरा हाथ गधे के थुथन को पेश करती और फिर हाथ बदल लेती। चूत के मलाईदार रस से भीगा हुआ शाजिया का हाथ गधे के थुथन पर जाता और फिर जब वो हाथ चूत पर वापस आता तो उस उत्तेजित जीव के थूक से तरबतर होता।
2
ऊम्म --- कोशिश करू क्या?” शाजिया ने सोचा। उसकी अन्तरात्मा विरोध कर रही थी। पर वो विकृत वासना से अभिभुत थी। सिर्फ उसकी जीभ ही तो है, उसने स्वयंसेवी तर्क किया। वो पहले से मेरे हाथ से चूत क रस चाट रहा है तो सीधे चूत से रस चाटने में क्या बुराई है। औरंगजेब और टीपू भी तो मेरी चूत चाटते हैं और फिर जीभ ही तो है... मैं कौनसा इससे चुदवाने वाली हैं। बेचारा इतना उत्तेजित है... मैं तो सिर्फ इसकी सहायता कर रही हैं... एक बेजुबान जानवर के प्रति दया। और फिर जब मैं इसकी जीभ पर झड़ेंगी तो मेरी चूत भी शाँत हो जायेगी, जिससे वासना में बह कर और आगे बढ़ने का खतरा भी नहीं रहेगा?”

यहाँ तक कि शाजिया अपने तर्क पर मुस्कुराये बिना नहीं रह सकी। शाजिया गधे के और नज़दीक आ गयी और अपनी चिकनी जाँचें फैलाते हुए अपने घुटने थोड़े से झुका कर उसने अपनी चूत ऊपर को ठेल दी। शाजिया ने अपने दोनों हाथ अपनी टाँगों के बीच में ले जाकर अपनी लचीली चूत के होंठ फैला दिये और चूत को मलाई के कटोरे की तरह खोल दिया।
|
गधे ने अपना थुथन शाजिया की जाँघों के बीच में ढकेल दिया। शाजिया थरथरा उठी जब उसे अपनी चूत पे गधे का थुथन फड़कता हुआ महसूस हुआ। जब वो गधा घुरघुराया तो उसकी गर्म साँस सीधे शाजिया की चूत में लहरा गयी। उसका मुलायम थुथन शाजिया की क्लिट पर रगड़ा और वो कठोर कलिका ऐंठ कर फड़फड़ाने लगी।
“ओहह” शाजिया ने गहरी साँस ली, “भोसड़ी के
|

शाजिया ने अपनी चूत के अधर और भी चौड़े खोल दिये और उन लचीले अधरों को गधे के थुथन पर इस तरह खींच के अपनी चूत उसके थुथन पर घुमाने लगी जैसे कि लंड पर कॉन्डम चढ़ा रही हो।

गधा उसकी चूत में घरघराया और फिर चूत की भिनी सुगंध अपनी नाक में खिंची। उसकी नाक चूत में फड़क रही थी। उसकी जीभ धीरे-धीरे बाहर फिसलने लगी, जैसे कि वो । गधा अनिश्चित हो कि क्या करना है। गर्म चूत की सुगंध से वो गधा अवश्य परिचित था। वो एक चोदू गधा था जिसने अपने जीवन में कईं गधियों को चोदा था। परंतु पहले कभी उसके थुथन पर किसी औरत की चूत नहीं दबायी गयी थी और इसलिए वो चकराया हुआ था।


पर फिर उसकी पाश्विक फितरत ने उसे अपने प्रभाव में ले लिया। वो शाजिया की चूत के बाहर चाटते हुए चूत के अंदर सुड़कने लगा और फिर उसने अपनी लंबी जीभ सीधे शाजिया की चूत में घुसेड़ दी। शाजिया जोर-जोर से कराहने और सिसकने लगी। गधे की जीभ इतनी बड़ी थी कि वो शाजिया की चूत इतनी अंदर तक भर रही थी जितना की औसत लंड | उसकी चूत भर सकता था।
Reply
05-06-2019, 11:40 AM,
#28
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया गधे के थुथन के सहारे हिलने-डुलने लगी। शाजिया का सुडौल बदन पूरा काँप रहा था


और वो आनंद और उत्तेजना से कराह रही थी। उसके चुत्तड़ गोल-गोल घूम रहे थे और म उसकी कमर आगे-पीछे हो रही थी। चूत को फैला कर खोलने के लिए शाजिया को अब
अपने हाथों की जरूरत नहीं थी। वो अब उस गधे का सिर पकड़ कर अपनी टाँगों के बीच में दबा रही थी। गधे को भी अब और प्रोत्साहन की जरूरत नहीं थी। वो भी पूरे । आवेश से शाजिया की चूत में चर रहा था।


गधा इतना भी मुर्ख नहीं था और जल्दी ही सीख गया। स्थिति से डरे बगैर, वो शाजिया की चूत में अपनी जीभ ऊपर-नीचे चोद रहा था। चोदने में उसकी जीभ किसी भी मानव लंड से कम नहीं थी।
"
गधे के सिर को अपने हाथों में थामे हुए शाजिया अपनी चूत उस पर रगड़ रही थी। हलांकि शाजिया हाई-हील के सैंडल पहने हुए थी, पर फिर भी वो अपने पैरों के पंजे और मोड़ कर
ऊपर उठी और फिर वापस झुक गयी। गधे का सिर भी उसके साथ ऊपर-नीचे हुआ। जब । । शाजिया की जाँघों पर उसका चूत रस बहने लगा तो गधे ने सिर झुका कर चूत-रस की धार को मुंह में सुड़क लिया, और फिर ऊपर उठा कर चूत के बाहर लगी मलाई को चाटने लगा।


शाजिया ने खुद को और आगे ढकेल दिया जैसे कि वो गधे का पूरा सिर अपनी चूत में लेने । की कोशिश कर रही हो। गधे की जीभ के किनारों से शाजिया के चूत-रस के मोतियों की लढू लटकी हुई थीं। शाजिया फिर अपने पंजे मोड़ कर ऊची उठी। गधे का थुथन उसकी चूत पर फिसला और उसकी लंबी जीभ शाजिया के चूतड़ों की दरार में लिपट गयी। शाजिया के गाँड के छिद्र से चूत तक सुड़कती हुई गधे की जीभ धीरे से वापस खिसकी।


गधे का भूरा थुथन शाजिया की चूत की मलाई से भीगा हुआ था और उसकी जीभ भी उस स्वादिष्ट द्रव्य से तरबतर थी। वो भी शाजिया की चूत में राल बहा रहा था। उसका थूक बुदबुदा कर निकलता हुआ शाजिया की चूत की मलाई में मिश्रित हो रहा था जिससे शाजिया की चूत और जाँचें दलदल में परिवर्तित हो गयी थीं।।
-
शाजिया ने अपने हाथ नीचे, गधे के जबड़े के पास ले जाकर उसकी जीभ अपनी अंगुलियों | में पकड़ ली और उसकी जीभ को इस तरह अपनी क्लिट पर रगड़ने लगी जैसे कि वो वायब्रेटर से चुदाई कर रही हो परंतु किसी भी प्लास्टिक के वायब्रेटर से उसे इतना मज़ा


नहीं मिला था। वो जानती थी कि इस समय गधे के साथ जो वो कर रही है वो समाज - के लिए विकृति है पर यह एहसास ही उसकी उत्तेजना और रोमांच को बढ़ा रहा था।
शाजिया ने गधे की जीभ अपनी चूत में भर ली। शाजिया की चूत ने उस जीभ को चारों तरफ से झटक लिया और चूत की दीवारें जीभ को चूसती और अंदर खींचती हुई उस पर चिपकने लगी। गधे की जीभ भी सरकती और फिसलती हुई शाजिया की चूत के अंदर धड़कने लगी। गधे ने जीभ और अंदर ठेल दी और फिर धीरे से वापस खींच कर शाजिया की क्लिट पर सुड़कने लगा।


शाजिया ने अब झड़ना शुरू कर दिया। शाजिया को ऐसा लग रहा था जैसे कामोत्कर्ष का चरम आनंद उसकी ऐड़ियों से शुरू होकर उसकी काँपती टाँगों से ऊपर बहता हुआ चूत में अकर फूटेगा। शाजिया की क्लिट में विस्फोट हुआ और उसकी चूत पिघल उठी। शाजिया की चूत से चूत-रस की गर्म मलाई बाहर बहने लगी तो शाजिया गधे के थुथन पर जोर-जोर से झटकने और अपनी चूत पीटने लगी।


जब शाजिया का तीखा और पिघले मोतियों जैसा गाढ़ा और गर्म चूत-रस गधे की स्वादग्रंथियों पर बहने लगा तो गधे की जीभ पागलों की तरह उसे सुड़कने लगी और गधा जोर से रेंकने लगा। शाजिया की गाँड और चूतड़ आगे-पीछे हिलने लगे और गधे की जीभ चूत के अंदर फावड़े की तरह खोदती हुई जल्दी-जल्दी चूत-रस पीने की चेष्टा करने लगी।

|


शाजिया का बदन ऐंठ कर झनझनाने लगा और वो आनंद से चीखने लगी। वो झटकने, काँपने और लड़खड़ाने लगी और जोश से उसे चकर आने लगा। उसे अपनी टाँगें नरम होती महसूस हुईं और उसकी सारी शक्ति चरमानंद की गर्मी में पिघलने लगी। शाजिया अपने उत्कर्ष पर वहाँ चिपकी हुई मीठे स्वर्गसुख की खाई के ऊपर झूल रही थी। गधे की जीभ ने चाटना जारी रखा और शाजिया के अंदर आनंद की एक और तरंग छेड़ते हुए गधा चूतरस का पान कर रहा था।


झनझनाते हुए आखिरी झटके के साथ शाजिया फिर जोर से चीखी और फिर अस्थिर कदमों से पीछे हट गयी। गधे ने अपना सिर शाजिया के साथ-साथ पीछे ढकेला और आखिरी बार | सुड़कते हुए अपनी जीभ उसकी चूत पर फिरायी। शाजिया में खड़े रहने की शक्ति नहीं बची थी इसलिए वो अपने घुटने जमीन पर टिका कर बैठ गयी। अधखुली आंखों से शाजिया ने गधे पर दृष्टि डाली - उसकी जीभ से जो अदभुत रोमाँच और आनंद शाजिया को मिला था, उसके लिए कृतज्ञता भरी दृष्टि थी। शाजिया ने देखा कि गधे का जबड़ा और थुथन उसके चूत-रस से दमक रहा था।


गधे ने भी शाजिया को निहारा। गधे के भाव आशापूर्ण थे। शाजिया की चूचियाँ ऊपर-नीचे उठ रही थीं और वो अपनी साँसों पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही थी। गधा भी हाँफ सा रहा था। गधे के चेहरे के भाव बदले और उसकी बड़ी आँखों पर उसकी पलकें झुक गयी और वो उदास दिखने लग। शाजिया ने ऐसे ही सोचा कि शायद गधा उसके पीछे हट जाने से उदास है। क्या उसकी अतृप्य जीभ उसकी चूत को और चाटना चाहती थी। शाजिया ने झुक कर अपनी टाँगों के बीच में देखा। उसकी चूत और जाँचें गधे के थूक से सराबोर थीं।
Reply
05-06-2019, 11:40 AM,
#29
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया सोचने लगी कि क्या वो एक बार फिर इस तरह झड़ सकती है। ख्याल तो सुखद था और उसे विश्वास था कि गधा भी एक बार फिर उसकी चूत का स्वाद लेना पसंद करेगा। उसे ये भी विश्वास था कि नजीबा अब तक तो सो चुकी होगी और उसके वहाँ आकर शाजिया को गधे की जीभ से अपनी चूत चटवाते हुए देख लेने की कोई संभावना नहीं थी। शाजिया अपनी चूत और गधे के थुथन को बारी-बारी देखने लगी।


लेकिन तभी गधे ने अपना सिर उछाला और फिर घूम कर तिरछा खड़ा हो गया। शाजिया की आँखों के सामने गधे का लौड़ा लहराने लगा। जब वो उत्साह से शाजिया की चूत चाट रहा था तो उसका लंड और भी विशाल हो गया था। उसका लौड़ा इतना विशाल दिख रहा था जैसे कि कल्पित प्रतिमा हो, काले पत्थर से गढ़ा हआ खंबा।


ओहह! बेचारा जानवर'', शाजिया ने सोचा। “मैं भी कितनी स्वार्थी हैं जो अपने मजे के लिए इस बे-जुबान जानवर को इतना उत्तेजित कर दिया और अपनी चूत की शान्ति के बाद इसे तड़पता हुआ छोड़ रही हैं।
-

शाजिया ने ज़िंदगी में कभी भी किसी जानवर के प्रति क्रूरता नहीं की थी और ना ही वो अब ऐसा कर सकती थी...

घर के अंदर गेस्ट-बेडरूम में नजीबा की चूत में फिर से मीठी लहरें उठ रही थीं और उसकी अंगुलियाँ एक बार फिर चूत में अंदर-बाहर हो रही थीं। नजीबा को दूर से गधे के रेंकने की आवाज़ आ रही थी जो उसकी चूत की दहकती ज्वाला में घी का काम कर रही ।

नजीबा के होंठों पे मुस्कुराहट आ गयी। वो सोच रही थी की दो-तीन दिन में वो अपने घर चली जायेगी। काश उसे उस गधे के लंड और टट्टों से खेलने का और सहलाने का मौका मिले। परंतु उसे सावधान रहना होगा। अगर शाजिया ने या किसी और ने उसे गधे का लंड सहलाते हुए देख लिया तो बहुत शर्मिन्दगी होगी और उसकी इज्जत खाक में मिल जायेगी। नजीबा क्या पता था कि बाहर शाजिया पहले से इस समय गधे के साथ ये सब कर। रही थी।

नजीबा कल्पना कर रही थी कि उसके हाथों में फड़कता हुआ वो विशाल लंड कैसा महसूस होगा। उसे खुद पे आश्चर्य हुआ जब वो यहाँ तक सोचने लगी कि उस लंड का स्वाद कैसा होगा। “राँड नजीबा?” उसने सोच, “ये तो हद ही हो जायेगी?' नजीबा की चूत से चिपचिपा रस फिर बाहर बहने लगा था और वो जोर-जोर से अपनी चूत को | अंगुलियों से चोद रही थी।
अंगुलियों से चोद रही थी।

और तभी उसे कुत्तों के भौंकने की आवाज़ सुनायी दी।

औरंगजेब और टीपू, शाजिया के बेडरूम में सुस्ता रहे थे। नजीबा की चूत की गंध हवा में। फैली तो दोनों सिर उठा कर खुशबूदार हवा को सँघने लगे और फिर उत्तेजना से भौंकने लगे। उन दोनों के लंड अपने खोल में से निकल आये थे और आँड भी सुजने लगे थे। भौंकते हुए दोनों कुत्ते चूत की मीठी सुगन्ध के पीछे उछलते हुए भागे।

जब नजीबा ने कुत्तों को भौंकते और गुर्राते हुए सुना तो उसने अपनी चूत को हाथ से ढक कर ऊपर देखा। गुस्से से नजीबा की भौंहें चढ़ गयीं। उसका ख्याल था कि शाजिया ने उन्हें अपने बेडरूम में बंद कर रखा था पर शायद जब शाजिया फोन सुनने अंदर आयी थी।

तो दरवाजा बंद करना भूल गयी होगी।
Reply
05-06-2019, 11:40 AM,
#30
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
कुत्ते कहीं इस कमरे में आकर उसके आनन्द में बाधा ना डालें, इसलिए वो अपने बेडरूम का दरवाजा बंद करने के लिये उठी पर खड़ी होते ही नशे के कारण कार्पेट पर लुढ़क गयी। तभी वो दोनों कुत्ते लपकते हुए कमरे में घुसते हुए दिखायी दिये।


दोनों काफी डरावने लग रहे थे। उनके नुकीले सफ़ेद दाँत चमक रहे थे और दोनों के जबड़ों से राल टपक रही थी। डर के कारण, नजीबा का ध्यान उनके सख्त लौड़ों की तरफ नहीं गया था और उसे लग रहा था कि कुत्ते उस पर हमला करने वले हैं। वो फिर से उठी और डर से चिल्लाती और नशे में डगमगाती हुई बिस्तर की तरफ लपकी। कुत्ते भी उसके पीछे लपके तो वो डर से चीखी। उसे कुत्तों की साँसें अपने चूतड़ों पर महसूस होने लगी। कुत्तों की लंबी लाल जीभें बाहर झूल रही थीं।


बचाओ' नजीबा दहाड़ी।

कुत्ते भी भौंकते हुए गुर्रा रहे थे। दोनों अपने सिर बढ़ा कर नजीबा के चूतड़ चाटने लगे। नजीबा फिर जोर से चिल्लायी जब उसे अपनी गाँड पर उनकी जीभें महसूस हुई और उसे लगने लगा कि कुछ ही पलों में उनके दाँत उसके चूतड़ों में गड़ने वाले हैं। तभी । टीपू उसके ऊपर कूदा।

टीपू ने उछल कर अपनी अगली टाँगें नजीबा के कुल्हों के इर्द-गिर्द लपेट दीं। नजीबा पहले ही नशे और हाई-हील की सैंडल के कारण लड़खड़ा रही थी और कुत्ते के वजन की वजह से वो टीपू को अपने साथ घसीटती हुई दो कदम और बढ़ी और फिर लुढ़क कर ज़मीन पर गिर पड़ी।

टीपू ने नजीबा को कस कर जकड़ लिया। नजीबा ये सोच कर बिल्कुल सहम गयी कि उस कुत्ते के नुकीले दाँत उसके मुलायम शरीर को फाड़ डालेंगे। नजीबा को लगा कि जल्दी ही दोनों वहशी कुत्ते उसे चीर डालेंगे। नजीबा खुद को उस जिद्दी कुत्ते से दूर घसीटने की कोशिश करने लगी। संयोग से वो अपने घुटनों और हाथों के बल झुकी थी - कुत्तों के चोदने की मुद्रा।


“ओह, नहीं वो सुबकने लगी।

नजीबा घसिटती हुई दूर होने लगी तो टीपू ने अपनी जकड़ बनाये रखी और अपने अगले पंजों से पीछे खींचने लगा। इससे नजीबा की गाँड ऊपर उठ गयी और उसका सिर ज़मीन पर कार्पेट पे झुक गया। ये सोच कर कि अब वो मारी जाने वाली है, नजीबा हताश होकर सुबकने लगी। वो सिर्फ बत्तीस साल की थी और ये उम्र मरने के लिए बहुत छोटी थी। अभी तो बहुत सारी चीजें थीं जिनका उसे अपने जीवन में अनुभव नहीं हुआ। था - जैसे की गधे के लंड को सहलाना - और अब ये जंगली कुत्ते उसे नोच कर खाने वाले थे।


परंतु उस कुत्ते ने उसे काटा नहीं।

नजीबा का डर कुछ कम हुआ। हैरानी से उसकी भौंहें चढ़ गयीं। क्या वो कुत्ता सिर्फ स्नेह दिखा रहा था? दिखा रहा था? ।

फिर टीपू अपने कुल्हे आगे पीछे हिलाने लगा।

मादरचोद” नजीबा ने सोचा, “ये चोदू कुत्ते खाने के नहीं बल्कि चुदाई के भूखे हैं।

नजीबा राहत से खिलखिलायी। टीपू उसके चूतड़ों से चिपका हुआ अपने कुल्हे आगे पीछे हिला रहा था। अपनी लालसा में वो नजीबा की चूत से चूक रहा था। उसका सख्त लंड नजीबा के चूतड़ से टकरा कर पीछे होता और उसकी आँघों के पीछे सरक जाता।।

नजीबा को विश्वास हो गया कि वो किसी प्रकार के खतरे में नहीं थी। वो कुत्ते उसे मारने वाले नहीं थे और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसके पीछे वाला कुत्ता उसका बलात्कार भी नहीं कर पा रहा था। उसका बड़ा लंड जोश में आगे पीछे कूट रहा था पर उसे सही कोण नहीं मिल रहा था। नजीबा ने स्वयं से तर्क किया कि उसे सिर्फ थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा जब तक कुत्ते की उत्तेजना कम नहीं हो जाती। या फिर वो स्वयं ही उसे अपनी चूत में लंड घुसेड़ने में मदद कर दे
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,298,111 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,113 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,150,265 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 871,451 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,541,317 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,986,091 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,795,403 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,511,280 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,823,942 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,019 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)