05-06-2019, 11:46 AM,
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
इसके अतिरिक्त, उसकी मालकिन के ऊपर उसकी हम-उम्र सहेली झुकी हुई, उल्टी हो कर उनहत्तर की मुद्रा में सवार थी। उसने देखा कि शाजिया मैडम की जीभ अपनी सहेली नजीबा की रसभरी चूत में लपलपा रही थी और अपना सिर एक तरफ तिरछा करके राज ने देखा कि नजीबा की जीभ भी लोलुप्ता से गधे के लौड़े और शाजिया की चूत पर फिर रही थी। वो खुद भी चूत चाटने का शौकीन था, इसलिये चूत के चाटने का मोह समझ सकता था - लेकिन वो उन दोनों औरतों के संबंध से जरूर चकित था। राज की आँखें पूरा रस ले रही थीं और उसका दिमाग उस कामुक विकृत दृश्य में बह रहा था। लेस्बियन और पशु-मैथुन जैसी विकृत यौन-क्रियायें एक साथ उसके सामने थी।
अब वो हक्काबक्का नौकर मुस्कुराया और उनके करीब बढ़ गया। अपनी चुदाई में लीन, दोनों औरतों को उसकी उपस्थिति का आभास नहीं हुआ और, हालांकि उस गधे ने उसे देखा पर उस मुर्ख जानवर ने उसकी परवाह नहीं की। राज उनके और भी करीब आ गया।
उसके कानों में खून जोर से प्रवाहित हो रहा था और उसे अपनी मालकिन की चूत में आ गधे के लंड के ऊँफकारने की आवाज़ सुनायी दी। एक-दूसरे की चूत में राल टपकाती
हुई उन औरतों के सुड़कने की आवाज़ भी उसे सुनायी दी। एक बात राज के ज़हन में शीशे की तरह साफ थी... उसके सामने चल रही चुदाई जितनी विकृत, पतित और अश्लील थी, इस समय राज के उसमें शरीक होने से वो चुदाई और अधिक विकृत नहीं हो सकती थी।
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हालांकि उसे खुद से अपनी मालकिन के साथ चुदाई की पहल करने की छूट नहीं थी पर दो जवान चुदक्कड़ औरतें जो जानवरों के लंड चूसती हों और उनसे चुदवाती हों -- और एक दूसरे को भी चूसती और चोदती हों, ऐसी औरतों के सामने होने से राज को काफी हिम्मत मिली। राज ने अपनी पैंट की ज़िप खोली और धीरे से आगे बढ़ते हुए उसने अपना लंड और गोटियाँ बाहर निकाल लीं। वो एक अज्ञात डर और उत्तेजना से बूरी तरह काँप रहा था। राज आकर नजीबा के पीछे खड़ा हो गया। उसका लंड नजीबा की झटकती हुई गाँड के ठीक ऊपर टॉर्च की तरह खड़ा था। सुबह जब नजीबा आयी थी तो उसकी सुंदरता और उसका सुडौल जिस्म देख कर राज का लंड खड़ा हो गया था पर उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इस सुंदरी को चोदने का मौका मिलेगा।
अब अपनी शाजिया मैडम के ऊपर घूमे हुए सिर के दोनों तरफ अपने टाँगें रख कर झुकते हुए उसका दिल उत्तेजना से जोर से धड़क रहा था। उसका लंड जब नजीबा के चुतड़ से छुआ तो नजीबा के चिकने चुतड़ उस दहकते लंड की गर्मी से तमतमा गये। राज ने उसे उसके कसमसाते चूतड़ों से पकड़ लिया।।
नजीबा ने चौंक कर अपनी सहेली की टाँगों के बीच में से अपना सिर उठाया तो उसका चेहरा शाजिया के चुत रस से सना हुआ था।
राज???” नजीबा जोर से किकियाई।
शाजिया ने भी अपनी आँखें खोलीं तो अपने चमकते चेहरे के ठीक ऊपर अपने अर्दली के बड़े टट्टों को झूलते हुए पाया। उसने चौंक कर चखना शुरू किया पर सिर्फ एक शब्दहीन ध्वनि शाजिया के मुँह से निकल कर नजीबा की चूत में ऊपर बुदबुदा गयी।
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05-06-2019, 11:47 AM,
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
नजीबा अपनी सहेली के ऊपर से किनारे हटी तो अपने चूत-रस से सना उसका चेहरा और खुला मुँह देख कर उसके मन में एक ख्याल आया। उसने अपना चेहरा एक बार फिर गधे के लंड से भरी शाजिया की चूत पे झुका कर बहुत सारा मलाईदार वीर्य अपने मुँह में भरा पर उसे पिया नहीं, बल्कि शाजिया के चेहरे के पास आ कर उसके मुँह में अपने मुँह से गधे का वीर्य उड़ेलती हुई उसे लंबा, दीर्घ चुंबन देने लगी।
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जब शाजिया को एहसास हुआ की उसके मुँह में गधे का वीर्य बह रहा है तो बड़े उत्साह से पी गयी। जब नजीबा के मुँह में वीर्य खत्म हो गया तो उसके बाद भी दोनों के होंठ आपस में चिपके रहे और फ्रेंच चुंबन करते हुए दोनों की जीभें आपस में गुत्थमगुत्था होने लगीं। दोनों एक दूसरे की चूचियाँ मल रही थीं जोकि पिछले घंटे भर से चल रही । उनकी विकृत चुदाई के कारण कठोर थीं।
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आखिरकार, उस रोमांचक किंतु विकृत चुदाई का अंत आ गया। वो गधा शाजिया की जकड़ी हुई चूत में से अपना लंड बाहर खींचने लगा। शाजिया की चूत के मुकाबले लंड का इतना बड़ा आकार होने के कारण, गधे के पीछे हटने से शाजिया का जिस्म भी उसके साथ घिसटने लगा। उन दोनों को अलग होने में सहायता के लिये नजीबा को शाजिया को पकड़ । कर रखना पड़ा।
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शेंपेन की बोतल के कॉर्क की तरह गधे का लंड अंत में शाजिया की चूत में से ‘तड़ाक’ की आवाज़ के साथ बाहर निकल आया और साथ ही शाजिया की चूत से गधे के वीर्य की तेज़ धार बाहर बह कर ज़मीन पर दलदल की तरह इकट्ठा होने लगा। शाजिया जोकि इतनी देर से अपनी कमर मोड़ कर सिर्फ अपनी टाँगों के सहारे थी, वहीं पर वीर्य के कीचड़ में कमर के बल लेट गयी। उसे अपने जिस्म पे गर्धब-वीर्य का एहसास बहुत मादक लग रहा ।
था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो मलाई के तालाब में नहा रही हो। उसने अपने जिस्म पे वो सफ़ेद द्रव्य मलते हुए अपनी सहेली की तरफ देका और अपनी अंगुली के इशारे से नजीबा को अपने साथ शामिल होने का निमंत्रण दिया।
नजीबा कामुक्ता से मुस्कुरायी और शाजिया की बगल में आ गयी। शाजिया ने थोड़ा सा खिसक कर नजीबा को अपनी बगल में, सूख कर गाढ़े बनते हुए वीर्य के कीचड़ में लिटा लिया। नजीबा वीर्य के उस कीचड़ में अपनी गाँड हिलाने-डुलाने लगी और अपनी चूचियों पर भी वीर्य उछाल कर मलने लगी। फिर दोनों विकृत औरतें एक दूसरे का जिस्म चाट कर गर्धब-वीर्य का रस लेने लगीं।
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05-06-2019, 11:47 AM,
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
“हाँ यार... यू आर राइट... इट वाज़ रियली ग्रेट... अगर एक कुत्ते का लंड पहले से मेरी चूत में फंसा नहीं होता तो दूसरा कुत्ता जबरदस्ती मेरी गाँड में लंड नहीं पेलता और मुझे गाँड मरवाने का मजा ही नहीं मिलता’नजीबा फिर से अपनी सहेली की तरफ पलट गयी।
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क्या...?” शाजिया चौंकते हुए बोली, “तूने एकसाथ उन दोनों कुत्तों से अपनी चूत और गाँड मरवायी...?? मैंने भी अभी तक ऐसा नहीं किया... वॉओ यू आर रेयली ए लस्टी स्लट... मैं भी कल ही यह टॉय करूगी... ऑय एम श्योर.. ऑय विल इंजॉय इट वेरी मच?'
हूँ.. स्लट्स तो हम दोनों पहले से ही हैं पर आज तो मुझे शक है कि मैं निंफोमानियक । बन गयी हैं... क्योंकि शाम से मैं कम से कम पच्चीस-तीस बार झड़ चुकी हूँ पर मेरी
चूत की आग बुझने की जगह और ज्यादा भड़कती जा रही है....” और फिर नजीबा ने ॥ कुत्तों के साथ अपनी चुदाई का विस्तार से वर्णन किया।
करीब 10-15 मिनट तक दोनों इसी तरह छप्पर में गधे के पास ज़मीन पर नंगी पसरी हुई। बातें करती रहीं। अंत में शाजिया बोली, “यार गला और मुंह चिपचिपा रहा है... काफी गाढ़ा वीर्य था इस गधे का...?'
“मम्म्म्म... अभी भी मूह में इसका अनोखा स्वाद बना हुआ है... पर हाँ... शायद वीर्य के सूखने से गला चोक सा हो रहा है... कुछ पी कर इसे गले के नीचे धोना पड़ेगा, नजीबा ने कहते हुए छप्पर में चारों तरफ गर्दन घुमा कर देखा। शाजिया ने भी वैसा ही किया।
“राज तो चोद कर निकल गया... पता नहीं अचानक वो कैसे यहाँ आ गया... मैंने तो आज तक कुत्तों के साथ चुदाई की बात भी उससे छिपा रखी थी पर आज तो उसने हमें गधे से चुदते हुए देख लिया पर जिस तरह से उसने रियेक्ट किया... मेरा ख्याल है कि, ही विल भी ओके विद दिस... ऑय होप इसका कोई इश्यू नहीं बनाये.." शाजिया के स्वर में थोड़ी चिंता थी। “छोड़ यार... डोन्ट वरी.. संभाल लेंगे...” नजीबा ने बेफिक्री से कहा।
कहा।
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चल उसका कल सुबह देखा जायेगा... चल अब घर के अंदर चलते हैं... रात भर आपस में मस्ती करेंगे..." शाजिया उठ कर बैठते हुए बोली। फर्श पर अभी भी गधे का चिपचिपा वीर्य फैल हुआ था। हालाँकि दोनों औरतों ने एक दूसरे के बदन से काफी वीर्य चाट कर साफ किया था पर फिर भी उनके बदन जगह-जगह से वीर्य से सने हुए थे और कहींकहीं सूख कर वीर्य की परत सी जम गयी थी।
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नजीबा उठने की बजाय और फैल कर लेट गयी। फिर अपनी नशे में बोझल आँखों में
शरारत भरकर शाजिया को देखा और शोख मुस्कान के साथ बोली, “अभी तो मेरी जान आ मुझे भी इस गधे के लंड का मजा लेना है... मैं तीन दिन तो यहीं हूँ... तू कहेगी तो पूरा
हफ्ता यहीं रहँगी और हम दोनों जी भर कर हर तरह से ऐश करेंगे... पर अभी तो... जब तक गर्दभ-राज के महा-लंड में शक्ति है... यू नो वॉट ऑय मीन...” और वो धुर्तता से शाजिया को आँख मार कर अपनी चूत सहलाती हुई मुस्कुराने लगी।
ऑय लाइक दैट... चल मैं पीने के लिये पानी ले कर आती हूँ..." शाजिया कहकर उठने लगी।
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“पानी...?? क्यों मयखनों में ताले लग गये हैं क्या???” नजीबा ने शाजिया को रोका, “इतना रूमानी माहौल है... लंड है... चूत है... मूड है... गाँड है... चुदाई है... इस शेहवानी के माहौल में तो मेरी जान सिर्फ शराब छलकनी चाहिये...” नजीबा बहुत शोखी से शायराना अंदाज़ में बोली।
शाजिया को नजीबा के अंदाज़ पर हँसी छूट गयी। वो खिलखिला कर उसी अंदाज़ में बोली,
“जो हुक्म.. नजीबा बेगम...", और फिर से हँसने लगी। अपनी हँसी पर काबू पा कर शाजिया | फिर बोली, “साली तु नहीं बदली.. तेरा तो आज भी वही दस्तूर लगता है... जब पियो तो इतनी पियो कि कुछ होश बाकी ना रहे... ड्रिक टिल यू ड्रॉप.. हम दोनों पहले ही नशे में है
अरे ये तो चुदाई का नशा है.. शराब का नशा तो कब काफुस पड़ गया.... मजा तो तभी आयेग ना जब शराब और चुदाई.. दोनों का नशा बराबर होगा... याद है हॉस्टल में भाग पी कर नशे में तूने टेनिस के रैकेट से अपनी चूत चोदनी शुरू की थी तो अपनी धुन में पूरी रात उससे अपनी चूत चोदती रही..” नजीबा ने हँसते हुए शाजिया को याद दिलाया,
और तू ही तो हमेशा कहती थी कि सब भूल कर मदहोशी में चुदने में अलग ही मजा है
दैट्स ट्यू... रिमेमबर... फाइनल इयर के दिन... वो वंदना हमें कभी-कभी गांजे वाली सिगरेट सपलाई करती थी... उसके बाद खुमारी में चुदाई का कितना मजा आता था... ऑय विश अब भी कहीं से वो सिगरेट मिल सकती... खैर मैं व्हिस्की की बोतल ले कर आती हूँ..." शाजिया कहते हुए डगमगाती हुई खड़ी हुई।
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05-06-2019, 11:48 AM,
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
नजीबा... कमीनी... साली... तू... तू मेरी आखों पे मूत रही है...', शाजिया अपनी आँखें बंद करती हुई बोली, “ऐसे ही मूतती रह... मेरे चेहरे पर.. आहाहा... बहुत अच्छा लग रहा है।” शाजिया ने अपना चेहरा ज़रा सा ऊपर उठा कर अपने खुले होंठ नजीबा के मूत की धार की सीध में लाने की कोशिश की और थोड़ी सी कोशिश के बाद वो सफल हो गयी। वो आँखें मींचे, आहें भरती हुई गटागट मुँह भर-भर कर गरम पेशाब पीने लगी। शाजिया को इस गंदे-विकृत खेल में बहुत मज़ा आ रहा था और उसकी चूत और पूरे जिस्म में झनझनाहट होने लगी। वो अपने एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत और क्लिट रगड़ने लगी और उसका दूसरा हाथ नजीबा के चूतड़ों को सहला रहा था।
अपने एक हाथ में पकड़ी बोतल से नजीबा बीच-बीच में व्हिस्की के घूट गटक रही थी। और अपनी गाँड मटकाती हुई दूसरे हाथ से व्यग्रता से अपनी क्लिट रगड़ रही थी। अपनी सहेली के बाल, चेहरा, चूचियाँ अपने पेशब से सराबोर होते देख और उसे अपने शरीर का अंतरंग रस पीते देख नजीबा के पूरे बदन में कामोत्तेजना की बिजली सी दौड़ रही थी और वो बेकाबू सी होकर लगातार कराह रही थी। दोनों सहेलियाँ जंगली बिल्लियों की तरह जोर-जोर से कराहती और आहें भरती हुई शोर मचा रही थीं।
“मम्म्म्म... ओह गॉड... *गलल गलल* -- ओह गॉड *गटगट* -- मम्म्म्म - ओह हाँ, जानू *गलल गलल* -- लेट मी ड्रिक दिस हॉट पिस शाजिया कराही और अगले ही क्षण उसकी ऐयाश चूत में ज़ोरदार विस्फोट हुआ और वो झड़ गयी।
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शाम से इतनी शराब पीने के बाद नजीबा का मुत्राशय प्रेशर से फटने जैसा हो रहा था और इसलिए शाजिया के मुँह में मूतना बंद होने में कुछ समय लगा। हालांकि शाजिया अपनी सहेली का काफी मात्रा में पेशाब पीने में कामयाब रही थी पर फिर भी काफी सारा पेशाब उसके मुँह से बाहर बहने से और साथ ही शुरू में नजीबा द्वारा छोड़ी गयीं अंधाधुंध मुन्न-धारों से लथपथ होकर शाजिया के बाल, चेहरा और बाकी का जिस्म भी मूत्र-गंधित हो रहा था।
शाजिया ने अपनी गर्दन उचका कर नजीबा की चूत पर चुंबन दिया। नजीबा का स्खलन ट्रिगर आ करने के लिये इतना ही काफी था और उसकी अंगुलियाँ प्रचंडता से उसकी क्लिट को । रगड़ती हुई चूत में अंदर-बाहर होने लगीं। पर अचानक जब शाजिया ने अपना हाथ उसकी टाँगों के बीच में से पीछे ले जाकर उसकी गाँड में अंगुली घुसेड़ दी तो नजीबा धड़धड़ाती हुई झड़ गयी और उसकी चूत ने शाजिया के चेहरे पर अपने चिपचिपे रस का फव्वारा छोड़ दिया।
नजीबा का सिर नशे और उन्मत्तता से चक्करा रहा था। वो और अधिक देर खड़ी ना रह सकी और तुरंत ही शाजिया के सामने ज़मीन पर अपने ही पेशाब के तलैया में पसर गयी। हाऊ वाज़ इट... मजा आया ना...?” मदहोशी भरी आँखों से शाजिया की तरफ देखते हुए नजीबा ने फुसफुसाते हुए पूछा।
अपने होंठ चपचपाते हुए शाजिया मुस्कुराकर बोली, “ग्रेट.. सैक्सी.. ऊम्म मज़ा आ गया... तेरा मूत तो व्हिस्की से भी नशीला था..."
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