RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
कॉलेज के गेट से वैसवी ने एक नज़र कॉलेज को निहारी और अपने कदम बढ़ाते अंदर चल दी. कॉलेज काफ़ी बड़ा था उसे ऑफीस ढूँढने और टाइम टेबल पता करने मे आधा घंटा लग गया.
सारी इन्फर्मेशन लेने के बाद वैसवी चल दी फर्स्ट एअर की क्लास की ओर जहाँ पहले से उनके सीनियर्स रॅगिंग का लुफ्त उठा रहे थे. वैसवी जब कॅंपस के खुले इलाक़े मे आई और ऑफीस के विपरीत फर्स्ट एअर क्लास की ओर जाने लगी तो सारे लड़कों की धड़कने उनके सीने से छाती फाड़ कर बाहर आने को बेताब थी.
चलने का ढंग उच्छल उच्छल कर कुछ यूँ था कि लड़कों की चीरती नज़रें बस उसके गोरी जाँघो को देखने मे लगी थी. इधर लड़कों के दिल मे आग लगती वैसवी जैसे ही फर्स्ट एअर की बिल्डिंग मे दाखिल हुई उसके सीनियर्स ने उसका रास्ता रोक दिया
गोरा बदन और इतनी सेक्स अपेन्स को देख भला किसके दिल मे हलचल नही होती. रास्ता रोकने के लिए जब एक सीनियर ने एकदम से अपना हाथ आगे बढ़ाया तो वैसवी की छाती उसके हाथ से टकरा गयी.
इस सीन को देख सारे लड़के हूटिंग करने लगे और गंदे गंदे कॉमेंट पास करने लगे .....
"क्या रोहित आते ही सीधे आमों पर हाथ साफ"
"यार बता तो कैसे है फल कच्चा है या पक कर लटका हुआ है"
"साले अकेले अकेले मज़ा अब तू नही रगिन्ग ले सकता अब हम भी कुछ पूछ ले जानेमन से"
"रोहित छिछोर एग्ज़ॅक्ट साइज़ भी तूने अबतक पता कर ली होगी"
"अरे देख सुमित ये कुछ बोल क्यों नही रहा .. क्या अभी से सपनो मे खो गया"
एक के बाद एक कॉमेंट्स पास होते गये. उसका सीनियर रोहित अब भी अपना हाथ आगे किए उसका रास्ता रोके था. इतने सारे अश्लील कॉमेंट सुन ने के बाद वैसवी चिढ़ कर आग से लाल हो गयी थी.
रोहित अपनी जगह से खड़ा होते हुए....... "नाम क्या है तुम्हारा"
वैसवी..... मैं तुम्हे अपना नाम बताना ज़रूरी नही समझती. अब रास्ता छोड़ो मेरा नही तो प्रिन्सिपल से कंप्लेन कर दूँगी तुम्हारी.
रोहित ने उसकी कलाई पकड़ उसे मोडते हुए उसके हाथ को पीछे ले गया और जैसे ही उसने ऐसा किया .... वैसवी की टाइट कपड़े की बटन बिल्कुल खिंच सी रही थी और वो टूटने को बेकरार थी. सीने के उभार ऐसे सामने थे कि देखने वाले लड़के बिना आँखें बंद किए बस घूर रहे थे.
अपनी इस हालत पर बेबस वैसवी ने अपना नाम बता दिया. तभी पीछे से एक लड़का उसके बॅक पर एक हाथ धीरे से मारते हुए ..... साइज़ क्या है तेरा ...
वैसवी इस सवाल पर चिढ़ती हुई..... शट युवर माउत कुत्ते
वही लड़का.... ओ' मेडम अँग्रेजन मैने कहा साइड कौन सी है .... मतलब किस साइड की रहने वाली हो .... वैसे तुम्हे क्या सुनाई दिया ज़रा वो तो बताओ.
और इतना बोल सभी हँसने लगे. तभी ग्राउंड मे धूल उड़ाती 5/6 गाड़ियाँ सीधी प्रिन्सिपल के चेंबर के पास रुकी ... एका एक सबका ध्यान उसी ओर गया कि आख़िर कॉलेज के अंदर इतनी सारी गाड़ियाँ लेकर किसने एंट्री मारी.
वैसवी के लिए ये एक सुकून के पल था. जब रोहित और उसके साथियों का ध्यान दूसरी ओर था तब वैसवी चुपके से वहाँ से निकल गयी और उन गाड़ी वालों को मन मे धन्यवाद करने लगी.
आज वैसवी को खुद मे ज़िल्लत महसूस हो रही थी. इंडियन फिज़कॉलजी भी बड़ी अजीब है. लड़कियाँ खुद को कितनी ही मॉडर्न और हॉट दिखाने की कोशिस क्यों ना करे पर घर का जैसे महॉल और संस्कार होता है लोगों के ऐक्शन के हिसाब से वैसा ही रिक्षन भी देती है.
वहीं लड़कों मे ये धारणा आम होती है कि यदि कोई लड़की चंचल नेचर की है तो उसकी फ्रेंड्ली बातों को ग़लत समझते हुए वो ये सोचते है कि लड़की उसे लाइन दे रही है. और ड्रेस यदि छोटी पहनी हो तो उसे ईज़ी मान लेते है फिज़िकल रीलेशन के लिए.
अजीब ही भवर मे फँसे है हम लोग जहाँ कपड़े तो मॉडर्न हो गये पर सोच अभी उसी पॉइंट पर अटकी है. इस समय वैसवी भी कुछ ऐसी ही फील कर रही थी जब उसके अंगों को रगिन्ग के नाम छु लिया गया. उसके घर के संस्कार उसके अंदर ज़िल्लत पैदा कर रही थी और मन मे बदले की भावना जगा रही थी.
वहीं रोहित का ध्यान जब उन गाड़ियों से हटा तो वो भी वैसवी को ढूँढने लगा. खुद मे अफ़सोस करते कि इतनी हॉट लड़की थी थोड़ा और सिड्यूस करता तो आज कहानी अपनी भी सेट थी.
वैसवी अपनी क्लास मे बैठी अभी अपने साथ हुए टीज़िंग के बारे मे सोच रही थी कि बाहर कुछ लोगों के बीच गहमा गहमी की बातें उसके कानो मे सुनाई पड़ी.
वो जब गेट पर पहुँची तो देखी एक बिल्कुल अल्ट्रा मॉडर्न भेष मे लड़की खड़ी थी जो हंस रही थी. रोहित और उसके साथियों को 8/10 आदमी पकड़े हुए थे और 10/12 आदमी पीट रहे थे. मामला क्या हुआ उसे पता ना था पर जो हो रहा था उसे देख वैसवी के दिल को सुकून मिल रही थी.
कुछ देर मे कॉलेज के और स्टूडेंट जमा हो गये. वाराणसी मे स्टूडेंट यूनियन भी काफ़ी माशूर है. जब उन के बॅच के लड़कों ने अपने साथियों को पिट ते देखा तो वो लोग भी उन लोगों को मारने लगे.
देखते ही देखते वो जगह किसी लड़ाई के मैदान जैसा बन गया. उस लड़की ने अपना फोन निकालते हुए किसी से बात करने लगी और इधर उन आदमियों की पिटाई स्टूडेंट्स के द्वारा हो रही थी.
कुछ ही देर मे पोलीस की वॅन घुसी कॅंपस मे और मार रहे लड़कों को पकड़ने लगी. देखते-देखते मामला काफ़ी आगे बढ़ गया क्योंकि स्टूडेंट्स ने पोलीस को भी घेर लिया बस एक माँग पर कि.........
"बाहर वालों को लेकर जाए. बाहर के गुंडे कॉलेज मे आकर मार कर रहे थे. यदि स्टूडेंट को ले गये तो ये उन पोलीस वालों के लिए अच्छा नही होगा".
मामले की गहराई को देखते हुए प्रिन्सिपल सर ने दोनो पक्षों को समझाया. जहाँ स्टूडेंट खफा थे कि उनके साथी को मारा गया वहीं उन लोगों का कहना था कि उसने उनके मालिक की बेटी नीमा के साथ छेड़-चाड की और उसे ज़बरदस्ती हाथ लगाने की कोशिस की.
मामला रगिन्ग का आते ही प्रिन्सिपल बिल्कुल तैश मे आ गये और जितने लड़के जो इन्वॉल्व होते है रगिन्ग मैं सबको टू वीक का डेटॅन्षन देते है और एक वॉर्निंग इन फ्यूचर यदि कोई ऐसी हरकत की तो रेस्टिकेट कर दिए जाएँगे.
साथ -साथ नीमा को भी वॉर्निंग देते है कि कल से उनके ये गुंडे इस कॅंपस मे नही दिखने चाहिए यदि वो ऐसा नही कर सकती तो किसी दूसरे कॉलेज जा सकती है. यदि फिर भी नही मानी तो लास्ट्ली रेस्टिकेटेड.
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