RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
नीमा की बात सुनकर वैसवी उसके गले लग गयी. कुछ देर बाद वैसवी कुछ नॉर्मल हुई, वहाँ से दोनो मार्केट निकली, नीमा ने वैसवी को का एक लिंक दिया और बोली वक़्त मिले तो इसे ज़रूर पढ़ना .
वहाँ से नीमा, वैसवी को ड्रॉप करती हुई अपने घर चली गयी. वैसवी जब अपने घर पहुँची तो इतनी थकि थी कि सीधी अपने बिस्तेर पर जाकर लेट गयी. हरदम जो घर को अपने सिर पर उठाए रहती थी वो आज शांत बिस्तेर मे जाकर सो गयी. वैसवी को ऐसा देख भला माँ को चिंता क्यों ना हो.
वैसवी की माँ उसके कमरे मे आकर वैसवी के सिर पर अपना हाथ रखा, थोड़ा सा प्यार से अपना हाथ फिराई, इतने मे वैसवी की नींद खुल गयी...
वैसवी.... माँ, क्या हुआ ?
माँ.... तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना वही देखने आई थी.
वैसवी.... कुछ नही हुआ माँ, आप बेकार मे चिंता कर रही हो. वो आज भागा-दौड़ी इतना हो गया कि थकि हुई सी महसूस कर रही हूँ.
माँ.... ठीक है खाना बन गया है खा ले फिर आराम करना. दो मिनट मे बाहर आ तबतक मैं खाना लगा देती हूँ.
वैसवी अपने कमरे से बाहर निकली, थोड़ा सा खाना खाने के बाद जाकर बिस्तर पर लेट गयी. ताकि इतनी थी कि नींद तुरंत आ गयी उसे. पार्टी के बाद सोई, जब से शाम को घर आई केवल खाना खाने के लिए जागी थी, और फिर खुम्भ्करन की नींद मे सो गयी. रात के 2 एएम बजे वैसवी की नींद खुल गयी, थोड़ा सा पानी पी और बैठ गयी बिस्तर पर.
इतना सोई थी अब आँखों मे नींद कहाँ, क्या करे, क्या करे, फिर उसे नीमा के दिए हुए लिंक राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम का ध्यान आया, हालाँकि कहानियों मे कभी कोई रूचि नही रही उसकी फिर भी करने को कुछ था नही इसलिए वैसवी ने अपने मोबाइल पर साइट खोल ली.
पहले अएज् मे ही उसने कुछ ऐसा पढ़ा कि उसको आगे पढ़ने की इक्षा सी होने लगी. जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ी उसके पढ़ने की इक्षा भी बढ़ती रही, वो लगातार पढ़ती रही ना तो उसे समय का ध्यान रहा बस पढ़ती रही.
जब से पढ़ने बैठी थी आज खुद मे बड़ा ही बदलाव महसूस कर रही थी वैसवी. एक तो आज दिन की सारी बातें उसे पहले से ही काफ़ी उत्तेजित कर चुकी थी, वहाँ से जब लौटी और ये साइट पर शुरू की पढ़ना तो कहानी की लीड नायिका के साथ हुए रींडम और प्लान्ड घटनाए, वैसवी को नयी आग मे जला गयी.
ज्ञान तो उसे सेक्स के बारे मे पहले से था, पर उसे महसूस करने और उसका ख्याल दिमाग़ मे आना, वैसवी के बदन मे एक सिहरन पैदा कर रहा था. उसके हाथ अपने ही अंगों पर थे और मज़े से कहानी का लुफ्त उठा रही थी.
पढ़ते पढ़ते इतनी मगन थी कि कब सुबह हो गयी पता ही नही चला उसे, सुबह जब माँ ने कॉलेज जाने के लिए दरवाजा खट-खटाया तब जाकर उसका ध्यान टूटा. कहानी लंबी था आखरी चेपटर रह गया पढ़ना.
बेमॅन तैयार होकर निकली राकेश के साथ कॉलेज वैसवी. रास्ते भर उसे कहना का ही ख्याल आता रहा और खुद मे बड़ी ही अजीब महसूस कर रही थी. कुछ प्यारी सी गुदगुदी सी अंदर हो रही थी.
नीमा और वैसवी कॉलेज के गेट पर ही मिल गये, नीमा ने जब वैसवी को देखा और उसके चेहरे पर थोड़ा सा अनचाहे रियेक्शन तो वो समझ गयी कि वैसवी अभी क्या फील कर रही है. नीमा क्लास बॅंक करती वैसवी के साथ कॅंटीन आ गयी ...
नीमा.... वासू क्या हुआ तुझे
वैसवी.... नीमा तुम ने वो कहानी पढ़ी थी क्या.
नीमा.... नही, अभी नही पढ़ी. कैसी थीं राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर कहानियाँ , पूरा पढ़ ली.
वैसवी.... माइ गॉड, क्या था ये नीमा, एक लड़की किसी के साथ भी शुरू हो जाती है, क्या सच मे ऐसा होता है.
नीमा.... काल्पनिक कहानी है वासू ज़्यादा मत सोचा कर
दोनो आमने सामने बात कर रहे थे, वैसवी थोड़ी आगे हुई और धीरे से नीमा के कान के पास कहने लगी ...
"नीमा इसमे तो पूरा एक एक सीन लिखा था, मुझे तो कुछ कुछ होने लगा"
नीमा.... हहे, कंट्रोल कर बेबी नही तो तुझे बाय्फ्रेंड की ज़रूरत महसूस होने लगेगी.
नीमा की बात सुन कर थोड़ी देर शांत रही वैसवी फिर दोनो ने वहीं कॉफी पी और क्लास मे चली गयी.
वैसवी का दिमाग़ अब भी उसी कहानी की घटनाओ पर था, कि कैसे एक लड़की पोलीस मे जाने के बाद अपना काम निकलवाने के लिए गुणडो के साथ अपने संबंध बनाती है, अपना हर काम केवल अपने जिस्म का इस्तेमाल कर के वो पूरा कर लेती है... और सच तो ये था कि वैसवी को सब कुछ अपनी आँखों के सामने होता दिख रहा था और यही सोच सोच वो आज काफ़ी एग्ज़ाइटेड हो रही थी.
अंदर की जलन से वो चिढ़ गयी थी, बदन की गर्मी अब संभाले ना संभली, पर करे क्या आग भड़क चुकी थी पर बुझाने वाला कोई नही और ये सब उस लेखनी के कारण हुआ जो वो उस कहानी मे पढ़ी और शायद पहला अनुभव था इसलिए पता भी नही था कि क्या करे.
खैर धीरे धीरे सब नॉर्मल होता चला गया पर अब वैसवी के अंदर काफ़ी बदलाव दिख रहे थे. वैसवी अब नीमा की बातों मे मज़े लेना सीख गयी थी. नीमा ने उसे कुछ टिप्स भी दिए अकेले कैसे अपने एक्सॅयेटमेंट को कंट्रोल किया जाए.
वैसवी ने नीमा के साथ अपनी फॅंटेसी को जिया, आलीशान गाड़ियों मे घूमना, पार्टी करना और एंजाय करना, पर सबकी अपनी कुछ खास बातें और कुछ खामियाँ होती है. जहाँ नीमा का लड़कों से बात करने का एक रूड अंदाज था वहीं वैसवी हंस कर रेस्पॉंड करती थी. और दोनो मे कोमन ये था कि जो भी बोलना होता बिल्कुल फ्रॅंक्ली सामने से बोला करती थी.
कॉलेज के पहले साल मे वैसवी ने काफ़ी कुछ सीखा नीमा की संगत मे. लोगों को देखने और बात करने का जो नज़रिया जो वैसवी का था उसपर भी काफ़ी प्रभाव पड़ा और नीमा के साथ रहकर थोड़ा घमण्ड भी आ गया वैसवी मे.
लेकिन पहला साल बीत'ते-बीत'ते वैसवी और नीमा का साथ छूट गया. नीमा कभी भी वाराणसी मे नही रहना चाहती थी इसलिए पहले साल के रिज़ल्ट के बाद वो वाराणसी से निकल गयी.
दोनो का साथ इतना अनूठा था, कि जब नीमा जा रही थी तो दोनो के आँखों मे आँसू थे, एक अच्छे दोस्त अलग हो रहे थे पर आपस का प्यार सदा दिल मे रहा.
नीमा के जाने के बाद वैसवी बिल्कुल अकेली हो गयी, उसकी संगत ने थोड़ी सी मेचुरिटी तो दी पर उस भी ज़्यादा कुछ बुरी लत जैसे घूमना, पार्टी करना, महनगे महनगे चीज़ों का सौक जो कि एक मिड्ल क्लास फॅमिली के लिए पासिबल नही था.
वैसवी को अब जैसे आदत सी हो गयी थी इन सब चीज़ों की, और जब पैसे ना हो तो पूरा कहाँ से हो ये शौक. इधर राकेश की फीलिंग वैसवी के लिए दिन व दिन बढ़ती ही जा रही थी. वैसवी मे आए बदलाव और उसका हर बात पर एक फन्नी सा रिप्लाइ करना, कभी कभी इनडाइरेक्ट बोल्ड सा मज़ाक करना उसे अलग ही दिशा मे ले जा रहा था.
एक दिन जब वैसवी, राकेश के साथ कॉलेज जा रही थी, तब राकेश ने उसे मूवी चलने का ऑफर किया, वैसवी को भी क्लास से कोई ज़्यादा मतलब तो था नही लेकिन मूवी तो वो बिल्कुल नही जाना चाहती थी इसलिए उसने राकेश को मूवी का प्लान छोड़ कर कहीं घूमने चलने को कही.
राकेश की तो जैसे किस्मत खुल गयी हो, पूरा दिन राकेश उसे घुमाता रहा और अपने पॉकेट मनी के हिसाब से खर्च करता रहा. वैसवी को आज थोड़ा रिलीफ फील हो रहा था क्योंकि वो इन सब चीज़ों को मिस कर रही थी.
शाम को घर वापस लौट ते वक़्त राकेश ने अपने पैसे से उसे एक हॅंड बॅग गिफ्ट किया. गिफ्ट देख कर वैसवी काफ़ी खुश हुई और उसे लेती वो अपने घर चली गयी. आज दिन भर की घटनाओ ने राकेश को सोने नही दिया, वहीं वैसवी भी आज जाग रही थी क्योंकि उसके दिमाग़ ने कुछ अब्ज़र्व किया था और उस बात को लेकर उसकी जिंदगी बदलने वाली थी.
जब सपने और चाहत दिल मे आते हैं तब सही ग़लत की पहचान ख़तम सी हो जाती है. दिन की हुई अंजान सी एक घटना ने वैसवी की सोच को एक अलग ही रूप दिया और वो लगातार बस एक ही बात सोचती रही ..... "जब एक क्लर्क का लड़का मेरे पिछे 1000 खर्च कर सकता है तो करोरपतियों की कमी है क्या सहर मे"
वैसवी को अपने सपने पूरे करने का एक आसान और अच्छा तरीका मिला जो उसके लाइफ को उसके तरीके से जीने मे मदद करता. वैसवी ने एक बाय्फ्रेंड बनाने की सोच ली पर वो इस रास्ते पर जाने से पहले अपनी गुरु यानी नीमा से एक बार बात करना चाहती थी.
अगली सुबह जब आज कॉलेज के लिए निकली तो राकेश बिल्कुल सज धज के तैयार था, और ऐसा लग रहा था जैसे वैसवी का इंतज़ार काफ़ी समय से कर रहा हो....
राकेश .... हाई वैसवी, लुकिंग ब्यूटिफुल
वैसवी... थॅंक्स राकेश, वैसे कूल ड्यूड तो तुम दिख रहे हो बात क्या है कोई गर्लफ्रेंड मिल गयी क्या
राकेश खुद मे थोड़ी हिम्मत जुटा'ता हुआ बोला....
"गर्लफ्रेंड हां वो तो मिल ही गयी है"
वैसवी.... वॉवववववव ! कौन है मुझे भी तो बता
राकेश.... कौन क्या तुम ही तो हो
वैसवी.... अच्छा ऐसी बात, लड़का फ्लर्ट कर रहा है, पर मैं हाई-फ़ाई गर्ल हूँ, कहीं कोई और देख ले, मैं तेरे हाथ नही आने वाली.
राकेश.... मैं क्या इतना बुरा दिखता हूँ
थोड़ी निराशा और थोड़ी मासूमियत से राकेश ने अपनी बात कही.
वैसवी ने जब राकेश को इतना सीरीयस इस मॅटर पर बात करते देखा तो वो भी थोड़ी सीरीयस होती बोली ...
"देख राकेश तुम यदि कुछ फीलिंग्स अपने अंदर रखते हो तो उसे वहीं रोक दो, क्योंकि तुम जैसा सोच रहे हो वैसा संभव नही, मेरा पहले से एक बाय्फ्रेंड है"
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