RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
महॉल गरम हो रहा था, गहमा-गहमी बढ़ रही थी, लोग जुटने लगे थे उन सब के पास. विवेक ने अपना विवेक लगाते हुए बीच बचाव मे आया, अंकित को शांत किया, उस लड़के से भी शांत रहने की इलतज़ा की, फिर श्रयलीन से "बात क्या हुई" पुछ्ने लगा.
श्रयलीन.... अंकित शांत हो जा, मुझे कुछ करता तो, मैं इसे जिंदा ना जला दूं. मैं इनके ठीक बगल मे बैठी पिक्चर देख रही थी और ये गंदे-गंदे कॉमेंट कर रहा था (उसी पहले लड़के की ओर इशारा करती हुई बोली जिसने श्रयलीन को पहले टोका था). संस्कारहीन कहीं के, माँ बाप ने संस्कार की नही दिया.
इतना कह कर श्रयलीन गुस्से मे आगे बढ़ गयी, और सब थोड़े थोड़े धुत्कार्ते हुए, दोनो को निकाल ले गये. और दोनो बेचारे खड़े ये सोचने मे लगे थे कि बिना बात के एक लड़की और जमा इतने सारे लोग बेज़्जती कर के चले गये .. साला करेक्टर और माँ-बाप को भी घसीट दिया.
बात आगे ना बढ़े, भीड़ इकट्ठी हो गयी थी, इसलिए दोनो ने सुन लिया बात, लेकिन अंदर ही अंदर पूरा सुलग चुके थे. सुलगे भी क्यों ना, क्योंकि शार्यलन जिन दो लड़को को सुनना चाहती थी वो तो कोई और थे, जो मोविए ख़तम होते ही भीड़ के साथ निकले, और श्रयलीन ने जिसे ट्रेस किया, वो तो कोई और थे.
दोनो ज़िल्लत सी महसूस करते हुए, अपना छोटा सा मुँह लिए मल्टिपलेक्स से निकल आए, पर रह-रह कर दोनो को, श्रयलीन द्वारा की गयी भरी भीड़ मे बेज़्जती याद आती रही.
श्रयलीन बड़ी भड़की हुई गुस्से मे तेज़ी से निकली थी. खैर, सारे दोस्त अपनी योजना के मुताबिक मूवी के बाद डिन्नर करने रेस्टोरेंट पहुँचे. लेकिन श्रयलीन के भड़के भाव-दशा (मूड) को देख कर सब शांत बैठे, एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे.
विवेक.... सैली, अंकित, तुम दोनो ने जो वहाँ किया वो बिल्कुल ग़लत था. तुम दोनो को ऐसा नही करना चाहिया था.
अंकित.... यार मुझे लगा उसने सैली के साथ कोई बदतमीज़ी किया है, इसलिए यार थोड़ा गुस्सा मे आ गया.
विवेक.... बिना बात जाने किसी का गिरेवान यूँ सारे आम पकड़ लेना, यदि उस लड़के की जगह किसी ने तुम्हारा कॉलर पकड़ा होता तो तुम्हे कैसा लगता.
श्रयलीन..... अब प्लीज़, तुम दोनो बंद करोगे उन नीच लड़कों की बात करना.
विवेक.... सैली, तुम्हे अंदाज़ा भी, है कि तुम ने पूरी भीड़ के सामने उसे उल्टा-पुल्टा बोल आई हो. अकेले मे किसी को बोली गयी बात और वही बात भीड़ मे बोलना, दोनो मे बहुत अंतर होता है. अर्रे वो तो अजनबी था, उसकी जगह तुम्हारा कोई अपना होता और उसे तुम ऐसे बोलती तब देखती. महफ़िल की बेज़्जती तो कोई अपना नही बर्दास्त कर पता तुम दूसरों को सुना आई.
विवेक की बातों से सॉफ झलक रहा था, कि वो श्रयलीन की इस बचकाना हरकत से काफ़ी नाराज़ था, और झुंझलाहट साफ उसकी भाषा से समझ मे आ रही थी. पर श्रयलीन तो श्रयलीन ठहरी, भला वो कैसे ग़लत हो सकती है.
श्रयलीन..... ग़लत और मैं, माइ फुट, मुझे कोई डिन्नर नही करना तुम लोगों के साथ.
श्रयलीन घर लौटने के लिए बड़ी गुस्से मे मे खड़ी हो गयी, काफ़ी मशक्कत और मनाने के बाद श्रयलीन मानी, पर विवेक के दिमाग़ मे अब भी ये बात थी, कि श्रयलीन ग़लत है. मूवी मे हूटिंग और कॉमेंट करना आम बात है, और कोई इश्यू था तो यूँ सरे-आम किसी को बेज़्जत करना ठीक नही.
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इधर मल्टिपलेक्स मे श्रयलीन और उसके दोस्तों के निकलने के बाद......
दोनो लड़के वहीं खड़े इस आए तूफान के बड़े मे सोच रहे थे थे. जिस लड़के को सैली ने अपने प्यारे शब्दों से उसका मान बढ़ाया था वो गौरव था, और उसका जो उसके साथ खड़ा था, गौरव का हमदर्द, बचपन का साथी नैन.
गौरव ज़िल्लत और गुस्से से बस इसी घटना के बारे मे सोच रहा था, भरी भीड़ मे उसकी बेज़्जती की गयी थी. रह-रह कर सैली की बातें चुभ रही थी उसे... गौरव गुस्से से अपनी लाल आँखें करते हुए अपने दोस्त से ......
"नेनू, उस कमीनी ने भरी सभा मे मेरा चीर हरण कर दिया. मुझ से बर्दास्त नही हो रहा है अब. मुझे कुछ करने का मन कर रहा है"
नेनू, अपने दोस्त की बात पर एक बनावटी गुस्सा बनाते हुए ...... सही कहा क्रेज़ीबॉय (गौरव का निक नेम). खून का बदला खून, और इज़्ज़त का बदला इज़्ज़त. हम बदला लेंगे, उस लड़की ने भरी महफ़िल मे तुम्हारा चीर हरण किया, तुम भी उसका चीर हरण कर दो. गो क्रेज़ी बॉय गो. क्रेज़ी होना तो बनता है.
गौरव गुस्से से आग बाबूला होते.... नाइनुउऊउउ, मुझे कोई बेज़्जत कर के चली गयी, और तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है. दिमाग़ की दही मत कर.
तेज सांसो और गुर्राती आँखों से गौरव ने अपनी बात रखी. गौरव का गुस्सा लाज़मी था.
नेनू..... वाहह ! दही जम गयी दिमाग़ मे, चल उसका मट्ठा बनाते हैं. चिल कर क्रेज़ी बॉय. चल तेरा मुगालत-ए-गम मिटाते हैं और दो पॅक मार के आते हैं.
गौरव.... मुझे कहीं नही जाना, मुझे उस से अपने अपमान का बदला लेना है.
नेनू.... हां, बदला ले लेंगे भाई, और किसी ने भरी सभा मे हमारे करेक्टर को उछाला है, उसे हम यूँ ही नही छोड़ सकते. वैसे ये बता, उसे इतनी भीड़ मे तू ही क्यों दिखा, कहीं इंटेरवेल मे तो तूने कुछ नही किया था.
गौरव.... मज़े लेना बंद कर नेनू नही तो तेरा ही सिर फोड़ दूँगा. मुझे बस अब उस लड़की से बदला लेना है, उसे सबक सिखाना है.
नेनू.... हां मेरे भाई, उसे हम ज़रूर सबक सिखाएँगे. लेकिन तू गुस्से मे अपना खून जलाएगा तो ऐसा लगेगा कि वो तो खुद है अपनी लाइफ मे मस्त है, और उसके बारे मे सोच-सोच कर तुम खुद से ही बदला ले रहे हो.
नेनू की बात सुन गौरव कुछ नही बोला. ईव्निंग शो देख कर 9पीएम बज चुके थे. वहीं से दोनो पहुँचे मैखाने. गुस्से मे गौरव ने ना जाने कितने पॅक लगा दिए, उसे होश कहाँ, नेनू बस एक पॅक को ही हाथ मे रखे उसका साथ निभा रहा था, क्योंकि उसे पता था ये टल्ली होगा और ले जाने की ज़िम्मेदारी नेनू पर ही आने वाली है.
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सामान्य रूप से ही जिंदगी सबकी चलती रही. सैली, उसका ग्रूप और कॉलेज लाइफ. सैली अपनी दिनचर्या मे मस्त हो गयी, पर उसे क्या पता था कि कोई भूत की तरह उसके पिछे पड़ने वाला है.
कुछ दिनो बाद आख़िर वही हुआ जो नही होना था, गौरव को श्रयलीन दिखी. रोजाना एक ही रास्ते से अंकित और श्रयलीन कॉलेज जाते थे, गौरव भी उसी रास्ते पर घूम रहा था और उसकी नज़र पड़ी श्रयलीन पर.
गौरव उसे देख कर बौखला गया और तुरंत फोन लगाया नेनू को....
नेनू... हां क्रेज़ी बॉय कोई खास बात जो सुबह-सुबह फोन लगाए.
गौरव...... विजानगर रोड आ जा जल्दी बिना कोई समय गवाए
नेनू.... यार, मुझ से सुबह ना उठा जाएगा, जानता तो है मैं लेट सोता हूँ. क्या हो गया जो मेरी नींद खराब कर रहा है.
गौरव... वो दिखी मुझे विजयनगर रोड पर...
नेनू.... तू अब सड़कों पर लड़कियाँ भी ताड़ने लगा. लड़का जवान हो गया. अब तो आना ही पड़ेगा. अभी आया मैं ... वूहूऊओ
गौरव...... आररीए वो बात .... लेकिन तबतक नेनू का फोन फोन काट हो चुका था.
दोनो मिले विजयनगर चौराहे पर, चाय की दुकान मे बैठा गौरव, उसके कुछ और होस्टल के साथी और नेनू. सब चाय की चुस्कियाँ लेकर उस दिन की हुई घटनाओं पर लोटपोट हो रहे थे. मज़ाक के बाद सारे दोस्तों ने फिर एक फ़ैसला लिया ...
"इस नकचाढ़ि कमीनी को हम सबक सीखा कर रहेंगे"
ऐसा बोले जैसे कोई फौज की टुकड़ी, अपने मिशन पर निकली हो. सारे ख़ुफ़िया एजेंट्स को एक ही काम के पिछे लगाया गया ... मिशन सैली के रूटीन का पता लगाना.
चाय की टॅपाडी से सब एक विजन के साथ निकले, रोज सुबह जमघट होती रही विजयनागर चोराहे पर, सैली पर नज़र रखी जाने लगी. लड़के अदला-बदली मे रोज पिछा करते, कभी कोई एक पिछे जाता तो कभी दूसरा.
आख़िर जाते भी क्यों ना, इंजिनियरिंग कॉलेज के स्टूडेंट थे, और एम.प के इंजिनियरिंग स्टूडेंट यूनियन का तो नाम चलता था. सारा डेटा रेडी था अगले 10 दिनो मे. कहाँ रहती थी, कौन-कौन से दोस्त हैं उनके, कहाँ-कहाँ जाना पसंद है. लगभग पूरा बायो-डेटा, फोन नंबर और सोशियल प्रोफाइल के साथ रेडी था.
इधर इन सब बातों से अंजान सैली अपनी दुनिया मे मस्त थी, ना तो उसे ज़रा भनक लगी इस पिछा करने का, और ना ही कभी उसने गौर किया, बस अपनी ही दुनिया मे मस्त थी.
सारी डीटेल पहुँची नेनू और गौरव के पास...
नेनू.... क्रेज़ीबॉय, टाइम टू मेक सम क्रेज़ीयेस्ट
गौरव.... पर हम करेंगे क्या
नेनू.... चीर-हरण भरी सभा मे.......
गौरव..... ऊऊऊऊऊऊ, तेरा दिमाग़ तो सही है ना, तुझ से ये उम्मीद नही थी. तू पूरा पागल हो गया है.
नेनू.... मुँह तो बंद करो अंकल और तेरे लिए कुछ भी भाई, तेरा चीर हरण हुआ भरी सभा मे, अब उसका भी होगा ....
सारे लड़के एक साथ हूटिंग करते ... ईईईई, ईईईई, चीर हरण चीर हरण, क्रेज़ी बॉय अब बनेगा दुशाशन.... चीर हरण .... चीर हरण ..
गौरव.... जाहीलों, ऐसा बोलते शरम नही आती. किसी लड़की के साथ ऐसा व्यवहार. हॅट, मुझे कोई बदला, वदला नही लेना. और यदि किसी ने कोई उल्टी हरकत किया तो सोच लेना मैं ही ज़हर खा लूँगा. फिर मेरे मरने के बाद जो जी मे आए करना.
सारे मित्र हँसने लगे गौरव की बात पर. गौरव अपनी बात बोलकर, सबसे नाराज़गी दिखाते वहाँ से उठा कर कोने मे खड़ा हो गया.
नेनू उसके कंधे पर हाथ रखे.... पागल है क्या गौरव, कुछ भी उल्टा समझता है. इतनी सेन्स हम मे भी है. तेरे मे अकल है की नही. अर्रे डफर, चीर हरण का मतलब हम भी कुछ ऐसा करेंगे जिस से उसे भरी महफ़िल मे बेज़्जती महसूस हो.
गौरव.... पर वो बेज़्जती भी तुम लोग एक लड़की पर अभद्र तरीके का व्यंग करके ही करोगे.
नानउ.... क्रेज़ी बॉय, इतने भी गिरे नही कि ऐसा व्यवहार करें, पर जो भी करेंगे वो दायरे मे रह कर करेंगे विस्वास रखो.
गौरव... नेनू, नेनू..
नानउ.... हां बोल..
गौरव.... तो पागल रुका क्यों है, जल्दी से चलो बदला पूरा करते हैं ....
फिर से सारे लड़के एक साथ हूटिंग करते हुए..... ईईईईई, ईईईई .. हम बदला लेंगे, ईईई ईईईईई.
इतना तेज शोर हॉस्टिल मे, सुनकर वॉर्डन इनके कमरे मे आते हुए ..... यहाँ तुम मे से किसी की शादी हो रही है, जो पागलों की तरह हंगामा कर रहे हो, अब अगर ज़रा भी आवाज़ आई तो उठा कर बाहर फेंक दूँगा तुम्हे नेनू, मैं जानता हूँ सब तुम्हारा ही किया कराया है.
सारे लड़के मुँह पर ताला लगाए, बस नेनू को देख रहे थे, और अंदर ही अंदर हंस रहे थे. क्योंकि कोई भी घटना हो, आख़िर सबका इलज़ाम उसी के सिर जो आता था. वॉर्डन के जाते ही, सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे.
नेनू.... भागो कमीनो, अगली बार जिसका मॅटर होगा, मीटिंग उसी के कमरे मे होगी. साले किसी दिन तुम सब के चक्कर मे मैं ही ना बाहर हो जाउ.
सारे लड़के ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे. कुछ भी हो मीटिंग तो होनी थी नेनू के ही कमरे मे, इसलिए मीटिंग दबी आवाज़ मे ही सही, पर होती रही रही वहीं. और आख़िर सैली को जलील करने का मास्टर आइडिया आ ही गया नेनू के दिमाग़ मे... और जैसे ही योजना का खुलासा हुआ ... सारे लड़के ...
वूहूऊऊऊओ, वूहूऊऊऊओ .... चलो पार्टी करें, चलो पार्टी करें.
निकल लिया नेनू कमरे से बिल्कुल, जैसे ही लड़कों का शोर हुआ और इस बार बलि का बकरा बना गौरव, क्योंकि दूसरा हाइलाइटेड वही बच्चा था.
अगले दिन सुबह-सुबह, जैसे ही अंकित और सैली विजयनगर चौराहे से आगे निकले, हॉस्टिल के चार लड़के, अचानक से सड़क पर दौड़ गये. तकरीबन 10 फिट की दूरी पर हुई इस हलचल से अंकित का बाइक अन्बेलेन्स हो गया. दिमाग़ की बत्ती गुल हो गयी. जितनी तेज़ी से हो सकता था अंकित ब्रेक लगाया.
इधर प्लॅनिंग के तहत, बाइक की स्पीड जब धीमी हो चुकी हो, तब एक लड़के को बाइक के सामने आना था और एक धक्का खाना था बाइक से. मान'ना पड़ेगा काफ़ी यूनिटी थी, तभी उन मे से एक ये हिम्मत कर गया. और धक्का खा कर सड़क पर गिर गया.
इधर तेज ब्रेक लगाने से सैली लगभग अंकित के उपर आ गयी थी, और अंकित पूरा अनबॅलेन्स हुआ, जिस कारण से बाइक नीचे गिर गयी, पर तबतक सैली बाइक के साथ ना गिर कर, नीचे उतर चुकी थी.
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