12-10-2018, 01:53 PM,
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Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन -1
"हेलो… रश्मि" मेरे एडिटर की आवाज़ सुनते ही मैं सम्हल गयी.
" हां बोलिए" मैने अपनी ज़ुबान पर मिठास घोलते हुए कहा. मेरा चीफ एडिटर हरीश से मेरा वैसे भी छत्तिस का आँकड़ा था. वो बुरी तरह चिढ़ता था मुझसे.
"तुम्हे जगतपुर जाना है. अभी इसी वक़्त." उसके ऑर्डर करने वाले लहजे को सुन कर दिल मे आया की सामने होता तो दो चार गलियाँ ज़रूर सुनाती. साला अपने आप को मालिक से कम नही समझता.
" क्यों? उसे शायद मुझ से इस तरह के क्वेस्चन की ही उम्मीद थी, आपको मालूम ही है कि मैं कुच्छ दिनो के लिए छुट्टी पर जाना चाहती हूँ. ऐसा कौन सा अर्जेंट काम आ गया जो मेरे सिवा किसी से नही हो सकता?”
" तुम्हे जगतपुर के स्वामी त्रिलोकनंद का इंटरव्यू लेना है. कुच्छ लोक प्रतिनिधियों ने उस आश्रम मे चल रहे कुच्छ गड़बड़ की तरफ इशारा किया है. हम चाहते हैं कि आश्रम मे अगर कुच्छ ग़लत हो रहा है तो हमारे अख़बार मे सबसे पहले छपे." उसके लहजे मे चीनी के दाने के बराबर भी मिठास नही थी. वो मुझे एक जर-खरीद गुलाम की तरह ऑर्डर पर ऑर्डर दिए जा रहा था, “ मैं तो इस काम के लिए रोमीत को लगाना चाहता था मगर मालिकों का हुक्म है तुम्हे लगाने के लिए. पता नही उन को कैसी ग़लत फ़हमी है कि तुम बहुत काम की जर्नलिस्ट हो. हाहाहा…….”
" क्या?.......मैं इस प्रॉजेक्ट के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ." मैं खुशी से उच्छल पड़ी. काफ़ी दिनो से मैं स्वामीजी का इंटरव्यू लेना चाहती थी. बहुत सुन रखा था उनके बारे मे. बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व के आदमी है, उनकी वाणी सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं वग़ैरह…वग़ैरह…... जगतपुर जो कि हमारे शहर से कोई 30किमी दूर एक छ्होटा सा गाओं था वहाँ काफ़ी लंबे चौड़े जगह मे उनका आश्रम बना हुआ था.
उनके भक्त पूरे देश मेफैले हुए थे. उनके आश्रम की देश भर मे कई शाखाए, थी. एक आश्रम तो ज़िंबाब्वे मे भी था. बहुत इनफ़्लुएनसियाल आदमी थे. बहुत दूर दूर तक उनकी पहुँच थी. काफ़ी बड़े बड़े लोग, मिन्सटरस, खिलाड़ी इत्यादि उनसे परामर्श लेने जाते थे. लोग उन्हे स्वामी जी के नाम से ही पुकारते थे.
बीच बीच मे दबी ज़ुबान मे कभी कभी उनके रंगीले स्वाभाव के बारे मे भी कई तरह की अफवाह फैल जाती थी. लोगों को कहते सुना था कि कोई औरत उनसे एक बार मिल ले तो फिर उनसे दूर नही रह सकती थी. औरतें उनका समिप्य पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती थी. उनके साथ एक बार सेक्स का आनंद लेने के लिए वो सब कुच्छ दाँव पर लगा सकती थी. वो जिंदगी भर उनकी छत्र छाया मे रहने को तैयार हो जाती थी. उनके मर्द शिष्यों से ज़्यादा संख्या उनकी महिला शिष्याओं की थी.
"उनके बारे मे डीटेल्ड कवरेज करना है तुम्हे." चीफ एडिटर हरीश ने आगे कहा. "कम से कम चार पाँच वीक का मॅटर हो जिसे हम एवेरी सनडे स्पेशल बुलेटिन मे जगह देंगे. वो जल्दी आदमियों से घुलता मिलता नही है. इसलिए तुम्हे चुना गया है. तुम खूबसूरत और सेक्सी हो साथ ही पूरी टीम मे सबसे समझदार भी हो.” मैं उसे मन ही मन गलियाँ दे रही थी. साले को आज मुझसे काम पड़ा है तो देखो काए तारीफों के पुल बाँधे जा रहा है.
“ये एक दिन का काम नही है. इसके लिए तुम्हे वहाँ कई दिन डिवोट करना होगा. दिस ईज़ अप टू यू वेदर यू स्टे देर ओर विज़िट हिम एवेरी डे. ज़्यादा दूर तो है नही. तुम्हे पेट्रोल का खर्चा मिल जाएगा. बट वी नीड दा होल कवरेज. सुबह से शाम तक. स्वामीजी के बारे मे हर तरह की बातें पता करनी है. कुच्छ प्रवचन भी कवर कर लेना. सुन रही हो ना मेरी बातें? या…." उसने मेरी प्रतिक्रिया देखने के लिए अपनी बात अधूरी ही छ्चोड़ दी.
"यस….यस सर. मैं सुन रही हूँ. मैं आज से ही काम पर लग जाती हूँ."
" आज से ही नही अभी से. युवर टाइम स्टार्ट्स नाउ." कहकर उसने फोन रख दिया.
ज़रूर बुड्ढ़ा गाली निकाल रहा होगा कि मैने उनको मक्खन नही लगाया. लेकिन मैं तो असल मे काफ़ी दिनो से किसी बड़े प्रॉजेक्ट के लिए तरस रही थी. डेस्क वर्क करते करते बोर हो गयी थी. फील्ड वर्क करने का मज़ा ही कुच्छ अलग होता है.
मुझे खुशी से चहकते देख मेरा पति जीवन ने मुझे बाहों मे भर कर चूम लिया. मैने उन्हे सारी बात बताई. वो भी मेरी खुशी मे सरीक हो गये. उनको मालूम था कि मैं कितनी सफल रिपोर्टर हूँ और इस तरह के किसी प्रॉजेक्ट मे काम करके ही मुझे खुशी मिलती है.
अरे मैं तो अपने बारे मे बताना तो भूल ही गयी. मैं हूँ रश्मि. पूरा नाम रश्मि लाल. मैं 26 साल की, शुरू से ही एक खुले विचारो की महिला हूँ. आप मुझे एक सेक्सी और कामुक महिला भी कह सकते हैं. कॉलेज के दिनो मे क्लास मेट्स मुझे सेक्स बॉम्ब कहते थे. केयी बॉय फ्रेंड्स हर वक़्त मेरे इर्द-गिर्द घूमते नज़र आते थे. उनसे अक्सर लिपटना चूमना चलता ही रहता था. मैने कभी भी उनको इतनी लिफ्ट नही दी की इससे आगे वो सोच भी पाते. मैं सुहाग की सेज तक कुँवारी ही थी.
मैं एक नॉर्मल सीधी साधी और चंचल लड़की थी. हां लड़कों से मेलजोल मे शुरू से ही पसंद करती थी. मगर सेक्स के बारे मे मैने शादी से पहले कोई रूचि नही दिखाई थी. मैं शादी के बाद कैसे एक घरेलू काम काजी महिला से सेक्स मशीन मे बदल गयी ये उसी की कहानी है.
मेरी शादी जीवन लाल से आज से चार साल पहले हुई थी. हम दोनो यहाँ लनोव स्टेशन के पास ही रहते है. शादी से कुच्छ दिन पहले ही मैने जर्नलिस्ट की पढ़ाई पूरी कर एक फेमस अख़बार जाय्न किया था. अब मैं उस न्यूज़ पेपर मे सीनियर रिपोर्टर के पद पर हूँ. हमारे न्यूसपेपर की बहुत अच्छि सर्क्युलेशन है. मैं वैसे तो किसी स्पेशल केस को ही हॅंडल करती हूँ. वरना आजकल एडिटिंग का काम भी देख रही हूँ जो की बड़ा ही बोरिंग काम है. घूमना फिरना और नये नये लोगों से मिलना मेरा शुरू से ही एक फॅवुरेट हॉबी रहा है.
मेरे हज़्बेंड एक प्राइवेट फर्म मे मॅनेजर की पोस्ट पर काम करते हैं. हम दोनो के अलावा हमारे साथ हमारी सास रहती हैं. ससुर जी का देहांत मेरी शादी से पहले ही हो चुक्का था. मेरे पति जीवन लाल काफ़ी खुले विचारों के आदमी हैं. सिर्फ़ वो ही नही उनका पूरा परिवार ही काफ़ी मॉडर्न ख़यालों का है. इसलिए मुझे उनके साथ अड्जस्ट करने मे बिल्कुल भी परेशानी नही हुई. शादी से पहले दूसरी लड़कियों की तरह मेरे भी मन मे एक दर सताता था की शादी शादी के बाद मुझे सारी ब्लाउस मे एक टिपिकल इंडियन हाउस वाइफ बन कर रहना पड़ेगा. रिवीलिंग और मॉडर्न कपड़े नही पहन सकूँगी. मगर मेरी शादी के बाद वैसा कुच्छ भी नही हुआ.
जीवन को मेरे किसी भी काम से कोई इत्तेफ़ाक़ नही रहता है. उल्टा मेरे हज़्बेंड खुद ही शादी के बाद से मुझे एक्सपोषर के लिए ज़ोर देते रहे हैं. मेरी सासू जी ने मेरी शादी के बाद ही साफ साफ कह दिया था.
“हमारे घर मे बहू बेटी की तरह रहती है. यहाँ परदा बिल्कुल भी नही चलेगा. तुम्हारा जिस्म बहुत ही खूबसूरत है. और जो सुंदर चीज़ होती है उसे छिपा कर नही रखना चाहिए. देखने दो दूसरों को. वो देख कर मेरे ही बेटे की किस्मेत पर जलेंगे. ”
मैं उनकी बातें सुन कर अश्चर्य से भर गयी. उन्हों ने तो यहा तक कह दिया, “ किसी स्पेशल अकेशन के बिना ये बुढ्डी औरतों की तरह सारी नही पहनॉगी तुम.”
वो मुझे लेकर एक दिन बाजार गयी और मेरे लिए स्कर्ट/ब्लाउस, डीप गले के और छ्होटे छ्होटे कपड़े ले आई. मेरे लिए झीनी नाइटी. ढेर सारे नेट वाले ब्रा और पॅंटी तक ले आई.
“ये सब पहनॉगी तुम. ये दादी-अम्माओं वाले लिबास नही चल्लेंगे. कुच्छ दिनो की जवानी होती है इसे लोगों से छिपाने का क्या फ़ायदा? खूब दिखाओ और मज़े लो. ये जीवन के लिए गर्व की बात ही होगी की उसकी बीवी इतनी खूबसूरत है कि लोगों की लार टपकती है उसे देख कर.” सासू जी ने कहा.
मैं चुप छाप खड़ी रही तो उन्हों ने एक छ्होटी सी फ्रॉक मुझे दी और उसे पहन कर दिखाने को कहा. मैने उसे पहन कर देखा कि वो फ्रॉक मेरी पॅंटी से जस्ट दो अंगुल नीचे ही ख़तम हो जाती थी. उसमे से मेरे बड़े बड़े बूब्स आधे से ज़्यादा बाहर छलक रहे थे. कंधो पर वो दो पतली डोरियों पर टिकी हुई थी. पीठ की तरफ से तो वो लगभग कमर तक कटी हुई थी. मुझे उस ड्रेस मे देख कर उनकी आँखें चमक उठी. और उस ड्रेस को पॅक करवा लिया.
मेरे पति जीवन भी मुझे एक्सपोज़ करने के लिए उकसाते थे. उन्हे किसिको मेरे बदन को घूरते हुए देखना बहुत अच्च्छा लगता है. इसके लिए मुझे हमेशा टाइट फिटिंग के कपड़े पहनने के लिए कहते है. वो खुद टेलर के पास मेरे साथ जाकर ब्लाउस का गला और पीठ इतनी गहरी बनवाते है की आधे बूब्स बाहर लोगों को दिखते रहते हैं.
मैं भी उन लोगों के बीच वैसी ही रहने लगी. अक्सर उनके कहने पर सेमी ट्रॅन्स्परेंट कपड़े पहन कर या बिना ब्रा के ब्लाउस पहन कर भी बाहर चली जाती हूँ.
उनकी पार्टीस और महफ़िलों मे मे काफ़ी एक्सपोसिंग कपड़े पहन कर जाती थी. उनके सारे दोस्तों की तो लार टपकती थी मुझे देख कर. मैं उनकी हरकतें जीवन को बाद मे चटखारे लेकर सुनती थी. अगर कभी नही सुना पति तो वो खोद खोद कर मुझसे पूछ्ते थे. उन मे से कुच्छ दोस्तों का घर मे अक्सर आना जाना था. वो बेहिचक मुझसे गंदे गंदे जोक्स करने से भी नही कतराते थे. उनकी बीवियाँ भी हमारी तरह ही खुले विचारों की थी.
उनके दोस्तों मे एक है रोहन. वो अभी कुँवारा ही है. 35 साल की आस पास उम्र होगी. पता नही शादी करेगा भी या नही. इन लोगों का एक दस आदमियों का ग्रूप था. हफ्ते मे दो दिन शाम को सब एक जगह इकट्ठे हो कर एक गेट टुगेदर किया जाता था. बारी बारी से किसी एक के घर पार्टी अरेंज होती थी और सब रात दो तीन बजे तक नाच गाना चलता रहता था. सारे मर्द ड्रिंक्स मे और कार्ड्स मे बैठ जाते थे. महिलाएँ गुपशप मे बिज़ी हो जाती थी. और ये महाशय मिस्टर. रोहन देशपांडे आदमियों से ज़्यादा महिलाओं मे रूचि लेता था. वो सारी महिलाओं से ही फ्लर्ट करता था. मैं नयी शादी शुदा थी इसलिए मुझमे वो कुच्छ ज़्यादा ही इंटेरेस्ट लेता था. महिलाएँ भी उसका नाम ले ले कर दबी दबी मस्कराहेट देती थी और आँखों के इशारे करती थी.
अक्सर जब हम सब बातें करती वो आकर मेरी बगल मे मुझसे सॅट कर बैठ जाता. फिर कभी कोल्ड ड्रिंक्स के बहाने या कभी स्नॅक्स उठाने के बहाने अपनी कोहनी से मेरे ब्रेस्ट को प्रेस कर देता. कभी मेरी जांघों पर हाथ फेर देता. बाकी महिलाएँ तो उसकी इस तरह की हरकतों का बुरा नही मानती थी. मगर मेरे लिए ये सब नया अनुभव था. किसी गैर मर्द का इस तरह बदन को छ्छूना या उसे मसलना मुझे अजीब सा लगता था. मर्द लोग तो उसकी हरकतों का कोई बुरा नही मानते थे. अगर कोई कुच्छ शिकायत भी करता तो हँसी मे उड़ा दिया जाता था.
क्रमशः....
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RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -5
गतान्क से आगे.....
“वॉट डू यू वॉंट? तुम मुझसे मिलना क्यों चाहती थी.” उसने गुर्राते हुए पूछा.
“मैं एक इंटरव्यू लेना चाहती हूँ आपका. आपकी कुच्छ तस्वीरें लेना चाहती हूँ.” मैने डरते डरते हुए कहा.
उसने ज़ोर ज़ोर से तीन बार ताली बजाई, “गुड…यू आर आ ब्रेव गर्ल. तुमने सोच कैसे लिया कि तुम मेरा इंटरव्यू लेना चाहोगी और मैं तैयार हो जाउन्गा? आज तक मुझसे इतना पूछ्ने की भी किसी ने हिम्मत नही दिखाई.”
“मैं अपने पेपर मे आपका इंटरव्यू छपून्गि.”
“ मेरा इंटरव्यू और फोटो लेने के लिए शेर का कलेजा चाहिए. है तेरे पास? उसने मेरे स्तनो की ओर देखते हुए पूछा.
“ मैं किसी से नही डरती कह कर मैने अपने स्तनो को और उसकी ओर तान दिया.”
“बड़े थन और बड़े जिगर मे अंतर होता है लड़की.” कह कर उसने मेरे स्तनो को इशारा किया “ इनमे दूध भरता है आग नही.”
“ मैं लड़की हूँ मगर अपने इन से अच्छे अच्छो के दिल मे आग लगा सकती हूँ.” मैने अपने स्तनो की ओर इशारा करते हुए कहा
“ अच्छा बहुत बोलती है. देखूं तो कैसा है तेरा….बदन” कह कर उसने मेरे शर्ट को कोल्लेर से दोनो हाथों से पकड़ कर अलग कर दिया. बटन्स गोलियों की तरह शर्ट से टूट कर पूरे कमरे मे फैल गये.
मैने अपने हाथों से अपनी नग्नता च्चिपाने की व्यर्थ कोशिश की. मगर उस दानव के सामने तो मैं एक छ्होटी चिड़िया की तरह थी, जिसकी वो जब चाहे गर्देन मरोड़ सकता था. मैने भी देख लिया इन ख़तरनाक लोगों के बीच मेरी ओर से कोई छ्होटी सी हरकत की कीमत मुझे अपनी जान देकर चुकानी पड़ सकती थी. लेकिन फिर भी मैने अपने आप को बचाने की एक आधी अधूरी कोशिश की.
“मैं…मैं शादी शुदा हूँ. किसी की बीवी तुम्हे मुझसे इस तरह का व्यवहार नही करना चाहिए.” मैने कहा,
“शादी शुदा है तो क्या हुआ. यहाँ से जायगी तो कुच्छ सीख कर ही जाएगी. अपने हज़्बेंड को जब यहाँ से सीखे हुए दाव पेंच दिखयगी तो तेरा हज़्बेंड भी खुश होगा.”
“मैं अपने हज़्बेंड से कैसे कहूँगी कि मैं किसी और के साथ रात गुज़ार कर आई हूँ. मेरे बदन के ये दाग बिना कुच्छ कहे ही सब बता देंगे कि मेरे साथ क्या क्या हुआ.”
“ठीक है मैं तुझे छ्चोड़ता हूँ तू जा….तुझे मेरा इंटरव्यू भी नही मिलेगा.” उसने कह कर मुझे एक दम से छ्चोड़ दिया.
“नही मैं तो आपका इंटरव्यू लेकर ही जाउन्गि. ये मेरे प्रेस्टीज का सवाल है.” मैने उसके करीब जा कर कहा.
“तू पहली लड़की है जो यहाँ आकर भी मेरे सामने खड़ी है. आज तक यहाँ पर जो भी आया है. उसे जानवर बहुत चाव से खा गये. “ उसने मुझसे कहा,” यहाँ मेरी जानकारी के बिना कोई पत्ता भी नही हिल सकता. तो फिर तेरी क्या मज़ाल है. तू क्या सोचती है तू अपनी कोशिशों से यहाँ तक पहुँची है? हाहाहा…तू जब गाओं मे मेरे बारे मे पूछ्ती फिर रही थी तब से मुझे तेरे बारे मे मालूम है. मुझे पता चल गया था की तू खूबसूरत और कसा हुआ माल है इसलिए मैं खुद ही तेरे लिए रास्ता बनाता गया.”
मैं उसकी बातें सुन कर हैरान रह गयी.
“तू अब नखरे दिखाना छ्चोड़. मैं इस हाथ ले उस हाथ दे पर विस्वास करता हूँ.” उसने मुझे वापस अपनी बाहों मे लेते हुए कहा,” पहले तू ये सोच ले कि तुझे मेरा इंटरव्यू लेना है या नही.”
“ मैं तुम्हारा इंटरव्यू लिए बिना यहाँ से न आयी जाउन्गी.” मैं भी अपनी बात पर आड़ गयी.
“ तो फिर एक शर्त है.” उसने मुझे गहरी नज़रों से देखते हुए कहा. जब मैं चुप ही रही तो उसने आगे कहा,” तुम मेरा इंटरव्यू ले सकती हो बदले मे तुम्हे दो दिन तक मेरा गुलाम बन कर रहना पड़ेगा.”
मैने कोई जवाब नही दिया. उसने मुझे चुप देख कर मेरी आधी मर्ज़ी समझ कर आगे बोलने लगा, “ मैं जो भी कहूँगा तुझे बिना किसी सवाल के करना पड़ेगा. एक भी बार विरोध किया या कोई सवाल पूछा तो दो हंटर पड़ेंगे. बोलो तैयार हो?”
मैने बिना कुच्छ कहे अपना सिर सहमति मे झुका दिया. वो कुच्छ देर तक मेरी दशा देख कर मुस्कुराता रहा.
“अगर तुम मेरी शर्त मान गयी तो…..” उसने मेरे चेहरे को अपनी हथेली से उठाकर मुझे एक किस किया, “ तुम पहली लड़की होगी जो यहाँ से बच कर जिंदा वापस लौटेगी.” उसने मुझे खींच कर अपने सीने से लगा लिया. उसके दोनो हाथ मेरी पीठ पर फिरते हुए मेरे नितंबों को मसल्ने लगे. मैं कसमसा कर उससे अलग हुई.
इनके किसी भी हरकत पर विरोध दिखाना मूर्खता भरा काम था. मैने एक बार अपने हाथों से अपने ब्रा के कप्स ढकने की कोशिश की मगर तंगराजन के मेरे हाथ को झटक देने के बाद मैने किसी तरह की कोई कोशिश नही की. तब भी नही जब तंगराजन ने मेरे स्तनो को ब्रा के उपर से मसल्ते हुए उसके दोनो कप्स के बीच की पट्टी पर अपनी उंगलियाँ फँसा कर एक झटका दिया और मेरा ब्रा सारे बंधन तोड़ता हुया उसके हाथ मे आ गया. उसका झटका इतना ज़ोर का था कि मैं खुद लड़खड़ा कर तंगराजन के सीने से चिपक गयी. ऐसा लगा मानो मेरा नग्न बदन किसी चट्टान से जा टकराया हो.
तंगराजन ने मेरे दो टुकड़े हुए ब्रा को एक ओर फेंक कर मेरे नग्न बदन को निहारा.
मैने शर्म से अपनी आँखें बंद कर ली.
“ह्म्म्म्म अच्च्छा माल है. मुत्थु ने लगता है तुम्हारे इन दोनो फूलों को बुरी तरह मसला है.” उसने अपने दोनो हाथों से मेरे स्तनो को उठाते हुए कहा, “च्च्च…..इन मक्खन से गेंदों पर कैसी नीले नीले निशान पड़ गये हैं. ठहर जा छिनाल तू अब मेरी गुलाम है, मेरी दासी समझी”
मैने हामी मे सिर हिलाया. मैं अब इसके रहमो करम पर थी उसकी मर्ज़ी के बिना कुच्छ कर भी नही सकती थी.
मैं चुपचाप खड़ी रही. उसने मेरे सिर के पीछे बँधे बलों को खोल दिया जिससे मेरे सिल्की बालो ने मेरी पीठ को धक लिया था. मेरे बाल कमर तक लंबे थे. उनके खुल जाने से मैं और सेक्सी लगने लगी थी. तभी तगराजन ने किसी को आवाज़ दी. एक आदमी अंदर आया. उसके हाथ मे एक जानवरों के गले पर बाँधने वाला पट्टा था और उस पर चैन लगी थी. उसने वो पट्टा मेरे गले पर बाँध दिया. मैं कुच्छ भी नही कर सकी. उसने चैन तंगराजन के हाथ मे दे दी. तंगराजन ने चैन को हाथ मे लेकर एक झटका दिया. मैं उसके झटका देने पर लड़ खड़ा गयी.
मैं किसी पालतू जानवर की तरह उसके सामने खड़ी थी. मुझे सदियों पुराने गुलामो को दर्शाती हुई तस्वीरें याद हो आइ जिसमे गुलामों मे और जानवरों मे कोई अंतर नही दिखता था.
मुझे किसी अंजान आदमी के सामने इस तरह खड़े अगर मेरी फॅमिली वाले देखते तो क्या सोचते. मेरे हज़्बेंड को मेरे उस असाइनमेंट पानी की बधाई के बारे मे दोबारा सोचना पड़ता. मेरी सास तो शायद शर्म से ही मर जाती और मेरे कॉलीग्स उनकी तो लंड अपनी बारी का इंतेज़ार कर रहे होते. अभी कुच्छ ही महीने पहले घूँघट के पीछे छिपी उस छुइ मुई सी लड़की एक वासना की गुलाम के रूप मे इसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता था.
“अब देखूं नीचे क्या छिपा हुया है.” कह कर उसने मेरे घाघरा को भी फाड़ कर टुकड़े टुकड़े कर दिया. नीच कुच्छ नही पहने होने की वजह से अब मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी.
“वाआह…..बहुत चिकनी है. मज़ा आ जाएगा. मैने तेरे कपड़े खोल दिए अब तू भी मेरे कपड़े हटा कर मेरे बदन को देख.” उसने कहा. मैं चुप चाप खड़ी रही. उसने अपने हाथ से मेरी कलाई पकड़ ली और उसे अपने तहमद के उपर रखा. उसकी पकड़ इतनी सख़्त थी कि एक बार पकड़ने पर ही कलाई दुखने लगी. मैने भी उसके तहमद की गाँठ को खोल कर उसके बदन से हटा दिया. दोस्तो कहानी अभी बाकी है
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