Porn Sex Kahani पापी परिवार
10-03-2018, 03:54 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" उफफफफफ्फ़ !!! मैं आ तो रही हूँ " ......कम्मो की बात और सिसकी, दोनो पूरी नही हो पाई और निकुंज ने बलपूर्वक उसे बेड पर बिठा लिया ..... " मैं भी मना थोड़ी ना कर रहा हूँ मों !!! बस थोड़ी देर बाद चली जाना " ......मजबूरन कम्मो को उसकी बात मान'नि पड़ी, लेकिन अपनी योनि में धधक रही गर्मी निकालना उसके लिए बेहद ज़रूरी हो गया था ...अब वह हैरत भरी निगाहो से अपने बेटे के अंगूठे को देखने लगी, जिसे उसके चूतड़ो की गहरी घाटी में रगड़ने के बाद वह, उसमें से उठती मादक सुगंध सूंघ रहा था, मदहोश हो रहा था.

" मोम !!! ऊपर आओ ना ..मुझे आप की गोद में सर रख कर लेटना है " .....कम्मो किसी गुलाम की भाँति अपने बेटे की हर बात माने जा रही थी, उसने नीचे लटके अपने दोनो पैरो को आती शीघ्रता से बेड पर चढ़ा लिया और इसी बहाने उसके बेटे को कुछ छनो के लिए ...अपनी मा की झांतो से भरी रसीली योनि का दीदार हो गया.

फॉरन निकुंज ने अपनी जगह से हट'ते हुए, कम्मो को टेक लगा कर वहाँ बिठा दिया और उसके पैरो को विपरीत दिशा में फैलाने के बाद ...उसके दोनो घुटने भी काफ़ी ज़्यादा मोड़ दिए और फिर खुद उसकी नंगी टाँगो के बीच आ कर बैठ गया ...लेकिन इससे पहले वह अपना चेहरा मा की टाँगो की जड़ के बीचो - बीच रखने के लिए, उसे नीचे झुका पाता ...कम्मो ने पहना कुर्ता सरकाते हुए अपनी झांतो से भरी योनि पूरी तरह से ढक ली.

" मोम !!! आप बेहद खूबसूरत हो " ......निकुंज ने उसकी आँखों में देखते हुए, उसकी चिकनी जाँघ पर चूमा तो कम्मो के मूँह से एक ज़ोरदार चीख निकल गयी और स्वतः ही उसके हाथो से कुर्ते की कीनोर भी छूट गयी.

सही मौका मिलने के बाद निकुंज ने अपनी मोम की लंबी टाँगो के बीच पसरते हुए, उसकी जाँघो को हवा में उपर उठा दिया ताकि अपना मूँह, मा की फूली हुई गीली और धधकति योनि तक आसानी से पहुचा सके ...कम्मो को एक मिनिट के बाद जाकर कहीं समझ में आ पाया कि उसका अपना बेटा, उसकी योनि चाटना चाहता है और जब उसके बेटे की जीभ ने कामरस से लबालब भरी हुई ...उसकी योनि की सुगंधित परतों पर पहला दबाव दिया तो उसका जिस्म थर्रा उठा ...उसके रोंगटे खड़े हो गये और वह मदहोसी में अपने होंठ काटने लगी.

" नही !!! आअहह ..नही निकुंज ..उंगघह " ......कम्मो की सीत्कार के जवाब में निकुंज ने उसकी घनी घुंघराली, सुनहरी झांतो को चाटना शुरू कर दिया ...अब वह जान कर योनि के आस - पास के एरिया को चाट रहा था, ताकि उसकी मा मजबूर हो कर उससे अपनी योनि चटवाने, चुसवाने की माँग करने लगे, गिड़गिदाने लगे ..क्यों कि उसकी मा ने उसकी लंबी जीभ का पहला स्पर्श, पहला कहर झेल लिया था ...... " हाए मोम !!! आप तो बहुत गीली हो ..मुझे तो यकीन ही नही हो रहा " ......निकुंज ने अट्टहास करते हुए कहा, वह जानता था उसकी मा बाथ - रूम क्यों जाना चाहती थी ...वह अपनी बढ़ती कामोत्तजना का अंत करने को मचल रही थी, लेकिन अब सारा खेल उसके बेटे के हाथ में है ...वह जैसे चाहे अपनी मा को शांत कर सकता है, कम्मो भी उसकी बात सुनकर जोश से भर उठी ...बेटे का अपनी मा को इस शर्मनाक अंदाज़ में छेड़ना उसे बेहद पसंद रहा था.

कुछ देर तक झांतो में उलझे रहने के बाद निकुंज नीचे की तरफ अपनी जीभ ले जाने लगा ...उसकी आँखों के ठीक सामने उसकी मा की गान्ड का मुलायम भूरा छेद दिखाई देने लगा, उसने सॉफ महसूस किया ...बार - बार उसकी मा तेज़ सांसो के ज़रिए, अपने गुदा - द्वार को सिकोड कर अंदर की तरफ खीच रही थी और फिर स्वतः ही वह छेद अपने आप ढीला पड़ जाता ...... " न ..न ..निकुंज नही !!! वहाँ नही बेटा ..प्लीज़ " ......बेटे की जीभ का गीला स्पर्श, उसकी थिरकन अपनी गान्ड के कोमल छिद्र पर महसूस कर कम्मो की आँखें नतिया गयी और उसने बेटे का सर ज़ोरो से थाम लिया ..... " आऐईयईईईई !!! मान जा निकुंज ..मैं मर जाउन्गि " .....वह चीखने लगी ..इतने आनंद की कल्पना तो उसने कभी नही की थी, उसे तो पता तक नही था ...शरीर के इस गंदे छेद को भी चूसा या चाटा जा सकता है और सबसे बड़ी बात ...उसमें उठती सिरहन तो वाकाई प्राणघातक थी.
Reply
10-03-2018, 03:54 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" नही मोम !!! मुझे मज़ा आ रहा है ..आप का आस होल बहुत टेस्टी है " ......निकुंज ने उस छेद को काफ़ी गीला कर दिया था और अब वह उसे अपने होंठो में भीचते हुए, बड़ी कठोर व ताक़त के साथ चूसने लगा था ...जैसे उस छेद के अंदर से भी कोई तरल पदार्थ बाहर निकल कर अपना गला तर करना चाहता हो ...... " ह्म्‍म्म्ममम !!! " .....एक ज़ोरदार अंगड़ाई लेकर कम्मो ने उसके सर को मजबूती से ऊपर खीचा और उसके होंठ ठीक अपनी उबलटी योनि द्वार से टिका कर ...उतनी ही ताक़त से अंदर की तरफ दबाने लगी, जैसे इसी वक़्त अपने लाड़ले का पूरा चेहरा अपनी फूली योनि में परवेश करवा देगी ...... " यहाँ चूस बेटा ...चूस डाल अपनी मा को " .......आख़िर कार कम्मो गिडगीडाने लगी और जैसा निकुंज ने सोचा था ...वह उसमें सफल हो गया.

अब उसने अपनी मा की बात का कोई जवाब देना उचित नही समझा और उसकी योनि चूसने में पूरी तरह से व्यसत हो गया, स्पष्ट था कि उसे अपनी मों की योनि का ज़ायका बहुत स्वादिष्ट लग रहा था ...अपनी जीभ को रस से चमक रही गुलाबी योनि पर ऊपर - नीचे, अंदर - बाहर करने में उसे बड़ा मज़ा आ रहा था.

कम्मो ने तुरंत ही अपने मन में एक दर महसूस किया, कि मालूम नही वह अपने बेटे के सामने अब कैसा बर्ताव करेगी ...वह अपने बेटे द्वारा योनि चूसे जाने से पहले ही बहुत ज़्यादा कामोत्तेजित थी और जब उसके बेटे ने मात्र अपनी जीभ के इस्तेमाल से ही उसकी कुलबुला रही योनि को ओर भी गीला कर दिया था ...उसकी खुजली में ऑर भी इज़ाफ़ा कर दिया था तो आगे चलकर उसकी क्या हालत होगी ...उसे यह बात सोचते हुए भी डर लग रहा था की कहीं वह मदहोशी में अपनी सूदबुध ना खो बैठे और बेटे के सामने एक रंडी की तरह बर्ताव ना करने लग जाए.

" बस बेटा !!! अब बाथ - रूम जाने दे ...बहुत कर लिया तूने अपनी मोम से प्यार, चल अब मुझे जाने दे " ......ना चाहते हुए भी अंजाने डर के वशीभूत होकर कम्मो ने पीछे हटना चाहा लेकिन इस बार भी निकुंज ने कोई जवाब नही दिया, उसकी उंगलियाँ योनि के कोमल होंठो को काफ़ी हद्द तक फैला चुकी थी ...ताकि वह अपनी लप्लपाति जीभ, अपनी मा के गीले ओर सुगंधित छेद में पूरी गहराई तक थेल सके ...योनि के अंदर से गाढ़े मलाईदार रस का बहना लगातार जारी था और योनि का भज्नासा सूज कर ओर भी
Reply
10-03-2018, 03:54 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
निकुंज अपनी जीभ को योनि के ऊपरी छोर पर घुमाने लगा, उसने योनि चूसने के कौशल में अपनी प्रवीनता उस समय साबित कर दी ..जब वह किसी पारंगत मर्द की भांति अपनी जीभ, अपनी मा की योनि के सूजे दाने पर एक तरफ से दूसरी तरफ तक ...बड़ी कोमलता से रगड़ने लगा, निच्छले धड़ से निर्वस्त्र उस मा ने सीत्कार करते हुए फॉरन अपने बेटे के सर को दोनो हाथों में जाकड़ लिया और फिर वह अविलंब, धड़ा - धड़ अपने बड़े - बड़े चूतड़ो को तेज़ी से ऊपर हवा में उच्छालती हुई ...अति शीघ्रता से अपने बेटे का मूँह, अपनी गीली योनि पर रगड़ने लगी ...उसका मूँह चोदने लगी.

निकुंज ने योनि को चूमते हुए उसकी चुसाई चालू रखी, कभी - कभार वह अपनी मा की सुनहरी झांतो के गुछो पर अपना संपूर्ण चेहरा रगड़ देता ...कुछ देर बाद उसने अपनी उंगलियाँ सीधी की और उन्हें अपनी मा की योनि के सन्कीर्न व बुरी तरह से चिपके अन्द्रूनि मार्ग पर धकेलने लगा ...कम्मो के जिस्म में कपकपि दौड़ने लगी, जब उसके बेटे ने लगातार उसकी योनि में उंगली करते हुए उसके सूजे भांगूर को मूँह में भरकर चूसा ...वह पागलो जैसी अपने मोटे - मोटे स्तनो को खुद ही दबाने लगी, उसके हाथो का ज़ोर इतना तगड़ा था की कब उसका कुर्ता फॅट जाता ...उसे पता भी नही चलता.

मटर समान दाने को अपने होंठो में भीचे निकुंज, पूरी रफ़्तार से अपनी 3 उंगलियाँ मा की योनि में अंदर - बाहर करने लगा और इसके प्रभाव से जल्द ही कम्मो को अपनी योनि की भीतरी गहराई में रस उमड़ता महसूस हुआ ...जिसके कारण उसके निपल और गुदा - द्वार में भी सिहरन सी दौड़ गयी और स्खलनपूर्व होने वाले एहसास से उसके जिस्म में आनंदमयी खलबली मचने का आगाज़ शुरू हो गया ...इसके बाद वह अनियंत्रित ढंग से अपनी टाँगो को निकुंज की गर्दन पर लपेट कर ज़ोरो से रो पड़ी.

" हां बेटा ..ऐसे ही !!! " .....कम्मो भर्राए गले से बोली, उसका बदन ऐंठने लगा था ...... " चूस डाल अपनी मा की योनि और अंदर तक थेल ..हां हां !!! दाने को काट ले ...ज़ोर से दाँत गढ़ा बेटा, ज़ोर से ..अरे ज़ोर लगा ना !!! " ......कम्मो की आशाए चीखें उस बंद कमरे में भूचाल लाए जा रही थी, इस वॉक्ट यदि कोई उनके कमरे के सामने से गुज़रता तो हाल समझ जाता ..अंदर क्या चल रहा होगा ...... " मेरा स्खलन करवा दे बेटा !!! मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ ..तेरी प्यारी मा अपनी योनि में उठता दर्द सहते - सहते दम तोड़ देगी ..चूस बेटा और ज़ोर से चूस ..मैं जीवन - पर्यंत तुझसे इसी तरह प्रेम करती रहूंगी, पर आज तू मुझे बचा ले निकुंज .......आऐईयईईईईईईई !!! पी जा मेरे लाल, तेरी मा की योनि का गाढ़ा रस है बेटे ..अमृत है यह तो ...मिन्नत है मेरी निकुंज पूरा पीजा, छोड़ना नही कुछ भी " ......कम्मो ज़ोरदार, मनभावन स्खलन को पाने लगी और उसकी सन्कीर्न व सूजी योनि द्वार से बाहर आती हर फुहार, हर झटके पर उसका दर्द ...हल्के से हल्का होता गया.

.

5 मिनिट पहले :-

.

ड्राइव करते वक़्त निकुंज ने के पल को भी पीछे पलट कर नही देखा था ...लेकिन अपने सपने में जैसे ही कम्मो का मननवांच्छित चरम पर पहुचना हुआ, उसकी अनियंत्रित हिचक़ियों और अजीबो - ग़रीब क्रिया - कलापो ने उसके बेटे को फ्रंट मिरर से पिच्छली सीट पर झाँकने को मजबूर कर दिया ...निकुंज ने देखा उसकी मा ने ड्राइविंग सीट जहाँ वह खुद बैठा था, अपने दोनो हाथो को वहाँ टिकाया हुआ है और अपने नाख़ून उसने ...सीट के मुलायम गद्दे पर बुरी तरह से धाँस रखे हैं, मा का सर हवा में ऊपर उठा हुआ और साथ ही गर्दन बेहद कड़ी हुई है ..वह ज़ोरो से काँप रही है और अपने भर्राए गले से कुछ बुदबुदा भी रही है.

यह नज़ारा देखते ही वह सकते में आ गया ...उसे लगा, जैसे उसकी मा को हार्ट - अटॅक या मिर्गी का दीर्घ दौरा पड़ गया है और इसी घबराहट में तेज़ी से ब्रेक लगाते हुए वह चीखा ...... " मोम !!! " .......और कार के रुकते ही वह ड्राइविंग सीट से नीचे उतर कर पिच्छली सीट पर जा पहुचा.

" क्या हुआ मोम ? " ......उसका गेट खोलना हुआ और ठीक उसी वक़्त सपने में उसकी मा झाड़ पड़ी, उसके बदन में कंपन के साथ तेज़ झटके लगने लगे ...कुछ पल को निकुंज भी हत - प्रत रह गया, उसके रोंगटे खड़े हो गये ...परंतु जल्द ही होश संहालते हुए उसने मजबूती से अपनी मा का कंधा थाम लिया ...... " मोम आँखें खोलो ..क्या हुआ आप को ? " ......इसी तरह के कयि सवाल उसके नन्हे से मस्तिष्क में बवाल मचाने लगे, वह रुन्वासा हो गया.
Reply
10-03-2018, 03:54 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
बेटे द्वारा झक - झोरे जाने पर कम्मो की बंद पॅल्को में हलचल होने लगी और शीघ्र ही उसकी रक्त - रंजित आँखें खुल गयी ...उसने अपना चेहरा घुमाया तो बेटे को अपने बहुत करीब पाया, वह लगातार झाड़ रही थी और उसका संपूर्ण निचला धड़ ऐथन की जकड़न से लिप्त था ...धधकति योनि से निकलती धारा - प्रवाह रस की गरम बौछारे उसकी पैंटी से नीचूड़ कर नीचे सारी को भिगो रही थी ...उसे सॉफ महसूस हो रहा था, इस वक़्त उसके गुदा - द्वार में इस कदर सनसनी मची है कि वह मरणासन्न हुई जा रही है ...लग रहा था जैसे उसका लाड़ला उसकी मिन्नत मानकर, पूरी गहराई तक उसकी योनि चाट रहा है और बाहर बहता गाढ़ा रस चूस - चूस कर अपना गला तर कर रहा है.

" मोम !!! कुछ बोलो तो सही " .......निकुंज को खुशी तो हुई कि उसकी मा ने अपनी आँखें खोल दी हैं, पर वह कुछ बोल क्यों नही रही ..बस यही सोच कर उसकी सारी खुशी फीकी पड़ने लगी.

" थॅंक यू बेटा !!! " ........असीम सुख प्राप्त करने के बाद कम्मो होश में लौटने लगी, वह अब पूरी तरह से संतुष्टि पा चुकी थी ...उसके बदन की ऐथन और योनि में उठती असहनीय पीड़ा का अंत हो चुका था, उसने मुस्कुराते हुए बेटे के चेहरे को निहारा ...उसकी लाल व पनियाई आँखों में उसके पापी सपने की झलक सॉफ देखी जा सकती थी ...परंतु वह बेटे का शुक्रिया अदा करने के अलावा कुछ और कहने की स्थति में नही लौट पाई थी.

" आप ठीक हो ना ? " .......मा का मुस्कुराना निकुंज के ज़ख़्मी दिल पर मलम का काम कर गया और उसने मा के कंधे से हाथ हटाते हुए पूछा.

" हां निकुंज !!! मैं ठीक हूँ " .....इतना कह कर कम्मो खुद को रोक नही पाई और नज़दीक खड़े अपने पुत्र के माथे का गहरा चुंबन ले लिया ...... " बेटा हम कब कब तक घर पहुच जाएँगे ? " ......बात पूरी करते हुए उसने अपने चेहरे पर आए पसीने को अपने आँचल से पोन्छा और तब तक निकुंज भी उसकी साइड का गेट लगाने के बाद ड्राइविंग सीट पर वापस पहुच गया.

" बस 2 घंटे में ? " .....निकुंज ने गियर डाला और वे तीनो फिर सफ़र पर निकल पड़े.

जहाँ निकुंज कुछ देर पहले हुई घटना का अंश मात्र भी समझ नही पाया था ...अब घटना से संबंधित ढेर सारे सवाल उसे परेशान करने लगे थे ...वहीं कम्मो प्रफुल्लता से भरि हुई थी, इक्षास्वरूप स्खलन के पश्चात भी उसे लग रहा था जैसे उसके लाड़ले की खुरदूरी जीभ हौले - हौले योनि की सूजी फांको पर भ्रमण कर रही हो, जैसे वह अपनी मा का कष्ट पूरी तरह से निचोड़ना चाहता हो और बीच - बीच में उसे चिढ़ाने या रोमांचित करने की गरज से ..उसकी संपूर्ण योनि अपने मूँह में भर कर चूसने लगता हो.

एक बार फिर से दोनो अधीर हो उठे थे ...जाने उनकी इस अधीरता का अंत कहाँ पर होना निश्चित होगा.
Reply
10-03-2018, 03:54 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
पापी परिवार--45

वैसे तो कहानी काफ़ी आगे बढ़ चुकी है, लेकिन शुरूवात वहीं से ...जहाँ ख़तम किया था.

अपने रूम में सेफ्ली पहुचने के बाद दीप ने चैन की साँस ली, परंतु अपने दिल की बढ़ी अनियंत्रित धड़कनो को सामान्य करने में उसे वक़्त लगना था ...वह हैरान भी था और बेहद परेशान भी ....... " ह्म्‍म्म्म !!! मेरी ही लगाई हुई आग ..आज मुझे खुद झुलसाना चाहती है " .......बंद कमरे में भी वह धीरे से फुसफुसाया, जैसे उसके मूँह से निकलने वाली बात उसकी बेटी के कानो तक पहुच जाएगी ...वह अब तक खुद को नॉर्मल नही कर पाया था और जानते हुए भी, कि वह कमरे को अंदर से लॉक कर चुका है ...दोबारा उसकी नज़र दरवाज़े से चिपक गयी और फिर फुल्ली कन्फर्म होने के बाद वह तेज़ी से बाथ - रूम की तरफ बढ़ गया.

शवर के नीचे खड़े नहाते हुए 15 मीं से ज़्यादा बीत गये थे ...पर अब तक उसे अपने बदन की गर्मी से छुटकारा नही मिल पाया था ........ " यह वाकाई काफ़ी गंभीर मुद्दा है, मुझे हल्के में नही लेना चाहिए इसे " ........वह सोचने लगा कैसे दिन - प्रति - दिन वह, अपनी बेटी के दबाव में झुकता ही जा रहा है ...अगर कुछ दिन और ऐसा चलता रहा, यक़ीनन उसकी बेटी ...उसकी सारी बनी छवि धूमिल कर देगी.

" दीप कभी कठपुतली नही बना, ख़ास कर औरतो के हाथो ..चाहु तो अगले 1 घंटे में निम्मी को अपना गुलाम बना लूँगा ..लेकिन नही, ज़बरदस्ती से कुछ हासिल नही होना ...ना ही मुझे कुछ हासिल करना है, आख़िर वह मेरी सग़ी छोटी बेटी है " .......दीप सोचते हुए बाथ - रूम से बाहर निकल आया, इस वक़्त वह पूरी तरह नंगा था और रह - रह कर उसका ध्यान बीती अपनी पिच्छली ज़िंदगी की तरफ मुड़ने लगा था.

शिवानी से मिलने के पश्चात उसमें ढेरो बदलाव आए थे, हलाकी इसकी असल शुरूवात तनवी से हुई थी ...परंतु आज के दिन और पिच्छले कयि दिनो से वह, ना तो नशे में रहा था, ना ही उसमें चुदाई की तलब जागी थी और तो और वह अपने कर्तव्यों से विमुख होने की अपनी पत्नी से माफी भी माँग चुका था.

" अब जब सब इतना अच्छा चल रहा है ..तब क्यों निम्मी मेरे साहस की परीक्षा ले रही है " ........उसने यह वाक्य अपने ढीले लंड की तरफ देखते हुए कहा, जो सुषुप्त अवस्था में भी बेहद विकराल दिखाई दे रहा था ...यक़ीनन वह इस बात को अपनी जवानी में ही समझ गया था कि उसके लंड तक पहुचने के बाद, हर जनाना जिस्म टूट कर ही वापस जुड़ पाता है और आज उमर के चौथे पड़ाव को पार करने के बाद भी उसके लंड में अद्भुत शक्ति का संचार निरंतर जारी है.

कुछ देर तक यूँ ही विचारो को सोचते हुए वह अंतिम निर्णय लेने की स्थिति में आ गया ........ " मुझे प्यार से उसे स्मझाना पड़ेगा, उसका पिता नही ..दोस्त बनना पड़ेगा " ........फ़ैसला लेते ही वह मुस्कुरा उठा, एक मेच्यूर वयस्क की भाँति अब तक उसके जहेन में निम्मी को चोदने की बात नही आ पाई थी ...हलाकी बहेक तो हर कोई जाता है, बेटी होने से पहले वह एक नारी जो ठहरी ...... " मैं उसे समझाने में कामयाब ज़रूर होऊँगा " ......इतना कह कर उसने अपने नंगे बदन को बेहद सॉफ सुथरे वस्त्रो से ढक लिया और पुनः कमरे का दरवाज़ा खोल कर बाहर निकल आया.
Reply
10-03-2018, 03:54 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
बाहर आते ही उसे निम्मी सोफे पर बैठी दिखाई दी ...वह सोई नही थी, इस वक़्त उसकी पीठ दीप की तरफ थी और वह अपने लॅपटॉप को गोद में रखे ...उसकी स्क्रीन पर नज़र गढ़ाए हुए थी.

" उफफफफफफ्फ़ !!! यह लड़की भी ना पूरी पागल है ..घड़ी - घड़ी रंग बदलते हैं इसके " .......दीप हौले - हौले सीढ़ियाँ उतरने लगा, उसके पैरो की आवाज़ निम्मी आराम से सुन सकती थी ...पर ताज्जुब की बात, ना तो अब तक उसने पीछे मूड कर देखा था ना ही उसके बदन में आवाज़ को लेकर कोई कंपन हुआ था ...बस निरंतर वह लॅपटॉप की स्क्रीन देखने में खोई हुई थी.

जैसे - जैसे दीप सोफे के नज़दीक आता गया, स्क्रीन पर छायि ढुँधलाहट का भी अंत होता गया और जब उसने स्क्रीन पर अपनी खुद की तस्वीर देखी वह चौंक पड़ा ...स्वतः ही उसके कदम जहाँ थे वहीं जमे रह गये.

तस्वीर कुल 4 - 5 साल पुरानी थी, जिसमें वह रघु की मार से रोती निम्मी को अपनी गोद में बिठाए चुप करवा रहा था, साथ ही फोटो खीचने वाला भी कोई और नही वह खुद था ...हलाकी जल्दबाज़ी में क्लिक हुई वह फोटो ज़्यादा क्लियर तो नही थी पर जितनी थी, उसे देख कर कोई भी अन्य शॅक्स बाप - बेटी के निर्मल प्यार को नमन ज़रूर करता.

" कितना बदलाव आ गया है " .......उसने सोचा और फॉरन वह अधीर हो उठा, बेटी का मासूम रोता चेहरा ना तो वह पहले कभी देख सकता था ना ही आज देखने की हिम्मत कर सका ...उसके अवरुद्ध पाँव खुद - ब - खुद आगे बढ़ गये और जल्द ही वह निम्मी के ठीक सामने पहुच गया.

" निम्मी !!! " ......प्रेम से सराबोर उसका अपनी बेटी को पुकारना हुआ, तभी उसे एक करारा झटका लगा और जब तक वह खुद को संभाल पाता, बाप के दिल को मार कर उसके अंदर छिपा मर्द अंगड़ाई लेने लगा ...निच्छले धड़ से पूरी नंगी उसकी सग़ी बेटी, अपने पिता की तस्वीर देखते हुए अपनी कुँवारी चूत सहलाने में मग्न थी.

दीप के जड़ होते शरीर का सिर्फ़ एक भाग निरंतर तरक्की पाए जा रहा था और जाने कब निम्मी ने उसे आवाज़ दी उसे पता भी ना चला.

" बैठ जाइए डॅड !!! " .......उसने ने अपनी लेटी, सीधी टाँगो को विपरीत दिशा में फैलाते हुए कामुकता का वह नज़ारा पेश किया कि दीप स्थिर अवस्था में भी उसके आदेश का पालन करने को विवश हो उठा.

" आप मुझे कितना प्यार करते थे लेकिन आज मुझे कोई प्यार नही करता ..ना मोम, ना दोनो भाई और ना ही दीदी " .......लॅपटॉप फोल्ड करते हुए निम्मी ने उसे नीचे फ्लोर पर रख दिया और पूरी बेशर्मी से अपनी रस से भीगी चूत की फाँकें मरोड़ती रही, इस वक़्त उसके चेहरे पर उत्तेजना का अंबार छाया हुआ था और उसकी रक्त - रंजीत आँखें एक - टक अपने पिता की पॅंट में बने विशाल तंबू पर टिकी हुई थी.

दीप की चेतना तब लौटी जब उसने अपने लंड में उठते दर्द को महसूस किया और इसके तुरंत बाद ही उसकी आँखें नीचे को झुकती चली गयी, वह असमंजस की स्थिति में फस चुका था ...नग्न बेटी के साथ सोफे पर बैठा रहे या उठ कर अपने कमरे में वापस चला जाए.

" डॅड !!! प्लीज़ मेरी तरफ देखो ना ..क्या आप को अपनी बेटी की इस बुरी हालत पर ज़रा भी तरस नही आता ..आख़िर इतने कठोर कैसे हो सकते हो आप ? " .......निम्मी ने उसे अपनी तरफ देखने को मजबूर करते हुए कहा और साथ ही वह अपनी चूत की लकीर के ऊपर विराजमान, मोटे भग्नासे को ज़ोरो से मसल्ति हुई आहें भरने लगी.

दीप किन्कर्तव्य विमूढ़, अपनी बेटी के नीच कर्म को चोर निगाहो से देखने लगा साथ ही उसने जाना ...उसके लंड में आते तनाव ने उसके दिमाग़ पर अपना क़ब्ज़ा करना शुरू कर दिया है ....... " नही !!! मैं इतनी जल्दी नही हार सकता, वह मेरी सग़ी बेटी है ..मुझे उससे बात करनी होगी " ......ऐसा फ़ैसला कर दीप ने अपना चेहरा निम्मी की तरफ मोड़ लिया.
Reply
10-03-2018, 03:55 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" ऑल राइट निम्मी !!! मैं कहता हूँ इसी वक़्त अपना हाथ हटा वहाँ से " .......दीप ने थोड़ा नाराज़गी के लहजे में कहा तो निम्मी की उंगलियों का घर्षण स्वतः ही चूत की फांको पर रुक गया और अपने डॅड की बात को मानते हुए उसने अपने दोनो हाथ अपने सर के पीछे बाँध लिए ...परंतु अपनी टांगे ज़रा भी बंद नही होने दी और ना ही चूत छिपाने की कोई कोशिश की ...उसकी स्पंदानशील चूत के गुलाबी होंठ, उसकी गहरी साँस लेने के हिसाब से खुलते - बंद हो रहे थे और बेहद सुगंधित गाढ़ा रस निरंतर गति से बहता हुआ, उसके मनमोहक गुदा द्वार में भिड़ता जा रहा था ...जैसे सारा रस उसमें समाता जा रहा हो.

दीप ने लाख प्रयत्न किए कि वह इस अद्भुत नज़ारे को ना देखे लेकिन उसकी आँखें मंत्रमुग्ध हो कर बेटी की खूबसूरत, चिकनी कुँवारी चूत से बुरी तरह चिपक चुकी थी और तभी उसके कठोर लौडे ने भी उसके पॅंट में रिसना शुरू कर दिया.

" जल्दी कहो डॅड ..मैं ज़्यादा देर रुक नही पाउन्गि " ......बिना किसी लाज - शरम के निम्मी बुदबुदाई और अपने खुश्क होंठो पर जीभ फेरती हुई ...अपने पिता के सामने अपनी अश्लील कामुकता का नंगा प्रदर्शन करने लगी.

" निम्मी मैं कयि दीनो से देख रहा हूँ कि तू अपना सारा समय इन व्यर्थ की बातों में गवाती रहती है ..तू जानती है, यह एक ऐसा गंभीर मुद्दा है जिस पर हमे खुल कर बात करने की सख़्त ज़रूरत है, बेटी !!! इस तरह से तू अपना संपूर्ण जीवन नॅस्ट कर लेगी ..समझ मेरी बात को " ........दीप ने इस बार उसे प्यार से समझाया और साथ ही उसके खुले बालो पर अपना हाथ फेरने लगा ...उसकी छोटी बेटी सदैव ही उसकी चहेती रही थी और वह उसके ऐसे ग़लत बर्ताव को बर्दाश्त नही कर पा रहा था.

" डॅड !!! मैं खुद को बेबस महसूस करती हूँ, आज कल मेरे जिस्म में, ख़ास यहाँ बहुत खुजली होती है और ना चाहते हुए भी मेरे हाथ मजबूर होकर यहाँ पहुच जाते हैं ...लेकिन मेरी इस असहाय खुजली का अंत नही होता, दर्द ओर भी ज़्यादा बढ़ता जाता है " .......मूँह से निकली बात को सत्य साबित करने के लिए वाकाई उसके हाथ काफ़ी द्युत गति से, वापस चूत के रसीले मुहाने पर पहुच गये और बिना किसी संकोच के दोबारा उसकी उंगलियों ने चूत की लकीर को बेरहमी से खुजाना शुरू कर दिया.

दीप अपनी बेटी की इस शर्मनाक हरक़त पर स्तब्ध रह गया और अपने अंदर के मर्द को भरकस कोशिशों के बाद भी जागने से रोक नही पाया, उसके हाथ पॅंट की ज़िप खोलने को आतुर होने लगे और लंड की कठोरता उसकी सहेन - शक्ति की सीमा लाँघने को तैयार होने लगी.

" बस कर निम्मी, मैं तुझे इस हालत में ओर नही देख सकता ..मैं तेरा डॅड हूँ कम - से - कम बातचीत के दौरान तो अपना शॉर्ट्स पहन ले " .......दीप समझ गया उसकी बेटी इस वक़्त अपने होशो - हवास पूरी तरह से खो चुकी है और उसकी खुद की स्थिति उसे निम्मी से ज़्यादा दयनीय लगने लगी ...एक तरफ वह उसे समझाने का भरकस प्रयत्न कर रहा था और दूसरी तरफ उसके मन में उठती काम लूलोप इच्छाये प्रबलता से बढ़ती जा रही थी.
Reply
10-03-2018, 03:55 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" मेरी इस हालत के ज़िम्मेदार आप खुद हो डॅड ..मैं आज भी उस पल को याद कर सिहर उठती हूँ, जब आप ने इलाज के झूठे बहाने से मेरी चूत को चाटा था ..आप खुद सोचो, क्या उस दिन से पहले मैं आप को कभी ऐसी नीच हरक़त करती दिखाई दी, या कभी मैने आप को परेशान किया हो " .......पूर्ण रूप से खुमारी के हाथो विवश होकर निम्मी के मूँह से सीधे चूत शब्द का उच्चारण हो गया और इसके ठीक बाद उसकी तर्जनी उंगली चूत की फांको को चीरती हुई अंदर प्रवेश कर गयी.

" आआईयईईई !!! डॅड प्लीज़ हेल्प मी " .......चीखते हुए निम्मी ने अपनी उंगली बाहर खीची और फॉरन अपने सर पर रखा हुआ दीप का हाथ तेज़ी से उसने अपनी टाँगो की जड़ से चिपका दिया ....... " डॅड !!! चाटो ना एक बार फिर से ..नही तो मैं मर जाउन्गि " ......जैसे ही उसने दीप का हाथ अपनी चूत से सटाया, दीप को उसकी पीड़ा का सही अनुमान हो गया.

इस वक़्त उसकी बेटी की चूत, धधकति भट्टी समान हो गयी थी और उससे बाहर आते लावे ने उसका हाथ झुलसा कर रख दिया था.

यह निम्मी का कोई नाटक नही था, वह वाकाई त्रप्त होने को मचल रही थी ...वह चाहती थी आज उसका कौमार्य सदा के लिए भंग हो जाए और चूत में उठती ऐंठन से वह फॉरन मुक्त हो जाए ...इसके लिए उसे अपने पिता का साथ भी मज़ूर था, वह दिल खोल कर अपनी जवानी दीप को पिलाना चाहती थी ...उस पर निच्छावर करना चाहती थी

वहीं दीप से भी सबर नही हुआ और बेटी की मर्मभेदी चीखो ने उसका सारा बना सैयम तोड़ दिया ...अपने आप मजबूर होकर वा सोफे से खिसकता हुआ नीचे ज़मीन पर बैठ गया और बेटी की नर्म व चिकनी जाँघो को पूरी तरह से ऊपर उठाते हुए ...उसकी छाती से चिपका दिया.

इसके बाद उस अनियंत्रित पिता ने अपनी बेटी की नीच माँग को स्वीकारते हुए उसकी उबल्ति चूत पर अपने काँपते होंठ रख दिए और इसके एहसास मात्र से ही निम्मी ने अपने हाथो से ...अपने पिता का सर बेहद मजबूती से पकड़ लिया ....... " आहह डॅड !!! चाटो ज़ोर से " .......अपनी उत्तेजित बातो से वह दीप का साहस बढ़ाते हुए उसका सर अपनी चूत पर दबाने लगी.

दीप ने भी हथियार डाल दिए, सग़ी बेटी की रस से सराबोर चूत और उससे उठती मादक सुगंध ने उसके अंदर सनसनी फैला दी और एक आख़िरी बार संतुष्टिपूर्वक उस खुश्बू को सूंघने के बाद वह अपनी खुरदूरी जीब पूरी प्रचंडता के साथ बेटी के चूत मुख पर रगड़ने लगा.

" हां ऐसे ही डॅड !!! लव्व्व्व मी " ........निम्मी ने रुन्वासे स्वर में कहा, वह एक आनंदमई सुख के सागर में गोते लगाने लगी थी ...अंगार सी धधकति चूत की चिकनाई में अपने पिता की ठंडी लार की मिलावट उसे मदहोशी से अपनी आँखें बंद करने को मजबूर कर गयी और बड़े प्रेम से दीप के बालो में अपनी उंगलियाँ फिराती वह हाहाकार मचाने लगी.

दीप के अंदर का प्रत्भाव उस वक़्त डगमगा गया जब उसने बेटी की चूत के बंद होंठ, अपनी कठोर उंगलियों की मदद से विपरीत दिशा में काफ़ी ताक़त से फैला दिए और उसकी चूत का अन्द्रूनि संकीर्ण, सँकरा गुलाबी मार्ग ...अपनी जिहवा के मर्दन के लिए पूरी तरह से खोल दिया ...वह जानता था ऐसा करना एक कुँवारी लड़की के भविश्य के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ है, पर वह इस वक़्त पूरी तरह से कामांध हो गया था.

दीप ने अपनी लपलपाटी जिहवा चूत रस के छुपे उस खजाने तक पहुचा दी ...जिसके फॉरन बाद उसके होंठो ने मजबूती से बेटी की जवानी को बुरी तरह से चूसना शुरू कर दिया ...... " हाए डॅड !!! चूसो ऐसे हो चूसो " .......नातियाई आँखों से निम्मी अपने पिता की पापी करतूतों का लुफ्त उठाते हुए फुसफुसाने लगी.

मगर अब दीप को उसकी किसी बात से कोई सरोकार नही रहा और निरंतर चूत चूस्ते हुए वह उसके रस की गाढ़ी मलाई से अपना गला तर करने में व्यस्त हो गया, उस निष्ठुर पिता के बढ़ते कौतूहल का मुख्य विषय उसकी आँखों के ठीक सामने ..बेटी का सूजा भांगूर था, जो किसी ताजपोशी की तरह, चूत की लकीर के ऊपर उभरा हुआ ...उसे बेहद सुंदर दिखाई दे रहा था.

ऐसे मनभावन नज़ारे को देखने के बाद दीप ने अपनी जिह्वा उस मोटे दाने पर घुमानी शुरू कर दी और साथ ही चूत की गहराई का ख़ालीपन उसने ...अपनी दो उंगलियों को उसके अंदर तेल का पूरा कर दिया.

" ना ना नही डॅड !!! उउईईईईईईईईई आज तक मैने भी अंदर उंगली नही डाली ..निकालो बाहर " .......निम्मी तड़प से भर गयी, उसका रुंधता गला बेहद भारी हो गया ...वह इसी वक़्त अपने डॅड की मजबूत पकड़ से आज़ाद होना चाहती थी परंतु उसे भान था, थोड़ी देर बाद वह अपने डॅड का विकराल लॉडा भी तो अपनी इसी छोटी सी चूत के अंदर लेगी ...ऐसा सोचते ही उसने अपने जबड़े भींचकर खुद को साहस देना शुरू कर दिया और उस असहनीय दर्द की परवाह ना करते हुए उसे झेलने लगी.

चिकनाईयुक्त दीप की दोनो उंगलियाँ बड़ी तेज़ी के साथ बेटी की चूत के अन्द्रूनि संकरे मार्ग पर फिसलने लगी और अब वह पूरी तत्परता से मटर समान उसके दाने को चूसने लगा था ...उसे शुरूवात से ही लड़कियों का भज्नासा बेहद आकर्षित करता आया था और जब कभी उसे मौका मिलता ...वह इसके ज़रिए लड़की को उसका गुलाम बनने पर मजबूर कर देता था.

लगातार रफ़्तार से अंदर - बाहर होती उंगलियों ने निम्मी के कष्ट को मज़े में बदल दिया पर वह अंजान यह नही समझ पाई कि उसके दर्द में आई कमी की मुख्य वजह उसके दाने को प्रवीनता से चूसा जाना था और जिसमे उसके पारंगत पिता को पीएचडी का सम्मान प्राप्त था.

" अब हो रहा दर्द ? " .......दीप ने जैसे ही उसके भांगूर से अपने होंठ हटाए निम्मी वापस उस दर्द को महसूस करने लगी ...यह मात्र एक संकेत के रूप में दीप ने उसे बताया था और इसके बाद वह फिर से दाने को कड़ाई से चूसने लगा.

कुछ देर बाद ही दीप को अपने कठिन परिश्रम का फल मिलने लगा और निम्मी के बदन में तीव्र गति से बढ़ते कंपन ने उसे स्पस्ट कर दिया ....... " अब मंज़िल दूर नही "

वहीं निम्मी भी अब महसूस करने लगी जैसे उसके गुदा - द्वार में अजीब सी सिरहन आनी शुरू हो गयी हो ...वह तेज़ी से काँपने लगी और उसकी ऊपर को उठी टाँगो में भी ऐंठन लगातार बढ़ती गयी.

" डॅड !!! हां हां चूसो ज़ोर से ..वरना मैं पागल हो जाउन्गि, चाट लो अपनी बेटी की चूत को ..खा ज़ाआआआओ इसे " .......निम्मी की गर्दन हवा में ऊपर को उठ गयी और उसकी गान्ड ने अपने - आप ही पिता के चेहरे पर थपथपाहट देनी शुरू कर दी, वह इस अपरिचित स्खलन को पहले कभी महसूस नही कर पाई थी ( कम्मो के साथ वाला किस्सा महज एक सपने में हुआ हादसा मात्र था ) उसे लग रहा था ...जैसे उसकी छोटी सी चूत से कोई बड़ी सी वस्तु, काफ़ी प्रेशर से बाहर निकलना चाहती हो.
Reply
10-03-2018, 03:55 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
दीप ने फॉरन तेज़ी दिखाई और उसके सूजे भांगूर पर अपने हल्के - हल्के दाँत गढ़ाते हुए ...दो के साथ अपनी तीसरी उंगली भी चूत के अंदर प्रवेश करवा दी और उसी हाथ के अंगूठे को बड़ी कोमलता से बेटी के नाज़ुक गुदा - द्वार पर दबाने लगा ...वह चाहता था निम्मी आज के बाद उसे कभी परेशान ना करे और इसीलिए वह उसकी गर्मी को पहली और आख़िरी बार अपने मूँह से बाहर खीचने में इतना मगन था.

" आईईईईईईईईईई !!! " ........यह वह अंतिम क्षण था ...जब निम्मी के मूँह से कोई आवाज़ बाहर निकली और इसके बाद वह अपने चरम को प्राप्त करने लगी ...उसकी चूत से निकलते गाढ़े रस को दीप ने ज़रा भी व्यर्थ नही जाने दिया और पूरे ज़ोर - शोर से अपनी तीनो उंगलियाँ चूत के अंदर - बाहर ठेलते हुए ..अपनी बेटी को उसके मनभावन स्खलन के शिखर तक ले गया.

उसके सख़्त होंठो के बीच फँसे भगांसे ने भी वहीं अपनी हार स्वीकार ली और धीरे - धीरे वह सूजा दाना सिकुड कर चूत की लकीर में शामिल होता गया ...निम्मी लगातार झाड़ रही थी, और दीप पुर उत्साह से उसकी गर्मी निचोड़ रहा था, पिए जा रहा था, चूसे जा रहा था, चाटे जा रहा था ...इस वक़्त वे दोनो ही दीन - दुनिया की पहुच से बेहद दूर चले गये थे.

पूरे एक मिनिट तक निम्मी झड़ती रही और वक़्त पूरा होते ही उसकी चूत का संकुचित होना बिल्कुल ख़तम हो गया ...इसके बाद दीप ने जैसे ही अपनी जिह्वा चूत की गहराई से बाहर खीची, निम्मी को महसूस हुआ जैसे उसके भीतर एक - दम से काफ़ी ख़ालीपन आ गया हो ...उसके मश्तिश्क में अजीब सी नयी तड़प का संचार हुआ, जिस कारण उसने स्वय्म अपनी तीन उंगलियाँ चूत मुख के अंदर ठूंस ली.

विध्वंसक रति - स्खलन के पश्चात दीप ने निम्मी की जाँघो के बीच से हट'ते हुए वापस उसका निचला धड़ ...ज्यों - का - त्यों सोफे पर टिका दिया, परंतु जैसे ही उसकी निगाह चूत के अंदर प्रविष्ट हुई ...बेटी के तीन उंगलियों पर पड़ी, वह समझ गया फॉरन उसका हॉल से खिसक जाना ही बेहतर होगा, लेकिन इससे पहले वह उठ कर खड़ा हो पता ...निम्मी ने सिसकते हुए उसके कदम वहीं पर रोक लिए.

" डॅड !!! यह क्या किया आपने, मुझे तो और ज़्यादा जलन होने लगी है " ......तेज़ी से अपनी उंगलियाँ चूत की गहराई तक धाँसते हुए निम्मी सिक्सकी ...उसकी पीड़ा घटने की बजाए प्रबलता से बढ़ती ही जा रही थी.

दीप जानता था ऐसा क्यों हो रहा है ...एक सेक्स एक्सपीरियेन्स्ड पुरुष होने के नाते उसे पता था, अक्सर ओरल का चरम सुख प्राप्त करने के बाद भी स्त्रीया कामविभोर हो उठती है, उनकी चाहत में उस वक़्त पुरुष का कठोर लंड समा जाता है ...जिससे वे अपनी चूत के अंदर पनपे उस ख़ालीपन का भराव कर सकें, ठीक यही उसकी अपनी पुत्री के साथ भी हो रहा था ...परंतु अब तक के हाल को देखने के बाद दीप यह भी अच्छे से समझ गया था कि निम्मी अभी अनाड़ी है, उसे काम - क्रिया के बारे में ख़ास कोई ग्यान नही.

" कुछ नही, सब ठीक है ..थोड़ा सो लेगी, अपने आप जलन भी मिट जाएगी " .....उसे बेवकूफ़ बनाते हुए दीप आगे का रास्ता मापने लगा ....... " अच्छा !!! भला नींद का जलन से क्या लेना देना ...डॅड कुछ करो वरना मैं पागल हो जाउन्गि " .......निम्मी के स्वर में अब नम्रता का भाव आ गया था ...वह उससे एक मदद की गुहार लगाते हुए बोली.

" मैने कहा ना सो जा ..सब ठीक हो जाएगा " .......हल्की सी डाट लगाते हुए दीप ने कहा ...इस वक़्त उसकी खुद की हालत भी निम्मी से कम नही थी, अगर कुछ देर वह और हॉल में रुकता या उसकी बेटी हॉल से ना जाती ...यक़ीनन उसका खुद पर बनाया सैयम टूट जाता और ना चाहते हुए भी वह निम्मी का भोग करने से खुद को नही रोक पाता.
Reply
10-03-2018, 03:55 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" चल जा अपने कमरे में ..निक्की आती ही होगी " ........दीप मूड कर सोफे पर वापस बैठ गया, यह भी उसकी एक मजबूरी थी ...वह जानता था निम्मी इसी हालत में सोफे पर लेटी रहेगी और निक्की अपनी बहेन को नंगी देख कर ...अपने डॅड पर भी उंगली उठा सकती है.

" ना मैं कहीं जा रही हूँ ना आप ..पहले बताओ ये जलन क्यों हो रही है ? " ........निम्मी अपनी ज़िद पर आड़ गयी ...आख़िर जैसा बाप वैसी बेटी.

" देख बेटा ..पहली बार तुझे ऑर्गॅज़म हुआ है, तभी ऐसा लग रहा होगा ..चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा " ........दीप उसे प्यार से समझाते हुए बोला, पर निम्मी का सिसकना बंद नही हुआ और दर्द की तड़प से वह रुआंसी हो उठी ....... " आप कुछ करते क्यों नही, घर के बाहर तो खूब प्यार लुटाते फिरते हो ..पर अपनी खुद की बेटी के लिए ज़रा भी प्यार नही " .......एक लान्छन लगाते हुए निम्मी जो कभी ना कहना चाहती थी ...कह गयी, बाद में उसे अफ़सोस भी हुआ लेकिन अब तीर कमान से निकल चुका था ...जो सीधा दीप के दिल में जा कर बुरी तरह धँस गया.

" म ..म ..मेरा मतलब है, मोम से तो आप के रीलेशन हैं ही नही " ......हड़बड़ाहट में एक और ग़लत बात उसके मूँह से निकलने को हुई पर उसे रोकते हुए निम्मी ने अपनी चूत से उंगलियाँ बाहर खीच ली और फॉरन अपनी शॉर्ट्स ढूँढने लगी ...शायद अब वह हॉल से अपने कमरे में जाना चाहती थी.

" रुक जा !!! " ......भौचक्के दीप की कठोर आवाज़ सुन कर निम्मी का पूरा बदन काँप उठा ...उसकी सारी पीड़ा का निदान भी खुद - ब - खुद हो गया और उसकी आँखों से आँसुओ की बरसात शुरू हो गयी.

" तुझे कैसे पता क़ी हम मिया - बीवी के बीच कोई रीलेशन नही है और मैं घर के बाहर प्यार लुटाता फिरता हूँ " .......दीप ने मजबूती से उसका वही हाथ थाम लिया ...जिससे उसकी बेटी ने अपना शॉर्ट्स पकड़ रखा था ....... " जवाब दे कर जा "

निम्मी कुछ ना बोली बस लगातार रोए जा रही थी ...उसके बहते आँसू देख कर दीप का दिल मानो पानी - पानी हो गया, वह ऊपर से कितना भी कठोर क्यों नही ...लेकिन आज भी उसे निम्मी से उतना ही प्यार है ...जितना कल था.

" इधर आ " ......उसने बलपूर्वक अपनी बेटी को, अपनी गोद में बिठा लिया और उसके आँसू पोछते हुए उसका माथा चूमने लगा ...इस वक़्त उसके मन से यह ख़यालात भी मिट गये थी कि उसकी जवान बेटी ...अपने निचले धड़ से पूरी नंगी, उसके लंड के ठीक ऊपर बैठी हुई है.

" रो मत ..मैं नही डान्टुगी तुझे, बस मेरे सवालो के जवाब दे दे " ......दीप ने उसके गाल को चूम लिया, वह भी जानता था निम्मी खुद अपनी आदतो से परेशान है ...मगर उसकी बेटी के दिल में ज़रा भी मैल नही और यही सबसे बड़ा कारण था, जो इतना सब हो जाने के बाद भी दीप उसे रोन्द सकने का मन नही बना पाया था.

पिता के प्यार जताने पर निम्मी ने उसे हर वो इन्सिडेंट सच - सच बता दिया ...जो वह पिच्छले कयि महीनो की जासूसी में देखती आई थी और जब उसने, उसे उसकी जेब से कॉंडम निकालने वाली बात याद दिलाई ...दीप सारा माजरा समझ गया और इसके साथ ही उसने निम्मी को पूरी तरह से माफ़ भी कर दिया.

" वादा कर, यह जो भी बातें हमारे बीच हुई हैं ..किसी तीसरे को पता नही चलेंगी " .......दीप ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर कहा ...जिसपर फोरम निम्मी ने अपना हाथ रख दिया और इसके बाद वह अपने डॅड के गले से चिपक गयी ..दीप भी महसूस कर रहा था कि निम्मी को अपने किए पर बेहद पछ्तावा हो रहा है और वह उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरते हुए उसे सांत्वना देने लगा.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,472,432 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 541,265 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,220,682 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 922,924 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,637,271 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,067,224 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,928,182 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,982,498 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,003,042 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 282,170 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 7 Guest(s)