Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे
01-17-2019, 02:09 PM,
#51
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
मैं बाथरूम चली गयी और दरवाज़ा बंद कर दिया. वैसे दरवाज़ा बंद करने की कोई ज़रूरत नहीं थी क्यूंकी मैं बेशर्मी से काजल को अपना नंगा बदन दिखा चुकी थी. पैंटी उतारकर मैंने अपने को पानी से साफ किया. और फिर टॉवेल से बदन पोंछ लिया. उसके बाद कमर में टॉवेल लपेटकर ऐसे ही बाथरूम से बाहर आ गयी.

“ऊइईइईइईइई …………”

मैं तो इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकती थी की कमरे में काजल के सिवा कोई और भी हो सकता है. इसलिए मैंने अपनी चूचियाँ भी नहीं ढकी थीं और कमर में लापरवाही से टॉवेल लपेट के बाथरूम से बाहर आ गयी. टॉवेल भी मैंने ठीक से नहीं लपेटा था क्यूंकी अभी तो काजल के सामने मैं सिर्फ़ पैंटी में ही थी तो उससे क्या शरमाना. मेरा पूरा ऊपरी बदन और जांघों से नीचे का हिस्सा पूरा नंगा था. ऐसी हालत में एक हाथ में पैंटी पकड़े मैं लापरवाही से बाथरूम से बाहर आ गयी तो कमरे में क्या देखती हूँ ?

कमरे का दरवाज़ा खुला था और वहां काजल नहीं थी बल्कि मेरे सामने एक 35 – 40 बरस का आदमी बाल्टी लिए खड़ा था , जो नौकर लग रहा था. उसे अपने सामने खड़ा देखकर मैं अवाक रह गयी. मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से अपनी बड़ी चूचियाँ ढकने की कोशिश की. हथेलियों से सिर्फ़ निप्पल और उसके आस पास का हिस्सा ही ढक पा रहा था पर इस हड़बड़ाहट की वजह से हल्के से लिपटा हुआ मेरा टॉवेल खुलकर फर्श में गिर गया. अब मेरे बदन में एक भी कपड़ा नहीं था और मेरी बालों से ढकी हुई चूत उस नौकर के सामने नंगी हो गयी . वो नौकर हक्का बक्का होकर मुझे उस पूरी नंगी हालत में देख रहा था.

नौकर – अरे अरे ……. मैडम.

मैं तुरंत नीचे झुकी और टॉवेल उठाने लगी. मैं फिर से अपनी चूत ढकने के लिए टॉवेल लपेटने लगी तो मेरे दाएं हाथ में पकड़ी हुई पैंटी नीचे गिर गयी. मैंने उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए था क्यूंकी सामने खड़े नौकर ने मेरा पूरा नंगा बदन अच्छे से देख लिया था. लेकिन हुआ ये की जैसे ही मैंने फर्श से टॉवेल उठाकर जल्दी से अपनी चूत के आगे लगाया तो पैंटी मेरे हाथ से फिसल गयी. मैंने टॉवेल लपेटना छोड़कर पैंटी को हवा में ही पकड़ने की कोशिश की. 

असल में उस अंजान आदमी के सामने पूरी नंगी होने से मैं इतना घबरा गयी थी की सब गड़बड़ कर दिया. पैंटी पकड़ने की कोशिश में मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं घुटनों के बल फर्श में गिर गयी. मेरे हाथ से टॉवेल छिटक गया और एक बार फिर से मैं उस नौकर के सामने पूरी नंगी हो गयी.

अब तक वो नौकर आँखें फाड़े मुझे देख रहा था पर इससे पहले की मैं उठ पाती , वो मेरी मदद को आगे आया. पहली बार मैंने ध्यान से उसे देखा. वो काला कलूटा , बदसूरत सा लेकिन मजबूत बदन वाला था. उसने नीले रंग की कमीज़ और सफेद धोती पहनी हुई थी और वो शायद बाथरूम साफ करने वहाँ आया था.

नौकर – मैडम …ध्यान से….

वो आगे झुका और मेरा कंधा पकड़ लिया. मेरी हालत उस समय बहुत बुरी थी. मैं अपने घुटनों के बल फर्श में बैठी हुई थी , कपड़े का एक टुकड़ा भी मेरे बदन में नहीं था, मेरी बड़ी चूचियाँ पूरी नंगी लटक रही थीं और एक अंजान नौकर मेरे नंगे कंधे को पकड़े हुए था.

उसके मेरे नंगे बदन को छूते ही मुझे करेंट सा लगा. मैंने तुरंत उसका हाथ झटक दिया और अपनी नंगी चूचियों को टॉवेल से ढककर उठ खड़ी हुई और बाथरूम में भाग गयी. पीछे मुड़ने से नौकर के सामने अब मेरी बड़ी गांड नंगी थी पर मेरे पास सोचने का समय नहीं था और मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया.

ये सब कुछ अचानक और बहुत जल्दी से हो गया था पर मैं इतनी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी की हाँफने लगी थी की जैसे कितना जो दौड़कर आई हूँ. मुझे नॉर्मल होने में कुछ वक़्त लगा . फिर मुझे होश आया की अब क्या करूँ ? पहनने के लिए तो मेरे पास कुछ है ही नहीं. मेरे पास सिर्फ़ एक छोटा सा टॉवेल और एक गीली पैंटी थी. मैंने दरवाज़े पे कान लगाए की शायद काजल कमरे में वापस आ गयी हो पर उसकी कोई आवाज़ मुझे नहीं सुनाई दी. कुछ पल ऐसे ही बीत गये फिर नौकर ने आवाज़ लगाई.

नौकर – मैडम, मुझे बाथरूम , टॉयलेट साफ करना है. जल्दी से कपड़े पहन लो. मुझे और भी काम है.

“रूको , रूको.”

अब मेरा बदन काँपने लगा था क्यूंकी मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की मैं कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलूँ ? मैंने बाथरूम में इधर उधर देखा शायद काजल के कोई कपड़े रखे हों. हुक्स में कोई भी कपड़े नहीं टंगे थे पर एक बाल्टी में पड़े हुए कुछ कपड़े मुझे दिख गये. मैंने बाल्टी में हाथ डालकर वो कपड़े बाहर निकाले . उसमें सिर्फ़ एक ब्रा , एक पैंटी , एक चुन्नटदार स्कर्ट और एक मुड़ा तुड़ा टॉप था. मैं बाथरूम में बिल्कुल नंगी खड़ी थी तो मेरे पास कोई और चारा नहीं था. मैंने उन्हीं कपड़ों को पहनने का फ़ैसला किया.

नौकर – मैडम , मैं कितनी देर तक खड़ा रहूँगा ?

अब ये नौकर मुझे इरिटेट कर रहा था. मैंने गुस्से से उसे जवाब दिया.

“या तो एक बार काजल को बुला दो या फिर इंतज़ार करो.”

नौकर – मैडम, काजल तो सेठजी के किसी काम से नीचे गयी है.

अब तो मैं बुरी फँस गयी थी. अगर मैं गुप्ताजी को बुलाती हूँ तो वो इस हालत में देखकर मुझसे मज़ा लिए बिना छोड़ेगा नहीं. नंदिनी ज़रूर मेरी मदद कर सकती थी लेकिन अभी वो यज्ञ में बिज़ी थी. अगर मैं इस नौकर से अपने कपड़े मांगू तो इससे मुसीबत भी हो सकती है क्यूंकी तब इसे पता चल जाएगा की मेरे पास पहनने को बाथरूम में कोई कपड़े नहीं हैं. इन सब विकल्पों पर सोचने के बाद मैंने जो है उसी को पहनने का मन बनाया.

सबसे पहले तो मैंने अपनी पैंटी पहन ली जो थोड़ी गीली थी लेकिन और कोई चारा भी तो नहीं था. मैंने पैंटी के सिरों को पकड़कर अपने बड़े नितंबों के ऊपर फैलाने की कोशिश की ताकि ज़्यादा से ज़्यादा ढक जाए. फिर मैंने काजल की ब्रा पहनने की कोशिश की लेकिन वो छोटे साइज़ की थी और ब्रा के कप भी छोटे थे. मेरी बड़ी चूचियाँ ब्रा कप में ठीक से नहीं आयीं पर जितना ढक गया अभी उतना भी बहुत था. मैंने ब्रा के स्ट्रैप्स कंधों पर डाल लिए और पीठ पर हुक नहीं लगा तो ऐसे ही रहने दिया.

उसके बाद मैंने काजल की स्कर्ट उठाई. ये एक चुन्नटदार स्कर्ट थी और खुशकिस्मती से छोटी नहीं थी. मैंने इसे पहना तो मेरे घुटने तक लंबी थी लेकिन समस्या ये थी की इसकी कमर मेरे लिए छोटी हो रही थी. इसलिए बटन लग नहीं रहा था और मेरे बड़े नितंबों पर टाइट भी हो रही थी लेकिन मैंने सोचा की बाहर निकलकर तो अपने कपड़े पहन ही लूँगी.

अब मुझे अपनी नंगी छाती को ढकना था. मैंने काजल का टॉप बाल्टी से निकाला, वो मुड़ा तुड़ा हुआ था तो मैंने उसे सीधा करने की कोशिश की. वो शायद लंबे समय से बाल्टी में पड़ा था इसलिए सीधा नहीं हो रहा था. मैंने उसमें अपनी बाँहें डालने की कोशिश की तो मुझे पता लगा की ये तो मेरे लिए बहुत टाइट है और बहुत छोटा भी. मेरे जैसी भरे पूरे बदन वाली औरत के लिए वो टॉप पूरी तरह से अनफिट था. मैंने उसे फिर से बाल्टी में डाल दिया और टॉवेल को फैलाकर अपनी चूचियों को ढक लिया.

नौकर – मैडम, क्या दिक्कत है ? सेठजी को बुलाऊँ क्या ?

“नहीं नहीं. किसी को बुलाने की ज़रूरत नहीं. मैं आ रही हूँ.”

मैंने सोचा इससे कहूं या नहीं, फिर सोचा कह ही देती हूँ.

“एक काम करो. कमरे का दरवाज़ा लॉक कर दो.”

नौकर - क्यूँ मैडम ?

“असल में…वो क्या है की ….मेरा मतलब मेरे पास बाथरूम में साड़ी नहीं है.”

नौकर – हाँ मैडम. आपकी साड़ी तो यहाँ बेड पर है.

“हाँ. दरवाज़ा बंद कर दो और मुझे बताओ.”

नौकर – मैडम ये बाकी कपड़े भी आपके ही होंगे क्यूंकी मुझे पता है की ये काजल दीदी के तो नहीं हैं.

मैं सोच रही थी की इस आदमी की बात का क्या जवाब दूँ. उसने ज़रूर मेरी साड़ी के साथ रखे हुए मेरे ब्लाउज, पेटीकोट और ब्रा को देख लिया होगा.

नौकर – आपके सारे कपड़े तो यहीं दिख रहे हैं तो फिर बाथरूम में क्या ले गयी हो ?

“असल में मैं उनको ले जाना भूल गयी थी लेकिन…”

मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी की उसने टोक दिया. वो बहुत बातूनी आदमी लग रहा था लेकिन मुझे उसकी बातों से इरिटेशन हो रही थी और एंबरेसमेंट भी.

नौकर – ओहो… अब मुझे समझ आया की जब मैंने आपको देखा था तब आपने कपड़े क्यूँ नहीं पहने थे. लेकिन मैडम, आपको ध्यान रखना चाहिए. हमेशा दरवाज़ा लॉक करना चाहिए. किसी को पता नहीं चलेगा की आप …..बिल्कुल नंगी हो.

वो थोड़ा रुका फिर बोलने लगा.

नौकर – लेकिन मैडम, एक बात बताऊँ …..एक सेकेंड रूको, दरवाज़े के पास आता हूँ.

एक पल के लिए शांति रही फिर उसकी आवाज़ मेरे बिल्कुल नज़दीक़ से आई. मुझे पता चल गया की वो बाथरूम के दरवाज़े से चिपक के खड़ा है और वो धीमी आवाज़ में बोल रहा था.

नौकर – मैडम, मैं आपको एक राज की बात बता रहा हूँ. जैसे मैंने आपको देखा अगर वैसे सेठजी ने देख लिया होता तो वो आपको आसानी से नहीं जाने देता. उसका चरित्र अच्छा नहीं है. वो विकलांग ज़रूर है पर बहुत चालाक है. मैडम, ध्यान रखना.

कुछ पल रुककर फिर बोलने लगा.

नौकर – काजल दीदी भी अपने कमरे में बहुत कम कपड़े पहनती है पर फिर भी आपकी जैसी नहीं मैडम. आप तो बिल्कुल नंगी निकली बाथरूम से.

मेरे पास जवाब देने को कुछ नहीं था और मैं बाथरूम में शर्मिंदगी से खड़ी रही.

नौकर – मैडम फिर भी आपने मुझे देखकर अपने बदन को ढकने की कोशिश तो की. लेकिन काजल दीदी तो मेरे सामने अपने को ढकने की कोशिश भी नहीं करती है. ये लड़की अभी से बिगड़ चुकी है. मैं इस घर का नौकर हूँ अब इससे ज़्यादा क्या कह सकता हूँ.

मैं सोचने लगी कब तक ऐसे ही बाथरूम में खड़ी रहूंगी.

“अच्छा …”

नौकर – मैं आपको बता रहा हूँ मैडम, पर किसी को मत बताना. ना जाने कितनी बार मैंने काजल दीदी को बिना कपड़े पहने बेड में लेटे हुए देखा है.

“क्या..???”

नौकर – मेरा मतलब वो कुर्ता या नाइटी नहीं पहनी थी, सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट पहने हुई थी मैडम. मैं झाड़ू पोछा लगा रहा था और वो ऐसे ही बेड में लेटी थी. कभी कभी मैं जब बाथरूम साफ कर रहा होता हूँ तो वो मुझे कोई हिदायत देने आती है. आपको पता है मैडम की क्या पहन के आती है ?

वो रुका और शायद मेरे पूछने का इंतज़ार कर रहा था. काजल के किस्से मैं सिर्फ उत्सुकता की वजह से सुन रही थी वरना जिस हालत में मैं थी उसमें तो अपनी इज़्ज़त बचाने के अलावा किसी और चीज़ में ध्यान लगाना मुश्किल था. 

“क्या पहन के ?”

नौकर – मैडम , काजल दीदी एक छोटा सा टॉप और एक चड्डी जैसी चीज़ पहन के आयी थी , जो लड़कियाँ शहर में अपनी स्कर्ट के अंदर पहनती हैं. मैं बार बार उसका नाम भूल जाता हूँ. मैडम आपने भी तो अपने हाथ में पकड़ी थी. क्या कहते हैं उसको ? 

“हाँ मैं समझ गयी बस. तुम्हें इसका नाम लेने की ज़रूरत नहीं है.”

नौकर – नहीं नहीं मैडम. एक बार बता दो. मैं भूल गया हूँ. असल में एक दिन मेरी घरवाली बोली की वो भी अपने घाघरे के अंदर इसको पहनना चाहती है, लेकिन मैंने मना कर दिया. ये सब शहर वालों के फैशन हैं. मैडम ? इसका नाम कुछ प से कहते हैं, है ना ? पा …पा…..?

“पैंटी..”

नौकर – हाँ मैडम , पैंटी….. पैंटी…... मैं इसका नाम भूल जाता हूँ. पता नहीं क्यूँ. 

मैं सोच रही थी की अब फिर से इसे बोलूं की कमरे का दरवाज़ा बंद कर दे ताकि मैं बाथरूम से बाहर निकलूं लेकिन इसका मुँह ही बंद नहीं हो रहा था.
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01-17-2019, 02:09 PM,
#52
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
नौकर – हाँ मैडम , पैंटी….. पैंटी…... मैं इसका नाम भूल जाता हूँ. पता नहीं क्यूँ. 

मैं सोच रही थी की अब फिर से इसे बोलूं की कमरे का दरवाज़ा बंद कर दे ताकि मैं बाथरूम से बाहर निकलूं लेकिन इसका मुँह ही बंद नहीं हो रहा था.

नौकर – लेकिन मैडम, ये तो इतनी छोटी सी होती है , मुझे समझ नहीं आता की आप लोग इसे पहनते ही क्यूँ हो ? मैडम, सेठानी भी इसे पहनती है. जब वो इसे धोने के लिए देती है तो मेरी हँसी नहीं रुकती.

“क्यूँ ?”

धीरे धीरे मुझे उसकी बातों में इंटरेस्ट आ रहा था इसलिए मेरे मुँह से अपनेआप ‘क्यूँ’ निकल गया. फिर मुझे लगा की बेकार ही पूछ बैठी क्यूंकी जवाब तो जाहिर था.

नौकर –मैडम, आपने तो सेठानी को देखा ही होगा. क्या गांड है उसकी. ये छोटी सी चीज़ क्या ढकेगी मैडम ? ना गांड , ना चूत.

उसने बड़े आराम से बातचीत में ऐसे अश्लील शब्द बोल दिए , मैं तो शॉक्ड रह गयी और दरवाज़े के पीछे अवाक खड़े रही. मैंने अपने मन को ये सोचकर दिलासा देने की कोशिश की, कि ये तो लोवर क्लास आदमी है तो ऐसे शब्द बोलने का आदी होगा. मैंने इसे इग्नोर करने की कोशिश की लेकिन एक मर्द के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी.

मुझे शरम भी आ रही थी और इरिटेशन भी हो रही थी कि एक अंजान आदमी, वो भी घर का नौकर, मुझसे ऐसी भाषा में बात कर रहा है. जब मैं शादी के बाद अपनी ससुराल आई तो खुशकिस्मती से वहाँ कोई मर्द नौकर नहीं था लेकिन शादी से पहले मेरे मायके में एक नौकर था पर बोलचाल में मैंने कभी उसके मुँह से ऐसे अश्लील शब्द नहीं सुने. वैसे उसका बोलना ठीक ठाक था लेकिन रवैया ठीक नहीं था. मुझे याद है की जब मैं स्कूल में पढ़ती थी तो कई बार उसने मुझसे छेड़छाड़ की थी लेकिन वो हमारे घर का पुराना नौकर था इसलिए मैं कभी भी उसका विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई.

मैंने सोचा ये नौकर लोग ऐसे ही होते हैं और इस आदमी के अश्लील शब्दों को वैसे ही इग्नोर करने की कोशिश की जैसे मैं अपनी मम्मी के घर पे नौकर की छेड़छाड़ को इग्नोर किया करती थी. 

अब मुझे बाथरूम से बाहर आना था लेकिन जब मैंने अपने को देखा तो मेरे ऊपरी बदन में टॉवेल था और निचले बदन में काजल की टाइट स्कर्ट थी, और मैं ऐसे बहुत कामुक लग रही थी. अगर कोई भी मुझे इस हालत में देख लेता तो मेरे बारे में बहुत ग़लत सोचता. इसलिए मैंने फिर से दरवाज़ा बंद करने के लिए कहा.

“तुमने दरवाज़ा बंद कर दिया ?”

नौकर – नहीं मैडम. अभी करता हूँ.

मैंने दरवाज़ा बंद करने की आवाज़ सुनी और थोड़ी राहत महसूस की.

नौकर – मैडम मैंने दरवाज़ा तो बंद कर दिया है पर आप बाहर कैसे आओगी ? आपके सारे कपड़े तो बेड में पड़े हैं.

“तुम्हें उसकी फिकर करने की कोई ज़रूरत नहीं.”

नौकर – मैडम, आप वैसे ही बाहर आओगी जैसे पहले आयी थी ? मुझे तो भगवान का शुक्रिया अदा करना पड़ेगा.

“क्या बकवास कर रहे हो. मतलब क्या है तुम्हारा ?”

उसके बेहूदे सवाल से मेरा धैर्य समाप्त हो गया और मैं बाथरूम का दरवाज़ा खोलकर बाहर आ गयी. मैंने ख्याल किया की मुझे देखकर उस नौकर की आँखों में चमक सी आ गयी और वो मेरे चेहरे की तरफ नहीं देख रहा था बल्कि मेरे बदन को घूर रहा था. वो इतनी बेशर्मी से हवस भरी निगाहों से मुझे घूर रहा था की असहज महसूस करके मैंने अपनी नजरें झुका लीं . वो स्कर्ट मेरी मांसल जांघों पर टाइट हो रही थी इसलिए मैं ठीक से नहीं चल पा रही थी. मैंने बाएं हाथ से कमर पे स्कर्ट को पकड़ रखा था क्यूंकी स्कर्ट का बटन टाइट होने से नहीं लग पा रहा था.

नौकर – आआहा….मैडम आप तो बिल्कुल करीना कपूर लग रही हो.

मैंने उसकी बात को इग्नोर किया और बेड की तरफ जाने लगी जहाँ मेरे कपड़े रखे थे. मुझे मालूम था की मेरी पीठ नंगी है और ब्रा का हुक ना लग पाने से ब्रा के स्ट्रैप पीठ में लटक रहे हैं इसलिए मैंने ऐसे चलने की कोशिश की ताकि मेरी नंगी पीठ इस नौकर को ना दिखे. लेकिन पलक झपकते ही सारा माजरा बदल गया.

नौकर – कहाँ जा रही है रानी ?

अचानक वो मेरा रास्ता रोककर खड़ा हो गया. उसकी इस हरकत से मैं हक्की बक्की रह गयी और मेरे बाएं हाथ से स्कर्ट फिसल गयी . मैंने जल्दी से स्कर्ट को पकड़ लिया पर उस कमीने ने मौके का फायदा उठाया और मेरे दाएं हाथ से टॉवेल छीन लिया जिससे मैंने अपनी छाती ढक रखी थी. अब फिर से मेरी छाती नंगी हो गयी हालाँकि चूचियाँ थोड़ा बहुत काजल की ब्रा से ढकी थीं पर हुक ना लग पाने से ब्रा भी खुली हुई ही थी. 

“ये क्या बेहूदगी है ? मुझे टॉवेल दो नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी.”

नौकर – तू शोर मचाना चाहती है रानी ? ठीक है.

उसने अचानक मेरी बायीं कलाई पकड़ी और मरोड़ दी. मेरे हाथ से स्कर्ट छूट गयी और फर्श में गिर गयी. 

नौकर – अब मचा शोर. मैं देखना चाहता हूँ अब कितना शोर मचाती है मेरी रानी. शोर मचा.

अचानक हुए इस घटनाक्रम से मैं हक्की बक्की रह गयी और उस नौकर के सामने अवाक खड़ी रही. मेरी हालत ऐसी थी जैसे की मैं बिकिनी में खड़ी हूँ. काजल की ब्रा से मेरी बड़ी चूचियों का सिर्फ़ ऐरोला और निप्पल ही ढक पा रहा था. मैंने अपनी बाँहों से चूचियों को ढकने की कोशिश की. 

नौकर – क्या हुआ मैडम ? शोर मचा. सबको आने दे और देखने दे की तेरे पास दिखाने को क्या क्या है.

मेरे बदन में सिहरन दौड़ गयी. मुझे समझ आ गया था की मैं फँस चुकी हूँ. मैं सिर्फ़ अंडरगार्मेंट्स में खड़ी थी , इसलिए शोर भी नहीं मचा सकती थी. मेरा दिमाग़ सुन्न पड़ गया और मैं नहीं जानती थी की क्या करूँ ? कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलूं ? मैं खुली हुई छोटी ब्रा और गीली पैंटी में , अपनी चूचियों को ढकने के लिए बाँहें आड़ी रखे हुए, उस नौकर के सामने खड़ी रही.

नौकर – शोर मचा ? अब क्या हुआ ? साली रंडी.

उस नौकर के मुँह से अपने लिए ऐसा घटिया शब्द सुनकर अपमान से मेरी आँखों में आँसू आ गये. आज तक कभी भी किसी ने मेरे लिए ये शब्द इस्तेमाल नहीं किया था. इस लो क्लास आदमी के हाथों ऐसे अपमानित होकर मैं बहुत असहाय महसूस कर रही थी.

नौकर – जैसा मैं कहता हूँ वैसा कर. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगा और सबको यहाँ बुला लूँगा. समझी ?

वो बहुत कड़े और रूखे स्वर में बोला. उससे झगड़ने की मेरी हिम्मत नहीं हुई. मैं अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए उससे विनती करने लगी.

“प्लीज़ मुझे छोड़ दो. मुझसे ऐसा बर्ताव मत करो. मैं किसी की पत्नी हूँ.”

नौकर – तो फिर अपने मर्द के सामने नंगी घूम. यहाँ क्यूँ ऐसे घूम रही है ?

“मेरा विश्वास करो. मुझे नहीं मालूम था की तुम कमरे में हो.”

नौकर – चुप साली. गुरुजी अपने साथ ऐसी हाइ क्लास रंडी रखते हैं ? क्या मखमली बदन है साली का.

उसकी बात सुनकर मैंने अपमान से आँखें बंद कर लीं और जबड़े भींच लिए. अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पायी. मेरे गालों में आँसू बहने लगे. कोई और रास्ता ना देखकर मैं भगवान से प्रार्थना करने लगी.

नौकर – नाटक करके मेरा समय बर्बाद मत कर. तू तो बहुत खूबसूरत बदन पायी है. पैंटी उतार और चूत दिखा मुझे साली.

“प्लीज़ भैया. मैं उस टाइप की औरत नहीं हूँ. मुझ पर दया करो प्लीज़.”

नौकर – साली , भैया बोलना अपने मर्द को. अब नखरे मत कर. उतार फटाफट.

ऐसा कहकर वो एक कदम आगे बढ़ा. मैं इतना डर गयी की उसके आगे समर्पण कर दिया.

“अच्छा, अच्छा , मैं ….”

मैंने हिचकिचाते हुए अपनी छाती से बाँहें हटाई और मैं अच्छी तरह से समझ रही थी की ये आदमी मुझे फिर से नंगी देखना चाहता है. वो मेरे लिए होपलेस सिचुयेशन थी और उसकी इच्छा पूरी करने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था. मेरे गालों में आँसू बह रहे थे और मैंने दोनो हाथों से पैंटी के एलास्टिक को पकड़ा और नीचे करने लगी. मैं शरम से नजरें झुकाए हुई थी और वो कमीना अपनी धोती में लंड पकड़े हुए मेरे सामने खड़ा था. मैं सोचने लगी जब से इस आश्रम में आई हूँ , किसी ना किसी वजह से कितनी बार मुझे पैंटी उतारनी पड़ी है. मैं आगे की भी सोच रही थी. क्यूंकी ये तो तय था की मुझे नंगी करने के बाद ये आदमी मुझे बेड में जाने के लिए मजबूर करेगा और फिर मुझे चोदने की कोशिश करेगा. फिर मैं क्या करूँगी ? क्या मैं चिल्लाऊँगी ? लेकिन अगर गुप्ताजी , नंदिनी और गुरुजी मुझे इस नौकर के साथ नंगी देखेंगे तो मेरे बारे में क्या सोचेंगे ?

नौकर – क्या चूत है तेरी रानी.

मैं यही सब सोच के उलझन में थी और समझ नहीं पा रही थी की अपने को कैसे बचाऊँगी तभी अचानक एक झटका सा लगा और उसके टाइट आलिंगन से मैं बेड में गिर पड़ी. इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती , मैं बेड में गिरी हुई थी और वो मेरे ऊपर था.

“कमीने छोड़ दे मुझे…”

मैं आगे कुछ नहीं बोल पायी क्यूंकी उसने मेरे मुँह में अपना गंदा रुमाल ठूंस दिया. उसके बदन से आती हुई बदबू से मुझे मतली हो रही थी और उस गंदे रुमाल से मेरा दम घुटने को हो गया. मेरी आँखें बाहर निकल आयीं और उसके मजबूत बदन के नीचे दबी हुई मैं उसका विरोध करने लगी. अपने दाएं हाथ से उसने मेरे मुँह में इतनी अंदर तक वो रुमाल घुसेड़ दिया की मेरी आवाज़ ही बंद हो गयी. अब उसने अपना दायां हाथ मेरे मुँह से हटाया और दोनो हाथों से मेरे हाथों को पकड़कर दबा दिया और मेरे पेट में बैठ गया. मैं अपनी नंगी टाँगों को हवा में पटक रही थी लेकिन मुझे समझ आ गया था की कुछ फायदा नहीं क्यूंकी मैं उसके पूरे कंट्रोल में थी और हाथों को हिला भी नहीं पा रही थी.

मैं अपना सर भी इधर उधर पटक रही थी और मुँह से जीभ निकालने की कोशिश कर रही थी ताकि रुमाल बाहर निकल जाए लेकिन कमीने ने इतना अंदर डाल रखा था की जल्दी ही मुझे समझ आ गया की बेकार में ही कोशिश कर रही हूँ.

नौकर – रानी , अब क्या करेगी ?

मैंने उस कमीने से आँखें मिलाने से परहेज़ किया , मैं बेड में लेटी हुई थी और वो मेरे ऊपर बैठा हुआ था. अब मेरे बदन में कपड़े का एक टुकड़ा भी नहीं था क्यूंकी उसने मेरी ब्रा भी फर्श में फेंक दी थी. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था की इस नौकर के हाथों मेरी ऐसी दशा हो गयी है. अब उसने अपने एक हाथ से मेरी दोनों कलाई पकड़ लीं और दूसरे हाथ से मेरे गुप्तांगो को छूने लगा. पहले भी बचपन में एक नौकर ने मेरी असहाय स्थिति का फायदा उठाया था वही आज भी हो रहा था. तब भी मेरे मन में घृणा और नफरत की भावनाएं आयीं थी और आज भी वही भावनाएं मेरे मन में आ रही थीं.

मेरे नंगे बदन के साथ छेड़छाड़ करने से वो बहुत कामोत्तेजित हो गया. लेकिन उसने एक हाथ से मेरी कलाईयों को पकड़ा हुआ था इसलिए एक ही हाथ खाली होने से वो मनमुताबिक पूरी तरह से मेरे बदन से नहीं खेल पा रहा था और मुझे चोद नहीं पा रहा था. मैं भी अपनी भारी जाँघों से उसको लात मारने की कोशिश कर रही थी. उसका ज़्यादातर समय मेरे विरोध को रोकने की कोशिश में बर्बाद हो रहा था. अब वो मेरी रसीली चूचियों को एक एक करके मसलने लगा और उसने मेरे कड़े निपल्स को बहुत ज़ोर से मरोड़ दिया. फिर वो अचानक से मेरी छाती पे झुका और मेरे निप्पल को मुँह में भरकर चूसने और काटने लगा.

“मम्म्म…”

मैं और कोई आवाज़ नहीं निकाल पायी क्यूंकी उसके गंदे रुमाल ने मेरा मुँह बंद कर रखा था. लेकिन अगर कोई मर्द किसी औरत के निप्पल चूसे तो औरत को उत्तेजना आ ही जाती है. मेरी टाँगें अपनेआप खुल गयीं और उसके बदन के नीचे मैं बेशर्मी से कसमसाने लगी. उसका पूरा वज़न मेरे ऊपर था और अब उसका खड़ा लंड धोती से बाहर निकलकर मेरे नंगे पेट में चुभने लगा. उसके बदन से आती बदबू से मेरा दम घुटने लगा था और मुझे समझ आ गया था की अब ये मेरा रेप करने ही वाला है. असहाय होकर मेरी आँखों से आँसुओं की धार बहने लगी और मैं मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगी . हे भगवान ! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ. मुझे इस कमीने से बचा लो.
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01-17-2019, 02:10 PM,
#53
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खट …खट……

दरवाज़े पर खटखट होते ही नौकर हड़बड़ा गया और पीछे मुड़कर दरवाज़े की तरफ देखने लगा. मेरी तो जैसे जान में जान आई.

खट …खट……

काजल – आंटी….आंटी…..

काजल की आवाज़ सुनते ही मैं खुश हो गयी और मेरे दिल में बहुत राहत महसूस हुई जैसे की मुझे नयी जिंदगी मिली हो.

नौकर – मैडम , अगर तुमने मेरे बारे में किसी से कुछ कहा तो मैं भी कह दूँगा की ये ऐसी ही औरत है. समझ लो.

मैंने अपनी आँखों से उसे इशारा किया की मेरे मुँह से रुमाल निकाल दे. उसने मेरे मुँह से रुमाल निकाल दिया. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं कितने समय बाद ठीक से सांस ले पा रही हूँ. फिर उसने मेरे हाथ भी छोड़ दिए और मेरे ऊपर से उठ गया.

चटा$$$$$$$$$$$कक………

उसकी पकड़ से छूटकर खड़े होते ही पहला काम मैंने यही किया. जो की उस नौकर के लिए मेरे मन में घृणा , गुस्से और नफ़रत का नतीज़ा था. उसने अपने गाल पर पड़ा मेरा जोरदार तमाचा सहन कर लिया और अपने दाँत भींच लिए. मैंने बेड से साड़ी उठाकर अपने नंगे बदन में लपेट ली. ऐसा लग रहा था की मैं ना जाने कब से नंगी हूँ और साड़ी से बदन ढककर सुकून मिला.

नौकर – मैडम, तुम टॉयलेट में चली जाओ. मैं कह दूँगा की तुम टॉयलेट गयी हो और मैं कमरा साफ कर रहा हूँ.

“तुझे जो कहना है कह देना. कमीना कहीं का.”

वो बहुत फ्रस्टरेट दिख रहा था. मुझे ना चोद पाने की निराशा से उसका चेहरा लटक गया था. मैंने जल्दी से पैंटी पहनी और फिर ब्रा पहन ली.

खट …खट……

अभी तक मुझसे ज़ोर ज़बरदस्ती करने वाला वो आदमी , काजल की आवाज़ सुनकर, अब फिर से नौकर बन गया था और चुपचाप खड़ा था. मैंने उसे दरवाज़े की तरफ धकेला और ब्लाउज और पेटीकोट लेकर टॉयलेट में भाग गयी. 

नौकर – काजल दीदी, एक सेकेंड रूको. अभी खोलता हूँ.

नौकर ने दरवाज़ा खोल दिया. काजल ने उससे ज़्यादा पूछताछ नहीं करी की दरवाज़ा क्यूँ बंद था वगैरह. कुछ देर बाद कपड़े पहनकर मैं टॉयलेट से बाहर आ गयी. अब वहाँ काजल अकेली कमरे में थी और उस कमीने का कोई अता पता नहीं था.

काजल – आंटी, मम्मी को कितना वक़्त और लगेगा ?

“ अब तो पूरा होने वाला ही होगा. फिर तुम्हें बुलाएँगे.”

वो कुछ मैगजीन्स ले आई थी , जो उसने मुझे दे दी. फिर उसने टीवी ऑन करके फिल्मी गानों का चैनल लगा दिया. मैगजीन्स और टीवी देखने में मेरा बिल्कुल मन नहीं लग रहा था. इनके नौकर ने मेरे साथ जो बेहूदा बर्ताव किया था बार बार मेरे मन में वही घूम रहा था. मैंने सोचा भी ना था की गुरुजी की सहायता करने गुप्ताजी के घर आना मेरे लिए इतना डरावना और बेइज्जत करने वाला अनुभव साबित होगा. 

ऐसा ही लज्जित करने वाला अनुभव तब भी हुआ था जब मैं स्कूल पढ़ती थी. उन दिनों हमारे घर के नौकर के मेरे बदन से छेड़छाड़ करने पर भी मैं चुप रही थी और आज जब इनके नौकर ने मेरे रेप की कोशिश की थी तब भी मुझे चुप रहना पड़ रहा था. 

काजल मेरी हालत से बेख़बर होकर टीवी देख रही थी और मैं यूँ ही बिना पढ़े मैगज़ीन के पन्ने पलट रही थी . जो कुछ मेरे साथ अभी हुआ था उससे मेरा मन स्कूल के उन दिनों में चला गया.




फ्लैशबैक –

उन दिनों मैं स्कूल पढ़ती थी और मेरी उमर तब 18 की होगी. मम्मी को लगता था की कोई उनकी लड़की से छेड़छाड़ ना कर दे इसलिए वो हमारे नौकर को मुझे लाने भेजती थी. उसका नाम नटवर था और वो तब 36 – 37 बरस का रहा होगा. पहले तो हम पैदल चलकर घर वापिस आते थे बाद में मम्मी ने रिक्शा करवा दिया. लेकिन मम्मी को क्या पता था की रास्ते के लफंगे तो सिर्फ़ भद्दे कमेंट्स ही करते थे लेकिन जिसे वो मेरी सेफ्टी के लिए भेज रही हैं उससे अपने को बचाना ही मेरे लिए मुश्किल हो जाएगा.

पहले पहल सब ठीक ठाक रहा पर जब बारिश का मौसम आया तो मेरे लिए मुसीबत हो गयी. हमारे इलाक़े में बारिश के मौसम में रिक्शा में एक पॉलिथीन कवर लगा होता था जो पैसेंजर के सर से आगे तक ढका रहता था और साइड्स में खुला रहता था. जब बारिश का मौसम शुरू हुआ तो रिक्शा में नटवर मुझसे सटकर बैठने लगा क्यूंकी साइड्स से बारिश की बूंदे आती थीं. मैंने बुरा नहीं माना क्यूंकी बारिश से बचने के लिए उसका ऐसा करना स्वाभाविक था.

मैं रिक्शा में बैठकर स्कूल बैग अपनी गोद में रख लेती थी. लेकिन अब नटवर बहाने बहाने से मुझसे बैग लेने की कोशिश करता और कभी कहता तुम आराम से बैठो या कभी कहता, बैग तुम्हारे लिए भारी हो रहा है , लाओ मैं पकड़ता हूँ. मैं उसे बैग नहीं देती थी और उसका भी एक कारण था. हम लड़कियों का एक स्वाभाव होता है की जब हमने ऐसी ड्रेस पहनी होती है जो हमारी टाँगों को पूरा नहीं ढकती , जैसे की स्कर्ट , तो हम बैग को अपनी गोद में रख लेती हैं , जिससे हमारे सबसे नाज़ुक भाग में एक दोहरा सेफ्टी कवर हो जाता है वरना हमें स्कर्ट के ऊपर जांघों में हाथ रखना पड़ता है जो की थोड़ा अजीब सा लगता है. लेकिन अब नटवर बैग लेने के लिए कुछ ज़्यादा ही ज़ोर देने लगा था ख़ासकर की शुक्रवार(फ्राइडे) के दिनों में.

तब मुझे उसके गंदे इरादों के बारे में अंदाज़ा नहीं था. असल में शुक्रवार के दिन हमारी पीटी क्लास होती थी और मैं पीटी ड्रेस पहनकर स्कूल जाती थी. पीटी ड्रेस और दिनों की तरह ही थी , स्कर्ट और टॉप , पर एक अंतर ये था की स्कूल स्कर्ट घुटनों से नीचे तक थी पर पीटी स्कर्ट छोटी होती थी और घुटनों तक ही थी. चूँकि मैं गर्ल्स स्कूल में पढ़ती थी इसलिए स्कूल में कोई परेशानी नहीं थी लेकिन आते जाते समय रास्ते में ध्यान रखना पड़ता था. क्यूंकी पीटी स्कर्ट का कपड़ा भी थोड़ा हल्का था , कभी तेज हवा चल रही होती थी तो स्कर्ट उठ जाने से पैंटी दिख जाती थी. मेरी मम्मी शुक्रवार को हमेशा मुझे कहा करती थी की रश्मि, अपनी ड्रेस का ध्यान रखना. मेरी कुछ फ्रेंड्स को-एड स्कूल में पढ़ती थीं लेकिन उनकी पीटी ड्रेस छोटी नहीं थी . शायद हमारा गर्ल्स स्कूल होने की वजह से मैनेजमेंट ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

इसीलिए मैं नटवर को स्कूल बैग नहीं देती थी क्यूंकी रिक्शा में बैठने के बाद स्कर्ट मेरी जांघों तक ऊपर उठ जाती थी.
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01-17-2019, 02:10 PM,
#54
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असल में शुक्रवार के दिन हमारी पीटी क्लास होती थी और मैं पीटी ड्रेस पहनकर स्कूल जाती थी. पीटी ड्रेस और दिनों की तरह ही थी , स्कर्ट और टॉप , पर एक अंतर ये था की स्कूल स्कर्ट घुटनों से नीचे तक थी पर पीटी स्कर्ट छोटी होती थी और घुटनों तक ही थी. चूँकि मैं गर्ल्स स्कूल में पढ़ती थी इसलिए स्कूल में कोई परेशानी नहीं थी लेकिन आते जाते समय रास्ते में ध्यान रखना पड़ता था. क्यूंकी पीटी स्कर्ट का कपड़ा भी थोड़ा हल्का था , कभी तेज हवा चल रही होती थी तो स्कर्ट उठ जाने से पैंटी दिख जाती थी. मेरी मम्मी शुक्रवार को हमेशा मुझे कहा करती थी की रश्मि, अपनी ड्रेस का ध्यान रखना. मेरी कुछ फ्रेंड्स को-एड स्कूल में पढ़ती थीं लेकिन उनकी पीटी ड्रेस छोटी नहीं थी . शायद हमारा गर्ल्स स्कूल होने की वजह से मैनेजमेंट ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

इसीलिए मैं नटवर को स्कूल बैग नहीं देती थी क्यूंकी रिक्शा में बैठने के बाद स्कर्ट मेरी जांघों तक ऊपर उठ जाती थी. लेकिन बारिश के मौसम में एक दिन मैं उसको बैग के लिए मना नहीं कर पायी. उस दिन तक तो उसको बारिश की वजह से रिक्शा में मुझसे सटकर बैठने का अवसर ही मिल पाता था लेकिन उस दिन पहली बार उसे छेड़छाड़ का मौका मिल गया.

वो फ्राइडे का दिन था और जब मैं स्कूल से बाहर निकली तो बहुत तेज बारिश हो रही थी. मैं छाता लेकर रिक्शा के पास आई. रिक्शा की सीट पर नटवर पहले से ही बैठा हुआ था. मुझे रिक्शा में चढ़ते समय छाता पकड़े होने की वजह से अपना बैग उसको देना पड़ा. उसने मेरा बैग पकड़ा और हाथ देकर मुझे रिक्शा में चढ़ा लिया. मेरे बैठते ही रिक्शा वाले ने पॉलिथीन कवर को फैला दिया. आज तेज बारिश हो रही थी तो नटवर ने उससे कहा की साइड्स से भी कवर कर दे. अब मैं हमारे नौकर के साथ उस चारो तरफ से बंद रिक्शा में बैठी थी और बारिश की बूंदे पॉलिथीन कवर में पड़ने से तेज आवाज़ हो रही थी और बाहर का कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था.

“नटवर भैय्या , मैं बैग रख लेती हूँ. तुम तकलीफ मत करो.”

नटवर – नहीं नहीं बेबी. आज मैं ही रख लेता हूँ. ये भीग गया है तो थोड़ा भारी भी हो गया है.

नटवर मुझे बेबी कह कर बुलाता था. मैंने सोचा सच ही कह रहा होगा क्यूंकी मेरा बैग वास्तव में भीग गया था.

“ठीक है नटवर भैय्या, आज तुम ही रख लो.”

मैं मुस्कुरायी और मैंने देखा की उसने अजीब ढंग से मेरा बैग पकड़ा हुआ है. उसने अपनी गोद में बैग जांघों पर ना लिटाकर खड़ा करके रखा हुआ था और बैग के बाहर से छाती पर हाथ फोल्ड किए हुए थे. मुझे मन ही मन हँसी आई की इसने ऐसे बैग पकड़ा हुआ है. थोड़ी देर बाद पॉलिथीन कवर की दोनों तरफ की साइड्स से बारिश की बूंदे आने लगीं तो मुझे सीट पर नटवर की तरफ खिसकना पड़ा और वो भी थोड़ा मेरी तरफ खिसक गया. नतीजा ये हुआ की अब उसकी फोल्ड की हुई बायीं बाँह की अँगुलियाँ मेरी चूची को छूने लगी. रिक्शा को लगते हर झटके के साथ उसके बाएं हाथ की अँगुलियाँ मेरी बायीं चूची को छूने लगी . वो मेरी बायीं तरफ बैठा था और मुझे लगा सटकर बैठने की वजह से ऐसा हो रहा है.

फिर रिक्शा मेन रोड को छोड़कर गली में आ गया और रास्ता अच्छा ना होने से झटके ज़्यादा लगने लगे और बारिश की वजह से गली में पानी भर गया था तो स्पीड भी हल्की हो गयी थी. मैंने दाएं हाथ से रिक्शा को पकड़ा हुआ था और बाएं हाथ को पीटी स्कर्ट के ऊपर जाँघ पर रखा हुआ था. रास्ते भर नटवर की अँगुलियाँ मेरी बायीं चूची को छूते रहीं. जब मैं घर पहुँची तो मुझे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था. मम्मी को चिंता हो रही थी की कहीं इतनी तेज बारिश से मैं भीग तो नहीं गयी लेकिन मेरा ध्यान अपनी चूचियों पर था क्यूंकी ब्रा के अंदर निप्पल एकदम कड़क होकर तन गये थे. 

वो तो बस शुरुवात थी और बारिश के दिनों में नटवर का यही रुटीन हो गया. धूप के दिन वो ऐसे नॉर्मल तरीके से व्यवहार करता था की मैं उसके बारे में कुछ भी ग़लत नहीं सोच पाती थी. फिर एक बारिश के दिन वो मेरी बायीं तरफ बैठा था. रिक्शा की साइड्स से बारिश की बूंदे आने लगीं तो मुझे उसकी तरफ खिसकना पड़ा. उस दिन स्कूल बैग मेरी गोद में ही रखा हुआ था. अब उसने अपना दायां हाथ मेरे पीछे सीट के ऊपर रख दिया. थोड़ी देर तक कुछ नहीं हुआ फिर रिक्शा को एक झटका लगा तो मैं उसकी तरफ झुक गयी , उसने अपने दाएं हाथ से मेरे कंधे को पकड़ लिया. फिर मैं सीधी हो गयी पर उसने अपना हाथ नहीं हटाया.

बारिश की वजह से मुझे उससे सटकर बैठना पड़ रहा था और उसका हाथ मेरे दाएं कंधे पर था. फिर एक झटका लगा तो उसका हाथ मेरे कंधे से खिसकर मेरी बाँह पर आ गया और अगले झटके में और नीचे खिसककर मेरी कमर पर आ गया. उस दिन जब मैं रिक्शा से उतरने लगी तो उसने मेरे नितंबों को अपनी हथेली से पकड़ा जैसे मुझे नीचे उतरने में मदद कर रहा हो. तब तक तो मैं सहन ही करती थी और उसके छूने को इग्नोर कर देती थी और कभी कभी जब उसका हाथ मुझे ज़्यादा ही महसूस होता था तब मुझे थोड़ा एंबरेसमेंट हो जाती थी . लेकिन जैसे जैसे दिन गुज़रते गये मुझे समझ आने लगा की ये नौकर बारिश की वजह से मेरी सटकर बैठने की मजबूरी का फायदा उठा रहा है और जानबूझकर मेरे बदन को छूने की कोशिश करता है. 

फिर लगातार दो दिनों तक कुछ ऐसा हुआ की मैं बहुत ही परेशान हो गयी और फिर मैंने रिक्शा में बैठना ही छोड़ दिया.

मुझे याद है की उस दिन थर्सडे था और मानसून की तेज बारिश हो रही थी.
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01-17-2019, 02:10 PM,
#55
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
मुझे याद है की उस दिन थर्सडे था और मानसून की तेज बारिश हो रही थी. मैं छाता लेकर रिक्शा के पास आई तो नटवर रिक्शा में चढ़ गया और मुझसे स्कूल बैग देने को कहा. मैंने उसे अपना बैग पकड़ा दिया.

नटवर – ओह.....सीट तो गीली हो रखी है.

“नटवर भैय्या , ये रुमाल ले लो और सीट पोंछ दो.”

बारिश से सीट गीली हो गयी थी और नटवर ने रुमाल से उसे पोंछ दिया और सीट में बैठ गया. मैं रिक्शा में चढ़ गयी और जैसे ही सीट में बैठने को हुई उसने बड़ी अजीब सी बात कही.

नटवर – बेबी, सीट अभी भी गीली ही है. अपनी स्कर्ट में मत बैठो, गीली हो जाएगी.

मैंने उसकी तरफ उलझन भरी निगाहों से देखा क्यूंकी मुझे उसकी बात समझ नहीं आई.

नटवर – बेबी, जैसे फर्श में बैठती हो ना वैसे बैठो. उससे तुम्हारी स्कर्ट गीली नहीं होगी.

असल में हम लड़कियाँ जब फर्श या खुले में घास में बैठती हैं तो स्कर्ट को गोल फैलाकर बैठती हैं क्यूंकी उससे टाँगें अच्छे से ढकी रहती हैं. लेकिन यहाँ रिक्शा में एक आदमी के साथ ऐसे बैठना कुछ अजीब लग रहा था. मैं रिक्शा की सीट में बैठने को आधी झुकी हुई खड़ी थी और नटवर सीट में बैठा हुआ था. मैंने दोनों हाथों से स्कर्ट के कोनों को पकड़कर थोड़ा ऊपर उठाया और सीट में बैठ गयी. मेरी पीठ सीट की तरफ थी और नटवर सीट में बैठा हुआ था तो पीछे से मेरा स्कर्ट उठाकर सीट में बैठने का वो दृश्य देखना उसके लिए रोमांचित कर देने वाला रहा होगा. 

अब मैंने स्कर्ट को गोल फैलाकर अपनी टाँगों के ऊपर कर दिया. लेकिन सीट गीली होने से मेरी जाँघों के निचले हिस्से में गीलापन महसूस होने लगा और कुछ ही देर में मेरी पैंटी भी नीचे से गीली हो गयी. लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकती थी इसलिए चुप बैठी रही. पर नटवर के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था.

नटवर – सीट तो अभी भी गीली लग रही है. मेरी पैंट गीली होने लगी है.

“हाँ, सीट थोड़ी गीली है पर क्या कर सकते हैं. चलेगा.”

मैंने बात को टालने की कोशिश की पर …….

नटवर – बेबी, कैसे चलेगा ? मेरे पैंट के अंदर कच्छा भी गीला होने लगा है और तुम कह रही हो की थोड़ी सी गीली है.

रिक्शा चलते जा रहा था और मुझे समझ नहीं आ रहा था की नटवर की बात का क्या जवाब दूँ.

नटवर – बेबी अपना रुमाल दे दो. मैं फिर से पोंछ देता हूँ.

“लेकिन तुम सीट को पोछोगे कैसे ? हम तो बैठे हैं.”

मेरे मुँह से अपनेआप ये सवाल निकल गया और वो नौकर इसी बात को पूछने का इंतज़ार कर रहा था.

नटवर – मैं थोड़ा सा कमर ऊपर उठाऊँगा फिर तुम मेरे नीचे पोंछ देना और ऐसे ही मैं तुम्हारे नीचे पोंछ दूँगा.

ऐसा कहते हुए उसने अपने नितंबों को सीट से थोड़ा ऊपर उठा दिया, मेरा स्कूल बैग उसने अपनी छाती से चिपकाकर पकड़ा हुआ था. मैं थोड़ा उसकी तरफ मुड़कर उसके नीचे सीट पोछने लगी. रिक्शा को झटके लगने से मेरा हाथ उसके नितंबों पर छू जा रहा था और उसकी तरफ मुड़ने से मेरे चेहरे पर उसके छाती पर फोल्ड किये हुए हाथ की अँगुलियाँ छू जा रही थीं . झटकों की वजह से कभी मेरे कानों पर तो कभी मेरे गालों पर उसकी अँगुलियाँ छू रही थीं. लेकिन जब वो मेरे होठों को भी छूने लगीं तो मुझे असहज महसूस होने लगा और मैंने जल्दी से सीट पोछना खत्म किया और सीधी हो गयी. उसकी अंगुलियों के मेरे होठों को छूने से मेरा चेहरा लाल हो गया. 

“नटवर भैय्या, हो गया . अब तुम बैठ जाओ.”

वो बैठ गया और मैंने उसको रुमाल दे दिया और उसने मुझे स्कूल बैग पकड़ा दिया. अब उठने की बारी मेरी थी. मैं थोड़ा सा ऊपर को उठी और सपोर्ट के लिए मैंने एक हाथ से रिक्शा के फ्रेम को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मैंने बैग पकड़ा हुआ था . थोड़ा ऊपर उठने से पीछे से मेरी स्कर्ट नीचे हो गयी और सीट को ढक दिया. अब नटवर ने सीट पोछने के लिए पीछे से मेरी स्कर्ट ऊपर उठा दी . असल में थोड़ी सी स्कर्ट ऊपर करके सीट पोछने की बजाय उसने पीछे से मेरी स्कर्ट मेरे नितंबों तक पूरी ऊपर उठा दी . शरम से मुझे कुछ कहना ही नहीं आया. रिक्शा चलता जा रहा था और चारो तरफ से पॉलिथीन कवर लगा हुआ था. रास्ते में किसी को पता नहीं चल रहा होगा की रिक्शा के अंदर एक लड़की झुकी हुई खड़ी है और उसकी स्कर्ट पीछे से उसके गोल नितंबों तक उठी हुई है.

वो नौकर सीट पोछने में इतना वक़्त ले रहा था की मुझे टोकना पड़ा.

“हो गया क्या ?”

नटवर ने अंदर झाँकने के लिए एक हाथ से मेरी स्कर्ट ऊपर उठा रखी थी और दूसरे हाथ से सीट पोछने का बहाना कर रहा था. 

नटवर – नहीं बेबी. अभी भी गीला है. असल में रुमाल ही गीला हो गया है.

“कोई बात नहीं. मैं ऐसे ही बैठ जाती हूँ.”

और ऐसा कहते हुए मैं बैठने को हुई तो उसके हाथ मेरे नितंबों पर लग गये.

नटवर – बेबी तुम्हारी तो पैंटी भी गीली लग रही है. एक काम करो. मैं बीच में बैठ जाता हूँ, तुम मेरी गोद में बैठ जाओ और बैग साइड में रख दो. देखो बारिश तेज हो गयी है तुम साइड्स से भी भीग जाओगी.

ऐसा कहकर वो मेरी तरफ बीच में खिसक गया. उसकी बात से मैं हैरान हुई और शरमा गयी. मुझे तो बारिश बहुत तेज नहीं लग रही थी लेकिन पॉलिथीन कवर से साइड्स में पानी अंदर ज़रूर आ रहा था. मैंने सोचा मना कर दूँ पर वो मुझसे उमर में बहुत बड़ा था और सीट गीली भी थी और रिक्शा में कवर लगने से किसी के अंदर देखने की गुंजाइश नहीं थी तो मैं बाकी बचे रास्ते के लिए उसकी गोद में बैठने को राज़ी हो गयी. मैंने स्कूल बैग सीट में रखा और अपनी स्कर्ट नीचे को खींची और अनमने मन से उसकी जांघों में बैठ गयी. 

उस नौकर की जांघों में बैठकर मेरे जवान बदन में कंपकपी सी हो रही थी और मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था. मैंने अपने दाएं हाथ से सपोर्ट के लिए रिक्शा फ्रेम को पकड़ा हुआ था. इसलिए मेरे बदन का दायां हिस्सा चूची से लेकर कमर तक अनप्रोटेक्टेड था. कुछ ही देर में उसने अपना दायां हाथ मेरी दायीं जाँघ में स्कर्ट के ऊपर रख दिया और मुझे सपोर्ट देने के बहाने अपना बायां हाथ मेरी कमर पर रख दिया. जल्दी ही मुझे समझ आ गया की इसका कहना मानकर मैंने ग़लती कर दी है. उसके हाथ एक जगह पर स्थिर नहीं थे , रिक्शा को झटके लग रहे थे और उसके हाथ मेरी जाँघ, मेरी कमर और मेरे पेट को छू रहे थे. 

एक बार तो उसने हद ही कर दी . एक मोड़ पर जब रिक्शा ने टर्न लिया तो संतुलन बिगड़ने से मैं उसकी जांघों में फिसल गयी . उसने मेरी कमर से पकड़कर मुझे वापस गोद में खींच लिया. उसके बाद मुझे फिर से फिसलने से रोकने के बहाने उसने चालाकी से मेरी स्कर्ट को जांघों तक ऊपर करके मेरी नंगी जांघों को कस कर पकड़ लिया. मैं कुछ बोल नहीं पाई क्यूंकी उसने बड़ी चालाकी से ऐसा दिखाया जैसे वो मुझे फिर से फिसलने से रोकने के लिए ऐसा कर रहा है.

नटवर – बेबी , अब नहीं फिसलोगी.

मैं चुप रही लेकिन मुझे इतना असहज महसूस हो रहा था की मैंने अपनी स्कर्ट को अपनी जांघों पर उसके हाथों के ऊपर से ही नीचे खींच दिया. मैंने तो ऐसा अपनी जांघों को ढकने के लिए किया था लेकिन इससे उसको और भी अवसर मिल गया. कुछ ही देर में उसकी अँगुलियाँ मेरी स्कर्ट के अंदर नंगी जांघों पर ऊपर को बढ़ने लगी . मुझे इतना अजीब महसूस हो रहा था की बयान नहीं कर सकती. जब उसकी अँगुलियाँ मेरी पैंटी तक पहुँच गयी तो मुझसे अब और सहन नहीं किया गया. मैंने उसके ऊपर को बढ़ते हाथ को पकड़ लिया और उसने अपनी अश्लील हरकत रोक दी.

घर पहुँचकर ही मुझे उसकी हरकतों से छुटकारा मिला . मेरे मन में उसके लिए इतनी नफरत हो रही थी की उससे बात करने का भी मेरा मन नहीं हो रहा था. लेकिन जो कुछ भी आज हुआ उससे नटवर की हिम्मत बहुत बढ़ गयी. दूसरे दिन फ्राइडे था और बदक़िस्मती से दोपहर बाद फिर से तेज बारिश शुरू हो गयी.
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01-17-2019, 02:10 PM,
#56
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
लेकिन जो कुछ भी आज हुआ उससे नटवर की हिम्मत बहुत बढ़ गयी. दूसरे दिन फ्राइडे था और बदक़िस्मती से दोपहर बाद फिर से तेज बारिश शुरू हो गयी. आज फ्राइडे था तो मैंने छोटी पीटी स्कर्ट पहनी हुई थी और हर फ्राइडे की तरह सुबह मम्मी ने मुझसे कहा था की अपनी स्कर्ट का ध्यान रखना और यूँ ही इधर उधर मत घूमना. हमारा गर्ल्स स्कूल होने से स्कूल में तो कोई दिक्कत नहीं थी पर मेरा बदन उन दिनों डेवलप हो रहा था और उस छोटी स्कर्ट में मैं सेक्सी लगती थी , इसलिए मम्मी रोड पे यूँ ही इधर उधर घूमने को मना करती थी. 

स्कूल से घर लौटते वक़्त आज नटवर मुझसे पहले रिक्शा में नहीं चढ़ा और मैं सीट में बैठ गयी. तभी मैंने ख्याल किया की नटवर के हाथ में एक झोला (बैग) है जिसे वो रिक्शा में मेरे पैरों के पास रख रहा था. रिक्शा वाला बारिश की वजह से जल्दी बैठने को कह रहा था पर नटवर झोले को एडजस्ट करने में वक़्त लगा रहा था और एक हाथ से उसने अपने सर के ऊपर छाता लगा रखी थी. पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया , फिर अचानक मुझे लगा की वो मेरी स्कर्ट के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा है. वो छाता लिए रोड में झुक कर खड़ा था और मैं ऊपर सीट पर बैठी थी. उसने रिक्शा के फर्श में मेरे दोनों पैरों के बीच झोला रख दिया था. 

असल में उसके छाता की वजह से मुझे उसका चेहरा नहीं दिख रहा था पर एक पल को छाता थोड़ी हटी तो मैं ये देख के सन्न रह गयी की वो झुककर मेरी स्कर्ट के अंदर झाँक रहा था और इसीलिए झोला एडजस्ट करने में इतना वक़्त लगा रहा था. मैंने जल्दी से अपनी टाँगें चिपकाने की कोशिश की पर उसने बीच में झोला रख दिया था इसलिए पूरी नहीं चिपका सकी. मुझे एहसास हुआ की इसने मेरी पिंक कलर की पैंटी देख ली होगी और शरम से मेरा मुँह लाल हो गया. क्लास में भी कभी मेरी पेन फर्श पे गिर जाती थी और मैं उसे उठाने को अपनी चेयर पे झुकती थी तो मुझे पीछे की सीट पे बैठी लड़कियों की पीटी स्कर्ट के अंदर पैंटी दिख जाती थी. वैसा ही दृश्य नटवर को दिखा होगा.

मैंने अपने स्कूल बैग को गोद से नीचे खिसकाकर अपनी इज़्ज़त ढकने की कोशिश की पर तब तक नटवर का काम हो चुका था. उसने अपनी छाता बंद की और फटाफट मेरे बगल में बैठ गया. अब बारिश बढ़ने लगी थी और घने बादलों की वजह से रोशनी भी कम हो गयी थी. 

नटवर – बेबी, मैं तुम्हारी तरफ साइड से छाता लगा देता हूँ, इससे तुम भीगोगी नहीं.

मुझे उसकी बात ठीक लगी क्यूंकी रिक्शा में ठीक से कवर ना लगा होने से मेरी दायीं तरफ से बारिश का पानी अंदर आ जा रहा था और मेरे टॉप की दायीं बाँह भी गीली हो गयी थी. नटवर ने छाता को थोड़ा सा खोला और मेरे पीछे से हाथ ले जाकर मेरी दायीं तरफ लगा दिया. उसने आधी खुली छाता का एक कोना मुझसे पकड़ने को कहा ताकि मेरी पूरी दायीं साइड छाता से ढकी रहे.

“नटवर भैया , तुम मेरा बैग पकड़ लो.”

छाता को पकड़ने के लिए मुझे अपना स्कूल बैग उसको देना पड़ा. पीटी स्कर्ट में मेरी जांघों का आधा हिस्सा दिख रहा था जो मैंने अब तक बैग से ढक रखा था. उसने मेरे पैरों के बीच झोला रख दिया था इससे टाँगें थोड़ी फैली होने से स्कर्ट भी थोड़ी ऊपर हो गयी थी. अपना स्कूल बैग नटवर को देने के बाद मुझे एहसास हुआ की मेरी तो आधी जाँघें नंगी दिख रही हैं.

मैं चुपचाप छाता के कोनों को पकड़े हुए बैठी रही क्यूंकी मैं नहीं चाहती थी की नटवर को पता चले की मुझे अपनी स्कर्ट के ऊपर उठने से अनकंफर्टेबल फील हो रहा है. लेकिन मन ही मन मुझे इस बात की फिकर थी की तेज हवा आ गयी तो कही मेरी पैंटी ना दिख जाए . मैंने आँखों के कोनों से देखा की नटवर की नज़रें भी मेरी जांघों पर ही हैं. मेरी मम्मी मुझे एक मर्द के साथ ऐसे बैठे हुए देख लेती तो उसे हार्ट अटैक आ जाता. मेरी साँसें भारी हो गयीं. लेकिन मुझे इस बात का सुकून था की नटवर आज मेरे साथ कुछ हरकत नहीं कर रहा था. पर ये राहत थोड़ी देर तक ही रही और फिर उसने अपनी गंदी चालें चलनी शुरू कर दी.

नटवर – ओह…अब मेरी साइड से भी पानी आ रहा है .

“ये लोग ठीक से कवर क्यूँ नहीं लगाते हैं ?”

नटवर – बेबी, ये रिक्शा वाले ऐसे ही होते हैं. मेरे पास एक पॉलिथीन है, उसे निकालता हूँ.

मुझे आशंका थी की नटवर आज भी मुझसे अपनी गोद में बैठने को कहेगा ताकि सीट के बीच में बैठकर साइड से आने वाली बारिश से बचाव हो सके. लेकिन शुक्र था की उसने ऐसा नहीं कहा पर वैसे भी आज मैंने पक्का ठान रखी थी की इसकी गोद में नहीं बैठूँगी. 

अब नटवर ने अपने पैंट की जेब से एक थैली निकाली और उसे खोलने लगा. तभी सड़क में किसी गड्ढे की वजह से रिक्शा को झटका लगा और उसके हाथ से थैली फिसल गयी. थैली में कुछ सिक्के थे जो बिखर गये. नटवर ने थैली पकड़ने की कोशिश की पर फिर भी कुछ सिक्के बाहर गिर गये. झटका ऐसे लगा की वो सिक्के मेरे ऊपर गिर गये.

नटवर – अरे …अरे …….

“नटवर भैया, घबराओ नहीं, रिक्शा के बाहर कोई नहीं गिरा है.”

नटवर – हाँ यही गनीमत रही. बेबी तुम थैली पकड़ लो , मैं सिक्के ढूंढता हूँ.

अब मैंने बाएं हाथ से उसकी थैली पकड़ ली क्यूंकी दाएं हाथ से छाता का कोना पकड़ा हुआ था. मैंने देखा फर्श में मेरे पैरों में, मेरी सीट में और इधर उधर सिक्के गिरे हुए थे.

नटवर – बेबी तुम हिलो नहीं. मैं सिक्के उठाता हूँ.

उसने मेरी स्कर्ट और टॉप में गिरे हुए सिक्कों को उठाना शुरू किया. उसने मेरी जांघों को पकड़ा और वहाँ गिरे हुए सिक्के उठाने लगा. मैं कांप सी गयी और अपनी दायीं तरफ छाता की ओर नज़रें घुमा लीं. फिर उसका हाथ मुझे अपने पेट पर महसूस हुआ वो मेरे टॉप में गिरे हुए सिक्के उठा रहा था. उसकी अँगुलियाँ मेरी बायीं चूची को भी छू गयीं. उसके बाद वो सीट में झुक गया और मेरे पैरों के पास गिरे सिक्के उठाने लगा. मैंने तिरछी नज़रों से देखा की ऐसे झुकने से उसे मेरी स्कर्ट के अंदर दिख रहा था. मैंने अपनी टाँगें चिपकाने की कोशिश की पर बीच में झोला रखा होने की वजह से ऐसा नहीं कर पाई.

नटवर – बेबी , अपनी टाँगें थोड़ी सी ऊपर उठाओ. नीचे सिक्के गिरे हैं.

मैंने नटवर की तरफ देखा. मैं जानती थी की झुके हुए नटवर के सामने इस छोटी स्कर्ट में टाँगें ऊपर उठाऊँगी तो बहुत भद्दा लगेगा लेकिन मेरे पास कोई चारा नहीं था. मैंने शरम से थोड़ी सी ही टाँगें ऊपर की पर मुझे मालूम था की वो इतने से नहीं मानेगा.

नटवर – बेबी , थोड़ा और ऊपर करो. ठीक से दिख नहीं रहा.

अनमने मन से मुझे अपनी टाँगें थोड़ी और ऊपर उठानी पड़ीं. मुझे मालूम था की ये लो क्लास आदमी बहाने से मुझसे बदमाशी कर रहा है , पर उसके पास सिक्के ढूँढने का बहाना था. टाँगें उठाने से मेरी गोरी गोरी चिकनी जांघों का निचला हिस्सा भी नटवर को दिखने लगा. मैं उस समय बहुत अश्लील लग रही हूँगी. एक लड़की छोटी स्कर्ट में टाँगें उठाए बैठी है और एक मर्द उसकी टाँगों के बराबर में झुका हुआ देख रहा है.

नटवर – ठीक है बेबी. लगता है अब नीचे फर्श पर कोई सिक्का नहीं बचा है.

अब वो सीट में सीधा बैठकर अपने सिक्के गिनने लगा और मैंने राहत की सांस ली. पर जल्दी ही उसकी बेहूदी हरकतें फिर शुरू हो गयीं.

नटवर – इसमें तो पूरे नहीं हैं, ज़रूर सीट में ही होंगे.

उसने मेरी स्कर्ट की तरफ देखा और फिर मेरी पीठ की तरफ देखने लगा.

“लेकिन मुझे तो लगा की सिक्के मेरे आगे ही गिरे हैं.”

नटवर – नहीं बेबी. ये देखो एक यहाँ है.

ऐसा कहकर उसने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए , पैंट की ज़िप के पास नीचे से एक सिक्का निकाला. मेरी नज़र उसके पैंट के उभार पर पड़ी. शायद जानबूझकर उसने मुझे वहाँ देखने को कहा. थोड़ी देर तक सिक्के ढूँढने के बहाने वो अपने लंड पर हाथ फेरता रहा. और फिर अपनी पैंट घुटनों तक उठाकर सिक्के ढूँढने का बहाना करने लगा. बालों से भरी हुई उसकी काली काली टाँगें मुझे दिखीं . मैंने उसके पैंट के उभार से नज़रें फेर लीं और नॉर्मल रहने की कोशिश करने लगी.

नटवर – बेबी, एक बार थोड़ी खड़ी हो जाओ ताकि मैं सीट पर देख लूँ.

“नटवर भैया, रिक्शा चल रहा है और मैंने छाता पकड़ा हुआ है. मैं खड़ी कैसे हो जाऊँ ?”

नटवर – हाँ ये तो है . तुम थोड़ा सा आगे को खिसक जाओ बस.

मैं जैसे ही सीट में आगे को खिसकी , वो मेरे पीछे सीट पर सिक्के ढूँढने लगा. इसी बहाने उसने स्कर्ट के बाहर से मेरे गोल नितंबों पर हाथ फिरा दिए और वो बेहूदा इंसान इतने पर ही नहीं रुका. बल्कि वो मेरे नितंबों के नीचे अँगुलियाँ घुसाने लगा जैसे की वहाँ कोई सिक्का घुसा हो. एक बार तो मुझे उसकी अँगुलियाँ स्कर्ट और पैंटी के बाहर से अपने नितंबों के बीच की दरार में महसूस हुई.

“आउच…”

नटवर – क्या हुआ बेबी ?

वो एकदम से सतर्क हो गया और अपनी अँगुलियाँ बाहर खींच ली.

“कुछ नहीं. सारे सिक्के मिल गये क्या ?”

नटवर – बेबी, 5 के दो सिक्के नहीं मिल रहे.

मैं उसकी इस ढूँढ खोज से परेशान हो गयी थी और जल्द से जल्द इसे खत्म करना चाहती थी.

“ठीक है. मैं एक बार उठ रही हूँ. तुम पूरी सीट चेक कर लो.”

लेकिन इससे बात और भी बिगड़ गयी. जैसे ही मैंने सीट से अपने नितंब ऊपर को उठाए , रिक्शा ने एक टर्न लिया और मेरा संतुलन बिगड़ गया. नटवर एक हाथ से मेरे नीचे सीट पर सिक्के ढूँढ रहा था और दूसरे हाथ से अपनी गोद में मेरे स्कूल बैग को पकड़े हुआ था. जैसे ही मेरा संतुलन बिगड़ा , मैं उसके सीट पर रखे हाथ के ऊपर गिर गयी और मुझे सम्हालने के चक्कर में नटवर ने मेरी बायीं चूची को पकड़ लिया. जब तक मैं संभलती तब तक हमारे नौकर ने मेरे बदन को अच्छी तरह से दबा दिया था. 

नटवर को कुछ ही पलों का वक़्त मिला था पर मैं हैरान हो गयी की उतने कम समय में ही उसके दाएं हाथ ने मेरी गांड को अपनी हथेली में पकड़कर दबा दिया और बाएं हाथ ने मेरी बायीं चूची को कसकर निचोड़ दिया. मैंने तुरंत उसके हाथ के ऊपर से उठने की कोशिश की और अपनी कमर ऊपर उठाई और अब नटवर ने सारी हदें पार कर दी.

नटवर – बेबी , ऐसा मत करो. तुम गिर जाओगी.

ऐसा कहते हुए उसने मुझे पकड़ने के बहाने से मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल दिया और मेरी पैंटी के बाहर से चूत को अंगुलियों से दबाने लगा. हालाँकि ये कुछ ही पल के लिए हुआ और उसने मेरे नितंबों को पकड़कर वापस सीट में बैठा दिया. उसके मेरे नितंबों को पकड़कर बैठाने से पीछे से मेरी स्कर्ट पैंटी के ऊपर तक उठी रही. मैं जल्दी से सीट में बैठ गयी पर मेरे बैठने तक उसने मेरे नितंबों को अपनी हथेलियों में पकड़े रखा.

मेरे ऊपरी बदन में भी उसकी गंदी हरकतें जारी रही. शुरू में गिरते समय उसने मेरी बायीं चूची को दबोच लिया था . फिर मैं संभली तो मैंने अपनी बायीं बाँह नीचे कर दी. अब उसका हाथ मेरी बाँह और बदन के बीच मेरी कांख में दब गया. उसका हाथ अभी भी मेरी बायीं चूची पर था और वो उसे अपनी हथेली में भरकर दबा रहा था. जब मैं सीट में बैठ गयी तो मैंने उसके हाथ को झटक दिया. मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया था. उसके मेरे बदन से छेड़छाड़ करने से मेरी चूची में और मेरी पैंटी में अजीब सी सनसनाहट होने लगी थी.

नटवर – बेबी , मेरे दो सिक्के अभी भी नहीं मिले.

मैं उस नौकर की गंदी हरकतों से इतनी असहज और परेशान हो गयी थी की रास्ते भर उससे नहीं बोली. ऐसा लग रहा था की अभी भी उसके हाथ मेरे बदन में घूम रहे हैं. जिस तरह उसने मेरी चूची और नितंबों को दबोचा और मेरी चूत को छुआ मुझे ऐसा मन हो रहा था की उसे थप्पड़ मार दूँ. मैं सोचने लगी की मुझे ऐसे छूने की इसकी हिम्मत कैसे हुई. मुझे समझ आया की ये नौकर लोग ऐसे ही होते हैं और मौके का फायदा उठाने की ताक में रहते हैं. शर्मीली होने की वजह से मैं किसी से कुछ कह भी ना सकी.

“आंटी ….आंटी…”

मैं जैसे सपने से जागी. मेरी गोद में मैगज़ीन खुली हुई थी पर गुप्ताजी के नौकर ने कुछ समय पहले जो बदसलूकी मेरे साथ की थी उससे मेरा मन बचपन की उन बुरी यादों में खो गया था. हालाँकि आज की घटना बहुत ही शर्मिंदगी वाली थी क्यूंकी अब मैं 28 बरस की शादीशुदा औरत थी.

काजल मुझे बुला रही थी.

काजल – आंटी …आंटी….

“ओह……हाँ….क्या हुआ ?”

काजल – गुरुजी बुला रहे हैं.

“हाँ…. हाँ , चलो.”
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01-17-2019, 02:11 PM,
#57
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
काजल – आंटी …आंटी….

“ओह……हाँ….क्या हुआ ?”

काजल – गुरुजी बुला रहे हैं.

“हाँ…. हाँ , चलो.”

मैंने अपनी गोद में खुली हुई मैगज़ीन उठाकर टेबल पे रख दी और अपनी साड़ी ठीक करके काजल के साथ चल दी. काजल मुझसे 10 – 12 साल छोटी थी , वो मेरे आगे चल रही थी और मैं उसका कसा हुआ बदन देख रही थी. मेरे आगे मस्ती में चलती हुई काजल की मटकती हुई गांड बहुत मनोहारी लग रही थी. जब हम पूजा घर पहुँचे तो देखा की वहाँ सभी लोग हैं , गुरुजी , समीर, गुप्ताजी और नंदिनी.

गुरुजी – अब हम यज्ञ के आख़िरी पड़ाव पर हैं और काजल बेटी को इसे पूरा करना है.

काजल – जी गुरुजी.

गुरुजी – समीर, नंदिनी और कुमार को भोग बाँट दो. नियम ये है की काजल के यज्ञ में बैठने से पहले उसके माता पिता को भोग गृहण करना होगा.

समीर – जी गुरुजी.

गुरुजी – समीर, यज्ञ में अब तुम्हारी ज़रूरत नहीं है. तुम आराम कर सकते हो. रश्मि, तुम्हें काजल को आध्यात्मिक लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करनी है इसलिए तुम यहीं रूको.

नंदिनी और कुमार ने गुरुजी को प्रणाम किया और वो दोनों पूजा घर से बाहर चले गये. समीर भी दो कटोरे भोग लेकर बाहर चला गया. अब गुरुजी , मैं और काजल तीन लोग ही पूजा घर में थे.

गुरुजी – रश्मि, एक बार देख लो की समीर ने यज्ञ के लिए ज़रूरी सामग्री रखी है ? दूध, घी, शहद, चंदन, हल्दी, फूल, पान के पत्ते, नारियल, सुपारी, तिल , जौ होने चाहिए .

“जी गुरुजी.”

मैं नीचे बैठ गयी और यज्ञ की सामग्री चेक करने लगी. जब मैं नीचे बैठी तो पैंटी का कपड़ा मेरे नितंबों से सिकुड़कर बीच की दरार में घुसने लगा. पेटीकोट के अंदर मेरे बड़े नितंब लगभग नंगे हो गये पर मैं गुरुजी के सामने अपने कपड़े एडजस्ट नहीं कर सकती थी इसलिए वैसी ही बैठी रही.

गुरुजी काजल को मनुष्य के जीवन, दर्शन, उद्देश्य, पढ़ाई आदि के बारे में आध्यात्मिक बातें बता रहे थे और काजल ध्यान से उनकी बातें सुन रही थी. मैं सोचने लगी की गुरुजी को क्या मालूम की ये लड़की अश्लील फिल्में देखती है और कुछ देर पहले मेरे साथ बड़े मज़े लेकर लेस्बियन सेक्स कर रही थी. और अब यहाँ ज्ञान , धर्म की आध्यात्मिक बातें हो रही थीं.

मैंने देखा की समीर ने सभी सामग्री अच्छे से रखी हुई है सिर्फ़ दूध वहाँ नहीं था. मैं गुरुजी की बात खत्म होने का इंतज़ार करने लगी.

“गुरुजी, यहाँ दूध नहीं है और बाकी सब है.”

गुरुजी – ठीक है. तुम नंदिनी से एक लीटर दूध ले आओ. और हाँ, मैंने नंदिनी से एक सफेद साड़ी लाने को कहा था पर यहाँ नहीं दिख रही. उससे कह देना.

“जी गुरुजी.”

मैं पूजा घर से बाहर आ गयी और गुरुजी फिर से काजल को आध्यात्मिक बातें समझाने लगे. सीढ़ियों से नीचे उतरकर मैंने अपनी पैंटी एडजस्ट करने की सोची क्यूंकी उसका कपड़ा मेरे नितंबों की दरार में फँस गया था जिससे चलने में मुझे असुविधा हो रही थी. लेकिन उस गैलरी में सुनसानी थी तो मुझे डर लगा की कहीं वो कमीना नौकर ना आ जाए इसलिए मैं इस वाले बाथरूम में जाने में घबरा रही थी.

मैं गैलरी से होते हुए ड्राइंग रूम की तरफ चली गयी. वहाँ मुझे कोई बैठा हुआ नज़र आया. मैंने कुछ दूरी से ध्यान से देखा , वो गुप्ताजी था.

“हे भगवान…”

वो शराब पी रहा था और उसके पैरों के पास वही नौकर बैठा हुआ था जिसने मेरे साथ बदतमीज़ी की थी. मेरे पैर वहीं रुक गये . मैं जानती थी की अगर इन्हें अब दूसरा मौका मिल गया तो ये कमीने मुझे नंगी कर देंगे और बिना चोदे जाने नहीं देंगे. मैं काजल के कमरे की तरफ चली गयी. मैंने सोचा की अब मुझे मालूम है की ये दोनों आदमी ड्राइंग रूम में बैठे हैं तो काजल का कमरा सेफ है. मैंने जल्दी से अपनी साड़ी कमर तक ऊपर उठाई और पैंटी के सिरो को पकड़कर नितंबों के बीच की दरार से बाहर निकाला और नितंबों के ऊपर फैला दिया. और चूत के ऊपर भी पैंटी का कपड़ा एडजस्ट कर लिया. फिर साड़ी नीचे कर ली. शुक्र है की यहाँ कोई नहीं था और पैंटी एडजस्ट करके मुझे बहुत राहत हुई.

मैं काजल के कमरे से बाहर आकर गैलरी में ड्राइंग रूम के दूसरी तरफ जाने लगी , तभी मुझे चूड़ियों की खनक सुनाई दी , मैंने इधर उधर देखा पर मुझे कोई औरत नहीं दिखी. गैलरी से एक रास्ता बायीं तरफ मुड़कर बालकनी को जाता था. हाँ, चूड़ियों की आवाज़ वहीं से आ रही थी. मैं समझ गयी की वो नंदिनी होगी. मैंने उसे आवाज़ देने की सोची फिर मुझे उत्सुकता हुई की उसके साथ कौन है ? क्यूंकी मुझे ड्राइंग रूम में समीर नहीं दिखा था. मैं बिना आवाज़ किए धीरे से आगे बढ़ी और बालकनी में झाँका. बालकनी में चाँद की रोशनी आ रही थी और वहाँ नंदिनी के साथ समीर था.

लेकिन वो दोनों वहाँ कर क्या रहे थे ?

चाँद की रोशनी में सफेद साड़ी लपेटे हुए नंदिनी सेक्सी लग रही थी. समीर उसके हाथ पकड़े हुए था और कुछ फुसफुसा रहा था. मैं बिल्कुल सही वक़्त पर वहाँ पहुँची थी. जल्दी ही मुझे समझ आ गया की समीर उस खुली हुई बालकनी में नंदिनी को फुसला रहा था लेकिन नंदिनी हिचकिचा रही थी क्यूंकी उसका विकलांग पति कुछ ही दूरी पर ड्राइंग रूम में बैठा हुआ था. अब समीर ने नंदिनी को अपने नज़दीक़ खींच लिया , नंदिनी का विरोध भी कमज़ोर पड़ने लगा. कुछ देर बाद नंदिनी मान ही गयी.

नंदिनी – ओके बाबा, करो जो तुम्हारा मन है.

समीर उसकी हामी का इंतज़ार कर रहा था. अब उसने नंदिनी की पीठ में ब्लाउज के ऊपर हाथ फिराना शुरू किया और फिर नंगी कमर पर हाथ फेरने लगा. नंदिनी का चेहरा मेरी तरफ था, उसने अपनी आँखें बंद कर ली. फिर समीर ने नंदिनी को पीठ की तरफ घुमा दिया और दोनों हाथों से उसकी बड़ी चूचियों को मसलने लगा. नंदिनी कसमसाने लगी और हाथ नीचे ले जाकर साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत को रगड़ने लगी. मैं उन दोनों की कामुक हरकतों को देखने में मगन हो गयी थी और बिल्कुल ही भूल गयी की मैं नंदिनी के पास दूध और सफेद साड़ी लेने आई थी. अचानक समीर ने अपनी हरकतें रोक दी और चुपचाप खड़ा रहा, उसने हथेलियों में नंदिनी की बड़ी चूचियों को ब्लाउज के बाहर से पकड़ा हुआ था पर उसके हाथ स्थिर हो गये. नंदिनी थोड़ी घबराई , उसने सोचा शायद समीर ने किसी को देख लिया है तभी हाथ रोक दिए. लेकिन मुझे मालूम था की समीर ने किसी को नहीं देखा था वो तो बस नंदिनी की बड़ी बड़ी चूचियों को अपनी हथेलियों में भरकर महसूस कर रहा था.

नंदिनी – बदमाश……

नंदिनी की सांस अटक गयी थी , वो समीर की तरह घूम गयी. समीर के हाथ उसकी साड़ी के पल्लू के अंदर ब्लाउज के ऊपर थे. अब समीर ने अपने होंठ नंदिनी के होठों पे रख दिए और दोनों कुछ देर तक एक दूसरे के होठों को चूमते रहे. साथ ही साथ समीर ने नंदिनी के ब्लाउज के ऊपर से उसका पल्लू भी नीचे गिरा दिया और फिर उसकी कमर से साड़ी खोलने लगा.

मुझे हैरानी हो रही थी की नंदिनी उस खुली हुई बालकनी में समीर को ऐसी अश्लील हरकतें कैसे करने दे रही थी. वैसे बालकनी से रोड तो नहीं दिखती थी लेकिन अगर कोई इस घर की तरफ आए तो उसे साफ दिख जाता की बालकनी में क्या हो रहा है. समीर अपना काम तेज़ी से कर रहा था और कुछ ही देर में उसने नंदिनी के सफेद ब्लाउज के हुक खोल दिए और उसकी सफेद ब्रा चूचियों से ऊपर कर दी. नंदिनी एक 18 बरस की लड़की की माँ थी , उसका भरा हुआ बदन था और बड़ी बड़ी चूचियाँ थी और उसमें काले रंग के बड़े निप्पल थे जो कड़क होकर तने हुए थे.

अब समीर ने नंदिनी की कमर को अपनी बाँहों के घेरे में लिया और उसकी ठोड़ी को उठाकर उसके होठों के बीच अपनी जीभ डाल दी. नंदिनी ने समीर को अपने आलिंगन में ले लिया और उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगी. उसकी साड़ी फर्श में गिरी हुई थी और ब्लाउज खुला हुआ था. उसकी ब्रा नंगी चूचियों के ऊपर को कर रखी थी और सिर्फ़ पेटीकोट से उसकी इज़्ज़त ढकी हुई थी. अब समीर अपने लंड को उसके पेटीकोट के बाहर से चूत पर दबाने लगा. समीर नंदिनी की चूचियों को मसल रहा था और उसके मुँह में जीभ डालकर घुमा रहा था.

“उहहहह…..”

उनकी कामलीला देखने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. ये सीन देखकर मुझे नाव में विकास के साथ चुंबन की याद आ गयी. उस रात नाव में बिताए हुए वो पल मैं भूल ही नहीं सकती. मैं सोचने लगी काश विकास यहाँ आया होता तो हम फिर से प्यार भरे कुछ पल बिता सकते थे. फिर मेरे मन में आया की मैं अपने पति को क्यूँ नहीं याद कर रही हूँ , विकास को क्यूँ ? राजेश भी मुझे ऐसे चूमता था पर कभी कभार क्यूंकी वो चुंबन की बजाय सीधे सेक्स में ज़्यादा इंट्रेस्टेड रहता था. लेकिन विकास का चुंबन बहुत रोमांटिक था और अभी समीर भी उसी तरह से नंदिनी को चूम रहा था.

अब समीर के हाथ नंदिनी की गांड पर आ गये और वो उसकी बड़ी गांड को सहलाने और दबाने लगा. मेरा दायां हाथ अपनेआप ही नीचे जाकर साड़ी के बाहर से मेरी चूत को रगड़ रहा था और बायां हाथ ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को सहला रहा था और निप्पल को दबा रहा था.

अब समीर ने नंदिनी के ब्लाउज और ब्रा को उतारकर चेयर पे डाल दिया और नंदिनी अब सिर्फ़ पेटीकोट में टॉपलेस खड़ी थी. उस औरत की हिम्मत देखकर मैं हैरान रह गयी. उसका आदमी घर में मौजूद था और वो समीर के साथ टॉपलेस होकर खुली बालकनी में खड़ी थी. मैं तो अपने घर में कभी भी ऐसा नहीं कर सकती. जब दोपहर में मेरे पति काम पर गये होते थे और कोई सेल्समैन आ जाता था तो मैं कभी भी नाइटी में या बिना ब्रा पहने सेल्समैन के पास नहीं जाती थी जबकि ज़्यादातर उस समय मैं दोपहर की नींद ले रही होती थी इसलिए हल्के कपड़ों में होती थी. लेकिन यहाँ पर नंदिनी सारी हदें पार कर रही थी.

अब समीर ने नंदिनी की बाँहें ऊपर कर दी , मैंने देखा उसकी कांख शेव की हुई थी. समीर ने कांख में अपना मुँह लगा दिया और खुशबू सूंघने लगा. और फिर वहाँ पर जीभ से चाटने लगा. नंदिनी कसमसाने लगी. अब मुझसे और नहीं देखा गया. मैं सोचने लगी नंदिनी से दूध और सफेद साड़ी कैसे माँगू ? मुझे होश आया की देर हो गयी है और गुरुजी कहीं नाराज़ ना हो रहे हों. मैंने मन ही मन नंदिनी से माफी माँगी क्यूंकी मुझे उसकी कामलीला को रोकना पड़ रहा था.

मैं बालकनी से थोड़ी दूर 7 - 8 कदम वापस पीछे गयी और नंदिनी को आवाज़ लगाने लगी.

“नंदिनीजी ……. नंदिनीजी….”

मैं जानबूझकर आगे नहीं बढ़ी क्यूंकी मुझे मालूम था की मेरी आवाज़ सुनकर वो तुरंत कपड़े पहनने लगेगी इसलिए उसको कुछ वक़्त देना पड़ेगा. कुछ पल बाद मैंने फिर से आवाज़ लगाई. उसकी हल्की सी आवाज़ आई.

नंदिनी – हाँ …..मैं यहाँ हूँ.

मैं बहुत धीमे धीमे बालकनी की तरफ बढ़ी. जब मैं बालकनी में आई तो समीर चेयर पे बैठा हुआ था और नंदिनी बहुत कामुक लग रही थी. उसके जल्दबाज़ी में ब्लाउज पहन लिया था पर उसके सारे हुक खुले हुए थे और साड़ी भी यूँ ही ऊपर से लपेट ली थी. मुझे लगा की उसे कपड़े पहनने को थोड़ा और वक़्त देना चाहिए था.

“गुरुजी ने एक लीटर दूध और एक सफेद साड़ी के लिए कहा है.”

नंदिनी – ओह … हाँ हाँ …रश्मि. मैं तो भूल ही गयी. तुम यहाँ बैठो , मैं अभी लाती हूँ.

नंदिनी बोलते वक़्त हाँफ रही थी और उसका चेहरा लाल हो रखा था. मैं बालकनी में चेयर में बैठ गयी. नंदिनी जल्दी से वहाँ से चली गयी . उसकी चूड़ियों की खनक से मुझे अंदाज़ा हो रहा था की वो गैलरी में जाकर अपने कपड़े ठीक कर रही है. समीर बिल्कुल नॉर्मल होकर मुझसे बातें कर रहा था. कुछ देर बाद नंदिनी एक दूध का बर्तन और एक सफेद साड़ी लेकर आई. मैं दूध और साड़ी लेकर वहाँ से चली आई. गैलरी से सीढ़ियां चढ़ते वक़्त मैं सोच रही थी की अब समीर और नंदिनी बालकनी में ही अपनी कामलीला जारी रखेंगे या मेरे आने से सावधान होकर किसी कमरे में जाकर अपनी कामेच्छायें पूरी करेंगे ? जो भी हो पर मैं इतना तो समझ गयी थी की अगर माँ ही ऐसी है तो बेटी को अश्लील फिल्में देखने पर मैं ज़्यादा दोष नहीं दे सकती.
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01-17-2019, 02:11 PM,
#58
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
मैं पूजा घर में आई. गुरुजी अभी भी कुछ समझा रहे थे और काजल बड़े ध्यान से उनकी बात सुन रही थी. गुरुजी ने मुझे देखा.

गुरुजी – रश्मि, दरवाज़ा बंद कर दो और दूध को स्टोव में गरम कर दो.

मैंने सफेद साड़ी गुरुजी को दे दी और दूध गरम करने स्टोव के पास चली गयी. जब मैं गुरुजी को साड़ी दे रही थी तो मैंने ख्याल किया की ये तो पतली सूती साड़ी है जो अक्सर विधवा औरतें पहनती हैं. मुझे समझ नहीं आया की यज्ञ में इसकी क्या ज़रूरत है ? मैं जैसे ही गुरुजी से पूछने को हुई , तब तक गुरुजी ने काजल को पूजा के बारे में बताना शुरू कर दिया.

गुरुजी – काजल बेटी, अब हम लिंगा महाराज की पूजा करेंगे. इस पूजा के लिए माध्यम की ज़रूरत पड़ती है. तुम्हारे मम्मी पापा ने समीर अंकल और रश्मि आंटी को माध्यम बनाया और तुम्हारे लिए माध्यम मैं बनूंगा. ठीक है ?

काजल – जी गुरुजी.

गुरुजी – काजल, तुम्हारा ध्यान सिर्फ और सिर्फ पूजा में होना चाहिए. तुम्हें ध्यान नहीं भटकाना है. अगर तुम्हारा ध्यान भटका तो तुम्हें ‘दोष निवारण’ प्रक्रिया करनी होगी. इसलिए सिर्फ अपनी पढ़ाई के लिए पूजा पर ध्यान लगाना. जय लिंगा महाराज.

काजल ने सर हिलाकर हामी भरी और खड़ी हो गयी. अब क्या करना है उसे मालूम नहीं था. गुरुजी ने मुझे इशारा किया. मैं उसे वहाँ पर ले गयी जहाँ पर मैं माध्यम के रूप में फर्श पर लेटी थी. और उसे फर्श में पेट के बल लेटने को कहा. काजल ने सफेद रंग का टाइट सलवार सूट पहना हुआ था , वो पेट के बल लेट गयी. ऐसे उल्टी लेटी हुई काजल के नितंब ऊपर को उठे हुए बहुत आकर्षक लग रहे थे. मैं उसे पूजा के फूल देने लगी तो देखा की उसका चेहरा शरम से लाल हो रखा है. मैंने उसे प्रणाम की मुद्रा में हाथ आगे को करने को कहा.

गुरुजी – रश्मि तुम वहाँ पर बैठो. काजल बेटी मैं तुम्हारे कान में पाँच बार मंत्र बोलूँगा और तुम उसे ज़ोर से लिंगा महाराज के सामने बोल देना. उसके बाद तुम मुझे अपनी इच्छा बताओगी और मैं उसे लिंगा महाराज को बोल दूँगा. ठीक है ?

काजल – जी गुरुजी.

अब गुरुजी ने जय लिंगा महाराज का जाप किया और काजल के ऊपर लेट गये. गुरुजी का लंबा चौड़ा शरीर था , काजल उनके शरीर से पूरी तरह ढक गयी. मैं सोचने लगी की माध्यम के रूप में मैं फर्श में लेटी थी और गुप्ताजी ने मेरे ऊपर चढ़कर मुझसे मज़े लिए थे. लेकिन अब अलग ही हो रहा था. काजल फर्श में लेटी थी और गुरुजी माध्यम के रूप में उसके ऊपर लेटे थे. मेरे मन में आया की गुरुजी से पूछूं की ऐसा क्यूँ ? पर पूछने की मेरी हिम्मत नहीं हुई.

गुरुजी – काजल बेटी तुम्हें अजीब लगेगा, पर यज्ञ का यही नियम है. मैं अपना वजन तुम पर नहीं डालूँगा. तुम बस पूजा में ध्यान लगाओ.

गुरुजी काजल के ऊपर लेटे हुए थे और मैं कुछ फीट की दूरी से देख रही थी. मैंने ख्याल किया की अपनी धोती ठीक करने के बहाने गुरुजी ने अपने बदन को काजल के ऊपर ऐसे एडजस्ट किया की उनका श्रोणि भाग (पेल्विक एरिया) ठीक काजल के नितंबों के ऊपर आ गया. अब गुरुजी ने काजल के कान में मंत्र पढ़ना शुरू किया. मैंने देखा की वो काजल की गांड में हल्के से धक्का लगा रहे हैं. मैं ये देखकर शॉक्ड हो गयी की गुरुजी भी काजल के कमसिन बदन से आकर्षित होकर मार्ग से भटक रहे हैं. फिर काजल ने गुरुजी का बताया हुआ मंत्र ज़ोर से बोल दिया. ऐसा पाँच बार करना था. बाद बाद में तो काजल के नितंबों पर गुरुजी का धक्का लगाना भी साफ महसूस होने लगा. 

मंत्र जाप खत्म होने के बाद अब काजल को अपनी इच्छा गुरुजी को बतानी थी. मैंने देखा गुरुजी अपने चेहरे को काजल के चेहरे के बिल्कुल नज़दीक़ ले गये, उनके मोटे होंठ काजल के गालों को छू रहे थे. गुरुजी ने अपने दोनों हाथ काजल के दोनों तरफ फर्श में रखे हुए थे. अब उन्होंने अपना दायां हाथ काजल के कंधे में रख दिया और अपना मुँह उसके चेहरे से चिपका कर उसकी इच्छा सुनने लगे. 

लिंगा महाराज से काजल की इच्छा कह देने के बाद गुरुजी काजल के बदन से उठ गये. मैंने साफ साफ देखा की उनका खड़ा लंड धोती को बाहर को ताने हुए है. काजल के उठने से पहले ही उन्होंने जल्दी से अपने लंड को एडजस्ट कर लिया.

गुरुजी – काजल बेटी, तुमने पूजा करते समय अपना पूरा ध्यान लगाया ?

काजल – हाँ गुरुजी.

मैंने ख्याल किया उसकी आवाज़ कांप रही थी , शायद कामोत्तेजना की वजह से.

गुरुजी – तो फिर तुम्हारी आवाज़ में कंपन क्यूँ है ? 

काजल गहरी साँसें ले रही थी, जैसे की अगर कोई आदमी उसके ऊपर लेटे तो कोई भी औरत लेती. लेकिन गुरुजी का स्वर कठोर था.

काजल – मेरा विश्वास कीजिए गुरुजी. मैं सिर्फ अपनी पूजा के बारे में सोच रही थी.

गुरुजी – तुम झूठ क्यूँ बोल रही हो बेटी ?

कमरे में बिल्कुल चुप्पी छा गयी. मैं भी हैरान थी की ये हो क्या रहा है ?

गुरुजी – तुम्हारी असफलता का यही कारण है. तुम्हारा मन स्थिर नहीं रहता और पढ़ाई के अलावा अन्य चीज़ों में ज़्यादा उत्सुक रहता है. वही यहाँ पर भी हुआ. तुम्हारा मन पूजा की बजाय मेरे बदन के तुम्हारे बदन को छूने पर लगा हुआ था. 

काजल – गुरुजी मेरा विश्वास कीजिए. मैं सिर्फ अपने फाइनल एग्जाम्स को पास करने के लिए प्रार्थना कर रही थी.

गुरुजी – काजल बेटी तुम मुझे मजबूर कर रही हो की मैं अपनी बात साबित करूँ और मैं ये साबित करूँगा. रश्मि यहाँ आओ और पता करो की काजल का मन भटका हुआ था की नहीं.

मैं हैरान थी. ये मैं कैसे पता करूँगी ? काजल सर झुकाए खड़ी थी और मुझे यकीन था की वो झूठ बोल रही थी. उसका ध्यान पक्का एक मर्द के अपने बदन को छूने पर था.

“लेकिन गुरुजी कैसे ? मेरा मतलब….कैसे पता करूँ ?”

गुरुजी – ये तो आसान है. तुम इसके निप्पल चेक करो , तुम्हें पता चल जाएगा की ये कामोत्तेजित हुई थी या नहीं.

एक मर्द के मुँह से ऐसी बात सुनकर हम दोनों हक्की बक्की रह गयीं. लेकिन फिर मुझे समझ आया की गुरुजी ने एकदम सही निशाना लगाया है. क्यूंकी अगर किसी औरत का पता लगाना हो की वो कामोत्तेजित है या नहीं तो ये बात उसके निप्पल सही सही बता सकते हैं.

“ठीक है, गुरुजी.”

काजल – लेकिन गुरुजी…

काजल शरम से लाल हो रखी थी. शायद उसको समझ आ गया की वो गुरुजी को बेवक़ूफ़ नहीं बना सकती क्यूंकी वो बहुत अनुभवी और बुद्धिमान थे.

काजल – क्षमा चाहती हूँ गुरुजी. आप सही हैं.

गुरुजी – हम्म्म ……देख लिया बेटी तुमने, लोगों को बहलाने का कोई मतलब नहीं है. हमेशा सच बताओ. ठीक है ?

काजल ने सिर्फ सर हिला दिया. मैं समझ सकती थी की गुरुजी जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले आदमी के सामने इस टीनएजर लड़की की क्या हालत हो रखी है. उनके सामने उसका झूठ कुछ पल भी नहीं ठहर पाया. 
अब गुरुजी ने अपने बैग से लिंगा महाराज के दो प्रतिरूप निकाले. वो दिखने में बिल्कुल वैसे ही थे जिसकी हम यहाँ पूजा कर रहे थे.

गुरुजी – रश्मि, बेल के पत्ते, दूध, गुलाब जल और शहद मुझे दो. और अग्नि कुंड में थोड़ा घी डाल दो.

मैंने वैसा ही किया और गुरुजी उनसे कुछ मिश्रण बनाने लगे. उन्होंने बेल के पत्तों को कूटकर शहद में मिलाया. और उसमें बाकी चीज़ें मिलाकर एक गाढ़ा द्रव्य तैयार किया. फिर लिंगा महाराज के एक प्रतिरूप पर वो द्रव्य चढ़ाने लगे. उन्होंने उस प्रतिरूप को द्रव्य से नहलाकर हाथ से उसमें सब जगह मल दिया. फिर दूसरे प्रतिरूप को उन्होंने अग्नि में शुद्ध किया और गुलाब जल से धो दिया. उसके बाद दोनों प्रतिरूपों की पूजा की. मैं और काजल चुपचाप ये सब देख रहे थे.

गुरुजी – काजल बेटी, यहाँ आओ और अग्नि के पास खड़ी रहो. अपनी आँखें बंद कर लो और मैं जो मंत्र पढ़ूँ , अग्निदेव के सम्मुख उनका जाप करो.

मेरे घी डालने से अग्निकुण्ड में लपटें तेज हो गयी थीं. गुरुजी ज़ोर ज़ोर से मंत्र पढ़ने लगे. मैंने काजल के होठों को हिलते हुए देखा, वो मंत्रों को दोहरा रही थी. पांच मिनट तक यही चलता रहा.

गुरुजी – काजल बेटी, अब ये यज्ञ का बहुत महत्वपूर्ण भाग है. तुम अपना पूरा ध्यान इस पर लगाओ. लिंगा महाराज के ये दोनों प्रतिरूप तुम्हें जाग्रत करेंगे. इसे ‘जागरण क्रिया’ कहते हैं. तुम्हें इस प्रतिरूप से पवित्र द्रव्य को पीना है और साथ ही साथ मैं दूसरे प्रतिरूप को तुम्हारे बदन में घुमाकर तुम्हें ऊर्जित करूँगा.

काजल ने सर हिला दिया पर उसके चेहरे से साफ पता लग रहा था की उसे कुछ समझ नहीं आया. लेकिन गुरुजी से पूछने की उसकी हिम्मत नहीं थी. मुझे भी ठीक से समझ नहीं आया की गुरुजी क्या करने वाले हैं.
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RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
गुरुजी – काजल बेटी, अब ये यज्ञ का बहुत महत्वपूर्ण भाग है. तुम अपना पूरा ध्यान इस पर लगाओ. लिंगा महाराज के ये दोनों प्रतिरूप तुम्हें जाग्रत करेंगे. इसे ‘जागरण क्रिया’ कहते हैं. तुम्हें इस प्रतिरूप से पवित्र द्रव्य को पीना है और साथ ही साथ मैं दूसरे प्रतिरूप को तुम्हारे बदन में घुमाकर तुम्हें ऊर्जित करूँगा.

काजल ने सर हिला दिया पर उसके चेहरे से साफ पता लग रहा था की उसे कुछ समझ नहीं आया. लेकिन गुरुजी से पूछने की उसकी हिम्मत नहीं थी. मुझे भी ठीक से समझ नहीं आया की गुरुजी क्या करने वाले हैं.

काजल यज्ञ के अग्निकुण्ड के सामने हाथ जोड़े खड़ी थी , उसने आँखें बंद की हुई थीं. गुरुजी उसके बगल में खड़े थे और मैं अग्निकुण्ड के दूसरी तरफ खड़ी थी.

गुरुजी ज़ोर से मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे. अब उन्होंने लिंगा महाराज के पवित्र द्रव्य से भीगे हुए प्रतिरूप को काजल के मुँह में लगाया. काजल ने पहले तो थोड़े से ही होंठ खोले , लेकिन लिंगा प्रतिरूप की गोलाई ज़्यादा होने से उसे थोड़ा और मुँह खोलना पड़ा. गुरुजी ने लिंगा प्रतिरूप को उसके मुँह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगी. प्रतिरूप में लगे हुए द्रव्य का स्वाद अच्छा आ रहा होगा क्यूंकी काजल तेज़ी से उसे चूस रही थी. गुरुजी ने लिंगा प्रतिरूप को धीरे धीरे काजल के मुँह में और अंदर घुसा दिया और अब वो मुझे बड़ा अश्लील लग रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे कोई औरत किसी मर्द का लंड चूस रही हो. 

गुरुजी – लिंगा को अपने हाथों से पकड़ो और ध्यान रहे इस ‘जागरण क्रिया’ के दौरान ये तुम्हारे मुँह में ही रहना चाहिए.

अब काजल ने अपने दोनों हाथों से लिंगा प्रतिरूप को पकड़ लिया और चूसने लगी. गुरुजी की आज्ञा के अनुसार उसने अपनी आँखें बंद ही रखी थीं. आँखें बंद करके लिंगा को चूसती हुई काजल बहुत अश्लील लग रही थी , शरम से मैंने अपनी नज़रें झुका ली. गुरुजी काजल को गौर से देख रहे थे. उन्हें इस दृश्य को देखकर बहुत मज़ा आ रहा होगा की एक टीनएजर लड़की , तने हुए लंड की आकृति के लिंगा को मज़े से मुँह में चूस रही है. काजल ने अब अपना चेहरा ऊपर को उठाया और लिंगा से थोड़ा और द्रव्य बहकर उसके मुँह में चला गया. लिंगा को चूसते हुए काजल बहुत कामुक सी आवाज़ निकाल रही थी. 

काजल को लिंगा चूसते देखकर मुझे अपनी एक पुरानी घटना याद आ गयी. मैंने अपने पति का लंड सिर्फ एक बार ही चूसा था और तब भी मैंने असहज महसूस किया था. शादी के बाद पहली बार जब मेरे पति ने मुझसे लंड चूसने को कहा तो मैं बहुत शरमा गयी और तुरंत मना कर दिया. फिर और भी कई दिन उन्होंने मुझसे इसके लिए कहा , पर जब देखा की मेरा मन नहीं है तो ज़्यादा ज़ोर नहीं डाला. लेकिन बारिश के एक दिन मैं एक नॉवेल पढ़ रही थी और पढ़ते पढ़ते कामोत्तेजित हो गयी , जब मेरे पति काम से घर लौटे तो मेरा सेक्स करने का बहुत मन हो रहा था. लेकिन वो थके हुए थे और उनका मूड नहीं था. उस दिन मैं जानबूझकर देर से नहाने गयी और मैंने ध्यान रखा की जब मैं बाथरूम से बाहर आऊँ तो उस समय मेरे पति बेड में हों. मैं ड्रेसिंग टेबल के पास गयी और वहाँ खड़ी होकर नाइटी के अंदर से अपनी पैंटी उतार दी. ताकि मेरे पति को कामुक नज़ारा दिखे और मैं भी शीशे में उनका रिएक्शन देख सकूँ. मेरी ये अदा काम कर गयी क्यूंकी जब मैं बेड में उनके पास आई तो देखा पाजामे में उनका लंड अधखड़ा हो गया है.

लेकिन वो दिखने से ही थके हुए लग रहे थे और एक आध चुंबन लेकर सोना चाह रहे थे. लेकिन मैं तो चुदाई के लिए बेताब हो रखी थी. वो लेटे हुए थे और मैं उनके बालों में उंगलियाँ फिराने लगी और अपनी नाइटी भी ऐसे एडजस्ट कर ली की मेरी बड़ी चूचियाँ उनके चेहरे के सामने आधी नंगी रहें. वैसे तो मैं , ज़्यादातर औरतों की तरह बिस्तर में पहल नहीं करती थी. पर उस दिन अपने पति को कामोत्तेजित करने के लिए बेशरम हो गयी थी. अब मेरे पति भी थोड़ा एक्साइटेड होने लगे और उन्होंने मेरी नाइटी के अंदर हाथ डाल दिया. मैं इतनी बेताब हो रखी थी की मैंने अपनी जांघों तक नाइटी उठा रखी थी. वो मेरी नंगी मांसल जांघों में हाथ फिराने लगे. लेकिन मैंने देखा की उनका लंड तन के सख़्त नहीं हो पा रहा है. फिर मेरे पति ने लाइट ऑफ कर दी , तब तक मेरे बदन में सिर्फ मंगलसूत्र रह गया था और मैं बिल्कुल नंगी हो गयी थी . मैं अपने हाथों से उनके लंड को सहलाने लगी ताकि वो तन के खड़ा हो जाए . उन्होंने कहा की मुँह में ले के चूसो शायद तब खड़ा हो जाए. मैंने मना नहीं किया और उस दिन पहली बार लंड चूसा. सच कहूँ तो ऐसा करना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और दूसरे दिन मैंने अपने पति से ऐसा कह भी दिया. लेकिन उस दिन तो मेरा लंड चूसना काम कर गया क्यूंकी चूसने से उनका लंड खड़ा हो गया और फिर हमने चुदाई का मज़ा लिया.

जैसे आज काजल लिंगा को चूस रही थी , उस दिन मैंने भी अपने पति के लंड को चूसा और चाटा था. उसके प्री-कम से लंड चिकना हो गया था और चूसते समय मेरे मुँह से भी वैसी ही कामुक आवाज़ें निकल रही थीं जैसी अभी काजल निकाल रही थी. गुरुजी अब काजल के पीछे आ गये और लिंगा के दूसरे प्रतिरूप को काजल के बदन में छुआकर मंत्र पढ़ने लगे. काजल के बदन में एक जगह पर लिंगा को लगाते और मंत्र पढ़ते फिर दूसरी जगह लगाते और मंत्र पढ़ते. ऐसा लग रहा था जैसे कोई जादूगर जादू कर रहा हो. सबसे पहले उन्होंने काजल के सर में लिंगा को लगाया फिर गर्दन में और फिर उसकी पीठ में. जब गुरुजी ने काजल की कमीज़ से ढकी हुई पीठ में लिंगा को छुआया तो काजल के बदन को एक झटका सा लगा. फिर गुरुजी ने कुछ ऐसा किया जो किसी भी औरत को अपमानजनक लगेगा.

गुरुजी काजल के पीछे खड़े थे और जैसे ही लिंगा काजल की कमर में पहुँचा , गुरुजी ने काजल के सलवार से ढके हुए गोल नितंबों के ऊपर से कमीज़ ऊपर उठा दी. स्वाभाविक रूप से काजल शॉक्ड हो गयी . उसने लिंगा को चूसना बंद कर दिया और शायद वो लिंगा को मुँह से बाहर निकालने ही वाली थी. तभी गुरुजी ने उससे कहा.

गुरुजी – काजल बेटी, जैसा की मैंने तुमसे कहा था , तुम जो कर रही हो उसी पर ध्यान दो. मैं तुम्हें बता दूँ की लिंगा से ऊर्जित करने की इस प्रक्रिया में किसी अंग के ऊपर ज़्यादा से ज़्यादा दो ही वस्त्र होने चाहिए. तुमने पैंटी के ऊपर सलवार पहना है इसलिए मुझे तुम्हारी कमीज़ ऊपर उठानी पड़ी.

ऐसा कहते हुए गुरुजी काजल का रिएक्शन देखने के लिए रुके और जब उन्होंने देखा की वो उनकी बात समझ गयी है तो उन्होंने मेरी तरफ देखा.

गुरुजी – रश्मि, काजल के लिंगा में थोड़ा द्रव्य डाल दो.

“जी गुरुजी.”

मैं थोड़ा साइड में खड़ी थी , मैंने ख्याल किया की काजल की पीठ में पीछे से रोशनी पड़ रही है. गुरुजी ने उसकी कमीज़ कमर तक ऊपर उठा दी थी तो उसके पतले सलवार पे रोशनी ऐसे पड़ रही थी की उसकी पैंटी दिख रही थी. लड़कियों को पतले सलवार से कोई परेशानी नहीं होती क्यूंकी कमीज़ जांघों या घुटनों तक लंबी होने से सलवार के ऊपर ढका रहता है. लेकिन यहाँ पर गुरुजी ने सलवार के ऊपर कमीज़ का कवर हटा दिया था और मैं शॉक्ड रह गयी की काजल की पैंटी उसके नितंबों के ऊपर साफ दिख रही थी. गुरुजी तो मर्द थे उन्हें तो ये देखकर मज़ा आ रहा होगा.

मैंने द्रव्य का कटोरा लिया और काजल के पास आ गयी. काजल ने मुँह से लिंगा को बाहर निकाल लिया और वो हाँफ रही थी. उसकी आँखें अभी भी बंद थीं. मैंने उसके लिंगा में थोड़ा द्रव्य डाल दिया.

गुरुजी – देर मत करो. यज्ञ का शुभ समय निकल ना जाए.

मैं अपनी जगह वापस चली गयी और काजल ने फिर से लिंगा को मुँह में डालकर चूसना शुरू कर दिया. इतनी देर तक गुरुजी काजल की सलवार से ढकी गांड के ऊपर से कमीज़ हटाए खड़े थे. अब काजल फिर से लिंगा को चूसने लगी तो गुरुजी ने उसके गोल नितंबों पर लिंगा को घुमाना शुरू किया. मैं अपनी जगह से थोड़ा खिसकी ताकि गुरुजी की हरकतों को देख सकूँ. अब मैंने देखा की गुरुजी ने उसकी कमीज़ नीचे कर दी है और दोनों हाथों से लिंगा पकड़कर मंत्र पढ़ रहे हैं. उनके हाथ कमीज़ के अंदर घूम रहे थे और सिर्फ काजल को ही मालूम होगा की वो क्या कर रहे थे क्यूंकी कमीज़ नीचे हो जाने से मुझे नहीं दिख रहा था. जिस तरह से खड़े खड़े काजल अपने बदन को झटक रही थी उससे मुझे लग रहा था की गुरुजी उसके पतले सलवार के बाहर से उसकी गांड को सहला रहे होंगे.

ये दृश्य बहुत अश्लील लग रहा था. पहली बार काजल असहज दिख रही थी. और क्यूँ ना हो ? वो एक टीनएजर लड़की थी और अगर कोई मर्द उसकी गांड में दोनों हाथों से लिंगा घुमाए और साथ ही साथ उसको दूसरा लिंगा चूसना पड़े तो कोई शादीशुदा औरत भी कामोत्तेजित हो जाएगी. गुरुजी मंत्र पढ़े जा रहे थे और अपनी ऊर्जित प्रक्रिया को जारी रखे हुए थे. अब वो काजल के सामने आ गये और लिंगा को उसके घुटनों में लगाया और धीरे धीरे ऊपर को उसकी जांघों में घुमाने लगे. जैसे जैसे गुरुजी के हाथ ऊपर को बढ़ने लगे तो मेरे दिल की धड़कनें तेज होने लगी क्यूंकी अब गुरुजी के हाथ काजल के नाजुक अंग तक पहुँचने वाले थे. तभी अचानक गुरुजी ने मुझसे कहा.

गुरुजी – रश्मि , यहाँ आओ.

मैं उनके पास आ गयी.

गुरुजी – तुम काजल की कमीज़ ऊपर करके पकड़ो. मैं इसकी योनि को ऊर्जित करता हूँ.
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01-17-2019, 02:11 PM,
#60
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
गुरुजी – रश्मि , यहाँ आओ.

मैं उनके पास आ गयी.

गुरुजी – तुम काजल की कमीज ऊपर करके पकड़ो. मैं इसकी योनि को ऊर्जित करता हूँ.

गुरुजी के मुँह से योनि शब्द सुनकर मुझे थोड़ा झटका लगा लेकिन फिर मैंने सोचा ये तो यज्ञ की प्रक्रिया है तो इसका पालन तो करना ही पड़ेगा. किसी भी औरत के लिए ये बड़ा अपमानजनक होता की उसके कपड़े ऊपर उठाकर कोई मर्द उसके गुप्तांगो को छुए लेकिन गुरुजी के अनुसार यज्ञ की प्रक्रिया होने की वजह से इसका पालन करना ही था. काजल ने भी कुछ खास रियेक्ट नहीं किया, शायद इसलिए क्यूंकी मैं भी वहाँ मौजूद थी. 

मैंने एक हाथ से काजल की कमीज पकड़ी और आगे से कमर तक ऊपर उठा दी. लेकिन गुरुजी ने मुझसे दोनों हाथों से पकड़कर ठीक से थोड़ा और ऊपर उठाने को कहा. मैंने दोनों हाथों से कमीज पकड़कर थोड़ी और ऊपर उठा दी. अब काजल की नाभि और उसके सलवार का नाड़ा दिखने लगे.

गुरुजी ने काजल के सलवार के ऊपर से दोनों हाथों से लिंगा को उसकी योनि के ऊपर घुमाना शुरू किया और ज़ोर ज़ोर से मंत्र पढ़ने लगे. उस सेन्सिटिव भाग को छूने से काजल का चेहरा लाल हो गया और उसने लिंगा को चूसना बंद कर दिया. वैसे लिंगा अभी भी उसके मुँह में ही था और उसकी आँखें बंद थीं. फिर मैंने देखा की गुरुजी उसके सलवार और पैंटी के ऊपर से चूत की दरार में ऊपर से नीचे अंगुली फिराने की कोशिश कर रहे हैं. ये देखकर मेरी ब्रा के अंदर निप्पल एकदम तन गये. गुरुजी की अँगुलियाँ काजल की चूत को छू रही थीं और अब आँखें बंद किए हुए काजल हल्की सिसकारियाँ लेने लगी.

काजल – उम्म्म्ममम…….

गुरुजी अब साफ साफ काजल की चूत के त्रिकोणीय भाग को अपनी अंगुलियों से महसूस कर रहे थे और लिंगा को बस नाममात्र के लिए घुमा रहे थे. वो इस सुंदर लड़की की चूत के सामने झुककर इस ‘जागरण क्रिया’ को कर रहे थे. काजल अब अपनी खड़ी पोजीशन में इधर उधर हिल रही थी और मैं उसकी असहज स्थिति को अच्छी तरह से समझ सकती थी. कुछ देर बाद ये प्रक्रिया समाप्त हुई और गुरुजी सीधे खड़े हो गये. मैंने काजल की कमीज नीचे कर दी और उसने राहत की सांस ली.

गुरुजी – लिंगा में थोड़ा और द्रव्य डालो.

मैंने उस गाड़े द्रव्य का कटोरा लिया और काजल से लिंगा को मुँह से बाहर निकालने को भी नहीं कहा और ऐसे ही लिंगा में थोड़ा द्रव्य डाल दिया. लिंगा में बहते हुए द्रव्य काजल के होठों में पहुँच गया और थोड़ा सा ठुड्डी से होते हुए उसकी गर्दन में बह गया. गुरुजी ने तक तक उसके सपाट पेट में लिंगा घुमा दिया था और अब ऊपर को बढ़ रहे थे. एक मर्द के द्वारा नितंबों और चूत को सहलाने से अब काजल गहरी साँसें ले रही थी और उसकी नुकीली चूचियाँ कड़क होकर सफेद कमीज को बाहर को ताने हुए थीं. मैं उसके एकदम पास खड़ी थी इसलिए उसकी कमीज में खड़े निप्पल की शेप देख सकती थी. उसने चुनरी नहीं डाली हुई थी इसलिए उसकी चूचियाँ बहुत आकर्षक लग रही थीं.

काजल लिंगा से द्रव्य को चूस रही थी. अब ऐसा लग रहा था की गुरुजी भी अपनी भाव भंगिमाओं पर थोड़ा नियंत्रण खो बैठे हैं. इस सुंदर लड़की के बदन के हर हिस्से से छेड़छाड़ करने के बाद अब उनके जबड़े लटक गये थे और वो खुद भी गहरी साँसें लेने लगे थे और उनका लंड धोती में खड़ा हो गया था. मंत्र पढ़ते हुए अब उनकी आवाज भी कुछ धीमी हो गयी थी. 

अब गुरुजी ने काजल की चूचियों पर लिंगा को घुमाना शुरू किया. काजल की आँखें बंद थीं शायद इसलिए गुरुजी को ज़्यादा जोश आ गया. उन्होंने मेरी मौजूदगी को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए लिंगा से अपना दायां हाथ हटा लिया और काजल की बायीं चूची को पकड़ लिया.

काजल – उम्म्म्मम……

उसके मुँह से सिसकारी निकल गयी. वो लिंगा चूस रही थी और उसने कस के आँखें बंद की हुई थी, शायद उत्तेजना की वजह से. मुझे लगा अब गुरुजी हद पार कर रहे हैं, खुलेआम अपनी बेटी की उमर की लड़की की चूची दबा रहे हैं. वो अपनी हथेली से काजल की चूची की गोलाई और सुडौलता को महसूस कर रहे थे और मेरे सामने खुलेआम ऐसा करना इतना अश्लील लग रहा था की मुझे अपनी नजरें फेरकर दूसरी तरफ देखना पड़ा. गुरुजी इस परिस्थिति का अनुचित लाभ उठा रहे थे और इस गुलाब की कली के कोमल बदन को महसूस कर रहे थे. लेकिन जल्दी ही गुरुजी ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया और ज़ोर से मंत्र पढ़ते हुए दोनों हाथों से लिंगा पकड़कर काजल की चूचियों पर घुमाने लगे. अंत में गुरुजी ने काजल की चूचियों को लिंगा के आधार से ऐसे दबाया जैसे उनपर अपनी मोहर लगा रहे हों.

गुरुजी – काजल बेटी, अपनी आँखें खोलो. तुम्हारी ‘जागरण क्रिया’ पूरी हो चुकी है. अपने मुँह से लिंगा निकाल लो. 

काजल – उफफफफफफफ्फ़….

काजल ने राहत की सांस ली. मैंने ख्याल किया की उसे बहुत पसीना आ रहा था , एक तो अग्निकुण्ड की गर्मी थी ऊपर से बदन में नाज़ुक अंगों की एक मर्द द्वारा छेड़छाड़.

गुरुजी – मैं उम्मीद करता हूँ की तुम्हारा पूरा ध्यान पूजा में रहा होगा. वरना तुम्हारे लिए ‘अमंगल’ हो सकता है और तुम एग्जाम्स में सफलता भी प्राप्त नहीं कर पाओगी.

काजल – नहीं गुरुजी. मैं ध्यान लगा रही थी.

गुरुजी – ठीक है. अब यज्ञ का पहला भाग पूरा हो चुका है. अब दूसरा भाग शुरू होगा. रश्मि, मेरे बैग से पवित्र धागा ले आओ.

मैं गुरुजी के बैग के पास चली गयी.

गुरुजी – काजल बेटी, यज्ञ के दूसरे भाग के लिए भक्त को माध्यम के वस्त्र पहनने होते हैं.

ये सुनकर मैं हक्की बक्की रह गयी. मैंने पीछे मुड़कर देखा , काजल उलझन भरा चेहरा बनाकर गुरुजी को देख रही थी. स्वाभाविक था. मैं भी हैरान थी. 

गुरुजी – काजल बेटी, माध्यम के रूप में मैंने तुम्हारी प्रार्थना को लिंगा महाराज तक पहुँचा दिया है. अब तुम्हें मेरे वस्त्र पहनकर अपनी प्रार्थना को प्रमाणित करना है और यज्ञ के शेष भाग को हमने साथ साथ करना है, यानि की अब माध्यम और भक्त दोनों एक ही हैं. जय लिंगा महाराज.

काजल और मैंने भी जय लिंगा महाराज का जाप किया. लेकिन मैंने साफ महसूस किया की काजल की आवाज में आत्मविश्वास की कमी है, क्यूंकी उसे मालूम था की अब उसे अपनी सलवार कमीज उतारनी पड़ेगी. गुरुजी ने काजल को सोचने का ज़्यादा वक़्त नहीं दिया और अपने ऊपरी बदन से भगवा वस्त्र उतार कर काजल की ओर बढ़ाया. गुरुजी अब सिर्फ़ धोती पहने हुए थे. उनका बालों से भरा हुआ लंबा चौड़ा ऊपरी बदन नंगा था. उनको इस हालत में देखकर कोई भी लड़की डर जाती.

गुरुजी – काजल बेटी, समय बर्बाद मत करो. शुभ घड़ी निकली जा रही है.

काजल हक्की बक्की होकर खड़ी थी. एक मर्द के सामने कपड़े उतारने की बात से वो स्तब्ध रह गयी थी और उसकी आवाज ही बंद हो गयी. कुछ पल बाद उसकी आवाज लौटी.

काजल – लेकिन गुरुजी , मेरा मतलब…..मैं इसको कैसे पहन सकती हूँ ? ये तो सिर्फ़ एक शॉल जैसा कपड़ा है.

गुरुजी – काजल बेटी, तुम कोई पार्टी में नहीं जा रही हो जिसके लिए तुम सज धज के ड्रेस पहनो. ये यज्ञ है. तुम्हें इसके नियमों का पालन करना ही होगा. जानती हो बहुत से यज्ञ ऐसे होते हैं जिनमें भक्त को पूर्ण नग्न होकर भाग लेना होता है. पूरे मन से ही भक्ति होती है. लिंगा महाराज के सामने शरम के लिए कोई स्थान नहीं है. बेवकूफ़ लड़की.

गुरुजी का स्वर लोहे की तरह कठोर था. उसके बाद काजल की एक भी शब्द बोलने की हिम्मत नहीं हुई.

गुरुजी – रश्मि, इसको अपने अंतर्वस्त्र उतारने की जरूरत नहीं. तुम इसकी कमर में इसे लुँगी की तरह लपेट दो.

मैंने काजल को देखा और उसकी आँखें कहानी को बयान कर रही थीं. अपना सर झुकाए वो पूजा घर के कोने में चली गयी और हमारी तरफ पीठ करके कमीज उतारने लगी. अपने हाथ सर के ऊपर उठाकर उसने कमीज उतार दी . उसके बाद वो सलवार का नाड़ा खोलने लगी और उसको उतारने के लिए नीचे झुकी तो उसकी छोटी सी सफेद पैंटी से ढकी हुई गोरी गांड पीछे को उभर कर इतनी उत्तेजक लग रही थी कि एक पल के लिए मुझे लगा की गुरुजी ने अपने लंड को हाथ लगाया. काजल ने जल्दी से भगवा वस्त्र लपेटने की कोशिश की लेकिन कुछ पल के लिए सिर्फ़ ब्रा पैंटी में उसका बदन गुरुजी को दिख गया.. मैं उसके पास गयी और गुरुजी के भगवा वस्त्र को उसकी कमर में नाभि से घुटनों तक लुँगी जैसे लपेट दिया और नाभि के नीचे कपड़े में गाँठ लगा दी. सच कहूँ तो मुझे लगा की अगर वो ब्रा पैंटी में रहती तो कम अश्लील लगती पर अब इस पारदर्शी कपड़े को कमर में लपेटकर वो बहुत मादक लग रही थी और उसके सफेद अंतर्वस्त्र और भी ज़्यादा चमक रहे थे.

शरम से नजरें झुकाए वो गुरुजी के सामने आ खड़ी हुई. उसकी जवान चूचियाँ ब्रा के अंदर हिल डुल रही थीं और ब्रा कप से बाहर आने को मचल रही थीं. उसको एक मर्द के सामने ऐसे अधनंगी देखकर खुद मैं असहज महसूस कर रही थी. उसका जवान खूबसूरत बदन इतना मनमोहक लग रहा था की मुझे भी ईर्ष्या हो रही थी. पतली सी ब्रा में उसकी तनी हुई चूचियाँ, सपाट गोरा पेट , पतली कमर और फिर बाहर को फैलती हुई गोल घुमावदार गांड बहुत लुभावनी लग रही थी.

मैंने गुरुजी को धागा लाकर दे दिया और वो झुककर काजल की कमर में पवित्र धागा बाँधने लगे. काजल इतना शरमा रही थी की गुरुजी के अपनी नंगी कमर को छूने से वो भी आगे को झुक जा रही थी. धागा बाँधकर जब गुरुजी सीधे खड़े होने लगे तो उनका सर काजल की ब्रा में क़ैद चूचियों से जा टकराया क्यूंकी वो भी आगे को झुकी हुई थी. गुरुजी ने आँखें ऊपर को उठाकर देखा और काजल की अनार जैसी चूचियाँ ठीक उनकी हवसभरी आँखों के सामने थीं . काजल बहुत शरमा गयी और गुरुजी ने सॉरी बोल दिया लेकिन मुझे उनकी आँखों में कुछ और ही दिखा.

गुरुजी – रश्मि , चंदन की थाली मुझे दो.

मैंने चंदन की थाली गुरुजी को दे दी . उन्होंने अपनी आँखें बंद कर लीं और मंत्र पढ़ने लगे. काजल सर झुकाए फर्श को देख रही थी , वो एक मर्द के सामने सिर्फ़ ब्रा पैंटी में खड़े होकर बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही होगी. कहने को तो उसकी कमर में भगवा वस्त्र लिपटा हुआ था पर उसका कुछ फायदा नहीं था क्यूंकी पारदर्शी कपड़ा होने से उसकी छोटी सी सफेद पैंटी साफ दिख रही थी. अब गुरुजी ने आँखें खोली और काजल के माथे में चंदन का टीका लगाया.

गुरुजी – अब मेरी तरह ज़ोर से मंत्र पढ़ो.

मंत्र पढ़ते हुए गुरुजी झुके और काजल की नाभि में चंदन का टीका लगाया और फिर पंजों पर बैठकर काजल की टाँगों से कपड़ा हटाकर उसकी चिकनी जांघों पर भी टीका लगा दिया. 

गुरुजी – काजल बेटी अब हम साथ साथ हवन करेंगे. हवन हमारे शरीर के अंदर के दोषों को दूर करने की प्रक्रिया है. अगर तुमने इसे ठीक से पूरा कर लिया तो तुम अपनी पढ़ाई में आने वाली बाधाओं को सफलतापूर्वक पार कर सकोगी.
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