Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
02-23-2019, 04:18 PM,
#1
Thumbs Up  Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी



चूत.। क्या शब्द हे ये, सुनते ही,देखते ही उप्पर से नीचे तक आग लग जाती हे, दिल धक धक करने लगता हे सांसे तेज हो जाती हे, होठ सूखने लगती हे, जबान लड़खड़ाने लगती हे, बस यू लगता हे जैसे सारी जन्नत आपके सामने आ गयी हो। दुनिया कितनी आसानी से कह देती हे की चूत तो आजकल यूहीं मिल जाती हे पर जिसे मिलती होगी उसे मिलती होगी नही तो कई को तो इसके दर्शन भी दुर्लभ हो जाते हे। 
छिनार भाभी हो या सेक्सी बहन, चालू मॉम हो या रंगीली साली, अगर वो चाहे तो हम जैसे ४० पेंट खोले अपना लंड निकालकर उनकी चूत को रहे होंगे। लेकिन अपने को चूत चाहिए तो, चाहिए क्या अगर दर्शन भी करना हो तो जमीं आसमा एक करना पड़ जाता हे। 
Reply
02-23-2019, 04:18 PM,
#2
RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
में राज अपनी चूत मिलने और चोदने की दास्ताँ आपको सुना रहा हु जब तक नही मिली तो तब तक चूत मुझे नही मिली, लेकिन जब एक बार मुझे चूत मिली तो ऐसी मिली की फिर तो मेने किसी भी रिश्ते का लिहाज नही किया।
तो चले बात शुरू करते हे मेरे घर में मेरी मॉम शालू गुप्ता, पापा अनिल गुप्ता और एक बड़ी बहन प्रीति गुप्ता हे, पापा पहले कांट्रेक्टर थे अब शहर के नामी बिल्डर हे। मेरी मम्मी के पापा यानि मेरे नाना एक सरकारी ऑफिस में बड़े इंजीनियर थे और पापा ने उनके मातहत कई काम किये थे, उनको कमीसन की राशि घर देते देते पापा ने मम्मी को पटा लिया और शादी कर ली, लेकिन लोग कहते हे की पापा नाना के बीच जब इंजीनियर, ठेकेदार का रिश्ता था तब पापा नाना के लिए शराब शवाब कवाब सब उपलब्ध करवाया करते थे, पापा ने नाना की किसी कमजोरी का फायदा उठा कर उन्हें ब्लैकमेल किया और नाना को अपनी बेटी शालू की शादी मजबूरन १८ साल की उम्र में ही पापा से करनी पड़ी, मेरी मॉम कान्वेंट की पढी लिखी थी जबकि पापा बी ए पास थे। 
इसके आलावा हमारी फैमिली में एक और व्यक्ति था जो फैमिली का ना होकर भी फैमिली से ज्यादा था वो था जफ़र। जफ़र पापा के साथ ठेकेदारी के टाइम से जुड़ा हुआ था, वो पापा का हमराज,कार्यकर्ता ड्राइवर बाउंसर नौकर सब था। वो हमेशा पापा के साथ ही साये की तरह रहता था, उसका कोई घर नही था तो वो हमारे घर के सर्वेंट क्वाटर्स में ही रहता था। हमेशा जर्दे का पान खाए जफ़र एकदम कालकलुटा लेकिन बलिष्ठ व्यक्ति था। 
पापा की रंगीन मिजाजी के किस्से भी हम बचपन से सुनते आये थे, शहर में चर्चा थी की पापा जो भी नयी बिल्डिंग बनाते हे उसमे वो सबसे पहले सैंपल फलते तैयार करवाते थे और उसका उपयोग वो अपने ऐश के लिए करते, थे उन्हें रोज नयी औरत या लोंडिया चाहिए होती थी चाहे वो उनके काम करने वाली मजदुर हो या काल गर्ल। उनके लिए ये सब जफ़र जुटाता था। 
मॉम को शायद पापा की हरकते पता थी इसलिए वो उनसे ज्यादा जफ़र से चिढ़ती थी और वो उन्हें फूटी आँख भी नही सुहाता था। 
वैसे मेरी मॉम आधुनिक होते हुए भी संस्कारो से परिपूर्ण शालीन व् गरिमामय तरीके से रहती थी, शादी के बाद उन्होंने परिवार को अपनी दुनिया मान लिया था। वो ज्यादातर अपना समय टीवी देखकर या किट्टी पार्टीज में व्यतीत करती थी। वो हम दोनों बच्चो की परवरिश का भी पूरा धयान रखती थी। 
इस कहानी में जब भी जिस पात्र को अपनी बात कहनी होगी वो कहेगा ये उसकी जुबानी होगी। अब बात में ही शुरू करता हु
अब बात में ही शुरू करता हु। 
में बहुत छोटा था तब मुझे सेक्स के बारे में जानने की उत्सुकता हो चली थी इसकी ३-४ वजह रही। 
मुझे याद हे उन दिनों मेरी बुआ अपनी बड़ी लड़की यानि मेरी कजिन पायल को लेकर आई हुई थी सर्दी के दिन थे। पायल मुझसे ३ साल बड़ी थी और ये समझिए उसकी जवानी की शुरुआत ही थी, और हम बच्चे थे क्यू की तब हमारा लंड खड़ा तो होता नही था और सब उसे नूनी नूनी कहते थे। 
रात को जब हम सब रजाई में बैठे थे और पायल मेरे समीप ही बैठी थी, अचानक मुझे लगा की पायल का एक हाथ मेरी निकर में से होते हुए मेरी नूनी तक जा पंहुचा हे और वो उसे पकड़ कर सहला रही हे। मुझे तो कोई असर होना ही नही था इसलिए पायल नूनी को पकड़ कर कभी दबाती रही कभी मसलती रही लेकिन में बेअसर बैठा रहा। 
थोड़ी देर में पायल ने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपनी चूत तक ले गयी। 
में बहुत छोटा था पर इतना जरूर जानता था की ये लड़कियों के पेशाब करने की जगह हे और इसे चूत कहते हे। उसने मेरे हाथ की एक अंगुली को पकड़ा और उसे अपनी चूत की उस जगह पर ले जाकर टिका दिया जो मटर के दाने की तरह उभरा हुआ था। पायल ने अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ा हुआ था और वो मेरे हाथ से उसकी उस जगह को सहला रही थी। थोड़ी देर में मुझे लगा की मेर अंगुली गीली हो गयी हे मेने समझा पायल ने पेशाब कर दिया हे, मुझे बड़ी नफरत सी हुई और में उठकर सीधे बाथरूम गया और अपना हाथ कई बार साबुन से धोया। 
एक दो दिन फिर में पायल से दूर भागता रहा लेकिन एक दिन फिर में सुबह उसकी गिरफ्त में आ गया, घर के लोग कंही बाहर गए हुए थे और में और पायल ही घर पर थे तब पायल मेरे पास आई और कहा की राज मेरे पास आ तुझे एक खेल दिखती हु। 
पायल ने फ्रॉक को उप्पर किया और अपनी अंडरवियर उतारा और जमीन पर टाँगे चौड़ी कर बेठ गई, उसने मुझसे भी कहा की में निकर उतार दू और उसके सामने आकर बेठ जाऊ। हम दोनों एक दूसरे के सामने बैठ गए उसने फिर से मेरी नूनी पकड़ ली और मेरा हाथ ले जाकर चूत के उस जगह पर लाकर टिका दिया जो उभरा हुआ था। 
मेने तब पहली बार उसकी चूत देखि कुछ पलो के लिए। एक लकीर सी मुझे दिखाई दी बस। थोड़ी देर हम ऎसे ही बैठे रहे और फिर से मेरा हाथ गीला 
हुआ और में अपना निकर सँभालते हुए बाथरूम भगा और फिर से साबुन से अपने हाथ धोये। बस पायल से उस समय तो ये ही २ मुलाकाते हुई, लेकिन पहली चूत मेने उसी की देखी। कुछ दिनों बाद मेरा स्कूल जाना शुरू हुआ, स्कूल में भी मेरा ये ही आलम रहा सबसे अलग अलग रहना। लेकिन कुछ दिन बाद मेने देखा की मेरे हिस्ट्री के टीचर मेहबूब सर मेरे में कुछ ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे हे। 
एक दिन स्कूल खत्म होने के बाद जैसे में घर जाने को तैयार हुआ, मेहबूब सर ने मुझे बुलाया और स्कूल के एक कमरे में ले गए।
Reply
02-23-2019, 04:18 PM,
#3
RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
मेरी समझ नही आ रहा की सर ने मुझे क्यू बुलाया हे, मेहबूब सर कुर्सी पर बैठ गए और उन्होंने मुझे अपने पास खड़ा कर लिया, वो मुझसे कहने लगे राज मेने स्कूल टेस्ट की तुम्हारी कॉपी चेक की हे तुम्हारी हिस्ट्री बहुत कमजोर हे और तुम्हारे काफी काम नंबर आये हे। 
में रुआंसा सा हो गया, वो कहने लगे कोई बात नही में देख लूंगा, और ये कहते कहते उन्होंने अपना एक हाथ मेरे निकर के पीछे डाल दिया और वो मेरे चूतडो को सहलाने लगे, बीच बीच में वो मुझसे कहत रहे थे ये बात तुम किसी को मत बताना, में सब तुम्हारे भले के लिए कर रहा हु। 
मेहबूब सर का हाथ अब तेजी से मेरे चूतडो पर चलने लगा था, वो उन्हें मसल रहे थे और कभी कभी चूतडो की दरार में अपनी अंगुली भी कर रहे थे। 
मुझको भी ये सब अच्छा लग रहा था, सर ने अब मेरी नूनी को भी पकड़ लिया और वो उसे भी हिलाने लगे, मसलने लगे। 
अचानक मेहबूब सर ने मुझे खीच कर अपनी गोद में बैठा लिया और वो मेरे गालो को चूमने लगे, अचानक मुझे अपने चूतडो में कोई चीज चुभती सी नजर आई, मेने उनसे कहा सर कुछ चुभ रहा हे, उन्होंने अपने पेंट की ज़िप खोली और अपना लंड बहार निकल लिया। बाप रे बाप उनका लंड तो मेरी नूनी से बहुत बड़ा था और उसके चारो और बाल ही बाल थे। 
सर ने मुझसे कहा की में उनके इस खिलोने को पकङु और हिलाउ, में ये करने लगा, सर मेरे चूतडो को वैसे ही दबाते रहे और दरार में अंगुली करते रहे, धीरे धीरे सर का चेहरा लाल होने लगा वो मुझसे कहने लगे की तुम्हारे घर में कौन कौन हे मेने उन्हें बताया की पापा मॉम और मेरी बड़ी बहन हे। 
सर अब कुछ बड़बड़ाने लगे थे राज तू बहुत अच्छा हे रे। तेरी मॉम खोलना मेरे पास में उनकी गांड भी ऎसे ही सहलाऊँगा तेरी बहन को लाना उसकी भी में गांड मारूंगा। 
मेरी समझ नही आ रहा था सर मेरी मॉम और सिस के लिए ऐसा क्यू कह रहे हे। अचानक सर के लंड से सफ़ेद सफ़ेद एक पिचकारी से जैसे रंग निकलत हे वैसे कुछ निकला और वो सामने की और जा गिरा। मेहबूब सर अभी शांत हो गए थे, उन्होंने मेरा निकर वापस मुझे पहनाया और ये कह कर जाने दिया की ये बात में किसी को नही कहु। में घर आ गया। 
असल में ये मेरे बचपन की वो बाते हे जिनसे आप मेरी मनोस्थिति को समझ पाएंगे की कहानी के आगे जो घटनाये घटित होंगी उनका इनसे कितना बड़ा ताल्लुक हे।

बात जबकि हे तब में १० वि क्लास में आ गया था और मेरे शरीर में परिवर्तन आने लगे थे, में जब भी कोई मूवी देखता और उसमे कोई सेक्सी सीन आता या किसी फीमेल को देखता तो मेरे शरीर में उत्तेजना होने लगती। मुझे ऐसा लगता की कोई मेरे लंड को पकड़ कर मसल दे और एक दिन वो हुआ जिसकी वजह से मेरी लाइफ ही बदल गयी।
में, मेरी सीस, मेरे पापा मम्मी एक पार्टी में गए थे और वहा से देर रात तक लोटे। में और प्रीति अपने अपने बैडरूम में सोने चले गए और मम्मी पापा अपने बैडरूम में। 
रात को थोड़ी देर बाद मुझे प्यास सी लगी तो मेने देखा की मेरी बॉटल में पानी नही हे, में उठ कर किचन की गया। किचन से जब में पानी भरकर लोट रहा था तो मुझे मॉम डैड के रूम से कुछ सिस्कारियों की सी आवाज आई। मेरे कदम ठिठक गए और में अपने पेरेंट्स के बैडरूम के सामने रुक गया। 
में थोड़ी देर तक वहां रुका रहा फिर धीरे धीरे उनके बैडरूम की और बड़ चला। 
मेरा ये मानना हे हमारे रूम के जो खिड़की दरवाजे होते हे उनमे कोई ना कोई ऐसी मिस्टेक होती हे की आपको अंदर ताकझाँकि का पूरा मौका मिलता हे। 
मेने भी पेरेंट्स के बैडरूम के दरवाजे में चारो और निगाहे घुमाई तो मुझे दरवाजे के उप्पर की और एक छोटा सा छेद दिखाई दिया, मेने डरते कांपते हुए छेद पर निगाहे लगायी तो मेने देखा मॉम आईने के सामने खड़ी हुई हे, और वो अपनी साडी उतार रही हे, ब्लाउस में फंसे हुए उनके मोटे बूब्स बाहर निकलने कि कोशिश कर रहें थे, उन्होंने अपने ब्लाउस के हुक भी खोल दिए और उसके बाद अपनी ब्रा को भी उतार फेंका, 
उन्होंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया,मेरी टाँगे जोर से काँप रही थी ये पहला मौका था जब में किसी औरत को केवल पेंटी में देख रहा था और वो भी अपनी मॉम को। उफ़ क्या शरीर था मेरी मॉम का बिलकुल तराशा हुआ, उनकी चिकनी पीठ उनके बालो से ढंकी हुई थी और उनकी ब्लैक पेंटी उनके चूतडो को समेटने की कोशिश कर रही थी। मेरा हलक सूख रहा था और मेरी समझ नही आ रहा था की ये सब देख कर में सही कर रहा हु या गलत। 
अचानक मेने देखा की पापा ने मॉम को बेड पर खिंच लिया और उनके एक बूब्स को चूसने लगे, उनके हाथ मॉम के कूल्हों को मसल रहे थे।
एकाएक उन्होने एक ही झटके से उन्होंने मॉम कि पेंटी को दोनों तरफ से खींच कर उसकी चूत और गांड के बीच ऐसे फंसा दिया जैसे कोई पतली सी रस्सी, अपनी दरारों पर पेंटी का दबाव पड़ते ही मॉम तड़प उठी और अपने पंजों पर खड़ी होकर सीत्कार उठी ..''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म ''
मेरी सांसे और तेज चलने लगी, में जिन मॉम को उजालो में पूर्ण वस्त्रो में देखता था उनको इस हॉल में देख मेरा बुरा हाल हो रहा था, अब तो बस मेरी तमन्ना थी की में मॉम को पूरा नंगा देखू लेकिन अभी तक में उनके बूब्स और चूतड़ ही देख पा रहा था वो भी बिना चूतडो की दरार के। 
पापा मॉम के दोनों बूब्स कोबारी बारी से चूस रहे थे, क्या शानदार बूब्स थे मेरी मॉम के, जैसे २ बड़े सेब लगे हुए हो, बिलकुल गोल और निप्पल पापा बीच बीच में मसल रहे थे तो वो और भी सख्त और बड़े हुए जा रहे थे। 
दरवाजे का वो छेद इतना छोटा था की ना तो मॉम और ना ही पापा मुझे पुरे नंगे नजर आ रहे थे, वो जब अल्टा पलटी करते थे तो कभी मॉम बूब्स दिख जाते थे तो कभी चूतड़। अचानक पापा ने मॉम के पेंटी को पकड़ा और उसे खीचते हुए बोले, " चल नंगी हो भेन की लौड़ी ...!"
कुछ देर होंट चुसे, गाल चूमे फिर दोनों को कच कचा कर काट खाए !
" बोल रंडी ..तू मेरी रखेल हे ..." "चोद - चोद के तुझे हिरोइन से छिनाल रांड बना दूंगा ...चल भेन की लौड़ी मुह खोल ...!" अपना लोडा उनके खुले मुह में आधा ठूंस दिया !
" बहुत दिनों से इसमें से पेशाब की बदबू आ रही हे ...चाट कर साफ़ कर साली रांड ......
क्यू की पापा की पीठ मेरी और थी इसलिए में उनका लंड तो नही देख पा रहा था केवल उनकी आवाज सुन पा रहा था। पापा के मुह से ऐसी गन्दी भाषा सुनकर में भौचक्का सा रह गया था में सोच रहा था मॉम पापा को डाटेंगी।
Reply
02-23-2019, 04:18 PM,
#4
RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ बल्कि पापा तो और गन्दी भाषा में बात करने लगे, " साली शादी शुदा हो कर भी लोंडिया के जेसे जींस पहनती हे ....चुतड मटका के चलती हे ...। गांड के छेद में ये खूंटा गाड कर गांड का होद बना दूंगा मादरचोद के ....साली लंड की चट्टी....

हलक तक अन्दर ले इसे पूरा झड तक मुह में जाना चाहिए ..वर्ना रंडी तेरा मुह फाड़ दूंगा, और मॉम ने शायद उनका लंड अपने मुह में ले इसलिए केवल उनकी गु गु की आवाज आ रही थी। ....साली उनकी बड़ी बड़ी कठोर चुचियों को नोचते हुएपापा बोल रहे थे :-"ये तो रंडीयों वाली चूचियां हे साली .....कितने हरामियों को दूध पिलाई हे ...अपने इन थनों से .....कुतिया ....?"
"चट्ट ...."
उनके कठोर हाथों ने मॉम की चूचियां मसलना नोचना शुरू किया। 
मुझे मॉम की कोई ज्यादा आवाज नही आ रही थी क्यू की पापा तो तेज स्वरों में बोल रहे थे तो में उनकी आवाज सुन पा रहा था। 
लेकिन तब ही मुझे मॉम की आवाज भी सुनाई दी, " ऐसा मत कीजिये .....आआइ ...में मर जाउंगी .....मम्मी ......अरे दर्द हो रहा हे .....उखड जायेंगे .....भगवान ...कहाँ हो ..।ऊऊऊऊऊ ....प्लीज धीरे दबाइए ...सीssss ..।छोड़ दीजिये !"
मुझे लगा की मुझे दरवाजा जोर से खट खटाना चाहिए और मॉम को पापा से बचाना चाहिए। तब ही पापा ने मॉम को कहा, " ऐसे केसे छोड़ दू .....शेर पंजा मरने के बाद मांस को भंभोड़ता हे ...छोड़ता नहीं हे .....चल ...पलंग पर लेट साली ...हिरोइन की तरह सज के आई थी ना ....मूत्र से नहला कर तुझे .....रंडी...।बना दूंगा .....
रांड की माँ की भोसड़ी .....मादरचोद तू किसी रंडी माँ की ओलाद हे .....और तेरे बेटी भी महा रंडी बनेगी ....! और फिर मॉम को पलंग पर धक्का देकर सूं .....सर्रर्रर्र sssssssss, 
मॉम की कंचन सी चमकती काया को अपने मूत्र से तर करने लगे। 
मुझे लगा अब तो हद्द ही हो गयी हे, लेकिन कुछ और सोच पाता मुझे मॉम की आवाज सुनाई दी, आआआ…।ह्ह्ह्ह्ह .....अरे ...दर्द हो रहा हे ....धीरे .....उह्ह्ह्ह्ह मम्मी .......अरे ......आज मर जाउंगी ..। ...मत करो ...मुझे जाने दो ....अब बस ....ई sssssss " मॉम की चीख निकल गई जब उनकी इस बकवास पर पापा ने गुस्से से उसके झांघ पर चिकोटी काट ली ! दर्द से बिलबिला कर मॉम ने दोनों टांगों को दूर दूर कर लिया !
असल में अब मॉम और पापा बेड़ पर थे तो मुझे उनके उप्पर, नीचे होने पर ही उनके शरीर का कोई कोई हिस्सा दिख पाता था लेकिन में अभी में अभी तक न मम्मी की चूत देख पाया था और नाही पापा का लंड। 
अब पापा ने मॉम की गदराई हुई टांगों को चीर कर पूरी तरह से अलग कर उनके बीच कुकरासन की मुद्रा में आ बैठे और धक्के लगाना शुरू कर दिए, अब मुझे केवल हिलते हुए पापा के चूतड़ दिख रहे थे। 
और फिर मॉम की आवाज, "उईईईई ....मेरी चूची .आ आ आह हह हह मेरे राजा, बहुत मजा आ रहा है।चूसो, खूब जोर से चूसो ओ ऊ ओ ओऊ ओऊ ओह हह उ ऊह....मम्मी मर गई में ...सी sssssssss "आ आ आह ह हह ओ ओ ऊ ह हह हहा आ आ।हाय बहुत अच्छे।पेलो मेरी चूत को, जोर से पेलो।फाड़ दो मेरी चूत को, आज कई दिनों बाद बाद इतनी हसींन चुदाई हो रही है इस छिनाल चूत रानी की आई मम्मी .....मेरे निकल रहा हे री .....अरे में झड जाउंगी ......आआआअ ....ह्ह्ह्ह्ह ....में झड गई ...सी sssssss बस .....अब मत करो .....जलन हो रही हे ...."
थोड़ी देर में रूम में शांति हो गयी और पापा उठकर टॉयलेट चले गए और में भाग कर अपने रूम में आ गया।
Reply
02-23-2019, 04:19 PM,
#5
RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
यह हमारे घर की कहानी हे, हम सब मिलेंगे बीच बीच में मिलेंगे लेकिन हमारे बीच जो घटित हो रहा हे उसे भी आप जानते चले। 
अब मेरी बहन प्रीति से उसकी जुबानी सुनिए
जब में १३ साल कि हुयी तभी से में लड़कों कि नजर मेरा पीछा करने लगी थी।वजह मेरा लम्बा कद, भरे हुए चूतड़, आकर्षक शारीर और गोरा रंग था शायद,यह वो समय था जब मेरे बूब्स बढ़ने लगे थे।और मेरी चूत पर हलके हलके बाल भी आने लगे थे।और क्योंकि खाने पीने की कोई कमी नहीं थी, और अच्छे खाने पीने के कारण शरीर का भी अच्छा विकास हो रहा था। 
मेरे निप्पलस भी अब बाहर की उभरने लगी थी तो मेने ब्रा पहननी शुरू कर दी थी,मेरी फ्रेंड्स और मेरे बीच जब भी सेक्स के बारें में बात होती या, टीवी पर सेक्सुअल सीन देखती या कुछ बात सुनती तो मेरी चूत गीली हो जाती थी।एक दिन मैंने अपने आप हस्तमैथुन करने का भी सोचा।पर समस्या यह थी की कहाँ करूँ?कहाँ करूँ, यही सब सोचते सोचते काफी दिन निकल गए। 
एक दिन सोते समय मैंने अपनी जांघों के बीच तकिया लगा लिया, बस फिर क्या था मुझे अपनी चूत पर तकिये का दवाब बड़ा अच्छा लगा।मैंने चुपचाप बाथ रूम में जाकर अपनी पैंटी उतार कर वाशिंग मशीन में डाल दी और वापस आकर अपनी स्कर्ट के अन्दर तकिया लगा कर लेट गयी।और फिर जब सोने से लगे तो में तकिये के किनारे को चूत के लिप्स पर जोरों से रगड़ने लगी।मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।लग रहा था जो जैसे मैं किसी के साथ सेक्स कर रही हूँ.
लगभग १० मिनट तक मैं ऐसी ही करती रही और बीच बीच में अपनी क्लिटोरिस को भी छेड़ देती तो उत्तेजना और बड़ जाती थी।और उसके बाद मेरी चूत ने पानी निकालना शुरू किया तो में मारे उत्तेजना के भूल ही गयी की मुझे कितना आनंद और सुख मिला हे। 
कुछ समय बाद में एक दिन में टीवी देख रही थी और उस पर कोई सुहागरात का सीन आया जिसे देख करमुझे ऐसा लगा जैसे मेरी पैंटी गीली हो गयी है (वो पहला दिन था जब मेरा चूत का जूस बिना मेरे हाथ लगाये बाहर आ गया था)।मैंने अपनी चूत को अपनी स्कर्ट में हाथ डाल कर छू कर देखा तो पाया की वो वहां गीली हो चुकी थी।और मेरी उँगलियों के स्पर्श ने और आग लगा दी।
मेरी उंगलियाँ अपने आप चलने लगी और मैं अपनी गीली पैंटी से ही हस्तमैथुन करने लगी।और पता नहीं क्या हुआ, आप विश्वास नहीं करोगे, की सिर्फ दस सेकेंड्स में मुझे चरमउत्कर्ष (ओर्गास्म) की अनुभूति हो गयी और वो भी बहुत ज्यादा। 
कुछ दिनों में ही यह मेरी आदत में आ गया।गीली पैंटी के साथ साथ में ऊँगली से अपनी क्लिटोरिस को रगड़ती थी और ओर्गास्म पर पहुँच जाती थी।मैं एक दिन में तीन तीन बार हस्तमैथुन करने लगी।
कई बार हमें अपने पापा मम्मी के पास भी सोना पड़ जाता था, पापा हमे बहुत प्यार करते थे वो मुझे उनके और मम्मी के बीच सुला लेते और हम उनसे बात करते करते सो जाते, लेकिन कई बार रात को हमें लगता की पापा मम्मी हमे एक तरफ हो जाते और हम दूसरी तरफ, तब पापा मम्मी के बीच से ऐसी आवाज आती की हमारी चूत गीली हो जाती और हमे लगता की इसे कोई जोर से सहलाये या मसल डाले। लेकिन एक दिन ऐसा हुआ की जो हमने सोचा भी नही था हम जब पापा मम्मी के पास सोये हुए थे की रात को हमारी नींद खुली तो हमने देखा की पापा मम्मी के पीछे बिलकुल चिपके हुए हे और मम्मी उनसे कह रही हे ''उम्म्म्ममममममममममम.....।सोने दो ना .......आज बहुत थक गयी हूँ ...''
'...वो अपनी गांड मटकाती हुई पापा के खड़े हुए लंड को पीछे धकेलने का प्रयास कर रही थी..और पापा कह रहे थे "डार्लिंग....सुबह से बड़ा मन कर रहा है...''और वो अपना लंड फिर से मम्मी की गांड की दरार में फँसा कर बोले, मम्मी कह रही थी "उम्म्म्मम......क्या करने का....''
पापा ने उनके कान को मुँह में लेकर ज़ोर से चूस लिया और कहा : "तेरी चूत मारने का...''
अब मम्मी भी मस्ताने लगी थी...वो सिसक उठी पापा के गीले होंठों को महसूस करके और बोली : "कैसे मारोगे....''
अपने माँ बाप को ऐसी गंदी बातें करते देखकर मेरे दिल की धड़कन तेज हो उठी...मेने तो सोचा भी नही था की ये दोनो ऐसी बातें करते होंगे चुदाई से पहले...और वैसे भी उसने आज तक यही सोचा था की शादी शुदा लोग सीधा अपने काम पर लग जाते होंगे...एक दूसरे को नंगा किया, चूमा चाटी करी, चूसा और चुस्वाया और सीधा चूत में लंड पेल दिया..उन लोगो को ऐसी उत्तेजना से भरी बातें करने से भला क्या मिलेगा..

पर में बेचारी अभी जवानी की दहलीज पर पहुँची थी...इसलिए में नही समझ सकती थी की ये तरीका होता है एक दूसरे को उत्तेजना के उस शिखर पर पहुँचाने का, जहाँ की उँचाई पर पहुँचकर चुदाई करने का मज़ा दुगना हो जाता है..और यही शायद मेरी लाइफ का सबसे बड़ा सबक बन जाएगा आज..
मम्मी को जवाब देने के बदले पापा ने अपना पयज़ामा नीचे खिसका कर अपना लंड मम्मी के हाथ में पकड़ा दिया और बोले : "ये देख....ये है तेरा पालतू लंड ...इसे डालूँगा तेरी चूत में..।अंदर तक...और चुदाई करूँगा तेरी ....''
मम्मी कह रही थी : "म्*म्म्ममममममममम ..........।ये तो बहुत लंबा है.......।मुझे दर्द होगा.........''
तब पापा ने कहा "धीरे-2 जाएगा ना अंदर...तब नही होगा.....बड़े आराम से डालूँगा....''वैसे वो धीरे धीरे बात कर रहे थे लेकिन तब भी उनकी आवाजे मुझे आराम से सुनाई दे रही थी 
म्मी ने तब कहा : "उम्म्म्मममममम......।आराम से तो मज़ा भी नही आता......ज़ोर से करोगे, तभी मज़ा मिलेगा...''पापा कहने लगे "साली......मज़े भी लेने है....लंबे लंड के दर्द से भी बचना है.....एक नंबर की चुद्दक्कड़ है तू....''
मम्मी बोली "चुद्दक्कड़ नही...रंडी हूँ मैं .....आपकी पर्सनल रंडी.....''
में तो अपनी माँ के मुँह से ऐसी गंदी बातें करते देखकर हैरान होती जा रही थी...पर साथ ही साथ मुझे अपनी चूत के अंदर भी चिंगारियाँ जलती महसूस हो रही थी..।...मुझे भी शायद ऐसी गंदी बातों का होने वाला असर समझ आ रहा था..
पापा ने मम्मी के गाउन को उपर कर दिया और उनके सिर से घुमा कर बाहर निकाल दिया...अब वो पूरी नंगी थी उनकी बाहों में ...
पापा ने भी अपनी टी शर्ट और पायजामा बड़ी फुर्ती से निकाल फेंका और नंगा हो गए ....उसकी पीठ मेरी तरफ थी, जो अपनी साँसे रोके अपने पापा को नंगा होते देख रही थी......
पापा ने आगे बढ़कर मम्मी के एक स्तन के उपर अपने दाँत रखे और उन्हे चुभलाने लगा..अपनी माँ की सेक्सी आवाज़ सुनकर मेरे को भी कुछ -2 होने लगा...।और अपना निप्पल चुसवाने के बाद तो मम्मी बावली सी हो गयी...उन्होंने पापा के सिर को पकड़ कर फिर से अपने दूध पर लगाया और उसके मुँह के अंदर ठूस दिया...
''ओह.....डार्लिंग ..................।कितना तड़पाते हो तुम ...............।अब और ना तरसाओ...............डाल दो अपना ये लंबा लंड मेरे अंदर.....''
और मम्मी ने अपने आप को आज़ाद कराया और एक ही झटके मे पापा के उपर सवार हो गयी......और पापा कुछ समझ पाते, उससे पहले ही मम्मी ने पापा के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर लगाकर उसे अंदर निगल लिया.।और सीटियाँ मारती हुई वो उसके लंड पर फिसलती चली गयी...
''आआआआआआआआआआआआहह ......।उम्म्म्ममममममममममममममम .......एक ही पल में ये सब हुआ
Reply
02-23-2019, 04:19 PM,
#6
RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
इधर मम्मी का पापा के लंड के उपर उसका थिरकना बंद नही हुआ....अभी भी वो उसके लंड को अंदर लेकर धीरे-2 आगे-पीछे हो रही थी, .और उन दोनो के बीच जो चल रहा था उसे सुनकर और महसूस करके मेरा क्या हाल हो रहा था उसकी तो कल्पना भी नही कर सकते थे वो दोनो...मेरी चूत से गाड़े रस की धार लगातार बहकर बाहर निकल रही थी...और बिस्तर को तर कर रही थी..
पापा ने हाथ उपर करके मम्मी के मुम्मे ज़ोर से दबा दिए...मम्मी अपना सिर उपर करके चीख पड़ी : "आआआआआहह ...।धीरे दबाओ बाबा ...........।ये तुम्हारे लिए ही है.....''
मम्मी ने पापा के हाथ को पकड़ कर अपने मुँह की तरफ कर लिया और उनकी लंबी-2 उंगलियाँ चूसने लगी..
''ओह ....।कितना लंबा लंड है तुम्हारा.....।उम्म्म्ममममम ....।अंदर तक महसूस हो रहा है मुझे....।ऐसा लग रहा है की मेरी नाभि तक घुसा है ये.....''
अपनी नाभि वाले हिस्से पर उन्होंने पापा के दूसरे हाथ को रख दिया और ज़ोर से दबा दिया....और एक पल के लिए तो पापा को भी यही लगा की उसके लंड की हलचल उसने महसूस की नाभि वाली जगह के आस पास...
और फिर उसी हाथ को थोड़ा और नीचे करके उन्होंने अपने अंगूठे से मम्मी की चूत के होंठ फेलाए और उसे अंदर घुसा कर वहाँ मसाज करने लगे .''उम्म्म्ममममममममम ....।क्यो तडपा रहे हो मुझे ......।हम्म्म्म्म्म ......''

मम्मी की हालत देखने वाली थी इस वक़्त....और वो बुरी तरह से अपनी चुदाई में डूब चुकी थी...ये भी नही देखा उन्होंने की उनकी बेटी कनखियो से,अपनी अधखुली आँखो से उसके चेहरे के हर इंप्रेशन देख रही है..मेने देखा की मम्मी अपना मुँह उपर करे हुए पापा द्वारा मिल रही चूत मसाज का मज़ा ले रही है...उसकी आँखे बुरी तरह से बंद थी...एक तो उसके लंबे लंड को अंदर लेकर और उपर से उसके अंगूठे से अपनी चूत के दरवाजे की रगड़ाई करवाकर..।
में तो तड़प कर रह गयी...इतनी देर से अपनी मम्मी को ऐसे मज़े लेते देखकर मेरा भी मन कर रहा था की पापा उसके शरीर को भी ऐसे ही तोड़ मरोड़ डाले..मसल डाले उसे..।
तब ही पापा ने एक पलटी मारकर मम्मी को नीचे गिरा दिया, और खुद उपर की तरफ आ गए .।उन्होंने अपना वो हाथ जिसपर चूत का रस लगा हुआ था, सीधा लेजाकर मम्मी की चूत के उपर लगाया और ज़ोर से मसल दिया...और ऐसा करते हुए वो सारा शहद जो उन्होंने मम्मी की चूत के छत्ते से इकट्ठा किया था, उसे मम्मी की चूत से निकल रहे रस के साथ मिला दिया...और फिर उस रसीली हथेली को चाट लिया...
''उम्म्म्ममममममममम ........कितना मीठा है ये....''
मम्मी ने अपनी चूत के रस की तारीफ सुनी और पापा के सिर को पकड़ कर अपनी टाँगो के बीच खींच लिया...और चिल्लाई : "उम्म्म्मम.....।तो और चाटो इसको....और पूरे मज़े लो....''
पापा को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...उन्होंने अपना मुँह खोला और मम्मी की चूत के उपर अपने होंठ लगाकर जोरों से सकक्क करने लगा...सपड़ -2 की आवाज़ सुनकर मेरी चूत में भी चींटियाँ रेंगने लगी....और पायजामे के उपर से ही मेने उसे मसलना शुरू कर दिया...मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था कुछ देर की चुसाई के बाद पापा उपर उठे और अपने लंड को लेकर थोड़ा आगे खिसक आये ...और फिर मम्मी की आँखो मे देखते हुए उसने अपना लंड एक बार फिर से उसकी गहरी और गर्म चूत में पेल दिया..
''आआआआआआआआअहह ईईर्.....।हर बार ऐसा लगता है की पहली बार जा रहा है...।कितना मोटा है तुम्हारा.....।उम्म्म्मममममम....''
पापा भी मुस्कुरा दिए, अपने पार्ट्नर से ऐसी कॉमेंट्स सुनकर मर्द का सीना और चोडा जो हो जाता है.।और धीरे-2 पापा ने अपने धक्कों की स्पीड बड़ा दी...
कुछ ही देर मे उनकी रेलगाड़ी ने स्पीड पकड़ ली और वो पूरी रफ़्तार से मम्मी की चुदाई करने लगे ...हर झटके से मम्मी के मुम्मे उपर तक उछलते और उनकी ठोडी से टकराते...और साथ ही पूरा पलंग भी ऐसे झटकों से हिल रहा था.।और इन सबसे बेख़बर मम्मी एक बार फिर से झड़ने के करीब पहुँच गयी.।और वो चिल्लाने लगी
''अहह ....उफफफफ्फ़..उम्म्म्म अहह अहह ऊगगगगगगग और ज़ोर से ....और तेज ..।और अंदर ....ह उम्म्म्मम ....''
पापा समझ गए को वो अब किसी भी वक़्त झड़ सकती है...इसलिए उन्होंने अपना लंड एक बार फिर से बाहर खींच लिया.।मम्मी ने चोंक कर अपनी आँखे खोल ली और चिल्लाई : "अभी क्यो निकाल लिया......मेरा बस होने ही वाला थापर शायद पापा के दिमाग़ मे एक और शरारत जन्म ले चुकी थी...उन्होंने मम्मी की कमर पकड़ कर उसे घुमा दिया...मम्मी भी समझ गयी की पापा उसकी डोगी स्टाइल में मारना चाहते है...वैसे तो ये पोज़ उसका भी शायद फेवरेट था, इसलिए वो भी बिना आना कानी के पलटी और अपनी गांड उपर की तरफ उभार कर लेट गयी...और बोली : "जल्दी डालो ना....अब सहन नही होता मुझसे......'' 
पापा ने अपना लंड ठीक निशाने पर लगाया और उनकी चौड़ी गांड के स्टेयरिंग को पकड़ कर अपना ट्रक उसके फिसलन भरे हाइवे में पहुँचा दि और फिर एक्सीलेटर देकर अपनी स्पीड एक बार फिर से बड़ा दी..। एक बार फिर से झटकों से पलंग और उन दोनो के शरीर हिचकोले खाने लगे..
अपनी चूत के अंदर से मिल रही तरंगो से मम्मी को ये एहसास हो चुका था उसे,वो अब 1-2 मिनट में ही झड़ने वाली थी ..और पापा की स्पीड भी बता रही थी की वो भी अब कभी भी झड़ सकते है।और पापा लंड का पारा उपर तक चढ़ गया और आख़िरी के 2-4 झटके ज़ोर से लगाता हुवे वो चिल्ला-चिल्लाकर झड़ने लगा..
''अहह .....।ओह ..........।ओह .....।मज़ा आ गया...........।आआआआहह .और अपनी चूत की सुरंग में गर्म पानी का बहाव महसूस करते हुए और मम्मी भी भरभराकर झड़ने लगी...पर एक करिश्मा हुआ मेरे साथ भी...आज पहली बार वो भी बिना अपनी चूत पर हाथ लगे बिना झड़ चुकी थी...जिस वक़्त पापा चीख रहे रहे थे और अपना माल मम्मी की चूत में उडेल रहे था उसी वक़्त उसे ये एहसास हुआ की जैसे वो मम्मी की चूत में नही बल्कि मेरी चूत में झड़ रहे है...
यही एहसास बहुत था मेरे रुके हुए बाँध को निकालने के लिए...ऐसा आज से पहले कभी नही हुआ था, मैं हमेशा खुद हस्तमैथुन करके झड़ी थी...आज तो बिना हाथ लगाए ही वो झड़ गयी थी..।शायद जो एरॉटिक सीन इतनी देर से उसकी बंद आँखो के सामने चल रहा था उसका ही असर था ये..
कुछ ही देर में मेरे को वहीं सोता छोड़कर मम्मी और पापा एक साथ बाथरूम में चले गये..एक बार और चुदाई की हिम्मत तो अब उन दोनो में ही नही थी..
*****
Reply
02-23-2019, 04:19 PM,
#7
RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
अब राज की ज़ुबानी…
मेरे मंन में अफ़सोस इसी बात का था की में चाह कर भी मम्मी की चूत नही देख पाया था। मेरे मन में अभी भी यही प्रश्न चल रहा था की आखिर ये चूत केसी होती हे, केसी दिखती होती होगी, कैसे उसमे लंड घुसता होगा, कैसे धक्के लगाये जाते होंगे। 
सुबह हुई तो में रात के खयालो से बाहर आया।में रूम से बाहर आया तो मॉम नाश्ता लगा रही थी, पापा नाश्ता कर जा चुके थे और प्रीति नाश्ता कर रही थी। 
अब मेरे दिमाग में तो एक ही बात चल रही थी की किसी तरह किसी की भी चूत देखनी हे। 
हमारे फ्लैट में ३ बैडरूम के आलावा उनसे जुड़ा हुआ एक खुला एरिया था जन्हा कपडे धोये जा सकते थे और सुखाये भी जा सकते थे, ये एरिया उप्पर से बिलकुल ओपन था, इस एरिया के बहार एक दरवाजा भी लगा हुआ था, वैसे तो फ्लैट के सभी रूम में अटैच्ड लेट बाथ थे लेकिन मॉम और प्रीति को कभी जल्दी टॉयलेट जाना हो तो वो इस छेत्र का उपयोग कर लिया करती थी। 
मेरे दिमाग में यही आया की यही से अपनी मॉम और बहन की चूत देखी जा सकती हे, लेकिन दूसरे पल ही मुझे आत्मग्लानि होती की में अपनी मॉम और बहन के बारे में ऎसे कैसे सोच सकता हु। 
लेकिन हवस ने रिश्तो पर विजय पायी और में इसी तक में रहने लगा की किसी भी तरह भी चूत दर्शन हो जाये। 
लेकिन ये काम इतना आसान नही था जैसे मेने समझा था, क्यू की हमेशा इस बात का इंतजार करना की वो कब टॉयलेट जाये, और टॉयलेट जाये तो वो उस समय अकेली ही हो कोई आस पास नही हो ये होना भी असंभव होना सा ही था। 
लेकिन एक दिन मुझे थोड़ी सफलता मिली, माँ जैसे ही से उस एरिया में गयी तो उन्होंने जल्दबाजी में दरवाजा बंद नही किया और दरवाजा थोड़ा खुला रह गया, क्यू की मोम का मुँह सामने दिवार की और था तो मुझे केवल उनका पीछे का हिस्सा दिखाई दे रहा था। 
मेने नजरे गड़ाई तब तक मॉम पेशाब करने बैठ चुकी थी, मुझे केवल गोरे गोरे उनके चूतड़ दिख रहे थे, चूतडो के बीच गुलाबी दरार गज़ब ढा रही थी, उन्होंने दोनों हाथो से अपनी साड़ी उप्पर कर राखी थी लेकिन उनकी ब्लैक पेंटी जांघो में फांसी हुई थी, उनकी मूत्र धरा की सीटी मारती आवाज एक अलग सा नशा पैदा कर रही थी, २-३ मिनट के बाद ही मॉम पेशाब कर के उठ गयी उन्होंने जल्दी से अपनी पेंटी उप्पर चढ़ा ली, और में जल्दी से वंहा से खिसक लिया। 
अब तो में और पागल हो गया, मॉम के चूतडो ने तो मुझे दीवाना कर दिया, अब तो में जैसे ही मॉम को देखता तो मेरा लंड खड़ा हो जाता, में अब मॉम के साथ रिश्तो की सारी मर्यादाये भूल चूका था और रोजाना ४-५ बार उनकी गांड और चूत की कल्पना कर में खूब हस्त मैथुन करता। 
लेकिन एक दिन मुझे सफलता मिल ही गयी, उस दिन में मॉम को देखता हुआ उनके रूम में गया तो वो मुझे कंही नही दिखाई दी, मेने उनको आवाज भी लगायी लेकिन कोई जवाब नही मिला। अचानक मुझे बाथरूम से उनके गुनगुनाने की आवाज आई, में समझ गया की वो बाथरूम में हे। बस फिर क्या था मेरे मन का चोर सक्रिय हो गया और मेने बाथरूम के दरवाजे पर ऐसी जगह तलाशना शुरू कर दिया जन्हा से में अंदर का नजारा देख सकु, और मुझे दरवाजे में एक झिर्री मिल ही गयी जहा से अंदर का नजारा देखा जा सकता था। 
,मुझे बाथरूम का पूरा नजारा दिखने लगा मॉम शोवेर के निचे नहा रही थी में उन्हें देखता ही रह गया उफ्फ..।क्या मस्त हिरनी जैसी गोरी-चिट्टी नाज़ुक कमसिन कली की तरह, जैसे कोई सपना ही मेरी आँखों के सामने खड़ा हो। सुराहीदार गर्दन, पतली सी कमर मानों लिम्का की बोतलको एक जोड़ा हाथ और पैर लगा दिए हों। संगमरमर सा तराशा हुआ सफाक़ बदन किसी फरिश्तेका भी ईमान डोल जाए। 
फिर मेरा ध्यान उनकी कमर पर गया जो२८ इंच से ज्यादा तो हरगिज़ नहीं हो सकती। पतली-पतली गोरी गुलाबी जाँघें। उनके बाहर झाँटों के छोटे-छोटे । हे भगवान, मैं तो जैसे पागल ही हो जाउँगा। मुझे तो लगने लगा कि मैं अभी बाथरूम का दरवाजा तोड़कर अन्दर घुस जाऊँगा और..।और...।।
मॉम ने बड़े नाज़-ओ-अन्दाज़ से अपनी ब्रा के हुक़ खोले और दोनों क़बूतर जैसेआज़ाद हो गए। जैसे गुलाबीरंग के दो सिन्दूरी आम रस से भरे हुए हों। चूचियों का गहरा घेरा कैरम की गोटी जितना बड़ा, बिल्कुल चुर्टलाल। घुण्डियाँ तो बस चने के दानेजितनी। सुर्ख रतनार अनार के दाने जैसे, पेन्सिल की नोक की तरह तीखे। । या अल्लाह..।मुझे लगा जैसे अब क़यामत ही आ जाएगी।उनके चूतड जैसे दो पूनम के चाँद किसी ने बाँध दिए हों। और उनके बीच की दरा रएक लम्बी खाई की तरह। पैन्टी उस दरार में घुसी हुई थी। उन्होंने अपनेचुत्डो पर एक हल्की सी चपत लगाई और फिर दोनों हाथों को कमर की ओर ले जाकर अपनी काली पैन्टी नीचे सरकानी शुरु कर दी।
मुझे लगा कि अगर मैंने अपनी निगाहें वहाँ से नहीं हटाईं तो आज ज़रूर मेरा हार्ट फेल हो जाएगा। जैसे ही पैन्टी नीचे सरकी हल्के-हल्के मक्के के भुट्टे के बालों जैसे रेशमी नरम छोटे-छोटे रोयें जैसे बाल नज़र आने लगे। उसके बाद दो भागों में बँटेमोटे-मोटे बाहरी होंठ, गुलाबी रंगत लिए हुए। चीरा तो मेरे अंदाजे के मुताबिक ३ इंचसे तो कतई ज़्यादा नहीं था। अन्दर के होंठ बादामी रंग के। अन्दर के होंठ बिल्कुल चिपके हुए-आलिंगनबद्ध। और किशमिश का दाना तो बस मोती की तरह चमक रहा था। गाँड का छेद तो नज़र आया पर मेरा अंदाजा है कि वोभी भूरे रंग का ही था और एक चवन्नी के सिक्के से अधिक बड़ा क्या होगा! दाईं जाँघपर एक छोटा सा तिल। उफ्फ..।क़यामत बरपाता हुआ। मेरा लंड तो ऐसे अकड़ गया जैसे किसी जनरल को देख सिपाही सावधान हो जाता है। मुझे तो डरलगने लगा कि कहीं ये बिना लड़े ही शहीद न हो जाए। मैंने प्यार से उसे सहलाया पर वह मेरा कहा क्यों मानने लगा। 
मम्मी नज़ाक़त से वो हल्के-हल्के पाँव बढ़ाते हुए शावर की ओर बढ़ गई। पानी की फुहार उनके गोरे बदन पर पेट से होती हुई उसकी बुर के छोटे-छोटे बालों से होती हुईनीचे गिर रही थी, जैसे वो पेशाब कर रही हो। मैं तो मुँह बाए देखता ही रह गया। कोई १० मिनट तक वो फव्वारे के नीचे खड़ी रही, फिर उन्होंने अपनी चूत को पानी से धोया। उन्होंने अपनी उँगलियों से अपनी फाँकें धीरे से चौड़ी कीं जैसे किसी तितली ने अपने पंख उठाए हों।
गुलाबी रंग की नाज़ुक सी पंखुड़ियाँ। किशमिश के दाने जितनी मदन-मणि (टींट), माचिस की तीली जितना मुत्र-छेद और उसके एक इंच नीचे स्वर्ग का द्वार, छोटा सा लाल रतनार। मुझे लगा कि मैं तो गश खाकर गिर हीपड़ूँगा।
मेरा लंड अब मेरे काबू में नही रहा था, अपनी मॉम की चूत देख कर मेरा लंड अब दर्द करने लगा था, में धीरे धीरे उसे हिलाने लगा, चूत दर्शन ने मेरे दिल ही नही पुरे शरीर में एक आग लगा दी थी। क्या चूत थी मेरी मॉम की। अब तो मेरे मन में शैतान जनम ले चूका था और मेरे मन में ये ही ख्याल आ रहा था की मॉम की चूत का कैसे रसस्वादन किया जाये। 
थोड़ी देर में मेरे लंड ने वीर्य को बाहर निकल फेंका और में अपने रूम में वापस आ गया। 
अब तो मेरा पूरा फोकस इसी बात को लेकर रहता था की मॉम या प्रीति को टॉयलेट जाते समय पेशाब करते देखा जाये या वो जब बाथरूम में हो तब उनके नंगे बदन का मजा लिया जाये। 
एक दिन की बात हे जब में और प्रीति दोनों बाजार से आ रहे थे की एकदम बारिश आ गयी और हम दोनों भीग गए, घर पहुंच कर मुझे पता था की प्रीति बाथरूम मैं जाएंगी कपडे चेंज करने और ये मेरे लिए अच्छा मौका था उसे पूरी नंगी देखने का।
प्रीति अपने गीले कपड़ो को चेंज करने के लिए बाथरूम मे गई ये मेरे लिए अच्छा मौका था प्रीति को कपडे चेंज करते हुए पूरी नंगी देखने काप्रीति के बाथरूम का दरवाजा बंद करने के थोड़ी देर बाद मै बाथरूम के बाहर आकर खड़ा हुआ और बाथरूम के अंदर देखने की कोशिश करने लगा मेरे दिमाग मे ये चल रहा था कीप्रीति अब अपना टॉप उतार रही होंगी अब प्रीति केवल ब्रा मे होंगी मेरा लंड पूरा खड़ा था और मै बाथरूम के दरवाजे मे कोई छोटा सा छेद या दरार ढूँढ रहा था जहा से मुझे बाथरूम के अंदर का बेहतरीन नजारा सामने आ जाए लेकिन मेरे फूटी किस्मत साला दरवाजे मे कोई दरार या छेद ही नहीं था तो मैंने नीचे झुक के दरवाजे और ज़मीन के बीच के गैप मे से अंदर देखने के कोशिश की मुझे नीचे बाथरूम की टाइल्स के अंदर से कुछ धुन्दला सा नजर आया लेकिन कुछ दिखा नहीं बस प्रीति की टांगें दिखी फिर प्रीति का टॉप नीचे गिरा फिर कैपरी फिर प्रीति की काली ब्रा नीचे गिरी फिर पेंटी नीचे गिर मै झुके हुए ही अपने लंड को सहलाने लगा की अब प्रीति बाथरूम मे पूरी नंगी होगी मै अपना लंड हाथ मे लेके इधर उधर घूम रहा था की कही से तो बाथरूम के अंदर देखने की जगह मिल जाए लेकिन कही कुछ जगह नहीं मिली मै वापस नीचे के गैप मे से देखने लगा ।
Reply
02-23-2019, 04:19 PM,
#8
RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
प्रीति ने साथ ही नहाना भी स्टार्ट कर दिया था प्रीति बाथरूम मे पट्टे पे बैठकर नहा रही थी मुझे उनकी थोड़ी सी नंगी जांघो के दर्शन हुए इतने मे मम्मी ने मुझे आवाज दी और मै चला गया सोचते हुए की प्रीति नंगी बाथरूम मे है कहा 2 साबुन लगा रही होगी अपने नंगे जिस्म पे कहा 2 हाथ फेर रही होगी ये सोच सोच के मेरा दिमाग ख़राब और लंड बिलकुल टाइट खड़ा था
जेसे ही प्रीति नहा के बहार निकली मै जल्दी से बाथरूम मे घुस गया मैंने प्रीति के टॉवल के नीचे देखा प्रीति के उतरे हुए ब्रा और पेंटी लटके हुए थे मैंनेप्रीति की ब्रा को अपने हाथ मे लिया और उसे सूंघने लगा प्रीति की ब्रा के कप्स को सहलाने लगा प्रीति की ब्रा मे से इतनी प्यारी और मादक खुशबू आ रही थी की सूंघते ही मेरा लंड इतना टाइट हो गया जितना पहले कभी नहीं हुआ था फिर मैंने प्रीति पेंटी ली और उसे सूंघा और उसे सूंघ कर कसम से दोस्तों मेरी हालत ही ख़राब हो गएप्रीति की पेंटी मे से उनकी चूत के थोड़े डिस्चार्ज थोड़े पसीने की खुसबू थी उनकी पेंटी को मैंने अपने पूरे मुह पे फेरा उसे चाटा उसमे से नमकीन स्वाद आया लेकिन जो भी था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैंने अपनी प्रीति की पेंटी को अपने मुह पे और उनकी ब्रा को अपने लंड पे लपेट कर अपने लंड को हिलाने लगा मै पूरी तरह से दूसरी ही दुनिया मे था आँखें बंद करकेप्रीति की पेंटी को सूंघते हुए उनकी ब्रा अपने लंड पे सहलाते हुए हिलाने मे मुझे इतना मजा आ रहा था ये सोच रहा था की प्रीति नंगी हो के अपने हाथ से मेरा लंड हिला रही है और इतने मे मै झर गया और मेने अपने लंड का सारा मुट प्रीति के ब्रा पे निकाल दिया इतना अच्छा मुझे कभी नहीं लगा था मेने फिर उनकी ब्रा को साफ़ करके वापस वही लटका दी और बाहर आ गया।
प्रीति ने नहा के 1 लॉन्ग कुरता और लेगिस पेहेन ली थी वो बाहर अपने गीले बालो को सूखा रही थी और मै साइड मे खड़ा 2 कुर्ते मे से प्रीति के बोबे देख रहा था कितने मोटे और बाहर कि तरफ निकले हुए थे जेसे ही वो अपने बालो को झडकती उनके बोबे ऊपर नीचे हिलते उन्हें देखते 2 मै ये सोच रहा था की नहा के प्रीति ने कौन से कलर की ब्रा और पेंटी पहनी होगी मै कब प्रीति को पूरी नंगी देखूंगा केसे उनको नंगी देखु और तभी प्रीति ने पुछा "क्या देख रहा हे"
मैंने मन मे सोचा प्रीति आप नंगी केसी दिखोगी और आपको नंगी केसे देखू ये सोच रहा हु। और और और प्रीतिने मुझे कस के गले लगा लिया वो भी क्या मोमेंट था ?
प्रीति के गीले 2 बाल उनका ठंडा 2 बदन उनके बदन की खुशबू मैंने भी प्रीति को टाइट हग कर लिया और अब मैं वापस मदहोश होता जा रहा था .......।-
प्रीति के इतना पास आके मुझे कुछ २ होने लगा था प्रीति के बदन की खुशबु उनके बालो की खुशबु सब मुझे मदहोश करता जा रहा था मैंने प्रीति को टाइट हग कर रखा था और यही सोच रहा था की अभी कुछ देर पहले ये परी मेरे सामने नंगी होके नहा रही थी, तभी प्रीति ने मुझे थप थपाया और मै अपनी कल्पना से बाहर आयाप्रीति "बोली ओये सो गया क्या ?"
मैंने कहा "नहीं प्रीति, क्यों ?" प्रीति ने कहा "नहीं तू कुछ बोल ही नहीं रहा है तो मुझे लगा की कहीं मेरा भाई मेरी बाँहों मे सो तो नहीं गया" 
मैंने कहा "नहीं प्रीति जगा हुआ हु " और मैंने मन में सोचा की प्रीति आप जेसी परी की बाँहों में कोई अगर सो जाये तो वो कोई बेवकूफ ही होगा तभी प्रीति ने मुझे अलग करने की कोशिश की लेकिन मैंने प्रीति को टाइट पकड़ रखा था प्रीति बोली "क्या हुआ छोड़ ना" मैंने कहा "नहीं प्रीति थोड़ी देर और मुझे अच्छा लग रहा है" प्रीति बोली "ठीक है सोजा ऐसे ही थोड़ी देर मैं भी सो जाती हु"
मैंने हमेशा देखा है जीवन में की जो छोटा रहता है घर मैं उसे सब छोटा ही समझते है चाहे वो कितना भी बड़ा हो जाये आज शायद ने प्रीति भी मुझे इसलिए इतना पास खुद से चिपका के सुला रही थी क्योंकि उनकी नजर में तो मैं अभी भी बच्चा ही था फिर मैंने थोडा सा मुह ऊपर करके देखा तो प्रीति की आँखें बंद थी मैं मन में यही सोच रहा था की अच्छा हुआ आज मम्मी नहीं आई प्रीति के साथ मुझे आज इतना मजा करने को तो मिल गया और फाइनली प्रीति के साथ इतना पास चिपक के सो रहा हु। मेरा लंड टाइट था प्रीति को सोये हुए आधा घंटा हो चूका था मैं प्रीति के पास ही चिपका हुआ था मैंने धीरे टॉप के गले को खींचा प्रीति ने वी शेप का टॉप पेहेन रखा था प्रीति के टॉप के अंदर का क्या नजारा था प्रीति ने आज अपने टॉप के अंदर शमीज नहीं पहनी थी बस खाली ब्रा पेहेन रखी थी और उसके ऊपर टॉप प्रीति के गले में उनकी सोने की चेन का पेंडेंट प्रीति की ब्रा के गैप से थोडा सा ऊपर थाप्रीति ने वाइट कलर की ब्रा पेहेन रखी था आज मैंने प्रीति को आधी नंगी देखा तो था लेकिन दूर से देखने में इतना मजा नहीं आता जितना की पास से देखने में आता है। प्रीति अंदर से बहुत गोरी थी दीदी के बोबे गोरे गोरे थे उनके टॉप के अंदर से उनकी ब्रा का इतना प्यारा शेप बन रहा था की मैं बयां नहीं कर सकता।
Reply
02-23-2019, 04:19 PM,
#9
RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
उस वक़्त मैं सोचने लगा की थोड़ी देर पहले प्रीति के ये गोरे गोरे बोबे मेरे सामने नंगे थे मैंने आज पहली बार रौशनी में प्रीति के टॉप के अंदर ध्यान से देखा था मैंने देखा की प्रीति कप वाली ब्रा नहीं पहनती वो तो सिंपल ब्रा पहनती है मैं टॉप के अंदर देखते २ सोचने लगा की प्रीति का निप्पल कहा पे होगा इस ब्रा में, मैं प्रीति के इतना पास था की आज रिस्क वाली कोई बात नहीं थी बस मुझे ध्यान से रहना था और धीरे धीरे ध्यान से सब करना था मैंने सबसे पहलेप्रीति के पेट पे अपना हाथ रखा उनका पेट बिलकुल चिकना और ठंडा था धीरे धीरे मैं अपना हाथ ऊपर लेके जाने लगा प्रीति के टॉप में मैं पूरी तरह सतर्क था की न तो प्रीति को कुछ महसूस हो और ना ही प्रीति का टॉप खिचे अब मैं धीरे धीरे अपना हाथ प्रीति के टॉप के अंदर और ऊपर लेके जाने लगा और मेरे हाथ ने प्रीति की ब्रा का नीचे का इलास्टिक टच किया मैंने धीरे से अपना दूसरा हाथ प्रीति की कमर पे रखा जहाँ उन्होंने अपनी सलवार बंद रखी थी। फिर मैंने अपना हाथ प्रीति के टॉप मे और ऊपर किया और मेरे हाथ नेप्रीति के 1 बोबे को टच किया मैंने अपना पूरा हाथ प्रीति के बोबे पे घुमाया फिर मैंने अपना हाथ प्रीति के दुसरे बोबे पे घुमाया और प्रीति के दोनों बोबो पे हाथ घुमाने लगा और ब्रा पे से प्रीति के बोबे के दोनों निप्पलो को ढूँढने लगा।
मैंने प्रीति के दोनों निप्पलों को सहलाया । प्रीति के बोबो को धीरे धीरे दबाया उन्हें सहलाया और उनके बोबे सहलाते सहलाते मैंने प्रीति के गले पे बहुत ध्यान से धीरे से किस किया फिर उनका टॉप थोडा सा हटाया और उनके नंगे कन्धों पे किस किया फिर मैंने सोचा की प्रीति की ब्रा को ऊपर किया जाए मैं अपना हाथ वापस नीचेप्रीति की ब्रा के इलास्टिक पे लाया और उसे ऊपर करने की कोशिश की लेकिन प्रीति की ब्रा का इलास्टिक बहुत टाइट था मैंने बहुत कोशिश की पर वो ऊपर ही नहीं हुआ अगर में ज्यादा जोर लगता तो प्रीति को पता चल जाता इसलिए मैंने ब्रा ऊपर न करने की सोचा और प्रीति के टॉप में से हाथ वापस बाहर निकाल लिया और प्रीति की जांघ पे अपना हाथ फेरने लगा प्रीति की पटियाला सलवार का कपडा बहुत पतला था इसलिए मुझे उनकी झांगें आराम से फील हो रही थी मैंने धीरे 2 अपना हाथ उनकी अंदरूनी जांघ पे डाला और वहां हाथ फेरने लगा मेरा लंड टाइट खड़ा था फिर मैंने अपना हाथप्रीति की दोनों जाघों के बीच डाल दिया वहां का हिस्सा थोडा गरम था और थोडा नम भी था मैं प्रीति की दोनों जाघों के बीच अपना हाथ फेरने लगा प्रीति की चिकनी जांघों को सहलाने लगा और धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर लेके जाने लगा और फिर मेरे हाथ ने प्रीति की पेंटी को टच किया अब मैं खुद पे से कण्ट्रोल खोता जा रहा था।
प्रीति मेरे पास मुझे हग करके सो रही थी और मैं उनकी दोनों जांघों के बीच अपना हाथ फेर रहा था और फिर मेरा हाथ प्रीति की चूत पे टच हुआ मैं बहुत तेज तेज सांसें ले रहा था मैंने प्रीति की पेंटी पे से उनकी चूत पे अपना हाथ फेरा और मै अपने दुसरे हाथ से प्रीति की सलवार पे से उनकी गांड पे हाथ फेर रहा था आज तो मेरे दोनों हाथों में जन्नत थी १ हाथ में प्रीति की गांड दुसरे हाथ में प्रीति की चूत मैंने अपनी हथेली को सीधा किया और पूरी हथेली को प्रीति की चूत पे ऊपर नीचे फेरने लगा अब मैं धीरे २ प्रीति की चूत पे अपना हाथ ऊपर नीचे फेरते हुए उनके होठों के पास जाने लगा मैं उनके होठो पर किस करना चाहता था उनकी चूत पे हाथ फेरते हुए लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया और प्रीति की चूत पे ध्यान से और धीरे धीरे हाथ फेरने लगा फिर मैंने अपनी १ ऊँगली प्रीति की चूत की लाइन के बीच डाली लेकिन वो पूरी तरह गयी नहीं उनकी पेंटी के कारन आज मैं वो सब कर रहा था जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा थाप्रीति की चूत सहलाते सहलाते अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था मैंने सोचा की 1 बार प्रीति का हाथ अपने लंड पे टच करवाऊं मैंने प्रीति के हाथ को उठाया और धीरे धीरे अपने लंड के पास लेके आने लगा और तभीप्रीति ने करवट बदल अब मैं समझ गया की ये खतरे का संकेत है ज्यादा लालच मत कर नहीं तो जूते पड़ जायेंगे।
मैंने प्रीति का हाथ छोड़ा और उनकी पीठ पे से उनके टॉप को ऊपर करने लगा और उनकी पीठ पर धीरे से किस करने लगा फिर मैंने पीछे से प्रीति के दोनों हाथों के नीचे से अपने हाथ डाले और पीछे से ही उनके टॉप पे से धीरे २ उनके बोबे दबाने लगा अब मेरा लंड कण्ट्रोल से बाहर हो रहा था मैं उठा और प्रीति के बाथरूम में गया और वहां पर मुझे प्रीति की उतरी हुई ब्रा और उतरी हुई वो पेंटी मिली जो उन्होंने पेहेन रखी थी मैंने प्रीति की पेंटी को सूंघा उसमे से बड़ी ही सेक्सी खुशबु आ रही थी मैंने प्रीति की पेंटी के अंदर देखा तो उसमे बहुत सार डिस्चार्ज लगा हुआ था उस समय मैंने प्रीति की चड्डी में लगा सारा डिस्चार्ज चाट 2 के साफ़ कर दिया और पागलो की तरह उनकी पेंटी को कभी सूंघता कभी अपने मुह पे रखता और अपना लंड हिलाता तभी मुझे 1 आईडिया आया।
मैंने प्रीति की ब्रा और पेंटी ली और प्रीति के पास जाके लेट गया प्रीति की पीठ मेरी तरफ थी तो मैं प्रीति की गांड के पास जाके लेट गया और उनकी गांड को धीरे धीरे किस करते हुए प्रीति की पेंटी अपने लंड पे लपेटी और मूट मारने लगा वो एहसास भी क्या एहसास था।
पास में प्रीति लेटी हुई थी और मैं उनके पास लेटे हुए अपना लंड बिस्तर पे निकाल के उसपे प्रीति की पेंटी लपेट के कभी उनकी गांड को किस कर रहा था कभी उनकी ब्रा को किस कर रहा था और मुट मार रहा था बिना किसी डर के मैं पागलो की तरह अपने लंड को हिलाने और थोड़ी ही देर मैं मैं झर गया मेरा इतना सार मुट निकला और मुझे इतना मजा आया की उस मजे के कारन मेरी आँखें ही बंद हो गयी और मैंने अपना सार मूट अपनी प्रीति की पेंटी पे निकाल दिया
Reply
02-23-2019, 04:19 PM,
#10
RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
आगे प्रीति से उसकी जुबानी…।
अगले दिन जब में सोकर उठी तो मेरी आँखों के सामने बार बार पापा मम्मी की चुदाई का दृश्य सामने आ रहा था, उनकी कामुकता भरी आवाजे अब भी मेरे कानो में गूंज रही थी, जैसे जैसे में सोचती जाती मेरी चूत गीली हो जाती और ओर्गास्म पर पहुचने के साथ ही चूत रस निकल जाता और मेरी पूरी पेंटी को भिगो देता। 
अगर समय कोई मेरी पैंटी को देखता तो उसे यही लगता की मेरी किसी ने चुदाई की हे और मेरा चूत रस मेरी पेंटी पर लगा हुआ हे। 
पर पता नही अब मेरा पापा के प्रति आकर्षण बढ़ता ही जा रहा था और में उनके ज्यादा से ज्यादा करीब रहने की कोशिश करती रहती थी। में चाहती थी की पापा मुझसे खूब बाते करे वो हमेशा मेरे सामने रहे। लेकिन ऐसा हो नही पाता था, वो मम्मी के सामने आते ही मेरी अनदेखी करना शुरू कर देते थे। 
लेकिन एक दिन ऐसा हुआ जो मेने सोचा भी नही था, मुझे पापा अपनी कार से ही स्कूल छोडा करते थे थे, उस दिन मुझे जल्दी थी और में पापा को बुलाने सीधे उनके बैडरूम में घुस गयी, पापा तब शायद बाथरूम से सीधे नहा कर ही आये थे और वो बिलकुल नंगे खड़े होकर टॉवल से अपना बदन साफ़ कर रहे थे और मेरी नजर उनके सर से होती हुई उनकी कमर के निचे जाकर अटक गयी जहा उनका लंड था उस दिन तो अँधेरे में चुदाई करते समय मेने उनका लंड देखा था लेकिन आज उजाले में, मेने पहली बार कोई लंड देखा था मेरे तो होठ सुख गए, पापा एक पल तो कुछ समझे नही पर उन्होंने तुरंत ही टॉवल लपेट लिया। और हमसे कहा तुम चलो में आता हु। मेने एक पुरुष का पूर्ण उत्तेजित लंड देखा।करीब ७ इंच लम्बा ओर ३ इंच गोलाई वाला...एकदम खडा हुआ..।मेरी चूत तर हो गयी थी, और उस रात मैंने पता नहीं कैसे एक बहुत कामुक सपना देखा और उसमे मैंने देखा कि मैंने पापा का लंड देखा और पता नहीं क्या क्या...मेरी आँख खुल गयी।मुझे पसीना आ रहा था और मेरा गला सुखा हुआ था।मेरी उँगलियों ने मेरी पैंटी को छू कर देखा तो वो थोडी गीली थी, मैंने महसूस किया कि मेरी चूत कि बीच में कुछ स्पंदन हो रहे थे, मेरी निप्पलस एकदम सख्त थे।मैंने अभी अभी एक ओर्गास्म से गुजर चुकी थी, कब, कैसे, कुछ नहीं पता..! मेरी साँसे तेज तेज चल रही थी और दिल कि धड़कनें बड़ी हुयी थीं। मैंने एक तकिया लिया और अपनी जाँघों के बीच फंसा लिया।जिससे की मेरी चूत पर अच्छा खासा दवाब आ रहा था।
उसका ठंडा ठंडा कपडा मेरी नंगी चूत पर काफी अच्छा लग रहा था हलाँकि मुझे पता था की यह सब काफी नहीं होगा।सो मेने उठकर बाथरूम में जाने का फैसला किया।
मैंने शान्ति से बाथरूम में घुसी और अपने टाँगे फैला कर अपनी भगान्कुर को घिसना शुरू किया।मेरी चूत ऐसी गरम हो गयी थी जैसे की उसमे अन्दर से आग निकल रही हो।मुझे पता नहीं क्या हो रहा था की मैं अपना पानी निकालने की लिए बहुत आतुर हो रही थी।।मैं बाथरूम में ऐसा कुछ ढूँढने लगी जो मेरी तड़प को शांत कर सके।मैं व्याकुल हो रही थी, कोई मेरे को इस उत्तेजना से शान्ति दिला दे...कोई भी...कैसे भी.मेरा इतना बुरा हाल था की मैं किसी छुअन को अपनी चूत पर महसूस करना चाहती थी, कोई मुझे वहां प्यार करे और मेरा पानी छूट जाए.
मैंने एक शैंपू की बोतल ली और उसे वाश बेसिन के साथ लगा लिया और उस से अपनी चूत को सटा दिया, मेने अपनी क्लिटोरिस को शैंपू के चिकने ढक्कन से टकराना शुरू कर दिया।मैं उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगी।मैं अपने आप को शीश में देख रही थी और कल्पना कर रही थी की कोई मुझे देख रहा है।मैं चाहती भी थी की कोई मुझे देखे।मैं किसी के लिए भी ओर्गास्म पर पहुंचना चाहती थी अगर वो मुझे देखे भी।
कुछ मिनट और निकले, मैं और ज्यादा चाहती थी, मैं अपने को भरना चाहती थी।मैं चाहती थी की कोई मुझे छुए। मुझे लगा की मेरे पर अब मेरा भी कण्ट्रोल नहीं हो रखा था.जब मेरे से कण्ट्रोल नहीं हुआ तो मैं बाथरूम के फर्श पर लेट गयी और कंडीशनर की एक बोतल लेली, टांगों को चौडा कर कंडीशनर की बोतल से कुछ कोल्ड लोशन मैंने अपनी चूत पर उडेल दिया जो बहता हुआ मेरी क्लिटोरिस से बहता हुआ मेरी चूत के लिप्स से होता हुआ मेरी गुदा तक चला गया।उसके बाद मैं फर्श पर झुक गयी और अपने दोनों हाथ और पैरों पर हो गयी और फिर एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ना शुरू करदिया, पर कुछ ख़ास नहीं हो पाया।तब मैं उठी और अपने कमरे में वापस आ गयी। 
मेरी समझ नही आ रहा था में कैसे अपने को शांत करू, ना जाने क्या सोच कर में पापा के बैडरूम की और बढ़ चली, मेने धीरे से बैडरूम का दरवाजा खोला तो देखा मम्मी बेड़ के एक कोने पर सो रही हे और पापा पींठ के बल लेटे हुए थे और मेने पास में आकर पाया की उनका लंड तनाव में था और उनके पायजामे में एक टेंट की तरह आकार हो रखा था।में अछाम्भित सी हो गयी और उनके नजदीक गयी, मेरा एक हाथ मेरी चूत पर था और में कल्पना करने लगी की वो मेरे साथ सेक्स कर रहे है।
में दुगुनी रफ़्तार से अपनी चूत रगड़ने लगी जैसे ही मेरे मन में ये पिक्चर आने लगे।में अब उनका लंड महसूस करना चाहती थी।में उनके लंड को मेरे ऊपर वीर्य उड़ेलते हुए देखना चाहती थी।पर अगर वो जग गए तो? पर में रुकने वाली नहीं थी...और..
में धीरे से उनके बगल में बैठ गयी,लेकिन अचानक मुझे मम्मी के जागने का सा एहसास हुआ और में तुरंत वह से उठी और अपने रूम्मे चली आई, मेरी सांस धौकनी की तरह चल रही थी,मुझे मम्मी पर गुस्सा आ रहा था की उन्ही भी इसी वक़्त उठना था, उस रात जैसे तैसे हमने अपने आप को संभाला, लेकिन हमने ये भी तय कर लिया था की अगर हम अपना पहला सेक्स जिसके साथ करेंगे वो पापा ही होंगे। अब हमें ये कोशिश करनी थी की मैं पापा का ध्यान अपनी और कैसे करू। 
मेरे मन में हमेशा पापा के लंड की तस्वीर ही घूमती रहती थी, कहते हे न जब आप किसी को चाहने लगते हे तो उसकी हर बात को बड़े धयान से नोटिस करने लगते हे ऐसा ही हमारे साथ हुआ, मेने देखा की पापा संडे को बड़े रोमांटिक मूड में रहते हे और मम्मी भी, ना जाने हमे ये लगने लगा की संडे को पापा मम्मी जरूर सेक्स करते होंगे, और हम उन दोनों को दुबारा सेक्स करते देखना चाहते थे,पर कैसे ये हमारी समझ नही आ रहा था। 
पर कहते हे न जन्हा चाह वंहा राह, पापा मम्मी के रूम और हमारे रूम दोनों के रोशनदान बॉलकनी में खुलते थे और बॉलकनी से रोशन दान के द्वारा दोनों कमरो का नजारा देखा जा सकता था। 
ऐसे ही एक संडे को हमारी नींद खुली तो हमें पापा मम्मी के रूम में से कुछ आवाजे सुनाई दी, हम तुरंत बॉलकनी पर गए और एक कोने से पापा मम्मी के बैडरूम निगाहे अंदर का नजारा देख कर दंग रह गयी मम्मी आईने के सामने खड़ी हुई थी वो, अपनी साडी उतार रही थी, ब्लाउस में फंसे हुए उसके बोबे बाहर निकलने कि गुहार कर रहें थे, उन्होंने अपने ब्लाउस के हुक भी खोल दिए और उसके बाद अपनी ब्रा को भी उतार फेंका। 
उन्होंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया, और फिर पेंटी भी, पूरी नंगी हो गयी वो एकदम से पूरी तरह से नंगी होने के बाद वो घूम-घूमकर अपने पुरे शरीर का मुवायना करने लगी तभी पापा कमरे में आ गए और पापा ने दरवाजा बंद कर दिया और मम्मी को अपने पास बुलाया और उसे अपनी बाहों में लपेट कर जोर से हग किया ..पापा ने अपनी बाहे मम्मी के चारों तरफ लपेट दी और झुक कर उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए पापा के हाथ उसके कुलहो पर फिसल रहे थे। 
पापा ने एकदम से मम्मी के चेहरे को पकड़ा और अपने होंठ उनके होंठों पर रखकर उन्हें बुरी तरह से चूसने लगे .. उसके हाथ मम्मी के कूल्हों को मसल रहे थे, चूतडो की दरारों पर दबाव पड़ते ही मम्मी तड़प उठी और अपने पंजों पर खड़ी होकर सीत्कार उठी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म ''
पर पापा से अब सब्र नहीं हो रहा था,मम्मी का भी लगभग यही हाल था, वो अपनी चूत वाले हिस्से को उसके लंड पर रगड़ती जा रही थी, और उसके मुंह से अजीब -२ सी आवाजें भी निकल रही थी। अब पापा मम्मी कि चूत के आगे घुटनो के बलबैठे हुए थे, उनकी चकनी चूत को देखकर उनके मुंह में पानी आ रहा था औरउन्होंने अपना मुंह वहाँ लगा दिया..
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,299,375 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,248 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,150,812 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 871,787 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,541,986 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,986,700 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,796,405 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,514,340 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,825,187 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,135 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)