Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:55 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैं- क्या हुआ चेहरे पे हवाइया क्यों उडी हुई है 



वो- देव, बात ही कुछ ऐसी है 



मैं- क्या हुआ 



वो- तू सुनेगा तो तू विश्वास नहीं करेगा देख तुझे बता रही हु पर बात तेरे मेरे बीच रहनी चाहिए 



मैं- आजतक तेरी कोई बात फैली क्या 



उसके बाद मंजू ने मुझे बताना शुरू किया तो उसकी हर बात जैसे मुझे और परेशान करने लगी
मैं- जरा फिर से बता 


वो- थोड़ी देर पहले घर पर कोई नहीं था तो मैंने पिताजी की तिजोरी खोली, तुझे तो पता ही है कभी कभी मैं हाथ साफ कर लिया करती हु, तो मैंने तिजोरी खोली कुछ रूपये निकाले तो मैंने देखा की वहा पर एक एक चाबियों का गुच्छा रखा हुआ था जिसे मैंने पहले कभी नहीं देखा था तो मैंने उसे देखा कुछ तो खास बात होगी पर वो किस चीज़ की चाबिया हो सकती है फिर मुझे ध्यान आया की पिताजी ने अपने कमरे में भी अंडरग्राउंड तिजोरी बनवा राखी है 


तो मैं वहा गयी और किस्मत से एक चाबी लग गयी और देव जैसे ही मैंने तिजोरी खोली मेरी तो आँख और गांड दोनों ही फट गयी देव तू विश्वास नहीं करेगा उस तिजोरी में एक रुपया नहीं था अगर कुछ था तो बस सोना हो सोना गहने, बर्तन सोने के बिस्कुट पारले जी जैसे और हाँ सोने की इट भी थी देव कम से कम तीस किलो का माल तो होगा ही तिजोरी ठसा ठस भरी थी मुझे तो चक्कर से आ गए देख के बड़ी मुस्किल से होश संभाले बस सीधा तेरे पास आयी हु 


मंजू हमेशा से मुर्ख टाइप थी और उसने अपनी उसी मुर्खता में आज मेरे लिए एक बहुत बड़ा काम कर दिया था 

मैं- मंजू इस बात का जिक्र किसी से मत करना और मेरे साथ आ 


घर जाते ही मैंने पिस्ता से वो सामान लाने को कहा मंजू ने देखते ही कहा की देव बिलकुल ऐसा ही है वहा 
मैंने अपना माथा पीट लिया ये साला हो क्या रहा था दिमाग में हज़ार तरह की बाते थी पर मंजू के आगे करना उचित नहीं था थोड़ी बात चित के बाद वो चली गयी 


नेनू- तो देव,मामला साफ़ है पिताजी और काका के हाथ कही से ये खजाना ही लग गया दोनों ने आधा आधा किया होगा फिर रतिया काका को आया लालच और बाकि के सोने को हडपने के लिए उन्होंने ये काण्ड कर डाला हमे काका को धरना होगा 

मैं- ना काका का इस मामले से कुछ लेना देना नहीं है 

वो- कैसे 

मैं- क्योंकि जब परिवार के साथ वो हादसा हुआ तब काका तो खुद बिस्तर पर पड़े थे थोड़े दिन पहले ही तो उनका एक्सीडेंट हुआ था
नीनू काका की जान बच गयी बहुत बड़ी बात थी मान लो काका ने रिस्क लिया तो ये बहुत बड़ा रिस्क था उस टाइम मैं खुद हॉस्पिटल में ही था काका की जान बहुत मुश्किल से बची थी 


तो कहानी एक बार फिर से उलझ गयी थी इस बार तो हद से ज्यादा पर इतना तो जरुर साफ था की पिताजी और काका को कही से वो सोना मिल गया था और ढेर सारे रूपये भी पर कैसे मिला काका को जरुर कुछ तो पता था और वो आज मुझे जानना था मैंने काका को फ़ोन मिलाया और कहा की मुझे अभी आपको मिलना है कुछ भी हो तुरंत मिलना है काका ने काका ही मैं फर्म में हु तुम वही आ जाओ दोनों औरते साथ चलना चाहती थी पर मैंने मना किया और गाडी को दौड़ा दिया फर्म की तरफ आधे घंटे में पंहुचा 
काका ने मुझे देखा और फिर आने का इशारा किया हम दोनों पैअल चलते हुए फर्म से काफी दूर आ गये थे फिर काका एक पत्थर पर बैठ गए और बोले- बताओ बेटा क्या बात है 


मैंने जेब से वो बिस्कुट निकाला उनके हाथ पे रख दिया काका ने एक गहरी सांस ली फिर बोले- तो तुम्हे पता चल गया 

मैं- हां, पर बस इतना ही की कोई खजाना है 

काका- मुझे मालूम था तुम ढूंढ लोगे 

मैं- ये सब क्या है काका 

वो- बेटे कुछ गलतिया उम्मीद है तुम अपने इस बूढ़े काका को समझ पाओगे हमे माफ़ कर पाओगे 

मैं- काका कुछ तो बताओ मेरा सर फटने को है 

वो- बेटा, जैसे की तुम्हारे पिता और मैं बचपन के लंगोटिया यार थे एक दुसरे के बिना एक मिनट भी नहीं रहते थे बचपन से ही हमारी दोस्ती पुरे गाँव में मशहूर थी समय बीता अपने अपने परिवार हो गए पर दोस्ती उतनी ही मजबूत होती गयी तुम्हे तो याद होगा की अक्सर मैं और तुम्हारे पिताजी दूर दूर तक घुमने चले जाया करते थे बचपन से ही हमारी ऐसी आदत थी उस दिन भी हम लोग घूमते घूमते गाँव से बहुत दूर पहाड़ के पीछे जो जंगल सा बना है उधर चले गए 

मैं- फिर 

काका- नीम दोपहर का समय था हम लोग भटक रहे थे ऐसे ही यहाँ से वहा जंगल में काफी आगे निकल आये थे हम लोग मुझे बड़ी प्यास लगी हुई थी और किस्मत की बात हमे वहा पर एक पानी का धोर्रा मिल गया 

बिलकुल सही था, पानी मुझे भी मिला था 

काका- पानी पिने की बादहम बाते करते हुए और आगे बढ़ गए और फिर करीब कोस भर बाद हमे एक कोटडा सा दिखा अब इस उजाड़ बियाबान में वो कमरा सा अजीब बात थी और ऊपर से वो चारो तरफ कीकर से घिरा हुआ था अब हम लोग जिज्ञासु तो थे ही हमने उस कमरे की खोज बिन करी तो पता चला की वो देवी का मंदिर था कोई पुराना हमने माफ़ी मांगी और वहा से निकल लिए 

बस चले ही थे की तुम्हारे पिताजी का पाँव जमीन में फस गया जैसे जमीन खिसक गयी हो , हमने देखा तो कोई पट्टी टूटी थी शायद कोई कुवा सा था तुम्हारे पिताजी ने अपने पाँव को जैसे तैसे करके निकाला 


और जैसे ही अब उस जगह धुप पड़ी हमारी आँखों में एक चमक सी पड़ी निचे कुछ तो था हम दोनों ने उस जगह को साफ किया मेहनत से पट्टी को खिसकाया तो देखा की एक छोटा कुवा सा था जो की पूरी तरह से सोने से भरा हुआ था ढेरो क्या हजारो जेवर, अशरफिया और सोने की बिस्कुट उस उजाड़ बियाबान जंगल में जहा इंसान तो क्या दूर दूर तक जानवरों का भी नमो निशान नहीं था वहा पर हम दोनों पसीने से भीगे हुए खड़े थे डर सा चढ़ आया था काफी देर सोच विचार किया हम समझ तो गए थे की ये माता का खजाना है पर जिस तरह से वो हमे मिल गया था हमने माता की हाथ जोड़ कर समझ लिया की शायद उनका ही आशीर्वाद है 


अब बेटे बस किस्से कहानियो में ही खजाने के बारे में पढ़ा सुना था उस दिन आँखों के सामने था हमारे अब हम ठहरे नींच इन्सान लालच आ गया लालच को माता के आशीर्वाद का नाम दे दिया जबकि होना ये चाहिए था की पराई अमानत को हाथ नहीं लगाना था हमने थोडा बहुत वहा से लिया और जमीन को पहले जैसे की तरह कर दिया और वापिस घर आ गये

अब रात को नींद आये न दिन को करार आँखों में बस कुछ था तो वो खजाना , कुछ दिन बीते और फिर मैंने और तुम्हारे पिता ने ये सोचा को हो ना हो वो खजाना हमारे लिए ही है तो हम लोगो ने करीब आधा वहा से निकाल लिया और आधा आधा कर लिया अब हमारा तो भाइयो जैसा प्यार था तो धोके या औरकोई बात तो थी ही नहीं
मैं- फिर 

काका- बेटा उसके बाद कुछ दिन बीते हमने पता किया की वो जमीन किसकी है कोई पुराना जमींदार था उसकी औलाद सहर में बस गयी थी तो अब जमीन बस खाली थी तो लोगो से उनका पता लिया और हम गए शहर तुम्हारे पिताजी ने वो जमीन खरीद ली तारबंदी करवाई कब्ज़ा ले लिया पैसा आया तो फिर हमारे पाँव जमीन पर टिक नहीं रहे थे और कुछ दिनों में तुम्हारे घर में उठा पटक शुरू हो गयी 

मैं समझ गया वो किस बारे में बात कर रहे थे 

काका-उसके बाद तुम्हारे पिता थोड़ी टेंशन में रहने लगे थे कुछ दिनों बाद मैंने जिक्र किया की बाकि खजाना भी वहा से निकाल लिया जाये मुझे डर था की कही किसी को पता चल गया तो कोई हाथ साफ़ न कर दे, पर तुम्हारे पिताजी ने कहा की वो एक बार घर के हालात सुलझा ले उसके बाद वो काम करेंगे तो बात आई गयी हो गयी पर हमे पैसा पच नहीं रहा था अब देव, हम भी इंसान ही थे कुछ गलत कामो में हमने प खर्च किया सब ठीक ही चल रहा था पर कुछ चीजों को लेकर हमारी परेशानिया बढ़ने लगी थी 


ऊपर से चुनाव आ गया तुम्हारे पिता ने सोचा की बिमला अगर सरपंच बन जाये तो उसका दिमाग बाहर उलझा रहे गा और घर की समाश्या कुछ हद तक काबू में आएगी तो बिमला हमारी कैंडिडेट हो गयी उसके बाद सब ठीक ही था पर एक दिन मेरा एक्सीडेंट हो गया तुम्हे तो पता ही है बड़ी मुस्किल से जान बची ,कुछ समय बाद तुम्हारे परिवार का भी एक्सीडेंट हो गया और फिर तुम भी गायब हो गए सब तबाह हो गया था मैं बेबस बिस्तर पर पड़ा था तुम्हारे पिता के जाने के बाद जैसे मेरा तो एक बाजु ही टूट गया था 


जैसे तैसे करके मैं खड़ा हुआ पर मुझे पल तुम्हारा ख्याल था आखिर मेरे दोस्त की बची निशानी तुम ही तो थे मैंने पूरा जोर लगाया पर तुम्हारा कुछ नहीं पता चला तो मैंने किस्मत से समझौता कर लिया इस बीच मुझे खजाने का ध्यान आया तो मैं वहा गया पर जो देखा मैं तो बेहोश हो गया था जब होश आया तो रोने लगा मैं जैसे लुट गया हु कुवा खाली पड़ा था कोई हाथ साफ़ कर गया था अब क्या किआ जा सकता था किसी ने ठग लिया था पर फिर जो था उस से ही सब्र कर लिया 


मैं- काका आपको किसी पे शक 


काका- कोई नहीं बेटा 


मैं- काका आपकी या पिताजी की किसी से कोई दुश्मनी 

वो- नहीं 

मैं- काका ऐसी कोई बात जो शायद आप छुपा रहे हो 


काका- बेटा, मैंने कहा न अक्सर लोगो से गलति हो जाती है मुझे लगता है जितना भी मुझे पता था तुम्हे बता चूका हु 

मैं- काका क्या आपको वहा पर नोट भी मिले थे 

काका- नहीं, खाजाना बहुत पुराने समय का होगा तो नोट कैसे होते 

अब एक सवाल ये भी खड़ा हो गया था की पिताजी ने चाचा को नोट दिए थे अब कैश कहा से आया मैंने अपनी तरफ से पूरा जोर दिया पर काका ने उसके बाद सख्ती से उस बारे में बात करने को मन कर दिया तो हार के मुझे वापिस आना पड़ा तभी मुझे ख्याल 

आया और मैंने गाड़ी को बिमला की कोठी की तरफ मोड़ थी अन्दर गया घर शानदार बनाया था मुझे देखते ही वो खुश हो गयी 
मैंने वो बिस्कुट उसको दिया और पुछा क्या जानती हो इसके बारे में 

वो- बस इतना की चाचा जी ने मुझे रकम और काफी सोना दिया था 

मैं- कितनी रकम 

वो- करीब दो करोड़ 

बिमला- देव, जो भी मेरे पास है उसका आधा तुम्हारा है तुम कभी भी अपना हिस्सा ले सकते हो 

मैं- मुझे नहीं चाहिए जब पिताजी ने आपको दिया तो आप ही रखो मैं बस ये चाहता हु की अगर इसके बारे में कुछ पता है तो बता दो 

वो- बस इतनाही पता है 

अब सोचने वाली बात ये थी की जब पिताजी ने सबका बंटवारा उस खजाने से किया थातो मेरा हिस्सा भी कही रखा होगा 

मैं- रतिया काका क बारे में क्या ख्याल है 

वो- घटिया इंसान है एक नंबर का लुम्पत हरामी है अपनी जमीन दबा राखी है उसने , उसके आलावा एक नंबर का रसिया है गाँव की कई औरतो का शोषण कर चूका है पैसे के जोर पे देव, वो मीठी छुरी है उस से दूर रहो 

मैं- मैं किसी पर विस्वास नहीं करता किसी पर नहीं तुम पर भी नहीं 


वो- मत करो पर तुम मेरा परिवार हो मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी 


उसके बाद मैं वहा से आ गया दिमाग का धी हुआ पड़ा था पर इन सब के बीच एक बात ठीक हुई थी की कम से कम ये तो पता चल गया था की सोने का राज़ क्या है पर एक बात और थी की सोने के आलावा पिताजी ने बिमला और चाचा को मोटी रकम दी थी अब वो कहा से आई अब यहाँ से दो बाते थी या तो पिताजी ने सोना बेचा था या फिर ऐसे ही कहीं से पैसो का भी कुछ लोचा था , सोना बेचना वो भी मेरे छोटे से सहर में उन दिनों वो भी करोडो का बात हजम होने वाली थी नहीं बाकि होने को तो कुछ भी हो सकता था 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:55 PM

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