Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:52 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
आँखे जब खुली तो अजीब से हालात थे ये वो कमरा नहीं था जहाँ मैं और पूजा थे ये कोई और जगह थी हलकी सी रौशनी थी मैंने खुद को एक कुर्सी पे बंधे पाया और ताज्जुब की बात बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था उठने की कोशिश की पर उठ ना पाया सर भारी सा हो रहा था 

ये तो अजीब समस्या हुई जल्दी ही मैं समझ गया था कि मामला तो गड़बड़ है पूजा ने मारली थी हमारी वो भी बुरी तरह से पर अब किया क्या जाए यहाँ से निकलना बहुत जरुरी था खेल शुरू हो गया था पर निकलू कैसे पूरा जायजा लिया पर कोई दिखा नहीं रस्सी भी मजबूत बंधी थी खींचा तानी में हाथ और छिल गया 

चूतिया कट गया था वो भी बड़ा वाला मैं सोचने लगा की कैसे अब निपटा जाए वैसे ऐसा लग नहीं रहा था कि मेरे अलावा और कोई भी है वहां पे कई देर सोचा की ये मीठी गोली किसने चूसा दी पूजा को मुझसे खुंदक तो थी पर ये पक्का था कि इसमें कोई और भी मिला हुआ है 

पर कोई दिख ही न रहा था यहाँ पर सब कुछ शांत पड़ा हुआ था तक़रीबन दो घंटे बाद किसी के आने की आहट हुई तो मैं चौकन्ना हो गया ये पूजा ही थी वो आकार पास पड़ी कुर्सी पे बैठ गयी

मैं- पूजा ये सब क्या है और हम लोग यहाँ कैसे आये 

पूजा-बात बहुत करते हो तुम अब तक तुम्हे समझ जाना चाहिए था कि अपहरण हो गया है तुम्हारा 

मुझे हंसी आ गयी- मैं पर क्यों मेरे पास तो ऐसी कोई धन माया भी नहीं ना मैं सेठ साहूकार 

पूजा-बस्ती के कागज़ कहाँ है 

मैं-ओह तो अब समझा वैसे तुम्हारी जगह ये सवाल किसी और को पूछना चाहिए था

वो-पहले मुझ से तो बात कर लो

मैं- कागजात को भूल जा तू 

वो- देखो सीधे से कागजात दे दो वार्ना हम बहुत कुछ कर सकते है तुम यहाँ कैद हो और अगर एक घंटे के अंदर तुमने कागजात न दिए तो तुम्हारी जान पिस्ता के साथ कुछ भी हो सकता है 

मैं-जुबान को लगाम दे पूजा 

वो-दुखती रग पे हाथ रखा तो तड़प उठा सोच जब पिस्ता की चीखें सुनेगा तो क्या हाल होगा तेरा 

मैं-कितने में बिकी,

वो- तू क्या जानेगा मेरी कीमत 

मैं-सही कहा तेरी जैसी रांड की क्या कीमत होगी 


पूजा को गुस्सा आ गया उसने एक लात मारी मेरे पेट में बड़ी जोर से लगी 

वो-डॉक्यूमेंट कहा है

मैं-तेरी गांड में है 

पूजा को और गुस्सा आया एक मुक्का पड़ा मुह पर इस बार मुझे अपनी फ़िक्र नहीं थी पर पिस्ता की परवाह थी और मैं ये भी जानता था कि ये लोग कुछ भी कर सकते है पर कागजात भी तो नहीं दे सकता था 

कुछ देर एक शांति छाई रही फिर मैंने कहा - एक फ़ोन करना है

वो-ना 

मैं-फिर डॉक्यूमेंट कैसे दूंगा 

वो-तुम बस बता दो मैं अपने आप मंगवा लुंगी

मैं- डॉक्यूमेंट चाहिए तो फ़ोन करने दे 

पूजा-देख मेरे पास टाइम नहीं है तेरी बकवास सुनने का लगता है तुझे हकीकत समझाँनी पड़ेगी उसने फ़ोन मिलाया और मेरे कान पे लगा दिया अगले ही पल मैंने पिस्ता की चीख सुनी 

मेरी आँखों में लहू उतरने लगा गुस्से से नथुने फूलने लगे , अगर पिस्ता को कुछ भी हुआ तो ध्यान रखना उसका हर एक ज़ख्म का हिसाब तुझे देना होगा 

वो- बोल तुझे क्या चाहिए तेरी रांड या फिर वो कागज़ सोच ले और जल्दी बता 

मैं- गाज़ी से मिलना है मुझे अभी 

वो-इतनी भी क्या जल्दी मौत के दीदार करने की चिंता मत कर मरने से पहले तू जरूर मिलेगा पर लगता है 

तुझे पिस्ता की कोई परवाह नहीं है 

मैं-ठीक है कागजात तुम्हे मिल जायेंगे 

वो-जल्दी पता बता 

मैं- कागजात अभी मिल जायेंगे पर तुझे एक काम करना होगा 

वो-क्या 

मैं-एक बार देनी होगी तेरी मारने में मजा आया बहुत तो फिर से दिल कर रहा है

वो-क्या समझा है तुझे क्या लगता है इस बहाने से मैं तुझे खोल दूंगी 

मैं- मत खोल बस ऐसे में मेरी गोद में चढ़के चुद लेना अब फैसला तेरा है रही बात पिस्ता की तो कल मरती आज मरे मुझे क्या और अगर तू सोचे की उसको मार पीट के डाक्यूमेंट्स ले लेगी तो तुझे पता ही है

पूजा- ठीक है पर इस हाथ ले इस हाथ दे 

मैं- ठीक है तो मेरे साथ चल 

वो-तुझे आज़ाद करने का रिस्क मैं नहीं ले सकती 

मैं-रिस्क कैसा पिस्ता तुम्हारी कैद में है ही तुम्हे भी पता है मुझे तो झुकना पड़ेगा ही अब सारे फैसले तुम्हारे है चाहे जो चुन लो 

वो- ठीक है पर चलने से पहले मैं यही करुँगी तुम्हारी कैद की हालत में ही वो क्या हैं ना जबसे तुमसे करवाया है साला चैन ही नहीं मिल रहा हैं अब मैंने जाना की मेरी दोनों भाभिया तुम्हारी दीवानी क्यों हैं 

मैं – ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी 

पूजा ने अपने कपडे उतारे उसका मस्ताना बदन मेरी आँखों के आगे घुमने लगा पर इस समय मेरा दिमाग सेक्स से ज्यादा कहीं और घूम रहा था मैं कुछ भी करके इस कैद से आज़ाद होना चाहता था क्योंकि अब मुझे वो करना था जिसे करने मैं यहां आया था पूजा अपने होंठो को काटते हुए मेरे लंड की तरफ देख रही थी जो उसकी नशीली गांड को देख कर खड़ा होने लगा था इठलाती हुए वो मेरे पास आई उसने मेरे गाल पे हलके से चूमा उसकी महकती साँसे किसी को भी मदहोश कर सकती थी जल्दी ही पूजा अपने घुटनों के बल फर्श पर बैठी हुई थी और मेरे लंड से खेल रही थी 
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12-29-2018, 02:52 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
खेल की खिलाडी बेशक वो थी इस समय पर खेल को ख़तम मुझे करना था पूजा मेरे लंड को अपने मुह में गोल गोल घुमा रही थी मेरे बदन में सनसनाहट फ़ैल रही थी मेरे सुपाडे पर उसकी जीभ का जादू चलने लगा था कुछ पलो के लिए मैं उन्माद में खोता चला गया “ओह पूजा हाय आः आह्ह्ह ” उसे पता था की मैं तड़प ने लगा हु तो वो और जोर से लंड चूसने लगी पर येसमय इस चीज़ के लिए नहीं था 

मैं- पूजा जल्दी करो 

पूजा ने अपनी चूत पर थूक लगाया और मेरे लंड पे बैठने लगी अब सिचुएशन चाहे जो भी हो चुदाई तो चुदाई ही होती है एक बार जो उसकी गरम चूत का मजा मिला मैं अपनी सुध बुध खोलने लगा पूजा के मुह से आहे निकल रही थी और जल्दी ही वो जोर जोर से कूदने लगी कुर्सी के पाए चरमराने लगे थे वो हमारे बोझ से कराहने लगी थी पर पूजा सेक्स की खुमारी में डूब चुकी थी वो अपने दोनों हाथ मेरे कंधो पर रखे अपने चूतडो का पूरा जोर लगाते हुए धक्के लगा रही थी कुर्सी के पाए अब जैसे उस फर्श पर कांप रहे थे और वो कमजोर कुर्सी जैसे तैसे करके हमारे बोझ को थामे हुए थी वो ज्यादा देर झेल नहीं पाई और धडाम से हम दोनों निचे फर्श पर गिर पड़े

निचे गिरते ही कुर्सी टूट गयी और मेरे बंधन आज़ाद हो गयी पूजा इस से पहले कुछ समझ पाती मैंने मेरे हाथ से बंधे कुर्सी के हत्थे से उस पर वार किया पूजा लहरा कर गिरी और बेहोश होती चली गयी अब मुझे यहाँ से निकलना था पर मैं नंगा था तो कैसे मैं दुसरे कमरे में आया तो मुझे कपडे मिल गए फिर मैंने बेहोश पूजा को गाड़ी में लादा और वहां से निकल गया मैंने गाडी को पूरी रफ़्तार से दौड़ा दिया मेरे दिमाग में सिर्फ और सिर्फ पिस्ता ही घूम रही थी और उसके लिए मैं कुछ भी कर सकता था 


मैंने पूजा के फ़ोन से नीनू को फ़ोन किया तो वो घबराई सी थी पूछने पर पता चला की आर्यन का किडनैप हो गया है ये खबर किसी शोक से कम नहीं थी अब आर्यन को कोई क्यों किडनैप करेगा मैंने नीनू को समझाया की वो घबराये ना मैं कुछ ही देर में कोतवाली पहुच जाऊंगा फिर देखते है पिस्ता के बाद आर्यन कोई तो बात थी खेल शुरू हो गया था बस इस खेल में ट्रोफियो की जगह जिन्दगिया दांव पे लगी थी तभी मेरे दिमाग के कुछ आया और मैंने माधुरी के फ़ोन पर घंटी लगाई पर ताज्जुब की बात उसने भी फ़ोन नहीं उठाया 


मेरा दिमाग सुन्न होने लगा था सामने वाले ने अपनी चाल चल दी थी मेरे मन में विचारो का मेला लगा था मैं सच से भागता आया था पर आज सच से सामना करना ही था और अब मुझे कमजोर नहीं पड़ना था अपनों की जिंदगी दांव पर जो लगी थी रस्ते में एक जगह मैंने गाडी रोकी कुछ जरुरी फ़ोन किये उधर से कुछ जवाब लिए और अब ये दिलवाला तैयार था मैंने गाडी कोतवाली की तरफ मोड़ दी थोड़ी देर बाद chrrrrrrrrrrrrrrr करके गाड़ी ने ब्रेक मारे और मैं उतरते ही भगा अन्दर की और 


पुलिसवालों के हाथ अपने आप सलूट मारने को उठ रहे थे पर मुझे उनकी कोई परवाह नहीं थी मैंने दो कोरिडोर पार किये और फिर सीधे अन्दर पहुच गया मुझे यु वर्दी में देख कर चौंक गयी उसका ही क्या वहां मोजूद हर पुलिसवाले का यही हाल था एक तो आर्यन की वजह से नीनू बेहद परेशान थी ऊपर से मैंने उसको 440 वाल्ट का झटका दे दिया था , कुछ देर वो भोचक्की सी मुझे देखती रही और फिर मेरे सीने से आ लगी रोने लगी वो. बोली- वो लोग आर्यन को उठा के ले गए 

मैं- फिकर मत करो गाजी का समय पूरा हो गया है , फाॅर्स को आर्डर दो तैयार करो सबको मुझे सब लोग दस मिनट में चाहिए 

नीनु- यस सर, 

नेनू ने मुझे अजीब सी नजरो से देखा और फिर तेजी से बाहर चली गयी आर्यन को किडनैप करना नहीं चाहिये था उसको माना पिस्ता वाला लॉजिक समझ आता था पर आर्यन को क्यों शायद गाजी को मेरे और नीनू के अतीत का पता चल गया हो किसी तरह से पर इक बात और थी की पिस्ता को किडनैप करते ही उन्होंने मुझे बता दिया था फिर आर्यन का जीकर क्यों नहीं किया कुछ तो गड़बड़ थी कोई तो बात थी ही जिसे मेरा पुलिसिया दिमाग समझ नहीं पा रहा था समय बड़ी तेजी से भाग रहा था पर मुझे कुछ सूख नहीं रहा था क्या इस बारे में नेनू से बात करनी चाहिए थी शायद हाँ शायद ना 


जब कुछ नहीं सुझा तो मैंने इस खायाल को अपने जेहन से झटक दिया और बहार आ गया मेरी टीम अपने नए एस पी के लिए तैयार थी अब इस सहर में बदनाम दिलवाला था वो एस पी के रूप में बात कुछ जमने वाली तो थी नहीं और मेरे पास इतनी फुर्सत नहीं थी की बता सकू हाँ पर आज इतना जरुर था की इस सहर से कुछ लोगो का नाम जरुर मिट जाना था जल्दी ही पालिक की कई गाडिया गाजी की हवेली की और दौड़ रही थी नीनू मेरे पास ही बैठी थी थी 

मैं- घबराओ मत, आर्यन को कुछ नहीं होगा 

वो- जानती हु 

उसके माथे से पसीना टपक रहां था ऐसा लग रहा था की अन्दर से बहुत घबराई सी सी थी वो मैं उसके दिल का हाल समझ सकता था था जिसका बेटा मुसीबत में हो उस माँ को कैसे चैन मिल सकता है कुछ देर गाडी में एक चुप्पी छाई रही फिर नीनू बोली- एक बात बोलनी थी 

मैं- हाँ कहो 

वो- वो , वो .............................. 

मैं- वो क्या 

वो- आर्यन को कुछ नहीं होना चाहिये चाहे कुछ भी हो जाये 

मैं- जान देके भी उसकी हिफाज़त करूँगा तुम्हारा बेटा मेरा भी बेटे जैसा ही हुआ ना तुम टेंशन मत लो जिगर मजबूत रखो 

वो- बस उसको कुछ नहीं होना चाहिए 

मैं- कुछ नहीं होगा 

वो- वो अमानत है तुम्हारी ये बोलके वो खामोश हो गयी 

मैं उसके चेहरे को देखने लगा एक टक , क्या कहा तुमने 

वो- जो तुमने सुना , आर्यन मेरा बेटा नहीं है वो अमानत है तुम्हारी जिसे मैं सहेज रही थी 

मैं- मेरा बेटा, पर कैसे 

वो- कभी उसकी आँखे देखि गौर से तुमने मैंने सोचा था उसको देखते ही समझ जाओगे तुम 
अब मेरा कलेजा कामपा , वो आँखे जब पहली बार आर्यन को देखा था तो लगा तो था मुझे जैसे की कोई जान पहचान हो उन आँखों से इस से पहले की मैं कुछ कह पाता
इस से पहले की मैं कुछ कह पाता नीनू मेरे सीने से लग गयी और फूट फूट के रोने लगी ना जाने क्यों मैंने उसको चुप नहीं करवाया पर वर्दी वाली को यु आंसू बहाना भी ठीक नहीं था पर ये हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे अन्दर से मैं टूट रहा था पर फ़र्ज़ की बेडियो ने पाँवो को बाँध रखा था अपने द्वन्द से तो बाद में झुझता पहले गाजी की खबर लेनी थी अपने को संभालना ही था पर आसां नहीं था जिंदगी के एक ऐसे मोड़ पर आ खड़ा हुआ था मैं की दिमाग के जैसे टुकड़े टुकड़े हो गए थे 

तो एक बार फिर मैंने खुद पे फर्ज़ को तवज्जो दी, जिस काम के लिए इस शहर में आया था वक़्त आ गया था उसे मुक्कमल करने का पर शायद मेरे पैर कांप रहे थे ऐसा लग रहा था की जैसे किसी ने मुझे टुकडो में बाँट लिया हो साला जिंदगी में जो मिला वो ऐसा ही मिला कभी दो घडी सुख की साँस ना मिली सच कहू तो जी तो मैं माँ-बाप के राज में ही लिया था अब तो बस टाइमपास ही हो रहा था विचारो का चक्रवात मेरे सीने को ऐसे मथ रहा था जैसे की कभी समुद्मंथान हुआ था 

पता ही नहीं चला की कब शहर को पीछे छोड़ कर हम लोग गाजी की हवेली के पास आ पहुचे थे , गाड़ी से उतरते ही एक पुलिसवाला मुझ पर हावी होने लगा गाजी की हवेली सहर से बाहर की तरफ थी सच कहू तो वो बड़ा ही दिलकश सा नजारा था एक तरफ पहाड़ थे दूसरी तरफ घने जंगल और साथ बहती एक नदी और उनके बीच बड़ी शान से अकदते हुए वो विशाल हवेली पर जल्दी ही मैंने अपना ध्यान काम पे लगाया अब ऐसा तो था नहीं की गाजी को हमारे आने की खबर न हो उसने भी अपनी पूरी तयारी की होगी 

इस से पहले की मैं अपनी टीम के साथ आगे बढ़ पता हवेली की छत से माइक की आवाज आई –“sp,सबकी सलामती चाहता है तो अकेला अन्दर आजा 5 मिनट का समय है अगर तू अकेला अन्दर नहीं आया तो सबसे पहले तेरी प्यारी बहन माधुरी की चीखे सुनेगा तु”

मेरा तो दिमाग ही घूम गया माधुरी को भी इन्होने अगवा कर लिया था , ओह तो तभी उसने मेरा फ़ोन नहीं उठाया था गाजी ने बड़ी तगड़ी चोट मारी थी नीनू भी टेंशन में आ गयी थी पर माधुरी को तो सिक्यूरिटी थी मेरी फिर कैसे ? ये भगवन आज तो फंसा दिया तूने जिन जिन की अहमियत थी मेरे लिए वो सब तो गाजी के कब्ज़े में थे इस से पहले की मैं कुछ सोचता माइक पर माधुरी की चीख गूंजी “”भाई” अआह्ह बचाओ 
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12-29-2018, 02:52 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
ये बंधन सबसे बढ़के था मेरे लिए इसकी आन तो रखनी ही थी , मैंने नीनू को कुछ समझाया और चल पड़ा हवेली की ओर गीदड़ो ने शेर को फंसने के लिए जाल बिछा लिया था हवेली में दाखिल होते ही मैंने देखा हर तरफ बस उसके ही आदमी थे चप्पे चप्पे पर जैसे की कोई छावनी ही बना दिया हो उस जगह को मैं धीमे कदमो से बढ़ते हुए अन्दर मैंदान तक गया और वाही पर किसी राजा की तरह बैठा था वो ठेठ राजस्थानी लिबास में उम्र कोई ५५-६० लम्बा तंदरुस्त गंजा सर हाथो में चांदी के कड़े , हमारी नजरे मिली उसकी आँखों में बरफ सी ठंडक देखि मैंने 

गाजी- आओ, दिलवाले, आओ, बड़ा इंतजार करवाया तुमने आँखे तरस गयी दीदार को 

मैं- गाजी, मामला हम दोनों के बीच का है इनका इसमें कोई लेना देना नहीं इनको जाने दे 

वो- लेना देना कैसे नहीं , एक तेरी रखैल, एक तेरा बेटा और एक तेरी बहन , बहन जिसके लिए तूने हमारे दिल के टुकड़े का कतल कर दिया खून के आंसू रुलाया हमको 

मैं- गलती तेरे पोते की थी तू भी जानता है 

वो- क्या गलती थी दिल ही तो आया था क्या होता थोडा मजा कर लेता 

मैं- जुबान को लगाम दे गाजी 

वो- ओह ओह , गुस्सा उफ्फ्फ ये गुस्सा ही तो तेरा देखना था अभी तो बस बोला ही और तू बिफर उठा जरा सोच मुझे कितना सुकून पहुचेगा जब मेरे ये पालतू कुत्ते तेरी आँखों के सामने इस लड़की को नोच खायेंगे आज तुझे पता चलेगा की गाजी का कहर जब टूटता है तो क्या होता है इसके लिए तूने हमसे दुश्मनी मोल ली आज देख तेरी बहन की इज्जत कैसे तार तार होती है ,लाओ रे लोंडिया को उसका हुकम होते ही कुछ लोग माधुरी को वही ली आये रो रोकर उसका बुरा हाल था 

मैं- गाजी,तूने बहुत गलत किया है मैं अब भी कहता हु इनको जाने दे वर्ना तुझे आज अफ़सोस होगा जितने आंसू मेरी बहन की आँखों से गिरेंगे उतने ही टुकड़े तेरे करूँगा 

वो- यार, फिल्मे बहुत देखता है य तो , जरा खातिर दारी तो करो मेहमान की और हां याद रखना अगर तूने हाथ उठाया तो इनकी जिन्दगी का क्या होगा फैसला कर ले 

मैं उसकी चाल में बुरी तरह फंसा हुआ था मज़बूरी थी तो मार खाने लगा कोहनी छिल गयी होंठ कट गया नकसीर निकल आई पर पिटता रहा जब घुटने जवाब देने लग तो गाजी ने उनको रोक दिया मैं जमीं पर गिर गया 

गाजी- अरे, तू तो अभी से गिर गया , खेल तो शुरू भी ना हुआ , खेला तो अब शुरू होगा जरा हम भी तो देखे की जिस लड़की के लिए हमारा जिगर का टुकड़ा मारा गया वो हुस्न कैसा है गाजी माधुरी की तरफ बढ़ने लगा 

माधुरी जोरो से चीखने लगी पुकारे मुझ को , गाजी ने उसका दुपट्टा खीचा और सूट को फाड़ दिया मेरी आँखों से आंसू छलकने लगे माधुरी उसकी बाहों में तदप रही थी 

गाजी- देखो रे भैया जी तो धरती चाट रहे है , पानी डालो रे इस पर कही बेहोश न हो जाये इसको होश में रखना है इसको दिखाना है की दर्द असल में होता क्या है 

तुरंत ही उसके हुक्म की तामिल हुई और इसी के साथ उसने माधुरी की ब्रा को फाड़ दिया मेरी आँखों में सामने मेरी बहन अधनंगी खड़ी रो रही थी मेरा कलेजा चिर गया और उसी पल मैंने फैसला कर लिया मैं उठ खड़ा हुआ और पलक झपकते ही मेरे पास खड़े गुंडे की गन मेरे हाथ में थी इस से पहले की वहा लोगो को कुछ समझ आता लोगो की लाशे गिरने लगी चारो तारा फायरिंग की आवाज गूंजने लगी गाजी की आँखे फटी रह गयी और वो कुछ करता इस से पहले ही वो मैदान धुए से भर गया नीनू ने अपना काम कर दिया था 

स्मोक बम का धुआ पूरी हवेली में घुल गया था इस से मुझे पूरा फायदा मिला मैं भगा गाजी की तरफ पर वो जैसे गायब ही हो गया था मैंने माधुरी को संभाला अपनी शर्ट से उसके बदन को ढका इधर नीनू ने मोर्चा संभाल लिया था फ़ोर्स के साथ और फायरिंग के बीच से बचते हुए मैं गाजी को ढूंढने लगा रस्ते में आते गुंडों को बिछाता हुआ मैं हवेली की उपरी मंजिल पर पहुच गया था यहाँ से मुझे पूरा नजारा दिख रहा था धुआ अब छांटने लगा था जबरदस्त फायरिंग चल रही थी गाजी ने भी जैसे गुंडों की फौज हो बना राखी थी पर आज बस यहाँ लाशो के ढेर लगने वाले थे
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12-29-2018, 02:52 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
चारो तरफ धुंआ फैला हुआ था गोलियों का शोर था इन सब के बीच मैं यहाँ से वहाँ ऊपर के फ्लोर को छान रहा था पर गाज़ी पता नहीं कहाँ गायब ही हो गया था जमीं खा गयी या आसमान निगल गया आपा धापी में मैं नीचे आया नीनू ने बताया कि पिस्ता को रेस्क़ु कर लिया गया है पर आर्यन का कोई पता नहीं चल रहा है , ये हमारे लिए बहुत ही चिंताजनक था नीनू की हालत बहुत खस्ता हो गयी थी बुरी तरह थक सी गयी थी पर आँखों में फ़िक्र थी मैं उसे दिलासा दे रहा था कि तभी जैसे जमीं फट पड़ी
बम सा ही फुट पड़ा था हम लोग पीछे को फिंके गए आँखों के आगे अँधेरी छा गयी जैसे तैसे करके मैंने अपने होश काबू किये तो देखा नीनू मेरे पास ही बेहोश पड़ी थी मेरा जी घबराया दौड़ के उसके पास गया थपथपाया पर होश नहीं आया इधर एक के बाद एक धमाके हुए जा रहे थे हवेली के कई हिस्से मलबे के ढेर में तब्दील होते जा रहे थे इधर नीनू बेहोश पड़ी थी मैंने एक ऑफिसर को नीनू को सँभालने को कहा और स्तिथि का आकलन करने लगा अब अपने जवानों की सुरक्षा भी मेरी जिम्मेदारी थी 

तो संभाला मोर्चा, आर्यन दिमाग में था और जब तक वो गाज़ी के पास था उसका पलड़ा तो मजबूत था ही पर अभी तक मुझे पता नहीं था कि वो क्या करने वाला है क्या चल रहा है उसके मन में और साला दिख भी तो नहीं रहा था कही पर , धीरे धीरे करके उसके गुंडों की संख्या कम होती जा रही थी तो सिचुएशन काबू में लग रही थी की तभी जैसे जलजला सा आ गया 

बड़े ही हैरतंगेज़ ढंग से हवेली का आँगन जैसे दो टुकड़ों में बंट गया और उसकी जगह एक तालाब सा उभर आया आज से पहले ऐसा बस फिल्मो में ही देखा था गाज़ी के जलवे भी जबरदस्त थे पर अगले ही पल जो देखा रीढ़ की हड्डी में कंपन चालू हो गया पसीना बह चला कनपटियों से उस तालाब में ढेरों मगरमछ तैर रहे थे उनकी आवाजे जैसे कानो को ही फोड़ डालती

पर जिस चीज़ पर मेरी नजर नहीं गयी थी वो था वो खंबा जो तालाब के बीचों बीच था और आर्यन को उसी पर बांध दिया गया था और पल पल वो खंबा धीरे धीरे नीचे जमीं में धंस रहा था , मतलब साफ था कि एक समय वो पूरी तरह से धंस जाना था और आर्यन का काम तमाम कर देते मगरमच्छ ये बहुत बड़ी समस्या हो गयी थी आर्यन के मुह पर टेप चिपकी थी वो बेचारा तो चिल्ला भी नहीं सकता था खंबा पल पल नीचे हो रहा था पर आर्यन की जान इतनी भी सस्ती नहीं थी

पिस्ता मेरे पास आई हालात की गंभीरता को समझ रही थी उसने मेरा हाथ टाइट पकड़ा और बोली-कुछ करो 
मैं अब क्या कहता कुछ सूझ ही नहीं रहा था और तभी मैंने देखा की एक रस्सी उस खंबे के बुर्ज पर आकर अटैक गयी थी वो माधुरी थी उसने उस रस्सी को अपनी तरफ बाँधा मैं पल में ही उसकी योजना को समझ गया था वाह क्या दिमाग लड़ाया था उसने इस से पहले मैं कुछ करता पिस्ता तेजी से भागी दूसरी तरफ और उसने भी वैसा ही किया जैसा माधुरी ने किया था इस से खंबा धंसने से रोकने का थोड़ा समय मिल गया था अब इसी समय में आर्यन को बचाने के लिए कुछ करना था 



गाज़ी ये देखकर बौरा गया और उन रस्सियों की तरफ भगा मैं भी लपका उसकी तरफ इधर माधुरी उस रस्सी पर लटक चुकी थी और आर्यन की तरफ बढ़ रही थी ये तो सरासर ख़ुदकुशी थी मैंने चिल्ला कर उसको मना किया तो पिस्ता बोली गाज़ी को पकड़ो मैं फिर से दौड़ा गाज़ी रस्सी को काटने की कोशिश कर रहा था मुझे देख कर वो रुक गया बोला- तू लाख कोशिश कर ले उसको नहीं बचा पायेगा खून का बदला खून ही होगा जब तेरा बच्चा तेरी आँखों के सामने दम तोड़ेगा तब तू जानेगा की पीड़ा क्या होती है 

मैं- गाज़ी तेरे पोते ने गलती की , और उसका कातिल मैं नहीं तू खुद है काश तूने उसको अच्छा इंसान बनने की तालीम दी होती 
गाज़ी- वो सब मुझे नही पता बस खून का बदला खून 

मैं- आर्यन के लिए मौत से भी लड़ जाऊंगा 

गाज़ी- तो आजा फिर अब हम में से एक की मौत ही उसकी जिंदगी का फैसला करेगी 

मैं- आजा फिर देखते है 

दो पागल सांड एक दूसरे के सामने आ डटे थे मुकाबला सीधा था या तो इस पर या उस पार मेरे लिए तो वैसे भी गाज़ी को उलझाये रखना बेहद जरुरी था ताकि माधुरी अपनी कोशिश कर सके , इधर उलझ गए थे हम दोनों और उसका एक हाथ पड़ते ही मैं जान गया था कि उस से पार पाना मुश्किल होगी वो एक दमदार पठान था मैंने अपना वार किया पर वो बचा गया और नीचे झुकते हुई मुझे उठा कर पटका ऐसा लगा की किसी छोटे ट्रक ने टक्कर मार दी हो हड्डिया तड़तड़ा गयी 

एक पल को चक्कर सा आ गया इस से पहले मैं संभाल पता एक लात जो मारी उसने पसलियों में तो मैं घिसटता चला गया खांसी उठ गयी 

उठ साले बोला वो 

मैं उठा आँखों को साफ़ किया वो लपका मेरी तरफ पर इस बार मैं चौकन्ना था उसका ही दांव लगा मारा गाज़ी पास पड़े मलबे पर जा गिरा पर जल्दी ही खड़ा हो गया उसने पास पड़ी लकड़ी उठाई और मेरे पैरों पे दे मारी मैं गिरा मेरे गिरते ही वो चढ़ गया मुझ पर और मेरी गर्दन को अपने हाथों में जकड लिया उसकी लोहे जैसी उंगलियों ने अपना दवाब बढ़ाया मेरी सांसे रुकने लगी दम फूलने लगा जितना मैं छटपटाता उतना ही वो जोर लागए मैं पूरी कोशिश कर रहा था पर जोर चल नहीं रहा था 

सांसे बगावत पर ही उत्तर आयी थी और मैंने अपनी सारी शक्ति को इकठ्ठा किया और गाज़ी को लिए लिए ही उठ गया और लड़खड़ाते हुए कदमो से जा टकराया दिवार पे गाज़ी की पकड़ खुल गयी, और मैंने मारी एक लात उसके घुटने पर वो बिलबिलाया और उसी पल मैंने उसके मुह पर मुक्का मारा पर वो भी कम नहीं था जोर आजमाइश चल रही थी और इसी में मैं रेलिंग से जा टकराया और बाहर जो मैंने देखा टेंशन और बढ़ गयी

मैंने देखा की माधुरी खम्बे तक पहुच गयी है और आर्यन को खोलने की कोशिश कर रही है किसी नागिन की तरह वो रस्सी से लिपटी हुई अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रही थी पर अगर एक चुक भी हुई तो आर्यन और वो दोनों को सिर्फ मौत मिलती अब कुछ बस ऊपर वाले के रहमो करम पर था , इधर मैं और गाजी अब लड़ते लड़ते रेलिंग पर आ गए थे मैं जल्दी से जल्दी गाजी को रस्ते से हटाना चाहता था पर वो एक बड़ी मुसीबत बना हुआ था और मैं चारो तरफ से उलझा हुआ था 

दो पल के लिए ही मेरा ध्यान माधुरी पर गया और गाजी ने एक ईंट दे मारी सर पे , सर फूट गया खून रिसने लगा मैंने टटोल का देखा ज़ख्म गहरा नहीं था पर दर्द बहुत हो रहा था मैंने वो ही ईंट वापिस फेकी उसकी और पर वो वार बचा गया वो दोडा मेरी और मैं पीछे को सरका गाजी जैसे ही मेरी और लपका मैंने एक दम से उसके रस्ते से हट गया और गाजी रेलिंग से होते हुए निचे को गिरा उसके गिरते ही मैं भी भागते हुए निचे आया गाजी में अभी भी जान बाकी थी मैंने साथी पुलिस वालो को कहा की मर गया तो ठीक नहीं तो मार देना साले को नीनू होश में आ चुकी थी कुछ साथी लोग भी मदद कर रहे थे 
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12-29-2018, 02:53 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
सबकी सांसे रुकी हुई थी , निगाहे बस माधुरी की और ही लगी थी मैं आगे आया निचे सारे मगरमच्छ जैसे इंतजार ही कर रहे थे की कब कोई चूक हो और कब उनको नाश्ता मिले जैसे ही माधुरी ने आर्यन को वहां से हटाया मैंने चिल्ला के उसको बताया की बुर्ज की रस्सी को खोल दे मैं जानता था की दो का बोझ माधुरी नहीं उठा पायेगी पर रस्से खुलते ही वो प्रेशर से उस तालाब की हद से दूर हो जाएगी हलाकि मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं था की मेरा आईडिया काम करेगा ही पर ये रिस्क तो लेना ही था क्योंकि माधुरी दोनों का बोझ नहीं संभाल पाती 

और तभी मुझे एक आईडिया आया मैंने सभी से कहा की गाजी के गुंडों की लाशो को इकठ्ठा करो और तालाब के दूसरी और ले चलो दरअसल मैं मगर्मछो का ध्यान उस और करना चाहता था और किस्मत से ऐसा ही हुआ अब भोजन को कैसे छोड़ते वो तो वो लोग एक के बाद एक लाशे अन्दर फेकने लगे हमारी वाला हिस्सा खाली हुआ और जैसे ही रस्सी खुली माधुरी और आर्यन गिरने लगे पर उम्मीद जितना प्रेशर नहीं बना वो लोग पानी में ही गिरे पर इतना काफी था मैं अन्दर घुसा और उनको सही सलामत खीच लाया 

कुछ देर उधर ही पड़ा रहा फिर उन दोनों को बाँहों में भर लिया अब जाके करार आया मेरे मन को सब लोग राजी ख़ुशी थे गाजी का चैप्टर हुआ क्लोज फिर मैंने रिपोर्ट ली हमारे भी कुछ साथी घायल हुए थे पर गनीमत थी की किसी पुलिसवाले की जान नहीं गयी थी घायलों के लिए अम्बुलेंस मंगवा ली गयी थी बची खुची लाशो को इकठा किया गया नीनू कभी आर्यन को गले लगाये कभी मुझे सारी कार्यवाही करते करते रात हो गयी थी उसके बाद मैं हॉस्पिटल गया अपने घायल साथियो का हाल चल पुछा अपनी मरहम पट्टी करवाई घाव गहरा नहीं था तो टाँके लगवाने की नोबत नहीं आई 

पता नहीं कितने बजे थे जब मैं नीनू के बंगले पे आया पर अब भी सब लोग जाग ही रहे थे थका हारा मैं सोफे पर पड़ गया पिस्ता मेरे लिए चाय ले आई आर्यन के बारे में पुछा तो नीनू ने बताया की वो सो रहा है अभी भी सदमे में है सब लोग मेरे आस पास ही बैठ गए थे कुछ सवाल मेरे मन में थे कुछ उन लोगो के कुछ पलो के लिए शांति रही फिर पिस्ता बोली- ये सब क्या चक्कर है कभी दिलवाला कभी पुलिसवाला ये क्या खेल खेल रहे हो तुम हमारे साथ 

मैं- कोई खेल नहीं है , सच यही है की मैं पुलिसवाला हु और गाजी को ख़तम करने के लिए ही इस शहर में पोस्टिंग मिली थी 

नीनू- पर तुम कब आये पुलिस में 

मैं- लम्बी कहानी है , तुम्हे ये तो बता ही दिया था की अवंतिका ने मुझे बचाया था उसने मेरे रहने का भी इंतजाम किया था पर उसके पति को शक हो गया था की वो कुछ तो गड़बड़ कर रही है तो एक दिन दिन मैं गयाब हो गया और आ गया इलाहाबाद सबसे पहले शरीर को ठीक करना था उसके बाद मैंने बड़ी मेहनत की अपने शरीर में जान लाने की पढाई का एक ही साल बचा था तो फिर प्रायवेट से ग्रेजुएशन कर ली याद है 

नीनू, तुम हमेशा कहती थी की पुलिस की नोकरी करोगे तो मैं भी कहता था की मैं भी पुलिस बनूँगा बस मैंने भी कोशिश की और शायद उस ऊपर वाले का भी यही मन था फर्स्ट चांस में ही काम बन गया 
बस इतनी सी ही बात है , अब जीने के लिए कुछ तो करना था तो ये काम ही कर लिया पर अब तुम मुझे बताओ की आर्यन का क्या रोल है 

नीनू- आर्यन तुम्हारा और रति का बेटा है क्या तुमने उसकी आँखों को देखा बिल्क्कुल रति जैसी ही तो है 

मैं-हाँ उसे देखते ही मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था पर रति कहा है और वो आर्यन के साथ क्यों नहीं है 

वो- रति अब इस दुनिया में नहीं है 

मरे ऊपर एक बिजली सी गिरी , रति इस दुनिया में नहीं है क्या हुआ उसको क्या अनहोनी हुई 

नीनू- अब ऐसे मत देखो मर गयी वो और उसकी मौत के ज़िम्मेदार तुम हो तुम्हारी ये हवस है बर्बाद कर दी तुमने उसकी जिंदगी नीनू गुस्से से बोली 

मै चुप रहा सब लोगो का ध्यान बस हमारी बातो पर ही था 

नीनू- काश उसकी जिंदगी में तुम ना आते, जानते हो उसके साथ क्या हुआ तुम्हारे आने के बाद , तुमने उसकी जिंदगी में फूल नहीं बल्कि जलते हुए अंगार पिरो दिए थे जो पल तुम दोनों ने साथ बिताये थे वो ही उसकी खता बन गए थे तुम्हारे आने के बाद रति ने जिंदगी को जीने की सोची थोड़े दिन बाद वो अपने पति के पास चली गयी उस टाइम वो गर्भवती थी उसके पेट में तुम्हारा अंश पल रहा था

उसको उल्टइया लागि थी ख़राब तबियत देख कर उसके पति ने डॉक्टर बुलाया तो पता चला की रति माँ बनने वाली है पर उसके पति ने तो उसको कभी उस नजर से देखा ही नहीं था तो रति कैसे प्रेग्नेंग हो सकती थी उसने उसी समय रति का साथ छोड़ दिया वो बेचारी वापस लौट आई घुटती रही अपने आप में वो चाहती तो बच्चे को गिरा सकती थी पर कही न कही वो भी तुम्हे चाह ने लगी थी तो उसने तुमाहरे अंश क जन्म देने का सोचा 

पर उसकी तबियत बस बिगडती रही मैं अक्सर उस से फ़ोन पर बात करती रहती थी पर उसने कभी मुझे कुछ नहीं बताया और फिर एक दिन उसका फ़ोन आया उसने मुझे तुरंत जोधपुर आने को कहा था वो घबराई सी थी अगले ही रोज मैं निकल पड़ी जोधपुर के लिए और तभ मुझे पता चला की तुमने क्या पाप कर डाला है मैं थोड़े दिन उसके पास ही रही ये प्रायश्चित तो नहीं था पर शायद वो भी मेरी कुछ लगती थी और फिर वो दिन आया मैं उसके साथ हॉस्पिटल में गयी 

रति को बेटा हुआ था पर कुछ ही घंटो बाद रति की तबियत हद से ज्यादा बिगड़ गयी और वो इस दुनिया को छोड़ गयी और मुझे सौंप गयी तुम्हारी इस अमानत को इस वादे के साथ की इसको मैं माँ- बाप का प्यार दूंगी , वो चली गयी थी पर अपने साथ मेरी आत्मा का एक हिस्सा भी ले गयी थी

नीनू-जानते हो कितने मुस्किल पल थे मेरे लिए पर साथ ही मुझे यकीन था की एक दिन तुम जरुर आओगे और फिर मैंने अपने गोदी में कैद इस नन्ही जान को देखा जो तुम्हारी और रति की छाया था तो कैसे न संभालती इसको अपने घर वालो से लड़ कर दुनिया से लड़ कर पला मैंने इसको 

ये क्या हो गया था यार , रति मर गयी थी मैंने बस अपने हाथ जोड़ लिए नीनू के आगे और आर्यन के पास आया उसके माथे पर हाथफेरा दिल को सुकून मिला उसके हाथ को अपने हाथ में लिया तो ऐसा लगा की जैसे रति ने छु लिया हो मुझको बरसो बाद उस जाने पहचाने अहसास को महसूस किया था मैं वो अपना जो थोडा सा हिस्सा मैं जोधपुर में छोड़ आया था आज आर्यन के रूप में वापिस मिल गया था मुझ को आँखों से पानी की बूंदे गिरने लगी थी जिन्हें जानबूझ कर मैंने रोका नहीं शायद इसी बहाने से थोडा जी हल्का हो जाना था कुछ देर उधर ही बैठने के बाद मैं बाहर आ गया 

कुछ देर अकेले रहना ठीक रहता पर नीनू मेरे पास आ गयी हम दोनों लॉन में लगे झूले पर बैठ गए उसने मुझे चाय का कप पकडाया और बोली- तो जैसा की अब सब बाते खुल गयी है क्या सोचा तुमने 

मैं- क्या सोचना है 

वो- जो ये सब बिखरा पड़ा है इसे कैसे समेटना है 

मैं- क्या लगता है ये सिमट जायेगा 

वो- कोशिश तो करनी होगी न 

मैं- तुम सब जानती हो कैसे करू कोशिश ये तुम ही बतादो 

वो- तुम आखिर कब समझोगे 

मैं- पता नहीं 

वो- ये बहाने नहीं बना सकते तुम , तुम्हारे पीछे कितनी जिन्दगिया उलझी पड़ी है सुलझाते क्यों नहीं ये उलझाने 

मैं- देखो मैं बहुत थक गया हु सहारा चाहिए मुझे , अपना परिवार चाहिए बहुत रह लिया अकेला अब अपनों का साथ चाहिये 

वो- मैं भी तो इतनी देर से यही कह रही हु 

मैं- पर इसमें मुश्किल है 

वो- पिस्ता की बात कर रहे हो

मैं- हाँ 

वो- अब तुमने इतना रायता फैलाया है तो साफ करना ही होगा , वो भी हमारे परिवार का ही हिस्सा है तो हमारे साथ ही रहेगी और क्या 

मैं- नीनू मैं झूठ नहीं बोलूँगा मैंने मोहब्बत बस तुमसे की पर वो भी मेरा हिस्सा है उसने अपनी ग्रहस्थी छोड़ दी मेरे लिए

वो- और मेरा क्या कभी सोचा तुमने 

मैं- तुम्हारा गुनेह्गार हु अं जो सजा दो मंजूर है मुझे 

वो- शादी करोगे मुझसे 

मैं- हां

वो- ये अहसान है तुमपे, वैसे देखा जाये तो हम सब की तक़दीर अपसा में ही जुडी है वैसे भी बहुत भाग लिए सब अब ठहर जाते है कम से कम् कुछ पल तो मिले सुकून के 

मैं- हां 

वो- मैं पिस्ता को बुलाती हु 

कुछ देर बाद वो आ गए माधुरी भी उनके साथ ही थी तो मैंने अपने मन की बात उन को बताई तो पिस्ता बोली- मुझे लगता है की तुम नीनू से शादी करो और मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो 

मैं- पागल हुई है क्या देख बात खाली पति-पत्नी के रिश्ते की नहीं है हम सब एक परिवार ही तो है और फिर तुम सब लोगो के सिवा मेरा है ही कौन दुःख तो बहुत झेल लिया अब कुछ लम्हे सुख के भी जी लेते है बोलो क्या कहते हो 

पिस्ता- ठीक है जब तुम ने निर्णय ले ही लिया है तो फिर ये ही सही 

माधुरी- और मेरा क्या 

मैं- तुम अपने घर जाओगी सुबह होते ही 

वो- तो आपने मुझे पराया कर दिया 

मैं- पागल हुई है क्या पर कोई भाई अपनी बहन को पराया कर सकता है क्या पर तुम्हारी मंजिल अपने परिवार में ही है

वो- तो क्या मैं इस परिवार का हिस्सा नहीं 

मैं- ऐसा किसने कहा 

वो- फिर जाने को क्यों कहते हो 

मैं- अब क्या कहू तुझे 

वो- मुझे नहीं पता कुछ भी मैं भी आप लोगो के साथ ही रहूंगी 

मैं- तेरी मर्ज़ी 

तो दोस्तों, वो रात बस ऐसे ही बाते करते करते गुजर गयी एक छोटा सा परिवार फिर स जुड़ गया था मेरा जिसमे सब एक से बढ़कर एक थे मैं एक आवारा , एक हद से ज्यादा बढ़कर साथ देने वाली दोस्त पिस्ता, एक फूल सा बेटा आर्यन, एक अनकही मोहबत नेनू और एक प्यारी सी बहन माधुरी जीने के लिए और क्या चाहिए था पर अभी कुछ सवाल और रह गए थी जिनके जवाबो की तलाश थी दिल पर एक बोझ पड़ा था उसको भी हटाना था 
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12-29-2018, 02:53 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
अगला पूरा दिन कुछ कार्यवाहियों में बीता था नीनू पूजा को रिमांड पे लेना चाहती थी पर मैंने मना किया और उसको इस मामले से आउट करने को कहा हालाँकि नेनू का पूरा मूड था पूजा की बैंड बजाने का पर जाने दिया उसके बाद कुछ अधिकारियो से मिला कुछ मीटिंग सी थी फिर मीडिया वाले भी थे तो शाम तक हाल बुरा हो गया था रात को खाने की टेबल पर सब बैठे थे तो मैंने कहा की गाँव जाने का विचार है अबमुझे लगता है की टाइम आ गया है घर जाने का 

नीनू- ऐसे ही प्लान बना लिया कम से कम बता तो देते ताकि हम लोग भी अपनी तैयारिया कर लेते 

मैं- तुम्हारी वहा पोस्टिंग का जुगाड़ करवा दिया है थोडा टाइम लगेगा पर काम हो जायेगा 

वो- हम्म 

मैं- पर तब तक तुम्हे यही रहना होगा और आर्यन भी तुम्हारे साथ रहेगा उसकी सेफ्टी बहुत जरुरी है और माधुरी तुम अपने एग्जाम तक नीनू केसाथ ही रहोगी आर्यन का ख्याल रखना तुम्हारे पेपर होने में ज्यादा समय नहीं है तब तक नीनू की पोस्टिंग भी हो जायगी फिर तुम गाँव आ जाना फ़िलहाल मैं और पिस्ता जा रहे है 

पिस्ता- देखो नेनू की बात सही है हमे अपनी पूरी तयारी से जाना चाहिए क्योंकि अब वहा क्या हालात है इसका हमे बस अंदाजा है एक समय था जब वहा पर अपना था सब कुछ पर अब वहां कुछ नहीं 

मैं- अपना जो रह गया था वो ही लेने तो जा रहे है 

नीनू- क्या तुमने तबादला करवा लिया है वहां 

मैं- नहीं छुट्टी ली है 

वो- तो कब जाने का सोचा है 

मैं- जब तुम परमिशन दोगी 

नीनू की हंसी छुट गयी पर मै जानता था की अन्दर ही अन्दर वो थोडा घबरा गयी है पर यही तो जिन्दगी थी कुछ पुराने हिसाब थे जो चुकाने का वक़्त हो चला था तो ये तय हुआ की दो दिन बाद मैं और पिस्ता गाँव के लिए निकल जायेगे मैं अपने कमरे में गया तो देखा की नीनू पहले से ही वहा थी 

मैं- सोयी नहीं अभी तक 

वो-नींद नहीं आ रही 

मैं- कोई ना, बैठो इधर ही 

वो- जब मैं तुमसे दूर थी तो तुमने मुझे याद किया 

मैं- क्या तुम्हे कभी हिचकिया नहीं आई 

वो मुस्कुरा कर रह गयी , 

मैं- नीनू वो हालात ही कुछ ऐसे थे तुम ही बताओ क्या करता मैं , जानती हो रोज जीता था रोज मरता था पर दिल में एक आस थी की कभी न कभी किसी ना किसी मोड़ पर तुम जरुर मिलोगी, तुम कहती हो की कभी याद आई एक मिनट रुको 

मैंने अपना पुराना संदूक खोला और उसमे से वो खातो का ढेर निकाला जो बस नीनू के लिए लिखे थे वो बात और थी की पोस्ट करने के लिए पता नहीं था 

मैं- पढो इनको जान जाओगी 

नीनू की आँखों से आंसू निकल आये और वो बिना कुछ बोले मेरे सीने से लग गयी मैंने भर लिया उसको अपनी बाँहों में
दो दिन बाद हम निकल पड़े उस रस्ते पर जो मेरे घर जाता था ये घर भी पता नहीं क्या चीज़ होता है पूरी दुनिया घूम आओ पर सुकून घर आके ही प्राप्त होता है सफ़र लम्बा था कुछ बातो से काट लिया कुछ सो कर गुजार लिया जब गाँव की देहलीज पर पहुंचे तो अँधेरा हो चूका था कुछ घरो में बल्ब जल रहे थे मैंने गाँव की मिटटी को चूमा एक जानी पहचानी महक मेरी सांसो में घुलती चली गयी टेढ़ी मेढ़ी गलियों को पार करते हम आगे बढ़ रहे थे समय के साथ गाँव भी बदल गया था 

कुछ कच्चे मकान हुआ करते थे उनकी जगह अब कोठिया खड़ी थी , जैसे जैसे कदम आगे बढ़ रहे थे यहाँ बिताया हर पल याद आ रहा था इन गलियों में कितनी होली-दिवाली की यादे थी एक उमर ही तो जी थी मैंने यहाँ , दिल थोडा सा नरम सा हो गया था रस्ते में मंजू का घर आया किवाड़ बंद थे एक नजर के बाद मैं आगे बढ़ गया बस अब थोडा सा आगे चलके एक मोड़ ही तो मुड़ना था और फिर मेरा घर आ जाना था मैं तेजी से चलने लगा सच कहू तो दोड़ने ही लगा था 

पिस्ता थोड़ी पीछे रह गयी थी और फिर मेरा घर मेरी आँखों के सामने था उस अँधेरे में वो किस खंडहर जैसा लग रहा था और लगे भी क्यों न वक़्त ने जैसे उसे भुला सा ही दिया था अब तो जाने का रास्ता भी नहीं बचा था चारो तरफ झाड-झंखाड़ खड़ा था घास थी ऊँची ऊँची और होती भी क्यों न बरसो से किसी ने इसकी सुध भी नहीं ली थी एक ज़माने में ये भी आबाद था हसी गूंजा करती थी मेरे घरवालो की यहाँ पर 

पिस्ता- एक काम करते है मेरे घर चलते है सुबह आते है 

मैं- वो घर भी तो बंद पड़ा है तो इधर ही देखते है 

वो भी समझ रही थी मेरे जजबातों को जैसे तैसे करके हमने थोडा सा रास्ता बनाया और पहुच गए मुख्य दरवाजे तक दरवाजा जगह जगह से जंग खा गया था एक ताला लटका हुआ था मेरी नजर उस चबूतरे पर पड़ी जहा बैठ के मैं कपडे धोया करता था पिस्ता कही से एक बड़ा सा पत्थर उठा लायी थी हमने ताला तोडा और अन्दर आ गए सीलन सी भरी थी हर जगह पर हालात खस्ता थी पुरे घर की पिस्ता ने मोमबत्तिया जला ली थी बिजली थी नहीं किसी के न रहने से मीटर हटा लिया होगा बिजली वालो ने अन्दर हर कमरे पर ताला लगा था मैंने एक कमरे का ताला तोडा 

ये मेरे मम्मी पापा का कमरा था अन्दर के सामान को इस तरह से पैक किया गया था की उसको कोई नुकसान नहीं पहुचे पर फिर भी धुल मिटटी तो थी ही 

मैं- पिस्ता ये माँ पिताजी का कमरा है पिस्ता ने उधर रौशनी की दीवारों पर उनकी तस्वीरे लगी थी मैंने उन पर लगी धुल को साफ़ किया ऐसा लगा की जैसे अभी बोल पड़ेंगी और मुझसे सवाल करेंगी की कहा चला गया था कितना इंतजार करवाया पर सच तो था की घर तो था पर घरवाले नहीं थे जी तो रोने को हो रहा था पर आंसुओ की भी कीमत होती है तो अपने अन्दर ही समेत लिया 

पिस्ता- खाना खाओगे 

मैं- हां भूख तो है 

पिस्ता ने बैग से खाने के पैकेट निकाले और हम खाना खाने लगे बरसो बाद अपनी छत के निचे आया था ये शब्दों में बताने की बात ही नहीं है बस दी ही समझता है कुछ बाते बस दिल की ही होती है खाने के बाद नहाने की इच्छा थी पर रात बहुत हुई थी और अब नलके का भी पता नहीं था चलता है या नहीं ऊपर से सफ़र की थकन भी थी तो पिस्ता ने झाड पोंछ कर सोने का जुगाड़ किया और उसकी बाँहों में ही मैं नींद के आगोश में चला गया 

सुबह आँख खुली तो पिस्ता साथ नहीं थी उबासी लेते हुए मैं बाहर आया तो देखा की वो सफाई करने में लगी हुई थी रस्ते से झाड़ियो को हटा रही थी 

मैं- रहने दे मैं मजदुर बुला के करवा दूंगा वैसे भी घर की मरम्मत भी तो करवानी है 

वो-हां पर थोडा आने जाने का रास्ता भी तो ठीक हो जाये 

मैंने उसको मनाया और कहा की आजा नहा धोके आते है 

वो- चल मेरे घर का ताला तो लेंगे 

मैं- ना री, तेरे भाई को पता चलेगा तो हार्ट अटैक ही आ जायेगा 

वो- क्या कुछ भी 

मैं- यार गाँव है अपना किसी के भी घर नहा धो लेंगे 

वो- तो मेरा घर क्या पराया है 

मैं- तेरा मेरा किसने बता पगली चल बैग ले आ 

और और हम लोग गली से मुड़े ही थे की मुझे राहुल मिल गया वो देखे मेरी और 

मैं- ऐसे क्या देख रहा है मैं ही हु 

वो भागकर मुझसे लिपट गया रोने लगा पागल 

मैं- रोता क्यों है मैं आ गया हु 

वो- घर चलो भाई 

अब उनसे पारिवारिक सम्बन्ध थे तो मना कैसे करता और पहुच गए उनके घर उन लोगो को तो जैसे विश्वाश ही नहीं हुआ की इतने सालो बाद मैं यु अचानक वापिस आ गया हु पर सच तो यही था की मैं घर आ गया था पिस्ता नहाने चली गयी थी काकी ने तब तक खाने की तयारी कर दी थी रतिया काका के बारे में पुछा तो पता चला की वो किसी काम से बहार गये है रात तक ही वापिसी होगी बातो बातो में पता चला की राहुल की शादी हो गयी है , मंजू भी ससुराल चली गयी चलो सब बढ़ गए थे जिंदगी में आगे 
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12-29-2018, 02:53 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
नहा धोके एक दम तजा हो गया था फिर खाना वाना खाया उसके बाद मैंने राहुल से कहा की वो घर की थोड़ी सफाई करवानी है तो उसने कहा भाई आप ने कह दिया मैं अभी करवा देता हु और वो मजदुर लाने चला गया मैंने पिस्ता को आराम करने को कहा और मैं बिजली जुडवाने के लिए चला गया अपना परिचय दिया तो पता लगा की आज मैं फाइल भर दू कल तक तार लग जायेगा चलो लाइट का काम तो हुआ कुछ और काम करने थे वो किये बंक में गया अपने पुराने खातो की जानकारी ली पैसो को कोई दिक्कत नहीं थी पर वो दोलत मेरे माँ- बाप की थी तो देख रेख करना जरुरी था 

आते आते शाम घिर आई थी जब मैं वापिस घर आया तो देखा की राहुल ने काफी हद तक सफाई करवा दी थी 
राहुल- भाई कल तक पूरा साफ़ हो जायेगा पानी की सप्लाई चालू हो गयी है एक बार सफाई हो जाये फिर मरम्मत का काम चालू 

मैं- बढ़िया 

राहुल- कहा थे आप इतने दिन 

तो मैंने उसको बता दिया बस कुछ खास बाते छुपा ली , तब तक पिस्ता चाय ले आई 

मैं- यहाँ चाय 

वो- हा अब इधर ही रहना है तो मैंने रसोई का सामान खरीद लिया और गैस अपने घर से उठा लायी 

राहुल- मैं तो मन कर रहा था मेरा घर भी आपका ही है पर ये नहीं मानी 

मैं- इसका ऐसा ही है
बातो बातो में रात घिर आई थी तो राहुल खाना लेने चला गया उसका तो मन था की उसके घर ही खाए पर मैं यहाँ ही रहना चाहता था करीब घंटे भर बाद वो आया तो रतिया काका भी उसके साथ थी मैंने काका के पैर छुए, उन्होंने मुझे गले से लगा लिया आँखों से आंसू गिरने लगे 

काका- बड़ी देर लगाई बेटे आने में, हमने तो आस ही छोड़ दी थी दिल तो कहता था की तुम आओगे पर राह तकते तकते ये आँखे बूढी हो गयी 

मैं- काका देर हो गयी पर अब मैं आ गया हु 

मैं- काका गाँव के क्या हाल चाल है 

वो- समय बदल गया है बेटा, बिमला से मिले 

मैं-नहीं काका मिला नहीं और ना ही इच्छा है पर सुना है बाहुबली हो गयी है आजकल 

वो- हां बेटा, अब सरपंच है गाँव की और बड़े लोगो से उठना बैठना है हमसे तो कोई सम्बन्ध रखा नहीं उसने नाहर पर ही कोठी बना ली है उधर ही रहती है 

मैं- आती नहीं इधर 

वो- उस हादसे के थोड़े दिन बाद ही यहाँ से चली गयी थी वो 

मैं- और चाचा 

वो- उसके साथ ही रहता था पहले फिर उसने किसी मास्टरनी से शादी कर ली अब सहर में ही रहता है वो भी नहीं आता कभी भी 

मैं- चलो अच्छा है , आप सुनाओ 

वो- बस बेटे जी रहे है दोनों बच्चो के हाथ पीले कर दिए राहुल मेरे साथ ही हाथ बाटता है काम में पहले दुकान थी अब फर्म हो गयी है 

बातो बातो में रात काफी हो गयी थी तो काका बोले- अब चलता हु बेटा सुबह मिलूँगा पर जब तक यहाँ की मरम्मत नहीं हो जाती तुम उधर ही रह लेते वो भी तो तुहारा ही घर है 

मैं- क्यों शरिंदा करते हो काका , जानता हु वो भी मेरा ही घर है पर अब इतने बरस बाद आया हु तो मन है 

काका- मर्ज़ी है तुम्हारी 

उनके जाने के बाद पिस्ता नहाने चली गयी मैं छत पर बिस्तर बिछाने लगा मच्छर बहुत थे तो मैंने मच्छरदानी लगा ली पिस्ता थोड़ी देर बाद आई पतली सी ड्रेस में भीगा बदन उसका बालो से टपकता पानी उसके यौवन को और नशीला बना रहा था मैंने पिस्ता को अपनी बाँहों में भर लिया 

पिस्ता- छोड़ो ना 

मैं- ना 

वो- क्या इरादा है 

मैं- तुम्हे नहीं पता क्या 

वो- आह , मुझे तो अब पता है 

मैं- तो रोक क्यों रही हो 

वो- कहा रोक रही हु आह आराम से 

मैंने उसकी ड्रेस खोल दी अन्दर उसने कुछ नहीं पहना था वो नंगी मेरी बाँहों में सिमटने लगी मेरे हाथ उसके उभारो पर चलने लगे चारो तरफ छाई शांति को पिस्ता की मादक आहे भंग करने लगी थी वो मेरे अगले हिस्से पर अपने कुलहो को रगड़ने लगी थी कुछ एर तक मैं उके उभारो से खेलता रहा अब वो एक दम टाइट हो चुके थे तभी पिस्ता पलती उकी छतिया मेरे सीने में चुभने लगी उसने अपने सुलगते होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और किस करने लगी मेरे हाथ उसके भारी गांड को मसलने लगी थी 

वो किसी नागिन की तरह मुझ से लिपटे हुए मेरे होंठो की प्यास अपने होंठो से बुझा रही थी मैं उसके आगोश में पिघलने लगा था दस मिनट तक बस हमारी चूमा- चाटी चलती रही उसके बाद मैंने पिस्ता को बिस्स्तर पर लिटा दिया उसने अपनी टांगो को फैलाया और अपनी मंशा बताई मैं घुटनों के बल बैठ गया और उसकी बिना बालो की मक्खन सी चूत पर अपने होंठ रख दिया बिजली सी दौड़ गयी उसके बदन में किसी तार की ताराह बदन खीच गया 

होंठो से मधुर आये निकल पड़ी आह उफ्फ्फ्फ़ ऐसे मत रगडो ना आआह्ह्ह काटो मत आराम से यार 
पर उसकी कौन सुनने वाला था उसकी चूत के अंदरूनी हिस्से से रगड़ खाती मेरी जीभ नमकीन स्वाद को चख रही थी पिस्ता की टांगो में कम्पन शुरू हो गया था चूचियो के निप्पल तन गए थे मस्ती भरी लहरें उसके शरीर से बार बार टकरा रही थी बेकाबू पिस्ता ने मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और कांपने लगी उसके बिखरे बाल लाल आँखे गरम चिकना बदन मेरा लंद्द काबू से बाहर हो रहा था इधर मैंने अपनी बीच वाली 

ऊँगली उसकी चूत में डाल दी और उसके दाने को चुमते हुइ उसकी चूत में ऊँगली अन्दर बाहर कर रहा था 
पिस्ता तो जैसे गीली हुई ही बैठी थी आज उसकी चूत से बहुत ज्यादा रस छुट रहा था इधर उत्तेजना मुझे भी उकसा रही थी पिस्ता में समा जाने को तो अब मैं वहा से हट गया पिस्ता ने अपनी टाँगे पलंग से निचे सरका ली और आधी बैठी सी हो गयी और मैंने बिना देर किये अपने उसल को थे दिया अनडर की तरफ पिस्ता ने मेरी बाहों को थाम लिया और हमारा खेल शुरू हो गया चिकनी चूत में मेरा लम्बा लंड आतंक मचाये हुए था

पिस्ता तो वैसे ही बीच तक आ चुकी थी तो वो पुरे जोश से अपनी गांड को ऊपर कर कर के चुदाई का मजा ले रही थी कुछ देर बाद मैंने पिस्ता को घोड़ी बना दिया उसके मोटे चूतडो को देखते ही बनता था क्या गजब था उसने अपनी गांड को मेरे लंड की तरफ सरकाया और मैंने भी उसको अपनी सही जगह पर पंहुचा दिया उसकी कमर पर हाथ डाला और अब चोदने लगा उसको पिस्ता ने अपनी दोनों जांधो को आपस में चिपका लिया था और चुदाई के मजे ले रही थी 

७-8 मिनट तक हम दोनों वैसे ही चुदाई करते रहे फिर पिस्ता का कोटा पूरा हो गया और वो औंधे मुह बिस्तर पर गिर गयी मैंने भी उसके ऊपर लेट गया और उसको चोदने लगा वो अभी अभी झड़ी थी तो उसका बदन हिचकोले खा रहा था एक मीठा सा अहसास अभी भी उसके बदन में दौड़ रहा था उसके हाथो पर अपने हाथ रखे मैं उसी पोजीशन में उसपे चढ़ा रहा उसके नरम कुलहो का गद्देदार अहसास अब क्या बताऊ पिस्ता लम्बी लम्बी सांसे लेते हुए चुद रही थी 

और थोड़ी देर बाद मैं भी फारिग हो गया और उसके बगल में लेट गया कब नींद आ गयी पता नहीं चला सुबह जब आँख खुली तो कुछ आवाजे आ रही थी तो मैंने देखा की घर के बाहर दो तीन जीप खड़ी थी और पिस्ता कुछ लोगो से उलझी पड़ी थी
मैने जल्दी से अपनी टी-शर्ट पहनी और निचे आया कुछ लठेत से थे पिस्ता बहस कर रही थी उनसे 

मैं- क्या हुआ 

पिस्ता- पता नहीं कौन लोग है घर से निकलने को कह रहे है 

मैं- तुम्हारे बाप का घर है क्या 

उनमे से एक- हमारी मालकिन का घर है 

मैं- ओह ओह मालकिन ने ये नहीं बताया की उसका भी कोई मालिक है जा जाके कह दियोतेरी मालकिन से की इस घर का असली हक़दार आ गया है 

वो- हमे नहीं पता आप लोग निकल जाओ यहाँ से वर्ना हमे निकालना पड़ेगा 

मैं- जरा मैं भी तो देखू की किसकी इतनी हिमत हो गयी है 

तभी रतिया काका और राहुल भी आ गए साथ ही कुछ गाँव वाले भी थे 

काका-क्या हुआ बेटा 

मैं- पता नहीं कौन लोग है फालतू का पंगा कर रहे है 

उनको शायद काका जानते थे तो वो उनसे बोले- जाके कहना की देव वापिस आ गया है वो समझ जाएगी 

उनमे से एक – पर .........

मैं- पर कुछ नहीं, अगर ५ मिनट में तुम यहाँ से नहीं निकले तो ६ति मिनट में तुम्स अब की लाश यहाँ पड़ी होगी और ये मेरा हुकम है जिसे तुम्हे मान न होगा और जाके अपनी मालकिन से कह्देना की सी घर का वारिस आ गया है मैं दहाडा

वो लोग खिसक लिए वहा से 

मैं- बिमला की तो खबर लूँगा 

काका- बेटा ये लोग थोड़े थोड़े दिन में इधर आते है देखने शायद तुमको जान नहीं पाए होंगे 

मैं- जो भी हो 

बात आई गयी हो गयी , राहुल आज और मजदुर ले आया था तो काम तेजी से हो रहा था मैं अन्दर गया और पिस्ता को बुलाया 

मैं- ये गन ले और आगे से कोई भी ऐसी बात हो थो खाली हाथ मत उलझना ये तेरी हिफाजत करेगी और ज्यादा बात हो तो सीधा गोई चला देना बाकि मन देख लूँगा 

वो- टेंशन मत लो तुम 

फिर नीनू का फ़ोन आया तो उसे पूरी बात बताई आर्यन और माधुरी से भी बात की नीनू थोड़ी टेंशन में थी उसको समझाया की फ़िक्र न करे बात करने के बाद मैंने पिस्ता से कहा की मैं थोडा घूम फिरके आता हु चलेगी तो उसने मन करते हुए कहा की वो थोडा मरम्मत का काम देखेगी और थोड़ी सफाई करेगी तो मैं अकेला ही चल पड़ा तभी मुझे किसी की याद आई तो मैं उधर ही चल पड़ा जैसे ही उसके घर की तरफ पंहुचा वो आँगन में ही थी पशुओ को नहला रही थी मैंने उसे देखा गुजरे वक़्त के साथ उस पर कोई असर नहीं पड़ा था वो और खूबसूरत हो गयी थी निखर गयी थी 


मैं अन्दर गया और बोला- और ताई कैसी हो 

उसने पल भर के लिए मुझे देखा और फिर भागते हुए मेरे पास ई और मुझे अपनी बाँहों में भर लिया बोली- तुम .....


मैं- हां मैं 

वो- कहा चले गए थे 

मैं- बस खो गया था कही पर अब आ गया हु 

वो मुझे अन्दर ले गयी चाय पिलाई और बाते करने लगी 

मैं- और मजे में हो 

वो- हां, तुमने जो जमीं दी थी उसी पर खेती करती हु अच्छी फसल होती है तो मौज है तुम बताओ इतने दिन कहा थे 

तो- मैंने उसे भी वो ही बात बता दी जो राहुल को बताई थी 

ताई-अच्छा हुआ तुम आ गए हमने तो आस ही छोड़ दी थी 

मैं- ताई तुम तो बिलकुल नहीं बदली आज भी उतनी ही गनडास हो 

वो- क्या आते ही शुरू हो गया , अब वो बात कहा अब तो बुड्ढी हो गयी हु 

मैं- तब भी ऐसा ही बोलती थी पर तब भी माल थी आज भी माल हो 

मैं झूठ नहीं कह रहा था अब ताई की उम्र ४७-४८ होगी पर मजाल की कोई कहदे पहले से जिस्म भर गया था पर मेहनत के कारण सांचे में ढला हुआ था मेरा लंड पेंट में उछालने लगा पर ताई कहा भागी जा रही थी हमारी बाते हो रही थी की मैं पुछा- ताई , ताऊ कहा है दिख न रहा तो ताई थोड़ी भावुक हो गयी और उसने बताया की दो साल पहले ताऊ का देहांत हो गया 


मैं- ये तो बुरा हुआ ताई 

वो- होनी को कौन टाल सके बेटा , तू बैठ मैं तेरे लिए खाने पिने का इंतजाम करती हु 

मैं- रहने दे ताई, पेट भरा है अभी खाके ही आया हु बस तेरी याद आ रही थी तो मिलने आ गया 

वो- हां, मेरी याद तो आनी ही थी तुमको हस्ते हुए बोली वो 

मैं- ताई अब तुम चीज़ ही ऐसी हो याद तो आनी ही थी खैर वो छोड़ो एक बात बताओ मेरे जाने के बाद बिमला ने कभी उस जमीन के बारे में कुछ कहा तुमसे 

वो- हां,जब आइने खेती करनी शुरू की तो वो आई थी पर मैंने उसको बताया की तूमने वो जमीं मुझे सँभालने को दी है तो वो चली गयी फिर देखो सात बरस गुजर गए वो इधर एक बार भी न पलट के आई वैसे वो गाँव में आती भी बहुत कम है 

मैं- कहा रहती है फिर 

वो- तुम मिल लो भाभी है तुम्हारी 

मैं- मिलूँगा जल्दी ही 

ताई- कुवे पर जा रही हु चलोगे क्या 

मैं- हाँ चलते है 

ताई ने जलदी से घर का काम निपटाया फिर हम दोनों ताला लगा कर खेत की और चल पड़े रस्ते में मेरा पूरा ध्यान ताई की गोल मटोल थिरकती गांड पर थी जो वक़्त के साथ और भी निखर आई थी ताई ने तो दुनिया देखि थी उन्होंने मेरी नजरो को पकड़ लिया था इस लिए और मटक कर चल रही थी शायद वो भी जान गयी थी की आज वो चुदने वाली थी मोसम में हलकी हलकी धुप थी पर हवा भी ठंडी चल रही थी खेतो के बीच बनी पगडण्डी पर चलते हुए हम मेरे खेतो में आ गए थे
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12-29-2018, 02:53 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
चारो तरफ खूब हरियाली फैली हुई थी गीता ने खूब अच्छे से जमीं को संभाला था कुछ जमीं पर पशुओ के चारे के लिए चरी बोई हुई थी और बाकी जमीं पर गन्ने बोये हुए थे ताई ने कुवे पर बना कमरा खोला और हम अन्दर आ गए , अन्दर आते ही मैंने ताई को पकड़ लिया और ताई के मदहोश कर देने वाले जिस्म से खेलने लगा 


ताई- छोड़ो ना कोई आ जायेगा 


मैं- किसकी हिम्मत 


वो- मुझे पता था आज मेरी बजाने वाले हो 


मैं- ओह मेरी ताई तू है ही इतनी मस्त जवान लडकिय भी तेरे आगे पानी भरे तेरे में जो रस है वो कही नहीं अब मुझे और मत रोक बस करने दे तेरे इस जिस्म को देखने दे मैंने ताई के ब्लौस को खोलना चाहां तो ताई बोली- यहाँ नहीं 


मैं- तो कहा 


वो- ये चारपाई उठा ओ और मेरे साथ आओ 


मैंने खाट उठाई उअर ताई के पीछे पीछे चल पड़ा ताई गन्नो के बीच बनी पगडंडी पर चलते हुए मुझे जल्दी ही ऐसी जगह ले आई की मैं सोच भी नहीं सकता था खेतो के बीच ये 7*7 की खाली जगह थी मैंने वो खाट वहा पर बिछा दी ये ऐसी जगह थी की बस अगर कोई ऊपर से ही दिखे तो कोई देख पाए वर्ना खड़ी फसल हो तो कोई सोच भी न सके की ऐसा है 


ताई- तेरे ताऊ ने बनायीं थी 



मैं- अच्छा, तो ताऊ इधर ही चोदता था तुझे 

व्- शर्म करलो 


मैं- शर्म कैसी मेरी जान क्या नहीं चुदेगी तू अभी 


वो- हां चुदुंगी तभी तो तुझे यहाँ लायी हु 


मैं- तो देर किस बात की मैं तो मारा जा रहा हु तेरी चूत देखने को 


वो- तो दूर क्यों खड़ा है आजा कर दे मुझे नंगी आज बरसो बाद तेरी बाहों में आने का सुख मिलेगा मुझे 


मैंने ताई को अपने आगोश में लिया और ताई को चूमने लगा माथे पर गोरे गालो पर और रसीले होंठो पर ताई के चेहरे पर जगह जगह मेरा थूक लगा हुआ था ताई ने भी अपने होंठ मेरे लिए खोल दिए थे हमारी जीभ आपस में टकरा रही थी मैंने ताई के ब्लाउज को खोल दिया अन्दर ब्रा थी नहीं तो 37” की मस्त चूचिया मेरे सामने खुली पड़ी थी , जैसे ही मैंने उनको दबाया ताई सिसक पड़ी कुछ देर बाद मैंने इक चूची को मुह में ले लिया और चूसने लगा ताई मस्ताने लगी 


ताई ने मेंरे पजामे को निचे कर दिया और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेके भीचने लगी खेने लगी उस से मैंने ताई की घाघरे के नाड़े को खोल इया और वो निचे आ गिरा तभी ताई आगे को घूम गयी ताई की ४४” इंच की गांड मेरे लंड से रगड़ खाने लगी मैंने दोनों हाथो से बोबो को मसलते हुए ताई की गर्दन पर चूमने लगा ताई ने मेरे लंड को अपनी जांघो के बीच दबा लिया जहाँ चूत की गर्मी पाके वो और भी फूलने लगा 


ताई- ओह देव तू कहा चला गया था मुझे तू तड़पती छोड़ गया 


मैं- चिंता मत कर मेरी रानी, अब जी भरके तुझे चोदुंगा तेरी चूत की सारी तड़प मिटा दूंगा 


मैंने ताई के कंधे में अपने दांत गदा दिए तो ताई दर्द से आह भरने लगी वो जानती थी की ये मजे का दर्द है ताई की चूत से टपकता रस लंड को भिगोने लगा था मैंने ताई की नंगी पीठ को चूमना शुरू किया गीता की हलकी हलकी आहे हवा में घुलने लगी थी मांसल पीठ पर मैंने जगह जगह काटा लाल हो गयी गोरी पीठ मैंने ताई को निचे को झुकाया तो उन्होंने खाट पर अपने हाथ रख लिए और अपनी ठोस गांड को मेरी तरफ उभर लिया ताई की इस मस्त गांड पर ही तो मैं हमेशा से फ़िदा था 


“ओह! गीता रानी कितनी मस्त गांड है तेरी क्या चुतड है जी कर रहा है खा जाऊ इनको ”


ताई- तो किसने रोका है खा जा 


मैंने ताई के चूतडो पर बटके मारने शुरू किये वो चुतड हिलाने लगी अब मैंने चूतडो की फंको को फैलाया तो ताई की गांड का भूरा छेद और रस से भरी चूत दिकने लगी मैंने अपने होंठो पर जीभ फेरी और और ताई की गांड और चूत दोनों पर अपनी जीभ फेरने लगा ताई का जिस्म मस्ती के मारे लहराने लगा गीता की चूत आज भी बिलकुल ताज़ी थी भीनी भीनी सी उठती सुंगंध और वो नमकीन स्वाद वो बार बार अपनी गांड को हिला रही थी 


“ओह देव, थोडा प्यार से मेरे राजा , आउच ओह आह तो जान ही निकलेगी मेरी आराम से ” ताई की मादक सिसिकरिया मुझे भी अब मदहोश करने लगी थी मेरे दोनों होठ चूत के पानी से सन चुके थे अब मैंने ताई की गांड के भूरे छेद पर जीभ फेरनी शुरू की तो वो जैसे पागल ही हो गयी थी ताई की नशीली गांड उफ्फ्फ्फ़ काश मेरा बस चलता तो हर समय अपना लंड उसकी चूत में घुसाए ही रखता ताई का पूरा बदन उत्तेजना से कांप रहा था अब उनको लंड की सख्त जरुरत थी और मुझे चूत की मैंने ताई को खाट पर लिटाया ताई ने मुस्कुराते हुए अपनी जांघो को हल्का सा फैला लिया ऍम की शेप में मैं भी चढ़ गया खाट पे उअर अपने सुपाडे को ताई की चूत से सटा दिया 


जैसे ही चूत ने लंड को महसूस किया वो रस बहाने लगी मैंने ताई की जांघो को पकड़ा और लंड को अन्दर की तरफ ठेल दिया ताई की चूत की फांके चोडी होने लगी और मेरा लंड अन्दर की तरफ जाने लगा 


गीता- देव, आराम स घुसाओ, कई दिन में करवा रही हु थोडा सा आराम स 
मैं- ताई तुझे देख के आराम हराम हो गया है 


मैंने एक धक्का और लगाया और आधा लंड ताई की चूत में फस गया ताई ने अपनी टांगो को और ऊपर किया और अगले धक्के के साथ मैं ताई के ऊपर चढ़ गया गीता चूत मारने के लिए सच में में पहली पसंद थी उसकी चूत मारने में एक अलग सा ही मजा आया करता था जिसे मैं ही समझता था धीरे धीरे धक्कम पेल शुरू हो गयी ताई ने अपनी बाहों में भर लिया मुझे और अपने होंठो को मेरे होंठो से जोड़ दिया मेरी पीठ पर अपने नाख़ून रगड़ते हुए ताई चुदाई के सुख को अनुभव कर रही थी
ताई का निचला होंठ मेरे दांतों में दबा होने से थोडा सा कट गया था पर ताई को कहा परवाही थी वो तो इस समय अगर कोई जवान लड़की ताई को यु चुदते देख ले तो शर्म से पानी पानी हो जाये ताई की चूत का चालला लंड पर कसा हुआ था जैसे जैसे मस्ती बढती जा रही थी ताई का उन्माद भी बढ़ रहा था थोड़ी देर बाद पोजीशन चेंज हो गयी ताई अब मेरे ऊपर चढ़ गयी थी ताई थोडा झुकी और अपना एक बोबा मेरे मुह में दे दिया ताई की इन्ही अदाओ पर तो मैं मरता था 


मेरे दोनों हाथ ताई के सुडौल कुलहो पर थे और मस्ती में चूर ताई गपागप मेरे लंड पर कूद रही थी अब ताई ने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रखे और सहलाते हुए चुदने लगी पल पल ताई के धक्के तेज होते जा रहे थे और फिर कुछ पल बाद ताई मेरे ऊपर धडाम से गिर गयी चूत से निकले रस ने लंड को पूरी तरह नेहला दिया था , ताई स्खलित हो गयी थी पर आज मैं भी पुरे मूड में था तो मैंने ताई को अपने निचे लिया और अच् अच् ताई को चोदने लगा


ताई- छोड़ ना थोड़ी देर तो रुक 

मैं- बस होने ही वाला है 


वो- दो मिनट 


मैं- बस बस 


वो- मूत आ रहा है 


मैं- इधर ही मूत दे 


वो-छोड़ मुझे 


मैं- ना 


ताई का चेहरा एकदम लाल हो गया था उनका बदन टाइट हो गया था और इस बार जैसे ही मैंने अपने लंड को बाहर की तरफ खीचा ताई की चूत से पेशाब की मोटी धार निकल कर गिरने लगी सुर्र्र की आवाज आने लगी ताई का मूत निकल गया था , मूतने के बाद ताई बोली- हट नहीं सकता था क्या सारी खाट को गीला कर दिया 


मैं- कोई ना मेरी जान धो लेंगे पर अभी मेरी आग को बुझाओ 

ताई मुस्कुराई और खाट पर घोड़ी बन गयी और फिर से हमारी खेचातान शुरू हो गयी ताई की रसीली चूत में मेरा लंड घमासान मचा रहा था ताई की सिस्कारिया वातावरण को गरमा रही थी मेरे हाथ उनकी कमर से होकर उनके खरबूजों पर पहुच गए थे और मैं बेदर्दी से उनको दबाते हुए ताई की चूत मार रहा था ताई की चूत की चिकनाई फिर से बढ़ गयी थी और वो फिर से अपने उसी मादक अंदाज में आ चुकी थी मेरे अंडकोष बार बार ताई की मांसल जांघो से टकरा रहे थे 



“ओह! ताई कितनी मस्त है तू आज तू ऐसी है तो जवानी के दिनों में तेरा क्या हाल होगा , काश ये वक़्त यही पर थम जाये काश मेरा जोर चलता तो उम्र भर तुझे चोदता रहता ”


“तुझे पता नहीं क्यों मैं इतनी पसंद हु इतना प्यार तो तेरे ताऊ ने भी नहीं किया कभी ”


“तेरी कदर वो क्या जाने मेरी प्यारी, तू तो गज़ब है तू तो अमृत का वो प्याला है की अगर नहीं चखा तो क्या फायदा फिर जीने का ”


ताई अपनी तारीफ सुन कर खुस हो गयी और बार बार अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए चुदने लगी ताई ने तो आज जैसे मेरी बरसो की प्यास को बुझाने का काम कर दिया था ऐसे लग रहा था की जैसे सदियों बाद सूखी जमीन पर बारिश की कुछ बूंदे पड़ी हो आधे घंटे के घामासन के बाद ताई का किला एक बार फिर से ढह गया पर इस बार उसने मेरी दिवार को भी गिरा दिया था मेरा वीर्य ताई की चूत के रस से मिलने लगा जब कुछ शांति आई तो मैं ताई से अलग हुआ सांसे धोंकनी की तरह चल रही थी 



कुछ देर हम दोनों एक दुसरे की बाँहों में लिपटे पड़े रहे फिर गीता उठी और खेत के किनारे पर जाके मुझे आने को कहा हम नंगे ही एक तरफ बढ़ गए कुछ दूर पर पानी की एक छोटी सी होदी थी गीता उसमे उतर गयी मैं भी उसके पीछे हो लिया पानी में घुसते ही कंपकंपी चढ़ गयी पानी बेहद ठंडा था मैंने ताई को अपने से लिपटा लिया तो उसके जिस्म की गर्मी से चैन आया मैं एक बार फिर से उसके होंठो को पीने लगा ताई ने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और उसको सहलाने लगी ताई की गर्मी पाते ही वो फिर से अपना सर उठाने लगा 



होंठो के बाद गोरे गालो का नुम्बर था ताई ने अपने आप को मुझे सौंप दिया था उनके जिस्म के हर कतरे पर बस मेरा ही हक़ था सिर्फ मेरा थोड़ी देर की चूमा चाटी के बाद मैं होदी के किनारे पर बैठ गया और ताई झुक कर मेरे लंड को चूसने लगी उनकी लाल जीभ का रगडा जब मेरे लंड पर पड़ता तो पूरा बदन झनझना जाया करता था , गीता में सच में ही एक नशा सा था ताई की लम्बी जीभ मेरे पुरे लंड का अवलोकन कर रही थी मस्ती के मारे मेरी आँखे बंद होने लगी थी 



करीब पांच मिनट बाद उसने लंड को मुह से बाहर निकला और अब मेरी गोलियों पर टूट पड़ी मुझ पर तो जैसे अफीम का नशा हो गया था दोनों गोलिया ताई के थूक से सन चुकी थी और ताई उन्हें बेतहाशा चूम रही थी चूस रही थी थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना मुह वहा से हटा लिया मैंने पानी में ही ताई को अपने घुटनों पे झुकाया और ताई की गांड के छेद पर ढेर सारा थूक लगा दिया ताई ने अप्पने चूतडो को सिकोडा तो मैंने एक थाप लगायी तो उसने तुरंत ही कुलहो को ढीला छोड़ दिया 



मैंने अच्छे से खूब थूक ताई की गांड पे लगाया और अपने लंड को छेद पर रगड़ने लगा ताई जैसे पिघलने लगी थी मैंने ताई के जिस्म को मजबूती से थामा और पूरी ताकत लगते हुए अपने औजार को अन्दर घुसाने लगा ताई की चीख निकल गयी बदन थरा गया पर एक बार जो छेद खुला तो फिर खुलता ही चला गया ताई को दर्द हो रहा था पर वो जानती थी की ये थोड़ी देर का दर्द है मैंने धक्के मारने शुरू किये वो मेरी बाहों में लरज़ने लगी 



और जल्दी ही दर्द भरी आहे भरते हुए मेरा साथ देने लगी करीब पंद्रह मिनट तक ताई के चुतड मारने के बाद मैंने अपना पानी वही छोड़ दिया और थकान से चूर हम दोनों पानी में गिर गए उस दिन शाम तक बस मैं ताई के जिस्म का ही मजा लता रहा ताई ने अपने हुस्न को खोल दिया था मेरे लिए ताई का पुर्जा पुर्जा हिला दिया जब हल्का हल्का अँधेरा होने लगा तो हम लोग वापिस हुए

ताई को उसके घर छोड़ा और मैं अपने घर आ गया मजदूरो ने काफी काम कर दिया था जहाँ कल तक झाड झंखाड़ था अब वहा खुली जगह थी मैं घर के अंदर गया तो रौशनी थी मतलब बिजली लग गयी थी जैसे ही मैं बैठक में गया मैं मुस्कुरा पड़ा सामने दिवार पर मम्मी- पापा की तस्वीरे लगी हुई थी एक दम साफ़ कोई धुल मिटटी नहीं 


“मैंने सोचा यहाँ लगा दू तुम्हे अच्छा लगेगा ” बोली पिस्ता 


मैंने उसका माथा चूम लिया 


वो- कहा थे पूरा दिन 


मैं- बस ऐसे ही घूम रहा था 


वो- अकेले रहना ठीक नहीं है 


मैं- बस ऐसे ही गया था 


वो- तुम्हारा ऐसे ही पूरा दिन है 


मैं- अब जाने भी दे बहुत भूख लगी है 


वो-खाना लगाती हु 


मैं- क्या बनाया है 


वो- खुद ही देख लो 


मैंने देखा आलू के परांठे बने थे उसने जानती थी की मुझे सबसे ज्यादा ये ही पसंद है मेरे होंठो पर मुस्कान आ गयी 


वो- क्या हुआ 


मैं- तूने जानके बनाये न ये 


वो- हां ,सोचा इसी बहाने तुम खुश हो जाओगे 


मैं- जब तू साथ है तो खुश ही हु 


वो-पता है जब तू नहीं था बहुत याद आती थी तेरी, जी करता था की उड़ के तेरे पास पहुच जाऊ और तू निर्मोही क्या तुझे कभी याद ना आई 


मैं- तुझे क्या लगता है 


वो- तो फिर इतने साल दूर क्यों रहा 


मैं- कहा ढूंढता तुझे , और फिर तू खुश तो थी अपनी जिंदगी में और मेरा हाल तो तुझे पता ही है 


वो- हां, तभी तो अब तेरे साथ आई अब चाहे जान निकल जाये पर तेरा साथ ना छोडूंगी 


मैं-दिन में और कुछ हुआ था क्या 


वो-ना एक दो लोग आये थे तुझसे मिलने बस 


मैं- राहुल आया था 


वो- ना शाम को तो ना आया 


मैं- काम हो गया होगा कुछ 


वो- कल मैं सहर जाने का सोच रही हु, 


मैं- हो आना 


वो- तू भी चल 


मैं- ठीक है , घर की मरामत हो जाये फिर थोड़ी पेंटिग करवा लेना अब रहने लगे है तो अच्छा दिखना चाहिए 


वो- हो जायेगा वैसे मेरे मन में एक बात है कहे तो पूछ लू 


मैं- पूछ 


वो- तूने ये नहीं बताया की वो गाड़ी में कौन था 


मैं- जाने दे, क्या करेगी पूछ के 


वो- अब तू मुझसे भी छुपाने लगा है ,देख हम लोग गाँव तो आ गए है पर यहाँ किसी पर भी आँख मूँद कर भरोसा मत करना समझ रहा है न मैं क्या कह रही हु जब भी अपनो ने धोखा दिया था अब भी अपने ही है 


मैं- तुझे क्या लगता है वैसे बिमला को खबर होने के बाद भी मिलने नहीं आई 


वो-वो है ही नहीं गाँव में


मैं- कहा गयी 


वो- बड़े बड़े लोग में उठती बैठती है आजकल सुना है देहरादून गयी है 


मै- भाद में जाये अपने को क्या 


वो- अब मैं क्या कह सकती हु , खाना ठंडा हो रहा है जल्दी से खालो, मैं दूध लाती हु 
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12-29-2018, 02:53 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
फिर कुछ देर बाद हम लोगो में कुछ बात चीत नहीं हुई वो बर्तन समेट कर चली गयी मैं सोचने लगा पर क्या सोच रहा था मैं पिस्ता का सवाल तो सही था पर मैं क्या बताता उसको की मैंने किसे देखा था पर कब तक छुपाता इस बात को कभी ना कभी तो बताना ही था , पूरा दिन गीता ताई के साथ कुश्ती की थी औ अब खाना थोडा ज्यादा खा लिया था तो आँखे भारी होने लगी थी ,बैठे बैठे ही मेरी आँख लग गयी एक झपकी सी आ गयी थी 


पता नहीं कितनी देर की थी वो झपकी पर जब अचानक से मेरी आँख खुली तो लाइट नहीं थी मोमबती जल रही थी और मेरे सामने पिस्ता बैठी थी 


मैं- सोयी नहीं 


वो- तुम इधर ही सो गए थे तो मैंने जगाया नहीं 


मैं- तू भी ना बावली ही है , चल आजा सोते है 


हम ऊपर आये और पिस्ता मेरे पास आके लेट गयी मैंने उसको अपनी बाँहों में भर लिया वो मुझ से चिपक क्र सो गयी मुझे भी उसकी बाँहों में सुकून मिला पर शायद आज की रात नींद नसीब में थी ही नहीं एक सपना सा आ रहा था तभी पिस्ता ने जगा दिया 


मैं- सोने दे न 

वो- देव, उठो देखो बाहर कोई है 


मैं तुरंत उठा, और सामने को और देखा दूर एक साया सा भागता दिखा 


मैं- कौन था 


वो- मुझे क्या पता 


मैं- मेरा मतलब तुझे कैसे देखा 


वो- सुसु करने जा रही थी तभी नीचेको नजर पड़ी तो लगा की कोई है 


मैंने घडी में टाइम देखा सुबह के तीन बज रहे थे अगर चार से ऊपर होता तो मैं सोचता की कोई टट्टी-पेशाब वाला होगा पर तीन बजे और वो फिर उसका भागना 


मैं- बैटरी ले आ , चल देखते है 


और फिर हम लोग घर से बहार आ गए सुबह की ठण्ड वातावरण में घुली हुई थी मैं और पिस्ता उस तरफ बढे जहा वो साया खड़ा था कुछ दूरी पर हमे कदमो के निशान मिल गए 


मैं- पिस्ता कोई औरत थी 

वो- कैसे 


मैं- देख पांवो के निसान जूतियो के है 


वो- पर गाँव में कई मर्द भी जूतिया पहनते है 


मैं- हो सकता है 


वो- चल देखते है निशान कहा तक है 


मैं- पर इस तरफ तो जंगल है कहा ढूंढें गे 


वो- पर कोशिस तो करनी हो होगी अगर मिल गयी मुझे तो उसकी खाल ही उतार लुंगी साला दो दिन हुए नहीं हमे आये और लोगो की गांड में दर्द हो गया 


मैं-कही कोई चोर हुआ तो 


वो- अगर आदमी हुआ तो चोर वाली बात समझ आई पर लुगाई यु रिस्क न लेगी 


मैं- बात तो सही है चल देखते है 


तो उन पांवो के निशान को देखते देखते हम लोग आगे बढ़ चले पर जल्दी ही वो निशान धुंधले होने लगे और हम जंगल के मुहाने तक आ पहुचे थे 


मैं- पिस्ता अब क्या 


वो- देखते है 


और तभी मुझे कुछ दिखा मैंने देखा तो एक हीरे का टुकड़ा था एक चैन में अब इस बियाबान जंगल में ये कहा से आया 
पिस्ता- शायद उसी है है और इस से ये कन्फर्म होता है की वो औरत ही थी उसी का गिर गया होगा 


मैं- गिरा नहीं है हमारे लिए छोड़ा है , क्योंकि गिरता तो टूटके पर ये टूटा हुआ है नहीं किसी ने जानके छोड़ा है हमारे लिए 


वो- तो उसको घर पे मिलने में कोई तकलीफ थी खामखा परेड करवाई , घर पर ही दे देता 


मैं- शायद कोई सुराग है हमारे लिए 


वो- तुम ही जानो 


घर आये तो साढ़े 4 बज गए थे फिर सोने का मतलब ही नहीं था फ्रेश वगैरा होकर आये तब तक पिस्ता ने कुछ खाने के लिए बना लिया था तो आज जल्दी ही नास्ता कर लिया मैं और पिस्ता बात कर रह थे की तभी मुझे कुछ सूझा और मैं बिमला वाले मकान में आया उसका हाल भी बुरा ही था जैसे बरसो से उसकी किसी ने सुध ना ली हो मैंने ताला तोडा और अन्दर आया और तलाशने लगा कुछ पर दो घंटो की कड़ी छानबीन के बाद भी कुछ नहीं मिला तो मैं वापिस आ गया
मजदूर लोग आ गए थे अपने समय पर उनके आने के बाद मैं और पिस्ता सहर के लिए निकल पड़े पिस्ता को कुछ कपडे खरीदने थे और कुछ सामान था हमे वही पर ही दोपहर हो गयी थी उसके बाद हमने लंच किया और घर के लिए निकल ही रहे थे की बाज़ार में एक शोरूम पर मेरी नजर पड़ी दरअसल उसके पोस्टर में बिलकुल वैसा ही हीरे वाली चैन थी जैसी की हमे मिली थी मैंने पिस्ता को इशारा किया और हम अन्दर घुस गए 


काफी बड़ा शोरूम था हम अन्दर गए पिस्ता ने खुद को बिजी कर लिया मैंने दुकान का अवलोकन किया और जैसे ही मेरी नजर काउंटर पर गयी कुछ कुछ बात मेरी समज में आने लगी ,काउंटर पर मामी बैठी थी मैं उनकी तरफ बढा मुझे देख कर उनके चेहरे पर कोई रिएक्शन नहीं आया उन्होंने मुझे इशारा किया और मैं उनके पीछे एक केबिन में आ गया 


मामी-- मुझे पता था तुम यहाँ जरुर आओगे 


मैं- अच्छा तो वो लॉकेट आपने वहा पर छोड़ा था , 


वो- मुझे पता था तुम समझ जाओगे 


मैं- क्या समझ जाऊंगा 


वो- देव, तुम्हारी जान को खतरा है 


मैं- इसमें नयी बात कहा है , वैसे तरक्की खूब कर ली है ये हीरे-जवाहरात का बिजनेस चलो अच्छा ही है 


वो-क्यों शर्मिंदा कर रहे हो 


मैं- ना, ना मैं कौन होता हु आपको शर्मिंदा करनेवाला 


वो- मुझे माफ़ कर दो देव उसे मेरा कोई कसूर नहीं था 


मैं- वो सब छोड़ो, ये बताओ तुम इस शहर में क्या कर रही हो मतलब की अपना बिजनेस तुमने अपने सहर में न शुरू कर यहाँ क्यों क्या 


वो- तुम्हारे मामा के कारण 


मैं- हम्म तो मेरा शक तब भी सही था आज भी सही है मामा ने उस दिन जानबूझ कर मुझे दारू लाने भेजा था ये सब पहले से तय था


वो-नहीं देव नहीं 


मैं- तो फिर सच क्या है तुम बताओ मुझे 


वो-तुम्हे तो पता ही है की तुम्हारे नाना और मामा में कभी नही बनती थी , दरअसल तुम्हारे मामा हमेशा ही अपनी कम कमाई की वजह से टेंशन में रहते थे और ऊपर से तुम्हारे नाना तुम्हे ले आये, तुम्हारे प्रति उनका स्नेह देख कर वो जलते थे इसी लिए वो तुमसे रुखा व्यव्हार करते थे और फिर तुम्हारा मुझसे नाता जुड़ गया एक दिन तुम्हारे मामा ने हम दोनों को देख लिया था ये बात मुझे बाद में पता चली वो एक आग जलने लगे थे देव, पर वो गलती मेरी थी जो मैंने उनके साथ बेवफाई की मैं बह गयी थी तुम्हारे साथ 


मैं- तो अपनी वफ़ा साबित करने के लिए आपने मुझ पर गोलिया चलाई 


मामी की आँखों से आंसू गिरने लगे थे “मैं मजबूर थी देव , मैं मजबूर थी ”


मैं- नहीं आप मजबूर नहीं थी बल्कि ये एक सोची समझी साजिश थी अब बता भी दो की कौन कौन शामिल था इसमें 


वो- देव, मैं तुम्हारी कसम खाके कहती हु मैं मजबूर थी देव 


मैं- चलो मान लिया तो वो कौन सी मज़बूरी थी 


वो-मजबूरी थी देव बात अगर मेरी होती मैं अपनी जान दे देती पर बात मेरे पुरे परिवार की थी अगर मैं तुम पर गोली नहीं चलाती तो मेरे पुरे परिवार को मार दिया जाता 


मैं- और ये सब तुमको मामा ने बताया होगा है ना 


वो-हां, 


मैं- और तुमने मान लिया 


वो- उनके मुह से सुनके नहीं माना पर याद है वो जो फ़ोन उनको आते थे एक दिन मैंने उनकी बाते छुप कर सूनी तब मैंने जाना की वो झूठ नहीं कह रहे थे दरअसल तुम्हारे मामा को पैसो की बहुत जरुरत थी वो उन लोगो के जाल में फस चुके थे 


मैं- इस कहानी में जरा भी दम नहीं है 


वो- बेशक तुम चाहो तो इसे झूठ मान सकते हो 


मैं- मैं बस इतना जानना चाहता हु की आखिर वो क्या वजह थी जो तुमने मुझ पर गोलिया चलायी 


वो- देव, मैं बता चुकी हु 

मैं- पर सच सुनना चाहता हु मैं 


वो- देव, मैं तुम्हारी गुनेह्गार हु मैंने वो किया जो नहीं करना चाहिए था पर मैं मजबूर थी मैं जानती हु तुम मेरा विश्वाश नहीं करोगे , देव तुम्हारी हर सजा मंजूर है मुझे 


मैं- मामा से मिलना चाहूँगा 


वो- नहीं मिल सकते 


मैं- क्यों 


वो- क्योंकि वो अब इस दुनिया में नहीं है तुम पर हुए उस हमले के बाद उनको बड़ा सदमा लगा और दो महीने बाद उनकी मौत ह गयी 
मेरा तो दिमाग ही जैसे फट गया था मामा भी मर गया था वो ही तो वो कड़ी था जो मुझे बता सकता था मेरे असली दुश्मन के बारे में 


मामी- मरने से पहले एक दिन तुम्हारे मामा ने मुझे काफी सारे रूपये दिए उनकी मौत के गम में माँ-पिताजी भी ज्यादा दिन नहीं पकड पाए और रह गयी मैं अकेली घर बार बेच कर कुछ पोलिसी थी तो खूब पैसा हो गया था तो मैंने इधर दुकान खोल ली और बिजनेस अच्छा चल पड़ा


ये एक और वज्रपात था मुझ पर नाना नानी भी नहीं रहे थे ये तक़दीर कैसे ज़ख्म दे रही थी आँखों में पानी भर आया था पर मामी के आगे मैं कमज़ोर नहीं पड़ना चाहता था 


मैं- मामी मैं लास्ट बार पूछ रहा हु की आखिर ऐसी कौन से मज़बूरी आन पड़ी थी 


वो- देव, तुम कभी नहीं समझोगे 


मैं- तो समझाती क्यों नहीं 


वो- सुनना चाहते हो तो सुनो तुम्हारे नाना तुम्हे यहाँ सिर्फ इसलिए अपने साथ नहीं ले गए थे की उनकी बेटी की एक मात्र निशानी बस तुम ही ही थे बल्कि इसलिए की अब उस दौलत के तुम ही वारिस थे देव, हर चीज़ ऐसी नही होती जैसी दिखती है तुम्हारे नाना की हसरत थी की कुछ भी करके वो दौलत तुमसे हथिया ले देव, रिश्ते नातो में प्रेम , ईमानदारी का जमाना बहुत पहले ख़तम हो चूका है क्या तुमने कभी सोचा की मामी ऐसे ही पट गयी तुमसे, ऐसे ही अपनी इज्जत तुम्हे सौंप दी माना की तुम जिस्मो के खेल के बाद खिलाडी रहे हो पर हर औरत ऐसे ही अपना जिस्म किसी को भी नहीं सौंप देती है 



ये सब तुम्हारे नाना के कहने पर किया मैं , मेरे और मेरे ससुर में अवैध सम्बन्ध थे ये बात तुम्हारे मामा को पता चल गयी थी और यही वजह थी जो उनकी अपने पिता से अनबन रहती थी देव कुछ सच ऐसे होते है जो बस छुपा लिए जाये तो बेहतर पर आज ये राज़ खुलना ही था तुम्हारे मामा का दोष बस इतना ही था की वो हालात की नजाकत को समझ नहीं पाए हां वो जलते थे तुमसे क्योंकि तुमने भी उसकी बीवी पर अधिकार कर लिया था , और फिर ना जाने कैसे तुम्हारे मामा को एक मोटी रकम का ऑफर मिला और बदले में बस इतना की उस दिन किसी तरह से तुमको घर से दूर उस जगह भेजा जाये
मैं- माना की तुम्हारी कही हर बात ठीक है पर मुझको सँभालने की जगह वो गोलिया तुमने चलायी थी मुझे इस बात का जवाब अभी तक नहीं मिला की क्यों ?


मामी- हम्म,, देव, मेरे दोनों बच्चो का किडनैप कर लिया गया था मुझे बस एक फ़ोन आया था जिसमे ये बात इंदु की सगाई से कुछ दिन पहले की ही थी , दोनों बच्चे फंक्शन के लिए चलने वाले थे सुबह ही उन्होंने फ़ोन करके मुझे बताया था की शाम तक वो आ जायेंगे , पर दोपहर को एक फ़ोन आया बस इतना कहा गया की अपने बच्चो की सलामती चाहती हो तो हमारा ये काम करना होगा मैं चिल्लाई उस पर मुझे लगा कोई मजाक कर रहा है पर जब मैंने अपने बच्चो की चीखे सूनी तो मैं घबरा गयी उन्होंने साफ़ कहा था की अगर किसी को जिक्र भी किया तो अपने बच्चो को कभी दुबारा नहीं देख पाओगी मैं बुरी तरह डर गयी थी , पूरा दिन बस गुमसुम पड़ी रही याद है जब तुमने आके मेरा हाल पुछा था ये उस दिन की बात है अब मैं तुम्हे क्या बताती की क्या कीमत मांगी गयी है अपनी औलाद की सलामती की 



मैं रोती रही बिलखती रही जूझती रही अपने मन में उठ रहे उस तूफ़ान से और फिर अगले दिन फिर से उनका फ़ोन आया की अगर तुमने देव को नहीं मारा तो तुम्हारे बच्चो की लाश भी देखने को नसीब नहीं होगी बताओ मैं क्या करती एक माँ की ममता के आगे तुम्हारी मामी हार गयी देव तुम्हारी मामी हार गयी , और फिर वो दिन आया उस शाम् मुझे फ़ोन आया की सोच लो देव चाहिए या बच्चे मैं मजबूर थी तो क्या कहती और जब मैं वहा पहुची तो देखा तुम खून से लथपथ तड़प रहे थे आधे बेहोश थे तुम और दिल पर पत्थर रख कर मैंने गोलिया दाग दी 


मैं तुम्हारी गुनेहगार हु देव, तुम जो चाहे सजा दो हर सजा मंजूर है मुझे ये कह कर वो फफक कर रो पड़ी मैंने कोई कोशिश नहीं की उन्हें चुप करवाने की 


मामी- देव, वो गोलिया मैंने तुम पर नहीं बल्कि अपने आप पर चलाई थी उस दिन से आज तक हर पल मैं मरती आई हु अपनी आत्मा पे लिए इस बोझ को कैसे जी रही हु बस मैं ही जानती हु तुम्हारे मामा चले गए सब ख़तम हो गया तो मैंने ये मुखोटा ओढ़ लिया 


मैं- तो वो फ़ोन करने वाले कौन थे 


वो- तुम्हारी कसम देव मैं बिलकुल नहीं जानती 


मैं-तो बात घूम फिर कर वही पर आ गयी 


वो- सच देव, मुझे इस बारेमे कुछ नहीं पता 


मैं- आदमी ने फ़ोन किया था या औरत ने

वो-औरत ने 

मैंने एक गहरी सांस ली और वहा रखे जग से थोडा पानी पिया 

मैं- चाचा से शादी कब की तुमने 


मामी- तुम्हे पता चल गया 

मैं- हां 

वो- तुम्हारे जाने के एक साल बाद , तुम्हारे चाचा को तुम्हारे हमले से बड़ा दुःख पंहुचा था इस खबर से जैसे टूट गए थे वो , हर हफ्ते वो आते सबसे पूछते, सुराग ढूंढते और ऐसे ही हम लोग एक दुसरे के नजदीक आ गए ऐसा नहीं था की मुझे सहारे की जरुरत थी पर एक जवान औरत का अकेला जीना बड़ा मुश्किल होता है देव तो कुछ सोच कर हमने साथ रहने का फैसला ले लिया 


मैं- अच्छा किया 


वो- मिलोगे नहीं अपने चाचा से 


मैं- वो मेरे कुछ नहीं लगते 


उसके बाद मैं खड़ा हुआ और वहा से निकल आया पिस्ता मेरा इंतजार कर रही थी 
वो-कहा चले गए थे तुम 


मैं- बस ऐसे ही तुमने पसन् किया कुछ 


वो- नहीं , वैसे भी हम यहाँ कुछ खरीदने नहीं आये थे है ना 


मैं हल्का सा मुस्कुरा दिया , हम लोग गाँव के लिए चल पड़े पर मेरे सीने में दर्द उठने लगा था सर भारी हो रहा था मैंने अपनी आँखे बंद कर ली दर्द से ध्यान भटकने की पूरी कोशिश की पर ऐसा होते रहता था मेरे साथ बड़ी मुस्किल से वो सफ़र पूरा किया डगमगाते हुए कदमो से घर की और बढ़ रहा था पसीने से तर हो गया था शरीर जैसे ही घर के बाहर चबूतरे तक पंहुचा मैं वही गिर गया आँखे जैसे दर्द से फटने को हो गयी थी मैंने अपनी शर्ट फाड़ डाली और अपनी छाती की मसलने लगा 


पिस्ता ने मुझे अपनी गोदी में लिया और मेरे सीने को सहलाने लगी मुझे तड़पता देख कर उसकी रुलाई छुट पड़ी उसके आंसू मेरे चेहरे को भिगोने लगे धीरे धीरे सब धुंधला होने लगा अँधेरा छा गया , पता नहीं उसके बाद कब होस आया देखा तो मैं अन्दर लेटा हुआ हु कुछ लोग मेरे पास बैठे थे मेरे होश में आते ही पिस्ता मुझ से लिपट गयी और जोर जोर इ रोने लगी 
मैं- कुछ नहीं हुआ पगली, ऐसा दर्द होता रहता है ये जो ज़ख्म है सब इनकी मेहरबानी है 


पिस्ता- तुम्हे कुछ हो जाता तो 


मैं- कुछ नहीं होगा पगली


मैंने उसे अपने से अलग किया और देखा की रतिया काका, राहुल , काकी सब वही थे सब के चेहरे पर टेंशन थी जब मैंने उन्हें बताया की कुछ पुराने ज़ख्मो की वजह से अक्सर ये दर्द उठता है तो उनकी फिकर थोड़ी कम हुई फिर पिस्ता ने मुझे शाम तक बिस्तर से उठने नहीं दिया वो दिन बस ऐसे ही गुजर गया अगले दिन ताई गीता मिलने आई थी उसको शायद मालूम हो गया था पिस्ता को देख कर वो चौंकी और उन्होंने पूछ ही लिया की ये मेरे साथ क्या कर रही है और मैंने भी सीधा बता दिया की ये मेरी पत्नी है ताई को बड़ा. आश्चर्य हुआ पर वो फिर बात टाल गयी 


ताई दोपहर तक रही हमारे साथ फिर वो चली गयी उसके बाद मैंने और पिस्ता ने लंच किया उसके बाद हम लोग खेतो की तरफ घुमने चल दिये पिस्ता भी बोर हो रही थी तो हम बाते करते हुए हम पहुचे 


मैं-याद है ये मेरा कुआ था और वो थोड़ी दूर तेरा और अपनी मुलाकात भी तो यही हुई थी 


वो- मैं कैसे भूल सकती हु हां बस अब इतना है की ये खेत अब मेरा नहीं रहा भाई ने इसको किसी और को दे दिया है बस हर फसल के आधे पैसे ले लेता है 


मैं- उदास क्यों होती है ये सब तेरा ही तो है तू कहे तो अभी खाली करवा लू ये खेत 

वो- ना रहने दे बस तुम हो अब किसी चीज़ की आस नहीं तुम्हे पाकर मैं पूरी हो गयी हु 


मैं- वो भी क्या दिन थे ना, याद है इसी जगह मैं बिस्तर लगाके रेडियो सुना करता था कैसे हम मिला करते थे ये धरती गवाह है हमारे प्यार की 


वो- हां
Reply
12-29-2018, 02:54 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
पिस्ता- देव तुमने मुझमे ऐसा क्या देखा था 

मैं- अब इन बातो का क्या मतलब जो देखा था तुम्हे भी पता है मुझे भी क्या इतना काफी नहीं है तुम हो तो मैं हु मैं हु तो तुम हो 

वो- बाते बड़ी अच्छी करते हो 

मैं- देखो वक़्त कितना बदल गया है जब चोरी चोरी मिलते थे आज देखो हक़ से तुम्हारा हाथ थामे खड़ा हु पर वो भी क्या दिन थे याद है एक बार लकड़ी काटने के बहाने से हम जंगल में मिले थे सच कहू तुम्हारा वो दिलेर अंदाज ही मेरे मन को भा गया था आज जो जी रहे है वो क्या ख़ाक जिंदगी है 

वो- अब जैसे भी है जीना तो पड़े ही गा 

मैं-वो तो है 

पिस्ता- देव, तुमने बहुत कुछ सहा है, मैं बस इतना चाहती हु की अब तुम आराम से जिओ, 

मैं- तुम साथ हो तो आराम ही है 

वो- हां, पर ये जो अनजाना दुश्मन है ना जाने कब क्या वार कर दे , बिमला के आते ही तुम बात करो उस से 

मैं- कोशिश करूँगा 

वो- देव, हम पहले ही सब कुछ खो चुके है जल्दी ही आर्यन भी यहाँ होगा हम हमेशा तो उसको यहाँ से दूर नहीं रख पाएंगे और फिर जब तुमने अब सोच ही लिया है की गाँव में रहोगे तो सुरक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा है 

मैं- पिस्ता, देखो मैं बहुत थक गया हु , ऐसा नहीं है की मैंने इन सब बातो के बारे में विचार नहीं किया है पर मैं सच में थका हु , थक गया हु इ जिंदगी से थोडा आराम करना चाहता हु थोड़ी देर तुम्हारे आँचल तले सोना चाहता हु 

मैंने पिस्ता की गोदी में अपना सर रखा और आँखों को मूँद लिया वो धीरे धीरे मेरे बालो में हाथ फेरती रही क्या मैंने झूठ कहा था आजतक अगर मुझे कही सुकून मिला था तो बस पिस्ता के पास ही , उसमे ही मुझे रब दीखता था वो ना जाने किस मिटटी की बनी थी मेरी खातिर उसने खुद को दांव पर लगा रखा था , कुछ देर मैं लेता रहा , ठंडी हवा चल रही थी तो मूड रोमांटिक सा होने लगा था पर पिस्ता ने ये कह कर टाल दिया की उसका महिना आ गया है 

तो क्या किया जा सकता था , एक बार फिर से हमारी बाते चालू हो गयी और मैंने पिस्ता कोक आखिर बता ही दिया कीमेरे और मामी के बीच क्या बात हुई थी और मामी ने चाचा से शादी भी कर ली थी , सारी बात सुनकर पिस्ता ने अपना माथा पीट लिया और बोली- तभी क्यों नहीं बताया मुझे, देखो साफ़ है वो दोनों साथ है तो कुछ तो बात होगी ही मैं दो मारती उसकी गांड पे तो सब बता देती वो 


मैं- पर तुमने इस बात पे ध्यान नहीं दिया की चाचा ने बिमला को छोड़ दिया 

वो- मैं भी यही कहने वाली थी 

मतलब-अजीब नहीं लगता जिस बिमला के लिए वो पुरे परिवार से ख़राब हो गए उस बिमला को छोड़ दिया 

मैं- या फिर शायद बिला ने उनको 

वो- हो भी सकता है , वैसे हमे बिमला को धर लेना चाहिए उसकी वजह से ही ये सब शुरू हुआ था वो ही बताएगी 

मैं- उसकी वजह से नहीं बल्कि मेरी वजह से सब शुरू हुआ था ये मत भूलो की उसको बहकाने वाला मैं ही था 

वो- कब तक इस बात का मलाल करते रहोगे, वो क्या नासमझ थी उसे क्या पता नहीं था की इस रस्ते पर अंजाम क्या होगा और क्या तुमने चाचा से चुदने को कहा था उसको , उसको भी सब पता था की वो किस आग से खेल रही है, अब मुझे ही देखो क्या मैंने आजतक जो भी किया वो अनजाने में हुआ नहीं ना, मुझे हर पल पता था तो ये बात को समझो जरा 


मैं- तो फिर ठीक है बिमला के आते ही मिलूँगा उस से 

वो- घर चलते है, सांझ घिर आई है 

पैदल ही घूमते हुए हम लोग घर की तरफ बढ़ रहे थे रस्ते में देखा की ताई के मकान पे ताला लगा है शायद गयी होगी कही पे रस्ते में कुछ और लोगो से दुआ-सलाम हुई और हम लोग घर आ गए मजदूर लोग भी जाने की तयारी कर ही रहे थे अन्दर जाकर हाथ-पाँव धोये पिस्ता कुछ काम करने लगी मैं कुछ पुराने कमरों में देखने लगा बस ऐसे ही देख रहा था शायद कुछ ऐसा मिल जाये कोई पुरानी याद या फिर ऐसा चारो तरफ बस पुराना सामान ही बिखरा हुआ था और तभी मुझे एक डायरी मिली हालात थोड़ी खस्ता थी पर क्या लिखा था पढ़ा जा सकता था 


लिखाई को मैं देखते ही पहचान गया था वो पिताजी की लिखाई थी, शायद किसी तरह का हिसाब था पैसो के लेनदेन का रकम तो लिखी हुई थी पर लेनदारो या देनदारो के नाम की जगह शायद कुछ अजीब सा लिखा हुआ था मैंने कुछ और पन्नो को पलटा एक बात तो साफ़ थी की रकम बहुत बड़ी थी मैं वो डायरी लेकर वापिस आया और पिस्ता को दिखाया उसने कई देर तक सब देखा फिर बोली- “देव, तुमने इस बात पे गौर नहीं किया की रकम बहुत बड़ी है इतना पैसा आया कहा से होगा ”


मैं- शायद पार्टनरशिप रही हो किसी तरह की 


वो- पर किस से , चलो मान भी लिया जाए की पार्टनरशिप थी तो भी ये रकम बहुत बड़ी होती है माना की तुम्हारा परिवार अमीर था घर में नोकरिया भी थी और जमीं जायदाद भी खूब थी , ज़मीन इतना पैसा दे सकती है अगर उसको बेचा जाये पर मुझे नहीं लगता की तुम्हारी कोई जमीन बेचीं गयी हो 


मैं- और जो भी नकद पैसा था वो बैंक में जमा है पाई पाई का हिसाब है पिस्ता मुझे लगता है इस रकम का कुछ तो झोल है 

वो- हो सकता है , अगर ये नाम स्पस्ट होते तो अभी काम बन जाना था 

मैं- एक मिनट, एक अंदाजा है की रकम कहा से आई होगी 

वो- बताओ 

मैं- देखो, हमेशा से ही गाँव की सरपंची हमारे पास रही है मुझे तो याद ही नहीं आता की कबसे और गाँव के विकास का पैसा सरकार की तरफ से खूब आता था अब उस ज़माने में किसकी हिम्मत थी की सरपंच से हिसाब मांगे , कम से कम गाँव वालो की तो नहीं तो क्या पता ये बरसो से गबन की गयी रकम हो 


पिस्ता- देव, मुझे ये बात थोड़ी कम जंचती है क्योंकि तुम्हारे परिवार ने गाँव वालो के लिए बहुत कुछ किया है और मत भूलो की अगर तुमने चाल नहीं चली होती तो बिमला को गाँव ने जीता ही दिया था 


मैं- मानता हु पर कई बार चीज़े ऐसी भी नहीं होती जैसी की दिखती है चलो मान लिया की मेरा अंदाजा गलत है पर अब कुछ तो लेनदेन है तभी लिखा गया है
पिस्ता –मैं कहा इस बात को नकार रही हु लेनदेन तो है और जब इतनी बड़ी रकम है तो क्या पता वो सब साजिश इसके लिए ही हुए हो 


पिस्ता की इस बात में दम था पर अगर इस बात को मान लू तो अब तक जो भी हुआ था जो भी समझा था जाना था उस से बात एक अलग दिशा में घूम जाती थी जहाँ मैं आजतक इसे पारिवारिक दुश्मनी मान रहा था अब बात दूसरी हो जाती थी कुछ भी हो खेलने वाले ने खेल बहुत ही तगड़ा खेला था पर कौन हो सकता था इन सब के पीछे सवाल लाख टके का था 


पिस्ता- अगर किसी गाँव वाले का इस से ताल्लुक है तो हम कल ही जांच-पड़ताल करेंगे की बीते समय में किस किस ने अस्चार्य्जनक रूप से तरक्की की है 


मैं- हां, 


पिस्ता- ये काम मैं करुँगी , वैसे देखो हमेशा से ही गाँव में दो ही परिवार ऐसे थे जिनका रसूख था तुम्हारा और अवंतिका का तो तुम्हारे आलावा मैं किसी तीसरे से शुरू करुँगी 


मैं- सही है बिलकुल 

वो-तो सबसे पहले किसको पकडू 

मैं- तू जाने 

वो- कल गाँव में कुछ जानकारी इकठ्ठा करती हु तभी कुछ बात बनेगी पर कल तुम एक काम करो पटवारी से मिलके तुम्हारी पूरी जमीं के रकबे की जानकारी लो इस से हमे वास्तव में पता चलेगा की जमीन है कितनी हो सकता है की कोई ऐसी जमीन हो जिसका हम लोगो को पता ही ना हो मतलब कोई और जमीन खरीदी गयी हो 

मैं- हां, कल सुबह ही पटवारी से मिलता हु 

वो- हा, मैं एक काम और करवाना चाहती हु 

मैं- बताओ 

वो- देखो ये घर सड़क से काफी अन्दर को है तो मैं चाहती हु की सडक से लेके घर के चारो तरफ ऊंची चारदीवारी करवा लू कुछ ही दिनों में बाकि लोग भी आ जायेंगे तो सुरक्षा चाहिए होगी खासकर आर्यन की क्योंकि हमारे दुश्मनों को जैसे ही पता चलेगा की आर्यन वारिस है वो कुछ न कुछ तो जरुर करेंगे 

मैं- हां ये बात मैंने भी सोची थी तुम कल से ही चारदीवारी का काम शुरू करो मजदूर बढ़ा दो पर ये काम उनलोगों के आने से पहले ही होना चाहिये 

पिस्ता- कल से ही सुरु करवाती हु हां, एक बात और कल कुछ पैसे ले आना जरुरत है 


मैं- ठीक है 


तो अगले दिन मैं पटवारी से मिला और मेरे परिवार की हर जमीं के आंकड़े मांगे साथ ही गाँव के उन सभी लोगो की जानकारी भी मांगी जिन्होंने पिछले कुछ सालो में जमीने खरीदी थी अब ये काम थोडा लम्बा था तो पटवारी ने दो दिन की मोहलत मांगी उसके बाद मैं बैंक गया कुछ पैसे निकाले उसके बाद एक गाड़ी खरीदनी थी अब कब तक पैदल ही घूमना होता तो उसकी कार्यवाई होते होते शाम ही हो चली थी बस घर ही जाना था तो सोचा थोड़ी मिठाई खरीद लू खरीदारी के बाद मैं टेम्पो स्टैंड आया और इंतजार करने लगा 



कुछ मिनट बाद एक कार आई और मेरे पास रुक गयी शीशा उतरा तो मैंने देखा ये तो अवंतिका थी वो गाडी से उतरी 


वो- देव, तुम देव ही हो ना 


मैं- हां अवंतिका 


वो खुश हो गयी बोली- तुम, इतने समय बाद कब आये 


मैं- कुछ दिन हुए 


वो-चलो मेरे साथ 


मैं गाड़ी में बैठ गया रस्ते भर बाते होती रही उसने बताया की वो किसी काम से बाहर गयी हुई थी 


वो- ये तुमने बहुत सही किया जो वापिस आ गए अपना घर तो अपना ही होता है अब आराम से रहो मेरे लायक जो भी सेवा हो वो बताना 


मैं- तुमसे मुलाकात हो गयी बहुत है 


वो- तुम अचानक से गायब हो गए कम से कम मुझे तो बता सकते थे 


मैं- छोड़ो पुरानी बातो को ये बताओ क्या चल रहा है 


वो- बस टाइमपास हो रहा है पतिदेव की तबियत कुछ ठीक रहती नहीं तो घर की जिम्मेवारी मुझ पर ही है देवर अपना हिस्सा लेकर अलग हो गया तो घर और कारोबार मुझे ही देखना पड़ता है 


मैं- दिखाया नहीं किसी अच्छे डॉक्टर को 


वो- इलाज चल रहा है 


मैं- हो जायेगा ठीक 


वो- कल आती हु मिलने 


मैं- आ जाना 
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