RE: RajSharma Stories आई लव यू
“राज, तेरे सारे दोस्तों की शादी हो गई है और अब रोज शादी वाले आ रहे हैं... आस-पास के लोग भी कहने लगे हैं कि शादी कर लो अब राज की।"- माँ ने कहा।
"अरे माँ, सब टाइम पर होगा न, जल्दबाजी क्यों करनी।"
"हम जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं, पर अब कर लेनी चाहिए शादी। अच्छा तुम ही बताओ, कैसी लड़की चाहिए तुम्हें?"- पापा ने कहा।
"पापा, लड़की अच्छी हो बस ... जो आप लोग तस्वीर दिखा रहे हैं उनमें से कोई पसंद नहीं है मुझे।"
"तो इन सबको मना कर दें?''- पापा ने बाने की प्लेट छोड़कर मेरी तरफ देखा और पूछा।
"हाँ, फिलहाल तो आप मना ही कर दीजिए।"
"ठीक है, हम मना कर देंगे; अब तुम ही कर लेना शादी फिर।"- ये कहकर पापा गुस्से में अपने कमर में चले गए।
पापा कई बार पूछ चुके थे कि अगर कोई लड़की तुम्हें पसंद है तो बताओ; लेकिन मैं उन्हें कैसे बता सकता था कि जिस लड़की को मैं पसंद करता हूँ, उसकी एक पाँच साल की बेटी है। मेरे परिवार के लोग इस रिश्ते को किसी कीमत पर मानने वाले नहीं थे। हाँ, मैं मनाने की कोशिश कर सकता था, लेकिन हम दोनों भी तो एक-दूसरे से शादी करने के लिए तैयार नहीं थे।
शीतल तो हमेशा कहती थीं कि तुम छोटे हो मुझसे और मैं एक बेटी की माँ भी हैं, ऐसे में कोई क्या कहेगा... लोग मुझसे कहेंगे कि राज तो छोटा था, पर तुम तो समझदार थी...उसकी जिंदगी क्यों बर्बाद की?
खैर, अभी दिमाग नहीं चल रहा था। वाना हो चुका था। कुछ देर वहीं बैठकर माँ से और छोटे भाई-बहन से इधर-उधर और पढ़ाई-लिखाई की बातें की। इसके बाद मैं अपने कमरे में जाकर सो गया।
शाम के पांच बज चुके थे। मां ने कमरे का दरवाजा खटखटाया। चाय के लिए बुला रही थीं माँ। मैं नहाकर नीचे पहुंचा और सबके साथ बैठकर चाय पी। इस बीच किसी ने भी शादी की कोई बात नहीं की। ___ भाई-बहन ने घूमने का प्लान बना रखा था, तो शाम उनके साथ बितानी थी। हम लोग चाय के बाद घूमने निकले। पहले परमार्थ-निकेतन घूमे... फिर लक्ष्मण झूला से मछलियों को दाना खिलाया। भाई-बहन के साथ गोलगप्पे और आलू टिक्की खाकर मैं मारी टेंशन भूल गया।
इस बीच एक पावभाजी की दुकान पर नजर पड़ी, तो मैंने उन लोगों से पूछा "पावभाजी खाओगे?" "हाँ भाई, खाएंगे।" पावभाजी शीतल को बेहद पसंद थी। शायद यही वजह थी कि मैंने उन दोनों को पावभाजी के लिए बोला था। पावभाजी खाते-खाते शीतल के साथ हल्दीराम में पावभाजी खाने वाले पल ताजा हो गए थे। जब भी मैं उसे सुबह घर से रिसीव करता था, या शाम को घर छोड़ता था, तो उसे वहीं पावभाजी खिलाता था। हाँ, कभी-कभी छोले-भटूरे भी खाते थे।
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