RE: RajSharma Stories आई लव यू
ऑफिस में जब भी हम चाय के लिए कैंटीन में मिलते थे, वो तो बस मेरा कप खाली होने का इंतजार करती थीं। बात करते-करते वो हमारी आँख हटते ही हमारा खाली और जूठा कप फेंकने के लिए उठा लेती थीं।
वो कहतीं थीं "राज, हम आपको अपने हाथ से बनाकर जिंदगी भर चाय पिलाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि आपकी हर सुबह हमारे हाथ की चाय पीकर ही हो... लेकिन हम जानते हैं हमारी किस्मत में आप नहीं हैं। हम आपको अपना नहीं बना पाएंगे और आप हमारे कभी नहीं हो पाएंगे, इसलिए हम आपका जूठा कप उठाने में ही अपनी जिंदगी की खुशी हँद लेते हैं; और हाँ, आपसे एक रिक्वेस्ट; हमसे अपना जूठा कप उठाने वाला अधिकार मत छीनिएगा कभी।”
शीतल हमसे ऐसी चीज माँग रही थीं, जो हमारे लिए देना बड़ा मुश्किल था। हम कभी किमी से अपने जूठे बर्तन नहीं उहवाते हैं, लेकिन यहाँ बात किसी की खुशी की थी, तो हमने नहाँ किया और नन जब भी हम साथ चाय पीते थे, तो हम चाय खत्म करने के बाद अपने कप को हाथ से पकड़कर रखते थे। लेकिन हमारी जरा-सी भी नजर चूकने पर शीतल एक झटके से हमारे हाथ से जूठा कप ले लेती थीं और फेंकने चल देती थीं। उन्हें इसमें बहुत खुशी मिलती थी। बिलकुल एक छोटी बच्ची की तरह थीं वो। उन्हें देखकर बचपन की उन गुलाबी तितलियों की याद आती थी, जो हमारे घर के पार्क में आ जाया करती थीं।
तितली की तरह तो है ही शीतल... मनमस्त उड़ना फितरत है उनकी । वो जहाँ जाती हैं, सबको बना लेती हैं। वो अपने बिंदास अंदाज में नए-नए एक्सप्रेशन के साथ अपनी दिनभर की बातें बताती थीं। मैं बेफिक्र होकर उनकी हर बात सुनता रहता था।
जी चाहता था कि बस बो बोलती रहें और मैं बस सुनता रहूँ।
मैं चाहता हूँ कि उनके बोलने और मेरे सुनने का सिलसिला हम दोनों की आखिरी साँस तक चलता रहे।
घर के बड़े बच्चे को हमेशा ज्यादा प्यार मिलता है। बड़ा बच्चा सबका दुलारा होता है, सबका लाडला होता है। और अगर पहला बच्चा बड़ी उम्मीदों और बहुत समय के बाद हुआ हो, तो उसे और भी ज्यादा प्यार करते हैं सब। उसकी हर छोटी ख्वाहिश; हर छोटी जरूरत, एक पल में पूरी हो जाती है।
शीतल अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनकी एक छोटी बहन और एक छोटा भाई था।
शीतल ने अपनी जिंदगी में जो कुछ चाहा था, वो उन्हें मिला था। बीस साल की उम्र तक वो किसी आजाद पंछी से कम नहीं थीं। जहाँ मन किया घूमती थीं, जो मन किया खाती थीं; जो चाहा, उसे उनके पापा तुरंत उनके सामने ला देते थे। हर वो चीज, जिसे वो चाहती थीं, वो उनके माँगने से पहले उनके पास होती थी।
लेकिन जिस शख्म को उन्होंने चाहा था, उस शख्स ने उनकी दुनिया उजाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
शीतल अपने भाई-बहनों में सबसे सुंदर हैं। अच्छी खासी लंबाई के साथ आकर्षक पर्सनालिटी है उनकी। उनकी छोटी बहन को हमेशा उनसे ये शिकायत होती थी, कि शीतल जो चाहती हैं, वो उन्हें मिल जाता है।
शीतल किसी पार्टी या फंक्शन में जाती थीं, तो उस पार्टी में वो सबका ध्यान खींच लेती थी और जिस पार्टी में वो नहीं जाती थीं, वहाँ उनके परिवार के लोगों से लोग पूछने लगते थे, "शीतल नहीं आई?"
शीतल की छोटी बहन को ये भी अखरता था। उनकी छोटी बहन अक्सर उनसे कहती थी, "तेरी तो किस्मत बहुत अच्छी है; सब तुझे इतना प्यार करते हैं...तू कहीं जाए या न जाए, सब तुझे पूछते हैं।"
शीतल की बहन को भी नहीं पता था कि बीस-इक्कीस साल की उम्र में जिसकी जिंदगी अनगिनत खुशियों से भरी है, उसकी जिंदगी एक दिन बिखर जाएगी और ये खुशियाँ हाथ से रेत की तरह फिसल जाएंगी। शीतल को भी ये नहीं पता था कि बर्फ बहुत खूबसूरत होती है, लेकिन उसे भी पिघलना पड़ता है। बाईस साल की उम्र में शीतल शादी के बंधन में बंध चुकी थीं। उनकी शादी की कोई तस्वीर या वीडियो उन्होंने मुझे नहीं दिखाया था। सच कहूँ तो उस शख्म को, जिसने मेरी शीतल को आँसू दिए और ऐसे निशान दिए जो जिंदगी भर नहीं जाएंगे; उसकी मनहूस शक्ल मैं देखना भी नहीं चाहता हूँ।
लेकिन शीतल अपनी शादी के वक्त कितना खुश थीं, ये उन्होंने बता दिया था। पावभाजी शीतल की सबसे पसंदीदा डिश है। उनका मूड ठीक करना हो, तो बस पावभाजी खिला दो। शादी के वक्त लड़कियाँ इतनी नर्वस होती हैं कि उनके चेहरे की खुशी ही गायब हो जाती है। लेकिन शीतल, जयमाला स्टेज पर बैठकर पावभाजी खा रही थीं। शीतल इतनी खुश थीं इस बात से, कि जिस लड़के से वो प्यार करती हैं, उससे उनकी शादी हो रही है।
शीतल जब भी अपनी शादी या अपने गुजरे वक्त की बात करती हैं, तो मैं भीतर तक हिल जाता है। उन्होंने क्या-क्या नहीं सहा? मार मही, जलना सहा, गालियाँ सही और उसके बाद अलग होना तक महा। रिश्ता टूटना कोई सामान्य बात नहीं होती है; न जाने कितने लोग अपनी जान दे देते हैं रिश्ता टूटने पर... कितने लोग जिंदगी भर के लिए जिंदा लाश बन जाते हैं रिश्ता टूटने पर। जानती हो डॉली!
ये सारी बातें करते-करते शीतल की आँखें भी नम हो जाती हैं, इसलिए मैं हमेशा कोशिश करता हूँ कि मैं अपनी बातों में उनका ध्यान लगाए रखू। मैं उनको और परेशान नहीं देख सकता हूँ। मैं उनकी आँखों में और आँसू नहीं देखना चाहता हूँ। उनका छोटे बच्चों की तरह इतराना, जान-बूझकर नादान बन जाना, आँखों और दिल के प्यार का पागलपन चेहरे, हावभाव और हरकतों में दिखना बहुत प्यारा होता है। जब शीतल मेरे सामने होती हैं, तो मेरी तरह ही बन जाती हैं: बो सब-कुछ भूल जाती हैं।
मैं तो भगवान से माँगता हूँ कि जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी शीतल को मिले... और अगर मुझे कुछ देना चाहते हैं भगवान; तो उन्हें, मुझे दे दें।
"जो भी माँगो तुम्हारे नाम आज कर देंगे लेके गम आपके झोली खुशी से भर देंगे। आके करीब तुमने हमको अपना कह दिया अपनी हर एक साँस अब तो तेरे नाम कर देंगे।"
बस, एक बार फिर उसी ढाबे पर रुक गई थी, जहाँ ऋषिकेश जाते वक्त रुकी थी। यही बो जगह थी, जहाँ डॉली से मेरी पहली मुलाकात हुई थी।
"चलो राज कुछ खाते हैं, फिर तुम्हारी स्टोरी कंटीन्यू करेंगे।"- डॉली ने कहा। "ओके...आओ।"- मैंने कहा। “पर मच में राज, तुम्हारी कहानी बहुत प्यारी है।''- बस से उतरते हुए डॉली ने कहा।
"हम्म...वो तो है।" पता है डॉली, जब मेरे जेहन में पहली बार शीतल के लिए प्यार का अहसास हुआ था, तब से मैं ये जानता था कि शीतल कभी मेरी नहीं हो पाएँगी और मैं कभी उन्हें अपना नहीं बना पाऊँगा।
|