RE: Real Sex Story नौकरी के रंग माँ बेटी के स�...
उसकी आखिरी बात ने मेरा दिल और भी तोड़ दिया… उसने इतनी आसानी से कह दिया कि उसके और मेरे मिलने के लिए बहुत वक़्त पड़ा है… मानो हमारे मिलन का कोई खास महत्त्व ही नहीं हो उसके लिए…!
मैं समझ गया था कि जिस रेणुका में मैं अपना प्यार तलाश रहा था वो रेणुका सिर्फ मुझसे अपने जिस्म की जरूरत पूरी कर रही थी…
रेणुका मुझसे मिल कर धीरे धीरे अपनी कमर और चूतड़ मटकाती हुई मुझे अपनी कामुक चाल दिखा कर चली गई… मैं भारी मन से उसे जाते हुए देखता रहा..
मैंने एक बात नोटिस करी.. पहले जब भी रेणुका मुझसे लिपटती और मेरे लंड पे हाथ फेरती मेरा लंड फनफना कर खड़ा हो जाया करता था… लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ… शायद मेरे टूटे हुए दिल की वजह से?
खैर मैं बुझे हुए मन से रेणुका के घर तक गया और बाहर से ही वंदना को आवाज़ लगाई…
एक दो बार पुकारने के बाद ही वंदना अपने हाथों में एक बड़ा सा डब्बा लेकर बाहर आई, शायद अपने दोस्त के लिए गिफ्ट लिया होगा…
मेरा मन उदास था और थोड़ी देर पहले वंदना और मेरे बीच हुए उस हादसे की वजह से मैं उसकी तरफ देख नहीं पा रहा था… लेकिन एक बार जल्दी में जब मैंने उसकी आँखों में देखा तो उसकी आँखें वैसे ही लाल दिखाई दी जैसी उस वक़्त हो गई थीं और उसके चेहरे पे एक प्रणय भरा निवेदन सा था।
मैंने मुस्कुरा कर झट से अपनी नज़रें हटा लीं और इधर उधर देखने लगा।
तभी अन्दर से अरविन्द भैया अपे कार की चाभी लेकर बाहर निकले और पीछे पीछे रेणुका भी मुस्कुराते हुए आई।
‘समीर, मेरी कार ले जाइए… रात में शायद आप लोगों को लौटने में देर हो जाए और मौसम भी कुछ ठीक नहीं है… और इतनी रात गए इस शहर में बाइक से जाना सही नहीं होगा…’ अरविन्द भैया ने मेरी तरफ देखते हुए कहा और अपने गराज से कार निकलने लगे।
इसी बीच रेणुका हम दोनों के पास आई… वंदना को उसने कुछ कहा और फिर वो मेरी तरफ मुड़ी- आराम से आइयेगा… रात का वक़्त है हड़बड़ाने की कोई जरूरत नहीं है… कहीं कोई हादसा न हो जाए।
उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा।
मैं उसका इशारा समझ गया था… और उसकी बातों का मतलब समझते ही एक बार फिर से मेरे टन बदन में आग लग गई… असल में रेणुका अपने पति के साथ तन्हाई में रहना चाह रही थी।
‘अजी अगर आप कहें तो आज हम आते ही नहीं हैं… फिर अप अपने दिल के सारे अरमान पूरे कर लीजियेगा।’ मैंने गुस्से में बनावटी हंसी दिखाते हुए रेणुका को आँख मारते हुए कहा।
‘फिर तो मजा आ जायेगा।’ उसने भी बेशर्मी से कह दिया।
मेरा गुस्सा और भी बढ़ गया… मैं उसके पास से हटकर अरविन्द भैया के पास चला गया और गाड़ी निकलने में उनकी मदद करने लगा।
गाड़ी निकल गई और हम दोनों यानि वंदना और मैं उसमें बैठ कर चल दिए।
घर से थोड़ी दूर आगे निकलने के बाद वंदना ने कार के म्यूजिक सिस्टम को ओन कर दिया और एक रोमांटिक गाना बजा दिया…
अगर तुम मिल जाओ…
ज़माना छोड़ देंगे हम…
गाना शुरू होते ही उसने अपनी नज़रें मेरी तरफ कर लीं और मुझे एकटक देखने लगी…
मेरा ध्यान सीधे रास्ते पर था लेकिन मुझे यह पता चल रहा था कि वो टकटकी लगाये मुझे ही देख रही है… मैंने धीरे से अपनी नज़रें उसकी तरफ करीं और उसकी आँखों में देखा।
जैसे ही मैंने देखा, उसने अपने चेहरे पे मुस्कराहट बिखेर दी और अपनी आँखें बड़ी बड़ी करके बिना पलकें झपकाए देखने लगी… दो पल के बाद उसकी आँखों को मैंने फिर से डबडब होते देखा।
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