Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
10-07-2021, 04:27 PM,
#1
Tongue  Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद )

अपडेट-01

आज में 6'2" कद का बिल्कुल गोरा और सुगठित शरीर का 28 साल का आकर्षक नवयुवक हूँ. मेने यहीं चंडीगढ़ से हॉस्टिल में रह कर ग्रॅजुयेट की है और कॉलेज लाइफ में पहलवानी में अच्छा नाम कमाया है. मेरे माता पिता और मेरा छोटा भाई यहाँ से 250 किमी दूर एक गाँव में
रहते हैं. अब मेरे लिए उस गाँव में रहना और खेती करना संभव नहीं इसलिए पिच्छले 3 साल से यहीं चंडीगढ़ में एक चैन डिपार्ट्मेनल स्टोर
में सर्विस में हूँ. मेरा नाम विजय है और मेरे पास 2 बेडरूम का एक मॉडर्न फ्लॅट है जिसमें कि में अकेला रहता हूँ.

अब में अपनी माँ का परिचय आपको दे दूं. मेरी माँ राधा देवी 46 वर्ष की मेरी ही तरह लंबी यानी की 5'10" की बिल्कुल गोरी और सुगठित शरीर की आकर्षक महिला है. मेरी माँ का शरीर साँचे में ढली एक प्रतिमा जैसा है जिसके स्तन और नितंब काफ़ी पुष्ट और शरीर भी बहुत गदराया सा है पर लंबाई की वजह से बिल्कुल भी मोटी नहीं कही जा सकती. वैसे में आपको बता दूँ की मेरी माताजी पहनने ओढ़ने की, खाने पीने की, घूमने फिरने की मस्त तबीयत की एक हाउस वाइफ है पर पिताजी के असाध्य रोग की वजह से उसने पिच्छले 15 साल से
अपने इन सारे शौकों को तिलांजलि दे रखी है. साथ ही माँ शरीर से जितनी आकर्षक औरत है उतनी ही रंगीन तबीयत की भी औरत है. पिच्छले 15 साल से उसने एक पूर्ण पतिव्रता स्त्री की तरह अपना समस्त जीवन पति सेवा में समर्पित कर रखा है. गाँव में हमारी अच्छी
ख़ासी ज़मीन जायदाद है और माँ छोटे भाई के साथ खेतीबाड़ी का काम भी करती है. मुझे चंडीगढ़ में हॉस्टिल में रख ग्रॅजुयेट कराने में माँ का ही पूर्ण हाथ है.

मेरा छोटा भाई अजय 22 साल का हो गया है. वह भी माँ की तरह पूरी तरह से गदराया हुआ गोरा चिट्टा आकर्षक नौजवान है. उसने गाँव के स्कूल से ही 10थ तक पढ़ाई की और उसके बाद पिताजी की दवा-पानी का, घर की देख-भाल का, तथा खेती बाड़ी का काम संभाल रखा है. इसके अलावा वह थोड़ा भोला और सीधा साधा भी है. मेरे बिल्कुल विपरीत उसके शरीर में काफ़ी नज़ाकत है जैसे छाती पर बालों का
ना होना, पूरा नौजवान होने के बाद भी बहुत ही हल्की दाढ़ी मूँछों का होना, लड़कियों जैसा शर्मिलपन होना इत्यादि. अभी भी उसके शरीर
में एक तरह की कमसिनी है. उसके चेहरे पर एक मासूम सा भोलापन छाया रहता है. गाँव के मेहनती वातावरण में रहने के बाद भी मेरा भाई बिल्कुल गोरा, मक्खन सा चिकना, नाज़ुक बदन का नौजवान है.

आख़िर आज से 15 दिन पहले वही हुआ जिसकी आशंका हम सबके मन में थी. 15 दिन पहले अजय का सुबह सुबह फोन आया कि
पिताजी चल बसे. में फ़ौरन गाँव के लिए रवाना हो गया. पिताजी के सारे क्रियाकर्म रश्मो रिवाज के अनुसार संपन्न हो गये. हम माँ बेटों ने आपस में फ़ैसला कर लिया है कि कल सुबह ही मेरे साथ माँ और अजय चंडीगढ़ आ जाएँगे. गाँव की ज़मीन जायदाद हम चाचा जी
को संभला जाएँगे जो अच्छा ग्राहक खोज कर हमे उचित दाम दिलवा देंगे. चाचा जी ने बताया कि कम से कम 40 लाख तो सारी संपत्ति के मिल ही जाएँगे.

दूसरे दिन दोपहर तक हम तीनों अपने लाव लश्कर के साथ चंडीगढ़ पहुँच गये. माँ ने आते ही बिखरे पड़े घर को सज़ा संवार दिया. एक कमरा माँ को दे दिया और एक कमरे में हम दोनो भाई आ गये. में स्टोर में पर्चेस ऑफीसर हूँ जिससे सप्लाइयर्स के तरह तरह के सॅंपल्स मेरे पास आते रहते हैं. तरह तरह के साबुन, शॅमपू, लोशन, क्रीम्स, सेंट्स इत्यादि के सॅंपल पॅक्स मेरे पास घर में ही थे. इसके अलावा मेरे पास घर में जेंट्स अंडर गारमेंट्स और सॉर्ट्स, बॉक्सर्स इत्यादि का भी अच्छा ख़ासा सम्पल कलेक्षन था. ये सब माँ और अजय को बहुत भाए; ख़ासकर कॉसमॅटिक्स माँ को और गारमेंट्स अजय को. यहाँ माँ पर गाँव की तरह काम का बोझ नहीं था तो माँ मेरे स्टोर में चले जाने के
बाद अजय के साथ चंडीगढ़ में घूमने फिरने निकल जाती थी. शहरी वातावरण में तरह तरह की सजी धजी अपने जवान अंगों को उभारती शहरी महिलाओं को देखते देखते माँ भी अपने शरीर के रख रखाव पर बहुत ध्यान देने लगी. इन सब का नतीज़ा यह हुआ कि माँ
दमकने लगी. फिर मुझे पता चला कि मेरे घर के पास ही हमारे स्टोर की एक ब्रांच में गूड्स डेलिवेरी में एक आदमी की ज़रूरत है.
वह नौकरी मेने अजय की लगवा दी. माँ और अजय को शहरी जिंदगी बहुत ही रास आई.

में माँ का बहुत ध्यान रखता था. सजी धजी, चमकती दमकती माँ मुझे बहुत अच्छी लगती थी. में माँ को कहते रहता था कि आज तक का जीवन तो उसने पिताजी की सेवा में ही काट दिया लेकिन अब तो ऐशो आराम से रहे. मेरी हार्दिक इच्छा थी कि में माँ को वह सारा सुख दूँ जिससे वह वंचित रही थी. मुझे पता था कि मेरी माँ शौकीन तबीयत की महिला है इसलिए माँ को पूछ्ते रहता था कि उसे जिस भी चीज़ की दरकार है वह उसे बता दे. माँ मेरे से बहुत ही खुश रहती थी. रात में हम खाना खाने के बाद हॉल में सोफे पर बैठ टीवी वाग़ैरह देखते
हुए देर तक अलग अलग टॉपिक्स पर बातें करते रहते थे. फिर माँ अपने कमरे में सोने चली जाती और अजय मेरे साथ मेरे कमरे में.
मेरे रूम में किंग साइज़ का डबल बेड था जिस पर हम दोनों भाई को सोने में कोई परेशानी नहीं थी. इस प्रकार बहुत ही आराम से
हमारी जिंदगी आगे बढ़ रही थी.

एक दिन सुबह में बहुत ही सुखद सपने में डूबा हुआ था. में सपने में अपनी प्रिय माताजी राधा देवी को तीर्थों की सैर कराने ले जा रहा था. हमारी ट्रेन में बहुत भीड़ थी. रात में टीटी को अच्छे ख़ासे पैसे देकर एक बर्त का बंदोबस्त कर पाया. उसी एक बर्त पर एक ओर मुँह करके माँ सो गई ऑर दूसरी ओर मुँह करके में सो गया. रात में कॉमपार्टमेंट में नाइट लॅंप जल गया. तभी माँ करवट में लेट गई. कुच्छ देर में मैं भी इस प्रकार करवट में हो गया कि माँ की विशाल गुदाज गान्ड ठीक मेरे लंड के सामने आ जाय. मेरा 11" लंबा और 4" डाइयामीटर का लंड एक दम लोहे की रोड की तरह पॅंट में तन गया था. मेने लंड माँ की साड़ी के उपर से माँ की गान्ड से सटा दिया. ट्रेन तूफ़ानी रफ़्तार से
दौड़े चली जा रही थी जिससे कि हमारा डिब्बा एक लय में आगे पिछे हो रहा था. उसी डिब्बे की लय के साथ मेरा लंड भी ठीक माँ की गान्ड के छेद पर ठोकर दे रहा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. माँ जैसी भरेपूरे शरीर की 40 साल से बड़ी उमर की औरतें सदा से ही मुझे बहुत आकर्षित करती थी. फिर माँ तो साक्षात सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति थी. ऐसी औरतों के फैले हुए और उभार लिए हुए नितंब मुझे बहुत
आकर्षित करते थे. में माँ जैसी ही भारीभरकम गांडवाली औरत की कल्पना करते हुए कई बार मूठ मारा करता हूँ. आज भी शायद सपने में ऐसा ही सुखद संयोग बन रहा था.
Reply
10-07-2021, 04:30 PM,
#2
RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-02

जिस प्रकार सपने में मेरा लंड माँ की गान्ड पर ठोकर दिए जा रहा था मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि में माँ की गान्ड ताबड़तोड़ मार रहा हूँ. तभी ट्रेन को एक जोरदार झटका लगता है और मेरा सपना टूट जाता है. धीरे धीरे में सामान्य स्थिति में आने लगा, मुझे नाइट लॅंप की रोशनी में मेरा कमरा साफ पहचान में आने लगा. लेकिन आश्चर्य मेरे लंड पर किसी गुदाज नरम चीज़ का अभी भी दबाव पड़ रहा था. कुच्छ चेतना और लौटी तो मुझे साफ पता चला कि मेरा छोटा भाई अजय जो मेरे साथ ही सोया हुआ था सरक कर मेरी कंबल में आ गया है
और वह अपनी गान्ड मेरे लंड पर दबा रहा है. मेरा लंड बिल्कुल खड़ा था. में बिल्कुल दम साधे उसी अवस्था में पड़ा रहा. अजय मेरे लंड पर अपनी गान्ड का दबाव देता फिर गान्ड आगे खींच लेता और फिर दबा देता. एक लय बद्ध तरीके से यह क्रिया चल रही थी. अब मुझे
पूरा विश्वास हो गया कि अजय जो कुच्छ भी कर रहा है वह चेतन अवस्था में कर रहा है. थोड़ी देर में मेरे लिए और रोके रहना मुश्किल
हो गया तो मेने धीरे से अजय की साइड से कंबल समेट कर अपने शरीर के नीचे कर ली और चित होकर सो गया.

सुबह का वक़्त था और मेरा दिमाग़ बहुत तेज़ी से पूरे घटनाक्रम के बारे में सोच रहा था. आज से पहले कभी भी माँ मेरी काम-कल्पना (फॅंटेसी) में नहीं आई थी. वैसे कॉलेज लाइफ से ही लंबा, सुगठित, आतलॅटिक शरीर होने से लड़कियाँ मुझ पर मर मिटती थी लेकिन मेने अपनी ओर से कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई. मेरी स्टोर की आकर्षक सेल्स गर्ल्स पर जहाँ दूसरे पुरुष मित्र मरे जाते हैं वहीं उन लड़कियों के लिफ्ट देने के बावजूद भी में उनसे केवल काम का ही वास्ता रखता हूँ. हां सुंदर नयन नक्श की, आकर्षक ढंग से सजी धजी, विशाल सुडौल स्तन और नितंब वाली भरे बदन की प्रौढ़ (40 वर्ष से अधिक की) महिलाएँ मुझे सदा से ही प्रभावित करती आई है. मेरी माँ में ये
सारे गुण जो मुझे आकर्षित करते हैं, बहुतायत से मौजूद है. जब से माँ चंडीगढ़ आई है और अपने शरीर के रख रखाव पर पूरा ध्यान
देने लगी है तब से लगातार ये सारे गुण दिन प्रतिदिन निखर निखर कर मेरी आँखों से सामने आ रहे हैं. तो आज सुबह के इस सुखद
सपने का कहीं यह अर्थ तो नहीं कि मेरी माँ ही मेरे सपनों की रानी है? इस सपने का तो यही मतलब हुआ कि मेरी माँ राधा देवी ही
मेरी काम कल्पनाओं की रानी है. में माँ को चाहता हूँ, माँ मेरे अवचेतन मन पर छाइ हुई है. में उसके मस्त शरीर को भोगना चाहता हूँ.
फिर मेने माँ का ख़याल अपने दिमाग़ से निकाल दिया और अपने छोटे भाई अजय के बारे में सोचने लगा.

अजय जिसे में ज़्यादातर 'मुन्ना' कह कर ही संबोधित करता हूँ, आख़िर गे (नेगेटिव होमो यानी कि लौंडा, मौगा, गान्डू या गान्ड मरवाने का शौकीन) निकला. तो इसका इतना नाज़ुक, कोमल, चिकना, शर्मिला होने का मुख्य कारण यह है. आजतक मुझे अजय की लड़कीपने की जो आदतें कमसिनी लगती आ रही थी वे सब अब मुझे उसकी कमज़ोरी लगने लगी. यहाँ आने के बाद अजय के भोलेपन में और शर्मिलेपन में धीरे धीरे कमी आ रही है पर अभी भी वह मुझसे बहुत शंका संकोच करता है. इस बात का पूरा ध्यान रखता है कि उससे भैया के
सामने कोई असावधानी ना हो जाय. हालाँकि में अजय से बहुत स्नेह रखता हूँ, बहुत खुल के दोस्ताना तरीके से पेश आता हूँ फिर भी
मेरे प्रति अजय के मान में कहीं गहराई में दर च्चिपा है. और आज अपनी काम-भावनाओं के अधीन उस समय जिस समय वा मेरे
लंड पर अपनी गांद पटक रहा था, यह ख़ौफ़ उसके मान में बिल्कुल नहीं था की भैया को यदि इसका पता चल जाएगा तो भैया उसके
बारे में क्या सोचेंगे? ये सब सोचते सोचते मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी आँख लग गई. इसके बाद हम दोनो भाइयों के अपने
अपने काम पर निकलने तक सब कुच्छ सामान्य था.

आज स्टोर में भी मेरे मन में रात की घटना घूम रही थी. रह रह के पूर्ण नौजवान भाई का आकर्षक बदन, भोला चेहरा और उसका लड़कीपन आँखों के आगे छा रहा था. रात घर आते समय स्टोर से फॉरिन की 30 कॉंडम का 1 पॅकेट और एक चिकनी वॅसलीन का जार ब्रिफकेस
में डाल ले आया. आज माँ ने गाजर का हलवा, पूरियाँ, 2 मन पसंद सब्जियाँ, चटनी बना रखी थी और बहुत ही चाव से पूच्छ पूच्छ कर
दोनो भाइयों को खाना खिलाई. खाना खाने के बाद रोज की तरह हम टीवी के सामने बैठे गप्प सप्प करने लगे. मेने बात छेड़ी.

"माँ आज तो तूने इतने प्यार से खिलाया की मज़ा आ गया. ऐसे ही हंस हंस परौसति रहोगी और चटनी का स्वाद चखाती रहोगी तो और कहीं बाहर जाने की दरकार ही नहीं है. सीधे स्टोर से तुम्हारे व्यंजनों का स्वाद लेने घर भाग के आया करूँगा."

माँ हंस कर: "वहाँ गाँव में तो तेरे पिताजी का,गायों का, खेती बाड़ी का और सौ तरह के काम रहते थे. यहाँ तो थोड़ा सा घर का और खाना बनाने का काम है जो धीरे धीरे करती रहती हूँ. शाम होते ही तुम दोनों के आने की बाट जोती रहती हूँ. तुम दोनों का ही ख़याल नहीं
रखूँगी तो ऑर किसका रखूँगी. माँ के परौसे हुए में जो मज़ा है वह दूसरे के हाथों में थोड़े ही है."

अजय: "हां माँ, भैया तो तुम्हारी इतनी बधाई करते रहते हैं. भैया कहते रहते हैं कि बाहर का खाते खाते मन उब गया अब जो घर का
स्वाद मिला है तो बस बाहर कहीं जाने का मन ही नहीं करता."

में: "हां मुन्ना तुम तो इतने दिनों से माँ के साथ का मज़ा गाँव में लेते आए हो. अब भाई में तो यहाँ घर में ही माँ के परौसे हुए का पूरा
मज़ा लूँगा. जो मज़ा माँ के हाथ में है वह दूसरी में हो ही नहीं सकता."

माँ: "विजय बेटा तेरे जैसा माँ का खायल रखने वाला बेटा पाकर में तो धन्य हो गई. मेरी हर इच्छा का तुम कितना ख़याल रखते हो. मेरे बिना बोले ही मेरे मन की बात जान लेते हो. वहाँ गाँव में तुमसे दूर रह कर में कोई बहुत खुश थोड़े ही थी. मन करता रहता था कि तुम्हारे
पास चंडीगढ़ कुच्छ दिनों के लिए आ जाया करूँ पर तेरे पिताजी को उस हालत में छोड़ एक दिन के लिए भी तुम्हारे पास आना नहीं होता था."

में: "माँ, तुम्हारे जैसी शौकीन औरत ने कैसे फ़र्ज़ के आगे मन मार कर अपने सारे शौक और चाहतें छोड़ दी और उसकी पीड़ा को भला मुझसे ज़्यादा कौन समझ सकता है? अब तो मेरा केवल एक ही उद्देश्य रह गया है कि आज तक तुझे जो भी खुशी नहीं मिली वह
सारी खुशियाँ तुझे एक एक कर के दूँ. माँ, तुम खूब सज-धज के चमकती दमकती रहा करो. मेरे स्टोर में एक से एक औरतों के शृंगार की
, चमकने दमकने की, पहनने की चीज़ें मौजूद है. तुम्हें वे सब अब में ला कर दूँगा. अब यहाँ खूब शौक से और बन ठन कर रहा करो."

माँ लंबी साँस लेकर: "विजय बेटा, ये सब करने की जब उमर और अवस्था थी तब तो मन की साध मन में ही रह गई. अब भला विधवा को यह सब शोभा देगा? आस पड़ोस के लोग भला क्या सोचेंगे?"

में: "माँ, यह मेट्रो है, यहाँ तो आस पड़ोस वाले एक दूसरे को जानते तक नहीं फिर भला परवाह और फिक़र किसको है? अब तुम गाँव छोड़ कर मेरे जैसे शौकीन और रंगीन तबीयत के बेटे के पास शहर में हो तो तुम गाँव वाली ये बातें छोड़ दो. तुम्हारी उमर को अभी हुई ही क्या है? तुम्हारे जैसी मस्त तबीयत की औरतों में तो इस उमर में आ कर आधुनिकता के रंग में रंगने के शौक शुरू होते हैं. क्यों मुन्ना, में ठीक कह रहा हूँ ना. अब तुम भी तो कुच्छ कहो ना."

अजय: "माँ, जब भैया को तुम्हारा बन ठन के रहना ठीक लगता है ऑर साथ साथ तुम भी तो यही चाहती रहती हो तो जो सबको अच्छा लगे वैसे ही रहना चाहिए."

में: "ऑर माँ, यह विधवा वाली बात तो अपने मन से बिल्कुल निकाल दो. दुनिया कहाँ से कहाँ आगे बढ़ गई. विदेशों में तो तुम्हारे जैसी शौकीन और मस्त औरतें आज विधवा होती है तो दूसरे ही दिन शादी करके वापस सधवा हो जाती है."

हम कुच्छ देर तक इसी प्रकार हँसी मज़ाक करते रहे और टीवी भी देखते रहे. फिर माँ रोज की तरह उठ कर अपने कमरे में सोने चल दी. हम दोनों भाई भी अपने कमरे में आ गये. में आज सिर्फ़ बहुत ही टाइट ब्रीफ में था. वैसे तो में रोज पायजामा पहन कर सोता हूँ पर आज एक दम तंग ब्रीफ पहनना भी मेरी तैयारी का एक हिस्सा था. अजय बाथरूम में चला गया. वापस आया तो वह बिल्कुल टाइट बर्म्यूडा शॉर्ट
में था, कई दिनों से वह रात में बॉक्सर या बर्म्यूडा शॉर्ट में ही सोता है. में बेड पर बीचों बीच बैठा हुआ था, अजय भी मेरे बगल में दोनो घुटने मोड़ कर वज्रासन की मुद्रा में बैठ गया.
===========
Reply
10-07-2021, 04:30 PM,
#3
RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद


अपडेट-03

में मेरे रूम के किंग साइज़ डबल बेड पर टाँगें पसारे बैठा हुआ था और मेरा मक्खन सा चिकना छोटा भाई अजय मेरे बगल में ही मेरी ओर मुख किए घुटने मोड़ बैठा हुआ था था. आज में अपने लड़कियों जैसे मक्खन से चिकने भाई की गान्ड मारने की पूरी तैयारी के साथ था.
में रातवाली घटना की मुझे जानकारी है, इसका संकेत अजय को पहले बिल्कुल भी नहीं दूँगा. मुझे यह तो पता चल ही गया था कि मेरा
छोटा भाई गान्ड मरवाने का शौकीन है. इसलिए में उससे बहुत खुल कर बिना किसी झिझक के पेश आउन्गा. मेने बात शुरू की,

में: "मुन्ना देख, शहर में आते ही माँ कैसे निखरने लगी है. गाँव में रह कर माँ ने अपनी पूरी जवानी यूँ ही गँवा दी. ना तो उसे पति का ही सुख मिला और ना ही सजने सँवरने का. पिच्छले 15 साल से बिस्तर पकड़े हुए पापा की सेवा का फ़र्ज़ निभाते निभाते माँ ने ऐसे ही जीवन
को अपनी नियती मान लिया है. तूने सुनी ना उसकी बातें; कह रही थी की 46 साल में ही उसके सजने सँवरने के दिन लद गये. हमारे स्टोर
में 60 - 60 साल की बूढ़ी पाउडर लिपस्टिक पोत के तंग स्कर्ट में आती है. तूने देखी ना?"

अजय: "भैया, धीरे धीरे माँ भी शहर के रंग में रंगती जा रही है."

में: "मुन्ना, माँ बहुत ही शौकीन मिज़ाज की और रंगीन तबीयत की औरत है पर गाँव के दकियानूसी वातावरण मे रह कर थोड़ी झिझक रही है. पर अब तुम देखना, माँ की सारी झिझक मिटा कर उसे में एक दम शहरी रंग में रंग पूरी मॉडर्न बना दूँगा. बिना मॉडर्न बने माँ जैसी
शौकीन तबीयत की औरत भला अपने शौक कैसे पूरे करेगी?" यह कहते कहते में अजय के बिल्कुल करीब आ गया और अजय की पीठ सहलाने लगा.

अजय: "हां भैया, पहनने ओढ़ने की तो माँ शुरू से ही शौकीन रही है. यहाँ शहर में आ कर तो माँ दिनो दिन निखरती ही जा रही है.
आजकल तो विलायती क्रीम पाउडर लगा कर माँ का चेहरा दमकने लगा है."

में अजय की पीठ सहलाते सहलाते हाथ को नीचे ले जाने लगा और अपनी हथेली मस्त भाई के फूले हुए चूतड़ पर रख दी. चूतड़ पर हल्के हल्के 3-4 थपकी दी. मेरा 11" का हल्लाबी लॉडा मेरे तंग ब्रीफ में कसा पूरा तन गया था. ब्रीफ के आगे एक बड़ा सा तंबू बन गया था जिस
में फूले हुए लंड का साफ पता चल रहा था. अजय के चूतड़ पर मेरी थापी पड़ते ही उसकी गान्ड में एक सिहरन सी हुई. उसने कनखियों से मेरे ब्रीफ की तरफ देखा और फ़ौरन वहाँ से नज़रें हटा सीधा देखने लगा. तभी मेने कहा,

में: "तू तो अब पूरा बड़ा हो गया है. अब पहले जैसा मेरा गुड्डे सा प्यारा प्यारा मुन्ना नहीं रहा जिसे में गोद में बिठा कर उसके गोरे गोरे मक्खन से फूले गालों की पुच्चिया लेता था. क्यों मुन्ना अब तो तू पूरा बड़ा और जवान हो गया है ना? अब तो तू मेरी गोदी में भी नहीं बैठेगा. पर
मेरे लिए तो अभी भी तुम वही गुड्डे सा मखमल सा गुदगुदा प्यारा प्यारा मुन्ना है जिसे अभी भी अपनी गोद में बैठा कर खूब प्यार करने का
मन करता है. क्यों में ठीक कह रहा हूँ ना? क्या भैया की गोद में बैठेगा?"

अजय: "भैया आपसे बड़ा तो में कभी भी नहीं हो सकता. आपके लिए तो में अभी भी पहलेवला वही मुन्ना हूँ पर भैया आप ही बताओ क्या
अभी भी में इतना छोटा हूँ कि आप मुझे अपनी गोद में बैठा कर खिलाएँ."

में: "हां तेरी यह बात तो सच है, अब तू पहले वाला गुड्डे सा मुन्ना तो नहीं रहा है जिसे तेरे बड़े भैया अपनी गोद में बैठा कर तेरे गोरे गोरे फूले फूले गालों का चुम्मा लें.. देख तेरे में क्या मस्त जवानी चढ़ रही है और दिन प्रति दिन चिकना और जवान होता जा रहा है. अरे तुझे पता नहीं चल रहा है कि तू इतना मस्त हो गया है जिसे देख कर वहाँ गाँव की लड़कियाँ और औरतें आहें भरती होगी और तेरे साथ सोने के
लिए उनका जी मचलता होगा. लड़कियों की तो छोड़ तेरी चढ़ती जवानी देख कर तो तेरे भैया में भी मस्ती चढ़ती जा रही है. अब देख तेरे भैया भी तुझे अपनी गोद में बैठा कर तेरे से प्यार करना चाहते हैं."

अजय: "भैया आपकी बातें आज कुच्छ अटपटी सी लग रही है. पहले तो आपने कभी भी मेरे से इस तरह की बातें नहीं की. आज भैया आपको क्या हो गया है?"

में: "अरे आज तक तो में तुझे ऐसा प्यारा सा छोटा मुन्ना ही समझता आ रहा था जिसे अपनी गोद में बिठा कर प्यार किया जाय. पर अब तो तू खुद ही कह रहा है कि तू इतना छोटा भी नहीं रहा कि में तुझे अपनी गोद में बैठा लूँ तो चल तुझे बराबर का दोस्त समझ लेता हूँ. अब इस रात में अकेले में दो दोस्त खुल कर मस्ती भरी बातें नहीं करेंगे तो तू ही बता ऑर क्या करें. अब तो तूने भी वहाँ गाँव में लड़कियों को
लाइन मारनी शुरू कर दी होगी. कोई पटाखा लड़की देख कर तेरा खड़ा हो जाता होगा ऑर उसे चोदने का दिल करता होगा." अब में
अपने प्यारे से मुन्ना से अश्लील बातें करने लगा और वह कैसे रिक्ट करता है यह जानने पर उतर आया.

अजय: "भैया आप अपने छोटे भाई से इस तरह की गंदी बातें कैसे कर सकते हैं? आपको शर्म आनी चाहिए." अजय ने यह बात कुच्छ
तेज़ आवाज़ में ऐसे कही जैसे उसे मेरे मुख से यकायक ऐसी बात सुन कर विश्वास ना हो रहा हो.

में: "यार में तो तुझे बराबर का दोस्त समझ कर ऐसी बात कर रहा हूँ. इसमें मेने ग़लत क्या कहा? कोई पटाखा माल देख कर भाई मेरा तो नीचे तन्तनाने लग जाता है. देख भैया से पूरा खुलेगा तभी तुझे भी पूरा मज़ा आएगा. मुझे पता है कि तू पूरा जवान हो गया है और मस्ती करने और देने लायक हो गया है. अच्छा मुन्ना ईमानदारी से बता तेरा खड़ा होता है या नहीं." मेने यह बात अजयकी आँखों में आँखें डाल कर कही. मेरी बात सुनते ही उसका चेहरा कनपटी तक लाल हो गया और वह एकटक मेरी आँखों में देखने लगा. अजय इस समय उसी प्रकार
रिक्ट कर रहा था जैसे कि एक छोटा भाई जिंदगी में पहली बार अपने बड़े भैया से इस प्रकार की अन्नॅचुरल बात सुन कर करता है. में मन ही मन फूला नहीं समा रहा था. अब तो में इसके अल्हड़ पन, झिझक और शर्म का खुल के धीरे धीरे पूरा मज़ा लूँगा. अभी में अजय पर यह
बात बिल्कुल प्रगट नहीं करूँगा कि मुझे उसकी रात वाली हरकत का पूरा पता है. तभी उसके नॅचुरल रिक्षन और झिझक का पूरा आनंद आएगा.

अजय: "भैया आप कैसी बात पूच्छ रहे हैं? आपके मुखसे यह सुन कर मुझे आपसे शर्म आने लग गई है पर आप मेरे बड़े भाई हो कर
भी आपको मेरे से ऐसा पूच्छने में कोई शर्म नहीं आ रही है." मुन्ना ने नीचे गर्दन किए हुए धीरे से कहा.

में: "मुझे पता है तू पूरा बड़ा और जवान हो गया है पर अपने ही भैया से शरमाता है. देखो में तुमसे कितना खुला हुआ हूँ जो बिल्कुल नॉर्मल तरीके से यह एक नॅचुरल सी बात पूच्छ रहा हूँ. अब तू भी पूरा जवान हो गया है और में भी पूरा जवान हूँ और में जवानी का मज़ा लेना चाहता हूँ और फिर तेरे जैसे मस्त भाई का साथ है तो मुझे तो यही सूझा कि आज अपने मुन्ना से बिल्कुल खुल कर मन की बातें करें. यह जवानी की उमर ही ऐसी है. जब खड़ा होता है तो बिल ढूंढता है, फिर चाहे आगे का हो या पिछे का. अब यार तुम तो ऐसे चिढ़ गये
जैसे खड़ा होना तेरे लिए कोई नई बात हो. तो क्या तेरा खड़ा भी होता है या नहीं; यदि होता है तो कम से कम यह तो बता दो कि कब
से खड़ा हो रहा है? अब यह तो समझ रहा है ना कि में किसके खड़े होने की बात कर रहा हूँ." में मुन्ना को धीरे धीरे अपने से खोल रहा
था और साथ ही उसके अल्हाड़पन और झेंप का भी भरपूर मज़ा ले रहा था. मेने पिछे के बिल की बात करके अपने इरादे का संकेत दे
दिया था. में ऐसे मस्ताने छोटे भाई को धीरे धीरे पटा कर जिंदगी में पहली बार उसकी गान्ड मारने का भरपूर मज़ा लेना चाहता था

अजय: "भैया आपने मुझे नामर्द समझ रखा है क्या? मेरी उमर में आ कर हर लड़के का खड़ा होता है तो मेरा क्यों नहीं होगा? आप मेरे से गंदी गंदी बातें शायद इसलिए कर रहे हैं कि बाद में मेरे साथ गंदा काम भी करने का इरादा रख रहे हैं. में सब समझ रहा हूँ. पर एक
बात कान खोल कर सुन लीजिए में आपको मेरे साथ कुच्छ भी नहीं करने दूँगा." मुन्ना ने कुच्छ तैश में आ कर जबाब दिया क्योंकि मेने
उसकी मर्दानगी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया था. अब उसके हाव भाव से मुझे बहुत मज़ा आने लगा था और में इस झेंप का पूरा मज़ा ले रहा था.

में: "देख मुन्ना तू अपने ही भैया से इतना शर्मा क्यों रहा है? जो लड़के बड़े होने लगते हैं उनका खड़ा तो होता ही है. जो नामर्द होते हैं उनका खड़ा नहीं होता. हमारा मुन्ना तो अपने भैया के जैसा गबरू जवान बनेगा तो मुन्ना का खड़ा क्यों नहीं होगा. अरे तब तो तेरा भी मेरा जैसा मस्त लॉडा बन गया होगा. लॉडा, समझ रहा है ना 'लॉडा'; तेरे भैया का तो पूरा मस्त लॉडा है. एक बित्ते का मस्ताना हलब्बी लॉडा. बोल भैया का लॉडा देखेगा? अच्छा बता जब खड़ा होता है तब चमड़ी से सुपारा पूरा बाहर आ जाता है या नहीं? अब तो मुन्ना अपने लंड की मुट्ठी मार कर रस भी झाड़ने लगा होगा. बताओ तुम्हारे लंड से रस निकलता है या नहीं." अब में बिल्कुल खुल्लमखुल्ला रूप में आने लगा.

अजय: "भैया आप बड़ा भाई हो कर अपने छोटे भाई से ऐसी गंदी बातें कैसे पूछ सकते हैं? आप बहुत गंदे हैं, में तो आपको बहुत सरीफ़ और सभ्य समझता था पर आप तो अपने छोटे भाई की ही लाइन मार रहे हैं. आप चाहते हैं ना कि में भी आपके साथ आपकी तरह ही गंदी गंदी बातें करूँ. में आपके जितना बेशर्म तो नहीं हो सकता फिर भी लीजिए और इतना तो सुनिए; हां चमड़ी के खोल से पूरा सुपारा बाहर निकल आता है. मूठ तो कभी कभी ही मारता हूँ. पर मेरी बिल्कुल पर्सनल इन सब बातों को जान कर आप क्या करेंगे? आख़िर मेरे मुखसे ये सब सुन कर अब तो आप खुश हो गये हैं ना." अजय ने यह बात कुच्छ झुंझलाहट के साथ कही.

===========
Reply
10-07-2021, 04:30 PM,
#4
RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद

अपडेट-04

में: "अरे तू तो पूरा जवान हो गया है. जब लंड से रस निकलता है तब कितना मज़ा आता है. पर तू तो एक पूरा मर्द हो कर ऐसे नखरे दिखा रहा है जैसे एक ताज़ी ताज़ी जवान हुई लौंडिया नखरे दिखाती है. तुझे तो बनानेवाले ने भूल से लड़का बना दिया है जबकि तुझे तो लड़की होना चाहिए था. तेरे चेहरे पर तो अभी तक ऑर लड़कों के जैसे दाढ़ी मूँछ ही नहीं आई है. तेरे तो लड़कियों के जैसे बिल्कुल चिकने गाल है, रंग भी बिल्कुल गोरा चिटा और चमड़ी भी लड़कियों जैसी मखमल सी कोमल और गुदगुदी है. और जो सबसे बड़ी बात जो तुझे मर्दों से अलग करती है वाह है तेरी औरतों जैसी फूली फूली मतवाली गान्ड. तू तो यार लड़कियों जैसे नखरे भी दिखा रहा है. चल अब अपने बड़े भैया
के सामने पूरा मर्द बन कर दिखा और यह लौन्डिया के जैसे तुनकना छोड़. अब मेरी बात ध्यान से सुन, रात में जब कोई सपना वपना देख कर अपने आप झड़ता है तब उतना मज़ा नहीं आता. लंड के रस निकालने के ऑर भी कई बहुत ही मजेदार तरीके हैं. जितना मज़ा दूसरे के साथ आता है उतना मज़ा अपने आप झाड़ने में नहीं आता. जिससे मन मिलता है, जिससे प्यार है उससे मज़ा लेने में कोई बुराई थोड़े ही है
. पर तुम तो बात करते ही तुनक रहे हो. तुम चाहो तो में तुम्हे जवानी के मज़े लेने के कई मजेदार तरीके सीखा सकता हूँ. तुम्हे इतना मज़ा आएगा की मेरी तरह यह खेल खेलने का तू खुद भी दीवाना हो जाएगा."

अजय: "छी भैया दो लड़के आपस में मुझे तो सोच कर ही कैसा लग रहा है और आप इस में मज़ा देख रहे हैं. दो लड़कों को भला आपस में क्या मज़ा आएगा. भले ही में आपकी नज़र में एक लड़की जैसा हूँ पर हाक़ूईक़त में तो एक लड़का ही हूँ ना. आप तो सचमुच में मुझे
एक लड़की समझ मज़ा लेने के लिए पटाने लग गये हैं. आपको आज क्या हो गया है? छी भैया आप अपने छोटे भाई के साथ गंदा काम करना चाहते हैं. आपको इस में शर्म आए या नहीं आए पर मुझे तो बहुत शर्म आ रही है."

में: "अच्छा एक बात ईमानदारी से बताओ ऐसी बातें इस एकांत रात में सुन कर तेरे लंड में हलचल हो रही है या नहीं? उस में एक मीठी मीठी गुदगुदी सी हो रही है या नहीं. मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे मेरा लॉडा ज्वालामुखी की तरह भीतर से उबल रहा है और उस के भीतर भरा हुवा पिघला लावा बाहर निकलने के लिए मचल रहा है. अब भाई तुम्हारी बात दूसरी है पर ऐसी बातें सुन लड़कियों की चूत और गान्ड में
भी खाज चलने लगती है. देखो मेरे ब्रीफ में लॉडा कैसे तन गया है और ब्रीफ फाड़ कर बाहर निकलने के लिए मचल रहा है." गान्ड शब्द मेने जान बूझ कर जोड़ दिया. साथ ही यह बात कहते हुए मेने मेरे ब्रीफ में फूले हुए लंड की तरफ भी इशारा किया. आजे ने एक बार मेरे ब्रीफ में ताने हुए लंड की तरफ़ देखा और फ़ौरन वहाँ से नज़रें हटा ली.

अजय: "भैया आप बातें ही ऐसी गंदी गंदी कर रहे हो कि किसी का भी लंड ऐसी गंदी बातें सुन खड़ा तो होगा ही. मेरा भी खड़ा हो गया है तो इस में नई क्या बात है? में सब समझ रहा हूँ. आप मेरे से उत्तेजित करनेवाली बातें कर मुझे उत्तेजित कर मेरे साथ मनमानी करना चाहते हैं."

में: "देख मुन्ना जब लंड खड़ा होता है तो उसे फिर शांत भी करना पड़ता है. तुम्हे तो मुट्ठी मार कर शांत करने की आदत पड़ी हुई है, पर में मूठ मारते मारते थक गया हूँ. फिर तुम्हारे जैसे चिकने भाई का साथ है. मेरा तो मन कर रहा है कि क्यों ना हम दोनो भाई मिल कर
आज मज़ा लें और अपने अपने खड़े लंड एक दूसरे की मदद से शांत करें. तुम चाहो तो मज़ा लेने का बहुत ही अनोखा और मजेदार
तरीका में तुम्हारे साथ यह मज़ा लेकर तुझे समझा सकता हूँ. अरे एक बार अपने भैया के साथ यह मज़ा ले कर तो देखो. यदि तुम्हे मज़ा
नहीं आए तो बीच में ही छोड़ देना."

अजय: "भैया आप यह मज़ा लेने में मेरे साथ कुच्छ करेंगे तो नहीं ना? मुझे कुच्छ भी समझ में नहीं आ रहा है कि आपका क्या प्लान है और साथ में मन में एक डर सा भी लग रहा है." अजय आख़िर इस मज़े का शौकीन था सो वह लाइन पर आने लगा पर मेरे सामने नादान बन रहा था. मेने भी अब गरम लोहे पर चोट की.

में: "अब भाई यह तो मुझे कैसे पता चलेगा कि कुच्छ करने से तेरा क्या मतलब है? पर क्या तुझे अपने भैया पर विश्वास नहीं है? में तुम्हारे साथ ऐसा कुच्छ भी नहीं करूँगा जिससे तुमको थोड़ी सी भी तकलीफ़ हो. आख़िर में तुम्हारा बड़ा भाई हूँ और तुम्हे थोड़ी सी भी तकलीफ़ कैसे दे सकता हूँ. तुम्हारी एक 'उफ़' भी मेरे दिल पर सौ घाव कर देती है. तुम्हारे साथ इतने प्यार से यह जवानी का खेल खेलूँगा कि देखना तू
पूरा मस्त हो जाएगा और भैया के साथ यह खेल रोज खेलने का दीवाना हो जाएगा. इतने प्यार से करूँगा कि तुझे पता तक नहीं चलने दूँगा. फिर तेरे साथ ऐसे ही जवानी की मस्त बातें करता रहूँगा कि तुझे दर्द का पता ही नहीं चलेगा." मेने बातों ही बातों में साफ संकेत दे दिया
कि में आज अपना हल्लाबी लॉडा तेरी गान्ड में पेलूँगा. फिर मेने बात पेलेटते हुए कहा,

में: "मेरा मुन्ना भी माँ की तरह पूरी रंगीन तबीयत का है. माँ मज़े लेने की पूरी शौकीन है तो तुम भी तो जवानी का मज़ा लेने का पूरा शौकीन दिखते हो. देखो तेरे उपर क्या मस्त जवानी चढ़ि है. एक दम माँ जैसी मस्त औरत की तरह दिख रहे हो. अरे मुन्ना में तो तुम्हें सीधा
साधा और भोला भाला समझता था पर तुम तो पुर छुपे रुस्तम निकले. तूने तो गाँव के खुले वातावरण में खूब मस्ती की होगी और लोगों
को करवाई होगी?" अब में रातवाली घटना का जिकर कर उस पर मानसिक तौर पर पूरा हाबी होना चाह रहा था.

अजय: "भैया आप कैसी बात पूच्छ रहे हैं. मेने तो आज तक किसी लड़की या औरत की ओर आँख उठा कर भी नहीं देखा है. वो तो आप
जैसे चालू लोगों का काम है. यहाँ आपके स्टोर में एक से एक बढ़ कर खूबसूरत छोकरिया है आपने तो ढेरों पटा रखी होगी."

में: "अरे मुन्ना नहीं. मेरी आजकल की छोकरियो में कोई दिलचस्पी नहीं है. तू तो यार अब मेरे बराबर का हो गया है और बिल्कुल दोस्त जैसा है इसलिए तुझे दिल की बात बताता हूँ. मुझे तो माँ जैसी बड़ी उमर की भरेपूरे बदन की मस्त औरतें पसंद है जिनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ
हो और भारीभरकम गान्ड हो." अब में छोटे भाई के चूतड़ सहलाते सहलाते अपनी इंडेक्स फिंगर से उसकी बर्म्यूडा शॉर्ट के उपर से गान्ड खोदने लगा.

अजय: "पर भैया आप मेरे साथ यह क्या कर रहे हैं. मेरे पिछे से अपना हाथ हटाइए. आपका क्या इरादा है मेरी कुच्छ भी समझ में नहीं आ रहा है. आज से पहले तो आपने ना तो कभी मेरे से ऐसी बातें की और ना ही मेरे साथ ऐसी गंदी हरकतें की. आप किसके साथ यह सब कर रहे हैं यह भी आपने नहीं सोचा. में कोई लड़की थोड़े ही हूँ जो मेरे साथ आप ये सब करने की सोच रहे हैं."

में: "अरे मुन्ना तुम तो बूरा मान गये. में तो तुझे बराबर का दोस्त समझ कर मन की बात कर रहा था. फिर तुम यार हो ही इतने मस्त कि हाथ सरक कर अपने आप तुम्हारी सही जगह पर पहुँच गया. पर तुम इतना बूरा क्यों मान रहे हो? लगता है तुम अपनी इस मस्त चीज़ का मज़ा लेने के पुर शौकीन हो. इसकी मस्ती लेने का तुम्हे चस्का लगा हुआ है. अरे माँ जैसे मज़ा लेने की शौकीन है वैसे ही तू भी पूरा मज़ा लेने के शौकीन हो. में माँ का इतना ध्यान रखता हूँ और जो मज़ा उसे आज तक पिताजी से नहीं मिला वह सारा मज़ा में उसे देने की कोशिश
कर रहा हूँ. मेरी बात समझ रहा है ना कि में माको कैसा मज़ा देना चाहता हूँ. पर तू तो माँ से भी दो कदम आगे है. तू मेरा इतना प्यारा
, लाड़ला मेरा छोटा भाई है और उपर से पूरा शौकीन भी है तो तुझे में तरसने थोड़े ही दूँगा." मेरी बात सुनते ही अजय का चेहरा लाल हो गया
. उसने नज़रें झुका ली और वह मेरी ब्रीफ में तने हुए मेरे लंड को एक टक देखने लगा. तभी अजय ने कहा,

अजय: भैया आपका माँ के बारे में जब इतना गंदा ख़याल है तो आप छोटे भाई की क्या परवाह करेंगे. क्या आप मर्दों के साथ भी ये सब करने के शौकीन है?"

अब में अजय की फूली हुई गांद पर हाथ फेरने लगा. हाथ फेरते फेरते उसका गुदाज चूतड़ मुट्ठी में कस लेता और ज़ोर से दबा देता. फिर भाई को अपनी और खींच कर उसे अपने सामने घुटने के बल खड़ा कर लिया लिया और उसकी आँखों में झाँकते कहा, "मेरा मुन्ना बड़ा प्यारा, चिकना मस्त बिल्कुल नई नई जवान हुई छोकरी जैसा है और तुम्हारी यह फूली फूली चीज़ तो बिल्कुल अपनी माँ के जैसी मस्त है. अब भाई माँ की तो मिलते से मिलेगी पर तुम्हारी तो इतनी मस्त चीज़ मेरे सामने है. भाई मेरी तो इस पर नियत खराब हो गई है. तुम भी तो
कम नहीं हो , अपनी इस मस्तानी चीज़ का खुल के मज़ा लूटते हो और गाँव वालों को भी इसका स्वाद चखाते आ रहे हो. अब भाई
इसका मज़ा खाली गाँव वालों को ही दोगे या फिर अपने भैया को भी इसका स्वाद चखाओगे या नहीं?" अब में शॉर्ट के उपर से उसकी
गान्ड में अंगुल करने लगा और बोला, "अब भैया का इस गोल छेद पर मन आ गया है. तेरे इस गोल छेद का खुल के मज़ा लेंगे. क्यों देगा ना?"

अजय: "आप बड़ा भाई हो कर छोटे भाई से कैसी बात पूच्छ रहे हैं. भैया आपने मुझे क्या समझ रखा है जो वहाँ गाँव में हर गाँववाले के
आगे अपनी पॅंट नीची करता फिरे. आप मेरे प्रति इतना गंदा इरादा कैसे रख सकते हैं?"

में: "अरे शरमाता क्यों है? मुन्ना तुम हो ही इतना मस्त, मक्खन सा चिकना, इतना प्यारा की किसी का भी खड़ा कर दो. जब से मुझे पता चला कि तुम शौकीन हो तो मेरा भी लौडेबाजी का शौक जाग उठा. मुझे सब पता है कल रात तुम कितना मस्त हो कर मेरे खड़े लंड पर अपनी फूली फूली गान्ड कैसे दबा रहे थे. अरे उपर उपर से जब इतना मज़ा है तो अब खुल्लम खुल्ला दोनो भाई इस खेल का पूरा मज़ा लूटेंगे. अब भाई हम तो तुम्हारी इस मस्तानी गान्ड का पूरा मज़ा लेंगे." यह कह में भी अजय के सामने घुटने के बल खड़ा हो गया और उसके होंठों
पर अपनी ज़ुबान फिराने लगा. में अपने छोटे भाई को बहुत ही कामुक भाव से देखता हुवा उसकी लाज शरम से भरी कमसिनी पर लार टपका रहा था. में उसके साथ खुल के ऐयाशी करना चाहता था. ऐसे मस्त चिकने लौन्डे के साथ लौड़ेबाज़ी का पूरा लुफ्त लेना चाहता था
. अजय के होंठो पर कामुक अंदाज़ में ज़ुबान फेरते फेरते मेने उसके गुलाबी होंठ अपने होंठों में कस लिए और भाई के होंठों का रस्पान करने लगा.
Reply
10-07-2021, 04:33 PM,
#5
RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
[कलर=#4000फ]अपडेट-05

मेरी बात सुनते ही अजय का झूतमूत का विरोध करने का सारा हौसला पस्त पद गया और वा बेड पर चुपचाप बैठ गया में भी उसकी बघल में बैठ गया. मेरा 11" लूंबा और 4" मोटा हल्लाबी लॉडा फुफ्कार मार रहा था. वा ब्रीफ फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था. अजय के प्रति आज तक जो मेरे मान में स्नेह भरा प्यार था वा अब वासनात्मक प्यार बन गया था. में अपने खड़े लंड को ब्रीफ के उपर से पकड़ हिला हिला नीचे देखते हुए अजय को दिखाने लगा. साथ ही उसके गोरे गालों पर स्नेहभरा हाथ भी फेर रहा था. फिर मेने कहा'

में: "मुन्ना देख ब्रीफ में कैसे तेरेवाली में जाने के लिए मचल रहा है. जबसे इसे पता चला है की तू गांद मरवाने का शौकीन है तब से यह मचल उठा है. एक बार मेरेवालेका मज़ा लेलेगा ना तो भैया का दीवाना हो जाएगा. तेरी बहुत प्यार से पूरी चिकनी करके लूँगा. बोल भैया से पूरा मस्त होके मज़ा लेगा ना. आज में जैसा तेरा मज़ा लूँगा वैसा मज़ा गाँव में तुझे गाँववालों से कभी भी नहीं मिला होगा."

अजय: "भैया बगल के कमरे में मा सोई हुई है कहीं मा को पता चल जाएगा तो मा हम दोनो भाइयों के बारे में क्या सोचेगी?" अब अजय छुड़ाने को आतुर लौंडिया की तरह बोला की छोड़ तो लो पर कहीं कोई देख लेगा तो.

में: "अरे मा की चिंता छ्चोड़. उसके पास तो आगेवली भी है और पिच्छेवली भी है. जब तुम से पिच्छेवली की खाज बर्दास्त नहीं होती तो अपनी मस्त और मज़े लेने की शौकीन मा आयेज और पिच्चे दोनो जगह की खाज कैसे बर्दास्त करती होगी? पता चल जाएगा तो देखना दोनो भाइयों को आगेवली का और पिच्छेवली का दोनों का स्वाद चखाएगी. पर मुन्ना, मा राज़ी राज़ी देगी तो तू मा की लेलेगा ना?"

अजय: "भैया आप बहुत गंदी गंदी बातें करते हो. आप लेने की बात कर रहे हो मेरा तो माके सामने खड़ा तक नहीं होगा."

में: "अभी तो सिर्फ़ बातें ही की है लेकिन जब तुम्हारी ये मक्खन सी मुलायम गांद तबीयत से लूँगा तब देखना तुम खुद ही पिच्चे तेल तेल मरवाओगे. जैसी तुम्हारी भैया मारेंगे ना वैसी तुम्हारी आज तक किसी ने भी नहीं मारी होगी." अजय को ब्रीफ के उपर से लंड दिखाते हुए, "देख भैया का जब यह धीरे धीरे अंदर जाएगा ना तो तुम सबको भूल जाएगा. इसके बाद सिर्फ़ और सिर्फ़ भैया से ही मरवाएगा. बोल भैया को अपने उपर चढ़ाएगा ना?"

अजय: "मुझे शरम आती है. मुझे कुच्छ भी नहीं कहना. आप जो चाहो वो करो. में सब समझ रहा हूँ. आज आप अपने छ्होटे भाई को छ्चोड़नेवाले नहीं है तो मेरे से पूच्छ क्यों रहे हैं?" में गांद मरवाने के शौकीन छ्होटे भाई के इस समर्पण पर मार मिटा.

में: "अरे तुम तो सुहग्रात के दिन जैसे दुल्हन शरमाती है वैसे शर्मा रहे हो. भाई तुम्हारी इस अदा पे तो हम फिदा हो गये. हुँने तो आज से तुमको ही अपनी दुल्हन मान लिया. आज तो तेरे सैंया तेरा खुल के मज़ा लेंगे." यह कह मेने अजय के शॉर्ट में हाथ डाल दिया और उसके गांद के च्छेद में अंगुल धंसा दी और कहा, "अरे तेरी तो भीतर से भट्टी जैसी गरम है. इसमें जाने से भैया का तो राख में जैसे सकर्कंड सिकटा है वैसा स्क जाएगा. क्यों भैया का सिका हुवा सकर्कंड खाएगा? खेतों के सकर्कंड भूल जाएगा."

अजय: "भैया आप बहू चालू हो. अपने कमसिन छ्होटे भाई पर भी लाइन मारने की लिए उतारू हो गये. आप माको पता लो. पर मेरे साथ ये सब मत करो मुझे आपसे बहुत शर्म आती है."

में: "अरे शरमाता क्यों है. माको तो पतावँगा ही. पर माका स्वाद अकेला थोड़े ही चाखूँगा. तुझे भी उस मज़े में शामिल करूँगा. देख भैया से पूरा खुलगा नहीं तब इस खेल का पूरा मज़ा नहीं आएगा. तेरे भैया आज दिल खोल कर तेरी गांद मारेंगे तो तू भी अपने भैया से दिल खोल कर गांद मरवा. अच्छा मुन्ना देख भैया का हल्लाबी लॉडा ब्रीफ में कैसे मचल रहा है. अच्छा मुन्ना बता ना, इसे कौन से मुख से खाएगा? नीचेवालेसए या उपरवाले से."

अजय: "भैया आप जिस भी मुख में देंगे वही मुख आपके इस मस्ताने के लिए खोल दूँगा. आप भैया कैसी गंदी गंदी बातें कर रहे हैं?" उसकी बात सुन मेने उसे मेरे सामने चोपाया बना दिया और उसका बर्म्यूडा चड्डी सहित नीचे सरका टाँगों से बाहर निकाल दिया. अजय की एकदम चिकनी, फूली हुई बिल्कुल गोरी गांद अपनी पूर्ण च्चता के साथ मेरी आँखों के सामने थी. बीचों बीच बड़ा सा खुला हुवा गोल च्छेद मुझे निमंत्रण दे रहा था. गोल च्छेद से भीतर का गुलबीपन साफ दिख रहा था. में अपने चिकने भाई की मस्त गांद के मदहोश कर देने वेल नज़ारे से कई देर तक नयन सुख लेता रहा. में सपाट गांद पर हाथ फेर रहा था. बीच बीच में अंगुल से गांद का च्छेद भी खोद देता था. फिर दोनो हाथों से गांद का च्छेद फैलाया तो अजय की गांद छोड़ी होने लगी. में बहुत खुश हुवा की यह मेरा 11 का लंबा और मोटा लंड आराम से अपने अंदर लेलेगा.

फिर मेने भाई को अपनी गोद में बैठा लिया और उसकी बानयन भी निकल दी. भैया का प्यारा मुन्ना पूरा नंगा मेरी गोद में बैठ हुवा था. में अजय के फूले हुए गालों को मुख में भर रहा था. मस्त भाई की लड़की जैसी जवानी पर में अत्यंत कामुक हो लार टपका रहा था. फिर मेने उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए और उन्हें चुभलाने लगा. अजय की च्चती पर बिल्कुल भी बाल नहीं थे जब की मेरी च्चती पर काफ़ी थे. अजय के स्तन हल्के उभार लिए हुए थे. में उन्हें धीरे धीरे दबाता जा रहा था और उसके मुँह में अपनी ज़ुबान तेल रहा था. कभी उसके निपल भी चींटी में ले हल्के मसल देता. मुझे भाई का साथ ये सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था. तभी मेने हाथ नीचे करके अजय का लंड पकड़ लिया. अजय का लंड बिल्कुल सख़्त था. मेरी इच्छा भाई के लंड को देखने की और उससे खिलवाड़ करने की होने लगी. मेने अजय का मुख मेरी ओर करके उसे घुटनों के बाल खड़ा कर लिया. अजय ने अपने हाथ अपने लंड पर रख लिए और आँखें बंद कर ली.

अजय का करीब 10" लंबा और 3" मोटा लंड मेरी आँखों के आयेज पूरा ताना हुवा था. बिल्कुल सीधे लंड के आयेज गुलाबी सूपड़ा बड़ा प्यारा लग रहा था. उसके अंडकोष कड़े थे. अजय की झाँटेन बहुत ही कम थी और उसकी दाढ़ी की तरह बहुत कोमल थी. छ्होटे भाई के कठोर मस्ताने लंड को देख कर मुझे कोई शक़ नहीं रहा की मेरा भाई एक पूर्ण मर्द है, यह अलग बात है की उसके शरीर में कई लड़कियों वेल चिन्ह भी थे जैसे बहुत हल्की दाढ़ी और मूँछचे, लड़कियों जैसे फैले और छोरे नितंब, त्वचा की कोमलता, शरीर में खाश कर चेहरे पर कमसिनी, शर्मिलपन और सबसे बढ़कर बात की मर्दों को देने के लिए लालायित रहना जो उस जैसी उमरा की लड़कियों में कुदरती दें होती है.
===================
[/कलर]
Reply
10-07-2021, 04:35 PM,
#6
RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
[कलर=#4000फ]अपडेट-06

मेरे छ्होटे भाई का 10" का मस्ताना लंड मेरे आयेज ताना हुवा था. लंड बिल्कुल सीधा और सपाट था. में बहुत खुश था की मेरा भाई एक पूर्ण मर्द है. में अजय के लंड को मुट्ठी में भींच उसके कठोर्पन को महसूस करने लगा और बड़े चाव से उसे दबा दबा के देख रहा था. उसके दोनो अंडकोषों को हथेली में रख उपर की ओर झटका दे रहा था. पिच्चे उसके गुदाज चुततादों पर हथेली रख उसे अपनी मर्दानी च्चती पर दबा रहा था और उसके लंड के कडेपन को च्चती पर महसूस कर खुश हो रहा था.

में: "मुन्ना, जितनी मस्त तेरी गांद है उतना ही मस्त तेरा यह प्यारा सा लंड है. तू तो पूरा जवान गबरू मर्द है रे. तेरे जैसे मर्डाने भाई की मस्ती करते हुए, बोल बोल के गांद मारने में जो मज़ा है वा दूसरे किसी की मारने में तोड़ा ही है. अरे मारनी है तो किसी तेरे जैसे कमसिन लौंदे की मारो जिसे मराने में मज़ा आता हो और खुशी खुशी मराए, जिसे पूरा पता हो की उसके साथ क्या हो रहा है. कुच्छ लोग भोले भाले बच्चों को बहला फुसला के अपनी हवस मिटाते हैं तो कुच्छ तो इतने गिर जाते हैं की हिंजदों को पैसे देके उनकी ठोकते हैं और कई तो ऐसे बुद्धों की भी मिल जाती है तो ले लेते हैं जिनकी जवानी ढाल चुकी है और जिनका खड़ा तक नहीं होता. तेरे भैया तो ऐसे लोगों पर थूकते हैं. मुझे तेरे जैसा ही मस्त, मक्खन सा चिकना लौंडा चाहिए था जो पूरा मर्द हो और मराने का शौकीन हो. क्यों पूरा मस्त होके मज़ा लेगा ना?"'

अजय: "हन भैया. जब आपने मुझे पता कर पूरा बेशर्म बना ही लिया है तो में भी पिच्चे नहीं रहूँगा. अपने राजा भैया से खुल कर मज़ा लूँगा. आप भी तो अपना दिखाओ ना. में भी अपने प्यारे भैया के गुड्डे से खेलूँगा उसे बहुत प्यार करूँगा."

में: "हन मुन्ना तो तू भैया का मुन्ना देखेगा. क्या भैया के साँप के साथ खेलेगा. पर देखना मेरा साँप बहुत ज़ोर से फुफ्कार मारता है, और कहीं उसको तुम्हारा बिल दिख गया तो उसमें फ़ौरन घुस जाएगा." यह कह मेने फ़ौरन ब्रीफ टाँगों से बाहर कर दिया. मेरा 11" का मस्ताना लंड अजय की आँखों के आयेज हवा में लहरा उठा. काली काली झांतों के घने गुच्छों के बीच से मेरा लंड बॅमबू की तरह एक दम सीधा होके सर उठाए हुए था. सुर्ख लाल सुपाड़ा फूल के मुर्गी के अंडे जैसा बड़ा दिख रहा था. नीली नसें फूल के ऐसे लग रही थी जैसे चंदन के ताने पर नागिनें लिपटी हुई हो. मेने अपनी स्पोर्ट गांजी भी खोल दी और अजय को मेने अपने बगल में कर लिया और उसके सर को अपनी च्चती पर टीका लिया तथा उसे अपने लंड को जड़ से पकड़ हिला हिला दिखाने लगा. मुन्ना अपने नये खिलौने को बड़े चाव से देख रहा था.

में: "मुन्ना, भैया का यह मस्ताना लंड ठीक से देख ले. खूब प्यार से इसके साथ खेल. क्यों पसंद आया ना? बताना कैसा लगा भैया का लॉडा."

अजय: "भैया आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है. मुझे अपनी मासूम गांद में इसे लेने में बहुत दर्द होगा ना? भैया मेने आज तक इतने तगड़े लंड से कभी नहीं मरवाई है. दर के मारे मेरी गांद अभी से फटने लगी है."

अजय की बात सुन मेने हंसते हुए कहा, "क्यों ऐसा बड़ा लंड गाँव में कभी देखा नहीं? एक बार इससे मरवा लेगा ना तो गाँवलों को भूल जाएगा और भाई के लंड का दीवाना हो जाएगा."

अजय: "भैया मेने सारे गाँववालों के थोड़े ही देखें हैं. भैया आप भी.... में तो बस दो लोगों के साथ कभी.......... कभी........ मस्ती लेलेटा था. वी भी आप जीतने प्यारे थोड़े ही थे. सेयेल पक्के गंदू थे. आप जितनी मस्तिभारी बातें वी थोड़े ही करते थे. गन्ने के खेत में फटाफट काम निपटा कर सरक लेते थे."

में: "अरे तू तो बुरा मान गया. अब में अपने लंड के शौकीन भाई को लंड के लिए किसी का मुँह नहीं ताकने दूँगा. मेरा यह हल्लाबी लंड एक बार भी तेरे अंदर चला गयाना तो छ्होटे मोटे लंड से तो तेरी गांद की खुजली मितेगी भी नहीं. बड़ी मस्ती से आज तेरी मारूँगा. तू भी क्या याद रखेगा की आज तो किसी पक्के लौंडेबाज़ से पाला पड़ा है. तेरी औरतों जैसी फूली गांद को तो ऐसा ही मस्ताना सोता चाहिए. अरे उन गाँववाले गंदुओं की बात छ्चोड़. उन्हे तेरे दर्द से और तेरे मज़े से तोड़ा ही मतलब था. में जितनी मस्ती तेरे साथ करूँगा उससे ज़्यादा मस्ती तुझे कार्ओौनगा." यह कह मेने अजय के एक गाल को मुख में ले लिया और उसे चूसने लगा. मेरी आँखें वासना के अतिरेक से लाल हो उठी. में बहुत ही कामुक अंदाज़ में अपने इस कमसिन लौंदे पर लार टपका रहा था और बहुत खुल के उससे गांद मारने की बात कर रहा था.

में: "ले भाई के गुड्डे से खेल.तू ऐसे ही मस्ताने लंड का दीवाना है ना. ले देख तेरे भैया कितने प्यार से तुझे अपना लंड दे रहे हैं." अजय ने एक हाथ नीचे कर मेरे लंड को जड़ से पकड़ लिया और उस पर मुट्ठी कस ली. अब वा लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.

में: "क्यों एक दम मस्त है ना? देख तेरी गांद में जाने के लिए कैसे मचल रहा है? आज तेरी इतने प्यार से मारूँगा की अपने उन दोनो दोस्तों की तुझे काभी भी याद नहीं आएगी. जितनी दिल खोल के मरवाएगाना तुझे उतना ही मज़ा आएगा."

अजय: "भैया आपका कितना मोटा और कड़ा है. आपसे मरवा कर बहुत मज़ा आएगा. अब कभी आयेज से आप मेरे सामने मेरे गाँववाले उन दोनो भादुओं की बात मत कीजिएगा. में तो अब सपने में भी उनके साथ मस्ती करने की नहीं सोच सकता. में तो अब अपने राजा भैया के साथ दिल खोल कर मस्ती करूँगा."

में: "अरे चिंता मत कर. तेरी इतने प्यार से लूँगा की तुझे पता ही नहीं चलेगा की कब तेरी गांद मेरे पुर लंड को लील गई. मेरे प्यारे मुन्ने को दर्द थोड़े ही होने दूँगा. आख़िर तेरा बड़ा भाई हूँ तेरा दर्द मेरा दर्द."

"भैया आप कितने अच्छे हैं. मुझे कितना प्यार करते हैं. इतना प्यार तो मुझे किसी ने नहीं किया." यह कह अजय दोनो हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगा, मरोड़ने लगा, लंड की चाँदी उपर नीचे करने लगा.

में: "अरे तू प्यार करने की चीज़ ही है. तू इतना प्यारा, नाज़ुक और एक दम नई नई जवान हुई लड़की जैसा है. उससे भी बढ़ कर तेरे पास भी मर्दों जैसा मस्ताना लंड है. तेरे जैसे के साथ ही लौंडेबाज़ी का असली मज़ा है." यह कह मेने पास की साइड टेबल पर पड़ी अपनी ब्रीफकेस अपनी गोद में रख खोली और कॉंडम का पॅकेट और वॅसलीन का जर उसमें से निकाल लिया.

अजय: "भैया आप्टो पूरी तैयारी करके आए हो. तो आपने आज दिन में ही प्लान बना लिया था की आज रात छ्होटे भाई की गांद मारनी है. आप पक्के उस्ताद हो."

में: "तैयारी तो करनी ही पड़ती है. तेरे जैसे चिकने भाई की तो खूब चिकनी कर के ही लेनी होगी ना. अब तो दर नहीं लग रहा है ना? क्यों पूरा तैयार है ना? अरे अब तेरे जैसा गांद मरवाने का शौकीन भाई मिला है तो में क्या जिंदगी भर मूठ ही मारता रहूँगा."

यह कहके मेने कॉंडम के पॅकेट से एक कॉंडम निकाल ली और अपने लंड पर चढ़ा ली. यह बहुत ही झीनी हाइ क्वालिटी की कॉंडम थी, चढ़ने के बाद पता ही नहीं चल रहा था की लंड पर कॉंडम चढ़ि हुई है. कॉंडम चढ़ने के बाद लंड बिल्कुल चिकना प्लास्टिक के डंडे जैसा लग रहा था. तभी मेने अजय को झुका लिया और उसकी गांद की दरार में अंगुल फेरने लगा. फिर वॅसलीन का जर खोला और अंगुल में ढेर सारी वॅसलीन लेकर अजय की गांद पर लगा दी. गांद में आधी के करीब अंगुल घुसा और फिर ढेर सी वॅसलीन अंगुल में लगा उसकी गांद में वापस अंगुल घुसा दी. थोड़ी देर गांद के अंदर चारों ओर अंगुल घुमा गांद अंदर से अच्छी तरह से चिकनी कर दी. फिर मेने ढेर सी वॅसलीन अपने लंड पर भी चुपद ली. अब में अपने छ्होटे भाई पर चढ़ने के लिए पूरा तैयार था.

में अजय के पिच्चे आ गया और घुटनों के बाल उसके पिच्चे खड़ा हो अपने लंड का सुपाड़ा उसकी गांद के खुले च्छेद पर टीका दिया. धीरे धीरे लंड को अंदर ठेलने की कोशिश करने लगा पर मेरा मोटा सूपड़ा उसके अंदर नहीं जा रहा था. तोड़ा और ज़ोर लगाया तो मुश्किल से लंड मूंद उसकी गांद में अटक भर पाया. मूंद अटकते ही एक बार अजय नीचे कसमासाया पर शांत हो गया. अब मेने लंड निकल लिया और थोड़ी वॅसलीन लंड पर ओर लगा ली. इस बार वापस चढ़ के तोड़ा ज़्यादा ज़ोर लगाया तो सुपाड़ा पूरा अंदर समा गया. सुपाड़ा समाते ही झट मेने पूरा लंड वापस निकाल लिया. अजय की गांद का च्छेद पूरा खुला हुवा था. हल्की गुलाबी वॅसलीन गांद में मति हुई थी.

[/कलर]
Reply
10-07-2021, 04:38 PM,
#7
RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
[कलर=#4000फ]अपडेट-07

में: "मुन्ना तेरी गांद तो बहुत टाइट है, मारने में पूरा मज़ा आएगा. तू चिंता मत कर. पूरी चिकनी कर के खूब आराम से मारूँगा."

अजय: "भैया धीरे धीरे करना. आपका बहुत मोटा है." अजय की गांद पर थोड़ी सी और वॅसलीन लगा में भाई पर फिर चढ़ गया. इस बार गांद पर लंड रख तोड़ा दबाते ही लंड मूंद भीतर समा गया. अब मेने दो टीन बार उसकी गांद में लंड घुमा कर थोड़ी जगह बना ली और भीतर ज़ोर देने लगा. अजय भी गांद ढीली छ्चोड़ रहा था. नतीज़ा यह हुवा की धीरे धीरे लंड अंदर सरकने लगा. आधा के करीब जब लंड अंदर समा गया तब में आधा लंड ही गांद में तोड़ा तोड़ा अंदर बाहर करने लगा. फिर मेने पूरा लंड वापस निकाल लिया. इस बार लंड और गांद पर फिर अच्छी तरह से वॅसलीन चुपड़ी और भाई का पूरा किला फ़तह करने फिर उस पर सवार हो गया.

भाई पर चढ़ते ही मेने लंड गांद में छापना शुरू कर दिया. अजय की गांद का च्छेद पूरा खुल के चौड़ा हो चुका था. अजय गांद मराने का आदि था. उसे पता था की गांद को कैसे खुला छ्चोड़ा जाता है ताकि वा लंड को लील सके. मेरा लंड भाई की गांद में साँप की तरह रेंगता हुवा अंदर जा रहा था. जब टीन चोथाई लंड आराम से अंदर सम गया तो में 2-3 इंच बाहर निकलता और वापस भीतर पेल देता. इससे गांद में ओर जगह बनती गई ओर जल्द ही मुझे महसूस हुवा की मेरे लंड की जड़ अजय के चुततादों से टकराने लगी है. इसका मतलब मेरा 11" का हल्लाबी लॉडा मेरे मासूम भाई की गांद में जड़ तक समा गया है ओर पत्ते ने इस बीच चूं तक नही की.

"मुन्ना मान गये तुमको, पक्का गान्डू है तू. पूरा का पूरा अपने भीतर ले लिया और चूं छापद तक नहीं की." में मुन्ना का शौक देख जोश में भर गया और ज़ोर ज़ोर से लंड उसकी गांद में बाहर भीतर करने लगा. लंड और गांद दोनो ही अत्यंत चिकनी वॅसलीन में चूपदे हुए थे इसलिए 'पच्छ' 'पच्छ' करता मेरा लंड लोकोमोटिव के पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था. अब मुझे छ्होटे भाई की मस्त गांद मारने का पूरा मज़ा मिल रहा था. अब अजय भी मेरे धक्कों का जबाब गांद पिच्चे तेल देने लगा. में ताबड़तोड़ गांद मारे जा रहा था और मुन्ना मस्त होके मारा रहा था.

में: "क्यों मुन्ना भैया से गांद मराने में मज़ा आ रहा है ना? किसीने इतने प्यार से आज से पहले तेरी मारी थी क्या. भैया का इतना लंबा और मोटा लॉडा देख कितने आराम से भीतर जा रहा है."

अजय: "आपसे कराने में बहुत मज़ा आ रहा है, अब कभी भी आपके साइवा किसीसे नहीं करौंगा. हन भैया अब दर्द नहीं हो रहा है. आप खूब कस कस के पुर मस्त हो कर मारिए. एक बात कह देता हूँ की आपको भी मेरा जैसा बोल बोल कर मरवानेवाला ऐसा मस्त लौंडा दूसरा नहीं मिलेगा." अजय की इस बात से में दुगने जोश में भर धुनवाधार तरीके से उसकी गांद छोड़ने लगा. मेने उसकी च्चती पर अपनी बाँहें कस ली और ज़ोर ज़ोर से आपना लंड उसकी गांद में पेलने लगा.

में: "तेरी मारके तो बहुत मज़ा आ रहा है. अरे तेरी कसी गांद तो कुँवारी छ्छोकरी की छूट जैसी टाइट है. देख मेरा लॉडा तेरी गांद में कैसे फ़च फ़च करके जा रहा है. अरे मुन्ना मेरे लंड को अपनी गांद में कस ले रे. अब तेरे भैया का माल निकालने वाला है. आज जैसा मज़ा पहले कभी नहीं आया. अरे मेने तो मूठ मार मारके यूँ ही ना जाने कितना माल बर्बाद कर दिया. आज से तो तू मेरी लुगाई बन गया है. अब जब भी खड़ा होगा तो तेरे पर ही चढ़ूंगा रे. वा क्या मस्त और चिकना है मेरा भाई. जीतने प्यार से तूने गांद मराई है उतने प्यार से तो घर की औरत भी ना चुड़वाए. साली देने के पहले 100 नखरे दिखाती है और दुनिया की फरमाशें रख देती है." अब में झड़ने की कगार पर था. मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ गई. लंड से पिघला लावा बहने लगा. मेने 4-5 कस के धाक्के मारे और में सिथिल पड़ता गया. फिर में मुन्ना पर से उतार बेड पर बैठ गया. लंड से कॉंडम निकल साइड टेबल पर रख दी. मेरा लंड काफ़ी मुरझा चुका था. में पास में ही घुटनों के बाल बैठे अजय की ओर देख रहा था. मेरी चेहरे पर पूर्ण तृप्ति के भाव थे. में कई बार मूठ मारता रहता हूँ पर जीवन में आज जैसा मज़ा मिला वैसा कभी भी नहीं मिला.

"क्यों मुन्ना खाली लोगों को ही मज़ा देते हो या इसका भी मज़ा लेते हो?" मेने अजय के लंड को पकड़ते हुए उससे पूचछा. अजय का लंड बिल्कुल ताना हुवा था और फूल के एकदम कड़ा था.

अजय: "भैया मेरे से करने के बाद वे लोग मेरी मूठ मार देते थे."

में: "अरे तुम तो अपनी गांद ठुकवाते हो और खुद मूठ मरवा के राज़ी हो जाते हो. क्या कभी बदले में उन दोनो मातेरचोड़ों की नहीं मारी जो गाँव में मेरे प्यारे मुन्ना की मारते थे. मूठ तो तुम खुद ही मार सकते हो."

अजय: "नहीं भैया मुझे खुद मूटती मार के मज़ा नहीं आता दूसरे लोग मेरी मूठ मारते हैं तब मज़ा आता है."

"अरे आज तो तूने मेरी तबीयत खुश कर दी. चल आज में तुझे ऐसा मज़ा दूँगा की तू भी क्या याद रखेगा की भैया ने तेरी फोकट में नहीं मारी." यह कह के अजय को मेने मेरे सामने बेड पर घुटनों के बाल खड़ा कर लिया और प्यार से उसके लंड को पकड़ हल्के हल्के सहलाने लगा. लंड की चमड़ी उपर नीचे कर रहा था और गुलाबी फूले सुपादे पर अपनी अंगुल फेर रहा था. तभी में नीचे झुका और मुन्ना के मस्त लंड मूंद पर अपनी जीभ फिरने लगा. फिर मुख गोल करके सुपारा मुख के बाहर भीतर करने लगा. जब लंड मेरे थूक से ठीक तरह से गीला हो गया तब में उसके लंड को धीरे धीरे मुख में लेने लगा.

अजय: "भैया यह क्या कर रहे हैं? इसे अपने मुख से निकाल दीजिए. मेरे इस गंदे को मुख में मत लीजिए. मुझे बहुत शरम आ रही है."

में: "अरे मुन्ना जिससे प्यार होता है उसकी किसी चीज़ से घृणा नहीं हो सकती. में तेरे से बहुत प्यार करता हूँ; तुम्हारी किसी चीज़ से घृणा नहीं हो सकती. फिर यह तो तुम्हारा इतना प्यारा लंड है. जितना प्यार मुझे तुमसे है, तुम्हारी गांद से है, उतना ही तुम्हारे लंड से है, तुम्हारे लंड के रस से है. उन दोनो छूतियों का क्या उन्हें तो अपनी मस्ती करनी थी सो तुम्हारी मारी ओर अलग हो गये. मूठ तो तुम्हारी इसलिए मार देते थे की उन्हें आयेज भी तेरी गांद मारनी थी. उन्हे तुमसे प्यार थोड़े ही था. अब कुच्छ भी मत बोल और देख भैया तुझे कैसा मज़ा देते हैं."

यह कह मेने मुन्ना का लंड वापस अपने मुख में ले लिया और आधे के करीब भीतर लेके लंड चुभलाने लगा. मेने अजय के दोनो फूले फूले नितंब अपनी मुति में जाकड़ लिए और अपने मुख को आयेज और पिच्चे करते हुए भाई का लंड बहुत ही मस्ती में चूसने लगा. मुझे मेरे मुन्ना का लंड चूसने में मज़ा भी आ रहा था और एक आवरनाणिया संतुष्टि भी मिल रही थी. अब में उसका लगभग पूरा लंड मुख में ले चूस रहा था, मुख में लंड आयेज पिच्चे कर अपना मुख पेल्वा रहा था. अब अजय भी पूरी मस्ती में आ गया. उसे आज अनोखा स्वाद मिल रहा था जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी. अब वा स्वयं अपने लंड को मेरे मुख में पेलने लगा, आयेज पिच्चे करने लगा. तभी उसकी पेलने की गति बढ़ गई. में समझ गया की अजय अब झड़ने वाला है अतः में लंड को ज़ोर लगा के चूसने लगा. तभी अजय लंड को मेरे मुख से निकालने की कोशिस करने लगा. में समझ गया की यह ऐसा क्यों कर रहा है और मेने उसके नितंब कस के पकड़ अपनी ओर खींच लिए. अजय का लंड मेने जड़ तक मुख में ले लिया और मुख में इस प्रकार कस लिया की उसके रस की एक एक बूँद में निचोड़ लून.

अजय: "भैया मेरा निकालने वाला है. इसे मुख से निकाल दीजिए. जल्दी कीजिए, देखिए कहीं आपके मुख में गिर जाएगा." अजय मेरे मुख से लंड निकालने की कोशिस कर रहा था और में उसके चुततादों पर अपनी ओर दबाव बढ़ा रहा था. तभी अजय के लंड ने गरम गाढ़े वीर्या का फव्वारा मेरे मुख में छ्चोड़ दिया. मेने अपनी जीभ और मुख के भीतरी भाग से उसके गाढ़े वीर्या से लंड को लपेट दिया और वीर्या से चिकने हुए लंड को तेज़ी से मुख में आयेज पिच्चे करने लगा. अजय का रस रह रह मेरे मुख में च्छुत रहा था. में मुन्ना का लंड चूज़ जा रहा था और भाई के तरोताज़ा रस का पॅयन कर रहा था. धीरे धीरे लंड, अजय और में तीनो सिथिल पड़ते चले गये. अजय ने लंड मेरे मुख से निकाल लिया. उसकी मेरे से नज़रें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी. वा सीधा बातरूम में घुस गया और में बेड पर चिट लेट गया और अपनी आँखें मूंद ली. थोड़ी देर में अजय भी बातरूम से निकल आया; पर ना तो उसने कोई बात की ना ही मेने. सुबह रात के तूफान का नामोनिशान नहीं था.
Reply
10-07-2021, 04:38 PM,
#8
RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-08

रोज की तरह आज रात भी खाने खाने के बाद में, अजय और मा तीनों टीवी के सामने आ बैठ गये.

में: "मा, आज गाँव से चाचजी का फोन आया था, कह रहे थे की हमारे खेत गाँव का सुरपंच खरीदना चाह रहा है. 20 लाख में उससे बात हुई है. मेने चाचजी से कह दिया है की यहाँ से अजय सारे कागजात और पवर ऑफ अटर्नी लेकर गाँव आ जाएगा और रिजिस्ट्री का काम कर देगा. तो मुन्ना कल वक़ील से कागजात तैयार करा लेते हैं और कागज तैयार होते ही तुम गाँव के लिए निकल जाओ. कम से कम आधे पैसे तो खड़े करो. क्यों मा मुन्ना ही ठीक रहेगा ना?"

मा: "हन, फिर वहाँ चाचजी है, कोई फ़िक़र की बात नहीं है. अजय कभी शहर में तो रहा नहीं है. यहाँ दो महीने हो गये उसे गाँव की याद आती होगी."

में: "तभी तो मुन्ना को भेज रहा हूँ. वहाँ इसके खाश दोस्त हैं. मा यह वहाँ बहुत मस्ती करता था. यह अपने दो दोस्तों को तो बहुत ही खाश बता रहा था. कहता था की इसके दोनो दोस्त खेतों में पहले तो अच्छी तरह से सकर्कंड सएकते थे फिर इसे खिला खिला के मज़ा देते थे. क्यों मुन्ना कभी मा को भी सकर्कंड खिलाते थे या सकर्कांडों का सारा मज़ा अकेले ही ले लेते थे.अब यहाँ शहर में तो इसे गाँव जैसे सकर्कंड कहाँ मिलेंगे."

"भैया नहीं जाना मुझे और ना ही सकर्कंड खाने; मुझे तो यहाँ के बड़े बड़े केले अच्छे लगते हैं. में तो यहीं स्टोर में रोज नये दोस्तों से केले लेके खाया करूँगा. साकार कांड का इतना ही शौक है तो गाँव आप चले जाओ." अजय ने मेरी ओर देख मुस्कराते हुए कहा.

में: "भैया के रहते तुझे दोस्तों से केले ले खाने की क्या ज़रूरत है? भैया क्या तेरे लिए केलों की भी कमी रखेगा. तुझे दिन में और रात में जीतने केले खाने है में खिलवँगा. अभी तो तुम गाँव जाओ और वहाँ खेतों में मज़ा लो. तूने तो मा को कभी सकर्कंड खिलाए नहीं पर में मा के लिए केलों की कमी नहीं रखूँगा." हम इसी तरह कई देर बातों का मज़ा लेते रहे. फिर मा अपने कमरे में चली गई तो हम दोनों भाई अपने कमरे में आ गये. में अपने कामरे में आदमकद शीशा लगी ड्रेसिंग टेबल के सामने सिंगल सीटर सोफे पर बैठ गया.

अजय: "भैया आप बड़े वो हो. मा के सामने ऐसी बातें करने की क्या ज़रूरत थी? कल मेने कहा तो था की मुझे उन सब कामों की लिए अब किसी भी दोस्त की ज़रूरत नहीं है. जब आप जैसा बड़ा भैया मौजूद है तो मुझे नहीं जाना किसी दोस्त के पास. अबसे में तो अपने सैंया भैया का मूसल ही अपनी गांद में ठूक्वौनगा."
Reply
10-07-2021, 04:39 PM,
#9
RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
"अरे अजय तू कौन से 'उन सब' कामों की बात कर रहा है, में कुच्छ समझा नहीं." मेने अजय का हाथ पकड़ उसे खींच अपनी गोद में बैठा लिया और बहुत प्यार से पूचछा.

अजय: "वही जो कल आपने अपने छ्होटे भाई के साथ किया था. शुरू में तो कल आपने जान ही निकाल दी थी ओर अब पूच्छ रहे हैं की कौनसा काम."

में: "अरे भाई कुच्छ बताओ भी तो की मेने तेरे साथ ऐसा कल क्या कर दिया था? कहीं कुच्छ ग़लत सलत हो गया तो बड़ा भाई समझ कर माफ़ कर दे."

अजय: "कल आपने अपना केला मेरे में दिया तो था. 11" का सिंगपुरी केला छ्होटे भाई के पिच्चे में देते समय दया नहीं आई और अब माफी माँग रहे हैं. अभी भी गोद में बैठा अपना केला खड़ा कर के नीचे गांद में धंसा रहे हैं."

में: "मुन्ना बताओ ना कल मेने अपनी कौन सी चीज़ तेरी किस में दी थी?"

अजय: "भैया आप मुझे अपने जैसा बेशरम बनाना चाहते हैं. आपने अपना लंड मेरी गांद में दिया था. आप मेरे उपर सांड़ की तरह चढ़ गये थे और मेरी गांद हुमच हुमच कर मारी थी. जाइए में आपसे ओर ऐसी बातें नहीं करूँगा."

में: "अरे तू मेरा प्यारा भाई तो है ही पर अब से तू मेरा गांद दोस्त भी बन गया. जब हम आपस में गांद मारा मारी का खेल खेलने लग गये तो हम दोनों एक दूसरे के गांद दोस्त हो गये. जब तुझे अपनी गांद मराने में शरम नहीं है तो लंड, गांद, मारना, चूसना इन सब की खुल के बातें करने का मज़ा ही ओर है."

में: "चल मुन्ना उठ, अपनी पंत खोल."

अजय: "किसलिए भैया?"

में: "तेरे जैसे मस्ताने लौंदे से जब मेरा जैसा पक्का लौंडेबाज़ पंत खोलने के लिए कहता है तो तू मतलब समझ."

अजय: "भैया मुझे आज नहीं मरानी."

में: "देखा, समझ आ गई ना. पर मराएगा नहीं तो क्या अपनी मा छुड़ाएगा.?"

अजय: "आप मा को बार बार बीच में लाते हैं. आप मा के सामने भी कह रहे थे की मेरे दोस्त मा को भी सकर्कंड खिलाते थे या नहीं. उन दोनो की क्या मज़ाल की मेरी मा की तरफ आँख उठा के भी देख लेते; सालों के काट के हाथ में पकड़ा देता. भैया आपकी भी हद हो गई. मा को कह दिया की उसके लिए केलों की कमी नहीं रखेंगे. भला मा क्या सोचेगी? अच्छा बताइए, क्या आप अपने नीचे वाला केला मा को भी खिला देंगे?"
Reply
10-07-2021, 04:39 PM,
#10
RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
में: "अरे तू नहीं जानता मा जैसी जवान, शौकीन और मस्त औरत की पीड़ा. पिताजी ने पिच्छले 15 साल से बिस्तर पकड़ रखा था. वी अपने खुद के काम खुद नहीं कर सकते थे. तो मा को छोड़ना तो डोर उसे वी शायद हाथ भी ना लगाते हों. और अपनी मा जैसी स्वाभिमानी और मान मर्यादा का ख़याल रखने वाली औरत से यह उम्मीद थोड़े ही की जा सकती है की उसने गाँव में यार पाल रखे हो. कहने का मतलब पिच्छले 15 साल से उसकी छूट उँचुड़ी है, वा चुदसी है, उसे लंड की ज़रूरत है. भाई मा की मस्त गड्राई छूट और फूली गांद की सेवा के लिए मेरा लॉडा तो हमैइषा तैयार है. अरे बाबा ना... ना.... मेने भी किस के सामने यह बात कह दी. तू कहीं मेरा भी काट के मेरे हाथ में ना पकड़ा दे."

अजय: "मेरे हाथों आप वेल की काटने की बात... भैया सुन के ही मेरे शरीर में तो झुरजुरी सी दौड़ गई. आप वेल गुड्डे को तो में अपनी तीजौरी में बंद करके टला लगा दूँगा."

में: "अब पंत भी खोलो ना, अपनी तीजौरी के मुख का तो दर्शन काराव. मा को छोड़ने की बात करके लंड मूसल सा खड़ा हो गया है. अपनी मस्त मा को छोड़ने की बात करके यह हाल है तो उसको पूरी नंगी करके छोड़ते समय क्या होगा?" अजय खड़ा हो गया और उसने अपनी पंत और शर्ट उतार दी. अब वा ब्रीफ और बाणयान में था.

अजय: "भैया कल आपने मेरा चूस के जो मज़ा दिया था उस मज़ा को तो में बता नहीं सकता. वैसा मज़ा मुझे कल से पहले जिंदगी में कभी नहीं मिला. लंड चुसवाने में इतना मज़ा है मुझे पता ही नहीं था. में तो सातवें आसमान की शायर कर रहा था. भैया आज में भी आप का चूसूंगा और आपको भी वा मज़ा दूँगा जो मज़ा कल आपने मुझे दिया था." मेने ब्रीफ के उपर से अजय की उभरी गांद अपनी मुट्ठी में कस ली और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.

में: "तो तू मेरा लंड चूसेगा? कल तो तू बार बार मुझे माना कर रहा था. तुझे पेशाब करने वाली चीज़ से घिन नहीं आएगी?"

अजय: "भैया, अब तो आप मेरे मुख में धार भी मार देंगे तो घिन नहीं आएगी. भैया जितना प्यार मुझे आपसे है उतना ही प्यार आपके लंड से है.. में आपका ग्युलम हूँ, आपके लंड का सेवक हूँ, आपकी हर बात मानना ही मेरा सबसे बड़ा धर्म है."

में: "अरे मुन्ना आज तो तू बड़ी सयानी सयानी बातें कर रहा है. एक ही दिन में तू बड़ा हो गया रे. जैसे कुँवारी लड़की एक बार छुड़ाते ही पूरी सयानी हो जाती है वैसे ही भैया से एक बार गांद मरवाते ही तू तो पूरा सयाना हो गया. इसका मतलब उन दोनो छूतियों ने तेरी उपर उपर से मारी थी. वास्तव में तो तेरी गांद कुँवारी ही थी, इसकी सील तो कल मेने ही तोड़ी है. तो तू भैया का चूसेगा? तू भी क्या याद रखेगा? कल जीतने प्यार से तेरी मारी थी आज उतने ही प्यार से तुझे चूसवँगा." यह कह मेने अपना नाइट पयज़ामा, ब्रेइफ और गांजी सारे कपड़े उतार दिए. मेने दोनो टाँगें सोफे के हॅंडल पर रख ली और सामने शीशे में खूँटे सा सर उठाए मेरे लंड का प्रतिबिंब मुझे गौरवान्वित कर रहा था.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,302,854 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,570 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,152,258 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 872,693 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,543,666 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,988,067 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,798,978 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,524,106 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,828,367 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,443 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)