Romance एक एहसास
07-28-2020, 12:50 PM,
#11
RE: Romance एक एहसास
राधिका ने खुद की तरफ इशारा करते हुए कहा “वैसे एक खूबी तो है आपमे… आपको बचपन से ही होशियार लोग पसंद है, खैर छोड़ो फिर क्या हुआ| … उसने आपसे दोस्ती की या नहीं”

“मैने शुरू मे ही बताया था वो एक होशियार लड़की थी, तो भला मुझसे दोस्ती क्यों करने लगी”

“अच्छा जी … तो उस होशियार लड़की का जवाब नहीं था”

“अजी नहीं … वो तो मैं ही उसे बोलने की हिम्मत नहीं कर पाया था, इसलिए मैने अपने एक दोस्त की मदद से एक खत में अपने मन की बात लिखकर रितू को बताये बिना ही वह खत उसके बैग में रख दिया|

“ओके… तो फिर क्या जवाब आया आप“यूं मेरे खत का जवाब आया,

पिस्तौल लेके उसका बाप आया|

“क्या सच मैं ऐसा हुआ था” राधिका ने हँसकर पूछा|

“हाँ यार… उसके पापा को देखकर मैं सोचने लगा­

बहुत छुपाना चाहा था, मगर न जाने कैसे सबको पता चल गया,

याइला कहीं ऐसा तो नहीं, मेरा खत उसके बाप के हाथ लग गया|

“फिर क्या हुआ| ”

“होना क्या था उसका बाप फौजी था, और देखने में भी भयंकर था|

मेरी क्लास में आकर उसने रितू से पूछा “कौन है वो किशन| ”

रितू ने मेरी ओर इशारा कर दिया तो उसके पापा बोले “ओए कुत्ते इधर आ”

अभी तक मैं पूरी बात समझ नहीं पाया था इसलिए मैने उसका जवाब कुछ इस तरह दिया अंकल जी ­-

बुरा न मानता, आप मुझे बुलाते कुत्ता, थोड़ा प्यार से मगर,बल्कि हिलाता हुआ आता ये जबरू, इसको पूछ होती अगर|

“फिर क्या हुआ| ”

“होना क्या था एक बार तो उसके पापा हँस पड़े मगर फिर पता नहीं क्या हुआ, उन्होने मुझे जोर से झकझौर कर कहा “आज के बाद तूने रितू को परेशान किया तो मैं तुझे जान से मार दूंगा… चल अब सबके सामने रितू के पांव पकड़कर उससे माफी मांग”|

“फिर… ” राधिका ने बड़ी दिलचस्पी दिखाते हुए पूछा

“मै क्या कर सकता था| … मैं रोने लगा और रितू के पाव पकड़कर उससे माफी माग ली|

उसके पापा जाने लगे तब मैं बोलाअरे जालिम अंकल, बस मेरी इतनी ही इज्जत रख लेते,

आप मुझे कुत्ता समझते, मगर मेरा नाम तो शेरू रख लेते|

राधिका ठहाका लगाकर हँसते हुए बोली ­ अच्छा जी तो आपको रितू के पापा ने सुधारा|

“अरे नहीं, भला कुत्ते की दुम… इतना बोलकर वह चुप हो गया| फिर बोला मैं सुधरा नहीं बल्कि मैने रितू से सबके सामने मेरी बेइज्ज्ती करने का ऐसा बदला लिया कि उसने कुछ ही दिनो में वह स्कूल छोड़ दिया”|

“वो कैसे| ”

“वो ऐसे कि उस दिन के बाद मैं हर रोज उसका लंच खा जाता था”|

“तुम उसका लंच खा जाते थे… तो उसने तुम्हारी शिकायत क्यों नहीं की| ”

“शिकायत … हाहा … अजी उसे कभी पता ही नहीं चल पाया… उसका लंच कौन खाता है,”

“क्या…| मगर उसने ये जानने की कोशिश क्यों नहीं की| ”

“उसने तो बहुत कोशिश की थी बल्कि कुछ दिन तो वह पानी पीने तक के लिए भी क्लाश रूम से बाहर नहीं जाती थी”|

”मगर जब वह कभी बाहर ही नहीं जाती थी, तब तुम उसका खाना कैसे खाते थे| ”

“वो ऐसे… मैं सुबह घर से कुछ भी खाकर नहीं जाता था| जब सब बच्चे सुबह प्रार्थन मैदान में होते थे तभी मैं उसका खाना खा जाता था और जिस दिन वह लंच लेकर नहीं आती थी तब मैं उसकी कॉपी में से किए हुए होम­वर्क के पेज फाड़ दिया करता था| जिससे कइ बार उसकी पिटाइ भी हुई| बस कुछ ही दिन में तंग आकर उसने वह स्कूल छोड़ दिया”|

“इसका मतलब तुम बचपन से ही झुठे और फरेबी थे”|

“मोहब्बत और जंग में सब जायज है मैड़म और फिर इसमे फरेब की क्या बात है उसने मेरी पिटाई करवाई थी, मैने उसकी करवा दी “हिसाब बराबर”

“अच्छा… तो रितू से हिसाब बराबर होने के बाद कोइ आपकी गर्लफ्रैंड़ बनी या नहीं”|

“जी उसके बाद एक लड़की मेरी जिन्दगी में आई, जिससे मैने दोस्ती करनी चाही थी”|

“वो कौन थी| ”

“उसका नाम सुलेखा था| वह बहुत सुन्दर थी| तब उसकी उम्र 9­-10 साल होगी…

“वो सब छोड़ो मुद्दे की बात बताओ तुमने उसको कैसे प्रपोज किया, ओर उसका जवाब क्या रहा” बीच में टोकते हुए राधिका ने कहा|

“ये भी मुद्दे की ही बात थी| मैं आपको समझाना चाहता था कि वह शारीरिक और मानसिक दोनों ही तौर पर मुझसे ज्यादा परिपक्व थी|
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07-28-2020, 12:50 PM,
#12
RE: Romance एक एहसास
“प्रपोज… हम्म्म्म्म्म इस बार मैने सोच लिया था कि मैं खत नहीं लिखूगां| क्योंकि मेरे एक दोस्त ने बताया था खत तो एक सालिड़ सबूत होता है, जिसके आधार पर पुलिस केस भी हो सकता है| इसलिए मैने सोचा इस बार मैं बोलकर ही इजहार करूंगा|

एक दिन मैं स्कूल से छुट्टी के बाद उसके साथ-साथ चल रहा था| अचानक सुलेखां ने मुझे बताया कि मेरी कमीज सुलग रही है,” |

“मेरी कमीज सच में सुलग रही थी| मैने आग बुझाकर सुलेखा को धन्यवाद कहा मगर मैं काफी नर्वस हो गया था इसलिए और कुछ न बोल पाया|

“फिर…”

कुछ दूर तक हम साथ­-साथ चलते रहे| फिर सुलेखा मुझसे बोली “आप कैसे हो आपकी कमीज में आग लगी थी, और आपको बिल्कुल भी पता नहीं चला”|

“सुलेखा जी असल में बात ये है कि मुझे भी सीने के पास थोड़ी जलन तो महसूस हुई थी| मगर मैने सोचा किसी हसीन को देखकर दिल के किसी कोने में पड़ा जवानी का कोइ शोला भड़क उठा होगा… उसी वजह से मुझे जलन हो रही होगी”

मेरी बात सुनकर वह मुस्कुरा दी| उसकी मुस्कान ने मेरा हौंसला बढ़ा दिया और मैं बाते करते-करते उसके घर तक उसके साथ चला गया| लेकिन उसने जो किया उससे मैं बहुत देर तक डरा-डरा घुमता रहा उसके घर में|

“क्यों ऐसा क्या किया उसने ” राधिका ने आश्चर्य से पूछा

जब मैं उसके घर गया| उसके घर पर कोइ नहीं था| उसने मुझे अपने कमरे में बुलाया| मैं बहुत खुश हुआ ओर अन्दर चला गया| सुलेखा बोली ­ आप बैठो मैं आपके लिए चाय बनाकर लाती हूँ| मगर उस कमीनी ने कमरे से बाहर निकलते ही दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और मुझसे बोली, वह अपने पापा को बुलाने जा रही है|

“फिर तो आपकी खूब पिटाई हुई होगी” राधिका चेहरे पर शरारती हंसी लिए बोली

“मै शक्ल से इतना बेवकूफ लगता हूँ क्या … सुलेखा के जाने के बाद उसका छोटा भाई आया तो मैंने उसे बताया… यार सुलेखा ने मजाक में मुझे अन्दर बंद कर दिया है|

मेरी बात पर भरोसा करके उसने दरवाजा खोल दिया| फिर कुछ दिन मैं स्कूल ही नहीं गया|

“उसके बाद मैने कभी किसी को प्रपोज नहीं किया… आपको छोड़कर”

“फिर आपने मुझे ही प्रपोज क्यों किया”|

“Very Simple आप मुझे अच्छे लगे”

“किशन जी आपसे एक बात पूछूं|

“हां… हां … पूछो क्या पूछना है|

आपको मुझमे क्या अच्छा लगा|

“सच कहूं तो मैं किसी की खूबसूरती को कभी अहमियत नहीं देता मगर न जाने क्यों आप मुझे पहली नजर में ही पसंद आ गये थे|

“आप खूबसूरती को अहमियत क्यों नहीं देते” राधिका ने हैरत से पूछा

“राधिका जी इस दुनिया में तो एक से बढ़कर एक खूबसूरत लड़की है लेकिन मैं यअगर वफा नहीं है तो फिर खूबसूरती जहर के अलावा कुछ भी नहीं |

“फिर भी आपको मुझमे ऐसी क्या बात दिखी जो आप मुझे पसंद करने लगे”

“आपकी हाजिर जवाबी और आपकी ये भूरी­-भूरी आँखें ”

“क्या मतलब”

“मतलब अजब सी हैं आपकी सारी बातें

और गजब की हैं आपकी भूरी आँखें |

राधिका नजरें झुकाकर खामोश बैठ गई जैसे वह ख्यालों में कहीं खो गई हो…

“निची निगाहें, प्यारी आवाज और चेहरे पर सादगी भी है,

कैसे यकीन दिलाऊ, मेरी कातिल देखने में भोली सी है|

यार आप भी कमाल करते हो जब भी मैं प्यार मोहब्बत की बातें करना चाहता हूँ आप नजरें झुकाकर बैठ जाते हो… क्या बात है अब किस उलझन में पड़ गये|“आप हमारी ऊल्झन की न सोचें,

कहीं ऊल्झने आपकी न बढ़ जायें|

अगर ये बात है तो आप भी हमारी ऊल्झन की न सोचो, हमने भी अच्छे-अच्छो को ऊल्झाया हैं|

“अच्छा जी ये बात है तो…लो नजर आपसे मिला लेते हैं,

देखें आप हमे उल्झाते कैसे है|

दोनों आँखों में आँखें ड़ालकर जैसे इस दुनिया को भूल ही गये थे|
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07-28-2020, 12:51 PM,
#13
RE: Romance एक एहसास
एकाएक आवाज आई “लगे रहो इंड़िया… लगे रहो…” ये सागर के शब्द थे|

“हाँ छ…छ…छोटे… बोल क्या बात है,” किशन हड़बड़ा गया|

“बात क्या है… कब से चिल्ला रहा था मगर आपको कुछ सुने तब तो… मैं एक झूले पर इससे ज्यादा देर तक नहीं खेल सकता| अब आपको रूकना है तो रूको मगर मैं घर जा रहा हूँ|

किशन ने उसे आइसक्रीम के लिए पैसे दे दिये और सागर चला गया|

सागर के जाने के बाद किशन व राधिका फिर से अपनी बातों में मशगुल हो गये|

“किशन जी एक बात पूछूं आपसे”

“पूछो…”

“आप किस तरह की लाईफ पसंद है,”

“लाईफ… मैं इस तरह से नहीं जीना चाहूंगा के अपने आस-पड़ोस और रिस्तेदारों के सिवा किसी को पता भी न चले कब दुनिया में आये और कब चला गये| मैं अपनी मातॄ­भूमि की ऐसी सेवा करना चाहता हूं कि लोग मुझे भी भारतीय आन्दोलनकारियों की तरह याद रखें और मॄत्यु के बाद भी मै उनकी बातों व यादों में जिन्दा रहूं| यदि मै अपने देश के लिये कुछ ऐसा कर सका तो मै अपना जीवन सफल समझूँगा|

“ओहो … तब तो आपको लेखक बनने की बजाये फौज मे भर्ती होना पडेगा”

“राधिका जी मेरे लिएअपने आप को सुधार लेना ही संसार की सबसे बड़ी सेवा ह परन्तु ऐसा हरगिज नही है कि अपनी मातॄ­भूमि की सेवा करने के लिये फौज का जवान होना जरूरी है नि:सदेंह फौज के जवान देश की रक्षा करते हुए मातॄ­भूमि की उत्तम सेवा करते हैं लेकिन यह एकमात्र रास्ता नही हैं उदाहरण के लिये बाबा रामदेव जी को लिजिये, वे फौज के जवान नही हैं लेकिन आज के हालातों को देखते हुए बाबा रामदेव जी अपनी मातॄ­भूमि की अति उत्तम सेवा कर रहे हैं| हमारे समाज में आज भी बहुत सी कमियां है जिनमे सुधार करके या करने का प्रयास करके भी हम अपने देश के विकास मे मदद कर सकते है|”

“किशन जी मै आपकी बात से सहमत हूं परन्तु हर कोइ इस बात से सहमत नहीं है और शायद इसीलिए कुछ लोग उनकी आलोचना भी कर रहे हैं”

“राधिका जी मै जानता हूं कुछ लोग बाबा जी की आलोचना कर रहे हैं मगर मै उन लोगों से सहमत नहीं हूं जो यह कहते है कि बाबा रामदेव जी को सिर्फ योग सिखाना चाहिये और जिसका जो काम है वह उसको करने दें और बाबा रामदेव जी के कुछ आलोचकों के शब्दों में साफ तौर पर गुन्डागर्दी झलक रही है ­ मैं उन लोगों से पुछना चाहता हूं काले धन का मामला पिछले कइ वर्षों से उठ रहा है जिन लोगों का इस काले धन को वापिस लाने का काम था उनको अब तक किसने रोक रखा था या जो लोग यह कहते हैं कि बाबा रामदेव जी को सिर्फ योग सिखाना चाहिये वह यह बतायें कि यदि देश मे कोइ विप्पति आयेगी या देश के हालात बिगडेंगें तो क्या उसका प्रभाव बाबा रामदेव पर नही पडेगा और यदि देश के अच्छे तथा बुरे का प्रभाव उन पर पडता है तो देश के अच्छे या बुरे हालातों पर विचार करने का और यदि उनके पास इसके बारे मे कोइ उचित उपाय है तो वह देश के समक्ष रखने का उनको पूरा अधिकार है, न सिर्फ बाबा रामदेव बल्कि इस देश के हर नागरिक को यह अधिकार है क्योंकि स्वदेशप्रेम, स्वधर्मभक्ति और स्वावलंबन आदि ऐसे गुण हैं जो प्रत्येक मनुष्य में होने चाहिए|”

“किशन जी मै आपकी बात से फिर सहमत हूं मगर यह सवाल भी तो उठ रहे है कि बाबा रामदेव जी भी राजनिति मे आना चाहतें हैं”

“अरे तो इसमे गलत क्या है| क्या संविधान में कहीं ऐसा लिखा है कि देश का भला चाहने वाला कोइ योगी या महात्मा देश की बागढ़ोर संभालने के लिये राजनिति मे नहीं आ सकता| यह तो और भी अच्छा है कि बाबा रामदेव जैसे देशभक्त मेरे देश का नेतॄत्व करें| राधिका जी मै तो उनके इस निर्णय का भी सर्मथन करता हूं और अपनी शुभकामनाएं देता हूं|”

“परन्तु उनके बारे मे भी तो कुछ गैर कानुनी बातें सामने आ रही हैं जैसे की उनकी पंतजलि योगपीठ की जमीन व टैक्स चोरी के बारे मे भी तो सवाल उठ रहे हैं|”

“राधिका जी गुणों व अवगुणों के समावेश से ही इन्सान बनता है| इन्सान जीवन में बहुत सी गलतियां करता है, मगर कुछ लोग कोइ ऐसा नेक काम कर जाते हैं कि वे मरने के बाद भी लोगों की बातों में, उनकी यादों में जिन्दा रहते हैं| यदि बाबा रामदेव पर लगाये गये आरोप सत्य हैं और यदि वे यह साबित हो जाने पर भी उन मामलों में कानुनी कमियों मे सुधार नहीं करेंगें तब उन मामलों में मै उनका विरोध भी करूगा लेकिन इसका मतलब ये कतई नही है कि मै उनके “भ्रष्टाचार मिटाओ सत्याग्रह” का समर्थन नहीं करूगा| मै स्वामी रामदेव जी के “भ्रष्टाचार मिटाओ सत्याग्रह” का समर्थक था, हूं और रहूंगा क्योंकि इस सत्याग्रह मे उनकी हर मांग राष्ट्र हित में है| जब 5­अप्रैल­2011 सें माननीय श्री अन्ना हज़ारे ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष करते हुए “जन लोकपाल विधेयक” पारित कराने के लिये उन्होने आमरण अनशन आरम्भ किया था तब उनके समर्थन मे मैने भी जन्तर­-मन्तर से इण्डिया गेट तक हाथ में मोमबत्ती लेकर प्रदर्शन किया था| कुल मिलाकर मै यह कहना चाहता हूं कि मै आंखें बंद करके बाबा रामदेव जी का समर्थन नहीं कर रहा हूं बल्कि मै उनका समर्थन इसलिये कर रहा हूं क्योंकि उनकी हर मांग राष्ट्र हित में है और मै देश हित वाले सभी मुद्दों का समर्थन करूगा|

“मगर सुनने मे तो यह भी आ रहा है कि इस आंदोलन के पीछे आर. एस. एस., बीजेपी व सांप्रदायिक ताकतें हैं| ”

“अगर यह मान भी लिया जाए कि अन्ना और बाबा को संघ का समर्थन हासिल है तो उससे क्या आदोलन का उद्देश्य कमजोर हो जाता है| क्या जिन सवालों को लेकर अन्ना हजारे या बाबा रामदेव आदोलन कर रहे हैं, वे बेमानी हो जाते हैं| क्या आज हमारे देश में भ्रष्टाचार और काला धन राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है| क्या देश और जनता से जुड़े इन मुद्दों को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने का हक नहीं है| ­ राधिका जी भ्रष्टाचार और काला धन पूरे देश की समस्या है और आंदोलन के पीछे चाहे जिसका भी हाथ हो मगर ये मुद्दे हैं तो विशुद्ध और गंभीर| जिनके लिए कड़े कानून बनाने ही होंगे| साथ ही काले धन को देश में वापस लाने के लिए भी ठोस रणनीति अपनाने की भी सख्त जरूरत है| राधिका जी कुव्यवस्था के विरूध इस लड़ाइ में हम सभी को लड़ना चाहिए या लडने वालों का समर्थन करके उनका हाथ मजबूत करें| भ्रष्टाचार से सभी परेशान हैं इसलिये हर धर्म और मजहब के लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं लेकिन सरकार काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के बारे में अध्यादेश जारी करने की बजाए लोगों को गुमराह करने के लिये इधर­-उधर की बातें कर रही है| इससे तो यही समझ आता है कि सरकार न तो लोकपाल का गठन करना चाहती है और न ही विदेशों में जमा कालाधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना चाहती है| शायद इसके पीछे कारण यह है कि कालाधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने से सरकार के मंत्रियों और उसके सहयोगी दलों के कइ नेता बेनकाब हो जाएंगे| राधिका जी काले धन के खिलाफ कार्रवाइ मे देरी देश के लिये नुक्सानदायक है क्योंकि इस दौरान भ्रष्ट लोगों को अपने अवैध धन को मुखौटा कंपनियों में लगाने का मौका मिल जाएगा और इस बात से भी इन्कार नही किया जा सकता कि सरकार के कुछ लोग झूठे, धोखेबाज और षड़यंत्रकारी हैं| लोगों पर आधी रात में लाठियां और आंसू गैस के गोले चलाए गए लेकिन सरकार के कुछ अधिकारी उस कार्यवाई को जायज बता रहे हैं जबकि उसे षड़यंत्र के अलावा कोइ नाम नही दिया जा सकता| अहिंसा के साथ किसी भी परेशानी के लिये प्रर्दशन करने वाले लोगों पर जिसमे निर्दोष बच्चें और महिलाएं शामिल हों, इस तरह की कार्यवाइ को जो लोग जायज बता रहे हैं वे लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं| ऐसे कृत्य को किसी भी हालत में सही नहीं ठहराया जा सकता है|

“किशन जी अगर एक मिनट के लिये कार्यवाई के सही या गलत के मुद्दे को भुला दिया जाये तो आप पायेंगे कि औरतों और बच्चों को मिले कष्ट के लिये कुछ हद तक उनके माता­-पिता की मुर्खता जिम्मेदार है…”

“मूर्खता… कैसी मूर्खता| ” राधिका की बात बीच मे ही काटते हुए किशन ने पूछा|

“किशन जी बच्चों को इस आंदोलन मे लाने की क्या जरूरत थी| ”

“राधिका जी बहुत जरूरत थी और जिसे आप मूर्खता कह रही है वह भविष्य की तैयारी है| यह इसलिए जरूरी है ताकि नई पीढ़ी बचपन से ही अपने अधिकारों के बारे में और गलत व्यवस्था ठीक करने का तरीका जाने| उनमें भ्रष्ट व्यवस्था से संघर्ष करने का जज्बा पैदा हो और बचपन से ही उनमें गलत चीजों को मिटाने और अच्छे संस्कार अपनाने की भावना जन्म ले|”

“मैने तो इस नजरिये से सोचा ही नही था, चलो आपकी ये बात तो मै मान लेती हूं मगर एक बात तो आपको मेरी माननी ही पड़ेगी कि हमारे देश के तत्काल सिस्टम को देखते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लडाई को कामयाबी आसानी से नहीं मिलेगी|”
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07-28-2020, 12:51 PM,
#14
RE: Romance एक एहसास
“भ्रष्टाचार के खिलाफ ये लडाई कितनी कामयाब होगी, यह तो वक्त ही बताएगा और ये भी सही है कि सिस्टम के खिलाफ लड़ना बहुत मुश्किल होता है मगर ये भी याद रहे सिस्टम के खिलाफ जाकर तख्ता पलट करने वाला क्रान्तिवीर कहलाता है­ राधिका जी इस मुद्दे पर तो कितनी भी देर बहस की जा सकती है और इसका नतीजा जो भी होगा वह सबके सामने आ ही जाएगा इसलिये इसे यहीं विराम देते हुए अपने मुद्दे पर आते हैं ­ आपको कैसी लाइफ पसन्द है|” किशन ने पूछा

“हम्म्म्म्म्म्म किशन जी बात तो आपकी एकदम सही है”राधिका ने सहमति जताते हुए कहा ­ मै तो फिल्मी लाईफ जीना चाहती हू ­ जैसी लाईफ फिल्मी हीरोइनो की होती है… जैसे देश-विदेश की खूबसूरत जगहों पर घुमना अपने हीरो के साथ रोमांटिक गीत गाना वगैरा­-वगैरा…

“राधिका जी मेरे लिए तो ये पार्क ही इस दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह है क्योंकि यहां आप मेरे साथ हो और आप मेरा साथ दो तो मैं गाना भी गा सकता हूंं

“अरे मगर यहां वो बात कहां …” राधिका ने एक ठंड़ी आह भरते हुए कहा|

“क्यों क्या कमी है यहां… इस पार्क में भी तो चारों तरफ हरियाली है| हरे भरे पेड़ है यहां… क्या ये मौसम प्यारा नहीं है| चलो अब बहाने छोड़ो और गाना शुरू करो|

“किशन… पागल हो क्या… हम कैसे गा सकते है गाने ऐसे ही थोड़े न बन जाते है ”

“अजी मगर अपने मनोरंजन के लिए तो हर कोइ गुनगुनाता है हम भी वही करेंगें| वैसे ये इतना भी मुश्किल नहीं है जितना आप समझते हो| चलो मैं शुरू करता हूंं… आपके मन में उसके जवाब मे जो भी आये… वो आप बोलना… मगर उसमे थोड़ा सा प्यार का अंदाज मिला देना… गीत अपने किशन - भावनाओ में बह गया, जाने मैं कैसे कह गया,

ढ़ह गया सबर का बांध, हो गया मन बेकाबू ,राधिका - क्या

किशन - अरे ऐ छोरी, सुन आई लव यू

राधिका - मदहोशी में जो बोला, कभी होश में भी तो बोल दे,

चाहे मेरा दिल, तुने जो कहा, मैं भी अब वो बोल दू ,

किशन - क्या

राधिका - अरे ओ छोरे, सुन आई लव यू

किशन - क्या है तू जादुगरनी, जो यादों पे मेरी छा गई,

राधिका - बात ये तुने ऐसी की, जो मेरे दिल को भा गई,

किशन - जीने में मजा आने लगा, तुम संग लगा के यारी,

राधिका - छा गये तुम भी यारा, कर लिया ये दिल काबू ,

किशन - क्या

राधिका - अरे ओ छोरे, सुन आई लव यू

राधिका - क्या कहेगी दुनिया, करो होश अब कुछ तो,

किशन - क्या हुआ न जाने, कुछ समझ न आया मुझको,

राधिका - तुमसे डर सा लगता है, कर दोगे रुशवा मुझको,

किशन - अच्छा जी ना बोलूंगा, मगर इशारें में तो कह दूं ,

राधिका - क्या

किशन - अरे ऐ छोरी, सुन आई लव यू |

राधिका - अरे ओ छोरे, सुन आई लव यू|

अरे वाह किशन जी आपने तो कमाल कर दिया|

अजी कमाल क्या… आप मेरा साथ देते रहिए धमाल अभी बाकी है­

मै जानी हूंं तू मैरी है,

मै तेरा हूंं तू मेरी है,

दो पल हों प्यार के तेरे संग,

बस जिन्दगी बथेरी है…|

राधिका जी … आप चुप क्यों हो गये… गाओ …

बस… बस… किशन… बहुत अच्छे… अब तो मुझे यकीन है आप एक दिन जरूर कामयाब होंगंे|

“शुक्रिया मैड़म… अब एक बात बताओ आप प्रदीप को कैसे जानते हो”|

“प्रदीप… आप किस प्रदीप की बात कर रहे हैं,”|

“वही जो पार्क के गेट के पास आपसे बात कर रहा था”|

“ओह प्रदीप जी… वह तो मेरे जीजा जी के दोस्त थे… मगर मेरे लिए तो वह भगवान जैसे है| जैसे मुश्किल वक्त में उन्होने हमारी मदद की, वह सब बस भगवान ही कर सकता है,”

“इसने कौन से मुश्किल वक्त में तुम्हारी मदद कर दी” किशन ने उखड़े स्वर में कहा|

“बीते दिनो में मेरे जीवन में जो मुसीबतें आयी थी मैं उन्हे याद करके उस बुरे वक्त को दोहराना नहीं चाहती… मगर आप क्यों पूछ रहे है… क्या आप भी उन्हे जानते हैं| ”

“नहीं… मैं उसे नहीं जानता”

“तो फिर क्यों पूछ रहे थे उनके बारे मे”

“मुझे लगा शायद वह आपको परेशान करता हो” किशन ने कुछ खीझकर कहा|

“अच्छा बाबा सॉरी… अब गुस्सा छोडो… आपने वादा किया था आज हम ड़ीनर साथ करेंगंे|

“हां… हां… मुझे याद है… “

“ये हुई न कुछ बात” राधिका ने ईठलाते हुए कहा और दोनों एक रेस्टोरेंट की तरफ चल पड़े|
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07-28-2020, 12:51 PM,
#15
RE: Romance एक एहसास
“हाये री छम्मक छल्लो एक बार जरा ऐसी ही अगंड़ाइ लेकर हमारे साथ आजा… ड़िनर तो तुझे हम भी करा देंगें” राह चलते तीन लड़कों ने राधिका को छेड़ते हुए कहा|

“ये क्या बदतमिजी है,” किशन ने कहा|

“किशन चलो यहां से कुत्ते तो भौंकते ही रहते हैं,” राधिका ने कहा|

“अबे ओ चिकने चल फुट ले… अब ये छम्मीयां हमारे साथ जायेगी”

“जबान संभाल कर बात कर कुत्ते” कहते हुए राधिका ने उस बदमाश पर हाथ छोड़ दिया| लेकिन दूसरे लड़के ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी बाहों की गिरफत में ले लिया|

वाह री मेरी बुलबुल बहुत गर्मी है तुझमे… अब तू देख ये कुत्ते भौंकते ही नहीं बल्कि काटना भी जानते है|बाकी बचे दो लड़को ने किशन को पकड़ रखा था| किशन भी मन बना चुका था कि वह तीनो से एक साथ भिड़ने की बजाये एक-एक करके तीनो को तसल्ली सेकहते हैं इन्सान सारे जीवनकाल मे अपने आत्मबल का दस प्रतिशत भी इस्तेमाल नहीं करता| जब कभी इन्सान पर कोइ ऐसी परिस्तिथि आती है कि यदि वह नाकामयाब हो गया तो वह अपनी ही नजरों मे गिर जायेगा या यूं कहे कि इन्सान अपने माता­पिता या किसी अन्य जान से ज्यादा अजीज को मुसीबत मे पाता है तब इन्सान अपने आत्मबल का सौ प्रतिशत इस्तेमाल करता है ऐसी स्तिथि मे वह नाखुनों से खरोंच कर किसी पर्वत में से भी रास्ता बना सकता है|

किशन ने अपनी पूरी ताकत लगाकर दोनों लड़को की गिरफत से खुद को आजाद कराया| वह शेर के सी दहाड के साथ तीसरे लड़के पर टूट पड़ा और उसका कान काट खाया| किशन इतने जोर से चीखा था कि तीनो लड़के कुछ पल के लिय सहम गए थे| इस बीच राधिका भी खुद को आजाद करा चुकी थी| किशन ने अब तक लड़के का कान नहीं छोड़ा था जबकि लड़का दर्द के मारे तडप रहा था| अपने साथी की चीखें सुनकर दोनों लड़को ने उसे छुड़ाने की जोरदार कोशिश की| किशन की पकड़ इतनी मजबुत थी, कि दोनों के पसीने छूट गये| कड़ी मश्क्कत के बाद आखिर दोनों ने अपने दोस्त को छुड़ा लिया|

अब दोनों लड़को ने मिलकर किशन को मारना शुरू कर दिया तथा कान कटे लड़के ने राधिका को पकड़ लिया| एक जोरदार घंूसे के प्रहार से किशन लड़खड़ाकर सड़क पर गिरा जहां उसे एक आधी इंट पड़ी हुई दिखी| किशन ने इसे उठाया और अपनी पूरी ताकत के साथ उस कान कटे लड़के की तरफ फेंकी, जो इस वक्त राधिका के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था| इंट सीधे जाकर कान कटे लड़के के कूल्हे पर लगी और वह हाय माँ मर गया री माँ… की हॄदयविदारक चीख के साथ कूल्हे पर हाथ रखकर वहीं सड़क पर लेट गया| अपने कान कटे दोस्त को इस तरह कराहते हुए देखकर दोनों लड़कों ने पागलों की तरह किशन को मारना शुरू कर दिया| कुछ ही देर में उन्होने किशन को लहूलुहान कर दिया| किशन को कमजोर पडता देख, राधिका ने सहायता के लिए पुकारना शुरू किया|

देखते ही देखते वहां लोगों की भीड़ हो गई|

भीड़ में से एक नौजवान उनकी मदद के लिए आगे आया और तीनो लड़को को मार भगाया|

किशन ने उस नौजवान को देखा तो वह हैरान रह गया| वह नौजवान प्रदीप था|

“मुझे समझ नहीं आता, मैं तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूं | … मुझे विश्वास नहीं होता कि तुमने मेरी मदद की” किशन ने कहा|

“तुम्हारा ऐसा सोचना गलत नहीं है, क्योंकिं मैने मदद करने से पहले ये नहीं देखा था कि मैं किसकी मदद कर रहा हूंं| सहायता के लिए आवाज किसी लड़की ने लगाई थी, इसलिए मैने मदद की थी मगर इसका मतलब ये कतई नहीं है, कि मैं तुमको देख लेता तो तुम्हारी मदद न करता| अरे भई मेरी तुमसे कोइ जाति दुश्मनी तो नहीं है जो मैं तुम्हारी मदद न करूं|

किशन व राधिका दोनों ही ने प्रदीप को धन्यवाद दिया|

किशन एक अजब­सी उलझन में था कि जिस प्रदीप को आज तक वह एक बुरा लड़का व अपना दुश्मन समझता था| आज उसी प्रदीप ने उसके प्यार की इज्जत बचाने में उसकी मदद की| वह मन ही मन खुद को प्रदीप के अहसान तले दबा महसूस कर रहा था|

“बाबू जी अगर किसी का दुश्मन उसकी कोइ मदद कर दे तो उसे क्या करना चाहिए” किशन ने श्रीहरिनारायण से पूछा|

“बेटा ऐसे में उसे उस दुश्मन की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा देना चाहिए”|

“मगर बाबूअहसान से दुश्मनी दोस्ती में बदल जाती है…, लेकिन तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो”

“बस ऐसे ही ख्याल आया था बाबू जी…”|

किशन ने अगली ही मुलकात में प्रदीप की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया|

“बिना सोचे समझे या किसी के बारे में जाने बिना की हुई दोस्ती ज्यादा दिन नहीं रहती इसलिए मैं पहले ही आपको एक बात बता देना चाहता हूँ” प्रदीप ने कहा|

“कहो… क्या बात है| ”

”मै सीमा से प्यार करता हूँ और चाहे जो हो जाए मैं उसे नहीं भूल सकता इसलिए सोच लो|”

“अब इसमे मुझे क्या सोचना है… अगर आपका प्यार सच्चा है और सीमा की भी यही मर्जी हुई तो ये किशन का वादा है मैं तुम दोनों को मिलाने की कोशिश करूगा… एक बार फिर उसने प्रदीप की तरफ हाथ बढ़ा दिया|

इस बार प्रदीप ने किशन की दोस्ती स्वीकार करते हुए हाथ मिला लिया|

कुछ महीनों तक सब कुछ ठीक­-ठाक चलता रहा|

राधिका व किशन दोनों साथ-साथ इतना वक्त गुज़ारते थे कि शुरुआती दोस्ती के बाद दोनोंं के बीच गहरे आत्मीय रिश्ते बन गए थे|
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07-28-2020, 12:51 PM,
#16
RE: Romance एक एहसास
बरसात का मौसम अपनी पूरी रवानगी पर था| पल भर के लिए आसमान साफ होता फिर सारा गगन भूरे काले मेघों से आच्छादित हो जाता, और फिर वे अपनी रसधार से पूरी सॄष्टी को नहलाते चले जाते| जड, चेतन सब ओस में नहाये कमल का रूप अख्तियार कर लेते थे|

ऐसे ही मौसम की खूबसूरत शाम थी, जब किशन व राधिका जवाहरलाल नेहरू पार्क में मिले|

“राधिका जी आज तो आप बहुत खूबसूरत लग रहे हो| खासकर आपकी ये टी-सर्ट तो आप पर खूब जंच रही है इस पर कढ़ाई किया हुआ यह टेड़ी बियर कितना मुलायम और सुन्दर दिखता है,” टी-सर्ट पर हाथ फिराते हुए मनुहार भरे शब्दों में किशन ने कहा|

“हां-हां मैं खूब समझ रही हूँ आप मेरी तारीफ करते हुए जरा अपने हाथों को कंट्रोल में रखो”

“वो मैं तो… वो आपका वो तिल दिख रहा था इसलिए मैने तो टी-सर्ट ठीक करने के लिए…”

“अरे वाह- बड़ी तेज व पारखी नजर है आपकी - क्या कहने - मैं तो आपको भोंदू समझती थी लेकिन आप तो इधर-उधर नजर मारना भी जानते हो” राधिका ने आँख नचाते हुए कहा|

“मेरा भरोसा करो यार… सच में तुम्हे उस तरह से छुने का अभी मेरा कोइ इरादा नहीं था”|

“अभी… ये अभी का क्या मतलब है| ”|

“वो म्म्म मै… मेरा मतलब… कोइ ईरादा नहीं था यार”|

“अच्छा बाबा इसमे इतना घबराने की क्या जरूरत थी” राधिका के पतले–पतले होंठ विचित्र अंदाज में भिंचकर मुस्कुराये|

उसकी हँसी के अंदाज को देखकर किशन का मन मयूर सा नाच उठा| खुशी के मारे उछलकर वह राधिका के सामने आ बैठा और उसका गोरा गोल मुखड़ा हथेलियों में भर लिया|

“राधिका हड़बड़ाइ„ चेहरे पर घबराहट के भाव छा गये|

किशन अपलक उसे देखता ही रहा|

राधिका को ऐसा लगा जैसे किशन की नजर का वह तीखा अंदाज किसी कटार की भांति उसके कलेजे में उतर गया हो|

दोनों दुनिया को भूलकर एक दूसरे में खो गये|

“वो… वो किशन जी मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी थी” राधिका ने संभलते हुए कहा

“जरूरी बात… प्यार से बढ़कर कौन सी जरूरी बात होती है यार| ”

“सही कहा जी प्यार से बढ़कर कोइ जरूरी बात नहीं होती… मगर जनाब मैने भी आपसे सच ही कहा था मैं आपसे जरूरी बात ही करना चाहती हूंं|

“मतलब…”

“मतलब ये है किशन कन्हैया जी मुझे आपसे किसी के प्यार के बारे में ही बात करनी है,”

“किसी के… किसके प्यार के बारे मे”|

“प्रदीप के प्यार के बारे मे”

“प्रदीप का प्यार… मगर तुम्हे कैसे पता उसके प्यार के बारे मे” किशन ने गंभीरता से पूछा

“खुद प्रदीप जी ने ही बताया| वह कह रहा था वह सीमा से सच्चा प्रेम करता है, और उससे शादी करना चाहता है,”

“वो सब तो मुझे भी पता है मगर प्रदीप तुमसे क्या चाहता है…| ”

“प्रदीप चाहता है कि मैं उसके मन की बात सीमा तक पहंुचाऊं ं”|

“ओके … तो ये बात है … फिर परेशानी कहां है| ”

“मै इस उलझन में हूंं कि उसकी मदद करू या नहीं”|

“मगर आप उलझन में क्यों हो… क्या तुम्हे उसकी बाते झूठ लगती हैं| ”

“उसकी बातों से तो ऐसा कुछ नहीं लगता मगर एक तरफ जहां उसने हमारी मदद की थी दूसरी तरफ आपके साथ झगड़ा हुआ था…, मैं कोइ निर्णय नहीं ले पा रही हूंं”

“अरे इसमे ऊल्झन की क्या बात है, तुम एक बार सीमा से बात करके देख लो… सीमा जो फैसला करेगी वही सही होगा| रही बात मेरी तो मैने तो प्रदीप को कब का माफ कर दिया है बल्कि अब तो हम दोनों में दोस्ती भी हो गई है| यह बात तुम सीमा को भी बता देना|
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07-28-2020, 12:51 PM,
#17
RE: Romance एक एहसास
“अगर ऐसी बात है तब क्यों न हम परसों नव–वर्ष की पार्टी में उन दोनों की मुलाकात करा दें| फिर उनको जो ठीक लगे वो जाने”|

“ख्याल बुरा नहीं है… सब मिलकर नव वर्ष का जश्न मनायेंगे” किशन ने खुश होते हुए कहा|

“ये ख्याल मेरा नहीं बल्कि प्रदीप का है और पार्टी भी उसी की तरफ से है … मगर पता नहीं सीमा हमारे साथ आने के लिए तैयार होगी भी या नहीं”|

“तुम उसकी फिक्र मत करो सीमा को पार्टी में लाने की जिम्मेदारी मेरी” किशन ने कहा|

“तो फिर ठीक है मैं प्रदीप को इस बारे में बता दूंगी”

पार्टी की सारी तैयारियां हो गई थी| ऊपर खुली छत पर एक तरफ ड़ी. जे. तो उसके ठीक सामने दीवार के सहारे फर्श पर मुलायम गददे बिछा दिये गए| अपनी परिकल्पना के अनुसार प्रदीप ने मेहमानों के बैठने की ऐसी व्यवस्था करवाई कि आने वाले को पहली नजर में लगे वह सचमुच किसी रईश की पार्टी में आया है|

प्रदीप ने महफिल में जान ड़ालने के लिए रश्मी, श्रुति, बिन्नी, हिमानी, शिवानी और ज्योति के साथ­-साथ नितिका को विशेष रूप से बुलाया था, तथा इनको ऐसा निर्देश दिया जा चुका था कि महफिल में ऐसा रंग जमना चाहिए कि आने वाले मेहमान बरसों तक याद रखें| बावजूद इसके प्रदीप का जी ठिकाने नहींं है| सीमा उसकी पार्टी में आयेगी या नहीं इस बारे में सोचकर वह बेचैन हैं|

आमन्त्रित अतिथि आ चुके है| ड़ांस फ्लोर पर बच्चों (साहिल, सागर, अनिकेत, कमल, रिजूल, गुरविन्द्र आदि) की उछलकूद शुरू हो चुकी हैं, मगर किशन और राधिका का अब तक कहीं अता-पता नहीं है| उनके इन्तजार में प्रदीप की हालत यह हो गई कि दूर­-दूर तक पसरी रोशनी में भीगा हर साया उसे उनके होने का भ्रम देने लगा है|

प्रदीप को जैसे ही किशन के आने की सूचना मिली, वह तेज़ी से दरवाजे की ओर लपका और सीमा को भी उसके साथ देखकर उसका मन एक शीतलता से भीग गया| वह सीमा को देखता ही रह गया| उसकी एक झलक ने ही प्रदीप को भीतर तक आश्वस्थ कर दिया|

"अबे यार कहा मर गया था| " किशन को देखते ही आत्मीय ड़ाट मारते हुए प्रदीप ने पूछा|

“बस यार ऐसे ही जरा सी देर हो गई थी” किशन ने जवाब दिया|

“सीमा जी, कैसी हो| " मुस्कान के साथ सीमा का स्वागत करते हुए प्रदीप ने पूछा|

"जी अच्छी हूं " सीमा ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया|

इस बीच राधिका भी आ चुकी है|

"प्रदीप, सब ठीक तो है| " राधिका ने पूछा|

"वैसे तो ठीक है पर न जाने क्यों मेरा जी घबरा रहा है कहीं सीमा को बुरा न लग जाए|"

"तू बेफिक्र रह… मैं सब सभाल लूंगी”

राधिका ने अपनी ओर अपलक निहारती सीमा का अभिवादन किया|

सीमा ने भी हल्की मुस्कान के साथ राधिका का अभिवादन स्वीकार किया|

“यार किशन तुम जरा मेरे साथ आओ …” आंख दबाकर इशारे से बुलाते हुए प्रदीप ने कहा|

किशन प्रदीप के साथ चला गया|

खुली छत से आकाश में झूलती तारों की झीनी चादर से टिमटिमाते हुए तारे ऐसे दिखाई दे रहे है, मानो सितारों से जडी ओढ़नी पर ओस की बूदें चमक रही हैं|

दस बजते-बजते पूरी छत भर गई| अब कुछ रंगीन बल्बों को छोड़कर सारी बत्तिया बुझा दी गइं, और जैसे ही ड़ी• जे• पर “कार्तिक कॉलिंग कार्तिक" फिल्म ऊफ तेरी अदा, आई लाइक दा वे यु मुव,

ऊफ तेरा बदन, आई वान्ट टू सी यु ग्रुव,

ऊफ तेरी नजर, इट सेज आई वाना ड़ांस विद यू…
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07-28-2020, 12:51 PM,
#18
RE: Romance एक एहसास
तब ड़ांस फ्लोर पर जो धमाल मचा, वह देर तक नहींं थमा| इसके बाद फिल्म “दबंग” के “मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिये…” और फिल्म “तीस मार खां” के माई नेम ईज शीला… शीला की जवानी… सुपरहिट गीतों के बजने पर तो मानो ड़ांस फ्लोर पर लरज़ती, बलखाती देहों से ड़ांस फ्लोर पर नॄत्य यज्ञ शुरू हो गया| जिसमें सब लोग ठुमकों के रूप में दो-चार चुटकी समिधा होम रहे थे| रश्मी, बिन्नी, हिमानी और ज्योति तो नाचीं ही, बीच-बीच में किसी न किसी के आग्रह पर नितिका भी एकाध ठुमका मार लेती| महफिल में शोखिया और शोखियों में गहराती रात का शबाब घुलने लगा| सही कहा था नितिका ने­ प्रदीप हम ऐसा आइटम तैयार करके लाई हैं, कि सब देखते रह जाएगे| इसके बाद एक के बाद एक बिन्नी नितिका और ज्योति तीनों ने ड़ी• जे• पर जो ड़ांस किया, उस पर अन्य मेहमान भी खुद को नहींं रोक पाए| अलसाए से पडी जिस्मों में ताकत लौट आई| सुप्त शिराओं में खून दौड़ने लगा और मेहमानों के खाली गिलास फिर से भर उठे| शराब व चाय-काफी के साथ-साथ ब्रेड-पनीर और जूस के दौर भी खूब चल रहे थे| किशन ने पास बैठे प्रदीप को इशारे से अपने पास बुलाया और लगभग फुसफुसाते हुए कहा, यार प्रदीप, वोººº वो पहला तोड़ कहाँ है|

प्रदीप तुरन्त उठा और एक लड़के को बुलाया|

"ये हूइ न कुछ बात" पहले तोड़ से भरते जा रहे गिलास को देख किशन की बाछें खिल उठीं|

जैसे-जैसे रात बीतने लगी हल्की ठंड़ के चलते आकाश से ओस गिरने लगी, वैसे-वैसे महफिल पर और रंग चढ़ने लगा| ज्योति ने तो जैसे आज क़सम खा ली थी, कि जब तक महफिल खत्म नहीं होगी, तब तक वह ड़ांस करती रहेगी, चाहे दिन निकल आए|

ग्यारह कब बज गए पता ही नहींं चला| इधर राधिका ने प्रदीप और सीमा की मुलाकात कराने का बंदोबस्त कर दिया और चार कुर्सियां अलग से छत के एक कोने में बिछ गई| जहां किशन और राधिका तथा सीमा और प्रदीप आमने सामने बैठ गये|

कुछ देर तक चारों खामोश बैठे रहे तब हारकर राधिका को ही कहना पडा“ प्रदीप मज़ा आ गया क्या शानदार पार्टी दी है तुमने"|

"सीमा जी, आपको अच्छा लगा या नहींं " राधिका ने पूछा|

"बस, एक कमी रह गई|"

"कºººकौन सी| " कलेजा धक्क से रह गया प्रदीप का| शब्द हलक में फसकर रह गए|

"यही कि महफिल खत्म होने को है मगर किशन के होते हुए भी कोइ शायरी-वायरी नहीं हुई|"

"अरे … अब कहा याद है शायरी-वायरी" टालते हुए किशन बोला|

"किशन, ऐसे बात न बनाओ|" राधिका ने नाराज होते हुए कहा|

"यार किशन, ये दोनों सही कह रही हैं… मुद्दत हो गई है सुने हुए" पास आकर प्रदीप ने कहा|

प्रदीप ने जिस तरह आग्रह किया, उस पर किशन से न कहते नहींं बना|

“वह कुछ सोचने लगा और बोला­" ठीक है राधिका जी मैं याद करके देखता हूँ… तब तक आप प्रदीप को आदेश करो कुछ सुनाने के लिए"

"हाँ यार प्रदीप को तो मैं भूल ही गई थी|" राधिका ने चटकारा लेते हुए कहा|

"मैंºººमैं क्या सुनाऊ" अकबका गया प्रदीप अचानक सिर पर आ पडी इस बला को देख|

"कोइ भजन-वजन ही गा दो अगर शायरी नहीं आती हो तो"|

“अच्छी बात है मैं कोशिश करता हूँ” प्रदीप ने कहा|

खुमारी में ड़ूबी पलकें अपने आप खुल गई| शिराओं में घुल चुके अल्कोहल से अचेत पडी जिस्मों में भी हल्र्की हल्की जुम्बिश होने लगी| राधिका धीरे से उठकर प्रदीप के पास आ गई| किशन, सीमा और राधिका के कानों के परदे ढ़ीले हो गए| प्रदीप ने हल्र्के से पूरी महफिल पर नज़र दौड़ाई और पता नहींं कब सबसे नज़रें बचाकर, सीमा को देख पहले उसने गहरी साँस ली, फिर किशन को सम्बोधित करते हुए बोला, "किशन जी मै शायरी के नियमो को नहीं जानता इसलिए कोइ गलती हहाए रे महोब्बत तू क्युं , हमे बदनाम कर गई,

जीवन बिताने का यूं , अच्छा इन्तजाम कर गई|

हाए रे महोब्बत तू क्युं …

तेरे मारे दिल से हारे,

कहांं जाएं हम बेचारे,

हर तमन्ना इस दिल की,

तू कत्ले आम कर गई,

हाए रे महोब्बत तू क्युं , हमे बदनाम कर गई,

जीवन बिताने का यूं , अच्छा इन्तजाम कर गई|

जिन आखों में भारीपन उतर आया था, वे भी अब पूरी तरह खुल गइं|

"वाह, क्या बात है यार... जीता रह|" किशन की अधमुंदी आखें झिलमिलाने लगीं|

"किशन, अब तो याद आ गया होगा, या अभी कुछ और सुनवाया जाए" प्रदीप ने कहा

कुछ-कुछ याद आया है भाई लेकिन जब तक मुझे ठीक से याद आये राधिका जी …
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07-28-2020, 12:51 PM,
#19
RE: Romance एक एहसास
“मैं… मै क्या… अच्छा ठीक है मगर इसके बाद आपका भी कोइ बहाना नहीं चलेगा” राधिका ने किशन की ओर देखते हुए नजाकत से कहा|

“हमे मंजूर है…” किशन ने कहा

राधिका ­ -

दुआ करना हो सके तो, रे मिल जाए मुझको, वो है भगवान मेरा जो,

क्या आएगा दिन कोइ, अरे ऐसा भी, जब साथ मेरे दिलदार मेरा हो,

है ना परवाह मुझे जमाने की, बस एक साथ मेरे, अगर साथ तेरा हो,

दुआ करना हो सके तो, रे मिल जाए मुझको, वो है भगवान मेरा जो,

कभी हम निकले घुमने, और हो हाथों में एक दूजे का हाथ,

तेरी आंखों में ड़ाल के आंखें, मैं कह दूं अपने दिल की बात,कैसे कहूंं मुझे कब से है इन्तजार अपने मिलन की रात का,

काश के जल्द आए वो रात, और फिर कभी ना सवेरा हो,

दुआ करना हो सके तो, रे मिल जाए मुझको, वो है भगवान मेरा जो,

मै ना सुनुं किसी की जमाने में, जब आया मुझको, ख्याल तेरा हो|

दुआ करना हो सके तो, रे मिल जाए मुझको, वो है भगवान मेरा जो,

क्या आएगा दिन कोइ, अरे ऐसा भी, जब साथ मेरे दिलदार मेरा हो,

"किशन, अब कोइ बहाना बनाया तो बहुत मार पड़ेगी बेटा…"प्रदीप ने कहा

“उसकी नौबत नहीं आयेगी भाई…मेरे दिल पे बिजली गिराके, रे उसे क्या मिलता है,

मेरी धड़कन को बढ़ाके, रे उसे क्या मिलता हैमुड़ के भी ना देखे, बस चल देती है मुस्कुरा के,मेरे दिल पे छुर्रियां चलाके, रे उसे क्या मिलता है|

हर आशिक का मन मन्दिर, सनम भगवान है इसका,

लेके अरमानों की थाली, बस करते रहो इसकी पूजा,

मन्दिरों में रे घंटी बजाके, किसी को क्या मिलता है

मेरे दिल को धड़काके, रे उसे क्या मिलता है,मेरे दिल पे छुर्रियां चलाके, रे उसे क्या मिलता है|

मेरी धड़कन को बढ़ा के, रे उसे क्या मिलता हैमेरे दिल पे बिजली गिराके, रे उसे क्या मिलता है,

वाह… किशन प्यारे…

ऐ कुडिये हिमाचल

ना धड़का यूं मेरा दिल

ये हरियाणे का छौरा

हो ना जाये पागल

तू कितनी ब्यूटीफुल

कैसे करूं तारीफ मै

हाय एक अजूबा

ये तेरी भूरी आखें हैं

उस पे तेरी मीठी बोली

जिसका मै कायल

ऐ मिस हिमाचल

ना धड़का यूं मेरा दिल

सुन्दर् नगर की

सुन रे सुन्दरी

अब तो बस ये ही

ख्वाहिश है मेरी

मेरे आंगन मे

छनके तेरी पायल

ऐ मिस हिमाचल

ना धड़का यूं मेरा दिल

ऐ कुडिये हिमाचल

ना धड़का यूं मेरा दिल

ये हरियाणे का छोरा

हो ना जाये पागल....

वाह… प्यारे जीते रहो…

“प्रदीप जी अब जब तक राधिका जी चाहें ये महफिल ऐसे ही चलती रहेगी…”

“भला मेरे चाहने से कैसे… मै कुछ समझी नहीं”|

“राधिका जी आप एक कविता सुनाइयें… और मै आपकी हर एक कविता के बदले मे दो कवितायें सुनऊंगा… इस तरह जब तक आप चाहें ये सिलसिला जारी रहेगा|

“अगर ऐसी बात है तो ठीक है आप याद करना शुरू कर दीजिये… और जरा गौर फर्माइये…

लग जा गले यारा, रखा है क्या बहानों मे,

नाम तेरा पहला है, मेरे अरमानों मे,

छुपाने से न बात छुपेगी,

बदनामी तो होके रहेगी,

चर्चा तेरा मेरा है,

आजकल दीवानों में,

नाम तेरा पहला है, मेरे अरमानों मे…

कुछ भी कर ले तू, कुछ भी बन जा,

दीवाने को ना तूने समझा,

तुझसे ज्यादा पाएगा तुझे,

ये जग मेरे अफसानों में,

नाम तेरा पहला है, मेरे अरमानो मे…

प्यार करे जो, जिसे प्यार मिला हो,

दिल मे रहा जो दिल मे बसा हो,

खुश वो रहे कैसे,

मिट्टी के मकानों मेंं,

नाम तेरा पहला है, मेरे अरमानों मे|

“वाह क्या बात है…” संयोग से सीमा व प्रदीप ने एकसाथ कहा|

“बहुत अच्छे राधिका जी मगर अब जरा ध्यान दीजिये…

गुजर जायेगी जिन्दगी,

हो जायेगा अब गुजारा,

जीने को जो मिल गया,

तेरी यादों का सहारा|

मजे में गुजरते हैं दिन अब,

मिलने को तुमसे सो जाते हैं,

जब–जब याद आयी आपकी,

तन्हाई ने भी बस यही पुकारा,

गुजर जायेगी जिन्दगी,

हो जायेगा अब गुजारा,

जीने को जो मिल गया,

तेरी यादों का सहारा|

वाह किशन जी… आपने तो इस शाम को और भी यादगार बना दिया…

अजी एक ओर सुनिये इस हसीन शाम के नाम…

मुस्कुरा के, दिल धडका के

वो तो चैन चुराके, चली गई

प्रीत बढा के, लगन लगा के

वो तो प्यार सिखा के, चली गई

हा मुझे प्यार सिखा के, वो तो चली गई

हा मुझे अपना बना के, वो तो चली गई

यारो वो हसीना मेरे दिल का नगीना

आए रातों को अब नींद भी ना

सपने सजा के, अरमां जगा के

वो मन का मीत बना के, चली गई

हा मुझे प्यार सिखा के, वो तो चली गई

ख्यालों मे आज फिर वो आई थी

मेरे मन की नगरी फिर महकाई थी

कलम उठा के, कुछ गुनगुना के

वो प्रेम का गीत लिखा के, चली गई

हा मुझे प्यार सिखा के, वो तो चली गई

हा मुझे अपना बना के, वो तो चली गई

इस गीत को किशन ने जिस अंदाज़ में गाया, उसने सभी का मन मोह लिया|

आकाश से झरती ओस की बूदें भी थोडी देर के लिए जहा थीं, वहीं ठहर गइं|
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07-28-2020, 12:52 PM,
#20
RE: Romance एक एहसास
इससे पहले कि राधिका कोइ टिप्पणी करती प्रदीप ने महफिल को समापन की ओर धकियाते हुए कहा “दोस्तों नया साल हम सबका इंतज़ार कर रहा हैººº मैं आप सब का शुक्रगुजार हूँ जो आप सब यहां आए और इस महफिल को इतना बेहतरीन बना दिया… मैं कामना करता हूंं कि आने वाला समय हम सबके लिए गरिमा और गौरव बढ़ाने वाला हो… आज की ये रात मेरी जिन्दगी की सबसे हसीन रात है| इसके लिए विशेषकर मैं अपने दोस्त किशन का शुक्रिया अदा करता हू , क्योंकिं इस रात को यादगार बनाने में उसका अहम योगदान है,” अब इससे ज्यादा मुझ जैसा ना चीज़ क्या कहेगा| मेरे पास शब्द ही कहां है जो मैं आप लोगो का मनोरंजन करने के लिए अपनी इस छोटी सी जुबान से बाहर उंड़ेल दूं|

तो दोस्तो, बातें बहुत हो गई बारह बजने को आए हैं| नया साल आने ही वाला हैººº अब मैं अपनी बात को समेटता हूँ और आप सब को नव-वर्ष की शुभकामनाएं देता हूँ|

ठीक बारह बजते ही बम-पटाखे बजाए गए| सभी ने एक दूसरे को नव-वर्ष की बधाई दी और ऐसे ही कुछ अवसर से जुडी वाक्यों का आदान-प्रदान हुआ| मगर किशन तो शराब के नशे में इस तरह धुत था| वैसे तो नशे में सभी थे लेकिन वह तो ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था| उसकी इस हालत को देखते हुए कुछ मेहमानों ने उसे वही सो जाने की सलाह दी मगर सीमा के मना करने पर वह सीमा के साथ अपने घर के लिए चल दिया|

“सॉरी… सीमा आज मैनंे थोड़ी ज्यादा पी ली” सफाई देते हुए किशन ने कहा|

“थोड़ी ज्यादा… बहुत ज्यादा पी है,”

“सॉरी…”

“नहीं सॉरी बोलने की जरूरत नहीं है मगर आपको उतनी ही पीनी चाहिए थी जितनी में आपका शरीर और आपका दिमाग आपके कट्रोंल में रहे”|

“सच कह रही हो सीमा … मैं आज के बाद कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाऊगा… लेकिन अगर फिर भी कभी कही किसी शादी या पार्टी वगैराह में पीऊगा तो बहुत थोड़ी सी……”

“अच्छा -­ अच्छा… अब चुप हो जाओ लगता है तुमको चढ़ गई…” टोकते हुए सीमा बोली|

कुछ देर दोनों चुपचाप चलते रहे फिर सीमा बोली “भैया सच कहूंं तो शायद मैने भी ज्यादा पी ली| मैं भी अपने कदमों को कंट्रोल नहीं कर पा रही हूंं मेरे कदम भी कहीं के कहीं पड़ रहे हैं,”

“तुमने कितने पैग लगाये थे”

“एक बियर… ”

“बस एक बियर में…”

इस तरह दोनों आपस में बातें करते हुए चले जा रहे थे| कुछ देर चलने के पश्चात् किशन पर नशा इतना हावी हो चुका था कि अब उसके लिए चलना भी मुश्किल हो गया व उसे उल्टीयां शुरू हो गई| कुछ देर आराम करने के इरादे से वह वहीं सड़क पर पसर गया|

सीमा उसे जगाने का प्रयत्न कर ही रही थी कि एक कार उनके पास आकर रूकी|

कुछ देर के लिए वह सहम सी गई|

गाड़ी का दरवाजा खुला और प्रदीप गाड़ी से बाहर निकला| उसके पास आकर वह नाराजगी­ सी जाहिर करते हुए बोला “सीमा जी इतनी भी जिद अच्छी नहीं होती किशन की हालत को देखते हुए ही हमने आप दोनों को रूकने को कहा था मगर आप … ”|

“मुझे क्या पता था ऐसा होगा” सीमा ने किशन की तरफ देखते हुए कहा

“ओके-ओके… कोइ बात नहीं…आप चलकर गाड़ी में बैठो मैं आप दोनों को घर छोड़ देता हूँ|

“सीमा मन ही मन भगवान के साथ­-साथ प्रदीप का भी शुक्रिया अदा कर रही थी| प्रदीप ने सुप्त अवस्था में ही किशन को उठाकर अपने साथ आगे वाली सीट पर बिठाया और सीमा गाड़ी की पीछली सीट पर बैठ गई| नशा सीमा पर भी कुछ इस कदर हावी था कि कुछ देर में वह भी गाड़ी में ही ढ़ेर हो गई|

सुबह जब सीमा नींद से जागी तो उसे अपना शरीर दर्द से टूटा हुआ­ सा महसूस हुआ| वह कमरे की दीवारों को हैरानी से देखने लगी| ये उसके घर की दीवार नहीं थी| वह झटके के साथ बैड़ से उतर गई मगर उसे चलने में भी दर्द महसूस हुआ| एकाएक सीमा ने पीछे से प्रदीपक्युं बिखरे-बिखरे हैं बाल, क्युं उड़ा है यूं रंग चेहरे का,अरे कुछ तो बता, ऐसी भी बीती तुझपे एक रात में क्या|

प्रदीप की आवाज सुनकर वह सहम गई| कुछ पल के लिए तो जैसे वह जड़ हो गई| वह समझ चुकी थी कि वह प्रदीप की हव्स का शिकार बन चुकी है| पीछे मुड़कर उसकी नजर प्रदीप पर पड़ी तो वह अंगारे बरसाने वाली नजरों से उसे घूरने लगी|

“आप मुझे क्यों घूर रही हैं… मैने आपके साथ कोइ धोखा नहीं किया मैने तो आपके साथ एक रात गुजारने के गिनकर पैसे दिए हैं किशन को… शायद आपको मेरी बात पर यकीन न हो मगर सीमा इतिहास गवाह है जो पैसे का हो जाता है फिर वो किसी का नहीं हो सकता… ये किशन उन्ही में से है|

“कुत्ते बंद कर अपनी बकवास… तू हैवान है या दरिंदा” सीमा उबल पड़ी थी|

अगर आपको मेरी बात पर भरोसा नहीं है तो ये देखो कहते हुए प्रदीप ने उसे उसकी कुछ अश्लील तस्वीरें दिखाई|
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