09-08-2019, 02:11 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
सोनिया- वो सब तो ठीक है लेकिन इन सब बातों का इस लंड की अंगूठी से क्या वास्ता?
राजन- ये वास्ता है कि ये रबर की बनी है और लंड को हल्का सा दबा के रखती है। धमनियां शरीर में अन्दर गहराई में होती हैं लेकिन शिराएं काफी ऊपर होती हैं तो ये हल्का दबाव शिराओं को सिकोड़ कर रखता है और लंड खड़ा ही रहता है। इस तरह से ये अंगूठी लंड को ज्यादा देर तक खड़ा रखने में मदद करती है। जब नेहा ने पहली बार बताया था कि वो राखी कुछ अलग ढंग से मनाने वाली है तभी मैं समझ गया था, और मैंने ये आर्डर कर दी थी।
समीर- बात तो जीजाजी बिलकुल सही कह रहे हैं। इन्होने इतना ज्ञान पिला दिया लेकिन लंड अभी भी खड़ा हुआ है बैठा नहीं। मतलब काम तो करती है ये चीज़।
इस बात पर सब हंस पड़े।
लेकिन अभी तो बहुत कुछ बाकी था। नेहा ने सोनिया को कहा कि वो अपने भाई को मिठाई खिलाए। सोनिया थाली से उठा कर एक छोटा रसगुल्ला, समीर को खिलाने लगी लेकिन नेहा का कुछ और ही प्लान था।
नेहा- अरे नहीं भाभी ऐसे नहीं… रसगुल्ला अपनी चूत में डाल लो फिर समीर अपने मुंह से चूस कर निकालेगा और खाएगा। अब समझ आया आपको कि तिलक के लिए चूत पर खाने वाला रंग क्यों लगवाया था?
सोनिया ने वैसा ही किया, और अब उसे ये भी समझ आ गया कि ये रसगुल्ले रस में डूबे हुए क्यों नहीं मंगवाए थे, क्योंकि उनको चूत के रस में जो डूबना था।
सोनिया ने रसगुल्ला अपनी रसीली चूत में डाला और नीचे लेट कर दोनों टाँगें ऊपर कर दीं। समीर ने आ कर सोनिया की चूत को बहुत चूसने के बाद रसगुल्ला आखिर निकाल ही लिया और खा लिया।
नेहा- मिठाई खा ली! अब गिफ्ट में अपना लंड दे दो अपनी बहन की चूत में और चोद दो। हो गया चुदाई बंधन!
समीर ने वैसा ही किया। कॉक-रिंग की वजह से उसका लंड पहले से ही पत्थर के जैसे कड़क था, वो अपनी बहन को वहीं योगा-मेट पर चोदता रहा और नेहा-राजन उन दोनों का हौसला बढ़ाते रहे। आखिर समीर अपनी बहन की चूत में ही झड़ गया लेकिन तब भी उसका लंड ढीला नहीं पड़ा और वो उसके बाद भी कुछ देर तक चुदाई करता रहा और तब तक सोनिया दोबारा झड़ चुकी थी।
उसके बाद राजन और नेहा ने भी ऐसे ही अपना चुदाईबंधन मनाया।
तो इस तरह भाई-बहनों की इस चौकड़ी ने एक नए त्यौहार की शुरुआत की।
दोस्तो, मैंने रिश्तों में चुदाई को लेकर कई कहानियां पढ़ी हैं जिसमें होली के माहौल में भाई बहन चुदाई करते हैं। यहाँ तक कि दीवाली और अन्य त्यौहार भी कई बार इन कहानियों में देखे हैं मगर कभी रक्षाबंधन से सम्बंधित कोई खास कहानी पढ़ने को नहीं मिली थी, इसलिए मेरा मन था कि मैं एक ऐसी कहानी लिखूं।
अब मेरी वो तमन्ना तो पूरी हो गई है। अगले भाग में इस कहानी का समापन हो जाएगा। अगर आपको यह विषय पसंद न आया हो तो क्षमा चाहता हूँ लेकिन भाई-बहन में चुदाई के उदाहरण मैंने अपने असली जीवन में भी देखे हैं इसलिए यह कहानी लिखने का विचार स्वाभाविक था।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताएं। ...
|
|
09-08-2019, 02:11 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
अब तक आपने पढ़ा कि कैसे भाई बहनों के दो जोड़ों ने रक्षाबंधन के प्यार भरे त्यौहार को अपने जैसे वासना में भीगे हुए परिवारों के हिसाब से ना केवल पुनः परिभाषित किया बल्कि उसे एक उत्तेजक रूप और एक नया
नाम भी दिया- चुदाईबंधन! इसके साथ ही कहानी अपने आखिरी मोड़ पर है।
अब आगे…
चुदाईबंधन के इस अनोखे त्यौहार को मनाने के बाद चारों बहुत थक गए थे। रात भर की चुदाई के बाद सुबह से भी कम से कम दो बार सबने बहुत अच्छे से चुदाई कर ली थी। सबको ज़ोरों की भूख लगी थी इसलिए सबने ज्यादा बातें ना करते हुए पूरा ध्यान खाने पर लगाया और पेट भर खाने के बाद सबको नींद सताने लगी। रात भर की नींद भी बकाया थी और वैसे भी त्योहारों पर खाना ज्यादा खाने के बाद नींद आने लगती है।
खाने के बाद सब जा कर बेडरूम में सो गए लेकिन इस बार व्यवस्था थोड़ी अलग थी। सोनिया समीर के साथ नेहा के कमरे में सोई और नेहा अपने भैया राजन के साथ उनके बेडरूम में। यूँ तो सब नंगे ही थे लेकिन अभी चुदाई से ज्यादा नींद की ज़रुरत महसूस हो रही थी। लेकिन फिर भी दोनों भाई बहन एक दूसरे से नंगे लिपट कर ही नींद के आगोश में गए थे।
तीसरे पहर तक तो किसी ने करवट तक नहीं बदली। फिर धीरे धीरे होश आना शुरू हुआ तो कभी भाई ने बहन स्तनों को सहला दिया या कभी बहन ने भाई का लंड पकड़ लिया ऐसे उनींदे छोटी मोटी हरकतें करते करते पाँच, साढ़े पाँच तक नींद खुली और फिर शुरू हुआ चुम्बनों और आलिंगनों का सलोना सा खेल। ये मासूम सा खेल धीरे धीरे कब चुदाई में बदल गया पता ही नहीं चला।
हर चुदाई का अंत होता है इनका भी हुआ। दो अलग कमरों में दो बहनें एक बार फिर अपने भाइयों से चुद गईं थीं, लेकिन कल रात से इतनी चुदाई हो चुकी थी कि अब आगे और करने की कशिश बाकी नहीं रह गई थी।
लेकिन इतनी चुदाई के बीच बातें करने का मौका कम ही मिला था।
सोनिया- एक बात पूछूँ?
समीर- हम्म…
सोनिया- अगर तुम्हारी पहले से ही कोई गर्लफ्रेंड होती, जैसे अभी नेहा है, तो फिर भी क्या तुम मुझे बाथरूम के छेद से देखते?
समीर- पता नहीं! अब तो ये कहना मुश्किल है, लेकिन शुरुआत तो आपने ही की थी ना। आप ने वो छेद बनाया ही ना होता और मुझे देखना शुरू ना किया होता तो मुझे शायद ये बात दिमाग में ना आती।
सोनिया- हाँ, लेकिन फिर भी अगर उस वक़्त तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड होती तो क्या करते?
समीर- शायद मैं वो छेद बंद कर देता। हो सकता है मम्मी पापा से शिकायत भी करता। लेकिन आप ये क्यों पूछ रही हो?
सोनिया- इसलिए कि उस रात जब मैंने खिड़की से तुमको मुठ मारते हुए देखा था तो मैं अन्दर तक हिल गई थी। मैं भाई बहन का रिश्ता भूल गई थी और मुझे बस तुम्हारा लंड नज़र आ रहा था। मुझे लगता है अगर मैंने तुम्हारा लंड उस दिन ना देखा होता तो ये सब कुछ नहीं होता।
समीर- हम्म… मुझे तो वैसे भी इस सब की उम्मीद नहीं थी। मेरा काम तो बाथरूम के छेद से ही चल रहा था।
सोनिया- हाँ, इस से याद आया… तू क्या अब मम्मी को देखने लगा है, उस छेद से?
समीर- उम्म्म… हाँ, तुम चली गईं तो समझ नहीं आया क्या करूँ इसलिए…
सोनिया- अब कल जाने के बाद भी करोगे?
समीर- पता नहीं।
उधर दूसरे कमरे में राजन और नेहा ने भी कई दिनों के बाद अकेले में चुदाई की थी। लेकिन उनका मन भी काफी हद तक भर गया था इसलिए वो भी अब चुदाई के बाद बतियाने लगे।
राजन- समीर और तुम पढ़ाई पूरी करके पक्का शादी करने वाले हो ना?
नेहा- अब तो और भी पक्का हो गया है?
राजन- ‘अब तो…’ मतलब?
नेहा- एक तो मुझे पहले ही लगा था कि समीर और मैं एक दूसरे के लिए ही बने हैं, लेकिन अब हम चारों के बीच जिस तरह का रिश्ता बना है उसको देखते हुए समीर से बेहतर लड़का मिल ही नहीं सकता। किसी और के साथ रही तो अपना रिश्ता छिपा कर रखना पड़ेगा और फिर वो सब टेंशन लेकर जीने का क्या फायदा?
राजन- हाँ वो तो है। मतलब तुम शादी के बाद भी मेरे साथ रिश्ता बना कर रखना चाहती हो?
नेहा- अब हमारा कोई ‘वन नाईट स्टैंड’ जैसा तो है नहीं कि एक बार चोदा और भूल गए। खून का रिश्ता है, और दिल का भी, तो आगे भी साथ तो रहेगा ही। और जो शेर एक बार आदमखोर हो जाए वो आगे जा के सुधर जाए ऐसा तो होता नहीं ना?
राजन- अरे वाह, मेरी शेरनी! क्या बात कही है!
इस बात पर दोनों खिलखिला कर हँस पड़े।
|
|
09-08-2019, 02:12 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
उधर सोनिया समीर के उसकी शीतल के साथ रिश्ते को लेकर चिंतित थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या ये उसकी जलन थी अपनी शीतल से या सच में उसे शीतल बेटे के रिश्ते में वासना की बात गलत लग रही थी? यदि बेटे की अपनी शीतल के लिए वासना गलत थी तो फिर गलत तो भाई बहन के बीच का सेक्स भी होना चाहिए। लेकिन फिर क्यों उसे ये सही और वो गलत लग रहा था?
सोनिया- अच्छा, एक बात बताओ; अगर तुमको मौका मिले तो क्या तुम मम्मी को चोदना चाहोगे?
राजन- हाँ हाँ क्यों नहीं! आपकी शादी के बाद से तो मैं उनको ही देख कर मुठ मार रहा था ना, तो अगर मौका मिला तो ज़रूर चोदूँगा।
सोनिया- तुमको पता है, जब मुझे पहली बार शक हुआ था कि तुम मम्मी को नहाते हुए देख कर मुठ मारते हो तो मैंने नेहा और राजन को बताया था। फिर हमने रोल प्ले भी किया था कि तुम कैसे मम्मी को चोद सकते हो।
समीर- अरे, तो फिर बताओ ना?
सोनिया- लेकिन यार वो तो रोल प्ले था उसमें तो हम कुछ भी कर सकते हैं। सच में सब इतना आसान थोड़े ही होता है। लेकिन तुम्हारा मन है, तो मैं राजन से बात करती हूँ। अभी तो शाम होने को आ गई है चलो उठते हैं अब।
दोनों बाहर आये, सोनिया फ्रेश होने चली गई, उसे अभी खाना भी बनाना था। समीर ने देखा नेहा और राजन बाहर सोफे पर बैठ कर टीवी पर म्यूजिक वीडियो देख रहे थे। समीर भी नेहा के दूसरे साइड में जा कर बैठ गया।
थोड़ी देर यूँ ही बैठे रहने के बाद समीर के दिमाग में अचानक कुछ आया- जीजा जी, एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मानोगे?
राजन- बोलो यार, अब तो हम इतने खुल गए हैं कि सब नंगे ही बैठे हैं अब क्या बुरा मानेंगे।
समीर- वो तो है, मेरा मतलब था कि दिल पर मत लेना लेकिन मैंने अपनी बहन आपको सील पैक दी थी लेकिन आपकी बहन की सील तो आपने पहले ही तोड़ दी।
राजन- अब यार बात तो तुम सही कह रहे हो। लेकिन अभी कौन सी तुम्हारी शादी हो गई है। चाहो तो कोई कुंवारी लड़की ढूँढ कर उस से शादी कर लेना।
नेहा- ऐसे कैसे? सोचना भी मत!
समीर- अरे नहीं यार! तुम्हारे अलावा मैं किसी से शादी नहीं करने वाला। और किसी के सामने अपनी बहन थोड़े ही चोद पाउँगा।
राजन- वैसे एक उपाय है; नेहा ने बताया कि एक बार तुमने इसके पिछवाड़े में एंट्री मार दी थी! तो तुम इसकी गांड का उदघटन कर लो; और बोनस में जिस दिन तुम नेहा से शादी करोगे उस दिन सुहागरात पर तुमको गिफ्ट में अपनी बहन की सील पैक गांड मिल जाएगी। क्या बोलते हो?
समीर- नेहा तो मुझे पता है कि तैयार है, लेकिन दीदी? उनका पता नहीं।
राजन- वो चिंता तुम ना करो, उसको तैयार करने की ज़िम्मेदारी मेरी।
नेहा- हो गया तुम लोगों का? अभी एक जोक सुनो…
एक भाई पहली बार अपनी बहन चोद रहा होता है तो बहन बोलती है- भैया, तुम्हारा लंड तो पापा से भी बड़ा है।
तो भाई बोलता है- हाँ! मम्मी भी यही बोल रहीं थीं।
समीर- क्या बात है, ऐसे जोक भी होते हैं? मैंने पहली बार सुना ऐसा जोक।
राजन- तुम जोक की बात कर रहे हो, मैं तो तुमको संस्कृत में ऐसा मन्त्र भी सुना सकता हूँ। ये सुनो…
मतृयोनि छिपेत् लिङ्गम् भगिन्यास्तनमर्दनम्।
गुरूर्मूर्धनीम् पदम्दत्वा पुनर्जन्म न विद्यते॥
नेहा, समीर दोनों एक साथ- ये क्या था!
राजन- ये एक तांत्रिक मन्त्र है, जिसमे मोक्ष पाने का उपाय बताया गया है।
समीर- लेकिन इसका उस जोक से क्या सम्बन्ध है?
राजन- वैसे तो सरे तांत्रिक मन्त्र गूढ़ होते हैं इनके शब्दों के अर्थ उलटे सीधे होते हैं लेकिन उनके भेद बहुत गहरे होते हैं और बिना इन शब्दों के पीछे छिपे अर्थ को जाने हुए इनका कोई मतलब नहीं होता; लेकिन फिर भी कई बेवकूफ़ लोग केवल शब्दों का ही अर्थ निकाल कर वही करने लग जाते हैं और तंत्र विद्या को बदनाम करते हैं।
नेहा- लेकिन इसका मतलब तो बता दो?
राजन- इसकी गहराई में जाने का न तो अभी मूड है न समय लेकिन शब्दों का अर्थ बता देता हूँ। लेकिन ध्यान रहे, शब्दों का अर्थ वास्तव में अनर्थक ही है। अभी केवल टाइम-पास चल रहा है इसलिए एक दम ठरकी भाषा में अर्थ बता रहा हूँ…
शीतल की चूत में लंड डाल कर बहन के मम्मे मसल कर
गुरु के सर पर पैर रखो तो फिर पुनर्जन्म नहीं होता!
समीर- हे हे हे… ये तो आसान है मैं कोशिश करूँ क्या?
राजन- अरे न बाबा! कहा न, शब्दार्थ पर जाओगे तो अनर्थ हो जाएगा।
ऐसे ही हँसते हँसाते मस्ती करते हुए समय कट गया और रात का खाना खा कर सब बेडरूम में इकट्ठे हुए।
|
|
09-08-2019, 02:12 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
कल समीर जाने वाला था तो आज रात फिर सबने एक ही कमरे में सोने का फैसला किया। सोने का तो नाम था सोना आज भी किसी को था नहीं लेकिन आज उतनी अधीरता भी नहीं थी। सब अधलेटे से या बैठे से बिस्तर पर पड़े थे। राजन तकियों से टिक कर लगभग बैठा हुआ सा था और नेहा उसकी गोद में पीठ टिका कर लेटी पड़ी थी।
राजन का एक हाथ नेहा की कमर पर थे और दूसरे से वो उसके स्तनों के सात खेल रहा था। सोनिया और समीर वहीं लेटे हुए एक दूसरे से चिपके पड़े थे। सोनिया ने राजन की ओर करवट ली हुई थी और समीर ठीक उसके पीछे लेटा था। सोनिया का सर समीर की बाँह पर थे और उस ही हाथ से समीर ने सोनिया का एक स्तन पकड़ा हुआ था। उसका भी दूसरा हाथ सोनिया की कमर और उसके नितम्बों को सहला रहा था।
सोनिया- क्यों ना आज भी उस दिन जैसे रोल-प्ले करें? आज तो सच में समीर यहाँ है, और इस बार मम्मी का रोल नेहा ही करेगी।
राजन- हे हे हे… नेहा कुछ छोटी नहीं है मम्मी के रोल के लिए? और फिर मैं क्या करूँगा?
सोनिया- पिछली बार मुझे मम्मी बनाया था… मैं क्या बुड्ढी लगती हूँ? तुम एक काम करो तुम पापा बन जाओ। इस से हमारे लिए भी कुछ नया हो जाएगा। तुम सब से आखिर में एंट्री मारना।
समीर- कोई मुझे भी समझाएगा कि ये सब क्या प्लानिंग चल रही है?
सोनिया और नेहा ने मिल कर समीर को बताया कि कैसे उसके आने से पहले वो लोग रोल-प्ले करते थे और शुरुआत उसके और उसकी मम्मी की चुदाई के रोल-प्ले से ही हुई थी। राजन ने उसे रोल-प्ले के फायदे भी समझाए।
राजन- देखो, जिसके साथ तुम सच में चुदाई नहीं कर सकते उसको कल्पना में मान कर अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी को चोद लो। इससे कोई गलत काम भी नहीं होगा और तुम्हारा मन भी मान जाएगा। अगर सब लोग ऐसा ही करने लग जाएं तो कम से कम आधे जबरदस्ती वाले केस तो कम हो ही जाएंगे।
सबने राजन की इस बात पर हामी भरी और फिर उसके बाद रोल-प्ले शुरू किया गया। सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा पहले हुआ था, लेकिन इस बार जैसे ही शीतल की चुदाई शुरू हुई, जय (राजन) की एंट्री हो गई।
जय, सोनिया और समीर के पापा हैं जिनका रोल राजन प्ले कर रहा था।
जय (राजन)- अगर मैं ये सब सपने में भी देख रहा होता तो अब तक मेरी नींद टूट गई होती।
जय गुस्से में चिल्लाते हुए- कोई मुझे बताएगा ये हो क्या रहा है?
अचानक से सब रुक गया। सोनिया ने धीरे से समीर को चुदाई चालू रखने को कहा और अपने पापा के पास जा कर नंगी ही उनके बाजू में चिपक कर खड़ी हो गई। शीतल (नेहा) के चेहरे पर डर और शर्मिंदगी के मिले जुले भाव थे लेकिन वो मजबूर भी थी क्योंकि उसकी चूत उसे उठ कर जाने की इजाज़त नहीं दे रही थी।
ऐसे में सोनिया ने अपने पापा को मनाने की कोशिश की- पापा, आप ये ना देखो कि ये कौन हैं। आप बस ये देखो कि ये क्या कर रहे हैं और उस से उनको कितनी ख़ुशी मिल रही है। ये देखो, मज़ा तो आपको भी आ रहा है।
सोनिया ने जय के तने हुए लंड पर पजामे के ऊपर से हाथ फेरते हुए कहा और साथ ही पजामे का नाड़ा खींच दिया। जय चुपचाप खड़ा था, लेकिन उसके अन्दर एक युद्ध चल रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इस सब का विरोध करे या खुद भी इस सब में शामिल हो जाए।
ये बात सोनिया ने अपने पापा के चेहरे पर पढ़ ली और उनकी चड्डी नीचे खिसका कर लंड पकड़ लिया।
सोनिया- ज्यादा सोचो मत पापा, आप बस एन्जॉय करो।
इतना कहकर सोनिया ने जय का लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। जय ने भी हार मान ली और इस पारिवारिक चुदाई का हिस्सा बनने में ही भलाई समझी। थोड़ी ही देर में एक ही बिस्तर पर माँ-बेटा और बाप-बेटी की चुदाई एक साथ होने लगी। कहने को ये रोल-प्ले था, लेकिन जब मानने से पत्थर भी भगवान बन सकता है, तो क्या नहीं हो सकता।
एक बार सब के झड़ जाने के बाद सबने दूसरा चक्कर लगाने की बजाए सोना ही बेहतर समझा क्योंकि समीर का अगले दिन सुबह की ही गाडी से रिजर्वेशन था। चाहते तो नहीं थे, लेकिन आखिर सब सो ही गए।
अगली सुबह सोनिया सबसे जल्दी उठ गई और समीर के रस्ते के लिए कुछ खाना भी दिया फिर जल्दी से तैयार हो कर बैठ गई ताकि बचे हुए समय में ज़्यादा से ज़्यादा वो अपने भाई के साथ बिता सके।
|
|
09-08-2019, 02:12 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
बाकी सब भी उठ कर जल्दी से तैयार हो गए और नाश्ता करके समीर का सामान ले कर नीचे आ गए और सामान कार में रख भी दिया। सोनिया ने नेहा को आगे वाली सीट पर बैठने को कहा और खुद पीछे समीर के साथ बैठ गई। स्टेशन पहुँचने में कम से कम आधा घंटा लगने वाला था। सोनिया ने होजरी के सॉफ्ट कपड़े की मिनी ड्रेस पहनी थी, जो घुटनों से थोड़ा ऊपर तक ही थी। उसे एक लम्बा टाइट टी-शर्ट भी कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा। उसने अन्दर ब्रा, पैंटी कुछ भी नहीं पहना था।
सोनिया- सच कहूँ तो मेरा एक आखिरी बार समीर से चुदवाने का मन था; अब पता नहीं कब मिलना होगा। सुबह सब लोग बिजी थे और टाइम कम था इसलिए घर में तो मुश्किल था। तभी मैंने सोचा कि कार में इतना टाइम फालतू बरबाद होगा तो क्यों ना कार में जाते जाते ही चुदवा लूं।
नेहा- आपकी प्लानिंग की तो मैं फेन हूँ भाभी, ड्रेस भी एक दम चुन कर पहनी है इस काम के लिए।
सोनिया- अभी तो देखती जा, मैंने और क्या क्या प्लानिंग की है।
इतना कहते हुए सोनिया ने समीर के पेंट की ज़िप खोल कर अपने भाई का लंड निकाल लिया और बाजू में बैठे बैठे झुक कर चूसने लगी। थोड़ी ही देर में समीर का लंड खड़ा हो गया। सोनिया ने समीर को सीट के बिलकुल बीच में बैठने को कहा और खुद उसकी गोद में बैठ पर अपने भाई के लंड को अपनी चूत में डाल लिया। सोनिया खुद राजन और नेहा की सीट के पिछले हिस्से पर अपने कंधे टिका कर उनका सहारा लेते हुए पीछे अपनी कमर उछाल उछाल कर अपने भाई के लंड पर घुड़सवारी करने लगी।
समीर भी मौका देख कर सोनिया के स्तनों को ड्रेस के ऊपर से ही सहला देता था। जब कभी खाली रास्ता आता तो ड्रेस के अन्दर भी हाथ डाल कर उसके उरोजों को मसल देता।
राजन और नेहा भी दोनों को प्रोत्साहित करते जा रहे थे।
नेहा- चोद ले भेनचोद! अच्छे से चोद ले अपनी बहन को… फिर पता नहीं कब चोदने को मिले।
नेहा की इस बात से समीर को जोश आ गया और वो नीचे से भी जोर जोर से धक्के मारने लगा। काफी देर तक ऐसे ही, खुली सड़क पर चलती कार में दिन दिहाड़े, भाई बहन की चुदाई चलती रही; फिर आखिर समीर अपनी बहन की चूत में झड़ गया।
स्टेशन अब पास ही था, तो सोनिया वैसे ही अपने भाई का लंड चूत में लिए बैठे रही। स्टेशन पहुँचने तक समीर का लंड भी इतना ढीला नहीं हुआ था। उसका वीर्य अब भी सोनिया की चूत में ही था।
कार के पार्क होने के बाद सबसे पहले सोनिया ने अपना पर्स खोला और उसमें से एक टेम्पॅान निकला और लंड से उठ कर तुरंत टेम्पॅान अपनी चूत में डाल लिया ताकि वीर्य बाहर ना निकल पाए।
नेहा- क्या बात है भाभी! सही कहा था आपने पूरी तयारी के साथ आई हो। चूत का रस बाहर ना निकले, इसलिए ढक्कन लगा लिया।
सोनिया- हाँ… और ढक्कन की डोरी नीचे ना लटके इसलिए ये सी-स्ट्रिंग (जी-स्ट्रिंग का आधुनिक रूप) भी लाई हूँ। कार में बैठे बैठे पेंटी पहनने में दिक्कत होती है इसलिए… सी-स्ट्रिंग रॉक्स!
सोनिया ने सी-स्ट्रिंग को अपनी चूत पर फिट किया और ड्रेस को नीचे खिसका कर बाहर आ गई।
सब सामान ले कर ट्रेन की तरफ चल पड़े। राजन प्लेटफार्म टिकेट ले आया और समीर का सामान भी ट्रेन में रखवा दिया। समीर भले ही बहनचोद मादरचोद हो गया था, लेकिन वो संस्कार जो बचपन से उसे मिले थे, वो तो अपने आप ही काम करने लगते हैं। समीर अपने जीजा जी के पैर छूने लगा तो राजन ने उसे पकड़ कर गले से लगा लिया।
राजन- अब तो हम यार हो गए हैं यार, आज के बाद दुनिया के लिए मैं तेरा जीजा रहूँगा लेकिन तू मुझे अपना दोस्त ही समझना। ठीक है?
उसके बाद समीर सोनिया के पैर छूने के लिए झुकता उसके पहले ही सोनिया ने उसे अपने पास खींच लिया। सोनिया का एक हाथ समीर को कमर से पकड़ कर उसे सोनिया के बदन से चिपका रहा था और दूसरे से उसने समीर के सर को पीछे से अपनी ओर दबाते हुए उसके होंठों से होंठ जोड़ दिए।
दोनों की आँखें बंद हो गईं।
हमारे देश में ऐसे नज़ारे रेलवे स्टेशन पर कम ही देखने को मिलते हैं लेकिन फिर भी, जो भी उन्हें देख रहा था, उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वो भाई बहन हैं। शायद लोगों ने यही सोचा हो कि कोई अपनी बीवी को मायके छोड़ कर वापस जा रहा है।
दोनों इस लम्हे को अपनी यादों में कुछ ऐसे संजो लेना चाहते थे कि जब भी एक दूजे की याद आये तो साथ में इस चुम्बन का मुलायम अहसास अपने आप ही होंठों पर तैर जाए। राजन और नेहा भी इस रोमांटिक दृश्य को अपलक देख रहे थे। अगर ये कोई बॉलीवुड की फिल्म होती, तो ज़रूर बैकग्राउंड में फिल्म का टाइटल म्यूजिक चल रहा होता और कैमरा इन दोनों के के चारों ओर घूम रहा होता।
आखिर ट्रेन ने लम्बा हॉर्न मारा और दोनों को अलग होना पड़ा, समीर ने जल्दी से नेहा को भी गले लगाया और एक छोटी सी चुम्मी उसके होंठों पर भी जड़ कर वो अपनी कोच के दरवाज़े पर चढ़ गया।
ट्रेन धीरे धीरे चलने लगी और ये समीर हाथ हिलाते हुए सब से विदा लेने लगा। सोनिया, नेहा और राजन भी हाथ हिला कर उसे विदा करते रहे जब तक वो आँखों से ओझल नहीं हो गया। समीर चला गया था लेकिन नेहा और सोनिया की आँखों में एक नमी छोड़ गया था।
दोस्तो, जैसा मैंने आपको कहा था, यह शृंखला अब यहीं समाप्त होती है।
आपको ये भाई बहन की की कहानी कैसी लगी ये मुझे ज़रूर बताएं।
समाप्त
|
|
11-02-2019, 06:41 PM,
|
|
lovelylover
Junior Member
|
Posts: 25
Threads: 0
Joined: Dec 2018
|
|
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
सेक्सी।
|
|
|