Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
07-05-2019, 02:15 PM,
#31
RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
रेशमा को मैं ने क्या बताया और क्यूँ बताया ,
मैं खुद कन्फ्यूज़ था कि मैं कर क्या रहा हूँ
क्या मैं रेशमा को पाना चाहता हूँ या फिर हमेशा के लिए कौना चाहता हूँ
रेशमा के साथ बिताए कुछ दिनो मे कभी लगता कि रेशमा के साथ सेक्स करूँ तो कभी लगता बस
उसको ख़ुसी दूं
कभी सेक्स का ख़याल आता तो कभी सेक्स मेरे दिमाग़ से निकल जाता
रेशमा के साथ इतनी अच्छी दोस्ती हो गयी कि मैं इस दोस्ती को खोना ही नही चाहता था
पर अब रेशमा क्या मेरे साथ दोस्ती रखेगी

मैं ने उसको ये भी बताया कि सच बताने के बाद वो मुझे शरीफ समझेगी और मेरे करीब आ
जाएगी
मेरे जवाब से उसके सवाल भी कन्फ्यूज़ हो गये होंगे
मैं तो पहले भी सो नही पाया और अब भी सो नही पा रहा था
रेशमा मेरे बारे में क्या सोचती है ये कल सुबह पता चलेगा , क्यूँ कि कल सुबह मैं उसको
जॉगिंग के लिए बुलाने नही जाउन्गा
क्या वो मेरा इंतज़ार करेंगी या मुझे बुलाने आएगी या मुझे भूल जाएगी
यही सोचेते सोचते सुबह हो गई
मेरे मोबाइल मे अलार्म बजने लगा , जॉगिंग का टाइम हो गया
पर मैं तैयार नही हुआ ,
मैं इस इंतज़ार मे था कि रेशमा मुझे खुद बुलाने आए , ऐसा हुआ तो समझूंगा कि वो मेरी दोस्त
है
पर टाइम बीतने लगा
ना रेशमा मुझे बुलाने आई और ना मैं उसके यहाँ गया
एक एक सेकेंड बड़ा दर्द दे रहा था
लगता कि अभी उठ कर जाउ और रेशमा से माफी माँग कर दोस्ती बनाए रखने की बात कहूँ
फिर लगता कि अब इस दोस्ती को प्यार का नाम मिलना चाहिए
इस दुविधा मे सूरज भी निकल गया
मैं अपने अपार्टमेंट के हॉल मे चक्कर लगाता गया
कभी बाल्कनी मे जाकर देखता कि रेशमा मुझे देखने आई कि नही
तो कभी रूम से बाहर आकर रेशमा के डोर के की होल से अंदर ज़ाकने का दिल करता पर डोर
से ही वापस आजाता
मुझे तो अब डर लग रहा था कि मैं कही रेशमा की वजह से देवदास ना बन जाउ
अगर ऐसे ही रेशमा के बारे में सोचता रहा तो मेरा फ्यूचर ब्लॅंक हो जाएगा
पर अब रेशमा को इतने जल्दी दिमाग़ से निकाल भी नही सकता था
पहले भी मैं रेशमा के बिना जीता था और अब भी जी सकता हूँ , मुश्किल होगा पर करना होगा
अगर कुछ ज़्यादा ही प्राब्लम हुई तो मैं कुछ दिनो के लिए अपने गाओं चला जाउन्गा
वहाँ माँ भाभी मेरी गर्लफ्रेंड के प्यार से रेशमा को भूल जाउन्गा
यही सोच कर मैं ऑफीस जाने को तैयार हो गया
आज तो टी और नाश्ता भी नही मिला
रोज रेशमा के हाथो की टी पीने की आदत पड़ गयी थी
रेशमा के हाथो के नाश्ते की याद आ रही थी
पर आज से वो टेस्टी नाश्ता बंद , बंद मतलब नंद
और मैं ऑफीस जाने के लिए अपने फ्लॅट से बाहर आ गया
जैसे मैं डोर को लॉक करके पलटा तो मुझे रेशमा दिखाई दी
रेशमा भी ऑफीस जा रही थी
रेशमा ने मुझे बुलाया ही नही ऑफीस जाने को
रोज तो साथ ही जाते थे , या फिर बता देते कि ऑफीस जा रहे है
पर रेशमा के ऐसे बिना बात किए जाने का क्या मतलब हो सकता है वो मैं समझ गया था
रेशमा ने पलट कर मेरी तरफ देखा
उसकी आँखो मैं पढ़ ही नही पाया
अगर पढ़ पाता तो वो मेरी बाहों मे होती
रेशमा लिफ्ट का इंतज़ार कर रही थी
उसके वहाँ होने से मैं ने सीडियो के तरफ अपने पैर बढ़ाए
रेशमा छुपके मुझे देख रही थी ऐसा लग रहा था पर मैं ने ध्यान ही नही दिया
और सीडियो से नीचे जाने लगा
रेशमा को कैसा लगा होगा ये मैं सोच नही पाया
शायद वो चाहती हो कि मैं उसे बात करके एक बार माफी मांगू
पर अब बहुत हो गयी दोस्ती , अब दोस्ती नही प्यार होगा , और मैं कुछ भी ग़लत नही किया तो माफी
क्यू मांगू
रेशमा को ही पता था कि अब दोस्ती के लिए कोई जगह नही है
वो शादीशुदा थी
वो किसी की अमानत थी
वो धोका देने वालो मे से नही थी
पर उसका अकेलापन उसको धोका देने को कह रहा था
मैं गुस्से मे सीडियो से तेज नीचे आया या लिफ्ट स्लो नीचे आई पता नही , लेकिन फिर से हमारी नज़र
आपस मे टकराई
नज़र मिलते ही अपने आप एक दूसरे का नाम ज़ुबान पर आने वाला था कि हमारे पैर एक दूसरे से दूर
ले जाने लगे
रेशमा मुझे ऑफीस मे छोड़ देती थी लेकिन अब तो मुझे बस फिर ट्रेन का ईस्तमाल करना होगा
मैं बस स्टॉप पर खड़ा था जहाँ से मुझे रेशमा पिक करती थी
आज भी रेशमा अपनी कार यहीं से लेकर जाएगी
जैसे रेशमा को मैं बस स्टॉप पर खड़ा दिखा तो उसका पैर ब्रेक पर चला गया
रेशमा की कार रुक गयी
रेशमा की कार रुकते ही मैं खुश हुआ था
मैं अपना पैर उठाया कार तक जाने को कि रेशमा ने कार आगे ले ली
और मैं बस देखता रह गया और रेशमा मेरे आँख से ओझल हो गयी
रेशमा के चेहरे की हँसी गायब हो गयी थी
मेरे ना होने से उसका अकेलापन अब उसको फिर से खाने लग जाएगा
मैं रेशमा को बुला कर अपने ऑफीस के कामों पर ध्यान देने लगा
पर आज कही दिल नही लग रहा था
सोचा कि माला को कॉल करूँ
पर जैसे मोबाइल हाथ मे आया तो रेशमा और मेरी फोटो जो वॉलपेपर था वो मेरे सामने आ
गयी
रेशमा को देखते ही मैं उसी मे खो गया
रेशमा के साथ क्या हो रहा होगा पता नही
ऑफीस टाइम मे रेशमा के मेसेज आ जाते थे पर आज ऐसा कुछ नही हुआ
कभी लगता कि मैं ने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है
पर लगता कि मुझे रेशमा के साथ खेलने का क्या हक है
रेशमा एक पहेली सी बन गयी थी
उस पहेली को जितना सॉल्व करने का सोचता हूँ उतना उलझ जाता हूँ
रेशमा को मैं भूल पाउन्गा कि नही ये तो वक्त ही बताएगा
शायद मैं सोच सोच रहा था कि अब उसने आगे आकर बात करनी चाहिए
और रेशमा सोच रही होगी कि मैं उसको उसको इग्नोर कर रहा हूँ
पर ये मैं कर क्या रहा था
मेरे दिमाग़ मे रेशमा से दूर जाने ख़याल कैसे आया मुझे ही नही पता
रात गयी बात गयी इस रूल के हिसाब से मुझे रेशमा के साथ नयी शुरुआत करनी चाहिए थी
पर अब दोस्ती हो ही नही सकती
और अब मैं बस रेशमा के साथ सेक्स करना नही चाहता
रेशमा के दिल मे रहना चाहता हूँ
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07-05-2019, 02:15 PM,
#32
RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
रेशमा के बिना ये मैं सोच भी नही पा रहा था
पूरा दिन कैसे निकाला ये मैं ही जानता हूँ
रेशमा की याद नही आई ऐसा एक पल भी नही गया
हर पल रेशमा के बारे में सोचता रहा
ऑफीस से आते वक्त तो रेशमा मे इतना खो गया कि दादर की जगह सीएसटी उतर गया
मैं तो उसका आशिक़ भी नही था फिर क्यूँ मैं इतना बेहाल था
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था
मैं जब अपनी बिल्डिंग के पास आया तो सीडियो की जगह लिफ्ट से जाने का सोचा , रेशमा के ना होने से
मैं लिफ्ट से जाने वाला था
मैं लिफ्ट मे आ गया और जैसे ही लिफ्ट का डोर बंद होता किसी ने डोर के बीच मे बॅग डाल दी और डोर खोल
दिया ,
ये रेशमा थी
रेशमा मुझे देखते ही सोच मे पड़ गयी कि वो लिफ्ट के अंदर आए या नही आए
पर पीछे से एक आंटी आ गयी जो 1स्ट फ्लोर पर रहती है लेकिन मोटी होने से लिफ्ट का ईस्तमाल करती है
उनकी वजह से रेशमा को लिफ्ट मे आना ही पड़ा
मैं तो आगे की तरफ खड़ा था तो रेशमा पीछे हो गयी और आंटी मेरे साथ साथ खड़ी रही
आंटी तो 1स्ट फ्लोर पर चली गयी
अब तो लिफ्ट मे सिर्फ़ मैं और रेशमा ही थे
आज दिन भर से रेशमा की यादो मे खोया था
पर अब रेशमा के साथ अकेले लिफ्ट मे था
रेशमा से बात करने का अच्छा मोका था पर हिम्मत नही हो रही थी
मेरे तो हाथ पैर काप रहे थे
ऐसा पहली बार हुआ कि मैं एक औरत से डर रहा था
मेरा मुँह तो जैसे सिल गया था
रेशना भी अपने हाथो के साथ खेल रही थी
मैं चाह रहा था कि रेशमा बात करे और रेशमा सोच रही होगी कि मुझे बात शुरू करनी चाहिए
दोनो अनकंफर्टबल महसूस कर रहे थे
हमे तो पसीना आ रहा था
गला सुख गया था जिस से बात करने को जितनी ताक़त लगा रहा था फिर भी मुँह से आवाज़ नही आ रही थी
एक औरत के लिए किसी भी बात की शुरुआत करना बड़ा मुश्किल होता है
और मैं एक मर्द होते हुए भी हिम्मत जुटा नही पा रहा था
इस बीच कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना भी मैं नही कर पा रहा था
मुझसे और कंट्रोल नही हुआ
और मैं ने रेशमा को किस कर दिया
जहाँ मैं बात करने को डर रहा था वहाँ मैं ने डाइरेक्ट किस कर दिया
किस करके छोड़ दिया ऐसा भी नही था
मैं किस करता ही गया
रेशमा के होंठो को चूसने लगा
रेशमा के नाम.की तरह थे उसके होंठ
उसके गुलाबी होंठो का रस पी कर तो मेरे गले को आराम मिला
रेशमा का रस पी कर तो मुझ मे नई जान आ गयी
मैं तो जन्नत मे चला गया
जिस को आज दिन भर याद किया वो भी मुझे किस करके प्यार कर रही थी
रेशमा के रेस्पॉन्स मिलते ही मैं तो डबल खुश हुआ
रेशमा का रेस्पॉन्स मेरे लिए माफी जैसा था
सोचा नही था कि एक दिन की जुदाई हमे इतने करीब लेकर आएगी
ऐसा पता होता तो कब का दूर जाके पास आ जाता
लिफ्ट मे किस करने से हमे डर भी लग नही रहा था
हम तो किस करते हुए पूरी तरह से खो गये थे
इस किस को मैं कभी भूलूंगा नही
ये मेरे लिए सब कुछ था
इतना प्यार मिल रहा था रेशमा की तरफ से कि क्या बताऊ
मैं तो रेशमा को किस करते हुए उसके बदन को छु रहा था मसल रहा था
रेशमा की कमर पे तो हाथ घुमा कर उसकी नाभि को छू रहा था
रेशमा को अब तो उठा कर मैं बेड पर ले जाउन्गा
अब इस किस का अंत हमारे एक होने पर होगा
रेशमा को आज इतना प्यार दूँगा कि वो पूरी तरह से मेरी होगी
रेशमा के बूब्स प्रेस करने से उनकी सॉफ्टनेस मे खो सा गया मैं
क्या बताऊ
मरे हुए इंसान मे फिर से जान आ गयी है ऐसा लग रहा था
रेशमा मेरी हो गयी
अब मैं रेशमा को खुद से दूर नही करूँगा
रेशमा के किस मे मैं पूरी तरह से खो गया था
मुझे तो लग रहा था कि लाइट चली जाए और हम लिफ्ट मे फसे रहे
या ये पल यही थम जाए
मैं रेशमा के साथ ही रहूं इस लिफ्ट मे ज़िंदगी भरके लिए
क्या क्या ख़याल आ रहे थे
इतने देर से किस कर रहा था पर रेशमा रुक ही नही रही थी
और टिंग की आवज़ के साथ धडाम से मैं नीचे गिर गया
लिफ्ट का डोर खुलते ही मैं लिफ्ट से बाहर गिर गया
ये क्या हो गया
रेशमा तो मुझे किस कर रही थी
.मेरा साथ दे रही थी
फिर उसने धक्का क्यूँ दिया
मैं कुछ समझ ही नही पाया
रेशमा को हुआ क्या है
मुझे हुआ क्या है ? ये बड़ा सवाल था
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07-05-2019, 02:16 PM,
#33
RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
अब कहानी रेशमा की ज़ुबानी

मैं दिन भर अवी के बारे में सोचती रही
वो बुरा है या अच्छा है
वो क्या चाहता है ये मुझे पता चल गया
पर मुझे क्या करना चाहिए ये समझ नही आ रहा है
क्या मुझे उसकी दोस्ती बनाए रखनी चाहिए
दोस्ती , अब दोस्ती का सवाल ही पैदा नही होता
एक तो प्यार होगा या नफ़रत होगी
मैं प्यार करूँगी तो ये ग़लत होगा ,
पर मैं नफ़रत कर भी नही पाउन्गी अवी के साथ
उसका हसाना उसका बात करना उसका ख़याल रखना उसकी दोस्ती किसिको भुला नही पाउन्गी
उसके साथ बिताए कुछ पलों मे ही वो अपना सा लगता है
पर मैं करूँ क्या कुछ समझ नही आ रहा है
क्या ज़रूरत थी सच बताने की , सच बताने के बाद ये बताने की मैं उसके बारे में क्या सोचूँगी ,
उसके सच बताने से लगा कि कितना शरीफ है
मुझे ये हो क्या रहा है मैं उसी के बारे में सोच रही हूँ
वो है कौन जो मैं उसके लिए इतना सोच रही है
उसको मेरी फिकर होती तो मुझे जॉगिंग को बुलाने क्यूँ नही आया
एक बार सॉरी बोल कर दोस्त बना कर जॉगिंग को बुलाने आता तो मैं क्या मना करती
ज़रूर मना करती , उसके इरादे कैसे थे
मुझे हो क्या रहा है
कैसे मुझे देख कर अपना रास्ता बदल दिया
उसके दिल मे खोट है तभी वो मुझसे नज़रें नही मिला ला रहा था
पर क्या वो मुझे ज़्यादा परेशान नही करना चाहता हो इस लिए सीडियो से जा रहा हो
काय्न के दो साइड ने मेरा दिमाग़ खराब कर दिया है
पूरा दिन ऑफीस मे ध्यान नही दे पाई
जब बॉस ने मेरा नाम लिया तो लगा कि अवी ने आवाज़ दी हो
क्या मुझे प्यार हुआ है अवी से
क्या करना चाहिए मुझे
ज़्यादा सोच मत रेशमा वो देख लिफ्ट का डोर बंद हो रहा है जल्दी भाग वरना रुकना पड़ेगा ,
रुक गयी और अवी आ गया तो
पर अवी से सामना ना हो इस लिए भाग कर लिफ्ट का डोर बंद होने से रोका पर सामने तो अवी है
लिफ्ट मे अवी को देखते ही मैं सोच मे पड़ गयी
अवी से नज़रें मिल ही गयी , मेरी धड़कने तो बढ़ गयी थी
मैं लिफ्ट मे जाने से रोक रही थी खुद को पर आंटी ने अपने साथ मुझे भी अंदर ले लिया
अच्छा हुआ लिफ्ट मे वो आगे खड़ा है डोर के पास और मैं पीछे
पर आंटी के जाते ही हम दोनो लिफ्ट मे अकेले ये सोच कर तो हाथ पैर काप रहे है
अवी ने कुछ पूछा तो मैं क्या जवाब दूँगी
अवी ने कुछ किया तो मैं उसको रोक पाउन्गी कि नही
आंटी के जाते ही मेरी नज़र लिफ्ट के डोर पर गयी
लिफ्ट के डोर मे हम दोनो की तस्वीर दिख रही थी , मिरर की तरह था डोर
भले हम आगे पीछे खड़े हो पर लिफ्ट के डोर मे हम दोनो साथ खड़े है ऐसा लग रहा था
अवी के साथ मेरी जोड़ी
एक पल के लिए तो मैं खो गयी
लेकिन अवी कर क्या रहा है
उसकी भी हालत मेरी तरह थी
पर अचानक अवी ने वो किया जिसकी मैं कल्पना भी नही कर सकती थी
अवी ने मुझे किस किया
मैं इस पे क्या रियेक्शन दूं समझ नही आ रहा था
मैं तो शॉक्ड हो गयी थी
लगा नही था कि अवी ऐसा भी करेगा
मैं अवी को रोकने लगी
पर ये क्या मेरे होंठो के पास तो उसके होंठ है ही नही
अवी मुझे नही मेरी परछाई को किस कर रहा था
लिफ्ट के डोर मे जो मेरी तस्वीर थी उसको किस कर रहा था
मैं तो एक पल के लिए खुश हो गयी थी और दूसरे पल गुस्सा भी हो गयी थी
लेकिन अवी तो मेरी तस्वीर को किस कर रहा है
चहिईीईईईई कैसा है अवी
कैसी सोच है अवी की
कंट्रोल नही रख पा रहा है अवी तो
पर अच्छा हैना कि उसने मुझे नही मेरी तस्वीर को किस किया
मुझे करता तो ये सोचते ही काप रही थी मैं
पर अवी ऐसा कर क्यूँ रहा है
क्या वो मुझे देख कर खो गया
या मुझे दिखा रहा है कि जल्दी तस्वीर नही मुझे रियल मे किस करेगा
अवी करना क्या चाहता है
कैसे पागलो की तरह किस कर रहा है
कही वो मुझे तो फ्रेल नही कर रहा है
क्या अवी इतना प्यार करता है मुझे
अवी की इस हरकत पे गुस्सा भी आ रहा था और प्यार भी आ रहा था
मुझे नही मेरी छवि को किस कर रहा था
अवी ने कल रात को मुझे बताया कि किसी भी सिचुशन के पीछे का कारण पता करना
अवी इस हरकत से साबित क्या करना चाहता है
ये अवी होश मे नही है
और जैसा सोचा वैसा ही पाया
लिफ्ट का डोर खोलते अवी नीचे गिर गया
सच मे अवी होश मे नही था
अवी के गिरते ही मुझे हसी आने वाली थी पर मैं ने खुद को रोक दिया
और अवी को देखती रह गयी
अवी की हालत देख कर लग रहा था कि ये अचानक हो क्या गया है
अबी तो किस कर रहा था फिर वो गिर कैसे गया
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07-05-2019, 02:16 PM,
#34
RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
अब कहानी अवी की जुवानी


पहला दिन कैसे गया ये मैं ही जानता हूँ
शाम तक मैं इतना खो गया रेशमा की यादो मे कि मैं उसकी छवि को किस कर रहा था लिफ्ट मे
मुझे ऐसा लगा कि मैं ने रेशमा को किस किया पर वो रेशमा नही उसकी मिरर इमेज थी
इस की वजह से मैं रेशमा के सामने शर्मिंदा महसूस कर रहा था
पर रेशमा ने उस पर कुछ नही कहा
मैं रूम मे आकर तो इसी बात पर सोच रहा था
दोपेहर मे लंच भी नही किया
और रोज रेशमा के यहाँ डिन्नर करता था पर आज वहाँ जा भी नही पाउन्गा
और मेरे यहाँ तो खाने का कोई इंतज़ाम नही था
ये बात मेरे दिमाग़ मे तब आई जब 11 बज गये रात के
पेट मे चूहे नाच रहे थे
भूक से बेहाल हो रहा था मैं
और इतनी रात मे आस पास कुछ नही था
मुझे रेल स्टेशन तक जाना होगा वहाँ होटेल मे खाना मिल सकता है
पर वहाँ जाउन्गा कैसे और आउन्गा कैसे
और आते आते तो 2 तो बज ही जाएँगे
मैं अपने घर मे खाने का सामान देखने लगा पर कुछ नही मिला
कैसे मिलता सुबह का नाश्ता रेशमा के यहाँ , लंच ऑफीस मे और रात का डिन्नर रेशना के यहाँ ,
यही तो चल रहा था
अब तो बस सामने वाली आंटी काम आ सकती है
मिसेज़ गुप्ता से कुछ खाने की माँग लेता हूँ
अगर कुछ खाया नही तो नींद नही आएगी और कल भी मैं सोया नही था
मिसेज़ गुप्ता को डिस्र्टुब करना ठीक नही लग रहा पर भूक लगती है तो कुछ नही देखना पड़ता
मैं मिसेज़ गुप्ता के घर की बेल बजाई
उनके जैसी दादी को डिस्टर्ब करना ठीक नही लग रहा था
पर सुना है वो जल्दी सोते नही है
मिस्टर गुप्ता ने तो जल्दी डोर खोल दिया मतलब अब तक वो सोए नही थे
मिस्टर गुप्ता- अवी बेटा तुम , इतनी रात को
अवी- सॉरी अंकल डिस्टर्ब करने को
मिस्टर गुप्ता- बिना वजह डिस्ट्रब किया हो तो लाठी पड़ेगी बताओ क्यूँ याद किया
अवी- अंकल एक छोटा काम था पर कैसे कहूँ समझ नही आ रहा
मिस्टर गुप्ता- अंकल कहते हो तो मैं अपना ही हुआ ना , अब बोलो क्या कहना था
अवी- अंकल वो मैं
मिस्टर गुप्ता- अब बोलते हो कि लाठी मारू
अवी- अंकल भूक लगी थी , आपके यहाँ कुछ खाने को है
मेरी बात पर मिस्टर गुप्ता हँसने लगे
मिस्टर गुप्ता - अंदर आओ
और मिस्टर गुप्ता ने दूसरा डोर खोला , बड़ा सेफ रहते है ,
मिस्टर गुप्ता- अब बताओ क्या हुआ
अवी- भूक लगी है , आज ऑफीस मे इतना काम था कि लंच नही किया ,फिर यहाँ आते ही सो गया
मिस्टर गुप्ता- और अभी उठे तो भूख लगी हैना
अवी- हाँ , क्या आपके यहाँ खाना बचा है , अगर नही तो कोई बात नही है , आंटी को खाना बनाने
को मत लगा देना
मिस्टर गुप्ता- खाना तो हम अपने लिए ही बनाते है , कुछ बचता ही नही है
अवी- कोई बात नही , मैं बाहर देखता हूँ कोई दुकान खुली हो
मिस्टर गुप्ता- जा कहाँ रहे हो , मुझे तुम्हारी आंटी से पूछने दो
अवी- उनको क्यूँ तकलीफ़ देना , मैं मनेज कर लूँगा
मिसेज़ गुप्ता- कौन आया है , और आप किस से बात कर रहे है
अंदर से आंटी की आवज़ आई
मिस्टर गुप्ता- अवी है , उसको भूक लगी है , कुछ बचा है खाना , या फ्रूट दूं अवी को
मिसेज़ गुप्ता- रुकिये मैं आती हूँ
अवी- आंटी अंदर क्या कर रही है ,कहीं आपने सोते हुए उनको जगाया तो नही
मिस्टर गुप्ता- तुम्हारी आंटी तो एक बार बात करने लगती है तो रुकती नही है
अवी- कौन है अंदर
मेरे सवाल ख़तम होने से पहले मिसेज़ गुप्ता बाहर आ गयी
मिसेज़ गुप्ता-अवी, भूक लगी है ,
अवी- हाँ
मिसेज़ गुप्ता- तुम्हारी किस्मत अच्छी है जो रेशमा आज हमारे लिए खाना लेकर आई , पर हमारी किस्मत
खराब थी कि हमारा खाना हो गया था
मिस्टर गुप्ता- रेशमा बेटी खाना लाई थी मुझे तो बताया भी नही
मिसेज़ गुप्ता- आओ चुप रहिए , अवी बैठो मैं खाना लेकर आती हूँ
और मिसेज़ गुप्ता मेरे लिए रेशमा के हाथो का खाना लेकर आ गयी
लगा नही था कि कभी रेशमा के हाथो का खाना मिलेगा
पर किस्मत देखो कि रेशमा और मैं दूर जाने के बाद भी पास आ रहे है
हमारी किस्मत ही हमे मिला रही है
मैं तो खाना देखते ही उस पे टूट पड़ा
भूक तो लगी थी उपर से रेशमा के हाथ का खाना मिलते ही पेट के साथ दिल को भी सुकून मिला
रेशमा यही थी जो मुझे बेडरूम से देख रही थी
मुझे इस तरह खाना खाते हुए देख कर शायद उसको समझ मे आया होगा कि मैं दिन भर भूका
ही रहा उसकी यादो मे
रेशमा ने भी कुछ खाया नही होगा
रेशमा भी अब घर जाकर खाना खा पाएगी
मिसेज़ गुप्ता-बेटा आराम से खाना खाओ
अवी- बहुत भूक लगी है , सुबह से कुछ नही खाया है
मिस्टर गुप्ता- ऑफीस के कामो मे इतना मत डूब जाओ कि खुद को ही भूल जाओ
अवी- मैं किसी और की यादो मे डूबा था
मिसेज़ गुप्ता- क्या कहा
अवी- कुछ नही , खाना बहुत स्वादिष्ट है
मिसेज़ गुप्ता- रेशमा बेटी के हाथो मे जादू है , मैं तो तुम्हारे चक्कर मे भूल गयी कि वो
बेडरूम मे अकेली होगी
अवी- क्या मैं पूछ सकता हूँ कि वो अब तक यहाँ क्यूँ है
मिसेज़ गुप्ता- क्या ?
अवी- मेरा मतलब है उसको कोई परेशानी तो नही सता रही है , जैसे अकेले होने की जिस से वो आपके
पास आई है
मिसेज़ गुप्ता- मैं भी यही सोच रही थी , रेशमा तो बता ही नही रही थी
अवी- अकेले रहने से उसको अपनो की याद आई होगी , आप आज उसको अपने पास रखिए , माँ का प्यार
मिलते ही उसको अच्छा लगेगा
मिसेज़ गुप्ता- सही कहा तुमने , उसको मैं यही रोकती हूँ , और उसको कहूँगी कि कुछ दिनो के लिए अपने
मायके चली जाए
अवी- मैं तो कहता हूँ उसको जॉब छोड़ कर अपने हज़्बेंड के पास जाना चाहिए , अकेलापन बहुत
डेंजर होता है
मिस्टर गुप्ता- तुम समझदार हो
मिसेज़ गुप्ता-अकेली रहती है बिचारी , ना मायके जाती है और ना उसका हज़्बेंड आता है , मुझे तो उसके
हज़्बेंड पे बहुत गुस्सा आता है जो फूल सी बच्ची को अकेला छोड़ दिया है
अवी- सबकी अपनी अपनी वजह होती है , रेशमा आपकी बात ज़रूर मानेगी , आप उसको मायके जाने की बात
करना ,
मिसेज़ गुप्ता- ज़रूर करूँगी
अवी- और इस स्वादिष्ट खाने के लिए आप का शुक्रिया
मिस्टर गुप्ता- शुक्रिया कहा तो लाठी पड़ेगी , और ऐसे आते रहना , हमे अच्छा लगता है
अवी- जी , अब मैं चलता हूँ
और मैं अपने अपार्टमेंट मे आ गया
रेशमा हमारी बात सुन रही थी
मैं चाहता था कि रेशमा मुझसे दूर रहे
वो दूर रहेगी तो हम दोनो के लिए अच्छा होगा
उसके दूर जाने से मैं अपना ध्यान खुद पर लगा पाउन्गा
रेशमा मेरे सामने नही आई
उसको लगा कि मैं अब भी उसकी भलाई के बारे में सोच रहा हूँ
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07-05-2019, 02:16 PM,
#35
RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
अजीब दासता है ये
रेशमा से जितना दूर होना चाहता था उतने पास आ रहा था
रेशमा ने क्या जादू कर डाला था मुझ पर पता नही लग रहा था
जैसा मेरा हाल था वैसा रेशमा का हाल भी था
वो अपना दर्द हल्का करने के लिए मिसेज़ गुप्ता के पास आई थी
और मैं भी अपना पेट भरने मिसेज़ गुप्ता के पास ही गया
उसको आराम की ज़रूरत है और उसको मायके जाना चाहिए ये मैं ने बताया
तो उसी के हाथो का खाना खा कर पेट की आग शांत हुई
हमारे सवाल हमने एक दूसरे से ही सॉल्व किए बस मिसेज़ गुप्ता ने एक मीडियम का काम किया
अब तो रेशमा अपने मायके जाएगी
मैं बस रेशमा को सपने मे ही देख पाउन्गा मिल पाउन्गा
फिर से एक नयी सुबह हुई
अब तो रेशमा से मैं ने सारे रिश्ते तोड़ दिए थे तो उसके यहाँ जाने का सवाल ही पैदा नही होता
पर हम दोनो को वो दिन याद आ रहे थे जब हम पति पत्नी की तरह जॉगिंग को जाते थे
जॉगिंग पर हम पति पत्नी बन जाते है वो पल हम दोनो के लिए सबसे ज़्यादा खुशियाँ लाता था
पर वो दिन अब वापस नही आएँगे
रेशमा भी उन दिनो को ही याद कर रही होगी
कल की तरह आज भी मैं भूका ना रहूं इस लिए मैं ने ऑफीस से छुट्टी ली और अपने लिए खाने का
समान और किराना शॉप से कुछ खरीदी कर ली
मैं ने देखा की रेशमा ने भी आज छुट्टी ली थी
शायद वो भी अपने मायके जाने की तैयारी कर रही है
रेशमा की एक बात अच्छी नही लगती कि वो कुछ बताती नही है
सुबह सुबह की खाने का समान लिया था
और जब मैं बिल्डिंग मे वापस आया तो मुझे सोसायटी के सेक्रेटरी मिल गये
सेक्रेटरी-अवी एक मिनिट रूको
अवी- जी ,
सेक्रेटरी-सुबह सुबह इतनी सारी खरीदी की
अवी- अकेला रहता हूँ तो खुद का खुद को ही देखना पड़ता है
सेक्रेटरी-कोई मेस क्यूँ नही लगा लेते
अवी- लगाई थी पर वहाँ का खाना हजम नही होता
सेक्रेटरी-तो किसी के यहाँ का खाना लगा लो
अवी- आपकी नज़र मे कोई हो तो बता दीजिएगा वैसे आपने मुझे रोका क्यूँ
सेक्रेटरी-तुमसे बात करनी थी
अवी- किस बारे में
सेक्रेटरी-तुमने पूछा था ना क़ी कोई अपार्टमेंट होगा तो बता देना
अवी- हाँ
सेक्रेटरी-तो एक अपार्टमेंट अगले हफ्ते खाली हो रहा है , तुम कहो तो बात करूँ
मुझे तब चाहिए
पर अब भी रेशमा के साथ वैसे ही हालात है
रेशमा से तो मैं दूर जाना चाहता हूँ
रेशमा को इसी लिए तो मायके जाने का सल्यूशन बताया
मैं रेशमा के पड़ोस मे रहूँगा तो उसको अपने दिलो दिमाग़ से बाहर नही निकाल पाउन्गा
मुझे उसको अपने दिमाग़ से निकालना होगा तो उससे दूर जाना होगा
सेक्रेटरी-क्या सोच रहे हो
अवी- जाना तो मैं भी चाहता हूँ ,
सेक्रेटरी-तो बात करूँ
अवी- अभी फाइनल तो नही बता सकता , अपार्टमेंट खाली होने दीजिए फिर बताता हूँ
सेक्रेटरी-जल्दी बताना वरना वो बुक हो गया तो तुम्हें ये सोसायटी छोड़ कर जाना होगा
अवी- मुझे ऑफीस मे बात करनी होगी क्यूँ कि ये उनके तरफ से मिला था अपार्टमेंट ,
सेक्रेटरी-बात कर लेना वैसे मैं ज़्यादा कमीशन नही लूँगा
अवी- ( तो ये बात) ठीक है , आप 99% समझ लीजिए कि मैं शिफ्ट होने को तैयार हूँ
सेक्रेटरी-ये हुई ना बात
और सेक्रेटरी चला गया मुझे और रेशमा को दूर करने
जैसे ही मैं लिफ्ट के पास गया तो क्या देखता हूँ
रेशमा हमारी बात सुन रही थी
रेशमा की आँख थोड़ी गीली लग रही थी
मेरे आते ही उसने अपना चेहरा छुपा लिया
रेशमा को मेरा दूर जाना कैसे अच्छा लगता
रेशमा को अपने कानो पर विश्वास नही हो रहा था कि उसका दोस्त उससे दूर जा रहा है
उसका हमदर्द साथी उस से दूर जा रहा है
रेशमा ने सोचा होगा कि कुछ दिन मायके जाकर फिर मेरे साथ दोस्ती की नयी शुरुआत करेगी
पर उसके आने तक मैं यहाँ से चला ही जाउन्गा
रेशमा के लिए ये बड़ा झटका था
रेशमा और मैं लिफ्ट मे थे
रेशमा ने अपना सर नीचे किया हुआ था ताकि मैं उसके आसू देख ना पाऊ
मैं ने अपने जेब से मोबाइल निकाल कर अपने कान को लगाया
अवी- हेलो माँ
मैं रूम बदल रहा हूँ
ये मत पूछन कि क्यूँ
पर इस सवाल के साथ तुम्हें भी चैन नही आएगा
मेरा यहाँ एक दोस्त बन गया था
पर कुछ वजह से हमारी दोस्ती ख़तम हो गयी
फिर से दोस्त बन क्यूँ नही जाते?
अच्छा सवाल है
अब दोस्त नही बन सकते
अब एक स्टेप आगे बढ़ना होगा तभी दोस्ती बन सकती है
मैं रूम चेंज कर रहा हू
वो यहाँ कई सालो से रह रही है
मैं नही चाहता कि मेरी वजह से उसको प्राब्लम हो
और हम दोनो के लिए अच्छा है कि मैं यहाँ से दूर जाउ
पास रहेंगे तो नज़रें मिलेगी और पुरानी बाते याद आएँगी
हम एक दूसरे को फेस नही कर पाएँगे
इस लिए मैं दूर जा रहा हूँ
मैं रूम चेंज कर रहा हूँ
मुझे कोई फोन नही आया था
ये रेशमा के लिए कहा था
रेशमा समझदार है
वो समझ जाएगी कि मैं ऐसा क्यूँ कर रहा हूँ
ये उसके अच्छे के लिए था कि मैं दूर जाउ वरना वो बदनाम होने का डर था
कहना तो बहुत कुछ चाहता था
पर फोन पर माँ से बात कर रहा था
ऐसे मे अपनी फीलिंग कैसे जाहिर होने देता
मैं ने अपनी भावनाओं पे कंट्रोल रखा
वरना कल की तरह लिफ्ट मे फिर से रेशमा की मिरर इमेज को किस करने लग जाता
मैं तो बात करते लिफ्ट से बाहर चला गया
इतना कुछ बोलने के बाद मैं रेशमा से नज़र नही मिला पाउन्गा
उसका गुनहगार था मैं
वो अकेली थी पर जी रही थी
मेरे आने से उसको कुछ उम्मीद मिली
उसको खुशिया मिली
मैं ने उसके जीने को एक सुंदर वजह दी
और अब उसको अकेला छोड़ कर जा रहा हूँ
उसकी लाइफ को नर्क से भी खराब बना के जा रहा था
पहले वो अकेली थी लेकिन अब वो अकेली होने के साथ कमजोर हो गयी है , .
पहले उसका हज़्बेंड उस से दूर हो गया था और अब हज़्बेंड के साथ दोस्त भी दूर जा रहा था
ऐसे मे मैं रेशमा का गुनहगार बन गया था
इस के सिवा दूसरा रास्ता भी दिख नही रहा था
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07-05-2019, 02:16 PM,
#36
RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
मैं ने रूम चेंज करने का सोच लिया
ये मेरा फाइनल डिसिशन था
रेशमा मेरे फ़ैसले से दुखी थी
उसने तो मायके जाने का इरादा भी कॅन्सल कर दिया
रेशमा पूरी तरह से टूट गयी थी मेरी वजह से
उसके दिल मे क्या है ये मैं जान भी नही पाया
शायद वो मुझे प्यार करने लगी थी
लेकिन मैं ने सारे रास्ते ख़तम कर दिए थे
उसकी तो बची हुई हँसी भी छीन ली थी मैं ने
रेशमा उस दिन के बाद ऑफीस गयी ही नही
बस अपने अपार्टमेंट मे अकेली पूरा दिन बिताने लगी
बाल्कनी का डोर तो अब हमेशा के लिए बंद हो गया था
मिसेज़ गुप्ता से पता चला कि उनसे भी बात नही की रेशमा ने
रेशमा को हुआ क्या है
मिसेज़ गुप्ता जब उसके यहाँ गयी तो मैं ने चुपके रेशमा को देखा
रेशमा की हालत देख कर खुद पे गुस्सा आ रहा था
रेशमा से अच्छे तो रास्ते के भिकारी दिखते है
रेशमा की तारीफ करते मैं थकता नही था उसको ऐसे देख कर मेरे दिल मे दर्द की सूनामी उठने
लगी
रेशमा को कभी ऐसे भी देख पाउन्गा सोचा नही था
बाल बिखरे हुए जैसे सालो से कंघी ना की हो
साड़ी ज़बरदस्ती पहनी गयी हो
आँख के पास ब्लॅक स्पॉट आ गये थे
चेहरे का तेज़ तो गायब हो गया था
उसके चेहरे हँसी दिखाई भी नही दी
झूठी हसी तो होती ही थी पर वो भी नही दिखाई दी
मिसेज़ गुप्ता तो रेशमा को ऐसे देख कर टेन्षन मे आ गयी
पर रेशमा ने बीमारी का नाटक किया ,
पर मैं जानता था कि रेशमा को कौनसी बीमारी हुई है
हम दोनो पड़ोसी को हुआ क्या है ये समझ नही आ रहा था
रेशमा तो देवदासी बन गयी थी
मेरे यहाँ से जाने के फ़ैसले को फिर से सोचना पड़ रहा था
मिसेज़ गुप्ता ने मुझे बताया कि रेशमा को कोई बात खाए जा रही है
रेशमा किसी बात को लेकर कन्फ्यूज़ है
मिसेज़ गुप्ता के लिए उनकी बेटी जैसी थी रेशमा तो उनको चिंता हो रही थी
रेशमा की चिंता तो मुझे भी हो रही थी
रेशमा को प्यार की ज़रूरत है
ऐसे प्यार की जो उसकी लाइफ को खुशियों से भर दे
रेशमा को ये प्यार मुझसे मिले शायद ये वो चाहती थी
पर मैं अब कोई पहल नही कर रहा था
रेशमा मेरे दिल मे बस गयी थी
माला से ज़्यादा मैं रेशमा के बारे में सोच रहा था
रेशमा ही मेरे लिए सब कुछ बन गयी थी
रेशमा के बारे में सोचते हुए वो दिन भी आ गया जब मैं अपना समान शिफ्ट करने वाला था
मेरा दिल कह रहा था कि रेशमा से दूर मत जा
और दिमाग़ कह रहा था कि रेशमा को खुद से दूर करो
मैं इसी दुविधा मे अपना समान पॅक कर रहा था
ज़्यादा कुछ नही था
सब कुछ जल्दी पॅक हो गया
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था
मिसेज़ गुप्ता मेरे अपार्टमेंट मे आ गयी
अवी- आप , आइए
मिसेज़ गुप्ता- तुम जा रहे हो ऐसा सुना है
अवी- हाँ ,
मिसेज़ गुप्ता- क्यूँ यहाँ अच्छा नही लग रहा
अवी- ऐसी बात नही है
मिसेज़ गुप्ता- मैं भी क्या पूछ रही हूँ , तुम अपने मर्ज़ी के मालिक हो , जब चाहो तब जा सकते हो ,
मैं ही तुम्हें अपने बेटे जैसा मानने लगी थी
अवी- मैं आपको आंटी की तरह
मिसेज़ गुप्ता- अजीब रिस्ता बन गया कुछ महीनो मे ,हैना
अवी- हाँ , और मैं जहाँ भी जाउ आपसे मिलने ज़रूर आउन्गा
मिसेज़ गुप्ता- मैं घुमा फिरा कर बात नही करूँगी , देखो तुमसे ज़्यादा दुनिया देखी है , इन आँखो से
कुछ छुप नही पाया है
अवी- आप कहना क्या चाहती है ,
मिसेज़ गुप्ता- तुम और रेशमा एक दूसरे से प्यार करते हो ना
अवी- ये आप क्या कह रही हो
मिसेज़ गुप्ता- रेशमा मुझे अपनी सहेली माँ दादी सब कुछ मानती है , और वो मुझसे कुछ छुपा
नही पाई
अवी- आप ग़लत समझ रही है
मिसेज़ गुप्ता- दुनिया देखी है मैं ने , ये बाल धूप मे सफेद नही हुए है , जब से तुम आए हो तब
से देख रही हूँ रेशमा मे कैसे बदलाव आ रहे है
अवी- रेशमा ने क्या कहा आपसे
मिसेज़ गुप्ता- वो पगली क्या कहेगी , उसके आँसू सब बता गये , उसकी हालत बता गयी कि क्या हुआ है
अवी- मुझे उस से दूर जाने का दिल नही कर रहा है , पर वो नही चाहती कि मैं उसके पास रहूं
मिसेज़ गुप्ता- वो तो तुम्हारे साथ ज़िंदगी भर रहना चाहती है
अवी- क्या ?
मिसेज़ गुप्ता-रेशमा एक औरत है , ये तुम भूल रहे हो , वो खुद ये नही कहेगी , तुम्हें समझना
चाहिए उसके दिल की बात
अवी- ट्राइ किया पर उसने कुछ जवाब नही दिया , मैं बताया कि मैं उसका दोस्त नही उसका प्यार बनके
रहना चाहता हूँ
मिसेज़ गुप्ता- वो बिचारी प्यार के नाम से डरती है , कब से अकेली है वो , उसको तो अकेले रहना ही अच्छा
लगता था , उसी को उसने अपनी लाइफ बना लिया था , पर तुम आए और उसको हँसी क्या होती है वो पता
चला , तुमने उसको जीना सिखाया और अब तुम उसको अकेला छोड़ कर जा रहे हो
मिसेज़ गुप्ता- रेशमा तुम्हारे जाने से बिखर जाएगी , क्या पता वो स्यूयिसाइड कर ले ,
अवी- ये आप क्या बोल रही है
मिसेज़ गुप्ता- रेशमा सिर्फ़ एक बार प्यार हुआ है और वो तुमसे हुआ है , अगर प्यार दूर चला जाए तो कोई
कैसे जी सकता है
अवी- वो शादी शुदा है
मिसेज़ गुप्ता- तुम्हें ये तब सोचना चाहिए था जब तुमने उसकी ज़िंदगी मे आने का सोचा था ,
अवी- तब मुझे तन की भूख थी पर रेशमा को मिलते ही प्यार की भूक बन गयी ,
मिसेज़ गुप्ता- तो अपनी भूक मिटा लो
अवी- मैं रेशमा से शादी करने को भी तैयार हूँ पर मैं ने किसी और को वादा किया है
मिसेज़ गुप्ता- बताया था तुमने
अवी- तो आप ही बताइए मैं क्या करूँ
मिसेज़ गुप्ता- रेशमा को बस थोडा सा प्यार दो
अवी- मतलब
मिसेज़ गुप्ता- प्यार का अंज़ाम शादी ही हो ये ज़रूरी नही होता , पुराणो मे भी लिखा है ,
अवी- क्या लिखा है पुराणो मे
मिसेज़ गुप्ता-ये तुम खुद पढ़ लेना ,
अवी- पढ़ा है ,राजशर्मा लव स्टोरी
मिसेज़ गुप्ता- तुम्हें तो सब पता है , तुम अपनी ज़िंदगी जियो , रेशमा को उसकी ज़िंदगी जीने दो , साथ ही
तुम दोनो अपनी सीक्रेट ज़िंदगी भी जीते रहो
अवी- रेशमा ये चाहती है
मिसेज़ गुप्ता- चाहती तो वो बहुत कुछ है , पर तुम क्या चाहते हो वो इम्पोर्टेंट है , क्या पता तुम जो चाहो
वो रेशमा भी चाहने लगे
अवी- मैं रेशमा से बात करता हूँ
मिसेज़ गुप्ता- रेशमा अपने अपार्टमेंट मे नही है
अवी- कहाँ गयी
मिसेज़ गुप्ता- मुझे नही पता
अवी- आपको कुछ तो बताया होगा
मिसेज़ गुप्ता- मैं सुबह जब रेशमा को विश करने गयी तो वो अपार्टमेंट मे नही थी
अवी- किस बात की विश
मिसेज़ गुप्ता- आज उसका बर्तडे है
अवी- व्हाट
मिसेज़ गुप्ता- और तुमने दिन भी जाने का ऐसा चुना कि क्या बताऊ ,
अवी- मुझे बिल्कुल भी पता नही था कि आज उसका बर्तडे है
मिसेज़ गुप्ता- पता है , पर तुम जाकर उसकी ढुंढ़ो , कहीं वो खुद को कुछ कर ना दे
अवी- क्या वो ऐसा कर सकती है
मिसेज़ गुप्ता- एक औरत के दिल मे प्यार ना हो तो वो कुछ भी कर सकती है
अवी- कुछ तो बताइए कि वो कहाँ जा सकती है
मिसेज़ गुप्ता- तुम खुद से पूछो कि वो कहाँ जा सकती है
अवी- मैं खुद ढूँढ लूँगा उसको
मिसेज़ गुप्ता- आज उसका बर्तडे है , तो आज उसका नया जनम हो रहा है , कल नयी रेशमा को देखना
चाहूँगी
अवी- एक शरत पर कि आप ये सीक्रेट अपने तक राकेंगी
मिसेज़ गुप्ता- मैं बस रेशमा को खुश देखना चाहती हूँ , रेशमा को मत बताना कि मुझे तुम दोनो
के बारे में पता है
और मैं भी मिस्टर गुप्ता को नही बताउन्गी
मिसेज़ गुप्ता ने बताया कि रेशमा के दिल मे क्या है
रेशमा मुझसे इतना प्यार करती है
एक बार इशारा तो करती
अच्छा हुआ मिसेज़ गुप्ता ने रेशमा के दिल की बात बताई
और आज उसका बर्तडे है
इतनी बड़ी बात भी भूल गया मैं और आज मैं यहाँ से जा रहा था
रेशमा के लिए कितना मुश्किल होगा ये दिन
मुझे जल्दी उसको ढूँढना होगा
Reply
07-05-2019, 02:16 PM,
#37
RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
रेशमा के दिल की बात जान क्यूँ नही पाया मैं
मिसेज़ गुप्ता की बात अगर सच हुई तो ये मेरे और रेशमा के लिए अच्छा रहेगा
अगर मिसेज़ गुप्ता ग़लत हुई तो मुझ पर भारी पड़ सकती है रेशमा
रेशमा के लिए अब मैं रिस्क ले सकता हूँ
मैं ने खुद देखा कि रेशमा ने मेरे लिए अपना क्या हाल बनाया है
ऐसे मे रेशमा के दिमाग़ मे मेरे लिए विश्वास और दिल मे प्यार जगाना होगा
पर पहले रेशमा को ढूँढना पड़ेगा
कहीं वो खुद को कुछ कर ना दे
कुछ दिनो से तो उसने ऑफीस जाना भी बंद किया और खुद का ख़याल भी नही रख रही थी , जॉगिंग को
जाना भी छोड़ दिया , कहीं जीना ना छोड़ दे
ऐसे अकेली औरत के दिमाग़ मे बहुत कुछ चलता रहता है
मिसेज़ गुप्ता ने हम दोनो की आँखो मे वो देखा जो हम नही देख पाए
मिसेज़ गुप्ता के एक्सपीरियेन्स ने हमारे प्यार को देख लिया , और अच्छी बात ये थी कि उनको हमारा प्यार
ग़लत नही लगा
मिसेज़ गुप्ता रेशमा के बहुत करीब है , रेशमा को खुश देखना चाहती है वो , और रेशमा की
खुशी मुझ मे है ये मिसेज़ गुप्ता देख चुकी है
मिसेज़ गुप्ता के जाते ही मैं बाल्कनी से रेशमा के यहाँ आ गया
शुरुआत रेशमा के घर से करनी ठीक होगी
पर रेशना के घर मे कुछ भी खास नही मिला
फिर मैं ने रेशमा के ऑफीस कॉल किया पर वहाँ भी वो नही गयी
मुझे तो ये भी नही पता कि उसके कोई रिश्तेदार यहाँ रहते है
मिसेज़ गुप्ता को पता होगा इस लिए उनके पास गया तो उन्होने कुछ पूछने से पहले बता दिया कि
रेशमा उसके मायके मे नही है
सुबह से गायब है
कहाँ जा सकती है रेशमा
आज उसका बर्तडे भी है , और मैं यहाँ से जा रहा था ऐसे मे वो कोई ग़लत कदम ना उठा ले
मैं उसको आस पास देखने लगा
पर रेगिस्तान मे पानी मिल जाएगा पर मुंबई मे किसी को ढूँढना मुश्किल है
इतने बड़े शहर मे रेशमा को ढूँढना बेमतलब था
ऐसे मे मैं ने अपनी किस्मत का साथ लिया और रेशमा के आने का इंतज़ार करने का डिसाइड किया
रेशमा को ढूँढना मुश्किल हो सकता है
रेशमा इतनी भी कमज़ोर नही हो सकती कि वो स्यूयिसाइड कर सके , वो वापस ज़रूर आएगी
उसके आने पर अगर उसका बर्तडे सेलेब्रेट किया जाए तो
रेशमा ये देखेगी कि मैं बर्तडे केक लेकर उसका इंतज़ार कर रहा हूँ सुबह से तो उसकी खुशी
देखने लायक होगी
ये ख़याल दिमाग़ मे आते ही मैं पास के शॉप मे जाकर बढ़िया केक लेकर आया
रेशमा के पसंद का केक था , उसको चॉक्लेट बहुत पसंद है
मैने बताया मिसेज़ गुप्ता को कि रेशमा को ढूँढना बेमतलब है , पर उसके लिए मैं क्या प्लान कर
रहा हूँ
मैं बाल्कनी से रेशमा के अपार्टमेंट मे जाकर उसके बर्तडे की तैयारी करने लगा
हॉल को सजाया , बलून ही बलून फैलाया दिए रूम मे
रेशमा के लिए एक शॅंपियन भी रखी
दोनो के लिए डिन्नर का इंतज़ाम किया
सब कुछ सेट कर दिया था बस रेशमा के आने का इंतज़ार था
रेशमा के लिए रेशम की साड़ी भी खरीद ली
ये सब रेशमा देखेगी तो कितनी खुश होगी
मुझे उस पल का इंतज़ार था जब रेशमा डोर खोल कर अंदर आएगी और उसके चेहरे पे वो स्माइल
आएगी जो मुझे पसंद है
मैं रेशमा के अपार्टमेंट मे बैठ कर उसका इंतज़ार कर रहा था
बलून की हवा निकल रही थी पर रेशमा का कुछ पता नही था
टाइम बीत रहा था पर रेशमा का कोई खबर नही थी
रेशमा का मोबाइल भी स्विच ऑफ था
शाम से रात होने को आ गयी पर रेशमा कहाँ हो तुम
बस एक बार आ जाओ ,
मैं हॉल मे चक्कर लगाते हुए रेशमा का इंतज़ार कर रहा था
मैं सोच रहा था कि क्या किया जाए , कहाँ हो सकती है रेशमा
ऐसे सोचते हुए मेरे दिमाग़ की लाइट जल गयी
मैं भाग कर रेशमा के बेडरूम मे गया
बेडरूम.मे रेशमा की एक तस्वीर थी
ये तस्वीर पास के एक मंदिर की थी
उस तस्वीर को ध्यान से देखा तो मेरे समझ मे आ गया कि रेशमा कहाँ होगी
तस्वीर के एक कॉर्नर मे मुझे केक का कॉर्नर दिखा
मतलब पिछले साल रेशमा ने अपना बर्तडे मंदिर मे मनाया था
वहाँ भी वो अकेली थी
पूरी सज कर थी लेकिन उसके चेहरे पे अकेलापन सॉफ दिख रहा था
अब समझा कि मिसेज़ गुप्ता क्या कहना चाहती थी
बर्तडे पर ज़्यादातर लोग कहाँ जाते है , मंदिर मे
और जो अकेले होते है तो हम खास मंदिर मे जाते है ये दुआ करने कि अगले बर्तडे पे वो
अकेला ना हो
रेशमा भी वही होगी
रेशमा का पता चलते ही मैं ने उसके पास जाने के लिए एक सेकेंड भी नही गवाया
वो मंदिर पास मे ही था
मैं भाग कर ही उस मंदिर के पास आ गया
मंदिर बंद हो रहा था
रात हो चुकी थी और मंदिर मे कोई दिख नही रहा था सिवाय मंदिर के लोगो के
फिर भी मैं मंदिर मे रेशमा को देखने लगा
मंदिर के पंडितजी ने कहा कि यहाँ अब कोई नही है ,
मेरा दिल कह रहा था कि रेशमा यही होगी
पर मंदिर के बंद होते ही मुझे यहाँ से जाना लड़ा
एक उम्मीद दिखी थी
पर रेशमा फिर भी नही मिली
मैं निराश होकर जा रहा था कि मुझे मंदिर के कॉंपाउंड के लेफ्ट साइड मे एक कार दिखाई दी
दूर से कुछ खास पता नही चला पर अंदर से आवज़ आ रही थी कि एक बार जाकर देख लूँ
जब मैं कार के पास गया तो मेरे खुशी का कोई ठिकाना नही था
ये कार रेशमा की थी
कार मे रेशमा नही थी मतलब रेशमा मंदिर मे ही है
पर मंदिर तो बंद हो गया और पंडितजी भी अपने घर गये है
कही मंदिर के पीछे वाले गार्डन जैसे पेड़ो के मैदान मे तो नही है रेशमा
वही हो सकती है , उस तस्वीर मे भी पेड़ दिख रहे थे
मैं ने इधर उधर देखा और कॉम्पोन्ड वाल से जंप मार कर अंदर आ गया
मुझे बस रेशमा से मिलना था
मैं रेशमा को इधर उधर देखते हुए मंदिर के पीछे आ गया
मंदिर के पीछे बहुत जगह थी
मैं लग गया रेशमा को ढूँढने मे
रेशमा को आवाज़ भी दे नही सकता था अगर किसी और ने सुन ली तो प्राब्लम होगी
मैं पेड़ो के बीच मे रेशमा को तलाश करने लगा
अंदर जाकर तो मुझे टॉर्च का ईस्तमाल करना पड़ा
कही कही जगह पर खुली जगह थी जहाँ बैठ कर आराम किया जा सकता है
दिन का टाइम होता तो तस्वीर वाली जगह जल्दी मिल जाती
पर दिल से माँगो तो मिल ही जाता है
मुझे ऐसा लगा कि पेड़ के नीचे कोई बैठ कर आसमान की तरफ देख रहा है
मैं ने ठीक से देखा तो कोई औरत दिखाई दी
मैं उसके पास गया तो ये कोई और नही रेशमा ही थी
रेशमा , मेरी रेशमा थी
रेशमा को देखते ही मैं भाग कर उसको गले लगाना चाहता था
पर मेरी नज़र रेशमा के मायूस चेहरे की तरफ गयी
रेशमा आसमान मे निकले चाँद की तरफ बिना पलकें झुकाए देख रही थी
पता नही क्या सोच रही होगी रेशमा
पर इस तरह रेशमा को अकेला देख कर बड़ा दुख हुआ
रेशमा को डर भी नही था कि यहाँ रात मे वो अकेली है
उसको तो होश ही नही था
रेशमा खो गयी थी आसमान की दुनिया मे
शायद आसमान के तारों की तरह अकेली हो गयी थी
अजीब अजीब ख़याल आ जाते है जब कोई अकेला होता है
किसी को भी अपना साथी बना लेता है
ऐसे ही रेशमा ने इस जगह और आसमान के तारों को अपना साथी बनाया हो
रेशमा की इस हालत का ज़िम्मेदार मैं ही था
रेशमा ने अकेले जीना सीख लिया था पर मेरी वजह से वो जीना क्या होता है ये तक भूल गयी थी
उसकी बची हुई हसी भी छीन ली थी मैं ने
रेशमा को ऐसे देख कर मेरी आँख मे आँसू आ गये
पर मुझे रेशमा के आँसुओं को खुशियों मे बदलना था
मैं अब कभी रेशमा को अकेला नही पड़ने दूँगा
मैं रेशमा को प्यार करने की ज़िद्द कभी नही करूँगा
अगर रेशमा मुझे दोस्त बना कर ही रखना चाहती है तो यही सही
पर रेशमा इस तरह उदास होने नही दूँगा
मैं रेशमा के आसू को मोती मे बदलने के लिए उसके पास गया
रेशमा तो होश ही खो चुकी थी जिस से उसको पता भी नही चला कि मैं उसके पास आ गया हूँ
रेशमा की तरफ से रेस्पॉन्स ना पा कर मैं उसके पास बैठ कर उसको आसमान की दुनियाँ से
ज़मीन पर वापस लाने लगा
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07-05-2019, 02:17 PM,
#38
RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
रेशमा को देख कर मेरे जान मे जान आ गयी
रेशमा कैसे भी हालत मे क्यूँ ना हो वो ठीक है ये मेरे लिए एक पॉज़िटिव बात थी
अब रेशमा की लाइफ को मुझे प्यार से भरना था
अब रेशमा कभी अकेली नही रहेगी
मैं पर पल उसके साथ रहूँगा
रेशमा के हर वो खुशियाँ दूँगा जिससे वो अब तक दूर रही
मैं रेशमा के पास बैठ गया
रेशमा वैसे आसमान की तरफ देख रही थी
मैं ने रेशमा के हाथ को अपने हाथो मे लिया
और रेशमा की तरफ देख कर उसको चूम लिया
मेरे चूमते ही रेशमा की आँख मे आँसू निकल गये
रेशमा के निकल रहा एक एक आँसू मेरे दिल को तेज़ाब की तरह जला रहा था
रेशमा का इस तरह रोना मुझे छलनी छलनी कर रहा था
मैं ने रेशमा के आँसू को अपने हाथ पर लिया और पी गया
मैं रेशमा के सारे दर्द को पीना चाहता था
रेशमा ने मेरी तरफ देखा
उसके आँसू को पीते ही रेशमा की आँख सुख गयी
रेशमा की आँख से आँसू निकलने बंद हो गये
रेशमा मुझे देखती रह गयी
मुझे अपने दर्द को पीता हुआ देख कर इतनी भावुक हो गयी और मेरे गले लग गयी
रेशमा मेरे गले लग कर खुद के दर्द को हल्का करना चाहती हो
मैं ने उसको वो सहारा दिया जो वो चाहती थी
उसको विश्वास दिलाया कि मैं ज़िंदगी भर उसका सहारा बन कर रहूँगा
उसको कभी अकेला नही पड़ने दूँगा
मेरी बाहों मे आते ही रेशमा को सुकून मिला
जैसे उसको मेरा ही इंतज़ार था
वो बस यही चाहती थी कि मैं उसको ढूंढता हुआ आ जाउ
अगर सच मे मैं उसको प्यार करता हूँ तो मैं आज उसके पास ज़रूर आउन्गा
और देखो रेशमा का प्यार मुझे उसके पास ले आया
शायद रेशमा मेरी परीक्षा लेना चाहती हो
शायद वो देखना चाहती थी कि मेरा प्यार कहीं वासना तो नही है
वो खुश थी कि मैं उसके पास हूँ
रेशमा को यकीन नही हो रहा होगा कि मैं उसके पास कैसे आ गया
रेशमा को ये उम्मीद ही नही थी कि कोई उस से इतना प्यार करेगा कि वो उसके पास खिचा चला
आएगा
रेशमा को ये सपना ही लग रहा था
रेशमा ने मुझे और कस के गले लगाया
रेशमा अब मुझे खुद से दूर नही करेगी
मैं भी रेशमा को दूर नही करना चाहता था
हम तो एक दूसरे की बाहों मे आते ही प्यार को फील कर रहे थे
हमारे प्यार ने आज हमे मिलाया था
रेशमा मुझे छोड़ ही नही रही थी
शिकवे शिकायते कर रही थी कि मैं उससे दूर क्यूँ गया
रेशमा की सारी शिकायतों को मैं अपने प्यार से ख़तम करना चाहता था
रेशमा का गले लगना कितना कुछ बया कर रहा था
रेशमा की धड़कनो से जब मेरी धड़कने मिलने लगी तो हमारे दिल मे प्यार से भरने लगा
रेशमा का दिल मैं पा रहा था और रेशमा मेरे दिल को अपना बना रही थी
हम दोनो के दिल एक हो रहे थे
रेशमा के रेशमी बाल तो हम दोनो के मिलन को सब से छुपा रहे थे
रेशमा को शायद डर लग रहा होगा कि वो मुझसे अलग होगी तो उसका सपना टूट जाएगा
पर उस पगली को कौन ये बताएगा कि ये सपना नही हक़ीकत है
रेशमा की तरह मैं भी उसको खुद से दूर नही करना चाहता था
रेशमा से दूर रह कर मैं भी जी नही पा रहा था
रेशमा और मैं तो गले गलने के साथ एक दूसरे की पीठ पर हाथ घुमा रहे थे
मैं ने तो रेशमा के गर्दन को चूमना भी शुरू किया
रेशमा तो इस से मेरी बाहों मे मचलने लगी
पर खुद को मुझसे दूर नही कर रही थी
मैं भी अब उसको खुद से दूर नही होने दे सकता था
और हम एक दूसरे को प्यार करने लगे
रेशमा भी मुझे चूमने लगी
दोनो तो प्यार की आग मे जल रहे थे
इस तरह प्यार करते हुए हम ज़मीन पर लेट गये
और एक दूसरे को चूमते गये
मैं ने रेशमा के चेहरे को किस करना शुरू किया तो उसकी पकड़ ढीली होती गयी
रेशमा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ किया शायद वो शरमा रही हो
मैं ने रेशमा के चेहरे को अपनी तरफ किया .रेशमा ने अपनी आँखे बंद कर ली .
मैं ये क्या कर रहा था मुझे समझ नही आ रहा था.
और इस के बाद क्या होगा मैं रेशमा को कैसे समझाउन्गा ये सब चीज़े मेरे दिमाग़ से कहाँ चली
गयी पता नही चला.
रेशमा होश मे नही थी या फिर वो यही चाहती थी कि होश मे ना रहे
अगर होश मे आने के बाद उसको ये पसंद नही आया तो
वो बाद मे देख लूँगा अभी तो मैं रेशमा को उसके हिस्से की खुशी देना चाहता था
किसी ने सच कहा है जब किसी को प्यार होता है तो वो दिमाग़ से नही दिल से सोचता है.
क्या मुझे माला से ज़्यादा रेशमा से...नही नही ये मैं क्या सोच रहा हूँ.
मैं ने रेशमा के चेहरे को गोर से देखा, इस समय रेशमा के चेहरे को पढ़ना मुश्किल था.
उसके चेहरे पे खुशी, गम,दुख, प्यार,नफ़रत, ऐसा बहुत कुछ था.
अगर उसकी आँखे खुली होती तो मैं कुछ समझ पाता.पर रेशमा ने अपनी आँखे बंद कर रखी
थी.
मैं ने उसकी आँखो पर किस किया रेशमा ने फिर भी अपनी आँखे नही खोली.
फिर मैं ने उसके माथे पर किस किया. फिर उसके गालों पर किस किया.
जब मैं उसके चेहरे पे जगह जगह पर किस कर रहा था तो रेशमा के होंठ काप रहे थे.
पता नही क्यूँ काप रहे थे. मेरे होंठो से मिलने के लिए या मेरे होंठ उसे ना छुए इस लिए.
जैसे ही रेशमा ने मुझे छोड़ा वैसे मैं उसके होंठो की तरफ अपने होंठ ले जाने लगा
रेशमा के होंठो से रस टपक रहा था
रेशमा ने अपने होंठो को दातों मे दबा के रखा था
पर जैसे ही मेरे होंठ उसके होंठो के पास आए तो उसके होंठो ने उसको धोका दिया
और मेरे होंठो से जा मिले
मैं ने धीरे से अपने होंठो उसके होंठो से लगा दिए. इतना सॉफ्ट टच था जैसे एक पल के लिए मैं
भूल गया था कि मैं कहाँ हूँ मैं क्या कर रहा हूँ.
मेरे होंठ उसके होंठो से लगते ही रेशमा ने अपनी आँखे खोल कर फिर बंद की.
वो इतना जल्दी हुआ कि मैं उसकी आँखो मे देख नही पाया.
हमारे होंठो के मिलते ही हमारे अंदर प्यार का सूनामी आ गया
इस किस मे इतना प्यार भरा हुआ था कि क्या बताऊ
रेशमा के होंठो को मेरे होंठ छु गये ये सपने जैसे था
जैसे लिफ्ट मे मिरर इमेज को किस करके फील हुआ था उस से कही ज़्यादा स्वीट था ये किस .
इस किस मे रेशमा मेरा साथ दे रही थी
हम दोनो एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे
इस किस से हमारा प्यार के मंदिर की पहली नीव रखी गयी
ये किस हमारे एक होने का सबूत बन रहा था
इस किस से रेशमा मेरी हो गयी
किस के साथ प्यार मिल रहा था हम दोनो को
रेशमा के रस को पी कर मैं उसको अपना प्यार दे रहा था
मैं उसके होंठो को किस करने मे इतना खो गया था कि मैं ने भी अपनी आँखे कब बंद की,
मुझे पता भी नही चला.
इतना मधुर मिलना था हमारे होंठो का कि क्या बताऊ. ऐसा लग रहा था कितनी सदियों के बाद हम
मिले हो और बस ये मिलन कभी ख़तम ना हो.
मैं बस उसके होंठो पर अपने होंठ रख कर वैसे ही बिना कुछ किए 5 मिनिट तक उसके होंठो को
महसूस करता रहा.
उसके होंठो को छूने से मेरी प्यास और बढ़ रही थी. उसके होंठ मुझे प्यासा बना कर होंठो का
गुलाबी रस पीने को कह रहे थे.
मैं ने उसके नाज़ुक होंठो का रस पीना शुरू किया.
रस इतना मीठा था कि उसके सामने पूरी दुनिया फीकी लग जाए.
मैं ने रेशमा के होंठो को चूसने लगा.
रेशमा को किस करते हुए मुझे एक पल के लिए माला की याद आ गयी.पर रेशमा के नशीले होंठो
ने वो याद भी मेरे दिमाग़ से निकाल दी.
रेशमा ने अपने होंठो पर लिपस्टिक नही लगाई थी फिर भी रेशमा के होंठ गुलाब की तरह गुलाबी थे.
मैं ने कितनो के साथ चुदाई की कितनो को मैं ने जन्नत दिखाई पर किसीने मुझे जन्नत जैसा मज़ा
नही दिया था.
पर आज सिर्फ़ किस करने से मुझे ऐसा आनंद मिल रहा था जिसकी कल्पना मैं ने माला के साथ की थी.
पर माला भी मुझे वो खुशी नही दे पाई जो रेशमा के एक किस ने दी.
मेरे साथ साथ रेशमा ने भी मेरे होंठो को चूसना शुरू किया.
हम दोनो दुनिया को पीछे छोड़ कर अपनी नही दुनिया मे खो गये थे जहाँ सिर्फ़ प्यार था.
मैं यहाँ रेशमा को घर ले जाने आया था. मुझे पता नही था कि वहाँ मुझे सिर्फ़ प्यार मिलेगा.
ऐसा प्यार जिसमे मैं इतना खो जाउन्गा कि मैं खुद को भूल जाउन्गा.
मैं रेशमा के होंठो को चूसने लगा. पर मेरी हिम्मत नही हुई कि मैं अपनी जीभ रेशमा के
मुँह मे डालु .
पर रेशमा जैसे मेरे मन की बात जान गयी हो उसने अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल दी.
मैं रेशमा के जीभ को चूसने लगा. फिर रेशमा भी अपनी जीभ के साथ मेरी जीभ भी अपने मुँह मे
ले गयी. और चूसने लगी.
मुझे तो लग रहा था कि ये किस कभी ख़तम ही ना हो पर जो चीज़ हमे अच्छी लगती है वो जल्दी
ख़तम हो जाती है.
रेशमा तो मेरे होंठो को छोड़ने को तैयार नही थी पर उसकी चेस्ट ज़ोर ज़ोर धड़क रही थी.उसकी चेस्ट
फुल रही थी
फिर भी रेशमा मेरे होंठो को छोड़ने के लिए तैयार नही थी.
उसकी धड़कने मेरे धड़कानों से मिल रही थी.
मुझे लगा कि अब मुझे रुक जाना चाहिए.मैं जिस चीज़ के लिए भगवान से दुआ माँग रहा था कि
वो ख़तम ना हो उसी चीज़ को मुझे रोकना पड़ा.
मैं ने अपने होंठो को बड़ी मुश्किल से रेशमा के होंठो से अलग किया. मेरे होंठ अलग होते ही
रेशमा ने अपनी आँखे खोली.
रेशमा की आँखो मे देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने रेशमा के बदन से उसकी आत्मा
अलग की हो.
उसकी आँखे लाल हो गयी थी. जैसे उसके बदन का सारा खून उसकी आँखो मे चला गया हो.
उसकी धड़कने इतनी तेज चल रही थी कि ऐसा लग रहा था कि अगर एक सेकेंड भी देर हो जाती तो कहना
मुश्किल था कि क्या हो जाता.
हमारे होंठ अलग होते ही रेशमा लंबी लंबी सासे लेकर कर अपने आप को नॉर्मल करने की
कोशिस कर रही थी.
मैं भी खुद को नॉर्मल कर रहा था.मेरी भी हालत रेशमा जैसी थी.
किस करने से मेरा प्यार और बढ़ गया .
ये बर्तडे रेशमा के लिए बेस्ट साबित होगा
उसको प्यार मिल रहा था
इस बर्तडे पे वो अकेली नही है उसके साथ मैं था
Reply
07-05-2019, 02:17 PM,
#39
RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
हम दोनो खुद को नॉर्मल करने की कोशिस कर रहे थे.
मुझे तो इसकी आदत थी पर रेशमा के लिए ये सब नया था ,उसे नॉर्मल होने मे ज़्यादा समय लगा.
मैं नॉर्मल होने के बाद रेशमा की चेस्ट जो ज़ोर से धड़क रही थी उसको देख कर सोच रहा था कि
रेशमा की खूबसूरती कब देखने को मिलेगी.
देखते ही देखते रेशमा नॉर्मल हो गयी. हम दोनो नॉर्मल हो गये .
रेशमा उठ कर बैठ गयी
फिर मैं ने रेशमा के हाथ को पकड़ कर अपने पास खिच लिया .रेशमा मेरी गोद मे आकर बैठ
गयी .रेशमा का चेहरा मेरी तरफ था.
मैं रेशमा की सासो को अपनी सासो के साथ महसूस कर रहा था.
मैं ने फिर से रेशमा के आँखो पर किस किया .
रेशमा की आँखे जो प्यार की गरमी से जल रही थी उसे अपने होंठो के पानी से ठंडा करने की कोशिस
कर रहा था.
पर आँखो की जलन को किस कर के ठंडा नही किया जा सकता.
उसको तो प्यार चाहिए था. इसी लिए मैं ने फिर रेशमा के होंठो का रस्पान करना शुरू किया...
मैं आराम से हर एक सेकेंड का मज़ा लेना चाहता था.
हर एक सेकेंड को जीना चाहता था.
मैं रेशमा के साथ बिताए हुए हर एक पल को जीना चाहता था.
मैं रेशमा को किस करता गया और रेशमा भी मुझे किस करती गयी.
मैं ने इस बार सिर्फ़ 2 3मिनिट तक किस किया था.
जब मैं रेशमा से अलग हुआ तो उसकी आँखो ने पूछा कि इतनी जल्दी क्यूँ किस तोड़ा.
मेरे पास उसकी आँखो के पूछे हुए सवाल का कोई जवाब नही था.
पर उसकी आँखो को मैं ने विश्वास दिलाया कि उसका प्यार का इंतज़ार मैं ख़तम कर करूँगा.उसका
अकेलापन दूर करूँगा
मैं रेशमा के ब्लाउस को खोलना चाहता था ,रेशमा मेरा पूरा साथ दे रही थी.
फिर रेशमा के ब्लाउस को धीरे धीरे खोलने लगा. जैसे जैसे ब्लाउस खुल रही थी वैसे वैसे उसके
बदन की चमक मेरी आँखो को अपनी और खीच रही थी.
उसके बदन की चमक ने मेरी आँखो को अपने कब्ज़े मे कर लिया .
रेशमा के ब्लाउस ने रेशमा के बदन का साथ छोड़ दिया.
ब्लाउस का साथ छोड़ते ही रेशमा का बदन कह रहा था कि ब्रा भी निकालो मुझे पूरा आज़ाद होना
है.
जैसे पंछी पिंजरे से बाहर आकर आज़ाद होता है वैसे ही रेशमा का बदन ब्लाउस और ब्रा की
दीवार से निकल कर अपनी आज़ादी का मज़ा लेना चाहता था.
मैं ने रेशमा के बदन की बात सुनकर ब्रा को निकाल लिया. ब्रा के अपने बदन से अलग होने का
अहसास से रेशमा के बदन मे एक लहर दौड़ गयी.
रेशमा ने अपनी आँखे बंद की.
मैं ने रेशमा को ज़मीन पर लिटा दिया .2 मिनिट तक रेशमा के बदन को देखता रहा.
रेशमा के बूब्स जो इतने टाइट लग रहे थे की ,ऐसा लग रहा था कि उसके हज़्बेंड ने क्या उसने भी इनको
कभी हाथ नही लगाया होगा.
बस मेरे इंतज़ार मे अपने बूब्स को ब्रा की दीवार मे क़ैद करके रखा था कि मैं आउन्गा और
बूब्स को आज़ाद करके जिस वजह से बूब्स इस दुनिया मे आए है वो काम मैं पूरा करूँ.
मैं रेशमा के बदन को बस देखता रहा.2 मिनिट तक मुझे कुछ ना करते हुए देख कर रेशमा
ने अपनी आँखे खोल दी.
मुझे ऐसे घुरते हुए देख कर रेशमा ने फिर से अपनी आँखे बंद कर ली.
रेशमा की आँखे फिर बंद होते ही मैं रेशमा के उपर आ गया.
एक हल्का सा किस रेशमा के होंठो पे कर दिया
रेशमा के होंठो पर किस करने के बाद मैं धीरे धीरे नीचे आ रहा था. रेशमा की गर्दन को किस
कर रहा था . फिर मेरे होंठ रेशमा के बूब्स के पास आ गये.
मैं ने अपनी जीभ की टोक से धीरे से रेशमा के निपल को टच किया .ऐसे रखा था कि रेशमा का निपल
टाइट होकर उपर आकर मेरी जीभ को टच करने लगे .
मैं जीभ से रेशमा के निपल को चाटने लगा . मेरी जीभ टच होते ही रेशमा के मुँह से
शीष्कारियाँ निकल ने लगी.
मैं अपने हाथ को रेशमा के नरम बूब्स पे रख कर दबाने लगा. सच मे रेशमा ने भी
कभी इनको हाथ नही लगाया होगा इतने टाइट लग रहे थे.
मैं एक बूब्स को मुँह मे लेकर चूसने लगा तो दूसरे बूब्स को हाथो मे लेकर दबाने लगा .
मैं ने लेफ्ट बूब्स को मुँह से अलग कर लिया और राइट बूब्स को मुँह मे लेकर चूसने लगा.
रेशमा तो प्यार के नशे मदहोश हो गयी थी.
मैं रेशमा के नशे को कम होने नही दे रहा था .
रेशमा के जैसे होंठ गुलाबी थे वैसे उसके निपल गुलाबी थे.शायद चूत भी...
ना मुझे रेशमा के होंठ पे किस करते हुए छोड़ने का मन था और ना बूब्स को चूस्ते हुए
छोड़ने का मन हो रहा था
थोड़ी देर रेशमा के बूब्स को एक एक करके चूस्ता रहा.
फिर बूब्स चूसने के बाद मैं रेशमा के पेट पर किस कर ने लगा. पेट पर किस करने से रेशमा
को गुदगुदी होने लगी.
वो अपने सर को इधर उधर घुमा रही थी.
पेट पर किस करने के बाद मैं ने अपनी जीभ रेशमा के नाभि मे डाल दी.जीभ नाभि मे जाते ही उसे और
गुद गुदी होने लगी.
वो जल बिन मछली की तरह तड़फ़ रही थी या गुदगुदी होने से नाच रही थी.
रेशमा की नाभि के साथ खेलने के बाद मैं नीचे आ गया.
और रेशमा की साड़ी निकाल कर हवा मे उड़ा दी
मैं रेशमा के दोनो पैरो के बीच मे आ गया.मैं ने पेटिकोट के उपर से रेशमा की चूत पे
किस किया.
चूत पर किस करते हुए मेरे होंठो ने पेटिकोट को गीला कर दिया.
रेशमा के साथ किस और फिर बूब्स चूसना जिस से रेशमा ने इतना पानी छोड़ा था कि पैंटी और
पेटिकोट दोनो गीले हो गये थे.
मैं रेशमा की परी को देखने के लिए मरा जा रहा था.
जितनी देर मुझे रेशमा की परी देखने मे लग रही थी उतनी तेज़ मेरी धड़कने चल रही थी.
मैं ने पेटिकोट के नाडे को मुँह मे पकड़ लिया और खीच कर खोल दिया.
Reply
07-05-2019, 02:17 PM,
#40
RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
रेशमा के साथ किस और फिर बूब्स चूसना जिस से रेशमा ने इतना पानी छोड़ा था कि पैंटी और
पेटिकोट दोनो गीले हो गये थे.

मैं रेशमा की परी को देखने के लिए मरा जा रहा था.
जितना देर मुझे रेशमा की परी देखने मे लग रहा था उतनी तेज़ मेरी धड़कने चल रही थी.
मैं ने पेटिकोट के नाडे को मुँह मे पकड़ लिया और खिच कर खोल दिया.
चुदाई का खेल शुरू हो जाने के बाद मैं ने रेशमा से बात की नही
पर रेशमा मे अपनी आँखे खोल कर मेरी तरफ देखा
मेरे मुँह मे उसके पेटिकोट का नाडा देख कर रेशमा ने फिर से अपनी आँखे बंद कर ली.
वो रुकने के लिए आँख खोलती
पर मेरा प्यार सेक कर वापस डूब जाती प्यार के समंदर मे
फिर मैं ने पेटिकोट को पकड़ कर नीचे करने लगा.
रेशमा ने अपनी गंद को उपर किया जिस से पेटिकोट निकल गया.
मैं जैसा कर रहा था उसमे रेशमा मेरा पूरा साथ दे रही थी.
रेशमा अब मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी मे थी. रेशमा की पिंक पैंटी पूरी गीली हो गयी थी.
मैं रेशमा की पैंटी की महक को सूंघने लगा. मदहोश कर देने वाली महक थी .
रेशमा तो आँखे बंद करके मैं क्या क्या करने वाला हूँ उसका इंतज़ार कर रही थी.
मैं ने रेशमा की पैंटी जो गीली हो गयी थी उसको जीभ से चाट लिया.
मेरी जीभ पैंटी के उपर से चूत को छूने से रेशमा के मुँह से शीष्कारी निकल गयी.
ये वो प्यार हो रहा था जो रेशमा को उसके हज़्बेंड से नही मिला
फिर मैं ने पैंटी के अंदर अपना हाथ डाल दिया. अंदर पूरा चिपचिपा था.
मैं ने हाथ बाहर निकाल लिया और चूत के दर्शन करने के लिए तैयार हो गया.
मैं ने रेशमा की गीली पैंटी को पकड़ कर रेशमा के बदन से अलग करने लगा तो रेशमा ने
पैंटी पकड़ ली.
इस बार रेशमा ने मुझे पहली बार कुछ करने से रोका था.
मैं ने एक बार रेशमा की तरफ देखा वो ना मे गर्दन हिला रही थी.
मैं ने उसके हाथ के उपर किस किया जिस से रेशमा ने अपनी पैंटी पकड़ी थी. मेरे उसके हाथ पर
किस करते ही रेशमा ने पैंटी छोड़ दी.
और फिर पैंटी चूत के उपर से अलग हो गयी .
रेशमा का बदन अब खुल कर अपनी आज़ादी का मज़ा ले रहा था.
मुझे बस कुछ पल के लिए रेशमा की चूत दिखी.
क्यूँ की रेशमा ने अपने पैरो को मोड़ लिया जिस से रेशमा की चूत दिखना बंद हो गयी थी.
मैं ने रेशमा के पैरो पे किस करना शुरू किया.किस करते हुए धीरे धीरे उपर जाने लगा .
जब मैं ने रेशमा की जाँघो पर किस करना शुरू किया तब धीरे धीरे रेशमा अपने पैर को अलग कर
रही थी.
जैसे मैं उपर जाता वैसे उसके पैर एक दूसरे से अलग हो रहे थे.
अब रेशमा की चूत मेरे सामने थी. चाँद की रोशनी सीधे रेशमा की चूत पर गिर रही थी.
रेशमा की चूत पूरी गीली हो चुकी थी.और चाँद की रोशनी जब रेशमा की गीली चूत पर गिर रही थी तो
रेशमा की चूत चमक रही थी.
वो चमक मेरी आँखो को अपनी तरफ अट्रॅक्ट कर रही थी.
भगवान भी मुझे चाँद की रोशनी से रास्ता दिखा रहे थे.
चाँद की चमक मे वो भी रेशमा की चूत देखना बस क्या कहूँ ....मैं तो आँखो से रेशमा की
चुदाई करने लगा.
रेशमा की चूत गीली थी जिस से मुझे पहले रेशमा की चूत को प्यार करना था .
मैं ने अपनी जीभ से रेशमा की चूत को साफ करना शुरू किया.
जब भी मैं रेशमा के किसी पार्ट को अपने जीभ से टच करता तब मुझे क्या हो जाता ,मैं अपने
होश खो बैठता.
मुझे ऐसा लगता कि इस दुनिया मे रेशमा और मैं,सिर्फ़ हम दोनो ही हो ,जो सिर्फ़ प्यार करना जानते है.
मैं अपनी जीभ से रेशमा की चूत चाटने लगा. रेशमा बस एक काम कर रही थी वो था शीष्कारिया
लेना .
एक पत्नी कैसे सुहागरात के दिन अपने पति के साथ चुदाई करते हुए शरमा कर खुल कर
शीष्कारिया नही लेती उसी तरह रेशमा भी मुझसे शरमा कर शीष्कारियो पर कंट्रोल रख रही थी.
पर जो भी था उसमे मुझे एक अलग ही आनंद मिल रहा था.
रेशमा की बिना बालो वाली गुलाबी चूत अब मैं ने चाट कर साफ कर दी थी.
अब तो चाँद की रोशनी रेशमा की चूत मे जाना चाह रही थी जो मुझे पसंद नही आ रहा था.
मैं ने चाँद को कहा कि तुम्हारे पास चाँदनी है रेशमा सिर्फ़ मेरी है
फिर मैं ने अपनी जीभ को रेशमा की चूत मे डाल कर रेशमा को भी आनंद देने लगा.
रेशमा भी अपना पानी छोड़ कर मेरी प्यास भूज़ा रही थी.
मैं ने हाथो से रेशमा की चूत के होंठ खोल दिए. फिर मैं आराम से अपनी जीभ रेशमा की चूत
मे डाल कर चाटने लगा .खेलने लगा .
रेशमा की चूत मे मैं जितनी ज़ोर से अपनी जीभ अंदर डालता उतनी ज़ोर से रेशमा की चूत जीभ को बाहर
फेक देती .
जैसे कह रही थी कि मुझे जीभ नही तुम्हारा लंड चाहिए.
देना है तो लंड दो जीभ से मेरा क्या होगा. जीभ से तो मेरी आग भड़क जाएगी.
पर मैं भी कहाँ हार मानने वाला था ,मैं ने भी उसकी चूत मे जीभ डालना जारी रखा. उसकी टाइट
चूत मेरी जीभ को बाहर धकेल देती
इस खेल मे मुझे अपना ही आनंद मिल आ रहा था. साथ मे रेशमा को भी.
रेशमा तो अपनी शीष्कारियाँ और अपनी भूक पर कंट्रोल रखे हुए थी.
रेशमा की चूत के साथ अपनी जीभ से खेलने से रेशमा की चूत ने पानी छोड़ दिया .मैं ने वो
सारा अमृत पी लिया. और जीभ से चूत को साफ कर दिया.
रेशमा इतनी गरम हो चुकी थी कि उसको कुछ भी करना बर्दास्त नही हो रहा था .और वो अपना पानी
छोड़ देती

उसकी अमृत को पीने के बाद मैं ने उसकी चूत को एक बार चाट कर साफ किया.
मतलब मुझे रेशमा के साथ प्यार करते हुए समय का भी ध्यान नही रहा.
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