Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 04:57 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
आखिरकार शुभम के तेज झटकों की बदौलत निर्मला का मदन रस भलभलाकर बहने लगा,,, साथ ही वह भी झड़ गया,,, लेकिन कोमल को कुछ भी समझ में नहीं आया कि उन दोनों के बदन में ऐसा कौन सी हरकत हुई कि दोनों एकदम से थक गए दोनों शांत एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले पड़े थे।,, दोनों का काम निपट चुका था लेकिन कोमल यह नहीं जानती थी इसलिए वह अभी भी उस छेंद मे आंख गड़ाए अंदर के दृश्य को देख रही थी,,, लेकिन जैसे ही शुभम अपनी मां के ऊपर से उठा कोमल तुरंत वहां से चली गई।
कोमल अपने कमरे में आकर लंबी लंबी सांसे भर रही थी जो कुछ भी उसने कुछ देर पहले देखी उसे देखने के बावजूद भी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और होता भी कैसे क्योंकि जो कुछ भी हो रहा था वह प्रकृति के बिल्कुल विरुद्ध था,,,, क्योंकि शुभम और निर्मला के बीच हुए इस शारीरिक संबंध को समाज बिल्कुल भी किसी भी प्रकार की मान्यता नहीं देता, इसलिए तो कोमल को भी आंखों देखी ऊस नजारे पर अभी भी भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन उसने जो अपनी आंखों से देखी थी उसे झुटलाया भी नहीं जा सकता था।,,, बिस्तर पर बैठकर वह अपनी सांसो को दुरुस्त करने में लगी हुई थी लेकिन जो नजारा उसने अपनी आंखों से देखी थी वह नजारा बेहद ही कामुकता से भरा हुआ था और कोमल के लिए पहली बार ही था इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी सांसो की गति सामान्य नहीं हो रही थी। वह अनजाने में ही उत्तेजना के भंवर में फंसती चली जा रही थी,, क्योंकि मां बेटे के बीच का यह अवैध शारीरिक संबंध की वजह से उसे क्रोध कम और आकर्षण ज्यादा महसूस हो रहा था,,,। एक मन उसका यह कहता था कि दोनों के बीच हो रहे इस तरह के नाजायज संबंध ध के पात्र हैं और वह इस बारे में अपनी मां को जरूर बताएगी लेकिन तभी उसका दूसरा नाम कमरे के उससे दृश्य को याद करके उसके प्रति आकर्षित हुआ जाता था क्योंकि जिंदगी में उसने पहली बार ऐसे नजारे को देखीे थीे और अभी अभी वो जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,,, उसके बदन की शारीरिक रचनाओ में बदलाव आ चुके थे। उसका बदन भरना शुरू हुआ था होठों की लाली निखरने लगी थी,,, नींबू के आकार से नारंगी के आकार में तब्दील हो रही चूचियां छातियों की शोभा बढ़ा रही थी,,,। मोरनी सी पतली कमर पगडंडियां चलते समय बलखा जाती थी नितंबों का उभार बढ़ने लगा था कुल मिलाकर कोमल पूरी तरह से जवान हो चुकी थी लेकिन अब तक संपूर्ण रूप से अनछुई थी।,,,, बार-बार वह अपनी सांसो की गति को सामान्य करने की कोशिश करती थी लेकिन कमरे का बेहद कामुक नजारा उसकी आंखों के सामने किसी चलचित्र की भांती चल रही थी जिसके कारण वह पूरी तरह से विवश हो चुकी थी।,,,, वह बार-बार निर्मला के नंगे बदन के बारे में सोच रही थी और यह भी सोचकर अपने अंदर अजीब सी सुरसुराहट को अनुभव कर रही थी कि कैसे अपनी ही मां पर शुभम चढ़ा हुआ था और उसे चोद रहा था,,,,,
कोमल की सांसे सामान्य होने का नाम नहीं ले रही थी।
कर भी क्या सकती थी उसकी उम्र ऐसे दौर पर पहुंच चुकी थी कि जहां पर शारीरिक आकर्षण अपना स्थान ले लेती है,,,। इसलिए तो ऊसकी आंखों के सामने बार बार को धमकी ऊपर नीचे हो रही कमर और निर्मला की मोटी मोटी जांघे जिसके बीचो-बीच शुभम अपनी करामत दिखा रहा था।,,,,, कोमल के बदन का तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा था,,,। वह अजीबोगरीब परिस्थिति में फंस चुकी थी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें एक तो उसे उन दोनों के बीच के इस संबंध को लेकर क्रोध भी आ रहा था और अजीब सा उनके प्रति आकर्षण भी होता जा रहा था। सबसे ज्यादा हलचल उसे अपनी जांघों के बीच महसूस हो रहा था उसे उसकी बुर वाली स्थान हल्की-हल्की गिली होती महसूस हो रही थी। उत्तेजना के मारे उसे जोरो से पेशाब भी लगी हुई थी,। मन में निश्चय कर ली कि उन दोनों की करतूतों को वह अपनी मां को बता कर रहेगी,,,,,,
यह सोच कर वहां अपने कमरे से बाहर निकलकर पेशाब करने चली गई,,,,
दूसरी तरफ इस बात से बेखबर निर्मला और सुभम संभोग सुख का आनंद लूटने के बाद दुनिया से बेखबर नग्नावस्था में एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर चैन की नींद सो रहे थे। शाम हो चुकी थी,, लेकिन अभी तक शुभम और निर्मला कमरे से बाहर नहीं आए थे इसलिए कोमल की मम्मी कोमल को उन्हें बुला लाने के लिए बोली,,, सभी कोमल अपनी मम्मी से उन दोनों की बात बताने के उद्देश्य से बोली,,।

किसको बुला लाऊ मम्मी,,,?

अरे अपने भाई शुभम और बुआ को अब तक अपने कमरे में सो रहे हैं,,,।

अरे जाने दो ना मम्मी आराम कर रहे होंगे दिन भर काम करके थक जाते हैं,,,।( कोमल चुटकी लेते हुए बोली जो कि उसकी मम्मी नहीं समझ पा रही थी।)

अरे आज कौन सा काम था आराम ही तो कर रही है और वैसे भी उन्हें काम करने को कौन कह रहा है यहां आकर थोड़ा बैठेंगी तो उन्हें भी अच्छा लगेगा,,,।

अरे मम्मी तुम नहीं जानती यहां बैठने से अच्छा वह दोनों कमरे में ही अच्छे से आराम कर लेते है।

तु बातें मत बना जा जल्दी जाकर बुला ला। ( कोमल की मम्मी थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली)

इतना गुस्सा क्यों हो रही हो जा रही हूं बुलाने,,, अच्छा एक बात कहूं मम्मी,,, बहुत ही राज की बात है,,,,। ( कोमल अपनी मां को सारी हकीकत बता देनैं के उद्देश्य से बोली,,,।)

तू क्यों घुमा फिरा कर बातें कर रही है बता तुझे क्या बताना है,,, बड़ी आई है राज की बात बताने,,,,।
( कोमल को यही समय ठीक लगा निर्मला और शुभम की बात बताने के लिए क्योंकि इस समय वहां पर कोई भी मौजूद नहीं था और कोमल भी अपने चारों तरफ नजरें घुमा कर तसल्ली कर लेने के बाद अपनी मां के करीब आकर धीरे से बोली।)

मम्मी आज दिन में मैंने बंद कमरे में जो देखा उस पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा है,,,,
( कोमल घबराते हुए अपनी मां को सब कुछ बता देना चाहती थी लेकिन उसकी मां थी कि उसकी बात पर जरा भी ध्यान नहीं दे रही थी और वह अपने ही काम में मस्त थी,, और कोमल को भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मां से उस घटना के बारे में कैसे बोलें उसे शर्म सी महसूस हो रही थी,,,, कोमल अपनी बात को आगे पूरा करती उससे पहले ही उसकी मम्मी ने निर्मला को आते हुए देख लीे और बोली,,,,

लो वह तो खुद ही आ रही है,,,,
( इतना सुनते ही कोमल चौक कर देखने लगी निर्मला मुस्कुराते हुए जा रही थी,,, कोमल निर्मला के मुस्कुराते हुए चेहरे को ध्यान से देख रही थी और उसके चेहरे के भोलेपन के पीछे छिपी वासना की मूर्ति को पहचानने की कोशिश कर रही थी,,,, वह मन ही मन में सोच रही थी कि निर्मला को देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि वह अंदर से इतनी गिरी हुई है इतनी गंदी औरत है कि खुद के ही बेटे के साथ चुदवा रही थी,,,। इतने गौर से अपने आप को देख रही कोमल को देखकर निर्मला बोली,,, ।

ऐसे क्या देख रही हो कोमल?

ककककक,,, कुछ नहीं हुआ बस यही देख रही थी कि तुम कितनी खूबसूरत हो,,,,

नहीं बेटा मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत तुम हो (निर्मला मुस्कुराते हुए कोमल के खूबसूरत गाल को दबाते हुए बोली,,,,, निर्मला की बातों से मिलकर कोमल मन ही मन सोचने लगी कि कितनी नीच औरत है इतनी प्यारी प्यारी बातें करती है कि इसको देखकर, कोई यह नहीं कह सकता कि खूबसूरत चेहरे के पीछे गंदी औरत छुपी हुई है।,,, कोमल यह सब सोच ही रही थी कि तभी निर्मला कोमल की मम्मी से बोली,,,

आपको कुछ काम था मुझे बुलवाने भेजी थी,,

अरे ऐसी कोई बात नहीं थी दोस्तों की नहीं थी की बैठ कर इधर उधर की गपशप लड़ाएगे और साथ में काम भी हो जाएगा,,,,

कोई बात नहीं दोपहर में थकान की वजह से मैं नहीं आ सकी चलो अब बातें कर लेते,,,,
( इतना कहकर निर्मला और कोमल की मम्मी दोनों हंसने लगी लेकिन कोमल निर्मला की झूठी बातें सुनकर मन ही मन उसे भला बुरा कह रही थी,,,।)
कोमल बार-बार अपनी मां से उस रात के बारे में बताना चाह रही थी लेकिन वह किसी न किसी कारणवश बता नहीं पा रही थी खास करके उसे जब भी सही मौका मिलता तो शर्म के मारे उसके मुंह से आवाज तक नहीं निकल पा रही थी क्योंकि कोमल बेहद पर एक लड़की थी और संस्कारी थी इसलिए उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे एक मां और बेटे के बीच के शारीरिक संबंध को शब्दों में अपनी मां से कहें,,,,, लेकिन अंदर ही अंदर वह इतनी ज्यादा व्याकुल हुए जा रही थी कि बिना बताए उसे चैन भी नहीं मिलता लेकिन कैसे बताएं इसका सही समय ढूंढ रही थी।

ऐसे ही उसी रात रात को गाना बजाना हो रहा था सभी औरतें पास पड़ोस की आंगन में इकट्ठा होकर गाना बजाना और नाच रही थी। वहां पर सभी औरतें इकट्ठा थे निर्मला भी वहीं बैठ कर गाने बजाने का आनंद ले रहे थी कोमल तो बस मौका देख रही थी क्या वह अपनी मां से सारी घटनाएं बता दे इसलिए वहां बैठे हुए थे और उसके करीब ही कुछ दूरी पर शुभम भी बैठकर पहली बार गांव में शादी के उत्सव का आनंद ले रहा था लेकिन खास करके वह नाच रही औरतो कि मटकती गांड को देखकर उत्तेजित हुए जा रहा था।,,, जब औरतें अपनी गांड मत करा कर नाच रही होती तब शुभम उनकी बड़ी बड़ी गांड को देखकर एक दम चुदवासा हुए जा रहा था। इसलिए वह जुगाड़ में था कि उसके लंड को शांत करने वाली कोई मिल जाए।,,, वह ईसी ताक मे वहां बैठा हुआ था,,, कोमल बार-बार शुभम की तरफ देख रही थी लेकिन उस से नजरें मिलाने की ताकत उसमें नहीं थी क्योंकि उसे देख कर उसे दोपहर वाली सारी घटनाएं उसकी आंखों के सामने नाचने लगती थी और वह शर्म से खुद पानी पानी हुए जा रही थी।,,,
अभी कुछ देर बाद कोमल की मम्मी यानी कि शुभम की बड़ी मामी औरतों के बीच में से उठी और घर के पीछे की तरफ जाने लगी कोमल अपनी मां को देख रही थी और उसके मन में भूचाल मचा हुआ था वह किसी भी तरीके से अपनी मां को दोपहर वाली बात बता देना चाहती थी,,,, वह अपनी मां को सारी बातें बताने के लिए वहां पर जाती इससे पहले ही शुभम भी वहीं बैठ कर अपनी बड़ी मामी को घर के पीछे जाते हुए देख लिया,,, उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था और उसे अपने लिए जुगाड़ का इंतजाम होते हुए देखकर वह भी कोमल के पहले ही घर के पीछे की तरफ कदम बढ़ाने लगा,,,, यह देखकर कोमल को बड़ा अजीब लगा क्योंकि जिस तरह शुभम जा रहा था उसी तरह उसकी मां भी जा रही थी और जाहिर था कि कोमल को इस बात का अंदाजा था कि उसकी मां घर के पीछे रात के समय पेशाब करने ही जा रही थी,,, वह एकदम से सोच में पड़ गई, की इतनी रात को शुभम घर के पीछे क्या करने जा रहा है तभी वह सोचि कि हो सकता है कि वह भी पेशाब करने जा रहा है,,,, लेकिन वहां तो उसकी मां पेशाब करने गई हुई थी।

कोमल यह सोच कर हैरान हो गई कि कहीं शुभम उसकी मां को यहां पर पेशाब करते हुए ना देख ले क्योंकि शुभम को जिस हाल में हुआ अपनी मां के साथ दोपहर में देख चुकी थी,,, उसे देखते हुए उसके चरित्र पर जरा भी मुझसे भरोसा नहीं था उसे यह डर था कि कहीं उसकी नजर उसकी मां पर भी ना बिगड़ जाए इसलिए वह भी जल्दी-जल्दी पीछे की तरफ जाने,,, लगी,,, कोमल थोड़ी देर बाद ही घर के पीछे पहुंच गई वह दीवार के पीछे खड़ी होकर देखने की कोशिश करने लगी अंधेरा जरूर था लेकिन,,, चांदनी बिखरी हुई थी जिसकी वजह से सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था कोमल को उसकी मां पेड़ के नीचे खड़ी दिखाई दे रही थी और उसके कुछ ही दूरी पर शुभम भी दीवार का सहारा लेकर उसकी मां को ही देखे जा रहा था,,,, कोमल की मम्मी अभी वैसे ही खड़ी होकर अपने चारों तरफ नजरें दोड़ा रही थी,,, वह यह तसल्ली कर लेना चाह रही थी कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है और धीरे से उसने दोनों हाथों को नीचे की तरफ लाकर अपनी साड़ी के छोर को पकड़ ली,,, कोमल समझ गई थी उसकी मां अब साड़ी ऊपर उठाने वाली है,,, और यह अंदाजा शुभम भी लगा लिया था तभी तो उत्तेजना बस उसका हाथ अपने आप उसकी पेंट के उठान पर चला गया उन्हें देखकर कोमल अंदर ही अंदर सिहर उठी,,,, वह समझ गई थी शुभम उसकी मां के लिए भी गंदा ही सोच रहा है और यही कोमल को भी सही समय लगा,,, अपनी बात उसकी मा से बताने के लिए क्योंकि वह मन में सोच रही थी कि,,, उसकी मां को पेशाब करता हुआ देखकर शुभम जरूर ऐसी वैसी हरकत करेगा और उसकी मां गुस्से में आकर उसे डांटेगी,,, और वह भी क्रोधित होकर दोपहर वाली बात को अपनी मां से बता देगी यही सोचकर वह दीवार के पीछे खड़ी होकर सामने के नजारे को देखकर उचित समय का इंतजार करने लगी,,,,।
04-02-2020, 04:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कोमल टकटकी लगाए कभी अपनी मां की तरफ तो कभी शुभम की तरफ देख ले रही थी,,, अजीब सी हलचल उसके अंदर चल रही थी रात का समय था ऐसे में वह इस तरह से घर के पीछे शुभम कि और उसके मां के बीच के संबंध का राज अपनी मां को बताने के लिए अपनी मां के पीछे पीछे चल कर आई थी उसे नहीं मालूम था कि उसकी मां को पीछे आता देखकर शुभम भी उसके पीछे पीछे आ जाएगा उसका इस तरह से उसकी मां के पीछे आना ही उसके चरित्रहीन का सबूत पेश कर रहा था क्योंकि भले ही वह अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बना चुका था लेकिन उसके लिए आप दुनिया की सभी औरतों के साथ किसी भी प्रकार का पवित्र रिश्ता की भावना उसके मन में बिल्कुल भी नहीं थी तभी तो वह,,, इस तरह से अपनी बड़ी मामी को प्यासी नजरों से देखता हुआ पैंट के ऊपर से ही अपना लंड दबा रहा था। यही सब कोमल अपने मन में सोच रही थी और बराबर दोनों पर नजर रखी हुई थी कोमल तो इसी मौके की तलाश में थी कि शुभम उसकी मां के साथ कुछ ऐसा वैसा हरकत करें और मौका देख कर कोमल अपने मन में चल रही हलचल को बाहर निकाल दे वरना वह कभी भी अपनी मां से उन दोनों के बीच के रिश्ते के बारे में नहीं बता पाएगी,,,।
अभी भी कोमल की मां चारों तरफ देखकर पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी क्योंकि रात होने के बावजूद भी चारों तरफ हल्का हल्का चांद की रोशनी में सारा वातावरण नहाया हुआ था और वैसे मैं किसी का भी इस अवस्था में नजर पड़ जाना लाजमी ही था वह तो अच्छा हुआ कि रात का समय था इसलिए पीछे कोई आता नहीं लेकिन इस समय की बात कुछ और थी।
शुभम के बदन में भी हलचल मची हुई थी क्योंकि कुछ देर पहले ही वह औरतों की मटकती हुई गांड को देखकर उनके नृत्य का आनंद ले कर उत्तेजित हो चुका था। और इस समय वह बुर के लिए तड़प रहा था वह चाहता तो अपनी मा से कह कर उसे कमरे में चलने के लिए कह सकता था और वहां जाकर वहां अपने लंड की तड़प को मिटा सकता था लेकिन जानता था कि उसकी मां वहां से जाने वाली नहीं है क्योंकि अगर वह इस तरह से बीच में उठ कर चली जाती तो लोगों को अच्छा नहीं लगता,,, वह यह मन में सोच कर परेशान हो रहा था कि चलो उसकी मां ना सही उसकी मामी ही सही,,, एक हाथ से पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए अपनी मामी की तरफ देख रहा था और वह जानता था कि उसकी मामी,,, अपनी साड़ी उठाकर, पेशाब करने के लिए बैठने वाली है ऐसा अद्भुत और मादक नजारा के बारे में कल्पना करके ही वह कामोत्तेजित हुआ जा रहा था।,,, और देखते ही देखते कोमल की मां अपनी साडी पकड़कर ऊपर की तरफ धीरे-धीरे उठाने लगी,,, खुदा की तो सांसे ही अटक गई थी वह सांसों को थामे सामने के नजारे को अपनी आंखों से पीने की भरपूर कोशिश कर रहा था,,,,।
कोमल भी अच्छी तरह से जानती थी कि कुछ ही देर में इसकी मां की बड़ी बड़ी गांड शुभम की आंखों के सामने नंगी होगी उसे इस तरह से शुभम को उसकी मां की नंगी गांड को देखना अच्छा तो नहीं लगेगा लेकिन वह पूरी तरह से मजबूर थी क्योंकि वह तो मौके की तलाश में थी और अपने मन की बात कहने के लिए उसे इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता था इसलिए वह मनमारके इंतजार करने लगी,,,।
एक तरफ तो उसे इस अवस्था में अपनी मां को देखने में और शुभम जो की ऊसकी मां को देख रहा था,,, यह सब से उसे अंदर ही अंदर गुस्सा भी आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों उसके तन-बदन में अजीब सी हलचल भी मची हुई थी चाहती तो वह इसी समय चिल्लाकर अपनी मां के सामने शुभम और उसकी मां का भांडा फोड़ सकती थी लेकिन ना जाने कौन सा अजीब आकर्षण सा हुआ जा रहा था कि वह,,, ना चाहते हुए भी सब कुछ अपनी आंखों से देखे जा रही थी,,,, क्योंकि उसके अंदर एक अच्छी सी उत्सुकता जगने लगी थी और वहं भी इसकी उत्सुकता की उसकी मां की बड़ी-बड़ी नंगी गांड को देखकर एक लड़का क्या सोचता है,,, उसे कैसा अनुभव होता है और यही देखने के लिए वह सब्र कर रही थी ताकि शुभम के अंदर क्या चल रहा है इस बात का पता लगाया जा सके,,,।
वैसे दोपहर में जो चुदाई का नजारा उसने कमरे के अंदर और भाभी एक मां और बेटे के द्वारा देखी थी उसे देखते हुए उसके मन में बार-बार अजीब सी हलचल महसूस हो रही थी उसकी आंखों के सामने वही द्गश्य बार-बार नाच जा रहा था,,,। और इस समय उसकी तन-बदन में उसी कामुकता भरी नजारे का ही असर था कि एक बेटी होने के बावजूद भी वह एक लड़के को अपनी मां को नंगी होते हुए देखना चाह रही थी,,,, भले ही उसका इरादा कुछ और हो लेकिन भावनाएं बट चुकी थी।
कोमल की सांसो की गति तीव्र होती जा रही थी और सामने उसकी मां धीरे-धीरे अपनी साड़ीे को उठाकर घुटनों तक कर ली थी,,,, कोमल की नजरे बराबर शुभम पर उसकी मां पर टिकी हुई थी,,, घर के पीछे तक ढोलक की आवाज़ आ रही थी,,, जिसकी आवाज के साथ थाप लगाते हुए औरतें नाच रहीे थी।,, कोमल के मन में थोड़ी बहुत घबराहट का एहसास हो रहा था,,, उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई इधर आ ना जाए और उन लोगों को इस हाल में ना देख ले।,,, क्योंकि इस समय कोई भी उसे इस हाल में देख लेगा तो ना जाने मन में क्या सोचेगा क्योंकि वह खुद सबसे पीछे खड़ी थी। शुभम उसके आगे पेड़ के पीछे खड़ा था और उसकी मां जो कि इस समय साड़ी को उठाकर घुटनों तक लाकर इधर-उधर देख रही थी वह खड़ी थी,,, सच में अगर कोई भी उन लोगों को इस हाल में देखता तो उसके मन में उन तीनों के प्रति ना जाने कैसे विचार मन में उमड़ने लगते इसलिए कोमल इधर उधर देख ले रही थी।,,,
शुभम के साथ-साथ कोमल की भी सांसे थम गई थी नजारा ही कुछ ऐसा था की कोमल भी व्याकुल मन से अपनी मां की हरकत को देख रही थी चारों तरफ से तसल्ली कर लेने के बाद कोमल की मम्मी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी और अगले ही पल वह अपनी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठा दी यह नजारा देखते ही कोमल के भी बदन में सुरसुराहट होने लगी खास करके कोमल के बदन में हो रही अजीब सी हलचल इस बात से थी कि शुभम उसकी मां की नंगी गांड को प्यासी नजरों से देख रहा था और कहीं ना कहीं यह बात कोमल को आकर्षित भी कर रही थी,। कोमल की मम्मी कुछ देर तक यूं ही साड़ी को कमर तक उठाए अपनी नंगी गांड का प्रदर्शन करती रहे लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि उसे इस हाल में खुद उसकी लड़की और उसका भांजा शुभम देख रहे हैं। अपनी मां की बड़ी-बड़ी और नंगी गांड देखकर खुद कोमल की बुर में अजीब सी शुरसुराहट होने लगी,,,,।
शुभम तू अपनी आंखों के सामने औरत की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को देखकर और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया और उससे रहा नहीं गया, कोमल की मां पेशाब करने के लिए नीचे बैठे थे इससे पहले भी शुभम ने अपने थे पजामे को नीचे सरका कर अपने मोटे तगड़े लंड को बाहर निकालकर हिलाने लगा,,, कोमल की नजर जैसे ही शुभम की इस हरकत पर गई उसकी सांसो की गति उत्तेजना की वजह से तीव्र होने लगी वह साफ-साफ देख पा रहेी थीे कि शुभम अपने मोटे लंड को पजा तमें से बाहर निकालकर हीला रहा था। शुभम को मोटे लंबे और भयानक लंड को देखकर आश्चर्य से कोमल की आंखें फटी की फटी रह गई,,, जिंदगी में पहली बार वह किसी जवान मर्द के लंड को देख रही थी। कोमल यह नजारा देखकर एकदम से उत्तेजित होने लगी लेकिन यह उत्तेजना उसके समझ के परे था। जांघो के बीच के अंग मे उसे कंपन सा महसूस होने लगा।,,,, कोमल तो एक दम से मदहोश होकर शुभम की तरफ ही देखे जा रही थी और वह था कि अनजाने मे हीं कोमल की उत्तेजना बढ़ाते हुए,, अपने लंड को लगातार हिलाते हुए मुठिया रहा था।,,, शुभम अपनी बड़ी मामी की नंगी गांड को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था।,,, उसके मन में अपनी बड़ी मामी को चोदने का ख्याल पूरी तरह से आ गया था। उसके लंड का सुपाड़ा पूरी तरह से फुलकर लाल टमाटर की तरह हो गया था। जोकी गुलाबी बुर की पत्तीयों के बीच प्रवेश करने के लिए तड़प रहा था,,,। शुभम जानता था कि यह काम उसके लिए बेहद आसान है क्योंकि एक बार वह अपनी मामी की चुदाई कर चुका था जिससे उसकी मामी पूरी तरह से संतुष्ट भी हुई थी,,,, कोमल की सांसे तीव्र गति से चल रही थी,,, चेहरे पर छाई लालिमा उसके उत्तेजित होने तो सबूत पेश कर रही थी।,,, कोमल कभी अपनी मां की तरफ तो कभी शुभम की तरफ देख नहीं रही थी दोनों तरफ उत्तेजना से भरा हुआ आकर्षण ऊसे अपनी तरफ खींच रहा था।,,,, तभी देखते ही देखते कोमल की मां पेशाब करने के लिए नीचे बैठने लगी जहां पर वह खड़ी थी वहां पर बड़ी बड़ी घास उगी हुई थी,,, जिसकी वजह से कोमल की मां पूरी तरह से बैठ नहीं पाई और वह अपनी गोलाकार भरावदार गांड को घास को स्पर्श ना हो इस तरह से हल्के से ऊपर की तरफ हवा में लेहराते अपनी बुर की गुलाबी छेद में से नमकीन पानी की धार फेंकने लगा। यह देखकर कोमल पूरी तरह से मदहोश होने लगी हालांकि वह पहले भी अपनी मां को इस तरह से पेशाब करते हुए देख चुकीे थी। लेकिन आज बात कुछ और थी क्योंकि आज वह एक जवान लड़के को भी, अपनी मां को पेशाब करते हुए देख रही थी कोमल के तन-बदन में उत्तेजना की चिंगारी भड़क रही थी उसका बदन कसमसा रहा था लेकिन वह अपने बदन में हो रही ईस मादक कसमसाहट को पहचान नहीं पा रही थी।,,,

वातावरण में गूंज रही तबले की आवाज के साथ साथ कोमल मां की बुर से ऊठ रही सीटी की आवाज घुल मिल जा रही थी,, जो कि पूरे माहौल को मादकता से भर दे रही थी,,, शुभम के तन-बदन में कामाग्नि की ज्वाला फूटने लगी, उससे अब यह बेहद मादक नजारा सहा नहीं जा रहा था। सहा भी कैसे जाता जब आंखों के सामने एक औरत अपनी बड़ी बड़ी गांड को किसी स्वादिष्ट पकवान की तरह परोस कर खड़ी हो तो भला कोई कैसे अपने मन को उस पकवान का स्वाद ना चखने के लिए मना पाएगा,,, शुभम से भी रहा नहीं गया और वहां धीरे धीरे अपने लंड को हाथ में पकड़े आगे की तरफ बढ़ने लगा यह देख कर कोमल सचेत हो गई,,,
वह समझ गए कि शुभम कुछ गंदी हरकत जरुर करने वाला है और यही उसके लिए अच्छा मौका भी था लेकिन उसके मन में न जाने कैसी हलचल मची हुई थी कि वह खुद अपनी आंखों से कुछ और भी देखना चाहती थी।
04-02-2020, 04:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
जिसकी उसने शायद कभी कल्पना भी नहीं की थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था बदन मे उत्तेजना की लहर अपना असर दिखा रही थी। खास करके जांघो के बीच गुदगुदी के साथ-साथ कपकपी भी महसूस हो रही थी।,,, जिस तरह से वह जोश के साथ अपने लंड को हाथ में लिए अपनी मामी की तरफ बढ़ रहा था उसे देखते हुए कोमल के मन में अजीब से ख्याल आ रहे थे उसे लगने लगा था कि शुभम कुछ ज्यादा ही करने के फिराक में है। वह कभी शुभम की तरफ तो कभी अपनी मां की तरफ देख रही थी उसकी मां तो बिल्कुल अंजान होकर पेशाब करने में मस्त थी। उत्तेजना और उत्सुकता की वजह से कोमल की सांसें तीव्र गति से चल रही थी।
जैसे जैसे शुभम अपने कदम आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे कोमल के बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी। उसे अपनी बुर मे से कुछ रिश्ता हुआ महसूस हो रहा था जिसको वह समझ नहीं पा रही थी।,,,
शुभम धीरे-धीरे कोमल की मां के बिल्कुल करीब उसके पीछे पहुंच गया उसकी मां और शुभम के बीच का फासला एकदम से कम हो चुका था लेकिन ना जाने किस वजह से कोमल की मां को बिल्कुल भी महसूस नहीं हुआ कि उसके पीछे कोई खड़ा है। ऐसा लगता था कि वह कुछ ज्यादा ही मशगुल हो गई थी पेशाब करने में। कोमल को रात की ईस चांदनी ऊजाले में शुभम का मौटा खड़ा लंड साफ नजर आ रहा था,, जिसे देखकर उसके लिए यकीन कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था कि मर्दों का लंड इतना मोटा और तगड़ा होता है। कोमल को उसकी मां की बुर भी साफ नजर आ रही थी जिस पर बाल उगे हुए थे और उसकी गुलाबी फांकें किसी गुलाबी पत्तेी की तरह बाहर को निकली हुई थी। क्योंकि उसकी मां कुछ इस तरह से अपनी भरावदार गांड को हवा में उठाकर पेशाब कर रही थी कि कुछ भी देख पाना असंभव नहीं था। शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसे अपनी बड़ी मामी की रसीली बुर साफ नजर आ रही थी। लेकिन वह इस तरह से खड़े खड़े अपने लंड को उसकी बुर में डाल नहीं सकता था इसलिए वह थोड़ा सा झुक गया और जैसे ही उसे लगने लगा कि अब वह आराम से अपने लंड को उसकी बुर में डाल सकता है तो तुरंत,,, वह अपनी कमर को आगे की तरफ करके,,, अपने लंड कै सुपाड़े को उसकी रसीली बुर से सटा दिया,,,,, जैसे ही कोमल की मम्मी को अपनी बुर पर कुछ स्पर्श होता हुआ महसूस हुआ वह एक दम से चौंक गई,,,, कोमल को भी यही सही मौका लगा शुभम को रंगे हाथ पकड़ वाने का और उसके कामलीला का पर्दाफाश करने का,,, क्योंकि सुबह मैंने अभी मात्र अपने लंड के सुपाड़े को उसकी बूर से सटाया भर था। वह नहीं चाहते थे कि जिस तरह से शुभम का लंड उसकी मां की बुर में पुऱाघुसकर चुदाई कर रहा था वैसे ही उसकी मां की भी करें,,, आगे बढ़ कर इतने पर ही रोक देना चाहती थी,,, लेकिन इस तरह का मादक नजारे का आकर्षण उसे ऐसा करने से रोक रहा था,,,,। उसका दिमाग कह रहा था कि शुभम को यहीं पर रोक दिया जाए लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था उसके मन में यही आ रहा था कि शुभम थोड़ा और आगे बढ़े,,,, अजीब सी कशमकश में फंसी हुई थी कोमल एक तो वह खुद ही शुभम का पर्दाफाश कर देना चाहती थी और,,, अपनी मां को शुभम से कुछ और ज्यादा करते हुए देखना चाह रही थी। उसकी एक आवाज सब कुछ वही का वही रोक देती, लेकिन इस समय ना तो उसके कदम आगे भी बढ़ रहे थे ना तो उसके मुंह से कुछ शब्द ही निकल रहे थे।,,, वह दीवार के पीछे खड़ी बस अपनी मां को चोंकता हुआ देख रही थी। उसे यह लग रहा था कि शुभम की हरकत पर उसकी मां जरूर उसे डाटेगी और शोर शराबा करेगी तब वह अपना काम कर देंगी।

ओहहहह,,,, ककककक,,,, कोन है ?
( वह चौक ते हुए इतना कहीं ही थी की,,, शुभम अपने दोनों हाथों से उसकी कमर थाम कर अपनी कमर को और ज्यादा आगे की तरफ धकेल दिया जिससे उसका पूरा का पूरा लंड उसकी मां की बुर की गहराई में उतर गया,,,, अनुभवी कोमल की मम्मी इतना तो समझ ही गई थी की उसकी बुर में लंड घुस रहा है,,,, लेकिन किसका और कौन इतनी साहस कर सकता है यह देखने के लिए जैसे ही वह चोंकते हुए पीछे की तरफ गर्दन घुमा कर देखी,,,तो शुभम बोल पड़ा,,,,

मैं हूं मामी,,,
( शुभम की आवाज को पहचान कर ओर उसकी तरफ देख कर उसे तसल्ली हो गई क्या कोई और नहीं बल्कि सुबह भी है तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट फैल गई और वह बोली।)

ओहहहहह तु है। मुझे लगा कोई और है,,।

( कोमल तो यह सुनकर एकदम से सकपका गई उसे झटका सा लगा,,, उसे उन दोनों के बीच की वार्तालाप और हरकत को देखकर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ हुआ देख रही है एक दम सच है। कोमल को उसकी मां की बात सुनकर ऐसा लगने लगा कि दोनों के बीच पहले से यह सब चल रहा है इसे तो लगा था कि उसकी मां शुभम को डांटेगी फटकारोगी,, लेकिन उस की आंखों के सामने नजारा कुछ और ही था।,, उन दोनों के सामने आकर उनके कार्यक्रम को वही का वही रोक देना चाहती थी वह नहीं चाहती थी कि शुभम उसकी मां के साथ आगे बढ़े लेकिन ना जाने कैसी अजीत से हालात सामने आ गए थे कि वह चाहते हुए भी उन्हें रोक नहीं पा रही थी। वह अपनी आंखों से इससे आगे भी कुछ और ज्यादा देखना चाह रही थी।
कोमल अपनी आंखों से साफ-साफ देख पा रहे थे कि जिस तरह से शुभम उसकी मां की कमर को थामे हुए हैं। और उसकी मां उसे रोकने की या तों ऊसे हटाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही है। उसे देखते हुए कोमल समझ गए कि इन दोनों के बीच यह सब चल ही रहा है। तभी वह अपनी मां के मुंह से हल्की सी चीख और सिसकारी की आवाज सुनकर एक दम से चौंक गई,,, और उन दोनों की तरफ ध्यान से देखि तो पाई की शुभम की मोटा लंड ऊसकी मा की बुर की गहराई में पूरा का पूरा समा गया है।

आहहहहहहहह,,,,,,, सससससससहहहहहह,,, शुभम

( अपनी मां की मदद पिचकारी की आवाज कोमल को बेचैन कर रही थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अगर उसकी मां को दर्द कर रहा है तो वह फिर भी शुभम को रोक क्यों नहीं रही है क्योंकि शुभम उसकी मां की कमर को पकड़ कर अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपने लंड को उसकी मां की बुर के अंदर बाहर कर रहा था,,,। बड़ा अजीब सा नजारा कोमल को लग रहा था क्योंकि उसकी मां झुकी हुई थी और साथ ही शुभम भी झुका हुआ था।,,,,, शुभम के ईस एका एक हमले की वजह से तो घबराहट में उसकी पेशाब ही रुक गई थी,,,, कोमल पूरी तरह से हैरान थी कि उसकी मां भी शुभम का साथ दे रहीे थी। वह उसी तरह से उसी स्थिति में झुकी हुई शुभम से चुदवा रही थी उसे अब इस बात की बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी कि वह घर के पीछे खुले में इस हाल में चुदाई का मजा लूट रही थी। उसे इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी कि कोई भी उधर आ सकता था,,, कोमल की तो हालत खराब हो गई थी आई थी पर्दाफाश करने लेकिन एक और राज उसकी आंखों के सामने नजर आ गया,,,। दोनों मस्ती के सुरूर में खोने लगे थे कोमल की मां शुभम के मोटे लंड का मजा ले रही थी तभी वह बोली,,,,।

धत्,,,, तूने तो मुझे डरा ही दिया पता है मेरी तो पेशाब ही बंद हो गई,,,।

तो क्या हुआ मेरी जान अभी कर लो (शुभम हल्के हल्के अपनी कमर हिलाते हुए बोला,,, कोमल अपनी मां के मुंह से इस तरह से खुले शब्दों मे बात सुनकर एकदम से दंग रह गई,,,, और शुभम भी जिस तरह से बेशर्मों की तरह उसकी मां से बातें कर रहा था वह काफी हैरान कर देने वाला था।,,, कोमल को ना तो अपनी आंखों पर भरोसा हो रहा था ना कानों पर। और विश्वास होता भी कैसे उसकी कल्पना के विपरीत यह नजारा जो की आंखों के सामने था।,,, तभी कोमल की मां बोली,,,।

इधर नहीं सुभम इधर कोई भी आ सकता है अभी सभी औरतें जाग रही हैं,, चल उसके सामने की झोपड़ी में चलते हैं वहां कोई नहीं आएगा,,,,।

तो चलो वही पर तुम्हे आराम से चोदुंगा,,,

रुक जा पहले पेशाब तो कर लुं, तू पहले मैरी बुर से अपना लंड निकाल,,,,

एेसे ही कर लो ना मेरी जान मुझे बहुत अच्छा लग रहा है,,,

तू भी ना बहुत शैतान है,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह फिर से चुदवाते हुए ही पेशाब करना शुरू कर दी,, कोमल तो पूरी तरह से सदमे मे थी। जिस तरह से उसकी मां खुले शब्दों में बातें कर रही थी,,, ऊसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह जो देख रही है और सुन रही है वह हकीकत ही है या कि वह सपना देख रहीे हैं।,,,, उसे गुस्सा भी आ रहा था और जवानी की शुरुआत होने की वजह से एक तरह का आकर्षण भी होता जा रहा था कोमल अपनी आंखों से देख रही थी कि उसकी मां की बुर में सुभम का मोटा लंड अंदर बाहर हो रहा है। और उसकी मां ऐसे हालात में पेशाब भी कर रही हो वास्तविकता यही थी कि यह नजारा कुछ ज्यादा ही मादक था जिससे कोमल पूरी तरह से प्रभावित होती जा रही थी उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी और उसे उसकी बुर पूरी तरह से गीेली महसूस होने लगी थी। दीवार के पीछे खड़ी होकर वहां अब इस नजारे का पूरी तरह से आनंद ले रही थी यह इसलिए कहा जा सकता था क्योंकि अगर वह चाहती तो यह सब होने से पहले ही दोनों को रोक सकती थी। लेकिन वहां दोनों को रोकी नहीं उसके मन में कहीं न कहीं उन दोनों को इस स्थिति में देखने का उसका भी मन था।
कोमल की मां पेशाब कर चुकी थी। दोनों सामान्य स्थिति में खड़े हो गए शुभम ने अपने लंड को उसकी ओर से बाहर निकाल लिया था जो कि कोमल की आंखों के सामने बड़े ही भयानक तरीके से ऊपर नीचे होता हुआ हील रहा था। यह देखकर अनजाने में ही कोमल की बुर कुलबुलाने लगी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतना मोटा तगड़ा लंड उसकी मां की बुर के अंदर पूरा का पूरा समा गया था। जब वह दोनों खड़े हुए तो वह दीवार की ओट में छुप गई और उन दोनों का झोपड़ी में जाने का इंतजार करने लगी,,, दोनों जैसे ही झोपड़ी में प्रवेश किए कोमल की नजरें बचाते हुए धीरे-धीरे झोपड़ी के करीब पहुंच गई,,,, झोपड़ी में हल्की सी छोटी सी खिड़की बनी हुई थी और कोमल उसी खिड़की के करीब पहुंच गई,,, और जैसे ही वह खिड़की से अंदर की तरफ झांकी,,,, अंदर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से चौक गई,,,, उसकी मां घुटनों के बल बैठ कर शुभम के मोटे लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी,, ।

और सुभम हल्के से नीचे की तरफ झुक कर उसकी मां के बिना उसके सारे बटन खोल कर उसकी चूचियों को दबा रहा था,,, कोमल के लिए यह नजारा उसके कोमल मन पर भारी पड़ रहा था। उसकी आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से बेशर्मी दिखाते हुए अपने ही भांजे का लंड मुंह में लेकर चूस रही थी। शुभम उसकी मां की नंगी चूचियों को जोर-जोर से दबाता हुआ सिसकारी भी भर रहा था।

ससससहहहहहह मेरी जान बहुत मस्त चूचियां है तेरी इन्हें दबाने में बहुत मजा आता है,,, ऐसे ही चूस मेरा लंड और मैं तेरी चूची दबाता हूं।

( शुभम की यह सब बातें कोमल को बहुत ही गंदी लग रही थी लेकिन फिर भी उसे ना जाने क्यों इन सब बातों में मजा भी आ रहा था उसकी मां और शुभम दोनों एक दूसरे में पूरी तरह से खो चुके थे उन दोनों को यह भी नहीं मालूम था कि बाहर खिड़की से दो आंखें उन्हें ही झांक रही है,,,। सुबह दोनों निश्चिंत होकर एक दूसरे के अंगों से पूरी तरह से मजा ले रहे थे,,,।
04-02-2020, 04:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कोमल से यह गर्म नजारा बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था उसका हाथ खुद ब खुद सलवार के ऊपर से ही उसकी बुर के करीब पहुंच गई जो की पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसकी बुर आखिर गीली क्यों हो गई। उसे तो बस अंदर का नजारा देखकर अपने बदन में हो रही कसमसाहट को वजह से कुछ कर जाने को मन कर रहा था इसलिए वह हल्के हल्के सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसलने लगी,,,,,। यह झोपड़ी इंधन के लिए लकड़ी रखने के काम आती थी,,, यहां कोई इस वक़्त रात में आ भी नहीं सकता था,,, चारों तरफ सूखी लकड़ियां और सूखी घास फूस रखे हुए थे। कोमल अंदर का नजारा देखकर पूरी गरम हो चुकी थी।,,,, तभी सुभम
अपना लंड उसके मुंह में से बाहर निकाल कर उसे सूखी हुई घास पर लिटा दिया,,, और उसकी टांगों के बीच जगह बना कर उसकी बुर में अपना लंड पेल दिया,,,,
एक बार फिर से दोनों की गरम सिसकारियां गूंजने लगी अपनी मां के मुंह से ऐसी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर कोमल पूरी तरह से उत्तेजना की लहर में गोते खाने लगी,,,। शुभम जोर-जोर से अपनी कमर हिलाते हुए अपने मोटे लंड को कोमल की मां की बुर में अंदर बाहर करते हुए चोद रहा था।,,, कोमल के मन से पूरी तरह से क्रोध गायब हो चुका था और इस समय कहां अपनी मां को इस तरह से चुदवाते हुए देखकर पूरी तरह से कामोत्तेजित हो चुकी थी वह जोर जोर से सलवार के ऊपर से अपनी बुर को रगड़ रही थी। शुभम और कोमल की मां पूरी तरह से चुदाई का आनंद लूट रहे थे अभी भी घर के आंगन में गाना बजाना शुरू था तबले की थाप अभी तक सुनाई दे रही थी। अजीब सा माहौल बना हुआ था। घर में शादी का माहौल था समाज की औरतें घर के आंगन में गाने बजाने के लिए इकट्ठे हुई थी और ऐसे में घर की बड़ी बहू घर के पीछे जाकर चोरी छुपे अपने भांजे से चुदाई का आनंद लूट रही थी।
शुभम और उसकी मामी झोपड़ी में पूरी तरह से संभोगरत होकर आनंद लुट रहे थे और कोमल झोपड़ी के बाहर खड़ी होकर अपनी गर्मी शांत करने की कोशिश कर रही थी तीनों अपने अपने कार्य में पूरी तरह से मशगूल हो गए थे,,,, कोमल की मां की सांसे और उसकी सिसकारी इतनी तीव्र हो चुकी थी की झोपड़ी के बाहर भी साफ तौर पर सुनाई दे रही थी।,,,, जो कि पूरे वातावरण को मदहोशी से भर दे रही थी कोमल झोपड़ी की खिड़की से आंख लगाएं अंदर का नजारा देखते हुए अपनी बुर को सलवार के ऊपर से मसल रही थी,,, शुभम की कमर बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी उसके धक्के पूरी जोटदार उसकी बुर से टकरा रहे थे,, दोनों झड़ने के बिल्कुल करीब पहुंच चुके थे कि तभी एक मोटा चूहा ,,, कोमल के पैरों से होता हुआ गुजरा और वह एकदम से डर गई और डर के मारे उसके मुंह से चीख निकल गई,,,,, और उसकी चीख निकलते ही शुभम के साथ साथ कोमल की मां भी चौकते हुए खिड़की की तरफ देखी तो वहां पर कोमल खड़ी थी,,, कोमल और उसकी मां की नजरे आपस में टकराई,,, कोमल की मां और कोमल खुद एक दूसरे की आंखों में देख कर शर्मिंदा हो गए, सुभम भी कोमल को देख लिया,,, तीनों की नजरें आपस में टकरा गई थी कोमल तो वहां से जल्दी से चली गई,,, कोमल की मां अपने आप को इस हालत में अपनी बेटी द्वारा देख लेने पर एकदम से शर्मिंदा हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें और वह आश्चर्य से सुभम से बोली,,,।

अब क्या होगा शुभम कोमल ने तो हम दोनों को इस हालत में देख ली,,,।
( शुभम भीं यह जानता था कि जो हुआ वह अच्छा नहीं हुआ वह अभी भी कोमल की मां पर चढ़ा हुआ था और उसका लंड ऊसकी बुर में था। लेकिन अभी भी ना तो वह झढ़ा था ना ही उसकी मामी,, और दोनों झड़ने के बिल्कुल करीब थे इसलिए सुभम बोला,,।)

कोमल ने तो हम दोनों को देख ही ली है,,, इसलिए जो होगा देखा जाएगा लेकिन इस समय अपना मजा क्यों खराब करें,,,, (और इतना कहने के साथ ही शुभम फिर से अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए हिलाने लगा,,, कोमल की मम्मी जो भी समय पूरी तरह से डरी हुई थी वह भी शुभम की बात से पूरी तरह से सहमत हूं क्योंकि वह भी झड़ने के बिल्कुल करीब पहुंच चुकी थी इसलिए वह भी शुभम को अपनी बाहों में कस के भीच ली और उसके हर धक्के का मजा लेने लगी,,,,। दोनों बाद की बात को बाद में सोचने के लिए छोड़कर मजा लूटने लगे,,, और करीब जबरदस्त 10,,,ववव15 धक्को में ही दोनों का पानी निकल गया,,,,।
04-02-2020, 04:59 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कोमल ने तो हम दोनों को देख ही ली है,,, इसलिए जो होगा देखा जाएगा लेकिन इस समय अपना मजा क्यों खराब करें,,,, (और इतना कहने के साथ ही शुभम फिर से अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए हिलाने लगा,,, कोमल की मम्मी जो भी समय पूरी तरह से डरी हुई थी वह भी शुभम की बात से पूरी तरह से सहमत हूं क्योंकि वह भी झड़ने के बिल्कुल करीब पहुंच चुकी थी इसलिए वह भी शुभम को अपनी बाहों में कस के भीच ली और उसके हर धक्के का मजा लेने लगी,,,,। दोनों बाद की बात को बाद में सोचने के लिए छोड़कर मजा लूटने लगे,,, और करीब जबरदस्त 10,,,ववव15 धक्को में ही दोनों का पानी निकल गया,,,,।
कोमल की मम्मी यह जानते हुए भी कि कोमल ने मुझसे शुभम के साथ चुदवाती हुए देख ली है,,, फिर भी वह शुभम को चोदने से मना नहीं कर पाई क्योंकि वह चरम सुख के बेहद करीब पहुंच चुकी थी जहां पर पहुंचकर कोई भी औरत या मर्द अच्छे बुरे की परख अपने पराए सही-गलत सब कुछ भूल कर उस चरम सुख को प्राप्त करने में उसे महसूस करने में जुट जाता है और वही चरम सुख को प्राप्त करने के लिए कोमल की मां में भी शुभम को कोमल के द्वारा देखे जाने पर भी उसे रोक पाने में विवस हो गई और चुदाई का परमसुख और चरम सुख महसूस करने के बाद ही वह शुभम को अपने ऊपर से हटाई।
,,, शुभम और कोमल की मम्मी दोनों धीरे से औरतों के मजमे के बीच आकर बैठ कर गाने बजाने और नृत्य का आनंद लेने लगे,,,, लेकिन अब गाने बजाने में न तो शुभम का ही मन लग रहा था और ना ही कोमल की मम्मी का,,, दोनों के मन में डर बैठ गया था और खास करके कोमल की मम्मी के मन में उसे इस बात का डर बराबर बना हुआ था कि अगर कोमल नहीं है बात सबको बता दी तो ना जाने कैसी आफत आ जाएगी,,, कोमल की मम्मी औरतों के नाच गाने का आनंद ना लेते हुए कोमल को ही ढूंढ रही थी लेकिन कोमल वहां पर मौजूद नहीं थी कोमल को उसकी मां और शुभम के बीच का गरमा-गरम नजारा देखकर पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और वह अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई थी।
वह बार-बार उस कर्म नजारे को याद करके बिस्तर पर करवटें बदल रही थी। घर के पीछे का वह बेहद कामुक नजारा उसके तन बदन को झकझोर दे रहा था। उसे अभी भी समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ भी उसने देखी वह वास्तविक ही था या उसका वहम या तो फिर कोई सपना था। स्वामी यही सोच रही थी कि वह तो शुभम और उसकी मां का पर्दाफाश करना चाहती थी उसकी मां को शुभम और उसकी मां के बीच के गलत संबंध के बारे में बताना चाहती थी लेकिन उसकी आंखों के सामने से कुछ और ही नजर आ गया,,,। तमन्ना यही सोच कर परेशान थी कुछ इस तरह से सुदामा रे सीमा आपस में बातें करते हैं वह एक दूसरे के बटन से खेल रहे थे इसका मतलब साफ है कि दोनों मैं इससे पहले भी इस तरह के नाजायज संबंध को अंजाम दिया था। दोनों के बीच पहले से ही शारीरिक संबंध का रिश्ता बन चुका था तभी तो वह दोनों कितनी आसानी से एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर चुदाई का आनंद ले रहे थे। वह मैंने यही सब सोच कर परेशान हो जा रही थी क्योंकि उसे अपनी मां से इस तरह की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी अब वहां शुभम और उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में किसी को बताए भी तो कैसे बताए क्योंकि अब तो शुभम से उसकी मां खुद चुदवा रही थी,,,। उसे नहीं रह कर अपनी मां से नफरत सी हो रही थी और जिस तरह से शुभम और उसकी मां चुदाई का आनंद लूट रहे थे उसे याद करके उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर भी दौड़ रहेी थी और बार-बार ना चाहते हुए भी वह उसी गरमा गरम दृश्य के बारे में सोच रही थी।,,,,
उसे यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि आंखों के सामने कभी इस तरह के भी दृश्य नजर आएंगे,,, जिसके बारे में उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी।,,, वह बिस्तर पर करवट बदलते हुए बार-बार यही सोच रही थी कि कि उसे शुभम जब उसकी मां ने पेशाब करने के लिए अपनी साड़ी को अपनी गांड के ऊपर तक उठा ली थी,, तब कैसे शुभम एकदम से चुदवासा होकर अपनी पेंट से अपना लंड बाहर निकाल कर हीलाने लगा था।,,,, वह कैसे उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड को देखकर एकदम पागल हो गया था।,,, और जब उसकी मां पेशाब कर रही थी तो उससे रहा नहीं गया और वह कैसे उसके पीछे जाकर के झुककर उसकी बुर में लंड डालकर उसे चोदना शुरू कर दिया था,,,। यह सब सोचकर कोमल को गुस्सा भी आ रहा था की उसकी मां को शुभम को रोकना चाहिए था लेकिन वह तो खुद शुभम की हरकत का मजा ले रही थी,,,, कोमल के मन में यह सोचते हुए उसकी मां के प्रति धिक्कार की भावना जागरुक हो रहे थे क्योंकि उसकी मां चाहती तो सब कुछ रोक सकती थी लेकिन उसकी मां की भी यही इच्छा थी तभी तो वह खुद उसे झोपड़ी में चलने के लिए बोली थी। कोमल मैंने यह सोचकर एकदम से हैरान और आश्चर्यचकित हुए जा रही थी आखिरकार जुदाई ने ऐसा कौन सा सुख छुपा होता है कि लोग रिश्ते-नातों को भूल जाते हैं उसकी मां जिस पर वह पूरी तरह से भरोसा करती थी वह खुद चुदवाने के लिए शुभम को झोपड़ी में चलने के लिए बोल रही थी,,,,।
यह सब सोचते हुए कोमल बार-बार करवटें बदल रही थी,,, और दूसरी तरफ,,, कोमल की मम्मी और शुभम सबसे पीछे बैठकर इसी बारे में विचार विमर्श कर रहे थे कोमल की मम्मी पूरी तरह से घबराई हुई थी शुभम जी घबराया हुआ था लेकिन वह अपने आप को संभाले हुए था वह बार-बार कोमल की मम्मी को दिलासा दे रहा था कि वह सब कुछ संभाल लेगा,,, और कोमल की मम्मी शुभम के ही भरोसे थी उसे ना जाने क्यों डर के साथ साथ यह यकीन भी हो रहा था कि सुभम सब कुछ संभाल लेगा,,,,।

कोमल अपने कमरे में अपनी मां और शुभम के बीच हुए जुदाई के दृश्य को देखकर पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी उत्तेजना के मारे उसके गाल लाल सुर्ख हो चुके थे। वह झोपड़ी के अंदर के दृश्य को याद कर रही थी।,,, मर्द और औरत के बीच के ईस तरह के संबंध को वह खुले तौर पर आज दूसरी बार देखी थी।,,, इसलिए उसके होश पूरी तरह से उसके बस में नहीं था बार-बार उसे शुभम का मोटा लंड उसकी मां की बुर में अंदर बाहर होता हुआ नजर आ रहा था,,, और वह इस बात से भी पूरी तरह से हैरान थीे की इतना मोटा तगड़ा लंड छोटी सी बुर के अंदर कैसे पूरा समा जाता है।,,, और वह यह सोचकर भी हैरान थी कि जिस तरह से उसकी मां चुदवाते हुए अजीब अजीब सी आवाजें निकाल कर चीख रही थी क्या उसे मजा आ रहा था या दर्द हो रहा था अगर दर्द होता तो वह यह सब क्यों करवाती,,, यह सब सवाल कोमल को पूरी तरह से हैरान कर दिया था जिसका जवाब ईस समय उसके पास बिल्कुल भी नहीं था।,,, काश यह सब सोचकर बिस्तर पर करवट लेते हुए अनजाने में ही अपनी जांघों के बीच हथेली रख कर अपने कोमल अंग को रगड़ रही थी। उसे यह अच्छी तरह से महसूस हो रहा था कि उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी है।,,, लेकिन उसे अजीब सा आनंद की प्राप्ति हो रही थी जिसकी वजह से वह लगातार अपनी हथेली से अपनी बुर को सलवार के ऊपर से हीं रगड़ रही थी।,,, कोमल काफी रात तक इस बारे में सोचती रही और कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला,,,।

दूसरे दिन कोमल की मम्मी कोमल से बिल्कुल भी नजरें नहीं मिला पा रही थी उसे डर के साथ-साथ शर्म सी महसूस हो रही थी।,,, और आखिरकार वह शर्माए भी क्यों नहीं,, उसने अपनी बेटी के सामने हरकत ही कुछ ऐसी कर रही थी कि किसी को भी शर्म महसूस हो जाए कोमल खुद अपनी मां से नजरें नहीं मिला पा रही थी उसे अपनी मां से घर्णा महसूस हो रही थी।,,,, कोमल की मां उससे बात करना चाहती थी लेकिन बात भी करें तो किस मुंह से जिससे वह इस समय ठीक से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी।,, शुभम खुद जल्दी से चाय नाश्ता करके घूमने के बहाने घर से बाहर चला गया था वह भी कोमल का सामना करने से कतरा रहा था आखिरकार उसने उसकी आंखों के सामने उसकी मां की जमकर चुदाई जो कर रहा था अगर वह पूछेगी तो वह क्या जवाब देगा इसलिए वह जल्दी से घर से बाहर चला गया था,,,,।
शुभम घर के बाहर खेतों में टहलते हुए अपने मोबाइल पर कुछ सर्चिंग कर रहा था जो कि यह मोबाइल गांव आने से पहले ही उसकी मां खुश होकर उसे गिफ्ट में दी थी लेकिन शुभम को मोबाइल में बिल्कुल भी इंट्रेस्ट नहीं था गांव में समय व्यतीत करने के लिए वहां मोबाइल यूज कर रहा था।,,,, उसे याद आया कि उसने उसकी छोटी मामी का नंबर सेव कर लिया है और वह तुरंत कांटेक्ट लिस्ट में जाकर धड़कते दिल के साथ अपनी छोटी मामी सुगंधा का नंबर डायल कर दिया।,,, अच्छी तरह से समझ गया था कि उसका छोटा मामा एकदम बेवकूफ है जिस तरह से वह बता रहा था इसलिए अभी तक उसकी छोटी मामी यानी कि उसकी होने वाली बीवी से बिल्कुल भी बातचीत नहीं कर पाया था,,,। इसलिए फोन पर थोड़ा बहुत मजे लेने के उद्देश्य से शुभम ने सुगंधा का नंबर डायल कर दिया था नंबर डायल करते ही सामने रिंग जा रही थी जिसकी आवाज के साथ साथ शुभम का दिल भी जोरों से धड़क रहा था क्योंकि यह उसके लिए पहला मौका था जब वह किसी लड़की से बात करने जा रहा था और वह भी फोन पर,,,,,।,, जैसे ही सामने से कॉल रिसीव हुआ वैसे ही शुभम का दिल और तेजी से धड़कने लगा तभी उसे सामने से आवाज आई,,,,,,।

हेलो कौन,,,,?
( सुगंधा की सुरीली आवाज सुनकर शुभम पूरी तरह से मोहित हो गया,,,, कुर्सी ऐसा महसूस होने लगा के उसके कानों में बांसुरी की सुरीली आवाज आ रही है।,, वह इतने से ही समझ गया कि उसकी छोटी मामी से बात करने में उसे बहुत मजा आएगा अब वह पूरी तरह से फ्लर्ट करने कि मन में ठान लिया था इसलिए वह जवाब देते हुए बोला )

आप ही पहचान लीजिए हम कौन बोल रहे हैं,,

फोन आप ने लगाया है तो आप ही बता दीजिए आप कौन हैं?,,,
( सुगंधा मन ही मन उलझन भरी स्थिति में बोली क्योंकि यह आवाज उसने पहली बार ही सुनी थी।)

कमाल है मेरी सुगंधा रानी अपने होने वाले पति की आवाज को ही नहीं पहचान पा रही है।
( शुभम पूरी तरह से सुगंधा पर अपनी आवाज का जादू बिखेरते हुए बोला,,, इतना सुनकर सुगंधा भी मन ही मन प्रसन्न हो गई क्योंकि वास्तविकता यही थी कि आज पहली बार ही वह अपने होने वाले पति की आवाज को अपने कानों से सुन रही थी क्योंकि उसने अब तक अपने होने वाले पति की आवाज को सुनी नहीं थी। इसलिए उसे ऐसा लग रहा था कि फोन पर उसका होने वाला पति ही है। वह बहुत खुश हो गई और खुशी जताते हुए बोली,,,।)
04-02-2020, 04:59 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अच्छा तो आज हमसे बात करने की हिम्मत आप मे आ ही गई,,,। इससे पहले तो बस फोन कर के बिना कुछ बोले ही काट देते थे,,,।

क्या करो मेरी जान कब तक बात नहीं करता आज मुझसे रहा नहीं गया तो तुमसे बात कर रहा हूं,,,।

ओहहहह,,,,, हो,,,''' रहा नहीं गया'''' इसका मतलब कुछ ज्यादा ही तड़प रहे हो,,,,

क्या करूं मेरी रानी तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि मन तो करता है कि अभी तुम्हारे पास आ जाऊं,,,,।,,
( शुभम मस्त होता हुआ बोला,,,, सुगंधा पर भी धीरे-धीरे सुरूर चढ़ रहा था,,, वह तो मन ही मन चाहती थी कि उसका होने वाला पति फोन पर उससे इसी तरह की बातें करें लेकिन अभी तक वह इस तरह की बातें नहीं किया था इसलिए आज पहली बार इस तरह की बातें सुनकर उसके तन-बदन में गुदगुदी होने लगी और वह भी मस्त होते हुए बोली।)

बस कुछ दिनों की बात है और आपसे बिल्कुल भी सहन नहीं हो रहा है,,,,

सुगंधा सच कह रहा हूं मुझसे बिल्कुल भी सहन नहीं हो रहा जवानी पूरे जोश से मुझ पर छाई हुई है। तुम्हें बाहों में भरने के लिए तड़प रहा हूं तुम्हारे होठों को चूमने के लिए तड़प रहा हूं,,,
( सुगंधा शुभम के मुंह से जिसे वह अपना होने वाला पति ही समझ रही थी यह सब सुनकर उसके तन बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ ने लगी,,,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहे,,, वह घर के आंगन में फोन पर बातें कर रही थी उससे रहा नहीं जा रहा है जल्दी से जाकर अपने कमरे में चली गई और कमरे का दरवाजा बंद करके अपने बिस्तर पर लेट गई और मस्ती आते हुए बोली,,, ।)

थोड़ा तो सब्र करो मेरे राजा सब्र का फल मीठा होता है।,,,


तुम मुझे यह फल खाने को कब मिलेगा,,,

मिल ही जाएगा जब मैं तुम्हारी हो जाऊंगी तो तुम्हें इस फल का स्वाद भी मिल जाएगा,,,,।( सुगंधा मुस्कुराते हुए बोली,,,,।)

सुगधा मेरी जान मेरे हाथ तड़प रहे है तुम्हारे दोनों नारंगियों को दबोचने के लिए,,,,।।
( सुगंधा इन शब्दों के मतलब को समझ कर अंदर ही अंदर उत्तेजना से सिहर उठी,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे वह सिर्फ सुन रही थी उसे अच्छा भी लग रहा था और दूसरी कब से बंद था कि वह पूरी तरह से अपनी छोटी मामी को अपनी आवाज के जादू में घोल लेना चाहता था,,,, वह पूरी तरह से अपनी मामी के दिमाग में अपनी कामोत्तेजना भरी आवाज को निचोड़ कर उसे अपना दीवाना बना देना चाहता था। और जैसा वह सोच रहा था वैसा हो भी रहा था,,,, शुभम को बहुत ही आनंद की अनुभूति हो रही थी उसे फोन पर इस तरह की कामुकता भरी बातें कर कर मज़ा आने लगा था।,,, लेकिन कुछ सेकेंड तक सामने से कोई आवाज नहीं आई तो वह फिर से बोला,,,।)

क्या हुआ सुगंधा मेरी जान,,,।

कुछ नहीं बस आपकी बात मुझे समझ में नहीं आई इसलिए कुछ सोचने की कोशिश कर रही थी लेकिन आप क्या कह रहे हैं मेरे पल्ले नहीं पड़ रहा,,,।
( सुगंधा जानबूझकर ऐसी बातें कर रही थी और यह बात शुभम भी समझ रहा था वह समझ गया कि सुगंधा खुली बातें सुनना चाहती है,,,,,,ईसलिए वह बोला ।

अरे मेरी राऩी मेरे कहने का मतलब यह है कि मैं तड़प रहा हूं तुम्हारी दोनों चूचियों को दबाने के लिए उन्हें मुंह में भर कर पीने के लिए,,,,
( इतना सुनते ही सुगंधा के तन-बदन में कामोत्तेजना की लहर पूरी तरह से अपना असर दिखाने लगी वह शरमा गई और उसके मुंह से कोई आवाज नहीं निकल पाई तो शुभम फिर बोला,,,।

क्या हुआ नाराज हो गई क्या,,,।

नहीं भला हम आपसे क्यों नाराज होने लगे,,,

तो बोलो ना मुझे अपनी नारंगीयो जैसे चुचियों से खेलने दोगी ना,,,, उन्हें दबाकर मुंह में भर कर पीने दोगी ना,,,,

धत्त,,,,, कैसी गंदी बातें कर रहे हैं आप,,,

अरे इतनी गंदी बातें कैसे हो गई तुम मेरी होने वाली पत्नी हो और एक पत्नी से एक पति कुछ भी कह सकता है इसमें नाराज होने वाली बात नहीं होनी चाहिए।,,,

मैं नाराज नहीं हूं लेकिन आपकी यह सब बातें सुनकर मुझे शर्म आ रही है ।(इतना कहते हुए वह खिल खिलाकर हंस दी, जिसकी आवाज सुनकर शुभम पूरी तरह से कामोत्तेजित हो गया उसका लंड पाजामे में गदर मचाने लगा।,,,, और वहां पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बोला।)

तुम्हें शर्म आ रही है लेकिन मेरा तो पूरा खड़ा हो गया है।,,
( यह शब्द सुनकर सुगंधा पूरी तरह से सन्न गई उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका होने वाला पति इस तरह से पूरा खुलकर उस से बात करेगा।,,,, लेकिन इस तरह की बातें सुनने में सुगंधा को बेहद उत्तेजना और आनंद की अनुभूति हो रही थी।,,, और वह शुभम की बात पर एक दम से चौंकते हुए बोली,,,,।)

कककक,,, क्या,, क्या कहा आपने?

वही जो आपसे नहीं है मेरी रानी कि मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,,।
( शुभम पूरी तरह से खुलकर बातों से मजा लेना चाहता था इसलिए वह बिल्कुल भी शर्म ना करते हुए खुलकर बातें कर रहा था और सुगंधा शुभम जिसे वह अपना पति की आवाज समझ रहीे थी यह बात सुनते ही उसकी जांघों के बीच हलचल सी होने लगी,,,। वह एकदम से सकपका गई,,,, उसकी सांसों की गति तीव्र होने लगी वह बस जोर-जोर से सांसे लिए जा रही थी,, और उसकी जहरी चल रही सांसों की आवाज़ सुभम को एकदम साफ सुनाई दे रही थी,,, वह समझ गया कि उसकी बातें सुनकर सुगंधा उत्तेजित होने लगी है,,,। शुभम सुगंधा की हालत को और भी ज्यादा खराब करने के उद्देश्य से बोला,,,।

बोलो ना रानी तुम मेरे मोटे लंबे लंड को तुम्हारी बुर की गुलाबी छेद में डालने दोगी ना,,,,

( अब तुम सुगंधा का गला उत्तेजना से सूखने लगा उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,, जिस तरह की बातें वह करना चाह रही थी उसी तरह की बातें आज उसका होने वाला पति कर रहा था जिसकी वजह से सुगंधा का तन बदन पूरी तरह से कामोत्तेजना के ज्वर में तपने लगा था।,,, कुछ देर तक खामोशी छाई रही शुभम पेड़ के नीचे खड़े होकर फोन पर सिर्फ सुगंधा की गर्म और गहरी सांसो की आवाज कोई सुन रहा था,,, वह सुगंधा के मन की बात जानने के लिए फिर से बोला,,,।


क्या हुआ मेरी रानी तुम कुछ बोल नहीं रही हो,,

क्या कहूं हमें तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है,,,।

अरे इसमें समझने वाली क्या बात है तुम एक औरत हो और मैं एक मर्द हूं और औरत और मर्द के बीच शादी के बाद क्या होता है यह तो तुम अच्छी तरह से जानती हो,,,
( सुगंधा अनजान बनते हुए बोली,,,।)

नहीं हमें तो बिल्कुल भी नहीं पता कि शादी के बाद एक औरत और मर्द के बीच क्या होता है,,,,।


अगर रानी की इजाजत हो तो हम ही बता देंगे क्या होता है शुभम अच्छी तरह से जानता था कि सुगंधा झूठ बोल रही है इसलिए वह अपनी तरफ से कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाह रहा था सुगंधा को अपनी आवाज के जादू में पूरी तरह से उतार लेने के लिए,, इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला।)

शादी के बाद एक मर्द औरत के साथ सुहागरात मनाते हुए उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसको चोदता है,,,।
( यह सब बातें सुनकर सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की खुमारी छाने लगी थी,,, इसलिए वह उत्तेजना के असर मे बिस्तर पर करवटें बदल रही थी। शुभम भी सुगंधा से बातें करते हुए पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और धीरे-धीरे अपनी आम के बगीचे में पहुंच गया था।,,, उससे रहा नहीं जा रहा था सुगंधा की प्यारी और सुरीली आवाज उसके तन-बदन में कामोत्तेजना की चिंगारी भड़का रही थी।,,, सुगंधा जवाब देते हुए बोली,,,।

धत्त,,,, हम तो इतना गंदा काम आपको बिल्कुल भी नहीं करने देंगे,,,,।

अच्छा कैसे नहीं करने दोगी जब सामने आऊंगा ना तो तुम्हारी एक भी नहीं चलेगी सब कुछ अपने मन से ही करूंगा,,,,।


हम आपको कुछ करने ही नहीं देंगे हमें बहुत डर लगता है।

किससे डर लगता है हमसे,,,

नहीं आपसे बिल्कुल भी डर नहीं लगता नहीं पर आपके उस से डर लगता है,,,।
( शुभम समझ गया कि सुगंधा किस बारे में बात कर रही है लेकिन वह उसके मुंह से सुनना चाहता था इसलिए बोला।)

अरे उससे किसी से जरा खुल कर तो बोलो मेरी जान,,,

नहीं हमें उसके बारे में बताते हुए शर्म आती है।
( सुगंधा उत्तेजित होते हुए से बातें कर रही थी और साथ ही अनजाने में ही वह अपनी बुर को सलवार के ऊपर से ही मसलने लगी थी।)

अरे मुझसे कैसी शर्म,,, आखिर थोड़े दिन बाद तो मेरे सामने तुम्हें पूरी तरह से नंगी होना ही है तो शर्म करने से क्या फायदा,,, बोल दो अब किससे डर लगता है।,,,

तुम्हारे लंड से,,,( सुगंधा हिम्मत जुटाते हुए बोली,,, इतना कहने में ही उसके पसीने छूट गए थे उसके मुंह से यह शब्द कैसे निकल गए उसे अब खुद पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन वह लंड शब्द सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी।,,, और यह शब्द कहते हुए वह अनजाने में ही अपनी हथेली को धीरे से सलवार के अंदर उतार कर अपनी फुली हुई बुर पर रखकर उसे मसलने लगी,,,, उसकी सांसे तीव्र गति से चलने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है।,,,
शुभम भी पूरी तरह से मस्त हो गया सुगंधा के मुंह से लंड शब्द सुनकर वह एकदम से चुदवासा हो गया और धीरे से झोपड़ी में घुस गया,,,,,, वह पजामे को नीचे उतार कर अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया और बोला,,,,।

ओह मेरी रानी इससे डरने वाली क्या बात है मेरा लंड को खेलने के लिए बना है जिसको तुम अपने हाथों में लेकर खेलोगी,,,, बोलो सुगंधा खेलोंगी ना,,,
( सुगंधा भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह अपनी बुर को जोर-जोर से मसल रही थी,,,। और शुभम की बातों में आकर बोली,,।)

हां,,,,,( सुगंधा कांपते स्वर में बोली,,,। शुभम सुगंधा की हा सुनकर तुरंत बोला।)

देखो इससे डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। एकदम आराम से तुम्हारी बुर में चला जाएगा जैसा मैं कहता हूं वैसा ही करो,,,।

क्या करु,,, ? ( सुगंधा उत्तेजना से सिहरते हुए बोली अब वह पूरी तरह से तैयार थी शुभम की बातों को मानने के लिए,,,)

तुम्हारे घर मे बैगन या केला है?

बेगन तो नहीं है लेकिन केला है,,,,

चलेगा,,,, उसे ले आओ,,,,( शुभम झट से बोला,,,।)
( सुगंधा को कहीं दूर जाना नहीं पड़ा बिस्तर के पास टेबल पर ही केलें पड़े हुए थे,,,। वह केले के गुच्छे मै से एक केला तोड़ ली और बोली,,,।)

हां अब क्या करना है,,,।
( शुभम सुगंधा का उतावलापन देखकर इतना तो समझ ही गया था कि वह भी पूरी तरह से लंड लेने के लिए मचल रही है,,,। वह भीपूरा उतावला हो चुका था इसलिए धीरे-धीरे अपने लंड को मुठिया रहा था,, और वह बोला,,,,।)
देखो मेरी जान मैं तुम्हारा होने वाला पति हूं और तुम मेरी होने वाली पत्नी मैं एक पति होने के नाते ही तुमसे इस तरह की बातें कर रहा हूं वरना आज तक किसी भी लड़की से मैंने इस तरह की बातें नहीं किया हूं,,,। अगर तुम मुझे दिल से अपना पति मानती हो तो मेरी हर बात मानोगी,,,,। वरना तुम फोन काट सकती हो मैं तुम्हारी इजाजत के बिना इस तरह की बात ही नहीं करना चाहता बातों में तुम्हें दिल से अपनी पत्नी मान जीने लगा हूं इसलिए फोन पर इस तरह की बातें कर रहा था अगर तुम्हें बुरा लग रहा हो तो बेझिझक फोन कर सकती हो ऐसा नहीं है कि शर्म के मारे या पत्नी धर्म निभाने के लिए तू मेरी हर बात मानो भले ही वह तुम्हें गलत क्यों ना लगे ऐसा बिल्कुल भी मत होने देना तुम्हें जरा भी लगे कि मैं कुछ गलत कर रहा हूं तो तुम वहीं पर मुझे टोक दिया करो,,,,,,
( सुगंधा शुभम की बातों को बड़े गौर से सुन रही थी उसे यह नहीं मालूम था कि सामने फोन पर उसका पति नहीं बल्कि उसका भांजा है जो कि उसके ही पति के बेवकूफी पन का पूरा फायदा उठा रहा है,,,। उसे तो फोन पर इस तरह की बातें अपने पति के मुंह से सुनकर बेहद रोमांच का अनुभव हो रहा था और उसे अच्छा भी लग रहा था,,,। शुभम जानबूझकर इस तरह की बातें कर रहा था वह उसको सुगंधा को पूरी तरह से अपनी आवाज की जादू में आकर्षित कर लेना चाहता था,,, वह सुगंधा के खूबसूरत शरीर को भोगने के लिए अपना रास्ता बना रहा था इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला।)

बोलो सुगंधा क्या तुम्हें मेरी इस तरह की गंदी बातें खराब लग रही है अगर खराब लग रही हो तो मुझे माफ कर देना मैं आइंदा से ऐसी बातें नहीं करूंगा,,,।

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि पति पत्नी के बीच इस तरह की बातें फोन पर होती ही रहती हैं इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नहीं है बल्कि मुझे तो आज खुशी हो रही है कि मेरा पति भी मुझसे इस तरह की बातें कर रहा है वरना मैं इस बात को लेकर बहुत ही ज्यादा दुखी हो रही थी मुझे लग रहा था कि शायद आप दूसरों मर्दों की तरह खुलकर अपनी पत्नी से बातें नहीं करेंगे,,,,,


तो क्या तुम्हें मेरी यह सब बातें अच्छी लग रही है?

इसमें बुरा लगने वाली कोई बात ही नहीं है तो अच्छी तो लगेगी ही,,,,

तुम सच कह रही हो ना सुगंधा देखो मुझे बेवकूफ मत बनाना मैं तुमसे प्यार की उम्मीद करता हूं,,,।

यह कैसी बातें कर रहे हैं आप मैं आपकी पत्नी हूं,,,, और आपको हर तरह से खुश रखना मेरा धर्म है।
( सुगंधा की बात सुनकर शुभम पूरी तरह से खुश हो गया हो समझ गया कि सुगंधा अब पूरी तरह से उसके काबू में आ गई है,, इसलिए वह खुश होते हुए बोला,,,।)

तो सुगंधा तुम मेरी हर बात मानने को तैयार हो,,,,

हां मैं आपकी सब बातें मानने को तैयार हूं,,

तू मेरी जान अभी जो मैं तुमसे कुछ भी करने को कहूंगा तो तुम वह करोगी ना,,,

हां,,, सब कुछ करूंगी ( सुगंधा शरमाते हुए बोली)

ओहहहह सुगंधा मैं आज बहुत खुश हूं,,,, आई लव यू सुगंधा,,
04-02-2020, 04:59 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम पूरी तरह से सुगंधा को अपनी बातों की आगोश में ले लिया था और जिसमें से खुद सुगंधा भी निकलना नहीं चाहती थी क्योंकि पहली पहली बार कि वह किसी मर्द से इस तरह की कामुकता भरी बातें कर रही थी इसलिए उसे भी यह सब बेहद आनंददायक लग रहा था। और वह शादी वाली रात से पहले ही अपने आप को उस दिन के लिए सहज कर लेना चाहती थी।,, वह तो बिल्कुल अनजान थी उसे नहीं मालूम था कि वह अपने पति से नहीं बल्कि अपने भांजे सुभम से बात कर रही है।,,,,,, शुभम समझ गया कि सुगंधा पूरी तरह से उसके बाद में आ चुकी है वह बगीचे मैं बनी घास फूस की झुग्गी में अपने लंड को हिलाता हुआ सुगंधा से बातें करते हुए संपूर्ण रूप से कामोत्तेजना का अनुभव कर रहा था।,, जब वह समझ गया कि सुगंधा भी पूरी तरह से तैयार है वह उसकी हर बात मानने के लिए राजी हैं तब वह अपनी आवाज में कामुकता का असर दिखाते हुए बोला।

सुगंधा मेरी जान मुझे अब तुम पर पूरा भरोसा है इसलिए जैसा मैं कहता हूं वैसा ही करो तुम्हें भी बहुत अच्छा लगेगा और मुझे भी,,,,

हमममनन,,,,, ( सुगंधा भी हामी भरते हुए उत्तेजनात्मक स्वर में बोली)

सुगंधा अब तुम अपने सलवार की डोरी खोलो,,,।

( इतना सुनते ही सुगंधा की सांसो की गति तेज होने लगी,,, वह तुरंत अपने होने वाले पति की बात मानते हैं मोबाइल को कान के पास लगाकर दोनों हाथों से धीरे-धीरे अपने सलवार की डोरी को खोलने लगी,,, वह अभी खोल ही रही थी कि तभी शुभम बीच में बोला,,,।


क्या हुआ जान खोल रही हो कि नहीं,,,

हममममनम,,,,,

क्या हमम हममम लगाई हो,,,, थोड़ा खुल कर बोलो मेरी रानी तभी तो मजा आएगा,,,,

कौन सो रही हूं (सुगंधा घबराते हुए और उत्तेजित होते हुए बोली)

हां यह हुई ना बात ऐसे कहोगी तभी तो मजा आएगा अच्छा सलवार की डोरी खोल दी कि नहीं,,,,


हां खोल दी हूं,,,

आहहहहहहहहह,,,,, मेरी जान मैं तो सोचकर ही मत होने जा रहा हूं काश मैं अपने हाथों से तुम्हारी सलवार की डोरी खोलता,,,,


खोल लेना आपको किसने इनकार किया है,,,,।

सच मेरी जान तुम बहुत अच्छी हो,,,( सुगंधा को शुभम की यह सब बातें बहुत अच्छी लग रही थी)
अच्छा अब एक काम करो अपनी सलवार को धीरे से नीचे की तरफ सरकाते हुए उसे घुटनों तक ले जाओ,,,


जीईई,,,,, ( इतना कहते हुए सुगंधा अपने होने वाले पति की बात मानते हुए जो कि वह उसका पति नहीं बल्कि शुभम था,,, अपनी गोलाकार सुगठित नितंबों को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा कर अपनी सलवार को नीचे की तरफ ले जाने लगी,, और ऊसै घुटनों तक लाकर छोड़ दि,,, सुगंधा बड़ी उत्सुकता से अपनी गोरी जांघों को देखकर कामोत्तेजना का अनुभव कर रही थी।,, वह अभी इंतजार कर रही थी कि सामने से क्या आदेश आता है,,,, लेकिन कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही क्योंकि शुभम एकदम से चुदवासा होकर अपना लंड मुठीया रहा था।,,, इसलिए जब सामने से कुछ देर तक कोई आवाज नहीं आई तो सुगंधा खुद ही बोली,,,

लो कर ली अब क्या करूं,,,,

( सुगंधा की यह बातें सुनकर शुभम समझ गया कि जिस तरह से वह तड़प रहा है,, उसी तरह से सुगंधा भी तड़प रही है इसलिए वह खुश होता हुआ बोला।।)

घुटनों तक सरका ली,,वाहहहहहह,,,, सुगंधा मुझे पूरा यकीन है कि इस समय तुम बहुत ही ज्यादा सेक्सी लग रही होगी,,, तुम्हारी सलवार घुटनों तक होकर तुम्हें और भी ज्यादा कामुक बना रही होगी,,, तुम्हारी दूधिया चिकनी जांघे ट्यूब लाइट की रोशनी की तरह चमक रही होगी,,, बहुत मजा आएगा मेरी जान तुम्हारी चिकनी जांघो पर अपने होंठ रख कर उसे चुमने में और उसे चाटने में,,,( शुभम की गंदी और कामुकता से भरपूर बातें सुनकर सुगंधा पूरी तरह से उत्तेजना की लहर में में लहराने लगी थी।,, उसकीे मदहोश भरी जवानी उसके तन-बदन में,,, चीकोटी काट रही थी। उत्तेजना के मारे उसकी सांसें गहरी चल रही थी जिसकी आवाज शुभम को फोन पर एकदम साफ सुनाई दे रही थी,। शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)
सुगंधा मेरी जान सलवार के नीचे कुछ कह नहीं थी या एकदम नंगी हो,,,,

पहनी हुं,,, ( सुगंधा शरमाते हुए धीरे से बोली,,,।)

ओहहहहह मेरी रानी क्या पहनी हो बोलो ना,,

पैंटी पहनी हु,,,,,


ससससहहहहहहह कौन से रंग की,,,,,?


काली रंग की है।( सुगंधा शरमाते हुए बोली)

ससससहहहहह आहहहहगहहहह,,,, काले रंग की पेंटिं कसम से गोरे रंग पर कहर ढा रही होगी,,,, बहुत खूबसूरत लग रही होगी मैं तो बस कल्पना कर के एकदम मस्त सुबह जा रहा हूं अगर अपनी नजरों से देखूंगा तो पता नहीं क्या हो जाएगा।,,,
( शुभम की बातें सुगंधा की उत्तेजना को बढ़ा रही थी उसकी सांसो की गति तेज हो रही थी और वह भी अपनी काली रंग की पेंटी की तरफ ही देख रही थी। उसे भी आज अपना यह तन बेहद खूबसूरत लग रहा था हालांकि वह रोज यही अपने तन के दर्शन करती थी लेकिन रोज यह बात नहीं थी जोकि आज उसे महसूस हो रहा था।,,,, शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)
सुगंधा मेरी जान तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि काले रंग की पेंटिं के अंदर तुमने क्या छुपा कर रखी हो,,

ककककक,, क्या छुपा कर रखी हूं,,,, (उत्तेजना के मारे सुगंधा हकलाते हुए बोली),,,,

यह तो तुम अच्छी तरह से ही जानती हो कि क्या छुपा कर रखी हो,( शुभम अपने लंड को आगे पीछे करते हुए मुट्ठीयाते हुए बोला,,)


अरे,,,, हमारा अंग है हम तो जानते ही हैं कि क्या छुपा कर रखे हैं,,,, लेकिन आप बताइए कि हमने अपनी पेंटिंग के अंदर क्या छुपा कर रखे हैं।,,,

अच्छा तो तुम हमसे ही सुनना चाहती हो,,,

हां क्यों नहीं,,,

मेरी जान तुमने अपनी पैंटी को अंदर अपनी रसीली बुर को छुपा कर रखी हो जिसके अंदर मेरा मोटा लंड जाकर तुम्हें चोदेगा।
( इतना सुनते ही सुगंधा पूरी तरह से उत्तेजना मैं सिहर उठी,,,। और शुभम अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला)
04-02-2020, 05:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
क्यों सही कहा ना,,,

हां बिल्कुल आप कभी झूठ कह ही नहीं सकते,,,,।

मेरी जान तो अब जल्दी से अपनी पैंटी को अपनी घुटनों तक खींच दो,,,,

सुगंधा भी उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए शुभम की बात सुनते ही वह जल्दी से फिर से अपने नितंबों को ऊपर की तरफ उठा कर अपनी पैंटी को घुटनों तक खींच कर कमर से नीचे नंगी हो गई,,,,, और खुद ही बोली,,,

हां कर ली,,,,

ओहहहह मेरी रानी काश मैं इस समय तुम्हारी बुर को देख पाता,,,, अच्छा यह बताओ तुम्हारी बुर पर बाल है या एकदम चिकनी है,,।

हल्के हल्के हैं (सुगंधा उत्तेजनात्मक स्वर में बोली)

सससससहहह,,, ( जोर से अपने लंड को मुट्ठी में दबाते हुए) सुहाग रात को मिलना तो एकदम चिकनी कर लेना मुझे चिकनी बुर पसंद है,,।

जी,,,, ( शरमाते हुए बोली)


अब एक काम करो मेरी रानी अकेले खोलो और उस पर पूरी तरह से अपना थूक लगाकर उसे एक दम चिकना कर लो,,,,

क्या?

अरे पहले जैसा मैं बोलता हूं वैसा ही करो,,,
( सुगंधा भी पूरी तरह से कामोत्तेजित हो चुकी थी उसकी बुर फुदक रही थी इसलिए भाभी ज्यादा सवाल जवाब ना करते हुए किले पर अपना थूक लगाकर उसे पूरी तरह से चिकना कर ली,,,, और बोली,,,,।

हां कर लि अब,,,,
04-02-2020, 05:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( सुगंधा को बेझिझक अपनी बात मानते हुए देखकर शुभम को बहुत ही ज्यादा प्रसन्नता हो रही थी।)

अब मेरी जान उसकी ली को धीरे-धीरे अपनी बुर की गुलाबी छेद के अंदर डालो,,,,( शुभम अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए अत्यधिक चुदवासा होते हुए बोला,, और उसकी यह बात सुनकर सुगंधा चौकते हुए बोली,,,।)

मुझे आप क्या कह रहे हैं मुझसे यह नहीं हो पाएगा,,,

अरे कैसे नहीं हो पाएगा मैं बोल रहा हूं ना हो जाएगा आराम से हो जाएगा अगर आज तुम यह कर ली तो सुहागवाली रात को बड़े आराम से मेरे लंड को अपने बुर में ले लोगी,,,।

नहीं मुझसे बिल्कुल भी नहीं हो पाएगा मैं आज तक ऐसा कभी भी नहीं की हूं मुझे डर लग रहा है,,,।

अरे डरने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है मैं हूं ना,,,

अरे आप तो वहां है यहां होते तब डरने की जरूरत नहीं होती,,,

अगर मैं वहां होता तो इस तरह से कहने की जरूरत तुम्हें पड़ती ही नहीं बल्कि इससे भी मोटा मे अपना लंड तुम्हारी बुर में डाल दिया होता,,,,
( शुभम की गरमा गरम बातें सुनकर सुगंधा की बुर में हलचल सी होने लगी थी,,,,)

तो अभी क्या करुं मैं बोलो ना,,,,

मैं जैसा कह रहा हूं मेरी जान वैसा ही करो एक काम करो ढेर साऱा थुक तुम अपनी बुर पर भी लगा लो,,,, देखो अगर आज तुम सफल हो गई तो तो तुम मेरा मोटा लंड लेने में कामयाब हो जाओगी और तुम्हें दिक्कत भी नहीं होगा इसलिए कह रहा हूं कि मेरी बात मान लो यह तुम्हारी भलाई के लिए ही है,,,,।

क्या केले से भी लंबा तगड़ा है क्या तुम्हारा,,,?

तो क्या इसीलिए तो कह रहा है आज अगर तुम केला अपने बुर में डाल ली तो मेरा लंड भी आराम से ले लोगी,,,

अच्छा रुको,,, (और इतना कहकर सुगंधा उत्तेजना बस ढेर सारा थूक अपनी बुर पर लगाने लगी थूक लगाते हुए वह अपनी फूली हुई बुर पर हथेली फेर रही थी जिसकी वजह से उसके तन-बदन में गुदगुदी सी हो रही थी उसे मजा आ रहा था और थोड़ी देर बाद ढेर सारा थुक बुर पर लगा लेने के बाद बोली,,


लगा ली हूं अब क्या करना है,,,,,।

देखो मेरी जान अब बस अपनी आंखें बंद करो और यह महसूस करो कि तुम्हारे हाथ में जो केला है,,, वह अकेला नहीं बल्कि मेरा मोटा लंड है जिसे तुम अपने हाथ में पकड़कर अपनी बुर में डाल रही हो,,,,,
( शुभम की मस्ती भरी बातें सुनकर सुगंधा अपने होशो हवास खो बैठी और उसकी बात मानते हुए धीरे से अपनी आंखों को बंद कर ली,,, और हल्के से अपनी टांगो को फैला कर केले को अपनी बुर से सटा कर उसे अंदर की तरफ डालने लगी,,, मोटे केले को बुर की फांकों के बीच रखते ही,, केले के मोटे स्पर्श से सुगंधा पूरी तरह से सिहर उठी,,,, और एकाएक उसके मुंह से सिसकारी की आवाज निकल गई जो कि शुभम के कानों तक पहुंच गई,,,।

ससससहहहहह,,, आहहहहहहहहहहह,,,

क्या हुआ मेरी रानी लगता है एकदम गरम हो गई हो,,,,


अब बोलो मैं क्या करूं मैंने केले को बूर से सटा दी हुं ।,,

वाहहहहह मेरी रानी अब उसे आहिस्ता आहिस्ता अपनी बुर की गहराई में डालो,,

क्या मुझसे हो जाएगा (सुगंधा आशंका जताते हुए बोली)

हो जाएगा मेरी जान जिस तरह से तुम चुदवासी हुई हो अगर मैं इस समय अपना मोटा लंड भी डाल दूं तो वह भी चला जाएगा।,,,,, बस थोड़ा हिम्मत रखो और अब उसके केले को मेरा लंड समझकर अंदर डालती रहो,,,,

( सुगंधा पूरी तरह से उत्साहित हो चुकी थी इस तरह का अनुभव देने के लिए जिंदगी में पहली बार उसने यहां तक इस तरह की कोई हरकत की थी,,, हालांकि जवानी की जिस उम्र से वह गुजर रही थी,,,, उसकी भी बहुत इच्छा होती थी शारीरिक संबंध बनाने की लेकिन कभी भी वह आगे नहीं बढ़ पाई,,, आज वह पहली बार अपने होने वाले पति की बात मानते हुए जो कि शुभम कह रहा था उसने केले को अपनी बुर से लगा ली थी,, और धीरे-धीरे उसे अंदर की तरफ फैल रही थी चिकनाहट पाकर मोटा केला आराम से अंदर की तरफ सरक रहा था और जैसे-जैसे वह बुर से रगड़ खाता हुआ अंदर उतर रहा था,,, उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी सुगंधा पूरी तरह से कामोत्तेजीत हो चुकी थी,,,,,


घुस रहा है कि नहीं सुगंधा ( शुभम चुदवासे स्वर में अपना लंड जोर जोर से हीलाता हुआ बोला,,,।)

हां जा रहा है (सुगंधा भी कांपते स्वर में बोली)

बस ऐसे ही डालती जाओ,,,,

सुगंधा धीरे-धीरे करके मस्ती के सागर में डुबकी लगाते हुए पूरे केले को अपनी बुर में डाल दी और बोली,,

ससससस,,, वपूरा चला गया,,,,( सिसकारी लेते हुए बोली)

शाबाश मेरी जान अब मुझे पूरा यकीन हो गया है कि पहली रात को ही तुम मेरा पूरा लंड अपनी बुर में ले लोगी,,,, बस मेरी जान केले को अपनी बुर के अंदर बाहर करती रहो और ऐसा समझो कि मैं तुम्हें चोद रहा हूं और तुम्हारा काम हो जाएगा,,,,
( सुगंधा तो लगा के समान केले को अपनी बुर में डालकर पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, और शुभम की बात सुनते ही गरम सिसकारी के साथ वहं केले को अपनी बुर के अंदर बाहर करते हुए अपने हाथों से अपनी बुर को चोदने लगी। सुगंधा को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसकी गरम पिचकारी की आवाज शुभम फोन के द्वारा अपने कानों से सुन रहा था और उत्तेजित होता हुआ वह भी जोर जोर से हिला रहा था।
ससससहहहहहहहह,,,,, हहहहहहहहह,,, ओहहहहहहहहहहह,,,,,
सुगंधा मस्त होते हुए इस तरह की गरमा-गरम आवाजें निकाल रही थी।,,, उसके ऊपर पूरी तरह से चुदाई का रंग चढ़ चुका था और वो पैरों के सहारे से ही अपनी सलवार और पैंटी को निकालकर कमर से नीचे पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,, और अपनी टांगो को फैला कर केले से चुदने का आनंद ले रही थी।
शुभम और सुगंधा दोनो चरमसुख के बेहद करीब पहुंच चुके थे गंदा तो बिस्तर पर बार-बार इधर-उधर सर पटकते हुए केले को अपनीे बुर के अंदर बाहर कर रही थी। दोनों मस्ती के सागर में हिलोरे लेते हुए एक साथ झड़ने लगे,,,,
कुछ देर बाद सुगंधा की सांसे व्यवस्थित हुई तो,,, उसके चेहरे पर प्रसन्नता और संतुष्टि के भाव साफ नजर आ रहे थे।,,,, सुगंधा फोन पर अपने होने वाले पति का आभार प्रकट करने के लिए कुछ बोलना चाह रही थी इससे पहले ही दरवाजे पर दस्तक होने लगी और दरवाजे पर दस्तक होता हुआ सुनकर,,, वह बाद में फोन करेगी ऐसा कहकर फोन को कट कर दी।

सुगंधा बहुत खुश थी क्योंकि आज जिंदगी में पहली बार इतनी अपने पति के कहने पर हस्तमैथुन की थी। वह मन ही मन यह सोच रही थी कि अगर उसे पता होता कि अपने हाथों से भी काम चलाया जा सकता है तो वह कब से यह सब कर चुकी होती।,,, फिर भी उसे लग रहा था कि चलो देर आए दुरुस्त आए,,,। आज उसे दुगिनी खुशी मिली थी। एक तो उसका पति पहली बार फोन पर उसी से खुल कर बातें किया था और पहली बार ही वह अपनी प्यास को अपने हाथों से बुझाई थी।
स्ंखलित होने के बाद कुछ देर तक वह बिस्तर पर ऐसे ही लेटी रही,,, दरवाजे पर जिस तरह की दस्तक हो रही थी वह घबरा गई थी लेकिन दरवाजे पर उसकी मां थी जौकी उसे काम में हाथ बटाने के लिए बोल कर चली गई थी,,,। सुगंधा की सांसे अभी भी गहरी चल रही थी।
अपनी हालत पर गौर की तो वह खुद की हालत को देखकर एकदम से शरमा गई। कमर से नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी,,, उसकी सलवार और पैंटी दोनों बिस्तर के नीचे गिरी पड़ी जिसे वह खुद ही उत्तेजना में आकर निकाल फेंकी थी।,,, एक बार वह मुस्कुराते हुए अपनी रसीली बुर की तरफ देखने लगी और प्यार से उसको हथेली फेरकर जल्दी से बिस्तर से खड़ी होकर अपने कपड़े पहनने लगी,,,,
04-02-2020, 05:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दूसरी तरफ से बहुत-बहुत खुश था क्योंकि सब कुछ उसके प्लान के मुताबिक होने लगा था फोन पर ही सुगंधा ने अपनी सुरीली आवाज से उसका मन मोह लिया था शुभम उसे पूरी तरह से पाना चाहता था,,,।ऊसकी कसील़ी बुर में अपना मोटा लंड डालकर उसे चोदना चाहता था। उसने भी अपना ढेर सारा पानी सुगंधा से बातें करते हुए खुशी कल्पनातीत होकर संभोग का सुख महसूस करने के लिए जोर-जोर से अपना लंड हिला कर छोड़ दिया था।,,, जब वह घर की तरफ जाने लगा तो उसे कोमल की याद आ गई और एक बार फिर से उसका मन किसी अनहोनी की कल्पना करके घबराने लगा उसे इस बात का डर पूरी तरह से बना हुआ था कि अगर कोमल किसी से कुछ भी बता दी तो गजब हो जाएगा,,, इसलिए वह मन ही मन ठान लिया कि वह कुसुम को भी अपने झांसे में ले लेगा लेकिन कैसे यह तो उसे भी अभी नहीं पता था।,,
घर पर पहुंचते ही देखा कि कोमल गीले कपड़ों को रस्सी पर डालकर उसे सूखने के लिए छोड़ रही थी। वहां पर उस समय कोई नहीं था,,,, शुभम रात वाली घटना के बारे में कोमल से बातें करना चाहता था,,। इसलिए वह उसके करीब जाने लगा,कोमल कपड़े रस्सी पर डालने मे व्यस्त थी इसलिए उसे बिल्कुल भी आवाज नहीं हुआ कि शुभम उसके ठीक पीछे ही खड़ा है। शुभम उसे कुछ बोलने वाला ही था कि तभी गीले बालों की वजह से उसके भीगे हुए ड्रेस में से झांकती हुई उसकी लाल रंग की ब्रा की पट्टी को देखकर वह रूक गया। घने बालों में से टपक रहे पानी की बूंदों की वजह से उसकी पीठ पर का कुछ हिस्सा गीले कपड़ों में से नजर आ रहा था जो कि काफी गोरा था।। सुगठित बदन आसमानी रंग की ड्रेस में अपनी महक वातावरण में घोल रहा था। जिसकी खुशबू शुभम के नथुनो में से होकर उसके सीने में भर जा रही थी और अजब सी कसक छोड़ दे रही थी। शुभम बड़े गौर से कोमल के खूबसूरत बदन का नाप अपनी आंखों से ले रहा था,,, जब जब कोमल बाल्टी से कपड़े लेने के लिए नीचे की तरफ झुकती तब तब शुभम की प्यासी नजरें कोमल की गोलाकार नितंबों पर टिक जा रही थी। उसके नितंब सलवार में से भी साफ तौर पर नजर आ रहे थे कि उस पर जवानी का पानी पूरी तरह से चढ़ चुका था और उभारमय होकर आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ था। शुभम कोमल के पीछे खड़ा होकर उसके बदन की हर एक अंग को अपनी प्यासी नजरों से देखता हुआ अपनी प्यास को और ज्यादा बढ़ा रहा था।,, तभी कोमल को अपने पीछे कुछ आहट हुई तो वह झटके पीछे की तरफ नजरें घुमा कर देखने लगी और अपने ठीक पीछे शुभम को खड़ा हुआ देखकर वह क्रोधित हो गई आंखों के सामने फिर से रात वाली घटना नाचने लगी और वह गुस्से में सूभम से बोली,,,।

यहां क्या कर रहे हो तुम,,,?

( शुभम अभी भी उसकी खूबसूरती के साए में खोया हुआ था इसलिए एकाएक कोमल के द्वारा यह पूछे जाने पर वह हकलाते हुए बोला,,,,।)

ककककक,,, कुछ नहीं मैं तो यह देख रहा था कि तुम बहुत खूबसूरत हो,,,।

तुमसे यही उम्मीद थी मुझको जिस तरह कि तुम हरकत करते हो मुझे यकीन था कि तुम ऐसा ही कुछ जवाब दोगे क्योंकि रिश्तो का तो ख्याल तुमको अब बिल्कुल भी नहीं है,,,।

नहीं कोमल ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो बस तुम्हारी तारीफ कर रहा था।

रहने दो मेरी तारीफ करने को तुम्हारे मुंह से तारीफ अच्छी नहीं लगती,,,।

कैसी बातें कर रही है कोमल आखिर मुझसे नाराज क्यों हो,,,


तुम अच्छी तरह से जानते हो कि मैं तुमसे नाराज क्यों हुं।,,,, ( कोमल गुस्से में कपड़े को निचोड़कर रस्सी पर डालते हुए बोली),,,


पर इसमें मेरी गलती नहीं थी,,,,।

अब ज्यादा बोला बनने की जरूरत नहीं है मैं सब कुछ देख रही थी कि गलती किसकी है और किसकी नहीं है।,,,


जब तुम देख रही थी तो तुम रोकी क्यों नहीं सब कुछ हो क्यों जाने दी,,,, तुम अगर पहले से ही सब कुछ देख रही थी तो रोक भी तो सकती थी शायद तुम रोक दी होती तो यह सब नहीं होता,,,,।
( शुभम की यह बात सुनकर कोमल एकाएक कपड़े को रस्सी पर डालते डालते रुक गई,,, उसके पास शुभम के सवाल का कोई भी जवाब नहीं था क्योंकि मन में वह यही सोच रही थी कि शुभम बिल्कुल ठीक कह रहा है वह रोक भी सकती थी,,, फिर उसके मन में यह ख्याल आया कि अगर रोक दी होती तो यह कैसे पता चलता है कि उसकी मां पहले से ही सुभम से चुदवा चुकी है।,,, इसलिए फिर से गुस्से में बोली,,,।)

मैं रोकी कि नहीं रोकी,,, लेकिन तुम्हें रिश्तो की मर्यादा रखना चाहिए था,,,,। लेकिन तुम कहां रिश्ते की मर्यादा रखने लगे जब तुम खुद ही अपनी ही,,,,,( वह इतना ही कही थी कि तभी उसके छोटे चाचा ने उसे आवाज देकर कुछ काम के लिए बुलाने लगे,,, और वह आती हूं कहकर जाने लगी,,, गुस्से में कोमल शुभम को यह बोलना चाह रही थी कि जब वह खुद ही अपनी सगी मां को चोद़ सकता है तो भला दूसरे रिश्ते उसके सामने कौन सी मायने रखते हैं,,,, लेकिन मौके पर उसके चाचा के बोला लेने की वजह से उसकी मन की बात मन में ही रह गई शुभम उसे जाते हुए देखता रह गया लेकिन ऐसी मुसीबत की घड़ी मेरी शुभम की प्यासी नजरे नाजुक मौके की नजाकत को नजरअंदाज करते हुए कोमल की सुगठित गोल गोल नितंबों पर टिक गई जोकि चलते समय ऊपर नीचे होती हुई मटक रहेी थी।,,,,,,
कमरे की खिड़की में से देख रही कोमल की मां तुरंत शुभम के पास आई और बोली,,

क्या हुआ क्या कह रही थी वह,,,।

वह बहुत गुस्से में है मामी मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं कुछ किसी को बताना दे,,,
( सुभम की बात सुनते ही कोमल की मां रुआांसी होते हुए बोली)

बेटा हम दोनों से बहुत बड़ी गलती हो गई अब तुम ही कोई रास्ता निकाल वरना में पल पल घुटती रहूंगी और अगर कहीं कोमल ने कुछ बक दी तो न जाने क्या हो जाएगा,,,।)

तुम चिंता मत करो मामी मैं सब कुछ संभाल लूंगा,,,,
( शुभम अपनी बड़ी मम्मी को दिलासा देते हुए बोल रहा था लेकिन उसे खुद भी नहीं मालूम था कि इस मुसीबत से कैसे निकला जाए कैसे कोमल को समझाया जाए।)

कोमल की मां को कोमल से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी और नजरें दिलाती भी तो कैसे आखिरकार वह हरकत ही कुछ ऐसी करती हुई पकड़ी गई थी कि उसकी जगह कोई भी होता तो उसका हाल भी ऐसा ही होता जैसा कि कोमल की मां का हो रहा था।,,, आखिर एक बेटी अपनी ही मां को,,, अपनी बुआ के लड़के के साथ चुदवाते हुए देखे तो ऊसके मन मे उसकी मां की प्रति कैसे ख्यालात चल रहे होंगे यह तो सिर्फ कोमल ही बता सकती है।,,, मैं तो कोमल ही अपनी मां के सामने आ रही थी और ना ही कोमल की मां कोमल की आंखों के सामने आ रही थी दोनों एक दूसरे से नजरें चुरा रहे थे। कोमल अपनी मां की हरकत पर पूरी तरह से शर्मिंदा थी और खुद से ही नजरें मिलाने से कतरा रही थी।
कोमल की मां अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बेटी उससे पूरी तरह से नाराज है,,, और अपनी बेटी की अपने प्रति नाराजगी को देखते हुए कोमल की मां को खुद को अपने किए पर पछतावा और घृणा हो रही थी।
वह मन ही मन अपने आप को कोस रही थी कि वह किस मनहुस घड़ी में शुभम की बातों में आ गई,, और अपना सब कुछ गवा दी।,,, वह मन ही मन यह सोच कर बता रही थी कि कैसे वहां अपने ही बेटे के उम्र के लड़के के साथ शारीरिक संबंध बना दी,,, और उसके बहकावे मे आकर उस से चुद गई वहां इस बात पर अपने आप को तसल्ली देने की कोशिश कर रही थी कि चलो एक बार जो गलती हुई सो हुई,,, लेकिन वह दुबारा कैसे बहक गई और यह भी अच्छी तरह से जानते हुए कि आस पड़ोस की सारी औरतें घर पर इकट्ठा है और शादी का माहौल है,,, और ऐसे मे हीं वह घर के पिछवाड़े ही,,
शुभम की हरकतों की वजह से बहक गई,,,, यह जानते हुए भी कि वहां पर कोई भी आ सकता है लेकिन फिर भी उस समय किसी भी बात की फिक्र किए बिना ही वह,, कैसे एकदम से बाहर गई और खुद ही शुभम को झोपड़ी में चलने के लिए बोलि,,, ना तो वह शुभम को आगे बढ़ने देती और ना ही उसकी बेटी उसे उसे हाल में देख पाती यह सब याद करके कोमल की मम्मी परेशान हुए जा रही थी।,,, एक तरफ हो शुभम के साथ हमें शारीरिक संबंध को लेकर अपने आप से घृणा अनुभव कर रही थी तो दूसरी तरफ जब वह शुभम के तेज धक्को को अपनी बुर की गहराई के अंदर महसूस करके एकदम से सिहर उठती,,, उसकी आंखों के सामने बार बार शुभम की तीव्र गति से हिलती हुई कमर नजर आने लगती और वहां कैसे उसके अंगों से खेलता हुआ उसे चुदाई के सुख का अनुभव कराता हुआ उसे चोद रहा था यह सब याद करके कोमल की मां का मन,,, शुभम की तरफ आकर्षित होने लगता उसे सब कुछ सही लगने लगता क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि यह सामने शुभम की गलती नहीं है उसकी भी जरूरत थी।
यह सब सोचते हुए वह काफी परेशान हुए जा रही थी,,, और काफी देर बाद उसकी आंख लग गई,,, और दूसरी तरफ सुभम रात को फिर से सुगंधा को फोन लगाकर एक बार फिर से उसके कपड़े उतरवाकर उसका पानी निकाल दिया,,,,। सुगंधा शुभम की आवाज को पूरी तरह से पहचान चुकी थी और,,,,,,,,,,


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,484,890 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,617 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,225,404 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 926,796 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,644,733 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,072,867 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,937,739 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,013,048 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,015,433 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,303 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)