Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 05:11 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अब हमें खिड़की खोल देना चाहिए क्योंकि देखो हम तीनों की हालत कैसी पसीने से तरबतर हो चुके हैं।
( इतना कहते हुए निर्मला गांड मटकाते हुए खिड़की की तरफ जाने लगी,,, निर्मला की लचकती हुई गोल गोल गाने को देखकर शुभम के साथ साथ कोमल की भी हालत खराब हुई जा रही थी। एक औरत होने के बावजूद एक स्त्री के नितंबों के प्रति उसका आकर्षण खुद ऊसे हैरान कर देने वाला लग रहा था। इेसमे कोमल का भी कोई दोस नहीं था। निर्मला की खूबसूरत बदन की बनावट ही कुछ इस तरह की थी कि देखने वाला बस देखते ही रह जाता था। गोल गोल खरबूजे की तरह कभी इधर को तो कभी उधर को लुढकती हुई मदमस्त गांड दोनों की तन बदन में उत्तेजना की लहर भर दे रही थी।,,, कोमल और शुभम दोनों संपूर्णता ं नंगे होकर के निर्मला की तरफ देख रहे थे। शुभम अपनी मां की मदद कैसे छलकती जवानी देख कर अपने आप पर सब्र नहीं कर पाया और उसकी तरफ बढ़ने लगा कोमल शुभम की लटकते हुए लंड को देखकर उत्तेजना से भरी जा रही थी। जैसे ही निर्मला ने खिड़की खोली वैसे ही तुरंत शुभम उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया।

आहहहहहहहह क्या कर रहा है थोड़ा सा सब्र कर,,,
( खिड़की खोलते ही बाहर से ठंडी हवा का झोंका कमरे में प्रवेश किया,, और तीनों के बदन में शीतल हवा की ठंडक ने झुरझुरी फैला दी। अपनी मां को बाहों में भर कर अपने तने हुए लंड को उसके नितंबों पर रगडना़ शुरू कर दिया।

कोमल गया देखकर उत्तेजना से भरी जा रही थी कि उसकी आंखों के सामने एक बेटा अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ रहा था।,,, लेकिन निर्मला बेहद खुश नजर आ रही थी और उसकी खुशी का कारण यह था कि उसका बेटा कोमल जैसी खूबसूरत नंगी लड़की बगल में होने के बावजूद भी उसे अपनी बाहों में भर कर प्यार कर रहा था इसकी वजह से निर्मला को अपने बदन पर गर्व होने लगा क्योंकि यह उसके खूबसूरत बदन का ही कमाल था की,, एक जवान लड़का जवान लड़की को छोड़कर उसे प्यार कर रहा था।,,,, शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका तना हुआ लंड ऊसकी मां की गांड के बीचो-बीच गश्त लगा रहा था। जो कि निर्मला की भी उत्तेजना को बढ़ावा दे रहा था शुभम अपने दोनों हाथों में अपनी मां के दोनों खरबुझों को पकड़कर दबाता हुआ बोला,,,।

ओहहहहहहहह,,,, मम्मी क्या करूं तुम्हारी मटकती हुई गांड देखकर मुझसे रहा नहीं गया।,,,,,( निर्मला अपने बेटे के ईस छेड़खानी से खिलखिला कर हंस रही थी।)


आहहहहहहहह,,,, क्या कर रहा है तेरा वो मुझे धंस रहा है।

धंसा रहा हूं तभी तो धंस रहा है, थोडी टांगे खोल दो तो उसे अंदर भी डाल दुं,,,,,


डाल देना मेरे राजा इतनी जल्दी भी क्या है अभी तो पूरी रात बाकी है क्यों कोमल,,, सच कह रही हुं ना।,,,,
( निर्मला अपनी आंखों में मदहोशी लिए हुए कोमल से बोली)

हां बूआ अभी तो सारी रात बाकी है।,,,,,,

( निर्मला कोमल का जवाब सुन कर मुस्कुरा दी लेकिन सुभम ं एकदम पागल हुए जा रहा था। उससे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था उसका खुंटा बार-बार निर्मला की गुलाबी बुर पर दस्तक दे रहा था। जो की निर्मला को भी काम वीभोर कर दे रहा था।,,, निर्मला की भी हालत पल पल खराब हुए जा रही थी उसकी भी इच्छा हो रही थी कि अपने बेटे के लंड को जल्द से जल्द अपनी बुर में डलवा कर चुदवाले,,, लेकिन इतने दिनों बाद भी दिखाना ठीक नहीं था क्योंकि उसे बहुत ज्यादा मस्ती करना था अभी तो वह कोमल से अपनीं बुर चटवाने के इरादे मेथी इसलिए वहअपने बेटे को अपने से दूर करते हुएैं बोली,,,

चलो बेटा बिस्तर पर वहीं यह सब खेल खेलते हैं।
( इतना कहकर वह बिस्तर की तरफ जाने लगी शुभम ठगा सा रह गया वह खिड़की से बाहर झांका तो बाहर चांदनी रात अपना जलवा बिखेर रही थी। चारों तरफ चांदनी उजाला फैला हुआ था ज्यादा कुछ साफ तो नहीं लेकिन फिर भी सब कुछ नजर आ रहा था।,,,,
शुभम खिड़की पर अपनी नजर आया तो देखा निर्मला बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी और अपनी दोनों टांगे फैलाए हुई थी,,,, और कोमल को खाते हुए अपनी गुलाबी बुर ़की पत्तियों को अपनी उंगलियों के बीच रख कर मसल रही थी ।,,,, निर्मला को बिस्तर पर लेट कर इस तरह की हरकत करते हुए देखना कोमल भी पूरी तरह से कामा तुर हो गई वह एक टक निर्मला को ही देखे जा रही थी,,,,, निर्मला प्यासी नजरों से कोमल की तरफ देखते हैं और अपनी बुर पर हथेलीै को रगड़ते हुए बोली,,,।

इधर आओ कोमल रानी तुम्हे जवानी का मजा चखाती हूं,,,,,,
( इतना सुनकर कॉमन निर्मला के करीब जाने लगी यह सब शुभम खिड़की के करीब खड़ा हो कर देख रहा था यह भी देख रहा था कि उसकी मां कितनी ज्यादा चुदवासी हो गई थी। वह मन में सोचने लगा कि अगर हर घर में ऐसी औरत हो तो सच मे हर एक बेटा मादरचोद बन जाए।,,,, वह अपनी मां की तरफ देख रहा था निर्मला अपनी बुर को सहलाते हुए कोमल को अपने करीब बुला रही थी। कोमल धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाते हुए निर्मला की तरफ बढ़, रही थी, जैसे ही कोमल निर्मला के दोनों टांगों के बीच पहुंची निर्मला बोली,,,,।

बस मेरी रानी अब तुम बिस्तर के किनारे बैठ जाओ,,
( कोमल समझ नहीं पा रही थी कि निर्मला क्या करवाना चाह रही थी लेकिन फिर भी,,, इस समय कहां कामाग्नि की ज्वाला मे तप रही थी और निर्मला की खूबसूरती के आकर्षण में बंधी हुई थी,,, निर्मला कह रही थी वैसा करते हुए वह बिस्तर के किनारे बैठ गई,,,,
अब निर्मला की गुलाबी फांखों और कोमल के गुलाबी होठों के बीच की दूरी तकरीबन 1 फीट जितनी ही रह गई थी,,, इस दूरी को कम करते हुए निर्मला अपने नितंबों को नीचे की तरफ कोमल के मुंह की तरफ बढ़ा दी,,,, कोमल को अब कुछ कुछ समझ में आने लगा था।
निर्मला छिनार पंडित आते हुए अपनी बुर को कोमल की फोटो के बिल्कुल करीब कर दी इतना करीब कि वह बिस्तर पर अपने दोनो टांगों को नीचे फर्श पर टिका कर लेटी हुई थी,,,, कोमल को निर्मला के बुर की गर्मी अपने होठों पर महसूस हो रही थी,,,, बुर से उठ रही मादक खुशबू उसके नथुनों से होती हुई उसके बदन में पहुंच रही थी जिससे वह और भी ज्यादा कामातुर हुए जा रही थी।,,, कोमल बिना कुछ बोले अपने आप ही अपने होठों को बुर पर रख कर उसका स्वाद लेना चाह रही थी। ऐसा वो खुद करती इससे पहले ही निर्मला बोल पड़ी,,,

ससहहहहहहहह,,,,, कोमल रानी मेरी बुर में आग लगी हुई है। ईसे अपने होठो से चूम कर अपनी जीभ से चाट कर शांत कर दो।,,,, जल्दी करो कोमल,,,,

( कोमल की भी उत्सुकता निर्मला की बुर चाटने के लिए बढ़ती जा रही थी, वह प्यासी नजरों से निर्मला की रेसीली बुर की तरफ देख रही थी जिसमे मदनरस छलक लग रहा था।,,,, कोमल भी अपनी लालच को रोक नहीं पाई और अपने प्यासे लाल लाल होठों को निर्मला की दहकती हुई गुलाबी बुर पर रखदी,, जैसे ही कोमल ने अपने होठों को निर्मला की बुर के ऊपर रखी निर्मला पूरी तरह से कसमसा गई,,, उसका बदन झनझना उठा। मदहोशी के आलम मे उसकी आंखें खुद-ब-खुद बंद हो गई।

ससससहहहहहहहहह,,, कोमल आहहहहहहहहह,,,,


कोमल पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसकी दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी। वो धीरे धीरे अपने जीभ से निर्मला की गुलाबी पत्तियों को चाटना शुरू कर दी,,, कोमल को थोड़ी ही देर में इस कार्य को करने में आनंद आने लगा धीरे-धीरे दोनों के मुंह से सिसकारी की आवाज आने लगी,,, शुभम यह सब देख कर एकदम मस्त हुए जा रहा था। उससे बिल्कुल भी शब्र नहीं हो रहा था,,,,। कोमल को अपनी मां की बुर चाटते हुए देखकर शुभम का लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, वह सीधे बिस्तर पर चढ़ गया और घुटनों के बल बैठ कर अपने तगड़े मोटे लंबे लंड को अपनी मां के चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया। अनुभवी निर्मला समझ गए कि उसका बेटा क्या करवाना चाहता है यह सब कोमल तिरछी आंखों से देख रही थी। कोमल की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि शुभम और उसकी मां क्या करने वाले हैं तभी शुभम नीचे की तरफ अपना हाथ ले जाकर अपनी मां की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसे चुचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया।
ससससहहहहह,,,,, सुभम,,,, आहहहहहहहहह,,,,,,
( और निर्मला गरम सिसकारी लेते हुए, बिना पकड़े ही शुभम के लंड को अपने मुंह में गटक गई,,,, अपने चेहरे को गोल गोल घुमाकर वह शुभम के मोटे लंड को चाटने का आनंद लेने लगी,,, यदि पता कोमल के बदन में कामोत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी,,, वग निर्मला की बुर चाटते चाटते अपनी बीच वाली उंगली को उसकी गुलाबी बुर फांकों के बीच के छेद में घुसा दी,,

ससससहहहहहहहह,,,,, कोमल,,,, एकदम छिनार हो गई रे तु तो,,, ( अपने बेटे के लंड को मुंह में से निकालते हुए बोली और इतना बोलने के साथ फिर से गप्प से पूरा मुंह में भर ली,,, निर्मला की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कोमल बोली,,,)

तुम्हारा छिनार पना देख कर ही यह सब सीख रही हूं,,

मेरी कोमल रानी कह तो ऐसे रही हो कि जैसे कभी भी किसी के लंड अपनी बुर मे ले कर चुदवाती ही नहीं,,,,

हां अभी तो बिल्कुल भी नहीं करवाती लेकिन जब से तुमको अपनी बेटे से चुदवाते हुए देखी हुं तब से ना जाने क्यों मुझे भी लंड लेने की इच्छा करने लगी है।,,,,,

तो आज अपनी इच्छा भी पूरी कर लेना,,,,,
( इतना कहने के साथ ही निर्मला ने अपना एक हाथ नीचे की तरफ बढ़ा कर कोमल के सिर पर रख दिया और उस पर दबाव देकर अपनी बुर को और जोर-जोर से चाटने के लिए इशारा व्यक्त करने लगी,,, कोमल भी पागलों की तरह निर्मला की बुर चाटने लगी,,, तीनों अपनी अपनी मस्ती में मदहोश हुए जा रहे थे।,,, थोड़ी ही देर में निर्मला की संस्कारी की आवाज बढ़ने लगी जिस तरह से कोमल अपने बीच वाली उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर कर रही थी उसे देखते हुए,,, निर्मला को इतनी दूर के अंदर मोटे तगड़ी लंड की आवश्यकता पड़ने लगी,,, निर्मला अपने बेटे के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल कर उसे हिलाते हुए सिसकारी लेकर बोली,,,।

सससहहहहहह आगहहहहहहहहह,,,,, अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है बेटा,,, अब जल्दी से तू मेरी बुर में अपना लंड डालकर मुझे चोदना शुरू कर दे,,,।
मेरी बुर तेरे लंड के लिए तड़प रही है।,,,,

क्यों क्या हुआ बुआ ऊंगली से मजा नहीं आ रहा है क्या?,,,,
04-02-2020, 05:11 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
?,,,,( बुर से अपने होठों को हटाते हुए बोली)

मजा तो बहुत आ रहा है रे लेकिन तेरी उंगलियों ने मेरी प्यास को और ज्यादा भड़का दी है,, जो कि अब मेरा बेटा ही अपने मोटे मुसल से बुझा सकता है,,,,।
( इतना देने के साथ ही निर्मला अपनी बेटे को उसकी टांगों के बीच में आने का इशारा करते हुए बोली,,,।)
शुभम मेरे बेटे दिखा दे इतनी ताकत आज मुझे एैसा जमकर चोद़ के मैं पानी पानी हो जाऊं,,,,।

तुम चिंता मत करो मम्मी मेरा मोटा ले ले तुम्हारी बुर में घुसकर गदर मचा देगा,,,( इतना कहते हुए शुभम बिस्तर से नीचे उतर आओ और कोमल को एक तरफ करते हैं निर्मला की टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया कोमल यह सब बड़े गौर से देख रही थी।,, शुभम अपने मोटे तगड़े लंड को पकड़कर अपनी मां की बुऱ की गुलाबी पत्तियों के बीच सटा दिया,,, जैसे ही सुभम का मोटे लंड का सुपाड़ा बुर पर स्पर्श हुई वैसे ही निर्मला की सिसकारी छूट गई,,,,।

ससससहहहहहह,,,,, आहहहहहहहहहहह रे सुभम मेरै राजा।,,,,,,,,

निर्मला का इतना कहना था कि सुदामा ने अपने दोनों हाथों से अपनी मां की मोटी मोटी चिकनी जांघो को पकड़ कर थोड़ा सा फैलाया,,, और हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का दिया,, निर्मला की बुर पहले से ही पानी पानी हो चुकी थी,,,

पहले से ही गीली हो चुकी बुर के अंदर शुभम का मोटा तगड़ा लंड आराम से सरक गया,,,, शुभम पहले प्रयास में ही अपने आधे लंड को अपनी मां की बुर में प्रवेश करा चुका था।,,, कॉमर्स धड़कते दिल के साथ यह मंजर देख रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था, वेसे तो ऊसे पहले से ही मालूम था कि सुभम अपनी मां को चोदता है लेकिन इस समय वह दोनों के इतने करीब होकर यह नजारे का लुत्फ उठा रही थी कि,,,, उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कोमल की सांसे भारी चल रही थी। कमरे में तीनों नंगे थे वह कोमल और निर्मला को संभोगनीय अवस्था में देख रही थी,,,। उत्तेजना के मारे उसका गला सूख रहा था जिस तरह से निर्मला एकदम खुले तौर पर अपने बेटे से चुदवा रही थी ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि यह दाेनो मां बेटे हैं बल्कि ऐसा लग रहा था कि एक मदमस्त औरत एक जवान लड़के को अपना आशिक अपना प्रेमी बनाकर उसे से चुद़वा रही है।,,,, निर्मला आंखों में मदहोशी का नशा लेकर अपने बेटे की तरफ प्यासी और उत्सुकता भरी नजरों से देख रही थी। उसे इंतजार था जब वह पूरा का पूरा लंड बुर में डालकर उसकी जमकर चुदाई करना शुरू करता। ऐसा नहीं था कि सिर्फ कोमल की ही सांसे तेज चल रही थी,,, निर्मला भी सांसे थामे लेटी हुई थी।,, शुभम का भी दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, तीनों इस पल का भरपूर आनंद उठाना चाहते थे लेकिन तीनों की स्थिति अलग थी शुभम अपनी मां को जमकर चोदना चाहता था निर्मला अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में महसुस करना चाहती थी,, और कोमल अपनी आंखों के सामने एक बेटे को अपनी मां को जमकर चोदते हुए देखना चाहती थी यह देखना चाहती थी कि मर्द औरत के यहां तो कितना मजबूर हो जाता है कि सारे रिश्ते नातों को भूल कर बस उसमे समा जाने की ही चेष्टा करता रहता है।,,
शुभम अपनी मां की चिकनी कमर को दोनों हाथों से थामे अगले प्रहार के लिए तैयार हो चुका था निर्मला दी अपने आप को अपने बेटे के अगले जबरदस्त धक्के को सहने के लिए तैयार कर चुकीे थी,, और पूरी तरह से चोदा से भरा हुआ शुभम एक जोरदार प्रहार करता है और उसका पूरा समाचार लंड उसकी मां की दिल की गहराई में समा जाता है,,,,।

सहहहहहहहह,,,,, सुभम,,,,,,, आहहहहहहहहहह,,,,, पूरा घुस गया रे,,,,,आहहहहहहहह,,,,
( कोमल यह देखकर पूरी तरह से हैरान हो चुकी थी शुभम का पूरा का पूरा लंड उसकी मां की बुर की गहराई में ऐसा खो गया था कि मानो कोई पानी में डूब गया हो। कोमल इस बात से हैरान थी कि शुभम का इतना लंबा लंड छोटी सी बुर के अंदर कैसा समा गया था।,,,,,,,,,


आहहहहहहहह,, बेटा बस अब तो धीरे-धीरे चोदता हुआ मुझे जन्नत की सैर करा मेरे तन बदन को निचोड़ डाल,,, आहहहहहहहह,,,
( इतना कहना था कि शुभम अपने मोटे लंबे लंड को वापस बुर की गहराई से बाहर की तरफ खींच कर एक और जबरदस्त धक्का मारा और इस बार भी लंड का सुपाड़ा सब कुछ चीरते हुए बुर की गहराई में समा गया।
एक बार फिर से निर्मला के मूंह आह निकल गई लेकिन इस बार शुभम ने निर्मला को समझने का कोई भी मौका नहीं दिया और अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया शुभम के हर धक्के के साथ निर्मला की आह के साथ सिसकारी छूट जा रही थी। यह नजारा कोमल को पूरी तरह से उत्तेजना से भर दिया वह अपने हाथों से ही अपनी बुर को मसलना शुरू कर दि।,,, निर्मला यह देखकर मन ही मन प्रसन्न होने लगी शुभम के हरदा के के साथ उसका मांसल बदन पानी की लहर की तरह लहरा जा रहा था अपने बेटे से चुदवाती हुई वह कोमल से बोली,,,

सससहहहहहहह,,,, कोमल देख,,,, आहहहहहहहह,,, ऐसे चुदवाया जाता है,,, ससससहहहहहह. ,,, जब तू मेरे बेटे से चुदवाई गी तो ओहहहहहहहहह मां उसका मोटा लंड ऐसे ही तेऱी बुर के अंदर आहहहहहहहह,,, बाहर होगा।,,,,,,ऊहहहहहहहह,,,,
देख ऐसे ही हर धक्के के साथ तेरे मुंह से भी आहहहह ऊहहहहह की आवाज आएगी,,,,,,।

कोई बात नहीं बुआ मैं सब कुछ सहन कर लूंगी तुम्हें अपने बेटे से ही तरह से चुदवाते हुए देख कर मेरी बुर मे भी आग लग रही है,,,,।
( इतना कहने के साथ ही कोमल बिस्तर पर चढ़ गई अोर निर्मला की चुचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दी,,, निर्मला को दुगना मजा मिलने लगा। निर्मला की बुर गप्प गप्प करके अपने बेटे के लंड को अंदर ले रही थी। कोमल की बुर पानी फेंक रही थी उससे कुछ बर्दाश्त नहीं हो रहा था वह जल्द से जल्द शुभम से चुदना चाहती थी,,,, जब उससे बुर की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई तो वह निर्मला के चेहरे पर घुटनों को गर्दन के अगल-बगल मोड़ कर बैठ गई और अपनी बुर को निर्मला के होठो से सटाते हुए बोली,,,

सहहहहहहह बुआ,,,,,,, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है अपना तो अपने बेटे का लंड लेकर मस्त हो रही हो लेकिन यह सब देख कर मेरी बुर में आग लगी हुई है अब जल्दी से जल्दी ईसे चाटकर ठंडी करो,,,,ओहहहहहहह बुआ जल्दी करो बुआ,,,,,,

अरे तू तो एकदम रंडी हो गई है रे,,,,,

अब कुछ भी हो जाओ हमेशा तुमसे कम ही रहूंगी और इतना कहने के साथ ही खुद ही अपनी रसीली भी बुर को निर्मला की होठों पर रगड़ना शुरू कर दी,,, आखिर कोमल की जवानी और उसकी मादक खुशबू से भरपूर बुर का स्वाद चखने से भला निर्मला कब तक अपने आप को रोक पाती,,,, वह भी अपनी जीभ उसमे घुमाना शुरू कर दी,,, दोनों मस्त हुए जा रहे थे। शुभम तो यह नजारा देखकर उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी अपनी आंखों के सामने वह कोमल की गहराई गांड को गोल गोल घूमते हुए देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो चुका था और उसके झटके और भी अत्यधिक तेज होने लगे थे उसे जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी उंगली को उसकी बुर में डालना शुरू कर दिया कोमल की उत्तेजना और मस्ती दोनों पढ़ रही थी। शुभम एक हाथ से कोमल की नरम नरम गांड दबा रहा था तो एक हाथ की बीच वाली उंगली को वह उसकी बुऱ के अंदर बाहर करते हुए उसके जोश को और ज्यादा बढ़ा रहा था।
बंद कमरे में आपसी रिश्तों के बीच वासना का सेलाब उठ रहा था। कोमल गर्म सिसकारी भरते हुए अपनी गदराई गांड को निर्मला के चेहरे पर रगड़ रही थी शुभम अत्यधिक जोश में अपने लंड के खुंटे को अपनी मां की जमीनी बुर मे गाड़ रहा था। मां बेटे दोनों की जांघों की आपस में टकराने से छप छप की आवाज आ रही थी जो कि दोनों के जोश को बढ़ा रही थी। शुभम की चुदाई तीव्र गति से हो रही थी। वह अपनी मां को बड़े जोश के साथ चोद रहा था, तीनो अपनी अलग ही दुनिया में मस्त हुए जा रहे थे । कुछ देर बाद अपने बेटे की जबरदस्ती चुदाई का सामना नहीं कर पाई और भल भलाकर झड़ने लगी,,,, लेकिन शुभम नहीं झढ़ा था उसकी आंखों के सामने कोमल की गदराई जवान गांड लहरा रही थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे शुभम को इशारा कर रही हो अपनी तरफ बुलाने के लिए और यही देखकर शुभम का जोश और ज्यादा बढ़ गया वह अपनी मां की बुर में से अपना लंड वापस निकाला,, उसका पानी अभी नहीं निकला था। लेकिन उसके लंड से निर्मला का मदन रस अभी भी टपक रहा था,, शुभम अपने दोनों हाथोे से कोमल की पतली कमर को थाम कर अपनी तरफ खींचने लगा शुभम की भुजाओं में अत्यधिक बल था इसलिए कमर को समझ पाती इससे पहले ही वह कोमल को अपनी तरफ खींच लिया और जैसे ही उसकी बड़ी बड़ी गांड शुभम के लंड के करीब आई शुभम उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए उसे नीचे की तरफ दबाने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे कोमल भी उसके ईसारे को समझ गई और वह भी निर्मला पर ही झुक गई सुबह मैं अपने दोनों हाथों से कोमल कि सुडौल नितंबों को पकड़कर ऊपर की तरफ उठाया, जेसे ही उसे लगने लगा कि ऊसका लंड ठीक उसकी बुर के सामने है तो वह अपने लंड को कोमल की बुर के मुहाने पर रखकर जोश में जोरदार धक्का मारा और एक साथ ही उसका आधा लंड कोमल की बुर में समा गया,,, लेकिन इतनी जबरदस्त प्रहार के लिए कोमल पूरी तरह से तैयार नहीं थी इसलिए उसके मुंह से चीख निकल गई,,, उसकी चीख की आवाज सुनकर निर्मला उसके बालों में उंगली घुमाते हुए बोली।

क्या हुआ कोमल रानी पूरा घुस गया क्या ?

नहीं बुआ अभी तो आधा ही गया है,,,,( कोमल दर्द से कराहते हुए बोली,,,,।)

पुरा घुसेगा तब मजा आएगा। ( ईतना कहने के साथ ही निर्मला कोमल की चुचीयो को थामकर ऊसे दबाने लगी।
कोमल मस्त होने लगी, निर्मला के नंगे बदन पर झुककर घुटनों के बल बैठी हुई थी शुभम कोमल की मस्त गांड को पकड़कर अपना आधा लंड ऊसकी बुर में पेल चुका था। जिंदगी में पहली बार उसने इस तरह का आनंद उठा रहा था वह क्यों निर्मला और कोमल भी,,, पूरी तरह से मजा लूट रही थी,,, कोमल की बुर अभी भी बहुत टाइट थी तभी तो शुभम का आधा लंड बुर की गहराई में फंस चुका था। शुभम के बदन में उत्तेजना अपना असर दिखा रही थी उसका जोश बढ़ता जा रहा था,,, उसकी आंखों के सामने दो दो गुलाबी बुर नजर आ रही थी एक ने पानी फेंक दी थी और दूसरी आधे लंड को अंदर लेकर कुलबुला रही थी। अपने दोनों हाथों से कोमल की चूचियों को दबाकर उसकी हालत और खराब किए जा रही थी कोमल जी निर्मला की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचीयो को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने आप को संभाले हुए थी। शुभम जोशं से भरा हुआ कोमल की गांड को अपनी हथेलियों में भर भर कर दबा रहा था। शुभम एक बार फिर से करारा झटका मारा और इस बार उसका पूरा का पूरा लंड बड़ी तेजी से बुर की गहराई में उतर गया। जबरदस्त प्रहार की वजह से कोमल चीख ऊठी,,,

आहहहह,,,,, मर गई रे। आहहहहहहहहहह,,,,,,,

घबराओ मत मेरी कोमल रानी और तुम्हारी बुर का भी उद्घाटन हो गया है तुम्हारी बुर मे मेरे बेटे ने लगता है पूरा का पूरा लंड घुसा दिया है तभी तुम ईस तरह से चीख रही हो।,,,,,
( जवाब में कोमल बोली कुछ नहीं बस अपना सिर हिलाकर हामी भर दी उसे बहुत जोर का दर्द हो रहा था वह अपने दांत को भींचे हुए थी,,,, निर्मला उसे सांत्वना देते हुए बोली,,,।)

सब ठीक हो जाएगा अभी थोड़ी देर में ही तुम खुद ही उसके लंड पर कूद कूद कर चुदवाओगी बस थोड़ा धैर्य रखो,,
04-02-2020, 05:11 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
इतना कहने के साथ ही निर्मला उस के दर्द को कम करने के उद्देश्य से थोड़ा सा ऊपर उठी और लपक कर कोमल की छोटी-छोटी नारंगी को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दी,,,, सुभम पीछे से अपने लंड को बुर में डाले हुए ही,, कोमल की नंगी गांड को अपनी हथेलियों से चला रहा था,,,,, कोमल को अभी भी दर्द का आभास हो रहा था एक बार सुभम के लंड से चुदने के बाद भी,,, आज उसकी बुर शुभम के मोटे तगड़े लंड को लेने में दर्द कर रही थी। कुछ देर बाद ही शुभम के सहलाने और निर्मला के द्वारा चूची पीने की वजह से कोमल के बदन में उत्तेजना की लहर फिर से दौड़ने लगी उसे लगने लगा कि अब उसकी बुर चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है इसलिए बिना बोले ही शुभम को इशारा देने के उद्देश्य से वह अपनी गांड को हल्के से आगे की तरफ खींच कर दुबारा उसे पीछे की तरफ ठेल दी,, कोमल की हरकत की वजह से शुभम का लंड कोमल की बुर में अपने आप अंदर बहार हुआ,,, यह कोमल का इशारा शुभम समझ गया और कोमल की कमर अपने दोनों हाथों से थामते े हुए बोला,,,

ओहहहहहहहह. मेरी जान बस अब देखो मैं तुम्हें कैसे चाेदता हूं,,, आज तुम्हाऱी बुर को अपने मोटे लंड से चोदकर भोसड़ा ना बना दिया तो बोलना,,,,,,,

मेरी तो यही चाह रही हूं मेरे राजा आज मुझे चोदो कि मैं जिंदगी भर याद रखु,,,,,,


एक नंबर की रंडी होती जा रही हो कोमल तुम,,,, अभी से यह हाल है तो पता नहीं बाद में क्या होगा?
( निर्मला कोमल की दोनों चुचीयों को मसलते हुए बोली,,,,)

कुछ मत कहो बुआ,,, तुम्हारे बेटे के पास जो हथियार है उसे पाने के लिए हर औरत इस हद तक जा सकतीे हैं,, जब तुम अपने बेटे से चुदने की लालच को रोक नहीं पाई तो हम लोग क्या हैं,,,,, बस शुभम किसी बात पर ध्यान मत दो और अपना काम करो,,,,,


वही तो कर रहा हूं मेरी जान तेरी बुर पीछे से चोदने में और मजा आता है। चल अब तू तैयार हो जा अपनी ओखली में मेरे मुसल का बार सहने के लिए,,,,,
( शुभम की यह बात सुनकर कोमल को भी लगने लगा कि सुबह जबरदस्त प्रहार करने वाला है इसलिए वह कसमेसाते हुए अपनी गदराई गांड को बाय बाय करते हुए एडजेस्ट करने लगी,,, शुभम पूरी तरह से तैयार था बार करने के लिए और वहां कोमल की पतली कमर को अपने दोनों हाथों से थाम कर अपनी कमर को कच कचा कर आगे की तरफ ठेला,,, और तुरंत पीछे की तरफ निकाल दिया एक बार फिर से उसका मोटा लंड कोमल की बुर की गहराई नाप कर ऊपर की तरफ आ गया था,,, शुभम की ओर से भरा हुआ था अब रुकना उसके बस में नहीं था। वह बड़ी तीव्र गति से अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए किसी मशीन की भांति चलाने लगा हर धक्के के साथ कोमल आगे की तरफ पसर जा रही थी जिसे निर्मला अपनी बाहों में भर कर उसकी चूचियों से खेल रही थी,,,, चुदाई का महासंग्राम शुरू हो चुका था शुभम का लंड धड़ाधड़ बुर के अंदर बाहर हो रहा था। कमरे में गर्म सिसकारीयो की आवाज गूंज रही थी। शुभम जिस तरह से जबरदस्त प्रहार कर रहा था उसकी वजह से पूरा पलंग चरमरा रहा था,, अपने बेटे की ताकत को देख कर एक बार फिर से निर्मला की बुर पानी छोड़ने लगी,,, बहुत जोर जोर से कोमल की चूची को दबाते हुए अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका रही थी,,, वह भी इसी समय से सुभम के लंड से चुदना चाहती थी,,, बार-बार वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाकर सुभम के लंड़कों अपनी बुर में लेने का इशारा कर रही थी।,,,, शुभम हुमुच हुमुच कर कोमल की बुर में अपना लंड पेल रहा था। कोमल की हालत खराब हुए जा रही थी लेकिन मजा दोगुना मिला था वह मस्त होकर अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल कर और जोर जोर से लंड लेने के लिए मचल रही थी। शुभम गरम आहै भरते हुए अपने धक्के लगा रहा था। कोमल के नीचे निर्मला मचल रही थी अपने बेटे के लंड को लेने के लिए,,, शुभम भी अपनी मां की तड़प को समझ गया और कोमल की बुर में से लंड निकाल कर अपनी मां की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया जब वह अपनी मां की बुर चोद रहा था तो दो उंगली कोमल की बुर में डालकर आगे पीछे करतै हुए उसे उंगली से चोदने का मजा दे रहा था। लेकिन सिलेंडर का स्वाद चख चुकी बोर को उंगली से कहां मजा आने वाला था,,, कोमल की तड़प बढ़ती जा रही थी,, और शुभम अपनी मां की बुर चोद रहा था कोमल अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दे रही थी उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था,,, वह सिसकारी लेते हुए बोली,,,

ससससहहहहहह,,,,,, उंगली से नहीं मेरे राजा अपने लंड से चोदो उंगली से मजा नहीं आ रहा है,,,,

चिंता मत करो मेरी जान तुम्हारी चुदाई में अपने लंड से ही करूंगा,,, ( इतना कहने के साथ ही सुभम अपनी मां की बुर में से लंड निकाल कर वापस कोमल की बुर में डाल दिया,,, ऐसा करते हुए वह बारी बार से कोमल के साथ साथ अपनी मां की भी चुदाई कर रहा था। तकरीबन 35 मिनट की घमासान चुदाई के बाद तीनों पसीने से तरबतर हो चुके थे कोमल और निर्मला की सिसकारियां तेज होती जा रही थी शुभम भी अपने धक्कों की रफ्तार को तेजी से बढ़ा रहा था। एकाएक कोमल और निर्मला का बदन अकड़ने लगा,,, शुभम समझ गया कि दोनों का पानी निकलने वाला है,,, इसलिए मैं सबसे पहले कोमल की बुर में लंड डालकर उसे जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया करीब 10, १५ धक्कों के बाद वह अपना पानी छोड़ दी,,, उसका पानी निकलते ही शुभम उसकी बुर मे से अपना लंड निकाल कर अपनी मां की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया,, वह भी तीन-चार मिनट बाद ही अपना पानी छोड़ दी और उसके साथ ही सुभम भी अपना पानी निकाल कर उन दोनों पर ही निढाल होकर गिर गया कुछ देर तक तीनों संपूर्ण नग्न अवस्था में ही एक दूसरे को अपनी बाहों में भर कर ऐसे ही लेटे रहे,,,।
जहां एक तरफ असीम आनंद से भरपूर चुदाई का कार्यक्रम अपनी प्रथम चरण में सफलतापूर्वक समाप्त होकर आगे की तरफ बढ़ रहा था। वहीं दूसरे कमरे में सुहागरात के सपने लिए सुगंधा अपने अरमानों के किले को ढहता हुआ अपनी आंखों से देख रही थी,,। उसकी खुशियों पर किसी ने झपट्टा मार लिया था उस के अरमानों पर निठल्ले पन का खंजर उसे जख्म दे गया था चारों तरफ ऊसे अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था। अपने पति को इस तरह से अपनी सुहागरात की हसीन रात को नाकामयाबी की सीढ़ी चढ़ते हुए देखकर उसके
सारे सपने बिखर कर रह गए थे,,, अपने पति के द्वारा किसी भी प्रकार की चेष्टा होते ना देख कर वो खुद ही बेशर्म बनकर अपने हाथों से उनके कपड़ों को उतार रही थी और वह शर्मा रहा उसकी सपनो का महल तभी गिरने लगा था जब उसने अपनी पती के छोटे से लंड को देखी थी,,जो की सुहागरात में उसकी बुर में जाने वाले मोटी तगड़ी लंड की तुलना में उसका लंड आधा भी नहीं था। सुगंधा पूरी तरह से रुवासी हो चुकी थी,, लेकिन फिर भी अपने मन को मजबूर करके अपने पति के लंड को खड़ा करने की कोशिश करने लगी,, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पा रही थी,, आखिरकार सुगंधा अपनी बेशर्मी की हद तौड़ते हुए ना चाहते हुए भी उस छोटे से ढीले लंड को अपने मुंह में लेकर चूस कर खड़ा करने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका यह चुसना असर दिखाता इससे पहले उसके लंड ने पानी छोड़ दिया।,,, वह अपनी किस्मत पर रोने लगी। और उसका निठ्ठला पती बेशर्म की तरह वहीं बिस्तर पर नाक बजाते हुए सो गया,,,,। सुगंधा से रहा नहीं जा रहा था उसकी बुर की गर्मी उसे बेचैन बना रहे थे एक पल को ऐसा उसका मन कहा कि शुभम को फोन करके अपने कमरे में बुला ले और बुर की गर्मी के आगे वह बेबस होकर उसे दो बार फोन भी लगाई लेकिन शुभम का मोबाइल साइलेंट में था इसलिए उसे मालूम ही नहीं पड़ा कि सुगंधा ने फोन कि है थक हारकर वह एक किनारे बिस्तर पर सुबकते हुए लेटी रही,, ।

दूसरी तरफ तीनों संतुष्ट होकर एक दूसरे पर लेटे हुए थे।
शुभम कोमल के ऊपर से उठा ऊसका लंड पानी छोड़ कर झूल गया था।,,, धीरे-धीरे कोमल की निर्मला के ऊपर से उठ कर बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई,,, उसके सर पर से वासना का असर उतर गया था वह शर्माने लगी थी,, इसलिए चादर उठाकर अपने नंगे बदन पर डाल दी यह देखकर निर्मला उसके बदन से चादर खींच कर नीचे फेंकते हुए बोली,,,।

अब इसकी क्या जरूरत है कोमल रानी,,, अब तो हम तीनों एक दूसरे के बारे में सब कुछ अच्छे से जान भी चुके हैं इसलिए अब पर्दा करने की कोई जरूरत नहीं है।
दूसरी तरफ सुभम अपने झुल़ते हुए लंड को झुलाते हुए कोमल से बोला,,,।

कैसा लगा कोमल मेरी जान मेरे लंड का स्वाद,,,
( कोमल शुभम की बात सुनते ही शर्मा गई और अपना मुंह से छुपाने लगी,, लेकिन निर्मला अपने बेटे की बात का जवाब देते हुए बोली,,,।)

अरे यह बोले या ना बोले लेकिन इसकी बुर( जबरदस्ती उसकी टांगों को खोलते हुए) सब कुछ बोल दे रही है कि कितनी मस्त हो गई है ये देख केसे तेरा पानी ईसकी बुर से निकल रहा है।,,,
( इतना सुनते ही कोमल बोली।)

बुआ पानी की सुबह में तुम्हारी बुर में निकाला है तो मेरी बुर से कहा निकलेगा,,,।

अरे तेरा पानी तो निकाल दिया ना,,।


अरे तुम दोनों ने मिलकर मेरा इतना सारा पानी निकाल दिया (सुभम मुस्कुराते हुए अपने लंड को हिलाते हुए बोला)

शुभम तेरा तो झूल गया है अभी तो सारी रात बाकी है (शुभम के झूलते हुए लंड की तरफ देखते हुए निर्मला बोली)

अरे मम्मी से खड़ा होने में कितना टाइम लगेगा अभी कोमश ईसे मुंह में ले कर चुसेगी और तुरंत खड़ा हो जाएगा,,,
( इतना कहकर शुभम कोमल की तरफ आगे बढ़ा,,, कोमल शर्मा रही थी लेकिन जिस तरह से शुभम का झूलता हुआ लंड इधर उधर झूल रहा था उसे देखकर उसकी बुर में चीटियां रेंगने लगी,,, एक बार फिर से कोमल की बुर कुल बुलाते हुए पानी छोड़ने लगी,,, और उत्तेजित होकर कोमल खुद ही शुभम के झुलते हुए लंड को पकड़कर मुंह में लेकर चूसने लगी,,,, यह देखकर निर्मला के बदन में भी सुरूर छाने लगा लेकिन निर्मला कुछ कर पाती ईससे पहले ही शुभम अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की टांग पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया,,, और उसे घोड़ी बन जाने के लिए कहा,,,, निर्मला भी फिर से चुदवासी हो गई और जैसा शुभम ने कहा वैसे घूमकर झुक

अब शुभम की आंखों के सामने निर्मला की बड़ी बड़ी मोटी गांड हवा में उठी हुई थी जिसे देख कर शुभम की आंखों में खुमारी छाने लगी,,, और वह अपना मुंह उसकी गांड की तरफ ले जाकर उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया,,, बुर में से अभी भी उसका पानी निकल रहा था जिसकी वजह से उसे कुछ अटपटा सा लग रहा था,,, लेकिन बुर चाटने में उसे बहुत मजा आ रहा था,, तभी शुभम को जैसे पिछली बातें याद आई हो इस तरह से वह एक उंगली अपनी मां की गांड के भूरे रंग के छेद में डालना शुरू कर दिया,,, जैसे ही उसने मेरी गांड में प्रवेश की वैसे ही निर्मला चौंक उठी और अपनी गांड को आगे की तरफ खींचते हुए बोली,,,।

यह क्या कर रहा है बेटा,,,

मम्मी आज तो मुझे नहीं रखोगे तुम ही ने मुझे वादा किया था कि एक दिन तुम मुझे अपनी गांड मारने दोगी,,,

लेकीन,,,,,

लेकिन लेकिन कुछ नहीं मम्मी,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम गांड के भूरे रंग के छेद पर अपना मुंह रखकक ऊसे चाटना शुरू कर दिया,, निर्मला पहले तो इंकार करना चाहती थी लेकिन शुभम की हरकत की वजह से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसके मन में भी उत्सुकता होने लगी,,, वह भीं आज उस छेंद का भी मजा ले लेना चाहती थी इसलिए शुभम को रॉकी नहीं,,, कोमल तो सुभम की बात सुनकर हैरान हो गई थी लेकिन शुभम की इस बात में उसके तन बदन में कामोत्तेजना कि फुहार बरसाना शुरू कर दिया था और वह जो उसके साथ शुभम के लंड को पूरा मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी थी जो कि अब पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,, सुभम जैसे जैसे अपनी जीभ से उसकी गांड चाट रहा था वैसे वैसे निर्मला की सिसकारी पूरे कमरे में गुंजने लगी थी,,,,। थोड़ी देर बाद ही निर्मला भी पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी और शुभम भी,,,,
लेकिन शुभम के मन में कुछ और चल रहा था क्योंकि कोमल भी पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी और अपने हाथ से ही अपनी बुर को रगड़ रही थी,,, शुभम जानता था कि एक बार उसका पानी निकल चुका है इसलिए वह काफी देर तक चुदाई कर सकता है इसलिए कोमल की टांग को पकड़ कर बिस्तर के किनारे तक लेकर आया और उसकी टांगों को फैला कर अपना लंड उसकी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया यह देखकर निर्मला का जोश ओर ज्यादा बढ़ने लगा,,, वह भी कोमल के होठों पर अपना बुर रगड़ना शुरू कर दी,,
04-02-2020, 05:12 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तीनों पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे कोमल तो सुभम के मोटे लंड को लेकर उत्साहित में जा रही थी और अपनी कमर को ऊपर उछाल उछाल कर शुभम का भी हौसला बढ़ा रही थी। तकरीबन 20 मिनट के बाद कॉमल में पानी छोड़ दी,,, निर्मला इसी पल का इंतजार कर रही थी और वहं तुरंत अपनी गांड उठाकर नीचे की तरफ झुक गई,, शुभम जानता था कि इतनी आसानी से उसका मोटा लंड गांड के छेंद में जाने वाला नहीं है इसलिए वह ढेर सारा थूक गांड के छेद पर लगाया और अपने लंड पर चुपड़ दिया,,, जैसे ही वह लंड का सुपाड़ा गांड के भूरे रंग के छेंद पर सटाया निर्मला एकदम से गनगना गई,,, शुभम आहीस्ता आहीस्ता अपने लंड को गांड के छेद में डालना शुरू कर दिया,,, गीलेपन की वजह से उसके लंड को मोटा सुपाड़ा धीरे-धीरे करके गांड में प्रवेश कर गया,,, निर्मला की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी साथ में उसे दर्द भी महसुस हो रहा था,, लेकिन उसे रोमांचकारी अनुभव हो रहा था,, वह भी उत्सुक थी पुर का पूरा लंड अपनी गांड में लेने के लिए,,, आखिरकार शुभम की मेहनत रंग लाई और उसके लंड का मोटा सुपाड़ा गांड के अंदर अच्छी तरह से घुस गया,, जो देखकर कोमल भी हैरान थी वह बड़े गौर से देखे जा रही थी। शुभम जानता था कि जब सुपाड़ा अंदर कुछ किया है तो पूरा लंड भी उसकी गांड में घुस ही जाएगा,,, दर्द के मारे निर्मला थरथरा रही थी,,,, और वह डरते हुए बोली,,,

धीरे से शुभम बहुत दर्द करेगा,,,

अपने आप को संभालना मैं आराम से ही करूंगा,,,, (और इतना कहने के साथ है शुभम ने जोर से अपनी कमर को आगे की तरफ ठैला,, सर सराता हुआ शुभम का आधे से ज्यादा लंड गांड में प्रवेश कर गया,,,, दर्द के मारे निर्मला कराहने लगी,,,, वह ऊसे वापस निकाल लेने के लिए कह रही थी,, लेकिन मैं जानता था कि एक बार अगर उसने वापस निकाल दिया तो उसकी मां उसे वापस नहीं डालने देगी,,, इसलिए वहां अपनी मां की गोरी गोरी गांड को सहलाते हुए उसके दर्द को दूर करने की कोशिश करता रहा और थोड़ी देर बाद निर्मला की कराहने की आवाज बंद हो गई सही मौका देखकर शुभम ने बचा कुचा लंड भीे गांड में डाल दीया। एक बार फिर से निर्मला दर्द से छटपटा गई। लेकिन इस बार शुभम नहीं रुका और धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए गांड मारना शुरू कर दिया कुछ ही देर में निर्मला की कराहने की आवाज गरम सिसकारी में बदल गई,,, उसे मजा आने लगा और शुभम भी,, अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दबाते हुए चोदना शुरू कर दिया। अब निर्मला और सुभम दोनों को मैं जा रहा था तो कोमल कहां पीछे रहने वालीे थी,,, वह भी निर्मला के करीब घुटनों के बल जाकर अपनी बुर चटाना शुरू कर दी,, निर्मला भी कोमल की बुर चाटने लगी,,।
आज सुभम की ख्वाहिश पूरी हो रही थी,, करीब आधे घंटे बाद निर्मला को मस्ती करने के बाद शुभम भी झड़ गया,,,,,।

तीनों बिस्तर पर लेटे हुए थे,,, निर्मला कोमल को भी गांड मराने के लिए बोली लेकिन वह इंकार कर दी,, सुबह होते होते शुभम ने एक एक बार फिर से निर्मला और कोमल की चुदाई किया तीनों सोए नहीं थे जब सुबह होने वाली थी तो कोमल अपने कपड़े पहन कर धीरे से कमरे से बाहर चली गई।


शुभम और निर्मला को गांव आए काफी दिन हो चुके थे।
अब वह दोनों शहर जाने की तैयारी कर रहे थे। आज की रात और रुकना था। निर्मला बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार उसने किसी लड़की के साथ मिलकर साथ में चुदने का आनंद उठाई थी। यही हाल शुभम का भी था एक नया अनुभव एक नया रोमांच उसके तन बदन को झकझोर के रख दे रहा
था। बड़ी ही कुशलता पूर्वक और मजे हुए खिलाड़ी की तरह उसने निर्मला और कोमल को निपटाया था। इसी से शुभम की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता था निर्मला ताे बहुत खुश थी कोमल का भी यही हाल था। कोमल कभी जिंदगी में भी नहीं सोची थी कि शादी से पहले ही चुदाई की असीम सुख को वह भोग लेगी,,, संभोग सुख का जो उसे अनुभव मिला था यह वह जिंदगी भर नहीं भुलने वाली थी।,, एक तरह से वह सुभम की दीवानी हो चुकी थी।,,,, रात भर जागने की वजह से शुभम को नींद का आभास हो रहा था इसलिए वह नहाने जा रहा था।,, निर्मला नहा चुकी थी और वह अपने बालों को संवार रही थी। शुभम होंगर में टंगी अपनी पैंट की जेब में अपनी मोबाइल देखने लगा तो उसने सुगंधा का तीन मिस कॉल था और वह भी रात के 1:30 बजे,,, शुभम मन ही मन में सोचने लगा कि आखिर ये डेढ़ बजे मेरे को फोन क्यों कर रही थी। वह हाथ में फोन लिए हुए ही कुछ देर तक सोचने लगा उसे लगने लगा कि कहीं वह सब कुछ जान तो नहीं गई है।
वह कुछ सोचने लगा लेकिन वह अपने कपड़े लेकर नहाने के लिए चला गया। घर के पीछे पहुंचा तो देखा की सुगंधा वहां नहा रही थी और उसके वस्त्र भीग जाने की वजह से उसकी खूबसूरत जिस्म से चिपके हुए थे जिसकी वजह से उसका हर वह अंग,, नजर आ रहा था जिसे देखने पर हर मर्द के बदन में कामुतता की लहर दोड़ने लगती है। यह देख कर शुभम का मन एक बार फिर से डोलने लगा,,,, लेकिन ना जाने क्यों वह सुगंधा से नजर नहीं मिलाना चाहता था और इसलिए वह जैसे ही वापस जाने के लिए पलटा,,, सुगंधा की नजर ऊसपर पड़ गई और उसे,,, आवाज देकर रोक ली,,, शुभम को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये रोक क्यों ली है,,। लेकिन फिर भी वह धीरे-धीरे उसके करीब पहुंच गया वहां और कोई भी नहीं था,,,, शायद सब लोग नहा कर चले गए थे।,,, सुगंधा तिरछी नजर से उसकी तरफ देखते हुए बोली थोड़ा गुस्से में नजर आ रही थी। और वह गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,

तुम्हारा ही नाम सुभम हे ना,,,,

हां,,,,, ( धीरे से शुभम बोला)

तुम ही मुझे फोन करते थे? ( कपड़े को धोते हुए उस पर साबुन लगाते हुए बोली, )

हां,,,, (थोड़ी देर सोचने के बाद बोला)

क्यों करते थे क्या समझ रखा था तुमने मुझे,,,, ( सुगंधा गुस्से में थोड़ा तेज बोलने लगी और उसकी तेज अवाज सुनकर शुभम उसे शांत कराते हुए बोला।)

ईतनी जोर से क्यों चिल्ला रही हो मामी,,, कोई सुन लेगा तो क्या समझेगा,,,,,

कोई कुछ भी समझे मुझे अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता,,, और मामी क्यो मेरी रानी मेरी जान कहो,,,
दिन के उजाले में ये रिश्तेदारी क्यों,,,,

क्या बकवास कर रही हो मामी ( सुभम अपनी नजर बचाते हुए इधर उधर देख कर बोला)

अब बनने की कोई भी जरूरत नहीं है मुझे सब पता चल गया है कि फोन पर कभी मुझसे मेरा पति बन कर बात करते थे और,, सुहागरात के दिन तुम ही मेरे कमरे में आकर मेरे साथ बिना शादी के सुहागरात मना कर चले गए,,,,

( शुभम को समझते देर नहीं लगी थी कि सुगंधा को सारी बात का पता चल गया है और अब छुपाने से भी कोई बात नहीं बनने वाली थी लेकिन सुगंधा जिस तरह से जोर जोर से बोल रही थी उससे सारा मामला उलझ सकता था। फिर भी वह सुगंधा की बात को टालने के गरज से बोला।)

मामी तुम यह कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हो कोई सुन लेगा तो वह क्या समझेगा,,,,।

एक बात समझ लो सुभम इस घर के लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं क्या समझते हैं अब मुझे इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ता,,, इन लोगों ने मेरे साथ धोखा किया है मेरी जिंदगी बर्बाद करके रख दी है, इसलिए इनकी इज्जत और सम्मान कि मुझे बिल्कुल भी किसी भी प्रकार की परवाह नहीं है और तुम दोपहर में मेरे कमरे में बिना बोले चले आना क्योंकि मैं जानती हूं कि फोन करूंगी तो तुम शायद फोन नहीं उठाओगे,,, इसलिए कहती हूं कि अगर किसी भी प्रकार का हंगामा खड़ा नहीं करवाना है तो चुपचाप मेरे कमरे में चले अाना,,,,।
( सुगंधा शुभम को धमकाते हुए गुस्से में बोली जा रही थी,, शुभम उसकी सारी बातों को सुन रहा था उसके मन में इस समय क्या चल रहा है यह खुद सुभम भी नहीं समझ पा रहा था,,,, वैसे ही खड़े रहकर सुगंधा को ही देखे जा रहा था,,, की तभी सुगंधा कपड़े धोते हुए बोली,,)

अब ऐसे ही खड़े रहोगे कि नल भी चलाओगे,,,
( इतना कहने के साथ सुगंधा जानबूझकर अपनी गीली साड़ी को इस तरह से व्यवस्थित करने लगी की ऊसकी एक तरफ की नंगी चूचियां शुभम को नजर आए,,, और ऐसा हुआ भी सुगंधा की गोल गोल चूची शुभम को नजर आ रही थी जो कि पानी में भीगने की वजह से और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी शुभम एक टक नल चलाते हुए सुगंधा की गोल -गोल चुचीयों को घुरे जा रहा था जिस पर पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह चमक रही थी,,,, सुगंधा तिरछी नजरों से यह देखकर बेहद खुश हो रही थी क्योंकि एक तरह से उसे इस बात का डर लग रहा था कि कहीं सुभम उसके कमरे में आने से इंकार ना कर दे,, अगर वह ऐसा कर दिया तो उसकी हसीन रात जो कि कांटो भरी रात हो चुकी थी,,, उसकी अरमान उसकी प्यास सब कुछ आंसूओ में बह जाएगा,,,
सुगंधा जी भर कर चुदवाना चाहती थी एक बार वह शुभम से भले ही अनजाने में ही लेकिन चुद चुकी थी,, और उससे दुबारा चुदने मे उसे कोई भी आपत्ति नहीं थी। एक तरह से वह अब अपने ससुराल वालों से और अपने पति से अपनी बेइज्जती का बदला सुभम से चुद कर लेना चाहती थी। और ऐसे माहौल में शुभम का उसके कमरे में आना तभी संभव हुआ था क्योंकि मैंने भी उसको चोदने की तलब एक बार फिर से जाग जाए क्योंकि जिस तरह से वह बोल रही थी हो सकता है वह घबरा जाए डर जाए और उसके कमरे में ना जाए,, इसलिए जानबूझकर सुगंधा अपने गिले वस्त्रों को हल्के से हटा कर उसे अपने वक्ष स्थल के दर्शन करा रही थी,, जब सुगंधा यह देखी की शुभम जी उसकी मानसर स्तनों को देख कर उसकी गिले वक्ष स्थल के दर्शन करके धन्य हुआ जा रहा है तब जाकर उसके मन में प्रसन्नता और आशाओं के अंकुर फूटने लगे उसे पक्का यकीन हो गया कि सुभम के कमरे में जरूर आएगा,,, क्योंकि इसी दौरान उसने शुभम के पजामे में उठते हुए उसके तंबु को देख ली थी,,, और उसे देख कर उसकी रसीली बुर ने प्रसन्नता और खुशी के आंसू बहाते हुए मदन रस की दो बूंदे टपका दी थी,,,
कपड़े धोने के बाद सुगंधा वहां से चली गई,,, हालांकि वह अब अपने ससुराल वालों से अपनी बेइज्जती का बदला लेना चाहती थी। लेकिन अपने अपमान का बदला लेने से ज्यादा वह अपनी वासना की पूर्ति करना चाहती थी क्योंकि जिस तरह का आनंद शुभम ने अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर को चोद कर दिया था वहीं उसके पति के छोटे दुबले और ढीले लंड को देखकर उसकी प्यासऔर ज्यादा बढ़ने लगी थी,,, जवान सुगंधा अपनी प्यास पर काबू रख पाने में बिल्कुल भी असमर्थ साबित होने की वजह से अपनी मान मर्यादा का ख्याल ना करते हुए शुभम से चुदने का फैसला कर चुकी थी,,, वह कभी जिंदगी में भी नहीं सोची थी कि उसे इस तरह के कदम उठाने पड़ेंगे,,,।
दिन चढ़ रहा था। गर्मी की वजह से सब लोग अपने अपने कमरे में आराम कर रहे थे चिलचिलाती धूप में कोई भी नजर नहीं आ रहा था ऐसे में केवल सुगंधा अपने कमरे में सुभम का इंतजार कर रही थी,, और शुभम भी सुबह सुबह गीले कपड़ों में सुगंधा की कसी हुई जवानी देखकर मचल उठा था,, एक बार फिर से उसे भोगने के लिए उसका मन ललायित हो रहा था।
वह सब की नजर बचाकर सुगंधा के कमरे तक पहुंच गया और दरवाजे पर दस्तक देने के लिए जैसे ही वह हाथ आगे बढ़ाया दरवाजे पर हाथ रखते ही दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया,,, जिसे सुगंधा ने पहले से ही खोल रखी थी क्योंकि उसे मालूम था कि सुबह उसके चूची को देखकर उसका मन लालायित हो गया था और वह जरूर आएगा,,, शुभम दबे पैरों से कमरे में प्रवेश किया तो देखा सुगंधा टेबल के लग खड़ी होकर उसी का इंतजार कर रही थी,,, उसे देखते ही सुगंधा बोली,,,।

मुझे यकीन था तुम जरूर आओगे मुझे तुमसे ढेर सारे सवाल पूछने हैं,,,।

मुझसे लेकिन क्यों? ( शुभम थोड़ा शंकु चाते हुए बोला)

पहले दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दो,,,
( सुगंधा के इतना कहते ही शुभम पलट कर दरवाजा बंद करके उसकी कड़ी लगा दिया,,,।)
04-02-2020, 05:12 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम ही मेरे सवालों का जवाब दे सकते हो क्योंकि यह सब सारे सवाल तुम्हारे ही खड़े किए हुए हैं। और हां यह कहने की बिल्कुल भी जरूरत मत करना कि जो तुम कह रही हो सरासर गलत है मैं यह सब नहीं जानता,,, अगर तुमने जरा सा भी झूठ कहा तो में तुम्हारे बारे में सब कुछ इस घर के लोगों को बता दूंगी इसमें पहले ही मेरी इज्जत जाएगी लेकिन तुम भी कहीं के नहीं रहोगे,,,,।

( सुगंधा का गुस्सा और उसकी बातें सुनकर एक पल के लिए शुभम डर गया क्योंकि जिस तरह से वह बोल रही थी इसमें कोई शक नहीं था कि वह एक एक बात सबको बताने के लिए तैयार थी,,, शुभम इतना तो जानता था कि उसके बारे में घर की औरतें सब कुछ जानती है लेकिन यह राज केवल हर एक औरत के अपने से ही जोड़ कर रखी हुई थी उन्हें यह नहीं मालूम था कि घर की सभी औरतों को बारी-बारी से उसने चोद चुका था वह भले ही बड़ी मामी हो छोटी मामी हो या सबसे छोटी मामी और बड़ी मामी की लड़की कोमल हो,, घर की सभी औरतें बारी-बारी से उसके लंडका स्वाद चख चुकी थी,,, लेकिन फिर भी यह बात उसके मामा नो को ना पता चल जाए इस बात की घबराहट उसके मन में बनी हुई थी इसलिए सुगंधा की बातों को सुनकर के जवाब देने में ही भलाई थी,,,। )

तो शुभम यह बताओ कि कैसे तुम्हारे मन में यह गंदा विचार आया और मेरे साथ गंदी गंदी बातें फोन पर करने लगे,,,,( सुगंधा टेबल पर अपने नितंबों को टीका कर अपने दोनों हाथ बांधकर किसी
सुगंधा टेबल से अपने नितंबों को सटाकर किसी शिक्षिका की बातें शुभम से सवाल करने लगी,,, ईस अदा में भी सुगंधा बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,।
( शुभम के पास सुगंधा के सवालों का जवाब ना देने का कोई बहाना नहीं था क्योंकि सब कुछ साफ हो चुका था इसलिए वह बोला,,,।)

सच कहूं तो मामी पहले मेरा ऐसा कोई भी विचार नहीं था लेकिन जब मामा ने मुझे आपकी फोटो मोबाइल में दिखाए और तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारी सुंदरता देखकर मेरा मन तुम पर मोहित होने लगा जब मुझे इस बात का पता चला कि मामा फोन पर तुमसे अभी तक ठीक से बात नहीं कर पाए हैं तो मेरे दिमाग में आइडिया सूझा,,, और मैं मामा के मोबाइल में से तुम्हारा नंबर लेकर अपने मोबाइल से तुम्हें फोन करने लगा,,,,( शुभम अपनी बात बताते हुए बिस्तर पर बैठ गया,,, सुगंधा उसके बड़े गौर से देख रही थी उसकी बातों को सुनते हुए वह शुभम के गठीले बदन को ऊपर से नीचे तक निहार रही थी।,,,,)
पहले तो मुझे ऐसा ही लगा कि तुम भी किसी चालू लड़की कि तरह होगी,,, लेकिन तुमसे बातें करते हुए मुझे समझ में आया कि तुम पढ़ी लिखी और अच्छी लड़की हो तब तुम्हें पाने की मेरी इच्छा और ज्यादा प्रबल होने लगी,,,, सच कहूं तो मामी तुम्हारी अच्छी अच्छी बातें और तुम्हारी खूबसूरत आवाज सुनकर मुझे तुमसे प्यार होने लगा,,,,
( शुभम बिना रुके बताए जा रहा था और सुगंधा बड़े गौर से उसकी बात को सुनती जा रही थी,,,) मामा के साथ रहकर मुझे उनके निगम में पन का पता चलने लगा और मैं समझ गया कि वह तुम्हें वह प्यार नहीं दे सकते जो प्यार तुम्हें चाहिए था जिस तरह का पति तूम्हे चाहिए उस तरह का पति वह कभी भी नहीं बन सकते,,,
और बातों ही बातों में तुमसे मैंने यह क्या लिया था कि तुम अभी तक संपूर्ण रूप से कुंवारी हो इस बात से मुझे तुम पर और तुम्हारी जवानी पर तरस आने लगा,,,
और फिर मैं मन ही मन में सोचने लगा कि मेरे छोटे मामा से शादी करके तुम्हारी जिंदगी ओेंर जवानी दोनों बर्बाद हो जाएगी,, तो क्यों ना मैं ही तुम्हें वह सुख दूं जो तुम अपने पति से चाहती हो और तुम्हारी सुहाग रात को तुम्हारी बुर से पानी निकलने की जगह तुम्हारी आंखों से पानी निकले यह मुझे मंजूर नहीं था,,,। और उसके बाद क्या हुआ यह तुम अच्छी तरह से जानती हो,,( शुभम जानबूझकर खोलते हुए सुगंधा के सामने बुर शब्द का उपयोग करके उसकी प्यास को बढ़ा दिया था,,, और यही दूर शब्द शुभम के मुंह से सुनकर इस समय उसकी बुर की कुल बुलाने लगी थी,,,। सुभम की बातों को बड़े गौर से सुनने के बाद सुगंधाबोली,,,।)

शादी वाले दिन भी मैं अपने पति को देखी थी जिनसे फेरे लिए थे लेकिन ऊनका चेहरा मैं ठीक से नहीं देख पाई थी। क्या तुम्हें जरा भी तो नहीं लगा कि अगर मैं पहचान गई तो क्या होगा,,,।

सच कहूं तो मामी मुझे डर तो बहुत लग रहा था लेकिन उससे ज्यादा उत्सुकता थी तुम्हें पाने की,,, तुम्हारी रसीली कुंवारी बुर में अपने मोटे लंड डालकर तुम्हें चोदने की,,, और यही उत्सुकता और ख्वाहिश मुझे बेझिझक चतुम्हारे कमरे तक ले आई और यह मैं भी जानता था कि तुम पूरी तरह लल़ायित हो लंड लेने के लिए,,,,
( शुभम जानबूझकर ऐसी खुली बातें कर रहा था क्योंकि अंदर से वह सुगंधा के इरादे को भी जान गया था,, शुभम बिस्तर से उठा और सुगंधा की तरफ धीरे-धीरे बढ़ते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)

तुम्हारी चोदने की उत्सुकता को जानकर ही मैं तुम्हारे कमरे में आया था और जैसा जैसा मैं कहता गया वैसा वैसा तुम करती गई,,, तुम मुझे देख कर कहीं अपने पति को पहचानना लो इसलिए मैं आते ही लालटेन की रोशनी को एकदम कम कर दिया लेकिन सच कहूं तो सुगंधा,,,( शुभम इस बार मामी ना कहकर सीधे उसका नाम लेकर बोल रहा था। और शुभम के मुंह से अपना नाम सुनकर सुगंधा भी मचल उठी) मेरी ख्वाहिश तो पूरी हो गई लेकिन वह ख्वाहिश भी अधूरी ही थी,,,,।
( इतना कहकर वह सु्गंधा के करीब पहुंच गया दोनों के बीच केवल 2 फीट की ही दूरी थी,,,। शुभम की इस तरह की मादक बातों को सुनकर सुगंधा के तनबदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, वह मादक स्वर में बोली,,,।)

भला ऐसा क्यों सब कुछ तो तुम अपने मन का कर लिए थे।,,,


ठीक से देख नहीं पाया हां सुगंधा उस रात तुम्हारी जमकर चुदाई कीया लेकिन ठीक है तुम्हारे खूबसूरत अंगो का दीदार नहीं कर पाया था ।भले ही तुम्हारे अंगों को छूकर मसलकर उनका आनंद पूरी तरह से लिया था लेकिन आंखों की प्यास अभी भी वैसी की वैसी ही बरकरार है।,,,,
( शुभम कि इस तरह की प्यार भरी और कामुक बातें सुनकर अपने भविष्य की चिंता करते हुए,,, सुगंधा रोने लगी और रोते हुए बोलने लगी,,,)

मेरी जिंदगी तो खराब हो गई सुभम मैंने कितने सपने देखे थे,,, अपने विवाह और अपने पति को लेकर ना जाने कैसे-कैसे सपने बून रखे थे मैंने,,, सब कुछ बर्बाद हो गया मैं कहीं की नहीं मुझे नहीं मालूम था कि मेरा पति नामर्द निकलेगा,,,,,
( नामर्द सुनकर शुभम भी चौक गया ओर वह आश्चर्य के साथ बोला,,,)

क्या कह रही हो सुगंधा,, नामर्द तुम्हें गलतफहमी हो रही होगी मैं समझ सकता हूं कि,, छोटे मामा थोड़े से वेसे है शर्मिले है,,, थोड़ा ढीले हैं लेकिन नामर्द तो नहीं हो सकते,,,।

तुम्हारे जाने के बाद से मैं हर रात तड़पकर बिस्तर पर गुजार रही हुं,,,, मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता होगा तुम से कैसी शर्म करूं अब उनका खड़ा ही नहीं होता बड़ी मुश्किल से बेशर्म बनकर मैंने कल रात उनका खड़ा करने की कोशिश करी लेकिन खड़े होने से पहले ही उनका पानी निकल गया मैं तो अपनी किस्मत पर फूट-फूट कर रोने लगी मुझसे रहा नहीं जा रहा था जो आग तुमने मेरे बदन में लगाई थी वह मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,, और इसीलिए मैंने तुम्हें कल रात को फोन भी की थी लेकिन तुमने फोन नहीं उठाया,,,( फोन वाली बात सुनकर सुभम समझ गया कि कल रात को सुगंधा क्यों फोन कर रही थी,,, कल रात तो वह खुद भी लगा हुआ था तो सुगंधा के पास कैसे जाता इसलिए बहाना करते हुए बोला,,,।)

मैं सो गया था,,,।

तुम सो गए थे लेकिन यहां तो मेरी जिंदगी है बर्बाद हो चुकी है उसका क्या और मेरी जिंदगी को बर्बाद करने में इस परिवार के साथ साथ तुम्हारा भी पूरा हाथ है।
( सुगंधा रोते-रोते बोल रही थी।)

तुम ही ने मुझे फोन पर बातें कर करके ढेर सारे सपने दिखाए और अंत में लाकर ऐसी राह पर छोड़ कर जा रहे हो कि जहां से दूर दूर तक कोई भी मंजिल नजर नहीं आती,,,।
( इतना कहकर सुगंधा जोर जोर से रोए जा रही थी,,, उसके रोने की आवाज कहीं कमरे से बाहर ना चली जाए इसलिए शुभम उसे अपनी बाहों में भर कर उसे चुप कराने की कोशिश करने लगा लेकिन उसका इस तरह से बाहों में भरना ही,,, आग मे पेट्रोल का काम करने लगा,,, और शुभम की चौड़ी छाती ओं के बीच समाई सुगंधा,,, धीरे धीरे उसके बदन से लिपटने लगी,,, धीरे-धीरे हाल ऐसा हो गया कि,, उत्तेजना बस सुगंधा खुद ही अपने होठ आगे बढ़ाकर शुभम के होठो को चूमना शुरू कर दी,,, खूबसूरत सुगंधा को अपनी बाहों में भर कर शुभम भी उत्तेजित हो गया और तुरंत ही टन टनाकर उसका लंड खड़ा हो गया,,, जोकि सीधे साड़ी के ऊपर से ही सुगंधा की बुर पर दस्तक देने लगा,,, सुगंधा से शुभम के लंड़की यह चुभन बर्दाश्त नहीं हुई और वह अपना हाथ नीचे ले जाकर पेंट के ऊपर से ही शुभम के लंड को पकड़कर दबाने लगी,,,, दोनों पूरी तरह से उत्तेजित होने लगे और यह सब मामले में शुभम बहुत तेज था और झट से उसने सुगंधा के ब्लाउज के बटन खोल कर ब्लाउज को निकाल फेंका और उत्तेजना वश सुगंधा को कंधे से पकड़ कर दूसरी तरफ घुमा दिया और जल्दी से ऊसकी ब्रा का हुक खोल कर ब्रा भी निकाल फेंका,,, शुभम की आंखों में कामोत्तेजना साथ नजर आ रही थी और शुभम की हरकत की वजह से सुगंधा की आंखों में भी नशा छाने लगा था वह पागलों की तरह सुगंधा की गोरी गोरी गोल गोल चुचियों पर टूट पड़ा और उसे मुंह में लेकर चूसना शुरु़ कर दिया,,,,
सुगंध भी शुभम की हरकतों का आनंद लेने लगी,,, कमरे में मस्ती का तूफान उठने लगा था सुगंधा पागलों की तरह शुभम के बालों को अपनी मुट्ठी में भींच कर उसे अपनी बड़ी-बड़ी चुचियों पर दबाए हुए थी,,,, सुगंधा की आज पूरी तरह से अपनी जवानी को शुभम पर न्योछावर कर देना चाह रही थी तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,, दरवाजे पर दस्तक की आवाज को सुनकर शुभम के साथ साथ सुगंधा भी चौंक गई,,, लेकिन अपने आप को संभाल कर सुगंधा बोली,,,।

कौन?

अरे मैं हूं दरवाजा खोलो,,,,

आ गया मेरा निठ्ठला पति,,,,


अब क्या होगा सुगंधा अब तो हम दोनों पकड़े जाएंगे,,,


कुछ नहीं होगा में सब संभाल लूंगी,,, इसी मौके की तो में तलाश में थी,,, तुम जाकर बिस्तर पर बैठ जाओ मैं सब संभाल लूंगी,,,

लेकिन सुगंधा,,,,,,

बस अब तुम कुछ मत कहो,, जाकर बिस्तर पर बैठ जाओ,,,,,
( सुगंधा की बातें सुनकर सुभम बिस्तर पर जाकर बैठ गया लेकिन उसे डर महसूस हो रहा था,,,, सुगंधा जिस तरह से आगे बढ़ रही थी दरवाजे की तरफ उसे देखकर शुभम पूरी तरह से हैरान हुए जा रहा था,,, साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी थी इसलिए दोनों गोल गोल चूचियां सीनी ताने दरवाजे की तरफ ही देख रही थी,,,, वह अपने स्तनों को ढकने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं कर रही थी शुभम के समझ के बिल्कुल भी परे होते जा रहा था यह सब,,, शुभम इशारे ने उसे अपनी चुचियों को ढकने का संकेत दिया लेकिन सुगंधा नकारते हुए आगे बढ़ गई,। और जैसे ही सुगंधा ने दरवाजा खोली उसका पति के सामने खड़ी अपनी बीवी की नंगी चुचियों को देखकर एकदम हैरान हो गया,,,,।

यह क्या है सुगंधा कपड़े तो पहन ली होती,,,
( एक मां के गरबा कमरे में प्रवेश किया और आगे कुछ बोल पाता इससे पहले उसकी नजर बिस्तर पर बैठे शुभम पर पड़ी तो वह हैरान होता हुआ बोला)

शुभम तुम यहां और ये( अपनी बीवी की नंगी चुचियों की तरफ देखकर) यह सब हो क्या रहा है,,,। मेरी बीवी इस हाल में और तू यहां,, क्या कर रहा है।और तुम सुगंधा कुछ कहती क्यों नही

अपनी बीवी को अर्धनग्न अवस्था में कमरे में शुभम की मौजूदगी में देख कर एकदम बौखला गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार यहां कमरे में हो क्या रहा है।
अपने पति की इस हालत को देखकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हो जा रही थी ऐसा लग रहा था कि वह अपने पति को इसी हाल में देखना चाहती थी और वह अपने होठों पर कुटिल मुस्कान लिए दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दी,,,,।
04-02-2020, 05:13 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
सुगंधा का पति पूरी तरह से हैरान था कि आखिरकार यह घर में हो क्या रहा है शुभम भी घबराया हुआ था वह अपनी नजरें चुरा रहा था लेकिन सुगंधा बेफिक्र होकर मुस्कुरा रही थी।,,, उसको मुस्कुराता हुआ देखकर ऊसका पति बोला,,,,,,

तुम हंस रही हो जानती भी हो यह सब का मतलब क्या हो रहा है,,,।( वह परेशान हो जा रहा था और वो कल आकर कभी शुभम की तरफ तो कभी सुगंधा की तरफ देख रहा था लेकिन दोनों में से कोई भी किसी भी प्रकार का जवाब नहीं दे रहा था सुगंधा की मुस्कुराहट उसके तन बदन में आग लगा रही थी वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)

तुम्हारा इस तरह से आज नंगी होकर कमरे में किसी के लड़की के साथ मौजूद होना इसका मतलब क्या है,,,।
( इस पर भी कोई जवाब ना मिलने की वजह से वह और ज्यादा बोखलाने लगा,, और सुगंधा से जवाब ना मिल पाने की वजह से शुभम की तरफ आगे बढ़ते हुए बोला।)

तू बता मुझे क्या कर रहा था तो इधर,,, (इतना कहने के साथ ही वह शुभम का गिरेबान पकड़ लिया,,, और उसे खड़ा कर दिया शुभम तो इस हरकत की वजह से एकदम से अचंभित हो गया,,, एक औरत के सामने और वह भी सुगंधा जैसी खूबसूरत औरत जो कि एक नामर्द पति मिल जाने की वजह से उसकी मर्दानगी पर फिदा हो गई थी ऐसी औरत के सामने अपना अपमान होता देख कर,,, शुभम को गुस्सा आ गया शुभम गटीले बदन का मालिक था। एक झटके में उसका हाथ पकड़ कर उसे ऐसा झटका दिया कि वह बिस्तर पर चारों खाने चित होकर गिर गया,,,,,। उसके इस तरह से गिरने से सुगंधा खिल खिलाकर हंसने लगी मानो कि जैसे वह अपने अपमान का बदला ले रही हो,,,, वह बिस्तर के करीब आई और बोली,,,,।

देख लिया अपनी आंखों से ईसे कहते हैं ताकत एक मर्द की ताकत,,,, तू तो कोई काम का ही नहीं है। ना तो तु लड़ाई झगड़े में कुछ उखाड़ सकता है और ना ही बिस्तर पर। एकदम निकम्मा है तु,,, ( सुगंधा अपने अपमान का बदला लेते हुए अपने पति को खरी-खोटी सुनाते हुए उसे अपमान कर रही थी और ऐसा करने में उसे सुकून महसूस हो रहा था,,,, कमर के ऊपर अभी भी वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी दोनों चूचियां उसके हिलने डोलने से पानी की लहर कि तरह लहरा रही थी,, बड़ा ही कामोत्तेजना से भरपूर यह नजारा लग रहा था शुभम का मामा बिस्तर पर अभी भी गिरा पड़ा था और दोनों को चकर पकऱ देखकर दंग हुए जा रहा था। उसे सारा मामला समझ में आ गया था की उसकी बीवी का कमरे में इस तरह से गैर जवान लड़के के सामने नंगी होकर रहना क्या दर्शाता था। शुभम को वह क्रोधित होकर देखे जा रहा था। वह जान गया था कि जो काम वह नहीं कर पाया वह शुभम करने आया था,,,। कुछ ना कर सकने की स्थिति में भी अपनी पत्नी को इस तरह से किसी दूसरे लड़कों के साथ गुलछर्रे उड़ाता हुआ देखकर उसका खून खोलने लगा था। इसलिए को एक झटके से उठा और सुगंधाको क्रोधित स्वर मै बोला,,,।

रुको मैं अभी तुम्हारी रंगरलियो का पर्दाफाश कर देता हूं,,, अभी सब को पता चल जाएगा कि तुम कमरे में शुभम को बुला कर क्या कर रही थी।,,,( इतना कहकर वह दरवाजे की तरफ बड़ा ही था कि इस बार सुगंधा उसे धक्का देकर फिर से बिस्तर पर गिरा दी क्योंकि उसके मन की भड़ास अभी नहीं निकली थी जिस तरह का उसने और उसके परिवार वालों ने दगा दिया था उसे इतनी आसानी से नहीं जाने देना चाहती थी क्योंकि वह उसे अपने अपमान का एक एक घूंट उसे पीलाना चाहती थी,,, । शुभम यह सब कुछ अपनी आंखों से देख रहा था सुगंधा ने जिस तरह से फुर्ती दिखाते हुए उसे धक्का देकर बिस्तर पर गिराया था,,, उसका मन प्रसन्नता से भर गया था सुगंधा के लिए उसके मन में प्यार उमड़ रहा था क्योंकि गुस्से में भी सुगंधा बहुत खूबसूरत लग रही थी और इस अवस्था में जबकि उसकी दोनों आपस में रगड़ खाती हुई लहरा रही थी,,, यह नजारा ही शुभम के लिए उत्तेजना से भर देने वाला था।,,,, सुगंधा गुस्से ने अपने पति से बोल रही थी,,,।

अभी से कहां चल दीए जनाब अभी तो तुम्हें बहुत कुछ दिखाना बाकी है,,
( इतना कहने के साथ ही सुगंधा शुभम को पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसे अपनी बाहों में भर ले और अपने गुलाबी होठों को उसके होठों पर रख कर चूसना शुरू कर दी,,, यह देखकर उसका पति आग बबूला होने लगा,,, उसका क्रोध और ज्यादा बढ़ने लगा,, वो फिर से बिस्तर से उठने की कोशिश किया लेकिन इस बार सुगंधा अपने आचरण से विरुद्ध उसके पैरों में जोर से लात मारकर फिर से उसे बिस्तर पर गिरा दी,,,, वासना और अपने आप को ठगे जाने की स्थिति में सुगंधा पूरी तरह से पागल हुए जा रहीे थी,,। उसे इस समय बिलकुल भी मर्यादा और शर्म ओ हया का भान नहीं था।,,,, बिस्तर पर गिरा उसका पति पति आंखों से दोनों को देख रहा था शुभम भी समझ गया था कि सुगंधा का इरादा क्या था इसलिए वह उसके पति के सामने ही, उसकी एक चूची को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए उसके गुलाबी होठों का रसपान कर रहा था,,,। सुगंधा का पति इस समय बेहद क्रोध से भरा हुआ था। वह कमरे से बाहर जाना चाहता था और घर की औरतों को इकट्ठा करके सुगंधा को बेइज्जत करना चाहता था लेकिन सुगंधा उसे अभी और कुछ भी दिखाना चाहती थी, इसलिए वह शुभम के होठों को चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगी देखते ही देखते अपनी पति की आंखों के सामने ही शुभम के आगे घुटने के बल बैठ गई सुगंधा की हरकतों की वजह से शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसके पजामे में तंबू तन कर खड़ा हो गया था,,, अपने पति को अपमानित करने के उद्देश्य से वह सुभम के पजामे के ऊपर से ही शुभम के खड़े लंड को मसलते हुए बोली,,,।

तेरे पास है ऐसा,,,,, ( ऐसा कहकर वो अपने पति की तरफ देखकर मादक मुस्कान बिखेर रही थी,, जो कि यह मुस्कुराहट उसके पति के सीने में सुई की तरह चुभ रही थी।,, देखते ही देखते सुगंधा ने धीरे-धीरे करके पजामे को घुटनों तक सरकादी,,,, शुभम का मोटा तगड़ा खड़ा लंड देखकर एक पल के लिए तो सुगंधा भी हैरान हो गई क्योंकि उजाले में आज पहली बार वह शुभम के खड़े लंड को देख रही थी जबकि वह लंड को अपने पूर्व में भी लेकर महसूस कर चुकी थी और अपने मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह ऊसे चूस भी चुकी थी। लेकिन इस समय के हालात कुछ और थे जब वह शुभम के मौसी तक में लंड को अपनी बुर में ली थी और मुंह मे लेकर चूस रही थी तब कमरे में अंधेरा छाया हुआ था।
इस समय तो उसके तन बदन में बेहद प्यास भरी हुई थी,,, और अपने पति को अपमानित करने के उद्देश्य से उसके बदन की उसकी काम भावना की प्यास और ज्यादा बढ़ चुकी थी। और तो और अंधेरे में शुभम के लंड की लंबाई और चौड़ाई भांप ना सकने की वजह से इस समय उसके खड़े और नंगे लंड के दर्शन करके उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,, उससे रहा नहीं किया और वह तुरंत शुभम के नंबर को पकड़कर हीलाते हुए अपने पति की तरफ देख कर बोली,,

इसे कहते हैं मर्दाना ताकत क्या है तेरे पास ऐसा,,,, देख ले इसे कहते हैं मर्द का असली लंड तेरे पास तो नुनी भी नहीं है,,,,
( वासना से लिप्त सुगंधा इस समय अपनी मर्यादा भूल चुकी थी,, उसी समय बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मर्यादा और संस्कारों के विरुद्ध आचरण कर रही थी,,, उसी समय बस इसी बात का ख्याल था कि उसे अपने ससुराल वाले और उसके पति से अपने अपमान का बदला लेना है और अपने प्यास बुझाना है बस यही दो बातें उसके जेहन में दबी थी,,, जिसे वह अंजाम तक लिए जा रही थी,,,। सुगंधा का पति क्रोध और लाचार आंखों से अपनी पत्नी की हरकत को देख रहा था उससे यह सब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,। इसलिए वह बोला,,,।

तुम यह क्या कर रही हो सुगंधा,,,, तुम बदनाम हो जाओगेी तुम मेरे बीवी हो करके मेरी आंखों के सामने इस तरह का गंदा काम कर रही हो,,, तुम्हें शर्म आनी चाहिए,,,।

शर्म तो तुझे आनी चाहिए तेरे परिवार वालों को आनी चाहिए,,, जो सब कुछ जानते हुए भी मेरी जिंदगी खराब कर दिए,,,,( सुगंधा बड़ी उत्तेजना के साथ सुभम के लंड को हिलाते हुए बोली,,,, )

तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं हुआ है तुम मेरी बीबी हो मुझसे शादी की हो हम दोनों की जिंदगी आराम से कटेगी,,,,,।

इसके बिना (शुभम के लंड की तरफ इशारा करते हुए)
तू पागल है और सबसे बड़ा बेवकूफ तू औरतों को कभी समझ नहीं पाया वरना इस तरह की गलती कभी जिंदगी में नहीं करता,,, औरतों को सबसे ज्यादा इसकी भूख( लंड को पकड़कर उसकी तरफ इशारा करते हुए) इससे चुदने की प्यास होती है,,। और तेरे साथ रहकर मुझे दो वक्त की रोटी तो मिलेगी जिससे मेरे पेट की आग शांत हो जाएगी लेकिन तेरे साथ रहकर मुझे यह (लंड की तरफ इशारा करते हुए) नहीं मिल पाएगा जिससे बदन की प्यास बुझाई जाती है। तुझे क्या लगा था कि तू मुझसे शादी करके दुनिया के सामने मर्द साबीत होना चाहता है लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा,,,, तेरी सच्चाई में समाज के सामने लाकर रहूंगी,,,
( इतना कहते हुए सुगंधा लगातार शुभम के लंड को हिला रही थी जो कि अब अपनी पूरी औकात पर आ कर चुका था,, शुभम के मोटे लंड को अपनी हथेली में लेकर उसकी गर्माहट से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी जांघों के बीच उसकी पतली दरार से नमकीन पानी बह रहा था।,,, उससे भी अब अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी सुगंधा पूरी तरह से बेशर्म हो चुकी थी और अपनी बेशर्मी की हद बताते हुए अपने पति के सामने ही शुभम के मोटे लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, यह देखकर शुभम मन ही मन प्रसन्न हो रहा था और अपने मामा की तरफ बड़े ही व्यंग्यात्मक रूप से देख कर मुस्कुरा रहा था। उसका मामा यह सब देखकर पूरी तरह से जल भुन रहा था उसे रहा नहीं गया और वह बिस्तर से उठकर दरवाजे की तरफ जाने लगा लेकिन इस बार सुगंधा उसे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की,,, जेसेही वह दरवाजा की कुंडी खोला,,, वैसे ही तुरंत सुगंधा शुभम के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल कर बोली,,।
04-02-2020, 05:13 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
जाने से पहले इतना जरूर सुन लेना तुम चाहे जिस को भी बुला कर लाओ चाहो तो पूरा समाज यहां इकट्ठा कर लो लेकिन मुझे मैं समाज केसामने तुम्हारे घर वाले के सामने बस इतना ही कहूंगी
औरत अपनी मर्यादा से बाहर कब जाती है वह तभी अपनी मर्यादा से बाहर जाती है जब उनकी मर्जी की रखवाली उसका मर्द करने लायक ना हो,,, मैं दुनिया से चीख चीख कर बता दूंगी की मेरा पति नामर्द है वह मुझे चोद सकने के लिए सक्षम नहीं है,,।,,,, बस मुझे इतना ही कहना है बाकी सब काम अपने आप ही हो जाएगा,,, दुनिया से समाज से जो तुम अपनी और नामर्दगी को अपनी कमजोरी को छुपाते हुए आए हो,,, एक झटके में ही सबको पता चल जाएगा कि तुम्हारे अंदर क्या है तब तुम कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाओगे दुनिया तुम पर थुकेगी,, इसलिए थुकेगी कि तुम सब कुछ जानते हुए भी मेरी जिंदगी खराब कीए हो,,,
( इतना सुनना था कि वह अपने कदम दरवाजे से बाहर ना निकल सका उसके पांव वही जम गए,, सुगंधा जो चला कि उसे धमकी दे रही थी उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वह बाहर जाकर सब को बुला सकें और वह वापस दरवाजे की कुंडी लगाकर कमरे के कोने में खड़ा हो गया और उसकी हालत देखकर सुगंधा बोली,,,।


यही मैं चाहती थी कि तू मेरे सामने इसी तरह से सर झुका कर और शर्मिंदा होकर खड़ा रहे मैं तेरी आंखों के सामने ही किसी गैर मर्द से नंगी होकर चुदवाऊ और तू अपनी बीवी को किसी और से चूदतेे हुए बस देखता ही रहे ना तो तुझ में रोकने की ताकत हो और ना ही तो कुछ कर सके यही तेरी सजा है।,,,
( इतना कहने के साथ ही हो अपने हाथ के इशारे से शुभम को अपनी तरफ बुलाते हुए बोली,,।)

इधर आ शुभम ले अपनी सुगंधा की कुंवारी चूचियों को अपने मुंह में भर कर के पीें ईन्हे दबा इन के साथ खेल यह सब तेरे लिए ही है,,,,,( सुगंधा उंगली के इशारे से शुभम को अपनी तरफ बुला रही थी और अपने पति की तरफ कोटिंग मुस्कान लिए हैं उसे देखकर और भी जला भुना रही थी,,, शुभम के लिए तो यह सब सोने पर सुहागा था आम के आम और गुठलियों के दाम के जैसी हालत उसकी आंखों के सामने थी,,, उसके दसों की दसों उंगलियां घी मै थी। शुभम अपने मामा की तरफ देखते हुए आगे बढ़ा और सुगंधा की दोनों चूचियों को दोनों हाथों से दबाते हुए बोला।,,,

ओहहहहहह मेरी रानी सुगंधा तुम्हें पाने के लिए मैंने ना जाने कैसे-कैसे पापड़ बेले हैं आज जी भर कर तुम्हारी जवानी का रस पीऊंगा।
( इतना कहने के साथ ही वहां सुगंधा की चूचियों पर टूट पड़ा,, कभी ईस चूची को मुंह में लेकर पिता तो कभी दूसरी,,, कुछ पल में ही शुभम सुगंधा की सूचियों को दबाकर खेलते हुए उसे टमाटर की तरह लाल कर दिया,,, सुगंधाको इस समय बहुत मजा आ रहा था उसके मुंह से गर्म सिसकारियां निकल रही थी जिसकी आवाज सुनकर उसका पति जल भुन रहा था लेकिन कर कुछ भी नहीं पा रहा था।,,, देखते ही देखते शुभम सुगंधा के तन पर से वस्त्रों को हटाने लगा सुगंधा भी उसका साथ देते हुए,, कपड़े उतारने में उसकी मदद कर रही थी देखते ही देखते अपने पति के सामने सुगंधा शुभम के हाथों पूरी तरह से नंगी हो गई बेशर्मी दिखाते हुए सुगंधा भी शुभम के तन पर से अपने हाथों से कपड़े उतार कर उसे भी एकदम नंगा कर दि,,, कमरे में दोनों पूरी तरह से नंगे हो गए,,,, सुगंधा बिस्तर पर पीठ के बल लेटते हुए बोली,,,

शुभम मेरे राजा आज मुझसे जी भर कर प्यार करो,, मुझे ऐसा प्यार करो कि मैं जिंदगी भर याद रखूं,,,,

ऐसा ही होगा मेरी रानी आज मैं तुम्हारे पति के सामने तुम्हारी ऐसी चुदाई करूंगा कि वह जिंदगी भर पछताएगा कि वह तुमसे शादी क्यों किया,,,।

इतना कहने के साथ ही सुभम सुगंधा की रसीली बुर पर टूट पड़ा और उसे जीभ से चाटना शुरू कर दिया,,,,
पूरे कमरे में एक बार फिर से गर्म सिसकारियां गुंजने लगी,,,, सुगंधा का पति है सब देख कर मचल रहा था उसकी इच्छा हो रही थी कि वह भी अपनी पत्नी से इसी तरह से प्यार करें लेकिन मन में चाहने से क्या होता है उसके लिए तन साथ देना चाहिए जोकी उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था,,,। जीस अंग की कामना और जिस अंग की चाह हर औरत रखती है वहीं अंग उसका शिथिल था।,,, वह बड़े गौर से शुभम को उसकी आंखों के सामने ही उसकी बीवी की बुर चाटते हुए देख रहा था और अपने आपको इस बात के लिए कोस भी रहा था कि,,, वह इस लायक क्यों नहीं है कि अपनी पत्नी को इस तरह का सुख दे सके। वह आंख फाडे,, एक औरत और मर्द को प्यार करते हुए देख रहा था और यह नजारा भी उसकी जिंदगी में पहली बार ही था शुभम पागलों की तरह उसकी रस से भरी बुर को चाटे जा रहा था।,,,

सससहहहहहहह,,,, शुभम यह क्या कर रहे हो मुझे ना जाने क्या हो रहा है मैं पागल हो जाऊंगी,,,, व,सससहहहहहहह आहहहहहहहह शुभम मेरी बुर में आग लगी हुई है प्लीज इसमें अपना लंड डालकर मुझे चोदो मुझसे रहा नहीं जा रहा है ।

इतना सुनते ही शुभम उसकी टांगों को खोल कर अपने लिए जगह बना लिया और अपने लंड को पकड़कर उसकी बुर के मुहाने पर रखकर कचकचाकर धक्का मारा,,,,बुर पहले से ही काफी गिली थी इसलिए,,,, शुभम का लंड सब कुछ चीरता हुआ बुर की गहराई में घुस गया।,,,, सुगंधा के मुंह से चीख निकल गई जिसे शुभम उसके होठों पर वोट रखकर दबाने की कोशिश करने लगा और हल्के हल्के अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया यह सब सुगंधा का पति फटी आंखों से देख रहा था। कुछ ही देर में सुगंधा की चीखने की आवाज गरम सिसकारियां में बदल गई,,, उसे मजा आने लगा और वह अपने नितंबों को ऊपर की तरफ उछाल उछाल कर सुभम के लंड को अपनीबुर में लेने लगी,,,,, बहुत जोर जोर से अपने नितंबों को उत्तर उछाल रही थी मानो कि अपने पति को चिड़ा रही हो,,,। तकरीबन 35 मिनट तक सुगंधा शुभम से चुदवाती हुई और उसका पति बेबस होकर यह सब देखता रहा आखिरकार दोनों तीव्र गति से अपनी कमर को हिलाते हुए पानी छोड़ दिए ।,,,
शुभम जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहन लिया और वहां दरवाजे तक पहुंचा ही था कि तभी सुगंधा उसे रात को भी आने का आमंत्रण दे दी।,,,, जिसे शुभम शहर मुस्कुरा कर स्वीकार कर लिया और उसका पति जो कि कौन है में खड़े होकर यह सब देख रहा था ना चाहते हुए भी मौन स्वीकृति दे ही दिया था।
रात को भी ज्यादा सुगंधा के कमरे में पहुंचा तो कमरे का दरवाजा खुला ही था अंदर पहुंचकर देखा कि उसका पति अलग बिस्तर लगाकर जमीन पर लेटा हुआ था और सुगंधा बिस्तर पर टांगे फैलाकर उस का बेसब्री से इंतजार कर रही थी शुभम दरवाजा बंद करके कड़ी लगाया और बिस्तर पर लेटते हुए सुगंधा को अपनी बाहों में भर लिया,,, और फिर एक बार फिर से अपने ही पति के सामने सुगंधा बेशर्म होकर अपनी भांजे से चुदाई का मस्त खेल रात भर खेलती रहीं,,,, सुबह जब शुभम सुगंधा के कमरे से जाने को हुआ तो सुगंधा जो कि अभी भी पूरी तरह से नंगी थी अपने पति के सामने ही शुभम के गले लग कर रोने लगी,,,, शुभम उसके गोलाकार नंगी नितंबों कौ सहलाते हुए बोला,,,।

सुगंधा मैं समझ सकता हूं कि तुम पर क्या गुजर रही होगी तो तुमसे बस यही कहना चाहता हूं कि तुम समझदार हो पढ़ी लिखी हो और खूबसूरत भी हो,, और सच कहूं ये तुम्हारे लायक ( सुगंधा के पति की तरफ इशारा करते हुए) बिल्कुल भी नहीं है। तुम समझदार हो अपनी जिंदगी का फैसला खुद भी कर सकती हो,, अपनी जिंदगी को अच्छे से गुजारना है या फिर ऐसे ही तड़प तड़प कर यह तुम अच्छी तरह से फैसला कर सकती हो,,,

इतना कहकर शुभम कमरे से बाहर निकल गया,,,

शुभम और निर्मला दोनों शहर जा रहे हैं थे अपने अपने सामान को दोनों ने गाड़ी में रख दिया था। घर के सभी लोग ऊदास थे,,, घर की सभी औरतों की आंखें नम थी और साथ ही उनकी बुर भी नम थी । आखिरकार उनके प्यासे कुंए के लिए शुभम सावन की बौछार बनकर उनकी जिंदगी में आया था। शुभम को भी काफी दुख हो रहा था क्योंकि गांव में आकर उसकी जिंदगी बदल गई थी यहां पर उसे एक साथ ढेर सारी औरतों का प्यार मिला था,, इसलिए जाते समय उसकी आंखों में भी पानी आ गया था। शुभम और निर्मला गाड़ी में बैठकर शहर की तरफ निकल गए,, सुगंधा भी
शुभम को बाय-बाय करते हुए अपने पति को छोड़ने का फैसला कर ली थी।
तकरीबन रात को 8:00 बजे निर्मला और शुभम अपने घर पहुंच गए थे दोनों काफी थके नजर आ रहे थे।,,, घर की चाबी जो कि एक निर्मला के पास ही थी उसे शुभम को थमाते हुए वह बोली,,।

तुम जाकर दरवाजा खोलो तब तक मैं गाड़ी गैराज में खड़ी करके आती हुं।,,
( शुभम पूरी तरह से थका हुआ था इसलिए बेमन से निर्मला के हाथों से चाबी लेकर गाड़ी से नीचे उतर गया,,, और गेट खोल कर आगे बढ़ने लगा शुभम दिलबर गाड़ी के सफर की वजह से काफी थक चुका था इसलिए उसके कदम भी लड़खड़ा रहे थे।,,,, निर्मला ने गांव से निकलते समय अपने पति अशोक को फोन नहीं की थी कि वह शहर वापस लौट रही है,,,। इसलिए अशोक इस बात से वाकिफ नहीं था कि निर्मला आज ही शहर लौटने वाली थी।
शुभम आंखों को मिलते हैं दरवाजे में चाबी लगा कर घुमाने लगा और दरवाजे का लाॉक खुल गया,,, वह दरवाजे को हल्के से खोलते हुए घर में प्रवेश किया,,,,
हल्की हल्की नींद लगने की वजह से शुभम अभी भी आंखों को मसल रहा था,,, इसी दौरान उसके कानों में चप्प चप्प की आवाज सुनाई दे रही थी और यह आवाज को सुनकर शुभम पूरी तरह से चौक गया,,,,, वजह से ही अपनी आंख खोलकर सामने देखा तो सामने का नजारा देख कर उसके होश उड़ गए,,, सामने डाइनिंग टेबल पर एक लड़की जोंकि भरे हुए देह की थी वह झुकी हुई थी और उसका लॉन्ग स्कर्ट कमर तक उठा हुआ था,,,, और उसे पीछे से उसके पापा जोर जोर से अपनी कमर हिलाते हुए उसको चोद रहे थे,, यह देखकर शुभम तो एकदम से हैरान रह गया वह आश्चर्य के साथ बोला,,,,

पापा,,,,, यह सब क्या हो रहा है,,,।
( इतना सुनते ही जैसे अशोक और मधु नींद से जगे हो इस तरह से सक पका गए,,, दोनों संभोग सुख में इतनी ज्यादा खो गए थे कि दरवाजा खोलने का आवाज तक उनके कानों में नहीं पड़ा,,,, अशोक तो अपने सामने अपने बेटे को खड़ा देखकर एकदम से चौक गया और घबराते हुए बोला,,,,

सससससस,,,,, सुभम,,, तुम,,,, तुम कब आए बेटा,,,,,
( इतना कहते हुए वह अपने पजामे को ऊपर करने लगा,,, और मधु अपनी टी-शर्ट को नीचे सरका कर अपने दोनों गोलाइयों को छुपा ले गई,, और हड़बड़ा कर सीढ़ी पर चढ़ते हुए वह टांगों में फंसी अपनी पेंटी को पहनते हुए सीढ़ियां चढ़ने लगी,,,, नजारा बेहद कामुक था जिसे देखकर शुभम का भी मन डोल गया था मधु की गोल गोल गोरी गोरी गदराई गांड जब तक मधु अपने पेंटी के अंदर छुपाती तब तक शुभम ऊसे नजर भर कर देख चुका था।,,, वाला बताते हुए मेहमानों के लिए बने कमरे के अंदर चली गई थी,,,, शुभम हक्का-बक्का का वहीं खड़ा था उसे इस नजारे की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी अभी भी उसकी नजर मेहमान के लिए बने कमरे की तरफ ही थी ।,,,, शुभम को इस तरह से उस कमरे की तरफ देखता हुआ पाकर अशोक बोला,,,।

यैं तेरी बुआ है,,,मधु,,,,, ( नज़रे झुका कर बोला)

बुआ,,,,,,, मतलब कि आप की छोटी बहन,,,,,,

हां,,,,,, ( अशोक फिर से शर्मिंदगी से झुकी नज़रों को ऊपर उठाए बिना ही बोला,,,।)

पापा मतलब आप अपनी छोटी बहन को घर बुलाकर उसको चोद रहे थे इसका मतलब है कि जब तक हम लोग गांव में थे तब से ये तुम्हारी बहन तुम्हारे साथ ही थी,,, और आप रोज उसको इसी तरह से चोदते हैं और वहां के बिना संकोच के आप से चुदवा लेती है ।


देख शुभम इस बारे में तु अपनी मम्मी को बिल्कुल भी मत बताना,,, ( अशोक अपने बेटी के सवाल का जवाब दिए बिना ही बोला,,,।)

बिल्कुल भी नहीं बताऊंगा,,,,( शुभम मुस्कुराते हुए बोला।,,) लेकिन इसमें मेरा क्या फायदा होगा,,,।

फायदा?( अशोक आश्चार्य के साथ बोला वह काफी घबराया हुआ था।)

फायदा मतलब की मै आपकी इन सभी गंदी हरकतों को छुपाता फरु मम्मी को ना बताऊं तो मुझे भी तो कुछ मिलना चाहिए ना,,,,।

तो मांग बेटा तुझे क्या चाहीए मैं सब कुछ देने को तैयार हूं,,, जो तु मांगेगा सब कुछ मिलेगा,,,,( अशोक चेहरे पर प्रसन्नता के भाव लाता हुआ बोला क्योंकि शुभम की बात से उसे लगने लगा था कि वह यह राज छुपाने के बदले में उससे जेब खर्च या और कुछ मांगेगा। लेकिन सुभम बहुत चालाक था वह अपने पापा से बोला,,,।)

मैं अभी कुछ नहीं मांगूंगा बस इतना याद रखना कि मैं आपकी यह सब करतुतो को मम्मी से नहीं बताऊंगा तुम्हारी ऑफिस की सेक्रेटरी और मेरी बुआ मतलब कि तुम्हारी खुद की सगी बहन के साथ जो आप चुदाई का खेल खेल रहे हैं यह राज राज ही रहेगा लेकिन याद रखना उसके बदले में 1 दिन जरूर मैं आपसे कुछ मांगुगा,, तब आप उस समय बिलकुल भी इनकार करने की कोशिश मत करना वरना यह सब काली करतुते मैं मम्मी से बता दूंगा,,,,
04-02-2020, 05:13 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तू बिल्कुल भी चिंता मत कर जैसे तू मर्द की जबान लगता है जैसे मेरी मर्द की जुबान रखता हूं मौका नहीं पर मैं अपने वादे की भरपाई जरूर करूंगा (अशोक खुश होता हुआ बोला,,, इसी दौरान निर्मला भी कमरे में प्रवेश की और उसे देखकर अशोक बोला,,।)

क्या निर्मला एक फोन तो कर दी होती कि मैं आने वाली हूं,,,।

क्यों मेरे आने से आपको बुरा लगा क्या? ( निर्मला मुंह बनाते हुए बोली)

अरे यह बात नहीं है अगर फोन कर दी होती तो मैं मधु से खाना बनवा दिया होता,,,
( इतना सुनते ही निर्मला के पैर वही जम गए,,, लगभग चौकते हुए बोल़ी,,,।)

मधु,,,,,,,, मधु यहां आई है,,,, ।


निर्मला इस समय बहुत दुखी है उसके पति ने उसको बहुत दुख दिया इसलिए वह सब कुछ छोड़ कर मेरे भरोसे इधर आई है।,,
( अशोक बड़े ही दुखी स्वर में बोल रहा था और सुबह मन ही मन उसकी बात सुनकर बोल रहा था कि इसीलिए वह उसका पूरा फायदा उठाते हुए उसको चोद रहा था,,,।)
बस कुछ दिनों की बात है निर्मला मैं उसके रहने का अलग बंदोबस्त कर दूंगा तब वो यहां से चली जाएगी,,,
( इतना सुनकर निर्मला को राहत हुई, क्योंकि मधु के आने की बात सुनकर वह परेशान हो गई थी अगर वह घर रहती तो उस के रहते हुए वह शुभम के साथ रंगरलिया नहीं मना सकतीे थी,,, इसलिए अशोक की बातों से वह मन ही मन खुश होने लगी इस दौरान कमरे में दरवाजे के पीछे खड़ी होकर मधु इन सब की बातें सुन रही थी,, तब तक वह अपने कपड़े दुरुस्त करके फ्रेश हो चुकी थी,,, वह तुरंत अपने कमरे से बाहर निकल कर आई और निर्मला के पैरों को छूकर उसे नमस्ते की,,,, निर्मला भी मधु का अभिवादन स्वीकार करते हुए उसे उठाकर गले लगा ली,, और उसको दुलार ते हुए बस औपचारिकता बस बोली,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं तो हम तो तुम्हारे साथ हैं और किसी बात की जरूरत हो तो हमसे जरूर कहना,,,।

इसलिए तो भाभी आप लोगों के पास आई हूं क्योंकि मैं जानती हूं कि इस दुनिया में आप आप लोगों के सिवा मेरा कोई नहीं है आप ही लोग मेरे सहारा हो।,,,
( शुभम अपनी बुआ की बातें सुनकर मन ही मन उसके भोलेपन के पीछे एक वासना यह चेहरा छुपा हुआ है इस बारे में सोच कर मन ही मन मुस्कुरा भीं रहा था क्योंकि उसे देखते ही उसे वापस याद आने लगा जब वह अपनी नंगी गोरी गोरी गांड को पेंटी के अंदर छुपाते हुए सीढ़ियां चढ़ रही थी शुभम का मन अपनी बुआं पर डोलने लगा था।,,, वह बड़े गौर से मधु के खूबसूरत चेहरे को देख रहा था उसका भरा हुआ बदन खास करके टी शर्ट में तनी हुई उसकी दोनों गोलाइयां,,, शुभम को ललचा रही थी,,,। मधु ठीक से सुभम से नजर नहीं मिला पा रही थी बार-बार वह उसकी तरफ देखकर अपनी नजरों को नीचे झुका ले रही थी।,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम उसका भतीजा है और वहां कमरे में आते हैं उसे उसके पापा से मतलब कि अपने खुद के सगे बड़े भाई से चुदते हुए देख लिया था। इसलिए शर्मिंदगी बस ना तो सुभम से कुछ बोल रही थी और ना ही नजर मिला रही थी।,,, बस इधर-उधर नजरे घुमाते हुए निर्मला से बातें किए जा रहीे थी,,,
निर्मला काफी थकी हुई थी इसलिए वह अपने कमरे में चली गई मधु भी अपने कमरे की तरफ जाने लगी,, लेकिन सुभम की ललचाई आंखें मधु की सीढ़ियां चढ़ने की वजह से मटकती हुई गांड को ही घुऱे जा रही थी।,, शुभम की नजर अब अपनी बुआ पर पड़ गई थी और वह मन में सोचने भी लगा था कि इसे हासिल करने में कोई ज्यादा दिक्कत नहीं पेश आएगी क्योंकि उसने उसे अपनी आंखों से अपने ही बड़े भाई मतलब अपने पापा से चुदवाते हुए जो देख लिया था। मधु भी अपने कमरे में जा चुकी थी। अशोक टेबल के सहारे नजरें झुका कर खड़ा था। शुभम अपने पापा की तरफ देखते हुए बोला,,

पापा आपसे बहुत ही चालू किस्म के होते जा रहे हैं अपनी ही सेक्रेट्री के साथ रंगरेलियां मनाते हुए मैं तुम्हें देख लिया,,, जिसके हर जाने के रूप मे उसने आपसे लाखों रुपया एंठ चुकी थी। उस राज को तो मैं अपने सीने में दफन कर ले गया मम्मी से कुछ भी नहीं बताया,, लेकिन आज जो मैंने अपनी आंखों से देखा है उसे देखने के बाद मुझे अजीब सा लगने लगा है । मतलब कि आप अपनी छोटी बहन के साथ ही,,, ऐसा कैसे हो गया पापा,,,,,

बेटा शुभम आप कुछ भी मत बोल जो होना था सो हो गया,,,,,

लेकिन कैसे,,, वह मान कैसे गई।? ( शुभम जानबूझकर अपने बाप से ऊगलवाना चाहता था,,, इसलिए सवाल पर सवाल पूछे जा रहा था।)

यार सुभम तु मुझे परेशान मत कर,,,,

ऐसा मत कहो पापा मैं तुम्हारे इतने बड़े राज को राज रखा हुं कुछ तो जवाब दो,,,
( शुभम अपने पापा को ब्लैकमेल करने के अंदाज में बोला शुभम की यह बात अशोक भी समझ रहा था इसलिए वहं ना चाहते हुए भी बोला,,,।)

शुभम यह सब अचानक हो गया और इसने तेरी बुआ की भी रजामंदी थी।

क्या कह रहे हो पापा बुआ खुद यह चीहती थी,, लेकीन यह कैसे हो गया, आप तो उसके बड़े भाइ हो,,,,क्या ऊन्हे जरा भी लाज नहीं आई आपके करवाने में और तो और तुम्हें भी बिल्कुल भी शर्म नहीं आई अपनी ही बहन के साथ इस तरह की हरकत करने में,,,।
( अशोक अपने बेटे के इस तरह के सवाल से झुंझला रहा था लेकिन क्या करें उसकी भी मजबूरी थी। ना चाहते हुए भी वह अपने बेटे से बोला।)

तू बिल्कुल भी नहीं समझेगा शुभम यह सब अपने आप ही हो गया कुछ मेरी जरूरत थी तो कुछ तेरी बुआ की वैसे भी तो काफी महीनों से तेरी बुआ अपने पति के बिना अकेले ही हैं। तो उसे भी जरूरत थी और यह सब हो गया।


लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि गैर औरत तक तो ठीक था आप तो घर की औरत मतलब खुद की बहन के साथ यह सब,,,,,


देख शुभम जब तू बड़ा होगा ना,,, तो ऐसे ही किसी हालात मैं तुझे भी यह सब करना पड़ जाएगा तब तु यह सब सवाल नहीं पूछेगा। यह सब हालात और जरूरत की बात है।

मतलब घर के अंदर यह सब रिश्ते जायज है।
( शुभम के इस तरह के सवालों से अशोक पूरी तरह से घिर चुका था अब ऐसे रिश्ते को वह गलत भी तो नहीं बता सकता था,, इसलिए वह बोला।)

हां बेटा यह सब जरूरतों की बात है इसमें कुछ भी गलत नहीं है ।

तो क्या अगर मेरा भी इसी तरह का रिश्ता मम्मी के साथ हो जाए तो आपको कोई एतराज तो नहीं है।
( शुभम तपाक से बोला और इस बार अशोक उसे कुछ भी बोल नहीं पाया बस उसे आश्चर्य से देखता रहेगा तो शुभम ही बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)

मैं मजाक कर रहा हूं देखना चाहता था कि आप क्या कहते हैं,,।



बस मैं यही बोलना चाहता हूं कि तुझे मैं सब कुछ दूंगा जो तू चाहेगा बस इस राज को राज ही रखना,,,

( इतना कहने के साथ ही अशोक जाने लगा और उसे लिए जाते हुए देख कर शुभम बोला)

आप चिंता मत करो पापा यह राज,, राज ही रहेगा,,,।
( इतना कहकर सुभम भी अपने कमरे में चला गया,,, पत्थर की वजह से वह काफी थकान महसूस कर रहा था इसलिए बिस्तर पर पड़ते ही वह गया,,,।
सुबह जल्दी तैयार होकर निर्मला और शुभम दोनों स्कूल के लिए रवाना हो गए,,, सुबह उठते ही मधु ने निर्मला कह दिया था कि जब तक वह इधर है तब तक रसोई का काम वही संभालेगी,,, इसलिए निर्मला को रसोई के काम से फुर्सत मिल गई थी और वह नहाने के तुरंत बाद नाश्ता करके शुभम के साथ स्कूल के लिए चलेी गई,,,
सुबह जल्दी जाने वाला अशोक ऑफिस में अब लेट जाता था इसका एक कारण यह था कि रोज सुबह सुबह मधु के साथ रंगरेलियां मनाते हुए उसे देर हो जाती थी और वह देर से ही ऑफिस जाने लगा था। सुबह उठकर वह देखा तो निर्मला और शुभम दोनों स्कूल जा चुके थे इसलिए थोड़ा उसके मन में रंगीनीयत छाने लगी, और वह मधु को ढूंढते ढूंढते रसोई घर मैं पहुंच गया जहां पर मधु खाना बना रही थी अशोक जाते ही उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया,,, यू तो मादकता और जवानी से भरी हुई मधु को मोटी औरत अपने लंड से चोदने की इच्छा होती थी लेकिन मजबूरी बस ना चाहते हुए भी उसे अपने बड़े भाई अशोक के साथ हमबिस्तर होना पड़ता था क्योंकि इसमें उसकी बहुत बड़ी मजबूरी थी इस हालत में अशोक के सिवा उसके पास और कोई ना तो ठिकाना था और ना तो कोई सहारा था इसलिए ना चाहते हुए भी वह अशोक को सहकार देते हुए चुंबन करने लगी,, और कुछ ही मिनट में अशोक मधु से एकाकार हो गया कुछ देर बाद जब शांत हुआ था मधु उसे बोली,,,।

भैया कल रात शुभम ने हम दोनों को उबाल में देख लिया है अगर कहीं उसने भाभी को बता दिया तो क्या होगा,,,?

कुछ नहीं होगा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं उसे सब कुछ समझा दिया हूं और उसे कुछ भी मांगने की लालच भी दे दिया हूं,,, इसलिए अपनी मां से कुछ भी नहीं कहेगा,,,।

अच्छा हुआ भैया कि तुमने सब कुछ संभाल लिया वरना मुझे रात भर नींद नहीं आई थी।

डरने की कोई बात नहीं है बहुत ही जल्द में तुम्हें कहीं दूसरा फ्लैट दिला दूंगा जहां पर तुम आराम से रह सकोगी,,।
( जवाब में मधु मुस्कुरादी और अशोक नहाने के लिए बाथरूम चला गया,,,,
निर्मला और शुभम के स्कूल आने से शीतल बहुत खुश नजर आ रही थी वाह नजरें बचाकर शुभम को इस्माइल देते हुए उसे आंख मार दी जिसका जवाब शुभम भी उसे आंख मार कर ही दिया,,,, कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए किसी को भी मौका नहीं मिल रहा था ना तो अशोकं को नाही शुभम और निर्मला
को,, सब लोग अंदर ही अंदर तड़प रहे थे,,, लेकिन यह तड़प निर्मला में कुछ ज्यादा ही थी उसकी आदत पड़ चुकी थी सुभम के साथ संभोग करने की,,,,,,,, शुभम मधु पर कुछ ज्यादा ही डोरे डालने लगा था और वह थी की उससे नजरें चुरा लेती थी,,,, धीरे-धीरे दिन गुजर रहा था,,,। शुभम की भी हालत खराब हुए जा रही थी,, मौका मिलने पर शुभम अपनी मां के अंगों से उसे दबाकर सहलाकर खेल रहा था और निर्मला भी शुभम के ही देना चुंबन करके तो कभी शुभम के मुसल को मसलकर अपने मन को बहला ले रही थी,, लेकिन दोनों को अपनी प्यास बुझाने का मौका बिल्कुल भी नहीं मिल रहा था।,,,
ऐसे ही एक दिन सुबह निर्मला मंदिर गई हुई थी और ऑफिस में जरूरी काम होने की वजह से अशोक जल्दी ही घर से निकल गया था। शुभम बाथरूम चला गया और मधु रसोई में रसोई का काम कर रही थी कि तभी उसे पेशाब का प्रेशर महसूस होने लगा और वह बाथरूम की तरफ जाने लगी तरफ जल्दबाजी में शुभम बाथरूम का दरवाजा लॉक करना भूल गया और अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा होकर नहा रहा था मधु को याद करके उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था क्योंकि बार-बार उसे वहीं पल याद आता था जब वह अपने नितंबों को छुपाने की कोशिश करते हुए पेंट पहनते हुए सीढ़ियो पर चढ़ रही थी और छुपाने की पूरी कोशिश करने के बावजूद भी उसी की लड़ाई जवानी की परिभाषा उसके गदराए नितंबो ने बिना कुछ कहे बयां कर रहे थे,,, वह पल याद आते ही किसी भी स्थिति में सुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा हो जाता था,,, इस समय भी सुभम की बिल्कुल ही वैसी हालत थी, उसके जेहन में मधु का गदराया बदन हिचकोले खा रहा था।,,,, दरवाजे की तरफ पीठ करके शावर लेता हुआ नहा रहा था की तभी अचानक दरवाजा खुला और मधु पेशाब की प्रेशर को रोक नहीं पाई और बाथरूम में आ गई, और आते ही उसकी नजर दरवाजे की तरफ पीठ करके नहाते हुए शुभम पर पड़ी तो वह शुभम के नंगे बदन को देखकर एकदम से चौंक गई और दूसरी तरफ दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर शुभम भी चौक कर दरवाजे की तरफ मुंह करके देखने लगा,,, और बाथरूम में मधु को देखकर वह पूरी तरह से चौक गया और यही हाल मधु का भी हुआ वह चौक ते हुए अपने कदम वापस लेती की इससे पहले ही उसकी नजर,,, शुभम के तने हुए लंड पर पड़ गई औरउस पर नजर पड़ते ही जैसे मधु मंत्रमुग्ध सी हो गई हो इस तरह से, आश्चर्य से मुंह खोले हुए ही वह शुभम कै खड़े लंड को देखने लगी,,, वह तो पूरी तरह से आश्चर्य में थी जिस तरह से मधु शुभम के लंड को देख रही थी उसे देखकर शुभम एक पल के लिए घबरा गया,,, उसे समझ में नहीं आया कि क्या करें लेकिन जब वह देखा कि मधु अपनी नजर उसके लंड पर से हटा ही नहीं रही है तो, वह कुछ सोच कर. बेझिझक अपने खड़े लंड को पकड़कर हीलाते हुए मधु से बोला,,,।
04-02-2020, 05:13 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
क्या देख रही हो बुआ पापा से बड़ा है ना,,।
(सुभम पुरी तरह से बेशर्मी दिखाते हुए बोला,,,, पुरुष की आवाज सुनकर मधु जेसेे नींद से जागी हो इस तरह से हड़बड़ाते हुए बोली,,,

हं,,,,, ( इतना कहकर वह कभी आश्चर्य से सुभम की तरफ देखती तो कभी उसके खड़े लंड की तरफ,,,,, सुभम समझ गया की उसकीे बुआ ऊसके लंड के प्रति पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी है, इसलिए वह दुबारा बोला,,,, इस बार बड़ी बेशर्मी के साथ जोर जोर से अपने मोटे तगड़े लंबे लंड को हिलाता हुआ बोला जिसकी वजह से उसका लंड ऊपर से नीचे की तरफ बड़ी कामुकता पूर्वक झूला झूल रहा था।)

क्या देख रही हो बुआ यह पापा से बहुत बड़ा है ना,,,,।

( इस बार वाह शुभम की बात सुनकर एकदम से शर्मा कर तुरंत बाथरूम से बाहर निकल कर खड़ी हो गई,,, और निकलते समय बाथरूम का दरवाजा बंद कर दी,,, अपनी आंखों के सामने बुआ को उसका लंड ताकता हुआ देखकर सुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और अपने लंड को सहलाते हुए बोला,,, ।

क्या हुआ बुआ (शुभम इस बार ऊंचे स्वर में बोला क्योंकि वह जानता था कि घर में उसके और उसकी बुआ के सिवा कोई दूसरा मौजूद नहीं था,,,, मधु उत्तेजना के दरवाजे के बाहर खड़ी थी उत्तेजना के मारे उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, ऊसे यकीन नहीं हो रहा था कि, उसने जो देखी वह वास्तविक है,, क्योंकि अब तक उसने इस तरह का मजबूत और तगड़ा, लंड
नही देखी थी,,, उसकी सांसे अभी भी तेज चल रही थी,, वह वहां से चली जाना चाहती थी लेकिन लंड के आकर्षण की वजह से वहां जा नहीं सकी और वैसे भी उसे बहुत जोरों से पेशाब लगी थी,,,, शुभम को उसकी चूड़ियों की आवाज आती तक सुनाई दे रही थी इसलिए वह समझ गया कि वह दरवाजे के बाहर ही खड़ी है इसलिए वह फिर से बोला,,,।

क्या हुआ बुआ चली क्यों गई अंदर आ जाओ,,,

तुम दरवाजा बंद करके नहा नहीं सकते थे क्या?

दरवाजा बंद करके नहाता तो तुम अंदर कैसे आती और इतना खूबसूरत नजारा केसे देख पाती,,,,।

तुम बहुत बेशर्म हो गए हो जल्दी करो बाहर आओ मुझे जोरों से पेशाब लगी है,,,।
( बुआ के मुंह से पेशाब लगने वाली बात सुनकर शुभम का लंड ठुनकी मारने लगा,, वह एकदम से ऊत्तेजना से भर गया,,,, और अपने लंड को हिलाता हुआ बोला।)

तो चली आओ इसमें शर्माने की क्या बात है वैसे भी घर पर तुम्हारे और मेरे सिवा कोई नहीं है।
04-02-2020, 05:13 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
पागल हो गए हो क्या मैं तुम्हारे सामने,, धत्त,,, ( दरवाजे के बाहर खड़ी होकर शरमाते हुए मधु बोली)

अरे इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई जब तुम पापा के साथ मेरा मतलब समझती हो ना अब चली आओ,,,
( शुभम की यह बात सुनकर मधु थोड़ा झेंप सी गई,,, वह समझ गई कि सुभम का इरादा कुछ ठीक नहीं है,,, एक तरफ उसके मन में कुछ और कर रहा था तो एक तरफ शुभम के लंड को लेकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौडनें लगी थी,,, वह फिर से शुभम के लंड को देखना चाहतेी थी,,,,, वह अजीब सी उलझन में फंसी हुई थी। एक तरफ शर्म के मारे वहां बाथरूम में दोबारा नहीं जाना चाहती थी तो दूसरी तरफ सुभम के मोटे तगड़े और जिस तरह के लंड़ से वह चुदने की कामना करती थी उसी तरह के लंड को देखने की उत्सुकता उसके मन में बढ़ती जा रही थी,,,, और उसके तन बदन को पेशाब का प्रेशर भी बुरी तरह से परेशान कर रहा था अगर वह कुछ देर वहीं रुकी रही तो इतना तय था कि वह अपने कपड़े गीले कर लेती,,, इसलिए शर्म भय और उत्सुकता का मिलाजुला भाव लेकर जो होगा देखा जाएगा ऐसा मन में सोच कर मधु बाथरूम का दरवाजा खोल कर वापस बाथरूम में घुस गई

शुभम मधु को इस तरह से दोबारा बाथरूम का दरवाजा खोल कर अंदर आता हुआ देखकर पहले तो शुभम पूरी तरह से चौक गया,,, लेकिन वह समझ गया कि वह भी वही चाहती है जो कि वह चाह रहा है।,, मधु पूरी तरह से शर्मिंदगी का एहसास लिए नजरें झुका ही हुई थी लेकिन सुभम के मोटे लंड को देखने की लालच वह अपने मन से हटा नहीं पा रही थी,, इसलिए बात चोर नज़रों से बार-बार शुभम के लंड को देख ले रही थी क्योंकि अभी भी पूरी तरह से खड़ा होकर शुभम की हथेली में गश्त लगा रहा था। यह नजारा ही मधु के लिए काफी था उसकी बुर टपकने लगी थी। शुभम बड़ी ही कामुकता के दर्शन कराता हुआ अपनी हथेली को जोर जोर से अपने मोटे तगड़े मुसल पर चला रहा था।,,, मधु मन ही मन यह सोचकर उत्तेजित में जा रही थी कि अगर शुभम उसकी बुर में अपना मोटा लंड डाले तो उसे कैसा महसूस होगा,,,। शुभम प्यासी नजरों से मधु के बदन के ऊपर से नीचे तक ताड़े जा रहा था, और मधु शर्मा और संकोच के कारण अपने आप में ही सिकुड़ी जा रही थी,,।,, उत्तेजना और साथ ही पेशाब का प्रेशर उसे बूरी तरह से परेशान किए जा रहा था,,,। शुभम की भी हालत खराब हुई जा रही थी,, काफी दिनों से उसे भी बुर में लंड डालने का मौका बिल्कुल भी प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए उसका नंबर काफी समय से प्यासा था इसलिए तो अपनी आंखों के सामने एक बेहद खूबसूरत औरत को देखते ही उसकी जवानी को सलामी भरते हुए ऊपर नीचे हो रहा था।,,, बार-बार चोर नज़रों से ना करती हुई मधु अंदर ही अंदर बेहद प्यासी होते जा रही थी, वह तो मजबूरी बस अपने बड़े भाई की पतले और कमजोर लंड से चुद़वाते आ रही थी वरना उसे तो ऐसे ही लंड की कामना थी।,,, दोनों के बीच किसी भी प्रकार का संवाद नहीं हो रहा था बस मन की बात को वह दोनों नजरों से इजहार कर रहे थे मधु की आंखों में नशा सा छाने लगा था,,। बदन की प्यास कामरस की बूंदे बन कर बुर की पतली दरारों से टपक रही थी। सारे अरमान मचल रहे थे वह भी सुभम की मजबुत बाहों में अपनी बहकती जवानी को तोड़ना चाहती थी,,,,, लेकिन कैसे यह उसको बिल्कुल भी पता नहीं था इसलिए तो नजरें झुका कर खड़ी थी काफी देर तक बस आंखों ही आंखों से,, अपने दिल की बात को इशारों में व्यक्त करने के बाद जब रहा नहीं गया तो मधु बोली,,,,।

शुभम तुम बाहर जाओ ना मुझे जोरो से पेशाब लगी है, मुझे कर लेने दो फिर आ जाना,,,,
( मधु यह बात बेहद नशीले अंदाज में कही थी,,, क्योंकि वह जानती थी कि भले ही पेशाब वाली बात औपचारिक ही हो लेकिन औरतो के मुंह से पेशाब करने की बात सुनकर दुनिया का हर मर्द मदहोश हो जाता है और एकदम से उत्तेजना का अनुभव करने लगता है और यही हाल शुभम का भी हो रहा था मधु के मुंह से उसकी आंखों के सामने खड़े होकर पेशाब करने की बात जिस अंदाज से वह कर रही थी उसे सुनकर शुभम का लंड मधु की जवानी को भोगने की कामना करते हुए ऊपर नीचे हो रहा था।,,, और कामुकता का एहसास लिए हुए शुभम बोला,,,।)

तो कर लो ना तुम्हें रोका किसने है

तेरे सामने कैसे कर लु, तू बाहर जाना,,,

मुझसे कैसी शर्म मेरे सामने ही तो तुम पापा से चुदवा रही थी,,।

तू बार-बार मुझसे वही बात क्यों करता है,,, भूल से हो गया था,,,।

भूल से कोई किसी से चुदवा लेता है क्या?

ऐसी बातें तो मुझसे क्यों कर रहा हूं तो मुझे परेशान मत कर बाहर चला जा बस 2 मिनट की बात है,,।

तो यह 2 मिनट तुम मेरे नाम कर दो,,, मेरी देखना चाहता हूं कि बुआ कैसे पेशाब करती है,,।

तु एकदम बेशर्म हो गया है।

जब से तुमको पापा से चुदवाते हुए देखा हुं तबसे मेरी भी शर्म फुर्र हो गई है।,,,,,
( शुभम अपने लंड को हिलाता हुआ बोला,,, और मधु भी शुभम की इस हरकत को चोर नज़रों से देख कर मस्त हुए जा रही थी।)

तू बार-बार पापा पापा क्या लगा रखा है देख शुभम तु यह वाली बात को भाभी से बिल्कुल भी मत बताना,,,,

लेकिन राज को राज रखने के लिए कुछ मेरा भी तो फायदा होना चाहिए ना,,,,( इतना कहते हुए शुभम आगे बढ़ने लगा अभी भी वह अपने लंड को हिला रहा था,,, उसे अपने करीब आता देख कर मधु के दिल की धड़कन बढ़ने लगी और वह कपकपी भरे स्वर में बोली



कैसा फायदा तू कहना क्या चाहता है,,,,।
( मधु शुभम के इरादे को भाप गई थी और उसे डर भी लग रहा था और उसकी उत्सुकता भी बढ़ते जा रही थी, वह इतना कह पातीै इससे पहले ही शुभम ऊसके बेहद करीब पहुंच गया था। शुभम यह बात तो अच्छी तरह से जान चुका था कि मधु का भी मन आगे बढ़ने में दिलचस्पी रख रहा है इसीलिए तो वह बाथरूम में दोबारा आई है वरना अगर वह आगे बढ़ना नहीं चाहती तो वह बाथरूम में दोबारा आती ही नहीं और वैसे भी जिस नजर से वह उसके लंड को घूर रही थी,,, ऊसे देखकर सुभम समझ गया था कि वह कि वह ऊसके लंड को अपनी बुर में लेना चाहती है।,,,, इसलिए वह बेहद उत्तेजना का अनुभव करते हुए एक हांथ आगे बढ़ा कर,,,उसकी कमर में डाल दिया और उसे अपनी तरफ खींच लिया,,,, शुभम की हरकत से मधु एकदम से मचल उठी,,, इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही शुभम अपने होठो को उसके गुलाबी होठो पर रख कर चूसना शुरू कर दिया,,,,, और उसकी उत्तेजना बढ़ाने हेतु उसका एक हांथ पकड़ कर, अपने लंड पर रख दिया और देखने वाली बात यह थी कि मधु अपना हाथ पीछे हटाने की चेष्टा बिल्कुल भी नहीं की बल्कि वह तो गर्म सिसकारी लेते हुए अपनी मुट्ठी का कसाव शुभम के लंड पर और ज्यादा बढ़ा दी,,, मधु का इस तरह की हरकत की वजह से शुभम की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई और वह देखते ही देखते उसके होठों को चूसते हुए उसकी बड़ी बड़ी गोल चुचियों को एक हाथ से दबाना शुरू कर दिया,,,,, जिसकी वजह से मधु के मुंह से लगातार गरम सिसकारियों की आवाज आने लगी जो की होठो पर होंठ रखने की वजह से घुटी घुटी सी निकल रही थी,,,।

ऊहहहहहहहह,,,,, ऊममममममम,,,, ऊहहहहहहहह
मधु को भी मजा आने लगा शुभम पूरी तरह से नंगा और गीला था जिसकी वजह से मधु का गाउन भी गीला होने लगा,,,,,। कुछ देर तक इसी अवस्था में मजा लेने के बाद शुभम अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर गाउन को ऊपर की तरफ सरकाने लगा,,,, जो कि मधु उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकने की कोशिश करते हुए बोली,,,।

भाभी आ जाएगी,,,,

अभी तुम्हारी बात ही नहीं आने वाली उन्हें आने में 1 घंटे से ज्यादा लग जाएगा । (इतना सुनते ही मधु शुभम के हाथ पर से अपना हाथ हटा ले और उसे गाउन उत्तर की तरफ सरकाने में मदद करने ,लगी,,,, कमर तक गाऊन सरकते ही,,, शुभम की हथेली उसकी जांघो के बीचो-बीच फिर रही थी,,, जिससे शुभम को अंदाजा लग गया कि मधु अंदर कुछ नहीं पहनी थी गाउन के नीचे वह बिल्कुल नंगी ही थी,,, और वह तुरंत अपनी पांचों अंगुलियों को मधु की बुर पर रगड़ने लगा,,,, जिससे मधु और ज्यादा उत्तेजित होने लगी शुभम की हरकत की वजह से उसकी पेशाब का प्रेसर और ज्यादा बढ़ता जा रहा था,,,,। उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था लेकिन बड़ी मुश्किल से वह अपने आप को रोके हुए थी वरना कब से उसकी पेशाब निकल गई होती।,,,, शुभम जिस तरह से अपने हाथों की हरकतों से मधु को मदहोश कर रहा था उसे देख कर मधु समझ गई थी कि शुभम उसे ढेर सारा मजा देने वाला है,, क्योंकि शुभम की मादक हरकतों की वजह से उसकी बुर में पानी का सैलाब उठ रहा था,,, जिससे शुभम की उंगलियां पूरी तरह से गिली हुए जा रही थी,,।,,,, शुभम मदहोश हुआ जा रहा था वह देखते ही देखते अपनी बीच वाली उंगली को मधु की गीली बुर में अंदर तक उतार दिया,,,,।

सससहहहहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहहहह,,,,,,, सुभम,,,,
( मधु गरम सिसकारी लेते हुए बोली,,, तब तक शुभम मधु के गुलाबी होठो पर से अपने होट हटाकर,,,, गाउन के ऊपर से ही,,, मधु की मधु की नरम नरम चुचियों को मुंह में भर कर पीने की नाकाम कोशिश करने लगा। शुभम कि इस तरह की चूची पीने की नाकाम कोशिश मधु के तन बदन में और ज्यादा आग भड़काने लगी उसके गांऊनकी कंधे पर की पट्टी बेहद पतली थी,,, जिसकी वजह से तुरंत उसने एक हाथ से अपने दोनों तरफ की तख्ती को नीचे कंधे की तरफ गिरा दी और अपने गांऊन को अपनी चुचियों के नीचे करके,, अपनी नंगी गोलियों को शुभम के मुंह में दूध की बोतल की भांती ठुंस दी ताकी सुभम आराम से पी सके,, सुभम छोटे बच्चे की भांति जितना हो सकता था उतना मुंह में भरकर दबाते हुए पीना शुरू कर दिया,,,, दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को बांहों में भींचने लगे,,, दोनों की मदहोशी पन की हद बढ़ती जा रही थी, शुभम जोर जोर से अपने बीच वाली उंगली को मधु की रसीली बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे उंगली से ही पेल रहा था,,,,, जिससे मधु के मुंह से लगातार गर्म सिसकारियां निकल रही थी।,,, दोनों एक-दूसरे को बाहों में भींचते हैं इधर उधर कसम लड़खड़ा ते हुए मजा ले रहे थे,,, और धीरे-धीरे दोनों सागर के नीचे पहुंच गए जहां से ठंडे पानी की फुहार दोनों के बदन को ठंडक पहुंचा रही थी।। झरने की तरह झर रहे पानी के नीचे दोनों की कामोत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी,,,, शुभम पागलों की तरह उसकी दोनों चूचियों को दबाते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा,, और देखते ही देखते शुभम घुटनों के बल बैठ गया और प्यासी नजरों से मधु की जांघों के बीच के खूबसूरत मनोरम दृश्य को देखने लगा जहां पर जांघों की आखिरी कटाव के ऊपरी सतह पर हल्की सी पतली दरार नजर आ रही थी जो कि पूरी तरह से गरम रोटी की तरह फुल चुकी थी,, और इसी पतली हल्की सी दरार की वजह से ही पता चल रहा था की यहअंग बुर है वरना पता ही नहीं चलता जिस पर हल्की हल्की रोंएदार मखमली झांटो का झुरमुट बुर की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा रहा था,,, शुभम नजर भर कर मधु के इस अंग को देखे जा रहा था। और यह देखकर मधु की हालत खराब हुए जा रही थी। वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुकी थी,,, पेशाब का प्रेशर परेशान कर रहा था सो अलग,
शुभम शॉवरर के नीचे घुटनों के बल बैठ कर,, अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर मधु की मखमली मांसल चिकनी जांघों पर रखकर उत्तेजना बस उसे दबोच लिया,,,, और मधु कसमसाते हुए सिसक रही थी।

सॉवर से बह रहे पानी के नीचे दोनों नहाते हुए भीग रहे थे मधु भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी जबसे सुभम कहा था कि अभी उसकी मम्मी नहीं आने वाली है तब से मधु का भी मन और ज्यादा खुलने को हो रहा था इसलिए वह अपने गाउन को ऊपर की तरफ से कहते हुए निकाल फेंकी,,, अब मैं तो बन के आंखों के सामने संपूर्ण रूप से निर्वस्त्र अवस्था में खड़ी थी और उसकी खूबसूरत गोरी गोरी जवानी को देखकर शुभम के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपनी प्यास बुझाने के लिए जांघों पर रखें अपनी हथेली को उपर की तरफ सरका कर उसके गोल गोल गदराए हुए नितंबों पर रखकर दबाते हुए उसे दबाते हुए अपने प्यासे होठ को उसकी बुर पर रख दिया शुभम की हरकत की वजह से मधु के तन बदन में चुदास की लहर अपना असर दिखाने लगी,,, और वह लंबी आहें भरते हुए अपने दोनों हाथ को शुभम के सिर पर रख कर जोर से अपनी बुर पर दबाकर अपने नितंबों को गोल-गोल घुमाते हुए उसके होठों पर अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों को रगड़ना शुरू कर दी,, मधु का यह साथ सहकार देखकर शुभम से रहा नहीं गया और वह जोर जोर से मधु की गांड को मसलते हुए
उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया,,, शुभम की इस कामुक हरकत की वजह से मधु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी और उससे अपने आप पर सब्र कर पाना मुश्किल सा होने लगा और ना चाहते हुए भी वह अपने पेशाब की प्रेसर को रोक नहीं पाई ओर छलछलाकर,,,, मुतना शुरू कर दी अब ईस हालत में मधु कर भी क्या सकती थी एक तो उसके ऊपर दोनों से ही मदहोशी छाई हुई थी ऊपर से सब अपनी अपनी हरकत के द्वारा उसकी कामोत्तेजना को और अधिक बढ़ा दिया पहले से ही पेशाब की प्रेशर से वह तड़प रही थी बदन में हो रही इस प्रकार की हलचल को वह रोक नहीं पाई और वह छल छलाकर मुतना शुरू कर दी थी,,,
पहले तू सावन के नीचे शुभम को समझ में नहीं आया कि उसकी बुआ उसके मुंह में ही मुतना शुरू कर दी है उसे यही लग रहा था कि सावर से पानी की वजह से ऐसा हो रहा है,,,, लेकिन स्वाद में खारे पानी की वजह से उसे यकीन हो गया कि उसकी बुआ उसके मुंह में ही मुतना शुरू कर दि है। लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि शुभम को इस बात से बिल्कुल भी किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं हो रही थी, बल्कि वह तो अपनी बुआ की इस हरकत की वजह से पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और वह लबालब अपनी जीभ दूर की गहराई में उतारता हुआ उसके पेशाब को गटक जा रहा था,,,,
मधु को यकीन नहीं हो रहा था कि सुभम ऊसकी पेशाब की बूंदों को चट कर जा रहा है,,,, वह अपने बदन में और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव करने लगी,,,, उससे रहा नहीं गया और वह अपनी कमर को आगे पीछे करके हिलाते हुए बोली,,,,।


ससससहहहहहहहहह,,,, सुभम,,,, आहहहहहहहहह,,,,,
मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ,,,,ससससससहहहहहहह,,,,,, शुभम और यह अचानक हो गया।,,,,,आहहहहहहहहहहह,,,,,, तुझे बुरा तो नहीं लग रहा है ना,,,,,,,,,,,,
( शुभम जवाब देने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था वह तब तक अपनी बुआ की बुर को चाटता रहा जब तक कि उसकी पेशाब की आखरी बूंद तक टपक नहीं गई,,,,, अब उससे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था वह जल्दी से खड़ा हुआ और अपनी बुआ की एक टांग उठा कर अपनी कमर से लपेटता हुआ,,,, उसकी कमर को थामे हुए अपने लंड के सुपाड़े को उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रख दिया,,, और जोर से धक्का देता हुआ बोला,,,

मैं बिल्कुल भी नाराज नहीं हूं मेरी जान तुम तो बल्कि मेरी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रहीे थी,,,
( इतना कहने के साथ ही शुभम अपने लंड को पूरा का पूरा अपनी बुआ की बुर की गहराई में उतार दिया,,,
मधु शुभम के एकाएक हुए ईस वार को झेल नहीं पाई और दर्द से बिल मिलाते हैं उसके मुंह से चीख निकल गई,,,,

आहहहहहहहहह,,,, शुभम बहुत दर्द कर रहा है,,,,,ओहहहहह,,,,,,

मजा भी तो मिल रहा है ना मेरी जान,,,,

तेरा बहुत मोटा है रे,,,,

तभी तो देखना पापा से ज्यादा मजा दूंगा,,,,

आहहहहहहहह,,,,, यह मजा कहीं सजा ना बन जाए मेरे लिए,,,, आज तो लगता है कि तू अपने मोटे लंड से मेरी बुर फैला देगा,,,,

तभी तो मजा आएगा मेरी जान मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर की गुलाबी पत्तियों को चौड़ा करते हुए अंदर जा रहा है,,,,।


आहहहहहहहहह,,,, रगड़ रगड़ के जा रहा है।

पापा का कैसे जाता था,,,,( अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए मधु को चोदते हुए बोला)

तेरे पापा का तो पता ही नहीं चलता कि अंदर जा रहा है कि बाहर जा रहा है,,,,,।


फिर भी तो उनके साथ लगी हुई हो,,,,


आहहहहहहहह,,,,, सुभम धीरे,,,,, लगी हुई नहीं है मेरी मजबूरी है,,, मेरा अब तेरे पापा के सिवा कोई सहारा भी नहीं है तो जाऊंगा रही बात का तेरे पापा फायदा उठाते हुए मेरा उपयोग कर रहे हैं भले ही उनसे कुछ होता नही है लेकिन फिर भी ना जाने कितनी प्यास लगी हुई है।


तुम हो ही इतनी मस्त की किसी को भी प्यास लग जाए,,( शुभम जोर जोर से अपनी कमर हिलाते हुए मधु की चुचियों को मसलते हुए बोला,,,)


आहहहहहहहहहह,,,,,, ऊईईीईीी मा,,,,,,, आहहहहहहहहहहहह,,,,, अरे तेरे पापा के पास तो एकदम मस्त माल फिर भी ना जाने क्यों वह इस तरह की हरकत करते हैं,,।

किसकी बात कर रही हो बुआ( अनजान बनते हुए जोर जोर से धक्का लगाते हैं बोला)

तेरी मां की और किसकी देखता नहीं है तू इतनी मस्त गोल गोल चुचीया है बड़ी-बड़ी,, ब्लाउज में नहीं समा पाती,, बड़ी बड़ी गांड साड़ी के ऊपर से भी देखने पर किसी का भी लंड खड़ा हा जाता है । तेरे पापा की तो किस्मत अच्छी है कितनी सुंदर और खूबसूरत बीवी मिली है कि दिन रात उसकी बुर में लंड डालकर पड़े रहो,,, ( बुआ की बातों को सुनकर सुभम उत्तेजित हुआ जा रहा था और जोर जोर से धक्के लगाते जा रहा था,,)

मेरे सामने कैसी बातें करती हो बुआ,,,,,

ओह हो,,,,, एैसा शरीफ होता तो अपनी बुआ को बाथरूम में आज ये ना कर रहा होता,,,,,,आहहहहहहहह आहहहहहहहहह,,,,,, ( अपनी बुआ के इस तरह की बातें सुनकर उत्तेजना के मारे शुभम जोर जोर से धक्के लगाने लगा वह मधु को संभलने का बिल्कुल भी मौका ना देते हुए अपनी मजबूत भुजाओं में उसी हालत में अपना एक हाथ उसके नितंबों के नीचे ले जाकर उसे अपनी गोदी में उठा दिया,,, हालांकि अभी भी उसका लंड उसकी बुर की गहराई में था और वह सीधे ले जाकर बाथरूम की दीवार से सटाकर जोर जोर से धक्के लगा कर ऊसे चोदने लगी,,, मधु को बहुत मजा आ रहा था जिंदगी में पहली बार उसने इस तरह की जबरदस्त चुदाई करवा रही थी,,, वह जानती थी कि घर में समय कोई भी मौजूद नहीं है इसलिए खुलकर अपनी गरम सिसकाारियों के साथ बाथरूम के साथ साथ पूरे घर मैं अपनी आवाज गुंजा रही थी,,, शुभम बिना रुके तकरीबन 20 मिनट तक ऐसे ही धक्के लगाता रहा,,,,, और आखिर में दोनों एक साथ झड़ने लगे,,,, मधु की पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसलिए वह जल्दी से नहा कर बाथरूम से बाहर चली गई कुछ देर बाद शुभम तौलिया लपेटकर बाथरूम से बाहर निकला और अपने कमरे में चला गया,,,,
मधु की चुदाई कर के सुभम बेहद खुश नजर आ रहा था।
दूसरी ओर स्कूल में शीतल को कुछ ज्यादा खास मौका नहीं मिल रहा था सुभम के साथ समय व्यतीत करने के लिए,,,, हालांकि वह मौका देखकर शुभम को छेंड जरूर देती थी कभी पेंट के ऊपर से लंड को दबा देती तो कभी उसे अपनी तरफ खींच कर उसके होठों को चूमना शुरू कर देती शुभम भी इसका फायदा उठाते हुए उसके नितंबों को दबा देता तो कभी उसकी चूची को मसल देता,,, शुभम को धीरे धीरे ईस छेड़खानी में मजा आने लगा था,,,, निर्मला को भी कुछ दिनों से अजीब सा लगने लगा था वह इस बात पर नोटिस करने लगी थी कि सीतल भले ही उसके साथ बातें करती थी लेकिन वह शुभम को ही ताकते रहती थी उदयपुर का साथ नहीं होता था तो वह सुभम के बारे में ही पूछती रहती थी। शुभम भी शीतल के साथ समय बिताकर खुश नजर आता था ऐसा आभास निर्मला को होने लगा था इस बात को लेकर निर्मला के मन में डर बैठने लगा था,,,, क्योंकि निर्मला अच्छी तरह से जानती थी थी शुभम की कद काठी कसरत ई बदन को देखकर किसी का भी मन उसकी तरफ बहकने लगता था और कोई भी अगर उसकै मुसल जैसे लंड को देख ले तो उससे चुदे बिना नहीं रह सकती थी,,,, इस बात को लेकर निर्मला काफी परेशान नजर आ रहे हैं क्योंकि जिस तरह की हरकतें और व्यवहार शीतल का लग रहा था उसे देखते हुए,,, सुभम का ऊसकी तरफ आकर्षित होना तय था। उसे इस बात का भी डर बराबर बना हुआ था कि कहीं शीतल उसके बेटे को बहला-फुसलाकर अपने साथ शारीरिक संबंध ना बना ले,, और अगर ऐसा हो गया तो जो अभी तक उसके आगे पीछे लट्टु बन कर घूमता था वह सीतल का दीवाना हो जाएगा,,,, शीतल की हरकतें और उसकी चालाकीयो के बारे में निर्मला अच्छी तरह से जानतीे थी। और वह ऐसा नहीं होने देना चाहती थेी इसलिए अब वह शुभम और सीतल दोनों पर नजर रखना शुरू कर दी थी।


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