RE: Sex kahani किस्मत का फेर
“तुम मेरा इंतज़ार कर रही थीं , है ना ? “ वो मुस्कुराया ।
“हाँ , मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी “ वो आँखें बंद किये ही मादक आवाज़ में धीरे से बोली ।
“तुम ऐसे ही लेटी रहो । मैं तुम्हें भरपूर प्यार करूँगा तब तक , जब तक कि तुम पूरी तरह से तृप्त नहीं हो जाओगी । "
फिर वो उसकी टाँगें फैलाकर उनके बीच आ गया और बिना देर किये अपना तना हुआ लंड आँचल की चूत में घुसा दिया । फिर उस टाइट चूत में अपने मोटे लंड को अंदर बाहर करके सटासट धक्के लगाने लगा ।
“आय लव यू ! ….….आह हहह ......“ सिसकारियां लेते लेते आँचल के मुंह से निकला ।
वो आगे झुक गया और आँचल के कांपते होठों पर अपने होंठ रख दिये और धक्कों के साथ ही चुम्बन भी लेने लगा । आँचल अब मदहोश थी ।
“ और तेज और तेज …….आह हहह …. मैं झड़ने वाली हूँ ....प्लीज और जोर से करो। ”
उसके धक्के तेज तेज होते गए और वैसे ही आँचल की सिसकारियां भी बढ़ती चली गयीं । कुछ देर बाद आँचल के मुंह से एक तेज चीख निकली और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया । अजनबी के धक्के हलके हो गए और उसका लंड आँचल की चूत से निकले पानी की बाढ़ में डूब गया ।
“आँचल , तुम ठीक तो हो ? " तभी समीर ने उसका दरवाज़ा खटखटाया । "अभी अभी मैंने तुम्हारी चीख सुनी । "
पूरी तरह से पसीने से तर बतर आँचल सपने से जाग जाती है । उसकी साँसें तेज तेज चल रही थीं , छाती तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी । और पूरा बदन उत्तेजना से काँप रहा था । एक गहरी साँस लेकर उसने अपने ऊपर काबू पाने की कोशिश की और बिखरे हुए चादर को अपने ऊपर छाती तक खींच लिया । तभी उसे अपने नितम्बों के नीचे कुछ गीलापन महसूस हुआ , उत्तेजक सपने से उसका पानी निकल गया था ।
“मैं ठीक हूँ । शायद कोई बुरा सपना था । तुम अंदर आ जाओ समीर ” हड़बड़ा कर अटकती साँसों के बीच उसने जैसे तैसे कहा ।
कमरे के अंदर आकर समीर उसके पास बेड में बैठ गया ओर उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है ।
और फिर से पूछता है कि क्या वो ठीक है ?
आँचल " हाँ " में सर हिला देती है ।
“तुम्हारी सांसें इतनी तेज़ चल रही हैं , जैसे तुम अभी दौड़ कर आ रही हो । ऐसा क्या देख लिया तुमने सपने में ? ”
" क ....कुछ नहीं । मैं अब ठीक हूँ । बस कोई बुरा सपना था ।”
आँचल समीर को क्या बताती , बेचारी बस गहरी साँस लेकर रह गयी ।
“मैं बैठू क्या कुछ देर तुम्हारे पास ? ” चिंतित स्वर में समीर बोला ।
“नहीं , ऐसी कोई बात नहीं , कहा ना मैं ठीक हूँ । थैंक यू ” आँचल हलके से मुस्कुरायी ।
समीर थोड़ी देर कंफ्यूज सा वहीँ बैठा रहा । इतना तो वो भी समझ गया था कि आँचल उससे अपना सपना डिसकस नहीं करना चाह रही है । लेकिन ऐसी अजीब हालत में उसने आँचल को पहले कभी नहीं देखा था ।बहन के लिए प्यार की वजह से उसका दिल आँचल को अकेला छोड़ने का नहीं कर रहा था पर आँचल ने भी तो उसको मना कर दिया था । थोड़ी देर बाद आँचल के माथे पर किस करके समीर अपने रूम में चला गया ।
समीर के अपने माथे पर किस करने से फिर आँचल को नज़दीक से वही पहचानी सी गंध महसूस हुई , उसके शरीर में कपकंपी सी छूट गयी । उस पहचानी गंध से ही अब वो उत्तेजित हो जा रही थी । फिर अपना सर झटकते हुए , वो मन ही मन झेंप सी गयी । " छी....मैं भी कैसी पागल हूँ । अपने भाई के शरीर से आती गंध की तुलना उस अजनबी से कर रही हूँ । ऐसे विचार मेरे मन में आ कैसे सकते हैं ... छी ...अपने प्यारे भाई के लिए । वो तो कोई और लड़का था , समीर थोड़े ही न था । लेकिन फिर भी समीर के मेरे नज़दीक आने से उस पहचानी सी गंध से मुझे उत्तेजना क्यों आ जा रही है ? "
अपने इस प्रश्न का उत्तर उसके पास नहीं था क्योंकि वो सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि जिस अजनबी ने पार्टी की उस रात उसको भरपूर यौनसुख दिया था और जो अभी अभी उसको सपने में तृप्त करके गया है , वो और कोई नहीं उसका अपना छोटा भाई समीर था । जब दोनों आदमी एक ही थे तो गंध तो एक होगी ही । अब समीर के शरीर से आती पसीने की उसी गंध से आँचल के अचेतन मन को अजनबी के अपने आसपास होने का आभास हो रहा था इसलिए वो उत्तेजित हो जा रही थी । पर बेचारी आँचल को ये सब कहाँ मालूम था । वो तो एक जाल में उलझती सी जा रही थी । क्योंकि समीर के साथ एक ही छत के नीचे रहने से उस गंध से आँचल का पीछा छूटने वाला नहीं था ।
उस बेचारी को तो ये भी नहीं पता था कि हलके नशे की हालत में उसने रिया के साथ मिलकर जो खेल समझकर प्लान बना डाला था । उससे उसकी किस्मत ने एक ऐसा फेर ले लिया था जो आगे चलकर उन दोनों भाई बहन की जिंदगी में , उनके आपसी रिश्तों में , भूचाल लाने वाला था । जिससे वो दोनों अब तक अनजान थे । उन्हें आगे आने वाले कठिन समय का कुछ अंदाजा ही नहीं था ।
रविवार को दिन भर आँचल घर की साफ़ सफाई , खाना पकाने , कपडे धोने और अपनी पढाई में व्यस्त रही । लेकिन अजनबी के ख्याल उसको आते रहे । रात में फिर से वैसा ही सपना पिछली रात से भी ज्यादा उत्तेजना के साथ आया । वो अजनबी फिर से उसके सपनो में आया और आँचल को जबरदस्त ओर्गास्म दे गया । जितना वो उस रात के बारे में सोचती , उतना ही ज्यादा उस अजनबी को पाने की उसकी इच्छा बढ़ती गयी । आँचल उस अजनबी को इकतरफा प्यार करने लगी । समीर के शरीर से आती वही पहचानी सी गंध से उसकी आग और भड़कते गयी ।
सोमवार की सुबह उठते ही आँचल ने निश्चय कर लिया , वो आज रिया से पूछकर ही रहेगी कि वो लड़का कौन था ।“तुम मेरा इंतज़ार कर रही थीं , है ना ? “ वो मुस्कुराया ।
“हाँ , मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी “ वो आँखें बंद किये ही मादक आवाज़ में धीरे से बोली ।
“तुम ऐसे ही लेटी रहो । मैं तुम्हें भरपूर प्यार करूँगा तब तक , जब तक कि तुम पूरी तरह से तृप्त नहीं हो जाओगी । "
फिर वो उसकी टाँगें फैलाकर उनके बीच आ गया और बिना देर किये अपना तना हुआ लंड आँचल की चूत में घुसा दिया । फिर उस टाइट चूत में अपने मोटे लंड को अंदर बाहर करके सटासट धक्के लगाने लगा ।
“आय लव यू ! ….….आह हहह ......“ सिसकारियां लेते लेते आँचल के मुंह से निकला ।
वो आगे झुक गया और आँचल के कांपते होठों पर अपने होंठ रख दिये और धक्कों के साथ ही चुम्बन भी लेने लगा । आँचल अब मदहोश थी ।
“ और तेज और तेज …….आह हहह …. मैं झड़ने वाली हूँ ....प्लीज और जोर से करो। ”
उसके धक्के तेज तेज होते गए और वैसे ही आँचल की सिसकारियां भी बढ़ती चली गयीं । कुछ देर बाद आँचल के मुंह से एक तेज चीख निकली और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया । अजनबी के धक्के हलके हो गए और उसका लंड आँचल की चूत से निकले पानी की बाढ़ में डूब गया ।
“आँचल , तुम ठीक तो हो ? " तभी समीर ने उसका दरवाज़ा खटखटाया । "अभी अभी मैंने तुम्हारी चीख सुनी । "
पूरी तरह से पसीने से तर बतर आँचल सपने से जाग जाती है । उसकी साँसें तेज तेज चल रही थीं , छाती तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी । और पूरा बदन उत्तेजना से काँप रहा था । एक गहरी साँस लेकर उसने अपने ऊपर काबू पाने की कोशिश की और बिखरे हुए चादर को अपने ऊपर छाती तक खींच लिया । तभी उसे अपने नितम्बों के नीचे कुछ गीलापन महसूस हुआ , उत्तेजक सपने से उसका पानी निकल गया था ।
“मैं ठीक हूँ । शायद कोई बुरा सपना था । तुम अंदर आ जाओ समीर ” हड़बड़ा कर अटकती साँसों के बीच उसने जैसे तैसे कहा ।
कमरे के अंदर आकर समीर उसके पास बेड में बैठ गया ओर उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है ।
और फिर से पूछता है कि क्या वो ठीक है ?
आँचल " हाँ " में सर हिला देती है ।
“तुम्हारी सांसें इतनी तेज़ चल रही हैं , जैसे तुम अभी दौड़ कर आ रही हो । ऐसा क्या देख लिया तुमने सपने में ? ”
" क ....कुछ नहीं । मैं अब ठीक हूँ । बस कोई बुरा सपना था ।”
आँचल समीर को क्या बताती , बेचारी बस गहरी साँस लेकर रह गयी ।
“मैं बैठू क्या कुछ देर तुम्हारे पास ? ” चिंतित स्वर में समीर बोला ।
“नहीं , ऐसी कोई बात नहीं , कहा ना मैं ठीक हूँ । थैंक यू ” आँचल हलके से मुस्कुरायी ।
समीर थोड़ी देर कंफ्यूज सा वहीँ बैठा रहा । इतना तो वो भी समझ गया था कि आँचल उससे अपना सपना डिसकस नहीं करना चाह रही है । लेकिन ऐसी अजीब हालत में उसने आँचल को पहले कभी नहीं देखा था ।बहन के लिए प्यार की वजह से उसका दिल आँचल को अकेला छोड़ने का नहीं कर रहा था पर आँचल ने भी तो उसको मना कर दिया था । थोड़ी देर बाद आँचल के माथे पर किस करके समीर अपने रूम में चला गया ।
समीर के अपने माथे पर किस करने से फिर आँचल को नज़दीक से वही पहचानी सी गंध महसूस हुई , उसके शरीर में कपकंपी सी छूट गयी । उस पहचानी गंध से ही अब वो उत्तेजित हो जा रही थी । फिर अपना सर झटकते हुए , वो मन ही मन झेंप सी गयी । " छी....मैं भी कैसी पागल हूँ । अपने भाई के शरीर से आती गंध की तुलना उस अजनबी से कर रही हूँ । ऐसे विचार मेरे मन में आ कैसे सकते हैं ... छी ...अपने प्यारे भाई के लिए । वो तो कोई और लड़का था , समीर थोड़े ही न था । लेकिन फिर भी समीर के मेरे नज़दीक आने से उस पहचानी सी गंध से मुझे उत्तेजना क्यों आ जा रही है ? "
अपने इस प्रश्न का उत्तर उसके पास नहीं था क्योंकि वो सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि जिस अजनबी ने पार्टी की उस रात उसको भरपूर यौनसुख दिया था और जो अभी अभी उसको सपने में तृप्त करके गया है , वो और कोई नहीं उसका अपना छोटा भाई समीर था । जब दोनों आदमी एक ही थे तो गंध तो एक होगी ही । अब समीर के शरीर से आती पसीने की उसी गंध से आँचल के अचेतन मन को अजनबी के अपने आसपास होने का आभास हो रहा था इसलिए वो उत्तेजित हो जा रही थी । पर बेचारी आँचल को ये सब कहाँ मालूम था । वो तो एक जाल में उलझती सी जा रही थी । क्योंकि समीर के साथ एक ही छत के नीचे रहने से उस गंध से आँचल का पीछा छूटने वाला नहीं था ।
उस बेचारी को तो ये भी नहीं पता था कि हलके नशे की हालत में उसने रिया के साथ मिलकर जो खेल समझकर प्लान बना डाला था । उससे उसकी किस्मत ने एक ऐसा फेर ले लिया था जो आगे चलकर उन दोनों भाई बहन की जिंदगी में , उनके आपसी रिश्तों में , भूचाल लाने वाला था । जिससे वो दोनों अब तक अनजान थे । उन्हें आगे आने वाले कठिन समय का कुछ अंदाजा ही नहीं था ।
रविवार को दिन भर आँचल घर की साफ़ सफाई , खाना पकाने , कपडे धोने और अपनी पढाई में व्यस्त रही । लेकिन अजनबी के ख्याल उसको आते रहे । रात में फिर से वैसा ही सपना पिछली रात से भी ज्यादा उत्तेजना के साथ आया । वो अजनबी फिर से उसके सपनो में आया और आँचल को जबरदस्त ओर्गास्म दे गया । जितना वो उस रात के बारे में सोचती , उतना ही ज्यादा उस अजनबी को पाने की उसकी इच्छा बढ़ती गयी । आँचल उस अजनबी को इकतरफा प्यार करने लगी । समीर के शरीर से आती वही पहचानी सी गंध से उसकी आग और भड़कते गयी ।
सोमवार की सुबह उठते ही आँचल ने निश्चय कर लिया , वो आज रिया से पूछकर ही रहेगी कि वो लड़का कौन था ।
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