RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
किरण किचन मे जाकर रात के खाने की तैयारी करने लगी….तभी उसके मोबाइल के रिंग बजी…जो उसके बेडरूम मे पड़ा था….किरण काम छोड़ करके अपने रूम मे गई…और मोबाइल उठा कर देखा तो उसके मायके से फोन था….किरण ने कॉल पिक की तो दूसरी तरफ से ममता की आवाज़ आई….”हेलो दीदी कैसे हो आप….?”
किरण: मे ठीक हूँ….तुम कैसी हो….?
ममता: मे भी ठीक हूँ….वशाली और विनय दोनो कैसे है…..?
किरण: वो दोनो भी ठीक है….तुम सुनो वहाँ घर पर सब ठीक है ना….?
ममता: हां दीदी सब ठीक है….दीदी भैया की मॅरेज की डेट चेंज हो गई है….
किरण: क्या…? कब पर डेट क्यों चेंज की अब….?
ममता: दीदी वो लड़की वाले जल्दी शादी करने के लिए कह रहे थी…इसीलिए डटे चेंज कर दी है….जुलाइ की 12 को शादी है….
किरण: 12 को इतनी जल्दी…सिर्फ़ 14 दिन बचे है ममता….इतनी जल्दी सब कैसे अरेंज करेंगे….
ममता: वो सब भी हो जाएगा दीदी…कल मैं मम्मी पापा और भीया सब आ रहे है वहाँ पर…अब शादी भी तो वही से करनी है….तो तैयारी अभी से शुरू करनी पड़ेगी….
किरण: ठीक है…. मे तुम्हारे जीजा जी को बताती हूँ…..
ममता: नही दीदी उसके कोई ज़रूरत नही…पापा ने फोन कर दिया था जीजा जी को…और ये भी आ रहे है कल आब्रॅड से वापिस…..
किरण: कॉन तुम्हारे हज़्बेंड….
ममता: हां दीदी…
किरण: तभी तू इतना चहक रही है….अच्छा ठीक है फिर…..
ममता ने फिर थोड़ी देर और बात की, और फोन कट कर दिया…किरण एक दम से परेशान हो गई….अब कल उसके मायके से सब आनने वाले थी….इसका मतलब अब किरण चाह कर भी कुछ नही कर सकती थी….खैर उस दिन और कोई ख़ास्स बात ना हुई….अगली सुबह विनय वशाली किरण और शीतल सब मिल कर आने वाले मेहमानो के लिए रहने का इंतज़ाम करने लगी….ऊपेर तीन रूम थे….जिसमे सिर्फ़ एक मे ही बेड और फर्निचर था…बाकी दो रूम्स खाली थे….उस रूम मे सॉफ बिस्तर बिछा कर रोज मारहा की ज़रूरतों का समान रख दिया गया था….बाकी रूम्स के सफाई भी कर दी गई थी.
तय हुआ था कि, ऊपेर वाले रूम मे जिसमे बेड लगा था…उसमे किरण के मम्मी पापा रहेंगे…..नीचे ममता का खुद का रूम था ही…वो अपने पति के साथ वही रहेगी…और विनय के रूम मे उसका भाई और उसका पति अजय दोनो सोया करेंगे… और किरण के रूम मे वो वशाली और विनय सोया करेंगे….क्योंकि कि किरण चाहती थी कि, कम से कम रात को उसे विनय के पास रहने का मोका मिले…जिससे वो कुछ कर सके… दोपहर 1 बजे तक किरण ने अंजू और शीतल की मदद से सारा काम निपटा लिया था… किरण ने आज अंजू को फोन करके बुला लिया था….क्योंकि आज अंजू ने नही आना था. अंजू भी सारा काम निपटा कर वापिस चली गई….
दोपहर के 2 बजे किरण के मायके से सभी लोग वहाँ आ पहुँचे…ममता के साथ उसका हज़्बेंड भी आया हुआ था…किरण ने मेहमानो की खातिरदारी की, और फिर खाने पीने के बाद सभी लोग हाल मे बैठ कर बातें करने लगे…. “पापा ऊपेर आपके लिए रूम तैयार कर दिया है…आप और मम्मी ऊपेर जाकर अब आराम कर लीजिए…” किरण ने अपने पापा से कहा …..”आराम भी कर लेते है बेटा….पहले तुम्हारे साथ थोड़ी बात चीत हो जाए…..”
ममता: आप बैठ कर बातें करिए पापा…..मैं और विनय ऊपेर आपके बॅग्स रख कर आते है…..
ममता ने विनय की ओर देख कर कहा….और फिर खड़ी होकर विनय को आकर एक बॅग उठाने को कहा….और खुद दो बॅग उठा कर ऊपेर जाने लगी….विनय भी उसके पीछे बॅग उठा कर ऊपेर आ गया….ममता ने रूम का डोर खोला और दोनो बॅग्स अंदर रख दिए….विनय ने भी बॅग रूम मे रखा…तो ममता ने उसकी तरफ बढ़ते हुए उसे अपनी बाहों मे भर लिया…..”कैसे है तू….” ममता ने विनय के गालो पर हाथ रखते हुए कहा….”मे ठीक हूँ आप कैसी हो…?” विनय ने ममता की आँखो मे झाँकते हुए कहा….”मे भी ठीक हूँ….तो तुम्हे मेरी याद नही आती थी…” ममता ने विनय के होंठो को हल्का सा चूमते हुए कहा…..
विनय: आती थी….
ममता: तो फिर मुझे फोन क्यों नही करता था….
विनय: ऐसे ही…..
ममता: अच्छा वो सब छोड़ और मेरी बात ध्यान से सुन….तेरे मौसा जी मेरे साथ आए हुए है…एक महीने के लिए यहा रुकने वाले है….विनय इस दौरान तुम मुझसे थोड़ा दूर ही रहना…..समझ गए ना मे क्या कह रही हूँ…
विनय: जी समझ गया….
ममता: मुहहा मेरा शोना….तुम सच मे अब समझदार हो गया है….
ममता ने फिर से विनय के होंठो पर हल्का सा किस करते हुए कहा…और फिर विनय का हाथ पकड़ कर उसे सीढ़ियों के पास ले आई….वहाँ से अगर कोई ऊपेर आता तो सीढ़ियाँ चढ़ने की आवाज़ आ जाती…सीढ़ियों के पास आने के बाद ममता विनय की तरफ पलटी….और उसकी तरफ घूमते हुए उसे बाहों मे भर लिया…और अपने रसीले होंठो को विनय के होंठो से लगा दिया…दोनो के होंठ आपस मे घूतम घूता हो गए….दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के होंठो को सक करने लगे….विनय ने अपनी बाहों को ममता की पीठ पर कस रखा था….
ममता ने अपने दोनो हाथ पीछे लेजाते हुए विनय के हाथो को पकड़ा और फिर उसके हाथो को नीचे लेजाते हुए, अपनी सलवार के ऊपेर से अपने चुतड़ों पर रख कर अपने हाथो से दबाने लगी…ममता का इशारा समझते ही, विनय ने खुद ही ममता के चुतड़ों को सलवार के ऊपेर से दबाना शुरू कर दिया….ममता के पूरे बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गई….तभी नीचे से किरण ने ममता को आवाज़ लगाई, तो दोनो एक दूसरे से अलग हुए, ममता ने मुस्कराते हुए विनय की आँखो मे देखा….” याद है ना मेने क्या कहा है….?” तो विनय ने हां मे सर हिला दिया….
और फिर दोनो नीचे आ गए….फिर सब लोग जैसे-2 अरेंज किया गया था….रूम्स मे चले गए….वो सब लोग थके हुए थी…इसलिए रूम मे बेड पर लेटते ही सो गए…विनय भी शीतल के घर जाने के लिए जैसे ही बाहर जाने लगा, तो किरण ने उसे आवाज़ देकर रोका….”विनय कहाँ जा रहे हो…? “ विनय ने पलट कर किरण की तरफ देखा और सर झुकाते हुए बोला…”मासी के घर जा रहा हूँ….” किरण उसकी बात सुन कर खीज गई….”क्या रखा है वहाँ पर….यही नही सो सकते क्या….?’ विनय भी थोड़ा सा उखड़ गया…और थोड़ा सा उखड़े हुए अंदाज़ मे बोला….”मैं जा रहा हूँ…” और ये कहते हुए विनय बिना कुछ बोले घर से बाहर निकल गया….
किरण वही अपनी किस्मत को कोस्ती हुई रह गई….वो अपने किए पर अब बहुत ज़्यादा पछता रही थी….वो उदास सी होकर अपने रूम मे आकर लेट गई….
किरण को कब नींद आई….उसे पता नही चला….शाम के 5 बजे किरण को ममता ने जगाया…और सब के लिए चाइ बनाने के लिए कहा….किरण उठ कर मुँह हाथ धोने चली गई….विनय भी घर वापिस आ चुका था…सब एक साथ बैठ कर चाइ पी रहे थे..तभी किरण की मम्मी ने चाइ पीते हुए किरण से कहा…”बेटी यहाँ कही पर नीम का पेड़ लगा है…..” किरण ने अपनी माँ की तरफ देखा और बोली….”क्यों क्या हुआ….?”
“वो बेटा तुम्हारे पापा को सुबह नीम की पत्तियों का रस निकाल कर पीने के लिए देते है. इनके ब्लड मे थोड़ी इन्फेक्षन है, तो डॉक्टर ने सहला दी थी….
किरण: मेरी नज़र मे तो कही नही है….एक मिनट रूको विनय तुमने कही देखा है आसपास नीम का पेड़….?
विनय: हमारे स्कूल मे है…..
किरण: ठीक है….वहाँ से थोड़ी सी पत्तियाँ तोड़ कर ले आ…..
विनय: जी…..
विनय ने चाइ ख़तम की….और जैसे ही वो बाहर की तरफ जाने लगा तो, किरण ने उसे आवाज़ देकर रोक लिया….”अर्रे रुक विनय मे भी साथ मे चलती हूँ…वो अंजू बोल कर गई थी कि, कल वो नही आएगी….उससे भी कह दूँगी कि, घर पर मेहमान आए हुए है तो, कल भी आ जाए….” ये कहते हुए किरण सोफे से उठी और विनय के साथ घर से बाहर आ गई….दरअसल वो विनय से अकेले मे बात करके अपने दोनो के बीच के तनाव को कम करना चाहती थी….घर पर विनय तो उसके मुँह ही नही लगता… इसलिए उसके पास ये अच्छा मोका था….दोनो घर से बाहर निकल कर स्कूल की तरफ जाने लगी…..
किरण: विनय तुम उस दिन की बात से मुझसे नाराज़ हो…? (किरण ने सामने की और देख कर चलते हुए कहा….)
विनय: (एक दम चोन्कते हुए….) न नही तो….
किरण: फिर तुम मुझसे बात क्यों नही करते…मुझसे दूर क्यों भागते हो…. क्या मैं इतनी बुरी हूँ….क्या मैं हमेशा तुम्हे डाँटती रहती हूँ…..
विनय: नही….
किरण: मुझे पता है तुम उस दिन की बात से मुझसे नाराज़ हो….बेटा उस दिन मे बहुत ज़्यादा अपसेट थी….प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो….उस दिन तो मुझे पता चला था कि, तेरे मामा जी की शादी इतनी जल्दी कर रहे है….
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