Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
04-14-2020, 11:52 AM,
#51
RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
जब आप इसके गाँव दूध लेने गये थे. पापा में जानता हूँ कि हम जाति से तेली हैं और कोमल जाति से ठाकुर. समाज में हम कोमल की जाति से छोटे हैं लेकिन पापा में आपकी कसम खाकर कहता हूँ कोमल के मन में ऐसी उंच नीच की कोई बात नही है.


पापा अब कोमल आप की बहू की तरह है. जिसे आप को स्वीकारना ही होगा. मुझे पता है कि मेरी शादी अपने हाथ से करने का आपका सपना था लेकिन क्या करूँ पापा मेरी वजह से आपका ये सपना सपना ही रह गया. मुझे आपको छोड़ कर जाने में बहुत दुःख हो रहा है.
क्या करूँ पापा मेरा दिल बड़ा बेईमान निकला जो मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर कर गया. मुझे ये भी पता था कि हो सकता है कि कोमल के घर के लोग आकर आपसे बदतमीजी करेंगे लेकिन आप आप उनसे ज्यादा कुछ न कहियेगा. क्योंकि जिसकी लडकी ऐसा करती है उसके घरवालों की ऐसी हरकत जायज है.


और अंत में, पापा मुझे पता नही में कब आपसे मिल पाउँगा? लेकिन आप हमेशा मेरे पापा ही रहोगे. मुझे जब भी पाओगे ऐसा ही पाओगे. में आज भी तुम्हारा राज हूँ कल भी तुम्हारा ही रहूँगा. मुझे मेरी गलतियों के लिए हमेशा क्षमा करने वाले पापा, मुझे उम्मीद है आज भी आप क्षमा कर दोगे? तुम्हारा क्षमायोग्य बेटा. राज."


खत खत्म होते होते राज के बाप ने मुंह पर हाथ रख लिया. बूढी आखों से आंसू वह रहे थे. फिर रुंधे गले से बोले, “तुम ये क्या कर गये बेटा? किसी की लडकी को लेकर भागना अच्छे लोगों का काम नहीं है."


राज के बाप को पता था कि अब क्या होगा? उसे पता था कि अगर उसकी लडकी होती तो वो क्या करता? वो भी वही करता जो कोमल के घरवाले अब करेंगे. गाँव बस्ती में रहने वाला हर बाप भी वही करता, चाहे वह किसी भी जाति का हो या किसी भी धर्म का. सबको अपनी इज्जत प्यारी होती है. और गाँव में तो सिर्फ इज्जत ही है जो आदमी के पास होती है. यहाँ कोई शहर थोड़े ही है जो चोरी हो जाए और पडोसी को ही पता न चल पाए.


राज के बाप को अपना जमाना याद आ रहा था जब उसको अपने ही गाँव की जमुना से प्यार हुआ था. भागना तो दूर मुंह से बोल तक नहीं पाए थे. जमुना इन्हें देख कर हंसती और ये जमुना को देखकर. काफी बार अकेले खेतों पर मिले लेकिन मजाल थी की जरा भी उंच नीच हो जाती. बल्कि अकेले में तो और ज्यादा डर लगता था. जमुना की शादी हो गयी और इधर राज के बाप की भी शादी हो गयी. परन्तु कभी भी एक दूसरे से इजहार न कर सके.

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04-14-2020, 11:52 AM,
#52
RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
इधर राज और कोमल आम के पेड़ के नीचे इश्क की नींद में आहें भर रहे थे. दोनों के जिस्म फिर से एक होने जा रहे थे. दोनों एक दूसरे से साँपों की तरह लिपटे पड़े थे. उन्हें नहीं पता था कि कोमल के घर वाले क्या कर रहे होंगे या राज के घरवाले क्या कर रहे होंगे? काश कि उन्हें पता होता कि थोड़ी बहुत देर में दोनों परिवारों में आग लगने की नौबत आने वाली है तो इतना मदहोश न हो रहे होते.


कोमल की तरफ के लोगों ने राज के गाँव पहुंच पहले अपनी जान पहचान के लोगों से बात की फिर उन्हें साथ लेकर राज के घर जा धमके. राज का बाप महतो पहले से इस बात के लिए तैयार बैठा था. उसे पता था कि ये होगा ही होगा. कोमल की तरफ के लोगों में से एक ने पूछा, “ये महतुआ कहाँ है रे?"

राज का बाप महतो वहीं बैठा था बोला, “में यहाँ हूँ जनाब. मेरे लिए सेवा वताइये.


भगत तो चुपचाप खड़े थे लेकिन राजू, संतू, पप्पी और दद्दू ये सब राज के बाप महतो पर अकड रहे थे. कहते थे लड़का कहाँ है तेरा जल्दी से बता? हमारी लडकी को ले जाना उसे बहुत भारी पड़ेगा.

राज के बाप ने हाथ जोड़कर कोमल के पक्ष के लोगों से कहा, “भैय्या लोगो में आप की बात से सहमत हूँ और आपका गुस्सा भी जायज है. शायद मेरी लडकी को कोई ऐसे भगा ले जाता तो में भी ऐसे ही करता. लेकिन में भगवान की कसम खाकर कहता हूँ मुझे राज के बारे में कोई खबर नहीं है. मुझे तो उसने एक लडके के हाथ खत भिजवाया तब मुझे मालुम हुआ कि ऐसा कुछ हुआ वरना इससे पहले तो मुझे इस बात की भनक भी नही थी."


कुछ लोग राज के बाप की बात से सहमत थे लेकिन उनमें ऐसे भी लोग थे जो इस बात को झूठ समझ रहे थे. फिर राज के दोस्तों से पूछताछ होने लगी. लेकिन राज ने किसी को कुछ बताया ही नही था तो कोई क्या बताता?

कोमल के घर के कुछ नये लड़कों का मत था कि इस साले राज की बहन को उठा ले चलो. वो अपने आप लौट कर आ जायेगा. या राज के घर में आग लगा दो तभी इन सालों को अक्ल आएगी. लेकिन समझदार लोगों ने उन लडकों को वहीं पर डपट दिया और कहा यहाँ कोमल को लेने आये हो या बराबरी करने? अभी एक मामले से सुलझे नही दूसरा और तैयार कर लो फिर तो हो गया फैसला.


लडके शांत तो हो गये लेकिन उनके दिल में आग लगी हुई थी. शायद उन्हें गुस्सा इस बात पर आ रहा था कि ये कमबख्त राज ही क्यों लडकी भगा ले गया? हमने भी तो अपने इलाकों में इश्क किया हमें तो किसी लड़की ने घास ही नहीं डाली? ये राजवा में ऐसी क्या खास बात थी जो कोमल उसके साथ भाग ली? लडकों को गाँव की इज्जत कम अपनी भडास ज्यादा उलाहना दे रही थी. उन्हें इस समय अगर राज मिल जाता तो उसकी हड्डी और मांस अलग अलग कर देते.


कोमल के खानदान वालों और परिचय वाले लोगों के बीच बातचीत हुई. संतू, पप्पी, राजू, दद्दू और भगत सहित सब लोग मान गये कि राज के बाप को सचमुच में कुछ ज्यादा नहीं मालूम है. लेकिन राज का पता लगाना भी तो बहुत जरूरी था. राज के गाँव के खास लोगों से उसके घर के चारो तरफ नजर रखने के लिए बोला गया.

अब बात आई पुलिस में खबर देने की. इस पर पूरे खानदान की राय एक जैसी ही थी कि पुलिस आज तक उनके यहाँ फैसले करने नहीं आई तो आज भी नही आएगी. ये उनके खानदान की इज्जत से खिलवाड़ करना होगा. लडकी का मामला सब लोग मिलकर सुलझाएंगे फिर पुलिस की जरूरत ही क्या है? पुलिस के आने से खानदान की इज्जत का फालूदा होने का भी डर था. यह सोच पुलिस का नाम लिस्ट से कैंसिल कर दिया.


अब तैयारी थी राज की रिश्तेदारी में उसकी तलाश करने की. राज के बाप महतो से पूछा गया कि उसे किस रिश्तेदार के यहाँ राज के ठहरने का अंदेशा है? महतो ने सोचते हुए कहा, “ऐसा तो कोई अनुमान नहीं है मुझको लेकिन आज ही सब लोगो को चिट्ठी लिखे देता हूँ तो जिसके पास भी राज पहुंचेगा वही मुझे खबर कर देगा."


राजू गुर्राता हुआ बोला, "इतना समय नहीं है हमारे पास कि चिट्ठी के जबाब का इन्तजार करें. हमें सारी रिश्तेदारियों के पते लिख कर दो हम आज ही लोगों को भेजकर दिखवा लेंगे."

महतो इस बात पर भी राजी हो गया. वह घर में गया और सब रिश्तेदारों के पते लिखना शुरू कर दिया.


कोमल के पक्ष के लोगों की आँखों में खून के डोरे थे लेकिन राज की तरफ के लोग बहुत शांत और सहमे दिखाई दे रहे थे. कारण था कि लडकी का पक्ष इस तरह के मामलो में भारी होता है. लोग लडकी को अपनी इज्जत का प्रतीक बना देते हैं. भागी हुई लडकी अपवित्र हो
जाती है लेकिन लड़का पवित्र ही रहता है.

ऐसे ही जिसकी लडकी भागी वो आदमी लडके वाले की अपेक्षा ज्यादा शर्मिंदा होता है. जमाने के लोग भी उसे गिरी नजरों से देखते हैं. लेकिन लडके वालों से लोग हंसकर कहते हैं कि तुम्हारे लडके ने तो गाँव का नाम रोशन कर दिया. किसी की लडकी भगा लाया. बाह रे जमाने के क़ानून?

अभी तरह तरह की चर्चाएँ चल ही रहीं थी कि एक किसान ने खबर दी कि उसने दोपहर के समय एक लड़का और लडकी को उस भूतों के बसेरे वाले आम के पेड़ की तरफ जाते देखा था लेकिन वो लोग अभी वहां से लौटे नहीं हैं.


किसान से जब हुलिया बताया तो कोमल के घरवालों को पूरा यकीन हो गया कि ये लोग जरुर राज और कोमल होंगे. सारे के सारे लोग उधर ही भाग छूटे. उधमी लडके जो राज से पहले ही चिढ़े हुए थे. वो तो ऐसे भाग रहे थे मानो ये उनके जीने मरने की बात हो.
राज के घरवाले भी उधर ही भाग छूटे. सोचा कहीं ये खून के प्यासे लोग राज को मार ही न डालें? धीरे धीरे करके पूरा गाँव उधर ही दौड़ लिया. ऐसा लगता था कि गाँव में कोई आफत आ पड़ी इसलिए गाँव के लोग गाँव से बाहर भागे जा रहे हैं. लेकिन उन दो प्रेमियों का आज क्या होगा जिन्होंने साथ जीने और मरने की कसमें खा ली थी? जो बेखबर उस आम के पवित्र पेड़ के नीचे एकदूसरे को बाहों में भरे लेटे हुए थे.


वो तो दिन छिपते ही यहाँ से कहीं दूर भागने की योजना बना चुके थे और कोमल की कोख में तो एक नन्ही जान भी आ चुकी थी. अब उसका भविष्य क्या होगा? घरवालों ने राज या कोमल में से किसी को भी जान से मार दिया तो? या दोनों को मार दिया तो?
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04-14-2020, 11:53 AM,
#53
RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
फिर तो सब खत्म. कोमल और राज दोनों ही पंक्षी इस दुनिया से बेखबर एकदूसरे में खोये लेटे हुए थे. अभी थोड़ी देर पहले ही कोमल ने राज से चलने के बारे में पूंछा था. तब राज ने कहा था कि थोडा सा और झुटपुटा(अँधेरा) होने दो तभी यहाँ से निकलते हैं. अभी हमें किसी ने देख लिया तो आफत हो जायेगी. राज को क्या पता था कि किसी ने उन्हें देख लिया और उनके मोहब्बत के दुश्मनों को खबर भी कर दी है.


राज कोमल से कहने लगा, “सोचो अगर तुम्हारे घर वाले मुझे कहीं पकड़ लें और मारने लगें तो तुम क्या करोगी?"

कोमल आँखों में मोहब्बत का रस लिए बोली, "पहले मुझे मारेगे फिर ही तुमसे हाथ लगा पायेगे. तुम्हे लगने से पहले मेरे सीने में गोली लगेगी. पहले में मरूंगी तब ही तुम्हे कुछ हो सकेगा. जब तक में जिन्दा हूँ तब तक कोई भी आदमी तुम से हाथ न लगा सकेगा." कोमल एक सांस में यह सब कहती चली गयी. उसकी आँखों में अपने प्रेमी राज पर मर मिटने का जज्बा दिखाई दे रहा था. ___

राज भी अपनी महबूबा की ऐसी बातो को सुन खुद की पसंद और मोहब्बत पर गर्व कर उठा,

कोमल ने राज से पूछा, “क्या तुम्हारे घरवाले मुझे मंजूर कर लेगे?”

राज कोमल के माथे को चूमते हुए बोला, “बड़े गर्व से. तुम्हारे जैसी बहू तो उन्हें सात जन्मों में नहीं मिलने वाली. और मेरे पापा तो एक दिन तुम्हारी बहुत तारीफ़ भी कर रहे थे. मुझे पूरा यकीन है कि घर के बूढ़े से लेकर बच्चे तक सब तुमको अपना बना लेंगे."


कोमल इतराकर बोली, “रहने दो. मुझे मक्खन न लगाओ. तुम आजकल मेरी बहुत तारीफ करने लगे हो. मुझे तो दाल में कुछ काला नजर आता है. कहीं ऐसा तो नहीं कि में सुंदर नहीं हूँ इसलिए तुम ऐसा झूठ बोलते हो?"


राज कोमल की बातों को समझ रहा था. वो जानता था कोमल मजाक कर रही है. बोला, “वो दुनिया का सबसे बदसूरत इंसान होगा जो तुम्हें सुंदर न कहे. मुझे तो तुम्हारे अंदर कोई कमी नही दिखती. जिसे दिखती हो उसे दिखे.


कोमल अपनी सुन्दरता की तारीफ अपने राज से सुन लजाये जा रही थी. उसको आज अपने रूप पर गुमान हो रहा था. आज से पहले कोमल ने किसी से ऐसी तारीफ तो सुनी ही न थी क्योंकि प्यार तो पहली बार किया था. वो भी सिर्फ राज से. राज से पहले कोई ऐसा लड़का कोमल को नहीं मिला जिसे वो अपना दिल दे पाती या जो कोमल का दिल लेने में कामयाब हो पाता. ये राज ही था जो कोमल को इतना पागल कर गया.


कोमल इतराकर राज से बोली, “तुम भी बड़े छलिया हो राज."

राज ने हंसकर पूछा, “क्यों?"

कोमल फिर से इतराकर बोली, “अब देखो न मेरे साथ पढने वाले लडकों में किसी की भी ये हिम्मत नहीं कि मुझसे नजर भी मिलाये लेकिन तुम हो कि मुझे अपने वश में कर मेरे साथ सब कुछ कर डाला."


राज माफ़ी वाले स्वर में बोला, "नही कोमल रानी ऐसी कोई बात नही. में तो खुद अपने आप पर अचरज करता हूँ कि तुम मुझपर फ़िदा कैसे हो गयीं? मुझे आज भी इस बात का ताज्जुब होता है."


कोमल भी नर्म हो गयी. बोली, "नही राज ऐसा कुछ भी नही है. अगर तुम्हें ये बात पता नही कि में तुम पर क्यों फ़िदा हो गयी तो यकीन मानो मुझे भी पता नहीं चला कि कब में तुम्हारी तरफ खिचती चली गयी? ये तो एक सपने जैसा हो गया.

मुझे आज तुम्हारी बाहों में होना एक सपने जैसा ही लगता है. क्योंकि में जिस गाँव से हूँ वहां पहले भी कई लडकियाँ इसी बात के पीछे मार दी गयी हैं. या मर गयी. लडकों का भी यही हश्र हुआ. सच मानो राज हम तुम बहुत किस्मत वाले हैं जो आज भागने के बाद भी सुरक्षित बैठे बातें कर रहे हैं."


राज सहमत होता हुआ बोला, "तुम सच कहती हो कोमल. मुझे भी ऐसे कई किस्से सुनने को मिले है. पहले तो में भी डरता था लेकिन तुम्हारी याद आते ही सारा डर गायब हो जाता है. तुम में जरुर कुछ न कुछ ऐसा है जो मुझे एक ऐसी शक्ति देता जिससे में ये सब काम विना डरेकरूं."

कोमल राज की बातों को मजाक में लेती हुई बोली, “चलो झूठे कहीं के. तुम्हारा बस नही चलता नही तो मुझे कोई देवी देवता का अवतार वता दोगे."


राज भी मजाक के वश हो गया. बोला, "मेरे लिए तो तुम किसी देवी देवता से बढ़कर हो, जब से आई हो मन बिलकुल फूल जैसा हो गया है. मालूम ही नहीं पड़ता कि में धरती पर हूँ या आसमान में."

कोमल तारीफ़ सुन इतरा भी रही थी और बनाबटी गुस्सा भी दिखा रही थी. बोली, “तुम कोई जादूगर तो नहीं हो राज? मुझे लगता है तुमने मुझपर कोई जादू टोना किया है जो मुझे तुम्हारे विना रहने नहीं देता."


राज कोमल के चेहरे के पास चेहरा लाकर बोला, "तुम क्या कम जादूगरनी हो? तुमने भी तो मुझे ऐसे ही फंसा रखा है.” दोनों के चेहरे आमने सामने थे. दोनों की साँसें एक दूसरे से मिल रहीं थी. कोमल का गोरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था. मुंह पर तो जैसे ताला ही पड़ गया था.


चेहरे से चेहरा मिल गया. लगा किसी दूसरी दुनियां में पहुंच गये हों. अभी होंठ से होंठ मिलने ही जा रहे थे कि पीछे से किसी की आवाज सुनाई पड़ी, “अरे ये साला मोहना तो यहाँ पर बैठा है और छबिलिया भी यहीं है."

कोमल और राज की आँखों के सामने अँधेरा छा गया. आज दोनों भागने से पहले ही पकडे गये थे.

हे भगवान! दोनों चारो तरफ से ऐसे घिर गये जैसे शिकारी भेड़ियों के बीच में हिरन और हिरनी. राज और कोमल ने एक दूसरे को डर के मारे बाहों में भर लिया. शायद दोनों सोचते होंगे कि मरे तो दोनों एक साथ. जियें तो दोनों एक साथ. लेकिन कोमल के पक्ष के लडकों ने राज को कोमल के हाथों से छुड़ा अलग खीच लिया और डालकर घर ले चलो." भगत क्या कहते. उनकी ही लडकी तो भागी थी. अब वो तो कुछ कहने लायक ही नही रहे थे.


कोमल को बेहोशी की हालत में मोटरसाइकिल पर डाल कर गाँव ले जाया गया. राज के घरवाले भी राज को कंधों पर डालकर अपने घर ले चले. राज बुरी तरह से लहुलुहान था. मार भी काफी पड़ी थी. इस समय कोमल बेहोश थी और राज भी. दोनों के दिल पर बहुत बड़ा आघात हुआ था. जैसे तैसे मिले थे और कुछ घंटों में ही फिर से बिछड़ गये.


इन बेहोश प्रेमियों के मन में सिर्फ एक ही प्रार्थना चल रही थी. जिसमे ये लोग भगवान से अपना हक मांग रहे थे. हाय मेरे राम! ऐसे क्यों मिलाते हो आप? क्या आप ऐसे लोगों के लिए कुछ नही कर सकते? अरे ऐसे ही करना था तो मिलाया क्यों? इतना पिटवाया क्यों? आपसे से सवाल भी नही कर सकते. आप तो भगवान हो और हम इंसान. लोग कहते हैं भगवान जो भी करता है सब ठीक ही करता है. क्या आप की नजरों में ये सही था?


हम सीधे साधे आशिकों ने ऐसा क्या बिगाड़ा था आपका जो हमें इतने दुखों का सामना करना पड़ रहा है? एक तरफ आप कहते हो कि इन्सान का इन्सान से सच्चा प्रेम ही मेरी पूजा है फिर ये आपकी पूजा करने वालों पर इतना अत्याचार क्यों? भगवन् ये तो सरासर नाइंसाफी है. आज हम दोनों ही आपकी पूजा कर घर से निकले थे. फिर ऐसी क्या कमी रह गयी जो आपने हम लोगों का यह हाल करवाया?


अब हम इंसान से तो कह नही सकते. आप भगवान हो इसलिए आप से ही कह सकते हैं. यदि आप न सुनोगे तो हम कहाँ जायेगे? कोई तो रास्ता होगा जिससे यह समस्या हल हो सके. राज के साथ साथ कोमल बेहोश पड़ी शायद भगवान से यही कह रही होगी. वो भगवान से हर एक क्षण राज के लिए प्रार्थना कर रही होगी. वो अपने प्यार के लिए भी प्रार्थना कर रही होगी. वो राज और खुद को फिर से एक होने की दुआ मांग रही होगी.
अभी तो दोनों प्रेमी बेहोश पड़े थे लेकिन जब होश में आयेगें तो इनकी दशा को वयां नही किया जा सकेगा. आज इनकी हालत विना पानी के मछली जैसी हो जायेगी. कभी कोमल पानी होगी तो राज मछली और कभी राज पानी होगा तो कोमल मछली.
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04-14-2020, 11:53 AM,
#54
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दोनों ही एकदूसरे के विना तड़पेगे. और मिलन न हो पाया तो शायद मर भी जाएँगे. अगर मर गये तो शायद फिर कोई कोमल इस गाँव में प्रेम न करेगी. और करेगी भी तो सौ बार सोच कर क्योंकि उसे पता होगा कि मुझे इसके बदले क्या मिलेगा?

कोमल को अलग. फिर राज की ऐसी धुनाई करनी शुरू कर दी जैसे ये राज न हो कोई रुई का बोरा हो. लोग राज को मार रहे थे. राज अधमरा हुआ जा रहा था. राज को पिटता देख कोमल चीख चीख कर कह रही थी, “भगवान के लिए इसे छोड़ दो. इसकी कोई गलती नहीं सारी गलती तो मेरी है."

आज कोमल के सामने राज को इतनी बुरी तरह से मारा जा रहा. ये सब कोमल के खानदान के ही लोग थे जो रोज कोमल की बात को सुनते थे लेकिन आज एक के भी कान पर जूं तक नहीं रेंग रही थी.


कोमल एकदम से उन लोगों के हाथ से छूटी और राज के पास जा उसे लोगों की पिटाई से बचाने लगी. इतना देख कोमल के खानदान के दद्दू और संतू को गुस्सा आ गया. दोनों ने आ गिना न ता कोमल के बाल पकड उसे दूर तक घसीट दिया. उसके मुंह पर इतने जोरदार थप्पड़ मारे कि कोमल सुन्न पड़ गयी. कानों में आवाजें आनी बंद हो गयी. फिर बेहोश हो वहीं पर गिर पड़ी.


राज पिटता पिटता बेहोश हो चुका था लेकिन जमाने के ठेकेदारों ने उसे अभी तक मारना बंद न किया था. राज के बूढ़े बाप ने भगत के पैर पकड़ लिए. भगत ने लडकों से राज को छुडवा दिया. लड़कों का मन तो राज के टुकड़े टुकड़े कर कुत्तों को खिलाने का था. भगत बेचारे शांत थे. उनके दिल का एक टुकड़ा उनकी बेटी कोमल बेहोश पड़ी हुई थी. किसी ने उसकी फिकर इस लिए नहीं की कि भागी हुई लड़कियों की हालत ऐसी ही होनी चाहिए.
फिर सब लोगों में बात हुई कि अब घर चला जाय, भगत ने कोमल की और देखा फिर अपने लडकों से कहा, "देखो रे इस छोरी को क्या हुआ?"

दद्दू बड़ा निकम्मा था. भगत के लडके कुछ कहते उससे पहले बोल पड़ा, “अरे कुछ नही हुआ इस रेढा को, चलो इसे
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04-14-2020, 11:53 AM,
#55
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भाग - 10
राज घर लाया जा चुका था. बगल के गाँव के थैला छाप डॉक्टर को बुलाकर राज का इलाज़ शुरू हुआ. डॉक्टर ने अपना ट्रीटमेंट दिया और चला गया. राज को बाहरी चोट की अपेक्षा अंदरूनी चोटें ज्यादा लगी थी. लात घूसे, मुक्के जहाँ के तहां पड़े थे. लोगों ने अपने जीवन भर की गुस्सा राज पर उतार दी थी. जिन्हें कभी किसी लड़की ने घास नही डाली उन लोगों ने तो जैसे सीमा ही लांघ दी थी.


राज अभी ठीक से होश में नही था लेकिन जब भी थोडा सा चेत आता तो वो या तो पानी मांगता या कोमल को पुकारता था. उसे शायद वो अंतिम याद आ रहा होगा जो कोमल के साथ बिताया था? उसे याद आ रहा होगा कि कोमल कैसे उसके आगोश में लेटी हुई थी? कैसे गुजर रहे थे वो आनंद भरे पल? कैसे दोनों एक दूसरे से मजाकें कर रहे थे?


उधर कोमल को भी उसके घर ले जाया जा चुका था. अभी भी कोमल निश्चेत अवस्था में थी. उसे सबसे बड़ा सदमा राज की पिटाई से लगा था. सोचती होगी भागना तो दूर यहाँ तो जान पर भी आ पड़ी. कोमल ने राज को कुछ हो न जाये इस बात की भी बहुत चिंता की होगी. उसने अपनी इन्ही कजरारी आँखों से राज को मार खाते देखा था जिनकी तारीफ़ राज करते नहीं थकता था.


कोमल की माँ को कोमल पर गुस्सा भी आ रहा था और दया भी. सोचती थी पता नही इस लड़की को क्या सूझी जो ऐसा कर बैठी? क्या जरूरत थी इसको उस दूधिया राज को मुंह लगाने की? न ऐसा करती न आज ऐसा होता. कोमल को घरवालों ने जमीन पर ऐसे ही डाल दिया था. फिर माँ ने जैसे तैसे उसे एक चारपाई पर लिटाया. बहन थोडा पानी लायी. मुंह पर कुछ छींटे मारे. थोडा पानी मुंह में भी डाला. माँ ने थोडा सा पंखा भी झला था.


कोमल झुइमुई की तरह होश में आई. माँ को सामने देख आँखों से आंसू की धार निकल पड़ी. जब इंसान बहुत भावुक हो, बहुत दुखी, ज्यादा परेशान हो और उसके सामने माँ आ जाये? फिर जो अंदर का सैलाव निकलता है उसे लिखने की बात तो दूर, लिखने की कल्पना भी नहीं की जा सकती. ___

कोमल का मन हुआ कि माँ की गोद में अपना सर रख के खूब रोये. इतना रोये कि मन भर जाय. उसके बाद रोने के लिए कुछ बाकी न बचे. अपने दिल के सारे घाव माँ को दिखा दे. बता दे कि लोगों ने कितने जुल्म किये हैं उसके छोटे से दिल पर?


शायद माँ समझ जाए. वो भी तो एक स्त्री ही है. ऊपर से मेरी सगी माँ. में भी एक स्त्री हूँ. ऊपर से इस माँ की सगी बेटी भी. शायद माँ बोल दे कि इसे राज की हो जाने दो? इसका भी तो एक छोटा सा मन है. ये भी तो कुछ इच्छाएं रखती होगी? लडकी हुई तो क्या हुआ है तो इंसान ही न? या राज को यहाँ बुला ले. मेरे साथ उसे रख दे? कर दे मेरे मन की मुराद पूरी? आखिर ये मेरी माँ है. सगी माँ. और में इसकी बेटी. सगी बेटी.


हे ईश्वर! तूने ये इन्सान का दिल ऐसा क्यों बनाया? जो किसी का हो जाए तो उसे मरते दम तक छोड़ने का नाम ही नहीं लेता. सब कुछ भूल जाता है. भूख प्यास, नींद चैन, आराम व्यायाम और यहाँ तक कि साँस लेना और पलक झपकाना भी. तुझे ये क्या सूझी जो ऐसा अंग बना डाला? क्या इसकी जगह कुछ और नहीं बना सकता था? और बनाया भी तो इसमें ये मोहब्बत की कसक न डालता. जिससे न जाने कितने आशिकों की कुर्वानी होने से बच जाती.


कोमल ने अपना सर उठाकर माँ की गोद में रख दिया. कोमल को फिर जो सुकून मिला वो अकथनीय था. माँ की गोद के आनंद कावर्णन तो किया ही कैसे जाए? ये तो स्वर्ग के चैन से भी परे होता है. कोमल की माँ ने गुस्से में कोमल से कहा, “छोरी ये तूने क्या कर डाला? तुझे एक बार भी हमारी याद न आयी? आज हमारे मुंह पर जो कालिख पुती उसका अंदाज़ा भी है तुझे? चारो तरफ थू थू हो रही है. इससे अच्छा होता कि में तुझे कोख में ही मार डालती."


कोमल इसका जबाब क्या देती? वो तो माँ से खुद कुछ सवाल पूछने वाली थी. जो उसकी जिन्दगी और मौत से जुड़े हुए थे. लेकिन माँ ने तो उलटे सवाल दाग दिए. कोमल माँ के सामने उठकर बैठ गयी. माँ ने देखा कि कोमल का मुंह बुरी तरह सूजा हुआ है.
आँखे लाल और भीगी हुई हैं. कोमल ने रोते हुए माँ से कहा, "माँ में राज के विना जी नही सकती. मु..."

बात पूरी होने से पहले माँ का जोरदार थप्पड़ कोमल के मुंह पर आ लगा. माँ को भी अपने ऊपर हैरत थी कि क्यों कोमल को थप्पड़ मार दिया? लेकिन माँ को गुस्सा इस बात पर आ गया था कि कोमल को इतना सब होने के बाद भी अक्ल नही आई थी.


उसके बाद कोमल की माँ गोदंती वहां से उठकर चली गयी. कोमल अपना गाल पकड़े बस आँखों से आंसू बहा रही थी. उसे मारने पीटने का गम नही था. उसे परवाह थी अपने प्यार की जो आज संकट की घड़ी में था. उसे पता था कि माँ ने मेरे गाल पर ये थप्पड़ क्यों मारा है? उसे उस समाज में होने वाले अपमान का डर है. उसे अपने बाकी के बच्चों की फिकर है. केवल कोमल ही तो उसकी लाडली बेटी नही थी. जो माँ कोमल को ध्यान में रख सब काम किये चली जाती.
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04-14-2020, 11:54 AM,
#56
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लेकिन घराने के लोगों को इतने से ही शांति नही थी. भगत से खानदान के लोगों ने इकट्ठे हो कहा, "अभी तो रात हो गयी है लेकिन कल सुबह इस लड़की का फैसला कर लो. ये अब इतनी आसानी से रुकने वाली नहीं है. इस लड़की ने जो काम किया है वो माफ़ कर देने लायक नहीं है. किसी गैर जाति के लडके के साथ भाग गयी, एक बार भी समाज और खानदान का खयाल न किया."


भगत जो कोमल के पिता भी थे. फैसले के नाम से अंदर तक कॉप गये. उन्हें पता था इस फैसले में क्या होगा? कोमल के ऊपर फैसला आने का एक मतलब उसकी मौत भी हो सकती थी. जो भगत ने अभी तक सोची नही थी. कोमल उनकी बेटी थी तो भला ऐसा कैसे सोचते?


भगत की दशा बता रही थी कि उनको आज नींद नही आएगी. ये रात कई लोगों के लिए बड़ी मुश्किल रातों में शुमार होनी थी. जिनमें राज. कोमल और भगत के साथ में भगत की बीबी यानि कोमल की माँ गोदंती शामिल थी.


भगत थके कदमों से घर को आ गये. घर के अंदर आते ही सबसे पहले उन्हें अपनी बीबी गोदन्ती का सामना करना पड़ा. वो चिंतित हो भगत से बोली, “क्या कह रहे थे सब लोग?"

भगत गम्भीर आवाज में बोले, “अब क्या क्या बताऊँ तुझे? वो लोग कहते हैं कोमल के मामले का कल फैसला करेंगे.”

भगत की बीबी गोदन्ती बिगड़ते हुए बोली, “अब क्या फैसला होगा? लडकी घर आ गयी सब शांत हो गया. अब क्या बचा है फैसला करने को?"


भगत उदास हो बोले, "ये तो में भी नही जानता. ये खानदान वाले जो भी करते है उसका कोई सर पैर तो होता नही. ऊपर से हमारे बड़े भाई तिलक अपनी इज्जत का हवाला दे लडकी की जान के पीछे पड़े हुए हैं. पता नही उन्हें क्या सूझा रहता है?"


ये तिलक पहले नौटंकियों के दीवाने थे. बाद में जुआरी हो गये. कोई ऐब ऐसा नहीं था जो तिलक में नही हो लेकिन जमाने की पंचायत करना जैसे खून में बसा हुआ था. खुद की शादी नहीं हुई थी
शायद इस कारण दूसरों के बच्चे भी अच्छे नहीं लगते थे.

भगत अपनी बीबी से बोले, “अब कोमल कैसी है?"

गोदंती गुस्से से बोली, "अभी थोड़ी देर पहले होश में आई है. पागल हो गयी है पूरी तरह से. पता नहीं ये कैसे इन चक्करों में फंस गयी?"

भगत शांत हो बोले, "चलो अब सो जाओ. सुबह देखेंगे जो भी होगा."


गोदंती अपनी आवाज सम्हालते हुए बोली, “खाना नही खाओगे आज?"

भगत धरती की तरफ देखते हुए बोले, "मुझे तो भूख नही है इन बच्चो को खिला दो. और उस छबिलिया को भी कुछ खिला पिला देना."


गोदन्ती ने सभी लोगों से पूछा कि कोई खाना खाए तो बना दें लेकिन आज किसी को भूख नही थी. कोमल ने तो साफ़ साफ़ मना कर दिया था. आज घर में चूल्हा ही नही जला. सब के सब भूखे सो गये. सारा घर सो रहा था. लेकिन कोमल? भगत और गोदन्ती को तनिक भी नींद न आई.तीनों को आने वाले समय में होने वाली घटनाओं की सोच खाए जा रही थी. नींद तो दूर की बात चैन तक नसीब नहीं हो रहा था इन तीनों को.

उधर राज भी ऐसी ही स्थिति से गुजर रहा था. पूरा घर आधी रात तक राज की चारपाई के आसपास बैठा रहा. जब लगा कि राज को नींद आ गयी है तब जाकर सब सोने गये थे लेकिन राज सोया नहीं था.


खाना तो इस घर में भी नहीं बना था. कोमल के घर की तरह इस घर में भी चूल्हा नहीं जला था. बच्चे से लेकर बूढ़े तक सब भूखे सो गये. शायद इनके मन में भी कल सुबह आने वाले किसी भूचाल का आभास हो रहा था.


एक आम इन्सान की जिन्दगी में सामाजिक जीवन जीते हुए कितनी कठिनाईयां आती हैं ये कोमल के घर का माहौल देख समझ आता है. ऐसा ये कोई अकेला ऐसा परिवार नही था इस गाँव में जो इस कठिनाई को झेल रहा था. इससे पहले कई परिवारों ने ऐसा दुःख झेला था.

तब भगत ने कुछ नहीं बोला था. आज उन लोगों ने भगत के लिए कुछ नही बोला.
शायद तब भगत को ये मालूम नही होगा कि मुझे भी ऐसी परिस्थितियों से जूझना पड़ेगा और अब वो लोग ऐसा समझ रहे थे कि उनको आगे ऐसी परिस्थितियों से जूझना नही पड़ेगा. यही वो कमजोर कड़ी है इस समाज की समाज को कमजोर किये रहती है. वो एकदूसरे के लिए बोलना ही नहीं चाहते हैं.जबकि उनमे से काफी लोग चाहते हैं कि ये सामाजिक कुरीतियाँ बुरी है.


सुबह हुई. भगत, कोमल और गोदन्ती सबसे पहले उठ गये. घर में सुबह की चाय बनी थी. कोमल ने माँ के ज्यादा कहने पर चाय तो पी ली लेकिन उसे राज के बारे में जानने की बहुत उत्सुकता थी. राज कैसा है? कल की घटना के बाद उसे राज की बेहद चिंता हो रही थी. कल एक ही दिन में कितनी घटनाएँ हो गयी थी. कभी बहुत बड़ी खुशी तो कभी बहुत बड़ा गम. ___सब लोग जो खानदान के ही थे. किन्तु इनमे से कुछ पंचायती भी थे जो भगत के पास आ चुके थे. ये लोग कोई और नहीं थे. इनमें एक भगत का सगा बड़ा भाई. चार लोग चाचा ताऊ के और एकाध समाज का रखवाला.


सबने भगत को पास बिठा पूछा, “अब क्या करने वाले हो इस कुलटा लडकी का?"

भगत पीछा छुडाते हुए बोले, “में क्या करूँगा? और अब तो सब ठीक भी हो गया."
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04-14-2020, 11:54 AM,
#57
RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
दद्दू निहायत ही कमीना इंसान था. उसे हर वक्त अपने लड़कों के व्याह की पड़ी रहती थी.लडकों के व्याह में ज्यादा से ज्यादा दहेज लेने की उसकी मनसा उसे कमीनेपन से आगे ले गयी थी. बोला, "तुम्हे पता है इस लड़की की वजस से हमारे घरों में कोई अपनी लडकी देने को तैयार नही होगा?"


दद्दू खानदान के लोगों को पहले से ही सिखा पढ़ा कर लाया था. साथ में संतू और राजू भी कम नही थे. ये भी चाहते थे कि कोमल को ऐसा दंड मिले जो घर की वाकी की संतानें याद करके कोई भी गलत कदम उठाने की नसोचे.राजू और संतू दोनों भाई गाँव की कूटनीति में भी अपना दखल रखते थे. आज इन सब ने भगत को अपनी राजनीति का शिकार बना लिया था. जिससे भगत का बचना नामुमकिन था.


भगत कुछ कहते उससे पहले राजू बोल पड़ा, “और इस लडकी का तुम करोगे क्या ये भी सोचा है कि नही? इससे शादी करने से तो कोई रहा. साथ में घर की वाकी लडकियाँ भी इसे देख देख विगड जायेगी. फिर क्या करोगे तुम?"

भगत चारो तरफ से घिरते जा रहे थे. उन्हें ऐसा लगता था कि सारा घराना उनके ही पीछे पड़ा है. किसी को उनका सुख चैन और उनकी शांति से कोई लेना देना नहीं है. यही इनकी खुद की लडकी होती तो क्या करते?


भगत के बड़े भाई तिलक निर्णय करते हुए बोले, “में तो बस एक बात चाहता हूँ. इस लडकी को जान से मार डालो. ताकि बाकी की लडकियों को सबक मिल सके. मैंने तो इस भगत से इन लड़कियों को कॉलेज भेजने की भी मनाही की थी लेकिन ये माना ही नही. और आज उसी का फल इसे मिला है. आज से वाकी की लडकियों का भी स्कूल कॉलेज बंद कर दिया जाना चाहिए. इसके आलावा और कोई चारा नही है. कोमल की मौत की सोच भगत की हड्डी हड्डी कांप गयी.


राजू, संतू, पप्पी, दद्दू और तिलक की राय से कोमल को जान से मारा देना ही खानदान पर लगे दाग को मिटा सकता था. अब सब कुछ भगत के हाथ में नहीं था. कोमल के कारण पूरे खानदान की नाक कट गयी थी. अब सजा भी पूरे खानदान द्वारा ही दी जानी थी.


भगत मजबूर थे. चारो तरफ से तरह तरह की बातें सुन उनकी जान निकली जाती थी. राजू ने फिर भगत से पूछा, “बोलो भगत चचा क्या सोचा तुमने? इज्जत सिर्फ हमारी ही नही तुम्हारी भी दांव पर लगी है. घर में लडके लडकियाँ सिर्फ हमारे ही नही तुम्हारे भी हैं. इस कोमल को मार दिखा दो सारे समाज को कि हम इस अपमान को सहन नहीं कर सकते."


राजू की इस कही बात का दद्दू और तिलक ने भी समर्थन किया.

भगत उन सब से बोले, "मुझे इस बात को सोचने के लिए थोडा वक्त चाहिए. मेरी आत्मा मुझे ऐसा करने की इजाजत नहीं देती. जिस बेटी को हाथों में खिलाया आज उसे ही अपने उन्हीं हाथों से मार देना मेरे लिए इतना सरल नही है. मेरी जगह तुम होते तो तुम्हें भी ऐसा ही लगता


तिलक गुर्राकर भगत से बोले, “तूतीर्थ नहाने जा रहा है जो इतना सोचेगा. अभी इसी वक्त फैसला कर. हम लोगों के पास इतना समय नही जो बार बार तेरी पंचायत करते फिरें.


लेकिन पप्पी ने तिलक को रोकते हुए कहा, "नही तिलक चचा थोडा सोचने का वक्त तो दे दी देना चाहिए. करना तो यही है फिर सोचने का वक्त देने में क्या बुराई?" फिर सब लोग थोडा सा वक्त भगत के लिए देने को राजी हो गये. भगत वहां से उठकर अंदर अपने घर में चले गये.


घर में चूल्हा जल रहा था. चूल्हे पर रखे भगोने का ढक्कन भाप से कभी उठ और कभी गिर रहा था. उस उठते गिरते ढक्कन को नजर गढ़ाए देख रही गोदन्ती उदास बैठी थी. इस वक्त उसके दिल की धडकन और भगोने के ढक्कन में ज्यादा फर्क नहीं था. भगत के निढाल कदमों की आवाज उसके कानों में पड़ी तो उसका चेहरा भगत की तरफ मुड गया.


उसने भगत का उतरा हुआ मुंह देख पूंछा, “क्या हुआ? क्या कोई बात हो गयी?"

भगत निढाल से उसी चूल्हे के सामने बैठ गये. बोले, “सब लोग कह रहे हैं कि...कोमल को मार दो तभी इस बदनामी का दाग धुलेगा."

गोदन्ती का पूरा बदन पीपल के पत्ते की तरह फडफडा कर काँप गया. सहमी हुई बोली, “कितने निर्दयी लोग है? अब नादान लडकी से कोई गलती हो गयी तो हो गयी. क्या उसके बदले उसकी जान ले लें?"


एक माँ बाप के लिए अपनी खुद की सन्तान को मार डालने का खयाल कितना बुरा होता होगा? ये तो शायद एक माँ या बाप ही जान सकते है. लेकिन इस जमाने का क्या जो सिर्फ अपने लिए जीता है? जो सिर्फ छोटी सी बात पर अपनी मर्यादा का हवाला दे आदमी को इस तरह मजबूर कर देता है. अदालत के कानून बदलना आसन है लेकिन समाज की सोच बदलना, उसके रिवाज बदलना बहुत ही मुश्किल.


भगत ने धीमी आवाज में गोदन्ती से पूंछा, “कोमल कहाँ है?"

गोदन्ती भिन्नाई हुई बोली, “और कहाँ होगी अभी तक वही चारपाई पडी है.

भगत उत्सुक हो बोले, "कुछ कहती नही?"


गोदन्ती आखें तरेर बोली, “वो जो कहती है वो तुम्हे बताऊ तो अभी उसे मार डालोगे. कहती है राज के विना जिन्दा नही रह सकती.

भगत गंभीर होते हुए बोले, “थोडा समझाती तो धीरे धीरे भूल जाती. शरीर वेशक बड़ा हो गया लेकिन अभी अक्ल बच्चे जैसी है इस लडकी की."


गोदन्ती चिढ़ते हुए बोली, "तुम्ही समझा लो अपनी लाडलियों को. मेरे वश की बात नही. ये तुम्हारी ही कृपा है जो ये इतना विगड गयी. कहते थे लड़की को पढ़ा लिखाकर कुछ बनाना चाहता हूँ.
पढ़कर जो बनी सो ऐसा हो गया. लाख मना करती थी कि लड़कियों को घर से बाहर मत भेजो लेकिन मानते ही न थे."


भगत विना कुछ कहे गोदन्ती के पास से उठ खड़े हुए और कोमल के पास जा पहुंचे. कोमल जीर्ण शरीर लिए चारपाई पर लेटी हुई थी. भगत ने उसके माथे पर अपना हाथ रखा. कोमल शायद अभी सोयीं हुई थी. भगत को लगा कि कोमल आज फिर से नन्ही बच्ची बन गयी है जिसे वो खुद बैठे सुला रहे हैं. भगत के बाप वाले दिल में कोमल के लिए अपार क्षमा थी.
उन्हें इस वक्त कोमल की स्थिति बहुत दयनीय लग रही थी. उन्हें वो दिन भी ध्यान आ रहा था जब उन्होंने इस लडकी को पढाई के लिए खाना छोड़ते हुए देखा था. एक आज का दिन था जब उसने पढाई को कुर्बान कर इतनी बड़ी भूल कर डाली थी.
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04-14-2020, 11:57 AM,
#58
RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भगत का मन करता था कि एकबार कोमल को जगाकर बात कर लें लेकिन हिम्मत नहीं हुई. थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद उठकर फिर से गोदन्ती के पास आ बोले, “देखकर लगता है कि कोमल अभी भी बच्ची है. समझ में नही आता कैसे इसे मारने के लिए हाँ कह दूँ?"


गोदन्ती कुम्हलाते हुए बोली, “मन तो मेरा भी यही कहता है लेकिन ये उस कलमुहे मोहना के साथ गर्भ से है. अगर कुछ हो हा गया तो मुंह दिखाने के काविल नहीं रहेंगे."

भगत को लगा कि किसी ने उनके ऊपर बम गिरा दिया है. बोले, “तुम से किसने कहा कि ये गर्भ से है?


गोदन्ती घृणाभाव से बोली, “इस छोरी ने ही चिट्ठी में लिखा था."

भगत आश्चर्य से बोले, "लेकिन कल तो तुमने बताया ही नहीं था."

गोदंती फटाक से बोली, “कल आधी बात सुनते ही आपकी ये हालत हुई तो वाकी की बात बताने का ध्यान ही न रहा."

भगत निढाल हो गये. अपने सर पर हाथ मारकर कहने लगे, “ये तो अनर्थ कर दिया इस छोरी ने. क्या तुम्हारे हिसाब से कुछ हो सकता है जिससे ये लडकी पाक साफ़ हो जाय?"

गोदन्ती सोच में पड़ती हुई बोली, “अब क्या हो सकता है? शायद ओपरेशन से ही बच्चा निकला जा सके और ऐसा किया तो सबको खबर हो जायेगी. अभी जितनी भी इज्जत बची है सब की सब मिटटी में मिल जायेगी. कहीं भी मुंह दिखाने के लायक नही रहेंगे."


भगत वावलों की तरह बोले, “तो फिर इन लोगों की बात मान लें.जान से मार दे इस छोरी को?"

गोदंती के आँखों में आंसू आ गये. बोली, “में उसकी माँ हूँ. मुझसे पूछोगे तो में मना ही करूँगी. तुम्हारी जैसी इच्छा हो वैसा करो लेकिन मुझे बार बार बताओ मत. दिल फटता है सुनने से."


गोदन्ती को रोते देख भगत भी भावुक हो उठे. बोले, “तुम अगर माँ हो तो में क्या उसका दुश्मन हूँ? होगा तो मुझसे भी कुछ नही लेकिन इस लड़की ने हमे इस समाज की बातों पर चलने को मजबूर कर दिया है. अब किस किस से कहें? पहले केवल भागने का हल्ला था अब गर्भवती होने का हल्ला भी हो जाएगा. इस एक लडकी की वजह से कितने लोग परेशान हो गये हैं." ____

गोदन्ती की आँखों से आंसू लगातार बह रहे थे. भगत की भयभीत आँखें भी अब रो रहीं थीं. उस बाप और माँ की स्थिति का अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल होता है जिसकी लडकी किसी रुढ़िवादी समाज में रहते हुए किसी लड़के के साथ भाग जाए. ऊपर से उसी के साथ गर्भवती भी हो जाय. ऊपर से लड़का किसी दूसरी या निम्न समझी जाने वाली जाति का हो. सारे नकारात्मक पहलु कोमल की किस्मत में ही आ लगे थे. प्यार होना फिर गर्भवती होना, जिस लडके से प्यार किया उसकी जाति दूसरी होना.


भगत बहुत बड़ी अनिश्चितताओं से घिरे हुए कोई ऐसा हल निकालने की कोशिश में लगे हुए थे जिससे कोमल की जान भी बच जाए और कोई बदनामी भी न हो, लेकिन दोनों हाथों में लड्डू नही होने वाली कहावत भगत के साथ भी हो रही थी. भगत को दोनों में से कोई एक चीज चुननी थी. बदनामी या कोमल. अब क्या करते? और भी तो लडके लडकियाँ थे भगत के पास.उनकी शादी करना. खुद भी गाँव में रहना. ये सब कारण उनकी हिम्मत को तोड़े जा रहे थे.

यह सब सोचते हुए भगत उठ खड़े हुए. आँखों में एक अजीब सा मंजर था जो कुछ अनहोनी का संकेत दे रहा था. गोदन्ती उस मंजर को भगत की बीबी होने के नाते समझ चुकी थी. वो चूल्हे के पास गर्मी में बैठी बैठी सर्दियों के मौसम की तरह काँप रही थी. भगत बाहर बैठे अपने घराने के लोगों के पास जा पहुंचे. सब लोग अपनी अपनी बातें बंद कर भगत को ऐसे देख रहे थे मानो वे कोई खास बात कहने जा रहे हों. भगत रुंधे हुए गले से बोले, "तुम लोगों को जो सही लगता है वो में करने को तैयार हूँ. लेकिन जो भी करना है आप लोगों को ही करना है. मुझसे रत्ती भर भी ये काम न हो सकेगा. जब भी करना हो मुझे बता दीजियेगा."

इतना कह भगत चुप हो गये. सब लोग अभी भी शांत बैठे थे.
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04-14-2020, 11:57 AM,
#59
RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भगत का मुंह देख किसी की हिम्मत न होती थी कि कोमल की मौत का समय तय कर दे लेकिन तभी तिलक बोल पड़े, “जो भी करना है तुरंत कर डालो. जितनी देर होगी उतना ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा. जो करना है वो जल्दी निपटा डालो. देर होने पर सौ तरह के विचार दिमाग में आते हैं." तिलक की इस बात का राजू, संतू, पप्पी और निक्कमे दडू ने भी सर हिलाकर समर्थन किया.


भगत निढाल हो वहाँ पर बैठ गये, बाकी के लोगों में कोमल को ठिकाने लगाने की बाते शुरू हो गयी. तिलक ने राजू से कहा, “राजू कोमल को मारने के लिए तुम्हारा घरठीक रहेगा. भगत के कमरे से तो बाहर तक आवाजें आती हैं लेकिन तुम्हारे अंदर वाले कमरे से किसी को कुछ भी सुनाई न देगा." राजू पहले तो सकुचाया लेकिन फिर कुछ सोचते हुए बोला, "ठीक है जैसा आप ठीक समझो."


भगत अपने सर को झुकाए अपनी बेटी को मारे जाने की योजना सुन रहे थे. तिलक ने दडू से पूंछा, “अब ये बताओ उसको मारे किस तरीके से? कोई योजना हो तो बताओ?"

दद्दू बहुत ही निर्दयी किस्म का इंसान था. औरतों की इज्जत उसने आज तक नहीं की. वो
औरतों को आदमी के हाथों की गुलाम समझता था. गाँव की एक गरीब विधवा औरत को कुछ दिन पहले ही इसने छोटी सी गलती पर बहुत बुरी बुरी गालियाँ दी थीं. जबकि वो बेचारी इससे माफी मांगती रही. कारण था उसके एक भी लडकी नहीं थी. अब कोई उसके बारे में कहे तो कैसे कहे? दद्दू मुंह सिकोड़ कर बोला, “योजना क्या बनानी? क्या हम सब पर मिलकर एक तिन्हा सी लडकी नही मारी जायेगी? उसे भगत के घर से खींचकर राजू के कमरे तक ले जायेंगे फिर वही उसका गला दवा देंगे. इसमें कौन सा सोचने वाली बात है?"


दद्दू की कोमल को खीचकर ले जाने वाली बात पर भगत अंदर तक तडप गये. उन्होंने लाचार आँखों से ददू की तरफ देखा लेकिन क्या कहते? वे तो पहले ही अपनी मंजूरी दे चुके थे. अब तो जो भी करना था इन्ही दरिंदों को करना था जो समाज और खानदान की इज्जत के रखवाले थे. जिनको अपने लडके लडकियों की शादी होने की चिंता सता रही थी. जिसका निवारण विना कोमल को जान से मारे नही हो सकता था, कोई अन्य दिन होता और कोमल के लिए कोई इस तरह की बात बोल देता तो भगत कोमल के बाप होने के नाते उसका खून पी जाते लेकिन आज तो लोग उनका ही खून पीने को तैयार खड़े थे. बात सही भी थी. दुनिया का कौन बाप होगा जो बैठा बैठा चुपचाप अपनी बेटी के लिए ऐसे शब्द सुनता रहे?


संतू सामने बैठे तिलक से बोला, "तो फिर करना कब है ये सब?"
तिलक फौरन बोले, “आज रात को ही कर डालो. ज्यादा देर हमारी मुश्किलें ही बढ़ा रही है. भगत और इसके बाल बच्चे भी परेशान हैं."

भगत की आँखों में अँधेरा छाता जा रहा था. उन्हें इस बात पर यकीन नही हो रहा था कि कोमल आज ही उनकी आँखों से दूर हो जायेगी. फिर कभी देखने को नहीं मिलेगी.


तिलक ने सब लोगों को प्लान बताना शुरू किया, “राजू तुम अपने घर संतू के साथ कोमल के आने का इन्तजार करोगे. मैं, दद्दू और पप्पी कोमल को खींच कर तुम्हारे घर तक ले आयेगे. फिर वही उसे खत्म कर डालेंगे."


भगत और राजू के घर की दीवार एक दूसरे से सटी हुई थी. गेट में दो तीन कदमों का ही फासला था. तिलक फिर से बोले, "ठीक है. सब लोग शाम तक अपना अपना काम खत्म करलो. उसके बाद ये काम निपटाना है."


इतना सुन सब लोग उठ उठ कर चले गये. भगत भी किसी बूढ़े आदमी की तरह चलते हुए घर के अंदर जा पहुंचे. घर में भगत के बच्चे और बीबी सब के सब भगत की तरफ ही देख रहे थे मानो सब पूंछना चाहते हों कि अब कोमल को लेकर क्या फैसला हुआ? वो बच तो जायेगी न? अब कोई उसे मारने की बात तो नही कहता था? भगत इन सबकी प्रश्न भरी नजरों को ज्यादा देर नही सह सके, बच्चों से नाराज़ होते हुए बोले, “तुम यहाँ ऐसे क्यों बैठे हो? चलो अपने अपने काम पर लगो."


इतना कहने के बाद भगत अपनी बीबी गोदन्ती के पास बैठ गये और बोले, “मैंने उनकी बात मान ली. अब ये सब शाम के समय कोमल को...." इतना कह भगत फफक फफक कर रो पड़े.

गोदन्ती इसके बाद चुप कैसे बैठ पाती. उसकी भी हिल्की बंध गयी. दोनों रोये जा रहे थे. उनको छुपकर देख रहे उनके बच्चे भी छुप छुप कर रो पड़े. सारा घर रो रहा था. कोमल को ये सब तो मालूम न था लेकिन वो राज को याद कर करके रो रही थी.


कोमल का तो एक भी पल ऐसा नही था जिसमे वो अपने प्यार राज को याद न करती हो. उसका तो काम ही अब रोना था. कहा जाय तो लडकी का काम ही जिन्दगी भर रोना होता है. कोख में आते ही घरवाले कोसते हैं तो रोती है. घर की हर परिस्तिथि में रोती है. घर से विदा हो तब भी रोती है. ससुराल में लोग परेशान करें तब रोती हैं. ऐसा लगता है कि एक आम लडकी जिन्दगी भर रोती ही रहती है लेकिन पूरी तरह से ऐसा भी नही कह सकते. क्योंकि समाज में हर आदमी लडकियों के खिलाफ नहीं होता.
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04-14-2020, 11:57 AM,
#60
RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भाग - 11

उधर राज के घरवाले लगातार राज को समझा रहे थे लेकिन राज की एक ही जिद थी कि कोमल को देखने जाना है. राज का पूरा घर जानता था कि अगर राज कोमल के गाँव के आसपास भी गया तो जीवित न लौटेगा.

पहले ही उन लडकों से न जाने कैसे कैसे बचाकर लाये थे. अबकी बार तो वे लोग राज को जान से ही मर डालेंगे. लेकिन राज मानने को राजी ही नही था. राज के बाप ने कई बार राज के गालों पर थप्पड़ भी मारे थे लेकिन राज की एक ही धक थी. कोमल, कोमल और कोमल.


सारे उपाय खत्म हुए तो राज के बाप महतो ने दिमाग में कुछ सोच राज से कहा, "देख राज तेरा जाना कोमल की जान के लिए भारी पड़ सकता है. कल भी वो लोग कह रहे थे कि अब तुझे उनके गाँव की तरफ देखा तो जान से मार देंगे और कोमल तुझसे मिली तो उसे जान से मार देंगे. अब तू चाहता है कि कोमल मारी जाय? चाहता है तो जाकर देख आ? हमें कोई आपत्ति नही. वैसे तो तू कहता है कि उसके विना जिन्दा नही रहेगा और वो मर गयी...."

राज तडपकर बीच में ही बोल पड़ा, “पापा ऐसी असगुनी बातें क्यों करते हों? अगर ऐसी बात है तो नहीं जाता उसके गाँव लेकिन आप किसी से खबर तो करबा सकते हो कि वो है कैसी?"


महतो मन में खुश होते हुए बोले, “ये काम तो तेरा करवा के रहूँगा लेकिन तू भूल के भी उधर जाने की कोशिश न करना."

राज ने बाप की बात पर हाँ में सर हिला दिया. महतो का दिमाग काम कर गया था. कोमल के मरने की बात ने राज के दिमाग को पूरी तरह से बदल दिया था.

महतो अब राज को इस गाँव से कुछ दिन के लिए कहीं भेज देना चाहते थे लेकिन राज को बातों में फंसाकर ही कहीं भेजा जा सकता था, राज के बाप को अब कोई ऐसी तरकीब निकालनी थी जिससे राज को यहाँ से कहीं दूर भेज सकें.


शाम हुई. भगत और घर के अन्य लोगों के दिलों की धडकनें थामे न थम रहीं थीं. भगत ने सुबह से खाना न खाया था और न ही गोदन्ती ने. बच्चे जो समझदार थे उन्होंने भी ऐसा ही उल्टा सीधा खाया. एक छोटे बच्चे जरुर थे जो पेट भर खा चुके थे क्योकि उन्हें इस देश दुनिया की खबरों से ज्यादा सरोकार नही था. कोमल की बहन देवी छुप छुप कर रोती थी. उसने कोमल को बहुत समझाया था लेकिन कोमल इस बात को न समझ सकी और आज अपने आप को खत्म सा कर बैठी.


उधर महतो ने शाम को घर पहुंचकर राज से कहा, "बेटा अब तुम्हें यहाँ से भागना पड़ेगा.”

राज ने हडबडा कर पूंछा, “क्यों पापा क्या हुआ?"

महतो झूठ बोलते हुए बोले, “मैंने खबर पायी है कि कोमल के घरवाले किसी भी वक्त तुझे मारने के लिए यहाँ आ सकते हैं. और तुम्हारे साथ साथ हमें भी मार सकते है क्योंकि तुम्हें मरते हुए हम नहीं देख पाएंगे. फिर जब हम उन लोगों से लड़ेंगे तो वो हम को भी मारेंगे."

राज हडबडा कर बोला, “तो फिर क्या किया जाय जिससे आप लोगों को कुछ न हो क्योंकि मुझे अपनी कोई चिंता नही है?


महतो उसको समझाते हुए बोले बोले, "तुम इसी वक्त अपनी बुआ जी के यहाँ के लिए रवाना हो जाओ. जब तक ये रार शांत नही होती तुम वही रहो उसके बाद यहाँ आ जाना. मैंने तुम्हारे जाने का सारा इंतजाम कर दिया है. और देखो वहां भी इधर उधर कहीं मत निकलना. कौन कब भेदी बन जाए पता नहीं चलता."


राज यहाँ से जाना तो नहीं चाहता था लेकिन घरवालों की जान उसके लिए बहुत कीमती थी इस कारण वह अपनी बुआ के यहाँ जाने के लिए तैयार हो गया. वो अपने पिता से बोला, "तो फिर में चला जाता हूँ लेकिन कोमल की कोई खबर मिली?"

महतो फिर से झूठ बोलते हुए बोले, “हाँ वो लडकी ठीक ठाक है. मैंने सब पता कर लिया है."



राज अपने बाप पर बहुत भरोसा करता था. कोमल के ठीक ठाक होने की खबर से आश्वस्त होने के बाद वह अपनी बुआ के यहाँ चलने को तैयार हो गया. राज की बुआ का गाँव पास के ही जिले में पड़ता था. एक गाँव का ही आदमी राज को मोटर साईकिल से उसकी बुआ के गाँव तक छोड़ने जा रहा था.


जाते समय महतो ने राज को समझाते हुए कहा, “पहुंचते ही खत लिख देना." राज ने हाँ में सर हिला दिया. महतो ने राज को गले से लगा विदा कर दिया. राज तो चला गया लेकिन महतो को अपने झूठ बोलने पर पछतावा हो रहा था. सोचते थे राज उन पर इतना विश्वास करता है लेकिन फिर भी उन्होंने इतना झूठ बोला. लेकिन इसके अलावा करते भी क्या? राज यहाँ रहता तो कभी न कभी कोमल के गाँव जाने की कोशिश करता. और हो सकता था मारा भी जाता? इसलिए महतो ने ये झूठ बोलकर राज को यहाँ से दूर भेज दिया. आज महतो को राज के विना पूरा घर सूना सा लग रहा था. सोचते थे अभी तो राज पूरी तरह से ठीक भी न हुआ था और घर से दूर भी भेज दिया. लेकिन राज के पिता महतो को इससे अच्छा राज के लिए कुछ और न लग रहा था.


इस वक्त महतो के दिमाग में राज का व्याह करा देने का विचार प्रवल हो रहा था. सोचते थे शादी होने से राज का ये लडकपन खत्म हो जाएगा. घर गृहस्थी का बोझ पड़ेगा तोअपने आप सब भूल जाएगा. बीबी आएगी तो कोमल की याद अपने आप भूल जाएगा, उसके बाद बच्चे होंगे फिर राज को ये सब बातें याद भी न रहेगी. में भी अपना बुढ़ापा चैन से काट लूँगा. अब बस जल्दी से जल्दी राज के हिसाब की कोई लड़की मिल जाए तो झट से राज की मंगनी करा डालू.


भगत के घर के बाहर से घराने के लोगों की आवाजें आनी शुरू हो गयीं थी. घर में बैठे भगत और गोदन्ती सहित सभी बच्चों के दिल में एक अजीब सा भय पैदा हो गया. सबको पता था कि कोमल कुछ ही देर में मार दी जायेगी.

तभी बाहर से भगत के लिए आवाज आई. ये आवाज ददू की थी. वो भगत को बाहर बुला रहा था. भगत की देह में सुरसुरी दौड़ गयी. भगत उठ खड़े हुए लेकिन उठते समय आँखों के सामने अँधेरा छा गया.
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