SexBaba Kahani लाल हवेली
06-02-2020, 01:48 PM,
#21
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
राज समझ रहा था कि उसकी महज आंखेंबंद थीं, वह सो कतई नहीं रही थी। इतनी बात उसके दिमाग में आसानी से पहुंच रही थी कि डॉली जिस मजबूती से उसके हाथों को पकड़े हुए हौं-उसे मद्देनजर रखकर ये किसी भी तरह माना नहीं जा सकता था कि वह सो रही है।

दूरी बिल्कुल खत्म हो चुकी थी।

मगर राज के मन में एक दुविधा तो थी ही। वह दुविधा डॉली के खौफ की थी।

डॉली डर की वजह से उसे अपने करीब खींचे हुए थी।

उसके हाथ गलत हरकत करने के बारे में सोचकर ही जहां के तहां रुक गए।

धीरे-धीरे वक्त गुजरने लगा।

उसने एक बार फिर अपने हाथों को मुक्त करने का प्रयास किया मगर नाकामयाब रहा।

डॉली ने उसके दोनों हाथ पूरी तरह अपने कब्जे में करते हुए अपने वक्षों के साथ भींच लिए।

एक गुदगुदे रोमांच ने उसे आसक्त कर दिया। बरबस ही उसके हाथ डॉली के वक्षों पर कस गए।
डॉली ने किसी प्रकार का प्रतिरोध नहीं किया। वह यूं ही आंखेंबंद किए पड़ी रही।

राज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।
धीरे-से डॉली की गर्दन तक अपने अधर पहुंचाए फिर उसके अधर फिसलकर डॉली के बाएं कपोल पर पहुंच गए।

उस उत्तेजक स्पर्श ने अन्तत: डॉली के सबरको खत्म कर दिया। वह फुर्ती के साथ पलटकर झटके के साथ राज से लिपट गई।

कामुक सीत्कार उसके मुख से फूट निकला। उसका छिपा हुआ प्रेम अब जाहिर हो गया।

"ओह हनी...तुम बहुत अच्छे हो। बहुत अच्छे। पहली नजर में ही मुझे तुमसे प्यार हो गया था। वह राज के आलिंगन में समाती हई बोली "मेरी किस्मत से तुम यहां तक आ गए। और मैं तुम्हारी बांहों में आने का लोभ संवरण नहीं कर की।

राज ने उसके तपते हुए अधरों पर प्रगाढ़ चुम्बन अंकित कर दिया।

वासना की दबी हुई चिंगारियों को प्रेम के हल्के झोंके मिलने लगे। उसके साथ ही चिनगारियां धीरे-धीरे शोलों में परिवर्तित होने लगीं।

राज इस मामले में कुछ ज्यादा ही सक्रिय था। डॉली ने धानी रंग की नाइटी पहनी हुई थी।
राज का हाथ उसकी नाइटी के रिबन पर पहुंचा।
रिबन खींचते ही नाइटीबंधन रहित हो गई।

स्लीबलैस नाइटी यूं भी लगभग पारदर्शी सी थी। राज को नाइटी के अन्दर का सांचे में ढला उसका जिस्म यूं भी नजर आ रहा था फिर भी उसने अपने और डॉली के बीच की प्रत्येक दीवार को गिरा देता ही उचित समझा।
वस्त्र नाम के लिए भी नहीं बचे।

गर्म बदन एक-दूसरे के आलिंगन में समा गए तो सिसकारी फूट निकली।

डॉली उस घडी राज से भी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी। उसने राज का चेहरा चुम्बनों से भर दिया।
अगले ही क्षण राज करवट बदलकर ऊपर आ गया।
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06-02-2020, 01:48 PM,
#22
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
उसने राज की कठोरता को अनुभव किया और कामुक सीत्कार के साथ आनन्द सागर मे डूबती उतराती हुई वह बरबस ही आंखें बंद करके निढाल सी होती चेली गई। वह सम्पूर्ण रूप से अपने-आपको राज के हवाले कर चुकी थी। उसकी ओर से नाममात्र का भी प्रतिरोध नहीं था। सहयोग था...केवल सहयोग।

राज का प्यार पाकर वह पूरी दुनिया को भुला बैठी थी। आत्मविभोर हो उसने राज के गले में अपनी सुडौल बांहों का हार डाल दिया।

फिर राज के चेहरे को उसने अपने उन्नत वक्षों से भींच लिया।

वह बदनतोड़ ढंग से सहवास में सहयोग करने लगी।

गर्म सांसों में तूफान जैसी तेजी आ गई। धड़कनें तेज से तेजतर होती चली गईं।

"ओह हनी..."

डॉली कामुक स्वर मेंफुसफुसाती हुई बोली "कितना प्यार छिपाए हुए थे अपने अन्दर। मैं तो जैसे जन्म-जन्म की प्यासी थी...आह...इतना गहरा होगा तुम्हारा प्यार, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। तुम्हारी दीवानी बनी थी तो कोई गलती नहीं की थी मैंने।"

"मुझे तो तुमसे डर लग रहा था कि कहीं तुम मुझे उस भला न कहने लगो।"

"क्यों?"

"क्योंकि शुरूआत मैंने की थी। अगर तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार न होता तो...?"

"अगर प्यार न होता तो मैं तुम्हें अपने इतने करीब कभी न आने देती। मैंने पूरी तरह इशारा कर तो दिया थ...तुम फिर भी झिझक रहे थे।"

"पहली-पहली बार किसी लड़की को छूना गलत होता है। ऐसे मामले बहुत पेचीदा होते हैं क्योंकि इनका नतीजा मालूम नहीं होता। सब कुछ सस्पैंस में दबा हुआ होता है।"

डॉली मुस्करायी।

उसकी कोमल उंगलियां उस समय राज के सिर के बालों में कंघी कर रही थी। राज पर वह अपना प्यार लुटा रही थी। शीघ्र ही दोनों गहरी निद्रा में डूब गए।
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06-02-2020, 01:48 PM,
#23
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
सूरज चढ़ आने पर राज की आंख खुली। वह उठा। देखा, डॉली उसके बसबर में बैड पर निर्वस्त्र औंधी पड़ी घोड़े बेचकर सो रही थी। उसकी दूध धोयी सांचे में ढली काया पूरी तरह नंगी थी। सिर के बाल काली घटा की मानिन्द तकिए पर फैले हुए थे। वह गहरी नींद में थी।

राज आंखेंफाड़े उसकी चांदी-सी चमकती शीशेजैसी पीठ को निहारने लगा। पीठ से फिसलकर उसकी निगाह डॉली की पतली कमर के खम पर पहुंची और उसके बाद गोल पुष्ट नितम्बों की गोलाइयों पर। वह अपने आपको न रोक सका।

बरबस की उसका दायां हाथ डॉली की चिकनी पीठ पर से फिसलता हुआ कमर और नितम्बों तक जा पहुंचा...तत्पश्चात् झुककर उसने पीठ पर चुम्बन अंकित करते हुए नीचे उतरना आरंभ कर दिया। प्रत्येक चुम्बन के साथ वह नीचे उबका चला जा रहा था।

डॉली के शरीर की कंपकंपाहट बता रही थी कि वह नींद से जाग चुकी है मगर वासना के उत्तेजनापूर्ण खेल को खेलने की खातिर सामन वाले खिलाड़ी को पुन: उत्साहित कर खेल का पूस आनन्द उठाना चाहती थी।

राज ने उसे धीरे-से पलटकर अपनी बांहों में भर लिया।

एक बार फिर वासना पूर्ण गर्म सांसों का शोर उभरने लगा।

डॉली उससे टूट-टूटकर प्यार कर रही थी। अधरों से अधर जुड़े थे और वे एक-दूसरे को अपने आलिंगन में जकड़े हुए थे।

"भैया, अभी तक नहीं आए...।" डॉली राज को कॉफी का प्याला देती हुई चिन्तित स्वर में बोली "पूरी रात गुजरने के साथ-साथ अब तो दिन के दस बज चुके हैं तपन...प्लीज कुछ करो। भैया का पता लगाओ।"

"पता लगाने की कोई जरूरत नहीं है। तुम्हारा भाई सुरक्षित है।" राज ने कॉफी का छोटा-सा चूंट भरते हुए कहा।

"इसका मतलब तुम जानते हो सतीश भैया के बारे में?"

"हां..जानता हूं।"

"फिर तुमने बताया क्यों नहीं?"

"इसलिए कि...।"

"बताओ तपन...बता मैं इस सस्पैंस के बोझ को बर्दाश्त नहीं कर सकूँगी।"

"वह...वह अस्पताल में है।"

"अस्पताल में...?" आश्चर्य से डॉली के नेत्र फैल गए-"अस्पताल में क्यों...क्याहुआ उन्हें ? जल्दी बताओ तपन उन्हें क्या हुआ?" उसने उत्तेजनापूर्ण स्वर में पूछा।


राज ने उसे भी सतीश मेहरा की भातिं अपना दूसरा नाम ही बताया था।

वह भी तपन सिन्हा के नाम से वाकिफ थी। इसलिए वह उसे तपन के नाम से ही पुकार रही थी।"

"तुम्हारे भैया का छोटा-सा एक्सीडेंट हो गया था। तुम परेशान न हो जाओ, इसलिए तुम्हारे भैया ने मुझे तुम्हें एक्सीडेंट के बारे में बताने से मना किया था।"

"मुझे भैया के पास ले चलो...फौरन...अभी इसी वक्त मुझे भैया के पास ले चलो।"

"डॉली...सुनो तो...।"

"नहीं...मुझे कुछ नहीं सुनना। जल्दी उठो...जल्दी मैं चेंज करके आती हूं तब तक तुम तैयार हो जाना।"
.
.
वह चली गई।

राज दो पल के लिए स्थिर बैठा रहा।
उसके बाद उसने भी कपड़े पहनने शुरू कर दिए। वह समझ रहा था कि अब डॉली को किसी भी प्रकार रोका नहीं जा सकता। उसके तैयार होने से पूर्व ही डॉली जल्दी-जल्दी अपने कपड़े संभालती हुई आ गई।

"अरे...तुम अभी तक...."


"तैयार हूं बाब...एकदम तैयार हूं।"

फिर राज जल्दी-जल्दी बाल संवारकर उसके साथ चलने को तैयार हो गया।

फ्लैट से बाहर आकर वे एक टैक्सी में सवार हुए और फिर जा पहुंचे उसी अस्पताल में जिसमें इंस्पेक्टर सतीश मेहरा एडमिट था।
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06-02-2020, 01:48 PM,
#24
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
डॉली राज के साथ लम्बे-लम्बे डग भरती तेजी से आगे की ओर बढ़ी चली जा रही थी। उसकी उत्तेजना में निरंतर वृद्धि होती जा रही थी। वृद्धि का कारण थी दुर्घटना की खबर और चोट खाए भाई को देखने की तड़प।

राज जब उसे साथ लेकर सतीश वाले वार्ड में पहुंचा तो चकित रह गया।

सतीश का बैडखाली था।

एक आर्डरली बैड की चादर आदि बदलने का काम कर रहा था।

"इस बैड का पेशेंट किधर गया?" राज ने आर्डरली से सम्बोधित होते हुए पूछा।

"वो इंस्पेक्टर...?" आर्डरली चादर झटकता हुआ बोली-"सुबह को ही रिलीव हो गया।"

"चला गया?"

"अभी का...कबी का...।"

"देर हो गई?"

"हां..।"

"किधर?"

"क्या बाप...पेशेंट लोग अब अपुन कू पता ठिकाना बता के तो जाते नेई।"

डॉली ने सवालिया नजरों से राज की ओर देखा। उसके चेहरे से परेशानी झलक रही थी।

जवाब देने के उपरांत आर्डरली ने वहां से खिसकने में देर न लगाई। वह जानता था कि पेशेन्ट
के लिए परेशान उसके सगेवाले बाद में उसे ही घेरेंगे। उससे ही जानकारी हासिल करने के लिए सवाल पर सवाल करेंगे। राज ने एक बार आसपास नजर दौड़ाई और फिर वह अस्पताल से बाहर निकल आया।

"कहां गए होंगे भैया...?" डॉली उसके साथ-साथ चलती हुई उत्तेजित स्वर में बोली-"वह तो कह रहा था कि भैया सुबह ही रिलीव होकर यहां से चले गए।"

___ "फिक्र मत करो...सतीश कोई बच्चा नहीं है। जरूर किसी काम से गया होगा। तुम उसके दोस्तों के बारे में अगर कुछ जानती हो तो बताओ?" राज सिगरेट सुलगाता हुआ बोला।

"तीन चार दोस्तों के बारे में जानती हूं।"

"तो फिर सबसे पहले उस दोस्त के पास ले जो यहां से नजदीक हो।"

"ठीक है...चलो।"

राज ने टैक्सी कार रुकवाई।
एक दोस्त मानखुर्द में ही रहता था, दूसरा चूना भट्टी के इलाके में और दो अन्य चर्चगेट और कोलाबा में रहते थे। टैक्सी कार के अतिरिक्त उन्होंने लोकल ट्रेन से भी यात्रा की।
लेकिन! नतीजा वही रहा...ढाक के तीन पात।

___ चारों ने एक ही जवाब दिया कि सतीश मेहरा उनके पास नहीं आया।

अन्त में दोनों इस आशय से मानखुर्द वापस लौटे कि शायद सतीश फ्लैट पर पहुंच गया हो। मगर सतीश मेहरा वहां भी वापस नहीं लौटा था।

डॉली के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें गहरी होती चली जा रही थीं।

"तपन...।" राज की ओर देखती हुई वह कम्पित स्वर में बोली-"भैया यहां भी नहीं हैं।"

उसके नेत्र एकाएक ही डबडबा गए, चेहरा रो पड़ने के लिए बिगड़ने लगा।
राज ने उसे अपनी बांहों में संभाल लिया।

"नहीं डॉली...नहीं...।" वह प्यार से डॉली के सिर पर हाथ फेरता। हुआ बोला-" सब ठीक हो ...सब ठीक हो जाएगा।"

"मुझे तो कुछ भी ठीक होता दिखई नहीं दे रहा...।" डॉली रुंधे कंठ से बोली-"उसकी आंखें छलक पड़ना ही चाह रही थीं।

__ "मेरे ऊपर विश्वास रखो डॉली। मैं तुम्हारे भाई को पाताल से भी खोज निकालूंगा।"

"समझ में नहीं आता कि भैया चले कहां गए

"जहां भी होगा, सतीश मैं उसका पता-ठिकाना मालूम करके ही रहूंगा।"
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06-02-2020, 01:48 PM,
#25
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
"कैसे...कैसे मालूम करोगे और कहां से मालूम करोगे...मुझे तो कोई भी सह नजर नहीं आ रही।"

"हिम्मत मत हारी...अगर हिम्मत हार जाओगी तो कुछ भी रह नहीं जाएगा। अब मैं तुमसे जैसा कह रहा हूं तुम वैसा ही करती जाओ। ओ. के.।"

डॉली ने दुखी भाव से स्वीकृति में गर्दन हिला दी।"

"यहां से तुम सीधी अपने भैया के पुलिस स्टेशन जाओगी और वहां से जितनी भी जानकारी मिल सके उसे लेकर आगेगी।"

"ठीक है।"

"मैं तुम्हे बाद में मिलूंगा।"

"कहां मिलोगे...?"

"इसी ठिकाने पर।"

"पुलिस स्टेशन मैं अकेली जाऊंगी।"

"पुलिस स्टेशन अकेले जाने में क्या परेशानी है और फिर दिन है। दिन के समय तो तुम सुरक्षित हो ही। रात में अकेली मत निकलना।"

"ठीक है।"

"मैं तुम्हारे भैया की तलाश में जाऊंगा। मुझे लौटने में थोड़ी देर हो सकती है। तुम मेरा यहीं इंतजार करना। वैसे मैं यहां रिंग करके हालात की सूचना तुम्हें देता रसूंगा।"

"ओ. के. ! मैं जाती हूं।"

"जाओ...।"

डॉली वहां से चली गई।


उसके चले जाने के बाद राज ने अपने माउजर में नई मैगजीन लगाई और फिर सिगरेट सुलगाकर वह भी वहां से निकल पड़ा।

टैक्सी पकड़कर वह एक बार फिर अस्पताल जा पहुंचा।

उसने काला चश्मा लगाकर अंदर कदम रखा। वह सहज भाव से अस्पताल के विभिन्न भागों में घूमता रहा। वहां तहकीकात करने से पहले उसने अंदर का जायजा ले लेना उचित समझा। वह जल्दबाजी में कोई भी काम करना नहीं चाहता था।

तीस मिनट की मुसलसल निगाहबीनी के पश्चत् उसने अस्पताल के अन्दर एक ऐसी नर्स को तलाश कर लिया जो हर तरह से पैसा बनाने में लगी रहती थी। किसी भी प्रकार का गलत काम करने से उसे कोई हिचकिचाहट नहीं होती थी।

नर्स तीस के ऊपर थी और चेहरे से ही फरचट नजर आती थी।

नाम था सुन्दरी। सुन्दरी के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए राज ने आर्डरली को चाय के साथ तगड़ा नाश्ता भी कराया था। उसने अपना परिचय एक पेशेंट के सहयोगी के रूप में दिय था। उसने आर्डरली को बताया था कि वह एक पेशेंट को अस्पताल में एडमिट करना चाहता है और उसे उस पेशेंट के लिए अतिरिक्त सुविधा की जरूरत है।

तब आर्डरली ने बताया कि वह सुन्दरी से मिले...सुन्दरी इस अस्पताल का प्रत्येक कार्य करने में सक्षम है।

___ राज ने सुन्दरी की तलाश की। सुन्दरी के दर्शन होते ही वह समझ गया कि वह उसके मतलब की औरत है।

"मैडम...।" राज सुन्दरी को कारीडोर के मोड़ पर सुनिश्चित तरीके से रोकते हुए बोला "आपसे एक निवेदन है...।"

सुन्दरी चौंकती हुई जब तक उसके सामने रुकी तब तक राज उसके हाथ में सौ-सौ के तीन-चार नोट दबा चुका था। नोटों की गर्मी महसूस होते ही सुन्दरी तुरन्त मुस्करा उठी। व्यावसायिक मुस्कान अपने चेहरे पर लाती हई वह बोली-"हुक्म करें...मैं अपने बस भर आपके प्रत्येक हुक्म को पूरा करने की कोशिश करूंगी।"

"मेरा काम थोड़ा गोपनीय है...कान्फीडेंशियल...।"

"सुन्दरी की यही तो विशेषता है कि कभी इधर की बात उधर नहीं हो सकती। बाएं हाथ ने क्या काम किया, इस बात की खबर कभी दाहिने हाथ को नहीं होपाती।"


"क्या बात करने के लिए कोई सही जगह है...जहां एकांत हो।"

"हां-हां, क्यों नहीं...।"

"तो वहीं चलो और अगर जगह सही न हो तो हम बाहर चलते हैं।"
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06-02-2020, 01:48 PM,
#26
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
"बाहर चलने की कोई जरूरत नहीं है। बंदा-परवर...मैं यहीं इंतजाम किए देती हूं।"

"फिर ठीक है।"

"आइए मेरे साथ।" सुन्दरी उसे मार्ग दिखाती हुई आगे-आगे चल पड़ी।

विनोद्र सावधानी के साथ उसके साथ चलता रहा। वह उसे एक ऐसे कमरे में ले आई जहां पूरी तरह एकांत था। यहां वहां कितनी ही अलमारियां थीं जिनमें तमाम सामान रखा हुआ था।

"ये किसका कमरा है।" राज ने उससे पूछा।"

"नसों की ड्यूटी चेंज के समय इसका प्रयोग किया जाता है।"

"फिर तो यहां कभी-भी कोई भी आ सकता

"नहीं...यहां कोई नहीं आएंगा।"

"क्यों?"

"इसलिए कि फिलहाल किसी को न तो ड्यूटी लगनी है और ना ही बदली जानी है।"

"आर यू श्योर...।"

"यस।"

"फिर ठीक है।"

"आप चाहें तो कमरे का दरवाजा भी बंद किया जा सकता है।"

सुन्दरी ने अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कराते हुए कहा।

"नहीं...सामने से नजर आ रहा है। अगर को ई इधर आता दिखाई देगा तो हम उसके आने से पूर्व ही अपनी बात बंद कर देंगे।"

"ओ. के.!"

"तुम बाहर एक बार देख लो।'

सुन्दरी ने तुरन्त आज्ञा का पालन किया। वह बाहर निकलकर शीघ्र ही वापस लौट आयी।


"सब ठीक है।"

"ठीक है...तो फिर सुनो, मुझे यहां के एक पेशेंट की कहानी मालूम करनी है।"

"कैसी कहानी ?"

"मतलब, उसके बारे में, उसके एडमीशन से लेकर उसके रिलीव होने तक के बारे में सब-कुछ जानना।"

“पेशेंट का नाम।"

"सतीश मेहरा...."

"किस वार्ड में था?"

"राज ने बताया।

"पुलिस वाला था...।" सुन्दरी ने शकित स्वर में उससे पूछा।

"हां...।"

"घायल था।"

"बिल्कुल ठीक।"

"कल सत आया था।"

"हां।" सुन्दरी रहस्यपूर्ण ढंग से मुस्करायी।

"जानती हो उसके बारे में।"

"जानती हूं...।"

उसकी स्वीकृति और उसकी मुस्कराहट देखते ही राज समझ गया कि उसने गलत जगह से अपनी तहकीकात का सिलसिला शुरू नहीं किया
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06-02-2020, 01:49 PM,
#27
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
__ "मैं उसी पुलिस इंस्पेक्टर सतीश मेहरा के बारे में जानना चाहता हूं।"

"क्या जानना चाहते हो...? ये कि उसे घटिया किस्म का ट्रीटमेंट देने को किसने कहा था?"

"नहीं।"

"तो फिर?"

"मैं ये जानना चाहता हूं कि इतनी सुबह उसे अस्पताल से क्यों और कैसे रिलीव कर दिया गया?"

"आई सी...।" सुन्दरी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा-"तो तुम इस बात से भी वाकिफ हो?"

"पूरी तरह नहीं...पूरी तरह वाकिफ कराओगी तुम..."

"एक टेलीफोन आया था कि फौरन इंस्पेक्टर सतीश मेहरा को रिलीव कर दिया जाए। डाक्टर ने कहा भी कि वक्ती तौर पर उसे रिलीव करना उचित नहीं है। उसे दोपहर बाद या शाम तक रिलीव कर दिया जाएगा...।"


"फिर?"

"डाक्टर को कठोर आदेश दिए गए और फिर सतीश मेहरा को जबरन यहां से रिलीव कर दिया गया। तब ठीक से सुबह नहीं हुई थी।"

"आदेश कहां से आया था?"

"इस बारे में जानकारी करने की मैंने कोशिश तो की थी मगर कामयाबी हासिल नहीं हो सकी थी। कोई रहस्यमय शक्तिशाली आदमी था जिसने ऐसा किया था।"

__ "वह कौन था? इस बात की कोई फिक्र नहीं ...तुम सिर्फ रिलीव होने के बाद की कोई बात हो तो बताओ?"

__ "बाहर निकलते ही जैसे ढेर सारे जंगली कुत्ते किसी एक छोटे-से जानकार को घेर लेते हैं, ठीक वैसे ही उसे घेर लिया गया। अस्पताल के बाहर एकाएक ही शोर उभरने लगा। उसके बाद भाग-दौड़ मच गई।"

"फिर?"

"फिर नहीं मालूम। सिर्फ इतना मालूम हो सका था कि वो पुलिसिया लालबत्ती क्रासिंगकी तरफ निकल भागा था और उसके दुश्मन उसके पीछे थ।"

"और कुछ...?"

"उड़ती-उड़ती बातें सुनने को मिली हैं।"

"कौन-कौन सी?"

"कोई कहता है कि वो भाग निकला और किसी का कहना है कि लालबत्ती से आगे उसे मार डाला गया। लम्बे-लम्बे छुरों से उसे चीर डाला गया।"

"तुम्हें किसकी बात में दम लगी?"

"शायद वो मारा ही गया है। क्योंकि बताने वाले का कहना था कि अगर उसका विश्वास न हो तो जाकर देख आओ...फुटपाथ पर जहां पोस्ट बॉक्स लगा है उसके ठीक सामने खून ही खून पड़ा है

"खून...

" "हां।"

"क्या वो खुन अभी-भी पड़ा है?"

"अब मैंने तो देखा नहीं लेकिन अगर तुम चाहो तो वहां जाकर तस्वीक कर सकते हो।"

"थैक्यू...थेंक्यू वैरीमच सुन्दरी...मैं तुम्हें बाद में मिलूंगा-अगर इस मामले में तुम्हारे पास कोई महत्वपूर्ण जानकारी आ जाए तो मैं तुम्हें उसकी भी कीमत अदा कर दूंगा।"

"मैं कोशिश करूंगी।" राज वहां से बाहर निकल आया। उसने लालबत्तीक्रासिंगकी राह पकड़ी।

लालबत्तीक्रासिंगसे आगे निकलने के बाद उसने फुटपाथ पर लगा पोस्ट बॉक्स तलाश किया। पोस्ट बॉक्स तलाश करने में उसे किसी प्रकार की कठिनाई नहीं उठानी पड़ी। पोस्ट बॉक्स दूर से नजर आ गया। पोस्ट बॉक्स के करीब पहुंचकर उसने निरीक्षण किया।

फुटपाथ पर लोगों का आवागमन जारी था। दिन काफी चढ़ आया था। हर आदमीअपने काम से आ-जा रहा था। उसने गौर से फुटपाथ का निरीक्षण आरंभ कर दिया। एक स्थान पर उसे सूखा हुआ खून पड़ा दिखाई दे गया।
उस खून के दाएं-बाएं दो ईंटें रखकर घेरा बना दिया गया था।

___ वह उस सूखे हुए खून को दूर से देखने के बाद ये नोट करने की कोशिश करने लगा कि कोई उसकी ओर देख तो नहीं रहा है।

निरीक्षण के उपरान्त उसने पाया कि कोई भी उसे देख नहीं रहा था। प्रत्येक आदमी बिजी था और उसे जैस उसे खून से कुछ भी लेना-देना नहीं था।

खून को देखने के बाद उसका हलक सूखने लगा। उसे लगा कि सुन्दरी की बात अपनी जगह बिल्कुल सही थी और अगर सुन्दरी सही थी, उसकी इंफार्मेशन सही थी तो फिर यकीकन सतीश की हत्या हो चुकी थी।
लेकिन...।
अगर सतीश की हत्या हो चुकी थी तो फिर लाश। इस सवाल ने उसके दिमाग के तारों को हिला डाला। उसकी जिज्ञासा वहां घटित होने वाली घटना की जानकारी के लिए बढ़ने लगी।

सिगरेट सुलगाने के उपरांत वह आसपास के क्षेत्र में चक्कर लगाने लगा। उसे अब एक ऐसे आदमी की तलाश थी जो कि उसे वहां घटने वाली घटना का विवरण दे सके।

फुटपाथ पर उसने एक चाय के होटल को पाया जो अति व्यस्त था। एक पेड़ के नीचे उसने थोड़ी सी जगह में बैंच डालकर चाय बनाने का काम शुरू कर रखा था। तेरह-चौदह साल का उसके पास एक छोकरा था जो चाय ग्राहक तक पहुंचाने का काम कर रहा था।

__छोकरे को हीरो बनने का शौक साफ दिखाई दे रहा था।

उसने सस्ती सी जींस और लाल रंग की चमकदार बनियान पहनी हई थी। उसके बाल हर दस मिनट के बाद दोनों हाथों की उंगलियों के जरिए दांए-बाएं से संवार दिए जाते थे।
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06-02-2020, 01:49 PM,
#28
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
राज ने उसकी रीडिंग करने के बाद उसे तब पकड़ा जब वह एक दुकानदार को चाय देकर लौट रहा था। होटल के पीछे का हिस्सा था।

"क्यों हीरो...सिगरेट पियेगा।" उसने छोकरे की ओर सिगरेट का पैकेट बढ़ाते हुए पूछा।


छोकरे ने अचम्भे से पहले अजनबी को देखा फिर सिगरेट के पैकेट से एक सिगरेट निकाल ली।

उसे अजनबी के चेहरे पर दोस्ताना भाव नजर आए।

"तेरा होटल सुबह कितने बजे खुल जाता है...।" राज ने उसकी सिगरेट अपने लाइटर से जलाते हुए पूछा।

"क्यों...।" उसके सवाल के जवाब में राज ने तुरन्त एक पचास का नोट उसकी ओर बढ़ा दिया।
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"बहुत सुबह खुल जाता है...इसलिए क्योंकि कोयले तोड़ने पड़ते है...भट्टी सुलगानी पड़ती है। इस काम में बहुत टाइम लग जाता है। लेकिन बाबू साहब! तुम हो कौन...?" जानकारी देते-देते एकाएक हो उसने चौंकते हुए सवाल किया।

"सवाल नहीं बच्चे सिर्फ उतना बता जितना तुझसे पूछा जाए।" कहने के साथ ही राज ने । उसकी ओर एक और पचास का नोट बढ़ाया। देने को वह उसे ढेर सारे रुपये दे सकता था लेकिन ज्यादा मोटी रकम देखकर छोकरा भड़क सकता था, डर सकता था कि कहीं कोई लम्बा चक्कर है, इसलिए जानकारी को छिपा भी सकता था।

"पूछा बाबू साहब...।"

"तो तू बहुत सुबह आ जाता है।"

"हो।"

"आज सुबह तूने यहां कुछ होते हुए देखा था क्या...।"

छोकरे ने उसे घूरकर देखा।

"इस तरह घूरकर क्या देख रहा है...मेरे सवाल का जवाब द...।"

"सुबह-सुबह बहुत कुछ होते हुए देखा। गाड़ियों का निकलना देखा...आदमियों का चलना देखा...अखबार वालों का चिल्लाना देखा।"

__ "अब मतलब का बात बोल...कोई लफड़ा होते दखा...कोई मारपीट...कोई छुरी चाकू...कोई मवाली...बोल-बोल-देखा किसी को।"

छोकरा खामोश रह गया। बोला कुछ भी नहीं।

राज उसके चेहरे को पड़ने की चेष्टा करने लगा। फिर जब छोकरा सिगरेट के कश लगाने में व्यस्त हो गया तब उसकी समझ में आया कि कुछ और चाहता है वह।

उसने तुरन्त जेब से एक सौ का एक पत्ता खींचकर उसके हाथ पर रखा-"अब तो बोल मेरे बाप...।"

___ "एक आदमी था...जो बचकर भागने की कोशिश कर रहा था और कुछ लोग उसे मारने के लिए छुरी चाकू लेकर उसके पीछे भाग रहे थे।"

"कौन था वह...?"

"मुझे क्या मालूम..."

"वहां पोस्ट बॉक्स के करीब ढेर सारा खून पड़ा हुआ है...।"

"उसी आदमी का है...।"

"तो क्या उन लोगों ने उसे मार डाला..?"


"कह नहीं सकता।"

"क्या लाश को अपने साथ ले गए।"

"नहीं।"

"फिर।"

"उस आदमी को किसी तरह मौका मिल गया था। बड़ा बहादुर आदमी था। इतने सारे लोगों से अकेला लड़ रहा था। फिर मौका मिलते ही उसने पुल से नीचे छलांग लगा दी।"

"पुल तो काफी ऊंचा है।"

"उसकी किस्मत अच्छी थी...नीचे से एक ट्रक गुजर रहा था। वह उसी ट्रक के ऊपर गिरा था ।"
"तुझे अच्छी तरह मालूम है कि वह ट्रक के ऊपर गिरा था।"

"अच्छी तरह।"

"यानी वह मरा नहीं बच गया।"

"कुछ कहा नहीं या सकता।"

"क्यों...।"

"इसलिए कि उसके दुश्मन तुरन्त हो एक कार में सवार होकर वहां से उस ट्रक के पीछे चल पड़े थे।

"तूने बराबर देखा था न।"

"एकदम बराबर...।"

"उसके बाद।"

"उसके बाद क्या बाप...फिर अपुन कुछ नेई देखा..."

"यानी आगे का कुछ नहीं मालूम।"

"नहीं।" राज गहरे सोच में डूब गया।"

"अपुन चलता बाप..."

"हां तू जा...।"

छोकरा चला गया। राज ने सिगरेट सुलगाई और फिर वह वहां से वापस चल पड़ा।

उसका दिमाग सतीश मेहरा के बारे में सोच-सोचकर परेशान हो रहा था। वहां आकर पहला झटका उसे ये लगा था कि सतीश की हत्या हो गई है लेकिन छोकरे से मिलने के बाद जो जानकारी उसे मिली, उससे कम से कम इतना तो साबित हो ही गया था कि सतीश अपने दुश्मनों का जाल तोड़कर निकल भागने में कामयाब हो गया था।
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06-02-2020, 01:49 PM,
#29
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
उसका दिमाग सतीश मेहरा के बारे में सोच-सोचकर परेशान हो रहा था। वहां आकर पहला झटका उसे ये लगा था कि सतीश की हत्या हो गई है लेकिन छोकरे से मिलने के बाद जो जानकारी उसे मिली, उससे कम से कम इतना तो साबित हो ही गया था कि सतीश अपने दुश्मनों का जाल तोड़कर निकल भागने में कामयाब हो गया था।

अब सवाल ये था कि सतीश था कहां...कहीं उसे उसके दुश्मनों में दोबारा तो अपनी गिरफ्त में नहीं ले लिया था।

एक के बाद एक विचार उसके दिमाग में आ-आकर उसे परेशान करते जा रहे थे।

अब उसके सामने कोई रास्ता भी बाकी नहीं रह गया था।

नई सिगरेट सुलगाकर वह वापस लौट चला।

सतीश मेहरा के फ्लैट पर वापस लौटने पर उसे वहां डॉली गमगीन मुद्रा में बैठी मिली। एक पीले रंग का लिफाफा उसके हाथ में था। \

"भैया मिले...?" राज को देखते ही वह जिज्ञासा भरे स्वर में बोली।

___ "नहीं..।" राज ने थके हुए स्वर में कहा "लेकिन ऐसा भी नहीं है कि तुम्हारा भैया मिलेगा ही नहीं...वह मिलेगा..जरूर मिलेगा। वक्त खराब है इसलिए कोई भी काम ठीक तरह से हो नहीं पा रहा है, वक्त बदलते देर नहीं लगती। सही वक्त आने पर सब-कुछ अपने आप ही ठीक हो जाएगा।"

"शायद तुम ठीक ही कह रहे हो...वक्त खराब है...।"

उसकी उदासी को देखकर अंदर ही अंदर राज चौंका। फिर उसकी नजर उसके हाथ के लिफाफे पर पड़ी।

"पुलिस स्टेशन गई थीं तुम...?" उसने दबे हुए स्वर में पूछा।

"हां गई थी।"

"वहां कुछ पता चला...?"

"वहां भी यही बताया जा रहा है कि सतीश मेहरा वहां नहीं आए। उनके खिलाफ तो जैसे पूरा पुलिस स्टेशन था। वहां बताया गया कि सतीश मेहरा से स्पष्टीकरण मांगा गया है। नोटिस सर्व नहीं हो पा रहा था। भैया का नोटिस उन्होंने मुझे दे दिया। मुझसे हस्ताक्षर भी करवा लिए...।"

_ "हूं...।" राज ने लम्बी विचारपूर्ण हुंकार

"इसका मतलब कार्यवाही अमल में लाई जाने लगी है।"

"कैसी कार्यवाही?"

"सतीश के दुश्मन सतीश के खिलाफ जाल बिछा रहे हैं...।"

"वही लोग जो मुझे किडनैप करने की कोशिश कर रहे थे...?"

"हां वही...।"

"अब क्या होगा...भैया हैं नहीं और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही अमल में लाई जा रहीं है। इसके जवाब में अगर कुछ न किया गया तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है।"

"ठीक कह रही हो।"

"कुछ करो न...मेरा तो दिमाग काम ही नहीं कर रहा है...।"

"पहला काम तो यह है कि तुम पुलिस में अपने भैया के गायब हो जाने की रिपोर्ट दर्ज करवा दो ताकि स्पष्टीकरण के विरोध में विभाग और आगे किसी प्रकार की कार्यवाही न कर सके...।"

"ठीक..."

"और दूसरा काम ये कि किसी प्रेस रिपोर्टर से मिलकर इस प्रकरण को प्रेस मीडिया तक पहुंचा दिया जाए। क्योंकि जब बात प्रेस में पहुंचेगी तब ही दुश्मन दबेगा वरना वह बखौफ होकर जुल्म करता चला जाएगा।"

"रिपोर्ट तो मैं कर दूंगी लेकिन प्रेस रिपोर्टर की तलाश कहां करूंगी...?"

__ "तुम पहले रिपोर्ट कर आओ-तब तक मैं प्रेस रिपोर्टर का इंतजाम करता हूं।" कहने के साथ ही राज ने डॉली के हाथ से लिफाफा लेकर अंदर से स्पष्टीकरण वाला कागज निकाल लिया।

स्पष्टीकरण में मंत्री जी के अपमान वाला चार्ज ही लगाया गया था और सतीश से तीन दिन के अंदर उसका जवाब मांगा गया था, साथ ही उसमें ये भी लिखा था कि निश्चित अवधि के अंदर यदि जवाब न दिया गया तो ये मान लिया जाएगा कि तुम्हें अपना अपराध कबूल है।

___"रिपोर्टदर्ज कराने मैं अकेली ही जाऊं...?" डॉली ने उसकी ओर देखते हुए पूछा।

"डॉली...दरअसल पुलिस से मेरी पुरानी रिश्तेदारी है। मैं नहीं चाहता कि बार-बार पुलिस के सम्पर्क में आकर मेरा कोई रिश्तेदार मुझे परेशानी में डाल दे।"

"पुलिस में रिश्तेदारी...?" डॉली ने हैरानी से उसकी ओर देखा।

"हां।" राज मुस्कराया।

"तब तो तुम्हें अपने रिश्तेदारों को तलाश कर लेना चाहिए उससे फायदा तो हमें ही मिलेगा।"

"मेरे रिश्तेदार हमेशा मेरा बोरिया-बिस्तर गोल करने के चक्कर में लगे रहते हैं।"

"ये कैसे रिश्तेदार हुए...?"

"ये ऐसे ही रिश्तेदार है।"

"कमाल है...तुम्हारे रिश्तेदार तुम्हारे ही दुश्मन...।"

"तुम मेरे रिश्तेदारों से अभी वाकिफ नहीं हो।" वह मुस्कराता हुआ बोला।

"कहीं कुछ गड़बड़ है...तुम मुस्करा भी रहे हो और पुलिस वालों को अपना रिश्तेदार भी बता रहे हो।"

"तुम नहीं समझोगी...दरअसल अभी मैं इस स्थिति में हूं नहीं कि तुम्हें पूरी बात बता सकू।"

"ठीक है...मैं रिपोर्ट दर्ज कराने जाती हूं।"
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06-02-2020, 01:50 PM,
#30
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
डॉली रिपोर्ट दर्ज कराने चली गई।

राज सिगरेट सुलगाकर बाहर आ गया।

अब वह सोच रहा था कि प्रेस रिपोर्टर की बाबत क्या किया जाए। कहने को उसने डॉली से कहे तो दियार कि वह प्रेस रिपोर्टर का इंतजाम करता है, मगर प्रेस रिपोर्टर का इंतजाम करेगा कैसे? उसकी तो किसी से पहचान है भी नहीं। सोचते-विचारते उसने पूरी सिगरेट फूंक डाली।

अंत में वह इसी नतीजे पर पहुंचा कि उसे अपने मुम्बई वाले दोस्त जय और परेरा की मदद लेनी ही होगी।

उस नतीजे पर पहुंचते ही वह वापस फ्लैट में लौटा और उसने फोन पर जय और परेरा के घाटकोपर वाले आफिस का नम्बर डायल कर दिया।
.
'एस. पी. बिल्डर्स...।" दूसरी ओर से खनकदार नारी स्वर उभरा।

"तुम कौन हो?" राज ने अचम्भित स्वर में पूछा।

"जी...मैं रिसेप्शनिस्ट हूं...आपको किससे बात करनी?"

___ "एस और पी में से जो भी वहां मौजूद हो उसी से...।"

"जय साहब हैं।"

"उन्हें बुलाओ।"

"पण जय साहब बिजी हैं, आप बाद में फोन करना।"

"उसे बोल, राज का फोन है...।"

"कौन राज?"

"राज शर्मा...।"

"लेकिन साहब की मीटिंग...।"

"तू खबर कर...उसके बाद मीटिंग के बारे में बोलना।" इस बार राज सख्त लहजे में बोला।

दूसरी ओर लाइन पर खामोशी छा गई। एक मिनट बाद...।

"हां-हैलो बाप...अपनाजय...।" दूसरी ओर से जय का हांफता हुआ स्वर उभरा। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो बहुत दूर से दौड़ता हुआ टेलीफोन तक पहुंचा हो।

"कैसा है तू...बढ़िया...?" राज ने उसकी आवाज पहचानते हुए कहा।

"एकदमिच बढ़िया...।"

"और परेरा।" राज ने उससे पूछा-"वो कहां है...?"

"परेरा को तो बाप बाहर का हवा लगेला है। उसका पांव का अन्दर में चक्कर होएला बाप...।"

"चक्कर उसे कहां ले गया है।"

"हांगकांग गएला है वो बिडूं...और इस बार तो अपुन कू बोल को भी नेई गया।"

"कोई चक्कर है क्या?"

"नेई चक्कर नेई...बिजनेस का वास्ते जाएला है।"

"फिर तो बराबर है न...तरक्की कर रहा है।"
-
..
___ "सब तुमेरा आशीर्वाद है बाप...तुमेरा दिया है...उसका ऊपर चार माले का बिल्डिग बनाने का
और क्या...पण बाप अबी तुम है किधर और किधर से बोलेला है?"

___ "ठहरा चैम्बूर हूं लेकिन अभी मानखुई से बोल रहा हूं..।"

"क्या बाप...कभी अपुन को रेलवे स्टेशन से एयरपोर्ट से...किधर से भी डायरेक्ट फोन करको बुलाने का...डायरेक्ट ट्यूनिंग बनाने का...जभी भी मिलाता कधिरठिकाना बनाने का बादइच मिलता...क्या बाप...क्या अपुन कू सगेवाला नेई समझता...अरे अपुन सगेवाला से बढ़ को है...कभी टेम पड़ा तो अपुन बताएंगा...तुमेरे कू दिखाएंगा।"

___ "बेकार की बातें मत कर और ये बता कि क्या कोई प्रेस रिपोर्टर ऐसा तेरी नजर में है जो ईमानदारी से कलम से पेट पालता हो...आज के माहौल में जिसे पागल कहा जाता हो...जो किसी भी बड़ी से बड़ी ताकत से टकरा जाने से डरता न हो।"

"ऐसा प्रेस रिपोर्टर से तुमेरे कू क्या काम पड़े ला है बाप...?"

"मैं तुझसे जो कुछ पूछ रहा हूं तूने सिर्फ उसका ही जवाब देना है...क्या।" राज जय की टोन में थोड़ा सख्ती लाता हुआ बोला।
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