Thriller विक्षिप्त हत्यारा
08-02-2020, 01:10 PM,
#51
Thriller विक्षिप्त हत्यारा
फ्लोरी ने हैरानी से उसकी ओर देखा और बोली - "क्या किस्सा है, राजा ?"
"कोई किस्सा नहीं है" - सुनील हड़बड़ा कर बोला - "मैंने केवल एक सवाल पूछा है ।"
फ्लोरी कुछ क्षण चुप रही और फिर बोली - "और कोई रास्ता नहीं है ?"
"नैवर माइन्ड ।" - सुनील बोला और उसने अपनी बांह फ्लोरी की एक बांह में डाल दी ।
वे मैड हाउस से बाहर निकल आये ।
मोटा आदमी सामने रेलिंग के साथ लगा हुआ सिगरेट पी रहा था ।
"कहां चलें ?" - फ्लोरी ने पूछा ।
"कोलाबा ।" - सुनील बोला ।
"अगर कोलाबा ही जाना था तो मैड हाउस में क्या खराबी थी ?"
"वहां दम घुट रहा था ।"
फ्लोरी फिर नहीं बोली । दोनों आगे बढे । लिबर्टी सिनेमा के बगल में ही लिबर्टी बिल्डिंग की पहली मंजिल पर स्थित कोलाबा की सीढियां थीं । वे रेस्टोरेन्ट में पहुंचे और कोने की मेज पर बैठ गये ।
थोड़ी देर बाद ही मोटा आदमी भी रेस्टोरेन्ट में प्रविष्ट हुआ और उनसे थोड़ी दूर एक खाली मेज पर बैठ गया ।
एक वेटर सुनील की टेबल पर आया । उसने सुनील के सामने मीनू रख दिया ।
सुनील ने डिनर का ऑर्डर दिया ।
वेटर चला गया ।
सुनील ने जेब से लक्की स्ट्राइक का पैकेट निकाला । उसने एक सिगरेट फ्लोरी को दिया, एक खुद लिया और फिर पहले फ्लोरी का और फिर अपना सिगरेट सुलगा लिया । दोनों छोटे-छोटे कश लगाते हुए सिगरेट का आनन्द लेने लगे ।
सुनील ने अपनी कलाई पर बन्धी घड़ी पर दृष्टिपात किया ।
पौने बारह बजने वाले थे ।
उसने मन ही मन हिसाब लगाया और यह फैसला किया कि टैक्सी ड्राइवर गजराज अब तक जरूर यूथ क्लब पहुंच चुका होगा ।
"मैं एक मिनट में आया, डार्लिंग ।" - सुनील बोला । उसने सिगरेट ऐश ट्रे में झोंक दिया और उठ खड़ा हुआ । रेस्टोरेन्ट के मुख्य द्वार के पास दीवार पर कायन बॉक्स लगा हुआ था । सुनील उसके समीप पहुंचा, उसने हुक से रिसीवर उठाया और यूथ क्लब का नम्बर डायल कर दिया ।
दूसरी ओर से उत्तर मिलते ही उसने तत्काल कायन बॉक्स में सिक्के डाले और फिर बोला - "रमाकान्त, प्लीज ।"
"जरा होल्ड कीजिये ।" - दूसरी ओर से कोई पुरुष स्वर सुनाई दिया ।
सुनील रिसीवर कान से लगाये प्रतीक्षा करने लगा ।
थोड़ी देर बाद उसके कान में रमाकांत की आवाज पड़ी - "हल्लो, रमाकांत स्पीकिंग ।"
"रमाकांत" - सुनील गम्भीर स्वर में बोला - "मैं सुनील बोल रहा हूं ।"
"बोलो, प्यारयो । कहां से बोल रहे हो ?"
"मैंने अभी एक टैक्सी ड्राइवर के हाथ तुम्हारे पास एक तस्वीर भेजी थी । वह तुम्हें मिल गई है ?"
"वह तस्वीर तुमने भेजी थी ?"
"हां ।"
"मैं तो उसे रद्दी की टोकरी में फेंकने लगा था । पहले तो मैं समझा कि किसी ने मजाक किया था । फिर सोचा शायद मामला गम्भीर हो । शायद चिड़ियाघर से कोई जानवर पिंजरा तोड़कर निकल भागा हो और चिड़ियाघर के अधिकारी नगर में हर जगह उसकी तस्वीर भेज रहे हों ताकि उसे पहचानने में आसानी रहे और जिसके हाथ में वह जानवर आ जाये वह उसे चिड़ियाघर में वापिस पहुंचा दे ।"
"रमाकांत, मजाक बन्द करो ।"
"ओके ।"
"जिस 'जानवर' की तस्वीर मैंने तुम्हें भेजी है, उसका नाम मुकुल है । वह मैजेस्टिक सर्कस पर लिबर्टी बिल्डिंग में स्थित 'मैड हाउस' नाम के डिस्कोथेक में गिटार बजाता है और विलायती गाने गाता है ।"
"यह देसी हिप्पी विलायती गाने गाता है ?"
"हां । और उसका हिप्पी का लिबास फ्रॉड भी हो सकता है ।"
"क्या मतलब ?"
"मतलब यह कि शायद वह कोई जरायमपेशा आदमी या फरार मुजरिम हो या पुलिस और परिस्थितियों की निगाहों से छुपने के लिये ही शायद उसने यह रूप धारण कर लिया हो ।"
"तुम यह सब अपने वड्डे भापा जी को क्यों बता रहे हो ?"
"मुझे इस आदमी के बारे में जानकारी चाहिये ।"
"कैसी जानकारी ?"
"इसके पिछले जीवन के बारे में जो कुछ भी जान पाओ ।"
"यह राजनगर का ही रहने वाला है ?"
"नहीं ।"
"तो फिर ?"
"वैसे तो पिछले कुछ समय में यह भारत के कई नगरों में धक्के खाता रहा है लेकिन मुझे विश्वस्त सूत्रों से मालूम हुआ है कि वास्तव में बम्बई का रहने वाला है । तुमने मुझे एक बार बताया था कि बम्बई तुम्हारा कोई कान्टैक्ट है । अगर राजनगर में तुम्हें इसके बारे में कोई जानकारी हासिल न हो पाये तो इस तस्वीर को अपने बम्बई वाले आदमी के पास भेज दो । वैसे मुझे आशा नहीं है कि राजनगर में इसके बारे में कोई जानकारी हासिल हो सके । राजनगर में वह सात-आठ महीने पहले ही आया है ।"
"यह बात पक्की है कि वह बम्बई का ही रहने वाला है ?"
"मुझे किसी दूसरे आदमी ने बताया है लेकिन मुझे बात पक्की ही मालूम होती है ! वैसे भी सुना है कि बातों में बम्बई का जिक्र आ जाने पर वह बात को टालने की कोशिश करने लगता है ।"
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08-02-2020, 01:10 PM,
#52
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उसी क्षण बत्ती हरी हुई ।
सुनील सड़क पार कर गया, लेकिन वह अपनी मोटरसाइकल के लिये पार्किंग की ओर बढने के स्थान पर टैक्सी स्टैण्ड की ओर बढा ।
एक टैक्सी ड्राइवर ने उसे अपनी टैक्सी में बैठने का संकेत किया ।
सुनील टैक्सी में जा बैठा ।
"किधर चलूं, साहब ?" - टैक्सी वाले ने पूछा ।
सुनील ने मैड हाउस की ओर देखा ।
लिबर्टी बिल्डिंग की साइड में से एक काली फियेट निकली । एक क्षण के लिये वह मैड हाउस के सामने रेलिंग के साथ सड़क पर रुकी । सुनील ने मोटे आदमी को जल्दी से फियेट का पिछला दरवाजा खोल कर भीतर बैठते देखा । फिर फियेट फौरन आगे बढी और सुनील की टैक्सी के पीछे लग गई ।
लिबर्टी बिल्डिंग से सौ गज आगे ही एक अन्य चौराहा था, जिस पर ट्रैफिक सिग्नल की लाल बत्ती चमक रही थी ।
सुनील ने मन ही मन कुछ फैसला किया और फिर ड्राइवर से बोला - "सुनो, तुम्हारा नाम क्या है ?"
"गजराज ।" - ड्राइवर बोला ।
"गजराज ।" - सुनील बोला - "यहां से हर्नबी रोड के साढे चार रुपये लगते हैं । तुम मेरा एक काम कर दो तो मैं तुम्हें दस रुपये दूंगा ।"
"क्या काम, साहब ?" - ड्राइवर सशंक स्वर से बोला ।
"तुमने हर्नबी रोड पर स्थित यूथ क्लब देखी है ?"
"देखी है, साहब ।"
सुनील ने अपनी जेब से मुकुल की तस्वीरों वाला लिफाफा निकाला । लिफाफे की दो तस्वीरें में से एक उसने लिफाफे में ही रहने दी और दूसरी तस्वीर उसने वापिस अपनी जेब में रख ली, फिर उसने लिफाफा और दस रुपये का एक नोट ड्राइवर की ओर बढा दिया।
"यह लिफाफा यूथ क्ल्ब में रमाकांत नाम के साहब को दे आना ।"
"आप साथ नहीं चल रहे हैं ?"
"नहीं । मैं यहीं उतर रहा हूं ।"
"अगर रमाकांत साहब क्लब में न हुए तो ?"
"तो लिफाफा रिसैप्शन पर छोड़ आना और रिसैप्शनिस्ट को बता देना कि लिफाफा रमाकांत के लिये है ।"
ड्राइवर ने सुनील से लिफाफा और नोट ले लिया और बोला - "अच्छी बात, साहब ।"
उसी क्षण चौराहे की बत्ती लाल हो गई ।
सुनील जल्दी से टैक्सी का दरवाजा खोलकर बाहर निकल आया और फुटपाथ पर आ खड़ा हुआ ।
काली फियेट थोड़ी आगे बढी, फिर रुकी और फिर मोटा आदमी भी उस में से बाहर निकल आया । फियेट आगे बढ गई ।
सुनील को अब इस विषय में कोई सन्देह नहीं था कि मोटा उसके पीछे लगा हुआ था ।
सुनील ने अपनी कलाई घड़ी पर दृष्टिपात किया ।
सवा ग्यारह बजे थे ।
सुनील दुबारा 'मैड हाउस' में घुस गया ।
इस बार गेटकीपर ने उसे रोकने का उपक्रम नहीं किया । पता नहीं वह नोट की रिश्वत का असर था या गेटकीपर को मालूम था कि सुनील के साथ की लड़की अभी भी भीतर ही थी ।
तहखाने में जाकर वह वापिस उस मेज की ओर बढा जहां वह फ्लोरी को छोड़ कर गया था ।
फ्लोरी अभी भी वहां पर मौजूद थी लेकिन अब उसके सामने सुनील की सीट पर एक दुबला-पतला सा चश्माधारी लड़का बैठा था ।
सुनील पर दृष्टि पड़ते ही फ्लोरी के चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये । फिर वह उस चश्माधारी युवक की ओर घूमी और मीठे स्वर में बोली - "स्क्रैम, बस्टर ।"
युवक ने बड़े आहत भाव से फ्लोरी को देखा, फिर सुनील को देखा, दुबारा फ्लोरी को देखा और फिर अपना कॉफी का मग हाथ में लेकर उठ खड़ा हुआ और तत्काल वहां से हट गया ।
"बैठो ।" - फ्लोरी बोली ।
सुनील बैठ गया ।
"क्या हुआ ? वापिस कैसे आ गये ? तुम्हें तो बहुत जरूरी काम था ।"
"काम हो गया ।" - सुनील बोला ।
"इतनी जल्दी ?"
"हां ।"
"और इसलिये तुम फौरन यहां वापिस आ गये ?"
"हां ।"
"कमाल है !"
"कमाल कुछ नहीं, ब्राइट आइज ।" - सुनील मधुर स्वर में बोला - "दरअसल तुम इतनी मुद्दत के बाद मिली हो कि मैं तुम्हारे संसर्ग में और समय गुजारने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूं ।"
"जबकि अभी दस मिनट पहले तुम्हें यहां एक क्षण भी रुकना गंवारा नहीं था ।"
"तुम मुझे वाकई बहुत जरूरी काम था और फिर मैं फौरन वापिस आने के इरादे से ही गया था ।"
"तुमने ऐसा कहा तो नहीं था ?"
"गलती हो गई ।"
"हैरानी है ।"
सुनील चुप रहा ।
"आज तुम बड़ी रहस्यपूर्ण हरकतें कर रहे हो ।" - वह बोली ।
सुनील मुस्कराया । वह दो-तीन बार गुप्त रूप से सिढियों की ओर दृष्टिपात कर चुका था । मोटा आदमी पीछे भीतर नहीं आया था । उसने आसपास दृष्टि दौड़ाई मुकुल और बिन्दु उसे कहीं दिखाई नहीं दिये ।
"भूख लगी है ।" - एकाएक सुनील बोला ।
"तो फिर खाना खाओ ।" - फ्लोरी बोली ।
"यहां नहीं । कहीं और चलते हैं ।"
"कहां ?"
"कहीं भी । यहां से बाहर निकलो ।"
"ओके ।" - फ्लोरी बोली और उसने अपना कैमरा वगैरह मेज से उठाकर कन्धे पर लाद लिया ।
सुनील उठ खड़ा हुआ ।
वे द्वार की ओर बढे ।
"यहां से बाहर निकलने का कोई और रास्ता नहीं है ?" - एकाएक सुनील ने पूछा ।
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08-02-2020, 01:10 PM,
#53
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मुकुल स्टेज पर खड़ा था । उसके गले में एक गिटार लटक रही थी । फिर वह जोर-जोर से गिटार के तार छेड़ने लगा और फिर एल्विस प्रिसले की तरह टांगें फड़काता हुआ अंग्रेजी का कोई गीत गाने लगा ।
फ्लोरी बैंड स्टैण्ड के समीप पहुंच गई और मुकुल पर अपना कैमरा फोकस करने लगी । किसी का ध्यान फ्लोरी की ओर नहीं था । अधिकतर लोग गीत की ताल पर चुटकियां बजा रहे थे ।
फिर फ्लैश बल्ब का तीव्र प्रकाश मुकुल पर पड़ा ।
मुकुल एक क्षण के लिये चौंका । उसकी आवाज थरथराई । गिटार के तारों को छेड़ते हुए उसके हाथ एक क्षण के लिये अपनी गति खोने लगे और फिर सब ठीक हो गया । मुकुल दुबारा पूरी तन्मयता से गिटार बजाने लगा और गाना गाने लगा ।
फ्लोरी लम्बे डग भरती सीढियों की ओर बढ गई ।
सुनील ने अपना कप खाली किया और एक नया सिगरेट सुलगा लिया ।
मुकुल ने अपना गीत समाप्त किया । लोगों ने तालियां बजाईं । सुनील को यूं लगा जैसे गीत लोगों की अपेक्षा से पहले समाप्त हो गया हो ।
मुकुल ने गिटार को गले से उतारकर बैंड स्टैण्ड के एक कोने में टिका दिया और नीचे उतर आया । अपनी टेबल की ओर बढने के स्थान पर वह तहखाने की पिछली दीवार में बने एक दरवाजे की ओर बढा । दरवाजा खोलकर वह भीतर घुस गया । दरवाजा उसके पीछे बन्द हो गया ।
सुनील फ्लोरी की प्रतीक्षा करने लगा ।
लगभग दो मिनट बाद मुकुल उस दरवाजे से बाहर निकला और फिर वापस आकर अपनी टेबल पर बैठ गया ।
थोड़ी देर बाद पिछले दरवाजे में से एक मोटा-ताजा ठिगने से कद का आदमी निकला । मेजों में से गुजरता हुआ वह आगे बढा और सुनील से तीन-चार मेजों दूर एक मेज पर बैठ गया । उस मेज पर पहले से ही दो लड़के और दो लड़कियां मौजूद थीं । मोटा स्टूल पर पहले से बैठे एक युवक के साथ बैठ गया ।
उसी क्षण फ्लोरी भीतर प्रविष्ट हुई । सुनील ने कलाई घड़ी पर दृष्टिपात किया । फ्लोरी ठीक तेरह मिनट में वापिस लौटी थी ।
फ्लोरी सीधी सुनील की मेज के समीप पहुंची । वह अपने द्वारा रिक्त स्थान पर दुबारा आकर बैठ गई । उसने एक बन्द लिफाफा सुनील की ओर बढा दिया ।
सुनील ने लिफाफा खोला । भीतर दो तस्वीरें थीं, उसने एक तस्वीर को थोड़ा-सा बाहर खींच कर देखा । वह मुकुल का बड़ा स्पष्ट कलोज अप था । उसी क्षण उसकी दृष्टि अपने से थोड़ी दूर बैठे मोटे आदमी पर पड़ी ।
वह गिद्ध की तरह सुनील की देख रहा था । सुनील से निगाहें मिलते ही वह फौरन दूसरी ओर देखने लगा ।
सुनील ने तस्वीर को दुबारा लिफाफे के भीतर धकेला और लिफाफे को कोट की भीतरी जेब में रख लिया ।
बैंड फिर बजने लगा था । इस बार बैंड पर किसी तेज नृत्य की धुन बज रही थी और धुन पर ढेर सारे जोड़े डांस फ्लोर पर आकर नृत्य करने लगे थे ।
"हम भी नाचें, हैंडसम ?" - फ्लोरी बोली ।
"सॉरी, मुझे यह नाच नहीं आता ।" - सुनील बोला ।
"कमाल करते हो !" - फ्लोरी हैरानी से बोली - "इस में नाच आनी वाली कौन-सी बात है ? बस मेरे सामने खड़े होकर रबड़ की गेंद की तरह फुदकते रहना और अपने हाथ-पांव झटकते रहना । बाकी लोग भी यही कह रहे हैं ।"
"मुझे... मुझे शर्म आती है ।"
फ्लोरी ने विस्मयपूर्ण नेत्रों से उसकी ओर देखा और फिर खिलखिला कर हंस पड़ी ।
"बाई गॉड, हैण्डसम" - वह हंसती हुई बोली - "यू आर रीयल क्यूट ।"
सुनील शरमाया ।
फ्लोरी हंसती रही ।
"फ्लोरी" - एकाएक सुनील बोला - "मैं चलता हूं ।"
"क्यों ?" - फ्लोरी बोली - "क्या हुआ ?"
"कुछ नहीं । एक बहुत ही जरूरी काम याद आ गया है । मैं तुमसे फिर मिलूंगा ।"
"मतलब हल हो जाने पर खिसक रहे हो !" - फ्लोरी शिकायत भरे स्वर में बोली ।
"नहीं, ऐसी बात नहीं है, फ्लोरी । वाकई मुझे बहुत जरूरी काम है ।"
"ओके । फिर कभी मिलना । जो लिफाफा मैंने तुम्हें दिया है, उस पर मेरा पता लिखा हुआ है । जरूर आना ।"
"जरूर आऊंगा ।"
"वैसे शाम को मैं हमेशा यहीं होती हूं ।"
"अच्छा । वेटर को बुलाओ ।"
"क्यों ?"
"बिल अदा करने के लिये और इस फोटोग्राफ के लिये भी..."
"अब मैं क्या केतली मारकर तुम्हारा खोपड़ा तोड़ दूं ?"
"लेकिन..."
"स्क्रैम, मैन । दिस इज ऑन मी ।"
सुनील ने प्रतिवाद करना चाहा, लेकिन फिर ख्याल छोड़ दिया ।
फ्लोरी केवल मुस्कराई ।
सुनील सीढियों की ओर बढ गया । सीढियों के समीप पहुंचकर उसने एक बार घूमकर पीछे देखा ।
मुकुल उसी की ओर देख रहा था । उसे अपनी ओर देखते देखकर उसने फौरन बगल में बैठी बिन्दु की ओर सिर झुका लिया ।
उसने मोटे आदमी की ओर देखा ।
वह बड़ी तन्मयता से अपने साथियों से बातें कर रहा थ ।
सुनील सीढियां तय करके बाहर आ गया ।
गेटकीपर उसे देखकर मुस्कराया । सुनील ने अपने कोट की जेब में हाथ डाला । उसने एक नोट निकालकर चुपचाप गेटकीपर की ओर बढा दिया । नोट गेटकीपर की वर्दी में कहीं गायब हो गया । मुस्कराहट में उसके होंठ और फैल गये ।
सुनील रोड क्रॉसिंग पर आ खड़ा हुआ । सड़क से पार पार्किंग थी जहां वह अपनी मोटरसाइकल खड़ी करके आया था ।
बत्ती हरी होने से पहले इसने एक बार पीछे घूम कर देखा ।
मैड हाउस के दरवाजे पर मोटा आदमी खड़ा था और उसी की ओर देख रहा था ।
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08-02-2020, 01:10 PM,
#54
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"लेकिन कभी-कभी दूसरे की थाली में आपकी अपनी थाली से बढिया खाना भी तो होता है !"
"जिस किसम के लोग यहां आते हैं, वे ऐसे फर्क महसूस नहीं करते ।"
सुनील चुप हो गया और चाय की चुस्कियां लेने लगा ।
उसी क्षण बैंड स्टैण्ड पर एक लड़की प्रकट हुई और जोर से बोली - "बॉयज ! बॉयज !"
तहखाने में काफी हद तक शान्ति छा गई ।
सुनील ने देखा, वह लड़की एक बेहद टाइट पतलून और खुले गले की बुशशर्ट पहने हुए थी । बुशशर्ट के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे और उसमें से उसके उन्नत वक्ष का पर्याप्त भाग दिखाई दे रहा था । उसके गले में एक संगमरमर के बड़े-बड़े नक्काशीदार मनकों की माला थी और कानों में हाथी दांत के असाधारण आकार के इयरिंग थे । उसके बाल कटे हुए थे ।
"बॉयज !" - वह जोर से बोली - "नाओ, माई मुकुल विल मेक दि सीन वीद ए सांग नम्बर ।"
सुनील सावधान हो गया ।
लोग तालियां और सीटियां बजाने लगे ।
"माई मुकुल !" - सुनील बोला - "क्या मतलब !"
"यह लड़की मुकुल से सादी करने वाली है । इसलिये मुकुल को अपनी प्रॉपर्टी समझती है ।"
"लड़की है कौन ?"
"तुमने रायबहादूर भवानी प्रसाद जायसवाल का नाम सुना है ?"
"उनका नाम किसने नहीं सुना ?"
"यह उनकी लड़की है । बिन्दु ! बाप के मर जाने के बाद उनका नाम रोशन कर रही है । मुकुल नाम के जिस आदमी से कोई घसियारिन भी शादी करने को तैयार न हो, उससे रायबहादुर भवानी प्रसाद जायसवाल की सुपुत्री शादी कर रही है । जितना महान बाप था, उतनी ही बेहूदा लड़की पैदा की है ।"
बिन्दु बैंड स्टैण्ड के कोने पर पहुंची, उसने समीप की मेज पर बैठे एक युवक की ओर हाथ बढा दिया । युवक ने उसका हाथ पकड़ लिया और एक झटके से स्टेज पर चढ आया । बिन्दु सीधी उसकी छाती से जाकर टकराई । उसने बिन्दु की बगल से कमर में हाथ डाला और स्टेज के बीच में पहुंच गया ।
लोग और जोर-जोर से तालियां पीटने लगे ।
"यह मुकुल है ?" - सुनील ने पूछा ।
फ्लोरी ने स्वीकारत्मक ढंग से सिर हिला दिया ।
मुकुल टखनों से ऊंची पतलून और सामने से खुली जैकेट पहने हुए था । उसकी बालों भरी नंगी छाती पर कितने ही कंठे, हार और मालायें लटक रही थीं । उसके चेहरे पर बिखरी हुई दाढी-मूंछ थीं और सिर पर औरतों जैसे ही कन्धे तक लटकते हुए बाल थे । वह पैरों से नंगा था ।
बिन्दु उसके शरीर के साथ और सट गई ।
मुकुल ने हाथ उठाकर लोगों को चुप रहने का संकेत किया ।
लोग धीरे-धीरे चुप हो गये ।
"बॉयज !" - वह जोर से बोला - "माई चिक विल मेक दि सीन विद मी ।"
लोगों ने फिर तालियां बजाकर हर्ष प्रकट किया ।
मुकुल ने बैंड बजाने वालों को कुछ निर्देश दिये और फिर माइक हाथ में लेकर गाने लगा ।
बिन्दु उसके साथ गा रही थी ।
लोग बड़ी तन्मयता से सुन रहे थे ।
"गाता अच्छा है ।" - सुनील फ्लोरी की ओर झुककर बोला ।
"हां ।" - फ्लोरी ने भावहीन ढंग से स्वीकार किया ।
गाना समाप्त हुआ । तहखाना तालियों की आवाज से गूंज उठा और मुकुल से और गाने की फरमायश होने लगी ।
"पांच मिनट बाद ।" - मुकुल जोर से बोला और बिन्दु को साथ लिये बैण्ड स्टैण्ड से उतर गया । वे दोनों उस मेज पर जा बैठे जिस पर से मुकुल उठकर आया था ।
"यह मुकुल है क्या बला ?" - सुनील ने पूछा ।
"एक खुशकिस्मत इन्सान है जिस पर नगर की सबसे खूबसूरत और सबसे अमीर लड़की मरती है ।" - फ्लोरी बोली ।
"लेकिन यह है कौन ?"
"सुनील" - फ्लोरी गम्भीर स्वर में बोली - "दरअसल इसके बारे में कोई भी विशेष कुछ नहीं जानता है । पिछले सात-आठ महीने से ही यह राजनगर में दिखाई दे रहा है । इससे पहले यह अपने कथनानुसार दिल्ली, बैंगलोर, लखनऊ, कलकत्ता और चण्डीगढ वगैरह में रह आया है लेकिन मैंने सुना है कि वास्तव में यह बम्बई का रहने वाला है । और पता नहीं क्यों कभी बम्बई का जिक्र आ जाने पर यह बात को टालने की कोशिश करने लगता है ।"
"और बस ?" - सुनील बोला ।
"और है ही नहीं कुछ ।" - फ्लोरी बोली ।
"वैरी गुड । मुकुल पांच मिनट बाद वाकई आयेगा ?"
"हां ।"
सुनील कुछ क्षण सोचता रहा और फिर फ्लोरी की ओर झुकता हुआ बोला - "स्वीटहार्ट, मेरा एक काम कर दो ।"
"क्या ?"
"अभी जब मुकुल स्टेज पर आये तो मुझे इसकी एक तस्वीर खींच दो ।"
"क्या करोगे ?"
"सवाल मत पूछो । प्लीज ।"
"ओके ।" - फ्लोरी लापरवाही से बोली ।
"क्लोज अप चाहिये ।"
"ऑल राइट । क्लोज अप ही मिलेगा ।"
"थैंक्यू ।"
"मुकुल आ गया ।" - सुनील बोला ।
फ्लोरी ने स्टेज की ओर देखा । उसने अपना कप उठाकर एक ही सांस में खाली किया, अपना कैमरा और बक्से वगैरह को कन्धे पर लादा और उठ खड़ी हुई ।
"तस्वीर मुझे जल्दी चाहिये ।" - सुनील बोला ।
"कितनी जल्दी ?"
"जितनी जल्दी तुम दे सकती हो ।"
"एक घन्टा ।"
"पन्द्रह मिनट ।"
"लेकिन मैंने अभी कैमरे में नई फिल्म डाली है ।"
"कोई बात नहीं । मुकुल के स्नैप के बाद फिल्म निकाल लेना । पैसे मैं दूंगा ।"
"ओके ।"
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08-02-2020, 01:10 PM,
#55
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"तुमने क्या मंगाया है ?" - सुनील ने उससे पूछा ।
"हैंडसम ।" - वह सिगरेट का एक लेकर नाक से धुआं निकालती हुई बोली - "जब तुमने बात मर्जी पर छोड़ी है तो फिर चाहे मैंने जहर मंगाया हो । तुम्हें पीना पड़ेगा ।"
"ओके । ओके ।" - सुनील बोला ।
"तुम मैड हाउस में पहली बार आये हो न ?"
"तुम्हें कैसे मालूम ?"
"अगर तुम पहले कभी आये होते तो मैंने तुम्हें जरूर देखा होता ।"
"तुम यहां रोज आती हो ?"
"हां । और वैसे भी अगर तुम यहां के रंग-ढंग जानते होते तो अपने साथ एक गर्ल फ्रैंड लेकर ही आते और सूट पहनकर यहां आने की गलती कभी नहीं करते । हर कोई तुम्हें यूं घूर रहा है जैसे राजमहल में चोर घुस आया हो ।"
"तो फिर क्या पहनकर आता ?"
"कोई भी ऐसी पोशाक जो तुम्हें सबसे बेहूदा लगती हो । जिसे पहनकर तुम्हें घर से बाहर निकलने में भी शर्म महसूस होती हो ।"
"अगली बार ख्याल रखूंगा ।" - सुनील बोला ।
"हां, जरूर ।" - फ्लोरी बोली । उसने सिगरेट का एक और कश लिया और उसे बगल की मेज पर बैठे एक विदेशी हिप्पी की ओर बढा दिया । हिप्पी ने बिना प्रश्न किये सिगरेट ले लिया और उसे अपनी मेज पर पड़ी एक भौंडी-सी ऐश-ट्रे में डाल दिया ।
सुनील ने हैरानी से फ्लोरी की ओर देखा ।
"हमारी मेज पर ऐश ट्रे नहीं है न !" - फ्लोरी बड़े मासूम स्वर में बोली ।
"मैं अपने सिगरेट का क्या करूं ?"
"तुम बचे हुए टुकड़े को बुझाकर अपनी जेब में रख लेना ।"
"गम्भीर हो ?"
"नहीं ।" - फ्लोरी मुस्कराती हुई बोली और उठ खड़ी हुई - "मैं अभी आती हूं ।"
उसने अपने कन्धे का बोझ मेज पर रख दिया, बैग में से चार लिफाफे निकाले और फिर मेजों के बीच में से गुजरती हुई आगे बढ गई ।
सुनील की दृष्टि ने उसका अनुसरण किया ।
वह एक मेज पर रुकी । उसने एक युवती का कन्धा थपथपाया । युवती ने सिर उठाकर उसकी ओर देखा । फ्लोरी ने एक लिफाफा उसकी ओर बढा दिया । युवती ने लिफाफा लेकर खोला । भीतर कुछ तस्वीरें थीं । तस्वीरें उसने अपने साथियों की ओर बढा दीं और फिर उसने अपनी जेब में से कुछ नोट निकालकर फ्लोरी की ओर बढा दिये । फ्लोरी नोट लेकर आगे बढ गई । उसके बाद वह भीड़ में कहीं गुम हो गई ।
सुनील सारे तहखाने में दृष्टि दौड़ाने लगा । मुकुल का जैसा हुलिया कावेरी ने उसे बताया था वैसे हुलिये वाले कम से कम एक दर्जन आदमी वहां मौजदू थे । उस भीड़ में से मुकुल को पहचान पाना बड़ा कठिन काम था । वास्तव में उसके पास तो यह जानने का भी साधन नहीं था कि मुकुल वहां था भी या नहीं ।
सुनील ने अपने सिगरेट का आखिर कश लगाया, उसे मेज के कोने से रगड़ा और जमीन पर फेंक दिया ।
उसी क्षण फ्लोरी वापिस आ गई ।
"तस्वीरों का क्या किस्सा है ?" - सुनील ने पूछा ।
"मैं फोटोग्राफर हूं और ये लोग" - फ्लोरी तहखाने में मौजूद लोगों की दिशा में हाथ घुमाती हुई बोली "नाचते-गाते हुए अपनी तस्वीरें खिंचवाने के शौकीन हैं । बस यही किस्सा है । हर शाम को कम से कम दो सौ रुपये की कमाई हो जाती है ।"
"और फिल्मी पत्रिकाओं के लिये फिल्म स्टारों की तस्वीरें खींचने का धन्धा तुम अब भी करती हो ?"
"हां ।"
"फिर तो पांचों उंगलियां घी में हैं ।"
"वे तो पहले भी थीं । अब मैड हाउस के इस नये धन्धे की वजह से सिर भी कढाई में आ पड़ा है ।"
सुनील हंसा ।
उसी क्षण वेटर वहां पहुंचा ।
उसने चाय की एक केतली, कप, दूध, चीनी और भुने हुए काजुओं की एक प्लेट मेज पर रख दी औ वहां से विदा हो गया ।
फ्लोरी ने दूध और चीनी एक ओर सरकाई और प्यालों में चाय डालने लगी । चाय का एक कप उसने सुनील की ओर सरका दिया और बोली - "पियो ।"
"दूध ! चीनी !" - सुनील बोला ।
"ऐसे ही पियो । यह विशेष प्रकार की चाय है, दूध और चीनी मिलाने से इसका मजा मारा जाता है ।"
"लेकिन..."
"पियो तो । अगर मजा न आये तो दूध और चीनी मिला लेना ।" - वह बोली और अपनी चाय की चुस्कियां लेने लगी ।
सुनील ने अपना कप उठाकर एक घूंट पिया और फिर उसके नेत्र फैल गये ।
"आ गया न मजा !" - फ्लोरी बोली ।
"फ्लोरी !" - सुनील बौखलाये स्वर में बोला - "यह तो..."
"श-श..."
सुनील फौरन चुप हो गया ।
वह चाय नहीं थी । वह कोका कोला मिली हुई विस्की थी जो सूरत में चाय जैसी मालूम होती थी ।
"तुम्हीं ने तो कहा था कि मैं जो मर्जी पिला दूं ।" - फ्लोरी अपना निचला होंठ दांतों में दबाकर बोली ।
"लेकिन मेरा यह मतलब तो नहीं था ।"
"तुम्हारा यह मतलब इसलिये नहीं था क्योंकि तुम्हें यहां ऐसी किसी चीज के हासिल होने की आशा नहीं थी ।"
"यह 'चाय' यहां हर किसी को हासिल है ।"
"नहीं । केवल जाने-पहचाने लोगों को ।"
"और कोई तो गड़बड़ नहीं होती ?"
"नहीं होती ।"
"यहां का मैनेजमैंट इस बात के लिये जिद क्यों करता है कि यहां जो भी आदमी आये अपने साथ गर्ल फ्रेंड लेकर आये ।"
"इस बात को यूं समझो राजा, कि जब हर आदमी अपना खाना साथ लेकर आयेगा तो फिर वह किसी दूसरे की थाली पर क्यों झपटेगा ?"
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08-02-2020, 01:10 PM,
#56
Thriller विक्षिप्त हत्यारा
सुनील ने एक नया सिगरेट सुलगा लिया और उसके लौटने की प्रतीक्षा करने लगा ।
वह सन्तुष्ट था । फ्लोरी उससे बहुत अच्छे समय पर टकराई थी ।
ठीक पन्द्रह मिनट बाद फ्लोरी वापिस आ गई । उस के कन्धे पर कैमरा वगैरह अब भी लटक रहा था ।
"चलो ।" - वह बोली ।
"यह ताम-झाम तो छोड़ आती ।" - सुनील बोला ।
"यह छोड़ आती तो धन्धा कैसे होता ?
"क्या करती हो आजकल ?"
"सब कुछ बताऊंगी । यहां से तो हिलो ।"
सुनील उसके साथ मैड हाउस की ओर बढ गया ।
फ्लोरी को देखकर गेटकीपर ने जोर से सलाम मारा और बड़ी तत्परता से द्वार खोला । फिर उसने सशंक नेत्रों से सुनील की ओर देखा । तत्काल सुनील ने अपनी बांह फ्लोरी की बांह में डाल दी और गेटकीपर को देखकर एक आंख दबायी ।
गेटकीपर के नेत्रों से शंका के भाव उड़ गये । उसके होंठों पर एक मुस्कराहट फूट पड़ी ।
फ्लोरी उस ड्रामे से बेखबर थी ।
सीढियां उतरकर के नीचे आ गये ।
प्रकाश के अप्रत्यक्ष साधनों से प्रकाशित वह एक बहुत बड़ा तहखाना था । तहखाने के तीन चौथाई भाग में विचित्र आकारों की मेज-कुर्सियां लगी हुई थीं । मेज ऐसी थीं जैसे किसी विशाल पेड़ का तना काटकर रख दिया गया हो और कुर्सियों के स्थान पर पीपों की सूरत के स्टूल पड़े थे । दीवारों की पूरी-पूरी लम्बाई-चौड़ाई में विचित्र प्रकार के चित्र अंकित थे जैसे सामने की दीवार पर अंकित चित्र में एक आतंकित-सी पूर्णतया नग्न युवती भागती दिखाई गई थी और उसके पीछे बीस-पच्चीस भेड़ों का झुण्ड भाग रहा था । छत से गुब्बारे और बड़े-बड़े सितारे लटके हुए थे । सितारों पर बीटल्स के चित्र अंकित थे । साधारणतया जहां वैलकम लिखा होता था, वहां बड़े-बड़े शब्दों में लिखा था स्टे आउट (Stay Out) ।
खाली स्थान में दीवार के सहारे बैंड स्टैण्ड था और उसके सामने डांस फ्लोर बना हुआ था । बैंड स्टैण्ड पर चार बीटलों के ही डुप्लीकेट युवक बैठे थे । उनमें से एक प्यानो बजा रहा था, दूसरा एक बहुत बड़ी गिटार की टांग तोड़ रहा था, तीसरा साइड ड्रम की हड्डी-पसली अलग करने पर तुला हुआ था और चौथा इतने जोर से सैक्सोफोन को फूंक रहा था कि उसकी गरदन की नसें तनी हुई थीं और आंखे बाहर निकली आ रही थीं ।
डांस फ्लोर पर कुछ जोड़े नाच रहे थे या नाचने की कोशिश कर रहे थे । फ्लोर पर इतनी भीड़ थी कि किसी का व्यवस्थित ढंग से हाथ-पांव हिलाना सम्भव नहीं दिखाई देता था ।
तहखाना शोर और सिगरेट के धुएं से भरा हुआ था ।
तहखाने में मौजूद हर किसी में एक बात समरूप थी । सबके चेहरे जवानी की उमंग से दमक रहे थे । वहां पर मौजूद अधिकतर युवक और युवतियां अट्ठारह से लेकर बाइस साल तक की आयु की थीं ।
एक ही स्थान पर परिधानों की इतनी विविधता सुनील ने पहले कभी नहीं देखी थी । कुछ विदेशी हिप्पी तहमद और कुर्ता पहने दिखाई दे रहे थे । कुछ विदेशी हिप्पी महिलायें गले से लेकर पांव तक का एक जोगिये रंग का ढीला-ढाला कुर्ता-सा पहने हुए थीं । एक हिप्पी तो केवल कमर में लाल रंग की लुंगी लपेटे हुए था । गले में पड़े एक बड़े से कण्ठे के अतिरिक्त उनके शरीर पर और कुछ भी नहीं था । कुछ लड़कियां इतनी ज्यादा मिनी स्कर्ट पहने हुए थीं कि वे जरा भी टांगें फैलाती थीं, तो उनके अण्डरवियर दिखाई दे जाते थे ।
फ्लोरी उसकी बांह थामे उसे बैण्ड स्टैण्ड के समीप पड़ी एक मेज पर ले आई । वह मेज भी पेड़ के तनों जैसी थी, उसके समीप कनस्तरों की सूरत में दो स्टूल पड़े थे ।
"बैठो ।" - फ्लोरी बोली ।
सुनील बैठ गया । दूसरे स्टूल पर फ्लोरी बैठ गई । एक मिनट से भी कम समय में वह भी उस शोर-शराबे का अंग बन गई । संगीत की ताल पर वह जमीन पर अपने पांव पटकने लगी और अपने दोनों हाथों से चुटकियां बजाने लगी । उसके होंठों से विचित्र प्रकार की आवाजें निकल रही थीं ।
फिर एकाएक संगीत बन्द हो गया । जोड़ों ने नृत्य करना बन्द कर दिया । कुछ जोड़े वापिस अपनी मेजों पर जा बैठे, लेकिन कुछ वहीं डांस फ्लोर पर ही खड़े रहे ।
"क्या पियोगे ?" - फ्लोरी सुनील की ओर झुकती हुई बोली ।
"जो मर्जी पिला दो ।" - सुनील मुस्कराता हुआ बोला ।
"ओके ।" - वह बोली और उसने एक वेटर को संकेत किया । फ्लोरी शायद उस स्थान पर हर किसी की जानी-पहचानी थी । वेटर तत्काल उनकी मेज पर पहुंचा ।
सुनील ने देखा वेटर रोमन सैनिकों जैसा परिधान पहने हुए था और उसके हाथ में ट्रे के स्थान पर बड़ा-सा लकड़ी का टुकड़ा था जिसका आकार ढाल से मिलता-जुलता था ।
"वही ।" - फ्लोरी वेटर से बोली ।
वेटर ने एक उचटती-सी दृष्टि सुनील पर डाली और फिर सिर झुकाकर वहां से विदा हो गया ।
"एक सिगरेट देना ।" - फ्लोरी बोली ।
सुनील ने लक्की स्ट्राइक का पैकेट निकालकर उसकी ओर बढा दिया । दोनों ने एक-एक सिगरेट सुलगा ली ।
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08-02-2020, 01:10 PM,
#57
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"कर देना । चाहे तुम ब्लास्ट में हमारे खिलाफ लिखो, चाहे पुलिस में रिपोर्ट करो, चाहे हमारे पर केस कर दो लेकिन भगवान के लिए यहां तमाशा खड़ा मत करो । इधर हम आठ बजे के बाद किसी अकेले आदमी को भीतर नहीं आने देते और ऐसा हम कर सकते हैं या नहीं इस बारे में लोकसभा तक में सवाल उठाया जा रहा है । जब हमारे 'राइट ऑफ एडमिशन' को चैलेंज किया जायेगा । तो हम भुगत लेंगे । फिलहाल तो हम वही करेंगे जो कर रहे हैं । मिस्टर, यह वास्तविक अर्थों में मैड हाउस (पागलखाना) है । हम यहां आठ बजे के बाद अकेले आदमी को नहीं घुसने देते क्योंकि अकेला आदमी कभी-कभी बहुत बखेड़ा खड़ा कर देता है । हमें बड़ा कडुआ तजुर्बा है इस बात का । एण्ड नाओ प्लीज स्क्रैम ।"
सुनील एक ओर हट गया ।
सिख युवक कुछ क्षण गेटकीपर से बात करता रहा और फिर वापस सीढियां उतर गया ।
"साहब" - गेटकीपर बोला - "कोई चलती-फिरती पकड़ लो । क्या फर्क पड़ता है ?"
"शटअप, डैम यू ।" - सुनील फुंफकार कर बोला ।
गेटकीपर दूसरी ओर देखने लगा ।
सुनील सड़क के समीप की रेलिंग के साथ लग कर खड़ा हो गया । उसने अपनी कलाई घड़ी पर दृष्टिपात किया तो पाया साढे नौ बजने वाले थे । उसने अपनी जेब से लक्की स्ट्राइक का पैकेट निकाला और एक सिगरेट सुलगा लिया । वह सोचने लगा ।
अपने साथ किसी लड़की को ले आना उसके लिए कोई कठिन काम नहीं था लेकिन उसे किसी ने बताया ही नहीं था कि मैड हाउस में प्रवेश पने के लिये लड़की को प्रवेश-पत्र की हैसियत से साथ रखना पड़ता था ।
उसी क्षण उसे मैड हाउस के द्वार का जंगला हटाकर बाहर निकलती एक खूबसूरत ऐंग्लो इंडियन लड़की दिखाई दी । वह एक टाइट और घुटनों से ऊंची स्कर्ट और कसा हुआ ब्लाउज पहने थी । उसके कटे हुए भूरे बाल उसके चेहरे पर उड़ रहे थे और वह अपने कन्धे पर एक कैमरा और एक बड़ा-सा बक्सा लटकाये थी ।
सुनील में नेत्र चमक उठे ।
वह फ्लोरी थी । सुनील उसे अच्छी तरह जानता था । वह फ्री-लांस फोटोग्राफर थी और अधिकतर फिल्मी पत्रिकाओं के लिये सिनेमा स्टारों की रंगीन तस्वीरें खींचा करती थी ।
फ्लोरी मैड हाउस से निकली और कोने पर मोड़ घूमकर बगल के फुटपाथ पर चलने लगी ।
सुनील तेज कदमों से उसकी ओर बढा ।
"हल्लो, हार्ट अटैक ।" -उसके समीप आकर सुनील धीरे से बोला और उसके साथ कदम मिलाकर चलने लगा ।
फ्लोरी ने चौंक कर उसकी ओर देखा । सुनील पर दृष्टि पड़ते ही उसके चेहरे पर मुस्कराहट फूट पड़ी । वह तत्काल रुक गई ।
"हल्लो, हैंडसम ।" - वह मीठे स्वर में बोली ।
"नो हैंडसम बिजनेस ।" - सुनील बोला - "कॉल मी बाई माई नेम ।"
"क्यों ?" - वह माथे पर बल डालकर बोली ।
"ताकि मुझे विश्वास हो जाये कि तुमने मुझे पहचान लिया है । हैंडसम तो शायद तुम्हें राजनगर का हर नौजवान मालूम होता है ।"
"ओके । हल्लो, सुनील कुमार चक्रवर्ती, दि एस रिपोर्टर ऑफ ब्लास्ट ।" - वह नाटकीय स्वर मे बोली ।
"अब ठीक है । हल्लो, फ्लोरी ।"
"मेरे ख्याल से तीन साल बाद मुलाकात हो रही है ।"
"हां और इसे मुझ को अपना सौभाग्य समझना चाहिए कि तीन साल बाद भी तुमने न केवल मुझे पहचान लिया है बल्कि इस काबिल भी समझा है कि दो बातें करने क लिये रास्ते में रुक जाओ ।"
"तुम्हें कौन भूल सकता है, राजा । तुम दो सौ बातें करो ।"
"कहां जा रही हो ?"
"कहीं भी नहीं । बगल की इमारत में ही एक मित्र का स्टूडियो है । पन्द्रह मिनट का काम है वहां ।"
"अभी घर तो नहीं जा रही हो न ?"
"नहीं, घर तो बारह बजे से पहले कभी नहीं जाती हूं । मेरा कौन-सा खसम बैठा है जो नाराज हो जायेगा !"
"अभी तक अकेली हो ?"
"हां ।"
"क्यों ?"
"कोई शादी ही नहीं करता ।"
"छोड़ो ।" - सुनील अविश्वासपूर्ण स्वर में बोला - "तुम्हीं किसी को लिफ्ट नहीं देती होगी वरना तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की से शादी करने के लिए तो लोग लालायित रहते होंगे ।"
"लेकिन कोई ढंग का आदमी तो नहीं मिलता ।"
"ढंग का आदमी कैसा होता है ?"
"जैसे तुम हो ?"
सुनील ने एक दम यूं बौखलाने का अभिनय किया जैसे किसी न उस पर छुपकर हमला कर दिया हो ।
फ्लोरी खिलखिला कर हंस पड़ी ।
"तुम्हारी कोई आदत नहीं बदली ।" - वह बोली - "शादी का जिक्र आया नहीं और तुम्हारे प्राण सूखे नहीं ।"
"तुम्हारी कोई आदत नहीं बदली है ।" - सुनील बौखलाये स्वर में बोला - "तुम भी तो कहीं पर भी कैसा भी मजाक करने पर उतर आती हो ।"
"लेकिन मैं गम्भीर हूं ।"
"जल्दी से विषय बदलो नहीं तो मेरे दिल की धड़कन तेज होती चली जायेगी ।"
"ओके । इरादा क्या है ?"
"इरादा बड़ा नेक है । इतनी मुद्दत के बाद मिली हो । कहीं सैर करा दो ।"
"कहां चलोगे ?"
"कहीं भी, जहां तुम्हें आसानी हो । वैसे सबसे समीप तो मैड हाउस ही है ।"
"वहीं चलते हैं । वहां सैर भी हो जायेगी और धन्धा भी ।"
"धन्धा ?"
"हां । तुम पन्द्रह मिनट यहीं मेरा इन्तजार करो, फिर मैं तुम्हें सब कुछ बताऊंगी ।"
"ओके ।"
फ्लोरी लम्बे डग भरती हुई आगे बढ गई ।
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08-02-2020, 01:10 PM,
#58
Thriller विक्षिप्त हत्यारा
कावेरी ने पर्स खोला और एक विजिटिंग कार्ड सुनील की ओर बढा दिया - "यह मेरा कार्ड है । इस पर मेरी कोठी का पता और टेलीफोन नम्बर लिखा है । इसे रख लो । काम आयेगा ।"
सुनील ने कार्ड लेकर जेब में रख लिया ।
"और यह भी रख लो ।"
सुनील ने देखा कावेरी उसकी ओर नोटों की एक मोटी गड्डी बढा रही थी ।
"इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, मिसेज जायसवाल ।" - सुनील मुस्करा कर बोला ।
"लेकिन..."
"वाकई इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, मिसेज जायसवाल । रायबहादुर भवानी प्रसाद जायसवाल के यूथ क्लब पर बहुत अहसान हैं । मुझे आप से किसी काम के बदले में धन स्वीकार करने में बहुत शर्म आयेगी, विशेष रूप से ऐसे काम के लिये जिस में कुछ खर्च होने वाला नहीं है ।"
कावेरी हिचकिचाई ।
"मैं आपसे गलत नहीं कह रहा हूं, मिसेज जायसवाल ।"
कावेरी ने नोट वापिस पर्स में रख लिये ।
"आल राइट ।" - वह बोली - "कोई जानकारी हासिल हो तो सूचित करना ।"
"जरूर करूंगा ।"
कावेरी मुस्काई और फिर लम्बे डग भरती हुई फ्लैट से बाहर निकल गई ।
***
सुनील ने अपनी मोटरसाइकल मैजेस्टिक सर्कल की पार्किंग में खड़ी की और फिर चारों ओर दृष्टि दौड़ाई ।
मैड हाउस नाम का रेस्टोरेन्ट एक बहुत लम्बी-चौड़ी पांच मंजिली इमारत की बेसमेंट में था । वह इमारत लिबर्टी बिल्डिंग के नाम से प्रसिद्ध थी । मैड हाउस के अतिरिक्त उसमें लिबर्टी नाम का एक सिनेमा था, एक बैंक था, कोलाबा नाम का एक और रेस्टोरेन्ट था, कुछ बड़े-बड़े दफ्तर थे, कुछ रिहायशी फ्लैट थे और सारी पांचवी मंजिल पर एक बहुत ऊंचे दर्जे की नाइट क्लब थी ।
सुनील मैड हाउस की ओर बढा ।
एकदम फुटपाथ पर ही मैड हाउस में प्रविष्ट होने का दरवाजा था । दरवाजे पर से ही बेसमेन्ट में ले जाने वाली घुमावदार सीढियां आरम्भ हो जाती थीं । दरवाजे की बगल की दीवार पर एक छोटा-सा नियोन-साइन चमक रहा था जिस पर लिखा था -
मैड हाउस डिस्कोथेक
MAD HOUSE DISCOTHEQUE
द्वार पर एक लोहे का जालीदार जंगला लगा हुआ था जिसके सामने एक वर्दीधारी गेटकीपर खड़ा था ।
विदेशी हिप्पियों का का एक जोड़ा एक-दूसरे की बगल में बांह डाले सुनील की बगल में से गुजर गया और लोहे का जंगला ठेलकर मैड हाउस की सीढियां उतर गया ।
सुनील उनके पीछे बढा ।
दरवाजे पर खड़े वर्दीधारी गेटकीपर ने हाथ बढाकर उसे रोक दिया ।
"सॉरी सर ।" -वह बोला ।
सुनील ने उसे घूरकर देखा और फिर बोला - "मतलब ?"
"पार्टनर के बिना अन्दर जाने की आज्ञा नहीं है ।"
"पार्टनर का क्या मतलब ?"
"कोई मेम साहब साथ लेकर आइये । आप अकेले अन्दर नहीं जा सकते । यह यहां का नियम है ।"
"लेकिन ऐसा कोई नियम बनाने का तुम्हें कोई हक नहीं है । यह एक रेस्टोरेन्ट है और इसमें हर कोई जा सकता है ।" - सुनील जोर से बोला ।
"सॉरी, मैं आपको नहीं जाने दे सकता । मैं केवल गेटकीपर हूं । मुझे आदेश है कि पीक-आवर्स में मैं अकेले आदमी की अन्दर न जाने दूं । अगर आपको कोई शिकायत है तो शिकायत मैनेजर से कीजिए ।"
"मैं मैनेजर से मिलना चाहता हूं ।"
"मैनेजर थोड़ी देर बाद बाहर आयेगा । उससे बात कर लीजिएगा ।"
"मैं उससे अभी मिलना चाहता हूं ।"
"सॉरी । मैं गेट छोड़कर उसे अन्दर बुलाने नहीं जा सकता ।"
"तो मुझे अन्दर उसके पास जाने दो ।"
"सॉरी ।"
सुनील ने जबरदस्ती भीतर घुसने का प्रयत्न किया लेकिन गेटकीपर ने बड़ी सफाई से बिना किसी विशेष उपक्रम के उसे एक ओर धकेल दिया । वह बहुत शक्तिशाली था ।
उसी समय एक सिख युवक सीढियां चढकर ऊपर आया ।
"क्या बात ?" - उसने गेटकीपर से पूछा ।
"ये साहब जबरदस्ती भीतर घुसना चाहते हैं ।" - गेटकीपर बोला ।
"डोंट मेक ए सीन, मिस्टर ।" - सिख युवक बोला - "भीतर जगह नहीं है ।"
"और अगर मेरे साथ कोई लड़की होती तो भीतर जगह हो जाती ?"
"तब तुम्हारे लिये जगह बनाने की कोशिश की जाती ।"
"तुम मैनेजर हो ?"
"हां ।"
"तुम ऐसे किसी को भीतर जाने से नहीं रोक सकते ।"
"हां, शायद ।" - वह उदासीन स्वर में बोला ।
"मैं 'ब्लास्ट' का प्रतिनिधि हूं । मैं तुम लोगों का पुलन्दा बान्ध दूंगा ।"
"क्या बान्ध दोगे ?"
"ऐसी तैसी कर दूंगा ।"
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08-02-2020, 01:10 PM,
#59
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"आधार कोई विशेष नहीं है लेकिन मेरा दिल कहता है कि जो मैं सोच रही हूं वह सच हो सकता है । जिस घटना से मेरे मन में यह विचार पनपा था, वह मैं आप को सुनाती हूं ।"
"सुनाइये ।"
"एक बार बिन्दु मुकुल को कोठी पर अपने साथ लाई थी और मैंने छुप कर मुकुल को स्टडी करने का प्रयत्न किया था । उसके कुछ ऐसे ऐक्शन मैंने नोट किये थे जो मुझे हिप्पियों के स्वभाव से मेल खाते दिखाई नहीं दिये थे ।"
"जैसे ?"
"वह अपने हिप्पियों वाले बेढंगे परिधान में ही कोठी में आया था और नंगे पांव था । उसके पांव मिट्टी से अटे हुए थे । जब वह ड्राईंग रूम मे प्रविष्ट होने लगा था तो उसने पायदान पर अच्छी तरह रगड़कर अपने पांव साफ किये थे और फिर भीतर प्रविष्ट हुआ था । एक आदमी, जो अपनी फिजिकल अपीयरेंस, पहरावे इत्यादि के प्रति हिप्पियों जितना उदासीन हो, वह भला इस बात की परवाह क्यों करेगा कि उसके मिट्टी से सने पैरों से ड्राईंग रूम में बिछा कीमती कालीन खराब हो जायेगा । फिर मैंने उसे ड्राईंग रूम में अकेले बैठे देखा । वह ड्राईंग रूम में रखी हर चीज को बड़ी प्रशंसात्मक और लालसाभरी निगाहों से देख रहा था । फिर उसने खुद अपने आप पर दृष्टि डाली थी और अपनी बेढंगी उगी दाढी और लम्बे, रूखे बालों को यूं खुजलाया था जैसे उसे अपने आप से भारी विरक्ति हो रही हो । मिस्टर सुनील, उस समय मेरे मन में यह विचार घर कर गया था कि यह आदमी अपनी नेचर की वजह से हिप्पी नहीं था बल्कि किसी मजबूरी की वजह से उस रूप को मेकअप की तरह इस्तेमाल कर रहा था ।"
"शायद आपकी बात सच हो । मैं तो मनोविज्ञान को कोई विशेष समझता नहीं हूं ।"
"लेकिन मुझे दिन-ब-दिन विश्वास होता जा रहा है कि उस आदमी के बारे में जो मैंने सोचा है, वह सच है ।"
"खैर, अगर मान भी लिया जाये कि मुकुल कोई पुराना अपराधी है तो फिर आप क्या करेंगी ?"
"फिर तो काम बड़ा आसान हो जायेगा । फिर तो मैं उसे सीधे-सीधे धमका सकती हूं कि वह बिन्दु का पीछा छोड़ दे वरना मैं पुलिस को उसकी खबर कर दूंगी ।"
"आप उसे ब्लैकमेल करेंगी ?"
"क्या हर्ज है ? मिस्टर सुनील, मैं अपने मृत पति के प्रति यह अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझती हूं कि मैं बिन्दु को गुमराह होने से बचाऊं । बिन्दु ने मुझे कभी मां नहीं माना लेकिन मैंने उसे हमेशा अपनी बेटी माना है । बिन्दु जिस रास्ते पर जा रही है, उसकी ओर से मैं अपनी आंखें बन्द नहीं कर सकती । किसी-न-किसी प्रकार मैंने बिन्दु को बरबाद होने से बचाना ही है । इस सन्दर्भ में धमकी और ब्लैकमेल तो बड़े मामूली काम हैं ।"
"लेकिन अगर वह आप की धमकी में न आया और उसने बिन्दु से शादी कर ली और उसे लेकर भाग गया तो ?"
"बिन्दु अभी नाबालिग है । वह मेरी मर्जी के बिना उससे शादी नहीं कर सकती । अगर वह बिन्दु को लेकर भागा तो मैं एक नाबालिग लड़की को बरगलाने और उसका अगवा करने के अपराध में उसे गिरफ्तार करवा दूंगी । एक बार वह पुलिस के चक्कर में आ गया तो इस बात का मैं पूरा इन्तजाम करवा दूंगी कि वह उसी में फंसा रहे । मिस्टर सुनील, दोहराने की जरूरत नहीं कि मैं रायबहादुर भवानी प्रसाद जायसवाल की विधवा हूं और इस नगर में रायबहादुर भवानी प्रसाद जायसवाल के प्रभाव से पुलिस भी बरी नहीं था । मेरी सहायता करना पुलिस अपने लिये सम्मान का विषय समझेगी और यह बात मैंने गर्वोक्ति के रूप में नहीं, केवल आप पर अपनी सामर्थ्य प्रकट करने के लिये कही है ।"
"अगर ऐसी बात है तो आप सीधे पुलिस से ही सहायता का अपील क्यों नहीं करती । पुलिस मुकुल के पिछले जीवन के बखिये ज्यादा अच्छी तरह उधेड़ सकती है ।"
"नहीं ।" - कावेरी नकारात्मक ढंग से सिर हिलाती हुई बोली - "उससे तो बहुत गड़बड़ हो जायेगी । अगर मैंने ऐसा किया और बिन्दु को इसकी खबर हो गई तो वह तूफान खड़ा कर देगी और फिर मेरे और उसके बीच में उत्पन्न हो चुकी घृणा की खाई और चौड़ी हो जायेगी । मैं मुकुल के बारे में एकदम गुप्त रूप से जानकारी हासिल करना चाहती हूं इसीलिये मैं आपके पास आई हूं । मिस्टर सुनील, यह बड़ा नाजुक मामला है । इसे बड़े नाजुक ढंग से हैण्डल करना बहुत जरूरी है ।"
"लेकिन अगर मुकुल आपके सन्देह के अनुसार जरायमपेशा आदमी न निकला तो ?"
"तो फिर मैं उसे रुपये से खरीदने की कोशिश करूंगी । बिन्दु की दौलत के लिये उसे इन्तजार करना पड़ेगा जबकि मैं उसे बिन्दु की दौलत के लिये उसे इन्तजार करना पड़ेगा जबकि मैं उसे बिन्दु का पीछा छोड़ने के लिये तत्काल एक मोटी रकम अदा कर सकती हूं ।"
"अगर आप उसे न खरीद पाईं तो ?"
"क्यों नहीं खरीद पाऊंगी ?"
"शायद वह इसलिये बिकने के लिये तैयार न हो क्योंकि शायद वह बिन्दु से सच्ची मुहब्बत करता हो !"
"फिर तो समस्या ही खत्म हो जायेगी । अगर ऐसा हुआ तो मैं खुद बड़ी खुशी से बिन्दु की शादी उससे कर दूंगी । फिर भला मुझे क्या एतराज होगा ! मिस्टर सुनील, आखिर मैं बिन्दु की दुश्मन तो नहीं । मैं तो केवल गलत किस्म के धनलोलुप व्यक्तियों से उसकी रक्षा करना चाहती हूं । मैं तो मुकुल के इसलिये खिलाफ हूं क्योंकि वह मुझे बिन्दु के प्रति कतई ईमानदार दिखाई नहीं देता । अगर मेरा ख्याल गलत है तो फिर मैं भला उनके रास्ते में रोड़े क्यों अटकाऊंगी ?"
"मैं आपकी बात समझ गया" - सुनील बोला - "मैं मुकुल के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश करूंगा ।"
"शुरुआत कब से करेंगे आप ?" - कावेरी ने पूछा ।
"अभी से । इसी क्षण से ।" - सुनील घड़ी पर दृष्टिपात करता हुआ बोला । रात के आठ बजने को थे ।
"ओके दैन ।" - कावेरी उठती हुई बोली - "फिर मैं आपका वक्त बरबाद नहीं करूंगी ।"
सुनील भी उठ खड़ा हुआ ।
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08-02-2020, 01:10 PM,
#60
Thriller विक्षिप्त हत्यारा
"और रायबहादुर साहब की वसीयत के अनुसार आपको क्या मिला है ?"
कावेरी कुछ क्षण हिचकिचाई और फिर बोली - "मेरे नाम भी रायबहादुर साहब अपनी ढेर सारी अचल सम्पत्त‍ि और लगभग पच्चीस लाख रुपया नकद छोड़ गये हैं ।"
"और बाकी सम्पत्ति ? रायबहादुर साहब के पास तो बहुत दौलत थी ।"
"बाकी सम्पत्ति का एक बहुत बड़ा भाग वे धर्मार्थ छोड़ गये हैं । और बाकी को उनके पुराने नौकरों में बांट दिया गया है ।"
"मेरे से आप किस सेवा की अपेक्षा कर रही हैं ?"
"वही बताने जा रही हूं ।" - कावेरी बोली - "मिस्टर सुनील, वैसे तो बिन्दु के पीछे हर वर्ग के और हर आयु के लोग घूमते हैं लेकिन पहले बिन्दु सब में समान रूप से दिलचस्पी लेती थी । अब एकाएक वह एक आदमी में जरूरत से ज्यादा दिलचस्पी लेने लगी है, इतनी ज्यादा कि उसने अपनी मित्रमंडली के अधिकतर सदस्यों को काटना आरम्भ कर दिया है ।"
"और वह आदमी कौन है ?"
"उसका नाम मुकुल है । मुकुल विदेशों में फैली हिप्पी कल्ट का शत-प्रतिशत भारतीय डुप्लीकेट है । हिप्पियों जैसा ही उसका पहनावा है, वैसे ही वह दाढी-मूंछ और बाल वगैरह रखता है, वैसे ही वह मैजेस्टिक सर्कल पर स्थ‍ित मैड हाउस नाम के एक रेस्टोरेन्ट में गिटार बजाता है और अंग्रेजी के गाने गाता है । मैड हाउस हिप्पियों का अड्डा है । नौजवान जोड़े आधी-आधी रात तक वहां नाचते-गाते रहते हैं ।"
"आप कभी वहां गई हैं ?"
"जी हां एक बार गई थी । मैं देखना चाहती थी कि जिस जगह की इतनी चर्चा होती होती थी और जहां से बिन्दु कभी रात के एक बजे से पहले लौटती नहीं थी, आखिर वह थी क्या बला ! मिस्टर सुनील, वह रेस्टोरेन्ट वाकई मैड हाउस है । ऐसी बेहूदा हरकतें होती है वहां, ऐसा गुल-गपाड़ा मचता है कि कोई नया आदमी तो वहां जाकर पागल हो जाये । कोई संभ्रांत व्यक्ति वहां जाने के बारे में सोच भी नहीं सकता ।"
"आपने मुकुल को देखा ?"
"जी हां और इस बात की कल्पना मात्र से ही मेरा दिल दहल गया कि बिन्दु उस आदमी के बारे में इस हद तक गम्भीर थी कि उससे शादी करना चाहती थी ।"
"शादी !"
"जी हां । बिन्दु ने मुझे कुछ नहीं बताया है लेकिन मैंने और लोगों के मुंह से सुना है कि वह मुकुल नाम के उस देसी हिप्पी से शादी करना चाहती है । हे भगवान ! कैसा वीभत्स रूप था उसका ! पैंतीस साल से कम उसकी उम्र नहीं थी । उसने लम्बे-लम्बे बाल रखे हुए थे जो वह गरदन को झटका देता था तो उसके चेहरे पर आ गिरते थे । उसने गले में गिटार लटकाई हुई थी, वह गिटार बजा रहा था और गला फाड़-फाड़ कर भगवान जाने क्या गा रहा था ! मुझे तो उस आदमी से ऐसी अरुचि हुई कि मैं फौरन वहां से चली आई । अगले दिन मैंने बिन्दु से बात की ।"
"फिर ?"
"पहले तो वह इस विषय में कोई बात करने के लिये तैयार ही न हुई लेकिन जब मैंने उसे रायबहादुर साहब की इज्जत का वास्ता दिया तो वह बोली कि वह शीघ्र ही मुकुल से शादी करने वाली थी और उसके इस कृत्य से रायबहादुर साहब की इज्जत पर कोई आंच नहीं आने वाली थी । वह बोली कि मेरे जैसे लोगों को मुकुल इसलिये बुरा लगता था, क्योंकि हक आधुनिक सभ्यता से बहुत पिछड़े हुए लोग थे और आज की तेजरफ्तार जिन्दगी से कदम मिलाकर चल पाना हमारे बस की बात नहीं थी । मैंने खानदान की बात की तो उसने उसे एक पुराना, घिसा-पिटा और दकियानूसी विचार बताया । मैंने कहा कि मुकुल उससे उम्र में कम से कम पन्द्रह वर्ष बड़ा था तो वह‍ बोली कि रायबहादुर साहब भी तो मुझ से कम से कम बीस वर्ष बड़े थे फिर मैंने उन से शादी क्यों की ? मैंने कहा कि सम्भव था कि वह उस की दौलत हथियाने के लिये उससे शादी करना चाहता था । उत्तर में वह बड़े व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोली कि मैं अपनी स्थिति भूले जा रही थी । मैंने भी तो रायबहादुर साहब की दौलत हथियाने के लिये ही शादी की थी । बोली, अव्वल तो ऐसी बात थी नहीं लेकिन अगर वास्तव में मुकुल ऐसा कर भी रहा था तो तकलीफ क्यों हो रही थी । मैंने पूछा कि वह मुकुल के बारे में क्या जानती थी तो वह बोली कि मुकुल के बारे में उसे कुछ जानने की जरूरत ही नहीं थी । कहने का मतलब यह है कि उस लड़की के पास हर बात का नपा-तुला जवाब मौजूद है । उस हिप्पी ने उस पर ऐसा जादू कर दिया है कि उसका कोइ उतार मुझे नहीं सूझ रहा है । उसका बिन्दु पर इतना अधिक प्रभाव है कि वह खुद भी अपने खूबसूरत शालीनतापूर्ण और कीमती परिधान उतार कर हिप्पियों जैसे बेहूदा और बेढंगे कपड़े पहनने लगी है ।"
कावेरी चुप हो गई ।
"मैडम" - सुनील धैर्यपूर्ण स्वर में बोला - "मैं दसवीं बार आप से यह सवाल पूछ रहा हूं कि मैं इस मामले में आपकी क्या सहायता कर सकता हूं ?"
"आप मुकुल के बारे में जानकारी हासिल करने में मेरी सहायता कर सकते हैं ।"
"क्या मतलब ?"
"देखिये, बिन्दु पर वह इस हद तक हावी हो चुका है कि उसके बारे में मैं बिन्दु की राय तो बदल नहीं सकती हूं लेकिन शायद मैं मुकुल को बिन्दु का पीछा छोड़ने के लिये मजबूर करने में सफल हो जाऊं ।"
"कैसे ?"
"मुकुल इस शहर का रहने वाला नहीं है । हाल ही में वह किसी अन्य शहर से राजनगर आया है ।"
"कहां से ?"
"मुझे नहीं मालूम ।"
"फिर ?"
"उस आदमी की शक्ल-सूरत से मैं इतना तो अन्दाजा लगा ही सकती हूं कि वह किसी कुलीन परिवार का सदस्य नहीं है । मेरे दिमाग में एक आशंका पैदा हो रही है, या यह कह लीजिये कि एक आशा जाग रही है, कि शायद वह कोई जरायमपेशा आदमी हो । शायद वह किसी अन्य शहर में ऐसा कोई बखेड़ा कर बैठा हो कि उसे वहां से भागना पड़ा हो । शायद आज भी पुलिस को उस की तलाश हो । उसका हिप्पियों वाला पहरावा देखकर न जाने क्यों मुझे ऐस लगता है जैसे वह वास्तव में हिप्पी बनने का शौकीन नहीं बल्कि अपना रूप बदलने के लिये ऐसा स्वांग भर रहा है ।"
"आप का ऐसा सोचने का कोई आधार तो होगा ?"
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