Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
11-30-2020, 12:45 PM,
#31
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
राज ने उसके गाल पर हल्का सा चुंबन जड़कर स्वयं को उससे अलग कर लिया।

-“अंधेरे से बचने के लिए तुम लाइट ऑन कर सकती हो।”

राज ने दीवार पर लाइट स्विच टटोला।

-“नहीं।” रंजना ने उसकी बाँह नीचे खींच ली- “मैं अपना चेहरा तुम्हें दिखाना नहीं चाहती। मैं रो रही हूँ। मैं खूबसूरत नहीं हूँ।”

-“इस्तेमाल किए जाने के लिए तुम काफी खूबसूरत हो।”

-“नहीं। खूबसूरती मीना में है।”

-“मीना के बारे में मैं नहीं जानता। उससे कभी नहीं मिला। मुझे तो तुम्हारा डर भागना है और तुम्हे डर से मुक्ति देनी है ''

रंजना ने अपने होंठो को दाँत से काटते हुए बड़े मादक अंदाज में राज से कहा '' मैं भी तो चाहती हूँ कि कोई मेरी इस तन्हाई को दूर करे और मुझे डर से मुक्ति दिलाए ''
इस खुले आमंत्रण से राज बहुत ही हॉर्नी हो चुका था,

वो जल्दी से रंजना को लेकर बैड बैठ जाता है और उसको चूमने लगता है , रंजना भी उसको पूरा सहयोग करती है , रंजना बहुत ही सेक्सी और चालाक
औरत थी उसको पता था की किसी को कैसे खुश करना है उसको सेक्स की हर कला आती है , वो राज को लिपलॉक किस करती है जो करीब 4 मिनिट चलती है ,

राज का लंड उसकी पेण्ट फाड़कर बाहर निकलने को होने लगता है तभी रंजना राज की पेण्ट को अधखुला करके उसके लंड को बाहर निकाल लेती है ,और बड़े ही सेक्सी अंदाज से सहलाने लगती है , राज का लंड प्रिकम की दो - तीन बूंद वीर्य की छोड़ देता है जिसको रंजना अपनी अँगुलियों में लेकर चाट जाती है ,

अब राज पागल हो जाता है वो रंजना के बूब पकड़ लेता है और मसलने लगता है रंजना उसको रोकती है और अपना टॉप उतार देती है साथ ही ब्रा भी ,
रंजना के बड़े-बड़े बूब अब खुलकर राज के सामने थे , राज एक बूब को मुंह में भर लेता है और दूसरे को अपने हाथ से मसलने लगता है , किसी के बूब मसलने का पहला अनुभव था , रंजना उसका लंड और बॉल सहलाने लगती है , अब राज से रुका नहीं जाता है वो सब छोड़ कर अपने कपड़े उतार फेंकता है ....

रंजना भी अपना स्कर्ट उतार देती है लेकिन जब पेंटी उतारती है तो उसकी चूत का छेद साफ़ दिख रहा था , उसकी चूत बहुत ही मस्त और साफ़
सुथरी थी और सबसे बड़ी बात उसकी चूत का छेद लाल था जिसको देख कर राज पागल हो गया .....

राज रंजना को अपनी बाँहों मे भर लेता है लेकिन रंजना उसको रुकने को कहती है फिर रंजना राज के बड़े से लंड को अपने सुंदर मुंह में भर लेती है उसके बाद रंजना लंड को ऐसे तरिके से चूसने लगती है की राज पागल ही हो जाता है , उसके मुँह से आहहहह आहहहहह की आवाज निकलने लगीं थी ,
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11-30-2020, 12:45 PM,
#32
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
राज तो मानो सातवें आसमान में था.... इतने में रंजना का ध्यान उसके आंडों पर गया... अब उसने राज के आंडों को एक एक करके अपने मुँह में भरकर चूसना शुरू किया..

वो गर्म होता गया और अब तो रंजना कभी कभी उसके दोनों आंडों को एक साथ लेकर चूस रही थी , राज ने आज से पहले अपने आंड कभी किसी को चुसवाये नहीं थे ,

आगे पढ़िये राज के शब्दों में.........
मुझसे अब और नहीं रहा गया,मैंने उसको अपने लंड से हटाया, उसकी पेंटी को उतार फेंका और उसे पेट के बल लिटाकर उसके गोरे, मुलायम चूतड़ों और चूत को दबाने और चूमने लगा.

कुछ देर बाद मैंने उसके दोनों पैरों को अलग करते हुए उसकी चूत के छेद को अपनी जीभ से सहलाने और चाटने लगा.
जिसके कारण उसके चूत का छेद खुलने लगा. मैं उसकी गुलाबी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा.

अब रंजना भी एकदम गर्म हो चुकी थी और वो बोलने लगी - राज मेरे प्यार , और कितना तड़पाओगे ? जल्दी से अपना मस्त और बड़ा लंड मेरी चूत में डालो और उसकी आग बुझाओ,

फिर उसकी चूत के छेद पर मैंने बहुत सारा थूक लगाया और लंड को रगड़ते हुए कहा- हां रंजना , मेरी जान, इस चूत को चोदने में मेरे लंड को बहुत मजा वाला है,
आज तेरे चूत का भोसड़ा बनाके ही दम लूँगा ....

मुझको सेक्स करते वक्त गालिया देना और सुनना दोनों ही पसंद है ,

मैंने अपना लंड धीरे धीरे से रंजना की लाल चूत में घुसाना शुरू किया.... सिर्फ टोपा ही अन्दर गया था कि उसने कहा- आह… राज .. आराम से, मुझे चूत मरवाए बहुत दिन हो गए हैं...(यह रंजना का नाटक था राज को उकसाने के लिए )

उसकी बात को मैंने अनसुना कर दिया और एक जोर का झटका दिया... आधे से ज्यादा लंड उसके चूत में घुस चुका था.
रंजना चीखते हुए बोली - बहनचोद, धीरे से कर.. वरना मेरा छेद फट जाएगा साले...

मैंने मुस्कुराते हुए कहा- रंजना मेरी जान , मैं तो धीरे कर रहा हूँ, पर मेरे लंड को कौन समझाए...
इतना कहकर मैं धीरे धीरे उसकी चूत की चुदाई करने लगा... बस 5 मिनट में ही उसकी चूत ढीली हो गई और मेरा लंड पूरा अन्दर जाने लगा....

अब रंजना को भी मजा आने लगा था,

रंजना बोली - आह.. राज .. और जोर से करो, अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर पूरा घुसा दो,

मैं- आज तो तेरे चूत को फाड़ कर ही दम लूँगा मेरी रंजना...

फिर मैंने उसे डॉगी पोज में आने को कहा और अपना लंड पूरा बाहर निकालता और पूरा अन्दर घुसाता...
उसकी चूत पूरी तरह खुल चुकी थी... अन्दर का लाल भाग साफ दिख रहा था... ऐसा करने में मेरे लंड को बहुत मजा आ रहा था,
मेरा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था,

फिर मैंने उसे पलटा और मेरे फेवरेट पोज मिशनरी में.. उसे चोदने लगा.... रंजना भी अब खुल कर मेरा साथ दे रही थी ,

करीब 15 मिनट तक मैं उसे इसी पोज में चोदता रहा... अब रंजना भी अपना लंड हिलाने लगी थी , पूरा कमरा खचपच की आवाज से भर चुका था,
मैंने रंजना को इशारा किया कि मेरा पानी निकलने वाला है... तो उसने मुझे रोका और मुझे लेटने को कहा और वो मेरे लंड के ऊपर बैठकर अपनी चूत को ऊपर नीचे करने लगी ,

मैं- यार रंजना तुम तो बहुत ही सेक्सी हो कितना मस्त मजा दे रही हो ऐसा मैंने आज तक नहीं किया था ,

रंजना - अब तो आपने देखा ही क्या है. .. अब तो आपसे रोज नई चीजें करवाउन्गी... और बताउन्गी भी कर के ,

यह कहकर उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी, उसके चूतड़ों के मेरी जांघों से टकराने के कारण छपछप की आवाज आने लगी. हमारी चुदाई को करीब आधा घंटा हो चुका था.

मैंने उससे कहा- अब और नहीं रोक पाऊँगा रंजना में अपने आप को झड़ने से,

तो वो उठकर अपने पैरों पर किसी प्यासी रंडी की तरह जीभ बाहर निकालकर मेरे लौड़े को देखने लगी ,

मैं खड़ा हुआ और अपने लंड को हिलाने लगा... कुछ ही पलों में मेरा पानी निकला, तो मैंने अपना लंड सीधा उसके मुँह में दे दिया,

उसने मेरा पूरा पानी किसी रंडी की तरह पी लिया और लंड को चूसचूस के साफ करने लगी ,

मैंने एक बड़ी लम्बी सांस ली और अपने आधे खड़े लंड से उसका मुँह चोदने लगा,

अब रंजना ने फिर अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगी और साथ ही जोर जोर से मेरा लंड भी चूसने लगी कुछ ही देर में उसका पानी निकल गया
जो बेड पर गिर गया और फिर हम एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे को बांहों में भरकर लेट गये.... क्यूंकि हम इस चुदाई से बहुत ही थक चुके थे

कुछ देर आराम करने के बाद राज ने अपने कपड़े पहने और जाते हुए रंजना से गुडनाइट कहा

-“गुड नाइट।” संक्षिप्त मौन के पश्चात वह बोली- “अब मैं सॉरी तो नहीं कहूँगी लेकिन कुछेक पल के लिए मेरा दिमाग घूम गया था। कौशल को अक्सर रात में देर तक काम करना पड़ता है। उसके घर आने पर मैं ठीक हो जाऊँगी। मुझे घर पहुंचाने का शुक्रिया।”

-“डोन्ट मैनशन इट।”

-“अगर मीना तुम्हें मिल जाती है तो फौरन मुझे बताओगे न?”

-“जरूर।”

राज बाहर निकला। कार में सवार होकर वापस शहर की ओर ड्राइव करने लगा।

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11-30-2020, 12:45 PM,
#33
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
रोज एवेन्यू अपने नाम के अनुरूप गुलाबों की खुशबू से महक रहा था।

कार से उतर कर राज दोनों ओर उगी गुलाब की झाड़ियों के बीच बने रास्ते पर चल दिया। एक ऊँचे फव्वारे के चारों ओर बारह काटेजनुमा घर बने थे। प्रत्येक के आगे मौजूद पोर्च के बाहर भी गुलाब उगे थे। अधिकांश घरों में रोशनी थी और संगीत के स्वर सुनाई दे रहे थे। लेकिन छह नंबर में अंधेरा और खामोशी थी।

दरवाजे को हाथ लगाते ही वो अंदर कि ओर खुल गया।

राज ने हाथ में पकड़ी टार्च जलाई।

लॉक के आसपास दरवाजे का हिस्सा टूटा हुआ था।

राज ने भीतर दाखिल होकर कोहनी से दरवाजा बंद कर दिया।

मीना छह दिन से गायब थी। यह ख्याल आते ही राज ने यूँ नाक से सांस खींची मानों मौत की गंध ले रहा था। लेकिन उसके नथुनों से जीवन की बासी गंध टकराई - सिगरेट के पुराने धुएँ, शराब और परफ्यूम की मिली-जुली।

टार्च की रोशनी दीवारों और फर्नीचर पर घूमने लगी। नंगी औरतों की पेंटिंग्स, अंजता एलोरा स्टाइल से लकड़ी पर उकेरी गई सहवासरत स्त्री पुरुषों की आकृतियाँ, फायर प्लेस में रखा रूम हीटर, नावलों से भरा बुक रैक, छोटी सी आलमारी, कोने में बनी बार, आरामदेह सोफा सेट वगैरा सब नए और मूल्यवान थे।

आलमारी खुली थी। लॉक टूटा हुआ। उसमें पेपर्स और लिफाफे भरे थे। सबसे ऊपर रखे लिफाफे पर मर्दाना लिखावट में मिस मीना बवेजा लिखा था और वो खाली था।

बैडरूम और बाथरूम की ओर जाने वाले छोटे से गलियारे में खुले मेहराबदार दरवाजे पर परदा झूल रहा था। बैडरूम छोटा और जनाना था। ड्रेसिंग टेबल और आरामदेह पलंग भी नए और कीमती थे। लापरवाही से बनाए गए बिस्तर की एक साइड दबी थी और चादर सिकुड़ी हुई थी। मानों उस खास जगह पर कोई बैठा रहा था। बैड साइड टेबल पर हीरे जड़ी सोने की रिस्टवाच रखी थी।

पलंग के नीचे कुछ नहीं था। ड्राअर्स चैस्ट में भी अंडर गारमेंट्स के अलावा कोई खास चीज नहीं थी। ब्रेजियर्स, अंडरवीयर्स, स्विम सूट्स वगैरा के ढेर से जाहिर था मीना को इन चीजों का खास शौक था और इन पर काफी पैसा वह खर्चती रहती थी।

बाथरूम में जाकर राज ने लाइट स्विच ऑन किया। बाथ टब के ऊपर बने टावल रैक में तौलिये, बेदिंग गाउन भरे थे। वाश बेसिन के ऊपर मैडिसन केबिनेट में लोशन, क्रीम, परफ्यूम वगैरा के अलावा एक डिब्बे में तनाव कम करने और नींद लाने वाली गोलियाँ भरी थीं।

राज ने उसे बंद कर दिया।

बगल वाले फ्लैट से आता संगीत का शोर ऊँचा हो गया था।

बाथरूम की तलाशी लेते राज को वहाँ कहीं भी टूथब्रश नजर नहीं आया।

वह वापस बेडरूम में पहुंचा।

ड्रेसिंग टेबल से भी कुछेक ऐसी चीजें गायब थीं जो कि वहां होनी चाहिए थीं। लिपस्टिक, फेस पाउडर, क्रीम, आई ब्रो पैंसिल वगैरा।

अभी तक कोई लेडीज पर्स या हैंडबैग भी कहीं नजर नहीं आया था।

राज बाहरी कमरे में लौटा।

बारीकी से तलाशी लेने पर कोई पर्सनल चीज नहीं मिली। अलबत्ता पुराने बिल और बिजनेस लैटर्स काफी सारे और सही ढंग से रखे मिले। आधी इस्तेमाल की गई चैक बुक में मौजूद आखिरी एंट्री के मुताबिक मीना का बैंक बैलेंस करीब दो लाख रुपए था। आखिरी पैमेंट सात अक्टूबर को यानी आठ रोज पहले किसी मिस रीटा सैम्सन को की गई थी।

ठीक उस वक्त जब राज निराश होकर सीधा खड़ा होने वाला था आलमारी के शैल्फ पर बिछे मोटे पेपर के नीचे रखा एक मुड़ा लिफाफा उसके हाथ आ गया। करीब साल भर पहले उसे विशालगढ़ से पोस्ट किया गया था। उसमें रखा लैटर सस्ते होटल की स्टेशनरी के एक पेपर के दोनों ओर पैंसिल से लिखा था। लिखने वाले का नाम था- मनोहर।

राज ने बाथरूम में जाकर दरवाजा बंद करके खत पढ़ना शुरू किया।

प्यारी मीना,
मेरा खत पाकर तुम हैरान हो जाओगी खुद मुझे भी हैरानी हो रही है। पिछली दफा जो कुछ तुमने कहा था उसकी वजह से खत लिखना तो दूर रहा मैंने सोचा तक नहीं था कि मैं तुमसे दोबारा मिलूंगा। लेकिन मैं यहां विशालगढ़ के इस घटिया होटल में फंसा हुआ हूं। जिस शिप का मुझे इंतजार करना पड़ रहा है वह तूफान में घिर जाने की वजह से कल सुबह से पहले नहीं पहुंचेगा। इसलिए मैं विशालगढ़ के इस घटिया होटल के कमरे में रात गुजारने को मजबूर हूँ हालांकि तुम मेरे पास नहीं हो लेकिन तुम्हारा चांद जैसा चेहरा मेरे सामने हैं....तुम मुस्करा क्यों नहीं रही हो मीना?

लगता है तुम मुझे सनकी या पागल समझती हो। लेकिन मैंने आज रात न तो शराब पी है न ही कोई नशा किया है। मैं सड़कों पर घूमता रहा हूं। यहां औरतों की कमी नहीं है। रात भर के लिए मैं आसानी से हासिल भी कर सकता था मगर उनमें कोई दिलचस्पी मेरी नहीं है। उस दफा तुम्हारे साथ के बाद से किसी भी और औरत की ओर मैंने देखा तक नहीं है। अगर तुम चाहो तो मैं तुमसे शादी कर लूंगा। मैं जानता हूं, पैसे के मामले में मेरा हाथ तंग है। शराब के धंधे में लगी उस खास पार्टी के साथ मुकाबला मैं नहीं कर सकता। लेकिन मैं एक वफादार दोस्त हूं। उस खास पार्टी से तुम्हें भी सावधान रहना चाहिए मीना। वह ऐसा आदमी है जिस पर तुम भरोसा नहीं कर सकतीं। मैंने यह भी सुना है कि उसकी माली हालत खराब होने वाली है। उसकी पत्नि का पैसा ज्यादा देर नहीं चलेगा।

मैं जानता हूं तुम अपने काबिल मुझे नहीं समझतीं। लेकिन मैं यकीन दिलाता हूं तुम्हारे ‘उससे’ मैं लाख दर्जे बेहतर हूं। तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं और करूंगा, मीना।

यह धमकी नहीं है। मैंने कभी तुम्हें धमकी नहीं दी। मेरे गुस्से और दीवानगी को तुम नहीं समझी थीं। जैसा कि तुमने कहा था वो जलन या ईर्ष्या नहीं थी। मैं दुखी था। तुम्हारे लिए फिक्रमंद था। मैं सारी रात तुम्हारे घर के बाहर खड़ा रहा था। जब ‘वह’ तुम्हारे साथ अंदर मौजूद था। मैंने बहुत दफा ऐसा किया था। मैं तुम्हें बताना चाहता था। लेकिन यह राज तुम्हें कभी नहीं बताया। चिंता मत करना कभी किसी को बताऊंगा भी नहीं।

मैं तुम्हें प्यार करता हूं मीना- दिलोजान से। लाइट ऑफ करने के बाद अंधेरे में भी तुम्हारा चांद सा चेहरा मेरी आंखों के सामने रहेगा।

तुम्हारा वफादार दोस्त
मनोहर
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11-30-2020, 12:46 PM,
#34
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
पुनश्च: जैसा कि मैंने कहा इस शहर में औरतों की कोई कमी नहीं है। अगर मुझे एक और रात यहां रुकना पड़ा तो पता नहीं क्या होगा। मेरा ख्याल है कि किसी भी सूरत में तुम्हें कोई फर्क इससे नहीं पड़ेगा-म.स.।

राज ने दो बार ध्यान से खत पढ़ा। उससे न सिर्फ मनोहर की मीना के प्रति सनक जाहिर थी बल्कि मीना के किसी और के साथ गहरे ताल्लुकात का सबूत भी उसमें मौजूद था।

बाथरूम का दरवाजा खोलते ही राज को लगा फ्लैट में कुछ बदल गया था। और उसके अलावा कोई और भी वहां मौजूद था। जल्दी ही उसके शक की पुष्टि हो गई। बाहर अंधेरे में किसी के सांस लेने की धीमी आवाज उसके सतर्क कानों में पड़ी।

अपनी उस स्थिति में उसे आसानी से ढेर किया जा सकता था। छोटा सा गलियारा और मेहराबदार दरवाजा............ शूटिंग गैलरी थे जिसमें वह खुद निहायती ही आसान टारगेट बन कर रह गया था।

बाथरूम की लाइट ऑफ करके वह दबे पांव सतर्कतापूर्वक बैडरूम के दरवाजे की ओर बढ़ा। अंधेरे में आगे फैला उसका हाथ दरवाजे को टटोल रहा था। उसके दूसरे हाथ में थमी टार्च डंडे की तरह तनी थी।

सहसा करीब छह फुट दूर मेहराबदार दरवाजे में उसे परदे की सरसराहट सुनाई दी। फिर हल्की सी आवाज के साथ गलियारे की छत में लगा बल्ब जल उठा।

मेहराबदार दरवाजे की साइड में सिकुड़े परदे से एक गन सीधी अपनी और तनी नजर आई।
लंबे-चौड़े हाथ में तनी वह अड़तीस कैलीबर की रिवाल्वर थी।

-“बाहर निकलो।” आदेश दिया गया।

राज ठिठक गया। स्वर परिचित सा था।

-“हाथ ऊपर उठाकर बाहर आओ।” पुनः आदेश दिया गया। आवाज इन्सपैक्टर चौधरी की थी- “मैं तीन तक गिनूंगा फिर शूट कर दूंगा....एक....।”

राज ने टार्च जेब में ठूंसकर हाथ ऊपर उठा लिए।

पर्दा एक तरफ खिसकाकर इन्सपैक्टर प्रगट हुआ।

-“तुम।” रिवाल्वर को उसकी छाती की ओर ताने इन्सपैक्टर आगे आया- “तुम यहां क्या कर रहे हो?

-“अपना काम।” राज ने जवाब दिया।

-“कैसा काम?”

-“बवेजा ने मुझे अपने ट्रक का पता लगाने का काम सौंपा है।”

-“और तुम समझते हो ट्रक यहां मिस बवेजा के बाथरूम में छिपाया गया था?”

-“उसने अपनी बेटी मीना का पता लगाने की जिम्मेदारी भी मुझे सौंपी है।”

इन्सपैक्टर ने रिवाल्वर उसके पेट में गड़ा दी। उसके कठोर चेहरे और हिंसक आंखों से जाहिर था कि वह शूट करने के लिए तैयार था।

-“मीना कहां है?”

रिवाल्वर की गड़न महसूस करते राज को अपनी पीठ पर पसीना बहता महसूस हो रहा था। गला खुश्क हो गया था।
-“मैं नहीं जानता कहां है।” वह फंसी सी आवाज में बोला- “बेहतर होगा कि सैनी से पता करो।”

-“क्या मतलब?”

-“अगर तुम तसल्ली से मेरी बात सुनना चाहो तो मैं मतलब बता दूंगा। इस तरह रिवाल्वर के दम पर पुलिसिया रोब डालने से कुछ नहीं होगा।”

इन्सपैक्टर ने रिवाल्वर पीछे कर ली।

-“सैनी के बारे में क्या कहना चाहते हो?”

-“इस सारे मामले में कदम-कदम पर वही मौजूद है। जहां मनोहर को शूट किया गया उस स्थान के सैनी सबसे ज्यादा नजदीक था। ट्रक में सैनी की विस्की लदी थी। अब तुम्हारी साली के गायब होने की बात सामने आयी है। वह सैनी की मुलाजिमा थी और शायद उसकी रखैल भी। यह सिर्फ शुरुआत है।”

राज ग्लोरी रेस्टोरेंट में सैनी की उस लड़की से मुलाकात और उन दोनों के बीच हुई चोरी से सुनी गई उनकी बातचीत के बारे में भी बताना चाहता था लेकिन फिर इरादा बदल दिया।

इन्सपैक्टर चौधरी ने अपनी पीक कैप पीछे खिसकाकर कनपटी सहलाई। वह उलझन में पड़ा नजर आया। दाएं हाथ में थमी रिवाल्वर का रुख अब फर्श की ओर था।

-“सैनी से पूछताछ की जा चुकी है।” वह बोला। उसके स्वर में पुलिसिया रोब नहीं था- “मनोहर की शूटिंग के वक्त की एलीबी है उसके पास।”

-“उसकी पत्नि?”

-“हां।”

-“उसकी बात पर आपको यकीन है?”

-“हां। रजनी को मैं लंबे अर्से से जानता हूं। उसके जज पिता को भी जानता था। उस औरत पर पूरी तरह यकीन किया जा सकता है।”

-“लेकिन अपने पति की खातिर व झूठ तो बोल ही सकती है।”

-“हो सकता है। लेकिन वह झूठ नहीं बोल रही है। वैसे भी सैनी को एलीबी की जरूरत नहीं है। वह एक इज्जतदार शहरी है।”

राज चकराया। सैनी के प्रति इन्सपैक्टर के ये नए विचार उसकी समझ से परे थे।

-“कितना इज्जतदार?”

-“उसकी जाती जिंदगी की बात में नहीं कर रहा हूं। मेरा कहने का मतलब है, हाईवे पर किसी ट्रक ड्राइवर को शूट करने वाला आदमी वह नहीं है।”

-“बीस लाख के लिए भी नहीं?”

-“नहीं।”

-“खैर, मोटी रकम की विस्की का आर्डर काफी बड़ा होता है। क्या करता है वह? विस्की में नहाता है?”

-“नहीं। बेचता है।”

-“अपने होटल में?”

-“नहीं। शहर की दूसरी साइड में उसकी अपनी एक बार है- रॉयल क्लब के नाम से।”

-“सुभाष रोड पर?”

-“हां।”

-“और क्या है उसके पास- सियासी पहुंच?”

-“कुछ है - अपनी पत्नि के रसूखात के जरिए।”
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11-30-2020, 12:46 PM,
#35
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“वह पहुंच सैनी के मामले में तुम्हें भी प्रभावित कर सकती है?” राज ने और ज्यादा कुरेदते हुए पूछा।

इस दफा इन्सपैक्टर पर सीधा और तुरंत असर हुआ। उसकी कनपटी पर एक नस तेजी से फड़कती नजर आई।

-“तुम्हें कुछ ज्यादा ही सवाल करने की आदत है।”

-“मैं वही सवाल करता हूं जिनके जवाब जानने जरूरी होते हैं।”

-“मत भूलो कि तुम मुझसे बात कर रहे हो?”

-“मैं बिल्कुल भी नहीं भूल रहा हूं।”

-“तो फिर तुम सिचुएशन को नहीं समझ रहे हो।”

-“कौन सी सिचुएशन?”

-“तुम्हारी इस फ्लैट में मौजूदगी सरासर गलत और गैर कानूनी है। दरवाजे का ताला तोड़कर तुम्हें यहां घुसने के जुर्म में मैं हवालात में डाल सकता हूं।”

-“यह जुर्म मैंने नहीं किया। मुझसे पहले ही किया जा चुका था।”

-“सच कह रहे हो?”

-“बिल्कुल सच। मेरे आने से पहले ही यहां सेंध लगाई जा चुकी थी। और सेंधमार कोई मामूली नहीं था।

बैडरूम में टेबल पर बड़ी कीमती रिस्टवाच पड़ी है। जबकि चोरी की नीयत से आने वाले सेंधमार ने घड़ी यहां नहीं छोड़नी थी। दूसरी भी जो चीजें गायब हैं उन्हें भी वह नहीं ले गया होगा।”

-“कौन सी दूसरी चींजे?”

-“पर्सनल। टूथब्रुश, पाउडर काम्पैक्ट, लिपस्टिक, पर्स वगैरा। मेरा ख्याल है मीना बवेजा कहीं वीकएंड मनाने गई थी और वापस नहीं लौटी। फिर किसी ने यहां सेंध लगाई, डेस्क का ताला तोड़ा और उसकी जाती जिंदगी से जुड़ी कई चीजें ले गया- लैटर्स एड्रेस बुक, टेलीफोन नंबर....।”

-“अगर दरवाजे का ताला तुमने नहीं तोड़ा तो भी यहां घुसने का कोई हक तुम्हें नहीं था। तुमने कानूनन....।”

-“मैंने यहां तलाशी लेने की इजाजत ले ली थी।”

-“किससे?”

-“तुम्हारी पत्नि से।”

-“उसका इससे क्या ताल्लुक है?”

-“उसकी बहन गायब है और निकटतम रिश्तेदार होने की वजह से....।”

-“वह तुम्हें कहां मिली?”

-“कोई घंटाभर पहले बवेजा की कोठी से मैंने उसे उसके घर पहुंचाया था।”

-“उससे दूर ही रहो।” इन्सपैक्टर कड़े स्वर में बोला- “सुना तुमने। मेरे घर और मेरी पत्नि से दूर ही रहना।”

-“बेहतर होगा कि तुम अपनी पत्नि को मुझसे दूर रहने की हिदायतें दे दो।”

राज को फौरन अहसास हो गया उसे ऐसा नहीं कहना चाहिए था।

कुपित इन्सपैक्टर का रिवाल्वर वाला हाथ उस पर लपका। नाल का प्रहार राज की ठोढ़ी पर पड़ा। सर पीछे दीवार से टकराया और वह चकराकर फर्श पर जा गिरा।

चंद क्षणोपरांत उठा। हाथ के पृष्ठ भाग से ठोढ़ी से खून साफ किया।

-“इसके लिए तुम्हें पछताना होगा, इन्सपैक्टर।”

इन्सपैक्टर का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था।

-“इससे पहले कि दोबारा मेरा हाथ उठे दफा हो जाओ।”

राज थके से कदमों से चलता हुआ खुले दरवाजे से बाहर निकल गया।
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11-30-2020, 12:46 PM,
#36
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
रायल क्लब।

औसत दर्जे की बार निकली।

बार स्टूलों पर मौजूद तीन लड़कियां इंतजार करती सी प्रतीत हो रही थीं।

राज को भीतर दाखिल होता देखकर अपनी छातियां फुलाई और मेकअप से पुते उनके चेहरों पर स्वागत करने जैसी मुस्कराहटें उभरी।

ऊंची पसंद रखने जैसे भाव अपने चेहरे पर लिए राज उनके पास से गुजर कर बार के दूसरे सिरे की ओर बढ़ गया।

पिछले हिस्से में बना डांसिंग फ्लोर और बैंड स्टैंड खाली पड़े थे।

ज्यूक बाक्स से पाश्चात्य संगीत उभर रहा था। राज सिर्फ इतना समझ पाया कोई प्रेमगीत गाया जा रहा था।

पिछली तरफ बने केबिनों में से एक में जीन्स और भड़कीली शर्टें पहने चार नौजवान बीयर पी रहे थे।

बारटेंडर मैले लिबास वाला थका हारा सा आदमी था।

राज ने लार्ज पैग पीटर स्कॉट का आर्डर दिया।

तत्परतापूर्वक ड्रिंक सर्व करके बारटेंडर तनिक मुस्कराया।

-“धंधा कैसा चल रहा है?” राज ने पूछा।

बारटेंडर ने गहरी सांस ली।

-“बेकार।”

-“क्यों?”

-“आज शाम विस्की का आर्डर देने वाले तुम पहले आदमी हो और....शायद आखिरी भी। यहां सब बीयर पीने आते हैं। तुम यहां नहीं रहते?”

-“नहीं।”

-“यहां से गुजर रहे हो?”

-“हां।”

-“सैर सपाटा ही असली जिंदगी है। अगर मेरा वश चलता तो मैं भी घूम सकता था। लेकिन पत्नि और परिवार के झमेले में फंसकर रह गया हूं।” बारटेंडर ने मायूसी से कहा फिर बोला- “पिछले साल हुई कुदरती मार के बाद से यहां पूरा शहर मुर्दा होकर रह गया है।”

-“कुदरती मार?”

-“पिछली गर्मियों में यहां भूचाल आया था। जान-माल के अलावा और भी कई तरह के नुकसान उससे हुए। पूरे शहर में दहशत फैल गई। उससे कुछेक लोगों को तगड़ा फायदा भी हुआ पहले यहां के लोगों की जिंदगी बड़ी हंगामाखेज हुआ करती थी। लेकिन भूचाल ने सब खत्म कर दिया। बाकी धंधे तो फिर भी ठीक-ठाक हैं। मगर बार का धंधा बिल्कुल बैठ गया। मेरी मत मारी गई थी जो इस जगह को खरीदने का पागलपन कर बैठा।”

-“तुम इस बार के मालिक हो?”

उसने जवाब नहीं दिया। वह पिछले केबिन में बैठे नौजवानों को कड़ी निगाहों से घूर रहा था।

-“देखो, यहां कैसे कस्टमर आते हैं। एक बीयर लेंगे और घंटों उसी को चुसकते रहेंगे जैसे यह बार न होकर इनकी गपशप का अड्डा है।”

-“लीना जल्दी ही आएगी न?” राज ने लापरवाही से पूछा।
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11-30-2020, 12:46 PM,
#37
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“नहीं। अब कभी यहां नहीं आएगी।”

-“क्यों?”

-“वह छोड़ गई। और यह अच्छा ही हुआ वरना मैंने उसे निकाल देना था।”

-“मैं तो समझता था इसका मालिक सतीश सैनी है।”

-“वह पहले था। अब नहीं। आज सुबह यह जगह मैंने उसे खरीद ली। अपने इस पागलपन की वजह से अब मेरा दिल चाहता है अपने सारे बाल नोंच डालूं। कपड़े फाड़ दूं.....तुम सैनी के दोस्त हो?”

-“मिला हूं उससे।”

-“लीना के दोस्त हो?”

-“बनना चाहता था।”

-“बेकार वक्त जाया कर रहे हो। वह वापस नहीं आएगी और अगर आ भी गई तो तुम्हें घास नहीं डालेगी। वह रिजर्व्ड है।”

-“किसी खास के लिए?”

-“मैं शादी शुदा और बाल बच्चेदार आदमी हूं। ऐसी बात वह मुझे क्यों बताएगी?”

-“यह तो कोई वजह नहीं हुई। वह बता भी सकती थी....खैर क्या तुमने मनोहर लाल का नाम सुना है?”

उसका मुंह बन गया।

-“मैं मनोहर लाल को जानता हूं। कभी कभार यहां आता है।”

-“लेकिन अब कभी नहीं आएगा।”

-“क्यों?”

-“वह मर चुका है।”

-“कैसे? क्या हुआ?”

-“हाईवे पर किसी ने उसे शूट कर दिया।

वह विस्की से भरा ट्रक ला रहा था। ट्रक भी गायब है। उसमें सैनी की विस्की थी।”

-“ट्रक में सिर्फ विस्की थी?”

-“हां।”

-“कितनी?”

-“करीब बीस लाख रुपए की।”

-“नामुमकिन। इतनी विस्की वह बेचेगा कहां?”

-“ऑर्डर कई रोज पुराना रहा होगा। उसने इस बारे में तुम्हें नहीं बताया?”

-“हो सकता है बताया हो।” वह सतर्क स्वर में बोला- “मेरी याददाश्त कमजोर है।” उसने काउंटर पर झुककर राज को गौर से देखा- “तुम कौन हो? पुलिस वाले?”

-“मैं प्राइवेट डिटेक्टिव हूं।” राज ने गोली दी- “बवेजा ट्रांसपोर्ट कंपनी के लिए इस मामले की छानबीन कर रहा हूं।”

-“तुम समझते हो लीना का भी इससे कोई ताल्लुक है?”

-“यह उसी से पूछना चाहता हूं। वह मनोहर को जानती थी न?”

-“हो सकता है। मुझे नहीं मालूम।”

-“तुम्हें अच्छी तरह मालूम है वह जानती थी।”
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11-30-2020, 12:46 PM,
#38
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“जो चाहो समझ लो। मैं अपने मुंह से कुछ नहीं कहूंगा। यह ठीक है कोई बहुत बढ़िया सिंगर वह नहीं है। लेकिन यहां हमेशा लोगों का मनोरंजन किया करते थी। बेवजह उसे किसी मुसीबत में फंसाना मैं नहीं चाहता।”

-“वह मिलेगी कहां?”

-“पता नहीं एक पैग विस्की के बदले में तुम तो पुलिस जैसी पूछताछ करने पर उतर आए।”

-“मैं और पैग ले लूंगा।”

-“लेकिन मैं और नहीं दूंगा। बवेजा के पास जाओ और उससे कहो जहन्नुम में जाए। उसके साथ तुम भी वहां जा सकते हो।”

-“शुक्रिया।”

राज ड्रिंक खत्म कर के उठ गया।

उन तीन लड़कियों में से दो फ्लोर के सिरे पर डांस कर रही थीं।

राज उनके पास पहुंचा और उनमें से एक के साथ डांस करने लगा।

आंखों में अपने पेशे के अनुरूप चमक के बावजूद लड़की काफी खूबसूरत थी। डांसर भी अच्छी थी। लेकिन जिस ढंग से वह रह-रह कर अपने वक्षों और जांघों को राज के साथ रगड़ रही थी उससे जाहिर था- डांस उसके मुख्य पेशे का हिस्सा भर था।

राज को उसकी सस्ती परफ्यूम से घुटन सी महसूस हो रही थी।

कुछ देर बाद लड़की मुस्कराई।

-“में रोजी गोल्डन हूं।”

-“तुम्हारी तरह नाम भी खूबसूरत है।” राज ने तारीफ की।

-“मुझे डांस से प्यार है।”

-“मुझे भी हुआ करता था।”

-“तुम थक गए लगते हो। आओ बैठते हैं।”

-“मैं लेटना ज्यादा पसंद करूंगा।”

इस बात का अपने ढंग से मतलब निकालकर वह दिलकश अंदाज में मुस्कराई।

-“बहुत फास्ट हो। मैं तो तुम्हारा नाम तक नहीं जानती।”

-“मैं राज हूं।”

-“कहां के रहने वाले हो?”

-“विराट नगर।”

-“मैं भी कुछ अर्सा वहां रही हूं। बहुत बढ़िया शहर है। तुम क्या काम करते हो?”

-“कई काम है।”

-“समझी। कई तरह के बिजनेस हैं। मैं तुम्हारे बारे में जानना चाहती हूं। आओ किसी केबिन में बैठते हैं। मेरे लिए ड्रिंक का आर्डर दोगे न?”

-“जरूर।”

-“तो फिर आओ।”

-“कोई ऐसी जगह नहीं है जहां हम सिर्फ हम अकेले रह सके?”

लड़की ने उसके कंधे पर हाथ मारा।
-“बहुत ऊंची चीज हो। लड़की को फंसाने में जवाब नहीं है तुम्हारा। तुम वाकई एकांत चाहते हो?”

-“हां।”

-“ऊपर एक कमरा है।”

-“चलो, दिखाओ।”

राज उसके साथ चल दिया।

बारटेंडर ने कड़ी निगाहों से उसे घूरा मगर रोकने का प्रयास नहीं किया। आखिरकार धंधे का सवाल जो था।
लड़की कोने में बनी सीढ़ियां चढ़ने लगी।

राज ने भी उसका अनुकरण किया।
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11-30-2020, 12:46 PM,
#39
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
ऊपर गलियारे से गुजरकर लड़की एक कमरे में पहुंची।

कमरा छोटा था। लेकिन जिस काम के लिए इस्तेमाल किया जाता था उसकी पूरी सुविधाएं वहां मौजूद थीं।
लड़की दरवाजा बंद करके उसकी ओर पलटी।
-“फिल्म देखोगे?”

राज ने ट्राली पर रखें टी. वी. और वी. सी. आर. पर निगाह डाली।

-“उसकी कोई जरूरत नहीं है।”

लड़की ने हैरानी से उसे देखा मानों ऐसे जवाब की कल्पना भी उसने नहीं की थी।

वहां कोई कुर्सी नहीं थी। राज बैड पर बैठ गया।

लड़की यूँ गौर से उसे देखे जा रही थी मानों अपने तजुर्बे के आधार पर उसके बारे में सही राय कायम करना चाहती थी।

-“तुम्हें ब्लू फिल्में पसंद नहीं है?”

-“नहीं।”

लड़की आगे आकर उसके घुटनों पर बैठ गई। इस प्रयास में उसका स्कर्ट इतना ज्यादा सिकुड़ गया कि दूधिया चिकनी जांघें काफी ऊपर तक नंगी हो गई।

राज की तेज निगाहों से वहां मौजूद सुईयां चुभने से बने निशान छिप नहीं सके।

लड़की हेरोइन एडिक्ट थी।

-“तुम्हारी कोई खास पसंद है?”

-“नहीं।” राज ने जवाब दिया।

लड़की संदिग्ध सी नजर आई।

-“तुम ठीक-ठाक तो हो?”

-“तुम्हें कैसा नजर आता हूं?”

-“देखने में जवान और सेहतमंद हो लेकिन कुछ कर क्यों नहीं रहे हो? अपने कपड़े उतारूँ?”

-“नहीं।”

-“तुम्हारे?”

-“नहीं।” राज ने उसके कूल्हों पर हाथ रखकर अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर बगल में बैठा लिया- “मैं बातें करना चाहता हूं।”

लड़की ने तरस खाने वाले अंदाज में उसे देखा।

-“सिर्फ बातों से जी भर लेने वाले तो तुम नहीं लगते। ओह, समझी- “तुम जानना चाहते हो मुझे कोई बीमारी तो नहीं है। यकीन करो, मैं एकदम क्लीन हूं। हर महीने चैक अप कराती हूं।”

-“ऐसी कोई फिक्र मुझे नहीं है।”

-“तुम सचमुच सिर्फ बातें ही करोगे?”

-“हां।”

-“तब तो यहां आकर कोई समझदारी तुमने नहीं की।” वह संजीदगी से बोली- “बातें तो हम नीचे भी कर सकते थे। अब तुम्हें कमरे का किराया बेकार देना पड़ेगा।”

-“कितना?”

-“पांच सौ।”

-“और तुम्हें?”

-“एक हजार। मैं बातों के लिए भी उतना ही पैसा लेती हूं। अब यह बताओ किस बारे में बातें करना चाहते हो? मैं इस धंधे में कब क्यों और कैसे आई? या फिर मेरी जिंदगी में बतौर ग्राहक आए तरह-तरह के आदमियों के बारे में?”

-“मुझे सिर्फ एक आदमी में दिलचस्पी है- मनोहर लाल में। उसे जानती हो?”

-“हां। हालांकि मेरा ग्राहक वह कभी नहीं रहा। मेरे पास आता भी तो मैंने भगा देना था।”

-“क्यों?”

-“मुझे वह क्रैक लगता था।”

-“लीना भी उसके बारे में यही सोचती थी।”

लड़की का चेहरा कठोर हो गया।

-“मैं नहीं जानती लीना उसके बारे में क्या सोचती है।”

-“क्या वह उसके साथ नहीं जाती थी?”

-“हो सकता है थोड़ा-बहुत उसके साथ रही हो- महज मजाक के तौर पर। मेरा ख्याल है मनोहर कुछेक बार उसे अपने घर ले गया था।”

-“हाल ही में?”

-“हाँ, कोई पन्द्रहेक दिन पहले। एक रात बॉस मनोहर को लाया था....।”

-“सैनी उसे लाया था?”

-“हां, उसी ने लीना को कहा होगा कि मनोहर के साथ सही ढंग से पेश आए। इसके अलावा कोई और वजह मेरी समझ में नहीं आती कि वह क्यों उसके चक्कर में पड़ी। सनकी होने के साथ-साथ वह पूरा पियक्कड़ भी है। पिछली बार जब वह यहां आया नशे में धुत था। बारटेंडर ने उसे विस्की देने से साफ इंकार कर दिया।”

-“यह कब की बात है?”

-“तीन-चार रात पहली।” बस सोचती हुई बोली- “हां...” याद आया इतवार की।”

-“उस वक्त लीना भी यहीं थी?”

-“हां। मनोहर उसे घर ले गया था। या वह उसे घर ले गई थी। क्योंकि मनोहर इतना ज्यादा नशे में था कि उसे कुछ नहीं सूझ रहा था।”

-“यह लीना देखने में कैसी है?”

लड़की चकराई।

-“क्यों? तुम उसे नहीं जानते?”

–“अभी नहीं।”

-“अजीब बात है। तुम्हारी गहरी दिलचस्पी एक ऐसी लड़की में है जिसे तुमने कभी देखा तक नहीं।”

-“इसकी वजह है।”

-“क्या?”

-“इससे कोई फर्क नहीं पड़ता उसका हुलिया बताओ।”

-“वह इकहरे जिस्म की है लेकिन पतली नहीं कही जा सकती। पहले मैं भी ऐसी ही थी। बड़ी मुश्किल से मैंने थोड़ा मोटापा....।”

-“हम लीना की बात कर रहे थे।” राज ने टोका- “मुझे उसका पूरा हुलिया चाहिए।”

-“किसलिए?” वह खीजती सी बोली।

-“इससे कोई मतलब तुम्हें नहीं होना चाहिए।”

-“ठीक है। मुझे सिर्फ अपने वक्त से मतलब है। तुम्हारे लिए ज्यादा वक्त मेरे पास नहीं है।”

-“तुम्हारे वक्त की पूरी कीमत चुकाने के लिए मैं तैयार हूं।”

-“सिर्फ तैयार हो। अभी तक चुकाई तो नहीं।”

-“तुम्हारे वक्त का हिसाब रखा जाता है?”

-“हाँ।”

-“कौन रखता है?”

-“करन।”

-“वह कौन है?”

-“इस धंधे का मौजूदा मालिक।”

-“तुम्हारा मतलब है, बारटेंडर?”

-“हां।”

राज ने पर्स से पाँच सौ रुपए के तीन नोट निकालकर उसकी ओर बढ़ाए।

उसने फुर्ती से नोट खींचकर अपनी ब्रेजियर में खोस लिए। उसकी खीज मुस्कराहट में बदल गई।

-“तुम लीना का मुकम्मल हुलिया जानना चाहते हो?”

-“हां।”

वह खड़ी हो गई।

-“मैं तुम्हें उससे भी बढ़िया चीज दूंगी।”

बस दरवाजे की ओर बढ़ी।

-“जल्दी लूटना।”

-“अभी आती हूं।”

करीब पाँच मिनट बाद वह फोटो हाथ में लिए लौटी।

-“यह लीना की फोटो है- ग्लेमरस पोज में। इसे बाहर विंडो में लगाया जाता था पब्लिसिटी के लिए। कल करन ने वहां से निकाल ली थी।”
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11-30-2020, 12:46 PM,
#40
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
फोटो हस्ताक्षर युक्त थी। सुडौल जिस्म वाली सुंदर लड़की लिबास के नाम पर मिनी स्कर्ट और लो कट गले वाला ब्लाउज पहने थी। भरी-भरी गोल छातियों के अधिकांश भाग का प्रदर्शन करती वह आमंत्रणपूर्वक मुस्करा रही थी।

राज ने साफ पहचाना। लड़की वही थी जिसे उसने ग्लोरी रेस्टोरेंट के पिछले कमरे में सैनी के साथ देखा था।
उसने रोजी की ओर देखा।

-“यह सैनी की मंजूरे नजर है?”

वह बिस्तर पर उसकी बगल में बैठ गई।

-“यह कोई राज नहीं है। सब जानते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो उसने लीला को यहां जॉब देना नहीं था।”

-“वह है कैसी? भली होशियार या मक्कार?”

-“यह मैं कैसे बता सकती हूं। आमतौर पर जैसी लड़कियां इस धंधे में होती हैं वह भी वैसी ही लगती है। उसके दिमाग में क्या खिचड़ी पकती रहती है यह मैं नहीं जानती।”

-“उसके दोस्त कौन हैं?”

-“मुझे नहीं लगता मिस्टर सैनी के अलावा उसका कोई और दोस्त है। वैसे भी एक वक्त में लड़की के लिए एक ही दोस्त काफी होता है।”

-“रिश्तेदार तो होंगे?”

-“एक दादा है। कम से कम लीना ने तो यही बताया था। पिछले महीने जब उसने काम शुरू किया था। चंदेक रोज बाद एक रात वह यहां आया था। वह चाहता था, लीना इस धंधे को छोड़कर वापस उसके साथ घर चले।”

-“वह रहता कहां है?”

-“शहर से बाहर कहीं....शायद पहाड़ पर। लीना ने ऐसा ही कुछ बताया था। मैंने भी उसे समझाया था उसका घर चले जाना ही बेहतर होगा। अगर वह कैबरे के धंधे में ज्यादा देर रही तो भूखे भेड़िए जैसे आदमी उसे फाड़ डालेंगे। उसकी हड्डियां तक चबा जाएंगे। लेकिन मेरी सलाह पर कोई ध्यान उसने नहीं दिया। वह थोड़ी जहरीली भी है। इस बारे में भी मैंने उसे रोकने की कोशिश की थी। वह नहीं जानती ड्रग्स लेते रहने का अंजाम क्या होता है।”

-“तुम क्या लेती हो, रोजी? हेरोइन?”

उसके चेहरे पर कड़वी मुस्कराहट उभरी।

-“मेरे बारे में बातें करना बेकार है। मैं होपलैस केस हूं। जहां तक लीना का सवाल है उसने मेरी सलाह नहीं मानी। अब उसे ठोकरें खाकर ही अक्ल आएगी।”

-“किस मामले में?”

-“आज के जमाने में मुफ्त कुछ नहीं मिलता। चाहे वो मौज मजा हो या नशे की मस्ती और बेफिक्री। जल्दी ही इसकी दोगुनी कीमत चुकानी पड़ जाती है। और जब पैसा खत्म हो जाता है तो तरह-तरह से कीमत चुकानी पड़ती है। इसलिए अब वह बड़ी भारी मुसीबत में फंस गई है।”

-“हो सकता है।”

-“बाई दी वे क्या तुम पुलिस वाले हो?”

-“प्राइवेट डिटेक्टिव हूँ।” राज ने पुनः झूठ बोला।

-“मिसेज सैनी के लिए काम कर रहे हो?”

-“यह मामला उससे भी कहीं ज्यादा गंभीर है।”

-“मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा है जिससे लीना का अहित हो।” वह होंठ चबाकर बोली- “वह मेरे साथ ऐसा व्यवहार करती थी जैसे मुझ पर तरस आ रहा था। क्योंकि वह खुद को आर्टिस्ट समझती है और कैब्रे को आर्ट। हमारी सोच अलग है। मस्ती और बेफिक्री के साधन मे भी फर्क हैं। लेकिन उससे कोई शिकायत मुझे नहीं है। एक जमाने में मुझे दूसरों की अक्ल पर तरस आता था। इसलिए अब मैं उसी की कीमत चुका रही हूं। खैर, यह मामला कितना सीरियस है?”

-“इसका पता तो उससे बातें करने पर ही लगेगा। हो सकता है, तब भी पता न लगे। वह सुभाष मार्ग के पास ही रहती है न?”

-“हां। इंद्रा अपार्टमेंट्स, दयाल स्ट्रीट। बशर्ते कि वह अभी भी वही है।”

राज खड़ा हो गया।
-“थैंक्स ए लॉट।”

-“इसमें थैंक्स जैसी कोई बात नहीं है। मुझे पैसे की जरूरत है। बहुत ही सख्त जरूरत। तुमने सही वक्त पर मेरी मदद की है। तुम भले और ईमानदार आदमी हो। अगर कभी मौज मेला करना हो तो बेहिचक आ जाना। हर तरह से सेवा करके तुम्हें पूरी तरह खुश कर दूंगी....फ्री में।”

राज मुस्कराता हुआ बाहर निकल गया।
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