Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
07-09-2020, 10:43 AM,
#61
RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
"अर्विन लैंग," उस मजबूत आदमी ने कहा। "1951 में जन्मा। हॉयस्ट्राट में फोटोग्राफर की दुकान ब्लिट्ज का मालिक। अभी बीस मिनट बाद मुझे उसे खोलना है, इसलिए अगर आप जल्दी कर सकें तो मैं शुक्रगुजार होऊंगा। शादीशुदा, पांच बच्चों का पिता--इतना काफी है?"
"हां," क्रोप्के ने कहा। आपको एतराज न हो तो मुझे बताएंगे कि पिछले शुक्रवार की शाम आपने क्या देखा था?"
अर्विन लैंग ने अपना गला साफ किया।
"मैंने सात बजने में दस मिनट पर इंस्पेक्टर मोएर्क को इस पुलिस स्टेशन से जाते देखा था।"
"दूसरे शब्दों में, छह-पचास। समय के बारे में आप निश्चित हैं?"
"एक सौ पचास फीसदी निश्चित।"
"आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं?"
"मुझे पौने सात बजे चौक में अपनी बेटी से मिलना था। मैंने अपनी घड़ी देखी और पाया कि मैं पांच मिनट लेट हो गया हूं।"
"और आपको यकीन है कि जिस व्यक्ति को आपने देखा था, वो इंस्पेक्टर मोएक ही थीं?"
"पक्का।"
"आप उनसे पहले मिले थे?"
"हां ।"
"आप उनके कितना नजदीक थे?"
"छह फुट।"
"ठीक है," क्रोप्के ने कहा। "आपने और कुछ देखा था?"
"जैसे?"
"अर, उनके कपड़े, मसलन ।"
"ट्रैकसूट... लाल। जिम के जूते।"
"वो कुछ लिए हुए थीं?"
"नहीं।"
"ओके। बहुत, बहुत शुक्रिया," क्रोप्के ने टेपरिकॉर्डर बंद करते हुए कहा। "उम्मीद है अगले कुछ दिनों में आप कालब्रिंगेन से कहीं जाने का इरादा नहीं कर रहे होंगे?"
"आप आखिर ये क्यों जानना चाहते हैं?"
क्रोप्के ने कधें उचकाए।
"हमें आपसे कुछ और सवाल पूछने की जरूरत पड़ सकती है... कुछ पता नहीं है।"
"नहीं," अर्विन लैंग ने खड़े होते हुए कहा। "आप लोगों के साथ यही परेशानी है। आपको कुछ पता नहीं है।"
"सात बजने में दस?" बॉजेन बुदबुदाया। "धत, इसका मतलब है वो कुछ और भी कर सकती थी। या तुम्हारा क्या कहना है?"
क्रोप्के ने हामी भरी ।
"यहां से स्मोकहाउस पहुंचने में ज़्यादा से ज़्यादा पंद्रह मिनट लगते हैं," उसने कहा। "तो कम से कम पंद्रह मिनट का गैप है।"
"ड्रॉइंग पिन के मोर्चे पर क्या स्थिति है?" मुंस्टर ने पूछा। "एक सौ बारह," क्रोप्के ने कहा। "लेकिन अब और कोई समूह नहीं है। कोई पैटर्न नहीं, ये कह सकते है--और समुद्रतट से भी और कुछ नहीं है।"
"ड्राइव करके जाने से पहले वो कुछ देर अपनी कार में बैठी रही हो सकती है," बॉजेन ने कहा। शायद समुद्र के पास। या स्टेशन के बाहर। ये ज़्यादा मुमकिन लगता है।"
"जरूरी नहीं है," वान वीटरेन ने कहा। "उन्होंने किसी तरह ध्यान आकर्षित कर लिया होगा। या आपको लगता है कि उसे उनके जॉगिंग के प्लान के बारे में पहले से पता था?"
कुछ पल कोई कुछ नहीं बोला। मूजर ने जम्हाई रोकी। कॉफी कहां रह गई, मुंस्टर ने सोचा।
"आह अच्छा," बॉजेन ने कहा। "साला मुझे कैसे पता होगा, लेकिन बजाहिर ये अहम है।"
"बहुत ज़्यादा अहम है," वान वीटरेन ने कहा। उन्हें स्मोकहाउस पर सबसे पहले कब देखा गया था?"
"सात बज कर दस या ग्यारह मिनट पर लगभग," क्रोप्के ने कहा।
वान वीटरेन ने सिर हिलाया, और अपने अंगूठे के नाखून को देखता रहा।
"अच्छा," वो बुदबुदाया। "मेरा मानना है कि हर गतिविधि को इसी संदर्भ में देखना होगा। एक और टापू हमेशा होता है।"
"माफी चाहूंगा?" क्रोप्के ने कहा।
ये सठिया रहे हैं, मुंस्टर ने सोचा। इसमें कोई शक नहीं है।
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07-09-2020, 10:43 AM,
#62
RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
"तुमने क्या कहा?" मुंस्टर ने पूछा।
"अह?" बैंग ने कहा ।
"तुमने अभी इंस्पेक्टर मोएर्क और उस फलों की दुकान के बारे में जो कहा था, उसे जरा दोहराओगे?"
बैंग ने फेहरिस्तों पर से सिर उठाया और जरा भौचक्का सा नजर आया ।
"मैं समझा नहीं... मैंने तो बस ये कहा था कि पिछले शुक्रवार को मैं उनसे मिला था--कुइपर्स के यहां, वो दुकान जहां इम्मेलस्पोर्ट में फल बिकते हैं।"
"किस समय?"
"सवा पांच बजे, तकरीबन। ये उनके सी वार्फ जाने से पहले की बात थी। जाहिर है, अगर उसके बाद की बात रही होती तो मैं जिक्र करता।"
"वहां उन्होंने क्या किया?"
"कुइपर्स पर? कुछ फल खरीदे होंगे, बेशक। उनके पास वाकई सरते फल होते हैं... और सब्जियां भी। लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कि ये क्यों अहम है।"
"बस एक मिनट," मुंस्टर ने कहा। "वो साढ़े चार के कुछ ही देर बाद पुलिस स्टेशन से निकली थीं... करीब पांच बजने में बीस पर, शायद । इम्मेलस्पोर्ट पहुंचने में कितनी देर लगती है?"
"कार से?"
"हां, कार से।"
"पता नहीं... लगभग बीस मिनट, मेरे ख्याल से।"
"और तुमने उन्हें वहां सवा पांच बजे देखा था। इसका मतलब है कि उन्हें पहले घर जाने का वक़्त नहीं मिला होगा, सही है ना?"
"मेरे ख्याल से तो, हां," बैंग ने कुछ चिढ़ते हुए कहा।
"कुइपर्स से ड्राइव करके घर--यानी, द्वेज़्स्बाक--पहुंचने में उन्हें कितनी देर लगती?"
बैंग ने कंधे उचकाए।
"अर, कोई पंद्रह मिनट, मैं कहूंगा। ट्रैफिक के ऊपर है। लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि तुम इस बारे में क्यों पूछ रहे हो।"
मुंस्टर ने लगभग तरस खाती मुस्कुराहट के साथ अपने सहकर्मी के गुलाबी गालों वाले चेहरे को तका।
"मैं बताता हूं क्यों," उसने धीमे से, हर शब्द पर जोर डालते हुए कहा। "अगर इंस्पेक्टर मोएर्क सवा पांच बजे इम्मेलस्पोर्ट पर थीं, तो वो घर नहीं पहुंच पाई होंगी लगभग... मान लेते हैं छह बजने में बीस मिनट तक। सवा छह बजे वो ट्रैकसूट में सी वार्फ पर थीं। क्या तुम मुझे बता सकते हो कि मैल्निक रिपोर्ट पढ़ने का समय भला उन्हें कब मिला होगा?"
बैंग ने कुछ देर इस पर सोचा।
"बेशक, तुम सही कहते हो," आखिर उसने कहा। "यानी उन्होंने उसे पढ़ा ही नहीं था, यही न?"
"बिल्कुल," मुंस्टर ने कहा। उन्होंने उसे नहीं पढ़ा था।"
उसने दस्तक दी और अंदर चला गया।
वान वीटरेन कमरे की इकलौती आरामकुर्सी से बालकनी में चला गया था। वो वहां सिगरेट पीता और फिशरमैन्स स्क्वेयर की ओर इमारतों की नुकीली रूपरेखा को तकता बैठा हुआ था, जबकि खाड़ी पर धुंधलका फैलता जा रहा था। कुर्सी तिरछी रखी हुई थी; मुंस्टर को केवल उसकी टांगें, दायां कधा और दाहिनी बांह ही नजर आ रही थी। फिर भी, इतना उसके समझने के लिए काफी था।
कुछ हुआ था। और ये उनके सठियाने लगने का सवाल नहीं था। इसके उलट, मुझे अपनी सोच में विनम्र होना सीखना होगा, मुंस्टर ने तय किया। केवल काम में ही नहीं।
"बैठो," वान वीटरेन ने हाथ से इशारा करते हुए थके हुए अंदाज में कहा ।
मुंस्टर ने डेस्क की कुर्सी खिसकाई और डिटेक्टिव चीफ इंस्पेक्टर के पास ऐसे कोण पर बैठ गया जो उसे उम्मीद थी कि अगर जरूरत हुई तो उसे कम से कम आंखों में देखने का मौका दे पाएगा।
"हम फिर से इसे सुनते हैं!" वान वीटरेन ने कहा।
मुंस्टर ने अपना गला साफ किया।
बैंग पिछले शुक्रवार की शाम को सवा पांच बजे इम्मेलस्पोर्ट में मोएर्क से मिला था।"
"उसे यकीन है?"
"हां। उन्होंने थोड़ी-बहुत बात भी की थी। बैंग भी इतना गलत तो नहीं हो सकता।"
वान वीटरेन ने सिर हिलाया।
"मुझे पक्का नहीं पता कि वो कहां है। क्या समय फिट होते हैं?"
"मैंने चैक कर लिया है," मुंस्टर ने कहा। इसकी कोई संभावना नहीं है कि उन्होंने रिपोर्ट पढ़ी होगी। वो ठीक चार पैंतीस पर पुलिस स्टेशन से निकली थीं, मिस डीविट के साथ। वो लोग सबसे आखिर में गई थीं। वो अपनी कार पर गई; उस सब्जीवाले के पास पहुंचीं और विभिन्न चीजें खरीदी; घर पहुंची; कपड़े बदले; मुझे फोन करने की कोशिश की शायद, मगर कोई जवाब नहीं मिला। तो, उन्होंने संदेश लिखा और उसे लेकर यहां आई और फिर--"
वान वीटरेन घुरघुराया और आरामकुर्सी पर सीधा बैठ गया।
"इतना काफी है। अच्छा, तुम इससे क्या नतीजा निकाल रहे हो?”
मुंस्टर ने अपनी बांहें फैला दी।
"कि उन्हें उसे पढ़े बिना ही उसमें कुछ मिल गया होगा, बेशक, एकदम शुरू में ही कुछ। पहले पन्ने पर ही, शायद... मुझे नहीं पता।"
वो ठहरा और उसने अपने बॉस को देखा, जो शाम के आसमान को देख रहे थे और धीरे-धीरे अपना सिर एक ओर से दूसरी ओर हिला रहे थे।
"बैंग?" उन्होंने गहरी सांस लेकर कहा । "बैंग का आखिर हम कया करेंगे?"
"जी?" मुंस्टर ने कहा, मगर ये साफ था कि वान वीटरेन अब अपने आपसे ही बात कर रहा था। अपनी बुझी हुई सिगरेट को अंगूठे और तर्जनी में थामे और अपने अंगूठे जितने लंबे राख के गोले को देखते हुए कुछ देर वो बड़बड़ाता रहा। जब हवा के एक झोंके ने उसे उड़ा दिया, तब जाकर वो चौंका और इस सच के प्रति सजग हुआ कि वो कमरे में अकेला नहीं था।
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07-09-2020, 10:43 AM,
#63
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"ओके, हम ऐसा करेंगे," उसने सिगरेट के टोटे को बालकनी के फर्श पर रखे पानी के गिलास में डालते हुए कहा। "अगर ये काम कर गया, तो काम हो जाएगा... मुंस्टर!"
"अरर, हां," मुंस्टर ने कहा।
"तुम कल की छुट्टी ले लो और सिन और बच्चों के साथ अपना दिन गुजारो।"
"क्या?" मुंस्टर ने कहा। मगर क्यों...?"
"ये आदेश है," वान वीटरेन ने कहा। "मगर ये देख लेना कि शाम को तुम पहुंच में रहो। मेरे ख्याल से तब मुझे तुमसे बात करने की जरूरत होगी।"
"आप क्या करने वाले हैं?"
"मैं एक छोटा सा सफर करने जा रहा हूं," वान वीटरेन ने कहा।
"कहां के लिए?"
"देखेंगे।"
लो फिर शुरू हो गए, मुंस्टर ने सोचा। उसने अपने दांत पीसे और विनम्रता के उसूल को परे धकेल दिया। ये यहां बैठे कमीनापन कर रहे हैं और फिर से रहस्यमय बन रहे हैं, मानो वो किसी किताब या फिल्म में जासूस हों! ये वाकई घटियापन है। मुझे समझ नहीं आता कि मुझसे क्यों ये उम्मीद की जाती है कि मैं इस साले--
"मेरी अपनी वजहें हैं," वान वीटरेन ने कहा, मानो उसने मुंस्टर के मन की बात पढ़ ली हो। "बात बस ये है कि मेरे मन में एक विचार है, और ये ऐसा नहीं है जिसे छत से चिल्ला-चिल्लाकर कहा जाए। वास्तव में, अगर मैं गलत हूं तो अच्छा यही होगा कि कोई इसके बारे में जाने भी नहीं।"
मुंस्टर खड़ा हो गया।
"ओके," उसने कहा। "कल परिवार के साथ दिन भर की छुट्टी। ये पक्का रखूगा कि शाम को मैं घर पर रहूं--और कुछ?"
"मेरे ख्याल से तो नहीं," वान वीटरेन ने कहा। "हां, शायद तुम मुझे शुभकामनाएं दे सकते हो। मुझे शायद उनकी जरूरत पड़े।"
"शिकार के लिए शुभकामनाएं," मुंस्टर ने कहा और वान वीटरेन को उसकी किस्मत के सहारे छोड़ गया।
कुछ देर वो शहर को तकते हुए आरामकुर्सी में बैठा रहा। उसने एक और सिगरेट पी और चाहा कि अपने मुंह के अरुचिकर स्वाद को धो डालने के लिए उसके पास कुछ होता।
एक बार ये केस खत्म हो जाए. उसने सोचा, फिर मैं इसकी याद भी नहीं दिलाया जाना चाहूंगा। कभी नहीं।
फिर वो मेज पर बैठ गया और उसने दो फोन किए।
उसने दो सवाल किए और उसे कमोबेश वो जवाब मिल गए थे जो वो तलाश रहा था।
"मैं दोपहर तक वहां पहुंच जाऊंगा," उसने कहा। "नहीं, मैं बता नहीं सकता ये किस बारे में है। अगर मैं गलत निकला तो बहुत बवाल हो जाएगा।"
फिर वो नहाया और सोने चला गया। बस ग्यारह ही बजे थे, लेकिन अगले दिन जितनी जल्दी वो निकल पड़ेगा, उतना ही अच्छा होगा।
कल मैं जान जाऊंगा, उसने सोचा। मैं घर जा सकूंगा।
लेकिन इससे पहले कि वो सो पाता, बियाटे मोएर्क के ख्याल उसके दिमाग में उमड़ते चले आए, और भोर होने के करीब जाकर कहीं वो सो पाया।
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"बुराई," उसने कहना शुरू किया और अब उसकी आवाज गहरा गई थी, सघन हवा में मुश्किल से ही सुनी जा सकती थी, "ऐसी अवधारणा है जिससे हम बच नहीं सकते, एकमात्र हकीकत । किसी नौजवान के लिए ये समझना मुश्किल हो सकता है, लेकिन हममें से उन लोगों के लिए जो इसे समझ चुके हैं. ये लगातार साफ होता जाता है। हम जिस बात के लिए निश्चित हो सकते हैं, जिस पर पूरी तरह से भरोसा कर सकते हैं, वो बुराई है। ये हमें कभी निराश नहीं करती। अच्छा... अच्छाई तो बस रंगमंच का सैट है, एक पृष्ठभूमि जिसके सामने शैतान नाटक खेलते हैं। और कुछ भी नहीं... कुछ नहीं।"
वो खांसा। उसने एक और सिगरेट जलाई, एक चमकता बिंदु अंधेरे में थराथराने लगा।
"जब अंततः हम अंतर्दृष्टि पाते हैं तो ये सब कुछ के बावजूद अपने साथ एक खास स्तर का सुकून लाती है। मुश्किल काम तो बस खुद को सभी पुरानी उम्मीदों, सभी भ्रमों और उन हवाई किलों से निजात दिलाना है जिन्हें इंसान शुरू में बना लेता है। हमारे मामले में उसका नाम ब्रिगिट था, और जब वो दस साल की थी तो उसने वादा किया था कि कभी मुझे दुख नहीं पहुंचाएगी। ये वही समय था जब वो रेत में भागती हुई आई थी; वो मई के अंत का बहुत तेज हवा वाला दिन था। जिम्सवेज पर। वो मेरी बांहों में समा गई थी और इतना जोर से मेरे गले से लगी थी कि मुझे याद है बाद में मेरी गर्दन के पिछले हिस्से में दर्द हो गया था। अपनी जिंदगी
भर हम एक-दूसरे को प्यार करेंगे और एक-दूसरे के साथ कभी भी कोई बेवकूफी नहीं करेंगे--उसके यही शब्द थे। कोई बेवकूफी.
.. एक-दूसरे के साथ कभी भी कोई बेवकूफी नहीं करेंगे... दस साल की बच्ची, सुनहरी चोटियों वाली। वो हमारी इकलौती बच्ची थी, और कुछ लोग कहते थे कि उन्होंने इतना खुशमिजाज बच्चा कभी नहीं देखा। जैसे वो हंसती थी वैसे कोई नहीं हंसता था--नींद में हंसते हुए वो तो कभी-कभी खुद तक को जगा देती थी--उम्मीदें पालने के लिए हमें कौन इल्जाम दे सकता है?"
वो फिर खखारा।
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07-09-2020, 10:43 AM,
#64
RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
"1981 में उसने अपनी फाइनल परीक्षाएं दी थीं, फिर इंग्लैंड चली गई और एक साल उसने वहां काम किया। अगले साल उसे आरलाक में यूनिवर्सिटी में स्वीकार कर लिया गया। वहां मॉरिस--मॉरिस रर्यूमे--नाम के एक लड़के से मिली, हां, हम पहले ही उसे जान चुके हैं। मेरे ख़्याल से वो पहले से भी उसे थोड़ा-बहुत जानती थी; वो कालब्रिंजेन का था। वो मेडिसन पढ़ रहा था। बड़े घर का था, बहुत आकर्षक और उस लड़के ने ही उसे सिखाया था कि कोकीन कैसे लेते हैं... वो पहला था, लेकिन मैंने उसे आखिर के लिए रखा था।"
सिगरेट फिर भड़की।
"वो साथ रहने लगे। करीब एक साल साथ रहे, फिर मॉरिस ने उसे निकाल बाहर किया। तब तक वो उसे बाकी चीजें भी सिखा चुका था... एलएसडी, शुद्ध माँर्फीन, जिसे उसने खुद कभी नहीं लिया था और कैसे एक नौजवान लड़की सबसे ज़्यादा आसानी और सबसे ज़्यादा प्रभावी तरीके से पैसा कमा सकती है। शायद वो उसका खर्च भी उठाती थी, शायद वो उसका दलाल था... मुझे नहीं पता, हमने इस बारे में कभी बात नहीं की थी। शायद हालात इतनी दूर तक गए भी न हों, तब तक नहीं।
"वो अपने दम पर और अठारह महीने आरलाक में रही। उसके पास अपना कोई घर नहीं था, वो एक आदमी से दूसरे आदमी के पास जाती रही। और अस्पतालों और इलाज केंद्रों में आती-जाती रही। नशामुक्त होती, भाग जाती, आगे बढ़ जाती."
उसने थूक गटका और मोएर्क ने उसे अपनी सांसों पर काबू पाते सुना।
"वो कुछ दिन घर पर भी रही, मगर फिर वापस चली गई। कुछ समय नशे से दूर रही, लेकिन जल्द ही वही पुरानी कहानी शुरू हो गई। आखिरकार, वो किसी किस्म के पंथ के चक्कर में पड़ गई, ड्रग्स से दूर रही लेकिन उनकी बजाय और चीजों में फस गई। ऐसा लगता था मानो उसके अंदर ताकत ही न रही हो, या मानो वो सामान्य किस्म की जिंदगी से घबराती हो... या शायद रोजमर्रा की जिंदगी उसके लिए काफी नहीं रही थी, मैं नहीं जानता। जो भी हो, दो साल बाद वो आरलाक छोड़ने और फिर से हमारे साथ रहने के लिए राजी हो गई, लेकिन अब वो सारी खुशी खो चुकी थी... ब्रिगिट...बिटी । वो चौबीस की थी। वो बस चौबीस की थी, मगर वास्तव में वो मुझसे और मेरी पत्नी से कहीं ज्यादा बूढ़ी हो गई थी। वो जानती थी, मुझे लगता है कि वो तब भी जानती थी कि वो अपनी जिंदगी खाक कर चुकी है... वो अभी भी अपने बालों की सुनहरी चोटियां बना पाती थी, लेकिन वो अपनी जिंदगी को खत्म कर चुकी थी। उसे ये अहसास था, लेकिन हमें नहीं था। मैं नहीं जानता, वास्तव में... शायद उम्मीद की हल्की सी किरण बची थी, सब कुछ सुलझा पाने की एक संभावना थी। हम खुद से तो यही कहते थे, कम से कम, हमें खुद से यही कहना पड़ता था...खोखली उम्मीद का हताशा भरा भ्रम। हम उस पर विश्वास करते हैं जिस पर हम विश्वास करना चाहते हैं। जब तक हम खुद को हकीकत को देखना नहीं सिखाते, हम यही करते हैं। ये साली जिंदगी ऐसी ही नजर आती है। जो हमारे पास होता है, हम उससे ही चिपके रहते हैं। कुछ भी हो..."
वो चुप हो गया। मोएर्क ने अपनी आंखें खोली और देखा कि सिगरेट के शोलों ने उसके चेहरे को जगमगा दिया है, और उसने कबंल को अपने शरीर पर खींच लिया। उसे उस घोर लाचारी का अनुभव और आभास हुआ जो अबाध रूप से उसकी ओर से बहती आ रही थी। लहरों में आती और पल भर के लिए वो अंधकार में समाती, उसे ठोस और शब्दों और विचारों के लिए भी अभेद्य बनाती मालूम दी।
मैं समझती हूं, उसने कहने की, कोशिश की, लेकिन शब्द फूटे ही नहीं। वो उसके भीतर गहरे दबे रहे। जमे हुए और अर्थहीन।
"उसी शरद ऋतु में मैं मॉरिस रयूमे से मिलने गया था," खामोशी को तोड़ते हुए उसने कहा। "उन कुछ महीनों के दौरान जब वो एक बार फिर घर पर हमारे साथ थी, एक दिन मैं उससे मिलने गया। उससे उसी सुव्यवस्थित घर में मिलने गया जहां वो उसके साथ रहती थी और जहां अब वो एक दूसरी औरत के साथ रह रहा था... एक जवान और खूबसूरत औरत जिसने अभी तक अपनी खुशमिजाजी बरकरार रखी हुई थी और जिसने कभी मेरे आने की वजह नहीं जानी। उसने उसे इससे अलग रखा और जब मैंने उससे ब्रिगिट के बारे में बात करनी चाही, तो हम बाहर चले गए और एक बार में बैठ गए। वैल्वेट के एक शानदार सोफे पर बैठे और वो अपनी बांहें नचाता हैरान हो रहा था कि मैं आखिर चाहता क्या हूं; वाइन का पैसा उसने दिया और मुझसे पूछा कि क्या मुझे पैसा चाहिए... मेरे ख्याल से उसी वक्त उसने अपने विनाश के बीज बो दिए थे, लेकिन जब वो यहां वापस आ गया और बाकी लोग भी, तब में जान गया कि अब समय आ गया है। जब मैंने उसे मार डाला, तो वो आनंद कुछ और ही था। एगर्स और सिमेल की मौत के आनंद से कहीं ज्यादा गहरा और प्रचंड, और इससे मुझे जरा भी हैरानी नहीं हुई। वही तो था जिसने ये सब कुछ शुरू किया था, मेरे इरादा करने से पहले उन नीद से रीती रातों में एक जीते-जागते मॉरिस र्यूमे की छवि ही तो सबसे ज़्यादा यातनादायक होती थी... जिंदा, मुस्कुराता मॉरिस र्यूमे, उस सोफे पर मजबूत जिगरे की नहीं थी। कि वो इतनी बुरी तरह गिर जाएगी और खुद को इतना नुकसान पहुंचा लेगी... उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी, अपने मजबूत सुरक्षाकवच में बैठा वो अमीरजादा|"
एक बार फिर वो खामोश हो गया और उसने कुर्सी में पहलू बदला |
"अब मुझे जाना होगा," उसने कहा। "बाकियों के बारे में मैं तुम्हें किसी और वक्त बताऊंगा। अगर कुछ अनपेक्षित नहीं घटा तो..."
वो एक मिनट और वहीं बैठा रहा, फिर उसने उसे उठते और दरवाजा खोलते हुए सुना। उसने कब्जों की चरमराहट सुनी, जबकि उसने फिर से दरवाजा बंद किया, ताला लगाया और कुंडा अड़ाया, और जब उसके कदमों की आवाज भी गुम हो गई तब जाकर उसकी जबान फिर से खुली।
"और मेरा क्या?" वो फुसफुसाई, और पल भर के लिए उसे लगा कि उसके शब्द अंधेरे में प्रतीकों की तरह लटके रह गए हैं।
काली, स्याह रात में छोटी, तेजी से फीकी पड़ती चिंगारियां ।
फिर उसने अपने बदन पर कंबल लपेटा और अपनी आत्मा की आंखें बंद करने की कोशिश करने लगी।
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07-09-2020, 10:43 AM,
#65
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जब वो सी वार्फ के पीछे की पार्किंग से गाड़ी निकालकर चला, तो साढ़े सात से ज़्यादा नहीं हुए थे और सूरज पूर्व के ऊंचे तटीय क्षेत्र के ऊपर उठा ही था। लगता था कि दिन साफ रहने वाला है, और वो कुछ घंटे स्टीयरिंग के पीछे बिताने के लिए उत्सुक था।
वहां बैठना और दमकते रंगों और ड्राइपॉइंट नक्काशी की तीखी रूपरेखाओं वाले पतझड़ के नजारों से होकर गुजरना। शायद वो ये दिखावा कर सकता था कि वो किसी साधारण से काम के लिए निकला एक आम आदमी है--आधुनिक प्रबंधन की तकनीकों पर लेक्चर देने बॉशहुइजेन जा रहा। किसी पुरानी कैमिकल फैक्टरी से निकलने वाले सल्फर डाइऑक्साइड की जांच करने जा रहा। एयरपोर्ट पर किसी रिश्तेदार से मिलने जा रहा।
या जो भी आम लोग करते थे।
मार्च में किसी वक्त वो बड़ी पशोपेश में रहा था कि उसे अपनी कार बदलनी चाहिए या नहीं, या बस एक बेहतर स्टीरियो सिस्टम खरीदकर ही संतुष्ट हो जाए। धीरे-धीरे दूसरा विकल्प उसे भाने लगा और अब जबकि वो कालब्रिंजेन की संकरी गलियों से गुजर रहा था तो वो शुक्रगुजार था कि उसने इतना समझदारी भरा फैसला लिया था। अगर उसने नई कार भी खरीदी होती, तो वो कभी भी कुछ हजार ऊपर से लगाकर कोई बहुत शानदार लाउडस्पीकर नहीं खरीद पाता।
जैसे कि अब हालात थे, उसके स्टीरियो सिस्टम का मूल्य उससे कहीं ज़्यादा था जितना कोई उसे उसकी बाकी पुरानी ओपेल के लिए देने को तैयार होता, और उसे इसी तरह ये पसंद थी।
कार यातायात का एक साधन थी। संगीत विलासिता था। इसमें कोई शक नहीं था कि किसे प्राथमिकता देनी चाहिए।
आज सुबह के लिए उसने नॉर्डिक चुना था। शांत, स्पष्ट और गंभीर। सिबेलियस और ग्रेग। उसने सीडी लगाई, और जब ट्वाओनेला के पहले सुर उसे बांधने लगे तो उसे महसूस हो रहा था कि कैसे उसकी बांह के रोंगटे खड़े हो गए थे।
ये कमाल का खूबसूरत था। जैसे लैम्मिंकैनियन गुफाओं में होना, और पूरे पहाड़ का इस प्रेरक संगीत का प्रतिनिधित्व करना। इतने हफ्तों में पहली बार--बेशक जबसे वो कालब्रिंजेन आया था--वो फरसामार को अपने ख्यालों से निकाल पाया था। उसे भूल गया था। वो वहां बैठा था, संगीत में गुम... स्फटिक सी साफ धुन के गुंबद में, जबकि धुंध छंटती गई थी और विस्तृत पहाड़ी देहात में गुम हो गई थी।
मगर उर्डिन्जेन के स्तर पर सड़क किनारे के एक साधारण और सूने से कैफे पर रुकने के बाद भारी बदलाव आ गया था। उसे अहसास हुआ कि और ज़्यादा दूर जाने की बजाय, अब ये करीब आने का सवाल था। उसका शुरुआती बिंदु पीछे, और पीछे छूटता जा रहा था, उसकी मंजिल आकार लेती जा रही थी... उठती,गिरती, हमेशा की तरह। वो पहाड़ी के शिखर को पार कर चुका था। जल्दी ही वो वहां पहुंच जाएगा। समय का क्रमभंग हो गया था, और सब कुछ अपनी जगह पर फिट हो जाने वाला था।
या बिखरने वाला था। ये साला केस!
और हालांकि एक बार फिर उसने खुद को इससे दूर करने की, उसे अपने दिमाग से निकाल बाहर करने की कोशिश की, मगर वो बार-बार उसके मन में सिर उठाता ही रहा, विचारों, अनुमानों या निष्कर्षों के रूप में नहीं बल्कि छवियों के रूप में।
पूरे हॉल ऑफ द माउंटेन किंग" और "एनिद्राज डांस" के दौरान तीखे, अनछुए फोटोग्राफों का निरंतर प्रवाह जारी रहा। वो एक नियमित और सतत मगर काफी धीमी गति से आगे अपनी राह बनाते रहे। स्कूल में इतिहास के सबक की उन पुरानी फिल्मों की तरह इसने उसे जकड़ लिया था। हरेक छवि को अलग-अलग परखने के लिए बहुत समय था, हालांकि सामग्री जरूर बहुत भिन्न थी।
पैथोलॉजिस्ट की संगमरमर की मेज पर एक अस्वाभाविक से कोण पर रखा अन्स्र्ट सिमेल का सिर, और खुली गर्दन के अंदर छानबीन करता पैथोलॉजिस्ट का बॉलपॉइंट पैन।
वकील क्लिंगफोर्ट की थरथराती दोहरी ठोड़ी जब हैरानी से उसका मुंह खुला रह गया था।
मॉरिस र्यूमे के अपार्टमेंट में खून में भीगा हॉल का कार्पट। और कसाई का फरसा, जिसके मूल को वो कभी स्थापित नहीं कर पाए थे।
एगर्स की भड़कीले मेकअप वाली वेश्या लुइस मेयर, जिससे बात करने की कोशिश में उसने एक पूरी दोपहर बिता दी थी, मगर वो इतना नशे में थी कि उससे बात कर पाना नामुमकिन ही था।
ज़्यां-क्लॉड र्यूमे की बर्फ सी ठंडी आंखें, और इंस्पेक्टर मोएर्क के खूबसूरत बाल जब वो हाथ में मैल्निक रिपोर्ट लिए कमरे में दाखिल हुई थीं...
सैल्डन हॉस्पिस के अहाते में उस विकलांग संतान को घुमाते डॉ. मैंड्रीन और उनकी पत्नी ।
और लॉरिड्स रेजिन। उस आदमी की काल्पनिक और हठी छवि जिसकी अपने घर से बाहर कदम रखने की हिम्मत नहीं हो रही थी । और फरसामार ।
खुद फरसामार की छवि। अभी भी धुंधली रूपरेखा वाली और अनपहचानी सी, लेकिन अगर वान वीटरेन अब सही राह पर चल रहा है तो ये बस एकाध घंटे की ही बात है कि वो छवि इतनी स्पष्टता के साथ उभरकर आएगी जिसकी कोई अपेक्षा कर सकता है।
कुछेक छोटी-छोटी पुष्टियां। एक गंदे संदेह की पुष्टि, और ये सब खत्म हो जाएगा।
शायद ।
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07-09-2020, 10:43 AM,
#66
RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
वो अपनी मूंछे उमेठता अपनी डेस्क के पीछे बैठा था। स्लिम, काले सूट में, बाल पीछे को काढ़े हुए वो और कुछ की बजाय अंत्येष्टि निर्देशक का ध्यान ज्यादा दिला रहा था। और वान वीटरेन को वो बिल्कुल ऐसा ही याद था; पंद्रह साल में उसकी उम्र जैसे एक या दो महीने ही बढ़ी थी। ऐसा कोई चिह्न नजर नहीं आ रहा था कि हफ्ते भर पहले ही उसका ऑपरेशन हुआ हो।
एक हल्की, कुछ तीखी सी मुस्कुराहट से उसने अपने मेहमान का स्वागत किया और कुर्सी पर बैठने का संकेत किया जो उसकी एकदम साफ-सुथरी मेज के ठीक सामने रखी हुई थी।
"तो ये सारा चक्कर साला है क्या?"
वान वीटरेन को याद आया कि ये शख्स गालियां उगले बगैर मुंह न खोल पाने के लिए मशहूर था। उसने अपनी हथेलियों का रुख छत की तरफ किया और शर्मिदा दिखने की कोशिश की।
"माफी चाहूंगा," उसने कहा। "मुझे उस सामग्री को एक नजर देखने दें जिसे देखने मैं आया हूं... ये बहुत नाजुक मामला है।"
"बिल्कुल है साला!" उसने डेस्क की एक दराज खोली और एक ब्राउन फोल्डर निकाला।
"ये लीजिए। शौक से देखिए साली को!"
वान वीटरेन ने फोल्डर लिया और पल भर को सोच में पड़ गया कि क्या उसे वहीं के वहीं पढ़ ले, आगंतुक की कुर्सी पर बैठे हुए ही, लेकिन जब उसने काले सूट वाले व्यक्ति को देखा तो समझ गया कि मामला निबट चुका है। खत्म! उसे ये भी याद आया कि उसका मेजबान कभी फालतू की तफ्सीलों-बातचीत और इसी तरह की चीजों--में नहीं पड़ता है। वो खड़ा हो गया, हाथ मिलाया और दफ्तर से निकल गया।
इस सारी मुलाकात में दो मिनट से भी कम लगे थे।
वो लोग जो ये दावा करते हैं कि मैं बदमिजाज हूं, उन्हें इस खुशमिजाज आदमी से मिलना चाहिए, वान वीटरेन ने तेजी से सीढ़ियां उतरते हुए सोचा।
उसने सड़क पार की और अपनी कार खोली, फिर पिछली सीट से ब्रीफकेस उठाया और फोल्डर उसमें रख दिया। उसने आसपास देखा। कुछ पचास गज दूर, सड़क के नुक्कड़ पर, एक कैफे का बोर्ड सा दिखाई दिया।
बिल्कुल सही, उसने सोचा, और उस तरफ चल दिया।
जब तक वेट्रेस चली नहीं गई, वो इंतजार करता रहा और फिर उसने मेज पर अपने सामने फोल्डर खोला। उसने कुछ पन्ने पलटे और सिर हिलाया। कुछ पन्ने पीछे से पलटे और फिर से सिर हिलाया।
एक सिगरेट सुलगाई और पहले पन्ने से पढ़ना शुरू किया।
उसे बहुत देर तक नहीं पढ़ना पड़ा। पांचवें पन्ने तक ही पुष्टि हो गई थी; शायद ये एकदम वैसा नहीं था जैसी कि उसे उम्मीद थी, लेकिन भाड़ में जाए साला, पुष्टि तो थी ही। उसने कागज वापस फोल्डर में रख दिए और उसे बंद कर दिया।
उफ, दिमाग घूम गया है, उसने सोचा।
लेकिन मकसद, बेशक, दूर-दूर तक साफ नहीं था। आखिर इस सबसे बाकी दोनों का क्या वास्ता था? आखिर...?
आह, ये भी आखिरकार साफ हो जाएगा, बेशक ।
उसने अपनी घड़ी देखी। एक बजा था।
बृहस्पतिवार, 30 सितंबर। पुलिस चीफ बॉजेन का दफ्तर में बस एक और दिन बचा था। और अचानक, केस हल होने जा रहा था।
जैसा उसे शुरू से ही संदेह था, ये कठिन रुटीन तफ्तीश का परिणाम तो कतई नहीं था। जैसा उसने सोचा था, हल कमोबेश अकस्मात ही उसके हाथ लगा था। ये थोड़ा अजीब सा तो लगा था, उसे मानना पड़ा था; लगभग अनुचित, मगर फिर, ये पहली बार तो नहीं था जब इस तरह का कुछ हुआ था। वो ये सब पहले भी देख चुका था, और बहुत पहले ही ये समझ चुका था कि अगर कोई व्यवसाय है जिसमें योग्यता को अपना उपयुक्त प्रतिफल कभी नहीं मिलता है तो वो पुलिस अफसर का व्यवसाय है।
इंसाफ उन पुलिसवालों के लिए एक विशेष वरीयता रखता है जो कमरतोड़ मेहनत करने की जगह मौज करते और सोचते हैं, जैसा राइनहार्ट ने एक बार कहा था।
लेकिन जो बात उसे सबसे ज़्यादा खटकी थी वो ये कि भविष्य में वो इस केस के बारे में कितनी अनिच्छा से सोचना चाहेगा। बेशक उसका अपना योगदान कतई गर्व करने लायक नहीं था। बल्कि इसका उलट ही था। कुछ ऐसा जिसके नीचे रेखा खींचना और तुरंत भूल जाना था ।
दूसरे शब्दों में, हमेशा की तरह कतई नहीं था।
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07-09-2020, 10:43 AM,
#67
RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
47
अंदर ही अंदर कुछ कुतर रहा था? या एक भयावह अकड़न? कहीं न पहुंचने वाली एक हरकत?
कुछ-कुछ वैसा। वो मोटे तौर पर ऐसा ही लगा था। जहां तक वो कुछ भी महसूस कर सकती थी।
वक़्त जिसका अस्तित्व अभी भी उसके अपने बदन की धुंधलाती लयों और जरूरतों के लिए था। इस जानलेवा अंधकार में दिन और रात अब बेमानी हो गए थे; समय खंडों में बंट गया थाः वो सोती और जागती, जगी रहती और सो जाती। ये बता पाना मुमकिन नहीं था कि क्या कितनी देर हुआ; बाहर हो सकता था दिन हो, या शायद रात हो... शायद वो आठ घंटे सो गई थी, या महज बीस मिनट ही हुए थे? भूख-प्यास महज किसी चीज के ऐसे धुंधले संकेत रह गए थे जिसकी उसे फिक्र नहीं थी, मगर फिर भी वो ब्रेड और फलों के उस बर्तन में से खा लेती थी जिसे वो जब-तब भरता रहता था। पानी की बोतल से पानी पी लेती थी।
हाथ-पांव बंधे होने से उसकी गतिशीलता बहुत ज़्यादा सीमित थी, और केवल कमरे में ही नहीं; कबंलों के अंदर भी वो सिकुड़ी सी, लगभग भ्रूणावस्था में लेटी रहती थी। बस वो तभी उठती थी जब उसे बाल्टी का इस्तेमाल करना होता था...रेंगते हुए उतरकर और टटोलते हुए बढ़कर। बाल्टी से उठती दुर्गंध ने पहले तो उसे परेशान किया, लेकिन जल्दी ही उसका ध्यान उससे हट गया था। मिट्टी की तेज गंध ही एकमात्र ऐसी चीज थी जिसकी ओर से वो लगातार सजग थी, वो चीज जो आंख खुलने के साथ ही उसे महसूस होती थी, जो हर समय उसकी चेतना में रहती थी... मिट्टी ।
बाधा तंबाकू की उस खुशगवार गंध से केवल तब पड़ती थी, जब वो कुर्सी पर बैठता और उसे अपनी कहानी सुनाता था।
वो जबरदस्त डर जो पहलेपहल उसे महसूस हुआ था, अब खो गया था। वो लुप्त हो गया था और उसकी जगह कुछ और ने ले ली थीः सुस्ती और उदासीनता के घोर अहसास ने; हताशा नहीं, शायद, मगर एक लगातार गहराता अहसास कि वो किसी तरह की जड़ वस्तु बन गई है, एक ऐसा अस्तित्व जो धीरे-धीरे निष्क्रिय हो रहा है, और एक उदासीन, सुन्न काया... एक काया जो लगातार सभी अंदरूनी दबावों, विचारों और यादों से बेपरवाह होती जा रही थी। ऐसा मालूम होता था कि सबको जज़्ब कर लेने वाला अंधेरा उसके ऊपर भी तारी होता जा रहा है, धीरे-धीरे और बेरहमी से उसकी त्वचा के भीतर धंसता... मगर फिर भी उसे अहसास था कि ये उसके बचने का इकलौता मौका हो सकता है, पागल न होने का इकलौता मौका हो सकता है। बस वहां कबंलों के अंदर लेटे रहना, अपने शरीर की गर्माहट को ज़्यादा से ज़्यादा बनाए रखना। सपनों और कल्पनाओं को, बिना उन पर ज़्यादा ध्यान दिए, उनकी मनमर्जी से आते-जाते रहने देना... जागे हुए होने पर भी, और सोए हुए होने पर भी।
और किसी चीज की उम्मीद न करना। इस बात की कल्पना करने या सोचने की कोशिश न करना कि अंतिम नतीजा क्या हो सकता है। बस वहां लेटे रहना। बस उसका इंतजार करना कि वो वापस आए और अपनी कहानी जारी रखे।
हेन्ज एगर्स और अर्न्स्ट सिमेल के बारे में।
"नहीं," उसने कहा, और वो उसे सिगरेट के अपने नए पैकेट के सैलोफेन को फाड़ते सुन सकती थी। "मैं नहीं जानता कि जब वो आरलाक वापस आई तो सब खत्म हो चुका था या नहीं। या कि अभी भी कोई मौका था। बेशक, अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, बाद में, अनुमान लगाने की कोई तुक नहीं है... हालात वैसे बन गए थे जैसे वो बने, और बस यही बात है।"
उसने सिगरेट सुलगाई, और लाइटर की लौ ने मोएर्क को लगभग अंधा कर दिया था।
"वो वापस आ गई थी, और हम नहीं जानते थे कि उम्मीद करें या संदेह करें। बेशक, हमने दोनों किया; आप निरंतर हताशा की हालत में जीना जारी नहीं रख सकते, तब तक नहीं जब तक आप उस अंतिम बोध को न पा लें; लेकिन शायद ऐसा अभी भी मुमकिन नहीं है, तब भी नहीं था। जो भी हो, उसने घर पर हमारे साथ रहने से मना कर दिया। हमने डनिंजेन में उसके लिए एक फ्लैट ले दिया। मार्च के शुरू में वो उसमें चली गई; वो बस एक कमरा और किचन था, लेकिन काफी बड़ा था। हल्का और साफ-सुथरा, पांचवी मंजिल पर जिसकी बालकनी से समुद्र दिखता था। वो अभी भी रोगियों की सूची में थी और बस पार्ट टाइम ही काम कर सकती थी। नशे से मुक्त और थैरेपी में शामिल, तो ये ठीक होना चाहिए था... दोपहर में वो हैंकर्स पर काम करती थी। बाद में हमें पता लगा कि वो इसे संभाल ही नहीं पाई, लेकिन उस समय हमें कुछ पता नहीं था। हमने दखलंदाजी नहीं की; हम ये प्रभाव नहीं छोड़ना चाहते थे कि हम उस पर नजर रख रहे हैं। ये उसकी शर्तों पर होना था, हमारी नहीं, साले किसी सर्वज्ञानी टाइप के समाजसेवक ने आग्रह किया था। तो हम बैकग्राउंड में रहे, राह से दूर रहे... सब बेकार। खैर, उस बसंत वो वहां रही, और हमारा ख़्याल था कि वो मैनेज कर रही है, मगर उसकी आमदनी, वो पैसा जो उसके पास उन चीजों के लिए था जिनकी हमारा ख़्याल था कि अब उसे जरूरत नहीं थी, वो अर्न्स्ट सिमेल जैसे लोगों से आया। अर्न्स्ट सिमेल..." वो ठहरा और सिगरेट का गहरा कश लिया। वो उस सुलगते बिंदु को इधर से उधर जाते देखती रही और अचानक उसके अंदर भी सिगरेट पीने की हुड़क उठी। अगर वो मांगती तो शायद वो उसे एक सिगरेट दे देता, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई।
"अप्रैल के आखिर में एक शाम, मैं किसी वजह से उससे मिलने चला गया। जबसे वो वहां गई थी मैं बमुश्किल ही कभी वहां गया होऊंगा। याद नहीं मैं क्यों गया था; वैसे कोई खास वजह नहीं रही होगी, और वहां पहुंचने के साथ ही वो मेरे दिमाग से गायब हो गई थी..."
एक और ठहराव, और सिगरेट फिर भड़की। वो कुछेक बार खांसा। उसने दीवार से सिर टिका लिया और इंतजार करने लगी। इंतजार कर रही थी और जानती थी।
"मैंने घंटी बजाई। बजाहिर वो खराब थी, तो मैंने हैंडल घुमाया... वो लॉक्ड नहीं था, मैं अंदर चला गया। हॉल में घुसा और चारों तरफ देखा। बेडरूम का दरवाजा अधखुला था. मैंने शोर सुना और झांकने से खुद को रोक नहीं पाया। मैं उसे अपना पूरा पैसा वसूलते देख सकता था."
"सिमेल?" वो फुसफुसाई।
"हां।"
और खामोशी। उसने अपना गला साफ किया और फिर से कश लिया। सिगरेट के टोटे को फर्श पर फेंका और उसकी राख के शोलों को पांव से कुचल दिया।
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07-09-2020, 10:43 AM,
#68
RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
"जब मैं देहरी पर खड़ा था तो हमारी आंखें मिलीं। वो उस नाली के कीड़े के कंधे के पार से सीधे मेरी आंखों में देख रही थी... वो दीवार से सटे खड़े हुए थे। मुझे लगता है कि अगर उस वक़्त मेरे हाथ में कोई हथियार होता, कोई फरसा या छुरा या कुछ भी, तो मैं उसे वहीं के वहीं मार डालता। या शायद मैं एकदम सुन्न पड़ गया होता... उसकी वो आंखें, ब्रिगिट की आंखें जब वो अपने साथ उस आदमी को अपनी मनमर्जी करने दे रही थी, ये वही निगाहें थीं जिन्हें मैंने एक बार पहले भी देखा था। मैं तुरंत उन्हें पहचान गया था; तब वो सात-आठ साल की रही होगी, और पहली बार उसने भूखे, मरते बच्चों को देखा था और समझा था कि क्या हो रहा था... अफ्रीका से कोई टेलीविजन रिपोर्ट थी। वो वही आंखें थीं जिन्होंने इतने बरस पहले मुझे देखा था। वही हताशा। दुनिया की दुष्ट्ता से दो-चार होने पर होने वाला लाचारी का वही अहसास... मैं वापस घर चला गया और मुझे नहीं लगता कि महीने भर मैं पल भर को भी सोया होऊगा।"
वो रुका और उसने एक और सिगरेट सुलगाई।
"क्या ये वही साल था जब सिमेल स्पेन चला गया था?" मोएर्क ने पूछा, और उसे ये जानकर हैरानी हुई कि इतना सब होने के बावजूद उसकी उत्सुकता कितनी तीव्र थी। ये पाकर कि वो उसकी कहानी को कितने ध्यान से सुन रही है और उससे ऐसे ही प्रभावित हो रही है जैसे कि वो उसके अपने ज‍ख़्म हों... कि उसकी अपनी दुर्दशा और हताशा शायद किसी कहीं ज़्यादा बड़ी चीज के अक्स और उसकी मिसाल से ज़्यादा नहीं थी।
दुनिया में युगों से चली आ रही यंत्रणा की समग्रता?
दुष्ट्ता की समस्त ताकत?
या ये साली वो हठधर्मिता थी जिसकी सब चर्चा करते हैं। मेरी हठधर्मिता और विचित्र ताकत... और ये सच कि मैं हमेशा उस बच्चे को लेकर शर्मिदा महसूस करती हूं...
या शायद थोड़ा-थोड़ा दोनों? एक सी चीज? अगर ऐसी ही बात थी, तो आखिर क्या फर्क पड़ता था? उसके विचार भटक गए थे और वो सिरा पकड़े नहीं रह पाई। उसने अपनी मुठ्टियां भींच लीं, लेकिन कुछ पल बाद उनका अहसास भी खो गया। वो सुन्न पड़ गई और लुप्त हो गई थीं; उसी अवश्यंभावी तरीके से जैसे विचारों को पकड़ने की उसकी नाकाम कोशिशें हो गई थीं।
“हां,” अंततः वो बोला। “ये वही साल था। उन्हीं गर्मियों में वो गायब हो गया था... पिछली बसंत में ही वापस आया था, बाकी दोनों की तरह। निश्चय ही ये कोई संकेत रहा होगा कि कुछ ही हफ़्तों के अंदर वो अचानक एक-दूसरे के आगे-पीछे कालब्रिंजेन आ पहुंचे थे। मुझे ये बताने की कोशिश मत करना कि ये महज एक इत्तेफाक रहा होगा। ये बिटी की ओर से संकेत था। बिटी की और हेलेना की ओर से, ये साला इतना साफ है कि तुम शायद इसे नजरअंदाज नहीं कर सकतीं... क्या कोई इसे समझ पाएगा?”
अचानक उसकी आवाज में तीखापन आ गया था। अपने साथ गलत होने का क्षोभ। मानो वास्तव में वो खुद इस सबके पीछे नहीं था। मानो इन हत्याओं के लिए वो जिम्मेदार नहीं था। मानो...
महज एक कठपुतली।
वंडरमास की कही एक बात अचानक मोएर्क के दिमाग में कौंध गई--शायद शब्दशः तो नहीं, मगर सार रूप में--ज्यादातर हत्याओं के पीछे कोई आवश्यकता, कोई विवशता होती है जो दूसरे किसी भी काम के पीछे मौजूद किसी भी चीज से ज़्यादा बलवती होती है; अगर ऐसा नहीं होता, तो वो कभी होतीं ही नहीं, उन्हें करने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
अगर कोई विकल्प रहा होता।
आवश्यकता। दुख, संकल्प और आवश्यकता... हां, वो समझ गई थी कि ये यही बात थी।
दुख। संकल्प। आवश्यकता।
उसने कहानी के जारी रहने का इंतजार किया, मगर कुछ नहीं आया। केवल उसकी भारी सांसें ही थीं जो अंधकार को काट रही
थीं और मोएर्क को अहसास हुआ कि यही वो पल है, यही क्षण है जब समय ठहर गया था, कि वो उसकी किस्मत के बारे में अपना इरादा बना रहा था।
"तुम मेरे साथ क्या करने वाले हो?" उसने फुसफुसाकर पूछा।
शायद ये कुछ ज़्यादा जल्दी था। शायद वो उसे इस बारे में सोचने का वक्त नहीं देना चाहती थी।
उसने जवाब नहीं दिया। वो उठ गया और दरवाजे से निकल गया ।
उसे बंद किया और ताला लगा दिया। बोल्ट लगा दिए।
एक बार फिर वो अकेली थी। उसने कदमों की आवाज को धुंधलाते सुना और दीवार के सहारे गठरी सी बन गई। उसने अपने ऊपर कबल खींच लिया।
एक बचा है, उसने सोचा। उसे अभी एक के बारे में और बताना है। और फिर?
और फिर?
48
अगर उसके पास भविष्य में देखने की शक्ति होती, कुछ घंटे आगे में भी, तो मुमकिन है कि वो बिना किसी परेशानी के लंच छोड़ देता। और जल्दी से जल्दी कालब्रिंजेन की ओर निकल पड़ता।
इसके बजाय हुआ ये कि--इस लंबे खिंच गए केस का अंत साफ-साफ पहुंच के अंदर दिखने के चलते-उसने आर्नोज सैलर में, वो छोटा सा सीफूड रेस्तरां जो उसे बीस साल पहले के उस वक़्त से याद था जब वो किसी कोर्स के सिलसिले में एक हफ्ते वहां रुका था, कैनेल ऑक्स प्रून्स खाने का फैसला किया।
जो भी हो, उसे शांति और सुकून से सारे मसले पर गौर करने के लिए शायद कुछ घंटे चाहिए भी थे; कि इस ड्रामा के आखरी अंक का निर्देशन वो किस तरह करता है, ये भी महत्वपूर्ण था--दरअसल, काफी महत्वपूर्ण। फरसामार को यथासंभव कम से कम तकलीफ के साथ गिरफ्तार करना था, और साथ ही जहां तक मुमकिन हो,मकसद के सवाल की जांच करनी थी और उसे स्पष्ट करना था। और फिर, बेशक, इंस्पेक्टर मोएर्क से जुड़ी परेशानी भी थी। शायद गलत कदम उठाने के बहुत सारे मौके आ सकते थे, और, बॉजेन के शब्दों में, इस केस में कुछ भी ठीकठाक हुए बहुत समय गुजर चुका था।
मगर, अच्छे खाने से बेहतर कोई साथी उसके दिमाग में नहीं
आया |
____
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07-09-2020, 10:43 AM,
#69
RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
नाशपाती पड़ी ब्रांडी और कॉफी पीने के बाद, वो विभिन्न समस्याओं पर अपना इरादा पक्का कर चुका था--एक ऐसी रणनीति जिसमें किसी भी तरह का नुकसान ना होने देने की अपेक्षा ज़्यादा दिखाई दे रही थी।
ये मानते हुए कि वो अभी भी जिंदा थीं। बेशक, वो यही विश्वास करना चाहता था, मगर इस मामले में संभावनाएं कुछ खास भूमिका निभाती नहीं लग रही थीं।
संभावनाएं? उसने सोचा। अब तक तो मुझे जान लेना चाहिए था |
साढ़े तीन बजे थे। उसने अपना बिल भरा, अपनी कोने की मेज से उठा और गलियारे में लगे फोन बूथ में घुस गया।
तीन कॉल | पहला बॉजेन को घर पर उसके घोंसले में; फिर मुंस्टर को--कॉटेज में किसी ने नहीं उठाया--निस्संदेह वो अभी तक सिन और बच्चों के साथ बीच पर था। फिर पुलिस स्टेशन में क्रोप्के को। इस कॉल में वान को आधा घंटा लग गया; बजाहिर इंस्पेक्टर को ये समझ पाने में जरा मुश्किल हो रही थी कि हो क्या रहा है, लेकिन आखिरकार जब उनकी बातचीत खत्म हुई तो वान वीटरेन को महसूस हुआ कि सब कुछ ठीक-ठाक ही निबट जाएगा।
वो चार बजने के कुछ देर बाद ही निकल पड़ा था, और सात-आठ मील चलकर वो बमुश्किल उल्मिंग पहुंचा होगा कि तभी उसने देखा कि उसके जेनरेटर की चेतावनी लाइट टिमटिमा रही है। कुछ ही देर में वो एक लगातार चमकती मनहूस लाइट में बदल गई और ड्राइवर के गालियां देने और दोनों हाथों से डैशबोर्ड को पीटने से भी हालात में सुधार नहीं आया। इसके उलट, कमबख़्त कार खरखराने लगी और उसकी गति हल्की पड़ गई, और जब वो एक सर्विस स्टेशन पर पहुंचा तो वो ये मानने के लिए मजबूर हो गया था कि उसके सामने और कोई चारा नहीं है।
उसने कुछ चुनिंदा गालियां बकीं, दाहिनी ओर का ब्लिंकर चालू किया और हाईवे से उतर गया।
"जेनरेटर बदलेगा," हुड के अंदर एक सरसरी सी नजर डालकर युवा मैकेनिक ने कहा। आज तो कुछ कर पाना शायद मुमकिन नहीं होगा।" जेब में हाथ डालकर वो कुछ शर्मिंदा सा दिखा। वान वीटरेन गालियां देने लगा।
"ठीक है, अगर इतना ही अर्जेट है और आप तैयार हैं तो इसमें खर्चा आएगा।"
हम्म। इसमें चार-पांच घंटे लग सकते थे... उसे नया जेनरेटर खरीदने शहर जाना होगा, लेकिन अगर ग्राहक जल्दी में है तो वो भाड़े पर कार ले सकता है। एक-दो उपलब्ध थीं।
“और अपना स्टीरियो सिस्टम यहीं छोड़ दू?" वर्कशॉप के माहौल की फटीचर हालत की ओर इशारा करते हुए डिटेक्टिव चीफ इंस्पेक्टर भड़का। "तुमने मुझे समझा क्या है आखिर?"
"ठीक है," मैकेनिक ने कहा। "क्या मैं आपको कैफे में इंतजार करने की राय दे सकता हूं? आप न्यूजस्टैंड से किताबें और पत्रिकाएं खरीद सकते हैं।"
धत साले की! वान वीटरेन ने सोचा। साली कार! रात के एक-दो बजे से पहले मैं कालब्रिंजेन नहीं पहुंच पाऊंगा।
"फोन!" बार्ट चिल्लाया ।
पश्चिम में पेड़ों की कतार के पीछे सूरज के डूबना शुरू करने तक मुंस्टर और उसका परिवार बीच पर रहा। खेलों, आराम और पुनर्मिलन से भरपूर दिन के बाद वो दरवाजे से अभी अंदर आए ही थे। मुंस्टर ने सावधानी से चार साल की बेटी को बिस्तर पर लिटाया और सिन फोन सुनने चली गई।
"डीसीआई वान वीटरेन हैं." माउथपोस पर हाथ रखकर वो फुसफुसाई। वो तो बारूद के ढेर पर बैठे मालूम दे रहे हैं। कार का कुछ मसला है।"
मुंस्टर ने रिसीवर लिया।
"हैलो?" उसने कहा।
कमोबेश यही एक शब्द था जो उसने अगले दस मिनट या और ज़्यादा तक बोला होगा। वो वहीं खिड़की के आले में खड़ा सुनता और सिर हिलाता रहा जबकि उसकी पत्नी और बेटा लगातार छोटे होते घेरों में घूमते उसके आसपास मंडराते रहे। सिन के समझने के लिए एक नजर ही काफी थी, और उसने अपनी जानकारी अपने छह साल के बेटे को दे दी, जो इस स्थिति से पहले भी कई बार दो-चार हो चुका था।
इसमें कोई शक नहीं था। ये फोन असल में कार के लिए नहीं किया गया था। फोन के दूसरे छोर से आती अपने पति के बॉस की आवाज में वो ये सुन रही थीः एक धीमा मगर अबाध बवंडर। अपने पति के चेहरे पर भी उसने ये देखा था-उसकी भावभंगिमा में, उसके जबड़े की रूपरेखा में। तनावपूर्ण, दृढ़। कानों के नीचे हल्की सी सफेदी...
समय आ गया था।
और धीरे-धीरे चिंता का वही अहसास उसकी तरफ बढ़ा और उस पर छा गया। वो अहसास जिसके बारे में वो बात नहीं कर सकती थी, अपने पति से भी नहीं, लेकिन वो जानती थी कि दुनियाभर में हर पुलिसवाले की पत्नी इस अहसास से गुजरती है।
संभावना कि... कुछ ऐसा होने की संभावना जो...
उसने कसकर अपने बेटे का हाथ पकड़ लिया और छोड़ा नहीं। सब कुछ के बावजूद कृतज्ञ कि उसे यहां आ पाने का मौका मिल गया।
करीब दो बजे?" अंत में मुंस्टर ने पूछा। "हां, मैं आपके साथ हूं। हम यहीं जमा होंगे, हां... ओके, मैं ये ठीक कर लूंगा।"
फिर उसने रिसीवर वापस रखा और कुछ न देखते हुए एकटक सामने तकने लगा।
"वो सबसे घिनौना..." उसने कहा। "लेकिन वो सही कह रहे,बेशक..."
उसने सिर हिलाया, फिर उसे अपनी पत्नी और बेटे की मौजूदगी का अहसास हुआ जो अपने चेहरों पर वही अनकहा सवाल लिए उसे तक रहे थे।
कल सुबह हम फरसामार को गिरफ्तार करने जा रहे हैं." उसने बताया। रणनीति बनाने के लिए बाकी लोग आज रात यहां आ रहे हैं।"
"यहां आ रहे हैं?" सिन ने कहा ।
"बदमाश," छह साल के बच्चे ने कहा। "मैं आपके साथ चलूगा।"
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07-09-2020, 10:44 AM,
#70
RE: Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत
कल सुबह हम फरसामार को गिरफ्तार करने जा रहे हैं." उसने बताया। रणनीति बनाने के लिए बाकी लोग आज रात यहां आ रहे हैं।"
"यहां आ रहे हैं?" सिन ने कहा ।
"बदमाश," छह साल के बच्चे ने कहा। "मैं आपके साथ चलूगा।"

साढ़े चार बजे तक योजना बन गई थी। वान वीटरेन ने जैसा सोचा था इसमें उससे ज्यादा देर लग गई थी, मकसद का सवाल इधर से उधर ठोकर खाता रहा, मगर कोई ये निश्चित नहीं कह सकता था कि ये सब किस तरह जुड़ा है। लेकिन जहां तक मुमकिन हो सकता था उन्होंने इसे सुलझा लिया था। अब वो और आगे नहीं जा सकते थे, और भले ही पजल के कुछ टुकड़े अभी भी गायब थे, मगर कुल तस्वीर सबके सामने साफ थी।

“अब और इंतजार करने में कोई तुक नहीं है." वान वीटरेन ने कहा। "सबको पता है कि उन्हें क्या करना है... मुझे नहीं लगता कि हम खुद को बहुत ज़्यादा खतरे में डाल रहे हैं, मगर फिर भी सावधानी बरतना ठीक होगा। मूजर?"

मूजर ने अपने कूल्हे के उभार को थपथपाया।

“मुंस्टर?”

मुंस्टर ने हामी भरी।

पुलिस चीफ?"

एक और हामी, और वान वीटरेन ने अपनी नोटबुक बंद कर दी ।
"ठीक है। चलते हैं!"

मौत का ख़्याल किसी विचारशील मेहमान की तरह आया था, लेकिन एक बार जब मोएर्क ने उसे आने दिया तो उसने रुके रहने का तय कर लिया।

अचानक ही वो उसके साथ रहने लगा था। बिनबुलाया और निर्मम। उसके पेट को भींचते किसी हाथ की तरह। किसी धीमे-धीमे बढ़ते ट्यूमर की तरह। एक स्याह बादल उसके जिस्म पर फैलता जा रहा था, और भी ज़्यादा निराशाजनक अंधकार तले उसके विचारों को रौंदते हुए।

मौत । अचानक यही वो एकमात्र वास्तविकता बन गई थी जो उसके सामने थी। यही अंत है, उसने खुद से कहा, और ये कोई विशेषरूप से तकलीफदेह या परेशानी भरा नहीं था। वो मरने वाली थी... या तो उसके हाथ से या अपने आप। यहां फर्श पर इन सारे कंबलों के अंदर दुबकी पड़ी, अपने इस दुखते जिस्म और इस छटपटाती आत्मा के साथ,जो उसका ज़्यादा नाजुक हिस्सा था...वही सबसे पहले साथ छोड़ने वाला था, वो अब जान गई थी; एक बार जब उसने मौत के लिए दरवाजा खोल दिया तो उसके भीतर जिंदगी की चिंगारी धीरे-धीरे हल्की पड़ने लगी थी। इसके पूरी तरह से बुझने से पहले शायद बस सौ, सत्तर या महज बीस सांसें ही शेष बची होंगी। अब उसने गिनना शुरू कर दिया था, लोग जब जेल में होते हैं तो हमेशा ऐसा ही करते हैं, वो ये जानती थी। उसने कैदियों के बारे में पढ़ा था जो इस तरह गिनती करते रहने की वजह से ही अपना मानसिक संतुलन कायम रख पाए थे, इकलौती दिक़्कत ये थी कि उसके पास गिनने को कुछ नहीं था। न कोई
घटना। न शोर। न समय।
केवल उसकी अपनी सांसें और नब्ज ।
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