RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“ऊंह।” उसने बुरा सा मुंह बनाया। वह नैना से मानो क्षमा याचना सी करता हुआ बोला। उसने नैना को रिएक्ट करने का मौका फिर भी नहीं दिया था “य...यह कमबख्त पुलिसवालों का मोबाइल भी बड़ा कमबख्त होता है मनोरमा जी। हमेशा गलत वक्त पर बजता है, और जब बजता है तो उठाना ही पड़ता है जैसे कि मैं अभी उठाने वाला हूं।"
नैना कुछ न बोली। वह खामोशी से बस मदारी को घूरती रही। मदारी ने फोन रिसीव किया और मोबाइल कान से लगाकर सहज भाव से बोला “जय भोलेनाथ की।” फिर दूसरी तरफ से जो कुछ बताया गया, उसे सुनकर वह यूं उछला जैसे कि उसे बिच्छू ने डंक चुभो दिया हो।
चेहरे पर कई रंग आए और चले गए।
नैना ध्यानपूर्वक उसके चेहरे को देख रही थी।
“क..क्या हुआ इंस्पेक्टर?" मदारी ने फिर जैसे ही मोबाइल कान से हटाया वह पूछे बिना न रह सकी थी। उसके चेहरे पर स्वाभाविक कौतूहल उभर आया था।
"वही मनोरमा जी, जो नहीं होना चाहिए था।" मदारी बेहद आंदोलित भाव से बोला।
“क...क्या? क्या नहीं होना चाहिए था?"
"कल्ल ।"
“व..व्हाट?" नैना चौंक पड़ी थी “कल? अब किसका कत्ल हो गया?"
“बताने का वक्त नहीं है। फिलहाल मुझे जाना होगा। जय भोलेनाथ की।"
मदारी फिर एक पल के लिए भी वहां नहीं रुका था।
वह पलटकर तेजी से बाहर निकल गया। चैम्बर के ठीक बाहर नैना की सेक्रेटरी का काउंटर था, जहां प्राची पूरी मुस्तैदी से मौजूद थी।
उसने मदारी को तेजी से बाहर जाते देखा था और उसके असामान्य हाव-भावों को भी महसूस कर लिया था। उससे पहले जितनी देर मदारी अंदर नैना के केबिन में रहा था, प्राची बेहद बेचैन रही थी और अंदर क्या चल रहा था, भांपने का प्रयास करती रही थी। लेकिन नैना का चैम्बर साउंडप्रूफ था इसलिए वह अपने उस कुप्रयास में कामयाब नहीं हो सकी थी।
फिर जैसे ही मदारी बाहर निकला, वह चौकन्नी हो गई थी। कुछ क्षणों तक वह बड़े धैर्य से इंतजार करती रही थी। फिर जैसे ही मदारी आंखों से ओझल हुआ, उसने फौरन अपना मोबाइल निकाल लिया, फिर फुर्ती से एक सावधान निगाह अपनी बॉस के बंद केबिन पर डाली और मैसेज पंच करने लगी।
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