RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“ऑलराइट।” अजय ने गियर बदलकर कार को एकदम से आगे बढ़ा दिया।
उसने पीठ की पुश्त से अपना सिर टिका लिया और फिर यूं ही खामोशी से बैठी वह कुछ पलों तक गहरी-गहरी सांसें भरती रही। सांसों के साथ ही उसका उभरा वक्षस्थल भी उठता-गिरता रहा और अजय के अंदर गुदगुदी पैदा करता रहा।
बैकव्यू मिरर के जरिये अजय तस्दीक कर चुका था कि पीछे जो कार उसने ठोकी थी, वह लड़के उसके पीछे नहीं आए थे और अब वह नटखट, चुलबुली हसीना दिल्ली तक उसकी हम सफर थी, जो अब किसी हद तक सामान्य हो चली थी। उसके चेहरे की स्वाभाविक लालिमा भी वापस लौट आई थी। उसने अपने बालों को दुरुस्त कर लिया था, जो कुछ देर पहले हुई उठा पटक में बुरी तरह अस्त व्यस्त हो गए थे। इसके बावजूद उसके बालों की जिद्दी लट फिर से उसका मस्तक चूमने लगी थी, जिसे उसने फूंक मारकर उड़ा दिया था।
“शुक्रिया।” तभी एकाएक अजय बोला। वह अपनी बगल में बैठी हसीना पर क्षण भर के लिए एक नजर डालकर फिर से
कार की विंडस्क्रीन के पार देखने लगा था।
“अरे....।” वह बला सजग हुई। उसने किंचित हैरानी से अजय को देखा, फिर अपनी सीप सी पलकें झपकाती हुई बोली “तुम मुझे शुक्रिया क्यों कह रहे हो। शुक्रिया तो मुझे बोलना चाहिए था। उफ्फ् मैं भी इतनी भुलक्कड़ हूं, तुमने मुझ पर इतना बड़ा उपकार किया, मेरे लिए अपनी जान को जोखिम में डाला, उन गुंडों से मेरी हिफाजत की, और मैंने तुम्हें शुक्रिया तक नहीं कहा। लानत है?" उसने झुंझलाकर अपने एक हाथ का चूंसा दूसरी हथेली पर जमाया।
"मु...मुझ पर?" अजय ने हड़बड़ाकर पूछा।
“अरे नहीं जैटलमैन।” वह उछलकर बोली “मुझ पर। लानत तो मैं अपने आप पर भेज रही हूं।"
“ओह, फिर ठीक है।" उसने राहत की सांस ली थी।
"क्या ठीक है?" उसने अपनी बड़ी-बड़ी आंखे निकाली “सवाल तो यह उठता है जेंटलमैन कि तुमने मुझे शुक्रिया क्यों बोला? उसके कोमल सिन्दूरी चेहरे पर सवाल उभर आया था “अब चुप क्यों हो? जवाब दो।”
“अरे, जवाब देने का जब तुम मौका दोगी तभी तो जवाब दूंगा। दरअसल तुम्हें शुक्रिया बोलने की एक नहीं दो-दो वजह हैं।"
“अच्छा।” उसका हैरानी बढ़ गई थी “और वह दोनों वजह क्या हैं?"
“पहली वजह तो ये है कि मैंने आज तुम्हें आप की बजाये तुम कहकर बुलाया और तुमने ऐतराज नहीं किया।” अजय ने पहली वजह बयान की।
“अरे, वह तो तुम पहले भी मुझे तुम कहकर बुलाते तब भी मैं बिल्कुल ऐतराज नहीं करती। अब फौरन दूसरी वजह बोलो।”
“तुमने मुझे सजा-ए-मौत से बचाया।”
“कब? कब? कब?" वह चिहुंककर जल्दी से बोली। उसके सुंदर मुखड़े पर गहन हैरानी के भाव आ गए थे “मैंने तुम्हें सजा-ए-मौत से कब बचाया? और तुम क्या कोई सजायाफ्ता मुजरिम हो?"
“वह तो मैं बन जाने वाला था।"
"त..तुम सजायाफ्ता मुजरिम क्यों बन जाने वाले थे जेंटलमैन?”
“अरे, अगर मैं तुम्हें अपनी कार से ठोक देता और तुम जन्नतनशीन हो जाती तो फिर मैं मुजरिम बनने से कैसे बच सकता था? और मुजरिम को तो सजा मिलती ही है? मुझे भी निश्चित रूप से सजा-ए-मौत ही मिलने वाली थी।"
“
लेकिन तुम मुझे अपनी कार से ठोककर जन्नतनशीन ही क्यों बनाते? मुझसे भला तुम्हारी क्या दुश्मनी है?"
"कोई दुश्मनी नहीं है। मगर वह क्या है कि तुम पहले जितनी भी बार मुझे मिली, बेहद जल्दबाजी में मिली हो और मुझसे टकराकर ही तुमने चैन लिया है। पहले तो खैर शुक्र है कि हर बार मैं कार में नहीं था, लिहाजा तुम चोट खाने से बच गई, लेकिन इस बार मैं अपनी कार में था और कार की रफ्तार बहुत ज्यादा थी। अगर ऐसे में तुम जल्दबाजी में मेरी निर्दोष कार से टकरा जाती तो तुम्हें जन्नतनशीन होने से कोई भी नहीं बचा सकता था। और अगर तुम जन्नतनशीन हो जाती तो बता ही चुका हूं कि फिर मेरा फांसी पर चढ़ना निश्चित था।"
"हूं।” उसने अजय को देखकर आंखें तरेरी “और क्योंकि ऐसा नहीं हुआ इसीलिए तुमने मुझे शुक्रिया कहा?"
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