Thriller Sex Kahani - कांटा
05-31-2021, 12:12 PM,
#91
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“अरे। अब तुम्हें क्या हुआ?” वह फिर चहकी।

"तू ऐसे मत बोला कर आलोका। मुझे कुछ कुछ होता है।"

“अच्छा। वह फिल्म वाला कुछ-कुछ होता है?"

"हां।"

“तो होने दो न जेंटलमैन । मुझे क्यों बता रहे हो?"

“समझो।” अजय उसे छेड़ने की गर्ज से बोला “तुम मेरे इतना करीब खड़ी हो। ऊपर से आज मेरे घर पर भी कोई नहीं है।”

“वैसे क्या तुम्हारा पूरा खानदान यहा रहता है?"

"नहीं। लेकिन नौकर-चाकर तो रहते ही हैं।"

"तो क्या हुआ?"

“समझो हसीन गुड़िया । अगर मैं अपने कंट्रोल से बाहर हो गया और मैं तुम पर झपट पड़ा तो जानती हो क्या होगा?"

"क्या होगा?” उसने निरी अंजान बनकर पूछा।

“तुम लुट जाओगी। तुम्हारे नारीत्व का सबसे कीमती गहना लुट जाएगा।”

अजय का ख्याल था कि वह जरूर बौखला जाएगी और फिर पता नहीं कैसा रिएक्ट करेगी।

लेकिन वैसा कुछ भी नहीं हुआ था।

“ओह तो यह बात है।” वह गहरी सांस खींचकर अपनी गरदन को खम देती हुई बोली “तुम मेरा इम्तहान लेना चाहते हो। तुम यह जानना चाहते हो कि फेरों से पहले मुझे तुम्हारा हमबिस्तर होना कबूल होगा या नहीं मैं अपना शरीर तुम्हारे हवाले करूंगी या नहीं?"

जिस बेबाकी से आलोका ने कहा था उसने पलभर के लिए

अजय को हड़बड़ा दिया। लेकिन वह फौरन ही संभल गया।

“ऐसा ही समझ लो।” वह भेदभरी मुस्कराहट के साथ बोला।
एक पल के लिए वह चुलबुली हसीना सोच में नजर आयी, फिर एकाएक उसकी ओर देखकर बोली “तुम बुद्धू हो जेंटलमैन।”

“वह कैसे?"

“मुझसे यह बहुत ही छोटी सी चीज तुमने मांगी है।” वह उसी बेबाकी से बोली “मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है। और अपनी ही चीज को कोई खुद से मांगता है क्या?"

“मानी कि अपना शरीर मुझे सौंपने में तुम्हें कोई ऐतराज नहीं है?” “आज काफी रोमांटिक मूड में मालूम पड़ते हो जेंटलमैन। अगर आजमाने का इरादा है तो मेरा यह मादक शरीर क्या चीज है, मेरी जिंदगी मांगकर देखो। फिर देखना मैं कैसे हंसते-हंसते लुटा दूंगी।"

अजय उसे देखता ही रह गया।
अपलक एकटक।

"हल्लो।” अब आलोका की बारी थी। वह उसे कोहनी से टहोकती हुई बोली “कहां खो गए जेंटलमैन।”

“त...तुम मुझे इतना चाहती हो?” अजय ने जज्बाती होकर पूछा। “चाहत और समुंदर, दोनों की गहराई नापना असंभव है जेंटलमैन।

फिर भी अगर तुम्हारे पास कोई पैमाना हो तो मेरी चाहत की गहराई नापकर दिखा देना। मुझे अपनी चाहत को अल्फाजों में पिरोना नहीं आता। लेकिन जब तुमने जिक्र छेड़ ही दिया है तो बस इतना जान लो, मैं केवल तुम्हारे लिए ही दुनिया में
आयी हूं। हम जियेंगे तो साथ और मरेंगे भी साथ।"

अजय अपने जज्बातों पर काबू न रख सका। वह झपटकर आगे बढ़ा और उसने आलोका को बांहों में भरकर अपनी छाती से भींच लिया।

कितनी ही देर तक आलोका अबोध बच्ची की तरह उसके सीने से लगी खड़ी रही, फिर एकाएक उसे शरारत सूझी।
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05-31-2021, 12:12 PM,
#92
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
कितनी ही देर तक आलोका अबोध बच्ची की तरह उसके सीने से लगी खड़ी रही, फिर एकाएक उसे शरारत सूझी।
"अब बस भी करो।” सहसा वह उससे अलग होती हुई बोली।

“क्यों? क्या हुआ?” अजय ने पूछा।

"इतना काफी है।" वह भारी सांसों से बोली “अगर हम और ज्यादा देर तक एक-दूसरे की धड़कन को सुनते रहे तो आज तुम्हारा जेंटलमैन का खिताब टूट जाएगा।"

“डोंट माइंड। मैं यह खिताब टूटने नहीं दूंगा।"

“सो स्वीट! वैसे क्या तुम्हारे यहां घर आए मेहमान को चाय-वाय पूछने का रिवाज नहीं है?"

“कौन कहता है रिवाज नहीं है।” अजय अकड़कर बोला।

“तो फिर मुझसे अभी तक क्यों नहीं पूछा। कितनी देर हो गई है मुझे यहां आए हुए?"

ओह, यह बात है।"

"हां।" उसने माथे पर फिसल आयी अपनी जिद्दी लट को फिर फूंक मारकर उड़ाया और उसी के स्वर की नकल करती
हुई बोली “यही बात है जेंटलमैन। अब जवाब दो।"

“वह इसीलिए मेरी जिंदगी, क्योंकि तुम यहां मेहमान नहीं हो बल्कि इस घर की मालकिन हो। अगर चाय पीने का इतना ही दिल कर रहा है तो किचन उस तरफ है। जाकर मेरे लिए भी बना लाओ। जरा मैं भी देखू तुम कैसी चाय बनाती हो। आखिर जीवन भर इन्हीं हाथों की तो चाय पीनी है।"

“ओह हो। तो यह बात है! काफी उतावले मालूम पड़ते हो मेरे हाथों की चाय पीने के लिए?"

“बहुत ज्यादा उतावला हूं। लेकिन तुम्हें मेरी परवाह ही कहां है। बात आगे बढ़ाने को राजी ही नहीं होती।"

“यह काफी बड़ा फ्लैट है?" आलोका चारों ओर निगाह फिराती हुई बोली “और काफी आलीशान भी। यह तुम्हारा निजी फ्लैट है क्या?"

“तुम फिर बात को घुमा रही हो आलोका मेरे सवाल से बचने की कोशिश कर रही हो। तुम ऐसा क्यों करती हो। और आज तक अपने घरवालों के बारे में भी तुमने मुझे कुछ नहीं बताया। तुम आखिर ऐसा क्यों कर रही हो?"

“य...यह सरासर वादाखिलाफी है जेंटलमैन । तुमने मुझे सवाल न करने का वचन दिया है?"

“ओह नो।” अजय झुंझला उठा। वह अपने हथेली पर दूसरे हाथ का घूसा जमाता हुआ बोला “म.मैंने तुम्हें आखिर यह वचन क्यों दिया ?”

“इसके जवाब में राजा शांतनु को याद कर लो। गंगा को वचन देने के बाद वह भी न जाने कितनी बार ऐसे ही विवश होकर झुंझलाए थे। मगर क्या उनके उस आचरण पर गंगा ने अपनी खामोशी तोड़ दी थी और उनके सवालों का जवाब दे दिया था?"

“न...नहीं।” अजय कसमसाया और कठिनता से उसने इंकार में सिर हिलाया।

“सो देयर।” उसने लापरवाही से अपने कंधे उचकाए और माथे पर फिर सरक आयी जिद्दी लट को इस दफा अंगुलियों से यथास्थान पहुंचाती हुई बोली “फिर मैं यह गलती कैसे कर सकती हूं। मगर तुम्हें भी इतना विश्वास मुझ पर रखना ही होगा कि जैसे गंगा गलत नहीं थी, वैसे ही तुम्हारी आलोका भी गलत नहीं। वे भी नियति के हाथों मजबूर थीं, मुझे भी नियति ने बेबस कर रखा है।"

“म...मुझे अपनी विवशता बताओ आलोका, हो सकता है मैं कोई रास्ता निकाल सकू।”

“नियति अपने रास्ते खुद बनाती है। तुम जेंटलमैन होकर भी यह नहीं समझते।"

"लेकिन..."

“और फिर मैंने कहा न, तुम्हें मुझ पर भरोसा रखना होगा अपनी आलोका पर भरोसा रखना होगा। जैसे गंगा ने शांतनु को धोखा नहीं दिया था, मैं भी तुम्हें धोखा नहीं दूंगी, मेरा यह वादा याद रखना।"

उस रोज भी अजय की कोशिश नाकाम साबित हुई थी। वह खूबसूरत बला बात को बड़ी खूबसूरती से टाल गई थी।

"मगर तुम्हारे सामने तो कोई बंदिश नहीं है।” फिर उसने कहा था “फिर तुमने मेरे सवाल का जवाब क्यों नहीं दिया?"

“क...कौन सा सवाल पूछा था तुमने?” अजय ने अचकचाकर पूछा।

“यही कि क्या यह आलीशान फ्लैट तुम्हारा है?"

“जी नहीं मोहतरमा।” अजय ने बताया “यहां मैं किराये पर रहता हूं।"

“ओहो।"

"लेकिन तुम उदास मत होना। शादी के बाद मैं तुम्हें हमारे अपने घर में ही ले जाऊंगा।"

“यानि कि तुम अपना खुद का घर खरीदने की सोच रहे हो?"

“अरे नहीं। वह तो मैं पहले ही खरीद चुका हूं।"

“ख...खरीद चुके हो? कहां खरीदा है तुमने अपना घर?”

“एक साउथ दिल्ली में, दूसरा नार्थ में और तीसरा ईस्ट में।"

“क्या?” वह हकबकाई फिर अपनी बड़ी-बड़ी आंखें निकालती हुई बोली “तुम्हारे तीन-तीन घर हैं?"

“हां।” अजय मुस्कराया “और चौथा खरीदने की बात चल रही है।"

“च....चौथा खरीदने की बात चल रही है?" वह हैरान हुई थी। “हां। अभी एक दिशा बाकी जो है दोस्त।"
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05-31-2021, 12:13 PM,
#93
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“जेंटलमैन।” वह अजय को घूरती हुई बोली “तुम क्या मुझे बेवकूफ समझते हो?"

“सवाल ही नही उठता। मेरी होने वाली बीवी बेवकूफ कैसे हो सकती है।"

"तो फिर जरूर तुम मुझे इम्प्रेस करने की कोशिश कर रहे हो।”

“यह तुम्हें कैसे लगा?"

“जब तुम्हारे पास तीन-तीन फ्लैट पहले से हैं और चौथा खरीदने की सोच रहे हो, फिर तुम इस किराये के फ्लैट में क्यों रहते हो?"

अजय के चेहरे के भाव तत्काल चेंज हो हुए। उसकी निगाह अनायास ही सामने खिड़की के पार नजर आ रही उस बुलंद इमारत पर जाकर ठहर गई, जिसे वह अपनी यादों में विस्मृत नहीं होने देना चाहता था और महज उस इमारत की याद को ताजा रखने के लिए उसने फ्लैट किराये पर लिया था महज लोकेशन की खातिर।

उसने बड़ी शिद्दत से अपने जज्बातों को रोका।

"है कोई वजह?" प्रत्यक्षतः वह मुस्कराता हुआ सहज भाव से बोला।

“मुझे बताने में कोई ऐतराज है?"

“तभी तो नहीं बता रहा हूं।"

“ऐसा?"

“हां। कुछ और पूछो।”

“और क्यों पूछू?"

“मेरे घरवालों के बारे में पूछो मेरी इंकम के बारे में पूछो। जिसे अपना जीवनसाथी बनाने जा रही हो, उसके बारे में यह
सब जानने का तुम्हें हक है।”

“तुम्हारे अलावा तुम्हारा दुनिया में और कोई भी नहीं है, यह तो मुझे मालूम है। और हर इंसान की इंकम उसके चेहरे पर लिखी होती है। बस पढ़ने वाली निगाह चाहिए।"

“जो कि तुम्हारे पास है।”

“ऑफकोर्स।” उसने अकड़कर सहमति में सिर हिलाया।

“लिहाजा तुम्हारे पास मुझसे पूछने के लिए कुछ भी नहीं है?"

“ऐसा तो नहीं है।" आलोका तनिक संजीदा हुई थी “है तो सही मेरे पास तुमसे पूछने के लिए। पर मुझे नहीं पता जेंटलमैन, वह सब तुम मुझे बताओगे भी या नहीं।”

“अरे। पूछने से पहले ही शंका जता रही हो।"

“शंका तो मुझे बराबर है जेंटलमैन। वैसे भी राज किसकी जिंदगी में नहीं होते।"

"लाइक दैट यू।"

"मेरे तीर से मुझे ही निशाना बना रहे हो। बात तुम्हारी हो रही है।"

"लेकिन तुम्हारा सवाल क्या है?"

“पहले वादा करो कि तुम उसका सही-सही जवाब दोगे। अगर वह कोई राज भी है तो भी मुझसे नहीं छिपाओगे आज अपने सारे राज मुझ पर खोल दोगे। बदले में यह तुमसे मेरा वादा है, मेरे जीते जी वह राज कभी मेरे सीने से बाहर नहीं आएगा।"

“अरे। तुम तो लगता है संजीदा हो गई।"
आलोका खामोशी से उसे देखती रही।

"अच्छी बात है आलोका।” अजय ने लम्बी सांस खींची और फिर वह जैसे हथियार डालता हुआ बोला
“अगर तुम्हारी यह ख्वाहिश है तो मैं वादा करता हूं। अब पूछो, तुम क्या पूछना चाहती हो?"

“थै क्यू जेंटलमैन।" वह खुश होकर बोली “वादा किया है, अपने इस वादे से मुकर मत जाना।"

“ऐसा नहीं होगा।"

“आलराइट।” आलोका मुस्कराई, फिर वह संजीदा हुई और फिर गौर से उसके चेहरे को देखती हुई बोली “एक इंसान को जिन चीजों की चाहत होती है, तुम्हारे पास वह सब कुछ है। फिर भी मैंने तुम्हारे अंदर एक अजीब सी उदासी को महसूस किया है। गीली लकड़ी की तरह तुम्हें अंदर ही अंदर सुलगते देखा है। इस उदासी का आखिर सबब क्या है जेंटलमैन? रंग चाहे होली के हों या जिंदगी के, क्यों तुम उनसे नफरत करते हो?"

अजय हड़बड़ाया और चौंककर आलोका को देखने लगा था।

“वादा किया है जेंटलमैन।” आलोका ने उसे जैसे याद दिलाया था “अपने वादे से तुम मुकर नहीं पाओगे।"

अजय के चेहरे पर सहसा एक लहर सी आयी और चली गई। आलोका का वह सवाल सीधा उसके अतीत से जुड़ा था उसकी परतों को खोदने वाला था।
उसके मस्तिष्क पटल पर अनायास ही एक चेहरा घूम गया।
वह निमेष का चेहरा था।
निमेष!
उसे गोद लेने वाला उसका पिता।

उसके अपने जन्मदाता का तो उसे नाम भी नहीं मालूम था। वह शायद किसी पाप की पैदाइश था, जो उसके पैदा होते ही उसे कूड़े के ढेर पर फेंककर चले गए थे।

वह तो निमेष ही था, जिसने उसे बेसहारा नहीं होने दिया था और गोद ले लिया था। और यह भी कैसा अजीब इत्तेफाक था, जिस निमेष ने उसे गोद लिया था, उसे अपना बेटा बनाया था, वह खुद भी तो गोद लिया हुआ था। उसे भी एक ही ऐसे ही फरिश्ताजात इंसान ने गोद लिया था, जिसका नाम उसे बखूबी याद था कि प्रबीर था।
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05-31-2021, 12:13 PM,
#94
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
प्रबीरदास!
प्रबीरदास एक बड़ी कारपोरेट कंपनी का मालिक था, जिसकी केवल एक ही संतान थी, जो बेटी थी और जिसका नाम सरला था। जबकि प्रबीरदास को बेटे की बेहद चाहत और जरूरत थी। उसका इतना बड़ा कारपोरेट बिजनेस उसके बाद आखिर कौन संभालने वाला था। मगर जब उसकी वह चाहत पूरी न हुई थी तो उसने मजबूरन एक बेटे को गोद लिया था जोकि प्रबीरदास था और दोनों बाप-बेटे एक जैसी ही किस्मत लेकर दुनिया में आए थे।

"हल्लो जेंटलमैन ।” तभी आलोका का खनकता स्वर उसके जेहन से टकराया था। वह कह रही थी “तुम चुप क्यों हो। मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूं।"

अजय की तंद्रा भंग हुई। उसके बारे में आलोका आज तक केवल इतना ही जानती आयी थी कि वह अनाम लावारिस पैदा हुआ था और दुनिया में बिल्कुल अकेला था।

मगर उस दिन उसने आलोका पर अपने जीवन का वह अनछुआ पहलू उजागर कर दिया।

“य...यह तो खुशी की बात है।” आलोका खुश होकर बोली “जन्म देने वाले से पालने वाले का दरजा बड़ा होता है जेंटलमैन । लेकिन तुमने यह बात मुझसे क्यों छिपाई। बाई द वे, तुम्हें गोद लेने वाले मां-बाप कहां हैं? मेरा मतलब निमेष कहां हैं?"

“वह अब इस दुनिया में नहीं हैं।"

“ओह।” आलोका को जैसे धक्का लगा था “ऑय एम सॉरी। लेकिन क्या हुआ था उन्हें?"

“उन्हें कत्ल कर दिया गया था।” अजय होंठ भींचकर बोला। "ओह नो। कि...किसने उनका कत्ल किया था और क्यों?” “अहमियत इस बात की नहीं है कि उनका कत्ल किसने किया था?
अहमियत इस बात की है कि वह सब किसने करवाया था ?” अजय अपने एक-एक शब्द पर जोर देता हुआ बोला।

आलोका कुछ नहीं बोली। केवल प्रश्नसूचक नेत्रों से उसे देखती रही। अजय फैसला न कर सका कि उन तमाम कत्लों
का जिम्मेदार प्रबीरदास की दौलत थी या उसकी शराफत थी।

पुरानी कहानी थी, जिसमें रातोरात अमीर बनने के लिए महत्वाकांक्षी नौजवान ने एक अमीर घराने की लड़की को अपने प्रेमजाल में फंसाया, जो कि प्रबीरदास की इकलौती बेटी सरला थी। मगर कहानी में नया मोड़ यह था कि उस शातिर नौजवान ने सरला के पिता को विरोध करने का मौका ही नहीं दिया था, उससे पहले ही उसने उनकी मौत का सामान कर दिया था। और वह सब उसने इतनी सफाई से किया था कि प्रबीरदास की मौत एक हादसा बन गयी थी। कोई सोच भी नहीं सकता था कि वह हादसा नहीं, एक कत्ल था।

अपने गोद लिए बेटे निमेष का अस्तित्व प्रबीरदास ने दुनिया से छुपाकर रखा था। उसे जानने वाला हर शख्स उसे प्रबीरदास का कारोबारी मुलाजिम समझता था। लेकिन काननी रूप से प्रबीरदास ने उसे वह सारे अख्तियारात दे रखे थे, जो एक दत्तक पुत्र को हासिल होते हैं। वह शायद किसी मुनासिब मौके के इंतजार में था जबकि निमेष का सच यह दुनिया को बता देता। लेकिन वह वक्त न आ सका। उससे पहले ही प्रबीरदास की मौत आ गई।

और क्योंकि सरला को सब कुछ मालूम था, और उस शातिर इंसान ने सीधी-सच्ची सरला से सब जान लिया था, लिहाजा उसने प्रबीरदास के साथ ही निमेष की मौत का भी इंतजाम कर दिया था। वह आखिर किसी ऐसे इंसान को जीवित छोड़ने की गलती कैसे कर सकता था जो उसकी मंजिल के रास्ते की सबसे मजबूत दीवार था।

सरला सोच भी नहीं सकती थी कि उसने किस काले नाग को अपनी मांग का सिंदूर बनाने का फैसला किया था। उसके विपरीत जिस काले नाग ने उसकी खुशियों को डंसा था, उस पर गमों का वह पहाड़ तोड़ा था, वह सहारे के लिए उसी के
और करीब आ गई। और फिर एक दिन उसकी जीवनसंगिनी बन गई थी।
यह अलग बात है कि आने वाले कल में सरला की मौत की वजह भी वही शातिर इंसान बना था लेकिन तब तक सरला एक संतान को जन्म दे चुकी थी।

और यह सब उस शातिर इंसान ने अकेले हरगिज भी नहीं किया था। इसमें कदम-कदम पर एक अन्य इंसान ने उसका
साथ दिया था। जो उसका बचपन का साथी था और जिसका नाम सौगत था।
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05-31-2021, 12:13 PM,
#95
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
सौगत!
जो अगर उसके साथ न होता तो शायद वह शातिर इंसान कुछ भी नहीं कर पाता। लेकिन सांप का स्वभाव ही ऐसा होता है जो उसे दूध पिलाता है, उसे भी डंसने से नहीं चूकता। फिर आखिर सौगत कैसे बच सकता था।
उसे भी तो उसने डंस लिया था।

कितना खून बहाया था उस हत्यारे ने महज प्रबीरदास की दौलत को हासिल करने के लिए!
कितनी लाशों के अंबार लगाए थे!

लाशों की उसी बारात में एक लाश निमेष की भी शामिल थी। उसके अपने पिता की, जिन्होंने उसे गोद लिया था। जिस फरिश्ताजात इंसान ने उसे कूड़े के ढेर से उठाकर अपनी पलकों पर बैठाया था, उसे दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार दिया था।
मगर फिर अपने उसी पिता की धधकती चिता को उसने अपनी आंखों से देखा था। वह दिन था और आज का दिन था, वह चिता आज भी उसकी आंखों में धधक रही थी और अजय से अपने साथ हुई नाइंसाफी का जैसे हिसाब मांग रही थी। और अजय पागलों की तरह दुनिया की भीड़ में उस इंसान को ढूंढता फिर रहा था।

“त...तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया जेंटलमैन।” तभी आलोका की आवाज उसके कानों से टकराई, जो अजय के बोलने का इंतजार कर रही थी और टुकुर-टुकुर उसे ही देख रही थी।

“और वह शातिर इंसान कौन है जिसने वह खून का खेल खेला था?” आलोका ने आगे पूछा “क्या तुम उसे जानते हो? उसका क्या नाम है?"

अजय ने जवाब देने के लिए अभी मुंह खोला ही था अचानक वातावरण में कॉलबेल की आवाज गूंज उठी।

अजय की तंद्रा भंग हो गई। वह बेसाख्ता चौंक पड़ा। अभी तक उसकी आंखों के सामने लहराता आलोका और अतीत का चेहरा धुंधलाता चला गया। पांच बरस पुरानी वह अतीत की यादें आंखों के सामने से हट गईं और वह अपने वर्तमान में वापस लौट आया था।

और उसने अपने आपको उसी फ्लैट के टैरेस पर मौजूद पाया था, जहां पड़ी ईजीचेयर से उसे सामने सड़क के पार स्थित वह बुलंद इमारत साफ नजर आती थी और जिस इमारत से उसका पुराना रिश्ता था। और जिसे देखकर वह अक्सर पुरानी यादों में खो जाता था।

तभी कॉलबेल दोबारा बजी।

अजय एक गहरी सांस भरकर ईजीचेयर से उठ गया।

उसने जाकर प्रवेशद्वार खोला। फिर आगंतुक को देखते ही न चाहते हुए भी चौंक पड़ा। उसके मस्तक पर अनायास ही बल पड़ गए।

हाथ में कीमती सूटकेस लटकाये सुमेश सहगल कनॉट प्लेस के एक थ्री स्टार होटल से बाहर निकला।

मार्किट में ही उसके लिए एक इंडिका बैंज टैक्सी खड़ी थी। जिसके ड्राइवर ने उसे देखते ही लपककर पीछे का पैसेंजर डोर खोल दिया।

सहगल के टैक्सी में सवार होते ही ड्राइवर ने टैक्सी आगे बढ़ा दी। “किधर चलना है पापा जी।” टैक्सी ड्राइवर ने उससे पूछा जो कि खुद एक सिख था।

“एयरपोर्ट ।” सहगल ने संक्षिप्त सा जवाब दिया।

ड्राइवर की गरदन फौरन सहमति में हिली और उसने टैक्सी को मुख्य सड़क की तरफ दौड़ा दिया।

सहगल का हुलिया उस वक्त पूरी तरह बदला था। उसने एक सरदार का बहरूप धारण कर रखा था। वह एक कीमती सूट पहने था। चेहरे पर बढ़ी हुई खिचड़ी दाढ़ी तथा मूंछ, जिसने उसके चेहरे को पूरी तरह ढक रखा था। सिर पर सरदारों वाली बड़ी सी पगड़ी, पैरों पर चमचमाते बूट, हाथ में सूटकेस । उस हुलिए में वह किसी भी बड़ी कम्पनी का कोई एक्जीक्यटिव लग रहा था और उसे देखकर कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि वह कोई सरदार नहीं बल्कि सुमेश सहगल था, जिसकी दिल्ली पुलिस को सरगर्मी से तलाश थी। अकेले दिल्ली पुलिस ही क्यों, कोई और भी था जो उसे बड़ी सरगर्मी से ढूंढ रहा था और जिसकी अदालत में उसके लिए मौत के अलावा दूसरी कोई सजा नहीं थी।

और इन हालात को फेस करना सहगल के लिए नामुमकिन था। पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत थे, जो उसे सीधे-सीधे कत्ल का मुजरिम ठहराते थे। जबकि उस दूसरे शख्स को किसी सबूत की दरकार नहीं थी। उस शख्स को पेश चलाने की हालांकि उसने एक कोशिश तो बराबर की थी

और संजना के जरिये उस कांट्रेक्ट किलर गोपाल को शीशे में उतरवाने का इरादा किया था। लेकिन उसके लिए संजना जीवित नहीं बची थी। मौजूदा सूरते हाल में अपनी जान बचाने का उसके पास केवल एक ही तरीका था यही कि वह फौरन राजधानी दिल्ली को छोड़ देता और आइंदा उसे इस मुल्क को भी अलविदा कहना पड़ सकता था, जिसके लिए सहगल ने खुद को पूरी तरह तैयार कर लिया था और अपने सारे परिवार को आनन-फानन दिल्ली से बाहर गुमनाम जगह भेज दिया था। और बीते दिनों में उसने दिल्ली की सारी अचल सम्पत्ति को कैश में तब्दील करके वहां से हस्तांतरित कर दिया था, फिर दिल्ली की बैंकों और दूसरे तमाम जगहों से सारा इन्वेस्टमेंट एक्वायर ऑफ करके उस रकम को भी उसने ठिकाने लगा दिया था। और यूं एक बहुत विपुल धनराशि उसके पास इकट्ठा हो चुकी थी। उसने अपने तथा परिवार के पासपोर्ट और वीजा का भी इंतजाम कर लिया था, जिसके जरिये वह बड़े आराम से विदेश में सैटल हो सकता था।
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05-31-2021, 12:13 PM,
#96
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
मगर महज इतने से सहगल का दिल नहीं भरा था। उसके पास करोड़ों रुपये हासिल करने का अभी एक और मौका था, जिसे वह छोड़ना नहीं चाहता था और जिसे इस मुल्क को अलविदा कहने से पहले वह जरूर हासिल कर लेना चाहता था। वह मौका उसकी वह टीम थी जो उसने जानकी लाल के कत्ल के इरादे से बनाई थी और जिसमें सभी बराबर के शरीक थे।

पुलिस तफ्तीश में भले ही केवल उसका नाम सामने आया था, लेकिन अगर वह चाहता तो अपने साथ शेष सभी को भी घसीट सकता था और इसके लिए उसे केवल अपनी जुबान भर खोलना था और पुलिस के सामने उन सबका नाम लेना था।

इसी बिना पर उन सबको ब्लैकमेल करने का वह इरादा बनाए हुए था और संदीप समेत तकरीबन लोगों को उनके फोन काल के जवाब में उसने उन पर अपना इरादा भी जता दिया था।

लेकिन फिर संदीप के कत्ल की खबर लगते ही उसका हौसला जवाब दे गया था और उसने लगभग फौरन ही दिल्ली को छोड़ने का इरादा द्रढ़ कर लिया था।

अलबत्ता यह सवाल उसके जेहन में निरंतर खदक रहा था कि वह कत्ल आखिर कौन कर रहा था और क्यों कर रहा था?

लेकिन जवाब नदारद था और वह जवाब तलाश करने का उसके पास वक्त भी नहीं था। उसने उसी रोज दिल्ली को अलविदा करने का फैसला कर लिया था और एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गया था।

किसी इंसान की जिंदगी अचानक ही कैसे बदल सकती है, सहगल इसकी जीती जागती मिसाल था। लेकिन वक्त और हालात के आगे किसकी पेश चल पाई है।

अपने ही विचारों में खोए सहगल की तवज्जो टैक्सी के बाहर गई और एकाएक वह चौंक पड़ा।

उसके चौंकने की वजह वह रास्ता था, जिस पर टैक्सी फर्राटे भर रही थी। वह रास्ता एयरपोर्ट को नहीं जाता था। वह महरौली से गुड़गांव को जाने वाला हाइवे था। और यह देखकर वह और ज्यादा चौंका था कि टैक्सी वह हाइवे भी छोड़ चुकी थी और वह एक सुनसान व कच्चे रास्ते पर हिचकोले खाती हुई तेजी से आगे बढ़ रही थी।
सहगल की त्योरियां चढ़ गईं।

“अरे।" वह कार के अंदर लगे बैक व्यू मिरर में अपनी ही तरह पगड़ीधारी सिख ड्राइवर को घूरता हुआ कर्कश स्वर में बोला “यह तू मुझे कहां ले आया? यह रास्ता तो एयरपोर्ट नहीं जाता।"

“मेरे को मालूम कि यह रास्ता एयरपोर्ट नहीं जाता।” टैक्सी ड्राइवर पूर्ववत टैक्सी चलाता हुआ बोला। लेकिन उसका लहजा इस बार एकदम बदला हुआ था।

"तो फिर इधर कहां जा रहा है?"

“उधर ही जा रहा हूं, जिधर तुम्हें जाना है।"

"क...क्या मतलब?"

“समझो पापा जी।” वह अर्थपूर्ण स्वर में बोला “मेरा काम अपने मुसाफिर को उसकी मंजिल तक पहुंचाना है। और तुम्हें नहीं, मगर मेरे को मालूम कि तुम्हारी मंजिल किधर है, इसलिए मैं तुम्हें सीधा उधर ही ले जा रहा है। कुछ समझे।"

सहगल का माथा एकाएक ठनका। अब टैक्सी ड्राइवर की आवाज भी उसे कुछ पहचानी सी महसूस हुई थी।

"लगता है नहीं समझे। अभी समझ में आ जाएगा।" ड्राइवर बोला और उसने साइड से लगाकर एकाएक टैक्सी रोक दी।

फिर उसने अपने चेहरे से नकली दाढ़ी-मूंछ तथा सिर पर रखी पगड़ी उतार दी। फिर उसने पलटकर सहगल की ओर देखा।
वह सचमुच सहगल के लिए अनजान नहीं था। उसे देखते ही सहगल यूं चौंका, जैसे कि उसे बिच्छू ने डंक चुभो दिया हो।

आश्चर्य व अविश्वास की अधिकता के कारण आंखें फट पड़ीं। उस क्षण वह चेहरा उसके लिए किसी अनहोनी से कम नहीं था।

आगंतुक कोई और नहीं बल्कि सुगंधा थी, जिसे उस वक्त वहां आयी देखकर अजय चौंक पड़ा और आश्चर्य से आंखें फैलाकर उसे देखने लगा।

बात ही ऐसी थी। ऐसा नहीं था कि सुगंधा उसके फ्लैट का पता नहीं जानती थी और वह पहली बार ही वहां आयी थी। लेकिन उसे कोई फोन किये बिना और बिना किसी पूर्वसूचना के वह पहली बार वहां आयी थी। इसीलिए अजय उसे वहां देखकर चौंक पड़ा था और हैरानी से उसे देखने लगा था।

"देखो पार्टनर...।” उसकी हालत देखकर सुगंधा मुस्कराई, जैसे कि उसे हैरान करने का इरादा बनाकर ही वहां आयी थी। वह इठलाकर बोली “चौंका दिया न?"

+
“ह...हां।” अजय हर्षमिश्रित आश्चर्य से बोला “चौंक तो सचमुच गया। मगर तुम यहां अचानक! अपनी कोई खबर भी तुमने नहीं दी।”

“सरप्राइज।" सुगंधा ने कहा। अजय अपलक उसे देखने लगा।

सुगंधा ने उस वक्त चटख काली जींस और उसी रंग का टॉप पहन रखा था। पैरों में काले स्पोर्ट्स शू। जबकि पिछली मुलाकात में वह इसके ठीक विपरीत सिर से पांव तक सफेद लिबास पहने हुए थी और अपने उस मौजूदा लिबास में भी वह गजब की हसीन और आकर्षक लग रही थी। उसके उजले चेहरे पर अजय को उस वक्त एक अंजानी सी खुशी छलकती नजर आयी थी।
.
.
“सरप्राइज कैसा लगा पार्टनर?” सुगंधा ने पूछा।

“पसंद आया।” अजय भी मुस्कराये बिना नहीं रह सका था। फिर वह एक तरफ हटता हुआ आग्रहपूर्ण स्वर में बोला
“अंदर आओ न प्लीज।"

मगर उसके पहले ही सुगंधा अंदर दाखिल हो गई और खोजपूर्ण निगाहों से चारों तरफ का मुआयना करने लगी थी।
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05-31-2021, 12:13 PM,
#97
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“अरे...।" उसके पीछे पहुंच चुका अजय उसकी हरकत पर चकित हुए बिना न रह सका था, उसने अनिश्चित भाव से पूछा “तुम ऐसे क्या देख रही हो सुगंधा?"

"कुछ देख रही हूं और...।” सुगंधा बड़े ड्रामेटिक अंदाज में बोली “समझने की भी कोशिश कर रही हूं।"

“म...मगर क्या ?" अजय का आश्चर्य बढ़ गया था। उसका दिल बेसाख्ता धड़क उठा।

“अरे तुम तो परेशान हो गए पार्टनर ।” सुगंधा उसकी तरफ पलटकर बड़े सहज भाव से बोली “मैं तो दरअसल यह जानने की कोशिश कर रही थी कि जब एक नौजवान लड़का घर पर तन्हा होता है तो क्या करता है?"

“ओह।” अजय के होठों से खुद-ब-खुद निकल गया। उसने सहज होकर पूछा “तो तुम किस नतीजे पर पहुंची?"

“वह मैं तुम्हारी बीवी बन जाने के बाद तुम्हें बताऊंगी।"

“अभी क्यों नहीं?"

“यह राज की बात है, जो तुम नहीं समझोगे। अरे...।” सहसा वह उसे देखकर चौंकी।

“अब क्या हुआ?" अजय हड़बड़ाया।

“तुमने पूछा नहीं कि अचानक ऐसा क्या हो गया जो मैं तुम्हारे पास यहां दौड़ी आयी?"

“अच्छा वह । अब वह पूछने की अब कहां जरूरत है। तुम बता चुकी हो कि तुमने मुझे सरप्राइज देने के लिए ऐसा किया

"लेकिन सरप्राइज का मौका भी तो रोज-रोज नहीं आता। उसके भी तो कुछ खास ही मौके आते हैं।"

“ओहो। तो लगता है आज कोई खास ही मौका है। तब तो फिर पूछना ही पड़ेगा। वैसे वह तो तुम्हारे खिले हुए चेहरे पर ही लिखा है कि जरूर कोई खुशखबरी है। बहरहाल वह खुशखबरी क्या है?"

“वह बड़ी खुशखबरी है पार्टनर...।" सुगंधा उल्लास से बोली “जिसे सबसे पहले मैं तुम्हें बताने जा रही हूं।” सुगंधा एक पल के लिए रुकी, फिर वह आगे बोली “यह तो तुम्हें मालूम है पार्टनर कि विदेश जाना मेरा बचपन का सपना था और मैं वहां एक अच्छी नौकरी भी हासिल करना चाहती थी, जिसके लिए विदेशों की कई कंपनियों में अपना सीवी भेज रखा था
और..."

"और क...क्या?" अजय का दिल धड़क रहा था। वह असमंजस भरी निगाहों से सुगंधा को देखने लगा था।

“और मुझे पूरा विश्वास था कि मेरे फील्ड में मेरे टेलेंट के मद्देनजर कोई कंपनी जरूर मेरा नोटिस लेगी और मुझे अपनी नौकरी के लिए ऑफर करेगी। और देख लो, आज मेरा विश्वास जीत गया।"

+
“य...यानि कि विदेश से किसी कंपनी ने तुम्हें नौकरी ऑफर की है?" अजय ने पूछा। उसके हाव-भाव एकदम से चेंज हो गए थे। लहजे में व्यग्रता उभर आयी थी।

“ओह यस पार्टनर ।” सुगंधा पूर्ववत उत्साहित भाव से बोली “अमेरिका की नामी कंपनी ने मुझे नौकरी ऑफर की है और अगले ही हफ्ते उसने मुझे रिक्रूटमेंट के लिए अमेरिका बुलाया है। इंडिया से अमेरिका आने-जाने का खर्च भी वही कंपनी उठाएगी और मेरे टेम्परेरी वीजा का इंतजाम भी वही कम्पनी कर रही है। यह देखो।” उसने एक कागज निकालकर अजय की ओर बढ़ाया।

“य...यह क्या है?" अजय ने उसके हाथ से कागज पकड़ते हुए असमंजस भरे भाव से पूछा।

“मेरा असाइनमेंट लेटर, जो उस फॉरेन कंपनी ने मुझे भेजा है। यह आज ही मुझे मिला है।”

“बहुत खूब।” अजय सरसरी तौर पर लेटर का मुआयना करने के बाद गौर से सुगंधा को देखता हुआ सशंक भाव से बोला "तो अब तुम अमेरिका जा रही हो?"

उसके लहजे में एक अजीब सा दर्द और कसक छिपी थी, जिसे सुगंधा ने फौरन महसूस कर लिया।

“यह तुमसे किसने कहा पार्टनर कि मैं अमेरिका जा रही हूं?" सुगंधा ने उल्टा सवाल किया।

"त...तो फिर?" अजय के चेहरे पर असमंजस के भाव गहरे हो गए।

“अगर मुझे यह ऑफर आज से पहले ऑफर हुआ होता तो मैं जरूर-जरूर अमेरिका चली जाने वाली थी। लेकिन आज...।"

"अ...आज क्या?" अजय ने सशंक भाव से पूछा।

“आज मैं चाहकर भी अमेरिका नहीं जा सकती।"

"म..मगर क्यों?” अजय के चेहरे पर राहत के भाव आए थे। उसने उत्सुक भाव से पूछा, जिसमें कौतूहल भी छिपा था।

“लगता है तुम भूल गए पार्टनर । तुम्हें याद है, पिछली मुलाकात में मैंने तुमसे क्या कहा था?"

"क...क्या कहा था?"

“यही कि कल तक तो मैं तुम्हें केवल प्यार करती थी, अब तुम्हारी पूजा किया करूंगी।"

“ओह।” अजय के होठों से निःश्वास निकल गई “तो अपना वह वादा तुम्हें याद है।"

“वादे भूलने के लिए नहीं किए जाते पार्टनर। मैंने तुमसे यह भी कहा था कि आलोका तो अपने प्यार का इम्तहान नहीं दे सकी, मगर मैं अपने प्यार का इम्तहान देकर दिखाऊंगी, और उसमें पास होकर भी।”

"हूं।” अजय ने संजीदगी से हुंकार भरी।

"मैंने तुमसे यह भी कहा था पार्टनर कि तुम मेरे कॅरियर को लेकर आशंकित न हो। हर लड़की आलोका नहीं होती। अगर कभी मुझे अपने कॅरियर और जीवन साथी में से किसी एक को चुनना पड़ा तो मैं निश्चित रूप से जीवन साथी को ही चुनूंगी। जीवन साथी अगर तुम्हारे जैसा सच्चा और निश्छल हो तो उसके लिए हजार कॅरियर कुर्बान किए जा सकते हैं।"
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05-31-2021, 12:13 PM,
#98
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
तब अजय के जीवन में जैसे नये प्राणों का संचार हुआ था। उसकी सारी शंकाएं एक झटके में ही मिट गई थीं।

“अ...अगर ऐसा है तो...।” उसने सवाल किया “यह लैटर तुमने मुझे क्यों दिखाया और इस खबर को सरप्राइज क्यों बताया?"

“क्योंकि यह हम दोनों के लिए सरप्राइज ही है पार्टनर । मैंने केवल हमारे प्यार की खातिर, महज अपने अजय की खातिर उस नौकरी को ठोकर मार दी, जो मेरे बचपन का ख्वाब थी और मैंने अपने प्यार के इम्तहान में पूरे नम्बरों से पास होकर दिखाया है। मेरे जीवन के इस सबसे अहम दोराहे पर, जहां मुझे अपने कॅरियर और जीवनसाथी में से किसी एक को चुनना था, मैंने अपने जीवन साथी को चुन लिया। यह हम दोनों के लिए ही किसी सरप्राइज से कम नहीं है। फिर यह सरप्राइज मैं तुम्हें कैसे न बताती।"

अजय जज्बाती हुए बिना न रह सका।

“यू आर ग्रेट सुगंधा।" वह भावुक होकर बोला “तुमने निस्संदेह कर दिखाया। अगर आज तुम भी आलोका की राह
पर चल पड़ी होती तो शायद जीवन के इस मोड़ पर मैं दोबारा यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाता और टूटकर बिखर जाता। हो सकता है कि हताशा में मैं खुद को ही खत्म कर डालता।"

“नहीं पार्टनर।” सुगंधा ने जल्दी से उसके मुंह पर हाथ रख दिया, फिर बोली “कभी भूलकर भी यह ख्याल अपने दिमाग में मत लाना।"

“अब नहीं लाऊंगा।" “थैक्स। अच्छा अब मैं चलती हूं।” "अरे इतनी जल्दी।” अजय चौंककर बोला।

“शायद तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो?" सुगंधा ठिठककर रुक गई थी और प्रश्नसूचक नेत्रों से उसे देखने लगी थी।

“ह...हां। कहना तो चाहता हूं।" “तो फिर कहो न। सोच क्या रहे हो?"

“सुगंधा...।” अजय हिचकिचाया, फिर उसने कहा “मैंने अपनी नौकरी से रिजाइन कर दिया है।"

“त...तुम्हारा मतलब है कि तुमने ब्लूलाइन कम्पनी छोड़ दी है?” “हां। मैं यही कहना चाहता हूं।"

"लेकिन क्यों?" सुगंधा के चेहरे पर उलझन के भाव नुमायां हुए थे “क्या तुम्हें कहीं दूसरी जॉब मिल गई है?"

"नहीं।"

"तो फिर?" सुगंधा की उलझन बढ़ गई थी। "अब मुझे किसी नौकरी की जरूरत नहीं।"

“मैं कुछ समझी नहीं पार्टनर। अचानक ही ऐसा क्या हो गया जो अब तुम्हें किसी नौकरी की जरूरत नहीं है?"

"बता दूंगा।"

“कब बता दोगे।”

“जब तुम मेरी दुल्हन बनकर मेरे घर में आ जाओगी।”

“वह तो तुम्हारे अपने हाथ में है। बताओ अपने पापा को कब तुम्हारे पास भेजूं। वैसे यह तो तुम्हें मालूम ही है कि मैंने अपने रिश्ते के बारे में अपने घरवालों को सब कुछ बता दिया है और उन्हें हमारे रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं है।"

“अ...अगले हफ्ते भेज दो।”

“इ...इतनी जल्दी?” सुगंधा चकित होकर बोली।

“अब मैं देर करना नहीं चाहता। एक बार देरी का नतीजा देख चुका हूं।”

“अगर यही तुम्हारी इच्छा है तो मैं तुम्हारी यह इच्छा पापा को बता दूंगी।"

“आलराइट।"

“अच्छा। अब मैं चलती हूं।"

“चलो, मैं तुम्हें नीचे तुम्हारी स्कूटी तक छोड़कर आता हूं।"
.
"ठीक है।"

वह दोनों लिफ्ट से नीचे पहुंचे, जहां सुगंधा की स्कूटी खड़ी थी। सुगंधा को विदा करके अजय लिफ्ट से वापस ऊपर पहुंचा तो अपने फ्लैट के दरवाजे पर उसने इंस्पेक्टर मदारी को मौजूद पाया। वह अभी-अभी लिफ्ट के बजाए सीढ़ियों के रास्ते ऊपर पहुंचा था और गहरी-गहरी सांसें भरता हुआ जैसे अजय के ही वापस आने का इंतजार कर रहा था।

“जय भोलेनाथ की।” अजय को देखते ही उसने नारा सा । लगाया। “अ....अरे इंस्पेक्टर, तुम कब आए?” अजय के मुंह से निकल गया।

उस वक्त उसे वहां देखकर अजय के माथे पर अनायास ही बल पड़ गए थे।

"बस अभी-अभी पहुंचा हूं।” मदारी अपनी उखड़ी सांसों पर काबू पाता हुआ बोला “तौबा, कितनी ऊंची चढ़ाई है।" उसने जैसे अजय से शिकायत की थी।

"लेकिन इस इमारत में लिफ्ट भी मौजूद है।" अजय ने उसे याद दिलाया।

“वह तो मुझे दोनों आंखों से दिखाई दे रही है जजमान। लेकिन आप शायद भूल गए कि सामने इंस्पेक्टर मदारी है, जो सरकार से हासिल होने वाली तनख्वाह की पाई-पाई हलाल करने में यकीन रखता है। इसीलिए मैं ड्यूटी के दरम्यान कभी लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं करता। शुक्र है कि आप यहां मौजूद हैं, जैसे कि मेरे पिछले फेरे के दरम्यान मौजूद थे, वरना मेरी इतनी भयंकर मेहनत जाया चली गई होती।"

"लेकिन अब तुम्हें क्या काम आ पड़ा? पिछली बार कुछ रह गया था क्या?"

"कुछ क्या सब कुछ रह गया था श्रीमान, और बीच में फच्चर आ गया था।"

"क....क्या फच्चर आ गया था?"
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05-31-2021, 12:13 PM,
#99
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“अरे वही श्री-श्री के एक्सीडेंट की मनहूस खबर बीच में आ टपकी थी।" मदारी ने उसे याद दिलाया “ऊपर वाले से दुआ करो कि इस बार बीच में कोई फच्चर न आए और मेरा काम समूचा निबट जाए।”

अजय की पेशानी पर बल पड़ गए थे। उस पुलिसिये का यूं अचानक दोबारा वहां आना उसे बहुत आंदोलित कर रहा था।

"लेकिन आखिर बात क्या है इंस्पेक्टर?" प्रत्यक्षतः उसने सुसंयत स्वर में पूछा लेकिन मन ही मन वह विचलित हो उठा था।

“आज भी यहीं खड़े-खड़े बातों का समापन करेंगे या मुझे अंदर तशरीफ लाने की इजाजत देंगे?"

“तुम्हें जो कुछ भी कहना है ऐसे ही कहो इंस्पेक्टर।"

मदारी के चेहरे पर मायूसी फैल गई।

“लाहौल बिला कूब्बत।” वह मुंह बिगाड़ता हुआ बोला।

"तुमने क्या कहा इंस्पेक्टर?"

“अभी कहां कहा है श्रीमान, अब कहने वाला हूं।" मदारी अपने सदाबहार अंदाज में बोला “वह क्या है कि आपके लिए मेरे पास एक से बढ़कर एक दो बुरी खबर हैं। बराय मेहरबानी आप यह बताने का कष्ट करें कि आप उसमें से कौन सी खबर पहले सुनना पसंद करेंगे? पहली, कम बुरी वाली या दूसरी, ज्यादा बुरी वाली?"

"लेकिन क्या हुआ है इंस्पेक्टर?” अजय का दिल धड़क उठा “आखिर बात क्या है?"

"चलिये मैं आपको पहले कम बुरी खबर सुनाता हूं।" मदारी बड़े इत्मिनान से बोला, जैसे कि उसे पता नहीं कितनी बड़ी
खुशखबरी सुनाने जा रहा हो “आपके भूतपूर्व एम्प्लायर श्री-श्री के इकलौते दामाद मरहूम संदीप महाजन का इंतकाल हो गया है।"

"क्या?” अजय चौंक पड़ा “स...संदीप मर गया?"

"खुद नहीं मरा जजमान....।” मदारी अपलक उसके चेहरे को देखता हुआ बोला “मार दिया गया उसका कत्ल कर दिया गया। अभी थोड़ी देर पहले ही वह बहादुर इस फानी दुनिया से फना हो गया।"
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05-31-2021, 12:13 PM,
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“म...मगर यह कैसे हुआ इंस्पेक्टर? मेरा मतलब है संदीप को आखिर किसने मारा?"

+
“यह भी उसी बहादुर आदमी का कारनामा लगता है, जिसने बीते रोज श्रीमती का फातिहा पढ़ा था।”

"तुम्हारा मतलब है कि जिसने संजना को मारा था?"

“आपने एकदम सही समझा श्रीमान और मारने का स्टाइल भी तो देखो, एकदम श्रीमती वाला ही है।"

“वह कैसे?”

मदारी ने शराफत से उसे वह भी बता दिया कि कैसे रीनी ने फोन पर संदीप और कोमल की सारी बातें सुन ली थी और फिर कैसे हिंसक होकर उसने संदीप को मारने के लिए उस पर रिवॉल्वर तान दिया था। मगर इससे पहले कि वह संदीप को शूट कर पाती, संदीप ने एकाएक पासा पलट दिया था।
और फिर इसके पहले कि वह रीनी को कोई नुकसान पहुंचा पाता, किसी ने पीछे से उसे शूट कर दिया था।

“एकदम पिछले शूटआउट का रिवीजन है।” फिर मदारी बोला “हूबहू वही किस्सा है। जरा सा भी तो फर्क नहीं है दोनों मामले में।”

“और इसीलिए तुम्हारा अंदाजा है इंस्पेक्टर कि संदीप का कातिल भी वही है जिसने संजना का कत्ल किया है।"

“यह मेरा अंदाजा नहीं भगवान, यह साबित हो चुका है।"

“क...कैसे साबित हो चुका है?"

"जिस रिवॉल्वर से पहले संजना श्रीमती को शूट किया गया था, उसी रिवॉल्वर से संदीप श्रीमान का भी फातिहा पढ़ा गया है। फारेंसिक टीम की फौरी जांच से ही यह स्थापित हो चुका

“महज इसी से तुम्हारा ख्याल है कि दोनों का कातिल एक ही है।" "क्या मेरा ख्याल गलत है भगवान?"
.

"इस कड़ी में तुमने लाल साहब का नाम क्यों नहीं लिया? कत्ल तो उन्हें भी किया गया है?"

“आपने दुरुस्त फरमाया जजमान। लेकिन उसकी दो वजह हैं।”

“वह क्या?”

“पहली बात तो यह है कि श्री-श्री को गोली नहीं मारी गयी थी।”

“और दूसरी वजह?"

“दूसरी वजह यह है कि उनके कातिल का पता चल चुका है। यह उस महान अपराधी गोपालम् का जांबाजी भरा कारनामा है, जो हाल में अपनी उम्रकैद की सजा काट कर बाहर गया था। और इस काम के लिए उसे दूसरे कदरन कम महान अपराधी जनाब सहगल साहब ने सुपारी दी थी।"

“तो फिर यह दोनों कत्ल भी उसी क्रिमिनल गोपाल ने क्यों नहीं किए हो सकते?"

“आपका कहना मुनासिब है जजमान । इसीलिए मैंने भी इस तरफ अपनी तफ्तीश का पूरा जोर लगाया। लेकिन मुझे दूर-दूर तक एक भी ऐसी वजह नजर नहीं आयी जो कि उस गोपालम् को संजना श्रीमती और संदीप श्रीमान का दुश्मन ठहराती हो?"

“लाल साहब भी तो उस शूटर के दुश्मन नहीं थे। बल्कि आप ही कहते हैं कि वह उसके दोस्त थे और उन्होंने गोपाल की बहुत मदद की थी। फिर भी गोपाल ने उन्हें खत्म कर दिया?"

"इसका भी मैंने मुकम्मल संज्ञान लिया है श्रीमान। लेकिन नतीजा खाक भी नहीं निकला।"

"क..क्या मतलब?"

.
“माना कि दोनों ही मरहूम काफी फंदेबाज टाइप के इंसान थे, जिन्होंने अपनी जिंदगी में काफी कर्मकांड किए थे। इसीलिए मैंने उनकी जिंदगी के बीते लम्हों को छलनी लेकर खूब-खूब खंगाला है। लेकिन उनकी जिंदगी में मुझे ऐसा कोई भी खता खाया इंसान नजर नहीं आया, जो उन दोनों से कत्ल की हद तक तक अदावत रखता हो। और जब कोई ऐसी अदावत ही नहीं रखता तो फिर वह उनके कत्ल की सुपारी भला क्या लगाएगा?"

“ओह।"

“ऐसे फड़नवीस तो अकेले अपने श्री-श्री एक हजार पैंसठ ही थे, जिनके दुश्मनों की तादाद चीन की दीवार से भी ज्यादा लम्बी-चौड़ी थी।"

“इसीलिए तुम्हारा ख्याल है कि उन दोनों का कातिल गोपाल नहीं हो सकता?"

"क्या आपको नहीं लगता श्रीमान?"

“यानि कि लाल साहब का कातिल दूसरा है, और संजना और संदीप का कातिल दूसरा है?”

“आप बिल्कुल सही समझे भगवान ।”

“फिर भी कोई तो वजह होगी इंस्पेक्टर संदीप और संजना के कत्ल की?"

“यह भी आपने खूब कहा जजमान। सरासर वजह है। बिना वजह के तो इस धरती पर पत्ता भी नहीं खड़कता।"

"क्या वह वजह मालूम हुई?"

"यकीनन।"

"क...क्या वजह है? आखिर क्यों संदीप और संजना का कत्ल हुआ?"

“वह तो साफ दिखाई दे रही है अंडमान। जिन हालात में वह दोनों कत्ल हुए, अगर न होते तो वह दोनों परलोक सिधार जाते जिन पर उन दोनों महान आत्माओं ने रिवॉल्वर तान रखे थे।”

“म...मैं कुछ समझा नहीं इंस्पेक्टर?"

"इसमें भला न समझने वाला क्या है। एकदम सीधी सी बात है। अगर संदीप और संजना नाम की महान आत्माओं का फातिहा न पढ़ा जाता तो वह दोनों महान आत्माएं अपने जतिन श्रीमान और रीनी श्रीमती का फातिहा पढ देतीं।"

“इ...इसका मतलब कातिल को पहले से मालूम था कि...।" अजय के स्वर में व्यंग उभरा “जतिन और रीनी के साथ क्या होने वाला था। वह न हो पाए इसीलिए वह पहले से मौकाए वारदात पर छुपकर बैठा था और फिर जैसे ही वह मुनासिब मौका आया, उसने गोली चला दी। ठीक ।”

“पुलिस की टांग खींचने का घास खाने वालों को हक होता है श्रीमान।" मदारी गहरी सांस भरता हुआ बोला।

“घ...घास खाने वाले ?” अजय उलझकर बोला “यह कौन हुआ?" “आम आदमी भगवान । लेकिन आप उनसे थोड़ा सा ऊपर हैं।

बहरहाल आप क्या सोचते हैं यह अहमियत नहीं रखता। इसमें केवल सरकार के इस तनख्वाह हलाल इंस्पेक्टर का सोचा अहमियत रखता है। और मेरी सोच यही है कि उन दोनों कत्लों की वजह अपने जतिन श्रीमान और रीनी श्रीमती ही हैं, जिन्हें उसने बचा लिया।"

"तुम्हारा मतलब है कि कातिल ने उन्हें कत्ल होने से बचा लिया?” “आपने बजा फरमाया जजमान।"

“तब तो कातिल उन दोनों का शुभचिंतक हुआ? उनका कोई अपना हुआ?"

“भयंकर शुभचिंतक बोलो श्रीमान। बहरहाल शुभचिंतक तो आप भी बहुत लोगों के होंगे और बहुत लोग आपके भी होंगे। मगर क्या पहले कभी आपके किसी शुभचिंतक ने आपके लिए किसी का कत्ल किया है या आपने किसी अपने की शुभचिंता में किसी और का कत्ल किया है?"

“न...नहीं।” अजय ने स्वीकार किया और पहलू बदलकर मदारी को देखने लगा।

“सो देयर।” मदारी लापरवाही से बोला।

“तब तो तुम्हारे लिए ऐसे आदमी को तलाश करना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। ऐसा शख्स तो आसानी से पकड़ में आ जाएगा।"

“यह इतना आसान भी नहीं है भगवान।"
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