Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
09-19-2020, 01:15 PM,
#81
RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
' तो आप क्या करना चाहते हैं ? ' इसबार सव - इंस्पैक्टर भी फुसफुसाया था । ' दीराला और सकौती के बीच घना जंगल है । वहां इसे उतार कर कहेंगे कि जा हमने तुझे आजाद किया । यह उत्तरेगा । वहीं गोलियों से छलनी कर देंगे । ये होगी इस हत्यारे की सजा । यह कहानी गढ़ने में हमे कितनी देर लगेगी कि इसने पुलिस गिरफ्त से भागने की कोशिश की और मर गया ।

सन्नाटा हो गया मेरे दिलो - दिमाग पर । तिरपन कांप उठे मेरे ।
यकीन हो गया ---- मेरा एनकाउन्टर होने वाला है । मैं पुलिस की ऐसी कारगुजारियां अखबार में पढ़ा करता था । जी चाहा ----गला फाड़कर चीख पडूं । मुंह से आवाज न निकल सकी । जुबान तालू से जा चिपकी थी । और फिर एक झटके से जीप रुकी । पहले इंस्पैक्टर , उसके बाद पुलिस वाले बाहर कूदे।

जीप मुख्य सड़क से काफी दूर . कच्ची रोड पर खड़ी थी । चारों तरफ घनघोर अंधेरा था । दूर - दूर तक घना जंगल ! बियादान ! सन्नाटा सांय - सांय कर रहा था । झिंगुरों की आवाजें साफ सुनाई दे रही थीं । मुझे हथकड़ियों सहित जीप से उतारा गया । पैरों के नीचे दवे सूखे पत्ते चरमरा उठे।

इंस्पेक्टर साहब ने हथकड़ी खोल दी । कहा - ' तुम्हारी सजा यही है अलारखा यहां से पैदल अपने कालेज जाओ । हमारी तरफ से आजाद हो ।

मै जान चुका था कैसी आजादी मिलने वाली है ? नजर इंस्पैक्टर साहब के कन्धे पर लटके होलेस्टर पर पडी । अंधकार के बावजूद मुझे रिवाल्वर की मुठ साफ नजर आ रही थी । इस एहसास ने मेरे छक्के छुड़ा लिये कि कुछ देर बाद इस रिवाल्वर की गौलिया मेरे जिस्म में धंसी होगी । मैं धड से इंसपेक्टर साहब के कदमों में गिर पड़ा ।

दहशत के मारे दहाड़े मार - मार कर रोता कह उठा ---- ' मुझे मत मारो इंस्पैक्टा साहब , मुझे मत मारो। माँ कसम सत्या मैडम , चन्द्रमोहन और हिमानी की हत्याएं मैंने नहीं की।

' अरे बड़ा पागल है तू ' इंस्पेक्टर साहब ने मुझे बहुत प्यार से ऊपर उठाते हुए कहा ---- ' हम तुझे आजाद कर रहे हैं और तू मरने मारने की बातें करने लगा ! किसने कहा हम तुझे मारने वाले है ? '

' म - मैने सब कुछ सुन लिया है इंस्पैक्टर साहब ! आप ... आप पूछते क्यों नहीं वो लेटर मैंने क्यों लिखा ? "
' बताना चाहता है तो बता दे । वैसे हमें जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है ।

' वो - बहुत दिन से हिमानी मैडम पर मेरी नीयत खराब थी । ' मौत के खौफ से घिरा मैं सच उगलता चला गया ---- मैं क्या करता ?

वे कपड़े ही ऐसी पहनती थी । हरकतें ही ऐसी करती थीं । मैं ही क्या , कॉलिज का हर लड़का उन पर मरता था । मैं उन्हें पाना चाहता था मगर डरता था ---- कहीं बिदक न जाये । उस अवस्था में बेइज्जती तो होती ही . रेस्ट्रीकेशन भी पक्का था ! अपना उल्लू सीधा करने के लिए एक तरकीब सोची ।

हिमानी मैडम की तरफ से लविन्द्र सर को लव - लेटर लिखा। मुझे पूरा यकीन था वो लेटर लबिन्द्र सर को हिमानी मैडम के कमरे में जरूर ले जायेगा । भले ही दोनों की बातचीत में यह खूल जाये कि लेटर हिमानी मैडम ने नहीं लिखा लेकिन . हिमानी मैडम अगर चालू किस्म की लड़की होगी तो लबिन्द्र सर का खुलकर स्वागत करेंगी ।

मेरा अनुमान था ---- लविन्द्र सर भी खुद को रोक नहीं सकेंगे । मैं कैमरा लिए कमरे की खिड़की पर तैनात था । सोचा था ---- उनके फोटो खींच लूँगा। उनके बेस पर हिमानी मैडम को ब्लैकमेल करूँगा और मेरी वह इच्छा पूरी हो जाएगी जिसके लिए मरा जा रहा था । परन्तु वहां तो दृश्य ही उलटा हो गया ।
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09-19-2020, 01:15 PM,
#82
RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
जो हुआ , उम्मीदों में एकदम उलटा था । लविन्द्र सर उनसे आदर्श भरी बातें करने लगे । हिमानी मैंडम भी वो नहीं निकली जो अपने हाव - भाव और पहनावे में नजर आती थी। कैमरा बगल में दबाये मैं दबे पांव वहां से निकल जाने पर मजबूर हो गया । "
" और बस ! " जैकी ने कहा ---- " मेरे होठों पर कामयावी से लबरेज़ मुस्कान दौड़ पड़ी । जो जानना चाहता था , जान चुका था ।

अल्लारखा को वापस जीप में बैठाया और सीधा यहां आ रहा हूं । "
" अब मुझे यकीन हो गया जैकी ! तुम बाकई पैंतरे सीख रहे हो । असल में तुम कोई एनकाउंटर करने वाले नहीं थे । सब - इंस्पैक्टर और तुम मिले हुए थे । वे बाते अल्लारखा को उस मानसिक अवस्था तक पहुंचाने के लिए की गई जिसमे अततः वो पहुंचा । अंदाज ऐसा था जैसे बातें इससे छुपाकर की जा रही हो जबकि मकसद वे बातें इसे सुनाना था ।

यकीनन जबरदस्त टैक्निक इस्तेमाल की तुमने । इस टेकनिक से चाहे जब , चाहे जिस मुजरिम को तोड़ा जा सकता है । "

गदगद होते जैकी ने कहा ---- " तारीफ के लिए शुक्रिया बिभा जी । " मन ही मन मैं भी जैकी की तारीफ किये बगैर न रह सका ।

हकलाते हुए अल्लारखा ने कहा ---- " म - मैं आप लोगों से एक रिक्वेस्ट करना चाहता हूं । " सबने सवालिया नजरों से उसकी तरफ देखा । " प - प्लीज कालेज में किसी को न बतायें मैंने हिमानी मैडम को ... "
" और क्या कहेंगे ? " मैं गुर्राया ---- " क्यों छोड़ दिया गया तुम्हें ? "
जैकी ने राय दी ---- " हत्यारा दूसरों की राइटिंग की नकल मारने माहिर है । लेटर अल्लारखा नहीं , उसी ने लिखा है । '

" इस प्रकार से तो हत्यारा समझ जायेगा हम झूठ बोल रहे हैं ? वह कृत्य भी उसी पर थोप रहे हैं जो उसने नहीं किया । "
" समझ जायेगा तो समझे । फायदा क्या मिलेगा उसे ? "
" उल्टा हमें ही फायदा मिलने की उम्मीद है । " विभा ने कहा ---- " वह समझेगा ---- हम इतने मूर्ख और कमजोर है कि अल्लारखा तक से सच्चाई उगलवाने की काबलियत नहीं रखते । उसके दिमाग में हमारी ऐसी छवि , फायदा पहुंचायेगी । इन्वेस्टिगेटर को झूठी और काबलियतहीन समझने वाला मुजरिम यकीनन वैसी गलतियां करता है जैसी गलतियों की मुझे तलाश है । "

तय वही हुआ जो विभा चाहती थी । उसने कहा ---- " अल्लारक्खा को होस्टल छोड़ आओ । " जैकी उसे लेकर चला गया । मैं विभा से पहेली के सम्बन्ध में बात करना चाहता था परन्तु उसने सोने की इच्छा जाहिर की । मधु ने उसे गेस्टरूम में पहुंचा दिपा । काश मैं जान सकता ---- सोने की बात उसके जहन में दूर - दूर तक नहीं थी । जैकी कालिज पहुंचा । टोलियां बनाये स्टूडेन्ट्स परिसर में पहरा दे रहे थे । तेज रोशनी बाले बल्ब लगाकर उन्होंने पूरा फैम्पस प्रकाश - मान कर रखा था । जैकी ने जब लेटर के बारे में वह कहा जो तय हुआ था तो स्टूडेन्ट्स में खुशी की लहर दौड़ गयी ।

राजेश ने अल्लारक्खा को गले लगा लिया । कहा -- " मैं जानता था यार , वैसा लेटर तू नहीं लिख सकता । ऐसा गंदा मजाक तूने पहले भी कभी नहीं किया । " अल्लारखा की आंखें भर आई ।
एकता बोली ---- " मेरे ख्याल से हत्यारा स्टूडेन्ट्स में से कोई नहीं हो सकता । "
" तो हत्यायें क्या अध्यापक कर रहे हैं ? " ऐरिक घुड़का।
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09-19-2020, 01:16 PM,
#83
RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
" एकता का मतलब यह नहीं था सर " संजय बोला ।
" और क्या अभिप्राय था ? "
जैकी ने मध्यस्तता की ---- " आप व्यर्थ रुष्ट हो रहे हैं अध्यापक महोदय ! एकता ने वह वाक्य भावुकतावश कहा है । "
जैकी के शुद्ध हिन्दी बोलने पर सभी स्टूडेन्ट्स ठहाका लगाकर हंस पड़े । माहोल थोड़ा सामान्य हुआ ।
जैकी ने पूछा ---- " कैम्पस में इतनी रोशनी क्यों कर रखी है तुम लोगों ने ? "
" क्योंकि रोशनी काले दिलवालों की दुश्मन होती है । " जवाब रणवीर ने दिया । उसके कहने का स्टाइल ही ऐसा था कि जैकी सहित सभी हंस पड़े ।
हंसी थमने पर जैकी ने कहा ---- " तुम लोग कहो तो मैं पुलिस पहरे का इन्तजाम कर सकता हूं । "
" उसकी जरूरत नहीं है इस्पैक्टर साहब । " राजेश ने कहा ---- " हत्यारे से खुद निपटने का फैसला कर लिया है हमने । विभा जी ने ठीक कहा ---- दिल से डर निकालकर एक हो जाये तो कैम्पस में पत्ता तक नहीं फ़ड़क सकता । "
" गुड ! " जैकी कह उठा- " अब मैं चलता हूं । होशियार रहना । और हां , शिफ्ट बनाकर पहरा दोगे तो बेहतर होगा । सबको आराम भी मिलना चाहिए । "
" वही प्रोग्राम बनाया है । " राजेश ने बताया ---- " जो लोग इस वक्त कैम्पस में हैं , वे दो बजे हॉस्टल में जाकर सो जायेंगे । जो सो रहे है , दो बजे से उनकी ड्यूटी शुरू होगी । "

संतुष्ट होने के बाद जैकी चला गया । संजय ने अल्लारखा से कहा ---- " अब तू जाकर आराम कर । "
" नहीं । मैं तुम्हारे साथ पहरे पर रहूंगा । "
" तू पहले ही बहुत थका हुआ होगा यार । " राजेश बोला ---- " इस्पैक्टर ने टार्चर न किया सही , हवालात में तो रखा है । फिक्र मत कर । यहां हम हैं ! तू जाकर सो जा । "

यह बात अल्लारक्खा से सभी ने कहीं मगर वह नहीं माना । कहने लगा ---- " कमरे में जाकर लेट भी गया तो नींद नहीं आयेगी । "

लबिन्द्र बोला ---- " इसकी इच्छा पहरे पर रहने की है तो क्यों जिद करते हो ? यही सही , लेकिन अल्लारक्खा , कम से कम फ्रेश तो हो सो तुम ! "
“ हा ! ये ठीक है । मैं अभी आता हूं । " कहने के बाद वह हॉस्टल की तरफ बढ़ गया । तेज कदमो के साथ , गैलरी पार करके अपने कमरे के बंद दरवाजे पर पहुंचा । जेब से चाबी निकालकर ताला खोला।

अंदर दाखिल होते ही दरवाजे की बैक में लगा स्विच ऑन किया । कमरा ट्यूब की दूधिया रोशनी से भर गया । कपड़े उतारकर बेड पर डाले और बाथरूम में घुस गया । दस मिनट बाद वापस कमरे में आया । नाइट सूट पहना और उसके ऊपर वह नाइट गाऊन डाल लिया। जिसका पीठ पर हेलमेट वाले ने कुछ लिखा था । पूर्व की भांति उस पर लिखा कोई अक्षर चमक नहीं रहा था । नाइट गाऊन पहने कमरे से बाहर निकला । ताला लगाया और गैलरी में बढ़ गया । पांच मिनट बाद बह राजेश , दीपा , रवीना , रणवीर और लविन्द्र सर की टुकड़ी में शामिल था ।

मेरी बातें सुनकर मधु के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी । उसकी ऐसी हालत देखकर ठहाका लगा उठा मैं ! फिर बोला ....
" क्या हुआ ? "
" ये सब आपने ठीक नहीं किया । "
" न करता तो मेरा उल्लू कैसे सीघा होता ? "
" लेकिन अब तो उन्हें हकीकत बता देनी चाहिए । "
“ पहली बार विभा से मजा लेने का मौका मिला है । जमकर छकाऊंगा । तुम्हें याद है ---- जिन्दलपुरम में उसने कितना छकाया था ?

सारी इन्वेस्टिगेशन हमारी आंखों के सामने करती रही लेकिन भेद की कोई बात वक्त से पहले नहीं बताई । "
" वक्त से पहले किसी को कुछ न बताना उनकी कार्य प्रणाली है । "
" उसी कार्य प्रणाली को देखना है इस बार । देखता हूं कब तक क्या - क्या छुपाती है मुझसे ? "
" मेरे ख्याल से आप ठीक नहीं कर रहे । "

" अब दूसरे एंगिल से सोचो । हत्यारे के दिमाग का फ्यूज उड़ा हुआ नहीं होगा क्या ? "

" वो सब तो ठीक है मगर .... मधु का वाक्य पूरा होने से पहले टेलीफोन की घंटी घनधना उठी । डेढ़ वजा रही घड़ी पर नजर डालते हुए मैंने रिसीवर उठाकर हैलो कहा । दूसरी तरफ से हड़बड़ाहटयुक्त स्वर में कहा गया --- " लविन्द्र भूषण बोल रहा हूँ वेद जी । "
" क्या हुआ ? " आहट की आशंका का मारा मैं बोला ।
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09-19-2020, 01:16 PM,
#84
RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
" विभा जी कहां है ?
" बात बोलो ! हुआ क्या है ? "
" अल्लारक्खा का मर्डर ! "
" उफ्फ ! " मैं बुदबुदा उठा । " जल्दी से उन्हें सूचना दीजिए । " कहने के साथ फोन काट दिया गया ।
मैने रिसीवर क्रेडिल पर पटका । '
मधु ने पूछा ---- " क्या हुआ ?
" मैंने बताया तो आश्चर्य से मुंह फाड़े मेरी तरफ देखती रह गयी वह । मैंने वेड से सीधी जम्प दरबाजे पर लगाई । फर्स्ट फ्लोर की बॉल्कनी में पहुंचा ।
बगल वाला दरवाजा गेस्टरूम का था । उसे मैने खटखटाया नहीं बल्कि आवेशित अंदाज में बुरी तरह भड़भड़ा दिया । चीखा --- " विभा ! विभा ! जल्दी से दरवाजा खोलो । " मगर । अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं उभरी ।
मैं चकित हैरान ......
जानता था ---- विभा को जगाने के लिए हल्का सा खुटका काफी है । और इस वक्त तो मैंने इतना शोर मचा दिया था कि ग्राउन्ड फ्लोर पर अपने - अपने कमरों में सोये करिश्मा , गरिमा , खुश्बू , शगुन , विनोद , बहादुर और छोटू ही नहीं , माता पिता भी हड़बड़ाकर उठ गये ।

इसके बावजूद गेस्टरूम से कोई आवाज नहीं उभरी । मेरे लिए यह हैरानी की बात थी । हड़बड़ाया हुआ मैं दरवाजा खोलकर फर्स्ट फ्लोर के टैरेस पर पहुंचा । गेस्टरूम की एक खिड़की टैरेस की तरफ थी । बह खुली पड़ी थी । कमरे में नाइट बल्ब का प्रकाश विखरा हुआ था ।

डबल बेड पर कोई नहीं था । मैंने आवाज लगाई ---- " विभा ! विभा ! " जबाब नदारद । मैंने झांका । मगर छोटी गैलरी में खुलने वाले दरवाने पर पड़ी । वह खुला हुआ था ।

" क्या हुआ ? " तेजी से दौड़कर नजदीक आती मधु ने कहा ---- " विभा बहन बोल क्यों नहीं रही ?
" उछल पड़ी मधु ---- " कहाँ गयीं ? " " जरूर कॉलिज की तरफ गई होगी । " कहने के साथ मैं अपने कमरे की तरफ लपका ।

विभा कालेज कैम्पस में मौजूद एक ऐसे पेड़ पर बैठी थी जहां से काफी दूर - दूर तक निगाह रख सकती थी । हमेशा विधवा के लिबास में रहने वाली विभा के जिस्म पर इस बक्त टाइट जींस , टाइट शर्ट और उसके ऊपर काले चमड़े की जैकेट थी । पैरों में काले पीटी शूज और सिर पर लम्बे छजजे वाला कैप लगाये हुए थी । जगह - जगह स्टूडेन्ट्स के दल पहरा देते नजर आ रहे थे । उनमें प्रोफेसर्स भी थे । विभा ने खुद को घने पत्तों के बीच एक चौड़ी डाल पर स्थापित कर रखा था । कुछ देर बाद उसे एक अधेड़ शख्स अंधेरे में छुपता - छुपाता इसी पेड़ की तरफ बढ़ता नजर आया । विभा की आंखें स्वतः उस पर जम गइ । हालांकि वह खुद को अंधेरे में रखने की भरपूर चेष्टा कर रहा था परन्तु रोशनी इतनी थी कि बार - बार उसके दायरे में गुजरना पड़ता । ऐसे ही एक क्षण विभा ने उसे पहचान लिया । वह नगेन्द्र था । कॉलिज का चपरासी । वह चोरों की तरह छुपता - छुपाता इस तरफ़ क्यों आ रहा है ? यह सवाल विभा के दिमाग में अटक कर रह गया । कुछ देर बाद वह पेड़ की जड़ में छिपे अंधेरे में आकर खड़ा हो गया । उसने जेब से बीड़ी का बंण्डल और माचिस निकालकर एक बीडी सुलगाई । वहीं खड़ा - खड़ा कश लगाने लगा । विभा अभी कुछ समझ भी नहीं पाई थी कि एक अन्य दिशा से एक और साया उसी तरह चोरी - चोरी पेड़ की तरफ बढ़ता नजर आया।
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09-19-2020, 01:16 PM,
#85
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" विभा जी कहां है ?
" बात बोलो ! हुआ क्या है ? "
" अल्लारक्खा का मर्डर ! "
" उफ्फ ! " मैं बुदबुदा उठा । " जल्दी से उन्हें सूचना दीजिए । " कहने के साथ फोन काट दिया गया ।
मैने रिसीवर क्रेडिल पर पटका । '
मधु ने पूछा ---- " क्या हुआ ?
" मैंने बताया तो आश्चर्य से मुंह फाड़े मेरी तरफ देखती रह गयी वह । मैंने वेड से सीधी जम्प दरबाजे पर लगाई । फर्स्ट फ्लोर की बॉल्कनी में पहुंचा ।
बगल वाला दरवाजा गेस्टरूम का था । उसे मैने खटखटाया नहीं बल्कि आवेशित अंदाज में बुरी तरह भड़भड़ा दिया । चीखा --- " विभा ! विभा ! जल्दी से दरवाजा खोलो । " मगर । अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं उभरी ।
मैं चकित हैरान ......
जानता था ---- विभा को जगाने के लिए हल्का सा खुटका काफी है । और इस वक्त तो मैंने इतना शोर मचा दिया था कि ग्राउन्ड फ्लोर पर अपने - अपने कमरों में सोये करिश्मा , गरिमा , खुश्बू , शगुन , विनोद , बहादुर और छोटू ही नहीं , माता पिता भी हड़बड़ाकर उठ गये ।

इसके बावजूद गेस्टरूम से कोई आवाज नहीं उभरी । मेरे लिए यह हैरानी की बात थी । हड़बड़ाया हुआ मैं दरवाजा खोलकर फर्स्ट फ्लोर के टैरेस पर पहुंचा । गेस्टरूम की एक खिड़की टैरेस की तरफ थी । बह खुली पड़ी थी । कमरे में नाइट बल्ब का प्रकाश विखरा हुआ था ।

डबल बेड पर कोई नहीं था । मैंने आवाज लगाई ---- " विभा ! विभा ! " जबाब नदारद । मैंने झांका । मगर छोटी गैलरी में खुलने वाले दरवाने पर पड़ी । वह खुला हुआ था ।

" क्या हुआ ? " तेजी से दौड़कर नजदीक आती मधु ने कहा ---- " विभा बहन बोल क्यों नहीं रही ?
" उछल पड़ी मधु ---- " कहाँ गयीं ? " " जरूर कॉलिज की तरफ गई होगी । " कहने के साथ मैं अपने कमरे की तरफ लपका ।

विभा कालेज कैम्पस में मौजूद एक ऐसे पेड़ पर बैठी थी जहां से काफी दूर - दूर तक निगाह रख सकती थी । हमेशा विधवा के लिबास में रहने वाली विभा के जिस्म पर इस बक्त टाइट जींस , टाइट शर्ट और उसके ऊपर काले चमड़े की जैकेट थी । पैरों में काले पीटी शूज और सिर पर लम्बे छजजे वाला कैप लगाये हुए थी । जगह - जगह स्टूडेन्ट्स के दल पहरा देते नजर आ रहे थे । उनमें प्रोफेसर्स भी थे । विभा ने खुद को घने पत्तों के बीच एक चौड़ी डाल पर स्थापित कर रखा था । कुछ देर बाद उसे एक अधेड़ शख्स अंधेरे में छुपता - छुपाता इसी पेड़ की तरफ बढ़ता नजर आया । विभा की आंखें स्वतः उस पर जम गइ । हालांकि वह खुद को अंधेरे में रखने की भरपूर चेष्टा कर रहा था परन्तु रोशनी इतनी थी कि बार - बार उसके दायरे में गुजरना पड़ता । ऐसे ही एक क्षण विभा ने उसे पहचान लिया । वह नगेन्द्र था । कॉलिज का चपरासी । वह चोरों की तरह छुपता - छुपाता इस तरफ़ क्यों आ रहा है ? यह सवाल विभा के दिमाग में अटक कर रह गया । कुछ देर बाद वह पेड़ की जड़ में छिपे अंधेरे में आकर खड़ा हो गया । उसने जेब से बीड़ी का बंण्डल और माचिस निकालकर एक बीडी सुलगाई । वहीं खड़ा - खड़ा कश लगाने लगा । विभा अभी कुछ समझ भी नहीं पाई थी कि एक अन्य दिशा से एक और साया उसी तरह चोरी - चोरी पेड़ की तरफ बढ़ता नजर आया।
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09-19-2020, 01:16 PM,
#86
RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
अफरा - तफरी दहशत और भगदड में बदल गया । चारों तरफ से चीखने चिल्लाने की आवाजे आने लगी । गोली उसके साथ वाले पेड़ से चलाई गई थी । रिवाल्वर ताने विभा उसी तरफ घूर रही थी । वह पेड़ मुश्किल से विभा वाले पेड़ से दस मीटर दूर था । अचानक उस पेड़ से एक इंसानी साया जमीन पर कूदा । विभा ने उसे लक्ष्य करके ट्रेगर दबा दिया । एक और फ़ायर की आवाज गूंजी । मगर चीख नहीं उभरी । अंधेरे के कारण निशाना ठीक से नहीं लग पाया था । विभा को साया तेजी से भागता नजर आया । वह भी धम्म से जमीन पर कूदी । साये के पीछे लपकी । दौड़ते - दौड़ते उसे लक्ष्य करके एक गोली भी चलाई । परन्तु एक तो अंधेरा ! दूरी ! और भागमभाग के कारण निशाना लगना कठीन था । वह चीखि ---- " पकड़ो ! पकड़ो ! हत्यारा भाग रहा है । शोर चारों तरफ से उठा लेकिन किसी की समझ में नहीं आ रहा था कौन कहां है ? गहन अंधकार के बावजूद विभा आँखें अपने लक्ष्य पर गडाये हुए थी बल्कि बराबर पीछा कर रही थी उसका । भागते - भागते वे एक बरांडे में पहुंच गये । और फिर अचानक साया विभा की आंखों से ओझल हो गया ।

सामने की तरफ से भागते कदमों की आवाज आनी बंद हो गयी । ठिठक गई विभा । अपने इर्द - गिर्द खतरा - सा नजर आने लगा । मजबूती के साथ जमीन पर पैर जमाये चार पांच कदम आगे बढ़ी । तभी ---- पीठ पर भारी बूट की टोकर पड़ी । मुंह से चीख हाथ से रिवाल्वर निकला । बरांडे के फर्श पर गिरी वह । किसी ने भागकर नजदीक से निकलना चाहा । फर्श पर पड़े ही पड़े विभा ने दांया हाथ बढ़ाकर उसकी टांग पकड़ ली । मुह से चीख निकालता हुआ वह भी मुंह के बल गिरा।

विभा फुर्ती से उछलकर खड़ी हुई । एक मजबुत हेलमेट उसके सिर से टकराया । मारे पीड़ा के वह तिलमिला उठी । दोनों हाथ बढ़ाकर प्रतिद्वन्द्वी का गिरेवान पकड़ा । प्रतिद्वन्द्वी ने अपने घुटने की चोट उसके पेट में की । विभा चीख के साथ दुहरी हो गयी । हेलमेट वाले ने उसे रबर की गुड़िया की तरह उठाकर एक क्लासरूम में फेंक दिया । डेस्क और कुर्सियों से उलझती विभा फर्श पर गिरी । अपनी तरफ से काफी फुर्ती के साथ वापस उठी परन्तु तब तक धाड़ से क्लासरूम का दरवाजा बंद हो चुका था । धनधोर अंधकार के बीच वह दरवाजे की तरफ लपकी । उसे खोलना चाहा । दरवाजा बाहर से बंद था । विभा ने महसूस किया ---- उसकी अंगुलियों में कोई लॉकेट उलझा हुआ है ।

भागते दौड़ते रणवीर और संजय मेन स्विच पर पहुंचे । हाथ में पैसिल टार्च लिए एकता भी उनके साथ थी ।
" एकता इधर " रणवीर ने कहा --- " स्विच पर रोशनी डालो ।
" एकता ने प्रकाश दायरा उधर घुमाया । संजय के मुंह से निकला ---- " ये तो आफ है । "

" जरूर हत्यारे ने किया होगा । "

" जल्दी आन कर बेवकूफ ! "
एकता ने कहा- " उसकी अंगुलियों के निशान मिट जायेंगे । '
" अंधेरा रहा तो वह भाग जायेगा । " कहने के साथ रणवीर ने एक झटके से स्विच आन कर दिया । कैम्पस प्रकाश से नहा गया । जो जहा था , एक पल के लिए वहीं ठिठक गया । आंखें चूँधिया गइ और जब देखने लायक हुई तो फिजिक्स लैब के बाहर मौजूद हर शख्स के हलक से चीख उबल पड़ी । अपने - अपने स्थान से दो तीन कदम पीछे हट गये सभी । फटी - फ़टी आखें औंधे मुंह पड़ी अल्लारक्खा की लाश पर स्थिर थीं । गोली उसकी पीठ में लगी थी । भल्ल - भल्ल करके खून बह रहा था जख्म से ।
" हे प्रभु ! " ऐरिक कह उठा -- " अल्लारक्खा की भी हत्या कर दी गयी । "
अन्य किसी के मुंह से बोल तक न फूट सका । इधर - उधर से दौड़कर दूसरे स्टूडेन्ट्स और प्रोफेसर्स भी वहां पहुंच गये । उन्ही में से रणवीर , संजय और एकता भी थे । जिसने भी लाश देखी ---- अवाक सा खड़ा रह गया । बंसल भी नाइट गाऊन की डोरी बांधता पहुंचा।
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09-19-2020, 01:17 PM,
#87
RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
लाश पर नजर पड़ते ही पैरों तले से जमीन खिसक गई मानो ! मुंह से निकला ---- ' " हे भगवान ! ये हो क्या रहा है ? क्यों हो रहा है ? " किसी पर जवाब हो तो दे भी !

तभी भागता हुआ लविन्द्र भूषण आया । राजेश ने पुछा ---- " आप कहां थे सर ? "
" जैकी और वेद जी को फोन करके आया हूं । "

“ क्या होगा बार - बार दूरभाष करके ? " ऐरिक रोषपूर्ण स्वर में चीख पड़ा ---- ' ' हत्याओं की यह श्रृंखला किसी के रोके नहीं रुक रही । पता नहीं किसकी हाय लगी हमारे विद्यालय को । "
" मेरे ख्याल से विभा जी तो कॉलिज में ही कहीं थी । " राजेश ने कहा ।
" विभा जी यहां ! " लविन्द ने पुछा ---- " यहां कहां है वे ? "
" क्या आपने उनकी आवाज नहीं सुनी ? "

" आवाज तो मैंने भी सुनी थी । " दीपा बोली ---- " और जानी - पहचानी भी लगी थी । मगर उस वक्त समझ नहीं पाई कि विभा जी की है । उन्होंने कहा था ---- पकडो । पकड़ो ! हत्यारा भाग रहा है । "
" हाँ । अब मुझे भी ऐसा ही लग रहा है । " रणवीर ने कहा ---- " आवाज उन्ही की थी । "
" जो कुछ उन्होंने कहा , उससे जाहिर है ---- विभा जी ने हत्यारे को देखा है । "
" मेरे ख्याल से गोलीबारी भी हुई है . उनके बीच । लविन्द्र ने कहा ---- " अंधेरे के दरम्यान कई गोलियां चली जबकि अल्लारखा को सिर्फ एक लगा है । सवाल बंसल ने उठाया ---- " अगर विभा जी कैम्पस में थी तो कहाँ ?

" जवाब किसी के पास नहीं था । चारो तरफ सन्नाटा छा गया । एकाएक वातावरण में किसी दरवाजे को भडभड़ाये जाने की आवाज गूंजी और फिर यह आवाज लगातार गूंजती चली गई । हालांकि कोई कुछ समझ नहीं सका परन्तु सभी स्टूडेन्ट्स और प्रोफेसर्स आवाज की दिशा में बढ़ते चले गये । दो मिनट बाद भीड़ उस क्लासरूम के बाहर बरांडे में थी जिसका दरवाजा अन्दर की तरफ से भडभड़ाकर जोरदार आवाज पैदा कर रहा था । दरवाजा बाहर से बंद था गनेश ने गुर्राकर दूर ही से पूछा ---- " कोन है अंदर ? "
" हम है राजेश दरवाजा खोलो । "

किसी को भी विभा की आवाज पहचानने में दिक्कत नहीं हुई । रणवीर ने फुर्ती से दरवाजा खोला । विभा लपककर बाहर निकली । सभी चौके । विभा को देखकर कम , उसके लिबास को देखकर ज्यादा । उसने पहला सवाल किया ---- " गोली किसे लगी ? "
" अल्लारक्खा को । "
" उफ ! " दांत किटकिटा उठी विभा ।
" म - मगर आप ? इस ड्रेस में ? कमरे में किसने बंद किया आपको ? "
" आओ । " कहने के साथ वह अपना रिवाल्वर उठाकर आगे बढ़ी और अल्लाररखा की लाश के नजदीक तक पहुंचते - पहुंचते संक्षेप में हेलमेट वाले से अपने टकराव का वृतांत सुना दिया । लाँकिट का कोई जिक्र नहीं किया ।

चेहरे पर जलजले के से भाव लिए उस वक्त वह अल्लारखा की लाश को देख रही थी जब मैं पहुंचा । मेरे दो मिनट बाद जैकी भी आ गया । अल्लारखा की लाश पर नजर पड़ते ही यह भी इस तरह खड़ा रह गया जैसे लकवा मार गया हो ।

मैं कह उठा ---- " तुमने मुझे हैरान कर दिया विभा । गेस्टरूम से गायब पाकर तो मेरे होश ही उड़ गये । "
" हैरान तो इस केस के मुजरिम ने कर दिया है । " विभा बड़बड़ा उठी ---- " आज तक मैंने ऐसी कोई केस हिस्ट्री नहीं पढ़ी जिसमें इतनी जल्दी - जल्दी मर्डर हुए हो । "
" समझ में नहीं आ रहा हो क्या रहा है ? " बंसल मानो अपने बाल नोच डालना चाहता था ---- " वो कौन है ? और क्यों कालिज में लाशों के ढेर लगा रहा है । "
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09-19-2020, 01:17 PM,
#88
RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
मैं बोला ---- " मेरे ख्याल से तो कोई पागल या जुनूनी किस्म का हत्यारा है । "
" इस ख्याल की बजह ? "
" वजह बिल्कुल साफ है विभा जी । " लविन्द्र भूषण ने कहा ---- " जब गोली चली उस वक्त चारों तरफ घनघोर अंधेरा था । आपने खुद बताया , गोली उस पेड़ से चलाई गई । अंधेरे में इतनी दूर से मनचाहे व्यक्ति को निशाना नहीं बनाया जा सकता " ये संयोग है गोली अल्लारखा को लगी और ये मर गया । ऐसा हरगिज नहीं कहा जा सकता वह अल्लारक्खा को ही मारना चाहता था । गोली हममें से किसी को भी लग सकती थी । मुमकिन है अल्लारखा की जगह यहां मैं पड़ा होता । हत्यारे ने हम लोगों की भीड़ की तरफ रिवाल्वर का रुख करके गोली चला दी । बस उसे मतलब नहीं था कौन मरे ! अर्थात् उसका मकसद व्यक्ति विशेष की हत्या नहीं बल्कि कॉलिज के किसी भी बाशिंदे की हत्या से है । ऐसा मकसद किसी जुनूनी या पागल का ही हो सकता है।

"तर्कों के हिसाब से तुम ठीक हो मगर सच्चाई ये नहीं है मि ० लविन्द्र । "
" क्या आप यह कहना चाहती है उसने निशाना ताक कर अल्लारखा को गोली मारी ? "
" यकीनन । "
" ऐसा कैसे हो सकता है ? " जैकी बोला ____ अंधेरा और दूरी इतनी थी कि .... " राजेश । " विभा ने जैकी का वाक्य पूरा होने से पहले कहा ---- " तुम मेन स्विच पर पहुंची ।

" ज - जी ! करना क्या है ? " " उसे ऑफ कर दो । "
वह कुछ समझ न सका ।
मैंने कहा- " उससे क्या होगा ? "
" बताती हूँ निशाना कैसे लगाया गया । खड़े क्यों हो राजेश ? जाओ । "
राजेश को जाना पड़ा । एक मिनट बाद । ' खट्ट ' से लाइट ऑफ हो गई । विभा की आवाज गूंगी ---- " सब लाश की तरफ देखें । "

सभी की नजरें उस तरफ घूम गई । कुछ के मुंह से चीखें और कुछ के मुंह से सिसकारियां निकल पड़ी । अल्लारखा की पीठ पर लिखा CHALLENGE अंधेरे में अग्निशिखा की मानिन्द चमक रहा था । गोली A को बेधती हुई अल्लारक्खा की पीठ में धस गई थी । CH और LL तक खून की बीमारे फैली चमक रही थीं । बाकी अक्षर पूरी तरह चमचमा रहे थे ।

" ये - ये सब क्या है ? " बंसल के हलक से हकलाहट निकली ।
" मि ० लविन्द्र केमेस्ट्री के प्रोफेसर है । " विभा ने कहा ---- " मुझसे बेहतर बता सकते है कि ये अक्षर कौन से कैमिकल से लिखें गये हैं । "

" फ - फास्फोरस से । " लविन्द्र बड़ी मुश्किल से लफ्ज निकाल पाया ---- " फास्फोरस रोशनी में नहीं चमकता लेकिन अंधेरे में वैसे ही चमकता है जैसे चमक रहा है । " मेन स्विच की तरफ से राजेश ने चीखकर कहा ---- " अब क्या करना है ? "
“ ऑन कर दो । " विभा ने ऊंचे स्वर में कहा।

खट की आवाज के साथ लाइट ऑन हो गयी । और उसके साथ ही अल्लारक्खा के गाऊन पर लिखा CHALLENCE चमकना बंद हो गया । राजेश दौड़ता हुआ आया । वह हांफ रहा था । विभा ने कहा- " अब शायद बताने की जरूरत नहीं हत्यारा सिर्फ और सिर्फ अल्लारखा को मारना चाहता था । अंधेरा किया ही इसलिए गया क्योंकि अल्लारक्खा को निशाना बनाने के लिए उसे अंधेरे की जरूरत थी । रोशनी में वह इतने अच्छे ढंग से निशाना नहीं लगा सकता था । जाहिर है गाऊन पर काफी पहले फास्फोरस से CHALLENGE लिख दिया गया था । यह तैयारी ठीक वैसी ही थी जैसी हिमानी के मर्डर के लिए की गई । नतीजा साफ है । हत्यारा जुनूनी या पागल नहीं बल्कि बेहद चालाक है और हर मर्डर खूब सोच समझकर , बाकायदा प्लान बनाकर कर रहा है । '

" मगर क्यो ? " बंसल चीख पड़ा ---- " एक - एक को चुन - चुनकर क्यों मार रहा है वह ?
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09-19-2020, 01:17 PM,
#89
RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
" यह पता लग जाये तो हत्यारा शायद बेनकाब हो जाये । " लविन्द्र ने कहा ---- " कमाल की बात तो ये है कि वह आपके हाथ में आकर निकल गया । "
" इसमें कमाल की कोई बात नहीं है । " विभा ने कहा ---- " न मैं फ़ाइटर हूं न ही फाइटिंग का कोई अनुभव है । मैं केवल दिमाग से इन्वेस्टिगेशन करती हूँ । इस ड्रेस में आकर उस पेड़ पर केवल इसलिए छूपी थी कि शायद कोई राज की बात मालूम कर सकुं । हत्या की कल्पना मैंने नहीं की थी और हत्यारे ने भी नहीं सोचा होगा कि उसकी किसी से मुठभेड़ हो सकती है । उसने अंधेरे का लाभ उठाकर आराम से गायब होने के बारे में सोचा होगा । "

एक बार फिर पूरी भीड़ के बावजूद माहौल में सन्नाटा छा गया । " बंसल साहव । " विभा ने कहा ---- " नये हालात में मुझे एक बार फिर कहना पड़ रहा है । कल से कालेज की सामान्य गतिविधियां हर हालत में चालु हो जानी चाहिए । "
" क - क्या कह रही हैं आप ? भला कैसे .... "

" इस सम्बन्ध में मैं ज्यादा तर्क - वितर्क नहीं करना चाहती । केवल इतना समझ लीजिए आज ही रात में अल्लारखा के मर्डर के पाछे एक वजह ये भी हो सकती है कि हत्यारा कालेज में सामान्य हालात नहीं चाहता । और हम यह नहीं कर सकते जो वह चाहता है । "

दयनीय भाव से बंसल ने स्टूडेन्ट्स की तरफ देखा ---- सब खामोश थे । एक कमरे में केवल मैं , जैकी और विभा थे । बाकी सबको बाहर निकाल दिया गया था । बाहर निकलते बंसल से विभा ने कहा था ---- " नगेन्द्र और ललिता को मेरे पास भेजो।
उसका आदेश हम तीनों को चौंका देने वाला था।

बंसल चौंका जरूर मगर बग़ैर कुछ कहे बाहर चला गया ।
सवाल करने का हौसला जैकी भी न कर सका। मगर मैंने पूछ लिया .... " क्या नगेन्द्र और ललिता इस केस मे हमारी कोई मदद कर सकते है" ।
"पता नही" बिभा ने सपाट स्वर में कहा।

मुश्किल से पांच मिनट बाद नागेंद्र और ललिता दरवाजे पर नज़र आये।
दोनो के चेहरे उड़े हुए थे।
मैं देखते ही समझ गया कि इनसे जरूर कोई अपराध हो गया है।
मगर क्या...
मैं नही जान सका।
उसी को जानने के लिए मैं टकटकी लगाए हुए था।
वे दरवाजे पे आके ठिठक गए।
अंदर आने के लिए मानो कदम न उठ सके ।

विभा - के मुँह से आवाज नही कोड़े सी फटकार निकली .... " अंदर आओ ।
" मानो किसी यंत्र ने दोनों को अंदर धकेला । "

बेद " दोनो पर नजर गड़ाए विभा ने मुझसे कहा ---- " दरवाजा बंद कर दो ।
" मैने दोनों के पीछे पहुंचकर दरवाजा बंद किया।
मेरे करीब आओ..... एक और फटकार ।

वे इस तरह आगे बढे जैसे हॉरर फिल्म का करेक्टर भूत की तरफ बढ़ता है ।

रोने को तैयार दोनो । चेहरों पर आतंक ! दहशत राम राम कर बिभा के पास पहुंचे ।

दोनों पछाड़ खाकर उसके कदमों में गिरे जैसे एक ही चाभी से हरकत में आने वाले खिलौने हो ।
दोनों के मुंह से एक जैसे शब्द निकले .--- " हमें माफ कर दीजिए बिभा जी।

मैं और जैकी अवाक।
हमे मालूम नही अपनी किस गलती की माफी मांग रहे थे वे।
उठो। बिभा के चेहरे पर छाई कठोरता ज्यूँ की त्यों बिराजमान रही।
खड़े होकर बात करो।
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09-19-2020, 01:18 PM,
#90
RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
दोनों एक साथ खड़े हो गये ।
वे सचमुच आंसुओं से रो रहे थे ।
" इसका मतलब तुम जान गये हो कि मैं क्या जान गई हूँ ? " इन शब्दों के साथ जो कुछ विभा ने कहना शुरू किया , कम से कम मेरे और जैकी के लिए वह पहेली जैसा ही था -- " जानोगे भी क्यों नहीं ? कैम्पस में बता चुकी हूँ कि हेलमेट वाले से हुई मुठभेड़ से पहले में कहा थी ।
समझ सकते हो , तुम्हारी सारी वकवास मैंने सुनी है । "
" हम दोनों तबाह जायेंगे विभा जी । " नगेन्द्र ने कहा --- " नौकरी चली जायेगी हमारी । "

" नर्क में गिरने से पहले नहीं सोचा था ? " दोनों चुप । " ये तो मर्द है । मैं तुमसे पूछती हूं ललिता । क्या सोचकर कीचड़ में गिरी तुम ? क्या दुनिया में जिस्मानी भूख ही सबकुछ है ? तुम्हारे पति को पता लगेगा तो क्या होगा ? "

अब जाकर मेरी और जैकी के बुद्धि के कपाट खुले ।
ललिता कह रही थी --- " इसने मुझे बहका लिया था मैडम । "
" शटअप ! " बिभा गुर्राई -.-- " तुम बच्ची नहीं हो ! जिसे वहका लिया । "
पुनः खामोशी । " कब से चल रहा है ये सब ? " दोनों गर्दन झुकाये खड़े रहे । विभा गुराई- " जबाव दो ! "
" छह महीने से । दोनों एक साथ बोले । "
सत्या मैडम जानती थी ? "
" अपनी बातों के दरम्यान तुमने कहा था पहले चन्द्रमोहन मरा । फिर हिमानी ! कहा था न ? " " क्यों कहा ऐसा ? "
ललिता ने पहली बार चेहरा ऊपर उठाकर पूछा --- " क - क्यों इसमें भी कुछ गलत था ? "
" हां ! गलत था । " " इ - इसमें क्या गलत था मैडम ?

" तुम सोचो ! सोचकर जवाब दो क्या गलत था इसमें ? "
कुछ देर चुप रही ललिता , फिर बोली --- " म - मुझे तो कुछ गलत नहीं लग रहा । "
" तुम जबाब दो नगेन्द्र । जो कहा उसमें क्या गलत था ? "
" पहले चन्द्रमोहन नहीं , सत्या मैडम मरी थीं । "

" आई बात समझ में । अब बोलो ---सत्या मैडम को कैसे भूल गयी तुम ? ये क्यों नहीं कहा कि पहले सत्या , फिर चन्द्रमोहन और उसके बाद हिमानी का मर्डर हुआ । "
" म - भूली नही थी । भूलने का तो सवाल ही नहीं उठता । बस जो मुंह में आया वह कहती चली गयी । बात को इतनी गहराई तक मैं सोच भी कैसे सकती थी ? "
" और कोई कारण तो नहीं है ? "
" अ - और क्या कारण हो सकता है ? "

इस बार विभा उन्हें केवल घुरती रहीं । बोली कुछ नहीं । थोड़े अंतराल के बाद कहा ---- " अब तुम जा सकते हो । मगर सुनो । यदी चाहते हो ये करतूत इस कमरे में बंद रहे तो जो कर रहे थे , उसे फौरन बंद कर दो । "
बार - बार बादा करने के बाद दोनों बाहर गये ।

विभा ने फिर मुझसे दरवाजा बंद करने के लिए कहा । मैं समझ गया । अभी उसके पास कोई और गोट भी है । अतः लपककर दरवाजा बंद किया । पलटकर उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा- ' कभी - कभी तुम महत्वहीन बात को ज्यादा लम्बी नहीं कर देती हो विभा ? "
" कौन सी बात की तरफ इशारा है तुम्हारा ? " “ यही कि ' तुमने अपने सैन्टेन्स में सत्या का नाम नहीं लिया । "
" काश तुम समझ सकते . यह महत्वहीन नहीं बल्कि अत्यन्त महत्वपूर्ण बात है । यह ऐसी बात है जो स्वप्न में भी किसी के मुंह से नहीं निकलनी चाहिए ।
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