Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
10-27-2020, 03:07 PM,
#91
RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
नीलेश फ्रंट का घेरा काट कर उधर पहुंचा और कार में उसके पहलू में जा बैठा ।
श्‍यामला ने कार आगे बढ़ाई ।
कथित कैफे उसी सड़क पर था जहां कि सुबह की उस घड़ी आठ दस लोग ही मौजूद थे । दोनों भीतर जाकर बैठे । श्‍यामला ने काफी का आर्डर दिया, जिसके सर्व होने तक उनके बीच बड़ी बोझिल सी खामोशी छाई रही जिसे नीलेश ने ‘थैंक्यू’ बोल कर भंग किया ।

“काफी के लिये बोले रहे हो ?” - वो बोली ।
“नहीं, भई । मेरी जान बचाने के लिये ।”
“मैंने बचाई ?”
“बराबर बचाई । तुम्‍हारे पापा की गिरफ्तारी के बाद मेरी उनसे बात हुई थी । उन्‍होंने तब वो तमाम डायलॉग दोहराया था जो तुम्‍हारे और उनके बीच सीढ़ियों पर हुआ था । मुझे ये तक बताया था कि तुमने कहा था कि अगर उन्‍होंने मेरी मुखालफत में कोई कदम उठाया तो तुम उनकी बेटी नहीं । कहा था कि अगर उन्‍होंने एक कदम भी ऊपर की तरफ बढ़ाया तो तुम उनकी गन छीन लोगी ।”
वो खामोश रही, उसने काफी के कप पर सिर झुका लिया ।

“तुम्‍हारी ही वजह से मोकाशी साहब को मेरी मदद करना, उस विकट घड़ी में अपने साथियों का साथ देने की जगह मेरे साथ खड़ा होना, कुबूल हुआ । तुम्‍हारी मोटीवेशन से मोकाशी साहब के मिजाज में इंकलाबी तब्‍दीली न आयी होती तो मेरी मौत निश्चित थी ।”
“किसकी मैात निश्चित थी” - वो होंठों में बुदबुदाई - “ये तो ऊपर वाला ही जानता था । मेरी भी पापा से बात हुई थी । जैसे उन्‍होंने तुम्‍हें बताया था कि सीढ़ियों में क्‍या हुआ था, वैसे मुझे बताया था कि ऊपर हाल मे क्‍या हुआ था । तुमने महाबोले की टांग में गोली न मारी होती तो उसका निशाना न चूका होता, तो वहां उसकी जगह मेरे पापा मरे होते । पुलिस वालों को शूटिंग की, सुपरफास्‍ट एक्‍ट करने की, ट्रेनिंग होती है, मेरे पापा नौसिखिये थे, गन उनके पास स्‍टेटस सिम्‍बल के तौर पर थी जिसके इस्‍तेमाल की कभी नौबत नहीं आयी थी । उपर से ओल्‍ड एज की वजह से उनके रिफ्लेक्सिज कमजोर थे, उनका गोली खा जाना निश्चित था ।”

“फिर भी इत्‍तफाक हुआ कि उनकी चलाई गोली ऐन निशाने पर लगी !”
“करिश्‍मा हुआ । किसी अदृश्‍य शक्ति ने चमत्‍कार दिखाया, महाबोले दूसरी गोली चला पाया होता तो…”
उसके शरीर ने जोर की झुरझुरी ली ।
“लिहाजा” - फिर बोली - “थैंक्‍यू तुम्‍हें नहीं, मेरे को बोलना चाहिए । शुक्रगुजार तुम्‍हें मेरा नहीं, मुझे तुम्‍हारा होना चाहिये । नहीं ?”
“हम दोनों को ऊपर वाले का शुक्रगुजार होना चाहिये । जिसको वो रक्‍खे, उनको कौन चक्‍खे !”
“आगे क्‍या होगा ?”
नीलेश की भवें उठीं ।
“मेरे पापा को महाबोले की मौत के लिये जिम्‍मेदार ठहराया जायेगा ? उन पर कत्‍ल का इलजाम आयद होगा ?”

“नहीं । उन्‍होंने जो किया, सैल्‍फ डिफेंस में किया । मरने से बचने के लिये मारना पड़ा । आत्‍मरक्षा हर नागरिक का अधिकार है । महाबोले को शूट करके उन्‍होंने कोई गुनाह नहीं किया ।”
“बड़े विश्‍वास के साथ कह रहे हो !”
“हां, क्‍योंकि ऐसी सिचुएशन पर लागू हाने वाले कायदे कानून का मुझे ज्ञान है ।”
“क्‍योंकि पुलिस आफिसर हो ! इंस्‍पेक्‍टर…इंस्‍पेक्‍टर नीलेश गोखले हो !”
“कौन बोला ?”
“कौन बोला क्‍या ! अब ये बात सबको मालूम है । तुम्‍हारा डीसीपी ही बोला जो कि ऐन मौके पर पीएसी की फोर्स के साथ ‘इम्‍पीरियल रिट्रीट’ पहुंचा । सबके सामने अपने बहादुर, जांबाज, कर्त्‍तव्‍यपरायण इ्ंस्‍पेक्‍टर गोखले की तारीफ करता था । तुम्‍हें कोई गैलेन्‍ट्री मैंडल मिलने की भी बात करता था ।”

“ओह !”
“सरकारी आदमी !”
“क्‍या ?”
“झुठलाते थे मेरी बात को ! अभी निकले न !”
“सारी !”
“वाट सारी ! मेरे से कोई लगाव महसूस करते तो मेरे से तो सच बोला होता !”
“सच का हिंट बराबर दिया था । जब त्रिमूर्ति के कुकर्म गिनाये थे तो यही किया था ।”
“दो टूक सच बोला होता ! मेरे कहे को कनफर्म किया होता !”
“गलत होता ऐसा करना ।”
“क्‍यों ?”
“कनफर्मेशन ब्राडकास्‍ट हो जाती । शक यकीन में तब्‍दील हो जाता । नतीजन आइलैंड पर सांस लेना दूभर हो जाता ! त्रिमूर्ति मुझे हरगिज जिंदा न छोड़ती ! मेरी लाश समंदर में तैरती पायी जाती ।”

“ओह, नो ।”
“ओह, यस ।”
“मैं किसी को बोलती तो ऐसा होता न !”
“मोकाशी साहब को जरुर बोलती । तुम पिता पुत्री एक दूसरे के बहुत करीब हो । यही सोच के बोलतीं कि घर की बात घर में थी । लेकिन बात एक मूर्ति तक पहुंचना और त्रिमूर्ति तक पहुंचना एक ही बात होती ।”
वो खामोश रही ।
“राज की बात कोई भी हो, वो तभी तक अपनी होती है जब तक अपने पास रहे । एक बार जुबान से निकल जाये तो वो सबकी मिल्कियत बन जाती है ।”
“शायद तुम ठीक कह रहे हो । बहरहाल बात ये हो रही थी कि मेरे पापा को कत्‍ल का अपराधी नहीं ठहराया जायेगा ।”

“लेकिन और बहुतेरे अपराध हैं उनके जिनकी जिम्‍मेदारी से वो नहीं बच सकेंगे ।”
“ये तुम कह रहे हो !
“ये एक पुलिस आफिसर कह रहा है ।”
“जो कोई रियायत बरतना नहीं जानता ! जो किसी बात की तरफ से आंखें बंद करना नहीं सीखा !”
Reply
10-27-2020, 03:07 PM,
#92
RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“सब सीखा । इतना ज्‍यादा सीखा कि जो सीखा, उसी ने बर्बाद किया । अर्श से फर्श पर पहुंचा दिया । जो बेगैरत स‍बक सीखा, उसको मुकम्‍मल तौर से भुला देने से ही मेरी फिर से उठ कर अपने पैरों पर खड़ा होने की हैसियत बनी है । अपनी इस हैसियत को मैं फिर खुद ही पलीता लगाऊंगा तो मेरे से बड़ा अहमक और अभागा दूसरा शख्‍स इस दुनिया में कोई न होगा । अब मेरा अतीत एक ऐसा शीशा है जो कुछ प्रतिबिम्बित नहीं करता । उसमें मुझे बैड कॉप का, करप्‍ट कॉप का अक्‍स दिखाई नहीं देता । अब मैं गुड कॉप हूं जो अतीत को प्रतिबिम्बित करने वाले शीशे में कोई अक्‍स नहीं देखना चाहता । नीलेश गोखले की बीती यादों की जंजीर अब कोई नहीं हिला सकता-न कोई दलील, न कोई जज्‍बा, न कोई मुलाहजा, न कोई फरियाद । कसम है मुझे अपने मकतूल भाई की मुकद्दस रुह की, मैं गुड कॉप हूं, वैसा पुलिस अधिकारी हूं जैसा वो खुद था और जैसा वो अपनी जिंदगी में मुझे देखने चाहता था । मैं कभी करप्‍ट कॉप न होता, कभी भाई लोगों के हाथों बिका न होता तो मेरा छोटा भाई राजेश गोखले, सब इंस्‍पेक्‍टर, मुम्‍बई पुलिस आज जिंदा होता, अभागा बेमौत न मारा गया होता । मैं अपने भाई का गुनहगार हूं, अपने गुनाह का जुआ ताजिंदगी मैं अपने कन्धों से नहीं उतार फेंक सकता । मेरे गुनाहों की तलाफी इसी बात मैं है कि मैं गुड कॉप बनूं और मेरा भाई मुझे कहीं से देखा रहा हो तो उसकी रुह को चैन आये, उसकी आवाज मुझे कहती सुनाई दे ‘भाई, तुम्‍हारा हर गुनाह माफ है’ ।”

उसका गला रुंध गया, आंखें डबडबा आयीं, वो मुंह फेर कर कमीज की आस्‍तीन से आंखें पोंछने लगा ।
“ये” - श्‍यामला के मुंह से निकला - “ये क्‍या है ?”
“जवाब है ।” - अपने स्‍वर को भरसक संतुलन करता नीलेश बोला ।
“किस बात का ?”
“इस बात का कि क्‍यों मोकाशी साहब के लिये मेरे से कोई उम्‍मीद करना बेमानी है ।”
“ओह !”
कुछ क्षण खामोशी रही ।
“तुम मेरे से कोई बात करना चाहते थे, वो हो गयी हो तो चलें ?”
“हो तो नहीं गयी - सच पूछो तो शुरु ही नहीं हुई - हालात की, जज्‍बात की रो में कोई और ही बातें होने लगी । अब पता नहीं जो कहना चाहता था, उसे जुबान पर लाना मुनासिब होगा या नहीं !”

“कोशिश करके देखो ।”
“आगे जो मोकाशी साहब के साथ बीतने वाली है, उसकी रु में तुम अकेली रह जाओगी ?”
“है तो ऐसा ही ।”
“कोई सगा सम्‍बंधी ? कोई करीबी रिश्‍तेदार ?”
“नागपुर में एक मौसी है । लेकिन मैं ऐसा कोई आसरा नहीं चाहती । आई विल लीड माई ओन, इंडीपेंडेंट लाइफ ।”
“यहीं ?”
“देखेंगे ।”
“तीन दिन पहले रुट फिफ्टीन पर जब इत्‍तफाकन मौकायवारदात पर मिली थीं तो तुमने कहा था कि तुम्‍हारी मेरी मुलाकात में किसी अदृश्‍य शक्ति का हाथ था, उसमें ऊपर वाले की रजा थी । फिर कहा था कि गलत लगा था क्‍योंकि हम दोंनो एक राह के राही नहीं रहे थे । हमेशा के लिये अलविदा तक बोल दिया था । याद आया ?”

“हं-हां ।”
“लेकिन अलविदा हुई तो नहीं हमेशा के लिये ! अभी हम बैठे हैं आमने सामने ! नहीं ?”
“हां ।”
“इस बारे में क्‍या कहती हो ?”
“क्‍या कहूं ?”
“सवाल मैंने पूछा है ।”
“मेरे पास जवाब नहीं है ।”
“टाल रही हो !”
“ऐसी कोई बात नहीं ।”
“अब तुम्‍हे ऊपर वाले की रजा नहीं दिखाई देती ? किसी अदृश्‍य शक्ति का हाथ नहीं दिखाई देता ?”
“तुम पहेलियां बुझा रहे हो ।”
“आधी रात का वो मंजर याद करो जब हम अमेरिकन डाइनर से लौटे थे और मैं तुम्हें तुम्‍हारे बंगले पर ड्रॉप करने गया था ।”

“क्‍या याद करुं ?”
“इसरार से तुमने मेरे से कहलवाया था कि मैं तुम से प्‍यार करता था ! ‘नीलेश, से यू लव मी’ यू सैड ।”
“मैं शैब्लिस के नशे में थी ।”
“न होती तो प्‍यार मुहब्‍बत वाली कोई बात ही नहीं थी !”
वो खामोश रही, उसने बेचैनी से पहलू बदला ।
“होश में होतीं तो तुम्‍हें बेरोजगार, ओवरएज, विधुर ऐसे जज्‍बात के इजहार के काबिल न लगा होता !”
उसने जवाब न दिया ।
“खैर ! कोई बात नहीं ! दिल की बस्‍ती है । बसते बसते बसती है । कभी नहीं भी बसती ।”
उसने सिर उठाया, व्‍याकुल भाव से उसकी तरफ देखा ।

“बस, एक बात और कहना चाहता हूं ।”
“क्‍या ?”
“चमन उजड़ा भी हो तो चमन ही कहलाता है । दिल टूटा भी हो तो दिल ही कहलाता है ।”
वो और व्‍याकुल दिखाई देने लगी ।
“पहले फाल्‍स अलार्म था । अब है अलविदा की घड़ी ।” - नीलेश उठ खड़ा हुआ - “शाम तक मैं यहां से चला जाऊंगा । अलविदा, श्‍यामला ।”
वो जाने के लिये मुड़ने लगा तो एकाएक श्‍यामला ने हाथ बढ़ाया और कस कर उसका हाथ थाम लिया ।
“मेरे जेहन पर पापा के आइ्ंदा, बुरे, अंजाम का बोझ है । उस बोझ के तले कहीं दिल की आवाज दब गयी है । लेकिन दबी हुई आवाज ही अब मुझे कहती जान पड़ रही है कि अलविदा कहना मेरा गलत फैसला था और गलती को सुधारना चाहिये, उस पर एक और गलती नहीं करनी चाहिये । टू रांग्‍स कैननाट मेक वन राइट । नो ?”

“यस ।”
“जज्‍बात की रो में बह कर मैंने कहा था कि मैं अपना स्‍वतंत्र जीवन जीना चाहती थी, आई विल- आई कुड - लीड माई इंडिपेंडेंट लाइफ । मैं अपने अल्‍फाज वापिस लेना चाहती हूं ।”
“मतलब ?”
“मैं तुम्‍हारी राह का राही बनना चाहती हूं । तुम्‍हारी जुबानी जो उस रात सुना, वो फिर सुनना चाहती हूं । से, यू लव मी ।”
“मैं नहीं कह सकता…”
श्‍यामला के चेहरे का रंग उड़ गया ।
“…क्‍योंकि मैं इससे ज्‍यादा, कहीं ज्‍यादा कुछ कहना चाहता हूं ।”
“क..क्या ?”
नीलेश घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया और उसने उसका हाथ अपने दोंनो हाथों में ले लिया ।

“आई वांट टु प्रोपोज ।” - नीलेश भावपूर्ण स्‍वर में बोला - “श्‍यामला, विल यू बी माई वाइफ ?”
“आई विल बी ग्‍लैड टु ।”
“डू यू असैप्‍ट मी एज युअर हसबैंड ?”
“आई डू, माई लार्ड एण्‍ड मास्‍टर ।”
तालियां बजने लगीं ।
दोनों ने घबरा कर सिर उठाया।
कैफे में जितने लोग मौजूद थे, उन्‍हें पता ही नहीं लगा था कि कब सब की तवज्‍जो उनकी तरफ हो गयी थी और कब वहां मुकम्‍मल सन्‍नाटा छा गया था । प्रत्‍यक्ष था कि उस सन्‍नाटे में नीलेश को प्रोपोज करता और श्‍यामला को प्रोपोज अक्सेप्ट करता सबने सुना था ।

बौखलाये से दोनों उठ कर खड़े हुए । संकोच से दोनों का चेहरा लाल पड़ गया ।
फिर उन पर बधाइयों की बौछार होने लगी ।
अच्‍छे लोग थे आइलैंडवासी । त्रिमूर्ति का ग्रहण अभी टला नहीं था कि अच्‍छाइयों के, सदभावनाओं के फूल बिखरे पड़ रहे थे ।
कितना प्‍यार था दुनिया में ! कोई तलाश करने वाला चाहिये था । कोई बटोरने वाला चाहिये था । कोई झोली भरने वाला चाहिये था ।
देवा ! मुझको ही तलब का ढ़ब न आया, वर्ना तेरे पास क्‍या नहीं था ।
“तुमने कहा कुछ !” - श्‍यामला बोली ।
“हां ।” - नीलेश उसके कान के करीब मुंह ले जा कर बोला - “नौकरी बचाने निकला था, बीवी ले कर लौटूंगा । इसे कहते हैं चुपड़ी और दो दो ।”

श्‍यामला हंसी ।
मंदिर की घंटियों जैसी पवित्र हंसी ।

समाप्त
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,297,205 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 521,974 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,149,965 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 871,235 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,540,968 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,985,676 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,794,742 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,508,392 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,823,090 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 265,911 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)