Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
12-05-2020, 12:32 PM,
#11
RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
वह चीख डॉली ने भी सुनी ।

राज की चीख सुनते ही डॉली एकदम उछलकर खड़ी हो गयी । फिर वो आनन-फानन दरवाजा खोलकर बाहर निकली और बेपनाह फुर्ती से राज के घर की तरफ लपकी ।

उसके घर का दरवाजा खुला था ।

डॉली दनदनाती हुई अंदर घुसी ।
और !
अंदर घुसते ही डॉली के कंठ से भी तेज चीख खारिज होते-होते बची ।

फर्श के बिल्कुल बीचों-बीच एक लम्बे कड़ियल आदमी की लाश पड़ी थी, उसकी बरसाती आधी से ज्यादा खून में लथपथ थी । अजनबी की मौत दो गोलियां लगने से हुई थी, जो उसकी पीठ में धंसी थीं ।

इसके अलावा जो सबसे ज्यादा चौंका देने वाली बात थी, वो यह थी कि अजनबी ने काले रंग के ब्रीफकेस को मरने के बाद भी कसकर अपने सीने से चिपटा रखा था ।

“य...यह तुमने क्या किया ?” लाश को देखते ही डॉली के जिस्म का एक-एक रोआं खड़ा हो गया ।

“म...मैंने !” थर्रा उठा राज ।

“क्या तुमने इसकी हत्या नहीं की ?”

“म...मैं भला इसकी हत्या क्यों करने लगा ?” राज कंपकंपाये स्वर में बोला- “म...मैं तो यह भी नहीं जानता कि ये कौन है ?”

“फिर इसकी लाश यहाँ कैसे आ गयी ?”

राज ने बड़ी तेजी से पूरी घटना सुना दी ।
सन्न रह गयी डॉली !

एकदम सन्न ।

घटना वाकई सनसनीखेज थी ।

“अ...अगर इसके पीछे पुलिस लगी थी ।” डॉली का सकपकाया स्वर- “तब तो संभव है कि पुलिस ने ही इसे गोली मारी हो ?”

“मुझे भी यही लगता है कि जरूर इसे पुलिस ने गोली मारी है ।” राज बोला- “यह कोई अपराधी है, जो पुलिस से बचकर भाग रहा था । इसके अलावा एक बात और मुमकिन है ।”

“क्या ?”

“मौके का फायदा उठाकर क्या पता इसके किसी सहयोगी ने ही इसे गोली मार दी हो ।”

“ओह !”

“क्या सोचने लगी डॉली ।”

“तुझसे भयंकर गलती हो चुकी है राज- त...तू फंस गया ।”

“य...यह क्या कह रही है तू ?” राज के होश फना हुए ।

“म...मैं सच कह रही हूँ, तू वाकई फंस गया, अब इस आदमी की हत्या का इल्जाम तेरे सिर पर आने वाला है ।”

“लेकिन मैं हत्यारा नहीं हूँ ।”

“सिर्फ तेरे कहने से कुछ नहीं होगा राज ।”

“कैसे कुछ नहीं होगा ।” राज झल्ला उठा- “अगर मैंने इसकी हत्या की होती, तो क्या मैं यूं ही इसकी लाश की नुमाइश करता ? इसे लेकर अपने घर में ही आता ? फिर इसकी हत्या गोली लगने से हुई है, जरा सोच मेरे जैसे मामूली आदमी के पास रिवॉल्वर जितना खतरनाक हथियार कहाँ से आ सकता है ? और अगर रिवॉल्वर जैसा हथियार आ भी गया, तो क्या उसे चलाना मेरे बसका है ?”

डॉली चुप ।

“फिर क्या मैं तुझे इतना ही बड़ा पागल नजर आता हूँ ।” राज बोला- “कि तेरी उधारी चुकाने के चक्कर में, मैं किसी की हत्या तक करने पर आमादा हो जाऊं ?”

“गया तो इसी तरह था ।” डॉली बोली- “जैसे आज कहीं से भी लायेगा । किसी का भी गला काटकर लायेगा । लेकिन मेरी उधारी जरूर चुकता करेगा ।”

“उस समय मैं गुस्से में था । मुझे खुद मालूम नहीं, मैं क्या-क्या बक गया ।” राज बोला- “फिर चंद रुपयों के लिये मैं किसी की भी हत्या कैसे कर सकता हूँ- इतना ही दिलेर दिखाई देता हूँ मैं तुझे ? अगर मैं इतना ही दिलेर होता, तो आज शाम रंगीला सेठ और उसके गुण्डों की ठेके में ऐसी-तैसी न कर देता ।”

“तू कहना क्या चाहता है ?”

“मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूँ, यह हत्या मैंने नहीं की । मैं हत्यारा नहीं ।” राज ने लगभग आर्तनाद करते हुए कहा ।

“मत भूल राज !” डॉली एक-एक शब्द चबाते हुए बोली- “हर हत्या करने वाला यही कहता है, जो तू कह रहा है, ऐसी हालत में कौन तेरी बात पर यकीन करेगा ?”

“तू तो करेगी ?”

“मेरे यकीन करने या न करने से कुछ नहीं होने वाला ।” डॉली बोली- “असली बात यह है कि पुलिस तेरी बात पर यकीन करती है या नहीं ।”

“प...पुलिस !”

“लाश तेरे घर में पड़ी है ।” डॉली विचलित मुद्रा में बोली- “फिर तेरे कपड़े भी खून में सने हुए हैं, पुलिस को तुझे हत्यारा साबित करने के लिये इससे बड़ा सबूत और क्या चाहिए ?”
राज की जान हलक में आ फंसी ।
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12-05-2020, 12:32 PM,
#12
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उसे एकाएक वो लाश अपनी मौत का वारण्ट लगने लगी ।

मौत का ऐसा वारण्ट- जो उसे हर पल, हर लम्हा बर्बादी की तरफ लिये जा रही थी ।

☐☐☐

तभी घटना ने एक और ऐसा नया मोड़ लिया, जिसके बाद राज के ग्रह पूरी तरह संकट में घिर गये ।

राज की नजर एकाएक अजनबी के ब्रीफकेस पर पड़ी ।

तुरन्त उसके दिमाग में सवालों का धमाका हुआ ।

“इ...इसने ब्रीफकेस अपने सीने से क्यों चिपटा रखा है ?”

“क्या है इसके अंदर ?”

“इसमें ऐसी क्या खास चीज है, जो मरने के बाद भी अजनबी का ब्रीफकेस से मोह भंग न हुआ ?”

राज के दिमाग में घण्टियां बजने लगीं ।
तेज घण्टियां !

“जरूर-जरूर इसमें कोई खास चीज है ।”

“कोई बेहद खास चीज ।”

घण्टियों की आवाज अब राज के दिमाग में तेज़ होती जा रही थी ।

उसे एकाएक वो ब्रीफकेस अपना उद्धारकर्ता नजर आने लगा । उसे लगने लगा, वो ब्रीफकेस उसे पुलिस के फंदे से बचा सकता है ।
और !
यह अहसास होते ही राज तुरन्त अजनबी की तरफ बढ़ा ।

डरते-डरते नीचे झुका ।

फिर उसके हाथ अजनबी के शिकंजे से ब्रीफकेस निकालने के लिए जैसे ही उसके सीने की तरफ बढ़े-

“य...यह क्या कर रहा है तू ?” डॉली दहशत से चिल्ला उठी ।

मगर तब तक राज ब्रीफकेस का एक कोना पकड़ चुका था ।

कोना पकड़ते ही उसने ब्रीफकेस अपनी तरफ खींचा और फिर वह उसे लेकर यूँ अपनी पहले वाली जगह भागा, मानों पीछे से उस अजनबी द्वारा पकड़ लिये जाने का खतरा हो ।

डॉली भी फौरन उसके नजदीक पहुँची ।

“य...यह ब्रीफकेस तूने किसलिये छीना है ?”

“देखती जा ।”

राज ने अब वो ब्रीफकेस नीचे फर्श पर टिका दिया था और फिर उसने धड़कते दिल से उसे खोला ।

चट् की हल्की आवाज हुई ।

ब्रीफकेस में ताला लगा हुआ नहीं था, इसलिये फौरन ही वो खुल गया ।

और ब्रीफकेस खुलते ही उन दोनों के दिल-दिमाग पर आसमान-सा टूटकर गिरा ।

तेज बिजली गड़गड़ाई ।
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12-05-2020, 12:32 PM,
#13
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काले रंग के उस ब्रीफकेस में सोने की छः नटराज मूर्तियां थीं ।

शुद्ध सोने की मूर्तियां ।

जो बेपनाह मूल्यवान थीं ।

☐☐☐

“य...यह तो सोने की मूर्तियां हैं डॉली !” उन मूर्तियों पर नजर पड़ते ही राज की आवाज खुशी से कंपकंपा उठी- “असली सोने की मूर्तियां ।”

“स...सोने की मूर्तियां !” डॉली को भी तेज झटका लगा ।

चार सौ चालीस वोल्ट से भी ज्यादा ।

सारे प्रतिरोध, उसके शरीर की तमाम हरकत इस तरह फ्रीज हो गयीं, मानो बिजली से चलने वाली मशीन का किसी ने स्विच बंद कर दिया हो ।

“ह...हाँ, यह शुद्ध सोने की मूर्तियां हैं ।” राज की आंखों में चमक कौंधी- “द...देख- इसके नीचे क्या गुदा है- चौबीस कैरेट प्योर गोल्ड !”

“हे भगवान !” डॉली के मुँह से सिसकारी छूटी- “तब तो यह मूर्तियां बहुत कीमती हैं ।”

“हाँ, यह बहुत कीमती मूर्तियां हैं । बेहद कीमती । अ...अब हमारे दिन बदल गये डॉली ! नसीब जाग गये हमारे ।”

चौंकी डॉली- “यह तू क्या कह रहा है राज ?”

लेकिन राज तो दीवाना हो उठा था ।

इस समय वो कल्पना लोक के सागर में गोते लगा रहा था ।

“म...मैं ठीक कह रहा हूँ डॉली !” उसने खुशी से कंपकंपाये लहजे में ही कहा- “तुझे अब नौकरी करने की जरूरत नहीं- मुझे ऑटो चलाने की जरूरत नहीं । हम दोनों अब शादी करेंगे डॉली ! तू रानी बनकर रहेगी ।”

“बेवकूफ- तू पागल हो गया है ।” डॉली ने उसे झंझोड़ डाला- “अपनी बर्बादी का सारा प्लान खुद ही बना रहा है- होश में आ ।”

राज ने चौंककर डॉली को देखा ।

“तू सपने देख रहा है राज ।” डॉली ने गुस्से में उसे कोड़े जैसी फटकार लगायी- “दिमाग ठिकाने पर नहीं है तेरा ।”

“मेरा दिमाग पूरी तरह ठिकाने पर है ।”

“नहीं है ।” चीखी डॉली- “अगर तेरा दिमाग अपनी जगह होता, तो तू ऐसी बहकी-बहकी बातें हर्गिज न करता । तू भूल गया है, तेरे घर में लाश पड़ी है । फांसी का फंदा तेरे गले में झूल रहा है और ऐसी हालत में तुझे अपने नसीब जागते हुए नजर आ रहे हैं, तुझे शादी करने की पड़ी है ।”

ल...लाश !

राज की नजर पुनः अजनबी के शव पर जाकर अटक गयी । एकाएक उसने ब्रीफकेस की तमाम जेबों की तलाशी ले डाली, लेकिन उसमें से उसे कोई भी ऐसा कागज या विजिटिंग कार्ड न मिला, जिससे अजनबी की पहचान हो पाती ।

“इसमें क्या देख रहे हो ?”

“इसका नाम या घर का एड्रेस तलाशने की कोशिश कर रहा हूँ ।”

“मिला कुछ ?”

“नहीं ।” राज ने बेहद हताश भाव से इंकार में गर्दन हिलाई ।

“अगर ब्रीफकेस में नहीं है, तो जरूर इसकी पैंट-शर्ट की जेब में कुछ होगा ।”

राज की नजर फिर लाश की तरफ उठी ।

उसकी हिम्मत न हुई कि वो लाश की पैंट-शर्ट में हाथ डाले ।

लेकिन उसे तलाशी तो लेनी ही थी ।

राज ने अपने अंदर हौसला पैदा किया और एक बार फिर डरते-डरते लाश की तरफ बढ़ा ।
नीचे झुका ।
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12-05-2020, 12:32 PM,
#14
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अगले ही क्षण उसने कंपकंपाते हाथों से अजनबी की जेबों की तलाशी ले डाली, वहाँ भी कुछ न था ।

तमाम जेबों में कागज का ऐसा एक अदद टुकड़ा तक न था, जिससे अजनबी की पहचान हो पाती या फिर उसकी पहचान की मालूमात करने की दिशा में वह कम-से-कम सूत्रधार का काम तो करता ।
काश!
काश राज ने अजनबी की उसी हालत से कोई नतीजा निकाला होता ।

उसी से उसने खतरे का अंदाजा लगाया होता, आखिर उसकी जेबों में कुछ न था ।

लेकिन राज के दिल-दिमाग पर तो उस समय पूरी तरह लालच सवार था ।

वह फिर मूर्तियों को संजीदगी के साथ देखने लगा ।

“इन्हें इस तरह क्या देख रहा है राज ?” डॉली का दिल धाड़-धाड़ करके बज रहा था ।

“यह मूर्तियां नहीं हैं डॉली ।” एकाएक वो बड़बड़ाया- “यह मूर्तियां नहीं है ।”

“फ...फिर क्या हैं ये ?”

“यह किस्मत है- किस्मत । कारून का खजाना हैं ये ।” राज खुशी से कंपकंपाये स्वर में बोला- “मैंने आज तक सिर्फ सुना था डॉली, ऊपर वाला जब देता है, छप्पर फाड़कर देता है । लेकिन आज अपनी आंखों से देख भी लिया । भगवान सचमुच बड़ा कारसाज है । उसने हमारी बंद किस्मत के दरवाजे खोल दिये ।”

“तू पागल हो गया है ।” डॉली झुंझला उठी- “मौत तेरे सिर पर मंडरा रही है बेवकूफ- और तू भगवान का गुणगान कर रहा है । तूने इस लाश को देखा है ।” डॉली ने दांत किटकिटाये- “पुलिस को जब यह लाश तेरे घर में से बरामद होगी, तो पुलिस वाले तेरी ऐसी ज़बरदस्त धुनाई करेंगे कि किस्मत के जो दरवाजे तुझे इस समय खुलते नजर आ रहे हैं, वह सबके सब एक झटके में बंद हो जायेंगे ।”

“प...पुलिस अब मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती ।” राज ने एकाएक बम-सा छोड़ा ।

“क्यों नहीं बिगाड़ सकती ?”

“क्योंकि पुलिस का एक इंतजाम मैंने सोच लिया है ।”

“क...कैसा इंतजाम ?”

“जरा सोच डॉली, पुलिस उसी हालत में तो मेरा कुछ बिगाड़ सकती है, जब दिन निकलने पर उसे यह लाश मेरे घर के अंदर से बरामद होगी । लेकिन अगर यह लाश ही पुलिस को मेरे घर के अंदर से न मिले, तब कैसा रहेगा ?”

“त...तू कहना क्या चाहता है ?”

“बहुत आसान सी बात है डॉली ।” राज ने विस्फोट किया- “मैं इस लाश को आज रात ही गायब कर दूंगा ।”

“त…तू लाश गायब कर देगा ?”

“हाँ, डॉली ! अब इस मुसीबत से छुटकारा पाने का यही एक तरीका है ।” राज का दिमाग इस समय काफी तेजी से चल रहा था- “मैं लाश को आज रात ही किसी ऐसी जगह फेंक आऊंगा, जहाँ से बरामद होने पर पुलिस को मेरे ऊपर किसी भी तरह का कोई शक न हो ।”

“य...यह तू करेगा ?” डॉली हैरत से बोली ।

“हाँ, यह मैं करूंगा ।”

“यह सब करने की हिम्मत है तेरे अंदर ?”

“हिम्मत हो या न हो डॉली !” राज दृढ़तापूर्वक बोला- “लेकिन इस काम को मैं करूंगा जरूर । क्योंकि तभी पुलिस से बचा जा सकता है । इस लाश से बचा जा सकता है । और... ।”

“अ...और क्या ?”

“सोने की इन कीमती मूर्तियों को हड़पा जा सकता है ।”

डॉली दंग रह गयी ।
दंग !

“आज जरूर तेरी खोपड़ी खराब हो गयी है ।” डॉली गुस्से में बोली- “तू क्या सोचता है, तू लाश को कहीं भी फेंककर पुलिस के हाथों से बच जायेगा ? मूर्तियां इतनी आसानी से हड़प लेगा तू ? नहीं राज, नहीं । यह वहम है तेरा । पुलिस तुझे तलाशती हुई एक-न-एक दिन तेरे तक जरूर पहुँच जायेगी । फिर तू नहीं बचेगा । फिर तू सिर पटक-पटक कर कितनी भी दुहाई देगा कि यह हत्या तूने नहीं की, तूने नहीं की । तब भी पुलिस को तेरे ऊपर यकीन नहीं आयेगा । आज जो रास्ते तू अपने बचाव के लिये बना रहा है राज, आने वाले दिनों में वही रास्ते तेरी मुकम्मल तबाही के, बर्बादी के कारण बन जायेंगे ।”

“त...तू कहना क्या चाहती है ?”

“मैं सिर्फ यह कहना चाहती हूँ, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा राज ! तू सभी मूर्तियां और लाश कानून के हवाले कर दे और पुलिस को सब कुछ सच-सच बता दे । तेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा ।”

“कैसे कुछ नहीं बिगड़ेगा ।” राज उत्तेजित हो उठा- “पुलिस क्या इतनी ही सीधी है, जो वह खामोशी से मेरी हर बात मान लेगी ।”

“क्यों नहीं मानेगी ? पहले की और अब की परिस्थिति में फर्क है राज- इस समय तेरे पास बेशकीमती मूर्तियां हैं । अब पुलिस भी यह सोचेगी कि अगर तेरे मन में कोई छल-कपट होता, तो तू यह मूर्तियां ही कानून के हवाले क्यों करता ।”

तू नहीं जानती डॉली !” राज के दिमाग पर लालच पूरी तरह हावी हो चुका था- “पुलिस मेरी इस ईमानदारी का भी कोई नया अर्थ निकाल लेगी । आजकल अपराधियों ने जासूसी उपन्यास पढ़-पढ़कर कानून की आंखों में धूल झोंकने की ऐसी-ऐसी तरकीबें ढूंढ ली हैं कि किसी के लिये भी सही गलत का अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है, ऐसी हालत में मेरी ईमानदारी को भी शक की नजर से देखा जायेगा ।”
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12-05-2020, 12:32 PM,
#15
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डॉली यूं आश्चर्य से राज को देखने लगी, मानो वह आज उसका कोई नया रूप देख रही हो ।

“फिर तू ही सोच डॉली !” राज धाराप्रवाह ढंग से बोलता चला गया- “क्या जिंदगी है हमारी- एक भूखे नंगे, बेघर और गंदे गटर में कुलबुलाते कीड़े जैसी जिंदगी बसर कर रहे हैं हम । जबकि इस समय हम पलक झपकते ही धनवान बन सकते हैं । कहने की जरूरत नहीं, आज के समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा का अधिकारी सिर्फ वही व्यक्ति होता है, जिसके पास दौलत है- ढेर सारी दौलत ! ठण्डे दिमाग से सोच डॉली, हम क्या हैं और क्या बन सकते हैं ? तमाम जिंदगी मेहनत करने के बाद भी हमें समाज में वो पोजिशन हासिल नहीं होगी, जो अब हम पलक झपकते ही हासिल कर सकते हैं । अपने तमाम ख्वाब पूरे करने का इससे बेहतर मौका हमारे हाथ फिर कभी नहीं आने वाला ।”

डॉली टुकुर-टुकुर उसे देखती रही ।

“मैंने क्या कुछ गलत कहा ?”

“ल...लेकिन अगर पुलिस को यह पता चल गया राज !” डॉली बोली- “कि मूर्तियां हड़पने के लिये तूने ही यह लाश ठिकाने लगायी थी, तब तू क्या करेगा ?”

“मगर पुलिस को यह किस तरह पता चलेगा ?” राज ने एक-एक शब्द चबाते हुए पूछा- “पुलिस को क्या आसमान से आवाज आयेगी ? मत भूल डॉली, यह आदमी रीगल सिनेमा के सामने एकाएक मेरी ऑटो रिक्शा में आकर बैठा था, उसके बैठते ही मैंने ऑटो फुल स्पीड से सड़क पर दौड़ा भी दी थी, पुलिस की मोटरसाइकिल तो बाद में पीछे लगी ।”

“लेकिन उन पुलिसकर्मियों ने तुझे रीगल के सामने खड़े तो देखा होगा ?”

“नहीं ।” राज प्रफुल्लित मुद्रा में बोला- “नहीं देखा । मैंने ऑटो ड्राइवरों की हड़ताल के कारण आज अपनी ऑटो घुप्प अंधेरे में खड़ी कर रखी थी, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि किसी की नजर मेरे ऊपर पड़े । आज किस्मत पूरी तरह मेरे साथ थी ।”

“लेकिन एक और बड़ी ख़ास बात तू भूल रहा है राज !”

“कौन-सी बात ?”

“पुलिसकर्मियों ने पीछा करते समय तेरी ऑटो रिक्शा का नम्बर तो नोट किया ही होगा ।”

“नहीं, नम्बर भी नोट नहीं किया ।” राज खुश होकर बोला- “मैंने कहा न, आज किस्मत मेरे साथ थी । मैंने गली में आते ही नम्बर प्लेट देखी थी, उस पर मिट्टी पुती हुई थी । जरूर ऑटो रिक्शा का पहिया किसी गारा से भरे गड्ढे में पड़ गया होगा और फौरन ढेर सारी मिट्टी उछलकर नम्बर प्लेट पर पुत गयी । बहरहाल जो भी हुआ, मेरे हक में बहुत अच्छा हुआ । अगर नम्बर प्लेट पर मिट्टी न पुतती, तो मेरे फंसने के फुल चांस रहते ।”

डॉली बेचैन हो उठी ।

“तू चाहे अपनी बात के पक्ष में कितने ही तर्क दे राज !” डॉली सनसनाये स्वर में बोली- “मगर मुझे लगता है, अगर तूने इन मूर्तियों को हड़पने के लिये कोई भी कदम उठाया, तो तू जरूर किसी भारी मुसीबत में फंस जायेगा । कोई आफत तेरे ऊपर टूटकर गिरेगी, इसके अलावा तू एक बात और नजर अंदाज कर रहा है ।”

“क्या ?”

“यह आदमी शक्ल से ही कोई गुण्डा दिखाई देता है- मुमकिन है कि इसने यह मूर्तियां कहीं से चुराई हों । अगर ऐसा हुआ राज, तो जब तू इन मूर्तियों को बेचने जायेगा, तभी तू फंसेगा ।”

“यह सब बाद की बातें हैं ।” राज मूर्तियां हड़पने के लिये दृढ़ था- “मूर्तियां बेचने के लिये भी कोई-न-कोई ऐसा रास्ता सोच लिया जायेगा, जिसमें कोई खतरा न हो । फिलहाल हमें अपना सारा ध्यान इस बात पर लगाना चाहिये कि लाश को किस तरह ठिकाने लगाया जाये ।”

उन दोनों के बीच थोड़ी देर और बहस चली ।

लेकिन आखिरकार राज ने डॉली को इस बात के लिये तैयार कर ही लिया कि उस लम्बे कड़ियल आदमी की लाश ठिकाने लगाने में ही उनका भला है ।

☐☐☐ ☐☐☐
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12-05-2020, 12:32 PM,
#16
RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
उन दोनों के बीच थोड़ी देर और बहस चली ।

लेकिन आखिरकार राज ने डॉली को इस बात के लिये तैयार कर ही लिया कि उस लम्बे कड़ियल आदमी की लाश ठिकाने लगाने में ही उनका भला है ।

☐☐☐ ☐☐☐

फिर राज ने डॉली की मदद से उस अजनबी आदमी के शव को घर के अंदर से निकालकर ऑटो रिक्शा में लादा ।

वह उन दोनों के लिये बड़े नाजुक क्षण थे ।

डॉली तो लाश को हाथ लगाते हुए भी घबरा रही थी, लेकिन राज के बार-बार के आग्रह के बाद वो इस काम को करने के लिये तैयार हो गयी ।

उस समय रात के 2 बज रहे थे ।

पूरा सोनपुर सन्नाटे में डूबा था ।

राज ने चैन की सांस ली, आज से पहले वो यह कहते हुए नहीं थकता था कि उस मोहल्ले में बेहद पत्थर दिल लोग रहते हैं, रात को कितनी हायतौबा मचती है, वहाँ कैसी-कैसी झड़पें होती हैं, लेकिन क्या मजाल कोई अपनी खिड़की में से भी झांककर देख ले ।

वहाँ कोई मरता है तो मर जाये, उनकी बला से ।

मगर आज राज के दिल से दुआयें निकल रही थीं । अगर आज उसकी नगाड़े जैसी चीख सुनकर वहाँ डॉली के अलावा कोई और आ धमकता, तो वह गया था दो के भाव । फिर वह मूर्तियों का वारिस तो क्या बनना था, उल्टे उसे हत्या के अपराध में जेल के अंदर चक्की और पीसनी पड़ती ।

बहरहाल अभी तक नसीब उसके साथ था ।

उसने खून से रंगे कपड़े उतारकर नये धुले हुए कपड़े पहने ।

उसके बाद खून से रंगे कपड़ों पर कैरोसीन ऑयल डालकर उसने उनमें आग लगा दी और राख को नाली के रास्ते बहा दिया ।

डॉली ने भी एक महत्वपूर्ण काम किया ।

उसने पहले पानी तथा फिर डेटॉल की मदद से फर्श पर लगे खून के धब्बों को अच्छी तरह साफ कर डाला ।

जबकि राज ने आनन-फानन में अजनबी की जेबों से अपने फिंगर प्रिंट भी मिटा दिये थे ।

फिर ऑटो की नेम प्लेट पर लगी मिट्टी भी साफ की, ताकि उसी एक प्वाइंट की वजह से वो कहीं फंस न जाये ।
बहरहाल राज जैसे सीधे-सादे आदमी से जितनी उम्मीद की जा सकती है, उसने उससे कहीं ज्यादा काबिलियत का परिचय देते हुए सबूत मिटाये ।

अजनबी को ऑटो रिक्शा में लादते समय उन दोनों ने अपने हाथों में दस्ताने पहन लिये ।

अजनबी क्योंकि लम्बी-चौड़ी कद काठी वाला आदमी था, इसलिये टांगें वगैरह मोड़कर वह बड़ी मुश्किल से ऑटो रिक्शा की पिछली सीट पर सेट हो गया ।

लाश के ऊपर एक मोटा कम्बल डाल दिया गया ।

फिर डॉली बेहद खौफजदा मुद्रा में लाश के पहलू में इस तरह बैठ गयी, जैसे वह लाश, लाश न होकर कोई मरीज हो और वह उस मरीज की कोई सगी-सम्बन्धी हो ।

अगले पल ऑटो तूफानी गति से सड़क पर दौड़ पड़ी ।

अब राज की आंखों के सामने रात के काजली अंधेरे में डूबी काली कोलतार की वीरान सड़क थी, जो मूसलाधार बारिश होने की वजह से शीशे की तरह चमक रही थी ।

और उसकी आंखों में सपने थे ।

सुनहरी सपने ।

राज ने देखा, उसकी और डॉली की शादी हो रही है ।

उनके पास एक बड़ा घर है ।

शानदार गाड़ी है ।
आगे-पीछे नौकर-चाकर हैं ।
वह खुश है ।
बेहद खुश ।
राज सपने देखता रहा, ऑटो रिक्शा अपना फासला तय करती रही ।

☐☐☐
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12-05-2020, 12:32 PM,
#17
RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
तभी संकट की शुरुआत हुई ।
पिक! पिक!

पीछे से आती सायरन की आवाज को सुनकर राज चौंका ।
सारे सपने एक झटके में बिखर गये ।

उसने पीछे गर्दन घुमाई और गर्दन घुमाते ही मानो एक साथ हजारों बिच्छुओं ने उसे डंक मार दिया था ।

“प...पुलिस !” राज के मुँह से चीख निकली ।

“पुलिस” का नाम सुनकर डॉली के भी होश उड़ गये ।

पीछे फ्लाइंग स्क्वॉयड की एक नीली जिप्सी सायरन बजा-बजाकर ऑटो रिक्शा को रोकने का आदेश दे रही थी ।

“य...यह पुलिस हमारा पीछा क्यों कर रही है ?” डॉली ने बदहवासों की तरह पूछा ।

“म...मुझे क्या मालूम ।” राज के जिस्म का एक-एक रोआं खड़ा हो गया ।

“जरूर उन्हें यह पता चला गया है, हमारी ऑटो में लाश है ।”

“लेकिन उन्हें कैसे पता चल सकता है ?”

“य...यह तो वही बेहतर जाने ।” डॉली कंपकंपाये स्वर में बोली- “मगर हंड्रेड परसेंट उन्हें हमारी हरकत के बारे में मालूम हो गया है । मैं तेरे से पहले ही बोलती थी, राज इस चक्कर में मत पड़ ! मत पड़ ! फंस जायेगा । मगर नहीं, तब तो तुझे धनवान बनने का बड़ा शौक चढ़ा हुआ था ।”

“बेकार की बात मत कर डॉली ।” राज झुंझला उठा, पहले ही उसका दहशत के मारे बुरा हाल था, उसके जिस्म से पसीने की धारायें बह निकली थीं ।

उसने ऑटो रिक्शा की स्पीड और बढ़ा दी ।

ऑटो अब आंधी-तूफान की तरह सड़क पर दौड़ने लगी और उससे भी कहीं ज्यादा तेजी से दौड़ रहा था उस समय राज का दिमाग ।
दिमाग !

जो उस एकाएक गले पड़ी मुसीबत से छुटकारा पाने की कोई नायाब तरकीब सोच रहा था ।

“म...डॉली ।” राज आंदोलित लहजे में बोला- “म...मेरी बात ध्यान से सुन ।”

“क...क्या बात ?”

“पुलिस से बचने का मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है, तू कम्बल ओढ़कर लाश के ऊपर लेट जा । जल्दी । फौरन ।”

पसीने छूट गये डॉली के- “य...यह क्या कह रहा है तू ?”

“बहस मत कर ।” राज चिल्ला उठा- “पुलिस की जिप्सी नजदीक आती जा रही है, जैसा मैं कह रहा हूँ, जल्दी वैसा कर । वरना आज हम दोनों का फंसना तय है ।”

“ल...लेकिन लाश के ऊपर लेटने से ही क्या हो जायेगा ?” डॉली की आंखों में मौत नाच रही थी ।

उसकी हवा खुश्क थी ।

“लाश के ऊपर लेटने के बाद यह भी पता चल जायेगा कि क्या होगा, इसलिये जल्दी कर ।”

उन दोनों की आपसी बहस किसी ठोस नतीजे तक पहुँच पाती, उससे पहले ही पुलिस की नीली जिप्सी जोर-जोर से सायरन बजाती हुई ऑटो रिक्शा के पहलू में से गुजरी और फिर सड़क के बिल्कुल बीचों-बीच ऑटो के सामने जाकर खड़ी हो गयी।

हाथ-पांव फूल गये राज के ।

उसने फौरन ब्रेक अप्लाई किये ।

फिर भी ऑटो रिक्शा के पहिये किर्र-किर्र की भयानक आवाज करते काफी दूर तक घिसटते चले गये और एक्सीडेंट होते-होते बचा ।

उसी पल डॉली भी हरकत में आ गयी ।

वह एकदम दहशत के वशीभूत होकर लाश के ऊपर जा पड़ी थी । लाश के ऊपर गिरते ही उसने झट से लाश पर पड़ा कम्बल खींच लिया था और फिर उस कम्बल से अपने आपको तथा लाश को अच्छी तरह ढक लिया ।

अब वह लाश के एकदम ऊपर थी ।

अजनबी की गोद में ।

उधर जिप्सी के रुकते ही उसमें से धड़ाधड़ तीन पुलिसकर्मी नीचे कूदे ।

वह शक्ल-सूरत से ही शैतान नजर आ रहे थे ।

नीचे कूदते ही वह ऑटो रिक्शा की तरफ बढ़े ।

राज ने देखा, उनमें जो सबसे आगे था, वह एक बड़े खतरनाक मुखमण्डल वाला सब-इंस्पेक्टर की रैंक का पुलिसकर्मी था, जबकि उसके पीछे-पीछे आने वाले दोनों पुलिसकर्मी हवलदार थे ।

राज ऑटो रिक्शा की ड्राइविंग सीट से कुछ और ज्यादा चिपककर बैठ गया तथा अपने होने वाले खौफनाक अंजाम की कल्पना से ही थर-थर कांपने लगा ।

तब तक वह तीनों उसके करीब आ चुके थे ।

“क...क्या हुआ साहब?” राज ने मरियल-सी जबान में पूछा ।

“बाहर निकल साले !” सब-इंस्पेक्टर की हथौड़े जैसी आवाज ने सीधे उसके दिमाग पर चोट की- “बाहर निकल ।”

थरथरा उठा राज ।

हाथ-पैर कीर्तन करने लगे ।

“ल...लेकिन बात क्या है साहब ?”

“सुना नहीं हरामी !” सब-इंस्पेक्टर ने चिंघाड़ते हुए आगे झुककर उसका गिरेहबान पकड़ लिया- “सुना नहीं, मैं क्या कह रहा हूँ ।”
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12-05-2020, 12:32 PM,
#18
RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
“म...मगर... ।”

राज के मुँह से निकलने वाले आगे के तमाम शब्द एक लम्बी चीख में परिवर्तित हो गये, क्योंकि गुस्से में भिन्नाते हुए उस सब-इंस्पेक्टर ने राज को न सिर्फ बाहर पकड़कर खींच लिया था बल्कि बाहर खींचते ही उसने धड़ाधड़ उसके मुँह पर तीन-चार ऐसे झापड़ भी जड़े कि वो चीखते हुए घड़ी के पेंडुलम की तरह दायें-बायें झूल गया ।

“जबान चलाता है साले ! अपने बाप से जबान चलाता है ।” उसने एक झापड़ और जड़ा ।

बिलबिला उठा राज ।
उसकी आंखों के गिर्द अनार-पटाखे से छूटने लगे ।

“ल...लेकिन मेरा कसूर तो बोलो साहब ?” राज ने फरियाद की- “म...मेरा अपराध क्या है ?”

“तुझे अपना अपराध नहीं मालूम साले ।” सब-इंस्पेक्टर ने उसे कहर बरपा करती नजरों से घूरा- “तुझे अपना कसूर नहीं मालूम ।”

धड़ाधड़ दो झापड़ बड़े कसकर उसकी कनपटी पर पड़े ।
राज की रुलाई छूटते-छूटते बची ।

“उल्लू के पट्ठे !” सब-इंस्पेक्टर ने उसके बाल पकड़कर झंझोड़े- “इतनी तेज ऑटो रिक्शा चला रहा था, हवाई जहाज बना रखा था इसे और ऊपर से पूछता है मेरा अपराध क्या है, मेरा कसूर क्या है ?”

सब-इंस्पेक्टर ने गुस्से में भिन्नाकर उसके पेट में इतनी जोर से घुटना मारा कि वह हलकाये कुत्ते की तरह डकरा उठा ।

सचमुच बड़ा कड़क पुलिस वाला था ।

फिर यह सोचकर राज को राहत मिली कि मामला स्पीडिंग के चालान का था, लाश वगैरह का नहीं ।

“ल...लेकिन इसमें मेरी क्या गलती है साहब ?” राज रुंधे हुए स्वर में कलपते हुए बोला ।

“अच्छा, इसमें तेरी गलती कुछ नहीं ।” सब-इंस्पेक्टर ने उसे भस्म कर देने वाली नजरों से घूरा- “ऑटो रिक्शा को आंधी तूफान बना रखा था, पुलिस सायरन की आवाज भी तुझे सुनाई नहीं दे रही थी, लेकिन फिर भी तेरी कुछ गलती नहीं ।”

“साहब, मेरे पास एक इमरजेन्सी केस है ।” राज आहत स्वर में बोला- “इसी वजह से मैं ऑटो आंधी-तूफान बनाकर चला रहा था ।”

“इमरजेन्सी, कैसी इमरजेन्सी ?”

“एक लड़की की जान खतरे में है साहब ।”

सब-इंस्पेक्टर ने फौरन अपने हाथ में मौजूद टॉर्च का प्रकाश ऑटो रिक्शा की पिछली सीट पर डाला, डॉली मुँह खोले पड़ी थी । अलबत्ता कम्बल से उसने लाश को बड़े करीने से ढक रखा था ।
“अ...आह ।”

मुँह पर टॉर्च का प्रकाश पड़ते ही डॉली दर्द भरे अंदाज में से कराही, उसने इमरजेन्सी वाली बात शायद सुन ली थी ।

“क्या हआ है इसे ?” लड़की को बीमार हालत में देखा सब-इंस्पेक्टर के तेवर कुछ ढीले पड़े ।

“पेट से है साहब ! दाई ने बोला है कि केस सीरियस है, इसलिए इसे फौरन हॉस्पिटल ले जाओ ।”

“अगर यह बात है, तो पहले क्यों नहीं बताया ?” सब-इंस्पेक्टर चीखा ।

“अ...आपने बोलने का मौका ही कहाँ दिया साहब, अ... आप तो- आप तो एकदम से... ।”

“ठीक है-ठीक है ।” सब-इंस्पेक्टर ने फिर से आंखें लाल-पीली की- “ल...लेकिन यह तो कुछ ज्यादा ही मोटी नजर आ रही है ।”

“व...वो क्या है साहब ।” राज जल्दी से बोला- “य...यह पेट से है न, इ...इसीलिए देखने में ऐसा लगता है ।”

“ओह ! ओह !!” सब-इंस्पेक्टर मुस्कराया ।

उसी के साथ दोनों हवलदार भी हो-हो करके हँसे ।

“अब मैं जाऊं साहब ?” राज ने व्याकुलता दर्शाई- “जितना ज्यादा लेट होऊंगा, उतना ही केस बिगड़ेगा ।”

“ठीक है, जाओ । और सुनो!” सब-इंस्पेक्टर कठोर लहजे में बोला- “आज तो मैंने तुम्हें एमरजेन्सी की वजह से छोड़ दिया है, लेकिन अगर आइन्दा फिर कभी तुमने फ्लाइंग स्क्वॉयड के सायरन की आवाज सुनकर भी ऑटो रिक्शा न रोकी, तो फिर तुम्हारी खैर नहीं । समझे ।”

“स...समझ गया साहब ! समझ गया ।”

“अब दफा हो जाओ यहाँ से ।”

राज तुरन्त ऑटो लेकर वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गया ।
उसे ऐसा लगा, मानो जान बची और लाखों पाये ।

☐☐☐
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12-05-2020, 12:33 PM,
#19
RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
सुबह के 5 बजे का समय ।

यह वो समय होता है, जब मॉर्निंग वॉक के लिये लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकलते हैं ।

लेकिन उस दिन की शुरुआत बड़े ही सनसनीखेज ढंग से हुई, इंडिया गेट के आसपास चहलकदमी करते लोगों का जमघट एकाएक अमर जवान ज्योति के नजदीक वाली झाड़ियों के आसपास लग गया था ।

जमघट लगने का कारण था, घनी झाड़ियों में एक लाश का पाया जाना ।

अजनबी की क्षत-विक्षिप्त लाश को सबसे पहले कारपोरेशन के एक माली ने देखा, जो सूरज निकलते ही झाड़ियों की कंटाई-छंटाई के वास्ते रोजाना वहाँ आता था ।

झाड़ियों में लाश देखते ही उसने गला फाड़-फाड़कर चिल्लाना शुरू कर दिया ।
परिणामस्वरूप वहाँ भीड़ जमा हो गयी।

यह भी बड़ी दिलचस्प बात थी कि राज उस समय खुद भी वहाँ पुलिस और आम लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिये मौजूद था, उसने ट्रेक सूट पहन रखा था और उसके हाव-भाव ऐसे थे, मानो वह भी दूसरे लोगों की तरह ही मॉर्निंग वॉक के लिये निकला हो और लाश की बाबत सुनकर चौंका हो ।

दरअसल रात वह फ्लाइंग स्क्वॉयड दस्ते का सामना करने के बाद इतना घबराया था कि अमर जवान ज्योति के पास सन्नाटा देखकर उसने लाश को वहीं झाड़ियों में फेंक दिया, वरना राज का इरादा तो लाश को किसी ऐसी जगह ठिकाने लगाने का था, जहाँ से वो पुलिस को कई हफ्ते तक बरामद न होती ।

राज जानता था कि उसने लाश ऐसी जगह फेंकी है, जहाँ सुबह होते ही हड़कम्प मच जायेगा, इसलिये वो खुद भी उस हड़कम्प का नजारा करने के लिये वहाँ मौजूद था ।
☐☐☐
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12-05-2020, 12:33 PM,
#20
RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
तभी एकाएक भीड़ में शोर-शराबा सा हुआ और फिर जोर-जोर से सायरन बजाती एक पुलिस जीप घटनास्थल पर आकर रुकी ।

फिर देखते-ही-देखते इंस्पेक्टर योगी अपने पूरे दल-बल के साथ जीप में से कूदा ।

इंस्पेक्टर योगी सत्ताइस-अट्ठाइस साल का एक हृष्ट-पुष्ट नौजवान था । वह इतने दबंग व्यक्तित्व का मालिक था कि अण्डरवर्ल्ड के बड़े-बड़े गुण्डों की उसके नाम से रुह कांपती थी, अपने इसी रौब-दाब के कारण ही वो अभी नया-नया ही सब-इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर बना था और फ्लाइंग स्क्वॉयड के उस दस्ते से सम्बन्धित था, जो सिर्फ हत्या वाले केसों की तफ्तीश करता है ।

इंस्पेक्टर योगी को देखते ही भीड ‘खाई’ की तरह फट गयी । उसके व्यक्तित्व से राज भी प्रभावित हआ और उसके दिल-दिमाग में एक ही सवाल नगाड़े की तरह बजने लगा-

“अब क्या होगा ?”

“अब क्या होगा ?”

उधर योगी जैसे ही अपने सहयोगियों के साथ लाश के नजदीक पहुँचा, तुरन्त एक हवलदार के मुँह से निकला- “अरे यह तो चीना पहलवान है साहब ।”

“च...चीना पहलवान ।”

“वही चीना पहलवान साहब ।” हवलदार बोला- “जो पहले अखाड़े में जाकर पहलवानी करता था, लेकिन फिर धीरे-धीरे जुर्म के पेशे में आ गया और खून-खराबा करने लगा, दिल्ली पुलिस के रिकॉर्ड में इसका नाम काफी ऊपर है साहब ।”

“क...कहीं यह वही चीना पहलवान तो नहीं !” इंस्पेक्टर योगी जल्दी से बोला- “जिसका कई डकैतियों में भी हाथ था ?”

“बिल्कुल सही अंदाजा लगाया साहब, यह वही चीना पहलवान है ।”

“ओह...ओह ।”

इंस्पेक्टर योगी अब धीरे-धीरे स्वीकृति में गर्दन हिलाने लगा ।

उसके बाद पुलिस ने सबूत जुटाने और पंचनामा बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी ।
☐☐☐
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