RE: Vasna Kahani दोस्त के परिवार ने किया बे�...
जब वो झाड़ू लगा रही थी तो मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया. अब मुझे उसके ब्लाऊज़ से उसकी चूची साफ़ दिखाई दे रही थी. मेरा लण्ड फन-फना गया.
रात वाली! माँ जैसी चूची मेरे दिमाग के सामने घूमने लगी कि, तभी डॉली की नज़र मुझ पर पड़ी. मुझे एकटक घूरता देख पकड़ लिया.
उसने एक दबी सी मुस्कान दी और अपना ब्लाऊज़ ठीक कर, अपनी चूचियों को ब्लाऊज़ के अन्दर छुपा लिया. अब वो मेरी तरफ़ पीठ कर के झाड़ू लगा रही थी.
उसके चूतड़ तो और भी मस्त थे. मैं मन ही मन सोचने लगा कि, इसकी गाण्ड में लण्ड घुसा कर चूची को मसलते हुए चोदने में कितना मज़ा आएगा!
बेख्याली में मेरा हाथ मेरे तन्नाए हुए लण्ड पर पहुँच गया और, मैं लुंगी के ऊपर से ही सुपाड़े को मसलने लगा.
तभी डॉली अपना काम पूरा कर के पलटी और, मेरी हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गई.
थोड़ी देर बाद बुआ जी और डॉली हाथ पैर धोकर आए और मुझे कहा कि, चलो राज बेटे खाना खालो. अब हम तीनों खाना खाने बैठ गए.
बुआ जी मेरे सामने बैठी थीं और डॉली मेरे बाईं साईड की ओर बैठी थी. डॉली पालथी मारके बैठी थी और बुआ जी पैर पसारे बैठी थीं.
खाना खाते समय मैंने कहा, बुआ जी आज खाना तो जायकेदार बना है.
बुआ जी ने कहा, मैंने तुम्हारे लिए खास बनाया है. तुम यहाँ जितने राज रहोगे गाँव का खाना खा खा कर और मोटे हो जाओगे!
मैं हँस पड़ा और कहा, अगर ज्यादा मोटा हो जाऊँगा तो मुश्किल हो जाएगी. बुआ जी और डॉली हँस पड़ीं!
थोड़ी देर बाद बुआ जी ने कहा, डॉली तुम खाना खा कर खेत में खाद डाल आना. मैं थोड़ा आराम करूँगी. हम सबने खाना खाया.
डॉली बरतन धोकर खेत में खाद डालने लगी. मैं और बुआ जी चटाई बिछा कर आराम करने लगे. मुझे नींद नहीं आ रही थी.
आज मैं बुआ जी या डॉली को चोदने का विचार बना रहा था. विचार करते करते कब नींद आ गई! पता ही नहीं चला.
जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे. मैंने देखा कि, मेरा मोटा लण्ड तन कर कड़क हो कर खड़ा था और लुंगी से बाहर निकल कर मुझे सलामी दे रहा था.
इतने में बुआ जी कमरे में आईं. मैंने झट से आँखें बंद कर लिया.
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