Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
02-12-2022, 01:26 PM,
#61
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
रमेश : अच्छा पायल बेटी, जरा चाय तो पिला दो पापा को.

कुछ-कुछ तो पायल भी समझने लगी थी की पापा पूरा समय ले कर ही उसकी बूर का उद्घाटन करेंगे. वो भी उस्कुराते हुए कहती है.

पायल : जी पापा, अभी बना देती हूँ.

रमेश : (मुस्कुराते हुए) अच्छे से दूध डालना बेटी. पता है ना की मैं घर के दूध की ही चाय पीता हूँ.

पायल : हाँ पापा, जानती हूँ.

पायल भी मुस्कुराते हुए रसोई की तरफ बढ़ने लगती है. पीछे से रमेश उसकी चुतड देख के मदहोश होने लगता है. रसोई में पहुँच कर पायल गैस पर बर्तन चढ़ाती है और उसमे दूध, चीनी और चाय की पत्ती डालती है. फिर वो पीछे मुड़ के देखती है तो पापा उसे मुस्कुराते हुए देख रहे है. वो भी मुस्कुराते हुए अपने दोनों हाथों से नाईटी पर से अपने दोनों मोटे दूध दबा कर चाय के बर्तन पर के ऊपर कर देती है. फिर वो जान बुझ कर अपने दोनों मोटे दूध दबाने लगती है. दबाते हुए वो अपने आप ही मुस्कुराने लगती है. तभी उसकी बगलों के निचे से दो मजबूर हाथ उसके दोनों दूधों को दबोच लेते है. वो चौक कर पीछे मुडती है तो पापा मुस्कुराते हुए उसके दूधों को पीछे से दबोचे हुए खड़े है.

रमेश : इतनी कंजूसी क्यूँ कर रही हो पायल? अपने पापा को काली चाय पिलाने का इरादा है क्या?

पायल : (शर्माते हुए) ऐसी बात नहीं है पापा. मैं तो बस दूध डाल ही रही थी.

रमेश : कोई बात नहीं बेटी. अब मैं आ गया हूँ तो खुद ही डाल लूँगा.

ये कहकर रमेश अपने हाथों को नाईटी के बड़े गले में घुसा देते है और पायल के मोटे दूधों को पकड़ के बहार निकाल देते है. पायल के दोनों दूध को पकडे हुए वो उसे चाय के बर्तन के ऊपर जोर-जोर से दबाने लगते है. यूँ तो पापा कई बार पायल के दूध को दबाया था पर आज उसे अलग ही मजा आ रहा था. वो अपनी आँखे बंद किये और ओठों को दाँतों से काटते हुए पापा से अपने दूध दबवाने लगती है.

रमेश : १-१ लीटर के दूध ले कर घर में घुमती रहती है और पापा की चाय में दूध डालने में कंजूसी करती है.....बदमाश...!!

पायल : आह..! सॉरी पापा..!! अब आप ही डाल लीजिये जितना दूध डालना है.

रमेश : हाँ पायल...आज तो मैं तेरी दोनों दूध की थैलियाँ खाली कर दूंगा.

रमेश पायल के दूध को जोर-जोर से दबा रहे थे और बीच-बीच में वो उसके निप्प्लेस को भी मसल देते थे. पायल सिस्कारियां भरते हुए मजे ले रही थी. पीछे से पापा उसकी चौड़ी चुतड पर २-३ ठाप भी मार देते. पायल तो मानो मोम की तरह पिघलने ही लगी थी. तभी रमेश उसके दूध से हाथ हटा लेते है. पायल की आँखे भी खुल जाती है.

रमेश : अच्छा बेटी तुम चाय बनाओ मैं जरा अपना काम कर लेता हूँ.

ये बोल कर रमेश वहां से चले जाते है. पायल एक लम्बी सांस लेती है. पापा की इस हरकत ने तो उसकी कच्ची चिपचिपी कर दी थी. वो पीछे मुड़ के पापा को देखती है तो रमेश टेबल पर से शीलाजीत की शीशी उठा कर अपने कमरे की तरफ जा रहे थे. पायल उन्हें देख कर कुछ सोचती है फिर धीरे से उनके कमरे की तरफ चल देती है. दरवाज़े के पास पहुँच कर वो धीरे से अन्दर देखती है तो पापा शीलाजीत की शीशी से २ गोलियां निकालकर अपने मुहँ में डाल रहे थे. रमेश पानी पीने लगते है तो पायल की नज़र टेबल पर राखी दो शीशियों पर पड़ती है. एक शीशी तो वो पहचानती थी जो शीलेजीत की थी पर दूसरी शीशी वो पहली बार देख रही थी. वो गौर से देखती है तो शीशी पर अंग्रेजी में लिखे अक्षर साफ़ होने लगते है. "VIAGRA" - ये नाम पढ़ते ही पायल की आँखे बड़ी-बड़ी हो जाती है. उसकी दिल की धड़कन अचानक से तेज़ होने लगती है. तभी रमेश दूसरी शीशी से १ गोली निकाल कर मुहँ में डाल लेते है और पानी पीने लगते है. पायल धीमे क़दमों से चुप-चाप रसोई में चली आती है. रसोई में आ कर वो अपनी तेज़ साँसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगती है.

"बापरे...!! शीलाजीत और वियाग्रा दोनों एक साथ. पता नहीं आज मेरी बूर का क्या हाल होगा", पायल मन ही मन सोचती है. गैस को धीमा कर वो छत की सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगती है. उसके दिमाग में आगे क्या होने वाला है यही बातें लगातार घुमने लगती है. छत पर पहुँच कर वो सूखे कपड़ों को ले कर निचे आती है. कुर्सी पर कपड़ों को रख कर वो चाय के बर्तन को गैस से उतार कर चाय कप में डाल देती है. तब तक रमेश भी सोफे पर आ कर बैठ जाते है. पायल कप ले कर मुस्कुराते हुए पापा के पास जाती है और झुक कर चाय देते हुए कहती है.

पायल : पापा आपकी चाय.

रमेश भी चाय का कप लेते हुए अपननी गर्दन ऊपर-निचे करते हुए, पायल के मोटे दूध के बीच की गहराई का जायेज़ा लेने लगते है. जब पायल ये देखती है तो वो भी अपना सीने बहार निकाल देती है और पापा को पूरा नज़ारा अच्छे से दिखा देती है. गहराई का अच्छे से जायेज़ा लेने के बाद रमेश कहते है.

रमेश : बहुत बढियाँ पायल बेटी. (चाय की चुस्की लेनेते हुए) वाह...!! मजा आ गया...बहुत अच्छी बनी है चाय.

पायल : मेरी तारीफ़ क्यूँ कर रहे हो पापा? दूध तो आपने अपने हाथों से ही डाला हैं ना.

पायल की इस बात पर रमेश जोर से हँस देते है. पायल पापा के ठीक सामने वाले सोफे पर बैठ जाती है. रमेश मुस्कुरा कर कहते है.

रमेश : आराम से बैठो पायल बेटी.

पापा की बात समझ कर पायल मुस्कुराते हुए अपने दोनों पैरों को सोफे पर रख लेती है और पूरा खोल देती है. मोटी जाँघों के बीच फूली हुई बालों वाली बूर के बीच घुसी हुई लाल कच्छी देख कर रमेश का मन डोलने लगता है. बूर की फांक में कच्ची घुसी हुई है और आगे से पूरी गीली हो चुकी है. ये इस बात का संकेत था की पायल अब धीरे-धीरे तैयार हो रही थी. अब रमेश भी अपनी दोनों टाँगे सोफे पर रख कर आगे से धोती ऊपर कर के बैठ जाते है. उनका तगड़ा लंड पायल की आँखों के सामने किसी खूंटे की तरह खड़ा था. पापा के लंड को देख कर पायल की बूर और भी ज्यादा पानी छोड़ने लगती है. वो एक बार अपनी टांगो को मिला कर धीरे से जांघों को आपस में रगड़ देती है और फिर से टाँगे खोल कर बैठ जाती है. रमेश मुस्कुराते हुए टीवी का रिमोट लेते है और टीवी चालू करते है. वो जान बुझ कर 'भोजपुरी तड़का' चैनल लगाते है जिसमे दो अर्थों वाले बेहद ही उत्तेजक गाने चलते है.

'भोजपुरी तड़का' चैनल के लगते ही टीवी पर एक लड़की को, जिसने एक कसी हुई चोली और छोटा सा लहंगा पहना हुआ है, चार लोग उसे खाट पर लिए चले आ रहे है. पायल बड़ी-बड़ी आँखे कर के पापा की तरफ देखती है तो वो मुस्कुरा देते है. पायल भी मुस्कुरा देती है और दोनों बाप बेटी टीवी की ओर देखने लगते है. चरों मर्द खाट को निचे रख देते है तो वो लड़की अपना घुन्गत उठा देती है. रमेश और पायल झट से पहचान लेते है की वो भोजपुरी जगत की मशहूर आइटम गर्ल सीमा सिंह है. वो अपने बड़े-बड़े दूध हिलाते हुए नाचने लगती है और गाना शुरू होता है.

" करेला चीत जहिया खाके शीलाजीत हो..ssss
देखी के मूड ओकर होनी भयभीत हो..ssss"

गाने की ये पंक्तियाँ सुनते ही पायल झट से पापा की तरफ बड़ी-बड़ी आँखे कर के देखने लगती है. रमेश भी पायल को देख कर मुस्कुरा देते है. गाने की ये पंक्तियाँ उस वक़्त पायल की हालत पर एक दम सही बैठ रही थी. वो पापा को देखते हुए एक बार अपने ओंठ काट लेती है और फिर टीवी की तरफ देखने लगती है. गाना आगे बढ़ता है.

" करेला चीत जहिया खाके शीलाजीत हो..ssss
देखी के मूड ओकर होनी भयभीत हो..ssss"
धड्केला ढुकुर-ढुकुर छाती रे...ssss
हमके मुआवेला, कमर मूचकावे दादा....
सेजिया पे बालम देहाती रे..ssss.... "

गाना सुन कर पायल की छाती भी ढुकुर-ढुकुर धड़कने लगती है. पापा को देख कर पायल को ऐसा लगता है की शीलाजीत खाने के बाद वो भी उसे इसी तरह बिस्तर पर लेटा कर उस पर चढ़ जायेंगे और अपनी कमर हिलाएंगे. टीवी पर गाना चल रहा है और पायल की नज़र पापा पर ही है. रमेश भी गाना सुनते हुए पायल को ही देख रहे है. तभी गाने की पंक्तियाँ फिर से चलती है.

" हमके मुआवेला, कमर मूचकावे दादा.... "

इस पंक्ति पर रमेश अपनी कमर को हल्का सा सोफे से उठा कर २ बार झटके दे देते है तो पायल भी बैठे हुए अपनी टाँगे और ज्यादा खोल देती है. इस गाने ने बाप-बेटी के बीच की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ा दी थी.

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02-12-2022, 01:27 PM,
#62
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
अपडेट ३०:

गाने के खत्म होते-होते पायल पूरी तरह से गरमा चुकी थी. उसकी बूर रिसने लगी थी. ऊपर से पापा का गधे जैसा लंड उसे पागल कर रहा था. वियाग्रा और शीलाजीत भी अपना कमाल दिखाने लगे थे. रमेश का लंड फूल के मोटा हो चूका था और नसें पूरी तरह से उभर के दिखने लगी थी. रमेश ने जब लंड की चमड़ी को खींच कर निचे कर दिया और लंड के मोटे टोपे को पूरी तरह से बाहर निकाल दिया तो पायल की हालत खराब हो गई. रमेश का लंड पहले से भी कहीं ज्यादा मोटा हो चूका था. पापा के लंड को देख कर पायल कच्छी के ऊपर से अपनी बूर रगड़ने लगी थी. ये देख कर रमेश ने अपने हाथों को कमर पर ले गए और एक झटके के साथ धोती की गाँठ खोल दी. धोती सामने से खुल कर सोफे पर गिर गई. अब रमेश सोफे पर पड़ी धोती पर नंगे अपना लंड खड़ा किये बैठे थे. रमेश के एक इशारे पर पायल किसी कटी पतंग की तरह लहराती हुई उनके पास आ जाती है. सामने खड़ी पायल की कमर को पकड़ के रमेश उसे घुमा देते है जिस से पायल की चुतड उनकी तरफ हो जाती है. रमेश पायल की कमर को पकडे हुए अपने मोटे लंड पर बिठाने लगते है. पायल अपने पैरो को घुटनों से मोड़े धीरे-धीरे उनके लंड पर बैठने लगती है. रमेश का लंड पायल को चूतड़ों के बीच घुस जाता है और पीछे पायल की कच्छी में चला जाता है. कच्छी के अन्दर चूतड़ों के बीच रगड़ खाता हुआ रमेश का लंड ऊपर कच्छी से बहार निकल कर पायल की कमर से चिपक जाता है. अब पायल रमेश की गोद में बैठी है और पीछे पापा का लंड उसकी कच्छी में घुसा हुआ है. रमेश पायल के चूतड़ों के बीच की गर्माहट अपने लंड पर साफ़ महसूस कर रहे थे.

पायल जैसे ही आंख्ने बंद किये पीछे हो कर अपनी पीठ पापा की छाती पर टिकाती है, रमेश दोनों हाथों को उसकी नाईटी में घुसा के दोनों दूध दबोच लेते है. दोनों दूध हाथों से मसलते हुए रमेश कहते है.

रमेश : मजा आया बिटिया ये गाना सुन कर ?

पायल : सीईईईईइ...!! हाँ पापा...बहुत मजा आया.

रमेश : सीमा सिंह अच्छा नाच लेती है ना बेटी ?

पायल : हाँ पापा... पर मैं तो सीमा सिंह से भी अच्छा नाचती हूँ.

पायल की बात सुन कर रमेश जोर से उसके दूध दबा देते है.

रमेश : (जोर से दूध दबाते हुए) अच्छा..!! सीमा सिंह से भी अच्छा नाच लेती है मेरी पायल ?

पायल : सीईईइ.....!! हाँ पापा....!!

रमेश : देखा था ना बेटी, सीमा सिंह कैसे अपने दूध हिला-हिला कर नाच रही थी. तू नाच पाएगी वैसा?

पायल : हाँ पापा...!! वो तो सिर्फ दूध हिला रही थी. मैं तो अपना सब कुछ हिला कर नाचूंगी.

पायल की इस बात पर रमेश अपने लंड उसकी चूतड़ों के बीच रगड़ देते है.

रमेश : तो फिर देर किस बात की बेटी. दिखाओ अपने पापा को नाच कर.

पायल : लेकिन पापा मैं उस गाने पर नहीं नाचूंगी.

रमेश : तो फिर किस गाने पर नाचेगी मेरी बेटी ?

पायल : गाना वही होगा पापा, पर मैं अपने अंदाज़ में गाऊँगी.

रमेश : ठीक है बेटी. देखते हैं की तू सीमा सिंह को टक्कर दे पाती है या नहीं.

तभी दरवाज़े की घंटी बजती है. रमेश और पायल एक साथ हडबडा जाते है. रमेश का लंड पायल की कच्छी में पीछे से घुसा हुआ था. पायल झटके से खड़ी होने लगती है तो कमर की एक तरफ बंधी कच्छी की डोर खुल जाती है और कच्छी रमेश के मोटे लंड पर ही फंसी रह जाती है. पायल जैसे ही खड़ी होती है तो उसे इस बात का एहसास होता है की उसकी कच्छी पापा के लंड में ही फंसी रह गई है. वो खुल मुहँ पर हाथ रखे पापा की तरफ घुमती है और देखती है की उसकी कच्छी पापा के लंड पर फंसी पड़ी है और पापा उसे देख कर मुस्कुरा रहे है. अब पायल के बदन पर सिर्फ वो छोटी से नाईटी ही रह गई थी. पायल रमेश से कहती है.

पायल : पापा लगता है कोई आया है. मेरी कच्छी तो आपके लंड में ही फंसी रह गई है. आप देखिये ना कौन है.

रमेश खड़े हो कर पायल की कच्ची को एक बार सूंघते है फिर अपनी धोती को को अच्छे से लपेट कर अपने खड़े लंड को छुपाते हुए दरवाज़ा खोलने जाने लगते है. पायल दौड़कर रसोई में चली जाती है. रमेश दरवाज़ा खोलते है तो सामने एक आदमी कुछ सामान लिए खड़ा था. रमेश उस आदमी से सामान लेते है और दरवाज़ा बंद कर देते है. दरवाज़े के बंद होते ही पायल अन्दर से पूछती है.

पायल : कौन था पापा?

रमेश : अरे कोई नहीं बेटी, कूरियर वाला था.

पायल रसोई से झाँक कर देखती है तो रमेश घर के सारे खिड़की और दरवाज़े बंद कर के पर्दा गिरा रहे है. पायल समझ जाती है की पापा किस चीज़ की तैयारी कर रहे है. वो भी रसोई की खिड़की बंद करने लगती है. बहार की तरफ खुली हुई खिड़की को हाथों से अन्दर खीच कर पायल जैसे ही बंद करती है, उसे अपनी चूतड़ों के बीच गर्म और लोहे सी सक्त कोई बेहद मोटी चीज़ महसूस होती है. पायल को समझने में एक क्षण भी नहीं लगता की वो कुछ और नहीं उसके पापा का मोटा लंड है. रमेश पायल के पीछे खड़े हो कर अपना मोटा लंड उसकी चूतड़ों के बीच घुसा रहे थे. लंड चूतड़ों के बीच रगड़ खाता हुआ जांघों के बीच पायल की बूर को चूमता हुआ आगे निकल जाता है. पायल नज़रे निचे कर के देखती है और उसे पापा के लंड अपनी जाँघों के बीच से निकला हुआ दिखाई देता है जिसका टोपा फूल कर बेहद मोटा और लाल हो गया है. पीछे से रमेश पायल से चिपक भी जाते है और अपने दोनों हाथों से उसके दूध मसलते हुए कहते है.

रमेश : अब नाचेगी ना मेरी बेटी पापा के सामने ?

पायल : सीईईई....!! हाँ पापा..!!

रमेश : बेशर्म बन के नाचेगी ना? शर्माएगी तो नहीं ?

पायल : उफ़...!! हाँ पापा...!! सीईईईइ...!! बिलकुल भी नहीं शर्माउंगी. पूरी बेशर्म बन के नाचूंगी आज.
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02-12-2022, 01:27 PM,
#63
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
पायल की इस बात पर रमेश पीछे से पायल की कमर पकड़ के उसकी चूतड़ों पर ऐसी जोरदार ठाप मारता है पायल के दोनों पैर ज़मीन से ही उठ जाते है. रमेश का लंड पायल की बूर की फाक में रगड़ खा रहा था और बूर के दाने को अच्छी तरह से सहला रहा था. पायल की बूर अब पानी छोड़ने लगी थी. कुछ देर वैसे हे रगड़ने के बाद रमेश पीछे हट्टे है और अपने लंड को सहलाते हुए सोफे की तरफ बढ़ने लगते है. पायल पापा को देखती है. कसा हुआ नंगा बदन और आगे १२ इंच लम्बा और ३.५ इंच मोटा लंड लिए रमेश सोफे पर टाँगे ऊपर कर के बैठ जाते है. उनकी टाँगे खुली हुई है और लंड सीध खड़ा है. रमेश और पायल की नज़रे मिलती है तो पायल किसी बेशरम लड़की की तरह इठलाती हुई चलकर पापा के सामने खड़ी हो जाती है. दोनों हाथो को उठा के वो अपने बालों को एक अदा के साथ जब पीछे करती है तो उसकी बगलों में घने बालों को देख कर रमेश अपना लंड पकड़ कर एक बार दबा देते है. बालों को पीछे कर पायल सामने वाले सोफे पर टाँगे ऊपर कर लेती है और आपस में जोड़ कर बैठ जाती है. एक बार हवस भरी नज़रों से पापा को देखने के बाद पायल गाना गाने लगती है.

पायल झटके के साथ सोफे पर कंधे के बल लेट जाती है और निचे वाले हाथ से सर को सहारा देते हुए पापा की तरफ देख कर गाती है, - " करेला चीत पापा खाके शीलाजीत हो..ssss "
फिर वो पापा के लंड को देखते हुए आगे गाती है, - "देखी के मूड ओकर होनी भयभीत हो..ssss"
फिर वो जहतके के साथ फिर से सोफे पर कूद कर बैठ जाती है और अपने दोनों दूधों को जोर-जोर से हिलाते हुए गाती है, - "धड्केला ढुकुर-ढुकुर छाती रे...ssss "
फिर पायल दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखती है और एक झटके से टाँगे खोल देती है और फिर झट से बंद करते हुए गाती है, - "हमके मुआवेला, कमर मूचकावे दादा.... सेजिया पे पापा देहाती रे..ssss...."

पायल की बालों वाली बूर की एक झलक पा कर रमेश अपने लंड को मसल देते है. फिर पायल अपनी कमर को झटके देते, नाचते हुए पापा के सामने आती है और अपनी पीठ उनकी तरफ करके कमर पर दोनों हाथों को रख लेती है. पापा की तरफ पीठ किये और कमर पर दोनों हाथों को रख कर अपनी चुतड गोल-गोल घुमाते हुए वो पापा के सामने घुटनों को मोड़कर धीरे-धीरे निचे बैठने लगती है और गाती है, - "बाकी दिन से ज्यादा ऊ दुःख हमके दिहला होss.....पाउडर लगाके ढोडी पर चूमा लेला होss..."

चूतड़ों के गोल-गोल घुमने से नाईटी पीछे से उठ जा रही थी और पायल की गोल-मटोल नंगी चूतड़ों के दर्शन रमेश को हो रहे थे. अपने लंड को मसलते हुए रमेश की नज़र पायल की पीठ पर नाईटी के लेस की गाँठ पर पड़ती है. पायल अपनी चूतड़ों को गोल-गोल घुमाते हुए ऊपर उठने लगी थी. रमेश झट से आगे होते है और अपने दाँतों से नाईटी की डोर को पकड़ लेते है. नाईटी की डोर को दांतों से पकडे रमेश पीछे होते है और तभी पायल भी खड़ी हो जाती है. नाईटी को डोर खुल जाती है और पायल की पीठ नंगी हो जाती है. बदन से नाईटी फिसलती हुई ज़मीन पर गिर जाती है. पायल झट से एक हाथ निचे ले जा कर अपनी बूर छुपा लेती है और दुसरे हाथ से अपने दोनों दूध. पीछे मुड़ कर वो पापा को देख कर मुस्कुराती है. रमेश भी अपना लंड पकडे मुस्कुरा देते है.

पायल दोनों हाथों से अपनी बूर और दूध छुपाये रमेश की तरफ घूम जाती है और आगे गाती है, - " बाकी दिन से ज्यादा ऊ दुःख हमके दिहला होss.....पाउडर लगाके ढोडी पर चूमा लेला होss...", ये सुन कर रमेश आगे बढ़ कर पायल की नाभि को चूम लेते है. पायल भी मस्ती में आँखे बंद कर अपने ओंठ काट लेती है. रमेश फिर से लंड पकडे सोफे पर बैठ जाते है.

अब पायल पापा की तरफ पीठ करे ज़मीन पर लेट जाती है. रमेश को पायल की नंगी पीठ और चुतड दिखने लगता है. पायल गर्दन घुमा कर पापा की तरफ देखती है और आँखे मटकाते हुए आगे गाती है, - " (एक हाथ अपनी चुतड पर रख कर) बीतेला रात पूरा एके करवटीयाss... (फिर पापा के खड़े लंड को देखते हुए) खालेला पापा शीलाजीत सारा रतियाss...."

पायल की इस हरकत पर रमेश पायल की चुतड को देखते हुए अपने लंड की चमड़ी खींच कर पूरी पीछे कर देते है. पायल भी उठ कर खड़ी हो जाती है और दोनों हाथों से अपनी बूर छुपा कर पापा की तरफ घूम जाती है. अब उसके मोटे नंगे दूध खुल कर रमेश को दिखने लगते है.

बूर को दोनों हाथों से छुपाये हुए पायल पापा को आँखे मटकाते हुए इशारे करते हुए गाती है, -" जाने कितना पॉवर होला दादा शीलाजीत मेंss... रातभर मदाइल रहे पापा हमरा प्रीत मेंss... "

अपने दोनों नंगे दूधों को जोर-जोर से हिलाते हुए , -" लागे मुआवे तो हो जाए सबेराss....करेला प्यार पापा हमके सबसे ज्यादा ss.....माने ना कितना हम डाटी रेsssss..... "

अब रमेश भी वहां आ कर पायल के पीछे खड़े हो जाते है और अपना लंड उसकी चूतड़ों के बीच घुसा देते है. पायल दोनों हाथों को उठा कर पीछे पापा के गले में डाल देती है और आगे गाने लगती है, - " गर्दा उड़ावेला ...कमर मुचकावे दादाss.... सेजिया पे पापा देहाती रे ss..... "

रमेश पीछे से अपनी कमर आगे-पीछे करते हुए अपने लंड को पायल की चूतड़ों के बीच रगड़ने लगते है . पायल भी मस्ती में गाती हुई अपनी चुतड हिलाने लगती है.

" गर्दा उड़ावेला ...कमर मुचकावे दादाss.... सेजिया पे पापा देहाती रे ss..... "

इस पंक्ति के खत्म होते ही रमेश पायल के चूतड़ों पर एक जोरदार थप मार देते है तो पायल लड़खड़ाती हुई सामने सोफे पर गिर जाती है. सोफे पर गिरी हुई पायल पापा की तरफ घुर कर देख रही है और निचे उसकी जांघे खुली हुई है. जाँघों के खुलने से बूर के ओंठ भी खुल गए थे. पायल की बालों वाली खुली हुई बूर का गुलाबी छेद देख कर रमेश का लंड जोर-जोर से झटके लेने लगा. सोफे पर गिरी पायल अपने हाथों से टाँगे खोले कर बैठ जाती है और पापा को तेज़ साँसे लेते हुए घूरने लगती है.

पायल : कैसा लगा मेरा नाच पापा?

रमेश : बहुत ही अच्छा था पायल बेटी. तुमने तो सीमा सिंह को भी पीछे छोड़ दिया. अब तो मेरी बिटिया रानी को इनाम देना ही पड़ेगा.

ये कहकर रमेश एक बार पायल की आँखों में देखते है फिर उसकी बूर को गौर से देखते है. बूर किसी डबल रोटी की तरह फूल गई है और उसके ओंठ खुले हुए है. बूर के ऊपर और दोनों तरफ घने घुंगराले बाल और बीच में खुले हुए ओंठों के बीच गुलाबी छेद जिसमे से लार बह रही है. रमेश गौर से अपनी बेटी की बूर का ये नज़ारा देखते है और उनके सब्र का बाँध टूट जाता है. वो खड़े होकर कर पायल की बूर को घूरते हुए अपने लंड को एक बार जोर से मुठिया देते है और पायल की तरफ बढ़ने लगते है. पापा को इस तरह से अपनी ओर आता देख पायल की धड़कने तेज़ हो जाती है.

रमेश पायल के पास आते है और उसकी खुली हुई टांगो के बीच निचे ज़मीन पर बैठ जाते है. सोफे पर बैठी पायल की टाँगे खुली हुई है और रमेश ठीक उसकी बूर के सामने आँखे फाड़े बैठे हुए थे. अपनी नाक आगे कर रमेश एक बार जोर से सांस लेते हुए पायल की बूर की गंध सूंघते है. अपनी बेटी की बूर की गंद से रमेश पागल से हो जाते है. दोनों हाथों से पायल की जाँघों को पकड़ को और ज्यादा फैलाते हुए रमेश अपने ओंठों को बूर के ओंठों पर रख देते है और अपनी जीभ बूर में ठूँस देते है. पापा की जीभ अपनी बूर में महसूस करते ही पायल मस्ती में आ जाती है. आँखे बंद किये वो सिसियाने लगती है.

पायल : सीईईईईईई....!! उफ्फ पापा....!! आहsssss....!!

रमेश पायल की टाँगे और ज्यादा खोलते हुए अपनी जीभ को बूर के अन्दर ठेलने लगते है और साथ ही साथ पायल की बूर से निकलती लार को को चूस के पीने भी लगते है. अपनी लम्बी और मोटी जीभ को पूरी बूर में ठूंसने के बाद रमेश बूर से जीभ निकाल लेते है और फिर बूर को निचे से ऊपर तक किसी कुत्ते की तरह चाटने लगते है. पायल जब पापा को अपनी बूर इस तरह से चाटते देखती है तो वो अपनी कमर हलकी सी ऊपर उठा का धीरे-धीरे गोल घुमाने लगती है. ये देख कर रमेश भी अपनी गर्दन गोल घुमाते हुए बूर चाटने लगते है. बाप-बेटी की बूर चाटने और चटवाने की जुगलबंदी ऐसी थी की अगर उस वक़्त स्वयं कामदेव भी वह होते तो अपना लंड मुठिया देते.
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02-12-2022, 01:27 PM,
#64
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
पायल जैसी एक खुबसूरत गोरी-चिट्टी लड़की, जिसकी बूर पर और बगलों में घने बाल है, जो पसीने से महक रही है, अपने दोनों हाथों के सहारे सोफे पर अपनी चौड़ी चुतड उठा के गोल-गोल घुमा रही है, और उसका अपना सगा बाप, अपनी बेटी की चूतड़ों के साथ अपनी गर्दन घुमाते हुए उसकी बूर चाट रहा है. ये नज़ारा दुनिया के किसी भी लंड को खड़ा करने के लिए काफी था. ये नज़ारा इतना उत्तेजना से भरा हुआ था की अगर दोनों बाप-बेटी को इस पाप के लिए किसी अदालत में सजा भी सुनाई जाती तो उस अदालत का जज लंड मुठियाते हुए ही सजा सुनाता.

रमेश पायल की बूर को चाट रहे थे तो कभी अपने ओंठों से बूर के दाने को चूस रहे थे. पापा के इस तरह से बूर चाटने से पायल पूरी तरह से गरमा चुकी थी. कुछ देर अपनी बेटी की बूर का स्वाद चकने के बाद रमेश अपने मुहँ को बूर से अलग करते है. पायल भी धीरे-धीरे अपनी आँखे खोल कर पापा को देखती है. पापा को घूरते हुए पायल अपने ओठों को काटते हुए उनका लंड लेने को तैयार होने की घोषणा करती है. रमेश भी समझ जाते है की अब पायल अपनी सील तुडवाने को तैयार है. अपने मजबूर हाथों से पायल की जाँघों ठीक ऊपर कमर को पकड़ कर रमेश उसे उल्टा हवा में उठा लेते है. पायल की टाँगे ऊपर की ओर है और सर निचे. रमेश ने अपने हाथों को उसकी कमर में लपेटे रखा था. पायल का पेट पापा की छाती पर चिपका हुआ था और पापा के मुहँ के ठीक सामने उसकी खुली जाँघों के बीच बालोवाली बूर अपने ओठों को खोले हुए थी. निचे पायल के मुहँ के ठीक सामने पापा का गधे जैसा लंड तन के खड़ा था जीसे पायल आँखे फाड़े निहारे जा रही थी. रमेश के सामने पायल की फैली हुई जाँघों के बीच खुली हुई बूर थी. पायल को उल्टा अपने सीने से लगाये रमेश उसकी बूर को गौर से देखते है और एक बार फिर से अपने मुहँ खुली बूर में घुसा देते है. निचे लटकी पायल भी पूरी मस्ती में पापा के खड़े लंड को पकड़ लेती है और उसकी चमड़ी खींच कर पूरी पीछे कर देती है. लंड के मोटे टोपे को देखने के बाद वो अपना मुहँ खोले उसे अन्दर लेने लगती है. लंड का टोपा फूल कर काफी बड़ा हो गया था. आज पायल को उसे अपने मुहँ में लेने में कठनाई हो रही थी. पर आज वो भी पूरे जोश में थी. वो अपने मुहँ को पहले से भी ज्यादा खोलते हुए आधा टोपा मुहँ में ले लेती है.मुहँ के अन्दर अपनी जीभ को टोपे पर घुमाते हुए वो टोपे को चूसने लगती है. पायल को अपने लंड को इस तरह से चुस्त देख रमेश भी पूरे जोश में उसकी बूर चूसने लगता है.

पायल को उल्टा लटकाए हुए रमेश उसकी बूर चूसते हुए और अपना लंड चुस्वाते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगता है. कमरे में पहुँच कर रमेश पायल को बिस्तर पर रख देते है. दोनों बाप-बेटी एक दुसरे से नज़र मिलाते है. दोनों की नज़रों में सिर्फ हवस ही नज़र आ रही थी. पायल बिस्तर पर अपनी टाँगे खोल बैठी हुई थी. रमेश उसकी बूर को देखते हुए कहते है.

रमेश : तेरी बूर तो बहुत गरम लग रही है बेटी.

पायल : हाँ पापा. बहुत गरम है. आग फेक रही है.

रमेश : उफ़..!! जरा देखूं तो कितनी गर्मी है मेरी बेटी की बूर में.

ये कहकर रमेश पास रखे टेबल का दराज खोलते है और उसमें से एक थर्मामीटर निकालते है. थर्मोमीटर लेकर रमेश पायल की खुली टांगो के बीच बैठ जाते है.

रमेश : जरा अपनी टाँगे फैलाओ बेटी.

पायल अपनी टाँगे फैला देती है. रमेश उसकी बूर को देखते है और थर्मामीटर बूर में घुसा देते है.

रमेश : इसे २ मिनट तक पकडे रखो पायल.

पापा की बात मानते हुए पायल अपनी बूर के ओंठों को आपस में भींच कर थर्मामीटर को पकड़ लेती है. २ मिनट के बाद रमेश थर्मामीटर को पायल की बूर से निकलते है और २-३ बार झटक कर गौर से तापमान देखते है.

रमेश : बापरे बेटी..!! १०४ डिग्री ...!! इतनी गर्मी है मेरी बेटी की बूर में ? [ १०४ डिग्री F = ४० डिग्री C ]

पायल : हाँ पापा..!! बहुत गर्मी है मेरी बूर में. अब आप ही इसकी सारी गर्मी निकाल कर इसे ठंडा करिए.

पायल की इस बात पर रमेश के लंड में करंट दौड़ने लगता है. वो थर्मामीटर को टेबल पर रखते है और अपने लंड को पकडे पायल के पास आने लगते है.

रमेश : अपनी पायल बेटी की बूर की सारी गर्मी अब मैं २ दिनों तक अच्छे से निकालूँगा.

पायल पापा को अपनी ओर आते देखती है. आगे जो होने वाला है उसकी कल्पना करके दिल धडकने लगता है और साथ ही साथ उसकी बूर भी पानी छोड़ने लगती है.

[आगे की कहानी पर काम जारी है]

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02-12-2022, 01:27 PM,
#65
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
अपडेट ३१:

पायल बिस्तर पर टाँगे खोले बैठी है और पापा को घुर के देख रही है. रमेश धीरे से उसके पास आ कर टांगों के बीच बैठ जाते है और पायल से कहते है.

रमेश : मेरी गरम बेटी तैयार है ना?

पायल : हाँ पापा.... मैं तैयार हूँ.

पायल को देख कर मुस्कुराते हुए रमेश अपना सर उसकी जाँघों के बीच घुसा देते है और उसकी लसलसाती बूर को निचे से ऊपर चाटते हुए उसकी नाभि में जीभ घुसा देते है. पायल मदहोश होने लगती है. रमेश पायल के मोटे दूध हाथों से पकड़ के अपने मुहँ में ले कर चूसने लगते है. पायल एक बार पापा को इस तरह से अपने दूध चूसते हुए देखती है और 'ओह पापा...!!' कह कर अपनी आँखे बंद कर लेती है और अपने हाथों को उठा के बालों को पीछे करने लगती है. रमेश पायल के दोनों मोटे दूध को बारी-बारी से चूस रहे थे की तभी उनकी नाक में एक तेज़ गंद आती है. उस तेज़ गंध को वो अच्छी तरह से पहचानते थे. वो गंध पायल की उठे हाथों की बगलों से आ रही थी. रमेश दूध चूसते हुए अपनी नज़रे ऊपर करते है तो उनकी नज़र पायल की बगल में घने बालों पर पड़ती है. रमेश अपने आप को रोक नहीं पाते और अपनी नाक पायल के बगल में घुसा देते है और जोर से सांस लेते है.

रमेश : मूऊऊऊउ...आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह........!!!

पायल : सीईईईइ पापा... आपको मेरी बगल की पसीने की गंध इतनी पसंद है?

रमेश : हाँ पायल. लड़कियों की बगलों की खुशबू के दीवाने तो मर्द होते ही है. और जब वो बगल अपनी ही सगी बेटी की हो तो उसका मजा १०० गुना बढ़ जाता है.

रमेश की इस बात पर पायल अपने हाथों को और ज्यादा उठा देती है.

पायल : उफ़ पापा...!! अच्छे से सुंघिये मेरी बगलों को.

रमेश पायल की बगलों को पागलों की सूंघने लगते है और बीच-बीच में जीभ निकाल कर चाट भही लेते है. पायल को भी पापा को इस तरह से अपनी बगलों को सुंघाने और चटवाने में मजा आ रहा था. कुछ देर ऐसे ही पायल की दोनों बगलों को अच्छे से सूंघने और चाटने के बाद रमेश बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाते है. अपने लंड की चमड़ी को पूरी तरह से निचे खींच कर पायल को मोटा टोपा दिखाते हुए वो कहते है.

रमेश : आ जा बेटी. खा ले अपने पापा का लंड.

पापा की बात सुन कर पायल अपने हाथों और पैरों पर किसी भूकी शेरनी की चलते हुए पापा के पास जाने लगती है. उसकी नज़रे पापा के मोटे लंड पर टिकी हुई है. पास पहुँच कर वो एक बार पापा के लंड को गौर से देखती है और फिर उस पर टूट पड़ती है. पायल पापा के लंड को पागलों की तरह चूमने और चाटने लगती है. वो कभी लंड के गोटों को मुह में भर के चूस लेती है तो कभी निचे से ऊपर तक लंड को चुम्मियां लेने लगती है. अपनी जीभ निकाल कर लंड को टोपे को चाट लेती है तो कभी बड़ा मुहँ खोलकर टोपे को आधा मुहँ में भर लेती है. अपनी बेटी को इस तरह से लंड से खेलता देख रमेश का लंड और भी ज्यादा फूल जाता है. वो लंड को पकड़ कर पायल के मुहँ में ठूँसते हुए कहते है.

रमेश : खा ले बिटिया अपने पापा के लंड को.

पायल : हाँ पापा.... आज मैं आपके लंड को पूरा खा जाउंगी. पहले मुहँ से खाऊँगी फिर अपनी बूर को खिलाउंगी.

ये कहकर पायल फिर से पापा के लंड को मुहँ में भरने लगती है. किसी तरह से वो मोटे टोपे को अपने मुहँ में ले लेती है और सर को निचे करते हुए आधा लंड गले तक ले लेती है. आज रमेश का लंड एक भीमकाय आकार में था. पूरा लंड मुहँ में लेना पायल के बस की बात नहीं थी. रमेश भी पायल के आधे लंड को मुहँ में लेने से हैरान थे. पायल पर हवस हावी हो चुकी थी. अब रमेश भी अपनी कमर को उठा के पायल के मुहँ में झटके देने लगे थे. आधा लंड पायल के मुहँ में था और पापा के झटकों से वो धीरे-धीरे अन्दर-बाहर होने लगा था. रमेश एक बार पायल के सर पर हाथ रख कर उसका सर अपने लंड पर दबा देते है. कुछ देर वैसे ही पायल के सर को अपने लंड पर दबाये रखने के बाद रमेश अपना हाथ हटा देते है तो पायल अपना सर ऊपर कर लेती है. उसके मुह से लार बह रही है और आँखे लाल हो चुकी है जिसमे से आंसू बह रहे है. रमेश पायल को देखते है तो पायल मुस्कुरा देती है.

रमेश : बेटी...पापा को अपनी चूतड़ों की सुगंध नहीं सुंघाओगी ?

रमेश की बात सुनते ही पायल झट से खड़ी हो कर अपने पैरों को पापा के सर के इर्द-गिर्द कर लेती है. हाथों से अपनी चूतड़ों को खोले को पापा की नाक पर बैठ जाती है और आगे झुक कर लंड को मुहँ में भर लेती है. रमेश अपनी नाक पायल के गांड के छेद पर रख कर सूंघने लगते है. अपनी बेटी की गांड के छेद की महक से वो पागल हो जाते है और जीभ निकाल कर चाटने लगते है. पायल भी मस्ती में पापा के लंड को मुहँ में भर कर जोर-जोर से चूसने लगती है. अपनी बेटी की गांड को जी भर से सूंघने और चाटने के बाद रमेश पायल की चूतड़ों पर एक थप्पी मारते है तो पायल पापा के मुहँ पर से उठ कर निचे बैठ जाती है. रमेश भी बिस्तर पर बैठ जाते है. दोनों की नज़रे आपस में मिलती है तो पायल पापा को देखते हुए बिस्तर पर अपनी टाँगे खोले हुए लेट जाती है. रमेश अब पायल की टांगों के बीच बैठ जाते है.

रमेश : तैयार हो ना पायल?

पायल : हाँ पापा..!!

रमेश : पापा का लंड पकड़ के अपनी बूर पर रखो बेटी.

पायल पापा का लंड हाथ में लेती है और कुछ सोच कर भावुक हो जाती है और पापा की तरफ देखने लगती है. रमेश जब ये भाव पायल के चेहरे पर देखते है तो वो पूछते है.

रमेश : क्या हुआ पायल बेटी? ऐसे क्या देख रही हो?

पायल : आपको याद है पापा, जब मैं छोटी थी तो आप मुझे अपनी ऊँगली पकड़ा के मुझे चलना सिखाया था.

रमेश : हाँ याद है पायल.

पायल : और आज मुझे आप फिर एक बार अपना लंड पकड़ा कर चुदना सिखा रहे है.

पायल की बात सुन कर रमेश पायल का माथा चूम लेते है.

रमेश : सीखेगी ना पापा से चुदना?

पायल : हाँ पापा. मुझे अच्छे से चुदना सिखाइए. चुदक्कड़ बना दीजिये मुझे.

रमेश : हाँ मेरी बिटिया रानी. पापा तुझे एक नंबर की चुदक्कड़ बना देंगे. मेरा लंड बहुत मोटा हो चूका है बेटी. तुम्हे बहुत दर्द होगा.

पायल : आज मैं हर दर्द सह लुंगी पापा. बस आप मेरी बूर में अपना लंड ठूंसे दीजिये.

पायल की बात पर रमेश उस पर झुक जाते है और पायल पापा के लंड के मोटे टोपे को अपनी बूर के मुह पर टिका देती है. रमेश धीरे-धीरे पायल के नंगे बदन पर लेटने लगते है तो पायल भी अपनी बाहे खोले पापा को जकड लेती है. पापा की पीठ को अपने हाथों से कस के पकडे हुए वो पापा की गरदन पर चुम्मियां देने लगती है. रमेश भी अपने हाथों को पायल के कन्धों पर रख कर पकड़ लेते है और अपनी कमर को धीरे से पायल की जाँघों के बीच दबाने लगते है. रमेश के लंड का मोटा टोपा पायल की बूर के ओठों को फैलाता हुआ अन्दर घुसने की कोशिश करने लगता है. पायल के चेहरे पर दर्द के भाव उभरने लगते है. ये देख कर रमेश कहते है.

रमेश : दर्द हो रहा है बेटी ?

पायल : आह...!! हाँ पापा..!! लेकिन आप मेरे दर्द की चिंता मत करिए. आज चाहे मुझे कितना भी दर्द हो पर आप रुकियेगा नहीं पापा. मुझसे वादा करिए पापा की आज मैं चाहे कितना भी रोऊ चिल्लाऊ पर आप मेरी बूर में अपना पूरा लंड ठूंसने के बाद ही दम लोगे.

रमेश : (भावुक हो कर) मुझे तो पता ही नहीं था की मेरी बेटी पापा के लंड के लिए इतना तड़प रही है. अब तो मैं अपनी बिटिया की बूर में पूरा लंड घुसा के ही दम लूँगा.

रमेश पायल को अपने आप से कस के चिपका लेते है और अपनी कमर का दबाव पायल की जाँघों के बीच बढ़ाने लगते है. रमेश के लंड का मोटा टोपे बूर के ओंठों को फैलाता हुआ धीरे-धीरे अन्दर घुसने लगता है. टोपा बूर में पूरा घुस कर अचानक से रुक जाता है और पायल के मुहँ से जोरो की चींख निकल जाती है.

पायल : उई मम्मीssssss .....!! मर गई मैं...!!

पायल की इस चीख का रमेश पर कोई असर नहीं होता है. वो अपनी कमर को पायल की जाँघों के बीच जोर लगा के दबाने लगते है. रमेश को महसूस होता है की उनका लंड पायल की सील से टकरा रहा है. रमेश थोडा और जोर लगते है. उनका मोटा लंड पायल की सील पर जोर मारता है और पायल के मुहँ से एक जोरदार चीख निकल जाती है.

पायल : उईssssssssssssss ....... मम्मीsssssssssssssssssssss.........आह्ह्हह्ह्ह्हह्हह्ह्हह्ह्ह्ह...........!!!!!!!

पायल का नाख़ून रमेश की पीठ पर गड जाते है, उसकी टाँगे सक्त हो कर रमेश की कमर को पकड़ लेती है और आँखों से आंसू बहने लगते है. रमेश हवस में दर्द भी भूल जाते है और उनका लंड फिसलकर पायल की बूर में प्रवेश कर जाता है. पायल की सील टूट चुकी थी. रमेश का मोटा लंड अपनी ही बेटी की कुवारी बूर की झिल्ली फाड़ कर अन्दर घुस चूका था. अपनी ही सगी बेटी की नथ उतार कर रमेश गर्व महसूस कर रहा था. पायल के बूर में रमेश का आधा लंड घुस जाने के बाद वो एक नज़र पायल के चेहरे पर डालते है. पायल की आँखे बंद है और आंसू बह रहे है. चेहरे पर दर्द के भाव साफ़ दिखाई पड़ रहे थे. अपने पापा के निचे पायल का शरीर निढाल हो कर पड़ा हुआ था. रमेश ये देख कर थोडा डर से जाते है. अपने लंड को और अन्दर जाने से रोक कर रमेश पायल से कहते है.

रमेश : पायल..!! पायल बेटी..!! तुम ठीक तो हो ना?

पायल वैसे ही पापा के निचे पड़ी रहती है. आँखे बंद किये दर्द में पायल चुपचाप लेटी हुई है. उसके मुहँ से कोई शब्द नहीं निकल रहे थे.

रमेश : बिटिया..!! पायल मेरी बच्ची...तुम ठीक हो ना पायल ?

तभी पायल अपनी आँखे खोल कर पापा को देखती है. उसके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान आ जाती है. वो धीरे से पापा से कहती है.

पायल : बहुत दर्द हुआ था पापा. ऐसा लगा था की किसी ने गर्म लोहा मेरी बूर में डाल दिया हो.

रमेश : पहली बार ऐसा ही लगता है बेटी. अब कैसा लग रहा है.

पायल : अब थोडा ठीक लग रहा है पापा. पर अब भी दर्द है.

रमेश : पापा का लंड अभी आधा ही गया है बेटी. तू और ले पायेगी?

पायल : एक बार आप रुक गए तो शायद मैं फिर से ना ले पाऊ पापा. आप पूरा डाल दीजिये. अभी मैं और दर्द सह सकती हूँ.

रमेश पायल की आँखों में देखते है. उन्हें पायल रणभूमि में किसी वीरांगना की तरह दिखाई पड़ती है जो घायल हो कर भी सामना करने की हिम्मत रखती है. उन्हें अपनी बेटी पर गर्व महसूस होता है. पायल का माथा चूम कर रमेश अपनी कमर को धीरे-धीरे पायल की जाँघों के बीच फिर से दबाने लगते है. रमेश का लंड धीरे-धीरे पायल की बूर में जगह बनता हुआ अन्दर जाने लगता है. पायल एक हाथ से अपना मुहँ बंद किये दर्द को सहती हुई पापा के लंड को बूर में लेने लगती है. रमेश उसके आँखों से बहते आंसुओं को सर झुका कर पी लेते है और उसका माथा चुमते हुए अब धीरे-धीरे अपनी कमर आगे-पीछे करते हुए बूर में लंड देने लगते है. लंड के बूर के दाने पर रगड़ खाने से पायल को भी अच्छा महसूस होता है. रमेश देखते है की पायल के माथे पर दर्द की रेखाएं धीरे-धीरे गायब होने लगी है तो वो जोर लगा कर लंड अन्दर ठेल देते है. जैसे ही पायल के चेहरे पर दर्द के भाव लौट आते है तो रमेश रुक कर अपनी कमर हिलाते हुए लंड को अन्दर-बाहर करते हुए बूर के दाने पर रगड़ने लगते है. रमेश इस खेल का पुराने खिलाडी थे. कुवांरी लड़कियों की सील तोडना उनके लिए कोई नयी बात नहीं थी.

अब रमेश अपने हाथों को पायल की पीठ के निचे ले जा कर ऊपर उसके कन्धों को पकड़ लेते है. अपनी कमर को जोर से पायल की जांघों के बीच दबाते हुए वो अपने लंड को बूर में धकेलने लगते है. बूर की चिकनाहट से रमेश का मोटा लंड अब आधे से ज्यादा पायल की बूर में घुस जाता है. पायल पहले ही हाथों से अपना मुहँ बंद किये दर्द सह रही थी. लंड के और अन्दर जाते ही उसके मुहँ से हलकी सी आवाज़ निकल जाती है.

पायल : उम्म्म्मम्म्म्म........!!

रमेश : बस मेरी बेटी बस...!! पापा का लंड अब पूरा घुसने ही वाला है. प्यार करती है ना पापा से?

पायल हाथों से अपना मुहँ बंद किये सर हिला कर हामी भर देती है. जैसे ही पायल का ध्यान हटता है, रमेश कमर को एक झटका मार कर अपना पूरा लंड पायल की बूर में ठूँस देते है. पायल का हाथ अपने आप ही उसके मुहँ से हट जाता है और एक चीख निकाल जाती है.

पायल : मार दिया मुझे सालेssssssssssssss..!!

अपनी बेटी के मुहँ से गाली सुन कर रमेश को ना जाने क्यूँ अच्छा लगता है और वो धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए पायल की बूर में लंड पेलने लगते है. पायल की बूर रमेश के लंड पर पूरी तरह से कसी हुई थी. २०-२५ बार लंड अन्दर बाहर करने के बंद रमेश समझ जाते है की पायल की बूर अब पूरी तरह से खुल चुकी है. एक नज़र वो निचे डालते है तो चादर पर उन्हें हल्का सा खून दिखाई देता है. वो पायल के चेहरे को देखते है और धीरे से कहते है.

रमेश : बस पायल. अब मेरी बेटी की बूर का दरवाज़ा पूरी तरह से खुल चूका है. थोडा आराम करोगी बेटी?

पायल धीरे से अपनी आँखे खोलती है और सर हिलाकर हाँ कर देती है. रमेश अपने लंड को धीरे-धीरे पायल की बूर से निकाल लेते है और उसके पास बैठ जाते है.

रमेश : अब तो दर्द नहीं है ना बेटी?

पायल : नहीं पापा. आप जब लंड निकाल रहे थे तो अच्छा लग रहा था.

रमेश : थोडा आराम कर लो बेटी.

पायल : नहीं पापा. अभी तो मुझे आपके लंड से अपनी बूर अच्छे से चुदवानी है. मैं बस अपनी बूर धो कर के आती हूँ.

रमेश : हाँ बेटी, धो ले.

रमेश पायल को उठने में मदद करते है. पायल धीरे से बिस्तर से उतरती है. उसकी जाँघों पर भी थोडा सा खून लगा है. वो धीरे-धीरे चलते हुए बाथरूम की और जाने लगती है. पीछे से रमेश उसकी चाल देखते है. वो बदल चुकी थी. बाथरूम में जा कर पायल निचे बैठ जाती है और पेशाब करने लगती है. पेशाब करने के बाद पानी से अपनी बूर धो कर वो बाहर आती है. रमेश बिस्तर पर अपना लंड खड़ा किये लेटे हुए है. पायल बिस्तर के पास आती है और मुस्कुराते हुए पापा को देखने लगती है.

रमेश : मेरी बिटिया रानी तैयार है अपने पापा से चुदने के लिए?

पायल : हाँ पापा.... मैं पूरी तैयार हूँ.

रमेश : आ बेटी. तेरी बूर एक बार फिर से अच्छे से खोल दूँ. फिर तू पापा के लंड को उच्छल-उच्छल के अपनी बूर में लेना.
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02-12-2022, 01:27 PM,
#66
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
रमेश बिस्तर से उतर जाते है और पायल अपनी टाँगे खोले लेट जाती है. रमेश अपने लंड के रस को हाथों से टोपे पर चपोर देते है तो निचे पायल भी अपनी बूर की लार को रगड़ देती है. अपने लंड को एक बार फिर से पायल की बूर पर रख कर रमेश जोर लगाते है तो उनका लंड धीरे-धीरे फिसलता हुआ पायल की बूर में समां जाता है. इस बार पायल के चेहरे पर वो दर्द के भाव नहीं थे. दर्द की जगह मीठे दर्द ने ले ली थी. आँखे बंद किये और अपने ओंठों को दांतो तले दबाते हुए पायल पापा का पूरा लंड अपनी बूर में ले लेती है. रमेश बूर में पूरा लंड डाल कर १०-१५ बार अन्दर-बाहर कर देते है. इस बार पायल भी उसका मजा लेती है. ये देख कर रमेश अपनी गति बढ़ा देते है तो पायल बिस्तर पर तड़प उठती है.

रमेश : अब कैसा लग रहा है बेटी?

पायल : आह...!! पापा...!! बहुत मजा आ रहा है पापा....आह्ह्ह्ह.....!!

पायल के मुहँ से निकले ये शब्द रमेश के लिए हरी झंडी का काम करते है. वो पायल पर लेट जाते है और उसे अपनी बाहों में जकड कर अपनी कमर जोर-जोर से हिलाने लगते है. उनका मोटा लंड पायल की बूर को फैलाता हुआ अन्दर-बाहर होने लगता है. पायल की बूर के ओंठ फैलकर रमेश के मोटे लंड पर कस चुके थे. रमेश का लंड किसी मोटे खूंटे की तरह उसकी बूर में अन्दर-बाहर हो रहा था. बूर और लंड की लार सफ़ेद घने झाग का रूप ले चुकी थी. पायल भी अब पापा को अपनी बाहों में बाँध चुकी थी और टांगों से उनकी कमर को.

रमेश : मजा आ रहा है ना पापा का लंड बूर में लेते हुए?

पायल : सीईईई.....हाँ पापा..!!

रमेश : और ले...पूरा ले ले पापा का लंड. अपने पापा को गाली देती है बदमाश...!!

पायल उस घड़ी को याद करती है जब दर्द के मारे उसके मुहँ से पापा के लिए 'साले' शब्द निकल गया था.

पायल : आह...!! आई एम सॉरी पापा......!! आह....!!

रमेश पायल की बूर में लंड पलते हुए कहते है.

रमेश : सॉरी किस बात की बेटी. तेरा बाप अपनी ही सगी बेटी की बूर चोद रहा है, बेटिचोद बन गया है. बेटिचोद के आगे 'साले' किस खेत की मूली है. अब बोल.... क्या बोलेगी अपने पापा को?

पायल : आह पापा...!! मत बोलिए ऐसा. मैं बहुत गन्दी लड़की बन जाउंगी.... आह्ह्ह....!!

रमेश : अपनी बेटी को गन्दी लड़की ही तो बनाना है मुझे. बोल ना पायल..... क्या बोलेगी अपने पापा को?

रमेश की बात सुनकर पायल के अन्दर की गन्दी लड़की जाग जाती है जो बेशर्मी की सारी सीमायें लांघने के लिए तैयार है.

पायल : (चिलाते हुए) बेटिचोद....!! बेटिचोद हो आप पापा.....!! अपनी ही सगी बेटी की बूर में लंड दे कर उसकी चुदाई करनेवाले बेटिचोद हो आप.... आह्ह्हह्हssssss....!!

पायल के मुहँ से अपने लिए 'बेटिचोद' सुनकर रमेश के लंड में एक नया जोश भर जाता है. पायल को कस कर बाहों में पकडे हुए रमेश अपनी कमर को उसकी जाँघों के बीच जोर-जोर से पटकते हुए ठाप मारने लगते है.

रमेश : हाँ पायल...!! तेरा बाप बेटिचोद है. बहुत बड़ा बेटिचोद हूँ मैं.

पायल भी अब अपनी कमर को उठा के पापा का लंड लेने लगती है. अब उसे इस गंदे खेल में बहुत ज्यादा मजा आने लगता है. बाप-बेटी का ये गन्दा रिश्ता हवस और बेशर्मी की नयी सीमायें तय करने लगा था.

पायल : हाँ पापा..खूब चोदीये अपनी बेटी को. चोद-चोद कर मेरी बूर फैला दीजिये.

रमेश पूरे जोश में पायल की बूर पर ठाप पर ठाप मारने लगते है. कमरे में 'ठप्प-ठप्प' की अवाजा गूंजने लगती है. बाप-बेटी के चुदाई के इस महासंग्राम से बिस्तर जोर-जोर से हिलने लगता है मानो भूकंप के झटके झेल रहा हो.

उधर बाप-बेटी चुदाई के खेल में लगे हुए थे और इधर उमा देवी उर्मिला और सोनू के साथ गाड़ी में बैठी गाँव की सीमा में दाखिल हो चुकी थी. उमा देवी, जो अब तक अपने भाई की चिंता में डूबी हुई थी, ना जाने क्यूँ अब रमेश और पायल के बारें में सोचने लगी थी. उमा के पास बैठी उर्मिला जब उसे इस तरह से चिंता में डूबी देखती है तो कहती है.

उर्मिला : चिंता मत करिए मम्मी जी. मामाजी ठीक हैं.

उमा : पता नहीं उर्मिला. पर अब मुझे उनकी और पायल की चिंता हो रही है.

उर्मिला : ऐसी क्या बात हो गई मम्मी जी? और किस बात की चिंता हो रही है आपको?

उमा : पता नहीं उर्मिला. सोच रही हूँ की मैंने यहाँ आ कर कोई गलती तो नहीं कर दी? पता नहीं पायल उनका ख्याल ठीक से रख भी पायेगी या नहीं.

उर्मिला : आप ऐसे ही चिंता कर रही हैं मम्मी जी. पायल बहुत समझदार लड़की है. और एक समझदार लड़की अपने पापा का ख्याल रखना अच्छे से जानती है. और वैसे भी वो अपने पापा की लाड़ली बेटी है. बाबूजी भी उसका अच्छे से ख्याल रखेंगे.

उर्मिला की बात सुनकर उमा को थोड़ी रहत मिलती है. वो मुस्कुराते हुए उर्मिला की तरफ देख कर कहती है.

उमा : ये बात तो तुमने एकदम ठीक कही है बहु. पायल समझदार तो है. और उसके पापा भी पायल का ध्यान अच्छे से ही रखेंगे. आखिर पायल पापा की परी है..........

"रंडी हूँ मैं आपकी पापा....!! पापा की रंडी हूँ मैं...!!" - रमेश के मोटे लंड पर उच्छलती हुई पायल पूरी बेशर्मी के साथ अपने पापा का मोटा लंड बूर में लिए जा रही थी. बिस्तर पर लेटे हुए रमेश उसकी भारी चूतड़ों को हाथों से सहारा देते हुए पायल को लंड पर उच्छलने में मदद कर रहे थे. दोनों हाथों को उठा कर पायल अपने बालों को संवारती हुई पापा के लंड पर उच्छल रही थी.

रमेश : हाँ पायल...हाँ...!! पापा की रंडी है तू. अपनी रंडी बिटिया को पापा रोज पटक-पटक के बूर चुदाई करेंगे.

रमेश पायल को एक तरफ बिस्तर पर पटक देते है और उस पर चढ़ जाते है. अपने मोटे लंड को उसकी बूर में ठूँस कर वो उस पर लेट जाते है. पायल भी अपनी टाँगे उठा कर खोल देती है. रमेश उसकी बूर में पूरे जोश में लंड पेलने लगते है. रमेश की कमर की रफ़्तार इतनी तेज़ हो चुकी थी की सारा कमरा सिर्फ 'ठप्प ठप्प ठप्प ठप्प' की आवाज़ से ही गूंज रहा था.

रमेश : बहुत मजा दे रही है बेटी तेरी बूर. अपनी बेटी की कसी हुई बूर में लंड पेलने का मजा और किसी बूर में नहीं है.

पायल : आह... पापा...!! आपका लंड भी पूरा मजा दे रहा है. और जोर से चोदीये मेरी बूर....आह्ह्हह्ह्ह्ह....!!!

रमेश : आह्ह...बेटी....!! थकान और प्यास भी लग रही है. लगता है अब मुझे पानी पीकर आना पड़ेगा...

उधर उमा उर्मिला से बातों में वैस्थ थी. अपने मन में उठ रहे सवालों को वो उर्मिला के सामने रख रही थी.

उमा : उर्मिला, तेरे बाबूजी कहीं अपनी दवाई खाना तो नहीं भूल जायेंगे ना?

उर्मिला : नहीं भूलेंगे मम्मी जी. और पायल है ना उनके साथ.

उमा : हाँ रे.... पर सोचती हूँ की तेरे बाबूजी तो कभी-कभी प्यास लगने पर पानी भी मुझसे ही मांगते थे. पता नहीं... अगर पायल अपने काम में लगी हो और तेरे बाबूजी को प्यास लगी तो उनकी प्यास कौन बुझाएगा....

"ये लीजिये पापा.... बुझा लीजिये अपनी प्यास....!!" - बिस्तर पर दोनों हाथों का सहारा लिए पायल अपनी कमर उठाये और टाँगे खोले, बालोवाली बूर से निकलती पेशाब की मोटी धार निचे बैठे पापा के मुहँ में गिरा रही थी. रमेश भी निचे बैठे हुए अपना मुहँ खोले पायल की पेशाब की मोटी धार को सीधा अपने मुहँ में गिरवाते हुए पी रहे थे. बेटी की पेशाब पीने में उन्हें अलग ही आनंद की प्राप्ति हो रही थी. पायल भी पूरी मस्ती में अपनी बूर जो झटके देते हुए सारी पेशाब पापा के मुहँ में गिराए जा रही थी.

पायल : सीईईईई पापा...!! मुझे लगा था की आप रसोई में जाओगे पानी पीने पर आप तो मुझे बिस्तर पर बिठा कर मेरी ही पेशाब पीने बैठ गए.

रमेश अपना मुहँ खोले पायल की सारी पेशाब पी जाते है. पायल भी अपनी बूर को दो उँगलियों से दबा कर पेशाब की आखरी बूँद भी पापा के मुह में गिरा देती है. सारी पेशाब पीने के बाद रमेश अपने ओंठों पर जीभ फेरते हुए पायल से कहते है.

रमेश : पानी तो पानी होता है पायल, पर बेटी का पेशाब अमृत होता है. मेरी पायल बेटी का ये पेशाब तो अमृत है मेरे लिए.

रमेश की बात सुन कर पायल और ज्यादा गरमा जाती है. अब उसे पापा को पेशाब पिलाने पर किसी प्रकार की कोई घृणा महसूस नहीं हो रही थी. दो उँगलियों से अपनी बूर को फैलाते हुए पायल रमेश से कहती है.

पायल : तो लीजिये पापा. मेरी बूर पर लगे अमृत की कुछ बूंदों को भी पी लीजिये.

रमेश पायल की बूर को गौर से देखते है. बूर की लार के अलावा उस पर पेशाब की कुछ बूंदे भी थी. रमेश झट से अपना मुहँ पायल की बूर में घुसा देते है और बूर चूस के पीने लगते है. पायल मस्ती में आँखे बंद किये पापा के सर पर हाथ रख कर अपनी बूर चुस्वाने लगती है. कुछ देर तक वैसे ही पायल की बूर चूसने के बाद रमेश बाद खड़े होते है और टेबल पर रखी शीशियों में से एक वियाग्रा और २ शीलाजीत की गोली फिर से खा लेते है. गोलियां खा कर रमेश पायल के नंगे बदन को देखते हुए अपने लंड को हिलाने लगते है. पायल बैठे हुए पापा के लंड को देखती है तो वो फिर से फूलता हुआ दिखाई देता है.

अपने फूले हुए लंड को पकडे रमेश पायल की तरफ बढ़ने लगते है की तभी रमेश का ध्यान हलकी सी खुली खिड़की से आती कुछ आवाजों पर जाता है. पायल और रमेश दोनों खिड़की से बाहार देखते है तो उन्हें घर के पिछवाड़े एक कुत्ते को किसी कुतिया पर चढ़ा हुआ पाते है. वो कुत्ता उस कुतिया पर चढ़ कर उसकी चुदाई कर रहा था. ये नज़ारा देख कर रमेश और पायल एक दुसरे की तरफ देखते है. दोनों की नज़रे मिलती है, कुछ बातें होती है और पायल बिस्तर पर उच्छल कर किसी कुतिया की तरह अपने दोनों हाथ पांव बिस्तर पर रख देती है. रमेश पायल को कुतिया की तरह बिस्तर पर देखते है तो अपने लंड को मसलते हुए उसके पीछे घुटनों के बल चलते हुए चले जाते है. पापा को अपने पीछे पा कर पायल अपनी चुतड ऊपर उठा देती है. एक हाथ से पायल की चुतड को खोल कर रमेश दुसरे हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी बूर पर रखते है और एक झटका देते है तो उनका लंड बूर आधा घुस जाता है. पायल की चूतड़ों को पकडे रमेश अपनी कमर का जोर लगाते है तो लंड बूर में धंसने लगता है. पायल अपने ओंठों को काटते हुए पापा को अपना लंड बूर में घुसाते हुए देखती है. कुछ ही क्षण में रमेश का पूरा लंड पायल की बूर में समां जाता है. रमेश अब अपनी कमर को हिलाते हुए पायल की बूर चोदने लगते है. पायल मस्ती में पापा से कहती है.

पायल : आह....!! पापा मुझे ठीक उसी तरह से चोदीये जिस तरह वो कुत्ता उस कुतिया को चोद रहा है. जोर-जोर से....आह्ह्ह्ह...!!

रमेश : (अपननी कमर जोर-जोर से हिलाते हुए) हाँ बिटिया रानी.... तेरा पापा अपनी कुतिया बेटी को कुत्ते की तरह चोदेगा.....

पायल : हाँ पापा...!! मुझे कुतिया बना के खूब जोर-जोर से मेरी बूर चोदीये. मेरी बूर पूरी फैला दीजिये.

रमेश : आज रात भर तेरे बूर के ओंठों को आपस में चिपकने नहीं दूंगा बेटी.

पायल : हाँ पापा.....मेरी बूर को इतना चोदीये की बूर के ओंठ रात भर एक दुसरे से चिपकने के लिए तरस जाएँ.

अब रमेश पायल की बूर को जोर-जोर से चोदने लगते है. बीच-बीच में वो पायल की चूतड़ों पर थप्पड़ जड़ देते है तो पायल मस्ती में झूम उठती है. बूर पलते हुए रमेश अपनी कमर को रोक देते है और पायल की कमर पकड़ कर जोर-जोर से आगे-पीछे करते हुए अपने लंड पर मारने लगते है. पायल भी मस्ती में अपनी चूतड़ों को आगे-पीछे करते हुए पापा के लंड पर मारते हुए उनके लंड को बूर में अन्दर-बाहे लेने लगती है. वियाग्रा और शीलाजीत को गोलियां अपना असर दिखाने लगती है. रमेश का लंड अब फिर से अपने भीमकाय आकार में आने लगता है. ये बात रमेश और पायल भी समझ जाते है. लंड बूर में पेलने में अब कसावट महसूस होने लगती है. रमेश समझ जाते है की अब उनका लंड बेहद मोटा और बड़ा रूप लेने वाला है जिससे पायल को फिर से दर्द का सामना करना पड़ सकता है.

रमेश : पायल बेटी....लगता है मेरा लंड फिर से मोटा होने वाला है. अब मुझे पानी गिरना ही पड़ेगा.

पायल : गिरा दीजिये पापा....मेरी बूर में अपना पानी गिरा दीजिये....

रमेश भी पायल की बात सुन कर अपनी कमर की गति तेज़ कर देते है.

रमेश : हाँ बेटी. तेरी बूर में ही अपना पानी गिराऊंगा. अपनी पायल बिटिया के बच्चेदानी को अपने पानी से भर दूंगा.

पायल : आह्ह्ह...!! हाँ पापा...भर दीजिये मेरी बच्चेदानी को अपने लंड के पानी से.....आह्ह्हह्ह....!!

रमेश जोर-जोर से झटके देते हुए अपने लंड को पायल की बूर में अन्दर तक ठूँस देते है. पायल भी दर्द सहते हुए पापा का लंड पूरा अपनी बूर में डलवा लेती है. २०-२५ जोरदार तेज़ झटकों के बाद रमेश का पानी पायल की बूर में निकलने लगता है.

रमेश : आह्ह्ह्हह्ह...!! मेरी बिटिया रानी....अपनी बूर में भारवाले पापा का पानी....आह्ह्ह्हह्ह....पायल बेटी....!!

पायल : आहह्ह्ह्हह...!! पापा...!! अपने लंड के पानी की आखरी बूँद भी मेरी बूर में ही गिराइयेगा....आह्ह्हह्ह....!!

पायल की बूर में रमेश का लंड झटके खाता हुआ गाढ़ा पानी उगलने लगता है. पायल को अपनी बूर में किसी बाढ़ की अनुभूति होती है. वो मस्ती में अपनी बूर के ओंठों को पापा के लंड पर सक्त करते हुए सारा पानी लंड से निचोड़ कर अपनी बूर के अन्दर गिरवा लेती है. रमेश पायल की नंगी पीठ पर गिर जाते है. पायल एक जिम्मेदार बेटी का फ़र्ज़ निभाते हुए अपने पापा का सारा बोझ अपनी पीठ पर उठा लेती है. रमेश का लंड अब भी पायल की बूर में ही घुसा हुआ है. पायल और रमेश दोनों तेज़ी से साँसे ले रहे है. बाप-बेटी का एक साथ इस तरह से झड़ना उनके बीच के प्यार को एक नयी उंचाई पर ले जाता है.

कुछ देर वैसे ही पायल की पीठ पर पड़े रहने के बाद रमेश सीधे हो जाते है. घुटनों पर बिस्तर पर खड़े रमेश अपना लंड पकड़ कर पायल की बूर से निकालने की कोशिश करते है तो लंड बूर में कसा हुआ महसूस होता है. पायल भी अपनी बूर में खींचाव महसूर करती है तो पीछे मुड़ कर देखती है. रमेश एक बार फिर अपने लंड को पायल की बूर से बहार निकालने की कोशिश करते है पर लंड बूर में पूरी तरह से फंसा हुआ था. रमेश समझ जाते है की वियाग्रा और शीलाजीत की गोलियों ने उनके लंड से पानी निकलने के बाद भी लंड के आकार को बढ़ा दिया है. उनका लंड पायल की बूर में घुस कर फूल चूका था. पायल जब ये देखती है तो पापा से कहती है.

पायल : क्या हुआ पापा? आपका लंड बाहर क्यूँ नहीं निकल रहा है?

रमेश : बेटी लगता है की वियाग्रा और शीलाजीत का डोज़ ज्यादा हो गया है. मेरी लंड तुम्हारी बूर में जा कर फूल गया है इसलिए बाहर नहीं निकल रहा है.

ये सुनकर पायल के होश ही उड़ जाते है.

पायल : अब क्या होगा पापा?

रमेश : रुको बेटी. मैं कुछ करता हूँ.

रमेश अपने एक टांग पायल की पीठ के ऊपर से उठा कर दूसरी तरफ कर लेते है. अब उनकी गांड पायल की चूतड़ों से चिपकी हुई है और लंड उसकी बूर में फंसा हुआ है. पायल और रमेश एक दुसरे की गांड से गांड चिपकाए अपने दोनों हाथ और पैरों पर बिस्तर पर है. रमेश अपने शरीर को आगे की और करते है और पीछे पायल अपनी तरफ लेकिन फिर भी लंड बूर में ही फंफा रहता है. तभी उन्हें खिड़की से फिर से कुछ आवाजें सुनाई देती है. दोनों खिड़की की और देखते है तो बाहर वो कुत्ता और कुतिया पीछे से एक दुसरे से फंसे हुए है. ये देख कर पायल और रमेश के दुसरे की तरफ घूम कर देखते है और दोनों के चेहरे पर मुस्कराहट छा जाती है. पायल मुस्कुराते हुए पापा से कहती है.

पायल : पापा आपने सच में मुझे कुतिया बना दिया है. देखिया ना...जिस तरह वो कुतिया उस कुत्ते के साथ पीछे से फंसी हुई है ठीक वैसे ही मैं भी आपके साथ फंस गई हूँ.

पायल की इस बात पर रमेश भी मुस्कुरा देते है.

पायल : पापा अब मैं इसी तरह से चुदाई करवा के आपके साथ फंस जाया करुँगी. आप ऐसे ही मेरी बूर में अपना लंड फसयेंगे ना पापा?

पायल की बात सुन कर रमेश के लंड में गर्माहट महसूस होने लगती है.

रमेश : हाँ मेरी गुडिया बेटी. तेरे पापा ऐसे ही अपनी बेटी की बूर चोद कर अपना लंड फंसा दिया करेंगे.

दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देते है. पायल अपनी चुतड को पापा की गांड पर रगड़ देती है तो रमेश भी अपनी गांड को पायल की चूतड़ों पर चिपका कर रगड़ देते है. रमेश का लंड पायल की बूर में फंसा हुआ था. बाप-बेटी आपस में फंसे हुए थे और उनके बीच का कुत्ते-कुतिया वाला ये गठबंधन उनके प्यार को और मजबूती दे रहा था जो आने वाले समय में बाप-बेटी की घमासान चुदाई का आगाज़ था.

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02-12-2022, 01:29 PM,
#67
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
अपडेट ३२:

उमा और उर्मिला गाड़ी में बैठे बातें कर रहे थे और गाड़ी माखनपुर गाँव के अन्दर दाखिल हो जाती है. कच्ची सड़क के दोनों तरफ दूर-दूर तक हरे-भरे खेत ही थे. खेतों के बीच एक-दो घांस-फूस के झोपड़े बने हुए थे. कुछ खेतों में लोग काम कर रहे थे. उमा जब अपने गाँव के खेतों को देखती है तो अपने बचपन से ले कर जवानी तक बिताये दिनों की याद में खो जाती है. उर्मिला ये बात समझ जाती है और उमा को उस वक़्त कुछ कहना उचित नहीं समझती है. कुछ ही देर में गाड़ी एक बड़े से आँगन में प्रवेश कर जाती है और एक अच्छे-खासे खपरेल की छत वाले मकान के सामने जा कर रुक जाती है. मकान के तीनो तरफ खेत ही खेत थे. मकान उंचाई पर बना हुआ था. गाड़ी के रुकते ही उमा झट से निचे उतरती है. सोनू और उर्मिला भी गाड़ी से उतर कर अपनी कमर सीधी करते है. उमा तेज़ क़दमों से मकान की और बढ़ने लगती है की तभी एक जवान लड़का, छोटी सी धोती में अपना थुल-थूला बदन लिए दौड़ता हुआ उमा के पास आता है और उनके पैरों को छूने लगता है. "प्रणाम बुआ"-वो लड़का कहता है. उमा के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो उस लड़के के सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हुए उसे उठती है.

उमा : जुग-जुग जियो बेटा. और कैसा है मेरा प्यारा गोलू?

वो लड़का उमा के छोटे भाई मोहन का छोटा बेटा गोलू था. उम्र में १८ साल का हो गया था और उसका शरीर थुल-थूला था. चलने या दौड़ने पर उसकी छाती और पेट हिलते थे. बचपन से ही गोलमटोल होने के कारण उसका नाम गोलू पड़ गया था. उमा के पैर पढ़ने के बाद वो खड़ा हो जाता है.

गोलू : अच्छा हूँ बुआ.

उमा : तेरे बापू कहाँ है गोलू?

गोलू : वो अन्दर कमरे में है बुआ.

उमा : ठीक है. तू सामान लाने में सोनू की मदद कर दे, मैं मोहन से मिलने जा रही हूँ.

गोलू : ठीक है बुआ.

उमा फिर से तेज़ क़दमों से मकान की तरफ चल देती है. गोलू मुस्कुराता हुआ उर्मिला के पास जाता है और उसके पैर पढता है.

गोलू : प्रणाम भाभी.

उर्मिला : (उसे पैर पढ़ने से रोकते हुए) अरे बस बस...भाभियों के पैर नहीं पढते. (गोलू के गालों को पकड़ कर) २ साल में कितना बड़ा हो गया है तू गोलू? कितने साल का हो गया है?

गोलू : १८ साल का भाभी.

उर्मिला : अरे वाह...!! पर तू अब भी वैसा ही है. प्यारा सा गोलमटोल गोलू.

इस बात पर दोनों हँस देते है और सोनू भी सामान लिए वहां आ जाता है. सोनू को देख कर गोलू बहुत खुश होता है. दौड़कर सोनू के गले लगते हुए गोलू कहता है.

गोलू : सोनू...!! इतने सालों बाद आया है. मैं इतना याद करता था तुझे.

सोनू भी ख़ुशी से गोलू के गले लगे हुए कहता है.

सोनू : हाँ यार गोलू. मैं भी तुझे बहुत याद करता था.

गोलू : अब तू आ गया है ना, दोनों भाई मिलकर खूब मस्ती करेंगे.

सोनू : हाँ गोलू. शहर में मैं भी काफी बोर हो गया था. अब यहाँ खुले में पूरी मस्ती करेंगे.

उर्मिला दोनों भाइयों का प्यार देख कर बहुत खुश होती है.

उर्मिला : राम और भारत का मिलन हो गया हो तो अब अन्दर चले?

उर्मिला की इस बात पर तीनो जोर से हँसने लगते है. सोनू और गोलू सामान लिए उर्मिला के साथ घर में प्रवेश कर जाते है. घर के बड़े से आँगन में सामान रख कर उर्मिला और सोनू गोलू के पीछे-पीछे मोहन के कमरे की तरफ बढ़ने लगते है. कमरे में घुसते ही वो देखते है की मोहन बिस्तर पर लेटे हुए है और उमा उनकी छाती पर सर रखे रो रही है. मोहन के एक पैर पर प्लास्टर चढ़ा हुआ है. मोहन उमा के सर पर हाथ फेरते हुए कह रहे है.

मोहन : अरे दीदी..!! कुछ नहीं हुआ है. कल ही प्लास्टर कट जायेगा. चिंता की ऐसी कोई बात नहीं है.

उमा : (मोहन के सीने से चिपक कर रोते हुए) ये क्या बात हुई भैया? इतना कुछ हो गया और किसी ने मुझे खबर तक नहीं दी?

मोहन : तुम बिना मतलब की चिंता करोगी इसलिए नहीं बताया दीदी. और कोई बात नहीं थी.
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02-12-2022, 01:29 PM,
#68
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
तभी पास खड़ी उमा की भाभी, बिमला की नज़र उर्मिला और सोनू पर पड़ती है. वो मुस्कुराते हुए आगे बढती है. उर्मिला और सोनू बिमला के पैर पढ़ते है तो वो दोनों को आशीर्वाद देती है.

बिमला : खुश रहो...और कैसी हो उर्मिला?

उर्मिला : अच्छी हुई मामी .

बिमला : और मेरा सोनू बेटा कैसा है ?

सोनू : अच्छा हूँ मामी...

बिमला : जाओ ...अपने मामा जी से मिल लो.

उर्मिला आगे बढ़ कर मोहन के पैर छूती है और मोहन उसे आशीर्वाद देते है, "सदा सुहागन रहो बेटी". सोनू भी उनके पैर पढता है तो वो उसे भी आशीर्वाद देते है, "जुग-जुग जियो मेरे लल्ला".

मोहन : सोनू बेटा. अब तू तुझे अपना पुराना साथी गोलू भी मिल गया है. अब तो खूब मस्ती होगी, है ना?

सोनू : हाँ मामाजी...!! अब तो मैं दिन भर गोलू के साथ ही रहूँगा और दोनों खेतों में खूब दौड़ लगायेंगे...

इस बार पर सभी जोर से हँसने लगते है. "हाँ हाँ .... आप लोग मेरे बिना ही हँस लीजिये". सभी का ध्यान एक साथ उस आवाज़ की और जाता है. दरवाज़े पर एक जवान लड़की चोली और घुटनों से थोडा निचे तक घागरा पहनी हुई खड़ी थी. वो मोहन और बिमला की बड़ी बेटी कम्मो थी. १९ साल की जवान पर एकदम भोली. उसके भोलेपन से मोहन और बिमला उसे ज्यादा घर से बाहर निकलने नहीं देते थे. १६ साल की होने पर तो मानो वो अपना ज्यादा से ज्यादा वक़्त घर में ही बिताया करती थी. घर से बाहर जाना भी पड़े तो मोहन, बिमला या गोलू साथ ही होते थे.

उर्मिला की नज़र कम्मो पर पड़ती है. २ साल पहले जब उर्मिला ने कम्मो को देखा था तब से ले कर अब तक कम्मो का बदन काफी गदरा गया था. चोली में मोटे-मोटे दूध उठ कर दिख रहे थे और चुतड उभरी हुई थी. कम्मो की जवानी पायल की टक्कर की थी. दोनों में सिर्फ येही फर्क था की पायल सायानी थी और कम्मो एकदम भोली. कम्मो मटकती हुई उर्मिला के पास आती है और मुहँ बना कर भोलेपन से कहती है.

उर्मिला : भाभी आपने पहले क्यूँ नहीं बताया की आने वाले हो? मैं आप सब के लिए हलवा बना कर रखती.

बिमला : (हँसते हुए) अभी २ दिन पहले ही हलवा बनाना सिखा है इसने और रोज हलवा बनाने के बहाने ढूंढती रहती है.

उर्मिला : ( हँसते हुए ) तो क्या हुआ मामी. अब बना कर खिला देगी हमे.

उर्मिला कम्मो के सर पर प्यार से हाथ फेरती है. कम्मो की नज़र उमा पर पड़ती है तो वो दौड़ कर उस से लिपट जाती है.

कम्मो : बुआ...आप बहुत गंदे हो. आपने बताया भी नहीं. आज रात ही मैं आप के लिए हलवा बना दूंगी.

उमा प्यार से कम्मो के सर पर हाथ फेरते हुए कहती है.

उमा : हाँ री मेरी प्यारी बिटिया कम्मो, बना देना हलवा. आज हम सब तेरे हाथ का बना हलवा खायेंगे.

कम्मो : फूफा जी और पायल कहाँ है बुआ?

उमा : तेरे फूफाजी के घुटनों में दर्द था इसलिए पायल भी उनके साथ ही रुक गई बेटी.

कम्मो : (उदास हो कर मुहँ बनाते हुए) ये क्या बात हुई बुआ? गोलू तो सोनू के साथ मजे कर लेगा पर मैं पायल दीदी के बिना क्या करुँगी?

उर्मिला : तो तू भी गोलू और सोनू के साथ मजे कर लेना, किसीने रोका है क्या तुझे?

उर्मिला की इस बात पर कम्मो पास खड़े गोलू और सोनू को देख कर बड़ी सी जीभ निकाल कर उन्हें चिढा देती है, "ऊऊऊऊ.......!!"

कम्मो की इस हरकत पर कमरे में हंसी के ठहाके गूंजने लगते है. बिमला उमा से कहती है.

बिमला : अच्छा दीदी, अब आप लोग हाथ मुहँ धो लीजिये और थोडा आराम कर लीजिये. थक गए होंगे.

उमा और उर्मिला बिमला के साथ बातें करते हुए कमरे से बाहर चले जाती है. उनके पीछे कम्मो भी चल देती है. सोनू और गोलू भी हंसी-मज़ाक करते हुए चले जाते है. सब के आ जाने से मोहन भी बहुत खुश नज़र आ रहे थे.

[ ये अपडेट केवल एक झलकी है. पूरा अपडेट जल्द ही आयेगा. उमा अपने गाँव भाई के पास जाए और उसके भाई के परिवार में कुछ ना हो, ऐसा तो हो नहीं सकता. इसलिए कहानी में नए किरदारों का आना जरुरी था. आशा है ये नयी कड़ी आप सभी को पसंद आएगी ]
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02-12-2022, 01:29 PM,
#69
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
अपडेट ३२.५ :

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शाम ४ बजे:
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घर के आँगन में बैठी उमा, बिमला और उर्मिला बातें कर रही थी. पास वाली खाट पर मोहन भी लेटे हुए उनका साथ दे रहे थे. थकावट के कारण सोनू अन्दर कमरें में सो रहा था. पुरानी यादों के साथ-साथ कुछ नयी बातों पर भी चर्चा हो रही थी. मोहन लेटे हुए यहाँ-वहाँ नज़र दौडाते हुए कहते है.

मोहन : ये गोलू कहा चला गया....

उमा : क्या हुआ मोहन?

मोहन : कुछ नहीं दीदी. ४ बजे गए हैं ना. गोशाला में गाय का दूध दुहना था. अब मैं तो कर नहीं सकता इसलिए गोलू ही करता है. पता नहीं कहाँ चला गया?

बिमला : मैं देख कर आती हूँ.

जैसे ही बिमला उठने को होती है, उर्मिला उन्हें रोकते हुए कहती है.

उर्मिला : आप बैठिये मामी. मैं देख कर आती हूँ.

बिमला मुस्कुराकर उसके सर पर हाथ रखते हुए कहती है.

बिमला : बहुत अच्छी बहु मिली है आपको दीदी.

उमा : हाँ बिमला. हमारे घर को तो इसीने संभाला हुआ है.

उर्मिला भी मुस्कुराते हुए बाहार निकल आती है. आँगन में नज़र डालते हुए वो गोशाला की और बढ़ने लगती है. थोडा आगे जाते ही उसे गोलू गाय के पैरों के पास बैठा हुआ उसका दूध दुहते हुए दिखाई देता है. उर्मिला उसे आवाज़ देने ही वाली होती है की उसकी नज़र सामने झाड़ू लगाती कम्मो पर पड़ती है. कम्मो झुक कर झाड़ू लगा रही है और आगे उसकी चोली के बड़े गले से उसके मोटे दूधों की गहराई दिख रही है. उर्मिला झट से गौर से गोलू की तरफ देखती है तो गाय का दूध दुहते हुए सोनू की नज़रें कम्मों की दिख रही दूध के बीच की गहराई पर थी. वो बड़े ही ध्यान से कम्मो की बड़ी-बड़ी चुचियों को निहार रहा था. ये देख कर उर्मिला के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. " साला पूरा खानदान ही बहनचोदों और बेटीचोदों से भरा पड़ा है ", उर्मिला मन में सोचती है. धीमे क़दमों से वो गोलू की तरफ बढ़ने लगती है की तभी कम्मो की नज़र गोलू पर पड़ती है. गुस्से में झाड़ू गोलू को दिखाते हुए वो कहती है.

कम्मो : तू फिर देखने की कोशिश कर रहा है गोलू? तुझे मना किया था ना?

कम्मो के मुहँ से ये सुनकर उर्मिला वहीँ रुक जाती है. उसे लगता है की आज तो गोलू बुरा फंस गया. गोलू दूध दुहना बंद कर के दौड़ कर कम्मो के पास जाता है और निचे बैठ कर उसके पैर पढ़ने लगता है.

गोलू : दीदी मैं आपके पैर पढ़ रहा हूँ. माँ और बापू से कुछ मत कहियेगा.

कम्मो : अगली बार देखने की कोशिश की तो झाड़ू से मरूंगी तुझे.

तभी उर्मिला भी वहां आ जाती है. अनजान बनते हुए वो कहती है.

उर्मिला : क्या हुआ कम्मो? क्यूँ मारेगी तू गोलू को झाड़ू से?

उर्मिला को वहां देख कर गोलू उठ कर वहां से भाग खड़ा होता है. उर्मिला गोलू को भागता हुआ देखती है फिर कम्मो की तरफ घूम कर कहती है.

उर्मिला : क्या हुआ कम्मो? इतना गुस्सा क्यूँ कर रही है?

कम्मो : देखिये ना भाभी. गोलू को मन किया था फिर भी वो बार-बार देखने की कोशिश करता है.

उर्मिला : अरे क्या हुआ? क्या देखने की कोशिश करता है गोलू?

कम्मो : मेरे छाती का तील भाभी.

उर्मिला : (उलझन में) तेरी छाती का तील??

कम्मो : हाँ भाभी....मेरी छाती का तील. ये देखिये.....

ये कहकर कम्मो अपनी चोली का गला पकड़ कर निचे कर देती है. चोली का गला उसके निप्पल के बस कुछ ऊपर ही था और वहां एक काल तील दिखाई पड़ रहा था. उर्मिला वो तील देखती है और हैरानी के साथ कम्मो से कहती है.

उर्मिला : तो गोलू इस तील को देखने की कोशिश कर रहा था.

कम्मो : (बड़ी-बड़ी आखों से) हाँ भाभी. एक बार जब मैं बर्तन धो रही थी तो गोलू खड़े हो कर मेरी चोली में झांक रहा था. मैंने उसे पकड़ लिया तो उसने ही बताया की वो मेरी छाती पर जो तील है वो देखने की कोशिश कर रहा था.

उर्मिला : ओह..!! तो ये बात तुझे गोलू ने बताई थी. पर तुमने कहीं मामा या मामी को ये बात तो नहीं बता दी ना?

कम्मो : मैं तो उसी दिन बता देती भाभी पर सोनू ने मेरे पैर पकड़ लिए. मैं खुश हो गई. मुझे ऐसा लगा की मैं कोई राजकुमारी हूँ और वो मेरे पैर पढ़ रहा है. फिर उसने कहा की जब भी वो मेरी छाती का तील देखते हुए पकड़ा जायेगा, वो मेरे पैर पढ़ेगा और मैं मान गई. तब से जब भी वो पकड़ा जाता है मैं राजकुमारी बन के उस से अपने पैर पढवाती हूँ.

ये बात कहते हुए कम्मो के चेहरे पर गर्व की भावना थी. उर्मिला अब सारी बात समझ जाती है. "वाह री भोली राजकुमारी. एक दिन तेरे भाई तेरी बूर चोद के पैर पढ़ लेगा", उर्मिला मन में सोचती है. फिर कम्मो की तरफ देख कर कहती है.

उर्मिला : पर कम्मो. गोलू तो तेरा भाई है, फिर उसे अपना तील दिखाने में कैसी शर्म?

कम्मो : ऐसे कैसे दिखा दूँ भाभी? माँ कहती है की लड़की का तील शादी के बाद सबसे पहले उसका पति देखता है. मेरा तील भी शादी के बाद मेरा पति ही देखेगा. गोलू को थोड़ी ना देखने दूंगी.
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02-12-2022, 01:29 PM,
#70
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
कम्मो की बातों से उर्मिला को पूरा यकीन हो जाता है की इस १८ साल की लड़की को घर से निकलने क्यूँ नहीं दिया जाता है. २ साल पहले जब उर्मिला पहली बार यहाँ आई थी तब से ही कम्मो पर पाबंदियां लगा दी गई थी. अब तो वो पूरी जवान गदराई माल हो गई थी, और पाबंदियां भी कहीं ज्यादा. उर्मिला ये भी बात समझ जाती है की गोलू भी सोनू की तरह ही कमीना और एक नंबर का बहनचोद है, जो अपनी भोली-भाली बहन के चक्कर में है. उर्मिला के अन्दर का कीड़ा रेंगेने लगता है. जिस तरह से घर पर उसने परिवार के सदस्यों के अन्दर की हवस को खुल के बाहार निकाला था अब वो गोलू की हवस को भी ठीक उसी तरह से हवा देने को तैयार थी.

उर्मिला : अच्छा ठीक है कम्मो. ध्यान से कहीं गोलू तेरा तील ना देख ले.

कम्मो : आप चिंता मत कीजिये भाभी. वो मेरी छाती का तील तो क्या, मेरी नाभि के निचे और जांघ पर जो तील है वो भी कभी नहीं देख पायेगा.

उर्मिला : ओह तो तेरी नाभि के निचे और जांघ पर भी तील है.

कम्मो : हाँ भाभी...ये देखिये...

कम्मो झट से अपना घगरा उठाने लगती है. उर्मिला डर के मारे यहाँ वहां देखते हुए उसका हाथ पकड़ लेती है.

उर्मिला : अरे अरे अरे...!! ये क्या कर करी है कम्मो. ठीक है. मैं समझ गई. अच्छा अब तू झाड़ू लगा, मैं चलती हूँ.

कम्मो : ठीक है भाभी.

कम्मो झाड़ू लगाने लगती है और उर्मिला वहां से जाने लगती है. जैसे ही उर्मिला की नज़र सामने पड़ती है, गोलू सामनेवाली मिट्टी की दीवार के पीछे छुपने लगता है. उर्मिला समझ जाती है की वो वहां छिप कर उनकी सारी बातें सुन रहा था. उर्मिला धीमे-धीमे वहां जाती है और झट से गोलू के सामने खड़े हो जाती है. गोलू दीवार के पीछे निचे बैठा हुआ था. उसकी नज़र जैसे ही उर्मिला पर पढ़ती है वो घबरा जाता है.

उर्मिला : क्या कर रहा था गोलू?

गोलू : (डरते हुए) क..क..कुछ नहीं भाभी. वो..वो ..वो मैं ना गोबर उठाने आया था.

उर्मिला : (आसपास देखते हुए ) कहाँ है गोबर जो तू उठाने आया था?

अब गोलू की हवा निकल जाती है. वो झट से उर्मिला के पैरो को पकड़ लेता है.

गोलू : मुझे माफ़ कर दीजिये भाभी. आप माँ और बापू से कुछ मत कहियेगा.

उर्मिला : मैं तेरी भाभी हूँ गोलू, कम्मो नहीं जो तू मुझे बेवकूफ बना दे. और जरा बता तो तू कम्मो की चोली में कौनसा तील देखता है?

ये बात सुन कर गोलू का पिछवाड फट सा जाता है. वो निचे बैठा हाथ जोड़ कर उर्मिला के सामने गिडगिडाने लगता है.

गोलू : भाभी मुझे माफ़ कर दीजिये. अब मैं कभी भी कम्मो की चोली में नही झांकुंगा, मैं वादा करता हूँ.

उर्मिला : चल खड़ा हो जा और मेरे पीछे आ.

गोलू चुपचाप खड़ा होता है और उर्मिला के पीछे चल देता है. उर्मिला उसे गोशाला के पीछे ले जाती है और वहां उस से कहती है.

उर्मिला : अब मुझे सच-सच बता गोलू. तू सच में कोई तील देख रहा था या कम्मो के दो बड़े पहाड़ों की चोटियाँ?

उर्मिला की बात सुन कर गोलू नज़रे झुकाए खड़ा रहता है.

उर्मिला : देख गोलू. अगर तू सच बोलेगा तो तील का तो नहीं कह सकती पर तुझे कम्मो के दोनों पहाड़ों की चोटियाँ जरुर दिखा सकती हूँ.

उर्मिला की बात सुन कर गोलू झट से उसकी तरफ देखने लगता है.

गोलू : पर...पर..भाभी...वो...

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) तुझे क्या लगता है की बस तू ही एक है जो अपनी बहन पर लट्टू है. तेरे जैसे भरे पड़े है यहाँ. अब सोनू को ही देख ले. पायल के पीछे लंड खड़ा किये घूमता रहता था. मैंने करा दी उसकी सेटिंग पायल के साथ.

उर्मिला की बात सुन कर गोलू उच्छल पड़ता है.

गोलू : क्या बात कर रही हो भाभी? गोलू और पायल दीदी....??

उर्मिला : और नहीं तो क्या? अब तो पायल सोनू का लंड खूब चुस्ती है और उसके साथ बिस्तर पर नंगी भी सोती है.

गोलू : (ख़ुशी से ताली बजाते हुए एक बार गोल-गोल घूम जाता है) सच भाभी...!!

उर्मिला : हाँ गोलू एक दम सच...कसम से..!!

गोलू : भाभी मेरे लिए भी कुछ कीजिये ना. अब तक तो मैं दीदी का कुछ भी नहीं देख पाया हूँ.

उर्मिला : ठीक है गोलू पर मैं जैसा कहूँगी तुझे वैसा ही करना होगा. घर में किसी को कानो कान खबर नहीं पड़नी चाहिए.

गोलू : (ख़ुशी से उच्छालता हुआ) नहीं पड़ेगी भाभी.

उर्मिला : शाबाश..! अच्छा एक बात बता. गाँव में कोई सुनसान जगह है जहाँ बैठ कर बातें किया जा सके.

गोलू : हाँ भाभी. थोड़ी दूर पर एक छोटा सा तालाब है. उसके चारों तरफ सरपंच जी के खेत है इसलिए वहां कोई नहीं जाता.

उर्मिला : तो फिर हम कैसे जायेंगे?

गोलू : ओहो भाभी..!! बापू और सरपंच जी तो बहुत अच्छे दोस्त है. हमारे खेतों में भी तो उसी तालाब का पानी आता है. हमे कोई नहीं रोकता.

उर्मिला : (कुछ सोच कर) अच्छा ठीक है. अब तू जा और दूध दुह ले. मैं भी अन्दर चलती हूँ. ३० मिनट के बाद मैं जब बुलाऊंगी तो आ जाना.

गोलू : ठीक है भाभी.

गोलू ख़ुशी-ख़ुशी दौड़ता हुआ चला जाता है. उर्मिला का गन्दा दिमाग एक बार फिर किसीको बहनचोद बनाने की जुगाड़ में लग जाता है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
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