RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
सोनिया माँ की योनि में जोर-जोर से कराही, और उसके पिता अपने सुपाड़े को उसकी महीन रोमों से सजी योनि पर ऊपर-नीचे मसल-मसल कर अपने दैत्याकार लिंग को रिसते हुए द्रवों की चिपचिपाहट में लथेड़ने लगे। लिंग के चिकने-चपाट हो जाने के पश्चात उन्होंने अपने सुपाड़े को सोनिया की संकारी प्रजनन गुहा में घुसा डाला। जैसे ही उसने डैडी के लिंग को अपनी योनि में प्रविष्ट होता महसूस किया, सोनिया उचकने और बलखाने लगी। वह अपनी गीली, लिसलिसी, टाइट योनि को मिस्टर शर्मा के लिंग की संतोषजनक कठोरता के विपरीत ठेलती रही।
68 थका कुटुम्ब जैसे ही उनके पति अपने दानवाकार लिंग द्वारा नवयौवना सोनिया की जकड़ती योनि के भीतर सैक्स-क्रीड़ा करने लगे, टीना जी को अपनी योनि में पुत्री की जिह्वा के बेतहाशा थीरकने का आभास हुआ। । “ओह, आह आँह ! चाट मेरी चूत , लौन्डिया !”, सोनिया के केशों को दबोच कर टीना जी ने आदेशात्मक स्वर में कहा। “रन्डी, तेरा बाप तेरी जवान चूत को चोद रहा है, तू मम्मी की चूत को चाट! अहहहह! हे राम! चाट मुझे, सोनिया! चाट चोंचले को भी, लाडली! अम्म अहह • आँह! शाबाश अब तो तू पेशेवर :: अ आहह रन्डी बन गयी समझ !” ।
अतुल्य दैहिक सौन्दर्य की स्वामिनी टीना जी ने अपनी गोरी सुडौल टाँगों को चौड़ा फैला दिया। जिस प्रकार वे अपने नितम्बों को बिस्तर से उचका-उचाका कर पुत्री के चेहरे को अपनी गुंघराले रोमों से मण्डित योनि पर लथेड़ते जा रही थीं, उनके विशाल स्तन बड़े-बड़े रसगुल्लों जैसे फुदकते जा रहे थे। टीना जी ने दीवार पर लगे आईने में झांका तो मिस्टर शर्मा के लिंग को सोनिया की कोमल जवान योनि के भीतर लुप्त होते देख अप्रत्याशित आनन्द भरी एक कराह उनके कंठ से फूट पड़ी।
ओह दीपक डार्लिंग! चोद रन्डी को! दम लगा के चोद !”, टीना जी चीखीं, “चोद हरामजादी का मुँह मेरी चूत में, मेरे आशिक़ ! हे राम, मेरी प्यास तो बढ़ती जा रही है !” उन्होंने मुड़कर जय को देखा, जो हस्तमैथुन किये जा रहा था, संयम से वो अपने नौजवान लिंग को किसी तपते और चिपचिपे छिद्र में घोंपने के अवसार की प्रतीक्षा कर रहा था।
इधर आ, हरामी", टीना जी ने फंकार कर काहा। “ला इधर अपना मोटा, टनाटन लन्ड, मम्मी इसे चूसना चाहती है !”
“अभी लाया मम्मी!”, जय हँसते हुए माता के स्तनों पर चढ़कर बैठ गया। “ले चूस मेरा लन्ड, मम्मी !” | उसका दानवाकार लिंग टीना जी के मुख के सामने तनकर फड़क रहा था।
कामुक माता ने तुरन्त मुख को पूरी तरह से खोला, और आनन्द के मारे बिलबलाते हुए, ममतापूर्वक अपने होंठों को पुत्र के धड़कते लिंग पर लिपटा दिया।
“उहहह, अहहह! ले मम्मी चूस ले मेरा मोटा लौड़ा”, जय ने कराह कर नीचे हाथ बढ़ाया और माँ के विशाल, पुखता श्वेत वर्ण के स्तनों को दबाने लगा। मेरी रन्डी मम्मी! अगर ऐसे ही मस्ती से चूसती रही तो तेरे मुँह में ही मेरा वीर्य बह जायेगा !”
टीना जी ने पुत्र के फड़कते लिंग को अपने गले की गहराईयों में निगल लिया। पुचकारते हुए, उन्होंने अपने पुत्र के लिंग को धीरे-धीरे चूस- चूस कर अपने गले में खींचना शुरू किया, और तब कहीं जा कर थमीं, जब वो उनके गले में पूरा का पूरा उतर नहीं गया। अपनी सौंदर्यवती पत्नी को अपने पौरुषवान पुत्र के लिंग पर मुखमैथुन करता देख , मिस्टर शर्मा अत्यन्त उत्तेजित हो गये, उन्होंने तुरन्त अपने लिंग का गतिवर्धन किया और सोनिया की प्रेम से सिकोड़ती योनि में उसे अपनी पूरी क्षमता के साथ ठेलने लगे।
पापी परीवार का उदिक्त सामूहिक सम्भोग कुछ ही मिनट और चला। सोनिया का मुख व जिह्वा माँ के रसीले योनि माँस में गहरी घुसी हुई थी, और योनि में ठेलते , पिता के विशाल लिंग द्वारा उत्पन्न विलक्षण आनन्द उस नवयौवना से सहा नहीं जाता था। किसी कुदाल की तरह मिस्टर शर्मा अपने लिंग को पुत्री की मलाईदार योनि में चला रहे थे। यौन तृप्ति की वेला को विलम्बित करने की चेष्टावश उनका आग-बबूला और पसीने से सना हुआ था, परन्तु उनकी चेष्टा विफल हुई।
टीना जी ज्वर- पीड़िता जैसी जय के ठोस लिंग को चूसे जा रही थीं और उनके चोंचले पर सोनिया का चुपड़ता मुख उनके सारे बाँध तोड़े दे रहा था। आखिरकार जब उन्होंने चरमानन्द की प्राप्ति की, तो उनका सम्पूर्ण बदन थरथरा उठा। वे बेचारी चीख भी नहीं पायीं , मुँह में पुत्र का मोटा लिंग जो ठूस रखा था उन्होंने। परन्तु सोनिया को ज्ञात हो गया कि उसकी माँ को चरमानन्द प्राप्त हो रहा है। टीना जी की भीगी योनि अचानक सिकुड़ी, फिर अपनी किशोर पुत्री की लपलपाती जिह्वा पर कुलबुलाती - बलखाती हुई फड़की। सोनिया निरन्तर प्यासे जानवर की तरह चाटती-चुपड़ती हुई उस निर्लज महिला की तप्त, रोमयुक्त योनि पर जिह्वा चलाती रही। उसने मुख-मैथुन-क्रीड़ा में चरमानंद की आखिरी घड़ी तक माँ का साथ निभाया।
पिता और पुत्र के बीच वीर्य स्खलन स्पर्धा में, मिस्टर शर्मा अग्रिम आये। वीर्य का देर तक संयमित किया हुआ फ़व्वारा सोनिया की आक्रमित युवा योनि में फूटा, और उसके प्रजनन मार्ग को चिपचिपे गाढे, श्वेत वर्ण के वीर्य- प्रवाह से लबालब भरता गया। उनकी सिकुड़ती- ढील देती योनि पर सोनिया के मुख का शिकंजा कायम तो था ही, अब टीना जी अतिरिक्त मस्ती से कराहने लगीं थीं क्योंकि उनके पुत्र का लिंग भी अब वीर्य का स्खलन कर रहा था।
| टीना जी निर्लज्जता से अपने पूरे सामर्थ्य से जय के लिंग को चूस रही थीं। उसके झटकते लिंग को वे अपनी मुट्ठी में कस के पकड़े हुए, कराहते हुए किशोर जय के अण्डकोष से स्फुटित वीर्य की बूंद-बूंद को दुह - दुह कर पुत्र-वीर्य का पान कर रही थीं। उन्हें इसकी तनिक भी परवाह नहीं थी कि मुख में वीर्य बहाता लिंग उनके कोख - जने पुत्र का है, उनका पूरा ध्यान तो बस जय के पुरुषाकार लिंग को चूसने पर केन्द्रित था।
टीना जी ने अपना मुँह उसके पेड़ पर गाड़ दिया, और जय के सम्भोगास्त्र को अपने गले में जितना अन्दर जा सकता था, ठूस लिया। उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया कि कब सोनिया उठकर पलटी और मिस्टर शर्मा के लिंग को चूसना प्रारम्भ करा। टीना जी तो केवल अपने पुत्र के वीर्य का रसास्वादन करती जा रही थीं।
दोनों महापुरुषों के लिंग जब अपने भीतर सिमटे वीर को उडेल चुके, तो पापी परीवार के सदस्य संतुष्ट और प्रसन्न मुद्रा में थक कर बिस्तर पर लेट गये। सर्वसम्मति से यह तय हुआ कि सभी रात को अपने-अपने बिस्तरों पर सो कर विश्राम करेंगे।
|