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RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
21 सेक्यूलरिस्म
मौका सही है बेटा!” राज ने सोचा, “शायद टाइट सा ट्रन्क उठा लायेगी, मेरे लन्ड के लिये।” उसने अपनी टी-शर्ट को उतार फेंका और उतावला होकर सोनिया की वापसी का इन्तजार करने लगा। जिस तरह से सोनिया अपने जलवे दिखा रही, अगर वो उसके साथ ठिठोली नहीं कर रही तो समझो कि आज तो वारे न्यारे।।
एक मिनट बाद सोनिया अपने भाई के स्विमिंग ट्रन्क को ले कर आ वापस आ पहुंची। जान कर वो सबसे तंग ट्रन्क चुन कर लाई थी जिसे वो राज के तन पर देखना चाहती थी।
ये लो! चाहो तो अन्दर बाथरूम में जाकर पहन लो !”
इधर ही पहन लेता हूं। अब यहां कौन देख रहा है ?” सोनिया के चौन्क उठे चेहरे को देख कर राज मुस्कुराया। “जानेमन बड़ी बोल्ड बनती थी। अब बोल ?” राज ने सोचा। ।
“हाँ यहाँ कौन देख रहा है। दीवार इतनी ऊंची जो है।” सोनिया हकलायी। अपने कानों पर पड़ते खुद के शब्दों पर उसे यक़ीन नहीं हो रहा था।
राज अपनी जिन्स उतारने लगा। “अरे यार! मैं कपड़े बदल रहा हूं। अपनी नजरें पीछे फेरने की ज़हमत उठयेंगी आप ?” राज ने पूछा।
सोनिया बोलना तो चाहती थी “नहीं फेरूंगी! मैं तो आशिक़ का लन्ड देखना चाहती हूं !” पर दरसल बोली - “अ हाँ हाँ सॉरी राज !” सोनिया बड़े खेद से पीठ फेर कर पलटी और राज ने लपक कर जीन्स उतारी और अपने नाप से छोटि स्विमिंग ट्रन्क को किसी तरह पहना।
राज को नंगा देखने की कल्पना सोनिया के पेड़ को गुदगुदा रही थी। जब राज ट्रन्क पहन चुक तो बदमाशी से उसकी गाँड पर चपत लगा कर पूल में कूद पड़ा। सोनिया भी खिलखिला कर उसके पीछे पूल में कूद पड़ी।
किशोर यौवना का छरहरा बदन पानी को चाकु की तरह काट रहा था। गोते के बाद सोनिया पानी कि सतह पर आयी, पर राज का कहीं नामोनिशान नहीं था। फिर अचानक उसे पानि की सतह के नीचे एक परछाईं अपनी ओर तैरती हुई दिखी। जैसे ही वो परछाईं सतह पर उभरी, सोनिया ने अन्दर गोता लागा दिया। नतीजतन, उसकी गाँड का धका सीधे राज के चेहरे पर लगा। वो पलट कर पीठ के बल तैरने लगी ताकि राज के सामने अपने स्तनों को मचला सके।
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RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
राज जानता था कि सोनिया अपने नख़रों से उसकी मर्दानगी को उकसा रही थी। जाहिर था कि चुदाई की प्यास में तड़प रही थी। राज अपनी गर्माती जवानी और ललचाती नीयत पर काबू पाने के उद्देश्य से पूल का एक पूरा चकार तैर गया। पर पूल के दूसरे किनारे पर हुंचा तो सोनिया के जिस्म को पनी के अन्दर अपनी टांगों पर रगड़ता हुआ पाया। जैसे ही अचानक सोनिया सतह पर उभरी तो उसके मम्मे राज के सीने पर मसल गये।
“स्विमिग तो अच्छी कर लेते हो। और कुछ भी आता क्या ?”
सोनिया ने भौहें चड़ाते हुए बोला।
जानेमन! एक बार आज़मा के तो देख !”
राज की ललकार के जवाब में सोनिया ने एक हाथ अपनी गर्दन के पीछे किया और अपनी बिकीनी के टॉप का हुक खोल दिया। उसके दोनों स्तन लायक्रा के पाश से मुक्त हो कर गुब्बरों जैसे झूलने लगे।
राज ने आँखे फाड़े नीची निगाह कर के उन्हें देखा और नोट किया किया कि अट्ठारहवें सावन में सोनिया के स्तन मीठे सन्तरों से पक गये थे। गोरी, चिकनी छाती पर ठोस और पुष्ट स्तन। जरा भी लटकाव नहीं। नवयौवना के दो रूपाबरणों को देख कर राज के टट्टों मे चाहत का दर्द उठने लगा। उसे लगा कि उसके हाथ बने ही हैं इन सन्तरों को निचोड़ने के लिये। सोनिया को खींच कर उसकी चूत में अपना लन्ड घुसा दे और तब तक चोदे जब तक वो उससे दया की भीख न मांगने लगे। पर उसे शक था कि सोनिया भी चुदने में दिलचस्पी रखती है या सिर्फ़ फ़्लर्ट कर रही है, और जैसे ही उसने कोइ हरकात की, तो रेप केस कर देगी। उसने सोनिया की नियत जानने की ठानी!
समजो तुम्हारी आजमाइश शुरू।”, सोनिया ने दोनों हथेलियों में अपने मुलायम स्तनों को भर कर राज की तरफ़ इशारा करते हुए कहा।
“सोनिया तू तो बॉम्ब निकली! क्या मम्मे हैं!” राज आह भरता हुआ बोला।।
“क्या मुझे छुईमुई समझे हो ? दाब कर देखो इन्हें ।” सोनिया ने मुसुराते हुए राज के हाथों को पकर कर अपने स्तनों पर रख दिया।
“सुभान अल्लाह !” उतावले राज अपने बड़े-बड़े खुरदरे हाथों से सोनिया के नरम, मखन जैसे स्तनों को दबाने और सहलाने लगा। सोनिया अपनी एक जाँघ को झुला झुला कर राज के जघन भाग पर दबा रही थी। दूसरी चिकनी- चिकनी टांग जमीन से ऊपर उठा कर उसकी जाँघों के बाहर रगड़ रही थी। सोनिया को अपनी रगड़ती जाँघ पर राज के लन्ड की हर लर्जिश महसूस हो रही थी। जब राज का लन्ड उस पर छूने लगा, तो सोनिया की उतावली जवान चूत एक कलि जैसे खिल कर खुलने लगी, और लन्ड उसकी सकरी कोपलों के बीच टटोलने लगा। राज ने सोनिया को अपने सीने की तरफ़ खींच कर पूछा:
सोनिया! तेरी चूत कुआँरी तो नहीं है ?” ।
“तुम्हें क्या लगता है ?” सोनिया ने आह भरते हुए कहा।
मुझे लगता है कि मैं तुझे चोद दू !” राज ने आजू-बाजू देखा। मैदान साफ़ था। पूल की ऊंची दीवारों के कारं उन्हें वहाँ कोई नहीं देख सकता था।
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RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
जवाँ लन्ड से चुदते हुए सोनिया के मन में खयाल आ रहा था कि इससे भी बड़े लन्ड से चुदने में कैसा लगेगा। राज का साइज़ काफ़ी बड़ा था और उससे सोनिया को कमाल का मज़ा आ रहा था। पर उसके भाई और डैडी लन्ड तो राज से और भी कुछ बढ़ कर था। वे दोनों तो अपने हाथी जैसे लन्ड से उसको शायद चीर ही डालें। पर सोनिया को हर बड़ा लन्ड एक चैलेन्ज जैसा लगता था, जिसे वो जरूर फ़तह करना चाहती थी।
तभी राज उसके मुं को अपने मुं पर लगा कर बड़ी निर्दयता से चुम्बन लेने लगा, उसकी जीभ सोनिया के मुँह में ऐसे लपकी जैसे उसका लन्ड सोनिया की चूत में सनसनाया था। फिर राज ने उसकी कमर को हाथों में जकड़ कर उसके धड़ को पीछे झुका कर पानी की सतह के जरा ऊपर बिलकुल समतल सुला दिया। इस पोज में राज के जघन की हड़ी सोनिया की चूत के चोचला पर रगड़ा रही थी। सोनिया को अपने चोचले पर मसलती हड्डी से और मज़ा आने लगा। वो झड़ने के करीब आने लगी। अपनी कमर को उसके मजबूत बदन पर फुदकाती हुई ऐसी आवाजें निकाल रही थी।
“आँ : आँह : आँआँह '' आँआँआँआँआँआँह !” राज का बस एक और जबरदस्त स्ट्रोक सोनिया को झड़ाने के लिये काफ़ी था :::
“ऊऊऊह! ऊहन्घ्ह्ह! उन्घाह्ह! मुझे चोद राज ! • अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
!” सोनिया इस तरह तीखे स्वर में दर्जनों बार चीखती कराहती हुई और अपनी तन्ग चूत को अपने आशिक़ के गोदते लन्ड पर रौंदती हुई झड़ने लगी।
राज उसे बिना रुके चोदता जा रहा था। उसका लन्ड सोनिआ की गीली, उलझी हुई झांटों के बीच उसकी टाइट, नवयौवना चूत में और गहरे बरस रहा था। झड़ने के बाद सोनिया राज की जांगों पर अपनी टंगों की जकड़ को ढीला कर के अपने पाँवों के पन्जे के बल उचक कर खड़ी हो गयी और अपने आशिक़ के हांफ़ते मुँह का चुम्बन लेने लगी।
सोनिया की चूत में अब भी राज का लन्ड बराबर तन के जमा हुआ था। अपनी चूत में लन्ड के जबरदस्त तनाव के एहसास ने सोनिया की चूत को फिर से फड़काना शुरू कर दिया। अभी सोनिया का दिल कहाँ भरा था! “सुभान अल्लाह! मजा आ गया चुदाई का !”, राज बोला।
ओह राज ! कमाल का चुदते हो तुम ! एक और बार चोदो ना, प्लीज ?” सोनिया उसके कानों में अदा से फुसफुसाई और फिर उसकी गर्दन और गाल पर अपने सुलगते होंठों से कई बार चूमी।
राज हंस कर बोला “ठीक है! पर घर के अंदर तसल्लि से। यहाँ पानी साला बहुत ठंडा
है।”
“ये ठीक रहेगा! चलो अगली चुदाई मेरी मम्मी के बिस्तर पर! मेरी तो कब से ख्वाइश थी कि कोई मुझे अपनी मम्मी के बिस्तर पर चोदे !” आँख मारते हुए सोनिया ने अपने दिल का राज उसे कहा।
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RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
“मेरी भी ऐसी ही कुछ् ख्वाइश है!”, राज ने मुस्कुरा कर ऐस सोचा, “काश एक बार मेरे लन्ड को तेरी मम्मी की चूत नसीब हो जाए! पर फ़िलहाल तुझी से काम चलाता हूं। साली अगर बेटी जैसी चोद्दी होगी तो मेरा काम बिलकुल आसान है।”
सोनिया के पीछे-पीछे उसके मटकती हुई नगी गाँड को देखता हुआ राज घर घर के अंदर आया। “चोद्दी! क्या माल बॉडी है !” आज तो बेटी की अट्ठारह साल की टपकती चूत को तब तक चोदूंगा जब तक होश हैं, फिर माँ की बारी होगी। क्या पता क़िस्मत में दोनों को इकट्टे चोदान लिखा हो! एक मेरे लन्ड पर, दुसरी मेरी जीभ पर। राज की दिली ख्वाइश थी की वो अपनी जिभ से चूत चाटे। खास कर कि मिसेज शर्मा की रिसती हुई गर्मा-गरम चूत , और उसमें राज मियाँ की प्यासी जीभ। सोने पे सुहागा तो तब हो जब बेटी अपने मुँह में उसका लन्ड हो। उसके शैतानी दिमाग़ में ऐसी कैई सम्भावनाएं जाग रही थीं!
24 शर्मा खानदान
डॉली अपने बिस्तर पर लेट कर मैगजीन पढ़ रही थी। उसकी अम्मी रजनी जी बाजार में शॉपिंग के लिये गयीं थी और भाई राज पड़ोस के घर में पूल की सफ़ाई के लिये गया था। डॉली अकेले भर पर बोर हो रही थी तो कभी टीवी देखती तो कभी स्टीरियो- सेट पर गाने सुनती। फिर उनसे भी उकता कर आखिर एक मैगजीन ले कर पढ़ने लगी थी। पर उसके जेहन में तो कुछ और ही कौन्ध रहा था। | डॉली को ताज्जुब हो रहा था राज आखिर इतन्नि देर कर क्या रहा है। पिछली बार जब उसने शर्मा परिवार के घर में इतना वक़्त बिताया था तो कह रहा था कि मकान मालकिन साहिबा उस पर डोरे डाल रही थीं। मुआ खुद ही टीना जी के सामने दुम हिला रहा होगा, डॉली से सोचा। वो अपने जुड़वाँ भाई को अच्छी तरह से पहचानती थी। दोनों हम - खयाल थे और एक जैसी ही पसंदें रखते थे, खासकर की सैक्स के विषय में। राज और डॉली के बीच तीन साल से सैक्स सम्बंध थे। तीन साल पहले एक रात डॉली जिंदगी में पहली बार चुदी थी - राज से। उस घड़ी से दोनों भाई- बहन एक दूसरे की सैक्स की भूख को बिन बताये भाँप लेते थे। इतना ही नहीं, राज और उसकी अम्मी के बीच भी बाकायदा सैक्स सम्बन्ध थे
डॉली के वालिद ने जब उनकी अम्मी को तलाक़ देकर छोड़ दिया था, तो उसके छह महीनों बाद ये क़िस्सा शुरू हुआ था। डॉली के अबू ने जब अपने से आधी उम्र की एक तवायफ़ के लिये उन्हें छोड़ दिया था, तो उनके परिवार पर जैसे कहर ही टूट पड़ा था। उनके पास अब अब कोई चार नहीं था। माँ ने बच्चों के और बच्चों ने माँ के सहारे जिन्दगी काटनी थी। और वक़्त के साथ उनके माली हालात सुधरने लगे थे। घर पर सबकी खुशियाँ भी वापस आने लगी थीं। रजनी जी एक खानदानी खातून थीं और बला की खूबसूरत भी। जन्नत की हूर जैसे गोरे लम्बे चेहरे पर दो हरी, बिल्ली जैसी हरी आँखें, सुनहरे लम्बे बाल। रजनी जी को बस एक कमी बड़ी खलती थी - सैक्स की, जिसका लुफ्त, उनके शौहर तलाक़ के दिन तक, बा - क़यदा उन्हें दिलाते रहे थे। तलाक़ के सदमे के बाद, अब दूसरी शादी की हिम्मत उनमें नहीं रही थी।
परेशान हो कर आखिर उहोंने अपने बेटे का ही सहारा लेकर अपनी इस उलझन को भी सुलझा लिया था।
सब कुछ अचानक नहीं हुआ था। रजनी जी कैई दिनों तक परेशान सी अपनी उलझन के हल के बारे में सोचती रहीं थीं। उनके दिल में बैठा शैतान उन्हें उकसा कर राज की तरफ़ इशारा करता था। ऊपर वाले के खौफ़ के मारे अपने ही बेटे के बारे में गुनाह भरे खयालों को दबाने की लाख कोशिशें करतीं। पर एक रोज देर रात जब राज दोस्तों के साथ पार्टी मनाकर नशे में धुत घर पर आया, तो वे खुद पर क़ाबू खो बैठीं। रजनी जी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी अपने बेटे के बिस्तर के लिहाफ़ में तेट गयी थीं। शराब का नशा और गैर-कुदरती ब्रह्मचर्य - दोनों गुनाह की जड़ हैं। इनका नतीजा तो हम सब जानते हैं। रजनी जी अपने बेटे राज पर पिंजरे से छुटी शेरनी सी झपट पड़ी थीं। राज चौंका तो बहुत था पर उसने अम्मी की इस हरक़त का मुक़ाबला नहीं किया था। इतनी हसीन औरत अगार नंगी होकर आपके बिस्तर में कूद पड़े तो आप भी वही करते जो राज ने किया। उस रात राज ने बड़ी जिन्दादिली से अपनी अम्मी को चोदा।। | उस रात आखिरकार रजनी जी की लम्बी बेक़रारी का खात्मा हुआ था। राज के कमरे से आती कराहने की आवाजें इस बात का सबूत थीं। दोनों अपने जिस्मों के जुनून में इतना शोर कर रहे थे कि डॉली भी जाग उठी। मारे चिंता के जब लड़की दौड़ कर अपने भाई के कमरे पहुंची तो अन्दर के नजारे ने उसके होश उड़ा दिये थे। राज बिस्तर पर लेटा हुआ था और अम्मीजान उसके तने लन्ड पर अपनी चूत को गाड़े हुए घुड़सवार की तर फुदक रही थीं। महीनों से कैद किये हुए जिस्मानी जुनून को अपनी कोख के ला के साथ सरन्जाम दे रही थीं।
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RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
उस रोज़ तक डॉली सिर्फ अपने भाई के मर्दाना जिस्म पर मन-ही-मन फ़िदा थी। कैई दफ़ा उसके मोटे लम्बे लन्ड के खयाल में अपनी चूत को उंगलीयों से रगड़-रगड़ कर जार- जार कर चुकी थी। उस स्याह रात वो अपने भाई के उसी लाजवाब लन्ड को अपनी अम्मी की उछलती चूत में फचाक - फचाक चलता देख रही थी। डॉली की शुरुआती बौखलाहट जन्द ही जिस्मानी प्यास में तब्दील हो गयी। साथ ही उसे अपनी अम्मी से जरा सी जलन भी हो रही थी!
शबने के रूम से भागने से पहले राज ने अपनी बहन को दहलीज पर खड़ा देख लिया था। पर अपनी अम्मी के हुस्न के मजे लूटने में इतना मशगूल था कि कुछ बोल नहीं पाया था। डॉली अपने रूम जाकर बिस्तर पर लेट गयी थी और वहीं से अपनी मम्मी की दबी हुई चीखों को सुनती रही थी। उसके जेहन में वो जो तस्वीर देख रही थी उसमे उसका भाई अपने मजबूत लन्ड को अम्मी की झांटेदार चूत ठेल रहा था। अम्मिजान अपने महीनों के दबाये अर्मानों को अब सैलाब बनकर अपने बेटे के लन्ड पर चूत को फुदका - फुदका कर उडेल रही थी.म। डॉली की खयाली दुनिया में वो राज के बेडरूम में फ़र्श पर बैठी अम्मी और भाई की जानंघों के बीच मुंथ खोले घूर रही थी। अपना मुँह अम्मी की चूत के झोलों पर लगाकर लसलसाती चूत को चात रही थी। साथ ही उसके भाईइ का लन्ड चूत में ठेलता जा रहा था। यह सब उसके खयालों में हो रहा था पर उसके भाई के बेडरूम से आती आवाजें तो बिलकुल असलियत में थीं! अपने खयलों में डॉली ने अम्मी की चूत और भाई के लन्ड, दोनों के बराबर जोश से चाटा। अम्मी की चूत के टपकते रसों को भाई के दनदनाते लन्ड पर से लपक लपक कर जीभ से चाटती, होंठों पर फेराती और फिर साफ़ निगल जाती।
25 एक से भले दो
डॉली तय नहीं कर पा रही थी कि उसे ज्याद मज़ा किस खयाल में आ राहा था - अम्मी की चूत चाटने से या फिर भाई के लन्ड को चाटने से! कराहते हुए डॉली ने अपनी नाईटी के बटन को खोल कर हथेली में एक मुलायम चूची को दबाया था। दूसरा हाथ अपनी गीली पैन्टी के अंदर अन्दर सरका और सुलगती चूत के होंठों को फैलाता हुआ उन्हें मसलने लगा था।
उसका ये मसालेदार सपना और भी चटपटा बन गया था जब डॉली ने देखा की वो अपने मुँह से अम्मी की रसीली चूत को पुचड़- पुचड़ कर चूस रही है और साथ ही उसका भाई उसकी टाइट चूत को अपने लन्ड से दनादान चोद रहा है। डॉली अपनी सपनों की दुनिया में, जहाँ सब कुछ मुमकिन था, और सब कुछ नमकीन था, खोई हुई थी। इतनी तल्लिन थी कि उसने इस बात पर गौर नहीं किया कि राज के बेडरूम से आती आवाजें अब थम चुकी थीं। वो अपनी सख्त चूचीयों के निप्पलों को निचड़ते और अपनी भीगी चूत को रगड़ते हुए, जिस्म में उबलती मस्ती के आगोश में धीमे-धीमे कराहती जा रही थी। अचानक अपने अन्धेरे रूम में हॉल से आती रोशनी से उसकी आँखें खुल पड़ी थीं। दहलीज पर राज खड़ा उसके अधनन्गे बदन को ललचाई आँखों से घूर रहा था। सोनिया के सामने बस राज का एक साया ही दिख रहा था, पर उसे यकीन था की राज की आँखें अपनी बहन के चूत को बेरहमी से मसलते हाथों पर टिकी हुई थीं। राज बेडरूम के अन्दर आया और डॉली के पास बिस्तर पर बैठ गया। । “बहन, तुम ठीक-ठाक तो हो ना ?” राज की चिन्ता वजा थी। उसने अपनी बहन के चेहरे पर जो बौखलाहट देखी थी, और उसे सुकून देना चाहता था। डॉली ने अपनी बाहें राज के चौड़े कन्धों पर डाल कर उसे गले लगा लिया था।
राज ! तू और अम्मीजान ... ऐसी हरकत ?” उसकी सिसकियो.म में गहरा इल्जाम था। राज ने उसे प्यार से गले लगाया था। साथ ही उसके तने हुए निप्पलों को अपने सीने पर महसूस भी किया था। । “ओह डॉली !”, वो फुसफुसाया था, “मैं तो खुद पर शर्मिंदा हूं। पर अम्मीजान की बेसब्री ने मुझे ये गुनाह करने पर मजबूर कर दिया था !” बहन के जवाँ जिस्म में इन्तेहाई गर्मी थी जिसका फ़ौरी एहसास उसे पागल बनाये देता था।
“तू तो मजबूरी के बड़े मजे ले रहा था!”, डॉली ने उसकी नशीली हरी आँखों मे आँखें डाल कर सवाल किया था।
“डॉली, मैं भी एक हाड़-माँस का इन्सान हूं। आदम की औलाद ही हूँ! मेरी जगह कोई भी जवाँ मर्द होता तो ऐसा ही करता। बस !” वो बोला था।
डॉली ने किसी तरह हिम्मत कर के भाई से और तफ़तीश की थी।
“क्या तूने अम्मीजान के अन्दर ही ::: याने .. ” वो हकलाई। इतना कुछ देखने के बाद भी ऐसे अल्फ़ाज अपने भाई के सामने कहने में हिचकती थी।
अम्मी की चूत में झड़ा था ?” राज ने खुलासा किया। हाँ, हाँ क्या तू चूत के अन्दर ही झड़ा था ?” “नहीं डॉली, अम्मी की बेसब्री इतनी थी की इससे पहले कि मैं झड़ पात, वे ही झड़ गयीं !” राज अपनी बहन के चेहरे को देख कर मुसुराया था। । “ओह्ह राज । तुम दोनो को वहाँ तेरे बिस्तर पर ये सब करते देख कर, मैं ::: मेरे जिस्म में आग लग रही है राज !” अपने हाथों को प्यार से अपने भाई की मजबूत पीठ पर फेरती हुई बोली थी वो।।
आग इतनी तेज़ लगी थी मेरी चूत में कि अपने बेडरूम मे आकर मुझे अपने हाथों से ही इसका इलाज करना पड़ा।”
मैं भी अभी वही देख रहा था।” राज मुस्काया था, “पर मज़ा तो तब है जब चूत की मालिश किसी दूसरे के हाथ हो। ला बताऊं कैसे।” ।
राज के हाथ बढ़ कर अपनी बहन के नंगे जिस्म पर चलते हुए उसकी भीगी, गर्म चूत की मखमली चिकनाहट को सहलाने लगे थे। जैसे ही भाई का हैवानी इरादों लिया हाथ उसकी चूत पर फैली हरियाली को छुआ था, डॉली के मुंह से चौंकी सी आवाज निकली थी और खुद-ब-खुद उसकी जाँघे अलग होने लगी थीं। जाँघों के अन्दर की चिकनी -चिकनी चमड़ी पर रेंगता हुआ उसका हाथ जैसे चूत पर पड़ा तो गहरी-गहरी आहें भरने लगी थी वो।
बड़ी मोहब्बत से डॉली ने भाई राज की चड्ढी के अन्दर हाथ डाल कर उसके लन्ड को बाहर निकाला था। अभी-अभी अम्मी की चुदाई कर चुका था पर फिर भी बाँस सा तना हुआ था। डॉली उसकी लम्बाई का जाजजा करते हुए अपनी उंगलियों को उसके तने पर जड़ से सुपाड़े तक फेर रही थी। अपने हाथ में डॉली को लन्ड पहले से कहीं लम्बा लग रहा था। राज ने भी अपनी बहल की पैन्टी की इलास्टिक को एक तरफ़ कर के अपनी एक शैतानी उंगली उसकी टाइट और रसीली चूत में डाल दी थी।
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RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
26 नायाब जाम
ऊहहूहहूह !” राज की लम्बी उंगली के गहरे एहसास ने उसे कराहाने पर मजबूर कर दिया था, “राज ! मम्मी की तरह आज मुझे भी चोद! मेरी चूत तेरे लन्ड के लिये तड़प्प रही है! तुझे मेरी कसम, चोद डाल मुझे !” | बहन डॉली उससे चुदने की भीख माँग रही थी।
मम्मी से ज्यादा बेटाबी तो उसे हो रही थी। इस बात ने राज हैवानी इरादों को और पक्का कर दिया था। उसका लन्ड बहन डॉली के नाजुक हाथों मे धड़कने लगा था। एक ही रात के दर्मयान अपनी मम्मी और बहन को चोदने का मौका हम में से भला कितनों को मिलता है। बहरहाल, उसने डॉली से एक बात, मारे शरम के, छिपा ली थी। दरसल, चन्द ही मिनटों पहले वो अपनी मम्मी की चूत में झड़ा था। उसने अपनी मम्मी की कोख को अपने गरम, खौलते वीर्य से लबालब कर दिया था, और चूत से छलक कर उसके गाढ़े पीले रंग के वीर्य की कैई धारें जाँघों पर नीचे बहने लगी थीं। उस वक़्त तो झड़ने पर आये हुए जन्नत जैसे लुफ्त पर बड़ा शर्मिन्दा हुआ था। पर अब उसकी शरम पूरी हवा हो चुकी थी और जुड़वाँ बहन को चोदने की सुलगती प्यास उसके जेहन में घर कर चुकी थी।
राज का लन्ड अभी-अभी मम्मी की कोख में गन्गा-जमुना बहा चुका था। पर फिर भी उसका मर्दाना बदन बहन डॉली को चोदने की पूरी काबिलीयत रखता था। उसके जोरदार टट्टे जल्द ही लबालब भर कर वीर्य उड़ेलने को फिर तैयार हो गये थे। राज ने अपनी एक और उन्गली डॉली की टपकती चूत में डाली थी और उसे पीछे तकियों पर लिटा दिया था। कमसिन डॉली ने अपनी नाजुक टांगें पूरी तरह फैला कर भाई के लिये चूत का रास्ता साफ़ किया था। उसकी चूत गर्मा-गरम रोमांच से फड़कती हुई लगातार अपने भाई की गुदगुदाती उंगलीयों पर बहे जा रही थी। डॉली को अब सिर्फ उसके लन्ड का इन्तजार था।
भाई की टटोलती उंगलियों की हरकत के साथ-साथ डॉली भी कूल्हे उचका-उचका कर अपने चूत को उन पर मसलती थी। उसका तड़पता हुआ चोचला चूत के होंठो के बीच झूल रहा था। उसकी जाँघों के बीच बिजली के अनगिनत करंट से दौड़ रहे थे। डॉली अब बेहद ताव में आ गयी थी और चुदे बिना रह नहीं सकती थी। गिड़गिड़ाती हुई बोली:
“राज भाइ! मैं तुझसे चुदना चाहती हूं! अपना लम्बा, मोटा, काला लन्ड मेरी चूत मे डाल और चोद मुझे ! ऊउहहहह! मम्मी जैसे मुझे भी चोद !”
हाथ कंगन को आरसी क्या, राज ने इस बार फुर्ती से अपनी चड्ढी उतार फेंगी। बहन डॉली की भीगी पैन्टी को अपने दोनों अगूठों से उसकी लम्बी चिकनी टंगों पर से नीचे खींच कर उतार डाला। फिर बहन की जाँघों को चौड़ा फैला कर बीच में जैसा आ गया। अपनी सगी बहन की चूत का नूरानी हुस्न देख कर उसके मुँह से दबी सी सीटी निकल गयी। चूत अन्दर से सुर्ख रन्ग की थी और ग़ज़ब की टाईट! मम्मी की चूत से कहीं ज्यादा टाइट! मम्मी की झांटेदार चूत के होंठों ने खुद-ब-खुद फैल कर चूत के होंठो और अन्दर की टपकती, लल्वाति गहराईयों का नजारा उस पर जाहिर कर दिया था। पर डॉली की चूत के होंठ, उसकी जांघे पूरी तरह से फैली होने के बावजूद, बस जरा से खुल कर जन्नत की झलक भर दिखा रहे थे। बाहर से चूत पर दूब की तरह हल्के सुनहरे रन्ग के झांटे थे।
पहली बार बहन की चूत देखने पर राज के चेहरे की इबारत डॉली को आज भि याद थी। उस रोज़ से जब भी राज ने उसकी चूत चाटी थी, डॉली ने वही इबारत उसके चेहरे पर देखी थी।
“माशाल्लह! तेरा हुस्न तो लाजवाब है डॉली !” राज चूत पर झुकता हुआ बोल उठा था, “एक बार तो चख कर देखें जमजम का पानी !” कह के उसने होंठों को डॉली की खुली चूत पर कस दिया था। उसकी चूत के होंठो को चूसता हुआ अपने प्यासे मुँह में ले लिया था उसने। अपने दोनों हाथों को बहन की गाँड के नीचे रख कर उसकी चूत को अपने मुँह मे लगा-लगा कर चाट रहा था राज । जैसे रसीले तबूजे को खा रहा हो। जैसे ही उसाने जीभ चूत के अन्दर घुसा कर मुलायम चूत के अन्दर फेरी, तो डॉली मारे मस्ती के चीख पड़ी।
“ऊउहुहुह! शरीर! बहनचोद, और चूस! चाट साले बहन की चूत !” भाई की लार टपकाती जीभ की सनसनाती फुदकन उसकी टपकती गरम चूत को बड़ी मस्ती से कुरेद रही थी। बहन की जुबान से ऐसे बेलगाम गन्दे अल्फ़ाज़ सुनकार राज और ताव खाने लगा था। जीभ सुपड़ - सुपड़, सुडुप- सुडुप्प बहन की जायकेदार चूत में और गहरे चला रहा था। उसकी नाक डॉली के चोचले पर दब रही थी। इसके जवाब में डॉली ने अपनी छोटी सी चूत और दबा कर भाई के मुँह पर कस दी थी। राज की जीभ साँप की जीभ जैसी लहरा रही थी, और डॉली की कमर भी नागिन के मदमस्त बदन जैसी हवा में थीरक रही थी।
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08-30-2020, 03:05 PM,
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desiaks
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RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
27 नायाब जाम – 2
जब राज ने अपने होंठों के बीच बहन के चोचले को दबाया तो एक क़ायनाती मस्ती के आलम में डॉली के मुँह से चीख निकल गयी थी। उसने राज के कानों को पकड़ कर अपनी ऐंठती चूत से भींच दिया थी। राज फिर अपने रस से सने मुँह को हिला हिला कर अपनी लहराती जीभ को डॉली की नशीली, ललचाती चूत के और अन्दर गोदने लगा था। अपनी बहन की चूत का जायका राज को मजेदार लग रहा था।
चाहता तो पूरी रात चूत - चुसाई कर सकता था, पर अचानक उसे अपने टट्टों मे उमड़ता मीठा सा दर्द और अपनी जाँघों के बीच झूलते हुए तने हुए बम्बू का खयाल आया। अपनी बहन की चूत से मुँह हटा कर उसने अपने भूखे लन्ड को उस मांद पर दागा जहाँ पर चन्द लम्हों पहले उसका मुँह हरकत कर रहा था। उतावलेपन में राज ने लन्ड के एक ही झटके में अपनी बहन की चूत में दाखिल होना चाहा था, पर उसका लन्ड एक इन्च भी अन्दर दाखिल हुआ था कि जा कर चूत की झिल्ली पर जा टकराया। । “माँ क़सम! तेरी चूत तो कुआँरी है!!” उसने चौंक कर बोला था।
“हाँ भाई! तुझे कसम है ऊपर वाले की! अब मत रुकना !” डॉली चीख कर गिड़गिड़ायी थी।
“बहनचोद राज ! ऊउह्ह्ह मुझे भाई से ही चुदना है! चोद के मेरा कुआँरापन लूट ले बहनचोद !” । बहन की जुबान से खुद के लिये ऐसी गालीयाँ सुनकर राज बेइन्तेहाँ दीवाना हो गया।
“हे ऊपर वाले! हाँ, बहन को चोदूंगा मैं ! क़यामत तक चोदूंगा! बहनचोद बनूंगा !” चीखता हुआ राज बोला। | एक बार तो राज को लगा की एक ही जबरदस्त झटके में झिल्ली तोड़ कर अपना लन्ड बहन की लसलसाती, टाइट चूत में ढकेल दे। पर अपनी बहन की कमसिन जवानी पर उसे तरस आ गया था। उसे लगा की डॉली दर्द को झेल नहीं पायेगी। | फिर राज ने अपनी हथेलियाँ बिस्तर पर टेक कर अपने मजबूत बदन का सारा भार बाजुओं पर डाल दिया था। मन्झे हुए खिलाड़ी की तरह वो डॉली को अपने मोटे लन्ड के तनाव को अपनी चूत में क़बूल करने का वक़्त देना चाह रहा था। उसका सुपाड़ा उसकी बहन की चूत के कड़े शिकन्जे में कैद था।
गरम चूत की कसती हुई जकड़न , उसे अपना लन्ड अन्दर घुसाने पर मजबूर किये देती थी। एक हलके से झटके से राज ने अपना लन्ड आधे इन्च और अन्दर ठूसा। डॉली चीखी, और उसी के साथ राज को झिल्ली के फटने का एहसास हुआ। फ़तह के जोश में वो चीखा और उसका लम्बा लन्ड बहन की चूत की गहराईयों में फिसलता चला गया, जब तक की उसके टट्टे डॉली की नम, चिकनी गाँड की खाई में धंस न गये।
राज के लन्ड ने जब चूत में अपनी क़ायनाती हरकत शुरू की तो डॉली एक अलग ही लहजे में चिखने लगी थी। “ऐसे ही! चोद मुझे ! रहम मेरे खुदा! कस के चोद! मैं तेरी गुनहगार हूं! लगा के चोद !”
सूअर ! दम नहीं क्या लन्ड में ? मम्मी के भोंसड़े को कैसे चोदता था! मेरी चूत इतनी ढीली नहीं! तेरा लन्ड थक जायेगा !”
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